दोहरे मापदंड- भाग 1 : खुद पर बीती तो क्या सचिन को अपनी गलती का एहसास हुआ

‘‘यहकैसी जगह है? यहां तो किसी से कोई मतलब ही नहीं रखता. तुम तो औफिस चले जाते हो, मेरे लिए वक्त काटना भारी पड़ता है,’’  मैं ने सचिन के औफिस से वापस आते ही हमेशा की तरह शिकायती लहजे में कहा.

‘‘यह मुंबई है श्वेता, यहां आने पर शुरू में सब को ऐसा ही लगता है, लेकिन बाद में सब इस शहर को, और यह शहर यहां आने वालों को अपना लेता है. जल्दी ही तुम भी यहां के रंगढंग में ढल जाओगी.’’

मुझे धौलपुर में छूटे हुए अपने ससुरालमायके की बहुत याद आती. शादी के बाद मैं सिर्फ 2 महीने ही अपनी ससुराल में रही थी लेकिन सब ने इतना प्यारदुलार दिया कि महसूस ही नहीं हुआ कि मैं इस परिवार में नई आई हूं. सचिन का परिवार उस के दादाजी की पुश्तैनी हवेली में रहता था. उस के परिवार में उस के चाचाचाची, मातापिता और एक विवाहित बहन पद्मजा थी.

पद्मजा थी तो सचिन से छोटी मगर उस की शादी हमारी शादी से एक साल पहले ही हो चुकी थी. उस की ससुराल भी धौलपुर में ही थी, इसलिए वह जबतब मायके आतीजाती रहती थी. चाचाचाची की कोई अपनी संतान नहीं थी, सो वे दोनों अपने अंदर संचित स्नेह सचिन और पद्मजा पर ही बरसाया करते थे. ऐसे हालात में जब मैं शादी के बाद ससुराल में आई तो मुझे एक नहीं, 2 जोड़े सासससुर का प्यार मिला.

सब के प्यार के रस से भीगी हुई मैं ससुराल नहीं छोड़ना चाहती थी. मगर ब्याहता तो मैं सचिन की थी और उन की नौकरी धौलपुर से मीलों दूर मुंबई में थी, इसलिए शादी के कुछ महीनों बाद जब मैं मुंबई आई तो मन में दुख और सुख के भाव साथसाथ उमड़ रहे थे.

एक तरफ अपने छोटे से घरौंदे में आने की खुशी तो दूसरी तरफ ससुरालमायके का आंगन पीछे छूटने का गम. ऊपर से मुंबई की भागमभाग जिंदगी जहां किसी को किसी के दुखसुख से मतलब नहीं.

हमारे अपार्टमैंट के हर फ्लोर पर 4 फ्लैट थे. हमारे फ्लोर का एक फ्लैट खाली पड़ा था. एक में हम रहते थे. बाकी बचे 2 फ्लैट्स में से एक में अधेड़ दंपती रहते थे और दूसरे में एक बैचलर. अधेड़ दंपती उत्तर भारत से आए हुए हर व्यक्ति को भइया लोग कह कर बुलाते थे और सोचते थे कि अगर उन्होंने अपना उठनाबैठना भइया लोगों के साथ बढ़ाया तो मुंबइया महाराष्ट्रियन उन का हुक्कापानी बंद कर देंगे.

जब तीसरे और महीनों से खाली पड़े हुए फ्लैट में उत्तर भारतीय निकिता और राज आए तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. मैं दूसरे ही दिन उन के यहां चाय का थरमस और ताजी बनी मठरियों के साथ पहुंच गई. निकिता भी मुझ से ऐसे मिली जैसे कि अपनी किसी पुरानी सहेली से मिल रही हो.

2-3 दिनों तक मैं उन के घर ऐसे ही चाय ले कर जाती रही और नए घर में सामान लगाने में उन की मदद करती रही. निकिता और राज एक प्राइवेट बैंक में काम करते थे. उन का एक 6-7 साल का बेटा दिग्गज भी था. राज की माताजी भी उन के साथ ही रहती थीं.

जब घर व्यवस्थित होने के बाद उन की दिनचर्या ढर्रे पर आ गई तो निकिता ने मुझे और सचिन को अपने घर खाने पर आने का न्योता दिया, ‘‘श्वेता, तुम ने तो हमारे लिए बहुत किया वरना यहां मुंबई में कौन किसे पूछता है. आने वाले इतवार को तुम और सचिन हमारे यहां डिनर पर आओ. इसी बहाने सचिन और राज भी एकदूसरे से मिल लेंगे.’’

मैं ने निकिता का निमंत्रण बड़ी तत्परता के साथ स्वीकार कर लिया, क्योंकि मैं जब भी उस के घर जाती तो निकिता की सास उस की पाककला की तारीफ करते न थकती थीं.

‘‘तुम इतना सारा खाना कैसे बनाओगी, मैं भी अपने घर से एकदो चीजें बना लाऊंगी,’’ मैं

ने निकिता का मन रखने के लिए ऊपरी तौर पर पूछ लिया.

‘‘कुछ मत बना कर लाना. बस, आ जाना टाइम से,’’ निकिता ने सामने पड़े हुए कपड़ों के गट्ठर में से एक तौलिया तह करते हुए कहा.

इतवार की शाम दोनों परिवार निर्धारित समय पर निकिता के घर में डाइनिंग टेबल के इर्दगिर्द बैठे थे. जायकेदार खाने के दौरान हर तरह की गपशप चल रही थी. राज की अत्यंत सौम्य स्वभाव की माताजी बड़े ही दुलार से सब की प्लेटों पर नजर रखे हुए थीं.

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गपशप भी अपनी चरम सीमा पर थी. पहले राज ने सचिन से उस के कामकाज के बारे में जानकारी ली, फिर उस ने अपने और निकिता के काम के बारे में उसे बताया. घूमतेफिरते बातों ही बातों में वे सवाल भी पूछ लिए गए जो कि जब नए जोड़े पहली बार अनौपचारिक माहौल में मिलते हैं तो अकसर पूछ लेते हैं.

‘‘वैसे तुम्हारी शादी हुए कितना वक्त हो गया?’’ उस हलकेफुलके माहौल में सचिन ने राज और निकिता से पूछा.

‘‘सिर्फ 2 साल,’’ राज ने संक्षिप्त जवाब दे कर फिर से राजनीतिक मुद्दों की तरफ बात मोड़नी चाही, मगर उस का जवाब सचिन की जिज्ञासा बढ़ा चुका था.

‘‘क्या…सिर्फ 2 साल?’’ ऐसा कैसे हो सकता है, तुम्हारा बेटा दिग्गज ही करीब 6-7 साल का होगा, सचिन ने आश्चर्र्य से पूछा.

‘‘हां, हमारा बेटा अगले महीने पूरे 7 साल का हो जाएगा. बहुत ही प्याराप्यारा बेटा है मेरा,’’ राज के स्वर में गर्व और खुशी दोनों का भाव एकसाथ था.

‘‘वह तो ठीक है, सभी बच्चे अपने मांबाप को प्यारे ही लगते हैं. मगर जब तुम्हारी शादी को ही 2 साल हुए हैं तो यह 7 साल का बेटा तुम्हारा कैसे हो सकता है. अभी हम भारतीयों में शादी के पहले बच्चे पैदा करने का रिवाज तो नहीं है.’’

‘‘तुम ने बिलकुल सही कहा सचिन. हमारे समाज में विवाहपूर्व बच्चों की स्वीकृति अभी बिलकुल भी नहीं है. हां, कुछ हद तक लिवइन का ट्रैंड तो अब आ चुका है. असल में दिग्गज निकिता की पहली शादी की संतान है,’’ राज ने सलाद की प्लेट से एक गाजर का टुकड़ा उठा कर उसे कुतरते हुए कहा.

सचिन राज की तरफ ऐसे देख रहे थे जैसे कि उन का सामना किसी दूसरी दुनिया के प्राणी से हो गया हो. उन की जिज्ञासा अब हैरानी में बदल चुकी थी. राज की अनुभवी माताजी ने सचिन की हालत को भांपते हुए बात आगे बढ़ाई, ‘‘बेटा सचिन, राज जो कह रहा है वह सच है. दिग्गज निकिता की पहली शादी की संतान है. मगर अब वह मेरा पोता है और राज ही उस का पिता है.’’

