यूपी के इतिहास में गेहूं की सबसे बड़ी खरीद

योगी सरकार ने गेहूं खरीद में सबसे बड़ा रिकार्ड बनाया है. 4 साल में राज्‍य सरकार 33 लाख से अधिक किसानों से 162.71 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर चुकी है. इस साल अप्रैल माह से शुरू हुई खरीद में राज्य सरकार ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. कुल 1288461 किसानों से 56.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है. किसानों को 10019.56 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. जो अखिलेश सरकार के वर्ष 2016-17 में 7.97 लाख मीट्रिक टन खरीद के मुकाबले लगभग 8 गुना ज्‍यादा है.

राज्‍य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक रबी विपणन वर्ष 2017-18 में 800646 किसानों से 36.99 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई . 2018-19 में 52.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद कर 11,27195 किसानों को भुगतान किया. 2019-20 में 37.04 लाख मीट्रिक टन और 2020-21 में 35.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की गई. वहीं सपा सरकार में वर्ष 2015-16 में 403141 किसानों से 22.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया. 2016-17 में केवल 7.97 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की गई. 2013-14 में सबसे कम केवल 6.83 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई.

चार सालों में किसानों को उनके एक-एक दाने का भुगतान करने वाली राज्य सरकार ने 2017-18 में 6011.15 करोड़, 2018-19 में 9231.99 करोड़, 2019-20 में 6889.15 करोड़ और 2020-21 में 6885.16 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जबकि अखिलेश सरकार में वर्ष 2012-13 में 6504.45 करोड़, 2013-14 में 921.96 करोड़, 2014-15 में 879.23 करोड़, 2015-16 में 3287.26 करोड़ और 2016-17 में 1215.77 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया गया.

धान खरीद में भी पिछली सरकार को छोड़ा मीलों दूर

धान खरीद में भी पिछली सरकारों के मुकाबले योगी सरकार ने नई उपलब्धियां हासिल की हैं. खरीफ की फसल में वर्ष 2020-21 में 66.84 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर 13 लाख से अधिक किसानों को 12438.70 करोड़ रुपये भुगतान किया.  2019-20 में 706549 किसानों से 56.57 मीट्रिक टन खरीद की गई. 2018-19 में 684013 किसानों से 48.25 मीट्रिक टन और 2017-18 में 492038 किसानों से 42.90 मीट्रिक टन धान खरीदा गया. धान खरीद में पिछली सरकारों को पीछे छोड़ते हुए चार सालों में योगी सरकार ने किसानों को सर्वाधिक लाभ देने का काम किया. सपा सरकार में वर्ष 2012-13 में 299044 किसानों से 17.79 लाख मीट्रिक टन धान खरीद की थी. 2013-14 में 123476 किसानों से 9.07 लाख मीट्रिक टन, 2014-15 में 196044 किसानों से 18.18 लाख मीट्रिक टन, 2015-16 में 433635 किसानों से 43.43 लाख मीट्रिक टन धान खरीद ही कर पाई थी. राज्य सरकार ने जहां चार साल के कार्यकाल में 3188529 किसानों को 37825.66 करोड़ रुपये का भुगतान किया. वहीं अखिलेश सरकार 05 सालों में केवल 1487519 किसानों को 17190.85 करोड़ रुपये ही भुगतान कर पाई थी.

अपनी ही दुश्मन- भाग 1 : कविता के वैवाहिक जीवन में जल्दबाजी कैसे बनी मुसीबत

कविता भी एकदम गजब लड़की थी. उसे हर बात की जल्दी रहती थी. बचपन में उसे जितनी जल्दी खेल शुरू करने की रहती थी, उतनी ही जल्दी उस खेल को खत्म कर के दूसरा शुरू करने की रहती थी. लड़कों को तो बेवकूफ बना कर वह खूब खुश होती थी. युवा होने पर लड़कों की टोली उस के इर्दगिर्द घूमा करती थी. उस टोली में हर महीने एकदो सदस्य बढ़ जाते थे. कविता उन से खुल कर बातें करती थी. लेकिन उस की यही स्वच्छंदता उस के वैवाहिक जीवन में बाधक बन गई थी.

बचपन गया, किशोरावस्था आई, तब तक तो सब कुछ ठीक था. लेकिन जवानी की ड्यौढ़ी पर कदम रखते ही उसे जीवन के कठोर धरातल पर उतरना पड़ा. उस की शादी सुरेश के साथ कर दी गई. भूल या गलती किस की थी, यह तो नहीं पता, लेकिन एक दिन कविता अपने बेटे मोनू को गोद में थामे, हाथ में ट्रौली बैग खींचती आंगन में आ खड़ी हुई.

आंगन के तीनों ओर कमरे बने थे. आवाज सुनते ही तीनों ओर से दादी, बड़की अम्मा, छोटी अम्मा, भाभी, पापा और चचेरे भाईबहन बाहर निकल कर आंगन में एकत्र हो गए. कविता की शादी को अभी कुल डेढ़ साल ही हुआ था. उसे इस तरह आया देख कर सभी हैरत में थे. खुशी किसी के चेहरे पर नहीं थी. मम्मी पापा ने घबरा कर एक साथ पूछा, ‘‘क्या हुआ बिटिया, तू इस तरह…?’’

‘‘इसे संभालो.’’ कविता मोनू को मां की गोद में थमाते हुए बोली, ‘‘मैं अब सुरेश के साथ वापस नहीं जा सकती.’’ इसी के साथ वह ट्रौली बैग को आंगन में ही छोड़ कर एक कमरे की ओर बढ़ गई.

