ड्राय स्किन के लिए कौन सा स्क्रब अच्छा रहेगा?

सवाल-

मेरी स्किन ड्राई है. उस के लिए कौन सा स्क्रब अच्छा रहेगा?

जवाब-

रूखी स्किन को स्क्रब करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है. यह भी संवेदनशील स्किन की ही तरह काफी नाजुक होती है. आप ओटमील का प्रयोग कर सकती हैं. ओटमील में यदि थोड़ा सा दूध मिला लिया जाए तो स्क्रब करने के बाद आप की स्किन छिलेगी नहीं और मुलायम हो जाएगी.

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आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में हेल्थ के लिए लोग ओट्स खाना ज्यादा पसंद करते हैं. ओट्स हेल्दी एक हेल्दी ब्रेकफास्ट है. साथ ही इसे बनाने में टाइम भी कम लगता है, लेकिन क्या आपको पता है ओट्स स्किन के लिए भी फायदेमंद है. ओट्स में एक्सफोलिएटिंग, मौश्चराइजिंग और क्लींजिंग के तत्व मौजूद होते हैं जो स्किन को यंग और ब्यूटी फुल बनाने में मदद करते हैं. आज हम आपको ओट्स के फेस पैक के बारे में बताएंगे, जिसे आप घर पर मौनसून में ट्राय कर सकते हैं.

1. एलोवेरा स्क्रब और ओट्स करें ट्राय

लंबे समय से एलोवेरा का इस्तेमाल मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है. एलोवेरा के इस्तेमाल से फेस पर हुए मुहांसे, संक्रमण और टैनिंग जैसी प्रौब्लम्स से छुटकारा पाया जाता है क्योंकि इसमें इन्फ्लेमेटरी एलिमेंट होता है. ओटमील पाउडर को ऐलोवेरा जेल में मिलाकर फेस पर तीन से पांच मिनट तक मसाज करें. जब फेस पर पेस्ट सूख जाए, तो साफ पानी से अपने फेस को आराम से धो लें.

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2. ओट्स और गुलाब जल का पेस्ट करें इस्तेमाल

ओट्स और गुलाब जल का फेसपैक बनाने के लिए दो चम्मच ओट्स में एक चम्मच शहद और एक चम्मच गुलाब जल मिला कर अच्छे से मिक्स कर लें. अब इस पेस्ट को दस मिनट के लिए फेस पर लगाकर रखें. इस पैक को लगाने से आपकी स्किन शाइनी नजर आने लगेगी.

3. दूध, नींबू और ओटमील से लाएं फेस पर ग्लो

दूध, नींबू और ओटमील के फेसपैक से आपका फेस ग्लो करने लगेगा. इस फेसपैक को बनाने के लिए दो चम्मच उबले ओट्स, चार चम्मच नींबू का रस और दो चम्मच दूध मिला लें. इसके बाद इस पैक को चेहरे पर लगा लें. 20 से 25 मिनट बाद गुनगुने पानी से अपना चेहरा धो लें.

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Monsoon Special: फैमिली को परोसें टेस्टी और हेल्दी लेमन राइस

आजकल हर किसी को अपनी हेल्थ का ख्याल रहता है. लोग अपनी हेल्थ का ख्याल रखने के लिए हल्का खाना पसंद करते हैं और हल्का खाने के साउथ इंडियन डिश फेमस है. आज हम आपके हेल्दी और टेस्टी लेमन राइस के बारे में बताएंगे. लेमन राइस एक टेस्टी डिश है, जिसे आसानी से बनाया जा सकता है.

हमें चाहिए

300 ग्राम चावल

आधा कप मूंगफली के दाने

सूखी हुई दो साबुत लाल मिर्च

एक चम्मच सफेद उड़द दाल

एक चम्मच सरसों के दाने

एक चम्मच चना दाल

आधी छोटी चम्मच हल्दी पाउडर

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आधी छोटी चम्मच मेथी दाना

तीन चम्मच नींबू का रस

चुटकीभर हींग

10-12 करी पत्ते

एक चम्मच ताजा नारियल कुतरा हुआ

एक चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार

सजावट के लिए

कुतरे हुए ताजे नारियल से डिश को गार्निश कर परोसें.

बनाने का तरीका

– चावल को अच्छी तरह धो लें और 20 मिनट के लिए भिगो दें.

– पानी और चावल में नमक डालकर उबाल लें. जब चावल पक जाएं तो बचा पानी फेंक दें.

– कड़ाही में तेल गर्म करें और चुटकीभर हींग डाल दें.

– अब इसमें लाल मिर्च, उड़द दाल, चना दाल और मेथी दाना मिला दें. सारी सामग्री को तब तक मिलाएं, जब तक दाल लाइट ब्राउन न हो जाए.

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– इसमें मूंगफली और सरसों के दाने डाल दें. जब सरसों चटकने लगे तो करी पत्ते डाल दें. करीब आधा मिनट तक इनको फ्राई करें.

– अब इस सामग्री में पके चावल, नमक, नींबू का रस और हल्दी पाउडर मिलाकर अच्छी तरह मिक्स कर लें.

– घिसे हुए नारियल को ऊपर डाल करें और अपनी फैमिली को गरमागरम ब्रेकफास्ट में सर्व करें.

Social Story In Hindi: मैं कमजोर नहीं हूं- भाग 3- मां और बेटी ने किसे सिखाया सबक

आहिस्ताआहिस्ता आकाश हम सब से घुलतामिलता गया. एक रोज मैं ने उस से कहा कि वह मुझे मम्मी कह कर पुकारे. पहले तो वह सकुचाया, फिर बोला, ’मम्मी को क्या कहूंगा? जब उसे पता चलेगा कि मैं ने आप को मम्मी कहना शुरू कर दिया है? उन्हें बुरा लगेगा.’ कुछ सोच कर मैं बोली, ‘बड़ी मम्मी. यह ठीक रहेगा.‘ उस ने बिना नानुकुर के स्वीकार कर लिय.

उस के मुख से मेरे लिए मम्मी का संबोधन तपती रेत पर बारिश की फुहार की तरह था. मेरा रोम रोम पुलक उठा. मैं भावविभोर हो गई. वक्त गुजरता रहा. एक बात की कसक रहती, इतना प्यारदुलार देने के बावजूद वह अपनी पहली मां को भूल नहीं पाया. कभीकभी उन का जिक्र करता, तो मेरा मन आशंकाओं से घिर जाता. हमेशा की तरह झूठ बोल देती कि वे जल्द आएंगी. एक रोज तो हद हो गई जब वह अपने दत्तक मांबाप के पास जाने की जिद कर बैठा.

उस रेाज मुझे अपनी कोख पर लज्जा आई. इतना प्यारदुलार देने के बावजूद भी आकाश को अपना न बना सकी? इसे बिडंबना ही कहेंगे कि वह उन के पास जाना चाहता है जिन्होंने बड़े निर्मोही तरीके से उस का परित्याग कर दिया. आज जाना कि सिर्फ जन्म देने से कोई मां नहीं बन जाती. मां बनने के लिए बच्चे की बेहतर परवरिश जरूरी है, जो आसान नहीं. मम्मी ने पापा से सलाहमशवरा कर के उस की दत्तक मां से बात की.

‘एक बार आप उसे समझाइए, मुझे पूरा विश्वास है कि वह आप की बात को समझेगा,’ मम्मी बोलीं.

‘क्या कहूंगी?’ उधर से जवाब आया.

