जनसंख्या संतुलन के लिए समुदाय केंद्रित कार्यक्रमों की है जरूरत: सीएम योगी

करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण की जरूरतों को देखते हुए, राज्य सरकार नई जनसंख्या नीति घोषित करने वाली है. वर्ष 2021-30 की अवधि के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से एक ओर जहां परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी, वहीं, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने, नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास भी किए जाएंगे. नवीन नीति में एक अहम बिंदु 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 जारी करेंगे.

गुरुवार को लोकभवन में नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 के संबंध में प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, आबादी विस्तार के लिए गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारक है. कतिपय समुदाय में भी जनसंख्या को लेकर जागरूकता का अभाव है. ऐसे में समुदाय केंद्रित जागरूकता प्रयास की जरूरत है. प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है. अब नई नीति समय की मांग है.

प्रस्तुतिकरण के अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ सभी जरूरी प्रयास किए जाएं.जागरूकता प्रयासों के क्रम में उन्होंने स्कूलों में “हेल्थ क्लब” बनाये जाने के निर्देश भी दिए. साथ ही, डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप नवजातों, किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि नई नीति तैयार करते हुए सभी समुदायों में जनसांख्यकीय संतुलन बनाये रखने, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की सहज उपलब्धता, समुचित पोषण के माध्यम से मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक लाने का प्रयास होना चाहिए. नई नीति के उद्देश्यों में सतत विकास लक्ष्य के भावना निहित हो.

इससे पहले अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अमित मोहन प्रसाद ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रस्तावित जनसंख्या नीति प्रदेश में एनएफएचएस-04 सहित अनेक रिपोर्ट के अध्ययन के उपरांत उपरांत तैयार की जा रही है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-05 की रिपोर्ट जल्द ही जारी होने वाली है. नवीन नीति जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को तेज करने वाली होगी. इसमें 2026 और 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं.

REVIEW: जानें कैसी है जिम्मी शेरगिल और आशा नेगी की फिल्म ‘Collar Bomb’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः विक्रम मेहरा और सिद्धार्थ आनंद

निर्देशकः ज्ञानेश झोटिंग

कलाकारः जिम्मी शेरगिल, आशा नेगी, राजश्री देशपांडे, स्पर्श श्रीवास्तव,  नमन जैन व अन्य

अवधिः एक घंटा 26 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉट स्टार डिज्नी

’किसी को भी जाति-धर्म और रूप-रंग से देख कर उसके बारे में फैसला लेना गलत है. ’’ तथा ‘‘इंसान का एक गलत फैसला कितने गंभीर परिणाम दे सकता है’’इस बात को रेखांकित करने वाली रहस्य रोमांच प्र्रधान फिल्म‘‘कालर बम’’लेकर आए हैं निर्देशक ज्ञानेश झोटिंग. तीन लघु फिल्मों का लेखन व निर्देशन कर शोहरत बटोरने के बाद ज्ञानेश की बतौर निर्देशक ‘‘कॉलर बम’’ पहली फीचर फिल्म है. जो कि ‘हॉट स्टार डिजनी’पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानीः

शिमला के नजदीक सनावर के पुलिस अफसर मनोज कुमार हेसी (जिम्मी शेरगिल )अपने 12 वर्षीय बेटे अक्षय(नमन जैन ) को पढ़ने के लिए दूसरी जगह भेजना चाहते हैं, क्योंकि वह चाहते हैं कि उनका बेटा अक्षय उनसे इतनी दूर रहे कि उनके अतीत की गलती का असर अक्षय पर न पड़े. उसके बाद वह बेटे अक्षय के साथ सनावर के ‘सेंट जॉर्ज स्कूल’ जाते हैं, जहां स्कूल की एक लड़की नेहा के गायब होने और हत्या की गुत्थी सुलझाई थी और आज स्कूल में नेहा की मौत पर शोक सभा है. स्कूल के प्रिंसिपल, पुलिस अफसर मनोज की प्रशंसा करते हैं, जबकि मनोज का ज्यूनियर नेगी उन पर कटाक्ष करता है. पर सुरक्षा गार्ड नेगी को बाहर ले जाते हैं. तभी गले में विस्फोटक लटकाए आत्मघाती हमलवार शोएब अली(स्पर्श श्रीवास्तव ) हाथ में बंदूक लिए पहुंचता है. और वहां मौजूद सभी बच्चों को बंधक बना लेता है. वह घोषणा करता है कि हर मां बाप को अपने बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए किसी एक का बलिदान देना होगा.

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कुछ देर बाद वह डायरी के कुछ पन्ने पढ़ते हुए मनोज हेती से कहता है कि उन्हे एक घंटे के अंदर तीन सही जवाब ढूढ़कर इसके गले में लटक रहे  तीन बटन सही कर सभी बच्चों को जीवित बचा सकते हैं. पता चलता है कि शोएब, रीटा नामक महिला के लिए काम कर रहा है. रीटा के कहने पर ही वह मनोज हेती से कुछ टॉस्क पूरा करवा रहा है. इसी बीच शोएब एक बच्ची को मार देता है.  दूसरी तरफ यह खबर आग की तरह फैल जाती है. एएसआई सुमित्रा अपने तरीके से जांच करते हुए बरकत अली के ढाबे पर पहुंचती है, तो पता चलता है कि शोएब कुछ समय तक बरकत अली के ढाबे पर काम करता रहा है और पब्लिक उस ढाबे को आतंकी को पनाह देने वाला मानकर फूंक देती है. एएसआई सुमित्रा (आशा नेगी) ढाबा चलाने वाले बुजुर्ग बरकत अली को बचाती है और भीड़ को उकसाने वाले नेता को एक्सपोज करती है. यहां मनोज हेसी के अतीत का वह सच समाने आता है, जिसकी वजह से यह सब हो रहा होता है. सुमित्रा को सारी गलती मनोज हेती में नजर आने लगती है. लोग समझ जाते हैं कि अतीत में की गई एक भूल का बदला मनोज हेसी से लिया जा रहा है.