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‘‘अरी चुप कर, जो मुंह में आया बक दिया. शर्म नहीं आती अपने मर्द का नाम लेते.’’ दादी ने नाराजगी दिखाई. लेकिन कविता ने उन की बात पर ध्यान नहीं दिया. भाभी ने मोनू को मां की गोद में से ले कर सीने से लगा लिया.

अंदर जाते ही कविता ने इस तरह जूड़ा खोला मानो चैन की सांस लेना चाहती हो. लंबे घने काले बाल उस की पीठ पर इस तरह पसर गए, जैसे उस के आधे अस्तित्व को ढंक लेना चाहते हों. सब लोग बाहर से अंदर आ गए थे. कविता पर सवालों की बौछार होने लगी. लेकिन कविता ने सब को 2 शब्दों में चुप करा दिया, ‘‘मुझे थकान भी है और भूख भी लगी है. पहले मैं नहाऊंगीखाऊंगी, उस के बाद बात करना.’’

चचेरा भाई कविता का ट्रौली बैग अंदर ले आया था. उस ने उठ कर बैग खोला और अपने कपड़े ले कर इस तरह नहाने के लिए बाथरूम में चली गई, जैसे उसे किसी की परवाह ही न हो. इस बीच भाभी और बच्चे मोनू को हंसाने और खेलाने में लग गए थे. जबकि कविता के मातापिता दूसरे कमरे में एकदूसरे पर कविता को बिगाड़ने का दोषारोपण कर रहे थे.

तभी उन की बातें सुन कर दादी अंदर आ गई और आते ही बोलीं, ‘‘अरे चुप करो दोनों. तुम दोनों ने ही बिगाड़ा है इसे. मैं तो इस के लच्छन पहले ही जानती थी. सुरेश शादी न हुई होती तो अब तक पता नहीं क्या गुलखिलाती. न सुनने की तो आदत ही नहीं है इसे. हर जगह मनमानी करती है. देखो 20-22 साल की हो गई और ससुराल से बच्चा लटका कर मायके लौट आई.’’

‘‘अरे अम्मा, बेकार परेशान हो रही हो, सुरेश को यहीं बुला कर दोनों का समझौता करा देंगे.’’ मोहन ने अंदर आते हुए कहा, ‘‘मियांबीबी में छोटेमोटे झगड़े तो चलते ही रहते हैं. कविता को तो जानती ही हो, सुरेश ने कुछ कह दिया होगा और यह तैश में आ कर भाग आई.’’

कविता नहा कर आ गई तो भाभी उस की बांह पकड़ कर छत पर ले गईं. ऊपर जा कर भाभी ने पूछा, ‘‘लाडो, दामादजी से कोई गलती हो गई क्या?’’

‘‘अब तुम से क्या छिपाना भाभी, अब सुरेश मुझ से पहले की तरह प्यार नहीं करते.’’ कहते हुए कविता के आंसू छलक आए.

भाभी का मुंह खुला का खुला रह गया. बोली, ‘‘कहीं और चक्कर तो नहीं चल रहा?’’

‘‘वह बौड़म क्या चक्कर चलाएगा भाभी, फैक्ट्री से आते ही बेदम हो कर पड़ जाता है. बिलकुल बेकार नौकरी है उस की.’’ कविता रोष में बोली, ‘‘2 दिन सुबह की शिफ्ट, फिर 2 दिन शाम की और 2 दिन रात की शिफ्ट.’’

‘‘तो तुझे क्या परेशानी है.’’ भाभी ने कविता को समझाया, ‘‘दामादजी की नईनई नौकरी है. मेहनत कर रहे हैं तो आगे जा कर लाभ मिलेगा.’’

‘‘भाभी, तुम नहीं समझोगी. एक तो वैसे ही फैक्ट्री के उलटेसीधे टाइमटेबल हैं, ऊपर से मोनू को संभालने के लिए इतना वक्त देना पड़ता है. इस सब से ऊब गई हूं मैं. बिलकुल नीरस जिंदगी है, किस से कहूं. क्या कहूं?’’

भाभी आश्चर्य से देखती रह गईं. वह समझ कर भी कुछ नहीं समझ पा रही थीं. 5 फुट 5 इंच लंबी, इकहरे बदन और तीखे नैननक्श वाली उस की ननद कविता में कुछ ऐसा आकर्षण था कि उस के मोहपाश में कोई भी बंध सकता था. सुरेश के साथ भी यही हुआ था.

उस ने छत पर कई बार कविता और सुरेश को नैनों के दांवपेंच लड़ाते देखा था. इस के बाद उस ने ही दादी को समझाबुझा कर सुरेश और कविता की शादी करा दी थी. सुरेश था तो उस के पति का सहपाठी, पर कविता के चक्कर में उन्हीं के घर में घुसा रहता था.

काफी भागदौड़ के बाद सुरेश को एक कंपनी में नौकरी मिली थी. कंपनी की तरफ से ही रहने का भी इंतजाम हो गया था. कविता की नाजायज मांगों के लिए वह अपनी नौकरी खतरे में कैसे डाल सकता था. भाभी कविता की मांग सुन कर हैरत में रह गईं. सुरेश भला उस की चांदतारों की मांग के लिए रोजीरोटी की फिक्र कैसे छोड़ सकता था.

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‘‘क्या सोच रही हो भाभी, बडे़ भैया तो अभी भी तुम्हारे आगेपीछे घूमते हैं.’’ भाभी को चुप देख कर कविता ने हल्के व्यंग्य में कहा, ‘‘अच्छा हुआ जो तुम ने अभी बच्चे का बवाल नहीं पाला. अभी तो खूब मौजमजे की उम्र है.’’

