Family Story In Hindi: कच्ची गली- भाग 3- खुद को बदलने पर मजबूर हो गई दामिनी

फिर दामिनी को पानी की बोतल पकड़ाते हुए विपिन आगे कहने लगे, ‘‘मैं तुम्हारी तकलीफ समझता हूं. मैं तुम्हारे साथ हूं. इस घटना के कारण तुम्हारे प्रति मेरे प्यार में कोई कमी नहीं आएगी. तुम मेरी पत्नी हो और हमेशा रहोगी. अपने मन से आज की इस रात को हमेशा के लिए मिटा दो. आज के बाद हम इस का जिक्र कभी नहीं करेंगे.’’

तभी विपिन का फोन बजा. स्क्रीन पर सृष्टि का नाम देख उन्होंने लपक कर फोन उठाया.

‘‘सौरी पापा, मेरा फोन स्विचऔफ हो गया था, बैटरी डैड हो गई थी. मुझे आज घर लौटने में देर हो गई. वह असल में एक फ्रैंड का बर्थडे था और पार्टी में थोड़ी लेट हो गई. पर अब मैं घर आ चुकी हूं, लेकिन मम्मा घर पर नहीं हैं. आप दोनों कहां हैं?’’ सृष्टि ने पूछा.

सृष्टि घर आ चुकी है. लेकिन उस के कुछ समय देर से आने के कारण उस के अभिभावक इतना घबरा गए कि एक ऐसा कटु अनुभव अपने जीवन में जोड़ बैठे जिसे भूलना शायद संभव नहीं. दामिनी के मन में अब झंझावत चल रहा है. क्या करे वह? क्या उस के लिए इस दुर्घटना को भुलाना संभव होगा? क्या इतना आसान है यह? इन्हीं सब विचारों में उलझी दामिनी घर के सामने आ रुकी अपनी गाड़ी से उतरना नहीं चाह रही थी. काश, वह समय की सूई उलटी घुमा पाती और सबकुछ पहले की तरह खुशहाल हो जाता. उस की गृहस्थी, प्यारी सी बिटिया, स्नेह लुटाता पति अब तक सबकुछ कितना स्वप्निल रहा उस के जीवन में.

विपिन की आवाज पर दामिनी धीरे से उतर कर घर में प्रविष्ट हो गई.

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‘‘कहां गए थे आप दोनों?’’ सृष्टि के प्रश्न पर दामिनी से पहले विपिन बोल उठे, ‘‘तेरी मम्मा की तबीयत कुछ ठीक नहीं है. डाक्टर के पास गए थे.’’

अगले 2 दिनों तक दामिनी यों ही निढाल पड़ी रही. उस का मन किसी भी  काम, किसी भी बात में नहीं लग रहा था. रहरह कर जी चाहता कि पुलिस के पास चली जाए और उन दरिंदों को सजा दिलवाने के लिए संघर्ष करे. फिर विपिन द्वारा कही बातें दिमाग में घूमने लगतीं. बात तो उन की भी सही थी कि उस के पास पुलिस को बताने के लिए कोई ठोस बात नहीं, कोई पुख्ता सुबूत नहीं है.

इन दिनों विपिन ने घर संभाल लिया क्योंकि वे दामिनी को बिलकुल परेशान नहीं करना चाहते थे. वे उस के दिल और दिमाग की स्थिति से अनजान नहीं थे और इसीलिए उसे सामान्य होने के लिए पूरा समय देने को तैयार थे.

सृष्टि जरूर बर्थडे पार्टी की तैयारी में लगी हुई थी. अब पार्टी में केवल 3 दिन शेष थे. विपिन दामिनी की मानसिक हालत समझ रहे थे, इसलिए वे पार्टी को ले कर जरा भी उत्साहित न थे. लेकिन सृष्टि को क्या बताते भला, इसलिए उस के सामने वे चुप ही थे.

अगली सुबह विपिन के औफिस चले जाने  के बाद सृष्टि दामिनी से साथ मार्केट चलने का आग्रह करने लगी, ‘‘मम्मा, आप के लिए एक न्यू ड्रैस लेनी है. आखिर आप पार्टी की शान होने वाली हैं. सब से स्टाइलिश ड्रैस लेंगे.’’

सृष्टि चहक रही थी. लेकिन दामिनी का मन  उचट चुका था. वह अपने मन को शांत करने में स्वयं को असमर्थ पा रही थी. सृष्टि की बात से दामिनी के घाव फिर हरे होने लगे. ‘पार्टी’ शब्द सुन दामिनी को उस रात की बर्थडे पार्टी के कारण वह देर से घर लौटी थी. न सृष्टि पार्टी के चक्कर में पड़ती और न ही दामिनी के साथ यह हादसा होता.

अपने बिगड़ते मूड से दामिनी ने उस रात सृष्टि के देर से घर आने को ले कर कुछ उखड़े लहजे में कहा, ‘‘पार्टी, पार्टी, पार्टी… उस रात किस की बर्थडे पार्टी थी? क्या तुम एक फोन भी नहीं कर सकती थीं? इतनी लापरवाह कब से हो गईं तुम, सृष्टि?’’

अचानक नाराज दामिनी को देख सृष्टि चौंक गई, ‘‘वह… उस दिन… वह मम्मा… अब क्या बताऊं आप को. उस शाम मुझे कुछ ऐसी बात पता चली कि न तो मुझे समय का आभास रहा और न ही अपने डिस्चार्ज हुए फोन को चार्ज करने का होश रहा.’’

कुछ पल सोचने के पश्चात सृष्टि आगे कहने लगी, ‘‘पहले मैं ने सोचा था कि आप को यह बात बता कर चिंतित नहीं करूंगी पर अब सोचती हूं कि बता दूं.’’

सृष्टि और दामिनी का रिश्ता भले ही मांबेटी का था लेकिन उन का संबंध दोस्तों जैसा था. सृष्टि अपनी हर बात बेझिझक अपनी मां से बांटती आई थी. आज भी उस ने अपनी मां को उस शाम हुई देरी के पीछे का असली कारण बताने का निश्चय किया.

‘‘मां, मेरी सहेली है न निधि. उस का एक बौयफ्रैंड है. निधि अकसर उस से मिलने उस के पीजी रूम पर जाया करती थी. यह बात केवल उन दोनों को ही पता थी. मुझे भी नहीं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से निधि और उस लड़के में कुछ अनबन चल रही थी.

निधि ने ब्रेकअप करने का मन बना लिया. यह बात उस ने अपने बौयफ्रैंड से कह डाली. वह निधि से अपने निर्णय पर दोबारा विचार करने की जिद करने लगा. फिर उस ने निधि को एक लास्ट टाइम इस विषय पर बात करने के लिए अपने पीजी रूम में बुलाया. बस, निधि से गलती यह हुई कि वह उस लड़के की बात पर विश्वास कर आखिरी बार उस से मिलने को राजी हो गई.’’