‘यही कि आप उस के असली मांबाप नहीं हैं. असली मां मेरी बेटी है.’

‘क्या वह मानेगा?’

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‘और कोई रास्ता हो तो बताइए?’ मम्मी के इस सवाल का उन के पास जवाब न था. क्षणांश चुप्पी के बाद वह बोली, ‘ठीक है, आप आकाश को फोन दीजिए.’ आकाश को दूसरे कमरे से बुला कर उसे मोबाइल थमाया. वह असमंजस में था. तभी उधर से आवाज आई, ‘कैसे हो आकाश?’ आकाश को आवाज पहचानने में देर न लगी. ‘मम्मी’ कहते ही उस का स्वर भर्रा गया, ’आप कहां हैं?’ आकाश रुंधे कंठ से बोला.

‘मैं यहीं हूं. पहले यह बताओ, क्या ये लेाग तुम्हें प्यार नहीं करते?’

‘करते हैं. खूब करते हैं. बड़ी मम्मी तो हर वक्त मेरी ही चिंता करती रहती हैं. एक पल के लिए मुझे अकेला नहीं छोड़तीं. परंतु…’ कहतेकहते उस का गला भर आया.

‘आप की याद हमेशा आती रहती है. क्या आप मुझे लेने नहीं आएंगी?’ पलभर के लिए उस की दत्तक मां भी भावुक हो गई. एक पल वह सोची, आकाश को ले आए मगर यह सोच कर बढ़ते कदम रुक गए कि कल जब उस की अपनी औलाद बड़ी होगी तो निश्चय ही आकाश की असलियत सब के सामने आएगी, तब वह क्या करेगी. जब वे पूछेंगे कि आकाश किस का बेटा है, क्यों लाई थी इसे? तब तो न मैं इधर की रहूंगी न उधर की. आकाश किसी की नाजायज औलाद है. इस कलंक को कैसे धोऊंगी. फिर क्या गारंटी है कि मैं अपनेपराए का भेद न करने लगूंगी? यही सब सोच कर दिमाग ने फैसला लिया कि जो कल होने वाला है उसे आज ही कहसुन कर खत्म किया जाए.

‘आकाश, मैं यहीं हूं. कहीं जाने वाली नहीं. तुम जब चाहे मेरे पास आ सकते हो, परंतु…?’

‘परंतु क्या मम्मी?’

‘मेरा एक कहा मानेागे?’

‘बिलकुल मानूंगा, मगर आप मेरे पास आने का वादा करो.’

‘करती हूं, मेरी बात ध्यानपूर्वक सुनो. जिसे तुम बड़ी मम्मी कहते हो वही तुम्हारी असली मां है. मैं तब बेऔलाद थी. दूरदूर तक औलाद होने की संभावना नहीं दिख रही थी, तब तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें जन्मते मुझे दे दिया था.’

‘क्यों?’

‘इस का जवाब तुम अपनी बड़ी मम्मी से पूछना,’ कह कर दत्तक मां ने फोन काट दिया. आकाश गुमसुम सोफे पर बैठ गया. मैं उस के करीब आई, देखा, उस के गालों पर आंसुओं की बूंदें ढुलक आई थीं. मैं अधीर हो उठी. उसे कलेजे से लगा लेना चाहा मगर उस ने मुझे झटक कर अलग कर दिया.

‘पहले मुझे जवाब दो कि क्या तुम मेरी असली मां हो?’

‘हां,’ भीगेमन से मैं बोली.

‘अब तक कहां थी?’ आकाश के इस कथन का क्या जवाब दूं.

‘तुम ने मुझे उन के पास क्यों भेजा? मेरे पापा कौन हैं?’

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उस के इस सवाल पर मेरी मम्मी ने बात संभाली, ‘समय आने पर सब पता चल जाएगा.’ मम्मी के इस कथन का उस पर कोई असर न पड़ा. वह अपनी जिद पर अड़ा रहा. उस का हठपन देख कर मैं रोने लगी. आकाश था तो बच्चा ही, मेरे आंसुओं को देख कर उस का मन द्रवित हो गया. मेरे पास आ कर बोला, ’बड़ी मम्मी, अब मैं आप को कभी परेशान नहीं करूंगा.’ उस के मुख से यह सुन कर मुझे तसल्ली हुई. उसे अंक में भींच कर देर तक मैं सुबकती रही.

पढ़ाईलिखाई में लग जाने के कारण आकाश अपने अतीत को भूला रहा. अब वह 25 साल का युवा था. एक रोज मैं ने देखा कि वह अपने कमरे में उदास बैठा था. करीब आ कर उस के उदासी का कारण पूछा तो बोला, ’मम्मी, तुम ने एकबार कहा था कि समय आने पर पापा का नाम बताओगी. क्या वह समय नहीं आया?’ आकाश ने फिर से मुझे उसी चैराहे पर ला खड़ा कर दिया जिसे मैं ने अपने सीने में दफन कर के भूल चुकी थी. एकएक कर के अतीत की सारी घटनाएं चलचित्र की भांति मेरी नजरों के सामने घूमने लगीं. जब उबरी, तो आकाश से पूछा, ‘‘क्या जानना जरूरी है?’’

‘‘मम्मी, मेरे लिए यह जानना जरूरी है कि मेरा पिता कौन है क्येांकि आज भी मेरे दिल के कोने में एक खालीपन महसूस होता है. यह खालीपन उस पिता के लिए है जिन का मैं ने कभी मुख तक नहीं देखा. यदि वे जीवित नहीं हैं तो कोई बात नहीं. बस, उन का परिचय बता दो.’’

आकाश समझदार हो गया था. समझदार बेटे को भ्रमित करना आसान न था. मैं ने आत्मचिंतन किया तो पाया कि आज नहीं तो कल, मुझे इस सत्य से आकाश को परिचित करवाना ही पड़ेगा. वह कल आ गया. अब न बताऊंगी तो वह मुझ पर शक करेगा. इस तरह से उस की नजरों में मेरा चरित्र संदेहास्पद हो जाएगा, जो किसी भी स्थिति में उचित न हेागा. कोई भी रिश्ता ईमानदारी पर टिकता है, फिर वह चाहे मांबेटे का हो या पिता पुत्र का. जिन रिश्तों की बुनियाद शक पर टिकी हो, उन का बिखरना तय है. मेरे लिए आकाश ही सबकुछ था. मैं आकाश को खोना नहीं चाहती थी. सो, एकएक कर मैं ने उस उम्र में घटी सारी घटनाओं का खुलासा कर दिया.

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आज फिर तुम पे प्यार आया है : भाग 1- किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

आजदेव उस सजा से आजाद हो गया जो अपराध उस ने किया ही नहीं, बल्कि उस से करवाया गया था. इन 7 सालों में उस से उस का हंसताखेलता परिवार तो छिन ही गया, उस का प्यार भी हमेशा के लिए उस से दूर चला गया. जब वह जेल से बाहर निकला तो उस का एक मित्र मनोज उस के लिए खड़ा था. कितना कहा उस ने कि वह अपने घर न सही उस के घर चले, पर देव ने यह बोल कर जाने से इनकार कर दिया कि अब उस का अपना बचा ही कौन है इस शहर में जो वह यहां रहे पर यह भी बोला उस ने कि वह जहां भी जाएगा, उसे जरूर बताएगा.