कविता की बात का कोई जवाब दिए बिना भाभी सोचने लगी, ‘जब तक दादी जिंदा हैं, पूरा परिवार एक डोर में बंधा है, बाद में तो सब को अलगअलग ही हो जाना है. कविता अपना घर छोड़ कर आ गई तो सब के लिए मुसीबत बन जाएगी. अपनी आधी पढ़ाई छोड़ कर शादी के मंडप में बैठ गई थी और अब बच्चे को उठा कर चली आई, वह भी यह सोच कर कि अब वापस नहीं जाएगी. जरूर इस का कुछ न कुछ इलाज करना पड़ेगा.’

‘‘कहां खो गईं भाभी,’’ कविता ने भाभी की आंखों के सामने हाथ हिलाते हुए कहा, ‘‘बड़के भैया की रोमांटिक यादों में खो गईं क्या?’’

‘‘नहीं, तुम्हारे बारे में सोच रही थी. तुम मोनू की वजह से परेशान हो न, ऐसा करो उसे यहीं छोड़ जाओ, हम पाल लेंगे. बस आगे से सावधानी रखना कि कहीं मोनू का भैया न आ जाए. रही बात सुरेश की तो उन की ड्यूटी दिन की हो या रात की, बाकी वक्त तुम्हारे साथ ही रहेंगे, तुम्हारे पास. समय बचे तो अपना ग्रैजुएशन पूरा कर लेना. तुम भी व्यस्त हो जाओगी.’’

भाभी की राय कविता को जंच गई. बात चली तो यह सुझाव घर में भी सब को पसंद आया. बहरहाल 2 दिनों बाद कविता मोनू को मायके में छोड़ कर सुरेश के पास चली गई. उस के जाने से सभी ने राहत की सांस ली.

देखतेदेखते 5 साल गुजर गए. इस बीच कविता कानपुर छोड़ कर लखनऊ आ गई. वहां उसे एक सरकारी स्कूल में नौकरी मिल गई थी. मोनू को भी उस ने अपने पास बुला लिया था. सुरेश शनिवार को उस के पास आता और रविवार को उस के साथ रह कर सोमवार सुबह वापस लौट जाता.

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प्रिंटेड ड्रैसेस में छाया टीवी की नागिन का जादू, मौनसून में मौनी रॉय के लुक कर सकती हैं ट्राय

टीवी की नागिन यानी एक्ट्रेस मौनी रॉय इन दिनों टीवी की दुनिया से दूर हैं. हालांकि वह फैंस के बीच अक्सर अपने लुक को लेकर छाई रहती हैं. नए-नए आउटफिट्स के साथ मौनी फैंस का दिल जीतती हैं. हाल ही में एक्ट्रेस मौनी रॉय ने कुछ लुक्स शेयर किए हैं, जिसे मौनसून में आसानी से कैरी किया जा सकता है. मौनी रॉय की ये ड्रेसेस गर्ल्स के लिए परफेक्ट वौर्डरोब कलेक्शन साबित होगा. तो आइए आपको दिखाते हैं मौनी रॉय की पार्टी से लेकर वेकेशन तक की प्रिंटेड ड्रैसेस कलेक्शन….

हौट ड्रैस में जीता फैंस का दिल

‘नागिन’ फेम्ड इस अदाकारा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लेटेस्ट फोटोज शेयर की हैं, जिसमें ब्लैक कलर की डिजाइनर मिनी ड्रेस पहने नजर आईंय डीप वी कट नेकलाइन वाली मौनी रॉय की ये ड्रैस आपके लुक को हौट बना देगी.

 

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रफ्फल ड्रैस में दिखा अलग अंदाज

 

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हौट ड्रैस के अलावा मौनी रॉय रफ्फल ड्रैस में नजर आईं, जिस पर प्रिंटेड पैटर्न कमाल का लग रहा था. फ्लावर प्रिंटेड पैटर्न एक्ट्रेसेस के बीच काफी पौपुलर है. वहीं मौनी रौय भी कई बार फ्लावर प्रिंटेड लुक में जलवे बिखेरते हुए नजर आती हैं.

 

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पोल्का डौट भी है अच्छा औप्शन 

 

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पोल्का डौट का कलेक्शन हर एक्ट्रेसेस के पास होता है. वहीं मौनी रौट के इस कलेक्शन की बात करें तो ब्लैक कलर की इस ड्रैस पर वाइट पोल्का डौट ड्रैस को स्टाइलिश लुक दे रहा है, जो मौनसून के लिए परफेक्ट औप्शन है.

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लाइट कलर है परफेक्ट

 

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मौनसून में लाइट और ब्राइट कलर दोनों ही इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर आपको मौनी रौय का फैशन कलेक्शन पसंद है तो यह क्रौैप टौप विद स्कर्ट वाला ये लुक आपके लिए लाजवाब रहेगा.

सावधान ! अक्‍टूबर तक दस्‍तक दे सकती है Corona की तीसरी लहर !

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने जमकर कहर बरपाया. ना जा कितने ही लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए. अब जबकि दूसरी लहर के केस कम होने लगे हैं लॉकडाउन भी खतम हो गया और सब कुछ अनलॉक होने लगा है तो तीसरी लहर की आशंका ने चिंताएं बढ़ा दी हैं. विशेषज्ञों के अनुसार जिस तरह से भारत में लॉकडाउन खुल रहा है और लोग फिर से लापरवाही बरत रहे हैं, तो उनका मानना है कि तीसरी लहर जल्‍द ही दस्‍तक दे सकती है या यूं कहें कि बस कुछ ही हफ्तों में तीसरी लहर के आने की आशंका है.  कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता है इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि इस बार खतरा बड़ा होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक अक्‍टूबर तक दस्‍तक देगी तीसरी लहर!

