Friendship Day Special: मेकिंग फ्रेंड्स इज एन आर्ट

वाकई दोस्ती करना एक कला है और यह भी तय है कि यह कला सब को नहीं आती. लेकिन इसकी जरूरत सभी को पड़ती है. दोस्ती करने का गुण जिसमें होता है उसे जिंदगी में बहुत सारी परेशानियों से स्वतः मुक्ति मिल जाती है. हालांकि कई बार इसके चलते कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है; लेकिन कुल मिलाकर दोस्ती करने का गुण जिंदगी के लिए एक फायदेमंद सौदा ही है.  अतः अगर आपको यह कला नहीं आती तो आइये हम बताते हैं ये कला कैसे सीख सकते हैं?
जब भी किसी नये व्यक्ति से मिलें और उससे दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहें तो कुछ सामान्य शिष्टता का पालन जरूर करें. मसलन किसी अपिरिचित को भूलकर भी ‘तुम’ या ‘तू’ जैसे शब्दों से संबोधित न करें. भले वह कितना ही अनौपचारिक लग रहा हो. क्योंकि जब तक हम किसी के बहुत करीब नहीं होते, तब तक हमारा दिल और दिमाग दोनो ही किसी से इस कदर बिंदास जुबान की उम्मीद नहीं करते. ऐसे में जब हम किसी को उसकी बिना उम्मीद के इतने अधिकार से संबोधित करते हैं तो यह बात उसे बुरी लगती है. इस तरह पहली मुलाकात में ही आपके प्रति किसी का इम्प्रेशन बहुत खराब हो जाता है. क्योंकि हम इस बात को मानें या न मानंे फस्र्ट इम्प्रेशन आपके बारे में किसी को भी राय बनाने की छूट देता है.
हमारी किसी से तब भी दोस्ती नहीं हो पाती, जब हम किसी से पहली बार मिल रहे हों और इस पहली बार में ही उस पर अपनी रहीसियत का रौब डाल दें. वैसे तो अपनी रहीसियत का रौब किसी पर कभी भी नहीं जमाना चाहिए. लेकिन अगर आप किसी पहली बार मिल रहे हों, जो आपको अब के पहले बिल्कुल न जानता हो, उस पर इस तरह की कोशिश कभी न करें वरना वह कभी आपका दोस्त तो क्या अच्छी राय रखने वाला परिचित भी नहीं बन सकेगा. किसी अपरिचित व्यक्ति के साथ बातचीत करते हुए जब हम बार बार उबासियां लेते हैं तो भले यह हमारी किसी समस्या की वजह से हो लेकिन यह बात सामने वाले व्यक्ति को अपने अपमान जैसा महसूस होती है. अगर वाकई आपको बहुत उबासियां आ रही हों, तो सामने वाले व्यक्ति से माफी मांगें और किसी और दिन बैठने व बातचीत की बात कहें, उस दिन और उस समय तो इस बातचीत को विराम देना ही शिष्टाचार है. क्योंकि अगर आप उबासियों के बावजूद बातचीत करते रहते हैं तो सामने वाला व्यक्ति समझ जाता है कि आप उसे टेकेन फाॅर ग्रांटेड ले रहे हैं.
किसी भी नये व्यक्ति के साथ बातचीत करते हुए न तो आप उसे लगातार सुनाते रहें और न ही लगातार सिर्फ उसे सुनते रहें. एक प्रभावशाली मुलाकात का तरीका यही है कि आपके सुनने और सुनाने पर बराबर की भागीदारी हो, बराबर नहीं तो 60 और 40 का अनुपात तो हो ही. अगर आप किसी नए नए परिचित हुए व्यक्ति को बोलने का मौका ही नहीं देंगे तो वह आप से किस तरह जुड़ पायेगा. लेकिन यदि आप चुप्पे बने रहे और वही एकालाप के स्वर में बोलता रहा तो यह भी बोरियत भरा बर्ताव होगा. एक बात का और ध्यान रखें नए-नए परिचित व्यक्ति की वैयक्तिक जिंदगी के बारे में जानने की उत्सुकता न दिखायें. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि किसी नए परिचित हुए व्यक्ति की तारीफ में कंजूसी न करें. लेकिन इस पर भी सजग रहें कि किसी को इतना भी महिमामंडित न करें कि आपकी तारीफ चापलूसी लगने लगे.
अगर हम वाकई किसी के साथ दोस्ती के इच्छुक हैं तो हमेशा पहल की अपेक्षा ही न करें. दोस्ती करना चाहते हैं तो पहल भी करना सीखें. दोस्ती की गाइडलाइन में एक बड़ी सलाह ये भी है कि पहली बार परिचित हुए किसी व्यक्ति पर अपने ज्ञान का रौब कभी न गांठें. साथ इस पुरानी सीख पर भी हमेशा अमल करें कि किसी पुरुष की तनख्वाह और किसी औरत की उम्र नहीं पूछनी चाहिए. अगर मामला पहली मुलाकात का हो, तब तो ऐसी हरकत बिल्कुल ही नहीं करनी चाहिए. अगर आपमें यह आदत होगी तो आपकी कभी किसी से दोस्ती की गुंजाइश नहीं बनेगी. अगर किसी पार्टी में किसी से पहली बार मिल रहे हों, तो मेजबान के द्वारा परिचय कराये जाने पर हमेशा संतुलित और व्यवहारिक बात करें. बातचीत का संदर्भ वही रखंे जिसमें इस नए व्यक्ति की भी रूचि हो. उसके कपड़ों की क्वालिटी और उनकी कीमत के बारे में कतई न पूछें. इसी क्रम में इस बात को भी जान लें कि अगर आपकी किसी औरत से पहली मुलाकात हो रही है तो कृपा करके कभी भी पहली मुलाकात में किसी महिला से उसका मोबाइल नंबर न मांगें और अगर यह मुलाकात किसी पुरुष से है तो पहली ही मुलाकात में उसके साथ किसी बिजनेस का प्लान न बनाएं वरना वह घर जाकर आपको शेखचिल्ली की पदवी से नवाजेगा, दोस्ती तो भला आपसे क्या करेगा.

