वैजाइनल डिस्चार्ज की प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल

मैं 19 साल की युवती हूं. इधर कुछ समय से जब भी मैं कोई सैक्सुअली रोमांटिक उपन्यास पढ़ती हूं या कोई ऐसेवैसे चित्र देखती हूं तो मेरे शरीर में अजीब सी हलचल मच जाती है. मन में कामुक विचार गहरा उठते हैं और योनि से डिस्चार्ज होने लगता है. समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं? घर में कोई ऐसा नहीं जिस से यह बात बांट सकूं. कृपया मार्गदर्शन करें?

जवाब

आप बिलकुल परेशान न हों. मन में कामुक विचार जाग्रत होने पर योनि की तरलता का बढ़ना बिलकुल स्वाभाविक है. इस का संबंध मस्तिष्क में पाए जाने वाले सैक्स सैंटर से है. जब भी यह सैंटर उत्तेजित होता है, स्पाइनल कोर्ड और कुछ विशेष तंत्रिकाओं में अपने आप आवेग उत्पन्न होता है और उस से प्रेरित संदेश से पेट के निचले भाग के अंगों में खून का दौरा बढ़ जाता है.

इसी से योनि के भीतर लबलबापन उत्पन्न हो जाता है और यह भीतर ही भीतर तरल हो उठती है. यह प्राकृतिक मैकेनिज्म शारीरिक मिलन की क्रिया को सहज बनाने के लिए रचा गया है.

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योंतो महिलाओं में वैजाइनल डिस्चार्ज होना आम बात है और इसे हैल्दी भी माना जाता है साथ ही यह फीमेल प्राइवेट पार्ट को खुजली, इन्फैक्शन और सूखेपन से भी बचाता है, मगर जब कई बार यह डिस्चार्ज नौर्मल न हो तो सावधानी बरतना जरूरी है. इस डिस्चार्ज को ले कर अधिकतर महिलाएं आमतौर पर कन्फ्यूज हो जाती हैं कि उन्हें कब डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. आइए, जानते हैं स्त्री रोगों की जानकार डा. सुषमा चौधरी से वैजाइनल डिस्चार्ज के बारे में:

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जब वैजाइनल डिस्चार्ज का बदले रंग

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बहनों के बीच जब हो Competition

” वाह इस गुलाबी मिडी में तो अपनी अमिता शहजादी जैसी प्यारी लग रही है,” मम्मी से बात करते हुए पापा ने कहा तो नमिता उदास हो गई.

अपने हाथ में पकड़ी हुई उसी डिज़ाइन की पीली मिडी उस ने बिना पहने ही आलमारी में रख दी. वह जानती है कि उस के ऊपर कपड़े नहीं जंचते जब कि उस की बहन पर हर कपड़ा अच्छा लगता है. ऐसा नहीं है कि अपनी बड़ी बहन की तारीफ सुनना उसे बुरा लगता है. मगर बुरा इस बात का लगता है कि उस के पापा और मम्मी हमेशा अमिता की ही तारीफ करते हैं.

नमिता और अमिता दो बहनें थीं. बड़ी अमिता थी जो बहुत ही खूबसूरत थी और यही एक कारण था कि नमिता अक्सर हीनभावना का शिकार हो जाती थी. वह सांवलीसलोनी सी थी. मांबाप हमेशा बड़ी की तारीफ करते थे. खूबसूरत होने से उस के व्यक्तित्व में एक अलग आकर्षण नजर आता था. उस के अंदर आत्मविश्वास भी बढ़ गया था. बचपन से खूब बोलती थी. घर के काम भी फटाफट निबटाती. जब कि नमिता लोगों से बहुत कम बात करती थी.

मांबाप उन के बीच की प्रतिस्पर्धा को कम करने की बजाय अनजाने ही यह बोल कर बढ़ाते जाते थे कि अमिता बहुत खूबसूरत है. हर काम कितनी सफाई से करती है. जब की नमिता को कुछ नहीं आता. इस का असर यह हुआ कि धीरेधीरे अमिता के मन में भी घमंड आता गया और वह अपने आगे नमिता को हीन समझने लगी.

नतीजा यह हुआ कि नमिता ने अपनी दुनिया में रहना शुरू कर दिया. वह पढ़लिख कर बहुत ऊँचे ओहदे पर पहुंचना चाहती थी ताकि सब को दिखा दे कि वह अपनी बहन से कम नहीं. फिर एक दिन सच में ऐसा आया जब नमिता अपनी मेहनत के बल पर बहुत बड़ी अधिकारी बन गई और लोगों को अपने इशारों पर नचाने लगी.

यहां नमिता ने प्रतिस्पर्धा को सकरात्मक रूप दिया इसलिए सफल हुई. मगर कई बार ऐसा नहीं भी होता है कि इंसान का व्यक्तित्व उम्र भर के लिए कुंद हो जाता है. बचपन में खोया हुआ आत्मविश्वास वापस नहीं आ पाता और इस प्रतिस्पर्धा की भेंट चढ़ जाता है.

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अक्सर दो सगी बहनों के बीच भी आपसी प्रतिस्पर्धा की स्थिति पैदा हो जाती है. खासतौर पर ऐसा उन
परिस्थितियों में होता है जब माता पिता अपनी बेटियों का पालनपोषण करते समय उन से जानेअनजाने किसी प्रकार का भेदभाव कर बैठते हैं. इस के कई कारण हो सकते हैं;

किसी एक बेटी के प्रति उन का विशेष लगाव होना- कई दफा मांबाप के लिए वह बेटी ज्यादा प्यारी हो जाती जिस के जन्म के बाद घर में कुछ अच्छा होता है जैसे बेटे का जन्म, नौकरी में तरक्की होना या किसी परेशानी से छुटकारा मिलना. उन्हें लगता है कि बेटी के कारण ही अच्छे दिन आए हैं और वे स्वाभाविक रूप से उस बच्ची से ज्यादा स्नेह करने लगते हैं.

