फैमिली के लिए बनाएं हेल्दी और टेस्टी बादाम लड्डू

अगर आप अपनी फैमिली के लिए घर पर टेस्टी और हेल्दी स्वीट डिश खिलाना चाहते हैं तो बादाम लड्डू आपको लिए परफेक्ट औप्शन होगा.

सामग्री:

1 कप बादाम,

आधा कप कोकोनट फ्लेक्स,

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1 कप पाउडर शुगर,

1 टेबल स्पून इलायची पाउडर,

2 टेबल स्पून घी.

तैयारी में लगने वाला समय: 20 मिनट. 

कैसे बनायें:

1. बादाम और कोकोनट फ्लेक्स को अलग-अलग 3-4 मिनट तक भून लें.

2. भुने हुये कोकोनट फ्लेक्स को पीसकर पाउडर बना लें.

3. इसमें पिसी हुई शक्कर और इलायची डालें.

4. अब इस मिश्रण में बादाम के बारीक टुकड़ों को तब तक मिलायें, जब तक कि यह तेल न छोड़ दे और यह मिश्रण एकसा हो जाए.

5. इस मिश्रण में फ्लेवर के लिये थोड़ा सा घी डालें और इससे अपनी पसंद के अनुसार छोटे या बड़े लड्डू बना लें.

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किडनी स्टोन की समस्या बारबार हो रही है, इसका क्या इलाज है?

सवाल-

मेरी उम्र 32 वर्ष है. मुझे किडनी में स्टोन था जो दवा से ठीक हो गया पर अभी टैस्ट में पता चला कि फिर से स्टोन हो गया है. यह समस्या बारबार क्यों हो रही है तथा इस का क्या इलाज है?

जवाब-

एक बार किडनी स्टोन हो जाने पर दोबारा भविष्य में पुन: किडनी स्टोन होने की संभावना बनी रहती है. जीवनशैली में बदलाव ही दोबारा किडनी स्टोन होने की संभावना को कम कर सकता है. आप खूब पानी पीएं. यह किडनी स्टोन से बचाव का सब से अच्छा तरीका है. कैल्सियम युक्त भोजन का अधिक प्रयोग न करें, सोडियम की मात्रा को भोजन में कम करें, भोजन में ऐनिमल प्रोटीन बहुत कम लें, साथ ही विटामिन सी से युक्त चीजों से भी परहेज करें.

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यदि आप की किडनी में पथरी है तो आप को पता होगा कि लो ऑक्सीलेट डाइट क्या होती है. जिन लोगों को किडनी मे स्टोन कि समस्या होती है उन्हे डॉक्टर इसी प्रकार की डाइट सुझाते हैं. परन्तु क्या यह सच मे प्रभावकारी है? क्या इससे आप के किडनी स्टोन को कम होने में किसी प्रकार की मदद मिलती है या नहीं. आइए जानते हैं लो ऑक्सीलेट डाइट के बारे में. इसमें आप क्या क्या चीजें खा सकते हैं और कौन कौन सी चीजें खाने से आप को बचना है? आज हम इन सभी प्रश्नों के बारे में जानेंगे.

ऑक्सालिक एसिड एक तत्त्व है जोकि आप का शरीर बनाता है. यदि यह आप के शरीर द्वारा कम उपजता है तो आप इसे कुछ खाद्य पदार्थों द्वारा भी प्राकृतिक रूप से अपने शरीर में ले जा सकते हैं. इस तत्त्व का व कैल्शियम का आप के यूरिनरी ट्रैक्ट में कम मात्रा में होना आम तौर पर आप को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं देता है..

परन्तु कुछ केस में यह दोनो तत्त्व इकठ्ठे हो जाते हैं और कैल्शियम ऑक्सीलेट नामक किडनी स्टोन बना लेते हैं. यह उन लोगों में आम होता है जिनका शरीर यूरिन की कम मात्रा बना पाता है. अतः यदि आप को इस प्रकार का किडनी स्टोन हो जाता है तो आप को अपनी डाइट से ऑक्सीलेट की मात्रा बहुत कम कर देनी चाहिए.

कैसे पालन करें एक लो ऑक्सीलेट डाइट का?

इस डाइट का मतलब है कि उन चीजों को कम करना जिनमे ऑक्सीलेट की मात्रा कम होती है. कुछ भोजन जोकि ऑक्सीलेट में हाई होते हैं वह कुछ फल व सब्जियां, नट्स, अनाज आदि होते हैं. बहुत से विशेषज्ञ यह मानते हैं कि आप को एक दिन में 40-50 मिली ग्राम से कम ऑक्सीलेट खाना चाहिए.

खाने पीने की शौकीन हैं तो करें दक्षिण भारत की सैर

हम में से कई लोग ऐसे होते हैं, जो ट्रिप पर घूमने ही इसलिए जाते हैं ताकि उन्हें नई-नई जगहों के जायके को चखने का मौका मिले क्योंकि उन्हें खाने पीने और नई जगहों के स्वाद को चखने का शौक होता है. अगर आप भी घूमने-फिरने के साथ खाने-पीने की शौकीन हैं, तो आपको दक्षिण भारत की फूड डेस्टिनेशन पर घूमना चाहिए. आइए, जानते हैं खास फूड डेस्टिनेशन के बारे में.

मैंगलोर

मैंगलोर शाकाहारी और मांसाहारी खाने के शौकीनों के लिए परफेक्ट जगह है यहां नारियल के दूध मसालों और टेंगी सिरका के साथ सीफूड खास है, जिसे नौनवेज खाने वाले लोग ट्राई कर सकते हैं. इसके अलावा नीर डोसा, जिसे मछली की करी या नारियल चटनी के साथ परोसा जाता है.

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अम्बुर

अम्बुर तमिलनाडु में स्थित एक छोटा सा कस्बा है, जो चेन्नई और बैंगलूरु के मध्य में स्थित है. अंबुर लगभग बिरयानी का पर्याय माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां बिरयानी छोटे चावल से बनाया जाता है, जिसे सेरेगा साम्बा कहते हैं जो अम्बुर बिरयानी को इतना स्वादिष्ट बना देता है कि लोग उस स्वाद को भूल नहीं पाते.

मालाबार

यह पश्चिमी घाट और राजसी अरब सागर के बीच स्थित जगह है. यह दक्षिण-पश्चिम तट जो कि कर्नाटक और केरल के पास स्थित है. यहां का खानपान सिर्फ स्थानीय लोगो को ही नहीं बल्कि यहां आने वाले व्यापारियों को भी बेहद भाता है. मुख्य रूप से, मालाबार के व्यंजन में मसाले और नारियल होते है.