सभी युद्धों से खतरनाक ‘कोविड का युद्ध’

युद्ध मानव इतिहास का निरंतर हिस्सा रहे हैं. हर युग में आम जनता को बेबात में युद्धों में घसीटा जाता रहा है और युद्ध का मतलब है कि हर रोज की जिंदगी का टूट जाना. युद्ध के दौरान शहर नष्ट हो जाते. युवा लड़ाई पर चले जाते, खाने के लाले पड़ जाते, घर में किसे मारा डाला जाए पता नहीं रहता. फिर भी एक चीज जो प्रकृति की देन व आवश्यकता दोनों है, चलती रही. वह प्रेम है. युवा प्रेम हर तरह की कंडीली झाडिय़ों में भी पनपा, फूलों के बागों में पनपा, गोलियों में भी पनपा, आज प्रेम कोविड के खूनी पंजों में भी पनप रहा है.

आज कोविड का युद्ध पहले के सभी युद्धों से खतरनाक है क्योंकि यह हर व्यक्ति को अपनी खुद की वजह जेल में बंद कर रहा है. हजार बंदिशें लोगों पर लगी है जो विदेशियों के आक्रमणों में नहीं लगी, दंगों में नहीं लगीं. अकाल और बाढ़ में नहीं लगी, युद्ध क्षेत्रों में नहीं लगी. एकदूसरे से गले लगना और बात करने तक पर पाबंदी कोविड ने हर जने को जो एक छत के नीचे पहले से नहीं रहता. छूने, सहयोग, पास बैठ कर बात करने पर पाबंदी लगा दी. ऐसे में नया प्रेम कैसे हो, कैसे प्रकृति को छूने की चाहत, एकदूसरे में समा जाने की जरूरत पूरी हो.

कोविड ने जो कैद की है, वह लोकडाउनों के हटने के बाद भी न के बराबर हट रही है. मास्क में चेहरों से प्रेम निवेदशन कैसे हो सकते हैं? 2 गज की दूरी रखने से एकदूसरे का स्पर्श कैसे मिल सकता है?

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अब जिन्हें वैक्सीन लगी है, वे ढूंढ रहे हैं कि जिन्हें वैक्सीन लग चुकी हैं. उन में से कौन उन के लायक हैं पर यह वैक्सीन ऐसी नहीं जिस का ठप्पा पार्कों पर लगा हो. इस वैक्सीन के बाद भी मास्क जरूरी है. अब वह प्राकृतिक जरूरत एक जीवन साभी को कैसे पूरी हो. कोविड की दूसरी लहर जिस में एक छत के नीचे रह रहे पूरे परिवार बिमार पड़ गए सब को बुरी तरह डस दिया है.

गनीमत है कि मौडर्न टैक्नोलौजी ने इंस्ट्राग्राम, फेसबुक, व्हाट्सऐप के दरवाजे खुले रखे पर ये तो कैद खानों की छोटी खिड़कियां थीं जहां से सिर्फ आंख दिखा सकते हैं. एक इंच बाई एक इंच के चेहरे को देख कर किसी के व्यक्तित्व की पहचान तो नहीं हो सकता.