किसी एक बेटी के व्यक्तित्व से प्रभावित होना – हो सकता है कि एक बेटी ज्यादा गुणी हो, खूबसूरत हो, प्रतिभावान हो या उस का व्यक्तित्व अधिक प्रभावशाली हो. जब कि दूसरी बेटी रूपगुण में औसत हो और व्यक्तित्व भी साधारण हो. ऐसे में मांबाप गुणी और सुंदर बेटी की हर बात पर तारीफ करना शुरू कर देते हैं. इस से दूसरी बेटी के दिल को चोट लगती है. बचपन से ही वह एक हीनभावना के साथ बड़ी होती है. इस का असर उस के पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है.

बहनों के बीच यह प्रतिस्पर्धा अक्सर बचपन से ही पैदा हो जाती है. बचपन में कभी रंगरूप को ले कर, कभी मम्मी ज्यादा प्यार किसे करती है और कभी किस के कपड़े / खिलौने अच्छे है जैसी बातें प्रतियोगिता की वजह बनती हैं. बड़े होने पर ससुराल का अच्छा या बुरा होना, आर्थिक संपन्नता और जीवनसाथी कैसा है जैसी बातों पर भी जलन या प्रतिस्पर्धा पैदा हो जाती है. बहने जैसेजैसे बड़ी होती हैं वैसेवैसे प्रतिस्पर्धा का कारण बदलता जाता है. यदि दोनों एक ही घर में बहू बन कर जाए तो यह प्रतिस्पर्धा और भी ज्यादा देखने को मिल सकती है |

पेरेंट्स भेदभाव न करें

अनजाने में मातापिता द्वारा किए हुए भेदभाव के कारण बहनें आपस में प्रतिस्पर्धा करने लगती हैं. उन के स्वभाव में एकदूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष पनपने लगता है. यही द्वेष प्रतिस्पर्धा के रूप में सामने आता है और एक दूसरे से अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ती.

इस के विपरीत यदि सभी संतान के साथ समान व्यवहार किया गया हो और बचपन से ही उन के मन में बिठा दिया जाए कि कोई किसी से कम नहीं है तो उन के बीच ऐसी प्रतियोगिता पैदा नहीं होगी. यदि दोनों को ही शुरू से समान अवसर, समान मौके और समान प्यार दिया जाए तो वे प्रतिस्पर्धा करने के बजाए हमेशा खुद से ज्यादा अहमियत बहन की ख़ुशी को देंगी.

40 साल की कमला बताती हैं कि उन की 2 बेटी हैं. उन की उम्र क्रमश: 7 और 5 साल है. छोटीछोटी चीजों को ले कर अकसर वे आपस में झगड़ती हैं. उन्हें हमेशा यही शिकायत रहती है कि मम्मी मुझ से ज्यादा मेरी बहन को प्यार करती हैं.

दरअसल इस मामले में दोनों बेटियों के बीच मात्र दो साल का अंतर है. जाहिर है जब छोटी बेटी का जन्म हुआ होगा तो मां उस की देखभाल में व्यस्त हो गयी होंगी. इस से उस की बड़ी बहन को मां की ओर से वह प्यार और अटेंशन नहीं मिल पाया होगा जो उस के लिए बेहद जरूरी था. जब दो बच्चों के बीच उम्र का इतना कम फासला हो तो दोनों पर समान रूप से ध्यान दे पाना मुश्किल हो जाता है.

इस तरह लगातार के बच्चे होने पर बहुत जरूरी है कि उन दोनों के साथ बराबरी का व्यवहार किया जाए. नए शिशु की देखभाल से जुड़ी एक्टिविटीज में अपने बड़े बच्चे को विशेष रूप से शामिल करें. छोटे भाई या बहन के साथ ज्यादा वक्त बिताने से उस के मन में स्वाभाविक रूप से अपनत्व की भावना विकसित होगी. रोजाना अपने बड़े बच्चे को गोद में बिठा कर उस से प्यार भरी बातें करना न भूलें. इस से वह खुद को उपेक्षित महसूस नहीं करेगा.

प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप में लें

आपस में प्रतिस्पर्धा होना गलत नहीं है. कई बार इंसान की उन्नति / तरक्की या फिर कहिए तो उस के व्यक्तित्व का विकास प्रतिस्पर्धा की भावना के कारण ही होता है. यदि एक बहन पढ़ाई, खेलकूद, खाना बनाने या किसी और तरह से आगे है या ज्यादा चपल है तो दूसरी बहन कहीं न कहीं हीनभावना का शिकार होगी. उसे अपनी बहन से जलन होगा. बाद में कोशिश करने पर वह किसी और फील्ड में ही भले लेकिन आगे बढ़ कर जरूर दिखाती है. इस से उस की जिंदगी बेहतर बनती है. इसलिए प्रतिस्पर्धा को हमेशा सकारात्मक रूप में लेना चाहिए.

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रिश्ते पर न आए आंच

अगर दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा है तो यह महत्वपूर्ण है कि आप उसे टैकल कैसे करती हैं. आप का उस के प्रति रवैया कैसा है. प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप में लीजिए और इस के कारण अपने रिश्ते को कभी खराब न होने दीजिए. याद रखिए दो बहनों का रिश्ता बहुत खास होता है. आज के समय में वैसे भी ज्यादा भाईबहन नहीं होते है. यदि बहन से आप का रिश्ता खराब हो जाए तो आप के मन में जो खालीपन रह जाएगा वह कभी भर नहीं सकता. क्योंकि बहन की जगह कभी भी दोस्त या रिलेटिव नहीं ले सकते. बहन तो बहन होती है. इसलिए रिश्ते में पनपी इस प्रतिस्पर्धा को कभी भी इतना तूल न दें कि वह रिश्ते पर चोट करे.

