एनिवर्सरी गिफ्ट: भाग 2- बेटा-बहू से भरे दिनेश और सुधा का कैसा था परिवार

लेखिका- ऋतु थपलियाल

समय चंचल हिरन की भांति दौड़ने लगा था. जय और नंदिनी की शादी को 2 साल बीत गए थे. सुधा ने बेटे को तो अपना लिया था पर नंदिनी के लिए आज भी वह अपनी बांहें नहीं फैला पाई थी. कहते हैं समय घावों को भर देता है, पर नंदिनी के साथ ऐसा नहीं हो रहा था. वह सपनों से भरी अल्हड सी लड़की, जो मेलबोर्न से भारत चली आई थी, जय के साथ कदम से कदम मिला कर चलने की कोशिश कर रही थी. जय ने नंदिनी की तनाव से भरी जिंदगी को दूर करने का फैसला लिया और नंदिनी को जौब करने के लिए प्रोत्साहित किया. नंदिनी जय के इस फैसले से फूली नहीं समा रही थी. उसे पहली बार तपिश में ठंडी फुहार का अनुभव हुआ. जय को अपने जीवनसाथी के रूप में चुन कर उस को गर्व महसूस हो रहा था.

उस ने जय को निराश नहीं किया. जौब लगते ही नंदिनी की मेहनत रंग लाई और वह उन्नति के शिखर पर चढ़ने लगी. दोनों एकदूसरे को संभालते हुए आगे बढ़ रहे थे. लेकिन शायद दोनों की खुशियों को फिर से नजर लगने वाली थी. जय और नंदिनी की शादी को 2 साल पूरे हो गए थे. हालांकि सुधा का गुस्सा और नाराजगी अभी भी शांत नहीं हुई थी लेकिन बेटे को तो अपने से दूर नहीं किया जा सकता, इसलिए दोनों परिवार महीने में एकबार आपस में मिल कर अच्छा समय बिताने की कोशिश करने लगे थे. सबकुछ ठीक रहता पर नंदिनी कहीं न कहीं अजनबी जैसा महसूस करती थी.

और एक दिन फिर से एक जलजला नंदिनी और जय के जीवन में आ गया. दिनेश जी और सुधा की एनिवर्सरी का दिन था. दोनों परिवार एकसाथ बैठे हुए थे. तभी सुधा ने जय के सामने एक इच्छा रख दी, जिसे सुन कर जय और नंदिनी फिर से दोराहे पर खड़े हो गए.

‘जय, तुम ने जो चाहा, हम ने उसे स्वीकार किया पर कम से कम तुम एक इच्छा तो हमारी पूरी कर दो,’ सुधा ने चाय का घूंट भरते हुए कहा.

‘मां, कैसी बातें करती हैं आप, आप ने और पापा ने जो मेरे लिए किया है, मैं उस का ऋण कभी नहीं चुका सकता. आप हुक्म करें, आप की क्या इच्छा है. मैं और नंदिनी उसे जरूर पूरी करेंगे.’

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‘देखो, समय का क्या भरोसा. कब क्या हो जाए. तुम्हारे साथ के सभी दोस्तों के घर में रौनक हो गई है, मैं भी चाहती हूं कि अगले साल तक तुम दोनों भी दो से तीन हो जाओ. कम से कम मेरे जो अरमान तुम्हारी शादी के लिए थे, वे पोते का मुंह देख कर पूरा हो सकें,’ सुधा ने तिरछी निगाह से नंदिनी को देखते हुए जय से कहा.

जय और नंदिनी के चेहरे का जैसे रंग उड़ गया था. ऐसा नहीं था कि वे दोनों बच्चा नहीं चाहते थे लेकिन जिस तरह से नंदिनी अपने कैरियर के सफर में आगे बढ़ रही थी, जय और नंदिनी ने फैसला किया था कि अभी वे 2 साल और इंतजार करेंगे.

लेकिन सुधा की यह ख्वाहिश सुन कर फिर से जय उसी दोराहे पर आ कर खड़ा हो गया जहां से वह चला था. जय की समझ में नहीं आ रहा था कि वह मां से क्या कहे क्योंकि बड़ी मुश्किल से मां ने नंदिनी को स्वीकारोक्ति दी थी, यह अलग बात थी कि इस में नाराजगी का पुट हमेशा से ही विद्यमान रहा था. अब अगर वह मां को अपना फैसला सुनाता है तो कहीं पहले जैसी स्थिति न हो जाए.

जय के चेहरे पर आए तनाव को दिनेशजी ने बखूबी पढ़ लिया था. उन्होंने बात को संभालते हुए कहा. ‘जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है. तुम और नंदिनी इस फैसले के लिए स्वतंत्र हो.’

दिनेशजी का यह कहना जय की मां सुधा को अपना अपमान लगा और वह झटके के साथ उठ कर अपने कमरे के भीतर चली गई. एक खुशनुमा माहौल फिर से उदासी के दामन में सिमट गया.

अब यह इच्छा हर साल जय को सताने लगी थी क्योंकि मां जब भी फोन पर बात करती, अपनी इस इच्छा को जरूर जताती थी. और हर साल पूछा जाने वाला यह सवाल जय और नंदिनी को दंश के समान पीड़ा पहुंचाने लगा था. हालांकि इस दौरान नंदिनी ने इलाज भी शुरू कर दिया था, वह सुधाजी को कोई भी शिकायत का मौका नहीं देना चाहती थी लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था. नंदिनी को कुछ गायनिक कोम्प्लिकेशन थे जिन का पहले इलाज होना था, फिर आगे की प्रक्रिया हो सकती थी. दोनों इसी आस से इलाज करवा रहे थे कि उन्हें जल्द ही कामयाबी मिल जायगी. पर अचानक से कोरोना का कहर आ गया और सबकुछ बंद हो गया.

जय ने नंदिनी को समझाते हुए कहा, ‘नंदू, कल पापा से बात हुई थी, तब हम दोनों ने एक समाधान निकाला है.’

‘प्लीज, पूरी बात बताइए कि आप दोनों के बीच क्या बात हुई और क्या समाधान निकाला है.’

‘नंदू, पापा एक संस्था के साथ व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़े हुए हैं. उस में बहुत सारे ऐसे बच्चों के बारे में सूचना आ जाती है जिन्होंने अपने मातापिता कोरोना में खो दिया है और अब कोई भी रिश्तेदार उन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं है.’

‘तो तुम कहना क्या चाहते हो, तुम कही एडौप्शन की बात तो नहीं कर रहे हो,’ नंदिनी कहतेकहते कुरसी से लगभग खड़ी हो गई, ‘तुम जानते हो तुम क्या कह रहे हो?’

‘हां, पापा और मैं ने यही सोचा है. इस में गलत क्या है?’

‘नहीं जय, इस में कुछ भी गलत नहीं है बल्कि यह तो बहुत ही अच्छा तरीका है अपनी खाली पड़ी दुनिया को रंगों और किलकारियों से भरने का. लेकिन तुम शायद भूल गए हो कि मां ने मुझे ही अब तक नहीं अपनाया है तो फिर किसी के बच्चे को कैसे स्वीकार करेंगी.’

‘उस की तुम चिंता मत करो. मैं ने कल पापा से बात की है. अब लौकडाउन में मिलने वाली छूट के समय वे मां को ले कर आ रहे है. तब सब साथ में ही बात करेंगे.’

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‘ओह, जय, मुझे तो बहुत टैंशन हो रही है. तुम दोनों ने जो सोचा है, मैं उस का विरोध नहीं करती हूं, पर मां…’ कहतेकहते नंदिनी चुप हो गई.

‘माई डियर, माना कि मेरी मां थोड़ा पुराने ख़यालात की है लेकिन तुम भूल रही हो कि वे भी एक मां हैं. जब तुम्हारी पीड़ा को उन के आगे रखूंगा तो वे जरूर समझ जाएंगी. और वैसे भी, मैं ने अपने संकटमोचक से बात कर ली है. इस बार तो मान को मानना ही होगा.’

“संकटमोचक… कौन?’ नादिनी ने आश्चर्य से जय को देखते हुए कहा. आखिर, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जय के दिमाग में क्या चल रहा है.

‘वह तो तुम्हें शाम को ही पता चलेगा. तब तक क्यों न हम दोनों अपनी एनिवर्सरी सैलिब्रेट कर लें,’ कहते हुए जय ने नंदिनी को अपनी बांहों में उठा लिया. नंदिनी की खिलखिलाहट से घर गूंजने लगा.