हां इस दौरान भारत में शादियां हुईं पर उन में चेहरा फेसबुक पर देखा गया, कुछ मिनट के लिए मास्क हटा और हो या न कर दी गई, 18वीं सदी की शादी की तरह. बाकी बातें सोशल मीडिया पर हुईं पर आधी अधूरी. जब तक कोई चाय के प्याले में अपनी उंगली डुबा कर न पिलाए, प्रेम थोड़े पनपना है. अब जो शादियां पक्की हो रही थीं, वे शारीरिक मिलन का समझौता हैं प्रेम का अंतिम लक्ष्य पूरा होना नहीं.

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वायरल हेपेटाइटिस है एक साइलेंट बीमारी

लिवर यानि यकृत हमारे शरीर का प्रमुख अंग है, जो पोषक तत्वों को पूरे शरीर में प्रोसेस करने के साथ-साथ खून को फ़िल्टर करता है. इन्फेक्शन्स के खिलाफ लड़ता है. वायरल हेपेटाइटिस में हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई वायरस जब लिवर को संक्रमित करते है, तो लिवर में सूजन आ जाती है. इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की एचपीबी(Hepato-Pancreatico-Biliary) एंड लिवर ट्रांसप्लांट की डॉ. कांचन मोटवानी कहती है कि वायरल हेपेटाइटिस के वायरस लिवर को नुकसान पहुंचाकर उसके कार्य को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में टॉक्सिन्स का निर्माण होने की संभावना बढती है. इससे लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर भी हो सकता है.

यकृत के रिस्क फैक्टर

हेपेटाइटिस ए और ई वायरस के संक्रमण से क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस हो सकता है. कई मरीज़ों में, यह कुछ हफ्तों या महीनों में अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में मरीज़ के लिवर का काम बहुत ही तेज़ी से बंद पड़ने लगता है, अगर लिवर ट्रांसप्लांट तुरंत न किया जाए, तो यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

हेपेटाइटिस बी और सी से लिवर का तीव्र नुकसान होने की केस शायद ही कभी होती होगी, लेकिन ये वायरस व्यक्ति के शरीर में बने रहते है और लंबे समय के बाद लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण बन जाते है.

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लक्षण

हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन और पानी के ज़रिए मल या मौखिक मार्ग से फैलते है. अधिकतर ये बीमारियां गन्दगी वाले इलाकों में पायी जाती है. संक्रमित व्यक्ति में कई बार किसी प्रकार की लक्षण नहीं दिखाई पड़ती या किसी में पीलिया, पेट में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, भूख न लगना, बुखार, सामान्य कमजोरी आदि जैसे लक्षण दिखाई दे सकते है. ज़्यादातर मामलों में, ये लक्षण सपोर्टिव उपचार के साथ ठीक हो जाते है. अधिकांश मरीज़ों में, वायरस शरीर से निकल जाता है और मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है. बहुत कम प्रतिशत मामलों में, यह बीमारी अचानक से, तीव्र लिवर फेलियर का कारण बनती है, ऐसे मरीज़ों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है. बहुत कम केसेज में, किसी मरीज को आपातकालीन लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत हो सकती है.

हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमित रक्त और रक्त के प्रोडक्ट्स से फैलते है. यह संक्रमित गर्भवती महिला से बच्चे के जन्म के दौरान नवजात बच्चे में भी फैल सकता है. शुरू में रोगियों में कोई लक्षण नहीं होता या बहुत अस्पष्ट लक्षण होता है, लेकिन इसके वायरस खून में बना रहता है और धीरे-धीरे लीवर को नुकसान पहुंचाता है. क्रोनिक हेपेटाइटिस से सिरोसिस, लीवर फेलियर और लीवर कैंसर जैसी जटिलताएं हो सकती है.

रोकथाम

वायरल हेपेटाइटिस से खुद को बचाने के सबसे असरदार तरीकें निम्न है,

• सूचना और जागरूकता फैलाना,
• पीने का शुद्ध पानी होना, शौचालय, घर और आसपड़ोस के इलाके को स्वच्छ रखना,
• सभी का टीकाकरण होना,
• रक्त और रक्त उत्पादों की सुरक्षा
• असुरक्षित यौन संबंध न करना आदि है.

इलाज

• एक्यूट हेपेटाइटिस में आराम करें, बहुत सारे तरल पदार्थ पिएं और हेल्दी भोजन लें. सपोर्टिव दवाएं इन लक्षणों से आराम दिलाने में मदद कर सकती है.

• डॉक्टर की सलाह या पर्चे के बिना दवाइयां न लें, अल्टरनेटिव दवाइयों के सेवन से बचें, ये लीवर को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है.