#Coronavirus: ब्लैक फंगस के बढ़ते केस

डॉ. शालीना रे,-कन्सल्टेंट – कान, नाक और गला विशेषज्ञ, मणिपाल हॉस्पिटल्स,व्हाइटफील्ड

म्युकर माइकोसिस एक जानलेवा फंगल इन्फेक्शन है जिसे साधारण भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता है. यह इन्फेक्शन माईक्रोमाईसेट्स नामक जंतुओं के समूह के कारण होता है. यह असाधारण इन्फेक्शन है, जो साधारण तौर पर जिनकी प्रतिकार शक्ति कम होती है या बीमार होतें है उन मरीजों में इस इन्फेक्शन की केसेस साल में साधारण 3 से 4 पायी जाती थी. पर अब इस की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. यह फंगस अधिक मात्रा में अब कोविड-19 के मरीजों में पाया जा रहा है. दूसरी लहर के बाद हम इस इन्फेक्शन को बढ़ते हुए देख रहें है विशेष रूप से ऐसे मरीजों में जो कोविड के लिए पॉजिटिव होने के 15 से 30 दिनों के भीतर इस के शिकार हो रहे है. मरीज़ जिनकी प्रतिरक्षा क्षमता कम है, मधुमेह से पीड़ित और जो मरीज स्टेरॉईड्स ले रहें है उन्हें ब्लैक फंगस का शिकार होने का खतरा बना रहता है. उपचारों के बावजूद ब्लैक फंगस के मरीजों के मृत्यू की दर 50 प्रतिशत से अधिक होती है. अगर जल्द निदान किया जाए तो इस पर इलाज किया जा सकता है.

प्रमुख लक्षण

1. बहती नाक

2. आँखों में सूजन

3. नाक या साइनस में जमाव

4. चेहरे की एक ओर सुन्नपन

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5. चेहरे में या सिर में दर्द

6. दांत में दर्द

7. देखने में तकलीफ या धुंधला

8. त्वचा में फीकापन

शरीर के जिस भाग पर इस का असर हुआ है उसके अनुसार जिस व्यक्ती को ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते है हो उसे न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन,ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र विशेषज्ञ या दंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. नाक की
लाईनिंग की जांच करते हुए कही नाक में फीकापन तो नही या सूजन, खरोंचें नहीं यह देखा जाता है. बीमारी कितनी है उस के अनुसार सीटी स्कैन या एमआरआई किया जाता है. यह फंगस जानलेवा होने से पहले ईएनटी सर्जन द्वारा
या आप्थाल्मालॉजिस्ट की सहायता से मरी हुई पेशियों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद मरीज को अम्फोटेरिसिन बी इस एंटीफंगल दवाइयां दी जाती है.

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म्युकर माइकोसिस यह एक गतिशीलता से बढ़ने वाला इंजेक्शन है. साधारण तौर पर फंगल स्टोअर्स मिट्टी और वातावरण में फैले होते है तथा साधारण निरोगी व्यक्ती पर उनका कोई असर नहीं होता. पर कोविड के कारण प्रतिकार शक्ति कम हो जाती है और कोविड में अधिक मात्रा में स्टेरॉईड्स देने के कारण तथा अनियंत्रित मधुमेह के कारण इस फंगस को बढ़ने के लिए योग्य वातावरण मिल जाता है. यह हमारे शरीर की पहली रक्षा प्रणाली होती है पर अगर उसे तोड़ने में कामयाबी मिले तो यह सीधे तौर पर अवयवों तक पहुच सकता है और संक्रमण कर सकता है. मधुमेह मरीजों में इस इन्फेक्शन का खतरा काफी मात्रा में होता है. अगर इस फंगस को नाक या साइनस में जल्द ही देखा जाय तो उसका निर्मूलन गतिशीलता से किया जा सकता है. अगर यह फंगस फेफड़े, मस्तिष्क या आँखों जैसे अंतर्गत अवयवों तक पहुच जाता है तो काम कठिन हो जाता है तथा इस से उपचार करते वक्त पेशियों या अवयव को खोने की नौबत आ सकती है.

इस घातक फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए आप को काफी सतर्क होना जरूरी है और निम्नलिखित उपाय तुरंत करने होंगे –

1. स्टेरॉइड्स का उपयोग संभालकर करें

2. मधुमेह और शक्कर के प्रमाण पर ध्यान दें और उसे नियंत्रण में रखें

3. अपनी नाक को सलाईन से धोएं

4. मास्क पहनें

5. जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करें

फेस लिफ्ट सर्जरी कराने से पहले ध्यान रखें कुछ ज़रूरी बातें

डॉ कुलदीप सिंह, सीनियर कन्सलटेन्ट, डिपार्टमेन्ट ऑफ प्लास्टिक,
रीकन्सट्रक्टिव एण्ड एस्थेटिक सर्जरी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्प्टिल्स,
नई दिल्ली

अक्सर देखा जाता है कि उम्र बढ़ने और तनावपूर्ण जीवनशैली के साथ, लोगों के चेहरे की त्वचा के टिश्यूज़ ढीले पड़ने लगते हैं. धीरे-धीरे नाक और मुंह के आस-पास झुर्रियां और फाईन लाईन्स बनने लगती हैं, त्वचा के ढलकने के साथ लोगों का आत्मविश्वास कम होने लगता है. हाल ही के वर्षों में कॉस्मेटिक एंटी-एजिंग प्रक्रियाएं बहुत अधिक लोकप्रिय हुई हैं. कुछ लोग अपने चेहरे की त्वचा को बेहतर बनाने के लिए कम इनवेसिव तकनीकें चुनते हैं जैसे इंजेक्शन और डर्मल फिलर. ये प्रक्रियाएं शुरूआती अवस्था में उपयोगी होती हैं. किंतु कुछ लोग फेशियल रेजुवनेशन सर्जरी जैसे फेस लिफ्ट सर्जरी का विकल्प चुनते हैं.