हैदराबाद

निजामों के शहर में प्रसिद्ध इमारतों जैसे चारमीनार, फलकनुमा पैलेस,मक्का मस्जिद के साथ पेट-पूजा के लिए भी बेहतरीम इंतजाम है. आज भी मुगलई पाक कला को हैदराबादी खाने में देखी जा सकती है, जैसे बिरयानी जो उत्कृष्ट मसालों के साथ है. इसके अलावा यहां हलीम, बोटी कबाब आदि भी खा सकती हैं.

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कूर्ग

कूर्ग के स्वादिष्ट व्यंजनों को मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है. पोंडी करी और पोर्क करी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, जिसे फूली हुई रोटी के साथ खाया जाता है. कदंबुत्तु (चावल की डंपलिंग) के साथ भी खा सकते हैं. एक कप कौफी या फिर चाय के साथ कूर्ग के लजीज व्यंजनों का मजा ले सकती हैं.

चेट्टिनाड

चेट्टीनाद पूरे देश में एक लोकप्रिय व्यंजन है. मछली, झींगे और चिकन चेट्टीनाड या समुद्री भोजन को अनूठे चेट्टिनाड में स्टाइल में पकाया जाता है.

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राज्य में सुरक्षा और सुशासन के वातावरण का सृजन हुआ: मुख्यमंत्री

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां लोक भवन में वर्तमान राज्य सरकार के साढ़े चार वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में राज्य सरकार को अब तक के कार्यकाल में पूरी सफलता मिली है.

मुख्यमंत्री जी ने प्रधानमंत्री सहित केन्द्रीय गृह मंत्री, रक्षा मंत्री तथा केन्द्रीय कैबिनेट का धन्यवाद करते हुए कहा कि सुरक्षा और सुशासन की दृष्टि से राज्य सरकार का कार्यकाल अविस्मरणीय है. राज्य में सुरक्षा और सुशासन के वातावरण का सृजन हुआ है. आज प्रदेश में महिलाओं सहित समाज के सभी लोग सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. विगत साढ़े चार वर्षों में राज्य सरकार द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों ने पूरे देश व दुनिया में प्रदेश के प्रति नजरिए को बदला है. विगत साढ़े चार वर्षों में राज्य सरकार प्रदेश की छवि में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल हुई है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए. अपराध और भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी. जिस भी व्यक्ति ने प्रदेश में अपराध किया, वह किसी भी जाति, मत, मजहब, क्षेत्र, राजनीतिक दल अथवा कद का रहा हो, उसके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई. माफियाओं द्वारा अवैध ढंग से अर्जित 1800 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्तियां जब्त/ध्वस्त की गईं. साढ़े चार वर्षों में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ. उन्होंने ने कहा कि सभी प्रमुख त्योहार, धार्मिक जुलूस, मेले आदि सकुशल सम्पन्न हुए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलम्बन के लिए ‘मिशन शक्ति अभियान’ संचालित किया गया है. वर्तमान में ‘मिशन शक्ति’ का तृतीय चरण गतिमान है. महिलाआंे के सशक्तीकरण के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना इत्यादि योजनाएं लागू की गई हैं. ग्राम सचिवालयों में महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए एक कक्ष आरक्षित करते हुए वहां महिला पुलिस बीट अधिकारियों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है, जो उनकी समस्याओं का समाधान कर रही हैं. पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में महिलाएं चुनी गई हैं. इससे उनके सशक्तीकरण को गति मिल रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस की भर्ती में 30,000 महिला आरक्षियों की भर्ती की गई है. स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 01 करोड़ महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है. यह दर्शाता है कि राज्य सरकार महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार सुशासन के माध्यम से जनता की सेवा कर रही है. राज्य सरकार ने सुशासन के माध्यम से सभी सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ हर जरूरतमन्द तक पहुंचाया है. आज उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार की पेंशन, छात्रवृत्तियां, किसानों को अनुदान, उनकी उपज की खरीद का भुगतान सहित सभी सरकारी सहायता राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे पहुंच रही है. अब तक विभिन्न योजनाओं के तहत नौजवानों, गरीबों, महिलाओं व किसानों सहित अन्य लाभार्थियों को डी0बी0टी0 की गई धनराशि लगभग 05 लाख करोड़ रुपए है. वर्तमान सरकार में बिचौलियों और दलालों की व्यवस्था पूरी तरह समाप्त हो गई है. किसानों से बड़े पैमाने पर उनकी उपज की खरीद एम0एस0पी0 के तहत की जा रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को नवम्बर, 2021 तक के लिए प्रति माह प्रति यूनिट 05 किलोग्राम अतिरिक्त निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रदेश सरकार द्वारा भी 15 करोड़ पात्र लोगों को 03 माह तक निःशुल्क राशन उपलब्ध कराया गया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने सरकारी नियुक्तियों और सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती पूरी पारदर्शिता के साथ सुनिश्चित की है. पूरी ईमानदारी एवं पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए मेरिट के आधार पर सरकारी नौकरियों में 4.5 लाख से अधिक युवाओं का नियोजन कराया गया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग का उद्योग पूरी तरह से समाप्त कर दिया. मेरिट के आधार पर ट्रांसफर किए जाने से प्रशासनिक व्यवस्था में स्थिरता का माहौल बना, जिससे कर्मियों का मनोबल बढ़ा. परिणामस्वरूप विकास कार्य प्रभावी ढंग से संचालित हुए, जिसका लाभ जनता को मिल रहा है. प्रधानमंत्री जी के संकल्प ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ को अक्षरशः लागू करते हुए वर्तमान सरकार ने सभी मत, मजहब, जाति, वर्ग और क्षेत्र का समावेशी विकास किया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बिना भेदभाव सभी को पात्रता के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है. प्रत्येक वृद्धजन, दिव्यांगजन तथा निराश्रित महिला को पंेशन का लाभ दिलाया गया. ऐसे जरूरतमन्द जो भारत सरकार की योजनाओं की पात्रता के दायरे में नहीं आ रहे, उन्हें राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से योजना संचालित कर लाभान्वित कराया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सुरक्षा, स्वच्छता और सुव्यवस्था के मानक स्थापित करते हुए प्रयागराज कुम्भ-2019 का सफल आयोजन, बेहतर कोरोना प्रबन्धन, बाढ़ के दौरान तत्परतापूर्वक राहत कार्यों का संचालन इत्यािद सरकार एवं नेतृत्व की संवेदनशीलता को दर्शाते हैं. इसी प्रकार वाराणसी में पीबीडी तथा प्रदेश में पहली इनवेस्टर समिट का आयोजन उत्तर प्रदेश की नई पहचान बनाने में सफल रहा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के चलते आज उत्तर प्रदेश देश की दूसरी अर्थव्यवस्था है.