खबरो के मुताबिक गंगाराम अस्‍पताल के डॉक्‍टर, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी ने बताया कि वायरस म्‍यूटेट हो रहा है और ऐसे में यही माना जा रहा है कि थर्ड वेव आ सकती है इतना ही नहीं उन्होंने इंग्‍लैंड का उदाहरण दिया क्योंकि वहां पर अचानक फिर से केसेज बढ़ने लगे हैं. भारत में 21 जून से लॉकडाउन हटना था लेकिन स्थिति को देखते हुए फिर से कुछ जगहों पर लॉकडाउन लगने लगा है. क्योंकि अनलॉक होने पर लोग फिर से लापरवाही करते नजर आ रहे हैं. मार्केट में भीड़ देखने को आए दिन मिल रहे हैं.

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सबसे ज्यादा समस्या तो उनके साथ आ रही है जो लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं. हालांगि सरकारें भी काफी तैयारी कर रही हैं थर्ड वेव से बचने के लिए ताकि अगर थर्ड वेव आ भी जाए तो उससे ज्‍यादा असर न पड़े. उन्‍होंने लोगों से अपील भी की है कि वो सरकार का साथ दें और तीसरी लहर को हराएं.

खबरों के मुताबिक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि तीसरी लहर को अधिक नियंत्रित किया जाएगा, क्योंकि मामले बहुत कम होंगे, क्योंकि तेजी से टीकाकरण शुरू हो रहा है और दूसरी लहर से कुछ हद तक मिली नैचुरल इम्युनिटी भी होगी.’लॉकडाउन का भी फायदा होगा.अभी तक देश में 26 करोड़ से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं. ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने बताया था  कि इस साल टीकाकरण अभियान में काफी तेजी आएगी और ऐसा हो भी रहा है.

मानसून का भी पड़ सकता है असर

कुछ डॉक्‍टरों और खबरों के अनुसार तो कोरोना वायरस पर  बारिश का भी असर पड़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में नमी कोरोना और बाकी वायरल बीमारियों को फायदा होता है. जैसे-जैसे नमी कम होती है, वैसे-वैसे वायरस को पनपने में मदद मिलती है. ऐसे में निश्चित तौर पर मॉनसून का कोरोना पर असर पड़ता है और वायरस धीरे- धीरे फैलने लगता है और चूकिं बारिश का मौसम चल रहा है ऐसे में खतरा ज्यादा होने की संभावना है.पूरे देश में मॉनसून पहुंच चुका है और देश के कई हिस्‍सों में जोरदार बारिश जारी है. इस बार कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच ही मॉनसून ने दस्‍तक दी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर की संक्रामक रोग विभाग की वैज्ञानिक जेनिफर होर्ने ने कहा था कि बारिश का पानी वायरस की सफाई नहीं कर सकता है. इससे वायरस फैलने और पनपने की रफ्तार भी धीमी नहीं होगी.

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बच्चों को झूठा बनाते हैं माता पिता

रश्मि इस बात को ले कर बहुत परेशान रहती है कि उस का 12 साल का बेटा गुंजन झूठ बोलने लग गया है. बातबात पर उसे झूठ बोलने की लत लग गई है. खेलने के चक्कर में वह कह देता है कि उस ने स्कूल का होमवर्क कर लिया है जबकि स्कूल से टीचर का फोन आता है कि गुंजन ने होमवर्क नहीं किया. जब उस से इस का कारण पूछा गया तो उस ने बताया कि रात को वह मम्मीपापा के साथ पार्टी में चला गया था, इसलिए होमवर्क करने का समय ही नहीं मिला. यह सुन कर रश्मि हैरान रह गई कि कल गुंजन ने उस से कहा था कि उस ने होमवर्क पूरा कर लिया है.

कुछ ऐसा ही हाल सौम्या का है. उस ने अपने 16 साल के बेटे रोहन को इंजीनियरिंग की कोचिंग क्लास में ऐडमिशन दिलाया. रोहन रोज नियत समय पर कोचिंग जाने के लिए घर से निकलता. एक दिन उस के पापा ने उसे दोस्तों के साथ चौराहे के एक ढाबे में बैठा देख लिया. रोहन के घर लौटने पर उस के पापा ने पूछा कि वह कहां गया था तो उस ने बेबाकी से कहा कि कोचिंग के लिए गया था. यह सुन उस के पापा और सौम्या का माथा ठनक गया. वे समझ चुके थे कि उन का बेटा पढ़ाई में मन नहीं लगा रहा, ऊपर से झूठ बोलने लगा है.

अधिकतर मातापिता की यह आम परेशानी है कि उन के बच्चे उन से झूठ बोलने लगे हैं. स्कूल से भी टीचर की शिकायतें आती हैं कि बच्चा होमवर्क नहीं करता है और डांट एवं पिटाई से बचने के लिए रोज नए बहाने बनाता है. ऐसी शिकायतों को ले कर खुद का सिरदर्द बढ़ाने वाले अभिभावक को दरअसल खुद की आंखें खोलने की जरूरत है. अगर अभिभावक से कहा जाए कि अपने बच्चों को झूठा बनाने या बिगाड़ने में उन का बड़ा हाथ है तो एकबारगी वे चौंक जाएंगे और उलटा सवाल दागेंगे कि क्या हम खुद अपने बच्चों को बिगाड़ेंगे? अरे भई, हर कोई अपने बच्चों को अच्छा आदमी बनाना चाहता है.