दिन का समय हो आया था. सूरज अपनी तपिश की किरणों से धरती को गरमी दे रहा था. नंदिनी शिद्दत के साथ अपने सासससुर के पसंदीदा खाने को बनाने में लगी हुई थी. तभी डोरबैल बजी. जय तेजी से दरवाजे की ओर लपका था. दरवाजा खुलते ही सुधा और दिनेश ने जय को देखा और उन के चेहरे पर ममत्व से भरी मुसकान फ़ैल गई. दोनों ने जय को बधाई दी और गले से लगा लिया. सुधा घर के अंदर आ कर ड्राइंगरूम के सोफे पर बैठ गई. दिनेशजी नंदिनी को ढूंढते हुए किचन में चले गए और उस को पैसों का लिफाफा पकड़ाते हुए बोले, ‘शादी की बहुतबहुत शुभकामनाएं. हम दोनों की ओर से यह छोटी सी भेंट है. तुम अपने लिए कुछ खरीद लेना. हां, जय की चिंता मत करना, उस को उस की मां ने दे दिया है.’ ससुर और बहू के मुख पर हलकी सी हंसी तैर गई.

नंदिनी ने ससुर को पानी का गिलास दिया और साथ ही साथ उन के पैरों को भी स्पर्श कर लिया. दिनेशजी ने भी अपनी बहू के सिर पर आशीर्वाद का हाथ रख दिया. फिर वे ड्राइंगरूम में सुधा के समीप आ कर सौफे पर बैठ गए.

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एनिवर्सरी गिफ्ट: भाग 3- बेटा-बहू से भरे दिनेश और सुधा का कैसा था परिवार

लेखिका- ऋतु थपलियाल

सुधा के चेहरे पर अब भी नंदिनी को ले कर एक तनाव बना हुआ था. उस तनाव को सभी महसूस कर रहे थे. नंदिनी ने सुधा को भी पानी दिया और उस के चरण स्पर्श किए. पर सुधा ने ‘ठीक है, ठीक है’ कह कर अपनी नाराजगी फिर से दिखा दी थी. जय मौके की नजाकत को भांप गया था. उस ने नंदिनी को जल्दी से खाना लगाने का इशारा कर दिया था.

डाइनिंग टेबल पर सबकुछ अपनी मनपसंद का बना देख सुधा कुछ कह नहीं पाई. हां, दिनेशजी ने अपनी बहूँ के हाथ के बने खाने की खूब तारीफ की. सुधा चुप ही रही.

खाना खाने के बाद सब ड्राइंगरूम में आ गए. नंदिनी ने सभी को आइसक्रीम सर्व की और अपने आइसक्रीम का बाऊल ले कर सब के साथ बैठ गई. सुधा शायद इसी पल का इंतजार कर रही थी. तभी उस ने जय से पूछ ही लिया.

‘जय, मुझे कब तक इंतजार करना होगा.’

जय तो इसी मौके की तलाश कर रहा था. उस ने अपने पापा दिनेशजी की ओर देखा और कहा, ‘मां, पापा ने एक सुझाव दिया है मैं और नंदिनी बिलकुल तैयार हैं, बस, अगर आप की हां हो जाए तो… अगले 15 दिनों में ही मैं आप की इच्छा पूरी कर सकता हूं.‘

सुधा को लगा शायद उन के बेटे जय का दिमाग खराब हो गया है. भला 15 दिनों में कोई कैसे मातापिता बन सकता है.

‘जय, पागल हो गए हो, क्या कह रहे हो. 15 दिनों में भला कौन मांबाप बन सकता है. सुनो, मैं इस तरह के मजाक को बिलकुल भी बरदाश्त नहीं करूंगी.’ सुधा ने अपने तीखे लहजे से अपनी बात कही और जय को चेतावनी भी दे दी कि वे अब उस की एक नहीं सुनेंगी.

तभी दिनेशजी ने कहा, ‘सुधा, यह सब ईश्वर के हाथ में होता है.’

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‘अच्छा, तो तुम ही बताओ कि शादी को 6 साल होने को आ गए हैं पर अभी तक कुछ क्यों नहीं हुआ. जय और उस के दोस्त नीरज की शादी एकसाथ हुई थी. नीरज 2 बच्चों का पापा बन गया है और हमारा जय अभी तक… माना कि शादी के कुछ साल एंजौय में बीत गए, पर उस के बाद तो नंदनी की ही लापरवाही रही न. मैं ने कितना कहा था कि मेरे पास आ जाओ, मैं इलाज करवा देती हूं पर हर बार जय कहता था कि मां, नंदिनी का डाक्टर घर के पास ही है, उस को वहीं दिखाने में सुविधा होगी. फिर लेदे कर इस कोरोनाकाल ने कसर पूरी कर दी. एक साल से इलाज वहीं का वहीं रह गया. और अब यह दूसरा साल भी ऐसे ही जाएगा.’

‘ऐसी बात नहीं है सुधा, वे दोनों अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे पर नाकामयाब हो रहे थे. फिर यह कोरोना आ गया. अब यह तो उन दोनों के बस के बाहर था और कहीं न कहीं मुझे लगता है कि वे अब तुम्हारे रौद्र रूप का सामना नहीं करना चाहते हैं.’ दिनेश जानते थे कि सुधा के आगे किसी का तर्क नहीं चलेगा पर आज उन्होंने भी सुधा से तर्क करने की ठान ली थी. दोनों में जैसे जिरह शुरू हो गई थी.

‘तुम कहना क्या चाहते हो, मैं गलत हूं, गुस्सैल हूं और मेरी वजह से यह सब हुआ है. और वे दोनों मेरे स्वभाव की वजह से मातापिता नहीं बन पा रहे हैं,’ अचानक से लगे आरोप को सुधा सहन नहीं कर पाई और बौखला गई.

सुधा के इस रूप को देख कर नंदिनी सहम सी गई थी. उस की आंखें छलछलाने लगीं. उस को लगा, शायद अब वह सुधाजी की नाराजगी बरदाश्त नहीं कर पाएगी. वह दौड़ती हुई अपने कमरे में चली गई.

दिनेशजी ने फिर से सुधा को समझाने का प्रयास किया, ‘नहीं, तुम गलत समझ रही हो. मेरा यह कहने का मतलब नहीं था.’

‘तो फिर तुम क्या कहना चाहते हो? पहले तो जय ने लव मैरेज की, मैं ने नंदिनी को गैरजातीय होते हुए भी अपना लिया. फिर दोनों ने अपने कैरियर को तवज्जुह दी. उसे भी मैं ने स्वीकार कर लिया. अपनी कोई इच्छा उन पर नहीं थोपी. पर अब तो मुझे ख़ुशी का एक मौका दे दे,’ सुधा ने ऊंची आवाज में दिनेश से कहा.

‘तुम ने उन्हें अपना लिया?’ दिनेश के चेहरे पर प्रश्न था, जो सुधा को देख कर उन्होंने पूछा था, ‘सुधा, जब से नंदनी इस घर में आई है, तुम ने उस से ठीक से बात भी नहीं की. हमेशा उस को एहसास करवाया कि वह गैरजातीय है और सब से जरूरी कि वह तुम्हारी पसंद की नहीं है. उस बेचारी पर कितना प्रैशर रहता होगा, यह मैं समझ सकता हूं,’ दिनेश ने लगभग चिल्लाते हुए कहा.

सुधा दिनेश के इस रूप को देख कर सहम सी गई थी. आज तक दिनेश ने कभी इस तरह झल्ला कर उस से बात नहीं की थी. जय ने भी अपने पिता का ऐसा रूप पहली बार देखा था. घर में गरमहट का माहौल हो गया था.

‘तुम कहना क्या चाहते हो, मैं उन की निजी जिंदगी में दखलंदाजी कर रही हूं जिस से दोनों के ऊपर प्रैशर बन रहा है और इस वजह से उन दोनों के यहां बच्चा नहीं हो रहा है?’

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‘नहीं, तुम गलत समझ रही हो. मैं, बस, तुम्हें उस एहसास को याद दिलाना चाहता हूं जो तुम शायद भूल गई हो कि जय के होने से पहले तुम्हारे साथ भी यही सब हुआ था. हमारी शादी को 6 महीने ही हुए कि तुम अपना कैरियर बनाना चाहती थीं, इसलिए जल्दी बच्चा न करने का फैसला लेना चाहती थीं. और उस के बाद 2 साल तक हमारे चाहने पर भी तुम कंसीव नहीं कर पाई थीं. मां का कितना प्रैशर तुम पर था, कुछ याद आया तुम्हें,’ दिनेश ने सुधा को लगभग झिंझोड़ते हुए कहा, वह तो शुक्र था कि तुम जल्दी ही कंसीव कर गईं वरना… न जाने तुम्हें भी नंदिनी के जैसे तनावयुक्त माहौल का शिकार होना पड़ता. बेचारी नंदिनी तो गैरजातीय होने का भी दुख झेल रही है,’ जय के पिता अपनी बात कहतेकहते रोआंसे हो उठे थे.