‘‘जब राज ने भोपाल में बैंक में काम शुरू किया तो मैं वहां पहले से ही काम करती थी. एक बार हम सब साथी काम के बाद डिनर पर गए. वहीं बातों ही बातों में मेरी एक सहेली से राज को पता चला कि मेरे पति की एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है. साथ ही, बताया कि मेरे बेटे का जन्म मेरे पति की मृत्यु के करीब 2 महीने बाद में हुआ था. बेचारे दिग्गज को तो उस के बायोलौजिकल पिता की छाया तक देखने को नहीं मिली,’’ बतातेबताते निकिता की आवाज कंपकंपाने लगी थी.

आगे पढ़ें- निकिता की बात को राज ने आगे बढ़ाया…

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एकता कपूर की ‘नागिन’ बनने के लिए परफेक्ट है Niyati Fatnani, स्टाइल के मामले में किसी से कम नहीं

टीवी क्वीन एकता कपूर का सुपरनेचुरल शो नागिन 6 की तैयारियां शुरु हो गई हैं. वहीं सीरियल में लीड एक्ट्रेस के नाम को लेकर भी कयास लगाने शुरु हो गए हैं. वहीं इस बीच एक्ट्रेस नियति फतनानी का नाम नागिन 6 में लीड रोल निभाने के सामने आया है. वहीं खबरें आते ही एक्ट्रेस नियति के साड़ी लुक्स सोशलमीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसे देखकर कहा जा सकता है कि नागिन सीरीज की एक्ट्रेसेस की तरह ही फैशन के मामले में नियति किसी से कम नही हैं. आइए आपको दिखाते हैं नियति फतनानी के साड़ी लुक्स की झलक…

साड़ी में दिखा नियति का जलवा

 

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सुपर नेचुरल थ्रिलर नजर में पिया शर्मा के रोल में फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस नियति का साड़ी कलेक्शन बेहद खूबसूरत हैं. वहीं नागिन सीरीज की एक्ट्रेसेस की बात करें तो उनका लुक भी फैंस के बीच काफी पौपुलर था. एक से बढ़कर एक साड़ियों में सुरभि चंदना से लेकर मौनी रौय हर कोई फैंस का दिल जीतता था. वहीं नियति के नागिन 6 में आने की खबरें आते ही सोशलमीडिया पर उनके साड़ी लुक वायरल हो गए हैं.

 

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लुक्स देख फैंस हुए दीवाने

 

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एक्ट्रेस नियति का साड़ी फैशन देख फैंस दीवाने हो जाते हैं. वहीं सोशलमीडिया पर कई बार उनका लुक वायरल भी होता है. एक से बढ़कर एक साड़ियों में नियति अपने फैंस के फोटोज शेयर करती हैं.

 

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प्लेन साडियों को देती हैं अलग लुक

 

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फैशन की बात करें तो नियति अक्सर प्लेन साड़ियों में नजर आती हैं. हालांकि प्लेन साड़ी को भी वह हैवी ब्लाउज और ज्वैलरी के साथ पार्टी लुक बना देती हैं, जिसे देख फैंस कमेंट किए बिना रह नही पाते.

 

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पार्टी स्टाइल के लिए परेफेक्ट है ये लुक

 

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पार्टी लुक की बात करें तो नियति का ये लुक देखकर नागिन सीरियल की एक्ट्रेसेस के फैंस नियति के दीवाने हो जाएंगे.

4 टिप्स: बढ़ते पौल्यूशन से स्किन को बचाने के लिए अपनाएं चारकोल

बढ़ते पौल्यूशन का असर सबसे ज्यादा हमारे चेहरे पर पड़ता है, जिससे हमारी स्किन डल और काली हो जाती है. वहीं हम मार्केट से कई तरह के प्रोडक्ट भी लेकर आते हैं, पर वह स्किन के लिए असरदार नही होते. क्योंकि इसमें कैमिकल भी मिक्स होते हैं. इसीलिए आज हम आपको पौल्यूशन से स्किन को बचाने और ख्याल रखने के लिए चारकोल के टिप्स बताएंगे. चारकोल यानी कोयला जो दिखने में तो काला होता है, लेकिन आपके फेस की खूबसूरती को निखारने में अहम भूमिका निभाता है. भारत में जहां इसे चोट को ठीक करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. वहीं जापानी लोग इसका इस्तेमाल चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए एक लंबे वक्त से करते आ रहे हैं.

1. ऐक्टिवेटेड चारकोल का करें इस्तेमाल

ऐक्टिवेटेड चारकोल जो कार्बन का प्रोसेस्ड फौर्म में होता है. जिसका इस्तेमाल क्लींजर, फेस मास्क, स्क्रब और साबुन के तौर पर किया जाता है.

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2. ड्राई स्किन के लिए भी फायदेमंद है चारकोल

बदलते मौसम का असर सबसे ज्यादा हमारे स्किन पर पड़ता है. गर्मियों में तेज धूप की वजह से हमारी स्किन सूखी पड़ जाती है. ऐसे में चारकोल का इस्तेमाल करना सही साबित होगा. यह सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है और साथ ही यह स्किन को हेल्दी भी रखता है.

3. ब्लैकहेड्स से छुटकारा पाना हो तो अपनाएं ऐक्टिवेटेड चारकोल

अगर आप ब्लैकहेड्स की प्रोब्लम से परेशान हैं, तो आप चारकोल का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह चेहरे की गहराई में जाकर ब्लैकहेड्स को जड़ से खत्म करता है.

4. पिंपल के लिए भी असरदार है चारकोल

ब्लैकहेड्स के अलावा चारकोल आपके चेहरे पर हो रहे कील, मुंहासे जैसी प्रोब्लम्स को भी दूर कर देता है. जिससे आपको साफ और क्लीन स्किन मिलती है. और अगर आपको हमेशा चाहिए दमकती स्किन तो आप रात को सोने से पहले चारकोल फेसवौश का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह पौल्यूशन के साइड इफेक्ट से आपकी स्किन को सुरक्षित रखता है.

5. चेहरे के पोर्स को भी साफ करता है चारकोल

चारकोल आपकी स्किन को खूबसूरत बनाने के साथ-साथ आपके चेहरे के पोर्स को भी साफ कर देता हैं, जिससे आपकी स्किन पूरे दिन चमकती रहती है.

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‘अंधश्रद्धा’ की श्रेणी में किसे रखना चाहते है एक्टर ओजस रावल, पढ़े इंटरव्यू

हिंदी धारावाहिक लेडीज स्पेशल में अमर की भूमिका निभाकर चर्चित होने वाले अभिनेता ओजस रावल गुजराती फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने कलाकार है. ओजस ने हिंदी धारावाहिक ‘सरगम की साढ़ेसाती’ में भी काम किया है. इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने के बावजूद उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर गुजराती फिल्में देकरअवार्ड लिए है. उनके सहज अभिनय को दर्शक बहुत पसंद करते है. बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाले ओजस ने मेहनत और लगन से अपनी राह तय किया है. उनकी गुजराती फिल्म ‘स्वागतम’पहली बार ओटीटी प्लेटफॉर्म शेमारूमी पर रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके काम को बहुत सराहना मिल रहा है.स्पष्टभाषी ओजस से उनकी जर्नी के बारें में बात हुई, पेश है, कुछ खास अंश.

सवाल-इस फिल्म में काम करने की खास वजह क्या है, इससे आप खुद को कितना रिलेट कर पाते है?

ये एक थ्रिलर कॉमेडी है और इसकी कहानी बहुत अलग है. ये अलमारी में सहेज कर रखने योग्य फिल्म है. इसमें मैंने नकारात्मक भूमिका निभाई है, जो अधिक मैंने किये नहीं है. मुझे विलेन की ये चरित्र बहुत अलग लगी. इसलिए मैने हाँ कहा. कोविड के समय जब सभी लोग घर पर है, ये फिल्म सबको हंसने के लिए मजबूर करती है. इसका चरित्र दूर-दूर तक मुझसे मेल नहीं खाता, इसलिए मुझे इस भूमिका के लिए मेहनत अधिक करनी पड़ी.