कुछ पैसे उसे जेल काटने के दौरान काम करने पर मिले, कुछ मनोज ने दिए. टिकट ले कर जो पहली ट्रेन मिली उस पर चढ़ गया. कहां जाना है, क्या करना है उसे कुछ पता नहीं चल रहा था. बस निकल पड़ा एक अनजान रास्ते की ओर. आसपास लोगों की भीड़ और शोरशराबे में भी वह अपने ही विचारों में मग्न था. जैसेजैसे ट्रेन की गति बढ़ने लगी वैसेवैसे देव अपनी पिछली जिंदगी के पन्ने पलटने लगा…

अपनी मां का लाड़ला बेटा देव था. वैसे देव का एक बड़ा भाई भी था निखिल, जो काफी शांत स्वभाव का था और वह वही करता जो उस के मांपापा कहते उस से. पढ़ाई में जरा कमजोर निखिल ने जहां बीए करते ही रेलवे में नौकरी पा ली, वहीं देव इंजीयरिंग पढ़ने के लिए बैंगलुरु चला गया. लेकिन देव के पापा की बड़ी इच्छा थी कि बड़ा बेटा न सही, कम से कम छोटा बेटा तो डाक्टर बन जाता, पर देव की तो डाक्टर की पढ़ाई मोटीमोटी किताबें देख कर ही तबीयत खराब होने लगती थी और जब उस के एक दोस्त के भाई ने, जोकि मैडिकल की पढ़ाई कर रहा था, बताया कि मोटीमोटी किताबें पढ़ने के साथसाथ उसे मेढक और मरे हुए इंसान के शरीर की भी चीरफाड़ करनी पड़ेगी, तो सुन कर ही उसे चक्कर सा आने लगा और उसी वक्त उस ने प्रण कर लिया कि चाहे जो हो जाए वह डाक्टर तो कभी नहीं बनेगा. आखिर देव के मातापिता को उस की जिद के आगे झकना पड़ा और उसे इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए बैंगलुरु भेज दिया.

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एक रोज जब कल्याणी ने देव को मोबाइल पर फोन किया तो उस का जवाब सुन  कर बोली, ‘‘अरे, ऐसे कैसे छुट्टी नहीं मिलेगी और क्या अब तुम अपने बड़े भाई की शादी पर भी नहीं आओगे?’’

कल्याणी से देव ने यह बोल कर शादी में आने से मना कर दिया था कि अगले महीने ही उस की फाइनल परीक्षा होनी है तो शायद वह न आ पाए.

‘‘मत रुकना ज्यादा दिन, बस आना और शादी खत्म होते ही चले जाना.’’

‘‘ठीक है मां, देखता हूं अगर छुट्टी मिल गई तो आने की कोशिश करूंगा,’’ देव की आवाज आई.

‘‘देखनावेदना कुछ नहीं, आना ही है तुम्हें,’’ बोल कर जैसे ही कल्याणी पलटी, तो अवाक रह गई क्योंकि सामने ही देव खड़ा था.

‘‘तो तो तुम मुझ से…’’ कल्याणी की बात अभी पूरी भी नहीं हो पाई थी कि सब ठहाके लगा कर हंसने लगे.

‘‘अच्छा तो आप सब जानते थे कि  देव आज आने वाला है और जानबूझ कर मु?झो उल्लू बनाया जा रहा था, है न?’’ मुंह फुलाते हुए जब कल्याणी बोली तो सभी और जोरजोर से हंसने लगे. फिर कल्याणी भी कहां रुकने वाली था उस की भी हंसी फूट पड़ी और पूरे घर का वातावरण हंसीठहाकों से गूंज उठा.

ऐसा ही था जय और कल्याणी का हंसताखेलता छोटा सा परिवार और वे चाहते थे कि बस बहू भी उसी तरह की मिल जाए तो उस का घर स्वर्ग बन जाए और सच में, ससुराल में पांव रखते ही प्रीति ने सब का मन जीत लिया. देव को तो वह छोटे बबुआ कह कर ही बुलाती थी और अपने सासससुर की भी वह बड़े मन से सेवा करती थी. घर में किसी को भी प्रीति से कोई शिकायत नहीं थी.

मगर इधर प्रीति के ससुराल चले जाने से अब उस के पिता को अपनी छोटी बेटी रमा की चिंता सताने लगी. उन्हें लगता वे दिनभर औफिस में रहते हैं और घर में जवान बेटी है, तो कहीं उस के साथ कोई अनहोनी न हो जाए? अब मां होती तो बेटी की देखरेख करती, लेकिन वह तो इस दुनिया में नहीं थी. वैसे भी शुरू से ही दोनों बहनों में काफी जुड़ाव था. साथ रहते हुए कभी उसे किसी सहेली की जरूरत नहीं पड़ी. लेकिन जब से प्रीति अपनी ससुराल चली गई, रमा बहुत उदास रहने लगी थी. आती थी अपनी बहन के घर कभीकभार पर फिर उसे अपने घर जाने का मन ही नहीं करता और यह बात कल्याणी अच्छी तरह समझती थी.

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‘‘प्रीति बहू, क्यों न रमा का दाखिला यहां के ही कालेज में करवा दे? वैसे भी अकेली लड़की है और जमाना भी तो ठीक नहीं है,’’ जब कल्याणी ने कहा तो जैसे प्रीति की मुराद पूरी हो गई. आखिर वही तो वह चाहती थी पर कहने की उस में हिम्मत नहीं थी. निखिल से कहा था 1-2 बार पर उस ने, ‘ये सब तो मां जाने’ बोल कर चुप्पी साध ली थी तो फिर प्रीति भी चुप हो गई थी पर आज जब कल्याणी ने वही बात कही तो प्रीति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

‘‘जी मां जी, मैं आज ही पापा से इस बारे में बात करती हूं.’’

इंजीनिरिंग के बाद एमबीए कर दिल्ली की ही एक बड़ी कंपनी में देव की नौकरी लग गई. घर में उस की नौकरी को ले कर खूब जश्न मनाया गया. स्मार्ट प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ एमबीए इंजीनियर और वह भी ऊंचे पद पर आसीन देव को देखते ही रमा उस पर फिदा हो गई. उसे लगने लगा देव ही उस के सपनों का राजकुमार है. उस का साथ रमा को बहुत प्रिय लगता. मजाक का रिश्ता था इसलिए देव भी कभीकभार उस से हंसीमजाक कर लेता था, पर उसे लेकर उस के मन में कोई भाव नहीं था. लेकिन रमा उसे अपना प्यार समझने लगी थी. देव को रिझने के लिए हमेशा उस के इर्दगिर्द मंडराती रहती. जानबूझ कर अपना दुपट्टा नीचे गिरा देती और जब वह उस दुपट्टे को लेने के लिए नीचे झकती तो उस के दोनों स्तन दिखने लगते. वह देव को चोर निगाहों से देखती कि वह उसे देख रहा है या नहीं.

मगर देव तो अपने में ही खोया रहता. वह चाहती कि देव भी उस के साथ छेड़छाड़ करे, उसे छूए. लेकिन देव की तरफ से कोई पहल न होते देख रमा उस के और करीब आने लगी. वह अब उस के खानेपीने का खयाल रखने लगी और उसी दौरान उसे यहांवहां छूने भी लगती. कभी वह उस के बालों में अपनी उंगलियां फिराने लगती तो कभी उस का कोई सामान जो उस के हाथ में होता, ले कर भाग जाती और जब देव उस के पीछे भागता, तो जानबूझ कर वह छत पर चली जाती.