मुख्यमंत्री जी ने कोरोना महामारी के प्रबन्धन का उल्लेख करते हुए कहा कि कोरोना की पहली लहर में तमाम संकटों के बावजूद सभी सुरक्षित थे. उन्होंने कहा कि इस वर्ष वे स्वयं भी कोरोना की चपेट में आ गये थे, लेकिन संक्रमण की रिपोर्ट निगेटिव आते ही फील्ड में काम करने निकल गये. जिलों, कस्बों और गांवों का निरीक्षण किया तथा लोगों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि कोरोना नियंत्रण की व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों के साथ समीक्षा की तथा संसाधनों की समुचित व्यवस्था करायी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आबादी की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश ने दुनिया में कोरोना प्रबन्धन का बेहतरीन मॉडल प्रस्तुत किया. इसके लिए परिश्रम और टीम वर्क से कार्य किया गया. प्रदेश में कोरोना महामारी से सभी को सुरक्षा प्रदान करने के दृष्टिगत अब तक साढ़े नौ करोड़ लोगों का टीकाकरण किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी भी प्रदेश के विकास मंे अवस्थापना सुविधाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में एक्सप्रेस-वेज़ का निर्माण कया जा रहा है, जिनमें पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे, बलिया एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे इत्यादि शामिल हैं. इसी प्रकार तहसील मुख्यालयों एवं विकासखण्ड मुख्यालयों को 02 लेन सड़क मार्गों से जोड़ा जा रहा है. जबकि राज्य मुख्यालय से जिला मुख्यालय की सड़कों को फोर-लेन किया जा रहा है. प्रदेश में जगह-जगह पर आवश्यकतानुसार आरओबी, दीर्घ तथा लघु सेतुओं का निर्माण कराया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से नए एयरपोर्टों का विकास किया जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में 10 नए एयरपोर्ट बन रहे हैं. प्रदेश में 05 अन्तर्राष्ट्रीय एयर पोर्ट मौजूद हैं. इसी प्रकार प्रदेश के कई शहरों में मेट्रो रेल परियोजनाएं संचालित हो रही हैं. कानपुर और मेरठ शहरों में इस वर्ष के अन्त तक मेट्रो रेल सेवा संचालित होने लगेगी. शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश में 07 नए विश्वविद्यालय स्थापित किये जा रहे हैं. साथ ही, प्रदेश में 50 नए महाविद्यालय स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज का शिलान्यास किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में तकनीक का व्यापक प्रयोग किया जा रहा है. सरकार ने सत्ता में आने पर राशन कार्डाें का सत्यापन कराया. फर्जी राशन कार्डाें को निरस्त कराकर वास्तविक पात्र लोगों को राशन कार्ड उपलब्ध कराये गये. 80 हजार राशन दुकानों को पीओएस से जोड़ा गया. आज हर गरीब अपने गांव में अथवा देश के किसी कोने में राशन प्राप्त कर सकता है. तकनीक के प्रयोग से गरीब को राशन मिलने के साथ ही 1200 करोड़ रुपये की सालाना बचत हो रही है. प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में तकनीक का उपयोग करते हुए किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की सहूलियतें विकसित की हैं. एमएसपी के तहत किसानों से उनकी उपज की खरीद में ई-पॉप सिस्टम के उपयोग से भ्रष्टाचार पर रोक लगी है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पिछली सरकारों के कार्यकाल में चीनी मिलों को बन्द कराया गया, जबकि वर्तमान राज्य सरकार ने बन्द चीनी मिलों को चालू कराया. यहां तक कि कोरोना काल मंे सभी 119 चीने मिलें कार्यरत रहीं. सरकार द्वारा गन्ना किसानों को अब तक 1.43 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्रीय सहायतार्थ योजनाओं में वर्ष 2012-17 के मुकाबले वर्ष 2017-21 तक लगभग दोगुनी सहायता प्राप्त हुई. विगत साढ़े चार वर्षों में 02 लाख करोड़ रुपए से अधिक की केन्द्रीय सहायता प्राप्त हो चुकी है. इसका परिणाम यह रहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों को इन योजनाओं का लाभ मिला है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश केन्द्र सरकार की 44 योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्व की सरकारों के मुख्यमंत्रियों में स्वयं के आवास बनाने हेतु होड़ लगती थी, उनमें एक प्रतिस्पर्धा चलती थी. लेकिन सुशासन को समर्पित विगत साढ़े चार वर्षों में हमने अपने आवास नहीं बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों को मिलाकर 42 लाख से अधिक आवास गरीबों के लिए निर्मित करवाए. इसी प्रकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2.61 करोड़ व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण कराया गया है. उज्ज्वला योजना में 1.56 करोड़ निःशुल्क गैस कनेक्शन दिए गए, वहीं सौभाग्य योजना में 01 करोड़ 38 लाख से अधिक निःशुल्क विद्युत कनेक्शन प्रदान किए गए हैं. आयुष्मान भारत के तहत 06 करोड़ लाभार्थियों को स्वास्थ्य बीमा कवर तथा 03 करोड़ प्रवासी/निवासी श्रमिकों को 02 लाख रुपये सामाजिक सुरक्षा गारण्टी दी गई है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के प्रारम्भ से अब तक 02 करोड़ 53 लाख 98 हजार किसानों को 37,521 करोड़ रुपए हस्तान्तरित किया गया है. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के माध्यम से 08 लाख 80 हजार स्ट्रीट वेण्डर्स लाभान्वित हुए हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दशकों से लम्बित बाणसागर सिंचाई परियोजना को पूर्ण कराते हुए प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से इसका लोकार्पण सम्पन्न हुआ. पहाड़ी बांध, बण्डई बांध, जमरार बांध, पहुंज बांध, मौदहा बांध, लहचुरा बांध, गुण्टा बांध, रसिन बांध परियोजनाएं एवं जाखलौन पम्प प्रणाली पूर्ण की जा चुकी हैं. तरकुलानी रेगुलेटर परियोजना का लोकार्पण किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि 12 अन्य सिंचाई परियोजनाएं पर भी तेजी से कार्य किया जा रहा है. सिंचाई परियोजनाओं पर किए गए कार्यों को प्रदेश में 3.77 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के त्वरित औद्योगिक विकास तथा अपने युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार अनेक कदम उठा रही है. कानून और व्यवस्था की उत्कृष्ट स्थिति तथा सरकार की इन्वेस्टर फ्रैण्डली सेक्टरवार नीतियों के कारण हमारा राज्य निवेश का सबसे आकर्षक गन्तव्य बनकर सामने आया है. चीन से अपना कारोबार समेटने वाली कम्पनी ने उत्तर प्रदेश को निवेश के लिए चुना. उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश का एमएसएमई सेक्टर मृतप्राय हो गया था, परन्तु आज बदले माहौल में वही एम0एस0एम0ई0 सेक्टर एक लाख इक्कीस हजार करोड़ रुपए का प्रति वर्ष निर्यात कर रहा है. आज उत्तर प्रदेश एक्सपोर्ट के एक नये हब के रूप में देश में विकसित हुआ है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के फलस्वरूप ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में प्रदेश ने देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है. यूपी इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त 4.68 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों में से 03 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को मूर्तरूप दिया गया है. इसके माध्यम से प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के व्यापक अवसर सृजित हुए. प्रदेश सरकार पारम्परिक उद्योगों एवं पारम्परिक कारीगरों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ तथा ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ संचालित कर रही है. यह योजनाएं बड़ी संख्या मंे रोजगार सृजन का माध्यम बन रही हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नौकरी एवं रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के कारण वर्ष 2017 में प्रदेश की बेरोजगारी दर 17.5 से घटकर मार्च, 2021 में