अपने जीवन की इतनी बड़ी सचाई अपने बेटे और बहू के आगे खुलते देख सुधा सहम सी गई थी. जय समझ चुका था कि दोनों कहीं मुख्य मुद्दे से भटक न जाएं, उस ने तुरंत मां का हाथ पकड़ लिया.

बेटे का सहारा पा कर सुधा कुछ नरम पड़ गई थी. सुधा ने लगभग रोते हुए अपने बेटे से कहा, ‘जय, देखो, तुम्हारे पापा मुझ से क्या कह रहे हैं. मैं अपने दिनों को भूल गई हूं और मैं जानबूझ कर नंदिनी पर प्रैशर बना रही हूं क्योंकि मैं उसे पसंद नहीं करती हूं. अरे, जो भय मैं ने उस समय महसूस किया था, बस, मैं यही चाहती हूं कि वह अब फिर से हमारे सामने न आए. क्या ऐसा सोचना गलत है?’

तभी दिनेशजी ने सुधा को उन के अतीत की कुछ और बातें याद दिलाईं, बोले, ‘याद है तुम्हें जब तुम छहसात महीने तक कंसीव नहीं कर पाई थीं, तो तुम मां का फोन भी नहीं लेती थीं क्योंकि उन की एक ही बात तुम्हें भीतर तक दुख पहुंचा जाती थी. उस समय तुम पर कितना दबाव था, यह सिर्फ मैं ही जानता हूं. वही दबाव आज जय और नंदिनी महसूस कर रहे हैं.’

सुधा की आंखें फर्श पर जा कर टिक गई थीं जैसे उस के सामने अतीत के पन्ने किसी ने खोल कर रख दिए थे. वह कुछ भी नहीं कह पा रही थी. उस के भीतर जैसे कुछ थम गया था.

‘सुधा, क्या तुम ने यह प्रैशर डालने से पहले जय और नंदिनी से बात की है कि क्या कारण है कि उन को संतान का सुख नहीं मिल पा रहा है, कहीं हमारे बच्चों को हमारी सहायता की जरूरत तो नहीं है,’ इस बार दिनेशजी ने अपनी आवाज को नर्म रखते हुए कहा.

आगे पढ़ें- दिनेश धीरे से सुधा के समीप आ गए…

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एनिवर्सरी गिफ्ट: भाग 4- बेटा-बहू से भरे दिनेश और सुधा का कैसा था परिवार

लेखिका- ऋतु थपलियाल

सुधा मौन हो गई थी क्योंकि उस ने ऐसा किया ही नहीं था. नंदिनी को अपनाने में जो कशमकश शादी के समय हुई थी, वही कशमकश उसे आज भी हो रही थी. जय सुधा के चेहरे के बदलते भावों को देखते ही समझ गया कि पापा की कही गई बात सीधा निशाने पर जा कर लगी है. अब वह किसी भी तरह से यह मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था.

‘मां, माना कि मैं ने आप की मरजी के खिलाफ जा कर शादी की पर नंदिनी के मन में आप के प्रति कोई बुरी भावना नहीं है. पिछले कुछ वर्षों से वह बेचारी शारीरिक और मानसिक तनाव झेल रही है. हम दोनों ही चाहते हैं कि हम जल से जल्द आप की इच्छा को पूरा कर सकें पर शायद…,’ जय ने मां की ओर देख कर कहा. उस की आवाज में एक पीड़ा थी जिसे शायद सुधाजी ने महसूस कर लिया था.

दिनेश धीरे से सुधा के समीप आ गए और उन्होंने ने सुधा के कंधे पर हाथ रख कर कहा, ‘हो सकता है इलाज में मिल रही नाकामयाबी और तुम्हारे प्रश्नों की बौछार से दोनों बच्चे बचना चाहते हों.’

सुधा मासूम बच्चे की तरह दिनेश और जय के चेहरे की तरफ देखने लगी थी.

‘आप का सोचना भी गलत नहीं है पर अगर इस मुश्किल घड़ी में हम बच्चों को आप लोग रास्ता नहीं दिखाएंगे तो और कौन दिखाएगा. मां, दादी तो अनपढ़ थीं पर आप तो पढ़ीलिखी हो. और वैसे भी, आजकल तो आईवीएफ और सैरोगेसी सुविधाएं उपलब्ध हैं. आप लोगों के समय यह सब कहां था,’ जय ने गंभीर स्वर में मां सुधा की ओर देखते हुए कहा.

‘तो मैं ने कब मना किया है आईवीएफ करवाने से,’ सुधा ने जय की ओर देखते हुए लगभग रुंधे गले से कहा.

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इस बार दिनेशजी ने कहा, ‘तुम अब भी गलत समझ रही हो. तुम जो कहती हो उस में गलत कुछ भी नहीं है, बस, समझने की जरूरत है कि उन दोनों के साथ कैसी परेशानी आ रही है. हो सकता है कि आईवीएफ करवाने के लिए उन के पास इतना बजट ही न हो.’

‘अरे, अगर ऐसी समस्या है तो जय को मुझ से बात करनी चाहिए थी न. मैं उस की मां हूं, कोई दुश्मन तो नहीं हूं न,’ सुधा ने जय और दिनेश की ओर देखते हुए कहा जैसे वह अपनी सफाई रखना चाहती थी.

‘सुधा, बच्चों का ऐसा व्यवहार कोई नया नहीं है. जब उन्हें लगता है कि वे हमारी इच्छा को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो वे आंखें चुराना शुरू कर देते हैं.’

सुधा चुपचाप दिनेश का मुंह देखने लगी थी. उस की आंखों में नमी आ गई थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह दिनेश को अपनी सफाई में अब क्या जवाब दे.

तभी जय की गंभीर आवाज उस के कानों से टकरा गई, ‘मां, कोरोना की वजह से नंदिनी का इलाज भी रुक गया. हर महीने के तनाव में घिरी नंदिनी के जीवन का बस अब एक ही मकसद रह गया है कि वह जल्दी से तुहारी इच्छा पूरी कर सके. मैं उस को रोज घुटते और टूटते हुए देखता हूं. बच्चे के लिए मां ही सब से बड़ा सहारा होती है. और मेरे लिए आप हैं. पर आप की नाराजगी के कारण मैं अपनी कोई बात आप से कह भी नहीं पाया. अब मुझे भी एक घुटन सी महसूस होने लगी है.’

जय सुधा से थोड़ी दूर जा बैठा था. वह नहीं चाहता था कि मां उस के छलक आए आंसू देखे.

उस के अधूरे वाक्य में सुधा को अपने बेटे का दिया हुआ संदेश साफ़ सुनाई दे रहा था. उस की आंखें छलछला आईं. वह कुरसी पर बैठ कर ही रोने लगी. शायद बेटे की पीड़ा उस ने महसूस कर ली थी जिसे वह बरदाश्त नहीं कर पा रही थी.

दिनेश ने सुधा का चेहरा अपने हाथों में ले कर कहा, ‘सुधा, मैं समझ सकता हूं कि तुम्हें उन की चिंता है पर अपने बच्चों की परेशानी हम नहीं समझेंगे, तो और कौन समझेगा. जिस तरह से समय निकल रहा है और दोनों बच्चों की उम्र बढ़ रही है, उस से हो सकता है कि नंदिनी को भी कंसीव करने में परेशानियों का सामना करना पड़े. पर एक तरीका है जिस से इस महामारी के समय भी जय के घर किलकारियां गूंज सकती हैं और तुम्हारी इच्छा भी पूरी हो सकती है.’

सुधा ने प्रश्न भरी नज़रों से दिनेश की ओर देखा.

‘जब जय से बात हुई थी तब मैं ने उस से इस बात का जिक्र किया था. सौरी कि तुम्हें नहीं बताया. उस ने और नंदिनी ने इस का फैसला भी तुम पर ही छोड़ दिया है.’

‘जब तुम दोनों ने आपस में बात कर ली है तो फिर मुझे क्या फैसला लेना है. मैं भला क्यों उन की खुशियों में आड़े आऊंगी. मैं तो बस चाहती हूं कि मुझे दादी कहने वाला जल्दी से आ जाए.’ सुधा ने अपने आंसुओं को पोंछते हुए कहा. उस की कही बात में नाराजगी भी झलक रही थी.

‘मैं जानता हूं, तुम जय का भला चाहती हो, पर नंदिनी का क्या…’

‘फिर तुम अजीब बात करने लगे हो, जय और नंदिनी एक ही तो हैं,’ दिनेश की बातें सुन कर सुधा ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा.

‘चलो, तुम ने माना तो कि जय और नंदनी एक ही हैं. सुधा, मेरा तुम से एक सवाल है कि क्या तुम ने नंदिनी को दिल से स्वीकार कर लिया है?’