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सवाल-एक्टिंग में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था?

बचपन से मुझे अभिनय का शौक था, स्कूल और कॉलेजों में मैं एक्टिंग करता रहा, लेकिन  प्रोफेशनल क्षेत्र में आने में समय लगा, क्योंकि मैं एक बायोमेडिकल साइंस का छात्र था और कई साल अमेरिका में कॉमर्स का प्रोफेसर रहा. इसके बाद मैं अभिनयमें आया. मेडिकल की पढाई करते वक्त मैंने लोकल थिएटर में अभिनय करना जारी रखा. भारत लौटने के बाद नामचीन निर्देशक कुंदन शाह के साथ मेरा परिचय हुआ. वहां मैं एसिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम करने लगा. इससे मुझे अभिनय, लेखन और निर्देशन में अच्छी जानकारी हो गयी.

सवाल-आपके इस काम में पेरेंट्स ने कितना सहयोग दिया?

शो बिजनेस से मेरे परिवार के किसी सदस्य का कोई नाता नहीं था. इसलिए मैं हमेशा न्यू-कमर ही रहा. मेरे परिवार का सहयोग हमेशा ही रहा. मैं हमेशा से सेल्फ मेड एक्टर हूं, क्योंकि उसका आनंद अलग होता है,क्योंकि संघर्ष के बिना आज के दौर में सफलता मिलना संभव नहीं. आज सोशल मीडिया काफी बढ़ चुका है. जिसमे हर छोटी या बड़ी बातें लिखी जाती है. अगर एक एक्टर की साधना अच्छा अभिनय करने की नहीं है, तो कोई भी उसे आगे नहीं ले जा सकता.

सवाल-आज लोग संयुक्त परिवार में नहीं एकाकी परिवार में रहना चाहते है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

मैं बचपन से संयुक्त परिवार में रहा और मेरी फिल्म स्वागतम की कहानी भी इस कांसेप्ट पर आधारित है. मेरा सोचना है कि जॉइंट फॅमिली में बच्चे कब बड़े हो जाते है, पता नहीं चलता. घर के बुजुर्ग को भी परिवार का सहारा मिल जाता है. मैं अमेरिका के फ्लोरिडा में कई सालों तक अकेला था और कई कड़े अनुभव हुए. तब परिवार के मूल्य को समझ पाया. एक कम्बल, जो प्यार, सुरक्षा, अपनेपन की होती है, वह अकेले रहने पर नहीं मिलता. जॉइंट फॅमिली के कांसेप्ट के टूटने की वजह पाश्चात्य संस्कृति है, जिसके आने से एकता बिखरने लगी है. इसके अलावा कई बार किसी व्यक्ति को कमाने के लिए बाहर जाना पड़ता है, क्योंकि कोई दूसरा उपाय नहीं है. मैं सूरत शूटिंग करने जाता हूं, वहाँ मेरे जानकार 30 से 40 लोग एक साथ परिवार में रहते है.

सवाल-कोविड हमारे देश में काफी फैला और तक़रीबन हर परिवार ने अपने किसी प्रियजन को खोया है, इससे देश के नागरिकों को क्या सीख मिली?

मेरे हिसाब से सभी को एक भयानक दौर देखने को मिला है, जिसमें लोग अपने लिए नहीं दूसरों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे है. भारत में बाकी देशों की तुलना में सिविक सेन्स बहुत कम है. हर नागरिक का ये नैतिक कर्तव्य है कि वे अपने लिए नहीं, परिवार ,समाज और पड़ोसियों को ध्यान में रखते हुए कोरोना के गाइडलाइन्स को फोलो करें. मैंने देखा है कि अभी भी लोग बिना मास्क लगाये या गले में मास्क पहने घूमते है, जो गलत है. इसके अलावा मैंने ‘कोविड एसिस्ट’ नाम से एक ग्रुप बनाया है. इसमें जरुरत मंद व्यक्ति की सहायता करते है, जिसमें व्यक्ति को मरीज से सम्बंधित दवाएं, ऑक्सीजन, भोजन आदि की व्यवस्था और गाइडेंस दिया जाता है. इसमें मुंबई, दिल्ली, बंगलुरु, मद्रास आदि जगहों से लोग जमा हुए है. किसी भी नागरिक को पब्लिक हेल्थ को असुरक्षित करने का हक नहीं है. मुझे इस बात से आश्चर्य होता है, जब कुछ लोग कोरोना बीमारी को मानते ही नहीं. उन्हें मैं अंधश्रध्दा की श्रेणी में रखता हूं.

सवाल-किस प्रकार की कहानियां आपको अभिनय के लिए उत्साहित करती है?

मैं उन फिल्मों में काम करना पसंद करता हूं, जिसकी कैसेट लोग सहेज कर अपने अलमारी में रखें और जब भी इच्छा फिल्म देखने की हो, उसे निकाल कर अपने पोते-पोती के साथ देख सकें. मैं वैसी ही फिल्में करना चाहता हूं.

सवाल-किस कलाकार से प्रेरित होकर आपने अभिनय को अपना कैरियर माना?

मेरे प्रेरणास्रोत बलराज साहनी, गुरुदत्त, दिलीपकुमार आदि है. कॉमेडी में जॉनी लिवर, रोबिन विलियम्स इन सब कलाकारों के काम से मैं बहुत प्रभावित हुआ. आज के कलाकारों में पंकज त्रिपाठी, मनोज बाजपेयी, कमल हासन आदि बहुत अच्छा काम कर रहे है.

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सवाल-आपको कोई सुपर पॉवर मिलने पर क्या बदलना चाहेंगे?

मैं सुपर हीरो डॉक्टर स्ट्रेंज बनना चाहता हूं, जिससे लोगों की माइंड में घुसकर चित्त पलट कर सकूँ,ताकि लोग सही ट्रैक पर आ जाय.

सवाल-समय मिलने पर क्या करते है?

मेरी रूचि बागवानी की तरफ अधिक है और मैं उसे करता हूं. ये बहुत शांतिदायक लगती है. लॉकडाउन में मैंने अपने सारे पौधों को गिना है, जो 42 है. इसके अलावा संगीत सुनना और पेंटिंग करता हूं.

‘द कपिल शर्मा शो’ के फैंस के लिए खुशखबरी, शो की रिलीज डेट आई सामने

सोनी टीवी के पौपुलर कौमेडी शो ‘द कपिल शर्मा शो’ (The Kapil Sharma Show) बंद हुए काफी समय हो गया है. हालांकि फैंस दोबार शो के औनएयर करने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच ‘द कपिल शर्मा शो’ के फैंस के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है. खबरे हैं कि जल्द कपिल शर्मा दर्शकों को हंसाने आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

इस दिन होगा शो का आगाज

जल्द ही अपनी टीम के साथ कपिल शर्मा (Kapil Sharma) टीवी पर फिर से वापसी करने वाले हैं. खबरों की मानें तो, ‘द कपिल शर्मा शो’ एक बार फिर 21 जुलाई दर्शकों को एंटरटेन करने आ रहा है. वहीं कहा जा रहा है कि कपिल शर्मा ने पूरी टीम के साथ मिलकर 15 मई से शूटिंग भी शुरू कर दी है. दूसरी तरफ शो के इस बार के फौर्मेट की बात करें तो इस बार कपिल के शो में नया फॉर्मेट और बदला अवतार फैंस को नजर आएगा. वहीं हाल ही में कपिल शर्मा ने आम जनता को भी इस शो का हिस्सा बनने का भी मौका औडिशन के जरिए दिया था.

