इस देश ने अपने नाम किया मिस यूनिवर्स 2020 का खिताब, Top 5 में भारत था शामिल

फ्लोरिडा में हो रहे मिस यूनिवर्स 2020 का खिताब का ऐलान हो गया है. मैक्सिको की एंड्रिया मेजा ने इस खिताब को अपने नाम कर लिया है. वहीं भारत की Adline Castelino थर्ड रनरअप बनते हुए टौप 5 में अपनी जगह बनाई है, जिसके बाद उन्हें हर कोई बधाई दे रहा है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

भारत रहा 3rd रनरअप

दरअसल, फ्लोरिडा में हो रहे इस इवेंट में पूर्व मिस यूनिवर्स जोजिबिनी टूंजी ने मैक्सिको की एंड्रिया मेजा को ताज पहनाया. वहीं टौप 5 कंटेस्टेंट की बात करें तो ब्राजिल की Julia Gama 1st रनरअप, पेरू की Janick Maceta 2nd रनरअप, भारत की  Adline Castelino 3rd रनरअप और डोमिनिकन रिपब्लिक की Kimberly Perez 4th रनरअप बनीं हैं.

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मिस यूनिवर्स का ये था जवाब एंड्रिया

Question-Answer राउंड में जब एंड्रिया से सवाल किया गया कि अगर आप अपने देश की लीडर होती, तो आप COVID-19 महामारी को कैसे हैंडल करतीं? तो उन्होंने जवाब दिया ‘मेरा मानना है कि COVID-19 जैसी इस मुश्किल स्थिति से निपटने का कोई सही तरीका नहीं है. हालांकि, मेरा मानना ​​है कि मैंने जो किया होता उसमें लॉकडाउन होता, इससे पहले कि सब कुछ इतना बड़ा होता क्योंकि हमने बहुत सारी जान गंवाई. और हम ये अफॉर्ड नहीं कर सकते. हमें अपने लोगों की देखभाल करनी होगी. इसलिए मैं शुरू से ही उनका ख्याल रखती.’

दिल से आती है सुंदरता

फाइनल स्टेटमेंट में एंड्रिया को ब्यूटी स्टैंडर्ड के बारे में बात करते हुए कहा “हम एक ऐसी सोसायटी में रहते हैं जो बहुत एडवांस है. जैसे-जैसे हम एक एडवांस सोसायटी हैं, वैसे ही हम स्टीरियोटाइप के साथ भी एडवांस हैं. मेरे लिए, सुंदरता न केवल आत्मा से आती है, बल्कि हमारे दिल से भी आती है और हम किस तरह से व्यवहार कर रहे हैं. कभी किसी को ये बताने की अनुमति न दें कि आप मूल्यवान नहीं हैं.”

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बता दें, भारत का प्रतिनिधत्व कर रहीं 22 वर्षीय एडलिन क्वाडरोस कास्टलिनो के माता-पिता कर्नाटक से हैं. हालांकि उनकी परवरिश कुवैत में हुई है. वहीं मिस यूनिवर्स 2020 की उनकी जर्नी कई मुश्किलों से बनी है.

इस गाने में दिखी Rahul Vaidya और Rashami Desai की धमाकेदार केमेस्ट्री, देखें रोमांटिक Video

बिग बौस 14 के रनरअप रह चुके सिंगर राहुल वैद्य इन दिनों सुर्खियों में हैं. जहां एक तरफ खतरों के खिलाड़ी 11 के चलते केपटाउन में राहुल वैद्य नई-नई फोटोज शेयर कर रहे हैं. तो वहीं हाल ही में टीवी एक्ट्रेस रश्मि देसाई (Rashami Desai) संग उनकी रोमांटिक फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

रश्मि-राहुल की फोटोज हुई वायरल

दरअसल, हाल ही में रश्मि देसाई ने राहुल वैद्य संग रोमांटिक फोटोज शेयर की है, जिसके बाद फैंस उनके नए प्रोजेक्ट को लेकर कयास लगा रहे हैं. वहीं खबरें हैं कि रश्मि देसाई (Rashami Desai) और राहुल वैद्य (Rahul Vaidya) एक नए प्रोजेक्ट में साथ दिखने वाले हैं, जिसके चलते ये फोटो शेयर की गई है. हालांकि फैंस को उनके इस नए प्रोजेक्ट का बेसब्री से इंतजार है.

 

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दिशा-राहुल के फैंस को लगा झटका

 

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राहुल वैद्य और रश्मि देसाई के नए प्रोजेक्ट को लेकर जहां फैंस खुश हैं तो वहीं दिशा परमार के फैंस को दोनों की ये रोमेंटिक फोटो देखकर हैरानी हुई है, जिसके कारण फैंस दिशा से सोशलमीडिया पर सवाल पूछ रहे हैं.

दिशा ने शेयर किया वीडियो

 

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राहुल वैद्य और रश्मि देसाई की रोमांटिक फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उनकी गर्लफ्रेंड दिशा परमार ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह शाहरुख खान की फिल्म रईस के गाने ओ जालिमा को मजेदार अंदाज में रिक्रिएट करती नजर आ रही हैं. वहीं फैंस को दिशा परमार का ये वीडियो काफी पसंद आ रहा है. वहीं कुछ फैंस इसे राहुल वैद्य की रोमांटिक फोटोज का रिएक्शन बता रहे हैं.

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तलाक के बाद हुआ अनुपमा का मेकओवर! वायरल हुईं नई फोटोज

स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा इन दिनों टीआरपी चार्ट में पहले नंबर से दूसरे नंबर पर आ गया है, जिसके लिए अब मेकर्स शो की कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए नए-नए ट्विस्ट लाने के लिए तैयार हैं. दरअसल, जहां अनुपमा और वनराज का तलाक हो गया है तो वहीं काव्या अपनी शादी की प्लानिंग में जुट गई है. वहीं खबरे हैं कि शो में जल्द अनुपमा का मेकओवर होने वाला है, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज….

अनुपमा वनराज का हुआ तलाक

 

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अब तक आपने देखा कि तलाक के लिए जहां वनराज मना करता है तो काव्या के सुसाइड ड्रामे के कारण अनुपमा तलाक के जल्दी करने की कोशिश करती हैं. वहीं इन सब के बीच दोनों का तलाक भी हो जाता है. तो दूसरी तरफ अनुपमा शाह हाउस छोड़ने का फैसला भी करती है तो वहीं काव्या जल्द वनराज से शादी करने की बात कहती हुई नजर आती है.