4.1 प्रतिशत रह गई. राज्य सरकार प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान, प्रतिष्ठा और गरिमा को पुनर्स्थापित करने में सफल हुई है. प्रधानमंत्री जी द्वारा 05 अगस्त, 2020 को अयोध्या में भगवान श्रीराम मन्दिर के भव्य निर्माण का भूमि पूजन किया गया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश की आजादी दीवानों, सभी अमर शहीदों की स्मृति में चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव का आयोजन पूरी भव्यता के साथ प्रत्येक शहीद स्थल पर मनाया जा रहा है. यह आयोजन जनता के मन में समस्त स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान का भाव पैदा कर रहे हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार देश की सीमाओं की सुरक्षा करने वाले सैनिकों के नाम पर सड़कों का नामकरण, विभिन्न प्रकार के स्मारकों का निर्माण व उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी की व्यवस्था पूरी प्रतिबद्धता के साथ कर रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अयोध्या में दीपोत्सव, मथुरा में कृष्णोत्सव, वाराणसी में देव दीपावली तथा बरसाना में रंगोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. ब्रज क्षेत्र के विकास के लिए ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद की स्थापना की गई है. विन्ध्यधाम तीर्थ विकास परिषद तथा श्री चित्रकूटधाम तीर्थ विकास परिषद के गठन का निर्णय भी सरकार ने लिया है.

इससे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग द्वारा प्रकाशित ‘विकास की लहर हर गांव-हर शहर पारदर्शी और जवाबदेह सरकार’ पुस्तिका का विमोचन किया. उन्होंने इस अवसर पर सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यों पर केन्द्रित सूचना विभाग द्वारा निर्मित एक फिल्म का अवलोकन भी किया.

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्रिगण श्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ0 दिनेश शर्मा, विधान परिषद सदस्य श्री स्वतंत्रदेव सिंह, मुख्य सचिव श्री आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई एवं सूचना श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एसपी गोयल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एव सूचना श्री संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

पांच और शहरों में मेट्रो का काम अंतिम चरण में : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के चार शहरों लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मेट्रो रेल का सफल संचालन किया जा रहा है. कानपुर और आगरा में मेट्रो का काम  चल रहा है. इसके साथ ही पांच अन्य प्रमुख शहरों गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ और झांसी में मेट्रो के लिए डीपीआर तैयार है या अंतिम चरण में है. इन शहरों में भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बेहतरीन सुविधा उपलब्ध होगी.

सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर से कानपुर और आगरा मेट्रो की प्रथम प्रोटोटाइप ट्रेन का वर्चुअल अनावरण कर रहे थे. इस अवसर पर उन्होंने उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए उल्लास का क्षण है. वास्तव में मेट्रो जैसा सुरक्षित और आरामदायक पब्लिक ट्रांसपोर्ट आज की आवश्यकता है. हम अपेक्षा करते हैं कि 30 नवम्बर के आसपास हम कानपुर मेट्रो को देश को समर्पित करने की स्थिति में होंगे.

प्रयास होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से इसका शुभारंभ कराया जाए. उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि वड़ोदरा के उपक्रम में कोविडकाल की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद प्रथम प्रोटोटाइप ट्रेन को समय से पहले उपलब्ध कराया गया है. सीएम ने कहा कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना भी साकार हो रही है. मुख्यमंत्री ने आगरा व कानपुर मेट्रो के प्रथम प्रोटोटाइप ट्रेन के वर्चुअल अनावरण के दौरान वड़ोदरा से जुड़े यूपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक, मेसर्स एचटॉम इंडिया ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक समेत सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को इसके लिए बधाई भी दी.

Haathi Mere Saathi Review: इन कमियों की वजह से एंटरटेन नहीं करती फिल्म

रेटिंग: डेढ़ स्टार

निर्माताः ईरोज नाउ इंटरनेशनल

निर्देशकः प्रभु सोलोमन

कलाकारः राणा डग्गूबती, पुलकित सम्राट, जोया हुसेन, श्रिया पिलगांवकर और अनंत महादेवन

अवधिः दो घंटे 41 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ और जी सिनेमा

‘‘विकास के नाम पर जंगलों को समूल नष्ट करना कितना जायज है.’’ तथा जलवायु परिवर्तन के अहम सवाल पर प्रभु सोलोमन फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’’ लेकर आए हैं. जो कि ‘जी सिनेमा’ और ‘ईरोज नाउ’ पर 18 सितंबर से स्ट्रीम हो रही है.

केरल में फिल्मायी गयी इस फिल्म को छत्तीसगढ़ की कहानी बताया गया है. वैसे यह फिल्म भारत के वन मैन के रूप में जाने जाते जादव पायेंग के जीवन से प्रेरित कहानी है, जादव पायेंग ने माजुली में हजारों पेड़ लगाने और एक संपूर्ण आरक्षित वन बनाने का मिशन अपने ऊपर ले लिया था.

बेहतरीन फोटोग्राफी के बावजूद लेखक व निर्देशक प्रभू सोलोमन की अपनी कमियों के चलते पूरी फिल्म का बंटाधार हो गया. फिल्म वन संरक्षण व हाथियों के संरक्षण का संदेश देने मे बुरी तरह से विफल रहती है.