दामिनी ध्यान से सृष्टि की बात सुन रही थी. साथ ही, उस का मन इस उलझन में गोते लगा रहा था कि क्या उसे भी सृष्टि को अपनी आपबीती सुना देनी चाहिए.

‘‘उस दिन रूम में निधि के बौयफ्रैंड के अलावा 3 लड़के और मौजूद थे, जिन्हें उस ने  अपने दोस्त बताया. जब निधि ब्रेकअप के अपने निर्णय पर अडिग रही तो उन चारों ने मिल कर उस का रेप कर डाला. उस के बौयफ्रैंड को उस से बदला लेना था. उफ, कितनी घिनौनी सोच है. या तो मेरी या किसी की भी नहीं. ऊंह,’’ कह कर सृष्टि के चेहरे पर पीड़ा, दर्द, क्रोध और घिन के मिलेजुले भाव उभर आए.

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वह आगे बोली, ‘‘आप ही बताओ मम्मा, जब निधि मुझ से ये सारी बातें शेयर कर रही थी तब ऐसे में समय का ध्यान कैसे रहता?’’

सृष्टि की बात सही थी. उस समय अपनी बात ढकने के लिए उस ने बर्थडे पार्टी का झूठा बहाना बना दिया था. मगर आज असलियत जानने के बाद दामिनी के पास भी कोई जवाब न था. वह चुपचाप सृष्टि का हाथ थामे बैठी रही, ‘‘निधि ने अब आगे क्या करने का सोचा है?’’ बस, इतना ही पूछ पाई वह.

‘‘इस में सोचना क्या है, मम्मा? जो हुआ उसे एक दुर्घटना समझ कर भुला देने में ही निधि को अपनी भलाई लग रही है. वह कहती है कि जिस नीयत से उस के बौयफ्रैंड ने उस का रेप किया, वह नहीं चाहती कि वह उस में कामयाब हो. वह इस घटना को अपने वजूद पर हावी नहीं होने देना चाहती. वैसे देखा जाए मम्मा, तो उस की बात में दम तो है. एक घटना हमारे पूरे व्यक्तित्व का आईना नहीं हो सकती.

‘‘आखिर रेप को इतनी वरीयता क्यों दी जाए कि उस से पहले और बाद के हमारे जीवन में इतना बड़ा फर्क पड़े. ठीक है, हो गई एक दुर्घटना, पर क्या अब जीना छोड़ दें या फिर बस मरमर कर, अफसोस करते हुए, रोते हुए जिंदगी गुजारें? इस बात को अपने मन में दफना कर आगे क्यों न बढ़ा जाए, वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ,’’ सृष्टि न जाने क्या कुछ कहे जा रही थी.

आज दामिनी के सामने आज की लड़कियों की केवल हिम्मत ही नहीं, उन के सुलगते विचार और क्रांतिशील व्यक्तित्व भी उजागर हो रहे थे. वे सिर्फ हिम्मत ही नहीं रखतीं, बल्कि समझदारी से भी काम लेती हैं. जिन बातों से अपना जीवन सुधरता हो, वे ऐसे निर्णय लेना चाहती हैं, न कि भावनाओं में बह कर खुद को परेशानी में डालने के कदम उठाती हैं. अपनी बेटी के मुंह से ऐसी बातें सुन कर दामिनी के अंदर भी कुछ बदल गया.

जब सृष्टि की बात पूरी हुई तब तक मांबेटी चाय के खाली कप मेज पर रख चुकी थीं.

‘‘तो चल, कौन सी मार्केट ले चलेगी एक शानदार सी ड्रैस खरीदने के लिए,’’ दामिनी ने कहा तो सृष्टि खुशी से उछल पड़ी, ‘‘मैं ने तो शौप भी तय कर रखी है. बस, आप की ड्रैस की फिटिंग चैक करनी है मेरी प्यारी मम्मा,’’ कह उस ने अपनी दोनों बांहें दामिनी के गले में डाल दीं. दामिनी भी सृष्टि को बांहों में ले हंसती हुई झूम उठी.

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वन महोत्सव में लगेंगे करोड़ो पेड़

वन महोत्‍सव के वृक्षारोपण महाअभियान के अन्‍तर्गत मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सुलतानपुर में पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे 100 करोड़वां पौधा लगाया गया. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पांच साल में यूपी सरकार ने वृक्षारोपण अभियान में रिकार्ड कायम किया है. अब तक प्रदेश में वन विभाग के सहयोग से 100 करोड़ पेड़ लगाए जा चुके हैं, अ‍भी यह अभियान 7 जुलाई तक चलेगा. वहीं प्रदेश सरकार ने  विभिन्‍न जनपदों व गांवों में रविवार को 25 करोड़ पौधे लगाकर रिकार्ड बना दिया.  सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे को ध्‍यान में रखते हुए पांच औद्योगिक स्‍थानों पर पांच औद्योगिक गलियारे विकसित किए जाएंगे, जहां पर उद्योग लगेंगे. इससे पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा. उनको अपने ही शहर में नौकरी मिल जाएगी.  वृक्षारोपण अभियान के तहत राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने झांसी में वृक्षारोपण किया.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण के इस महाअभियान में सरकार कई रिकार्ड बनाने जा रही है. उस रिकार्ड के तहत यूपी में पिछले 5 साल में 100 करोड़ वृक्ष लगाए जा चुके हैं. एक जुलाई से सुबह 10 बजे तक 9 करोड़ पेड़ लगा दिए गए है. वहीं रविवार शाम तक प्रदेश के विभिन्‍न जनपदों में 25 करोड़ पौधे लगाए गए. यूपी में 7 जुलाई तक वन महोत्‍सव का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान पूरे प्रदेश में 30 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए जाएंगे. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि यहां पर 100 वर्ष पुराना एक बरगद का वृक्ष है. जिसको हेरिटेज वृक्ष के रूप में संरक्षित किया गया है. सीएम ने कहा कि वृक्षों को संरक्षित करके ही हम एक स्‍वच्‍छ समाज दे सकते हैं. एक्‍सप्रेस वे के किनारे पंचवटी, नक्षत्र वाटिका समेत अन्‍य औषधीय वाटिकाएं भी बनाई जाए.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यहां पर 2-3 साल पहले खेत हुए करते थे. यहां पर आज एक्‍सप्रेस वे है. जो पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बनने जा रहा है. एक्‍सप्रेस वे के निर्माण के बाद यूपी को व्‍यापक रोजगार, नौकरी व औद्योगिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी . सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे  देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होगा. इससे पूर्वांचल वासियों व युवाओं को अपने शहर में रोजगार मिलेगा. यूपी समृद्ध होगा.