फेसलिफ्ट क्या है

फेसलिफ्ट या र्हाईटिडेक्टोमी, एक तरह की कॉस्मेटिक सर्जरी है, जो चेहरे की त्वचा को अधिक जवां और स्वस्थ बनाती है. पहले इस सर्जरी में चेहरे और गर्दन की त्वचा को टाईट किया जाता था, लेकिन आधुनिक सर्जरी से चेहरे एवं गर्दन की त्वचा की ढीली मांसपेशियों को टाईट किया जा सकता है, साथ ही चेहरे की त्वचा से अतिरिक्त फेशियल फैट को भी निकाला जाता है.

उम्र के कारण होने वाले बदलाव जिन्हें फेसलिफ्ट सर्जरी से कम किया जा सकतका है

o नीचले जबड़े की शेप में सध्ुार

o नाक से लेकर मुंह के कोने तक की फाईन लाईन्स को हल्का करना

o गालों में कसावट

o त्वचा में कसावट और गर्दन से अतिरिक्त फैट निकालना (डबल चिन और वीक बैण्ड्स)

शोधकर्ताओं का कहना है कि फेशियल इंजेक्शन का असर आठ महीने से दो साल तक
रहता है, जबकि फेस लिफ्ट सर्जरी कई सालों तक चलती है.

कौन इसे करवा सकता है?

जिन लोगों के चेहरे के त्वचा में उम्र बढ़ने के साथ उपरोक्त लक्षण दिखाई
दें, वे इसे करवा सकते हैं. निम्नलिखित लोग ही फेसलिफ्ट सर्जरी करवा सकते
हैं

o सेहतमंद लोग जिन्हें कोई बीमारी न हो.

o वे लोग जो धूम्रपान या शराब का सेवन न करते हों.

o वे लोग जिन्हें सर्जरी से सही उम्मीद ही हो.

फेसलिफ्ट सर्जरी के फायदे

o चेहरे की मांसपेशियों को टाईट करती है और त्वचा में कसावट लाती है.

o जबड़े और गर्दन की शेप में सुधार लाती है.

o यह पुरूषों के लिए भी फायदेमंद है.

o व्यस्कों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं.

o इसे अन्य रेजुवनेशन प्रक्रियाओं जैसे ब्रो लिफ्ट के साथ करवाया जा सकता है.

o सर्जरी के कारण होने वाले निशान छिपा दिए जाते हैं जो दिखाई नहीं देते.

o प्राकृतिक दिखने वाले परिणाम-जिससे त्वचा लम्बे समय तक जवां दिखती है.

फेसलिफ्ट सर्जरी के जोखिम या साईड-इफेक्ट

हर सर्जरी के कुछ जोखिम या साईड-इफेक्ट होते हैं. फेसलिफ्ट सर्जरी के भी
कुछ जोखिम हो सकते हैं.

o एनेस्थेसिया का गलत रिएक्शन

o खून बहना

o इन्फेक्शन

o ब्लड क्लॉट

o दर्द

o लम्बे समय तक सूजन

o घाव भरने में परेशानी

उचित देखभाल, दवाओं या सर्जिकल सुधार द्वारा इन समस्याओं को ठीक किया जा
सकता है. हालांकि कुछ स्थायी और दुर्लभ जटिलताओं के कारण लुक में बदलाव
भी आ सकते हैं, जैसे

o हीमेटोमा

o घाव के निशान

o तंत्रिकाओं को चोट पहुंचना

o चीरा लगने के स्थान पर बाल न रहना

o त्वचा में नुकसान

कुछ बीमारियों और जीवनशैली की आदतें भी जटिलताओं का कारण बन सकती हैं.
निम्नलिखित कारणों से कुछ प्रतिकूल परिणाम भी हो सकते हैंः

o अगर मरीज़ ब्लड थिनर दवाएं या सप्लीमेन्ट लेता हो- ये दवाएं खून को
पतला करती हैं, जिसका असर ब्लड क्लॉटिंग की क्षमता पर पड़ता है और सर्जरी
के बाद हीमेटोमा की संभावना बढ़ जाती है.

o अन्य बीमारियां- अगर मरीज़ को डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर आदि समस्याएं हों
तो घाव भरने में मुश्किल आ सकती है, हीमेटोमा या दिल की बीमारियों की
संभावना बढ़ जाती है.

o धूम्रपान एक गंभीर कारक है, अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो सर्जरी से दो सप्ताह पहले धूम्रपान बंद कर दें और सर्जरी के बाद भी 2 सप्ताह तक धूम्रपान न करें.

o वज़न में उतार-चढ़ाव-अगर आपके वज़न में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, तो सर्जरी के बाद चेहरे की शेप पर प्रभाव पड़ सकता है, हो सकता है कि सर्जरी से आपको मनचाहे परिणाम न मिलें.

प्रक्रिया- पहले और दौरान

कॉस्मेटिक सर्जन सुझाव देते हैं कि पूरी प्रक्रिया जाने-माने अस्पताल में की जानी चाहिए. सर्जरी शुरू करने से पहले मरीज़ को जनरल एनेस्थेसिया दिया जाता है, कई बार सीडेशन के साथ लोकल एनेस्थेसिया देना पड़ता है.

त्वचा को टाईट करने की प्रक्रिया के दौरान, टिश्यूज़, मसल्स में मौजूद फैट को सुधार कर सही तरीके से फैलाया जाता है. चेहरे के नए बनाए कंटूर पर त्वचा को री-ड्रेप किया जाता है, इसके बाद अतिरिक्त त्वचा को निकाल कर घाव को सिल दिया जाता है या टेप से बंद कर दिया जाता है. आमतौर पर ऐसी सर्जरी के लिए मरीज़ को एक रात अस्पताल में रूकना पड़ता है.

फेस-लिफ्ट सर्जरी में दो से चार घण्टे लगते हैं, अगर इसके साथ ओवरस्किन कॉस्मेटिक प्रक्रिया भी करनी हो तो ज़्यादा समय लग सकता है.