सुधा दिनेश की ओर देखने लगी जैसे वह इस पहेली को सुलझाना चाहती थी. उस ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा, ‘आप भी कैसे बातें करते हैं, जब कह रही हूं कि जय और नंदिनी एक ही हैं तब… और वैसे भी, आज आप ने अतीत की बातों को याद दिला कर मुझे एहसास करवा दिया की नंदिनी भी कहीं न कहीं मेरी ही तरह हर बात से छिपना चाहती है. उसे उस छांव की तलाश है जो इस धूप से उसे बचा सकती है.’

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परदे के पीछे छिपी नंदिनी की हिचकियां ड्राइंगरूम में बैठे तीनों सदस्यों ने सुन ली थीं. जय तुरंत उठ कर नंदिनी की ओर चल पड़ा और उस का हाथ पकड़ कर सब के सामने ले आया. नंदिनी की आंखों से अभी भी आंसूं टपक रहे थे.

‘मां, अगर आप चाहो तो इस धूप को हमेशा के लिए ठंडी छांव में बदल सकती हो,’ जय ने मां सुधा को प्यारभरी नजरों से देखते कहा.

‘अब पहेलियां बुझाना बंद भी करो. जल्दी बताओ, मैं तुम दोनों के लिए ऐसा क्या कर सकती हूं?’

‘देखा, अब की न तुम ने पढ़ीलिखी, समझदार सास वाली बात,’ कह कर दिनेश लगभग हंसने लगे.

‘बस, बस, अब जल्दी बताओ. ज्यादा बेर के पेड़ पर चढ़ाने की जरूरत नहीं है,’ सुधा अपनी जिज्ञासा को छिपाने में असमर्थ हो रही थी. इसलिए उस की आतुरता उस की आवाज से ही झलकने लगी थी.

‘पापा के दोस्तों का एक व्हाट्सऐप समूह है. उस में किसी ने मैसेज भेजा था कि इस कोरोनाकाल में एक 6 महीने की बच्ची अनाथ हो गई है. उस के मातापिता कोरोना की वजह से अब इस दुनिया मे नहीं रहे. रिश्तेदारों ने भी लेने से मना कर दिया है, इसलिए अगर कोई उस बच्ची को लेने का इच्छुक हो तो वह दिए गए नंबर पर फोन कर सकता है,’ जय एक सांस में सारी बात कह गया था. शायद उसे डर था कि कहीं मां फिर से नाराज न हो जाए.

सुधा चुपचाप जय की बातें सुन रही थी. वह उठ कर खड़ी हो गई. कमरे में सन्नाटा छा गया. सभी जानते थे कि सुधा ने बड़ी मुश्किल से अभीअभी नंदिनी को स्वीकार किया था, अब किसी बाहरी बच्चे को स्वीकार करना सुधा के लिए आसान निर्णय नहीं होगा. जय सुधा के उत्तर की प्रतीक्षा कर ही रहा रहा था की सुधा अपना मोबाइल ले कर अपने पति दिनेश के सामने जा खड़ी हो गई.

‘जल्दी से वह नंबर बताओ जो तुम्हारे ग्रुप में आया है.’

दिनेश को जैसे किसी ने नींद से जगा दिया था. उन्होंने तुरंत अपना फोन निकाल कर सुधा को फोन नंबर दिया. सुधा नंबर ले कर दूसरे कमरे में चली गई. अगले ही पल सुधा ने उस नंबर पर बात की. बात खत्म होते ही वह वापस ड्राइंगरूम में आई और उस ने जय और नंदिनी को तैयार होने को कहा. किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था. सब आश्चर्य से सुधा को देख रहे थे.

‘अब ऐसे क्या देख रहे हो, मुझे लगा, जय और नंदनी की खुशियों को जल्दी से ले आते हैं. कहीं कोई और न ले जाए. मैं ने अभी जिस नंबर पर बात की है वह आश्रम की संचालिका का नंबर है. उसी ने बताया कि वहां कोरोनाकाल में बेसहारा हुए बच्चे हैं और वह 6 महीने की बच्ची अभी भी आश्रम में ही है. उन्होंने कहा है कि हमें वहां आ कर कुछ फौर्मेलिटीज पूरी करनी होंगी, तभी हम बच्ची को ले जा सकते हैं.’

जय सुधा का धन्यवाद करना चाहता था लेकिन सुधा ने उस को गले लगाते हुए कहा, ‘आज मेरे परिवार ने मेरी आंखें खोल दीं. पढ़ेलिखे होने का मतलब केवल जौब करना ही नहीं होता है, परिवार मे खुशियां बिखेरना भी होता है. और अगर ये खुशियां बाहर से आती हैं तो इस में बुराई ही क्या है. जय और नंदनी, जल्दी से तैयार हो जाओ. हमें जल्दी ही आश्रम के लिए निकलना है. वैसे भी, सरकार ने शाम के 8 बजे तक ही बाहर निकलने की आजादी दी है, इसलिए सभी जल्दी करो.’

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‘लेकिन मां, तुम ने मुझे तो एनिवर्सरी का गिफ्ट दे दिया था, पर नंदिनी को कुछ भी नहीं दिया था. तो मैं समझूं कि आप अभी भी नंदिनी से नाराज हो,’ जय ने अपनी पत्नी के हाथों को पकड़ते हुए कहा.

सुधा कुछ कहती, उस से पहले ही नंदिनी ने अपनी सास की ओर देखते हुए कहा, ‘नहीं जय, मां ने तो मुझे तुम्हारे गिफ्ट से भी ज्यादा अनमोल गिफ्ट दिया है जिस के लिए मैं मां की हमेशा ऋणी रहूंगी.’

और सुधा ने नंदिनी को गले से लगा लिया. सारे गिलेशिकवे आंसुओं में बह गए थे. नंदिनी ने सुधा के गले लगे ही जय को देख कर कहा, ‘तुम्हारे संकटमोचक ने फिर से बचा लिया.’ जय जोरजोर से हंसने लगा. दिनेशजी जय के कंधे पर हाथ रख कर मुसकरा रहे थे. आज परिवार में खुशहाली छा गई थी और एनिवर्सरी गिफ्ट को लाने के लिए सब तैयार हो कर आश्रम की ओर चल पड़े.

लंदन जाकर ये इलाज कराना चाहते थे Sidharth Shukla, Bigg Boss 13 में किया था खुलासा

हाल ही में टीवी के पौपुलर एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) के निधन ने फैंस और सेलेब्स को चौंका दिया. जहां सिद्धार्थ के अचानक चले जाने से उनका परिवार टूटा नजर आया तो वहीं उनकी खास दोस्त शहनाज गिल (Shehnaaz kaur Gill) को देख फैंस दिल टूट गया. इसी बीच Late सिद्धार्थ शुक्ला  (Sidharth Shukla) की कई वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें एक वीडयो सिद्धार्थ शुक्ला की एक इच्छा का है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

लंदन जाकर करना चाहते थे ये काम

 

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बिग बॉस 13 (Bigg Boss 13) के विनर रह चुके सिद्धार्थ शुक्ला ने शो में इस बात का जिक्र किया था कि वो सिगरेट की लत से परेशान हो चुके हैं, जिसके कारण वह लंदन जाकर लंग क्लीनिंग का ट्रीटमेंट करवाना चाहते हैं. दरअसल, सिद्धार्थ शुक्ला  (Sidharth Shukla) ने शो के कंटेस्टेंट से कहा था कि वह लंदन में लंग ट्रीटमेंट इसलिए करवाना चाहते हैं क्योंकि वहां आसानी से उनका डार्क कार्बन निकाल दिया जाएगा.

 

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शहनाज से होने वाली थी शादी

 

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खबरों की मानें तो सिद्धार्थ और शहनाज (Shehnaaz kaur Gill) की शादी होने वाली थी. ये बात जगजाहिर है कि शहनाज का दिल सिद्धार्थ के लिए धड़कता था. वहीं कहा जा रहा है कि दोनों दिसंबर में शादी करने वाले थे, जिसके लिए होटल की बुकिंग भी कर ली गई थी. हालांकि इसकी कोई पुख्ता जानकारी सामने नही आई है.

 

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बता दें, सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) की मां और बहनों ने फैंस के लिए 6 सितंबर यानी आज शाम 5 बजे एक ऑनलाइन प्रेयर मीट रखवाई है, जिसमें सिद्धार्थ शुक्ला के करीबी उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे. वहीं इसका खुलासा उनके दोस्त करणवीर बोहरा ने किया है.

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समर की जान बचाएगा अनुज कपाड़िया, शाह हाउस में होगी एंट्री

Star Plus के सीरियल अनुपमा में अनुज कपाड़िया की एंट्री हो चुकी है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं अपकमिंग एपिसोड में मेकर्स सीरियल की कहानी में  नए मोड़ लाने की तैयारी हैं. दरअसल, सीरियल में काव्या जहां अनुपमा और अनुज को एक करने की कोशिश करेगी तो वहीं वनराज का नया चेहरा देखने को मिलेगा.