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तलाक के बाद बदलेगा लुक

 

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खबरों की मानें तो तलाक के बाद अनुपमा का मेकओवर होगा. साथ ही वह अपनी जिंदगी जीने के लिए जौब करती नजर आएगी. वहीं अनुपमा के इस कदम में उसका साथ समर, किंजल और नंदिनी देते हुए नजर आएंगे. इसी बीच अनुपमा यानी रुपाली गांगुली की कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसे देखकर फैंस उनके नए लुक का अंदाजा लगा रहे हैं. और आने वाले ट्विस्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

 

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टीआरपी को लेकर कही ये बात

 

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हाल ही में सीरियल अनुपमा की टीआरपी गिरने को लेकर एक्ट्रेस रूपाली गांगुली ने एक इंटरव्यू में कहा था कि यह शो जल्द वापस टीआरपी में आगे हो जाएगा और टीआरपी कम होने से किसी के काम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि अच्छी बात है. किसी और शो को भी तो कभी मौका मिला है. इसके चलते हमें यह मौका मिलता है कि हम और अच्छा काम करें.’

 

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बता दें, बीते दिनों सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में सीरियल टीआरपी चार्ट में अनुपमा को पछाड़ कर पहले नंबर पर आ गया है, जिसके बाद मेकर्स शो की कहानी को नया मोड़ देने में जुट गए हैं.

‘साथ निभाना साथिया 2’ की इस एक्ट्रेस के पास है डिजाइनर साड़ियों का कलेक्शन, देखें फोटोज

स्टार प्लस के सीरियल साथ निभाना साथिया 2 की कहानी में नए मोड़ आने को तैयार हैं. जहां इन दिनों राधिका (Krutika Desai) की वजह से अनंत (Harsh Nagar) और गहना के बीच दूरियां बढ़ने गई है. तो वहीं सोशलमीडिया पर कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जिसमें राधिका और अनंत एक दूसरे के साथ फोटोज क्लिक करवाते नजर आ रहे हैं. हालांकि सीरियल के सेट से वायरल हुई फोटोज दोनों कलाकारों की औफस्क्रीन कैमेस्ट्री बयां कर रही है. लेकिन फैंस इन फोटोज में राधिका यानी कृतिका देसाई के लुक की तारीफें करते नही थक रहे हैं. ट्रैंडिशनल अंदाज को मौर्डन लुक दे रहीं कृतिका का लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं साथ निभाना साथिया 2 की राधिका के लुक्स की झलक…

अनंत संग पोज देती नजर आई राधिका

साथ निभाना साथिया 2 के सेट पर अनंत यानी हर्ष नागर संग राधिका यानी कृतिका देसाई फोटोज क्लिक करवाती नजर आईं. इस दौरान लाइट स्काई ब्लू कलर और वाइट के कौम्बिनेशन वाली साड़ी में कृतिका बेहद खूबसूरत लग रही थीं. इसके साथ डायमंड पैटर्न वाले इयरिंग्स उनके लुक पर चार चांद लगा रहे थे.

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कलरफुल साड़ी में जलवे बिखेरती दिखीं कृतिका

सीरियल में राधिका के रोल में कृतिका का लुक काफी दिलचस्प नजर आता है. एक से बढ़कर एक लुक में कृतिका बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं इस कलरफुल साड़ी में फैंस उनके लुक को काफी पसंद करते हैं.


साड़ी का लुक होता है अलग

ट्रैडिशनल लुक को मौर्डन टच देने वाली कृतिका को फैंस काफी पसंद करते हैं. वहीं सीरियल में ट्राय किए गए हर अवतार को ट्राय करने की कोशिश भी करते हैं.

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अनंत-राधिका की जोड़ी लगती है खूबसूरत 

बीते दिनों अनंत और राधिका की कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हुई थीं, जिसमें दोनों की जोड़ी बेहद खूबसूरत लग रही थी.

Mother’s Day Special: मैंगो कोकोनट बर्फी

इस समय आम बहुतायत में बाजार में उपलब्ध है. सफेदा, केसर, अल्फांजो, दशहरी, तोतापरी, नीलम आदि आम की प्रमुख किस्में हैं. आम में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे अनेकों पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के पाचनतंत्र को दुरुस्त रखने के साथ साथ शरीर में खून की मात्रा को बढ़ाने में भी मददगार होते हैं. इसलिए आम को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करना चाहिए. यूं भी डॉक्टर्स सीजनल फलों का भरपूर मात्रा में सेवन करने की सलाह देते हैं क्योंकि मौसमी फल हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं. आम से अनेकों लजीज व्यंजन भी बनाये जा सकते हैं…आज हम आपको ऐसी ही एक रेसिपी को बनाना बता रहे हैं-

बनाने में लगने वाला समय  20 मिनट

कितने लोंगों के लिए          20

मील टाइप                        वेज

सामग्री

पका आम                      1 बड़ा

दूध                                 1कप

शकर                               1 कप

किसा ताजा नारियल           3 कप

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इलायची पाउडर                  1/4 टीस्पून

केसर के धागे                       8

बारीक कटे पिस्ता                1 टेबलस्पून

विधि

आम को छीलकर छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर 1/2 कप दूध के साथ मिक्सी में अच्छी तरह ब्लेंड कर लें. बचे आधा कप दूध में केसर के धागे डालकर रख दें. आम की प्यूरी में शकर डालकर तब तक चलाते हुए पकाएं जब तक कि शकर घुल न जाये. अब इसमें किसा नारियल और केसर युक्त दूध डालकर मिश्रण के गाढ़ा होने तक चलाते हुए मध्यम आंच पर  पकाएं. जब मिश्रण पैन में चिपकना छोड़ दे तो इलायची पाउडर डालकर चिकनाई लगी ट्रे में जमाएं.

ऊपर से पिस्ता से गार्निश करके 30 मिनट तक ठंडा होने दें. चौकोर टुकड़ों में काटकर सर्व करें. इसे आप एयरटाइट जार में भरकर फ्रिज में रखकर 15-20 दिन तक प्रयोग कर सकतीं हैं.

यदि आपके पास ताजा नारियल नहीं है तो नारियल बुरादे को गर्म पानी में आधा घण्टा रखकर पानी छानकर प्रयोग करें इससे आपको ताजे नारियल का फ्लेवर मिल जाएगा.