लेखन निर्देशनः

फिल्म ‘कालर बम’ की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कथा व पटकथा है. फिल्म का संदेश बेहतरीन है और कुछ रोमांचक दृश्य भी अच्छे गढ़े गए हैं, लेकन पूरी कहानी व पटकथा फिल्म को मटियामेट कर देती है. आत्मघाती हमलावर शर्त रखता है कि हर बच्चे के माता पिता में से किसी एक को बलिदान देना होगा, पर चंद मिनटों में कहानी पुलिस अफसर मनोज पर जाकर टिक जाती है. फिल्म का रहस्य उसी वक्त खत्म सा हो जाता है, जब शिमला के स्कूल की शिक्षक रीटा(राजश्री देशपांडे ) पहाड़ी की बजाय मराठी भाषा में गीत गाती है. फिल्म का क्लायमेक्स और अंत उत्साहित नही करता. कहानी के बीच में हो रही हत्याएं व कुछ लोगों की निजी जिंदगी, मैथ्यू नामक लड़के की  कहानी से लोगो की समझ में नही आता कि आखिर यह सब क्यों हो रहा है?हमलावर की पहली शर्त हो या मैथ्यू की जिंदगी का मसला बस कुछ बेवजह ठूंसा सा लगता है. हमलावर कौन है, क्यों है, कुछ भी स्पष्ट नही होता. कभी लगता है कि यह आतंकी हमला है और कभी हिंदू-मुस्लिम जैसा रंग दिखता है.

फिल्म के समापन के समय का संवाद -‘‘जिंदगी सिर्फ एक कड़ी है. हमारे लिए हुए फैसलो से बनी एक कड़ी. . . इंसान का एक गलत फैसला कितना गंभीर परिणाम ला सकता है. . ’’को नजरंदाज कर दे, तो फिल्म के संवाद असरदार नही है.

कैमरामैन जीतन हरमीत सिंह ने हिल स्टेशन की खूबसूरती को बेहतरीन ढग से पेश किया है.

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अभिनयः

पूरी फिल्म में जिमी शेरगिल ने शानदार अभिनय किया है. उनके करोड़ो प्रशंसक उन्हें पुलिस या फौजी वर्दी में पसंद भी करते है. नमन जैन का अभिनय भी ठीक ठाक है. उसके चेहरे के भाव काफी कुछ कह जाते हैं. राजश्री देशपांडे फिल्म में देर से सक्रिय होती हैं, पर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं. सुमित्रा के किरदार में आशा नेगी का किरदार काफी लंबा है, मगर वह अपने किरदार से न्याय नहीं कर पाती. इतना ही नही वह बोल-चाल की भाषा में पहाड़ी टोन को ठीक ढंग से नहीं पकड़ पायी. स्पर्श श्रीवास्तव बुरी तरह से निराश करते हैं. उनका चेहर हर जगह एकदम सपाट नजर आता है, जबकि उनके पास अपनी अभिनय प्रतिभा को दिखाने के भरपूर अवसर थे.

परिवार के सामने इमली से शादी करेगा आदित्य तो अपर्णा कहेगी ये बात

टीवी शो इमली (Imlie) की कहानी इन दिनों दर्शकों का दिल जीत रही है. जहां आदित्या और इमली अपने प्यार का इजहार कर चुके हैं तो वहीं मालिनी दोनों की जिंदगी से दूर हो गई है. हालांकि आदित्या का परिवार इमली को बहू मानने के लिए राजी नही हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में आदित्य एक बड़ा कदम उठाते हुए नजर आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

इमली को पत्नी मानेगा आदित्या

 

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अब तक आपने देखा कि त्रिपाठी खानदान घर की शांति के लिए हवन करवाता हुआ नजर आता है. इस बीच मालिनी की मां अनु (Jyoti Gauba) घर में हंगामा करते हुए पूरे परिवार को आदित्य और इमली की एक दूसरे को गले लगाते हुए फोटो दिखाती है, जिसे देखकर सभी हैरान हो जाते हैं. वहीं आदित्य परिवार के सामने इमली को अपनी पत्नी भी मान लेता है.

 

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परिवार के सामने आदित्य उठाएगा ये कदम

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि आदित्य और इमली का सच जानने के बाद  मां अपर्णा इस शादी को मानने से इंकार करेगी और आदित्य को थप्पड़ मारती हुई नजर आएगी. वहीं अपर्णा कहेगी कि आदित्य ने मालिनी को धोखा दिया है, जिसके बाद आदित्य सभी घरवालों के सामने इमली के साथ सात फेरे लेता दिखेगा, जिसे देखकर पूरा परिवार हैरान रह जाएगा.

 

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इमली पर बरसेगी आदित्या की मां

आदित्य के इमली से शादी करने के बाद मां अपर्णा का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुंच जाएगा और वह इमली से कहेगी कि वह उसे कभी अपनी बहू नहीं मानेगी. साथ ही ये भी कहेगी कि उससे प्यार करके उसने सबसे बड़ी भूल की है. उसे नही पता था कि वह एक नागिन को दूध पिला रही थी. वहीं अपर्णा की बात सुनते ही इमली टूट जाएगी और आदित्य उसे संभालता नजर आएगा, जिसे देखकर अपर्णा और भड़क जाएगी.

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‘बबीता जी’ की पोस्ट पर कमेंट करना ‘टप्पू’ को पड़ा भारी, ट्रोलिंग के हुए शिकार

सब टीवी का कौमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) कई सालों से दर्शकों को एंटरटेन कर रहा है. वहीं शो के कलाकार भी आज घर-घर में फेमस हैं, जिस कारण कई बार शो के सितारे ट्रोलिंग का सामना भी करते हैं. इसी बीच टप्पू (Tappu) के रोल में नजर आने वाले राज अनादकट (Raj Anadkat) इन दिनों ट्रोलिंग का शिकार हो रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

ट्रोलिंग का शिकार हुए टप्पू

टप्पू (Tappu) यानी एक्टर राज अनादकट (Raj Anadkat) ट्रोलिंग का शिकार हो गए हैं. दरअसल राज अनादकट ने हाल ही ‘तारक मेहता’ की ‘बबीता जी’ यानी मुनमुन दत्ता (Munmun Dutta) की एक फोटो पर एक कॉमेंट किया था, जिस पर जहां फैंस उनकी तारीफें कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें ट्रोल करते नजर आ रहे हैं.