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आज फिर तुम पे प्यार आया है : भाग 2- किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

फिर देव को सामने देख कहती, ‘‘छूओ, देखो मेरा कलेजा कैसे धकधक कर रहा है,’’ कह कर वह उस का हाथ अपने सीने पर रख देती.

उस के ऐसे आचारण से घबरा कर देव वहां से भाग खड़ा होता. कभी जब देव अपने ही खयालों में खोया होता तो अचानक पीछे से वह उस के गले में बांहें डाल कर झल जाती और वह घबरा कर उठ बैठता. कहता कि कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा? तो रमा कहती कि वही जो सोचना चाहिए और फिर खिलखिला कर हंस पड़ती. देव उसे देख कर सोचने लगता कि कैसी पकाऊ लड़की है यह देव ने कभी उसे उस नजर से नहीं देखा, पर वह थी कि उस के पीछे ही पड़ी थी.

कभीकभी तो वह देव के कमरे में ही आ कर जम जाती और फिर देर रात तक बैठी रहती. हार कर देव को कहना पड़ता कि भई जाओ अपने कमरे में अब तो वह यह बोल कर देव से चिपक जाती कि क्या हरज है अगर आज रात वह उसी के कमरे में सो जाए तो?

‘‘और अगर कोई शरारत हो गई मुझ से तो?’’ खीजते हुए देव कहता.

‘‘तो डरता कौन है आप की शरारतों से? कर के देखो तो एक बार,’’ अपनी एक आंख दबा कर रमा कहती तो देव ही शरमा जाता.

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समझ में आने लगा था देव को कि रमा अपनी बहन जैसी बिलकुल नहीं है और वह उस के एक इशारे पर अपना सबकुछ समर्पित कर सकती और शायद बाद में वह उस का फायदा भी उठाना चाहे, इसलिए अब वह उस से दूरी बना कर चलने लगा. औफिस से आते ही वह या तो अपने किसी दोस्त के घर जा कर बैठ जाता या फिर अपने कमरे में ही बंद हो जाता यह बोल कर कि आज वह बहुत थका हुआ है तो आराम करना चाहता है. लेकिन इतनी ढीठ थी रमा कि दरवाजा खटखटा कर उस के कमरे में घुस आती और ऊलजलूल बातें करने लगती. अब तो चिढ़ होने लगी थी देव को उस के छिछले आचरण से पर कहे तो किस से भला?

जब कभी किसी काम से देव मार्केट जाता, तो रमा भी उस के पीछे पड़ जाती. यह बोल कर वह उस की बाइक पर बैठ जाती कि उसे भी बाजार से कुछ जरूरी सामान खरीदना है. जब देव कोई बहाना बनाने लगता तो कल्याणी यह बोल कर कि ले जा इसे भी साथ उसे चुप करा देती, लेकिन उसे शर्र्म आती जब वह बाइक पर उस से चिपक कर बैठती और जब देव ब्रेक लगाता तो जानबूझ कर वह उस पर लद जाती.

एक रोज देव के दोस्त मनोज ने दोनों को एकसाथ बाइक पर बैठे देख कर बोल भी दिया, ‘‘क्या बात है बड़ी मस्ती चल रही आजकल तेरी तो? दीदी का देवर दीवाना हो गया क्या?’’

उस की बात पर जहां देव सकुचा कर रह गया वहीं रमा उस से और चिपट गई. जब भी रमा उस के साथ होती, जानबूझ कर देव अपने दोस्तों से कटता फिरता ताकि बात का बतंगड़ न बन जाए. लेकिन रमा तो मन ही मन उस की पत्नी बनने का खयाली पुलाव पका रही थी.

गोरीचिट्टी, हाथ लगाए तो मैली हो जाए, साथ ही इंजीनियर, एमबीए की डिगरी के साथ तनिका जब पूर्व की कंपनी में आई तो सब उसे देखते रह गए. औफिस का हर बंदा उस से दोस्ती करना चाहता था, पर वह थी कि बस ‘हाय’ का जवाब दे कर मुसकरा भर देती. उस का और देव का कैबिन आमनेसामने थी, जिस कारण अकसर दोनों की आंखें चार होतीं, तो अनायास ही उस की खामोश निगाहें बहुत कुछ ब्यां कर जातीं. तनिका को देख कर देव को लगता वह उस से पहले भी मिल चुका है, शायद सपनों में मन में ही बोल कर वह मुसकरा देता और जब उस की नजर तनिका से टकराती तो वह ?झोंप जाता जैसे उस के मन की बात उस ने सुन ली हो. तनिका को ले कर उस के मन में हलचल पैदा हो चुकी थी और कब तनिका भी उस की ओर आकर्षित होने लगी थी यह तो उसे भी खबर नहीं थी.

एक रोज शाम से ही काले बादल उमड़घुमड़ रहे थे. लग रहा था जोर की बारिश होगी. कुछ ही देर में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई. देव अपनी गाड़ी से आया था. पर वह औटो का इंतजार कर रही थी.

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‘‘कोई बात नहीं, आप मेरे साथ मेरी गाड़ी में चलिए मैं आप को आप के घर तक छोड़ दूंगा,’’ देव ने कहा तो तनिका थोड़ी सकुचाई, पर फिर वह गाड़ी में बैठ गई.

बातोंबातों में पता चला कि तनिका इलाहाबाद से है और वह यहां 2 कमरों का घर ले कर कुछ लड़कियों के साथ रह रही है.

‘‘अरे वाह, फिर तो आप मेरी पड़ोसिन हो गईं,’’ वह बोला. देव ने जब कहा कि उस का घर बिहार में है पर वह वहां कभीकभार ही जा पाता है तो तनिका भी बताने लगी कि बिहार उस की नानी का घर है और वह  भी कई बार वहां जा चुकी है.

‘‘बस मेरा घर आ गया. यहीं उतार दीजिए.’’

‘‘काफी दूर है आप का घर. औफिस के लिए तो घर से जल्दी निकलना पड़ता होगा आप को? वैसे हमारे घर के पास भी कई घर ऐसे हैं जहां नौकरी करने और पढ़ने वाली लड़कियां रहती हैं. अगर आप कहें तो..’’

‘‘नहींहीं,’’ बीच में ही वह बोल पड़ी, ‘‘जरूरत होगी तो बता दूंगी,’’ और फिर घर तक पहुंचाने के लिए देव को धन्यवाद दे कर वह चली गई.

कुछ समय बाद तनिका देव के घर के करीब ही रहने आ गई और फिर औफिस दोनों साथ आनेजाने लगे थे. धीरेधीरे उन की जानपहचान गहरी दोस्ती में तबदील हो गई. दोनों एकदूसरे के सान्निध्य में बहुत सहज महसूस करते और पसंद भी दोनों की बहुत मिलतीजुलती थी.

‘‘वाकई, दिल्ली बहुत ही अच्छा शहर है,’’ एक रोज यूं ही देव के साथ दिल्ली की सड़कें नापते हुए तनिका बोली.

‘‘अरे वाह, क्या बात है पर लोग तो इसे बेदिल दिल्ली कहते हैं,’’ बोल कर देव हंस पड़ा तो तनिका को भी हंसी आ गई.

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अकसर देव तनिका के खयालों में खोया रहता और जब कल्याणी उस का कारण पूछती तो बहुत काम का बहाना बना कर बात को टाल जाता. सोचता कि क्यों न एक बार तनिका को कौल कर लूं? पर फिर सोचता कि क्या सोचेगी वह उस के बारे में?