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फैमिली के साथ वक्त बिता रहे हैं कपिल

 

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1 फरवरी 2021 को बेटे के जन्म के बाद से कपिल शर्मा अपनी फैमिली संग वक्त बिता रहे हैं. वहीं कई बार फैंस के लिए अपनी बेटी अनायरा की वीडियो भी सोशलमीडिया पर शेयर करते रहते हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं शो के बंद होने की वजह की बात करें तो कहा गया था कि कोरोना के चलते इस शो का एक अहम फैक्टर लॉइव ऑडियंस हटा दी गईं थी. वहीं फिल्में भी सिनेमाघरों में रिलीज ना होने के कारण स्टार्स भी प्रमोशन के लिए नही आ रहे थे, जिसके कारण मेकर्स ने ये फैसला लिया था.

 

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बता दें, कोरोना में भी कौमेडियन कपिल शर्मा कौंट्रवर्सी का सामना करते हुए नजर आए थे.

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इमली के पिता का सच पता करेगी मालिनी, करेगी ये काम

स्टार प्लस के सीरियल इमली की टीआरपी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. वहीं फैंस भी इमली की कहानी में आने वाले ट्विस्ट को जानने के लिए बेताब रहते हैं. इस बीच सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो मालिनी, आदित्या और इमली के रिश्ते का सच जानने के बाद एक बड़ा कदम उठा चुकी है. हालांकि आने वाले एपिसोड में इमली की जिंदगी में कई नए तूफान आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे.

मालिनी के बौयफ्रेंड से मिलेगी इमली

 

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अब तक आपने देखा कि आदित्य (Gashmeer Mahajani) इमली का साथ छोड़ने को राजी नहीं है तो वहीं मालिनी ने कुणाल नाम के एक लड़के से प्यार करने की बात कहकर आदित्य को हमेशा के लिए छोड़ देने का फैसला किया है. हालांकि इमली को इस बात पर बिल्कुल भी भरोसा नही हो रहा है, जिसके चलते वह आने वाले एपिसोड में मालिनी के बौयफ्रेंड से मिलने की बात कहती नजर आएगी. हालांकि मालिनी खुद ही अपने बौयफ्रेंड से इमली को मिलवाती दिखेगी.

 

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आदित्या को छोड़ने की बात कहेगी इमली

 

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मालिनी को अपनी बहन मानने वाली इमली पूरा सच जानने की कोशिश करती नजर आएगी, जिसके चलते वह आदित्य से कहेगी कि अगर मालिनी के बौयफ्रेंड होने का दावा झूठ निकला तो वह उसे छोड़कर हमेशा के लिए चली जाएगी. वहीं इमली की बात सुनकर आदित्य को धक्का लगेगा.

 

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इमली के पिता के बारे में जानने की कोशिश करेगी मालिनी

दूसरी तरफ मालिनी अपनी सौतेली बहन बारे में जानने के लिए पूरी कोशिश कर रही है, जिसके चलते वह अपने पिता से बात भी करती नजर आएगी और पूछेगी कि देव और इमली के बीच क्या रिश्ता है. वहीं इमली के गांव पगडंडिया जाकर उसकी मां से इमली के पिता को लेकर कई सवाल करेगी. हालांकि ये जानना दिलचस्प होगा कि सौतेली बहन का सच जानने के बाद मालिनी का क्या फैसला होता है.

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स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और फाॅगिंग से रुकेगा गांव में संक्रमण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य सरकार की ‘ट्रेस, टेस्ट एण्ड ट्रीट’ की नीति से प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रभावी सफलता मिल रही है. पॉजिटिविटी दर में लगातार कमी तथा रिकवरी दर में निरन्तर वृद्धि हो रही है. राज्य में कोविड संक्रमण के मामलों में आशानुकूल तेजी से कमी आयी है. उन्होंने कोविड-19 से बचाव और उपचार की व्यवस्थाओं को इसी प्रकार प्रभावी ढंग से जारी रखने के निर्देश दिए हैं.

मुख्यमंत्री जी आज वर्चुअल माध्यम से आहूत एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विगत 24 घण्टों में प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 3,371 नए मामले आए हैं. इसी अवधि में 10,540 संक्रमित व्यक्तियों का सफल उपचार करके डिस्चार्ज किया गया है. प्रदेश में 30 अप्रैल, 2021 को संक्रमण के अब तक के सर्वाधिक एक्टिव मामले 3,10,783 थे. वर्तमान में संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 62,271 हो गयी है. इस प्रकार विगत 30 अप्रैल के सापेक्ष एक्टिव मामलों की संख्या में लगभग 80 प्रतिशत की कमी आयी है.

मुख्यमंत्री जी को यह भी अवगत कराया गया कि राज्य में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर में लगातार वृद्धि हो रही है. वर्तमान में यह दर बढ़कर 95.1 प्रतिशत हो गयी है. प्रदेश में पिछले 24 घण्टों में रिकाॅर्ड 3,58,243 कोविड टेस्ट किए गए हैं. यह न केवल प्रदेश में एक दिन में किए गए सर्वाधिक कोरोना टेस्ट हैं, बल्कि सम्पूर्ण देश में एक दिन में सम्पन्न सर्वाधिक कोरोना टेस्ट हंै. मुख्यमंत्री जी ने इतनी बड़ी संख्या में टेस्ट को संक्रमण की रोकथाम में उपयोगी बताते हुए कहा कि प्रतिदिन लगभग इतने टेस्ट की संख्या को बरकरार रखने का प्रयास किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि इन टेस्ट में संक्रमण की पॉजिटिविटी दर 01 प्रतिशत से भी कम रही है. प्रदेश में अब तक कुल 4 करोड़ 77 लाख 20 हजार 695 कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गांवों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए वृहद जांच अभियान सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है. निगरानी समितियों द्वारा उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है. प्रदेश में संक्रमण निरन्तर कम हो रहा है. निगरानी समितियों द्वारा मेडिकल किट के वितरण की कार्यवाही निरंतर और प्रभावी ढंग से जारी रखी जाए. लक्षण युक्त एवं संदिग्ध संक्रमित व्यक्तियों को मेडिकल किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा सेक्टर के प्रभारी अधिकारी को जवाबदेह बनाया जाए. यह अधिकारी हर लक्षण युक्त एवं संदिग्ध संक्रमित व्यक्ति को मेडिकल किट की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि बच्चों के लिए अलग से मेडिकल किट तैयार कर निगरानी समितियों को उपलब्ध कराने का प्रबंध हो रहा है. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि निगरानी समितियों द्वारा मेडिकल किट के वितरण के साथ ही, संबंधित व्यक्तियों की सूची बनाई जाए. यह सूची इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कन्ट्रोल सेन्टर (आई0सी0सी0सी0) तथा जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराई जाए. आई0सी0सी0सी0 द्वारा मेडिकल किट प्राप्त करने वाले व्यक्तियों से किट की उपलब्धता के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के साथ ही, उनका कुशलक्षेम भी लिया जाए. जनप्रतिनिधिगण द्वारा भी मेडिकल किट प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के साथ संवाद स्थापित कर उनका हालचाल प्राप्त किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने राज्य में ब्लैक फंगस की दवाओं की उपलब्धता के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि ब्लैक फंगस के संक्रमण से प्रभावित सभी मरीजों को दवा उपलब्ध कराई जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी जनपदों में ब्लैक फंगस की दवाओं की उपलब्धता रहे. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस संक्रमण की दवा की कालाबाजारी न होने पाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना संक्रमण की सम्भावित थर्ड वेव की रोकथाम के लिए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है. इसके लिए अभी से कार्यवाही किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में इंसेफेलाइटिस पर सफल नियंत्रण के अनुभव का उपयोग करते हुए कोरोना संक्रमण की भविष्य में किसी भी आशंका से निपटने की तैयारी की जानी चाहिए. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के सभी सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र तथा हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर को सुदृढ़ बनाकर प्रभावी ढंग से क्रियाशील रखा जाए. इन स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढ़ीकरण के लिए एक व्यक्ति को जिम्मेदारी देकर कार्य व्यवस्थित, त्वरित तथा प्रभावी ढंग से संपन्न कराया जाए. साथ ही, मुख्यालय तथा जनपद स्तर पर नियमित समीक्षा भी की जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षा विभाग में संचालित ऑपरेशन कायाकल्प की भांति जन सहयोग के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप स्वास्थ्य केंद्रों तथा हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर में आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था तथा रखरखाव को बेहतर बनाया जाना चाहिए. इस सम्बन्ध में जनप्रतिनिधिगण का सहयोग प्राप्त करने का प्रयास किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित जिला चिकित्सालयों सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध सुविधाओं के सम्बन्ध में समग्र जानकारी उपलब्ध कराने वाला एक मोबाइल एप विकसित किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन के उपरान्त इसे लॉन्च किया जाएगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भविष्य की आवश्यकता के दृष्टिगत कोविड बेड की संख्या में निरन्तर वृद्धि की जाए. आवश्यक मानव संसाधन की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी की जाए, इसके लिए भर्ती की कार्यवाही तेजी से सम्पन्न की जाए.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि कोविड-19 के उपचार की व्यवस्था को प्रभावी बनाए रखने के लिए उनके निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही की जा रही है. कोविड बेड की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है. विगत दिवस प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों तथा अस्पतालों में 161 बेड की वृद्धि हुई है. इसमें आइसोलेशन बेड के अलावा लगभग 60 आई0सी0यू0 बेड भी शामिल हैं. मानव संसाधन में भी लगातार वृद्धि की जा रही है. विगत दिवस में 62 नए कर्मियों को भर्ती किया गया है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पीडियाट्रिक आई0सी0यू0 (पीकू) तथा निओनेटल आई0सी0यू0 (नीकू) के निर्माण की कार्यवाही युद्ध स्तर पर की जाए. इंसेफ्लाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अभी से पूरी सतर्कता बरती जाए. उपचार की व्यवस्था की भी अभी से पूरी तैयारी कर ली जाए.