 

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ट्रोलर्स ने कही ये बात

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हाल ही बबीता जी यानी मुनमुन दत्ता ने अपने इंस्टाग्राम (Munmun Dutta Instagram) अकाउंट पर अपनी एक वीडियो शेयर की थी, जिस पर टप्पू यानी राज अनादकट ने फायर इमोजी के साथ हार्ट इमोजी शेयर की थी. वहीं कॉमेंट को देखकर खरी-खोटी सुनाते हुए एक यूजर ने लिखा ‘वाह भाई आंटी पटा ली.’ वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, ‘लगता है मुनमुन दत्ता और राज अनादकट का अफेयर चल रहा है. कुछ तो शर्म करो दोनों.’

बता दें कि मुनमुन दत्ता बीते दिनों ट्रोलिंग का सामना कर चुकी हैं. वहीं उनके खिलाफ जातिवाचक शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई थी. हालांकि मुनमुन दत्ता ने अपने फैंस और लोगों से माफी भी मांगी थी, जिसके बाद फैंस का गुस्सा शांत हो गया था.

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वनराज के कारण अनुपमा और समर में होगी बहस, आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) के मेकर्स इन दिनों शो को टीआरपी चार्ट में पहले नंबर पर बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. जहां एक तरफ सीरियल की कहानी में फैमिली ड्रामा फैंस का दिल जीत रहा है तो वहीं शो में होने वाली नई एंट्री की खबर पर भी प्रोड्यूसर राजन शाही ने मोहर लगा दी है. इसी बीच सीरियल की बात करें तो अपकमिंग एपिसोड में हर कदम पर अनुपमा का साथ देने वाला बेटा समर उसके खिलाफ नजर आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा कहानी में आने वाला ट्विस्ट….

अनुपमा देगी वनराज का साथ

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां काव्या अपने और वनराज के लिए नौकरी की तलाश करती दिखाई देगी. तो वहीं वनराज को किंजल की मां की कंपनी में काम करने के लिए कहेगी. दूसरी तरफ अनुपमा, वनराज को अपनी डांस अकादमी में एक छोटा सा कैफे खोलने के लिए बोलेगी, जिसे सुनकर समर को गुस्सा आएगा और वह अनुपमा से बहस करेगा.

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समर कहेगा ये बात

 

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दरअसल, समर अनुपमा को ये एहसास दिलाने की कोशिश करेगा कि वनराज ने आज तक अनुपमा और उसके सपने की इज्जत नहीं की और ना ही उसे समझा. इतना ही नहीं हमेशा अनुपमा के सपनों का मजाक उड़ाया, तो इतना सब झेलने के बाद भी वो वनराज शाह को क्यों सपोर्ट कर रही है? वहीं बाद में वनराज, अनुपमा के इस फैसले से उसका शुक्रिया कहता नजर आएगा.

काव्या-वनराज की गई नौकरी

 

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अब तक आपने देखा कि वनराज (Sudhanshu Pandey) और काव्या (Madalsa Sharma) की नौकरी जा चुकी है. वहीं किंजल की मां राखी दवे (Tasneem Sheikh) आग में घी डालने का काम करती नजर आती है, जिसके कारण शाह हाउस में काफी ड्रामा देखने को मिलता है. वहीं अनुपमा अपना स्टूडियो खोलने का सपना पूरा करती नजर आती है.

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Family Story In Hindi: स्वस्थ दृष्टिकोण- भाग 3- क्या हुआ था नंदा के साथ

सारी की सारी कहानी का अंत यह हुआ कि चंदन काफी समय जेल में रहा था, उस की नौकरी छूट गई थी सो अलग. वे लोग तलाक ही नहीं देते थे. न जीते थे न जीने ही देते थे.

‘‘आप बुरा न मानें तो एक बात कहूं, मुझे तब भी दाल में कुछ काला लगता था जब मानसी वापस आ गई थी. इस चंदन को अगर मानसी की हत्या करनी होती तो वह उस की गरदन काटता न कि जरा सी नस काट कर छोड़ देता ताकि वह जिंदा रह कर सब को बताए कि सच क्या है. बेटी का मसला था न, मैं क्या कहती, मगर यह सत्य है कि लड़की वालों को सदा सहानुभूति मिलती है और लड़का इसी बात का अपराधी बन जाता है कि उस ने सात फेरे ले लिए थे, बस,’’ नंदा बोली तो बस, बोलती ही चली गई, ‘‘बड़ी वाली बेटी घंटाघंटा अपनी ससुराल से हर रोज फोन करती थी तो क्या जरूरी था कि मानसी भी हर रोेज घंटाघंटा मां से बातें करती? हमारी भी तो बेटियां हैं न, हम क्या रोज उन से बातें करते हैं?’’

‘‘फोन मात्र सुविधा के लिए होते हैं ताकि समय पर जरूरी बात की जाए, गपशप लगाएंगे तो क्या फोन का बिल नहीं आएगा? हमारी ही बहू अगर हर रोज अपनी मां से फोन पर गपशप करेगी तो क्या हजारों रुपए बिल देते हुए हम चीखेंगे नहीं? आखिर इतनी क्या बातें होती हैं जो मानसी मां से करना चाहती थी?’’

‘‘ससुराल भेज दिया है बेटी को तो उसे वहां बसने का मौका भी देना चाहिए. ससुराल में घटने वाली जराजरा सी बातें अगर मायके में बताई जाएं तो वे मिठास कम खटास ज्यादा पैदा करती हैं. मुझे तब भी लगता था कि कहीं कुछ गलत हुआ है. अब तो संयोगिता ने भी कुछ बताना चाहा है न, सच कुछ और होगा, आप देख लेना.’’

‘‘घर की बहू शादी के एक महीने बाद ही सहायता के लिए महिला संघ में पहुंच जाए तो क्या ससुराल वाले डर कर उसे अलग नहीं कर देंगे. बेटा क्या पत्नी को स्नेह दे पाएगा जब उस के सिर पर हर पल पुलिस और महिला संघ की तलवार लटकती रहेगी? कोई भी रिश्ता डर से नहीं प्यार से पनपता है. चंदन और मानसी में प्यार कब पनपा होगा जो उन की निभ पाती?’’