पांच औद्योगिक कलस्‍टर होंगे विकसित

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि एक्‍सप्रेस वे ध्‍यान में रखते हुए सरकार पूर्वांचल एक्‍सप्रेस के किनारे पांच औद्योगिक स्‍थानों पर 5 औद्योगिक कलस्‍टर विकसित करने जा रही है. यहां पर आईटी पार्क, ओडीओपी व टेक्सटाइल पार्क के साथ अन्‍य उद्योग लगाए जाएंगे. इन उद्योगों के जरिए लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा. यूपी का युवा अपने ही शहर में नौकरी हासिल कर सकेगा. जो स्‍वावलंबन के पथ पर चल कर यूपी के विकास में अपना योगदान देगा. पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप यूपी एक बिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकेगा. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ औद्योगिक गलियारा नहीं बनेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण का आधार भी साबित होगा.

स्‍मृति वाटिकाएं अपनों की यादें संजोने की एक अच्‍छी पहल

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि कोरोना कमजोर हुआ है लेकिन अभी खत्‍म नहीं हुआ है. इसलिए सोशल डिस्‍टेसिंग व मास्‍क का उपयोग बहुत जरूरी है. सीएम ने कहा कि आप खुद भी वैक्‍सीन लगवाए और अपने परिवार व आसपास के लोगों को वैक्‍सीन लगवाने के लिए जागरूक करें. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि कोरोना में दिवंगत आत्माओं की याद में जो यहां स्‍मृति वाटिका बनाई गई है. उसके लिए जिला प्रशासन को बधाई. हर गांव व जिले में इस तरह की वाटिका बनाई जाए. उन दिवंगत आत्‍माओं को नमन व उनके याद में लगाए वृक्ष हमेशा उनकी याद संजोये रहेंगे.

Balika Vadhu 2 नया प्रोमो हुआ रिलीज, Cute अंदाज में दिखीं छोटी आनंदी

कलर्स टीवी का पौपुलर सीरियल ‘बालिका वधू’ (Balika Vadhu) आज भी फैंस के दिलों पर राज करता है. वहीं इससे जुड़े सितारे भी फैंस को याद हैं. इसी बीच मेकर्स ने इस शो को दूसरा सीजन ‘बालिका वधू 2’ (Balika Vadhu 2) लाने का फैसला किया है. वहीं हाल ही में इसका प्रोमो भी रिलीज कर दिया गया है, जिसे देखकर फैंस भी अपना रिएक्शन दे रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं ‘बालिका वधू 2’ के नए प्रोमो की झलक…

प्रोमों में दिखीं क्यूट आनंदी

 

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बीते दिनों फैंस सीरियल के दूसरे सीजन की मांग करते नजर आए थे, जिसके बाद मेकर्स ने नए सीजन  ‘बालिका वधू 2’ लाने का फैसला किया था. वहीं हाल ही में मेकर्स ने नए सीजन का प्रोमो रिलीज किया, जिसमें छोटी आनंदी के रोल में श्रेया पटेल (Shreya Patel) नजर आ रही हैं. इसी बीच प्रोमो देखने के बाद फैंस नई छोटी आनंदी की तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी तरफ जगिया के रोल में कौन नजर आएगा यह जानने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं.

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सीरियल की कास्ट हुई फाइनल

 

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खबरों की मानें तो ‘आपकी नजरों ने समझा’ फेम एक्ट्रेस श्रेया पटेल (Shreya Patel) और ‘बालवीर’ फेम वंश सयानी (Vansh Sayani) आनंदी आर जगिया के रोल में नजर आने वाले हैं. वहीं बालिका वधू के सीजन टू में रिद्धी नायक शुक्ला, केतकी दवे, सीमा मिश्रा, अंशुल त्रिवेदी, सुप्रिया शुक्ला भी दिखने वाले हैं. हालांकि अभी तक शो को कब रिलीज किया जाएगा. इसकी जानकारी नहीं दी है.

 

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बता दें 2008 से शुरू होकर 8 सालों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाला शो ‘बालिका वधू’ की तरह  ‘बालिका वधू 2’ में भी बाल विवाह प्रथा से जुड़ी कहानी दिखाई जाएगी. हालांकि देखना है कि पिछले सीजन की तरह क्या ये शो फैंस के दिलों में जगह बना पाएगा.

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पापा आमिर खान के तलाक के बाद बेटी Ira ने किया पोस्ट, लिखी ये बात

बौलीवुड एक्टर आमिर खान ने हाल ही में फैंस को अपने और किरण राव के तलाक की खबर से फैंस और इंडस्ट्री के लोगों को झटका दिया था. हालांकि दोनों ने साथ में आकर एक इंटरव्यू भी दिया था. इसी बीच आमिर खान की बेटी Ira ने तलाक की खबर के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसे फैंस वायरल कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

पापा के तलाक के बाद किया पोस्ट

ira

आमिर के तलाक की खबरों के बाद उनकी बेटी Ira (Ira Khan) ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट किया है, जिसमें जिसमें उन्होंने अपनी एक फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि, ‘अगला रिव्यू कल. आगे क्या होने वाला है?’ Ira के इस पोस्ट के बाद फैंस इसे आमिर खान और किरण राव के तलाक से जोड़ रहे हैं.

 

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तलाक पर बोले आमिर-किरण

 

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तलाक के खबर आने के बाद आमिर और किरण ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह अभी खुश हैं साथ में काम करते हुए मिलकर अपने बेटे आजाद को पालेंगे. वहीं इस वीडियो में आमिर खान और किरण राव एक-दूसरे हाथ पकड़े हुए हैं और काफी खुश नजर आ रहे थे. वहीं इस वीडियो पर फैंस के कई रिएक्शन सामने आ रहे हैं. इसी बीच टीवी और फिल्मी सितारे अपना रिएक्शन दे रहे हैं, जिनमें हिना खान और राखी सावंत जैसे सितारे शामिल हैं.

 

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बता दें कि आमिर खान ने 1986 में रीना दत्ता से शादी की थी, जिनसे 2 बच्चे जुनैद और Ira हैं. वहीं साल 2002 में दोनों का तलाक होने के बाद साल 2005 में आमिर खान ने किरण राव से शादी की थी, जिनका एक बेटा आजाद है.