प्रक्रिया के बाद

फेस लिफ्ट के बाद आपको निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैंः

o हल्का दर्द (दर्द में आराम के लिए दवाएं दी जाती हैं)

o घाव से रिसाव

o सूजन

o घाव

o सर्जरी वाले हिस्से का सुन्न पड़ना

अगर आपमें निम्नलिखित लक्षण हों, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करेंः

चेहरे या गर्दन के एक तरफ़ बहुत ज़्यादा दर्द जो 24 घण्टे तक रह सकता है

o सांस फूलना

o छाती में दर्द

o हार्ट बीट्स अनियमित होना

सर्जरी के बाद कुछ दिनां तक डॉक्टर आपको ऐसा करने की सलाह दे सकता हैः

o सिर उंचाई पर रखते हुए आराम करें

o डॉक्टर की सलाह के अनुसार दर्द की दवाएं लें.

o चेहरे पर कूल पैक लगाएं, इससे दर्द और सूजन में आराम मिलेगा

सर्जरी के बाद अगले दो महीनों में फॉलो-अप की ज़रूरत होती है. इस दौरान बैंडेज निकालना, टांके निकालना, घाव पर निगरानी रखना और मरीज़ की प्रगति रखना जैसे काम किए जाते हैं.

सर्जरी के बाद अपनी देखभाल

सर्जरी के बाद के सप्ताह में उचित निर्देशों का पालन करें, ताकि जटिलताओं की संभावनाओं को कम किया जा सके. इनमें शामिल हैं:

o सर्जरी की सलाह के अनुसार घाव की देखभाल

o घाव पर बनी पपड़ी को न छुएं/ न निकालें.

o ऐसे कपड़े पहनें जो सामने से खुलें हों, ताकि आपको सिर के उपर से कपड़े
न पहनने पड़ें.

o ध्यान रखें कि घाव के आस-पास दबाव न पड़े/ ज़्यादा मुवमेन्ट न हो.

o मेकअप का इस्तेमाल न करें.

o साबुन/ शैम्पू का इस्तेमाल करते समय दिए गए निर्देशों का पालन करें.

o भारी व्यायाम/ खेल न खेलें.

o कम से कम 6-8 सप्ताह तक धूप के सीधे संपर्क में न आएं. एसपीएम 50 या
इससे अधिक वाला सनस्क्रीन इस्तेमाल करें.

o कम से कम छह सप्ताह तक कलर, ब्लीच, या हेयर पर्मिंग का इस्तेमाल न करें.

फेसलिफ्ट से त्वचा अधिक जवां दिखने लगती है, लेकिन ये परिणाम स्थायी नहीं होते. ये कुछ साल तक ही चलते हैं, जो व्यक्ति की जीवनशैली पर निर्भर करता है. अगर आप यह सर्जरी कराने जा रहे हैं, तो पहले इसक बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें.

वायरल हुआ अनुपमा की समधन का हॉट अवतार, देखें फोटोज

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) के सितारे इन दिनों सोशलमीडिया पर सुर्खियां बटोरते नजर आ रहे हैं. वहीं किंजल की मां यानी एक्ट्रेस तसनीम शेख (Tassanim Sheikh) की हौट फोटोज ने सोशलमीडिया पर धमाल मचा रहे हैं. दरअसल, सोशलमीडिया पर एक्ट्रेस तसनीम शेख (Tassanim Sheikh)  की बिकिनी फोटोज देखकर फैंस हैरान हो गए हैं. आइए आपको दिखाते हैं फोटोज…

हर अवतार लगता है अलग

 

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पिछले 22 साल से टीवी इंडस्ट्री में एक्टिव तसनीम शेख इन दिनों सीरियल अनुपमा में किंजल की मां राखी दवे के रोल में नजर आ रही हैं. वहीं फैंस भी उन्हें काफी पसंद करते हैं. हालांकि रियल लाइफ में वह यंग एक्ट्रेसेस को टक्कर देती नजर आती हैं. बिकिनी अवतार हो या ड्रैसे हर लुक में तस्नीम बेहद खूबसूरत लगती हैं.

 

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फैशन के मामले में स्टाइलिश हैं अनुपमा (Anupamaa) स्टार

 

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अनुपमा (Anupamaa) स्टार तसनीम शेख 40 साल की हैं. बावजूद इसके उनका फैशन हर मामले में स्टाइलिश हैं. वह कई फैशन शोज का भी हिस्सा रह चुकी हैं, जिसका अंदाजा उनके ड्रैसिंग सेंस से लगाया जा सकता है.

सूट में लगती हैं खूबसूरत

 

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इंडियन लुक में तसनीम शेख का लुक बेहद खूबसूरत लगता है. वाइट कलर के सूट हो या बेटी के साथ मैचिंग आउटफिट हर लुक में तसनीम शेख बेहद खूबसूरत लगती हैं.

 

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अनुपमा में ऐसा होता है लुक

 

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अनुपमा में किंजल की मां के रोल में तसनीम शेख के लुक की बात करें तो स्टाइलिश साड़ी और दमदार कैरेक्टर में वह फैंस का दिल जीतती हैं. उनका अंदाज फैंस को काफी पसंद आता है.

 

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उसका सच- भाग 2 : क्यों दोस्त को नहीं समझ पाया हरि

‘सुनो, भाभी से जिक्र मत करना. तुम्हें तो पता है, औरतें ही सदा हमदर्दी का पात्र बनती हैं. हर तरफ औरतों की ताड़नाओं, अत्याचारों के चर्चे होते रहते हैं. ऐसी बात नहीं कि पुरुष औरतों के अत्याचारों के शिकार नहीं होते. जबान के खंजर पड़ते रहते हैं उन पर और वे चुप्पी साधे हृदय की व्यथा लिए अंधेरों में विलीन हो जाते हैं. न ही कोई उन्हें सुनता है और न ही विश्वास करता है.’

‘धर्मवीर, चिंता मत करो, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. स्थिति को सुधारने की कोशिश करते रहो. चलता हूं, जल्दी मिलेंगे.’