जब एक दिन तनिका ने ही फोन कर के उस से कहा कि उसे नींद नहीं आ रही है. क्या वे कहीं बाहर चल सकते हैं? अब अंधे को क्या चाहिए, दो आंखें ही न? धीरेधीरे उन की निकटता बढ़ने लगी और वे एकदूसरे की जरूरत महसूस करने लगे. तनिका के मन में भी देव के लिए प्यार पनत चुका था क्योंकि एक दिन की भी जुदाई उसे बेचैन कर देती और जब तनिका कभी छुट्टियों में अपने घर जाती तो देव भी पागलों की तरह यहांवहां भटकता फिरता.

आगे पढें- मगर रमा को तो पूर्ण विश्वास था कि…

आज फिर तुम पे प्यार आया है : भाग 3- किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

इधर रमा की कालेज की पढ़ाई अब पूरी होने वाली थी और यह सोचसोच कर प्रीति परेशान हुए जा रही थी कि वह वहां अकेली कैसे रहेंगी? ‘अगर देव का ब्याह मेरी रमा से हो जाए तो कितना अच्छा होगा न? दोनों बहनें साथसाथ रहेगी और फिर छोटे बबुआ भी तो मेरी रमा को पसंद करते हैं?’ अपने मन में ही सोच प्रीति खिल उठती पर उस की हिम्मत नहीं होती यह बात किसी से कहने की, निखिल से भी नहीं, पर कोशिश में जरूर थी वह कि ऐसा हो जाए.

‘अगर रमा से देव की शादी हो जाए, तो कितना अच्छा रहेगा न? अच्छीभली और जानीपहचानी लड़की है और सब से बड़ी बात कि दोनों बहनें प्यार से घर को संभाले रखेंगी. घरसंपत्ति का कोई बंटबारा भी नहीं होगा. लेकिन क्या देव की मरजी जाने बिना उस का रिश्ता किसी भी लड़की से तय करना उचित होगा?’ कल्याणी अपनेआप से ही सवालजवाब करती और फिर चुप हो जाती.

मगर प्रीति जब भी देव की शादी का जिक्र छेड़ती तो कल्याणी कहती, ‘‘जब और जिस से मन मिलेगा हो ही जाएगी एक दिन.’’

मगर रमा को तो पूर्ण विश्वास था कि उस की शादी देव से ही होगी क्योंकि वह उसे पसंद करता है, पर देव के दिल के दरवाजे पर तो तनिका दस्तक दे चुकी थी और रमा इस बात से कोरी अनजान थी.

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जहां रमा के लिए देव एक तृष्णा था वहीं देव के लिए तनिका एक तृप्ति थी. तनिका को ले कर जो भाव देव के मन में जागा था, रमा को ले कर कभी जागा ही नहीं. दोनों का प्यार उस सागर की भांति था जो पूर्णिमा के चांद को देखते ही उद्वेलित हो जाता है.

‘‘शादी के बारे में क्या सोचा है देव? अब उम्र भी तो हो गई है तुम्हारी और फिर हमें भी तो अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना है,’’ जब एक रोज कल्याणी ने यह बात कही तो झट से बिना वक्त गंवाए देव ने अपने और तनिका के रिश्ते के बारे में उन्हें बता दिया और कहा कि दोनों एकदूसरे को पसंद करते हैं और शादी भी करना चाहते है.

बिना कोई सवालजवाब किए कल्याणी और जय ने तनिका और उस के परिवार से मिलने की इच्छा जताई. लेकिन प्रीति का चेहरा देव और तनिका की शादी को सुनते ही मलिन हो गया और रमा तो ऐसे भागी वहां से जैसे गधे के सिर से सिंग. वैसे उस का चले जाना देव को बहुत अच्छा लगा. लगा उसे जैसे बला टली.

तनिका के मांपापा से मिलने के बाद, दोनों परिवारों की सहमति से देव और तनिका का रिश्ता तय हो गया. सगाई के कुछ दिन बाद ही शादी का दिन भी तब हो गया. अपने आने वाले सुनहरे भविष्य को ले कर दोनों रंगबिरंगे सपनें सजाने लगे. लगने लगा उन्हें जैसे वे नीले आसमान में विचरण करने लगे हों. उन्होंने तो यह भी तय कर लिया कि शादी के बाद हनीमून पर कहां जाएंगे. जैसेजैसे उन की शादी के दिन नजदीक आते जा रहे थे देव की धड़कन बढ़ती जा रही थी. पता नहीं क्यों, पर उसे लगता कि सब कुछ ठीक से तो हो जाएगा न? ‘‘यह अच्छा है हमारे देव के जो उसे उस की पसंद की लड़की मिल गई. हर मायने में मु?झो तनिका देव से मेल खाती लगी,’’ कल्याणी ने कहा तो जब कहने लगे कि उन्हें तो बच्चों की खुशी में ही अपनी खुशी झलकती है. बाहर खड़ी प्रीति दोनों की बातें सुन कर सोचने लगी कि ‘वह भी कितनी पागल है. अरे, शादी ब्याह भी क्या जोरजबरदस्ती की बात है? यह तो मन का मिलन है और रिश्ते तो ऐसा ही बनते हैं.’

‘‘क्या सोच रहे है छोटे बबुआ? अपनी तनिका के बारे में?’’ बड़े प्यार से देव के सिर पर अपने हाथ फेरते हुए प्रीति ने पूछा तो विचारा में मग्न, देव सकपका गया.

बोला, ‘‘न नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. वैसे सारे मेहमान तो आ गए न?’’ देव के पूछने पर प्रीति ने ‘हां’ में जवाब दिया और फिर बड़े प्यार से उस के सिर को सहलाने लगी, एक मां की तरह. प्रीति का व्यवहार सामान्य देख कर देव को भी अच्छा लगा. लेकिन रमा का जा कर फिर वापस आ जाना और यह कहना कि वह शादी में अपने नाचगाने से धूम मचा देगी. वह बात उसे कुछ हजम नहीं हुई पर फिर शादी की शौपिंग और घर में मेहमानों की भीड़ के बीच यह सब बातें आईगई हो गयी. रमा फिर पहले की तरह देव से हंसनेबतियाने लगी और घर  के कामों में भी अपनी बहन की मदद करने लगी. शादी में पहनने के लिए उस ने भी अपने लिए लहंगा और जेवर लिए. डांसगाने की प्रेक्टिस भी खूब हो रही थी सब की. कौन कब क्या पहनेगा और किस गाने पर कौन डांस करेगा घर में बस इसी की बातें चल रही थी पर देव तो यह सोचसोच कर ही उत्साहित हो उठता कि अब इस चार दिन बाद तनिका उस की हो जाएगी और वह तनिका का.

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संगीत वाली रात सारी औरतों के साथ प्रीति और रमा भी खूब थिरक रही थीं और साथ में देव भी. चायकौफी और कोल्डड्रिंक्स का दौर चलता रहा और साथ में नाचगाना भी. लेकिन देव को खुमारी सी आने लगी तो वह अपने कमरें में सोने चला गया और बाकी के लोग भी धीरेधीरे कर के सो गए. लेकिन सुबह जब देव की नींद खुली और उस ने घर में हंगामा होते सुना तो चौंक कर उठ बैठा. देखा तो रमा एक कोने में दुबकी सिसक रही थी और प्रीति भी रो रही थी. कल्याणी भी अपने सिर थामे एक तरफ खड़ी थी और घर में आए सारे मेहमान एकदूसरे से फुसफुसा कर बातें कर रहे थे और देव को अजीब नजरों से देखे जा रहे थे. कुछ समझ नहीं आ रहा था देव को कि यह सब हो क्या रहा है और उस का सिर क्यों इतना भारीभारी सा लग रहा है?