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स्मार्ट फोन चोरी हो जाए तो सिम बंद कराने से पहले बंद कराएं Netbanking

पिछले कुछ महीनों में एक खास ट्रेंड देखने में आ रहा है कि स्मार्टफोन चोरी होने के 24 घंटे के अंदर चोर नेट बैंकिंग के जरिये फोन मालिक के एकाउंट से पैसे निकालने की कोशिश करते हैं. दो महीने पहले अप्रैल 2021 में जी.एस. राजशेखरन  नाम के एक सज्जन का स्मार्टफोन चेन्नई रेलवे स्टेशन में चोरी हो गया. वह बंग्लुरु जा रहे थे, सोचा बंग्लुरु जाकर सिम बंद करा दूंगा. लेकिन दो दिन बाद बंग्लुरु जाकर जब वह एटीएम से कुछ पैसे निकालने के लिए गये तो पता चला कि उनके एकाउंट में निल बैलेंस है. बैंक में जाकर डिटेल मालूम की तो पता चला कि फोन गुम होने के 24 घंटे के भीतर ही उनके एकाउंट से 78,000.00 रुपये निकल गये थे.

यह एक अकेला किस्सा नहीं है. पिछले ही दिनों दिल्ली में भी यह ट्रेंड देखने को मिला है. प्रमोद परिहार नाम के एक व्यक्ति का मेट्रो में मोबाइल चोरी होता है और 24 घंटे के पहले ही बैंक से करीब 32,000.00 रुपये निकल जाते हैं. लखनऊ, इंदौर और लुधियाना में भी हाल के महीनों ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं. इसीलिए दिल्ली पुलिस ने आम लोगों को एक सार्वजनिक हिदायत दी है कि अगर आपका स्मार्टफोन चोरी जो जाए तो उसकी सिम बंद कराने के पहले अपने नेटबैंकिंग को बंद कराएं, अगर उस फोन से बैंक एकाउंट जुड़ा हुआ है.

दरअसल जब से आधार, बैंक एकाउंट के साथ जुड़ गया है और एकाउंट डिटेल भूलने पर बैंकिंग सुविधा देने वाले कई एप मोबाइल फोन के कुछ नंबर लिखकर उस पर वेरीफिकेशन ओटीपी भेजते हैं ताकि आप अपना भूला हुआ पासवर्ड फिर से हासिल कर लें,तब से इस तरह के फ्राड काफी ज्यादा होने लगे हैं. स्मार्टफोन में दिक्कत यह है कि आपके तमाम डाटा होते तो इनक्रिप्टेड हैं (यानी इन्हें कोई पढ़ नहीं सकता ) लेकिन जुगाड़ में माहिर अपराधी किसी न किसी तरीके से इस इनक्रिप्टेड डाटा को पठनीय भाषा में तब्दील कर लेते हैं और ऐसा होने के बाद समझिये आपके बैंक एकाउंट की खैर नहीं. अगर आपने 24 से 48 घंटे में अपने बैंक को अपने साथ हुए इस फ्रॉड की सूचना देते हैं, तब तो संभव है कि आपकी खोई हुई रकम की बैंक भरपाई कर दे , वरना बैंकों के पास भी कई बहाने हैं,जिससे  आप अपनी खोई रकम वापस नहीं पाते.

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लब्बोलुआब यह है कि इन दिनों स्मार्टफोन का चोरी का मतलब सिर्फ चोरी होना नहीं है. अपराधी आपके स्मार्टफोन से आपकी ऑनलाइन बैंकिंग डिटेल्स और मोबाइल में मौजूद वॉलेट तक  जल्द से जल्द पहुंचने की केाशिश करते हैं और अगर पहुंच गये तो क्या होगा, इसकी बस आप कल्पना ही कर सकते हैं. इसलिए इन दिनों अगर आपका फोन चोरी हो जाए तो आपके नंबर का क्या मिसयूज होगा इससे ज्यादा आशंका इस बात की पैदा हो जाती है कि आपका बैंक में जमा पैसा कितना सिक्योर रह पायेगा ? इसलिए न दिनों यदि आपका फोन चोरी हो जाए, तो सबसे पहले जितना जल्दी हो सके अपनी नेट बैंकिंग एनएक्टिव कराएं,इसकी बैंक को सूचना तुरंत दें और बैंकिंग सेवा के लिए नंबर को ब्लाक करा दें. अगर यह दिन में कामकाजी समय के दौरान हुआ है तो न सिर्फ मेल, एसएमएस के जरिये बल्कि कस्टमर केयर में फोन करके भी यह जानकारी तुरंत दे दें.

इसके साथ ही अगला कदम, अपने सिम को ब्लाक  कराने का करें, जिससे कि फोन में किसी भी किस्म का फाइनेंशियल ओटीपी न आ सके. फोन के सिम को ब्लाक करवाने का आपको तात्कालिक रूप से यह नुकसान हो सकता है कि फिर से वही नंबर मिलने में कुछ दिन लगें. लेकिन आप कई तरह की असुरक्षाओं से बच जाएंगे. क्योंकि आजकल ओटीपी सिस्टम के जरिये फोन बैंकिंग सेवा के लिए बड़े खतरे बन गये हैं. फोन चोरी होने के बाद जितना जल्दी हो आप अपने इंटरनेट बैंकिंग यूज का पासवर्ड रिसेट कर लें. बैंक से लिंक्ड यूपीआई पेमेंट को तुरंत डी-एक्टिवेट कर दें और मोबाइल वॉलेट को भी ‘वैरीफाइ हेल्प डेस्क’ पर फोन करके बंद करा दें,  वरना पेटीएम और गूगल पे जैसी पलक झपकती मनी ट्रांसफर की सुविधाएं आपको रूला सकती हैं. सिर्फ इतने तक ही सीमित न रहें बल्कि अपने मोबाइल का जिन जिन जगहों पर एक लिंक बेस के रूप में आपने यूज किया हुआ है, मसलन- ई मेल, यू ट्यूब और सोशल मीडिया के दूसरे एकाउंट उनके भी पासवर्ड चेंज कर लें. अगर ये सब कर लेंगे तो आपका 15-20 हजार का मोबाइल फोन भले चला गया हो, लेकिन इससे ज्यादा का हो सकने वाला फाइनेंशियल नुकसान बच जायेगा.

एक यह काम करना भी न भूलें कि इस सब प्रक्रिया के साथ अपनी फोन की पुलिस में रिपोर्ट लिखा दें और उस रिपोर्ट की एक कॉपी  पुलिस की मोहर के साथ हासिल करें अगर एफआईआर ऑनलाइन कराते हैं तो एकनालेजमेंट रिसीप्ट अपने पास रखें. ये डॉक्यूमेंट इंश्योरेंस के लिए चाहिए होंगे.

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बबूल का पौधा : अवंतिका ने कौनसा चुना था रास्ता

बस 3 मिनट का सुख और फिर…

तेजतर्रार, स्मार्ट, अपना काम निकालने में सक्षम लड़कियों के  बलात्कार के आरोप का ब्लैकमेल की तरह इस्तेमाल करने की एक कोशिश को सुप्रीम कोर्ट ने टीवी ऐंकर वरुण हिरामथ को दी गई जमानत की राहत को कैंसिल न कर के फेल कर दिया.