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हेल्दी स्किन के लिए बनाएं ये 3 होममेड फ्लोरल फेस पैक

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया है. लॉकडाउन के वजह से बाजार पूरी तरह से बंद है. ऐसे में अपने स्किन का ध्यान रखने के लिए घर में ही कुछ न कुछ घरेलू उपाय करना होगा.हर लड़की का ख्वाब चमकदार और हेल्दी स्किन पाना होता है. अगर स्किन स्वस्थ है तो खुद के अंदर आत्मविश्वास आता है और मूड भी बढ़िया रहता है.ऐसा चेहरा पाने के लिये आपको किसी पार्लर जाने की जरुरत नहीं है. तो बस करना सिर्फ इतना है कि उनकी पंखुडियों का या तो पेस्ट बना कर इस्तमाल करें या फिर उन्हें सुखा कर पाउडर बना कर लगाएं. यहां तीन फूल दिए गए हैं जिनका उपयोग आप फेस पैक बनाने में कर सकते हैं.

1.गुलाब का फू

गुलाब जल के सौंदर्य लाभों के बारे में हम सभी जानते हैं.गुलाब जल स्किन के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है और स्किन को भीतर से साफ़ करके खूबसूरती प्रदान करता है, वहीं गुलाब की ताज़ी पत्तियों से तैयार फेस पैक का चेहरे पर इस्तेमाल करने से स्किन संबंधी कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल, एंटी- एंटी-इंफ्लेमेट्री व एंटी-एजिंग गुण स्किन की गहराई से सफाई करते हैं. चेहरे पर पड़े दाग, धब्बे, सनटैन, डार्क सर्कल, ब्लैकहेड्स, व्हाइटहेड्स, पिंपल्स दूर होने में मदद मिलती है. सबसे पहले गुलाब की पंखुड़ियों को अच्छे से मसल लें और उसमे एक चम्मच दूध और ग्लिसरीन डाल कर अच्छे से मिक्स करें. 30 मिनट के लिए इस फेस पैक लगाएं और फिर इसे धो लें.गुलाब की पंखुड़ियों में मौजूद प्राकृतिक तेल आपकी स्किन को भीतर से गहराई तक नमी देते हैं और चेहरे की खूबसूरती व स्किन का स्वास्थ्य बढ़ाता है.

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2.कमल का फू

हाल ही में फैटी एसिड और प्रोटीन सामग्री के उच्च स्तर के कारण, स्किन के लिए कमल का इस्तेमाल प्रचलित हुआ है. यह न केवल स्किन को गहराई से हाइड्रेट करता है, बल्कि सूखापन और फाइन लाइनों को भी कम करता है. इसमें मौजूद एंटी-एजिंग गुण स्किन को गहराई से साफ करके लंबे समय तक नमी बरकरार रखने में मदद करते हैं. साथ ही दाग-धब्बे, पिंपल्स, झाइयां, झुर्रियां, ब्लैक व व्हाइट हेड्स से छुटकारा दिलाते हैं. कुछ कमल की पंखुड़ियों को लें और उन्हें मसल लें.  इसे मसलते हुए थोड़ा पानी डालें और फिर एक बड़ा चम्मच दूध और मसूर दाल पाउडर डालें. 15 मिनट के लिए फेस पैक को अपने चेहरे पर लगा रहने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें. स्किन पर कमल की पंखुड़ियों का नियमित उपयोग आपकी स्किन का निखार बढ़ाएगा और फाइन लाइंस भी खत्म कर देगा.

3.चमेली का फू

चमेली के फूल की पंखुड़ियों को उनके मॉइस्चराइजिंग गुणों के लिए जाना जाता है. यह स्किन के लिए एक अच्छे क्लींजर के रूप में भी काम करता है और स्किन को चमकदार बनाने में मदद करता है. चमेली का फूल, जिसे जैस्मिन भी कहते हैं, सफेद रंग का फूल बहुत ही खुशबूदार होता है. इसलिए इसका प्रयोग परफ्यूम बनाने में भी किया जाता है. चमेली के फूल को ब्यूटी ट्रीटमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. चमेली के फूल में ऐटीमाइक्रोबियल और एंटीसेप्टिक गुण पाये जाते हैं. चमेली के फूलों की पंखुड़ियों का फेस पैक बनाने के लिए, कुछ पंखुड़ियों को चुनें और उन्हे अच्छे से  मैश करें. इसमें एक बड़ा चम्मच कच्चा दूध और बेसन या चने का आटा मिलाएं और अपने चेहरे पर लगाएं. इसे 15 से 20 मिनट के बाद निकालें.

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यह सभी फेस पैक का इस्तेमाल पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसका चेहरे पर कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता.आप इनके इस्तेमाल से हेल्दी स्किन आसानी से पा सकते हैं.

जानें कैसे हो सकता है कोविड –19 के मरीजों में ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल में सुधार

सवाल 1 – प्रोन पोजिशन क्या है?

जवाब 1 – यह एक सरल तकनीक है जिससे मरीजों को पेट के बल लेटना होता है और उनकी छाती और चेहरा नीचे की ओर होता है. रोगी को प्रोन पोजिशन में रखने पर उनके रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति में सुधार होता है जिससे श्वसन में मदद मिलती है.

सवाल 2 – ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में प्रोन पोजिशन कैसे काम करता है?

जवाब 2 – जब हम चित सीधे लेटे होते हैं जिसमें चेहरा और छाती ऊपर की ओर होता है, तो हृदय का दबाव फेफड़ों पर पड़ता है क्योंकि यह फेफड़ों के ऊपर होता है. जिसके कारण हृदय फेफड़े को दबाता है और फेफड़ों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पूरी तरह से फैल नहीं पाता है या पूरी तरह से फुल नहीं पाता है. लेकिन, जब हम चेहरा नीचे कर (पेट के बल) लेटते हैं, तो हृदय के वजन को हमारे पंजर (रिब केज) और रीढ़ (स्पाइन) द्वारा सपोर्ट मिलता है. हृदय अब फेफड़ों पर पूरी तरह से दबाव नहीं डाल रहा होता है जिससे फेफड़ों का पूरी तरह फुलना और ठीक से काम करना आसान होता है. ऑक्सीजन की आपूर्ति शरीर के सभी भागों में समान रूप से पहुंचना बहुत महत्वपूर्ण है जो कि परफ्युजन प्रक्रिया के द्वारा रक्त परिसंचरण के माध्यम से होती है. प्रोन पोजिशन में, रक्त परिसंचरण, और ऑक्सीजन की आपूर्ति दोनों उत्कृष्ट स्तर पर होती हैं जिससे शरीर के सभी हिस्सों में पर्याप्त रक्त पहुंचता है. वेंटिलेशन (फेफड़ों में और फेफड़ों की दीवारों के बाहर हवा का प्रवाह) और परफ्युजन (फेफड़ों की दीवार के केशिकाओं में रक्त का प्रवाह) के बीच संतुलन प्रोन पोजिशन में काफी अच्छा हाेता है.