• क्रोनिक हेपेटाइटिस (हेपेटाइटिस बी और सी) में, अधिक कॉम्प्लीकेशन को रोकने के लिए जल्दी जांच और उपचार लेना जरुरी है. वायरल हेपेटाइटिस का निदान अगर रोगाणु द्वारा लिवर को प्रभावित करने से पहले किया जाता है, तो उसे ठीक करने के लिए प्रभावी दवाइयां उपलब्ध है. कुछ मामलों में, यदि क्रोनिक बीमारी से लिवर पहले ही डैमेज हो चुका है, तो लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत पड़ सकती है.

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इन 5 टिप्स से बनाएं पलकों को घना

कई लड़कियां आंखों की सुंदरता को उभारने के लिए नकली या आर्टिफिशियल पलकों का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन जब आप अपनी पलकों को प्राकृतिक रूप से घना बना सकती हैं, तो इतनी तकलीफ उठाने की जरूरत क्या है. लड़कियों की खूबसूरती उन की आंखों से होती है और यदि उन की पलकें घनी हैं तब तो कहने ही क्या.

कई युवतियों की पलकें घनी नहीं होतीं, इसलिए वे अपनी आंखों की सुंदरता को उभारने के लिए नकली या आर्टिफिशियल पलकों का सहारा लेती हैं, जिन्हें ज्यादा समय तक अपनाने से नुकसान भी हो सकता है. आइए, जानते हैं कि किस तरह आप अपनी पलकों को कुदरती तौर पर घना और मोटा बना सकती हैं:

1. कैस्टर तेल

रात को सोते समय हर रोज अपनी पलकों पर इस तेल को लगाएं. चाहें तो तेल को हलका सा गरम भी कर सकती हैं. इस को 2 महीने तक लगाएं और फिर देखिए कि आप की पलकें किस तरह से घनी हो जाती हैं.

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2. विटामिन ई तेल

एक छोटा सा आइलैश ब्रश लें और उसे इस तेल में डुबो कर रोजाना अपनी पलकों पर लगाएं. चाहें तो विटामिन ई की कुछ टैबलेट को क्रश कर इस तेल के साथ मिला कर लगा सकती हैं. अगर आप की पलकों पर खुजली होती है तो वह भी इस तेल को लगाने से खत्म हो जाएगी.

3. वैसलीन

यदि आप किसी प्रकार का तेल नहीं लगाना चाहतीं, तो वैसलीन इस का बेहतर विकल्प है. रोजाना रात को सोने से पहले अपनी पलकों पर वैसलीन लगाएं. उस के बाद सुबह उठते ही पलकों पर हलके गरम पानी से छींटे मार कर साफ करें, वरना पूरे दिन वे चिपचिपाती रहेंगी.

4. प्रोटीन डाइट

अगर आप का शरीर स्वस्थ रहेगा, तो जाहिर सी बात है कि आप की आंखें और पलकें भी ठीक रहेंगी. रोजाना अपनी डाइट में प्रोटीन का इस्तेमाल करें क्योंकि त्वचा, बाल, नाखून और पलकों को इस की बहुत जरूरत होती है. अपने आहार में दाल, मछली, मीट, चने और मेवे आदि को शामिल कीजिए.

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5. ब्रश

जिस तरह से हम अपने बालों को झाड़ते हैं, ठीक उसी तरह से हमें अपनी पलकों को भी ब्रश से झाड़ना चाहिए. चाहें तो मसकारे का ब्रश भी प्रयोग कर सकती हैं. पलकों को रोजाना 2 बार ब्रश से जरूर झाड़ें.

घर में ऐसे उगाएं मसाले और सब्जियां

हरी मिर्च, धनिया, पोदीना जैसी सब्जियों का हम हर रोज ही उपयोग करते हैं. किसी भी खाद्य पदार्थ का स्वाद बढ़ाने के साथ साथ ये उसका सौंदर्य भी बढ़ा देतीं हैं. कई बार हमें इनकी सख्त जरूरत होती है और ये घर में उपलब्ध नहीं होतीं और फिर हमें बिना इनके उपयोग के ही अपना काम चलाना पड़ता है. तो क्यों न इन्हें घर में ही उगा लिया जाए. इन्हें उगाना बहुत आसान होता है. तो आइए बताते हैं कि रोजमर्रा में काम आने वाली इन सब्जियों को हम कैसे उगा सकते हैं.

-पोदीना के ताजे जड़ वाले डंठल को आप किसी भी साइज के गमले में बड़ी ही आसानी से लगा सकतीं है. अच्छी बढ़त के लिए नियमित रूप से पानी देना और छंटाई करना अत्यंत आवश्यक होता है. इसका प्रयोग चटनी, परांठा, रायता और पुलाव बनाने में किया जाता है.