हरि मित्तर से मिल कर धर्मवीर का मन थोड़ा हलका हुआ. घर की दहलीज पार करते ही धर्मवीर की पत्नी ने प्रश्नों की बौछार कर दी.

‘कहां गए थे? बोलते क्यों नहीं? उसी से मिलने गए होगे? शर्म नहीं आती इस उम्र में? पता नहीं क्या जादू कर दिया है उस नामुराद कलमुंही ने?’

‘देखो विमला, तुम चाहती हो तो मैं फिर बाहर चला जाता हूं. तुम्हें जो कहना है, कहो. किसी और को बीच में घसीटने की कोई आवश्यकता नहीं,’ इतना कह कर मैं अपने कमरे में चला गया.

हरि मित्तर से मिले केवल 3 दिन ही हुए थे. धर्मवीर का मन हरि से बातें करने को बेचैन था. उस ने हरि को फोन किया. वह घर पर नहीं था. धर्मवीर ने संदेश छोड़ दिया.

शाम को फोन की घंटी बजी.

‘हां, बोलो हरि?’

‘धर्म, कल क्या कर रहे हो? चलना है कहीं?’

‘कल? कल नहीं, परसों ठीक रहेगा, तुम्हारी भाभी कहीं बाहर जाने वाली है.’

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‘ठीक है, परसों जैक्सन हाइट में, वह ‘पायल’ वाला डोसे बहुत अच्छे बनाता है. वहीं मिलेंगे 12 बजे.’

डोसा खातेखाते हरि ने पूछा, ‘धर्मवीर, घर पर हालात कुछ सुधरे या नहीं?’

‘नहीं यार, क्या बताऊं. तुम्हारी भाभी को शंका का घुन लग गया है. उस की सोच अपाहिज हो गई है जो मेरे घर को बरबाद कर के ही रहेगी. निशा अपना काम करती जा रही है.’

‘लगभग 5 दशक दिए हैं इस घर और पत्नी को. शिकायत का कभी अवसर नहीं दिया. अब वही घर जेल लगता है. जहां अब सांस भी आजादी से नहीं ले सकता. अपनी इच्छानुसार वस्तु यहां से वहां नहीं टिका सकता. किसी से खुल कर बात नहीं कर सकता. जहां वर्षों की वफादारी पर विश्वास न कर के, खोखले, ओछे लोगों की बातें पत्थर की लकीर मानी जाती हैं. अब तो उन की ताड़ना के दायरे केवल हम दोनों के बीच ही नहीं रहे, बल्कि सामाजिक स्थलों में, परिचित लोगों के बीच हमें लताड़ना उन का मनोरंजन बन गया है. अब तुम्हीं बताओ, क्या साझेदारी इसे कहते हैं? क्या यही सुखी जीवन है? हरि, तुम भी तो शादीशुदा हो?’

‘धर्मवीर, भाभी तो बहुत पढ़ीलिखी और समझदार हैं, फिर इतनी असुरक्षित भावनाएं क्यों?’

‘हां, सो तो है, किंतु सोच सिमट गई है. क्या फायदा ऐसी पढ़ाई का, जिस की रोशनी में जीवन का रास्ता साफसाफ नजर आने के बावजूद आदमी उस पर चल न सके. घूमफिर कर शक की आग में खुद और दूसरों को भस्म करने की ठान ले.’

‘विश्वास नहीं होता. आज तक जब भी कहीं आदर्श दंपती का संदर्भ आता है, वहां तुम दोनों का उदाहरण दिया जाता है. स्थिति नाजुक है, बहुत समझदारी से काम लेना होगा. इतने वर्षों की साधना को हाथों से फिसलने मत देना. प्यार से समझाने का प्रयत्न करो.’

‘समझाऊं? किसे समझाऊं? जो सुनने को तैयार नहीं? जिस के लिए अर्थों की सारी ऊहापोह अब बासी हो गई है. स्थिति अब यह है कि मैं मुंह तक आए शब्द निगलने लगा हूं. किस के पक्ष में हथियार डालूं? सचाई के या उस झूठ के, जो मेरे घर में अशांति पैदा कर रहे हैं? सखी निशा का तो यह हाल है, अंगूर नहीं मिले तो खट्टे हैं. निशा की उकसाने की खुराकें तुम्हारी भाभी के चित्र पर पत्थर की लकीरें बन गई हैं, जैसे परमानैंट मार्कर से लिखी हों. निशा की बातों को ले कर उन के मन और मस्तिष्क को कुंठा की धुंध घेरने लगती है. उसी धुंध में झूठ का पल्ला भारी हो जाता है और सच दब जाता है. तुम तो जानते हो, झूठ से हमें कोई हमदर्दी नहीं.’

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‘परेशान तो भाभी भी होंगी? पूछो उन से कि ऐसा उन्होंने क्या देखा, या तुम ने क्या किया? हर पल तो उन्हीं के पास बैठे रहते हो?’

‘जरूर होती होगी. कुछ देखा हो तो बताएं. कभीकभी तो अचानक उस के भीतर तूफानी तूफान करवटें ले बैठता है. तब वह जहान भर का अनापशनाप बोलने लगती है. कहीं का सिर, कहीं का धड़, मनगढ़ंत किस्से-लोग बातें करते हैं, तुम्हारी छवि खराब होती है, वगैरावगैरा. बस, मुंह खोलते ही चुभते कटाक्ष, काल्पनिक गंभीर इल्जाम मुझ पर थोपने आरंभ कर देती है. उस समय उस की बातों के गुलाब कम और कांटे अधिक मेरे दिल पर खरोंचें छोड़ जाते हैं.