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कई अभिभावक तो अपने ऊपर लगे ऐसे आरोपों को सुन कर भड़क उठेंगे. पर अगर वे गंभीरता से सोचेंविचारें, तो बच्चों के बिगड़ने के ज्यादातर मामलों में वे खुद को ही जिम्मेदार पाएंगे. कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए. हमेशा सच बोलो. झूठ बोलने से जिंदगी बरबाद हो जाती है. अगर कोई गलती हो जाए तो सचसच बता देना चाहिए. मां, बाप और गुरु से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए. यही सब हम अपने बच्चों को घुट्टी की तरह पिलाते रहते हैं और समझ बैठते हैं कि बच्चा ये बातें सीख कर सच्चा और अच्छा इंसान बनेगा. जब अभिभावकों को महसूस होता है कि उन का बच्चा वह नहीं सीख रहा है जो वे उसे सिखा रहे हैं, बल्कि वह तो दूसरा ही पाठ पढ़ चुका है. जब तक अभिभावकों को यह बात समझ में आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

बी एन कालेज के पिं्रसिपल पी के पोद्दार कहते हैं कि हर पेरैंट्स को यह बात समझने की जरूरत है कि उन के बच्चे वह नहीं सीखते जो वे उन्हें सिखाते हैं या सिखाने की कोशिशों में लगे रहते हैं. बच्चे वही सीखते हैं जो वह अपने मां, पिता और घर एवं आसपास के बड़ों को करते हुए देखते हैं. मम्मी, पापा, चाचा, दादा, नाना आदि के रंगढंग को देख कर ही बच्चे हर चीज सीखते हैं. बच्चे अपने से बड़ों के कथनी और करनी के अंतर को काफी जल्दी व गहराई से ताड़ लेते हैं.

बच्चों को यह देख कर हैरानी होती है कि पापा उसे तो झूठ नहीं बोलने को कहते हैं पर जब उन के औफिस से या किसी दोस्त का फोन आता है तो उस से ही कहलवा देते हैं कि पापा घर पर नहीं हैं या टौयलेट में हैं. पापा घर में बैठे रहते हैं और जब उन के बौस का फोन आता है तो कह देते हैं कि औफिस के काम से निकले हैं.

अपना व्यवहार ठीक रखें

मनोवैज्ञानिक बिंदु राय कहती हैं कि बड़ों को सिगरेट, तंबाकू, गुटखा, शराब आदि का सेवन करते देख बच्चों का मासूम दिल कचोट उठता है कि उन्हें जिन चीजों के लिए मना किया जाता है, वे काम उन के पापा, चाचा आदि खुद करते हैं. ऐसे में बच्चे चोरीछिपे उन चीजों का स्वाद लेने की पूरी कोशिश करते हैं. वे सोचते हैं कि जो चीज बड़ों के लिए ठीक है वह उन के लिए गलत क्यों और कैसे है. बच्चों के सामने खुद की कथनी और करनी को ठीक रखेंगे तो आप के बच्चे भी ठीक रहेंगे. अपने झूठ और फरेब के मकड़जाल में बच्चों को न उलझने दें. झूठे और किताबी पाठ पढ़ाने के बजाय पेरैंट्स बच्चों के सामने अपना व्यवहार ठीक रखेंगे तो निश्चित रूप से बच्चों पर उस का सकारात्मक असर पड़ेगा और तभी आप के बच्चे अच्छे इंसान बन कर आप का नाम रोशन कर सकेंगे.

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नई नवेली दुलहन बनीं Sapna Choudhary, ट्रेडिशनल लुक में गिराईं बिजलियां

बिग बौस में नजर आ चुकीं हरियाणवी सिंगर और डांसर सपना चौधरी (Sapna Choudhary) सोशलमीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वहीं फैंस भी उनके नए गाने और डांस को लेकर इंतजार करते नजर आते हैं. इसी बीच सपना चौधरी की लेटेस्ट फोटोज ने फैंस को हैरान कर दिया है. दरअसल, लेटेस्ट फोटोज में सपना चौधरी नई नवेली दुल्हन के लुक में कहर ढ़ाती नजर आ रही हैं.

नई-नवेली दुलहन की तरह नजर आईं सपना चौधरी

 

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हाल ही में सपना चौधरी (Sapna Choudhary) ने अपने एक फोटोशूट की फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह एक नई-नवेली दुलहन की तरह नजर आ रही हैं. सपना चौधरी हल्के हरे रंग की साड़ी के साथ हाथ में लाल चूड़ा, गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर लगाए अपने लुक से फैंस को दीवाना बनाती नजर आ रही हैं.

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शिमरी साडी में गिराई बिजलियां

 

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नई नवेली दुल्हन के अलावा सपना चौधरी ने एक और अंदाज सोशलमीडिया पर शेयर किया है, जिसमें वह नाइट पार्टी के लुक में नजर आ रही हैं. दरअसल, सपना चौधरी डार्क पर्पल कलर की शिमरी साड़ी में नजर आ रही हैं, जिसके साथ मैचिंग ज्वैलरी और नाइट मेकअप बेहद खूबसूरत लग रहा है. वहीं फैंस सपना चौधरी का ये लुक देखकर तारीफों के पुल बांधते नजर आ रहे हैं.

इंडिया लुक में धमाल मचाती हैं सपना

 

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सपना चौधरी अपने इंडियन लुक और डांस के चलते फैंस के बीच पौपुलर हैं. वह आए दिन नए-नए सूट और साड़ी का कलेक्शन फैंस के लिए शेयर करती हैं. जिसे फैंस ट्राय करना पसंद करते हैं. उनका हर लुक फैंस के बीच पौपुलर है.

 

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बता दें, पिछले साल ही सपना चौधरी ने बेटे को जन्म दिया है, जिसके बाद से वह फैंस के बीच सुर्खियों में छाई हुई हैं.