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मैं चुपचाप सुनता रहा. यह सच है कि हमारी बेटियां अपनेअपने घर में खुश हैं. 15-20 दिन बाद वह हमें फोन कर के हमारा हालचाल पूछ लेती हैं, जराजरा सी बात न वह हमें फोन पर बताती हैं और न ही हम. अनुशासन तो जीवन में हर कदम पर होना चाहिए न. सीमित आय वाला हजारों रुपए का बिल कैसे चुका पाएगा. व्यर्थ क्लेश तो होगा ही न.

जल्दी ही हम दोनों चंदन से मिलने जा पहुंचे. दूल्हा बने कभी मानसी की बगल में बैठे देखा था उसे और अब ऐसा लग रहा था जैसे पूरे जीवन का संत्रास एकसाथ ही सह कर थकाहारा एक इनसान हमारे सामने खड़ा है.

चंदन ने हमारे पैर छू कर प्रणाम किया. मैं सोचने लगा, क्या अब भी हमारा कोई ऐसा अधिकार बचा है?

‘‘जीते रहो,’’ स्वत: निकल गया मेरे होंठों से.

कुछ पल हम आमनेसामने बैठे रहे. बात कैसे शुरू की जाए. मैं ने ही चंदन को पास बुला लिया, ‘‘यहां आ कर मेरे पास बैठो, चंदन. आओ बेटा.’’

एक पुरुष बच्चों की तरह कैसे रो पड़ता है मैं ने पहली बार देखा था. मेरे घुटनों पर सिर रख कर वह ऐसी दर्द भरी चीखों से रोया कि नंदा भी घबरा उठी. संयोगिता ने ही लपक कर उसे संभाला, ‘‘आप चाचाजी से सब कह दीजिए, चंदन. रोइए मत, आप इसी तरह रोते रहेंगे तो बात कैसे कर पाएंगे? मैं चाची को ले कर दूसरे कमरे में चली जाती हूं. आप चाचाजी से बात कीजिए. रोइए मत, चंदन.’’

तब सहसा मैं ने ही चंदन को संभाला और इशारे से नंदा को संयोगिता के साथ जाने का इशारा किया. तब एक संतोष भाव उभर आया था संयोगिता के चेहरे पर मानो मेरे इशारे से एक डूबते को तिनके का सहारा मिला हो. संयोगिता भरी आंखों से मेरा आभार जताती हुई नंदा के साथ चली गई.

हम दोनों अकेले रह गए. कुछ समय लग गया चंदन को सामान्य होने में. फिर धीरे से चंदन ने ही कहा, ‘‘मेरा जीवन इस कदर बरबाद हो जाएगा मैं ने कभी सोचा भी न था.’’

‘‘यह सब क्यों और कैसे हो गया, मुझे सचसच बताओ, चंदन. किस का कितना दोष था, समझाओ मुझे. क्या मानसी निभा नहीं पाई या…?’’

‘‘सब से बड़ा दोष तो मेरा ही था, चाचाजी. मुझे तो पता नहीं था कि मेरे शरीर में कोई कमी है. मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे पाएगा मैं नहीं जानता था.’’

यह सुन कर मैं हक्काबक्का रह गया. चंदन कुछ देर चुप रहा फिर बोला, ‘‘यह सचाई मुझे स्वीकार करनी चाहिए थी न. जो मेरे बस में नहीं था मुझे उसे अपनी कमी मान कर मानसी को आजाद कर देना चाहिए था. मैं अपनी कमजोरी स्वीकार ही नहीं कर पाया.

‘‘हर बीमारी का इलाज है. ठंडे दिमाग से हल निकालता तो हो सकता था सब ठीक हो जाता. मानसी को सचाई से अवगत कराता तो हो सकता था वह मेरा साथ देती, मेरा मानसम्मान संभाल कर रखती. मगर मैं तो अपनी कुंठा, अपनी हताशा मानसी पर उतारता रहा. उस ने निभाने की कोशिश की थी मगर मैं ने ही कोई रास्ता नहीं छोड़ा था.

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‘‘मानसी जराजरा सी बात अपने मायके में बताती. मैं चिढ़ कर फोन ही काट देता. मैं ने मानसी की हत्या करने की कोशिश नहीं की थी. मानसी ने खुद ही तंग आ कर अपनी नसें काट ली थीं.

‘‘यह भी सच है कि मानसी अपनी बड़ी बहन की अमीर ससुराल से हमारी तुलना करती थी कि दीदी दिन में 2-2 बार मम्मी को फोन करती हैं इसलिए वह भी करेगी. पहली बार में ही जब लंबाचौड़ा बिल आ गया तो पिताजी ने साफसाफ मना कर दिया, जिस पर मानसी ने काफी बावेला मचाया.

‘‘हमारे घर में अनुशासन था जिस में बंधना मानसी को गंवारा नहीं था. हमारी नपीतुली आमदनी पर जब मानसी ने ताना कसा तो मैं ने भी कह दिया था कि लोग तो दामाद को 10-10 लाख देते हैं, इतना ही खुला हाथ है तो अपनी मां से मांग लो.

‘‘बस, इसी बात को मुद्दा बना कर मानसी के परिवार ने महिला संघ में शिकायत कर दी कि मैं दहेज की मांग कर रहा हूं. मैं ने घबरा कर मानसी को उस के पूरे दानदहेज के साथ अलग कर दिया. मैं नहीं चाहता था कि मेरे मातापिता पर कोई आंच आए.

‘‘हालात बिगड़ते ही चले गए, चाचाजी. सब मेरे हाथ से निकलता चला गया. मेरा दोष था, मैं मानता हूं. मैं ने सब का हित सोचा, अपने मांबाप का हित सोचा, अपनी कमजोरी छिपा कर सोचा कि अपना हित कर रहा हूं लेकिन बेचारी मानसी का हित नहीं सोचा. उसे कुछ नहीं दिया. मेरे जीवन से वह रोतीबिलखती ही चली गई.

‘‘मैं अपनी भूल मानता हूं लेकिन यह सच नहीं है कि मैं ने मानसी की हत्या का प्रयास किया था. मैं ने दहेज की मांग कभी नहीं की थी, चाचाजी. मैं ने मानसी को अपनी समस्या नहीं बताई, यह सच है लेकिन यह सच नहीं है कि मैं मानसी को पागल प्रमाणित करना चाहता था.