काव्या कसती है ताना

सीरियल में अब तक आपने देखा कि अनुज और अनुपमा की एक रियूनियन पार्टी में मुलाकात होती है, जिसे देखकर वनराज का खून खौल उठता है. हालांकि किंजल दोनों को सपोर्ट करती नजर आई. इसी बीच पाखी पूरे शाह परिवार को अनुपमा और उसके दोस्‍तों की पुरानी फोटोज और अनुपमा का डांस दिखाएगी. हालांकि काव्‍या दोनों पर ताना कसती दिखती है.

 

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समर को होगा एक्सीडेंट

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि नंदिनी और समर के बीच गलतफहमी और झगड़े के कारण बड़ा हंगामा होता नजर आएगा. दरअसल, पूरा शाह परिवार  जन्‍माष्‍टमी का जश्न मनाएगा. जहां समर अपने और नंदिनी के रिश्ते को लेकर परेशान होगा और घर नही लौटेगा. वहीं अनुपमा उसे फोन करेगी और उसे घर आने को कहेगी. लेकिन समर आने से मना कर देगा. इसी बीच समर का एक्सीडेंट हो जाएगा और फोन पर अनुपमा ये सब सुन लेगी.

अनुज बचाएगा जान

 

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दूसरी तरफ समर के पीछे एक ट्रक आता देख अनुज उसे बचाने की कोशिश करेगा. लेकिन ट्रक दोनों को टक्‍कर मार देगा, जिससे दोनों घायल हो जाएंगे. हालांकि दोनों को ज्यादा नुक्सान नही होगा. तो वहीं अनुज, समर को लेकर शाह निवास पहुंचेगा. जहां वनराज, काव्या और अनुपमा उसे देखकर चौंक जाएंगे.

बता दें, समर, नंदिनी की जिंदगी में उसके एक्स बौयफ्रेंड के आने से परेशान है, जिसके चलते वह अनुपमा से अपना दर्द शेयर करता हुआ नजर आता है कि नंदिनी उसे छोड़ देगी. लेकिन अनुपमा उसे समझाती है कि अगर वह उससे प्यार करता है तो वह नंदिनी की खुशी का ख्याल रखेगा.

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टीचर्स डे पर जानें Celebs की बातें

हर बच्चे के जीवन में अध्यापक की भूमिका पेरेंट्स के बाद अहम होती है. दोनों मिलकर ही एक बच्चे को उसकी भविष्य से परिचित करवाते है और एक सफल इंसान बनाने के लिए गाइड करते है, इन दोनों की संतुलन में जरा भी कमी बच्चे की भविष्य को बिगाड़ देती है. इसलिए जितना जरुरी एक अध्यापक का उसके जीवन में है, उतना ही जरुरी उन्हें रेस्पेक्ट देना भी है और टीचर्स डे हर साल अध्यापक के सम्मान और शिक्षा के प्रति अभिभावकों और बच्चों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. कुछ सेलेब्रिटीज ने टीचर्स डे पर अपने अनुभव शेयर किये है, जिनकी वजह से उन्हें हमेशा आगे बढ़ने, चुनौतियाँ लेने और एक अनुशासित जीवन बिताने की प्रेरणा मिली है, आइये जाने उनका कहना क्या है,

निवेदिता बसु

निर्माता और क्रिएटिव डायरेक्टर निवेदिता बसु कहती है कि मेरे जीवन में पहले पेरेंट्स इसके बाद सास-ससुर ने गहरी छाप छोड़ी है. इसके बाद निर्माता निर्देशक एकता कपूर को मैं अपनी टीचर मानती हूँ, क्योंकि मैंने मनोरंजन की दुनिया में जब से काम शुरू किया है, उन्होंने मुझे हर तरह से सहयोग दिया, इसलिए मैं आज एक निर्माता, निर्देशक बन पायी हूँ. ऐसा वे हर व्यक्ति को सहयोग देती है,जो उनके बैनर तले काम करते है, उनका और मेरा रिश्ता पिछले 22 सालों से है. वे हर कर्मचारी को काम सिखाने के अलावा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा भी देती है.

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विजयेन्द्र कुमेरिया

अभिनेता विजयेन्द्र कहते है कि मेरे जीवन में मेरे पिता ही सबसे बड़े अध्यापक है, उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है, उनकी अच्छी क्वालिटी को मैंने अपने जीवन में अडॉप्ट किया है. उन्होंने किसी की सहायता करने में कभी पीछे नहीं हटें, मेहनत को सबसे अधिक महत्व दिया है और सही बात कहने में वे कभी डरे नहीं. आज मैं जहाँ हूँ, इसका श्रेय मेरे पिता को जाता है, वे मेरे आदर्श है.

शीना बजाज  

बेस्ट ऑफ़ लक-निक्की फेम शीना बजाज कहती है कि मेरे कई टीचर्स है, जिसकी वजह से मुझे अच्छी शिक्षा मिली और मैं सभी का नाम बताना चाहती हूँ, मिस अबीगेल, मिस ब्रिनेल, ग्रेस पिंटो, पामेला मैम ये सभी मेरे स्कूल की टीचर्स रही है. पामेला मैम जो अब गुजर चुकी है, हमेशा कहती थी कि जितना हो सकें जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए और मुझे हमेशा सहयोग देती थी. जब मैंने बचपन में फिल्में की, तो उन्होंने मुझे करिकुलम के साथ जाने देती थी. वह टीचर्स को मेरे घर पर भेजकर मेरी स्टडीज को पूरा करवाती थी.  आज वे सभी टीचर्स मेरी कैरियर से बहुत खुश है. मेरा सभी अध्यापिकाओं से अभी भी जुड़ाव है. मुझे याद है एक बार जब ग्रेस पिंटो मैम पूरे क्लास के बच्चों को खुद में विश्वास, अपने उद्देश्यों पर अडिग रहने और धैर्य की बात समझाई थी. इसलिए आज मैं जो करना चाही, कर पाई.

देव जोशी

बालवीर रिटर्न्स फेम देव जोशी टीचर्स डे को याद करते हुए कहते है कि ये दिन मुझे बीते दिनों की याद दिलाता है, जो स्कूल के मेरे चहेते टीचर्स से जुड़ी है. मेरे स्कूल में टीचर्स की इस दिन छुट्टी रहती थी और स्टूडेन्ट्स उनका काम करते थे.सभी बच्चे अपने चहेते टीचर्स की तरह कपड़े पहनते थे और गंभीरता से अपना काम करते थे.मेरे जीवन में मेरे हर टीचर का महत्वपूर्ण योगदान है. जब भी मुझे जरूरत हुई, उन्होंने मुझे सही रास्ता दिखाया. मेरी माँ शुरू से ही मेरी मार्गदर्शक रही हैऔर अभिनय की कला उन्होंने ही मुझे सिखाई. मुझे जीवन के जो सबसे बड़े सबक सिखाये गए है,उनमें से एक है जीवन में आपकी दो यूनिफॉर्म्‍स होती हैं, एक को आप स्कूल में पहनते है और दूसरी आपको प्राप्त करनी होती है, तो पहली यूनिफॉर्म के साथ कड़ी मेहनत करें, ताकि आपको दूसरी यूनिफॉर्म सही ढंग से मिले.

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4 टिप्स: स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

टमाटर जितना हमारी हेल्थ के लिए अच्छा होता है उतना ही यह स्किन को भी फायदा पहुंचाता है. ऐसे कईं तरीके हैं, जिन्हें हम टमाटर के साथ स्किन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. ये आपकी स्किन को हर सीजन में हेल्दी और खूबसूरत बनाएगा. इसीलिए आज हम आपको टमाटर के कुछ फायदे बताएंगे, जिससे आप स्किन खूबसूरत और बेदाग स्किन पा सकते हैं.

1. नेचुरल सनस्क्रीन है टमाटर

टमाटर स्किन सम्बन्धी कई प्रौब्लम्स को जड़ से खत्म करता है. इसको खाने और चेहरे पर इसका रस मलने से सनबर्न और टैन खत्म होता है. टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन तत्व स्किन को अल्ट्रावायलेट किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाता है. टमाटर नेचुरल सनस्क्रीन के रूप में काम करता है.

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2. ड्राई और डल स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

गर्मियों में ड्राई और डल स्किन से महिलाएं काफी परेशान रहती हैं. ऐसे में कौस्मैटिक प्रौडक्टस की जगह बेहतर होगा अगर आप घरेलू उपचार करें और इसमें टमाटर आपका सबसे बड़ा मददगार साबित होगा. टमाटर जिसे सुपरफूड कहा जाता इसकी मदद से आपकी स्किन शाइनी और मुलायम बन सकती है.