ए0एन0एम0, आंगनबाड़ी व आशा कार्यकत्र्रियों के प्रशिक्षण की कार्यवाही पूरी कर ली जाए. सभी जनपदों में उपलब्ध समस्त वेंटिलेटर कार्यशील अवस्था में रहें. खराब वेंटिलेटर की तुरन्त मरम्मत कराकर क्रियाशील किया जाए. वेंटीलेटर के संचालन के लिए आई0टी0आई0 में उपलब्ध टेक्निशियंस की जनपदवार सूची बनाकर राज्य स्तर पर फिजिकली ट्रेनिंग कराई जाए. ट्रेनिंग के पश्चात इन टेक्नीशियन की आवश्यकतानुसार तैनाती दी जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि पीकू और नीकू की स्थापना की कार्रवाई तेजी से गतिशील है. सभी मेडिकल कॉलेजों में 50 बेड का आई0सी0यू0 तथा 50 आइसोलेशन के बेड तैयार किए जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों तथा रीफिलर्स के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन बैकअप उपलब्ध है. होम आइसोलेशन के मरीजों में भी ऑक्सीजन की डिमाण्ड में कमी आयी है. विगत 24 घण्टों में राज्य में 663 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई. मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की कार्यवाही को त्वरित गति से आगे बढ़ाने के लिए जनपद स्तर पर नोडल अधिकारी की तैनाती कर दैनिक समीक्षा की जाए. शासन स्तर पर भी ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना के संबंध में नियमित समीक्षा की जाए.

मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया कि कोविड वैक्सीनेशन की कार्यवाही व्यवस्थित, निर्बाध और सुचारु ढंग से जीरो वेस्टेज को ध्यान में रखकर संचालित की जाए. वैक्सीनेशन सेंटर पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन आवश्यक रूप से हो. सेंटर पर भीड़-भाड़ से बचने के लिए वेटिंग एरिया तथा ऑब्जरवेशन एरिया की भी व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए. उन लोगों को ही वैक्सीनेशन सेंटर पर बुलाया जाए, जिनका वैक्सीनेशन किया जाना है. ग्रामीण क्षेत्र में वैक्सीनेशन कार्य को त्वरित और प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए कॉमन सर्विस सेण्टर (सी0एस0सी0) को सक्रिय कर वैक्सीनेशन हेतु रजिस्ट्रेशन हेतु उपयोग किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि 1 जून, 2021 से सभी 75 जनपदों में 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगांे के वैक्सीनेशन का कार्य प्रारंभ किया जाएगा. इस संबंध में गाइडलाइन आज जारी कर दी जाएगी.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि उनके निर्देशानुसार प्रत्येक जनपद में 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों के लिए वैक्सीनेशन हेतु अभिभावक स्पेशल बूथ बनाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शहरी इलाकों से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों में भी वैक्सीनेशन की व्यवस्था की जाए. सामान्यतया 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों की आयु 22 से 44 वर्ष के बीच होती है. यह प्रमुख कामकाजी वर्ग है. इनके वैक्सीनेशन के विशेष प्रयास आवश्यक हैं. भविष्य में कोरोना संक्रमण से बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए इस वर्ग को चिन्हित कर वैक्सीनेशन प्रभावी ढंग से कराया जाए. उन्होंने कहा कि भविष्य में वैक्सीनेशन कार्य को व्यापक पैमाने पर संचालित कराने के लिए आवश्यक मैन पावर की व्यवस्था कर प्रशिक्षण आदि संपन्न करा लिया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग की कार्यवाही युद्ध स्तर पर जारी रखी जाए. ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर तथा घनी आबादी के क्षेत्रों में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फाॅगिंग का विशेष अभियान संचालित किया जाए. इसी प्रकार सभी नगर निकायों में भी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर पर स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग का कार्य कराया जाए. जल-जमाव को रोकने के लिए नाले व नालियों की सफाई करा ली जाए. स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन के कार्य में फायर ब्रिगेड तथा गन्ना विभाग के वाहनों एवं मशीनों का उपयोग किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विगत दिवस फायर ब्रिगेड के 394 फायर टेंडर्स ने स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन के कार्य में योगदान किया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंशिक कोरोना कफ्र्यू का प्रभावी ढंग से पालन कराया जाए. यह कार्यवाही सद्भाव पूर्ण होनी चाहिए. घर से बाहर निकलने वाले लोगों को मास्क के अनिवार्य प्रयोग तथा सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने के सम्बन्ध में जागरूक करने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम का प्रभावी उपयोग किया जाए. इसके लिए इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाए. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी गेहूं क्रय केन्द्र कार्यशील रहें. एम0एस0पी0 के तहत गेहूं खरीद तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न का वितरण कोविड प्रोटोकाॅल के पूर्ण पालन के साथ सुचारु ढंग से किया जाए. सभी जनपदों में कम्युनिटी किचन का प्रभावी ढंग से संचालन किया जाए. डोर स्टेप डिलीवरी व्यवस्था सुदृढ़ रखी जाए. औद्योगिक गतिविधियां सुचारू ढंग से संचालित रहें.

Short Story: बहारो वायरस बरसाओ…

आजकल हमें उतना डर स्वाइन फ्लू, आई फ्लू और बर्ड फ्लू से नहीं लग रहा जितना हम वाइफ फ्लू से परेशान हैं. बाकी फ्लू तो देरसबेर दवा लेने से ठीक हो जाते हैं, लेकिन वाइफ फ्लू की आज तक कोई दवा ही नहीं बन पाई है.

और तो और कुंआरेपन में हमें मूंछें रखने का बहुत शौक था, लेकिन सुहागरात को ही वाइफ ने पहला वार मूंछों पर ही किया और साफसाफ शब्दों में कह दिया कि देखोजी, आज के बाद तुम्हारे चेहरे पर मूंछें नहीं दिखनी चाहिए.

हम ने इसे कोरी धमकी समझा, लेकिन अगली सुबह सो कर उठने के बाद जब ब्रश करने गए तब आईने में मूंछविहीन चेहरा देख कर हम सहम गए और समझ गए कि यह वाइफ जो कहती है, उसे कर के भी दिखा देती है, इसलिए अपनी भलाई इसी में है कि अब बाकी की जिंदगी वाइफदास बन कर गुजारी जाए.