मगर जब तक वह कुछ समझ पाता, पुलिस उसे रमा के बलात्कार के केस में हथकड़ी लगा कर ले जा चुकी थी. कहता रहा वह कि उस ने रमा का रेप नहीं किया है और सब को कोई गलतफहमी हुई है. लेकिन जब इंस्पैक्टर ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार बलात्कार हुआ है और देव ने ही किया है तो उस का माथा घूम गया कि वह ऐसा कैसे कर सकता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि नींद में मैं ने रमा को तनिका समझ कर? नहींनहीं, मैं ऐसा कर ही नहीं सकता हूं. तो फिर वह सब…सवालों के कठघरे में खड़ा देव, खुद से ही सवाल करता और खुद ही जवाब भी देता पर उस का दिल यह मानने को बिलकुल तैयार नहीं था कि उस ने जानबूझ कर रमा के साथ ऐसा किया होगा?

खैर, जो भी हो पर सारे सुबूत और गवाह देव के खिलाफ थे. कोर्ट केस चला और देव को रमा के बलात्कार के इलजाम में 7 साल की सजा हो गई.

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बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए ट्राय करें ये 6 टिप्स

कोरोना काल के पूर्व से बच्चों की मोबाइल से निकटता उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही थी, परन्तु कोरोना का आगमन मानो सोने पे सुहागा साबित हुआ. कोरोना के कारण बच्चों के स्कूल बंद हो गए और क्लासरूम टीचिंग का स्थान ऑनलाइन टीचिंग ने ले लिया. आजकल प्राइमरी से लेकर कॉलिज तक की सभी क्लासेज ऑनलाइन हो रहीं हैं. इससे हर बच्चे की मोबाइल तक पहुंच और अधिक आसान हो गयी है.

पहले जहां बच्चे के जिद करने पर अभिभावक बच्चों को सीमित समय के लिए मोबाइल देते थे वहीं अब पढ़ाई के लिए बच्चे को हर हाल में मोबाइल उपलब्ध कराना अभिभावकों की विवशता है. यद्यपि मोबाइल पर पढ़ाई से बच्चों की आंखों और सेहत पर अनेकों दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं पर शिक्षा के लिए तो उन्हें मोबाइल का उपयोग करना ही होगा. आज के परिवेश में मोबाइल से बच्चों को दूर रखना तो सम्भव नहीं है परन्तु हां थोड़े से प्रयासों द्वारा इसके प्रयोग की समय सीमा को सीमित अवश्य किया जा सकता है. जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक भी है. यहां पर प्रस्तुत हैं 6 ऐसे ही उपयोगी टिप्स जिनकी मदद से आप बच्चों के मोबाइल प्रयोग को सीमित कर सकते हैं-

1-बच्चों के लिए एग्जाम्पल सेट करें

अक्सर अभिभावक स्वयम हर समय मोबाइल की स्क्रीन में उलझे रहते हैं और बच्चों को दूर करना चाहते हैं. बच्चों में अनुकरण की प्रबृत्ति पाई जाती है वे जैसा अपने माता पिता को करते देखते हैं वैसा ही वे खुद भी करते हैं. इस समय कोरोना के कारण बाहर जाना तो सम्भव नहीं है इसलिए अभिभावकों की दोहरी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चे के लिए ऐसे कार्य करें जिनका बच्चा अनुकरण कर सके.

2-भरपूर समय दें

चूंकि इस समय बच्चों की आउटडोर गतिविधियां पूरी तरह बंद हैं अतः माता पिता उन्हें भरपूर समय दें. उनके साथ स्नैक एंड लैडर, कैरम, लूडो और व्यापार जैसे इंडोर गेम्स खेलें. उनके साथ बातें कीजिये इससे आपका और बच्चे का भवनात्मक सम्बन्ध बहुत मजबूत होगा जो भविष्य में बहुत अच्छा वर्क करेगा.अपने घरेलू और ऑफिसियल कार्यों से निवृत होने के बाद मोबाइल और टी वी में उलझने के स्थान पर बच्चे को समय दें. भूलकर भी उसे डांटे या चीखे चिल्लाएं नहीं.

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3-रीडिंग हैबिट्स डवलप करें

आप स्वयम पत्रिकाएं और विविध किताबे पढ़े, इससे घर में अध्ययन का वातावरण बनेगा. बच्चे के लिए कोर्स से इतर पत्र, पत्रिकाएं मंगवाएं. आजकल कोरोना के कारण आप बाजार जाने से बच रहे हैं तो पत्रिकाओं का ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन भेजें और घर बैठे पत्रिकाएं प्राप्त करें. चॉकलेट, पिज़्ज़ा, बर्गर की कीमत के मुकाबले पत्रिकाओं की कीमत बहुत कम होती है परन्तु फिर भी हम उन्हें पत्रिकायें खरीदकर नहीं देते, बच्चों के अच्छे मानसिक विकास के लिए आप उन्हें  पत्रिकाएं लाकर दें. स्कूल टाइम में जहां होमवर्क, प्रोजेक्टस, एसाइनमेंट और ट्यूशन के कारण समय का अभाव रहता था वहीं अब वे घर पर हैं तो पत्रिकाओं से अच्छा उनका कोई साथी नहीं हो सकता.

4-दोस्ताना व्यवहार रखें

अपने जमाने की बात करने के स्थान पर बच्चों से दोस्ताना व्यवहार बनाएं, जिससे बच्चा अपने मन में उपजी हर अच्छी बुरी जिज्ञासा को आपसे शेयर कर सके. इस समय कोरोना के कारण बच्चे काफी लंबे समय से घर में हैं, सोशल गतिविधियां न होने के कारण तनाव में हैं इसलिए उन्हें अतिरिक्त प्यार, दुलार की आवश्यकता है और ये उन्हें किसी भी प्रकार की स्क्रीन से नहीं बल्कि केवल आपसे प्राप्त हो सकता है.

5-इंगेज रखें

बच्चा यदि खाली रहेगा तो मोबाइल या टी वी की तरफ दौड़ेगा, अतः उसे निरन्तर व्यस्त रखें. क्राफ्ट, इंडोर गेम्स, घरेलू कार्यो की ट्रेनिंग आदि में उसे व्यस्त रखें ताकि उसे समय का पता ही न चले. उसके लिए हर दिन का काम पूरा करने का एक टारगेट रखें. हां उसके द्वारा किये गए कार्यों को चेक करें, सराहें और यदा कदा रिवार्ड भी दें.

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6-पेट लाकर दें

यदि बच्चा परिवार में इकलौता है तो निश्चय ही इस समय उसे अपने दोस्तों की कमी अखर रही होगी. ऐसे में आप उसे उसका मनचाहा कोई पेट लाकर दें इससे वह व्यस्त तो रहेगा ही साथ ही उसके अंदर केयरिंग करने की भावना का भी विकास होगा.

Social Story In Hindi: मैं कमजोर नहीं हूं- भाग 1- मां और बेटी ने किसे सिखाया सबक

आज रात भी मैं सो न सकी. आकाश के कहे शब्द शूल की भांति चुभ रहे थे. ‘मम्मी, तुम्हें मुझे मेरे पिता का नाम बताना ही पडेगा वरना…’ वरना क्या? यह सोच कर मैं भय से सिहर उठी.