‘‘अखबारों में मुझ पर जोजो आरोप छपे वे सच नहीं हैं. सच तो सामने आया ही नहीं. जो अन्याय मैं ने कभी किया ही नहीं उस की सजा मैं ने क्यों पाई? इतना अपमान और इतनी बदनामी होगी मैं ने नहीं सोचा था.

‘‘मानसी के साथ एक सुखी गृहस्थी का सपना था मेरा. नहीं सोचा था, 2 दिन बाद ही मेरा घर जंग का मैदान बन जाएगा. मानसी का सहज सामीप्य ही असहनीय हो जाएगा.

‘‘मैं मानसी से दूर रहने के बहाने ढूंढ़ने लगा था. अपनी नपुंसकता को मानसी से अवगत कराता तो शायद वह मुझे सहारा देती. अपने मांबाप को भी कुछ बता पाता तो हो सकता था वही मुझे कोई रास्ता दिखाते. अपने ही खोल में घुटघुट कर मैं ने अपने साथसाथ मानसी का भी जीना हराम कर दिया था. मेरी वजह

से मानसी का जीवन बरबाद हो गया. मुझे अपनी कमी का एहसास होता तो मैं कभी शादी नहीं करता. सच का सामना करता तो शायद कोई आसान रास्ता निकल आता.

‘‘मेरी हताशा हर रोज कोई नई समस्या खड़ी करती और मानसी का मुझ से झगड़ा हो जाता. असहाय मानसी करती भी तो क्या?

‘‘चाचाजी, 4 साल बीत गए उस घटना को, मेरी सांस घुटती  है वह सब याद कर के. हम ने मानसी का जीवन तबाह किया है.’’

मैं भारी मन से सबकुछ सुनता रहा. आखिर कहता भी क्या.

‘‘मैं आज भी मानसी को भुला नहीं पाया हूं, चाचाजी,’’ चंदन ने आगे कहना जारी रखा, ‘‘मैं मानसी के लिए परेशान हूं््. मैं उस से सिर्फ एक बार मिलना चाहता हूं.

‘‘आज इतना सब भोगने के बाद सच का सामना करने की हिम्मत है मुझ में. चाचाजी, आप मुझे सिर्फ एक बार मानसी से मिला दें.

‘‘संयोगिता से जब शादी की तब क्या उसे पूरी सचाई बताई थी?’’ मैं ने पूछा.

‘‘जी, संयोगिता मेरे एक दोस्त की बहन है. मेरी सचाई जान गई थी. दोस्त की पत्नी ने सब बताया था इसे. मेरा दोस्त ही मुझे डाक्टर के पास ले गया था. मैं मानता हूं, मुझ से ही गलती हुई थी. जो कदम मैं ने इतनी बड़ी सजा भोगने के बाद उठाया वह तभी उठा लेता तो इतनी बड़ी घटना न होती.’’

‘‘अब मानसी से मिल कर दबी राख क्यों कुरेदना चाहते हो? जो हो गया उसे सपना समझ कर भूलने का प्रयास करो. क्या संयोगिता का दिल भी दुखाना चाहते हो, जिस ने जीवन का सब से बड़ा जुआ खेला तुम्हारा हाथ पकड़ कर? तुम्हारा मन हलका हो जाए, मैं इसीलिए चला आया हूं, मगर अब अगर संयोगिता का मन दुखाओगे तो एक और भूल करोगे,’’ कहते हुए मेरी नजर बाहर की बंद खिड़कियों पर पड़ी. मैं ने उठ कर सारे पट खोल दिए. ताजा हवा अंदर चली आई. मैं फिर बोला, ‘‘घुटघुट कर मत जिओ, चंदन, खुल कर जिओ और अपना जीवन सरल बनाना सीखो. संयोगिता, जो तुम्हें संयोग ने दी है, अब उसी को सहेजो. जो नहीं रहा उस का दुख मत करो, समझेन.’’

शांत हो चुका था चंदन. उस का कंधा थपक कर मैं बाहर चला आया.

बाहर नंदा मेरा ही इंतजार कर रही थी.

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घर आ कर मैं देर तक सामान्य नहीं हो पाया. सोचने लगा, क्या दोष था चंदन का? अपनी सामयिक नपुंसकता को सहज स्वीकार नहीं कर पाया, क्या यही दोष था इस का? हम में से कितने ऐसे पुरुष हैं जो अपनी नपुंसकता को सहज स्वीकार कर कोई स्वस्थ दृष्टिकोण अपना पाते हैं? लड़की वाले अकसर अपनी हालत यह प्रमाणित कर के ज्यादा दयनीय बना लेते हैं कि उन्हीं के साथ ज्यादा अन्याय हुआ है. मानसी भी तो सचाई अपनी मां को बता सकती थी. वह चंदन पर हत्या करने का आरोप लगा कर इतना बड़ा बखेड़ा तो खड़ा न करती. यह सच है कि चंदन से प्यार मिलता तो मानसी सब सह जाती लेकिन चंदन से मिली थी मात्र हताशा, मानसिक यातना, जिस का प्रतिकार मानसी ने भी इस तरह किया. दोनों में से किसी का भी तो भला नहीं हुआ न.

‘‘क्या सोच रहे हैं आप?’’ नंदा ने पूछा.

‘‘बस, इतना ही कि हमारा भी कोई बेटा होता तो…’’

‘‘एकाएक बेटा क्यों सूझा आप को?’’

‘‘बेटा नहीं सूझा, एक जरूरत सूझी है. क्या बेटे की शादी से पहले उस का पूरा मेडिकल चेकअप जरूरी नहीं है? जन्मपत्री की जगह रक्त मिलाना चाहिए. तुम क्या सोचती हो. मेरा बेटा होता तो उस की पूरी जांच कराए बिना कभी शादी न कराता.

‘‘यह संकोच की बात नहीं एक जरूरत होनी चाहिए. मानसी का जीवन अधर में न लटकता अगर चंदन के मांबाप ने यह स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाया होता.’’

चुप थी नंदा. इस का मतलब वह मेरे शब्दों से सहमत थी. संयोगिता ने इसे शायद सारा सच बताया होगा न.

ठंडी सांस ली नंदा ने. मेरी तरफ देखा. उस की आंखों में भी पीड़ा थी. बस, यही सोच कर कि जो हो गया उसे समय पर संभाल लिया जाता तो जो सब हो गया वह कभी न होता.