Sudhanshu Pandey के साथ अनबन की खबरों पर Rupali Ganguly ने तोड़ी चुप्पी, दिया ये रिएक्शन

स्टार प्लस (Star Plus) के सीरियल अनुपमा (Anupamaa) लगातार टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. वहीं शो की कास्ट से लेकर मेकर्स भी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि दर्शकों को एंटरटेन कर सकें. इसी बीच खबरें हैं कि शो की लीड कास्ट यानी सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) और रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) के बीच अनबन हो गई है, जिसपर अब रुपाली गांगुली ने रिएक्शन दिया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर….

रुपाली गांगुली ने दिया ये रिएक्शन

दरअसल, खबरें हैं कि अनुपमा यानी रुपाली गांगुली औऱ वनराज यानी सुधांशू पांडे के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव हुआ है, जिसके चलते शो के सेट पर दोनों की बातचीत बंद है. वहीं फैंस भी इसी के चलते स्टार्स से सवाल पूछ रहे हैं. इसी बीच रूपाली गांगुली ने सोशल मीडिया पर स्टोरी शेयर करके अपना रिएक्शन दिया है. इंस्टाग्राम स्टोरी पर रूपाली गांगुली ने एक फोटो शेयर की, जिस पर लिखा है कि आपने जो कुछ भी मेरे बारे में सुना है प्लीज उस पर भरोसा कर लीजिए क्योंकि उनके पास इन सब बातों के लिए वक्त नहीं है, जिसको जो समझना है, वो समझे. और उसमें और कुछ भी जोड़ना हो तो जोड़ सकते हैं.

 

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सेट पर स्टार्स करते हैं मस्ती

 

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खबरों की मानें तो कहा जा रहा है कि अनुपमा के सेट पर गुटबाजी देखने को मिल रही हैं. हालांकि शो के सितारे सोशलमीडिया पर फनी वीडियो और फोटोज शेयर करते रहते हैं, जिसे देखकर फैंस भी हैरान हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है. वहीं इस मामले में अभी तक सुधांशू पांडे का रिएक्शन देखने को नहीं मिला है.

 

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बता दें, सीरियल अनुपमा में वनराज की काव्या से शादी के बाद कहानी में आए दिन नए बवाल देखने को मिल रहे हैं. वहीं मेकर्स भी कहानी को मजेदार बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. इस बीच गुटबाजी और अनबन की खबर से सीरियल की कहानी पर क्या असर पड़ता है, देखना दिलचस्प होगा.

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6 टिप्स: लॉकडाउन में छोटे बच्चों को ऐसे रखें इंगेज

मार्च 2020 से कोरोना का कहर न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में तबाही मचाये हुए है. भारत में आयी दूसरी लहर के कारण एक बार फिर से लॉक डाउन चल रहा है. कोरोना से पूर्व आमतौर पर ढाई साल का होते ही अभिभावक अपने बच्चों को प्री नर्सरी स्कूल में भेजना प्रारम्भ कर देते थे ताकि वह कम से कम बैठना और कुछ समय के लिए अपने माता पिता से दूर रहना तो सीख सके परन्तु अब कोरोना के कारण तो सभी स्कूल बंद है. लॉक डाउन के कारण बाहर आना जाना भी प्रतिबंधित है ऐसे में लंबे समय तक लगातार घर में रहने से बच्चे चिड़चिड़े होने लगते हैं. परन्तु यदि उन्हें किसी न किसी काम में इंगेज रखा जाए तो उन्हें समय का पता ही नहीं चलता. आजकल बच्चों के परेशान होने पर अभिभावक उन्हें मोबाइल पर कोई गेम इस टी वी पर मूवी लगाकर इंगेज करके निश्चिंत हो जाते हैं. परन्तु बाल्यावस्था से ही उन्हें इस तरह के गजेट्स में व्यस्त करना न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि उनके मस्तिष्क की रचनात्मकता पर भी विपरीत प्रभाव छोड़ता है. चूंकि इन दिनों आप घर पर ही हैं इसलिए इस समय का उपयोग उनकी स्किल का विकास करने और उन्हें  छोटे मोटे घरेलू कार्य सिखाने के लिए किया जा सकता है. अक्सर माताएं उनके कार्य को बिगाड़ देने या गन्दगी कर देने से उन्हें अपने साथ काम नहीं करने देतीं परन्तु उनके रचनात्मक विकास के लिए उनका चीजों को बनाने और बिगाड़ने की प्रक्रिया से  गुजरना अत्यंत आवश्यक है. यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स इनसे बच्चे इंगेज भी रहेंगे और कुछ नया भी सीखेंगे-

1. बर्तन जमाने, कपड़े सुखाने और तह करने जैसे कार्यों में बच्चों की मदद लें, भले ही वे इसमें आपके बहुत बड़े मददगार नहीं होगें परन्तु वे कार्य को करना तो सीखेंगे.

2. 4 से 10 साल तक के बच्चे हिंदी और इंग्लिश भली भांति समझने लगते हैं उन्हें बालकथायें और चंपक जैसी बाल पत्रिकाएं पढ़कर सुनाएं, और यदि वे स्वयम पढ़ लेते है तो उन्हें जोर जोर से पढ़ने को कहें इससे उनका भाषा पर कमांड तो होगा ही साथ ही पढ़ने की प्रवृत्ति का भी विकास होगा.

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3. इन दिनों आप घर पर हैं तो जहां तक सम्भव हो मोबाइल, लैपटॉप और टी वी से दूरी बनाए रखने का प्रयास करें क्योंकि यदि वे इनमें उलझ जाएंगे तो कुछ भी क्रिएटिव करने का प्रयास नहीं करेंगे. रोटी बनाते समय उन्हें थोड़ा सा आटा और पुराना चकला बेलन देकर रोटी या कोई खिलौना बनाने को कहें.