आकाश मेरा एकमात्र सहारा था. उसे खोने का मतलब जीने का मकसद ही खत्म हो जाना. बड़ी मुश्किलेां से गुजर कर मैं ने खुद को संभाला था, जो आसान न था. एक बार तो जी किया कि खुद को खत्म कर लूं. मेरी जैसी स्त्री को समाज आसानी से जीने नहीं देता. इस के बावजूद जिंदा हूं, तो इस का कारण मेरी जिजीविषा थी.

अनायास मेरा मन अतीत के पन्नों पर अटक गया. तब मैं 14 साल की थी. भले ही यह उम्र कामलोलुपों के लिए वासना का विषय हो परंतु मेरे लिए अब भी हमउम्र लड़कियों के साथ खेलनाकूदना ही जिंदगी था. अपरिपक्व मन क्या जाने पुरुषों की नजरों में छिपे वासना का जहर? मेरे ही पड़ोस का युवक अनुज मेरी हमउम्र सहेली का भाई था. एक दिन उस के घर गई.

उस रोज मेरी सहेली घर पर नहीं थी. घर मे दूसरे लोग भी मौजूद नहीं थे. उस ने मुझे इशारों से अपने कमरे में बुलाया. यह मेरे लिए सामान्य बात थी. जैसे ही उस के कमरे में गई, उस ने मुझे बांहों मे जकड़ लिया. साथ में, मेरे गालेां पर एक चुंबन जड़ दिया. यह सबकुछ अप्रत्याशित था.

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मैं घबरा कर उस की पकड़ से छूटने का प्रयास करने लगी. जैसे ही उस ने अपनी पकड ढीली की, मैं रोने लगी. वह मेरे करीब आ कर बोला, ‘‘तुम मुझे अच्छी लगती हो, आई लव यू.’’ मैं ने अपने आंसू पोंछे. घर आई. इस घटना का जिक्र भयवश किसी से नहीं किया. आज इसी बात का दुख था. काश, इस का जिक्र अपने मांबाप से किया होता तो निश्चय ही वे मेरा मार्गदर्शन करते और मैं एक अभिशापित जीवन जीने से बच जाती. बहरहाल, वह मुझे अच्छा लगने लगा.

उम्र की कशिश थी. मै अकसर किसी न किसी बहाने सहेली के घर जाने लगी. एक दिन वैसा ही एकांत था जब उस ने मेरे शरीर से खेला. मैं न करती रही, मगर वह कहां मानने वाला था. मैं बुरी तरह डरी हुई थी. घर आई. अपने कमरे में जा कर चुपचाप लेट गई. रहरह कर वही दृश्य मेरे सामने नाचता रहा. सुबह नींद खुली तो मां ने मेरी तबीयत का हाल पूछा. तब मैं ने बहाना बना दिया कि मेरे सिर में दर्द हो रहा था. यह सिलसिला कई माह चला.

असलियत तब पता चली जब मेरे अंदर मां बनने के संकेत उभरे. मां को काटो तो खून नहीं. अब करे तो क्या करे. पापा को तो बताना ही पड़ेगा. उस समय घर में जो कुहराम मचेगा, उस का कैसे सामना करेगी. वे रोंआसी हो गईं. उन का दिल बैठने लगा. मुझे कोसने लगीं. उन्होंने मुझे मारापीटा भी. पर उस से क्या होगा? जो होना था वह हो चुका. वही हुआ जिस का डर था.

पापा ने मां को खूब खरीखोटी सुनाई. ‘कैसी मां हो जो जवान होती बेटी पर नजर न रख सकीं?’ वे मेरा गला घोंटने जा रहे थे. मां ने रोका. पापा कैसे थे, कैसे हो गए. कहां मेरे लिए हर वक्त एक पैर खड़े रहते थे. मेरा जरा सा भी दर्द उन से सहा न जाता था.

आज वही पापा मेरी जान लेने पर उतारू हो गए. मैं रोए जा रही थी. उस रोज किसी ने खाना नहीं खाया. सब मेरे भविष्य को ले कर चिंतित थे. ‘इस लडकी ने मुझे कहीं का न छेाडा.’ मैं ने पापा को इतना हताश कभी नहीं देखा.

‘क्यों न इस मामले में अपने भाई से राय ली जाए,’ मां बोलीं.

‘पागल हो गई हो. किसी को कानोंकान खबर नहीं लगनी चाहिए कि तुम्हारी बेटी के साथ ऐसा हुआ है वरना मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहोगी.’ इस का मतलब यही था कि पापा ने अनुज के परिवार वालों के बीच भी इस सवाल को उठाना उचित नहीं समझा. वे जानते थे कि कुछ हासिल नहीं होगा, उलटे, समाज में बदनामी होगी, सो अलग.

‘तब क्या होगा?’

‘जो कुछ करना होगा, हमदोनों आपस में ही सलाहमशवरा कर के करेंगे. कल सुबह सब से पहले किसी महिला डाक्टर से मिलना होगा. फिर जैसा होगा वैसा किया जाएगा.’ मम्मी को पापा की राय उचित लगी.

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अगली सुबह दोनों लेडी डाक्टर के पास गए. लेडी डाक्टर ने गर्भपात करने से साफ मना कर दिया, बोली, ’समय काफी निकल चुका है, जान का खतरा है.’ हर तरीके से पापा ने डाक्टर से मिन्नतें कीं. मगर वे टस से मस न हुईं. भरेकदमों से दोनो वापस लौट आए. अब एक ही रास्ता था या तो मुझे मार डाला जाए या फिर कहीं दूर चले जाएं और इस बच्चे को जन्म दे कर छोड़ दिया जाए. मां के साथ नागपुर से मैं मुंबई आ कर एक फ्लैट ले कर किराए पर रहने लगी. मुंबई इसलिए ठीक लगा क्योंकि यहां कोई किसी के बारे में जानने की कोशिश नहीं करता. 9 महीने बाद मैं एक बच्चे की मां बनी. इस से पहले कि मैं उस की शक्ल देखूं, मां ने पहले से ही एक परिचित, जो निसंतान थी, को दे कर छुटटी पा ली. बाद में पापा ने भी अपना तबादला मुंबई करवा लिया. मैं ने अपनी पढ़ाईलिखाई फिर से शुरू कर दी. इस के बावजूद मेरी आंखों से मेरे अतीत का दुस्वप्न कभी नहीं गया. जब भी सामने आता तो बेचैन हो उठती. 24 साल की हुई, तो मां ने मेरी शादी कर दी इस नसीहत के साथ कि मैं कभी भी अपने बीते हुए कल की चर्चा नहीं करूंगी. यह मेरे ऊपर तलवार की तरह थी. हर वक्त मैं इस बात को ले कर सजग रहती कि कहीं मेरे पति को पता न चल जाए. पता चल गया, तो क्या होगा? यह सोचती तो भय की एक सिरहन मेरे जिस्म पर तैर जाती. स्त्री की जिंदगी दांतों के बीच जीभ की तरह होती है. यही काम पुरुष करता, तो न समाज उसे कुछ कहता न ही उसे कोई अपराधबोध होता. उलटे, वह अपनी मर्दानगी का बखान करता. ऐसा ही हुआ होगा जिस ने मेरे जिस्म से खेला. आज निश्चय ही वह शादीब्याह कर के एक शरीफ इंसान का लबादा ओढ़े समाज का सम्मानित आदमी बन कर घूम रहा होगा जबकि मैं हर वक्त भय के साए में लिपटी एक अंधेरे भविष्य की कल्पना के साथ. इसे विडंबना ही कहेंगे जो हमारे समाज के दोहरे मापदंड का विद्रूप चेहरा है. 6 महीने बामुश्किल गुजरे होंगे जब मेरे पति ने मेरे चरित्र पर सवाल उठा कर तलाक का फरमान सुना दिया. ऐसा क्या देखा और सुना, जो उसे मेरा चरित्र संदिग्ध लगा.