3. स्किन पोर्स प्रौबल्म के लिए परफेक्ट है टमाटर

अगर आपकी स्किन के पोर्स खुल गये हैं, तो आपको टमाटर का जूस पीना चाहिए और इसे चेहरे पर भी लगाना चाहिए.  टमाटर का जूस चेहरे पर एस्ट्रिजेंट के रूप में काम करता है. एक टेबल स्पून टमाटर के जूस में चार-पांच बूंदें नींबू के रस की डालें और चेहरे पर लगाएं. बाद में गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. खुले पोर्स की प्रौब्लम से छुटकारा मिल जाएगा. ब्लैकहेड प्रभावित हिस्से पर टमाटर के स्लाइस को रगड़ने से आप इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं.

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4. झुर्रियों से पाएं छुटकारा

टमाटर सेलुलर डैमेज से लड़ते हैं, नमी को बरकरार रखते हैं, जिससे झुर्रियों को आने से रोका जा सकता है. यही नहीं, टमाटर में मौजूद एसिड आपके पिंपल्स को कम करने और स्किन को साफ करने में मदद करता है.

क्या प्यार करने वाला आपकी गरिमा का ख्याल रखता है?

लेखिका- स्नेहा सिंह 

आप किसी से बहुत प्यार करती हैं. उस पुरुष या महिला ने आप को भावनाओं से ले कर सुरक्षा तक देने की कोशिश की है. जमीन से जुड़े होने के बावजूद उसने आपको सातवें आसमान का सफर कराया है. आप के लिए कभी दीवार, कभी पहाड़, कभी दरवाज़ा, कभी खिड़की तो कभी आकाश भी बन गया है. उसने तूम्हारे लिए वह सब किया है, जो एक प्रेमी-प्रेमिका, पति अथवा पत्नी का फर्ज होता है. हां, हो सकता है आपकी थोड़ी इच्छाएं, थोड़ा सुख उसकी नजर से बाहर गया हो. ऐसा भी हो सकता है कि उसकी किसी बात से आप के हृदय को ठेस पहुंची हो, पर आप को संभालने, आप को दुख न पहुंचे, इसके लिए उसने तमाम कोशिश तहेदिल से की हो. आप का कैरियर, आप की सोशल लाइफ का ग्राफ ऊपर गया हो, उसमें उसका भी कुछ हिस्सा रहा हो. संक्षेप में संबंधों के ऐसे तमाम पलों में उसने आप को कभी यह अनुभव कराया हो कि आप दुनिया की सब से सुखी और सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं. भगवान न करे कभी आप के संबंध में कमिटमेंट ब्रेक हो. आपके संबंध हिचकोले खाने लगें और एक्जिट के दरवाजे पर आ कर खड़े हो जाएं तो आप क्या करेंगी?

‘आप हमारे नहीं ती किसी और के भी नहीं.’ यह सोच कर उसके साथ क्लिक किए बैडरूम के फोटो वायरल कर देंगें? सेक्स्युअल प्लेजर के लिए बनाए वीडियो उसके पारिवारिक सदस्यों को भेज देंगें? नेटवर्किंग साइट पर उन्हें वायरल कर देंगें? आप पर खूब विश्वास कर के भावनाओ के आवाश में आ कर आप को किए ह्वाटसएप मैसेज के स्क्रीन शाॅट की नुमाइश करेंगें? या चुपचाप एक्जिट के दरवाजे से बाहर निकल जाएंगें?

सहमति से बने संबंधों में बंदिशें क्यों?

पिछले कुछ समय से संबंध टूटने के बाद न्यूड फोटोग्राफ्स या सेक्स्युअल एक्ट के वीडियो वायरल कर देनें की घटनाएं खूब बढ़ी हैं. एक 16 साल की लड़की अपने साथ पढ़ने वाले लड़के से प्यार करने लगी. लड़की ने अपने वक्षस्थल के फोटो खींच कर लड़के को भेज दिए. कुछ दिनों बाद लड़की ने लड़के से संबंध खत्म करने की बात की तो लड़के ने लड़की के नाम के साथ उसके वक्षस्थल के फोटो वायरल कर दिए. 17वां साल हो या 37वां साल, संबंध टूटने पर लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं.

सब से पहली बात तो यह है कि इस तरह के न्यूड फोटोग्राफ भेजने ही नहीं चाहिए. मानलीजिए कि प्रेम के आवेश में अथवा विशाल के अतिरेक के बीच न्यूड फोटोग्राफ भेज रही हैं तो उस फोटोग्राफ से चेहरा कट कर देने की सामान्य समझ क्यों नहीं दिखातीं? आप कहेंगीं कि जिसे प्रेम किया है, उस पर खुद से अधिक विश्वास होता है. बिलकुल होना चाहिए, पर जिस पर विश्वास किया है, यह पता कर लेना जरूरी है कि वह विश्वास करने लायक है भी या नहीं?आप को यह पता है, आप जिससे प्रेम कर रही हैं, उसे आप की गरिमा का ख्याल है या नहीं? वह व्यक्ति अभी आप को जितना सम्मान देता है, आप की जिंदगी से निकल जाने पर भी वह आप को उतना ही सम्मान देगा?

सामान्य रूप से हम जल्दी किसी को अपने आधार कार्ड का नंबर नहीं देते. डेबिट कार्ड या मोबाइल का पासवर्ड जल्दी किसी के साथ शेयर नहीं करते, तो न्यूड फोटोग्राफ शेयर करने के पहले क्यों नहीं सोचतेविचारते? प्यार करने वाला आदमी क्या कर सकता है? इसकी अपेक्षा यह जानना चाहिए कि प्रेम टूटने पर वह नीचता की किस हद तक जा सकता है? आपने जिस पर विश्वास किया है, वह आदमी प्रेम टूटने पर आप के फोटोग्राफ वायरल करने की हद तक जाता है तो साफ है कि वह आप से प्रेम नहीं करता था. लड़कियों को एक बात समझने की खास जरूरत है कि जिस आदमी को मात्र आपके शरीर में रुचि है, उसके मन में तुम्हारे प्रति वासना है, प्रेम नहीं. ऐसी तमाम लड़कियां हैं, जो मानती हैं कि मेरा प्रेम उसे बदल देगा, प्रेम उसके मन में मेरे लिए डिग्निटी पैदा करेगा, यह सरासर मूर्खता है. प्रेम कुछ भी नहीं बदल सकता.

जब तक लोभी लोग हैं, ठग भूखो नही मरेंगे, यह कहावत यहां भी उतनी ही सच है. अपने शरीर, अंगों का बखान सुनने के लिए लालायित लड़कियां न्यूड फोटोग्रफ भेज देती हैं. प्रशंसा का स्वर्ण मृग पाने के लिए हर सीता लक्ष्मणरेखा पार करने को तैयार हो जाती है और रावणों के मनपसंद काम हो जाता है. हर महिला को अपने शरीर, फीगर और कर्व्ज की प्रशंसा सुनना अच्छा लगता है. पर इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि कहीं यह प्रशंसा गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली तो नहीं है.

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टीनेजर्स के बीच वीडियो सेक्स अब सामान्य बात हो गई है. वीडियो सेक्स के दौरान ले लिए गए स्क्रीन शाॅट्स टाइम बम बन कर मोबाइल में समाए रहते हैं और कमिटमेंट टूटते ही फूट पड़ते हैं. मुझे लगता है कि अब पैरेंटिंग को बदलने की जरूरत है. देखो, मैं प्रेम में पड़ी नहीं, यह कहने के बजाय अगर प्रेम में पड़ती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि इस बात की चर्चा समझदार लोगों से जरूर करें. अपनी डिग्निटी खुद मेंनटेन करनी होती है. लड़कियों को यह समझना होगा कि उन्हें किसी दूसरे का इंतजार नहीं करना है. मां-बाप को चाहिए कि संतानों को पास बैठा कर ब्रेकअप का अर्थ समझाएं. उन्हें समझाएं कि एकदूसरे से प्रेम करने वाले व्यक्ति अलग हो सकते हैं. यह भी समझाएं कि इस समय जो आदमी उनके साथ नहीं जीना चाहता, इसका मतलब यह नहीं कि उनके साथ का अतीत खराब था.

हमारा कानून खून की सजा देता है. पर संबंध में हुए विश्वास के खून की सजा अभी तक मुकर्रर नहीं हो सकी है. इसलिए इस विश्वासघात को खुद ही रोकने की कोशिश करें.

मैरिड लाइफ की प्रौब्लम के लिए कोई आसान टिप्स बताएं?