कहानीः

फिल्म की शुरूआत में कैमरा ऊपर से जंगल के कुछ लुभावने दृश्यों, पेड़ों की छतरियों, खूबसूरत जानवरों, समृद्ध हरे पेड़ों और जानवरों की आवाज के साथ शुरू होती है.पर कहानी का केंद्र वनदेव (राणा दग्गुबाती) भारत के वन पुरुष हैं, जिन्हें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद द्वारा वनों के उत्थान कार्य के लिए सम्मानित किया गया है. वह जंगल में पशु पक्षियों खासकर हाथियों के बीच ही रहते हैं.वनदेव बार बार याद दिलाते हैं कि उन्होेने इस जंगल में एक लाख पेड़ लगाए हैं. उनके दादाजी अर्जुन सिंह ने अपनी जमीन सरकार को रखरखाव और संरक्षण के लिए दान कर दी थी। इसलिए जब पर्यावरण मंत्री जगन्नाथ सेवक (अनंत महादेवन) उस सुरक्षित वनक्षेत्र के पांच सौ एकड़ में ‘डीआरएल टाउनशिप बनाने का फैसला करते हैं. पर्यावरण मंत्री अपने शहरी ग्राहकों को आवासीय टावरों, एम्फीथिएटर, व्यायामशालाओं, शॉपिंग मॉल और स्विमिंग पूल के साथ देना चाहते हैं. तो वनदेव इसके विरोध में खड़े हो जाते हैं.एक वन अधिकारी (विश्वजीत प्रधान) वनदेव कोे प्रस्तावित टाउनशिप के खिलाफ कानूनी मामला बनाने में मदद करता है.मगर मंत्री उसका तबदला कर भ्रष्ट वन अधिाकरी की नियुक्ति कर देते हैं. उधर मंत्री के कहने पर ठेकेदार शंकर (पुलकित सम्राट) नामक कुमकी (प्रशिक्षित) हाथी के महावत की सेवा लेता है.शंकर का हाथी छोटू जंगल के सभी हाथियों को भगाकर जंगल के चारों तरफ सात मीटर उंची दीवार उठाने में मदद करता है.

लेखन व निर्देशनः

माना कि फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ में जो मुद्दा उठाया गया है,वह अति प्रासंगिक और तात्कालिक है. क्योंकि हमारे देश के नेता ही चंद रूपयों के लालच में वनों की कटाई करवा रहे हैं. लेकिन फिल्मकार प्रभु सोलोमन इस संदेश को सही अंदाज में पेश करने में विफल रहे हैं.हकीकत में भ्रष्ट पर्यावरण मंत्री, उसके आगे पीछे बंधुआ मजदूर की भांति घूमने वाले पुलिस अफसर, उपदेशात्मक भाषणबाजी, ग्रामीण की भीड़, जंगल व हाथियों के बचाने के लिए जिंदगी दांव पर लगाने वाला ‘फारेस्ट मैन आफ इंडिया’, माओ वादी, वसीयतनामा, ठेकेदार, वकील, इमारत बनाने वाले कर्मी, घूसखोर अफसर आदि का चूं चूं का मुरब्बा है प्रभु सोलोमन की फिल्म ‘‘हाथी मेरे साथी.’’ फिल्म की पटकथा बहुत गड़बड़ है. फिल्म में पत्रकार अरुंधति (श्रिया पिलगांवकर) का किरदार जबरन ठूंसा हुआ लगता है. इस किरदार को हटा दें, तो भी कहानी पर कोई असर नही पड़ेगा. फिल्म में उपदेशात्मक भाषणबाजी की भरमार है. अन्यथा फिल्म तो एक घंटे में ही खत्म हो जाती है. पर उसके बाद बेवजह खींची गयी है. पटकथा बहुत गड़बड़ है. कई दृश्यों व संवादो व उपदेशात्मक भाषण बाजी का कई बार दोहराव है. फिल्म का निर्देशन व प्रस्तुतिकरण अत्यंत कष्टप्रद व जर्जर है. भ्रष्ट राजनेताओं द्वारा अपने लाभ के लिए किसी भी हद तक जाने के कथानक पर हजारों फिल्में बन चुकी हैं. उसी को इसमें भी दोहराया गया है. वनदेव व हाथियों के बीच के दृश्य मजाकिया बनकर रह गए हैं. दोनों के बीच कोई तालमेल नजर नही आता, यह निर्देशक की सबसे बड़ी विफलता है. एक हाथी ही हाथियों के झुंड को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है, इससे बड़ा हास्यास्पद दृश्य क्या हो सकता है. हर जानवर को इतनी समझ होती है कि कौन उसका हितैशी है, मगर फिल्मकार ने दिखाया है कि वर्षों से जिन हाथियों के साथ वनदेव रहा है, वही हाथी उसे मारना चाहते हैं. किसी भी किरदार में कोई गहराई नहीं है. फिल्म में बेवजह आरवी (जोया हुसेन) और शंकर (पुलकित सम्राट) का रोमांटिक एंगल भी जोड़ा गया है. पर यह प्रेम कहानी भी अधपकी ही है.

अभिनयः

भालू जैसी चाल,बार बार अपनी गर्दन को दाएं बाएं घुमाने वाले वनरक्षक व जंगल में एक लाख पेड़ लगाने का दावा करने वाले वनदेव के किरदार में राणा डग्गूबती पूरी फिल्म को अपने कंधे पर ढोने का प्रयास करते हैं, मगर कमजोर पटकथा व कमजोर चरित्र चित्रण के चलते उनकी मेहनत भी जाया जाती है. शंकर के किरदार में पुलकित सम्राट नही जमे. मंत्री के किरदार मे अनंत महादेवन ठीक ठाक हैं. आरवी के किरदार में जोया हुसेन हैं, मगर उनके हिस्से करने को कुछ आया ही नही.

हमारे यहां ऐसा नहीं होता: धरा की सास को क्यों रहना पड़ा चुप

हर फैमिली के बैस्ट फ्रैंड हैं ये बेहद जरूरी हैल्थ गैजेट्स 

 

अगर आप भी यह मानते हैं Health Is Wealth, तो ओमरोन से बेहतर  बैस्ट फ्रैंड कौन हो सकता है. ओमरोन सालों से हैल्थ गैजेट्स बनाने वाली कंपनियों में सब से आगे रही है. इस कंपनी के सभी हैल्थ गैजेट्स को उन्नत टैक्नोलौजी का इस्तेमाल कर बनाया गया है. इन का इस्तेमाल करना काफी सरल है.

ओमरोन के मशहूर हैल्थ गैजेट्स में शामिल हैं 

रखेगा ब्लड प्रैशर को कंट्रोल में  : लाइफस्टाइल की वजह से हर घर में कोई न कोई इंसान ब्लड प्रैशर की प्रौब्लम से जूझ रहा है. इसे साइलैंट किलर भी माना जाता है. इस डिजीज को काबू में रखने के लिए ओमरोन का ब्लड प्रैशर मौनिटर बैस्ट है. इस की मदद से घर पर ही रक्तचाप की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. 