इस मामले में शिकायतकर्ता ने अपनी स्टेटमैंट में यह तो मान लिया था कि वह और आरोपी एक ही कमरे में रजामंदी से थे और यह भी कि उस ने अपने कपड़े भी उतारे थे पर उस ने दावा किया कि उस ने सैक्स संबंध बनाने की सहमति नहीं दी और अगर सैक्स हुआ तो यह बलात्कार था.

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि जब स्त्रीपुरुष एक कमरे में सहमति से हों तो और स्त्री पुरुष का कहना इच्छा से मान रही हो तो बलात्कार का मामला नहीं बनता.

फरवरी, 2020 में दिल्ली के एक होटल में हुए इस मामले पर आरोपी की दलील थी कि कानून कहता है कि कपड़े उतारने की सहमति दे भी दी गई थी तो उसे सैक्स संबंध की सहमति नहीं माना जा सकता. सुप्रीम कोर्ट उस से सहमत नहीं हुआ और वरुण हिरामथ को मिली जमानत बरकरार रखी गई.

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पढ़ीलिखीं, साथ काम कर रही लड़कियों के साथ संबंध बनाना अब एक जोखिम का काम बनता जा रहा है. आदमियों को अकसर लगता है कि पढ़ीलिखी उदार विचारों वाली लड़की सैक्स के मामले में भी उदार होगी पर यह हमेशा नहीं होता. बहुत बार लड़कियां अपने व्यक्तित्व का इस्तेमाल केवल उस हद तक करती हैं जिस हद तक पुरुष अपने बोलने की कला या संपर्कों का करते हैं.

अपने बदन को दिखाने में संकोच न करने वाली हर लड़की अपनी इच्छा के विरुद्ध बिस्तर पर जाने को तैयार हो जाएगी, यह सम झना बड़ी भूल है. पुरुष आमतौर पर सम झते हैं कि वे हर उस औरत को पटा सकते हैं जो काम के सिलसिले में उन के पास आए. औरतें दूसरी तरफ बिस्तर पर उसी के साथ जाना चाहती हैं जो उन्हें पसंद आए. किसी भी लड़की को एक समय में एक ही पसंद आता है और उस के प्रति निष्ठावान रहती है और यह संभव है कि इस पसंदीदा व्यक्ति में पति नहीं हो. अगर पति के साथ न निभाया जा रहा हो, प्रेम न रह गया हो तो सैक्स संबंध केवल कानून सम्मत बलात्कार बन कर रह जाता है.

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पुरुष इस बात को नहीं सम झ पाते और उन्हें लगता है कि जिस ने उन के साथ चाय पी, खाना खाया, घंटों बिताए उस के साथ सैक्स संबंध का हक बन गया. यह हक न पुरुष को है और न ही स्त्री को. अपने शरीर का आकर्षण दर्शा कर पुरुष को उत्तेजित कर संबंध बना लेना बलात्कार कम माना जाता है पर ऐसा हो तो बड़ी बात नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर सैक्स संबंधों के मामलों में औरतों की सहीगलत सभी बातें मान लेता है पर इस मामले में अगर भिन्न आदेश दिया है तो यह अच्छी बात है.

पड़ोसी की न जात पूछें और न धर्म

हाल ही में पंजाब के बटाला में दिनदिहाड़े एक 7 साल के बच्चे को अगवा करने की कोशिश की गई. लेकिन उसी समय बच्चे के साथ आए उस की ममेरी बहन के बेटे ने शोर मचा दिया. उसी समय बच्चे का पड़ोसी वहां से निकल रहा था. उस ने किडनैपर पर ईंट से हमला कर दिया, तो वह बच्चे को वहीं छोड़ कर भाग गया.

इस घटना ने बच्चे की मां सोनिया को अहसास दिलाया कि अगर वह पड़ोसी समय पर वहां नहीं पहुंचता और बच्चे को बचाने की कोशिश नहीं करता, तो पता नहीं उस के मासूम बच्चे के साथ क्या होता.

अक्तूबर, 2018 में हरियाणा में गुरुग्राम के ट्यूलिप औरेंज हाईराइज अपार्टमैंट्स में पड़ोसी की मदद करने का एक ऐसा मामला सामने आया जिस ने अच्छे और हिम्मती पड़ोसी होने की मिसाल दी. 33 साल की स्वाति ने पड़ोसियों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी ही जान दांव पर लगा दी थी.

दरअसल, एक छोटे से शौर्टसर्किट से लगी आग ने उस इमारत के एक फ्लोर पर बड़ा भीषण रूप ले लिया था. स्वाति अपार्टमैंट्स से निकलने के बजाय वहां मौजूद सभी लोगों को
होशियार कर बाहर जाने के लिए कहने लगीं और निकलने में मदद भी करने लगीं. आग बुझने के बाद फायरफाइटर्स को छत के दरवाजे पर बेहोशी की हालत में स्वाति मिली थी. अस्पताल ले जाते समय उन की रास्ते में ही मौत हो गई थी.

इसी तरह दिल्ली की रहने वाली प्रिया की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. प्रिया हर राखी के दिन सुबहसुबह तैयार हो कर थाल में राखी सजा कर कुतुब भाई के घर जाती थी. कुतुब उस का सगा भाई नहीं था. दोनों के धर्म भी अलग थे, मगर उन के परिवारों में रिश्तेदारों सा प्यार था.

दरअसल, जब प्रिया छोटी थी तब उस के पड़ोस में एक परिवार आया. उस परिवार में कई बच्चे थे, जिन में एक कुतुब भी था. प्रिया के घर वाले दूसरे धर्म के लोगों से ज्यादा बातचीत नहीं रखते थे. सो, प्रिया को उन के घर जाने की मनाही थी.

इसी बीच एक दिन प्रिया छत से नीचे गिर गई. उस समय उस के पिता औफिस में थे और मां नहा रही थीं. घर में दादी थीं जो चल नहीं पाती थीं. सामने गली में खेल रहे कुतुब ने प्रिया को गिरते देखा तो तुरंत भागा और अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर उसे अस्पताल पहुंचाया.

बाद में जब प्रिया के मातापिता को इस घटना की जानकारी मिली तो वे हाथ जोड़ कर कुतुब को धन्यवाद कहने लगे. तभी से प्रिया और कुतुब के परिवारों में रिश्तेदारों सा प्यार हो गया और प्रिया हर साल कुतुब को राखी बांधने लगी. यह रिश्ता आज तक उसी तरह चल रहा है.