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सवाल 3 – क्या आप हमें घर में किये जा सकने वाले सेल्फप्रोनिंग के लिए चरणदरचरण दिशानिर्देश दे सकते हैं?

जवाब 3 – कृपया इस पूरी प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन के स्तर को मापने के लिए ऑक्सीमीटर का उपयोग करें –

  • पोजिशन 1: अपने पेट के बल 30 मिनट से 2 घंटे तक लेटें.

यदि रोगी पहले से ही ऑक्सीजन के सपोर्ट पर है, तो ऑक्सीजन को इस पोजिशन में नहीं निकाला जाना चाहिए, सिर को बाईं ओर / दाईं ओर घुमाएं और ऑक्सीजन का सपोर्ट जारी रखें. सपोर्ट के लिए सिर, छाती और पेल्विस के नीचे तकिया रखें लेकिन पेट पर दबाव नहीं पड़ना चाहिए.

  • पोजिशन 2: 30 मिनट से 2 घंटे तक अपनी बाईं करवट लेटें.
  • पोजिशन 3: 30 मिनट से 2 घंटे तक उठते–लेटते रहें.
  • पोजिशन 4: 30 मीटर से 2 घंटे तक अपनी दाईं करवट लेटें.
  • पोजिशन 5: पोजिशन 1पर वापस जाएं 1- अपने पेट के बल 30 मिनट से 2 घंटे तक लेटें.

सवाल 4 – क्या सभी रोगियों को प्रोन पोजिशन से लाभ हो सकता है?

जवाब 4 – इसका लाभ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग– अलग होता है जिसे केवल रोगी को प्रोन पोजिशन में रहने पर निर्धारित किया जा सकता है. प्रोन पोजिशन में रहने पर कुछ लोगों के ऑक्सीजन के स्तर में बहुत सुधार होता है, लेकिन कुछ लोगों के ऑक्सीजन के स्तर में बहुत अंतर दिखाई नहीं देता है, और इसी से यह पता लगाया जा सकता है कि यह उन पर काम कर रहा है या नहीं.

सवाल 5 – प्रोन पोजिशन में रहने से किसे बचना चाहिए?

जवाब 5 – निम्न लोगों के लिए प्रोन पोजिशन उचित नहीं है –

  • गर्भवती महिला
  • गंभीर हृदय रोग वाले रोगी
  • अस्थिर रीढ़ या रीढ़ में फ्रैक्चर वाले रोगी
  • पेल्विक फ्रैक्चर वाले रोगी.

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सवाल 6 – सेल्फ प्रोनिंग के दौरान किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

जवाब 6 – यदि आप घर में सेल्फ प्रोनिंग की योजना बना रहे हैं तो कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखें –

  • भोजन के बाद कम से कम 2 घंटे के लिए सेल्फ प्रोनिंग से बचें.
  • सेल्फ प्रोनिंग की केवल उतनी ही प्रक्रिया दोहराएं जितना करना आसानी से संभव हो या सहन हो सके. अपने आप पर अधिक दबाव नहीं डालें.
  • सेल्फ प्रोनिंग के दौरान दबाव के कारण होने वाले किसी घाव या चोट की जाँच कर लें.
  • सुनिश्चित करें कि प्रक्रिया के दौरान रक्तचाप और हाइड्रेशन बना रहे.

जरूरी बात

आंख मूंद कर किसी भी प्राकृतिक या हर्बल उपाय को बनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें आजकल सोशल मीडिया यूट्यूब हर जगह बाबा रामदेव के बनाए हुए नुस्खों की भरमार है. वह एक ऐसा टीवी व्यक्तित्व है जिसका सच्चाई के साथ संबंध ही काफी लोचदार है. हकीकत में तो वह ब्रांडिंग का कोई अवसर नहीं खोना चाहते. तभी तो उनका नाम और चेहरा भारत में हर जगह दिख जायेगा. चाहे स्वदेशी सिम कार्ड हो या पैकेज्ड नूडल्स या हर्बल कब्ज उपचार या फिर गाय के मूत्र से बना फर्श क्लीनर ही क्यों न हो वह अपनी ब्रांडिंग कभी नहीं छोड़ते और जब से देश महामारी के जाल में फंसा है तब से तो आए दिन कोविड से बचने के नुस्खे बताते रहते हैं. उनके बताए हुए नुस्खों की बानगी तो देखिए.

यदि गिलोय, तुलसी और काली मिर्च से बना काढ़ा पियेंगे तो कोविड भाग जायेगा. साथ में हल्दी का दूध या काढ़ा भी फायदेमंद है. रामदेव के अनुसार यदि गिलोय का रस पिया जाए रोज सुबह शाम दो चम्मच तो आपके शरीर की इम्यूनिटी स्ट्रांग हो जाएगी और आप इन सब विधियों को अपनाकर कोरोनावायरस को मात दे सकते हैं.

इसलिए हम तो यही कहना चाहेंगे कि आप किसी भी नुस्खे को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

डॉ राजेश कुमार पांडे, वरिष्ठ निदेशक और विभागाध्यक्ष, बीएलके – मैक्स सेंटर फॉर क्रिटिकल केयर,

बीएलके – मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से बातचीत पर आधारित

मेहनत ही मंजिल तक पहुंचाती है- मान्या सिंह

मान्या सिंह

रनर अप, मिस इंडिया 2020

ज  ब आप के सपने हकीकत में बदल जाते हैं, तो जिंदगी खूबसूरत लगने लगती है. कुछ ऐसा ही अनुभव किया है उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के देवरिया जिले की मिस इंडिया 2020 रनर अप मान्या सिंह ने, जो इस ताज को पहन कर बहुत उत्साहित हैं. उन के हिसाब से हर लड़की के सिर के ऊपर एक ताज होता है, जिसे मेहनत और लगन से ही पाया जा सकता है. मान्या अभी मुंबई में रहती हैं. उन के पिता ओमप्रकाश सिंह मुंबई में औटोरिकशा चलाते हैं और मां मनोरमा देवी पार्लर में काम करती हैं.

हंसमुख स्वभाव की मान्या इस लंबी जर्नी के बारे में बताते हुए भावविभोर हुईं और आंखों से आंसू भी छलके, लेकिन जीत की चमक उन के चेहरे पर थी. बातचीत के कुछ खास अंश इस प्रकार हैं:

जब आप का नाम ले कर अवार्ड की घोषणा की गई, तब आप को कैसा लगा?