अगली सुबह हम अभी आधा घंटा और सोने के मूड में थे, तभी गरजती हुई आवाज आई, ‘‘देखोजी, यह सोनावोना बहुत हो गया, मैं उन पत्नियों में से नहीं हूं, जो सुबह से शाम तक अकेले ही घर में खटती रहती हैं, चलो उठो…पानी आ गया है, पानी भरो, इस के बाद सब्जी लेने जाओ और हां, दूध भी लेते आना.’’

इस के बाद थोड़े प्यार से बोली, ‘‘तुम चाय बना कर लाना अपन साथसाथ पिएंगे.’’

अभी तक तो हम कुछ समझ नहीं पाए थे, लेकिन फिर ऐसा लगा कि हमें वाइफ फ्लू ने जकड़ लिया है, जो कभी गरमी के साथ चढ़ता है तो कभी ठंड के साथ उतरता है…वाइफ को देखते ही हमारे बदन में झुरझुरी सी फैल जाती है.

अब हमारे लिए यह शोध का विषय हो गया कि आखिर यह वाइफ फ्लू होता क्या है? यह क्यों आता है? इस के लक्षण क्या हैं और इस के वायरस कहां से फैलते हैं?

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सीधी सी बात है, वाइफ फ्लू शादी के बाद होता है. अब यह हसबैंड की शक्ति पर निर्भर करता है कि वह वाइफ फ्लू को कितना झेल पाता है. वाइफ फ्लू से एक बार पीडि़त होने के बाद ताजिंदगी इस की गिरफ्त में रहना पड़ता है.

लगातार वाइफ फ्लू की चपेट में आने के बाद हसबैंड हमेशा डराडरा सा रहने लगता है, उस की आंखें नीची रहती हैं, बोलने की शक्ति क्षीण होती जाती है, परंतु श्रवणशक्ति बढ़ जाती है. इसी के साथ उस का ब्लडप्रैशर एकदम बढ़ जाता है.

ऐसे मरीज ज्यादा से ज्यादा समय घर से बाहर गुजारने लगते हैं तथा बद से बदतर स्थितियों में भी जीने का जज्बा रखते हैं. वाइफ  फ्लू से पीडि़त मरीजों में काम करने की आदत सी पड़ जाती है और उन्हें थकान कम महसूस होती है.

कोल्हू के बैल की तरह काम करते हुए वे वाइफ से प्रशंसा पाने के भूखे रहते हैं. ऐसे हसबैंडों को गुस्सा कम आता है, लेकिन ये मन ही मन कुढ़ते रहते हैं.

इस फ्लू के वायरस शादीब्याह के समय बरात आदि की जगहों पर बहुतायत से पाए जाते हैं और कुंआरे लड़कों पर एकदम अटैक करते हैं.

ये वायरस पहले मीठे सपने दिखाते हैं, फिर सपने साकार करने की ललक जगाते हैं और उस के बाद जिंदगी भर रोने का कारण बन जाते हैं.

हमारी शादी के समय भी जब हमें हमारी भाभी ने, इशारे से उस कमसिन, नाजुक सी लड़की को दिखाते हुए हमारे अरमान जगाए थे तब हम हवा में ऐसे उछले थे कि सीधे उसी के पास जा कर गिरे थे.

लेकिन हम ने अपने दोस्तों को वाइफ फ्लू से जूझते देखा था, इसलिए दूरी बनाने की कोशिश करने लगे. तब उस ने बड़ी नजाकत के साथ कहा था, ‘‘तुम तो जी मुझ से ऐसे डर रहे हो जैसे मैं कोई वायरस हूं. अरे, भौंरा भी मुहब्बत में अपनेआप को कुरबान कर देता है, तो फिर तुम तो इंसान हो. हमारी मुहब्बत की कीमत समझा करो.’’

उस ने जिस अंदाज में ये सब बातें कही थीं, उस से हम भौंरे की तरह उस के आगेपीछे घूमने लगे थे.

‘‘बहारो वायरस बरसाओ, मेरा हसबैंड आ रहा है…’’ हमारी होने वाली वाइफ जोरजोर से यह गाना गाने लगी.

खैर, जनाब शादी तो होनी थी, सो हो गई और हम लगातार वाइफ फ्लू से जकड़ते गए. जब हम वाइफ फ्लू से बचने के उपायों पर विचार करने लगे तब हम ने पाया कि वाइफ फ्लू से पीडि़त हसबैंड को हमेशा अपनी वाइफ की तारीफ करने की ऐंटीबायोटिक्स डोज लेते रहना चाहिए. इस में कमी होने पर ये वायरस तेजी से हमला करते हैं.

जब वाइफ बनठन कर बाजार जाए तब एक कंधे पर सामान वाला झोला और दूसरे पर बच्चों को लादने में देर नहीं करनी चाहिए. जब वाइफ किसी सामान को पसंद कर रही हो एवं मोलभाव कर रही हो तब बीच में टांग नहीं अड़ानी चाहिए. हसबैंड को तो बस जेब में भरपूर पैसा रखना चाहिए और उसे खर्च करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए.

वाइफ फ्लू से पीडि़त हसबैंड को अपने बचाव के लिए सुबह से शाम तक ‘वाइफाय नम:’ का जाप करते रहना चाहिए और अपने दिन की शुरुआत राशिफल देख कर करनी चाहिए.

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यदि दिन अच्छा नहीं हो तो उस दिन वाइफ के बेलन से डरते रहना चाहिए और यदि दिन अच्छा हो तो समझिए कि खाली डांटडपट से जान छूट जाएगी.

वाइफ फ्लू पर हमारा शोध जब चरमसीमा पर था, तभी एक गरजती आवाज से हम सहम गए.

‘‘चलो जल्दी उठो, बहुत आलसी हो गए हो. आज इतवार है और सुबह से शाम तक के सारे काम तुम्हारे ही जिम्मे हैं…’’

तभी हमें छींक आ गई, तो उस ने कहा, ‘‘सुनोजी, ऐसा लगता है, तुम्हें स्वाइन फ्लू के वायरसों ने जकड़ लिया है, जल्दी से डाक्टर के पास जाओ.’’

हम ने कहा, ‘‘अरे, जो सालों से वाइफ फ्लू से लड़ रहा हो, उस के लिए यह स्वाइन फ्लूव्लू कुछ नहीं है.’’

तभी हमारी कामवाली रमिया ने आगे आ कर बड़े प्यार से कहा, ‘‘ओ साब, तुम जल्दी से स्वाइन फ्लू का इलाज करवा लो, यह बहुत खतरनाक है. इस से तुम को डर नहीं लगे पर अपुन को लगता है. मैं यह काम छोड़ कर चली जाऊंगी. फिर मेरे वाले काम भी तुम को ही करने होंगे. सही माने में साब, अपुन तुम्हारे ऊपर ही तो तरस खाती है…’’

वाइफ फ्लू वाले हमारे जख्मों पर रमिया ही मरहम लगाती रहती है यानी वाइफ फ्लू के वायरस को कम करने का एकमात्र सहारा रमिया ही है, क्योंकि जब हम उस के साथ बरतन मंजवाते, कपड़े धुलवाते तब वाइफ हमें हटा कर खुद काम करने लगती, इसलिए हम उस की बात नहीं टाल सके और डाक्टर के पास गए. डाक्टर ने हमारा चैकअप करने के बाद लंबेचौड़े परचे पर स्वाइन फ्लू की जगह वाइफ फ्लू से पीडि़त लिख कर परचा हमें थमा दिया और बताया कि इस वायरस का प्रभाव पति या पत्नी में से किसी एक के चले जाने पर स्वयं ही समाप्त हो जाता है, इसलिए सहने और झेलने की आदत ही इस का उपचार है.

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दोहरे मापदंड- भाग 3 : खुद पर बीती तो क्या सचिन को अपनी गलती का एहसास हुआ

‘‘ठीक है, तो फिर जल्दी से दिल्ली की फ्लाइट बुक करा लेता हूं, फिर दिल्ली से टैक्सी ले कर धौलपुर चले चलेंगे.’’