एक समय था जब ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की तर्ज पर सारा महल्ला भाईचारा निभाता था और लोग पड़ोसियों के साथ हर तरह के दुखसुख एक परिवार की तरह शेयर किया करते थे. पर आज समय बदल गया है. गलाकाट प्रतियोगिता के इस समय में लोगों की व्यस्तता बहुत बढ़ गई है, इसलिए कहीं न कहीं लोग अपने घरों में सिमटते जा रहे हैं. एकल परिवार के इस जमाने में पड़ोसियों की कौन कहे अब तो रिश्तेदारों से भी मिले हुए महीने और साल बीत जाते हैं.

मगर इस बदलाव के बीच भी जब इनसान मुसीबत में होता है तो उस की मदद के लिए पड़ोसी ही सब से पहले पहुंच सकते हैं. अगर आप घर से दफ्तर जाने में लेट हो रहे हैं या आधी रात में कभी अस्पताल जाने की जरूरत हो तो आप के पड़ोसी ही आप की मदद कर सकते हैं. आप को लिफ्ट दे सकते हैं. साथ ही आप के न होने पर पीछे से आप के घर की निगरानी भी रख सकते हैं. ऐसे में पड़ोसियों से हमेशा बना कर रखने में ही समझदारी है. आप के पास कुछ पड़ोसी ऐसे जरूर होने चाहिए जो आड़े वक्त में काम आएं और रिश्तेदारों की कमी पूरी कर सकें.

जातिधर्म का न रखें बंधन

इनसान शादीब्याह तो अपनी मरजी चला सकता है और अपनी जाति या धर्म में जीवनसाथी खोज सकता है, मगर जब बात आती है पड़ोसी की तो यहां आप का कोई वश नहीं.

धर्मजाति का प्रमाणपत्र दे कर कोई इनसान घर नहीं लेता. घर अपना हो या किराए पर, आप के बगल में कोई भी रहने आ सकता है. बेहतर होगा कि पुरानी सोच अपनाते हुए उस की जन्मकुंडली पूछने के बजाय आप खुले दिल से उसे अपनाएं. उसे अहसास दिलाएं कि वह आप के लिए बहुत अहमियत रखता है, क्योंकि पड़ोसी ही रियल लाइफ में आप के सुखदुख का साथी बनता है.

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अगर पड़ोसी के साथ आप के मधुर संबंध हैं तो समझिए कि आप को जिंदगी की बहुत बड़ी नियामत मिल गई है.

अगर पड़ोसी दूसरे धर्म या जाति का है तो यह भी अच्छा है. आप को उन के बारे में जानने का मौका मिलता है. दूसरों की संस्कृति की जानकारी मिलती है. हर संस्कृति में बहुत सी अच्छी और सीखने की बातें होती हैं. यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन से क्या सीखते हैं.

बच्चों को बढ़ाने दें मेलजोल

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी ने हमें इतना मसरूफ कर दिया है कि हमारे पास अपने पड़ोसियों के साथ बैठ कर बात करने का क्या उन का हालचाल तक पूछने का समय नहीं है. अब लोगों के घर तो बड़े होते जा रहे हैं, पर अपने पड़ोसियों के लिए उन के दरवाजे तक नहीं खुलते हैं. मर्द सुबहसुबह काम पर निकल जाते हैं और अपने पड़ोसियों से कोई खास संबंध नहीं रखते हैं, जबकि औरतें टैलीविजन के सामने पड़े रहने में ज्यादा सुकून महसूस करती हैं. बच्चों को भी बाहर जा कर पड़ोस के बच्चों के साथ न खेलने की हिदायतें दी जाती हैं.

बच्चों के स्कूल के दोस्त अकसर उन के घरों से बहुत दूर रहते हैं. घर में दिनभर बंद कमरे में वीडियो गेम खेलना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर डालता है. अगर बच्चे पड़ोस के बच्चों के साथ खेलें, बातें करें तो वे शारीरिक व मानसिक तौर पर सेहतमंद भी रहेंगे.

एक रिपोर्ट के मुताबिक 55 फीसदी बच्चों को उन के मातापिता द्वारा बाहर जा कर खेलने की इजाजत नहीं दी जाती है, जबकि उन के विकास के लिए उन्हें पड़ोस के बच्चों के साथ
खेलने दिया जाना चाहिए.

ऐसे कायम रखें रिश्ते में मिठास

जिंदगी में रस घोलते पड़ोसी केवल मुश्किल समय में ही नहीं, बल्कि खुशी के माहौल को और मजेदार बनाने में भी सब से बेहतर साबित होते हैं. बगीचे की छोटीमोटी सफाई हो, बच्चों की बर्थडे पार्टी हो या घर की चीनी खत्म हो जाए तो पड़ोसी का दरवाजा खटखटाने का अनुभव, पड़ोसियों के साथ आपसी संबंध बहुत प्यारे और मीठे होते हैं, जो जिंदगी में ताजगी भर देते हैं. इस मिठास को बरकरार रखने के लिए ध्यान रखें इन कुछ बातों का :

-पड़ोसियों से रिश्ते बनाने और उसे कायम रखने का सब से पहला नियम है कि उन्हें उन की प्राइवेसी दें. दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाएं, पर उन के हर काम में या निजी मसलों में दखलअंदाजी न करें.

-ऐसा कोई शख्स नहीं जिसे कभी न कभी किसी की जरूरत न पड़ती हो. हमारा पड़ोसी ही एक ऐसा इनसान होता है जिस की हमें सब से ज्यादा जरूरत पड़ती है, क्योंकि वह सब से करीब होता है और किसी भी समय आप के पास पहुंच सकता है, इसलिए जरूरी है कि आप भी मददगार बनें, तभी आप का पड़ोसी भी मुसीबत के समय में आप के काम आएगा. अगर उन्हें किसी तरह की जरूरत है तो कोशिश करें कि आप उन की मदद कर सकें.

-आप हफ्ते में एक बार किटी पार्टी का प्रोग्राम भी बना सकते हैं. इस से आप एकदूसरे के परिवारों से परिचित होंगे व आपसी संबंधों में मिठास भी रहेगी.

-अकसर घरेलू औरतें घरों में ही रहती हैं और केवल बच्चों को स्कूल से लाना और ले जाना ही करती हैं. ऐसी औरतें पड़ोस की दूसरी औरतों के साथ पास के बाजार या माल वगैरह में जा कर बाहरी दुनिया से रूबरू हो सकती हैं. कभीकभी पड़ोसी के और अपने बच्चों को साथ ले कर पिकनिक का प्रोग्राम भी बनाया जा सकता है.

-अगर आप की और आप के पड़ोसी की काम करने की जगह आसपास है तो गाड़ी में एक साथ भी जाया जा सकता है. इस से पैसों की बचत के साथसाथ रिश्ते भी मजबूत होते हैं.