वजन पर रखेगा नजर यह हैल्थ गैजेट :  लोग आज अपने फिटनैस को ले कर काफी चिंतित रहते हैं. वे स्लिम दिखना चाहते हैं, साथ ही यह उम्मीद करते हैं कि उन का वजन कंट्रोल में रहे. कुल मिला कर कहा जाए तो वे खुद को मोटा नहीं देखना चाहते हैं. आप का वजन कितना बढ़ रहा है या उस में किस तरह का चेंज आ रहा है यह पता लगाने में ओमरोन का वजन और BMI स्केल मौनिटर आप की मदद करेगा. 

दिल की बीमारियों को करेगा मौनिटर : हार्ट डिजीज एक बड़ी हैल्थ प्रौब्लम के रूप में सामने आई है. ओमरोन के कुछ गैजेट्स स्पैशियली दिल के सेहत की देखभाल करने के लिए हैं. ये गैजेट्स हार्टबीट समेत हार्ट डिजीज से जुड़ी दूसरी समस्याओं को ट्रैक करने का काम करता है.

बेहद जरूरी है यह हैल्थ गैजेट :  यहां बात हो रही है इलैक्ट्रौनिक थर्मामीटर की. यह शरीर के सही तापमान को बताने के लिए बिल्कुल परफैक्ट उपकरण है. वैसे तो यह गैजेट हर किसी के घर में होना चाहिए लेकिन जिन घरों में बच्चे और बुजुर्ग हों, वहां मैडिकल किट्स में इस का शामिल होना और भी जरूरी हो जाता है. 

Three generations of cheerful males and females standing one by one behind each other at park

समय के साथ लोगों की सोच बदली है और वह इस बात में यकीन करने लगे हैं कि सेहत से जुड़े कुछ उपकरण केवल डाक्टर्स के लिए ही नहीं बल्कि हर परिवार, हर घर के लिए जरूरी है. सेहत के प्रति लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए इसलिए जरूरी है कि सेहत का सही ख्याल रखा जाए,  शरीर में सेहत से जुड़े बदलावों को मौनिटर किया जाए. ओमरोन के हैल्थ गैजेट्स इसी को ध्यान में रख कर तैयार किए गए हैं. इसे बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि इस का उपयोग करना आसान हो ताकि सामान्य इंसान भी इस का फायदा उठा सके 

सिंगल वूमन के लिए जरूरी हैं ये 7 मैडिकल टैस्ट

जो महिलाएं शादी नहीं करतीं या तलाक अथवा पति की मृत्यु के कारण अकेली रह जाती हैं उन में उम्र बढ़ने पर अकेलेपन की भावना घर करने लगती है, क्योंकि जब तक वे 40 की होती हैं, उन के भाईबहनों, कजिंस और दोस्तों की शादियां हो जाती हैं और वे अपनेअपने परिवार में व्यस्त हो जाते हैं, जिस से वे एकदम अकेली पड़ जाती हैं. इस से उन में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है, जो उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना देता है. उन में वजन कम या अधिक होने, उच्च रक्त दाब, हृदय रोग, तंत्रिकातंत्र से संबंधित समस्याएं यहां तक कि कई प्रकार के कैंसर होने की आशंका तक बढ़ जाती है.

एकल जीवन बिता रही महिलाओं को अपनी सेहत का और अधिक खयाल रखना चाहिए. वे यह न सोचें कि हैल्थ चैकअप समय और पैसों की बरबादी है. चूंकि कई गंभीर बीमारियों के लक्षण प्रथम चरण में नजर नहीं आते, इसलिए मैडिकल टैस्ट जरूरी है ताकि बीमारी का पता चलने पर उस का समय रहते उपचार करा लिया जाए.

प्रमुख मैडिकल चैकअप

ओवेरियन सिस्ट टैस्ट: अगर आप को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो या अनियमित मासिक धर्म हो अथवा मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग हो तो ओवेरियन सिस्ट का टैस्ट कराएं. अगर सामान्य पैल्विक परीक्षण के दौरान सिस्ट का पता चलता है, तो ऐब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है. छोटे आकार के सिस्ट तो अपनेआप ठीक हो जाते हैं पर यदि ओवेरियन ग्रोथ या सिस्ट का आकार 1 इंच से बड़ा हो तो आप को ओवेरियन कैंसर होने की आशंका है. इस स्थिति में डाक्टर कुछ और टैस्ट कराने की सलाह देते हैं.

मैमोग्राम: यह महिलाओं के लिए सब से महत्त्वपूर्ण टैस्ट है. जब कैंसर हो जाने पर भी कोई बाहरी लक्षण दिखाई न दे तब यह टैस्ट कैंसर होने का पता लगा लेता है. क्लीनिकल ब्रैस्ट ऐग्जामिनेशन (सीबीई) किसी डाक्टर द्वारा किया जाने वाला ब्रैस्ट का फिजिकल ऐग्जामिनेशन है. इस में स्तनों के आकार में बदलाव जैसे गठान, निपल का मोटा हो जाना, दर्द, निपल से डिस्चार्ज बाहर आना और स्तनों की बनावट में किसी प्रकार के बदलाव की जांच की जाती है.

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कितने अंतराल के बाद: सीबीई साल में 1 बार और मैमोग्राम 2 साल में 1 बार.

कोलैस्ट्रौल स्क्रीनिंग टैस्ट: कोलैस्ट्रौल एक तरह का फैटी ऐसिड होता है. यह जांच यह बताने के लिए जरूरी है कि आप के दिल की बीमारियों की चपेट में आने की कितनी संभावना है. कोलैस्ट्रौल 2 प्रकार के होते हैं-एचडीएल या हाई डैंसिटी लिपोप्रोटीन्स और एलडीएल या लो डैंसिटी लिपोप्रोटीन्स. इस टैस्ट में रक्त में दोनों के स्तर की जांच होती है.

कितने अंतराल के बाद: 3 वर्ष में 1 बार. लेकिन अगर जांच में यह बात सामने आती है कि आप के रक्त में कोलैस्ट्रौल का स्तर सामान्य से अधिक है या आप के परिवार में दिल की बीमारी का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डाक्टर आप को हर 6 से 12 महीनों में यह जांच कराने की सलाह देते हैं.

ब्लड प्रैशर टैस्ट: नियमित रूप से ब्लड प्रैशर की जांच शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप का ब्लड प्रैशर 90/140 से अधिक या कम है तो आप के दिल पर दबाव पड़ता है, जिस से ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक और किडनी फेल होने की आशंका बढ़ जाती है.