फ्लाइट बुक होतेहोते और धौलपुर तक पहुंचने में 3 दिनों का वक्त लग गया. पहुंचने पर पता चला कि पद्मजा के पति की 2 घंटे पहले ब्रेन हेमरेज होने से मृत्यु हो चुकी है. सारे घर में मातम छाया हुआ था. पद्मजा का रोरो कर बुरा हाल था. उस की मुसकराहट से तर रहने वाले गुलाबी होंठ सूख कर चटख रहे थे. उस की इस हालत को देख कर मुझे विश्वास ही न होता था कि यह मेरी वही प्यारी सी ननद है जो सिर्फ 8 महीने पहले मेरी बरात में नाचती, गाती, हंसती, मुसकराती, गहनों से लदी हुई आई थी.

सचिन चाह कर भी धौलपुर में ज्यादा समय न रुक पाए. तेरहवीं के तीसरे दिन ही उन्हें मुंबई लौटना पड़ा. तेरहवीं के कुछ दिनों बाद ससुरजी पद्मजा को उस की ससुराल से ले आए थे. मैं ने उस के साथ रहना ही ठीक समझा, सोचा कि जब महीनेदोमहीने में परिवार पर आए हुए दुख के बादल थोड़े छंट जाएंगे तब मैं मुंबई लौट जाऊंगी. अभी पद्मजा को मेरे साथ की बहुत जरूरत थी. अगर वह कभी गलती से मुसकराती थी तो मेरे साथ, खाना खाती तो मेरे साथ और मेरे आग्रह करने पर.

इन हालात को देख कर परिवार के सभी बड़ों ने फैसला किया कि पद्मजा को भी मेरे साथ मुंबई भेज दिया जाए. इसी में उस की भलाई भी थी. मुंबई वापस आ कर मैं ने जैसेतैसे उसे एमबीए करने के लिए राजी कर लिया. दुखों के भार को दूर रखने का सब से सही तरीका होता है खुद को इतना व्यस्त करो कि दुखों को क्या, खुद को ही भूल जाओ.

पद्मजा को पढ़नेलिखने का शौक तो था ही, अब यह शौक उस का संबल बन गया. वह दिनरात असाइनमैंट्स और परीक्षाओं की तैयारी में व्यस्त रहती. अपनी जिंदगी के नकारात्मक पहलू को सोचने का ज्यादा वक्त ही न मिल पाता उसे. इस संबल की बदौलत उस की जिंदगी की उतरी हुई गाड़ी फिर से धीरेधीरे पटरी पर आने लगी थी.

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एमबीए पूरा करते ही उसे एक कंपनी में नौकरी भी मिल गई और वह अपने इस नए माहौल में पूरी तरह से रम चुकी थी. अब उस के चेहरे पर पुरानी रंगत कुछ हद तक वापस आने लगी थी.

मगर सचिन के दिल को चैन नहीं था. वे कहा करते, ‘‘पद्मजा मेरी बहन है, मुझे अच्छा लगता अगर यह अपने पति के साथ हमारे पास कभीकभी छुट्टियां बिताने आतीजाती और अपने पति के घर में आबाद रहती. शादी के बाद बहनबेटियां इसी तरह आतीजाती अच्छी लगती हैं, दयापात्र बन कर बापभाई के घर में उम्र बिताती हुई नहीं. पद्मजा का इन परिस्थितियों में हमारे पास उम्र बिताना तो वह घाव है जिस पर वक्त मरहम नहीं लगाता बल्कि उस को नासूर बनाता है.’’

यह सच भी था, हम चाहे पद्मजा का कितना भी खयाल रख लें, कितना भी प्यार और सुखसुविधाएं दे लें, हमारे घर में उस का उम्र बिताना उस की जिंदगी की अपूर्णता थी.

इधर कुछ दिनों से पद्मजा के हावभाव बदल रहे थे. वह औफिस से भी देर से आने लगी थी. पूछने पर कहती कि एक सहयोगी काम छोड़ कर चला गया है, सो, वह उस के हिस्से का काम करने में भी बौस की मदद कर रही है.

मगर उस के हावभाव कुछ और ही कहानी कहते से लगते. अपनी कमाई का एक

बड़ा हिस्सा वह अपने रखरखाव, कपड़ों और सौंदर्य प्रसाधनों पर खर्च करती. उस का मोबाइल उस के हाथ से न छूटता था. खातेपीते, टैलीविजन देखते हुए भी वह चैट करती रहती.

पहले तो मैं ने इसे मुंबई की हवा का असर समझा, मगर मेरा दिमाग ठनका जब मैं ने देखा कि वह मोबाइल को टौयलेट में भी अपने साथ ले जाती थी. मैं ने सचिन से कई बार इस बारे में बात करनी चाही मगर उन्होंने मेरी बात को हर बार अनसुना कर दिया. आखिर मैं ने ही इस पहेली को सुलझाने का निश्चय किया और सही मौके का इंतजार करने लगी. और वह मौका मुझे जल्दी ही मिल गया.

रविवार का दिन था और पद्मजा सहकर्मी सोनाली के साथ सिनेमा देखने जाने वाली थी. आदतानुसार वह सुबह से उठ कर चैट कर रही थी. जब अचानक उसे खयाल आया कि जाने से पहले उसे अभी नहाना भी है, तो वह जल्दीजल्दी कपड़े समेट कर बाथरूम में भागी. इस हड़बड़ी में कपड़ों के बीच में रखा उस का मोबाइल बाथरूम के दरवाजे पर गिर गया और उसे पता न चला.

उस के बाथरूम का दरवाजा बंद करते ही मैं ने मोबाइल उठा लिया. चूंकि वह 2 सैकंड पहले ही उस पर चैट कर रही थी, इसलिए वह अभी अनलौक ही था. मैं ने फटाफट उस के मैसेज कुरेदने शुरू कर दिए. उस की कौल हिस्ट्री में सब से ज्यादा कौल किसी देवांश की थीं.

जब मैं ने देवांश के संदेशों को पढ़ा तो सारी स्थिति समझने में मुझे देर न लगी. वह सिनेमा देखने भी उसी के साथ जा रही थी किसी सोनाली के साथ नहीं. खैर, मैं ने अपनी भावनाओं को काबू में रख के पद्मजा का मोबाइल उस के हैंडबैग में ले जा कर रख दिया और किचन में जा कर काम करने लगी. वह गुनगुनाती हुई बाथरूम से निकली और मुझ से गले मिल कर खुशीखुशी सिनेमा देखने चली गई.

मैं ने धीरज रखा और सोचा कि जब वह वापस आएगी तब इत्मीनान से बैठ कर बात करूंगी. उस रात मैं घर का काम खत्म कर के पद्मजा के कमरे में आ कर उस के पास लेट गई और यहांवहां की बातें करने लगी.

‘‘मूवी कैसी थी पद्मजा?’’

‘‘ठीक ही थी, वैसी तो नहीं जैसी कि सोनाली ने बताई थी, जब वह पिछले हफ्ते देख कर आई थी.’’

‘‘सोनाली, क्या मतलब? वह यह मूवी पहले देख चुकी थी और आज फिर से तुम्हारे साथ गई थी.’’

‘‘भाभी वो मैं…’’

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‘‘वो मैं क्या, पद्मजा, मुझे नहीं लगता कि तुम सोनाली के साथ मूवी देखने गई थीं.’’

‘‘मगर भाभी मैं…’’

‘‘अगरमगर क्या? मैं जानती हूं कि तुम किसी देवांश के साथ गई थीं.’’

‘‘पर आप ऐसा कैसे कह सकती हैं?’’

‘‘क्योंकि तुम जब नहाने गईं तो तुम्हारा मोबाइल बाथरूम के बाहर गिर गया था और मैं ने तुम्हारे कुछ मैसेजेस देख लिए थे. मुझे परेशानी इस बात की नहीं कि तुम किसी पुरुष मित्र के साथ गई थीं, दुख इस बात का है कि तुम ने मुझ से झूठ बोला और मुझे बेगाना समझा. शायद मैं ने ही तुम्हारे रखरखाव में कुछ कमी की होगी जो मैं तुम्हारा विश्वास न जीत सकी.’’