जब बेवजह हो चिड़चिड़ाहट

-पैसे का लेनदेन करते समय ईमानदारी बरतें. अगर आप ने उन से जरूरत के समय रुपए लिए हैं तो वापस करना भी आप का फर्ज बनता है, ताकि बाद में कभी जरूरत होने पर वह खुद से आप की मदद करने को आगे आएं.

-इसी तरह पड़ोसियों के वाहन, फोन, उपकरण, सिलैंडर या दूसरी चीजें मांगते हैं तो समय पर उन्हें
सहीसलामत वापस करना न भूलें.

-चुगलखोर पड़ोसी न बनें. भूल कर भी पड़ोसियों के बारे में कोई अंटशंट बात न कहें, क्योंकि एक बार भरोसा टूट जाए तो रिश्ता पहले की तरह बनने में समय लगता है.

-डींग न हांकें. कभी भी पड़ोसी के आगे अपनी अमीरी को ले कर घमंड न दिखाएं. एकदूसरे को समान समझें, तभी प्यार बढ़ता है.

बच्चों में पोस्ट कोविड, मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) को न करें नजरंदाज

5 साल के तरुष को एक रात तेज बुखार आया, साथ में पेट दर्द भी था, उसकी माँ सरोज शेलार खुद एक डॉक्टर है, इसलिए कुछ दवाइयां दी,लेकिन कुछ फायदा बच्चे को नहीं हो रहा था. वह समझ नहीं पा रही थी, क्या करें. उन्होंने बेटे को पास के एक अस्पताल ले गयी और तुरंत भर्ती करवाई. वहां बच्चों के डॉक्टर ने उसकी जांच की और बताई कि उसे टाइफाइड हुआ है और उसी हिसाब से उन्होंने दवाई देनी शुरू की, लेकिन तरुष का बुखार उतर नहीं रहा था. अगले दिन तेज बुखार के साथ उसका पेट फूलने लगा, आँखे लाल हो गयी, मुंह में छाले और बदन पर लाल-लाल रैशेज दिखाई पड़ने लगी.

उसकी माँ डॉ. सरोज ने पेडियाट्रिशन को बुलाकर कहा कि उन्हें इलाज का प्रोसेस सही नहीं दिख रहा है, क्योंकि बेटे ने अब खाना पीना भी छोड़ दिया है,इसलिए आप इस बच्चे को सही इलाज़ दें या फिर वह कहीं दूसरे अस्पताल में ले जाएगी. इस बात से घबराकर डॉक्टर ने बच्चे की आरटीपीसीआर चेक किया,तो कोविड निगेटिव निकला, लेकिन‘कोविड एंटीबॉडी टेस्ट’ पॉजिटिव आया. इतनी देर में बच्चे की हालत और अधिक ख़राब हो गयी, उसे आई सी यू में रखा गया. डॉ. सरोज अगले दिन दूसरे अस्पताल में बेटे को ले गयी, वहां डॉक्टर ने बताया कि ये पोस्ट कोविड में होने वाली बीमारी है, जबकि तरुष को कोविड नहीं हुआ था. दो दिन बाद बच्चे को डिस्चार्ज मिल गया. करीब एक महीनेकी दवा के बाद तरुष ठीक हो सका. यहाँ ये समझना जरुरी है कि तरुष की माँ डॉक्टर होने की वजह से बीमारी का इलाज सही नहोने को समझ पायी, लकिन आम इंसान के लिए इस बीमारी को समझना नामुमकिन था.

क्या है मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरीन सिंड्रोम (MISC) 

असल में पोस्ट कोविड की ये बीमारी खासकर बच्चों में अधिक देखी जा रही है. इसकी वजह बच्चों का एसिम्पटोमेटिककोविड होने से है, क्योंकि अधिकतर पेरेंट्स ने खुद को कोविड होने पर किसी रिश्तेदार के पास बच्चे को भेज देते है. इससे बच्चे में कोविड हुआ है या नहीं समझना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि बच्चे को इस बारें में पता नहीं है. पेरेंट्स ने भी किसी प्रकार के लक्षण बच्चे में नहीं देखा है. इस बारें में पुणे की मदरहुड हॉस्पिटल की कंसलटेंट नियोनाटोलोजिस्ट एंड पेडियाट्रिशन डॉ. तुषार पारिख कहते है कि कोरोना की ये बीमारी मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटोरी सिंड्रोम(MIS)  बच्चों में कोरोना होने के बाद 2 सप्ताह से लेकर 5 या 6 सप्ताह बाद में होता है. कई बार कोरोना संक्रमण एसिम्पटोमेटिकहोता है,ऐसे में बच्चे को कोरोना संक्रमण होने पर बुखार खासी होती है और कुछ दिनों में ठीक भी हो जाता है. 2 सप्ताह बाद फिर से बुखार आने लगता है. तब पेरेंट्स घबरा जाते है. मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) की बीमारीके लक्षण निम्न है,

  • बच्चे को तेज बुखार आना,
  • पेट में दर्द होना,
  • शरीर में रैशेज का आना,
  • मुंह के अंदर अल्सर हो जाना,
  • जीभ का लाल होना,
  • आँखों का लाल हो जाना आदि .

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इसके अलावा शरीर के सभी अंगों में इन्फ्लेमेशन यानि सूजन आ जाती है, जिससे बच्चा सुस्त हो जाता है. कभी- कभी हार्ट में सूजन की वजह से ब्लड सर्कुलेशन बाधित होती है, जिससे बच्चे को चक्कर आना और दूसरे ऑर्गन भी प्रभावित हो जाता है. ऐसे में बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ता है. कई बार हार्ट की कोशिकाओं में सूजन आ जाने से सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. कई बार फेफड़े पर भी इसका असर देखा गया है. ये आजकल कोविड की वजह से बहुत कॉमन हो चुका है, अधिकतर बच्चे पेट दर्द और तेज बुखार के साथ आते है और डॉक्टर इसे गैस्ट्रोएन्टराइटिस, कोलाईटिस, एपेंडेसाईटिस आदि समझकर इलाज करते है, जिससे बच्चे की हालत गंभीर हो जाती है और कई बार बच्चे की  जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है. अपने एक अनुभव के बारें में डॉ. तुषार का कहना है कि 7 साल की एक लड़की को एपेंडिक्स की बिमारी कहकर मेरे पास ऑपरेशन के लिए भेजी गयी थी,सोनोग्राफी किया तो कुछ नहीं था, लेकिन MIS का टेस्ट पॉजिटिव आया. इसलिए जब भी बच्चा पेट दर्द के साथ बुखार लेकर आये, तो उसे MIS की जांच करना जरुरी है, ताकि पोस्ट कोविड की जटिलताओं को समय रहते पहचान लिया जाय. 24 घंटे से अधिक किसी बच्चे में पेट दर्द और बुखार है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ.