4. उन्हें पज़ल साल्व करने को दें इससे उनकी बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विकास होगा. आप उन्हें ड्राइंग पेपर पर अपने हाथ से भी कोई पज़ल बनाकर दें सकतीं हैं.

5. आजकल सोशल मीडिया का जमाना है जिसमें 5-6वर्ष के बच्चे स्टेटस अपडेट करने से लेकर फोटो क्लिक करने तक के सारे कार्य बखूबी कर लेते है, बच्चों को कोई भी विषय देकर ड्राइंग बनाने को कहें फिर उसे आप अपने परिवार और दोस्तों में फारवर्ड करें, अपना स्टेटस बनाएं इससे वे हर बार उत्साहपूर्वक अपनी एक्टिविटी को पूरा करेंगे.

6. घर में आने वाले फल, सब्जियों और फूल पत्तियों आदि से उन्हें परिचित कराएं, उन्हें अपने साथ योग और व्यायाम जैसी गतिविधियों में शामिल करें.

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कोरोना भले ही सारी दुनिया पर कहर बनकर टूटा है परन्तु अभिभावकों के लिए बच्चों को भरपूर समय देने की सौगात भी है   इसलिए आवश्यक है कि सोशल मीडिया, टी वी आदि से दूर होकर आप अपने समय को बच्चों के साथ रचनात्मक तरीके से बिताएं.

पुरुषों को शुक्र मनाना चाहिए कि महिलाएं उन्हें धक्का देकर दूर रहने को नहीं कहतीं !

हालांकि यह स्टडी तो करीब 9 साल पुरानी है,लेकिन इन 9 सालों में कई अलग अलग देशों में भी नए सिरे से इसकी जांच परख की गयी है और पाया गया है कि यह बिलकुल सही है  कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष कई गुना ज्यादा गंदा रहते हैं.हालांकि जब तक लाइफस्टाइल विषयों पर रिसर्च अध्ययनों को तरजीह देने वाली वेबसाईट ‘प्लोस वन’ [PLOS ONE] ने यह स्टडी नहीं छापी थी, तब भी दुनियाभर में औरतें विशेषकर पत्नियां अपने पतियों को गंदे रहने के उलाहने देती रही हैं और  दुनिया भरके पुरुषों ने कभी इसका खंडन करना भी जरूरी नहीं समझा बल्कि चुपचाप इस सबकी अनदेखी करते रहे हैं.शायद एक दूसरे के लिए यह साझा भ्रम बनाने के लिए कि औरतें तो होती ही सनकी हैं,इसलिए क्या उनके मुंह लगना.लेकिन अब पिछले कुछ सालों में सफाई को लेकर हुए कई शोध सर्वेक्षणों ने साबित कर दिया है कि महिलाएं कभी गलत नहीं थीं,पुरुष महिलाओं के मुकाबले गंदे ही रहते हैं.

हालांकि प्लस वन की यह रिसर्च स्टडी पुरुषों के गंदे रहने के लिए उनको आलसी होना नहीं मानती जैसा कि दुनिया की ज्यादातर औरतें अपने पतियों के बारे में राय रखती हैं.इस स्टडी में खुलासा हुआ है कि इसके पीछे परवरिश का विज्ञान और लिंगभेद का मनोविज्ञान शामिल है.सवाल है आखिर महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा साफ कैसे रहती हैं? इस सवाल का जवाब जानने के पहले आइये जान लें कि इस स्टडी के तथ्य क्या कहते हैं ? स्टडी के मुताबिक़ 93 फीसदी महिलाएं एक बार पहनने के बाद अंडरवियर को धो देती हैं, लेकिन 18 फीसदी पुरुष बिना धोए एक ही अंडरवियर कई कई बार पहन लेते हैं.

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सवाल है ऐसा क्यूँ ?  इस क्यूँ का जवाब मनोवैज्ञानिक देते हैं उनके मुताबिक़ इसके लिए बचपन में लड़कों और लड़कियों के साथ घर वालों का किया जाने वाला अलग-अलग किस्म का व्यवहार जिम्मेदार है. वास्तव में बचपन के दिनों में लड़कों की तुलना में लड़कियों के कपड़े ज्यादा और जल्दी-जल्दी बदले जाते हैं. इससे लड़कियों में साफ कपड़े पहनने की आदत पड़ जाती है और ऐसी आदतें उम्र बढ़ने के साथ भी बनी रहती हैं. सर्वे में तमाम पुरुषों ने इस बात को कबूला है कि वो एक ही अंडरवियर कई दिन तक पहने रहते हैं और महिलाओं ने पुरुषों की स्वीकारोक्ति पर आश्चर्य दर्शाने के साथ यही कहा है, ‘मर्दों की यह बात जानकार उनसे घिन आती है.’

हालाँकि सफाई का यह मामला सिर्फ चड्डी तक ही नहीं सीमित.कई और भी सर्वे हैं जो यह भी दावा करते हैं कि पुरुष करीब-करीब हर मामले में महिलाओं के मुकाबले गंदे रहते हैं.मसलन पुरुष एक ही बेडशीट को बिना धोए चार हफ्तों तक बड़ी सहजता से इस्तेमाल करते हैं. महिलाएं तीन हफ्तों तक भी एक ही बेडशीट उपयोग में नहीं लाती हैं . इसी तरह मर्दों के वर्किंग डेस्क पर महिलाओं के मुकघबले 10 फीसदी ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं. 78 फीसदी महिलाएं हाथ धोने के लिए साबुन का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन 50 फीसदी पुरुष ऐसे ही धो लेते हैं. लेकिन पुरुषों की इन तमाम आदतों में माँ-बाप की भी विशेषकर माँ की भी भूमिका होती है.