-धनिया का प्रयोग मूलतः खाद्य पदार्थो की गार्निश करने और चटनी बनाने में किया जाता है. साबुत धनिया को किसी भारी बर्तन से दबाकर दरदरा कर लें और 5-6 इंच के गमले या ट्रे में तीन चौथाई मिट्टी और एक भाग गोबर की खाद डालकर दरदरे बीजों को बुरककर मिट्टी से ढक दें. ऊपर से पानी का छिड़काव करके गमले को धूप में रखें,कुछ ही दिनों में अंकुर निकल आएंगे.

-अजवायन को सीधे ही गमले में डालकर धूप में रखें. इसे बहुत अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती इसे सब्जियों में फ्लेवर के लिए प्रयोग किया जाता है.

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-साबुत लाल मिर्च को तोड़कर उसके बीज निकाल लें. इन बीजों को सीधे ही गमले में डालकर ऊपर से मिट्टी बुरक दें. कुछ ही दिनों में अंकुर निकल आएंगे.

-चायनीज और इटैलियन व्यंजनों में खासतौर से प्रयोग किया जाने वाले हरे प्याज और लहसुन को उगाने के लिए छोटे आकार के प्याज और लहसुन को गमले में गाढ़ दें, लगभग 15 दिनों के बाद इनमें अंकुर निकल आता है.

-पालक और मेथी जैसी सब्जियों को गमले की अपेक्षा आयताकार ट्रे में उगाना चाहिए. इनके बीजों को गमले या ट्रे में डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दें कुछ समय के बाद इनमें अंकुरण हो जाता है.

ध्यान रखने योग्य बातें

-प्रारम्भिक अवस्था में जब अंकुर एकदम छोटे होते हैं, पानी बहुत सावधानी से फुहारे से धीरे धीरे देना चाहिए ताकि अंकुर टूटें नहीं.

-इन्हें सीधा धूप में थोड़ा बड़े होने पर ही रखें क्योंकि प्रारम्भ में अंकुर बहुत नाजुक होते हैं और वे सीधी धूप को सहन नहीं कर पाते.

-हर रोज पानी देने की अपेक्षा मिट्टी को उंगली से छूकर देखें और यदि वह नमीरहित है तो ही पानी दें.

-गमले में से पानी के निकास की समुचित व्यवस्था होनी अत्यंत आवश्यक है अन्यथा पौधा सड़ने लगता है

-सप्ताह में एक बार गमलों की मिट्टी की गुड़ाई अवश्य करें ताकि पौधे की जड़ों को हवा मिल सके.

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Travel Special: मुक्तेश्वर में लें नेचुरल खूबसूरती का मजा

उत्तराखंड के कुमाऊं प्रभाग के नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर सब से सुंदर स्थानों में से एक है. यह नैनीताल से 45 कि.मी. की दूरी पर बसा है. मुक्तेश्वर में प्राकृतिक खूबसूरती तो जैसे बिखरी हुई है. क्योंकि यहां पर जंगल, झील, झरने व वन्यजीव खूब हैं. यह समुद्र तल से 2,290 मीटर की ऊंचाई पर है.

यहां के जंगलों में रेसस बंदर, लंगूर, हिरन, दुर्लभ पर्वतीय पक्षी, चीते, काले भालू आदि मिलते हैं. यहां पर सब के लिए कुछ न कुछ है. अगर आप साहसिक खेलों के शौकीन हैं, तो आप रौक क्लाइंबिंग, रैपलिंग, नेचर वाक और जंगल वाक भी कर सकते हैं.

मुक्तेश्वर की खूबसूरत वादियों में बसा है क्लब 10 पाइन लौज. यहां आप को घर के बाहर घर जैसा सुकून और आनंद प्राप्त होगा. यहां पर कमरे बड़े और हवादार हैं. अधिकतर कमरों की बालकनी पहाड़ों की तरह खुलती है. पहाड़ों में अकसर कमरों में सीलन रहती है, लेकिन क्लब 10 पाइन लौज के कमरे सीलन रहित हैं. लौज में आप आराम से गाड़ी पार्क कर सकते हैं. लौज चारों ओर से पाइन के पेड़ों से घिरा हुआ है. लौज के ठीक सामने स्थानीय निवासियों के खेत हैं, जो बेहद खूबसूरत दिखते हैं. अगर आप शांति और सुकून चाहते हैं तो यह जगह आप को बेहद आकर्षित करेगी.