यह मेरे जीवन का सब से सुंदर तोहफा है, जिसे मैं ने काफी सालों की कोशिश के बाद पाया है. इस के द्वारा मैं यह सिद्ध करना चाहती हूं कि कोई भी व्यक्ति रंगरूप, नैननक्श, अमीरगरीब आदि से नहीं आंका जाता, बल्कि उस की मेहनत और लगन ही उसे मंजिल तक पहुंचाने में मदद करती है.

जब मेरे नाम की घोषणा की गई, तो मुझे थोड़ी दूर स्टेज तक जाने में मुश्किल हो रही थी और इतने समय में मेरे जीवन का पूरा संघर्ष मेरी आंखों के आगे घूम गया. मुझे लगा कि अंत में मैं ने बाजी जीत ली है. फिर मैं ने क्राउन को अपने हाथों से पकड़ा, एक सुंदर एहसास था.

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क्राउन पहनने के बाद अब आप ने आगे क्याक्या करने के बारे में सोचा है?

जितना मैं ने सोचा था, उस से कहीं अधिक मुझे मिला और मेरा सबकुछ पूरा हो गया है. यह क्राउन मुझे मेरे पक्के इरादे की वजह से मिला है, इसलिए आने वाले समय में जो भी मुझे मिलेगा, उस का मैं दोनों हाथों से वैलकम करूंगी. मेरी इस जीत के बाद हर लड़का, हर लड़की यह सोच पाएगी कि अगर मान्या को सफलता मिल सकती है, तो मुझे भी मिलेगी.

क्या आप को स्टेज पर जाने से पहले इस जीत का अंदाजा था?

बिलकुल भी नहीं था, लेकिन जब मैं स्टेज पर गई, तो रिजल्ट कुछ भी हो, पता था कि मैं अपना बैस्ट ही दूंगी.

गांव से शहर कैसे आना हुआ? शहर में कैसे सर्वाइब किया?

पैसे के अभाव में मैं ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और बूआ के घर जा कर रहने लगी थी. वहां मैं दिन में काम करती और रात में तेल की ढिबरी के आगे पढ़ती, पर बूआ को मिट्टी के तेल की गंध पसंद नहीं थी, इसलिए मैं बाहर लैंप पोस्ट के नीचे बैठ कर पढ़ने लगी. कुछ दिनों बाद मैं वापस गांव आ गई और मेरी मां ने स्कूल अथौरिटी से बात कर मुझे बिना एडमिशन के क्लास में जाने की अनुमति मांगी, जो मुझे मिल गई. मैं केवल परीक्षा की फीस दे कर ऐग्जाम देती थी.

ऐसा करतेकरते मैं ने स्कूल की पढ़ाई पूरी की. उस दौरान घर में कुछ कहासुनी होने की वजह से मैं 14 साल की उम्र में महिला जनरल बोगी ट्रेन में बैठ कर मुंबई आ गई. मैं ने उस दिन मन में सोच लिया कि अगर मैं आज घर से निकलने का यह निर्णय नहीं ले सकी, तो आगे कभी भी लेना संभव नहीं हो सकेगा. इसी सोच के साथ बिना टिकट 3 दिन बिना खाए मुंबई आ गई. हालांकि मातापिता और भाई भी मेरे पीछेपीछे आ गए थे, क्योंकि उन्हें पता था कि मैं मुंबई में ही मिलूंगी.

यहां आने पर पिता औटोरिकशा चलाने लगे, जिस से घर का खर्च पूरा नहीं हो पा रहा था, इसलिए मैं ने पिज्जा हट में काम करना शुरू किया. वहां भी पहले दिन एक बौक्स भर नीबू निचोड़ने को कहा गया.

उस दिन मेरे हाथ में छाले पड़ गए. इस के बाद मैं ने कौलसैंटर में काम किया, साथ में पढ़ाई भी चलती रही. ब्यूटी पेजैंट में जाना मेरा सपना था, इसलिए मुझे उस के लिए खुद को ग्रूम करना जरूरी था. कौलसैंटर ने इस में बहुत सहयोग दिया.

वहां मैं ने लोगों से बातें करना, कंप्यूटर चलाना, भाषा को ठीक करना आदि छोटीछोटी चीजों को सीखा. मेरा अलगअलग जगह पर काम करने का मतलब खुद को ग्रूम करना ही प्रमुख था. इतना ही नहीं मैं ने कई जगह ब्यूटी पेजैंट में अपना नाम दिया, वहां कुछ में मैं जीती, तो कुछ ने मेरे चेहरे, रंग और बोलचाल को ले कर मजाक बनाया. इस सब के बावजूद मैं कभी टूटी नहीं.

परिवार का सहयोग कितना रहा?

मेरे परिवार ने हमेशा मेरा साथ केवल परिवार बन कर नहीं वरन एक दोस्त बन कर दिया. मेरी मां हमेशा कहती रहीं कि जो मेहनत अधिक करते हैं, उन्हें ही समस्या आती है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि मुझ से बढ़ कर उन के जीवन में कोई नहीं है. मेरी यह कोशिश मुझे मंजिल तक अवश्य पहुंचाएगी. आज मेरी कामयाबी ने मातापिता को खुशी के आंसू दिए हैं और वे गर्वित भी हैं.

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आप की इस जीत से यूथ को कितना प्रोत्साहन मिलेगा?

वे यह सोचने पर मजबूर होंगे कि वे जिस किसी भी बैकग्राउंड या स्थान से आए हों, अपने सपने को पूरा कर सकते हैं. उन्हें कोई नहीं रोक सकता. ड्रीम बियौंड योर इमैजिनेशन होता है.  उसे प्राप्त करने की कोशिश करें और खुद पर विश्वास रखें.

गृहशोभा के जरीए क्या मैसेज देना चाहती हैं?

‘‘तू खुद की खोज में निकल, तू किसलिए हताश है, तू चल, तेरे वजूद को समय की भी तलाश है.’’ इन पंक्तियों को आप याद रखें

और जो भी सपना है, उसे पूरा करने की  कोशिश करें.

Mother’s Day Special: मां बनना औरत की मजबूरी नहीं

मातृत्व का एहसास औरत के लिए कुदरत से मिला सब से बड़ा वरदान है. औरत का सृजनकर्ता का रूप ही उसे पुरुषप्रधान समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान देता है. मां वह गरिमामय शब्द है जो औरत को पूर्णता का एहसास दिलाता है व जिस की व्याख्या नहीं की जा सकती. यह एहसास ऐसा भावनात्मक व खूबसूरत है जो किसी भी स्त्री के लिए शब्दों में व्यक्त करना शायद असंभव है.