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प्रदेश में कोई भी भूखा नहीं रहना चाहिए : सीएम योगी

कोरोना की वैश्विक महामारी में भाजपा की डबल ईंजन सरकार हर जरूरतमंद और गरीब के साथ खड़ी है. केंद्र सरकार की ओर से 15 करोड़ लोगों को 11 महीने और राज्य सरकार की ओर से पांच महीने राशन फ्री दिया गया है. अब तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से करीब 10 करोड़ कुंतल राशन लोगों को फ्री दिया गया है. यह सिलसिला अभी नवंबर तक और चलने वाला है. ई-पॉस मशीनों से राशन वितरण कराने के कारण राज्य सरकार को इस साल मई तक करीब 3263 करोड़ से अधिक की सब्सिडी की बचत हुई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में गरीबों और जरूरतमंदों को लेकर निर्देश दिया था कि एक भी जरूरतममंद राशन से वंचित न रहे. राशन कार्ड न हो, तो तत्काल बनाएं. प्रदेश में कोई भी भूखा नहीं रहना चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से ‘‘प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना’’ के तहत नवम्बर तक और राज्य सरकार की ओर से अगस्त तक मुफ्त राशन दिया जा रहा है. 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य यूपी के 14.81 करोड़ लाभार्थियों को हर माह निशुल्‍क राशन दिया जा रहा है. फिलहाल, केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्तूबर, नवंबर और इस साल मई, जून और जुलाई तक करीब नौ करोड़ 99 लाख 97 हजार 815 कुंतल निशुल्क राशन दिया गया है. कोरोना काल में राज्य में किसी को राशन के लिए परेशान न होना पड़े, इसलिए राज्य सरकार की ओर से भी पिछले साल अप्रैल, मई, जून और इस साल जून, जुलाई में 23 लाख 60 हजार 402 कुंतल राशन निशुल्क दिया गया है.

43,572 कार्डधारकों ने दूसरे राज्यों और दूसरे राज्यों के 6616 कार्डधारकों ने प्रदेश में लिया राशन

प्रदेश के सभी नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अन्तः जनपदीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लागू है. साथ ही पिछले साल पांच फरवरी से प्रदेश में स्टेट लेवेल पोर्टेबिलिटी सुविधा लागू है. वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना के तहत प्रदेश में नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा पिछले साल जून से लागू है, जिसके तहत प्रदेश के 43,572 कार्डधारकों द्वारा अन्य राज्यों से और अन्य राज्यों के 6616 कार्डधारकों द्वारा उत्तर प्रदेश में राशन लिया गया है.

8137 से अधिक असहाय लोगों को उनके घर पर ही पहुंचाया गया राशन

केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से 16 महीने तक प्रति यूनिट पांच किलो राशन दिया गया है, यानि एक व्यक्ति को 80 किलो राशन अभी तक दिया जा चुका गया है. इसके अलावा खाद्य एवं रसद विभाग की ओर से प्रदेश के 8137 से अधिक असहाय लोगों को उनके घर पर ही राशन दिया गया है.

मरीजों और उनके परिजन का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं: योगी

कोरोना महामारी के बीच मरीजों और तीमारदारों को मुसीबतों का सामना न करना पड़े इसके लिए सीएम योगी आदित्य नाथ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को एम्बुलेंस संचालन की व्यवस्थाओं की सतत निगरानी करने के आदेश दिए हैं. प्रदेश के सभी जनपदों में मरीजों को समय से एंबुलेंस की सेवा मिले इसके लिए सीएम ने एम्बुलेंस की उपलब्धता को सुनिश्चिति करने के आदेश जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी हाल में मरीजों और उनके परिजन का उत्पीड़न न हो इस बात का ध्यालन रखा जाए. सीएम ने बैठक में निर्देश देते हुए कहा कि एम्बुलेंस की अनुपलब्धता के कारण अगर किसी की असमय मृत्यु की दुःखद घटना की सूचना मिली, तो दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी.

प्रदेश में बेहतर चिकित्सीोय सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण की पहली व दूसरी लहर में खुद को हर स्तयर पर बेहतर साबित किया है. सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश होने के बावजूद कोरोना पर लगाम लगाने वाले उत्तकर प्रदेश के योगी के यूपी मॉडल की चर्चा आज देश के दूसरे प्रदेशों में है. प्रदेश के नौ जिलों में बीते 24 घंटों में कोरोना का एक भी एक्टिव केस नहीं मिला वहीं, अब एक्टिव कोविड केस की संख्या 729 ही रह गई है. जो दूसरे प्रदेशों के मुकाबले काफी कम है. रोजना ढाई लाख से तीन लाख टेस्ट करने वाले यूपी में नए केस की संख्या में हर दिन गिरावट दर्ज की जा रही है. जनपद अलीगढ़, अमरोहा, बस्ती, एटा, हाथरस, कासगंज, कौशांबी, महोबा और श्रावस्ती में अब कोविड का एक भी मरीज शेष नहीं है. यह जनपद आज कोविड संक्रमण से मुक्त हैं.

55 जिलों में नहीं मिला संक्रमण का एक भी केस

सर्वाधिक कोविड टेस्टिंग करने वाले राज्य यूपी में अब तक 06 करोड़ 52 लाख से अधिक कोविड सैम्पल की जांच की जा चुकी है. बीते 24 घंटों में 02 लाख 44 हजार से अधिक की गई जांचों में महज 42 नए मरीजों की पुष्टि हुई. इस दौरान 91 लोगों ने कोरोना को मात दी है. बता दें कि किसी भी जिले में दोहरे अंक में नए केस की पुष्टि नहीं हुई. वहीं, 55 जिलों में संक्रमण का एक भी नया केस नहीं मिला. केवल 20 जनपदों में ही इकाई अंक में मरीजों की पुष्टि हुई है. पॉजिटिविटी रेट 0.01 फीसदी व रिकवरी रेट 98.6 फीसदी दर्ज किया गया है. कानपुर में बीते दिन संक्रमित पाए गए 22 लोगों की गहन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की गई. इनके परिजनों समेत संपर्क में आए लगभग 1,400 लोगों की कोविड टेस्टिंग कराई गई जिसमें एक भी पॉजिटिव मरीज की पुष्टि नहीं हुई.

टीकाकरण में अब भी यूपी है अव्वहल

ट्रिपल टी, टीकाकरण और ठोस निर्णयों के चलते प्रदेश में कोविड संक्रमण की रफ्तार थम गई है. प्रदेश में टीकाकरण का कार्य तेजी से चल रहा है. अब तक प्रदेश में 04 करोड़ 71 लाख से अधिक कोविड वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. प्रदेश के 03 करोड़ 94 लाख से अधिक लोगों ने कम से कम कोविड की एक खुराक ले ली है. यह किसी एक राज्य द्वारा किया गया सर्वाधिक वैक्सीनेशन है.

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