सवाल-

मैं 37 साल की हूं. सैक्स के दौरान चरम पर नहीं पहुंच पाती. इस से मन बेचैन रहने लगा है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

यह महिलाओं में एक आम समस्या है, जिसे दवा से ज्यादा आप खुद ही दूर कर सकती हैं.

इस बारे में आप पति से बात करें. सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएं और हलका भोजन करें. सैक्स के दौरान जल्दबाजी दिखाने से भी यह समस्या होती है. इसलिए बेहतर होगा कि सैक्स से पहले फोरप्ले की प्रक्रिया अपनाएं, जो लंबी हो.

इस मामले में गलती पुरुषों की भी होती है. सैक्स को निबटाने की सोच रखने वाले ऐसे पुरुषों की संख्या ज्यादा है, जो खुद की संतुष्टि को ही ज्यादा तवज्जो देते हैं और सैक्स के तुरंत बाद करवट बदल कर सो जाते हैं.

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बेहतर होगा कि सैक्स से पहले ऐसा माहौल बनाएं जो सैक्स प्रक्रिया को उबाऊ न बना कर प्यारभरा व रोमांचक बनाए.

सैक्स से पहले कमरे में मध्यम रोशनी के बीच मधुर आवाज में संगीत चला दें, एकदूसरे से प्यारभरी बातें करें, एकदूसरे के अंगों की तारीफ करें यानी देर तक फोरप्ले करने के बाद ही सैक्स करें. यकीनन ऐसा करने से आप की समस्या दूर हो जाएगी.

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कोरोना काल में सेक्स सबसे बडी परेशानी का सबब बन गया है. बिना तैयारी के सेक्स से गर्भ ठहरने लगाहै. उम्रदराज लोगों के सामने ऐसी परेशानियां खडी हो गई है. स्कूल बंद होने से बच्चों के घर पर रहने से पति पत्नी को अपने लिये समय निकालना मुश्किल होने लगा. बाहर आना जाना बंद हो गया. कभी पति के पास समय है तो कभी पत्नी का मूड नहीं. कभी पत्नी का मूड बना तो पति को औनलाइन वर्क से समय नहीं. ऐसे में आपसी तनाव, झगडे और जल्दी सेक्स की आदत आम होने लगी है. जिस वजह से आपसी झगडे बढने लगे है. ऐसे में जरूरी है कि आपस में समय तय करके सेक्स करे. जिससे आपसी झगडे कम होगे तालमेल बढेगा.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कश्मीर : हसीन वादियां बुलाएं बारबार

जम्मूकश्मीर की खूबसूरत वादियां और बर्फीले पहाड़ सैलानियों को बारबार यहां आने के लिए मजबूर करते हैं. इन गरमियों में आप भी जम्मूकश्मीर की फिजाओं में पर्यटन के नए अनुभवों से वाबस्ता हो कर मन और तन को सुकून दे सकते हैं.

आतंक के लंबे सिलसिले के बावजूद आज भी कश्मीर में दुनियाभर के सैलानी पहुंचते हैं और डल झील से ले कर गुलमर्ग तक सैरसपाटे करते हैं. अपने पहाड़ी स्वभाव और अपने मूल व्यवसाय के कारण यहां के लोग सैलानियों को सिरआंखों पर बैठाते हैं.

जम्मूकश्मीर हिमालय की बर्फीली पहाडि़यों पर भारत के मुकुट जैसा सजा हुआ है. अलगअलग ऊंचाइयों वाले इस के 3 हिस्से हैं. निचले हिस्से वाला जम्मू, मध्य हिस्से वाला कश्मीर और सब से ऊंचे हिस्से वाला लद्दाख.

जम्मू और श्रीनगर जाने के लिए दिल्ली से पठानकोट के रास्ते पहुंचा जा सकता है, जबकि लद्दाख के लिए दिल्ली से मनाली के रास्ते से हो कर जाया जा सकता है. श्रीनगर के लिए जम्मू के रास्ते से और लेह व लद्दाख को मनाली के रास्ते से दिल्ली और चंडीगढ़ से सीधी बसें हैं. लेह वाली बसें मनाली से आगे केलंग में एक रात के लिए रुकती हैं. मुसाफिर आसपास के होटलों में ठहरते हैं. पर्यटन विभाग की बसों के यात्री पर्यटक तंबुओं में ठहरते हैं.

श्रीनगर

श्रीनगर यानी सौंदर्य का नगर. समुद्रतल से 1,730 मीटर की बुलंदी पर यह कश्मीर का सब से बड़ा नगर है. यह  झेलम और डल झील के खूबसूरत किनारों पर बसा हुआ है. एक विशाल और मैदानी भूखंड के रूप में श्रीनगर चारों ओर फैली पर्वतमालाओं से घिरा है. यहां के सुंदर बाग, कलात्मक इमारतें, देवदार और चिनार के पेड़ इसे वास्तव में धरती पर एक बहुत ही खूबसूरत रूप देते हैं. गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग इस रूप में नगीनों जैसे लगते हैं. हर कहीं लोकल बसों से जुड़े श्रीनगर में टैक्सी और तिपहिया कदमकदम पर उपलब्ध हैं. डल झील के विशाल विस्तार के आरपार जाने के लिए हर कोने पर शिकारे और नौकाएं मिलती हैं. डलगेट पर सुस्ताते मुसाफिर अपने कार्यक्रम बनाते मिलते हैं.

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दर्शनीय स्थल

डल झील और डलगेट : यह झील नगर के पूर्व में 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है. कभी इस का विस्तार 28 वर्ग किलोमीटर था. डलगेट इस  झील का वह पहला छोर है, जहां सैलानी सब से ज्यादा घूमतेफिरते हैं.

श्रीनगर के केंद्र लालचौक से डलगेट ढाई किलोमीटर है. पर्यटक स्वागत केंद्र पास ही है. यहां ठहरने के लिए हर प्रकार के होटल, गैस्टहाउस, हाउसबोट और मकान बड़ी संख्या में मौजूद हैं. रेस्तराओं की कतारें लगी हैं. मुख्य स्थानों पर सेना व पुलिस की मौजूदगी सैलानियों को निश्ंिचत रखती है.  झील के टापू पर बना नेहरू पार्क सब को आकर्षित करता है. पास ही चारचिनार नामक नन्हा टापू है. श्रीनगर के तमाम मशहूर बाग डल झील के तटों से जुड़े हैं. डल झील से बनी नगीन  झील भी दर्शनीय है.

निशात बाग :  झील के दाहिने किनारे पर बना यह सब से बड़ा मुगल गार्डन है. नगर से 8 किलोमीटर दूर यह बाग फूलों, फौआरों और पेड़ों से सजा हुआ है. इस की दूसरी ओर से पर्वत दिखाई देते हैं.

शालीमार बाग : इसे जहांगीर ने अपनी बीवी नूरजहां के लिए 1616 में बनवाया था. निशात बाग से 4 किलोमीटर आगे एक पहाड़ की तलहटी पर यह फूलों व वनों से मालामाल बाग है. फौआरे और सीढ़ीदार  झरने इसे अनोखा रूप देते हैं. निशात बाग की तरह ही यहां से भी सैलानी सामने की पर्वतमालाओं और डल झील के विस्तार को देख सकते हैं.

बोटैनिकल गार्डन : शालीमार बाग से डलगेट की ओर लौटते हुए एक संपर्क मार्ग से कुछ ही मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है. मखमली भूखंडों के बीच पहाड़ की ढलान पर फैले इस वनस्पति पार्क में दुनियाभर के अनोखे फूल, विविध वनस्पतियां और पेड़ मौजूद हैं. यहां एक छोटी  झील में नौकाविहार किया जा सकता है.

चश्मे शाही : इस बाग को शाहजहां ने बनवाया था. बोटैनिकल गार्डन के दाईं तरफ यह बाग अनोखी खूबसूरती का एक नमूना है.

परी महल : यह महल पहले बौद्ध मठ था. शहर से 11 किलोमीटर दूर इस जगह को बाद में शाहजहां के बेटे दारा शिकोह ने सूफी शिक्षाकेंद्र बनाया. यहां से डल झील को नए रूप में देखा जा सकता है.

सुलेमान पहाड़ : यह नगर से 1 हजार फुट की ऊंचाई पर है. यहां से श्रीनगर शहर, डल झील, बागों और बर्फीले पहाड़ों को देखना रोमांचक है.

हजरत बल : डलगेट से 6 किलोमीटर दूर  झील के पश्चिम तट पर और निशात बाग के बिलकुल सामने यह शाहजहां की बनवाई मसजिद है. इस के पीछे अकबर का बनवाया नसीम बाग है, जिस में चिनार के बहुत पुराने पेड़ हैं. यहां बैठ कर कुदरत के नजारों को देखना दिलचस्प है.