दरअसल लड़कियां आमतौर पर पूरी दुनिया में लड़कों की तरह घर के बाहर के खेलों में हिस्सा कम लेती हैं. वे ज्यादातर समय माँ के साथ घर में बिताती हैं, इसलिए उन्हें माँ की तरह ही सफाई की आदत पड़ जाती है साथ ही उनके ज्यादातर समय घर में रहने के कारण वे गंदी भी कम हुआ करती हैं. इसके पीछे एक और बात भी है. वास्तव में लडकियां बचपन से ही अच्छा दिखने की चाहत से भरी होती हैं इसलिए भी बचपन से साफ रहने की कोशिश करती हैं,जबकि पुरुष बचपन से ही लापरवाह होते हैं. उन्हें इस लापरवाही की छूट समाज भी देता है. क्योंकि समाज में लड़कों की ख़ूबसूरती पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती जबकि वही समाज सुंदर दिखने वाली लड़कियों को ज्यादा तरजीह देता है.

यह सामाजिक मनोविज्ञान ही है कि महिलाएं यदि शॉर्ट स्कर्ट, टाइट फिटिंग ड्रेस और लो कट टॉप पहनती हैं तो उन्हें अधिक गंभीरता से लिया जाता है ; क्योंकि वे इन ड्रेस में ज्यादा जवान दिखती हैं. बेडफोर्डशायर यूनिवर्सिटी के डॉ. एल्फ्रेडो गाइटन ने 21 से 64 साल की महिलाओं के बीच यह रिसर्च किया और इसे ऐसे ही पाया है. लो कट टॉप, मिनी स्कर्ट और जैकेट पहनी हुई लडकियां और महिलायें सबको भाती हैं.रिसर्च में ये भी सामने आया कि कपड़े बदलते ही महिलाओं का एटीट्यूट बदल जाता है. दरअसल, जब लोग पॉजिटिव लेने लगते हैं तो एटीट्यूट में बदलाव आ जाता है.

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कहने का मतलब साफ रहना और उसे आदत में ढाल लेना जिससे सुंदर भी दिखा जाए इस सबके लिए कोई कुदरती स्वभाव नहीं जिम्मेदार होता बल्कि बहुत सी चीजें मायने रखती हैं. सवाल है फिर महिलाएं पुरुषों के थोड़ा सा गंदा रहने पर आखिर इतना नाक भौं क्यों सिकोड़ती हैं ? सच तो यह है कि महिलाएं अपने पतियों से इस बात पर भी झगड़ा कर बैठती हैं कि उन्होंने अपने गंदे कपड़े वॉशिंग मशीन में डालने की बजाय सोफे पर क्यों रख दिए ? पुरुषों के लिए यह बहुत छोटा मसला है,लेकिन महिलाएं इस बात को भी दिल पर ले लेती हैं.

मनोवैज्ञानिक कहते हैं इसे ऐसे नहीं देखना चाहिए.वास्तव में महिलाएं गंदे कपड़े मशीन में न डालने से नाराज नहीं होतीं, वे तो इस बात से नाराज हो जाती हैं कि आपने उनकी बात नहीं मानी.मतलब यह कि आप उन्हें प्यार नहीं करते. उन्हें पूरी अटेंशन नहीं देते.जी हाँ,सुनकर हैरानी हुई न ! लेकिन सच यही है. कि वे आपकी छोटी सी छोटी बात को भी आपके प्यार न करने से जोड़ लेती हैं.कहने का मतलब दोनों तरफ मामला आदत का नहीं मनोविज्ञान का है.

Monsoon Special: स्नैक्स में खिलाएं पनीर हौट डौग

बारिश के मौसम में अगर आप टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहती हैं तो पनीर हौट डौग की ये रेसिपी आपके लिए अच्छा औप्शन है. पनीर हौट डौग को आप आसानी से अपनी फैमिली के लिए कम समय में बना सकते हैं.

सामग्री

–  1 पीस हौट डौग बन

–  20 ग्राम पनीर

–  1/2 मीडियम आकार का प्याज कटा

–  1/2 शिमलामिर्च टुकड़ों में कटी

–  1 बड़ा चम्मच लहसुन कटा

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–  1 बड़ा चम्मच चिल्ली गार्लिक सौस

–  5 ग्राम मस्टर्ड सौस

–  5 ग्राम मेयोनीज

–  गार्निशिंग के लिए थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

–  साल्ट पैपर सीजनिंग स्वादानुसार.

पनीर फिलिंग की तैयारी

एक कड़ाही में थोड़ा सा औलिव औयल डाल कर उस में लहसुन डाल कर उसे सुनहरा होने तक चलाएं. अब इस में प्याज व शिमलामिर्च डाल कर चलाते हुए उस में साल्ट पैपर सीजनिंग व चिली गार्लिक पेस्ट डाल कर मिलाएं. फिर इस में हलके से पानी का छींटा मार कर सब्जियों को पकाएं. जब सब्जियों में क्रंच आ जाए, तब इस में पनीर डाल कर चलाएं. हौट डौग फिलिंग तैयार है. अब इसे ठंडा होने दें.

विधि

हौट डौग बन को काट कर बीच में मस्टर्ड सौस लगाएं. अब इस में पनीर फिलिंग भरें. इस के बाद पनीर स्टफ्ड हौट डौग पर मेयोनीज डालें. आखिर में धनियापत्ती से गार्निश कर के टोमैटो कैचअप के साथ सर्व करें.

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