Monsoon Special: ईवनिंग स्नैक्स में बनाएं पौष्टिकता से भरपूर हांडवो

ईवनिंग और मॉर्निंग दोनों ही समय में कुछ न कुछ नाश्ते की आवश्यकता होती ही है. आजकल अधिकांश घरेलू कामों के लिए मेड होती है जिससे महिलाओं को काम से तो आराम मिला है पर वहीं शारीरिक परिश्रम कम हो जाने से बी पी और शुगर जैसी बीमारियां भी जन्म लेने लगीं हैं इसीलिये आज अधिकांश लोग हैल्दी नाश्ता चाहते हैं जिससे उन्हें पोषण तो भरपूर मिले परन्तु कैलोरी न बढ़े. खमीर उठाकर बनाये  जाने वाले खाद्य पदार्थों को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है क्योंकि खाद्य पदार्थों में खमीर उठाने वाला बैक्टीरिया बहुत सेहतमन्द होता है. खमीरी खाद्य पदार्थों में एमिनो एसिड, प्रोटीन, और विटामिन्स पाए जाते हैं जो मसल्स को रिपेयर करने के साथ साथ शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं. इसी तारतम्य में हम आपको एक ऐसे नाश्ते को बनाना बता रहे हैं जिसे हमने दाल चावल में खमीर उठाकर बनाया है जिसे बनाना काफी आसान है और ये नाश्ता पौष्टिकता से भरपूर भी है तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए           8

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

मिक्स दाल                 1 कप

चावल                         1/2 कप

किसी लौकी                 1 कप

किसी गाजर                  1 कप

बारीक कटा प्याज          1

अदरक हरी मिर्च पेस्ट      1 टीस्पून

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कटी हरी धनिया              1 टीस्पून

नमक                             1/2 टीस्पून

तेल                                 1 टीस्पून

चाट मसाला                      1/2 टीस्पून

सामग्री (बघार के लिए)

मीठा नीम                          8 पत्ती

राई                                    1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर             1/4 टीस्पून

तेल                                 1/2 टीस्पून

विधि

दाल और चावल को 5-6 घण्टे भिगोकर पानी निकाल दें. इसे आधे कप पानी के साथ मिक्सी में पीस लें. अब इसे रात भर अथवा 8 घण्टों के लिए ढककर रख दें ताकि इसमें खमीर उठ जाए. अब इसमें सभी सब्जियां, हरी धनिया, नमक, अदरक, हरी मिर्च का पेस्ट और 1/2 कप पानी डालकर भली भांति चलाएं. एक चम्मच तेल में बघार की सामग्री डालकर तैयार घोल में डालकर चलाएं. एक कढ़ाई या भगोने में 1 लीटर पानी उबलने रखें. अब एक किनारे वाली प्लेट या थाली में चिकनाई लगाकर तैयार मिश्रण को डालकर भगौने के ऊपर रखकर ढक दें. भाप में 25 मिनट तक पकाएं. ठंडा होने पर चौकोर टुकड़ों में काट लें. अब एक नॉनस्टिक पैन में 1/4 टीस्पून तेल डालकर कटे टुकड़ों को मद्धिम आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक सेंकें. ऊपर से चाट मसाला बुरककर चटनी या सॉस के साथ सर्व करें.

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मूवर्स पैकर्स से सामान शिफ्टिंग के 10 टिप्स

नौकरी के चलते एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर होते ही रहते हैं. इसके अतिरिक्त कई बार लोकल में भी घर चेंज करना पड़ता है. पहले जहां ट्रांसफर की सूचना मिलते ही समान की पैकिंग और शिफ्टिंग को लेकर तनाव होने लगता था वहीं आज शिफ्टिंग के लिए मूवर्स पैकर्स की सुविधा मौजूद है. ये सामान को पैक करने से लेकर गन्तव्य स्थल तक सामान को शिफ्ट करके सेट तक करने की सुविधा प्रदान करते हैं. आजकल तो छोटी बड़ी अनेकों कम्पनियां हैं जो घर का सामान देखकर अपने रेट बतातीं हैं. इनसे काम करवाने से पैकिंग और शिफ्टिंग दोनों ही बहुत आसान हो जाती है, भले ही आप पैकर्स से सामान पैक करवाएं परन्तु कुछ पूर्व तैयारी आपको स्वयम भी करनी होती है जिससे आपका काम तो अच्छे तरीके से होता ही है साथ ही नई जगह पर जाकर आपको अनावश्यक परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता. तो आइए जानते हैं वे टिप्स जिनका ध्यान रखकर आप मूवर्स पैकर्स की सुविधा का अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं-

-सामान की करें डिक्लटरिंग

घर में अनेकों सामान ऐसे होते हैं जिनका हम सालों साल उपयोग नहीं करते पर कभी काम आएगा ये सोचकर सहेजते रहते हैं ऐसे सभी सामान को अलग करके किसी जरूरतमंद को दे दें या कबाड़ में दे दें. अनावश्यक सामान के कम हो जाने से पैकिंग और ट्रांसपोर्टेशन की कीमत पर भी असर पड़ेगा.

-किचन पर रखें पैनी नजर

किचन में एक महिला का सर्वाधिक समय व्यतीत होता है. किचन में व्यर्थ के डिब्बे, बर्तन और प्लास्टिक की डलियां आदि पर एक नजर डालें यदि आप इनमें से कुछ भी लंबे समय से बदलने का सोच रहीं हैं तो इससे उपयुक्त समय नहीं हो सकता. आप इस व्यर्थ के सामान को हटाकर नई जगह पर नया सामान आसानी से खरीद सकतीं हैं.

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-जोड़े बनाएं

सामान को उसकी उपयोगिता के आधार पर जोड़ों में रखें, सुई धागा और केंची एक साथ तो चकलाबेलन, तवाचिमटा, मसालदान और दालों के डिब्बे शकर चाय पत्ती के डिब्बे एक साथ रखें, इससे पैकिंग वाले भी इस सामान को एक साथ ही रखेंगे और आपको नई जगह पर जाकर सामान खोजने में परेशानी नहीं होगी.