लाल चौक : यह श्रीनगर का प्रमुख बाजार है. यहां स्थानीय लोगों को भारी संख्या में देखा जाता है. इस के इर्दगिर्द शहर के अनेक बाजार हैं. लाल चौक क्षेत्र में सस्ते दामों में कपड़े, जूते और सजावट के सामान खरीदे जा सकते हैं.

बाहरी दर्शनीय स्थल

गुलमर्ग : श्रीनगर से गुलमर्ग 52 किलोमीटर दूर समुद्रतल से 2,730 मीटर की ऊंचाई पर है. वास्तव में यह फूलों और मखमली भूखंडों से सजी नूरानी घाटी है. वैसे यहां पानी की कमी नहीं है क्योंकि चारों ओर देवदारों और बर्फ से ढके पहाड़ों से गुलमर्ग तक पानी आता है, जिस से कुछ तालाब बनाए गए हैं.

सोनमर्ग : श्रीनगर-लेह मार्ग पर सोनमर्ग 86 किलोमीटर दूर कश्मीर की आखिरी घाटी है. सिंध नदी के किनारे समुद्रतल से 2,740 मीटर की ऊंचाई पर इस का समूचा इलाका सोने जैसी रंगत के फूलों से सजा हुआ है. इसे खूबसूरत और खतरनाक ढलानों के लिए भी जाना जाता है. यहां से जोजिला पास, कारगिल और लद्दाख के लिए रास्ता जाता है.

पहलगाम : जम्मूश्रीनगर मार्ग पर अनंतनाग है, जहां से 42 किलोमीटर दूर स्थित पहलगाम को रास्ता जाता है. लिद्दर नदी के तट पर बसे पहलगाम का अर्थ ‘गड़रियों का गांव’ है. कहा जाता है कि ईसा ने यहां अपने अज्ञातवास के कुछ वर्ष बिताए थे. यहां बर्फीले पर्वत, घने जंगल, सुंदर वन,  झरने, मखमली भूखंडों पर बहती जलधाराएं और कुदरत के करिश्मे एक नजर में देखे जा सकते हैं. श्रीनगर से 61 किलोमीटर दूर मट्टन नामक जगह पहलगाम जाने वालों के लिए अच्छा विश्रामस्थल है. यहां एक सुंदर झरना भी है.    -सैन्नी अशेष

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लेह लद्दाख

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से सटा लेह व लद्दाख भले ही आम लोगों की नजरों में छिपा हुआ हो लेकिन पर्यटकों के लिए लद्दाख नया नहीं है. पर्वतारोहण के लिए यह इलाका दशकों से आकर्षण का केंद्र है. लेह व लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य के दुर्गम इलाके हैं. विदेशी पर्यटकों का हमेशा से ही लद्दाख में आवागमन रहा है लेकिन आम लोगों के लिए लद्दाख तब से आकर्षण का केंद्र बना जब से फिल्म ‘थ्री इडियट’ में लद्दाख की हसीन वादियों के कई  दृश्यों का फिल्मांकन दिखाया गया. खासतौर पर पेंगगांग जहां पर खूबसूरत बीच में समुद्र के पानी में तीनों रंगों का संगम है और चारों तरफ पहाडि़यों की चादर है. इसी तरह वह स्कूल जहां पर आमिर खान बच्चों को पढ़ाते हैं. वह खूबसूरत स्कूल भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है.

लद्दाख जाना लोगों को मुश्किल लगता था क्योंकि आम लोगों की यह धारणा रही है कि वहां पर आतंकवादियों का बसेरा है. लेकिन अब पिछले कुछ सालों से लेह लद्दाख भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हो रहा है. कुछ लोगों में यह धारणा भी थी कि लद्दाख भारत के बाहर है और वहां जाने के लिए पासपोर्ट लगता है. लेकिन अब ये सारी गलत धारणाएं दूर हो गई हैं और अब तो ट्रैवलिंग सर्विस और विमान सेवा की बदौलत लेह व लद्दाख जाना आसान और संभव भी हो गया है.

रास्ते खुले हों तो मनाली के रास्ते दिल्ली से लेह की बसें 1,045 किलोमीटर के रास्ते पर रोज आतीजाती हैं. बस या टैक्सी से मनाली से लेह तक का सफर बड़ा रोमांचक है.

मैं ऐसे समय में लद्दाख पहुंची जब वहां पर सिंधु नदी पर सिंधु त्योहार मनाया जाता है. इस अवसर पर वहां सांस्कृतिक ढंग से नाचगाना, लोकनृत्य, पोलो मैच आदि का आयोजन किया जाता है.

सिंधु उत्सव का आनंद उठाने के बाद जब मैं ने लेहलद्दाख की हसीन वादियों का आनंद उठाने के लिए यात्रा शुरू की तो मैं ने पहाड़ों की कटीली वादियों के बीच ज्यादातर बौद्ध स्तूप पाए जो तकरीबन 500 साल पुराने थे. पहाड़ों की चोटियों से घिरे लद्दाख की खूबसूरती देखते बनती थी.

कई जगहों पर पथरीले पहाड़ों पर बर्फ की चादर सी बिछी थी. लद्दाख की यात्रा के दौरान मुलतानी मिट्टी के पहाड़ के अलावा हमें जो मुख्य आकर्षण देखने को मिले वे थे सफेद रंग का बना हुआ शांति के प्रचार के लिए जापानी बुद्धिस्ट हिल टौप चैंगस्पा का बनाया हुआ शांति स्तूप, लेमायक हैफिस, हिक्से अल्ची, लेह का महल जोकि 17वीं शताब्दी में बना और उस में तिब्बत की कलाकृतियां देखने को मिलती हैं. हौल औफ फेम म्यूजियम जिस में लद्दाख की सांस्कृतिक कलाकृतियां, गौडेस तारा, पुरानी बंदूकें और पुराने सिक्के आदि का अच्छा संग्रह है.

लेह मार्केट में खूबसूरत मफलर, खूबसूरत लद्दाखी गहने, मास्क, प्रेयर व्हील आदि सजे हुए थे. हिमस मोनैस्ट्री वहां की प्रसिद्ध विशाल मोनैस्ट्री है. इस के अलावा एक जगह डबल हम्प है जहां अलग प्रकार के लद्दाखी ऊंट पाए जाते हैं. इन ऊंटों की खासीयत यह है कि इन के बाल सिल्क जैसे होते हैं और ये ऊंचाई में अन्य ऊंटों के मुकाबले अलग होते हैं.

कहां ठहरें

लेह के मुख्य बाजार, कारजू लेन, पर्यटन कार्यालय रोड, चांग्स्पा बाजार, शांति स्तूप रोड और आसपास के बाजारों में काफी होटल और गैस्टहाउस हैं. इस के अलावा कई लोगों ने अपने घरों में भी सैलानियों के लिए ठहरने की व्यवस्थाएं कर रखी हैं.

-आरती सक्सेना

पटनीटौप

जम्मू से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पटनीटौप घने देवदार, चीड़ के जंगल, कलकल करते  झरने, बर्फ से ढकी चोटियों और भीड़भाड़ से दूर कम आबादी वाला स्थान है. चिनाब की घाटी का सौंदर्य, मनलुभावन वादियां और कोहरे के बीच यहां का प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. पटनीटौप पहुंचने के लिए जम्मू और कटरा से नियमित बस सेवा के साथसाथ टैक्सी भी मिलती है.

यहां गरमी की छुट्टियों में लोग सर्दियों का मजा उठाते हैं. सर्दियों में यहां पैराग्लाइडिंग और स्कीइंग का अलग ही आनंद होता है. यहां आ कर सैलानी गोल्फ खेलने का भी लुत्फ खूब उठाते हैं. पटनीटौप में ठहरने के लिए राज्य पर्यटन विभाग के कई टूरिस्ट बंगले और होटल हैं.

दर्शनीय स्थलों में किस्तवाड़ एक अच्छा ट्रैकिंग स्थल है. पटनीटौप से 17 किलोमीटर दूर सनासर की खूबसूरती बेमिसाल है. प्याले के आकार की शांत व सुरम्य इस घाटी के चारों ओर हरेभरे मैदान हैं.

पटनीटौप की पर्वतश्रेणियों की ढलान पर मनोरम स्थान ‘बटोट’ चिनाब की घाटियों का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है. पटनीटौप से लगभग 11 किलोमीटर दूर शिवगढ़ मरीजों के स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयुक्त जगह है क्योंकि यहां की हवा व पानी बहुत शुद्ध हैं.

फिल्मों में कश्मीर की हसीन वादियां देख कर मेरा मन वहां जाने के लिए उतावला था इसलिए शादी के बाद हनीमून मनाने वहीं गए. वाकई वहां पहुंच लगा कि वहां की हसीन वादियों में बिताए हसीन पल कभी नहीं भूल सकते.

-सरिता कश्यप, नई दिल्ली

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