वह सृजनकर्ता है, इसीलिए अधिकतर बच्चे पिता से भी अधिक मां के करीब होते हैं. जब पहली बार उस के अपने ही शरीर का एक अंश गोद में आ कर अपने नन्हेनन्हे हाथों से उसे छूता है और जब वह उस फूल से कोमल, जादुई एहसास को अपने सीने से लगाती है, तब वह उस को पैदा करते समय हुए भयंकर दर्द की प्रक्रिया को भूल जाती है.

लेकिन भारतीय समाज में मातृत्व धारण न कर पाने के चलते महिला को बांझ, अपशकुनी आदि शब्दों से संबोधित कर उस का तिरस्कार किया जाता है, उस का शुभ कार्यों में सम्मिलित होना वर्जित माना जाता है. पितृसत्तात्मक इस समाज में यदि किसी महिला की पहचान है तो केवल उस की मातृत्व क्षमता के कारण. हालांकि कुदरत ने महिलाओं को मां बनने की नायाब क्षमता दी है, लेकिन इस का यह मतलब कतई नहीं है कि उस पर मातृत्व थोपा जाए जैसा कि अधिकांश महिलाओं के साथ होता है.

विवाह होते ही ‘दूधो नहाओ, पूतो फलो’ के आशीर्वाद से महिला पर मां बनने के लिए समाज व परिवार का दबाव पड़ने लगता है. विवाह के सालभर होतेहोते वह ‘कब खबर सुना रही है’ जैसे प्रश्नचिह्नों के घेरे में घिरने लगती है. इस संदर्भ में उस का व्यक्तिगत निर्णय न हो कर परिवार या समाज का निर्णय ही सर्वोपरि होता है, जैसे कि वह हाड़मांस की बनी न हो कर, बच्चे पैदा करने की मशीन है.

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समाज का दबाव

महिला के शरीर पर समाज का अधिकार जमाना नई बात नहीं है. हमेशा से ही स्त्री की कोख का फैसला उस का पति और उस के घर वाले करते रहे हैं. लड़की कब मां बन सकती है और कब नहीं, लड़का होना चाहिए या लड़की, ये सभी निर्णय समाज स्त्री पर थोपता आया है. वह क्या चाहती है, यह कोई न तो जानना चाहता है और न ही मानना चाहता है, जबकि सबकुछ उस के हाथ में नहीं होता है, फिर भी ऐसा न होने पर उस को प्रताडि़त किया जाता है.

यह दबाव उसे शारीरिक रूप से मां तो बना देता है परंतु मानसिक रूप से वह इतनी जल्दी इन जिम्मेदारियों के लिए तैयार नहीं हो पाती है. यही कारण है कि कभीकभी उस का मातृत्व उस के भीतर छिपी प्रतिभा को मार देता है और उस का मन भीतर से उसे कचोटने लगता है.

कैरियर को तिलांजलि

परिवार को उत्तराधिकारी देने की कवायद में उस के अपने कैरियर को ले कर देखे गए सारे सपने कई वर्षों के लिए ममता की धुंध में खो जाते हैं. यह अनचाहा मातृत्व उस की शोखी, चंचलता सभी को खो कर उसे एक आजाद लड़की से एक गंभीर महिला बना देता है.

लेकिन अब बदलते समय के अनुसार, महिलाएं जागरूक हो ई हैं. आज कई ऐसे सवाल हैं जो घर की चारदीवारी में कैद हर उस औरत के जेहन में उठते हैं, जिस की आजादी व स्वर्णिम क्षमता पर मातृत्व का चोला पहन कर उसे बाहर की दुनिया से महरूम कर दिया गया है.

आखिर क्यों औरत की ख्वाहिशों को ममता के खूंटे से बांध कर बाहर की दुनिया से अनभिज्ञ रखा जाता है? जैसे कि अब उस का काम नौकरी या उन्मुक्त जिंदगी जीना नहीं, बल्कि अपने बच्चे की परवरिश में अपना अस्तित्व ही दांव पर लगा देना मात्र रह गया हो.

बच्चे को अपने रिश्ते का जामा पहना कर उस पर अपना अधिकार तो सभी जमाते हैं, लेकिन जो बच्चे के पालनपोषण से संबंधित कर्तव्य होते हैं, उन का निर्वाह करने के लिए तो पूरी तरह से मां से ही अपेक्षा की जाती है. क्या परिवार में अन्य कोई बच्चे का पालनपोषण नहीं कर सकता. यदि हां, तो फिर इस की जिम्मेदारी अकेली औरत ही क्यों ढोती है?

निर्णय की स्वतंत्रता

दबाव में लिया गया कोई भी निर्णय इंसान पर जिम्मेदारियां तो लाद देता है परंतु उन का वह बेमन से वहन करता है. जब हम सभी एक शिक्षित व सभ्य समाज का हिस्सा हैं तो क्यों न हर निर्णय को समझदारी से लें तथा जिम्मेदारियों के मामले में स्त्रीपुरुष का भेद मिटा कर मिल कर सभी कार्य करें. ऐसे वक्त में यदि उस का जीवनसाथी उसे हर निर्णय की आजादी दे व उस का साथ निभाए तो शायद वह मां बनने के अपने निर्णय को स्वतंत्रतापूर्वक ले पाएगी.

एक पक्ष यह भी

कानून ने भी औरत के मां बनने पर उस की अपनी एकमात्र स्वीकृति या अस्वीकृति को मान्यता प्रदान करने पर अपनी मुहर लगा दी है.

मातृत्व नारी का अभिन्न अंश है, लेकिन यही मातृत्व अगर उस के लिए अभिशाप बन जाए तो? वर्ष 2015 में गुजरात में एक 14 साल की बलात्कार पीडि़ता ने बलात्कार से उपजे अनचाहे गर्भ को समाप्त करने के लिए उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी थी, लेकिन उसे अनुमति नहीं दी गई. एक और मामले में गुजरात की ही एक सामूहिक बलात्कार पीडि़ता के साथ भी ऐसा हुआ. बरेली, उत्तर प्रदेश की 16 वर्षीय बलात्कार पीडि़ता को भी ऐसा ही फैसला सुनाया गया. ऐसी और भी अन्य दुर्घटनाएं सुनने में आई हैं.