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हर कमरे में एलसीडी टीवी और डिश कनैक्शन है. हर कमरे की लाइटिंग इस तरह से हुई है कि वह न सिर्फ आप को रूमानी लगती है, बल्कि आप को अंदर तक एक सुकून से भर देती है. बाथरूम काफी बड़े हैं और सब में गीजर है जहां आराम से आप गरम पानी का उपयोग कर सकते हैं.

लौज की एक और विशेषता यह है कि यहां आप को तरहतरह के फेसमास्क मिलेंगे. इन मास्क को नाइजीरिया से मंगवाया गया है. क्लब 10 पाइन लौज का अपना एक डाइनिंग एरिया भी है और यहां का कुक बेहद स्वादिष्ठ भोजन बनाता है. आप को यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन मिलेगा. अगर आप कुछ हलका घर जैसा खाना चाहते हैं तो आराम से कुक से बोल कर बनवा सकते हैं.

क्लब 10 पाइन लौज का गाइड आप को करीबी जंगलों, झरनों की भी सैर कराने ले जाएगा. अगर आप तरहतरह के पक्षी और वन्यजीव देखना चाहते हैं, तो यह गाइड टूर आप के लिए बहुत अच्छा रहेगा. लौज से थोड़ी दूर पर झरने भी हैं, जहां पर आप सैर करते हुए जा सकते हैं.

लौज के गार्डन में बैठ कर पहाड़ों को देखते हुए आप अपने प्रिय पेय को ऐंजौय कर सकते हैं. लौज में एक गेम रूम भी है जहां पर आप कैरम, लूडो, चैस, टेबलटैनिस जैसे गेम खेल सकते हैं. अगर आप शाम को बाहर न जा कर लौज में समय बिताना चाहते हैं, तो आप आराम से गेम रूम का आनंद उठा सकते हैं.

सीजन के समय पर यहां सुइट का रेट 3,750 होता है और नौर्मल कमरों की 2,750. पर औफ सीजन में ये दोनों आप को डिस्काउंट रेट पर मिल सकते हैं.

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Monsoon Special: बच्चों के लिए बनाएं आलू मसाला पूरी

अगर आप लंच में कुछ टेस्टी या ब्रेकफास्ट में कुछ जायकेदार बनाना चाहते हैं तो ये रेसिपी ट्राय करना न भूलें. सिंपल और टेस्टी आलू मसाला आलू पूरी आप आसानी से बनाकर अपने बच्चों को दे सकती हैं.

हमें चाहिए

गेहूं का आटा- 2 कप (300 ग्राम)

आलू- 2 (250 ग्राम) (उबले हुए)

हरा धनिया- 2 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)

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नमक- स्वादानुसार

धनिया पाउडर- 1 छोटी चम्मच

लाल मिर्च पाउडर- 1/4 छोटी चम्मच

हल्दी पाउडर- 1/4 छोटी चम्मच

अजवायन- 1/4 छोटी चम्मच

तेल- पूरियां तलने के लिए

बनाने का तरीका

आलू मसाला पूरी बनाने के लिए, उबले हुए आलू को छीलकर कद्दूकस कर लीजिए. किसी बड़े से प्याले में गेहूं का आटा लीजिए. इसमें कद्दूकस किए हुए आलू डाल दीजिए. साथ ही साथ नमक, अजवायन, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर और हरा धनिया भी डाल दीजिए. सभी सामग्री को मिला लीजिए.

आटे में 2 छोटी चम्मच तेल डाल दीजिए. इसके बाद, इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए सख्त आटा गूंथकर तैयार कर लीजिए. आटे को ढककर 15 से 20 मिनट के लिए रख दीजिए ताकि आटा फूलकर सेट हो जाए.

20 मिनट में आटा सेट होकर तैयार है. हाथों पर थोड़ा सा तेल लगाइए और आटे को मसल-मसल कर चिकना कर लीजिए. आटे को चिकना करने के बाद, इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर लोइयां बना लीजिए और पूरी के आकार का बेल लिजिए.

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अब कढाई में तेल गर्म कीजिए और पूरी डाल दीजिए. इसे फुलाने के लिए कलछी से हल्का सा दबा-दबा कर सेक लीजिए. पूरी को पलट-पलट कर गोल्डन ब्राउन होने तक फ्राय कर लीजिए.

स्वाद से भरपूर गरमागरम आलू मसाला पूरियों को अचार, दही, चटनी या अपनी मनपसंद सब्जी के साथ परोसिए और मजे से खाइए व खिलाइए.