-पोटलियां बनाएं

आजकल घर में सर्वाधिक मात्रा कपड़ों की होती है. डेली यूज़ और ओकेजन वाइज कपड़ो को अलग रखें. सूटकेस में रखने के बाद जितने भी कपड़े भी बचें सबकी पोटली बनाकर रख दें. इसी प्रकार की व्यवस्था आप चादरों, कम्बलों और सोफे के कवर आदि के लिए भी करें.

-सामान की लिस्टिंग करें

यद्यपि पैकिंग वाले लिस्टिंग करते हैं परन्तु हर कमरे के सामान का वर्गीकरण करके आप स्वयं भी पहले से लिस्टिंग कर लें इससे आपको पैकिंग कम्पनी को बताने में आसानी रहेगी.

-चैक करें

सामान पैक हो जाने के बाद सामान के कार्टून्स की लिस्ट लें और गन्तव्य स्थल पर पहुंचकर लिस्ट से  उनका मिलान करें.

-डिलीवरी लें

सामान डिलीवर हो तो आप वहां मौजूद रहें और हर कमरे के सामान को उसकी जगह के अनुसार ही रखवाएं ताकि आपको बाद में परेशानी का सामना न करना पड़े.

-अनपैक करवाएं

बैड, सोफा, डायनिंग टेबल और कवर्ड आदि को कम्पनी के बंदों से ही अनपैक करवाएं इससे एक तो आपका काम आसान हो जाएगा दूसरे कुछ सामान सेट हो जाने से आप थोड़ा सुकून भी अनुभव करेंगी.

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-कीमती सामान अलग करें

ज्वैलरी, जरूरी दस्तावेज, कैश, लेपटॉप और टी वी स्क्रीन जैसी कीमती, नाजुक और आवश्यक चीजों को पैकिंग कम्पनी को देने के स्थान पर अपने साथ ही लेकर जाएं.

-स्पष्ट बात करें

पैकिंग कम्पनी से गन्तव्य स्थल के फ्लोर, सामान की पैकिंग, अनपेकिंग तथा सामान की सैटिंग आदि के बारे में स्पष्ट बात करें क्योंकि इनमें से हर एक सुविधा के रेट अलग अलग होते हैं. इससे आप किसी भी प्रकार के अनावश्यक विवाद से बच जाएंगे.

साथ रहने के दौरान इन तरीकों से चेक करें अपना रिश्ता

अगर आप दोनों अलग अलग रह रहे हैं तो हो सकता है आपके कभी कभार झगड़े होते हों और ज्यादातर समय आप एक दूसरे के साथ कुछ इस तरह रहते हों मानो हर चीज परफेक्ट है. लेकिन आपके रिश्ते का असली टेस्ट तब होता है जब आप एक साथ रहते हैं. इस दौरान आपको एक दूसरे की कमियों का पता चलता है और यह सब बातें पता लगती हैं कि आपको किन किन चीजों पर काम करने की आवश्यकता है. अगर आप पहले से ही इन चीजों को जान लेंगे तो आपको शादी के बाद अधिक परेशानियां नहीं होंगी. इसलिए अगर आप एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने की सोच रहे हैं तो यह एक बुरा आइडिया नहीं है. आइए जानते हैं किन किन तरीकों से आप अपने रिलेशनशिप को टेस्ट कर सकते हैं.

आप यह सोचेंगी कि क्या आप सच में ही खुश हैं

जब आप एक साथ रहते हैं तो आपको अपने पार्टनर की बुरी आदतों के बारे में पता चलेगा और आप उनकी बहुत से चीजों को नोटिस करना शुरू कर देंगी चाहे वह चीजें आपको बुरी ही क्यों न लगती हों. इन चीजों को देख कर अगर आप खुद को खुश महसूस नहीं कर रही हैं तो उन्हें यह आदतें बदलने के लिए बोलें और इससे पता लगेगा कि वह आपके लिए सही है या नहीं.

वह आपको कितनी अटेंशन देते हैं 

एक साथ रहते समय आपको यह पता चलेगा कि आपके पार्टनर अपनी अधिक अटेंशन किसे देते हैं और वह आपको कितना समय दे पाते हैं. अगर वह आपकी ओर जरा भी ध्यान नही देते हैं तो समझ जाएं वह आपके लिए सही नहीं हैं.

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वह एक परिस्थिति का कैसे सामना करते हैं

अगर कल को कोई चुनौती का सामना करना पड़ जाए तो आपके पार्टनर किस तरह रिएक्ट करेंगे यह भी आप साथ रहते समय बहुत सी बातों में नोट कर सकती हैं. उनकी इन्हीं छोटी छोटी बातों पर आपको ध्यान रखना है.

वह घर के कामों में कितनी जिम्मेदारी लेते हैं

अगर आप चाहती हैं कि आपके पार्टनर आपके साथ मिल कर सारा काम करें तो आपको पहले यह देखना होता है कि वह आपकी काम में कितनी मदद करते हैं और कितने आलसी हैं. क्या वह किसी काम की जिम्मेदारी लेते हैं या उनसे बच कर भागते हैं?

इस दौरान आपको पता चलेगा कि वह आपके साथ कितने लंबे समय तक रह सकते हैं :

ज्यादातर रिश्तों के खत्म होने का यही कारण होता है कि पार्टनर्स एक दूसरे से बोर हो जाते हैं. जब आप साथ रहेंगे तो वह आपकी सभी आदतों को देखेंगे और इस दौरान अगर वह आपसे इंप्रेस रहते हैं और आपमें अधिक रुचि दिखाते हैं तो इसका मतलब है वह आपके साथ लंबे समय तक रहने वाले हैं.

आप अपनी खुशियों को पा रहे हैं :

अगर आपको उनके साथ रहने से या समय बिताने से ऐसा लगता है कि अब आप और अधिक खुश रहने लगे हैं या आपके अंदर की खुशियां बाहर आने लगी हैं तो वह व्यक्ति आपके लिए बिल्कुल सही हैं.

यह आपकी मानसिक सेहत का भी एक टेस्ट है :

अगर उनके साथ रहने से आपकी मेंटल हेल्थ स्थिर रहती है और आपके मन को शांति मिलती है तो वह आपके लिए सही है लेकिन अगर उनकी वजह से आपके दिमाग में हर समय चिंता और स्ट्रेस रहती है तो वह आपकी मानसिक सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं.