‘‘नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं है. मेरी अच्छी भाभी, ऐसा तो भूल कर भी न सोचिए. आप ही हैं जो बुरे वक्त में मेरा सब से बड़ा सहारा, सब से अच्छी दोस्त बनीं. बताना तो मैं बहुत समय से चाहती थी मगर समझ नहीं आ रहा था कि कैसे बात शुरू करूं. डर था कि न जाने भैया की क्या प्रतिक्रिया हो.’’

‘‘ठीक है, कोई बात नहीं. पर अब तो जल्दी से मुझे सब बताओ.’’

‘‘देवांश मेरे साथ मेरे औफिस में काम करता है, भाभी वह बहुत अच्छा लड़का है. वह यह जानता है कि मैं एक विधवा हूं फिर भी वह मुझे अपनाने को तैयार है.’’

‘‘और तुम्हारी क्या मरजी है?’’

‘‘मेरा दिल भी उसे चाहता है, अभी मेरी उम्र भी क्या है. मैं अपने दिवंगत पति की यादों की काली चादर ओढ़ कर, जिंदगी के अंधेरों में उम्रभर नहीं भटक सकती.’’

‘‘हम ही कौन सा तुम्हें एकाकी जीवन बिताते हुए देख कर सुखी हैं. तुम और देवांश वयस्क हो, अपना भलाबुरा समझते हो. और हां, अब ज्यादा देर न लगाओ, अगले ही इतवार को देवांश को घर बुला लो, हम से मिलने के लिए.’’ मैं ने पद्मजा के गालों पर बिखरे हुए बालों को हटाते हुए कहा.

‘‘ठीक है, मेरी अच्छी भाभी,’’ कह कर पद्मजा भावविभोर हो कर छोटे बच्चे की तरह मुझ से लिपट गई.

अगले रविवार की शाम मेरे घर में रूपहला उजाला सा बिखरा हुआ था और पद्मजा इस उजाले में सिर से पांव तक नहाई सी प्रतीत हो रही थी. रोशनखयाल देवांश ने कुछ ही घंटों में सचिन पर अपना प्रभुत्व कायम कर लिया.

‘‘औरत केवल एक शरीर नहीं है, पूरी सृष्टि है. जब विधुर पुरुष का विवाह अविवाहित स्त्री से हो सकता है तो फिर अविवाहित पुरुष एक विधवा को अपनाने में क्यों इतना सोचते हैं? रही बात समाज और रीतिरिवाजों की, तो ये सब इंसान के लिए बने हैं, इंसान  इन के लिए नहीं,’’ कहतेकहते देवांश थोड़ा रुका, उस की आंखें पद्मजा पर एक सरसरी दृष्टि डालती हुई सचिन के चेहरे पर जम गईं और उस ने घोषणात्मक स्वर में ऐलान किया, ‘‘मैं पद्मजा को अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं. अगर आप न भी करेंगे तो भी मैं ऐसा करूंगा, क्योंकि मैं जानता हूं कि पद्मजा की खुशी इसी में है और मेरे लिए संसार में उस की खुशी से बढ़ कर कुछ नहीं हैं.’’

कुछ देर के लिए कमरे में गहरी चुप्पी छाई रही, सभी एकदूसरे के चेहरे ताक रहे थे. मन ही मन विचारों की कुछ नापतौल सी चल रही थी.

अंत में सचिन ने ही चुप्पी तोड़ी, ‘‘अरे भाई, जब तुम दोनों ने सबकुछ पहले से ही फाइनल कर लिया है तो मैं क्या, कोई भी तुम्हारा निर्णय नहीं बदल सकता,’’ कहते हुए सचिन अपनी जगह से उठे और उन्होंने पद्मजा का हाथ ले देवांश के हाथों में पकड़ा दिया.

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उस रात देवांश खुशीखुशी विदा हो गया था अपनी शादी की तैयारियां जो शुरू करनी थी उसे. पद्मजा के कमरे से खुशी के गीतों की गुनगुनाहटें आ रही थीं. सब से ज्यादा फूले नहीं समा रहे थे सचिन. वे बिना रुके देवांश की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, ‘‘क्या कमाल का लड़का है, कैसे उत्तम विचार हैं उस के. अपने मांबाप का इकलौता बेटा है. बड़े ही ऊंचे संस्कार दिए हैं उस के मांबाप ने उसे. युगपुरुष, महापुरुष वाली बात है उस में.’’

और मैं हैरान, जड़वत सी, दोगली मानसिकता के शिकार अपने पति के दोहरे मापदंडों की गवाह बनी खड़ी थी.

दूसरी शादी के लिए ज्वाला गुट्टा ने चुना था शाही जोड़ा, फोटोज हुई वायरल

कोरोना के बढ़ते कहर के बीच कई सितारे शादी के बंधन में बंधन में बधे हैं, जिनमें साउथ फिल्मों के एक्टर विष्णु विशाल (Vishnu Vishal) और पौपुलर बैडमिंटन प्लेयर ज्वाला गुट्टा (Jwala Gutta) की जोड़ी भी शामिल है. हालांकि कोरोना के चलते कम लोगों के बीच हुई इस शादी की फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं. वहीं ज्वाला गुट्टा (Jwala Gutta) नौर्थ इंडियन लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं बैडमिंटन प्लेयर ज्वाला गुट्टा (Jwala Gutta) के वेडिंग आउटफिट्स की खास झलक…

नौर्थ इंडियन लुक था खास

बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने साउथ और नॉर्थ इंडियन रीति रिवाज के साथ शादी की थी. जहां साउथ इंडियन लुक में वह बेहद खूबसूरत लुक में नजर आईं तो वहीं नार्थ इंडियन रीति-रिवाज से हुई शादी के लिए उन्होंने शाही जोड़ा पहनना पसंद किया. ज्वाला गुट्टा ने शादी के शाही जोड़े के लिए डिजाइनर रिंपल और हरप्रीत का चुनाव किया था. सिल्क के लहंगे पर टुले डिजाइन के साथ रेशम की कढ़ाई की गई थी. वहीं गुलाब से लेकर चेरी ब्लॉसम और बर्ड्स की लेयर डिजाइन से बने लहंगे पर क्रिस्टल और सिकुइन का पैटर्न दिया गया था. इसी पैटर्न के साथ ब्लाउज और दुपट्टे को भी डिजाइन किया गया था. वहीं दुपट्टे के किनारी पर क्रिस्टल और सिकुइन का वर्क किया गया था, जो बेहद खूबसूरत लग रहा था.

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साउथ इंडियन दुल्हन बनीं ज्वाला

 

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साउथ एक्टर विष्णु विशाल (Vishnu Vishal) से शादी करने वाली ज्वाला गुट्टा शादी में साउथ इंडियन लुक में तैयार हुई थीं.  साउथ इंडियन साड़ी से लेकर ज्वैलरी तक हर अंदाज में ज्वाला का लुक देखने लायक था. वहीं साउथ एक्टर विष्णु विशाल (Vishnu Vishal) भी वाइट कुर्ते और धोती में बेहद हैंडसम लग रहे थे.

ज्वाला गुट्टा की मेहंदी की रस्म थी खास

सोशल मीडिया पर छाई फोटोज में ज्वाला गुट्टा (Jwala Gutta) की मेहंदी की फोटोज धमाल मचा रही हैं. सिंपल औरेंज कलर की साड़ी में नजर आईं तो वहीं मेंहदी रचने के बाद वह ब्लू कलर के लहंगे में जलवे बिखेरती दिखीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

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हल्दी में मस्ती करती दिखीं ज्वाला

हल्दी की फंक्शन में पीले रंग की साड़ी पहन कर जहां ज्वाला बेहद खूबसूरत लग रही थीं तो वहीं मस्ती के मूड में भी नजर आ रही थीं. वहीं हल्दी की बाद वह पीले रंग के लहंगे में नजर आ रही थीं.

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