कितने अंतराल के बाद: साल में 1 बार, लेकिन अगर आप का ब्लड प्रैशर सामान्य से अधिक या कम है तो डाक्टर आप को 6 महीने में 1 बार कराने की सलाह देंगे.

ब्लड शुगर टैस्ट और डायबिटीज स्क्रीनिंग: ब्लड शुगर टैस्ट में यूरिन की जांच कर रक्त में शुगर के स्तर का पता लगाया जाता है. डायबिटीज स्क्रीनिंग में शरीर के ग्लूकोज के अवशोषण की क्षमता की जांच की जाती है.

कितने अंतराल के बाद: 3 साल में

1 बार. पारिवारिक इतिहास होने पर प्रति वर्ष.

बोन डैंसिटी टैस्ट: बोन डैंसिटी टैस्ट में एक विशेष प्रकार के ऐक्स रे के द्वारा स्पाइन, कलाइयों, कूल्हों की हड्डियों की डैंसिटी माप कर इन की शक्ति का पता लगाया जाता है ताकि हड्डियों के टूटने से पहले ही उन का उपचार किया जा सके.

कितने अंतराल में कराएं: हर 5 साल बाद.

पैप स्मियर टैस्ट: इस के द्वारा गर्भाशय के कैंसर की जांच की जाती है. अगर समय रहते इस के बारे में पता चल जाए तो इस का उपचार आसान हो जाता है. इस में योनि में एक यंत्र स्पैक्युलम डाल कर सर्विक्स की कुछ कोशिकाओं के नमूने लिए जाते हैं. इन कोशिकाओं की जांच की जाती है कि कहीं इन में कोई असमानता तो नहीं है.

कितने अंतराल के बाद: 3 साल में 1 बार.

-डा. नुपुर गुप्ता (कंसलटैंट ओस्टेट्रिशियन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट, निदेशक, लैव वूमन क्लीनिक, गुड़गांव)

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उलझन: भाग 2- टूटती बिखरती आस्थाओं और आशाओं की कहानी

लेखक-  रानी दर

प्रतीक्षा से बोझिल वातावरण एकाएक हलका हो गया था. बातचीत आरंभ हुई तो इतनी सहज और अनौपचारिक ढंग से कि देखतेदेखते अपरिचय और दूरियों की दीवारें ढह गईं. रमाशंकरजी का परिवार जितना सभ्य और सुशिक्षित था, उन के बहनबहनोई का परिवार उतना ही सुसंस्कृत और शालीन लगा.

चाय पी कर नलिनीजी ने पास रखी अटैची खोल कर सामान मेज पर सजा दिया. मिठाई के डब्बे, साड़ी का पैकेट, सिंदूर रखने की छोटी सी चांदी की डिबिया. फिर रश्मि को बुला कर अपने पास बिठा कर उस के हाथों में चमचमाती लाल चूडि़यां पहनाते हुए बोलीं, ‘‘यही सब खरीदने में देर हो गई. हमारे नरेशजी का क्या है, यह तो सिर्फ बातें बनाना जानते हैं. पर हम लोगों को तो सब सोचसमझ कर चलना पड़ता है न? पहलीपहली बार अपनी बहू को देखने आ रही थी तो क्या खाली हाथ झुलाती हुई चली आती?’’

‘‘बहू,’’ मैं ने सहसा चौंक कर खाने के कमरे से झांका तो देखती ही रह गई. रश्मि के गले में सोने की चेन पहनाते हुए वह कह रही थीं, ‘‘लो, बेटी, यह साड़ी पहन कर आओ तो देखें, तुम पर कैसी लगती है. तुम्हारे ससुरजी की पसंद है.’’

रश्मि के हाथों में झिलमिलाती हुई चूडि़यां, माथे पर लाल बिंदी, गले में सोने की चेन…यह सब क्या हो रहा है? हम स्वप्न देख रहे हैं अथवा सिनेमा का कोई अवास्तविक दृश्य. घोर अचरज में डूबी रश्मि भी अलग परेशान लग रही थी. उसे तो यह भी नहीं मालूम था कि उसे कोई देखने आ रहा है.

हाथ की प्लेटें जहां की तहां धर मैं सामने आ कर खड़ी हो गई, ‘‘क्षमा कीजिए, नलिनीजी, हमें भाईसाहब ने इतना ही कहा था कि आप लोग रश्मि को देखने आएंगे, पर आप का निर्णय क्या होगा, उस का तो जरा सा भी आभास नहीं था, सो हम ने कोई तैयारी भी नहीं की.’’

‘‘तो इस में इतना परेशान होने की क्या बात है, सरला बहन? बेटी तो आप की है ही, अब हम ने बेटा भी आप को दे दिया. जी भर के खातिर कर लीजिएगा शादी के मौके पर,’’ उन का चेहरा खुशी के मारे दमक रहा था, ‘‘अरे, आ गई रश्मि बिटिया. लो, रमाशंकर, देख लो साड़ी पहन कर कैसी लगती है तुम्हारी बहूरानी.’’

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‘‘हम क्या बताएंगे, दीदी, आप और जीजाजी बताइए, हमारी पसंद कैसी लगी आप को? हम ने हीरा छांट कर रख दिया है आप के सामने. अरे भई, अनुपम, ऐसे गुमसुम से क्यों बैठे हो तुम? वह जेब में अंगूठी क्या वापस ले जाने के इरादे से लाए हो?’’ रमाशंकरजी चहके तो अनुपम झेंप गया.

‘‘हमारी अंगूठी के अनुपात से काफी दुबलीपतली है यह. खैर, कोई बात नहीं. अपने घर आएगी तो अपने जैसा बना लेंगे हम इसे भी,’’ नलिनीजी हंस दीं.

पर मैं अपना आश्चर्य और अविश्वास अब भी नियंत्रित नहीं कर पा रही थी, ‘‘वो…वो…नलिनीजी, ऐसा है कि आजकल लड़के वाले बीसियों लड़कियां देखते हैं…और इनकार कर देते हैं…और आप…?

‘‘हां, सरला बहन, बड़े दुख की बात है कि संसार में सब से महान संस्कृति और सभ्यता का दंभ भरने वाला हमारा देश आज बहुत नीचे गिर गया है. लोग बातें बहुत बड़ीबड़ी करते हैं, आदर्श ऊंचेऊंचे बघारते हैं, पर आचरण ठीक उस के विपरीत करते हैं.

‘‘लेकिन हमारे घर में यह सब किसी को पसंद नहीं. लड़का हो या लड़की, अपने बच्चे सब को एक समान प्यारे होते हैं. किसी का अपमान अथवा तिरस्कार करने का किसी को भी अधिकार नहीं है. हमारे अनुपम ने पहले ही कह दिया था, ‘मां, जो कुछ मालूम करना हो पहले ही कर लेना. लड़की के घर जा कर मैं उसे अस्वीकार नहीं कर सकूंगा.’