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अगर आपके पार्टनर में ऊपर लिखित टेस्टों को पास कर दिया है तो आप उन्हें अपना होने वाला पति  मान सकती हैं और यह समझ सकती हैं कि आपकी पसंद सच में ही बहुत अच्छी है लेकिन अगर वह आधे से अधिक टेस्टों में फेल हो जाते हैं तो आपको थोड़ा चौकन्ना होने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति भविष्य में अपनी जिम्मेदारियों से भाग सकते हैं या आप अगर उनके साथ शादी करती हैं तो थोड़ा दुखी रह सकती हैं. इसलिए अपना निर्णय सोच समझ कर ही लें.

सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स क्यों हैं जरूरी 

हम सबने सल्फेट का नाम तो सुना ही है और अपने घरों में कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इनको पाया भी है. पर क्या आप जानते हैं कि ये होते क्या हैं? सतलिवा की को – फाउंडर नम्रता रेड्डी सिरुपा बताती हैं कि सल्फेट एक प्रकार के डिटर्जेंट होते हैं. अपने शैंपू के पीछे आप कई प्रकार के सल्फेट के नाम पड़ सकते हैं. इसे पेट्रोलियम और प्लांट ऑयल्स से बनाया जाता है. इससे शैंपू और बाकी प्रोडक्ट्स में झाग बनाने की क्षमता आती है और यही झाग आपकी स्किन और स्कैल्प से गंदगी को निकालने का काम करते हैं . लेकिन शायद आप इस बात से अनजान हैं कि सल्फेट युक्त स्किन , हेयर प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल करने से ये आपकी स्किन के नेचुरल आयल को भी खत्म करने का काम करते हैं.  जिसके इस्तेमाल के कारण आपकी त्वचा व बाल धीरेधीरे डल व बेजान होने लगते हैं. यहां तक कि अगर आप सल्फेट को कलर किए हुए बालों में भी इस्तेमाल करते हैं तो इसमें आपके कलर को भी हलका व उड़ाने की भी क्षमता होती है. इससे आप जान ही गए होंगे कि ये आपके लिए कितना नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसलिए आज खास ब्यूटी ब्रैंड्स सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स बनाने पर ज्यादा जोर दे रही हैं.

बता दें कि सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स उसे कहते हैं , जिसमें सल्फेट नहीं होता है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप अपने बालों व स्किन को उस तरह से क्लीन नहीं कर पाएंगे. जबकि सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स भी उतनी ही सफाई देते हैं , बस उनके इस्तेमाल के दौरान उतने झाग नहीं बनते, जितने सल्फेट  प्रोडक्ट्स में बनते हैं. इनके इस्तेमाल से आपकी त्वचा और बालों के नेचुरल आयल, स्किन सेल्स और कलर भी सुरक्षित रहते हैं. सल्फेट फ्री शैंपू आपके बालों से गंदगी को निकालकर उसके आयल और पीएच लेवल को बैलेंस में रखने का काम करता है.

सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित माने जाते हैं. क्योंकि सल्फेट हमें  पेट्रोलियम, फोसिल फ्यूल से मिलता है, जो कि जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण  है. इसलिए हम सल्फेट के बाकी विकल्प जैसे कि हेम्प सीड ऑयल्स को इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे प्रकृति में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को संतुलित रखा जा सकता है.

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सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स के कई फायदे भी होते हैं. जैसा कि ये आपकी त्वचा व बालों को बिलकुल भी नुकसान नहीं पहुंचाता है. स्किन के मोइस्चर को बनाए रखता है और अगर आपकी स्किन पर कोई एलर्जी, जलन वगैरा होती है, तो सल्फेट फ्री प्रोडक्ट्स आपके लिए फायदेमंद साबित होते हैं.

याद रखें किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उसके लेबल को जरूर पढ़ें. यदि उसमें नीचे लिखे किसी भी तत्व का नाम है , तो इसका मतलब वह प्रोडक्ट्स सल्फेट फ्री नहीं है. जो इस प्रकार से हैं –

– सोडियम लॉरयल सल्फेट(SLS)

– सोडियम लौरेठ सल्फेट (SLES)

– फ्लेट्स

– पैराबेन्स

– थाईथेनोमाइन (TEA)

किनकिन प्रोडक्ट्स में होता है सल्फेट 

सोडियम लॉरयल सल्फेट और सोडियम लौरेठ सल्फेट आमतौर पर पर्सनल प्रोडक्ट्स व क्लीनिंग एजेंट्स में पाया जाता है, जो इस प्रकार से हैं –

– शैंपू

– लिक्विड सोप

– लाउंडरी डिटर्जेंट

– डिश  डिटर्जेंट

– टूथ पेस्ट

– बोडी वाश

– क्रीम्स आदि

इसलिए सल्फेट युक्त प्रोडक्ट्स से बचने के लिए आप नेचुरल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि ये नेचुरल ऑयल्स व नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से बने होने के कारण स्किन , हेयर्स को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

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हैल्थ के लिए भी सेफ नहीं 

क्या आप जानते हैं कि सोडियम लॉरयल सल्फेट व सोडियम लौरेठ सल्फेट आपकी स्किन व हेयर के आयल को चुराने के साथसाथ आपकी आंखों व स्किन पर जलन पैदा करने के साथसाथ लंग्स के लिए भी परेशानी का कारण बनता है. और जब आप इनसे बने प्रोडक्ट्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं तो ये कैंसर का भी कारण बनता है. और जिन लोगों की सेंसिटिव स्किन होती है , अगर वे सल्फेट युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं तो उनके पोर्स क्लोग होने के साथसाथ एक्ने की समस्या भी हो सकती है.  इसलिए जब भी ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदें तो देखें कि वे केमिकल फ्री हो.

होर्मोनेस के संतुलन को बिगाड़े 

अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स के ज्यादा इस्तेमाल करने से होर्मोनेस का संतुलन भी बिगड़ता है. इससे रिप्रोडक्टिव हॉर्मोन जैसे एस्ट्रोजन सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. जिससे कई बार पीसीओडी से लेकर इनफर्टिलिटी की समस्या का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में आपके लिए केमिकल वाले प्रोडक्ट्स से दूरी बनाने में ही समझदारी है.

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