‘मैं एक बार फिर चुप्पी साध लेता हूं. फिर कभी पास आ कर बैठ जाती है. कभी आधी रात को मेरे कमरे में आ कर पूछती है, आप ने बात करना क्यों छोड़ दिया? मुझे अच्छा तो नहीं लगता. पर बात भी क्या करूं, उन्हें मेरे शब्दों की अपेक्षा ही कहां है?  हजार बार कह चुका हूं, विमला, तुम्हारे सिवा कभी किसी को नहीं चाहा. मैं रिश्तों की अहमियत जानता हूं. पूरा जीवन तुम्हें दिया है. अब बचा ही क्या है मेरे पास?

‘कहती है, झूठ बोलते हो. अब तो वही है तुम्हारी सबकुछ? बदनाम कर देगी, तुम्हें? इस्तेमाल कर के छोड़ देगी तुम्हें? तुम नहीं जानते…आदमखोर है आदमखोर.

‘उस दिन मैं ने भी कह दिया, विमला, यह सबकुछ कहने की आवश्यकता नहीं. कैनवास तुम्हारे पास है. रंग तुम्हारे दिमाग में. जैसी चाहो तसवीर बना लो.

‘मैं गुस्से से बड़बड़ाता बाहर चला गया. हरि मित्तर, तुम्हीं बताओ, 70 से ऊपर आयु हो गई है. वैसे भी वर्षों से अलगअलग कमरों में बिस्तर हैं. क्या शोभा देती हैं ऐसी बातें? इस उम्र में अश्लील वाहियात तोहमतें सहता हूं. मेरी पत्नी होते हुए क्या वह नहीं जानती मेरी क्षमता? ऐसी घिनौनी बातें मुझे अंधेरी सुरंग में धकेल देती हैं.’

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‘यार, स्थिति गंभीर है. तुम दोनों कहीं छुट्टियों पर क्यों नहीं चले जाते. बच्चों के पास चले जाओ…इस वातावरण से दूर.’

‘सभी उपाय आजमा चुका हूं. मेरे साथ कहीं चलने को तैयार ही नहीं होती. जबर्दस्ती तो कर नहीं सकता. एक आत्मनिर्भर स्वतंत्र अमेरिकी भारतीय नारी है. कुछ पूछते ही बौखला सी जाती है. मेरी हर बात, हर हावभाव, मेरे हर काम में मुझे अपमानित करने के लक्षण ढूंढ़ती रहती है.

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छाता खरीदने से पहले जान लें ये 7 बातें

मानसून देश में दस्तक दे चुका है. कब कहां बारिश शुरू जाएगी हमें पता नहीं होता ऐसे में छाता बारिश से बचने के लिए हमारा प्रमुख हथियार होता है. आजकल बाजार में विभिन्न रंग और डिजाइन्स  के छाते मौजूद हैं. बारिश के अलावा धूप से बचने के लिए भी छातों का प्रयोग किया जाता है. यहां प्रस्तुत हैं छाता खरीदते समय ध्यान रखने वाले कुछ टिप्स-

-अक्सर तेज बारिश होने पर तेज हवा भी चलती है जिससे तानें मुड़ जातीं हैं और छाता उल्टा हो जाता है इसलिए छाता खरीदने से पहले तानों की मज़बूती पर अवश्य ध्यान दें.

-यदि आप कामकाजी हैं तो आप फोल्डिंग छाता खरीदें ताकि उसे आप अपने बैग में फोल्ड करके रख सकें और जरूरत पड़ने पर निकाल सकें पर इन्हें लेने से पहले दो तीन बार खोलकर अवश्य देखें.

-हैंडल को भी पकड़कर देखें कि वह आरामदायक है या नहीं ताकि अधिक समय तक पकड़ने में आपको परेशानी न हो.

-बच्चों के लिए हैंड फ्री छाते खरीदें क्योंकि ये सिर पर लग जाते हैं और इन्हें पकड़ना नहीं पड़ता.

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-बच्चों के लिए रंग बिरंगे, महिलाओं के लिये चटकीले डिजाइन वाले तो पुरुषों के लिए एक रंग के छाते उपयुक्त रहते हैं.

-बुज़ुर्गों के लिए मूठ वाले गहरे रंग और बड़े आकार के छाते खरीदें ताकि जरूरत पड़ने पर वे इसे बेंत की तरह भी प्रयोग कर सकें.

-बहुत अधिक गहरे रंग का छाता खरीदने से पूर्व दुकानदार से उसके रंग के बारे में पड़ताल अवश्य करें क्योंकि कई बार पानी से छाते का रंग निकलने लगता है जिससे कपड़े भी खराब हो सकते हैं.

यह भी रखें ध्यान

-प्रयोग करने के बाद पानी से भीगे छाते को पूरी तरह सूख जाने पर ही उसके कवर में रखें या निर्धारित स्थान पर टांगें.

-झटके के साथ या जबर्दस्ती खोलने का प्रयास न करें.

-बारिश के बाद छाते को पूरी तरह सुखाकर, साफ कपड़े से पोंछकर, तानों और हैंडल में सरसों का तेल लगाकर उसके कवर में रखें इससे आपके छाते में जंग लगने की संभावना नहीं रहेगी.

-यदि आपके छाते में कोई टूट फूट हो गयी है तो उसे ठीक करवाकर ही रखें इससे आपको अगली बारिश में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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डेल्टा वैरियंट को रोकने में यूपी रहा सफल: क्रैग केली

ऑस्ट्रे लिया के संसद सदस्यग क्रेग केली ने सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्ययनाथ के कोरोना प्रबंधन की तारिफ की. उन्होंलने आइवरमेक्टिन के प्रयोग साथ प्रदेश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्टाक को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को सराहा है. सांसद क्रेग केली ने कहा कि 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तएर प्रदेश ने आइवरमेक्टिन टैबलेट का प्रयोग कर दूसरी लहर पर अंकुश लगाया है.

केली ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारतीय राज्ये उत्तलर प्रदेश की जनसंख्या 230 मिलियन है. इसके बावजूद कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट डेल्टाय पर लगाम लगाई है. यूपी में आज कोरोना के दैनिक केस 182 है जबकि यूके की जनसंख्याई 67 मिलियन है और दैनिक केस 20 हजार 479 हैं.

कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए यूपी सरकार ने स्वानस्य्क् विभाग की सलाह अनुसार प्रदेश में आइवरमेक्टिन को कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रयोग किया इसके साथ ही डॉक्सी साइक्लिन को भी उपचार के लिए प्रयोग में लाया गया. बता दें कि उत्तार प्रदेश देश का पहला राज्यर था जिसने बड़े पैमाने पर रोगनिरोधी और चिकित्सीउय उपयोग में आइवरमेक्टिन का प्रयोग किया.

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर है. कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को बांबे हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट, डब्यू के एचओ ने भी सराहा है. ट्रिपल टी, मेडिकल किट वितरण समेत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन का कार्य युद्धस्त र पर किया गया.

कोल्ड वॉर की खबरों के बीच ‘वनराज’ ने शेयर किया Anupamaa का ये वीडियो, साथ दिखे Rupali-Sudhanshu

बीते कुछ दिनों से अनुपमा कास्ट के बीच कोल्ड वौर की खबरों ने फैंस को परेशान कर दिया है. हालांकि सीरियल के सितार इन खबरों को नकारते नजर आए थे. दरअसल, खबरें थीं कि अनुपमा स्टार सुधांशु पांडे और रूपाली गांगुली के बीच कोल्ड वॉर चल रही है. हालांकि अब सुधांशू शर्मा ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें रुपाली गांगुली नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वीडियो…

शेयर किया अनुपमा के सेट से वीडियो

 

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खबरें थीं कि सुधांशु पांडे और रूपाली गांगुली के बीच कोल्ड वौर के कारण ‘अनुपमा’ (Anupamaa) की टीम दो गुटों में बंट चुकी है. वहीं अब सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) ने सोशल मीडिया पर अनुपमा के सेट से एक ऐसा वीडियो शेयर किया है, जिससे कोल्ड वॉर की बात अफवाह नजर आ रही है. दरअसल, वीडियो में सुधांशु पांडे रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) के साथ-साथ पारस कलनावत (Paras Kalnawat), अल्पना बुच, निधि शाह और ‘अनुपमा’ (Anupamaa) की बाकी स्टारकास्ट मस्ती करते हुए शूटिंग करती नजर आ रही है.

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इस कारण बढ़ी थी बात

 

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दरअसल, सुधांशु पांडे ने एक पोस्ट में बाकी सभी लोगों को टैग करके रूपाली को नजरअंदाज किया. हालांकि रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) ने भी एक पोस्ट शेयर करके लिखा था कि जिसे जो सोचना है सोचे…हर बात की सफाई नहीं दी जा सकती है. वहीं सुधांशू पांडे में इस मामले में बाते साफ करते हुए कहा था कि ‘ये काफी छोटी बातें हैं…और किसी को टैग ना करके किसी को अपने करियर में क्या फायदा होगा? ये बात लाजमी है कि फोटो से जुड़े लोगों को टैग किया जाता है और कई बार तो मैं सोशल मीडिया से दूसरे की ही पोस्ट उठाता हूं और कॉपी पेस्ट कर देता हूं. जब ये शो शुरु हुआ था तो मैंने और रूपाली ने साथ में कई वीडियो शेयर किए थे क्योंकि शो में हम शादीशुदा थे. लेकिन अब शो में मैंने काव्या से शादी कर ली है तो ये भी लाजमी है कि अब हम साथ में ही वीडियो डालेंगे.’

 

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बता दें, सीरियल में वनराज की शादी काव्या से हो चुकी है. हालांकि वनराज के दिल में आज भी अनुपमा के लिए हमदर्दी देखने को मिलती है, जिसके कारण फैंस भी बैचेन रहते हैं.

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एक बार फिर ट्रोल हुईं Kareena Kapoor Khan, फोटोज देख कही ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर खान (Kareena Kapoor Khan) आए दिन सुर्खियों में छाई रहती हैं. हालांकि कई बार वह ट्रोलिंग का शिकार भी हो जाती हैं. इसी बीच एक्ट्रेस करीना कपूर (Kareena Kapoor Khan) के लेटेस्ट फोटोज के चलते ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, हाल ही में दूसरी बार मां बनने के बाद करीना कपूर खान के फोटोज शेयर की थीं, जिसमें उनका ट्रांसफौर्मेशन देख फैंस का रिएक्शन देखने को मिल रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

फोटोज में दिखा ट्रांसफौर्मेशन

दूसरी बार मां बनने के बाद एक्ट्रेस करीना का वजन बढ़ गया था, जिसके कारण ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता था. इसी बीच हाल ही में शेयर की गई फोटोज में करीना कपूर खान घर की बालकनी में योगा करती हुई नजर आईं थीं, जिसके बाद फैंस का रिएक्शन देखने को मिला था. वहीं कुछ लोगों ने उन्हें बूढ़ी भी कह दिया था.

 

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ट्रोलर्स ने कही ये बात

करीना कपूर की फोटोज पर ट्रोलर्स को एक बार फिर से अपनी भड़ास निकालने का मौका मिल गया है. एक यूजर ने फोटोज पर कॉमेंट किया है, तुम इतनी सूजी हुई क्यों दिख रही हो बेबो? ऐसा लग रहा है कि किसी ने तुम्हें कई बार मारा है. एक दूसरे यूजर ने लिखा है, बेबो अब तुम बूढ़ी हो गई हो.

बता दें, बीते दिनों करीना कपूर बहन करिश्मा की बर्थडे पार्टी में नजर आईं थीं, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था. हालांकि ट्रोलर्स ने उनके मोटापे को लेकर ट्रोल करना शुरु कर दिया था. हालांकि वह अपनी नई फिल्म के लिए दोबारा ट्रांसफौर्मेशन के लिए तैयार हो रही हैं. अब देखना है कि बेबो ट्रोलर्स को कैसे करारा जवाब देती हैं.

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