‘‘इसलिए हम रमाशंकर और भाभी से सब पूछताछ कर के ही मुंबई से आए थे कि एक बार में ही सब औपचारिकताएं पूरी कर जाएंगे और हमारी भाभी ने रश्मि बिटिया की इतनी तारीफ की थी कि हम ने और लड़की वालों के समस्त आग्रह और निमंत्रण अस्वीकार कर दिए. घरघर जा कर लड़कियों की नुमाइश करना कितना अपमानजनक लगता है, छि:.’’

उन्होंने रश्मि को स्नेह से निहार कर हौले से उस की पीठ थपथपाई, ‘‘बेटी का बहुत चाव था हमें, सो मिल गई. अब तुम्हें 2-2 मांओं को संभालना पड़ेगा एकसाथ. समझी बिटिया रानी?’’ हर्षातिरेक से वह खिलीखिली जा रही थीं.

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‘‘अच्छा, बहनजी, अब आप का उठने का विचार है या अपनी लाड़ली बहूरानी को साथ ले कर जाने का ही प्रण कर के आई  हैं?’’ रमाशंकरजी अपनी चुटकियां लेने की आदत छोड़ने वाले नहीं थे, ‘‘बहुत निहार लिया अपनी बहूरानी को, अब उस बेचारी को आराम करने दीजिए. क्यों, रश्मि बिटिया, आज तुम्हारी जबान को क्या हो गया है? जब से आए हैं, तुम गूंगी बनी बैठी हो. तुम भी तो कुछ बोलो, हमारे अनुपम बाबू कैसे लगे तुम्हें? कौन से हीरो की झलक पड़ती है इन में?’’

रश्मि की आंखें उन के चेहरे तक जा कर नीचे झुक गईं तो वह हंस पड़े, ‘‘भई, आज तो तुम बिलकुल लाजवंती बन गई हो. चलो, फिर किसी दिन आ कर पूछ लेंगे.’’

तभी इन्होंने एक लिफाफा नरेशजी के हाथों में थमा दिया, ‘‘इस समय तो बस, यही सेवा कर सकते हैं आप की. पहले से मालूम होता तो कम से कम अनुपमजी के लिए एक अंगूठी और सूट का प्रबंध तो कर ही लेते. जरा सा शगुन है बस, ना मत कीजिएगा.’’

हम लोग बेहद संकोच में घिर आए थे. अतिथियों को विदा कर के आए तो लग रहा था जैसे कोई सुंदर सा सपना देख कर जागे हैं. चारों तरफ रंगबिरंगे फूलों की वादियां हैं, ठंडे पानी के झरझर झरते झरने हैं और बीच में बैठे हैं हम और हमारी रश्मि. सचमुच कितना सुखी जीवन है हमारा, जो घरबैठे लड़का आ गया था. वह भी इंजीनियर. भलाभला सा, प्यारा सा परिवार. कहते हैं, लड़की वालों को लड़का ढूंढ़ने में वर्षों लग जाते हैं. तरहतरह के अपमान के घूंट गले के भीतर उड़ेलने पड़ते हैं, तब कहीं वे कन्यादान कर पाते हैं.

क्या ऐसे भले और नेक लोग भी हैं आज के युग में?

नलिनीजी के परिवार ने लड़के वालों के प्रति हमारी तमाम मान्यताओं को उखाड़ कर उस की जगह एक नन्हा सा, प्यारा सा पौधा रोप दिया था, मानवता में विश्वास और आस्था का. और उस नन्हे से झूमतेलहराते पौधे को देखते हुए हम अभिभूत से बैठे थे.

‘‘अच्छा, जीजी, चुपकेचुपके रश्मि बिटिया की सगाई कर डाली और शहर के शहर में रहते भी हमें हवा तक नहीं लगने दी?’’ देवरानी ने घुसते ही बधाई की जगह बड़ीबड़ी आंखें मटकाते हुए तीर छोड़ा.

‘‘अरे मंजु, क्या बताएं, खुद हमें ही विश्वास नहीं हो रहा है कि कैसे रश्मि की सगाई हो गई. लग रहा है, जैसे सपना देख कर जागे हैं. उन लोगों ने देखने आने की खबर दी थी, पर आए तो पूरी सगाई की तैयारी के साथ. और हम लोग तो समझो, पानीपानी हो गए एकदम. लड़के के लिए न अंगूठी, न सूट, न शगुन का मिठाईमेवा. यह देखो, तुम्हारी बिटिया के लिए कितना सुंदर सेट और साड़ी दे गए हैं.’’

मंजु ने सामान देखा, परखा और लापरवाही से एक तरफ धर कर, फिर जैसे मैदान में उतर आई, ‘‘अरे, अब हमें मत बनाइए, जीजी. इतनी उमर हो गई शादीब्याह देखतेदेखते, आज तक ऐसा न देखा न सुना. परिवार में इतना बड़ा कारज हो जाए और सगे चाचाचाची के कान में भनक भी न पड़े.’’

‘‘मंजु, इस में बुरा मानने की क्या बात है. ये लोग बड़े हैं. जैसा ठीक समझा, किया. उन की बेटी है. हो सकता है, भैयाभाभी को डर हो, कहीं हम लोग आ कर रंग में भंग न डाल दें. इसलिए…’’

‘‘मुकुल भैया, आप भी…हम पर इतना अविश्वास? भला शुभ कार्य में अपनों से दुरावछिपाव क्यों करते?’’ छोटे भाई जैसे देवर मुकुल से मुझे ऐसी आशा नहीं थी.

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‘‘अच्छा, रानीजी, जो हो गया सो तो हो गया. अब ब्याह भी चुपके से न कर डालना. पहलीपहली भतीजी का ब्याह है. सगी बूआ को न भुला देना,’’ शीला जीजी दरवाजे की चौखट पर खड़ेखड़े तानों की बौछार कर रही थीं.

‘‘हद करती हैं आप, जीजी. क्या मैं अकेले हाथों लड़की को विदा कर सकती हूं? क्या ऐसा संभव है?’’

‘‘संभवअसंभव तो मैं जानती नहीं, बीबी रानी, पर इतना जरूर जानती हूं कि जब आधा कार्य चुपचाप कर डाला तो लड़की विदा करने में क्या धरा है. अरे, मैं पूछती हूं, रज्जू से तुम ने आज फोन करवाया. कल ही करवा देतीं तो क्या घिस जाता? पर तुम्हारे मन में तो खोट था न. दुरावछिपाव अपनों से.’’

आगे पढ़ें- शीला जीजी के शब्द कांटों की तरह…

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