Monsoon Special: ट्राय करें इन 5 टीवी एक्ट्रेसेस के Flower प्रिंट ड्रेसेस

मानसून सीजन में अक्सर फ्लावर प्रिंट ड्रेसेस ट्रैंड में होती हैं, जिसे हर कोई ट्राय करता है. वहीं अगर बात टीवी एक्ट्रेसेस की जाए तो उनका फैशन हर किसी को पसंद आता है, क्योंकि ये आसानी और किफायती दामों में मिलने वाला फैशन होता है. ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की ‘नायरा’ यानी शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) हो या ‘नागिन’ की रश्मि देसाई (Rashmi Desai) हर कोई इनके फैशन को ट्राय करना चाहता है. आज हम आपको मानसून में टीवी की 5 टौप एक्ट्रेसेस के फ्लालर प्रिंटेड ड्रेसेस फैशन के बारे में बताएंगे, जिसे आप घर बैठे मानसून में ट्राय कर सकती हैं.

1. दिव्यांका त्रिपाठी की ड्रैस है परफेक्ट

अगर आप मानसून का मजा लेने के लिए वॉक पर जाने का सोच रही हैं तो दिव्यांका की ब्लू फ्लावर प्रिंटेड ड्रैस ट्राय करें. इसके साथ आप चाहें तो वाइट शूज और मास्क के साथ कौम्बिनेशन कर सकती हैं. ये आपके लुक को स्टाइलिश और फंकी दिखाने में मदद करेगा.

 

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New week.. New aspirations.. New twists.. New experiences. Walk out all #renewed!

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2. सुरभि ज्योति की लौंग ड्रेस है परफेक्ट औप्शन

अगर आपको शौर्ट ड्रेसेस पहनना पसंद नही है तो आप सुरभि ज्योति की फ्लावर प्रिंट ड्रेस आपके लिए परफेक्ट है मानसून में आप इस ड्रेस के साथ मानसून में इस्तेमाल होने वाले जूते ट्राय कर सकती हैं.

3. अनिता हसनंदानी के ये ड्रेस करें ट्राय

 

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फ्लावर प्रिंट ड्रेसेस की बात की जाय तो अनिंता हसनंदानी हर किसी की फेवरेट हैं वह अक्सप मानसून सीजन हो या समर हर सीजन में फ्लावर प्रिंट ड्रैस कैरी करना पसंद करती हैं, जिसे आप शूज के साथ कैरी कर सकती हैं.

4. रश्मि का कुर्ति लुक ड्रेस

अगर आप रश्मि देसाई के फैशन की शौकीन हैं तो रश्मि की फ्लावर प्रिंट ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. अनारकली पैटर्न वाली रश्मि देसाई की ये फ्लावर प्रिंट ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

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5.  शिवांगी की ड्रैस है स्टाइलिश

 

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अगर आप अपनी बेटी के लिए मानसून में कोई ड्रैस गिफ्ट करना चाहती हैं तो शिवांगी की ये ब्लैक कलर के साथ फ्लावर प्रिंट कौम्बिनेशन वाली ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

वनराज का कैफे बंद करने के लिए राखी ने चली नई चाल, क्या करेगी अनुपमा

रुपाली गांगुली और सुधांशू पांडे स्टारर अनुपमा (Anupamaa) में नए-नए मोड़ आ रहे हैं. जहां एक तरफ पाखी के कारण शाह परिवार परेशान है तो वहीं अनुपमा की समधन और किंजल की मां राखी दवे, वनराज के कैफे को बंद करवाने के लिए नई चाले चल रही है. इसी बीच सीरियल की कहानी में नया ट्विस्ट आने वाला है. आइए आफको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज के पीछे पड़ी राखी

 

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अब तक आपने देखा कि किंजल की मां राखी दवे वनराज को परेशान करने का एक भी मौका नही छोड़ रही. राखी दवे अपनी बेटी किंजल को पेंट हाउस में शिफ्ट करने के चलते वह उसे शाह परिवार से दूर करने में लगी हुई है. हालांकि किंजल अपने परिवार के साथ रहना चाहती है. वहीं राखी, वनराज (Sudhanshu Pandey) के कैफे में आकर उसकी खूब बेइज्जती भी करती है, जिसका वह करारा जवाब देता है.

 

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राखी करेगी ये काम

अपकमिंग एपिसोड (Anupamaa Upcoming Episode) में देखेंगे कि वनराज के कैफे में एक जानी-मानी फूड क्रिटिक (Sarita Rai) आएगी, जो कि सीरियल में आने वाले ट्विस्ट के लिए नई एंट्री होगी. इस फूड क्रिटिक को अगर खाना पसंद आ गया तो वनराज का कैफे टॉप में शामिल हो जाएगा लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो बंद भी हो जाएगा. वहीं राखी वनराज का कैफे बंद करने के लिए फूड क्रिटिक के साथ हाथ मिलाने की कोशिश करती नजर आएगी.