बलात्कार पीडि़ता के लिए यह समाज कितना असंवेदनशील है, यह जगजाहिर है. बलात्कारी के बजाय पीडि़ता को ही शर्म और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अगर कानून भी उस की मदद न करे और बलात्कार से उपजे गर्भ को उस के ऊपर थोप दिया जाए तो उस की स्थिति की कल्पना कीजिए, वह कानून और समाज की चक्की के 2 पाटों के बीच पिस कर रह जाती है. लड़की के पास इस घृणित घटना से उबरने के सारे रास्ते खत्म हो जाते हैं और ऐसे बच्चे का भी कोई भविष्य नहीं रह जाता जिसे समाज और उस की मां स्वीकार नहीं करती.

पिछले साल तक आए इस तरह के कई फैसलों ने इस मान्यता को बढ़ावा दिया था कि किस तरह से महिला के शरीर से जुड़े फैसलों का अधिकार समाज और कानून ने अपने हाथ में ले रखा है. वह अपनी कोख का फैसला लेने को आजाद नहीं है. अनचाहा और थोपा हुआ मातृत्व ढोना उस की मजबूरी है.

लेकिन 1 अगस्त, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार की शिकार एक नाबालिग लड़की के गर्भ में पल रहे 24 हफ्ते के असामान्य भू्रण को गिराने की इजाजत दे दी. कोर्ट ने यह आदेश इस आधार पर दिया कि अगर भू्रण गर्भ में पलता रहा तो महिला को शारीरिक व मानसिक रूप से गंभीर खतरा हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971 के प्रावधान के आधार पर यह आदेश दिया है. कानून के इस प्रावधान के मुताबिक, 20 हफ्ते के बाद गर्भपात की अनुमति उसी स्थिति में दी जा सकती है जब गर्भवती महिला की जान को गंभीर खतरा हो. 21 सितंबर, 2017 को आए मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले ने स्थिति को पलट दिया.

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न्यायालय ने महिला के शरीर और कोख पर सिर्फ और सिर्फ महिला के अधिकार को सम्मान देते हुए यह फैसला दिया है कि यह समस्या सिर्फ अविवाहित स्त्री की नहीं है, विवाहित स्त्रियां भी कई बार जरूरी कारणों से गर्भ नहीं चाहतीं.

कोई भी महिला चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित, अवांछित गर्भ को समाप्त करने के लिए स्वतंत्र है, चाहे वजह कोई भी हो. इस अधिकार को गरिमापूर्ण जीवन जीने के मूल अधिकार के साथ सम्मिलित किया गया है. महिलाओं के अधिकारों और स्थिति के प्रति बढ़ती जागरूकता व समानता इस फैसले में दिखाई देती है. अविवाहित और विवाहित महिलाओं को समानरूप से यह अधिकार सौंपते हुए उच्च न्यायालय ने लिंग समानता और महिला अधिकारों के पक्ष में एक मिसाल पेश की है.

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

28 अक्तूबर, 2017 को गर्भपात को ले कर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, अब किसी भी महिला को अबौर्शन यानी गर्भपात कराने के लिए अपने पति की सहमति लेनी जरूरी नहीं है. एक याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला लिया है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी बालिग महिला को बच्चे को जन्म देने या गर्भपात कराने का अधिकार है. गर्भपात कराने के लिए महिला को पति से सहमति लेनी जरूरी नहीं है. बता दें कि पत्नी से अलग हो चुके एक पति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. पति ने अपनी याचिका में पूर्व पत्नी के साथ उस के मातापिता, भाई और 2 डाक्टरों पर अवैध गर्भपात का आरोप लगाया था. पति ने बिना उस की सहमति के गर्भपात कराए जाने पर आपत्ति दर्ज की थी.

इस से पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी याचिकाकर्ता की याचिका ठुकराते हुए कहा था कि गर्भपात का फैसला पूरी तरह महिला का हो सकता है. अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एम खानविलकर की बैंच ने यह फैसला सुनाया है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्भपात का फैसला लेने वाली महिला वयस्क है, वह एक मां है, ऐसे में अगर वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है तो उसे गर्भपात कराने का पूरा अधिकार है. यह कानून के दायरे में आता है.

हम यह स्वीकार करते हैं कि आज कानून की सक्रियता ने महिलाओं को काफी हद तक उन की पहचान व अधिकार दिलाए हैं परंतु आज भी हमारे देश की 40 प्रतिशत महिलाएं अपने इन अधिकारों से महरूम हैं, जिस के कारण आज उन की हंसतीखेलती जिंदगी पर ग्रहण सा लग गया है.

बच्चे के जन्म का मां और बच्चे दोनों के जीवन पर बहुत गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है. इसलिए मातृत्व किसी भी महिला के लिए एक सुखद एहसास होना चाहिए, दुखद और थोपा हुआ नहीं.

हर सिक्के के दो पहलू

बच्चा पैदा करना पूरी तरह से महिलाओं के निर्णय पर निर्भर होने से परिवार में कई विसंगतियां पैदा होंगी.

बच्चे की जरूरत पूरे परिवार को होती है, और उसे पैदा एक औरत ही कर सकती है. ऐसे में उस के नकारात्मक रवैए से पूरा परिवार प्रभावित होगा.

मातृत्व का खूबसूरत एहसास मां बनने के बाद ही होता है. नकारात्मक निर्णय लेने से महिला इस एहसास से वंचित रह जाएगी.

सरोगेसी इस का विकल्प नहीं है, मजबूरी हो तो बात अलग है.

अपनी कोख से पैदा किए गए बच्चे से मां के जुड़ाव की तुलना, गोद लिए बच्चे या सरोगेसी द्वारा पैदा किए गए बच्चे से की ही नहीं जा सकती.

आज के दौर में महिलाएं मातृत्व से अधिक अपने कैरियर को महत्त्व देती हैं. उन की इस सोच पर कानून की मुहर लग जाने के बाद अब परिवार के विघटन का एक और मुद्दा बन जाएगा और तलाक की संख्या में बढ़ोतरी होनी अवश्यंभावी है.

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रेहड़ी दुकानदारों की आर्थिक मदद करेगी उत्तर प्रदेश सरकार

लखनऊ . कोविड संक्रमण से मुक्त कुछ लोगों में ब्लैक फंगस नाम की नई बीमारी के प्रसार की जानकारी भी मिली है. राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों की परामर्शदात्री समिति से संवाद बनाते हुए इसके उपचार हेतु आवश्यक गाइडलाइंस आज ही जारी कर दी जाएं. आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. उत्तर प्रदेश को इस मामले में प्रो-एक्टिव रहना होगा.इसके बचाव, उपचार आदि की समुचित व्यवस्था पूरी तत्परता के साथ किया जाए.

ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार सम्बंध में प्रशिक्षण आवश्यक है. सभी मेडिकल कॉलेजों, सीएमओ, इलाज में संलग्न अन्य चिकित्सकों को एसजीपीजीआईपीजीआई से जोड़ते हुए इस सम्बन्ध में आवश्यक चिकित्सकीय प्रशिक्षण कराने की कार्यवाही तत्काल कराई जाए.

कतिपय जनपदों में कुछ निजी कोविड अस्पतालों द्वारा सरकार द्वारा तय दर से अधिक की वसूली करने की शिकायतें मिल रही हैं. लखनऊ में ऐसे ही कुछ अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि मरीज और उसके परिजनों का किसी भी प्रकार उत्पीड़न न हो. ऐसे असंवेदनशील अस्पतालों से मरीजों को अन्यत्र शिफ्ट करके, अस्पताल के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाए.

बहुत से मरीज कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं किंतु अभी भी उन्हें चिकित्सकीय निगरानी को जरूरत होती है. ऐसे मरीजों को उनकी मेडिकल कंडीशन के.आधार पर एल-1 हॉस्पिटल में ऑक्सीजन युक्त बेड पर भर्ती जरूर कराया जाए. उनके सेहत की पूरी देखभाल हो.

कोविड प्रबंधन में निगरानी समितियों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है और इन समितियों ने  प्रशंसनीय कार्य किया है. इन्हें और प्रभावी बनाने के लिए बेहतर मॉनीटरिंग की जरूरत है. प्रत्येक जिले के लिए सचिव अथवा इससे ऊपर स्तर के एक-एक अधिकारी को नामित किया जाए. जबकि न्याय पंचायत स्तर पर जनपद स्तरीय अधिकारियों को सेक्टर प्रभारी के रूप में तैनात किया जाए. यह प्रभारी अपने क्षेत्र में मेडिकल किट वितरण, होम आइसोलेशन व्यवस्था, क्वारन्टीन व्यवस्था, कंटेनमेंट ज़ोन को प्रभावी बनाने तथा आरआरटी की संख्या बढाने के लिए सभी जरूरी प्रयास करेंगे. जो अधिकारी हाल ही में कोविड संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हुआ हो, उनकी तैनाती इस कार्य में न की जाए.

कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने और गांवों को कोरोना से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से वर्तमान में 97,000 से अधिक राजस्व गांवों में वृहद टेस्टिंग अभियान संचालित किया जा रहा है. इस अभियान के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा नीति आयोग ने भी हमारे इस अभियान की सराहना की है. व्यापक जनमहत्व के इस अभियान को कोरोना कर्फ्यू की पूरी अवधि में तत्परता के साथ संचालित किया जाए. हर लक्षणयुक्त/संदिग्ध व्यक्ति की एंटीजन जांच की जाए. आरआरटी टीम की संख्या बढ़ाई जाए.

कोविड मरीजों के लिए बेड बढ़ोतरी की दिशा में प्रयास और तेज किए जाने की आवश्यकता है. मार्च से अब तक 30000 से अधिक बेड बढ़ाये गए हैं. हर दिन इसमें बढ़ोतरी हो रही है. बीते 24 घंटे में विभिन्न जिलों में करीब 250 बेड और बढ़े हैं. भविष्य की जरूरत को देखते हुए बेड बढ़ोतरी के लिए सभी विकल्पों पर ध्यान देते हुए कार्यवाही की जाए. चिकित्सा शिक्षा मंत्री स्तर से इसकी दैनिक समीक्षा की जाए.

ऑक्सिजन प्लांट की स्थापना की कार्यवाही तेजी से की जाए. भारत सरकार द्वारा स्थापित कराए जा रहे प्लांट के संबंध में मुख्य सचिव सतत अनुश्रवण करते रहें. पीएम केयर्स के अतर्गत लग रहे ऑक्सीजन प्लांट लखनऊ, जौनपुर, फिरोजाबाद, सिद्धार्थ नगर आदि में जल्द ही क्रियाशील हो जाएंगे. सहारनपुर में प्लांट चालू हो चुका है. सीएसआर की मदद और राज्य सरकार द्वारा स्थापित कराए जा रहे प्लांट्स की कार्यवाही तेज की जाए.  कोविड के उपचार हेतु एयर सेपरेटर यूनिट, ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना आदि के संबंध में सांसद/विधायक निधि से सहयोग लिया जा सकता है.

निगरानी समितियां जिन्हें मेडिकल किट दे रही हैं, उनका नाम और फोन नम्बर आइसीसीसी को उपलब्ध कराएं. आइसीसीसी इसका पुनरसत्यापन करे. इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी के माध्यम से इसकी एक प्रति स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराया जाए, ताकि सांसद/विधायकगण मेडिकल किट प्राप्त कर स्वास्थ्य लाभ कर रहे लोगों से संवाद कर सकें. इससे व्यवस्था का क्रॉस वेरिफिकेशन भी हो सकेगा. हर संदिग्ध लक्षणयुक्त व्यक्ति की एंटीजन टेस्ट जरूर हो.

सभी जिलों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं. एसीएस स्वास्थ्य, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा प्रत्येक दशा में इन उपकरणों को क्रियाशील होना सुनिश्चित कराएं. संबंधित जिलों से संपर्क कर इस संबंध में उनकी समस्याओं का निराकरण कराएं. इसके उपरांत भी यदि वेंटिलेटर/ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्रियाशील न होने की सूचना प्राप्त हुई तो संबंधित डीएम/सीएमओ की जवाबदेही तय की जाएगी.

आंशिक कोरोना कर्फ्यू को दृष्टिगत रखते हुए रेहड़ी, पटरी, ठेला व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, पल्लेदार आदि के भरण-पोषण की समुचित व्यवस्था की जाए. सभी जिलों में कम्युनिटी किचेन संचालित किए जाएं. निजी स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सहयोग प्राप्त करना उचित होगा.

‘सफाई, दवाई, कड़ाई, के मंत्र के अनुरूप प्रदेशव्यापी स्वच्छता, सैनीताइजेशन का अभियान चल रहा है. लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने की जरूरत है. कोरोना कर्फ्यू को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए. स्वच्छता, सैनिटाइजेशन से जुड़े कार्यों का दैनिक विवरण स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराया जाए. ताकि आवश्यकतानुसार वह भौतिक परीक्षण कर सकें.

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