काव्या मांगेगी मदद

फूड क्रिटिक के आने से काव्या की वनराज के कैफे से उम्मीदें बढ़ जाएगी औऱ वह उसे बढ़ाने के लिए अनुपमा की मदद मांगती नजर आएगी. हालांकि अनुपमा उसे इंकार कर देगी. लेकिन वनराज की मदद के लिए वह आगे आएगी.  दूसरी तरफ मदद के बावजूद काव्या, वनराज को उसके परिवार से दूर रखने की कोशिश करेगी.

 

मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने में जुटी यूपी सरकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज अपने सरकारी आवास पर आहूत एक बैठक में में उत्तर प्रदेश की प्रगति के सम्बन्ध में भारत के सतत् विकास लक्ष्य इण्डेक्स 3.0 की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि निर्धारित 15 सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर प्रदेश तेजी से कार्य करते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. सतत् विकास लक्ष्य इण्डेक्स 2020 में उत्तर प्रदेश 60 अंकों के साथ परफॉर्मर स्टेट के रूप में आगे आया है, जबकि वर्ष 2019 व वर्ष 2018 में प्रदेश के क्रमशः 55 एवं 42 अंक थे. उन्होंने मानकों के अनुसार कार्य करते हुए इन लक्ष्यों के सम्बन्ध में और बेहतर स्कोर किए जाने पर बल दिया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अन्तर्विभागीय समन्वय एवं निरन्तर समीक्षा करते हुए सतत् विकास लक्ष्यों की पूर्ति में तेजी लायी जाए. इसके लिए सभी नोडल विभाग तथा उनके साथ लिंक किए गए विभाग सम्बन्धित फोकस सेक्टरों पर मिलकर काम करें. उन्होंने सभी सम्बन्धित विभागों को अद्यतन डाटा फीडिंग कराए जाने के निर्देश दिए. विभागीय स्तर पर सतत् विकास लक्ष्यों के सम्बन्ध में अद्यतन डाटा उपलब्ध रहे. नीति आयोग से समन्वय बनाते हुए डाटा में सुधार के प्रयास किए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तथा स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया जाए. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार हमें सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करते हुए आगे बढ़ना है. विभागीय स्तर पर लक्ष्यों का निर्धारण करते हुए उन्हें प्राप्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जाएं. उन्होंने नियोजन विभाग को लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रति माह नोडल/सम्बन्धित विभागों से रिपोर्ट प्राप्त कर इनकी गहन मॉनीटरिंग किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सतत् विकास के लक्ष्यों का लाभ वंचित वर्गों तक पहुंचाना राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है. विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति गुणवत्तापरक होनी चाहिए, तभी समाज को इनका लाभ मिलेगा.

मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित 15 एस0डी0जी0 लक्ष्यों में नो पॉवर्टी (ग्राम्य विकास विभाग), जीरो हंगर (खाद्य एवं आपूर्ति तथा कृषि विभाग), गुड हेल्थ एण्ड वेल बींग (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग), क्वॉलिटी एजुकेशन (बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग), जेण्डर इक्वॉलिटी (महिला एवं बाल विकास विभाग), क्लीन वॉटर एण्ड सैनीटेशन (सिंचाई, ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज विभाग), एफोर्डेबल एण्ड क्लीन इनर्जी (ऊर्जा विभाग), डीसेण्ट वर्क एण्ड इकोनॉमिक ग्रोथ (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग), इण्डस्ट्री इनोवेशन एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर (अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग), रिड्यूस्ड इनइक्वॉलिटीज (समाज कल्याण विभाग), सस्टेनेबल सिटीज एण्ड कम्युनिटीज (नगर विकास विभाग), रिस्पॉन्सिबल कन्जम्पशन एण्ड प्रोडक्शन (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग), क्लाइमेट एक्शन (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग), लाइफ ऑन लैण्ड (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग) तथा पीस, जस्टिस एण्ड स्ट्रॉन्ग इंस्टीट्यूशंस (गृह विभाग) की विस्तृत समीक्षा की.

बैठक में मुख्य सचिव श्री आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव नियोजन श्री सुरेश चन्द्रा, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एसपी गोयल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास श्री अरविन्द कुमार, अपर मुख्य सचिव सिंचाई श्री टी0 वेंकटेश, अपर मुख्य सचिव वित्त श्रीमती एस0 राधा चौहान, अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास एवं पंचायती राज श्री मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा श्रीमती आराधना शुक्ला, अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव नगर विकास श्री रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा श्री दीपक कुमार, प्रमुख सचिव खाद्य एवं आपूर्ति श्रीमती वीना कुमारी मीना, प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास श्रीमती वी. हेकाली झिमोमी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

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