मुश्किल है समझना

ये बीमारी पहले नहीं देखी जा रही थी, इसलिए डॉक्टर्स को भी समझने में देर हुई, लेकिन कोविड पीरियड में बहुत सारे बच्चों में ये बिमारी देखी गयी. ये रोग कावासाकी नामक एक बिमारी से थोडा मेल खाता है, इसमें भी मुंह, जीभ लाल होना, रैशेज होना, बुखार आना आदि रहता है, लेकिन कावासाकी बीमारी की वजह किसी को आजतक पता नहीं चल पाया  है. कोरोना में ही इसे देखा गया. कोरोना काल में इसे ‘कावासाकी लाइक इलनेस’ का नाम भी दिया गया है.मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) की ये बीमारी भी कई तरह की होती है,मसलन कावासाकी लाइक प्रेजेंटेशन, इसमें माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर किसी भी प्रकार का हो सकता है.

रिस्क फैक्टर

वैसे मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C)  की ये बिमारी 1 प्रतिशत से भी कम बच्चों में होता है, लेकिन कोरोना की वजह से ये अधिक दिखाई पड़ रहा है,इसमें 12 साल से ऊपर के बच्चे अधिक कॉमन, 6 से 12 साल के बच्चे में लेस कॉमन और 6 साल से नीचे बच्चों में बहुत कम है.

सही जाँच है जरुरी

इसके आगे डॉ.तुषार कहते है कि शुरुआत में डॉक्टर्स को भी इस बिमारी की जानकारी नहीं थी,लेकिन अब रोगी देखकर समझ जाते है. क्लिनिकलजांच से इसे पता लगाया जाता है.अगर बच्चे को बुखार है और MIS-C की कोई लक्षण नहीं है, एक से दो दिन तक फीवर की दवा देने के बाद भी बुखार न उतरने पर तुरंत बच्चों के डॉक्टर के पास ले जाए. क्लिनिकल जाँच के अलावा आरटीपीसीआर और कोविड एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. बच्चे को अगर कोविड हुआ है, तो पेरेंट्स को बच्चे के पोस्ट कोविड के लक्षण है या नहीं, उसका ध्यान रखने की जरुरत है.डॉक्टर्स को भी इस बारें में जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि ऐसे केसेज में कोविड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट करने से तुरंत पता लग जाता है.

सावधानियां

मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम(MIS-C) का इलाज हो जाने पर केवल एक महीना सावधानी बरतना पड़ती है, क्योंकि शरीर के अंदर आये सूजन को ठीक करने के लिए करीब एक महीने तक दवा लेनी पड़ती है. इसमें स्टेरॉयड और तकलीफ ज्यादा होने पर आईवी इंजेक्शन के द्वारा इम्यूनोग्लोबुलिन की दवा देनी पड़ती है. डी डायमर की लेवल अधिक होने पर भी एडवांस दवा की इंजेक्शन देनी पड़ती है. अभी तक मैंने 38 बच्चों की चिकित्सा अप्रैल और मई में किये है. इन महीनों में सबसे अधिक बच्चे इससे प्रभावित थे. सभी बच्चे सीरियस नहीं होते. मॉडरेट और सीवियर होने पर ही उन्हें स्टेरॉयड दिया जाता है. 10 बच्चों में से तक़रीबन 3 बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम पाया गया है. समय से आने पर इस बीमारी का इलाज हो सकता है, लेकिन कई बार ये बीमारी सीरियस हो सकती है, जिसमें हाई कार्डिएक सपोर्ट, ब्लड प्रेशर की दवा आदि देने की आवश्यकता होती है.इस बीमारी से ठीक होने के कुछ सालों बाद हार्ट की कोरोनरी ब्लड वेसेल्स में अगर सूजन आ गया है, तो उन बच्चों को थोड़े अधिक दिनों तक ऑब्जरवेशन में रखना पड़ता है. उनके ब्लड में क्लोटिंग होने का खतरा रहता है, इसलिए लम्बे समय तक दवा लेना पड़ता है. कोरोनरी ब्लड वेसेल्स में सूजन से बाद में भी खून के थक्के उसमें जमा होने की वजह से हार्ट एटैक आ सकता है, इसलिए पहले 3 से 4 महीने के अंतर पर और बड़े होने पर साल में एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें. कावासाकी में भी कई बार बच्चों में हार्ट एटैक आ जाता है, लेकिन उसकी संख्या बहुत कम है.

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रहे सतर्क

पहली लहर में बुजुर्ग, जिन्हें अब वैक्सीन लग चुका है, दूसरी लहर में यूथ को कोविड अधिक हुआ, जबकि उन्हें भी अब वैक्सीन की एक डोज दिया जा चुका है,इसलिए तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे, ऐसा माना जा रहा है, लेकिन कोई ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं मिला है. सावधान रहना आवश्यक है, ताकि बच्चे कोविड से अधिक प्रभावित न हो. पेरेंट्स के लिए मेरा यही मेसेज हैकि कोरोना अभी गया नहीं है. बड़े बच्चों को कोविड के सारे गाइडलाइन्स को फोलो कराएं और साथ में वजह भी क्लियर करें. इसके अलावा 18 साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लू का इंजेक्शन दिलवाने की राय ‘कोविड टास्क फ़ोर्स’ ने दी है, क्योंकि इससे फ्लू सम्बंधित बिमारियां कम होगी और हेल्थकेयर पर बोझ भी कम होगा. हर बारिश के बाद वैसे भी फ्लू के केसेज बढ़ते है और पुणे में फ्लू की इंजेक्शन बच्चों को दिए जा रहे है. इसके अलावा परिवार के सभी वैक्सीनेटेड सदस्यों के बीच में बच्चा रहने पर बच्चा सुरक्षित रहता है. इसे ‘कोकून स्ट्रेटिजी’ कहा जाता है, इसे अपनाने की कोशिश करें.

Monsoon Special: 18 साल की उम्र में बौलीवुड एक्ट्रेसेस को टक्कर देती हैं अवनीत कौर

डांस रियलिटी शो में बतौर कंटेस्टेंट नजर आने वाली एक्ट्रेस अवनीत कौर (Avneet Kaur) आज टीवी इंडस्ट्री की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक हैं. बौलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी (Rani Mukharji) के साथ फिल्म मर्दानी में अपनी एक्टिंग से पहचान बनाने वाली अवनीत कौर (Avneet Kaur) इन दिनों फैशन के मामले में फैंस के बीच छाई हुई हैं. वहीं 18 साल की उम्र में अवनीत बड़ी बड़ी हौट एक्ट्रेसेस को पीछे छोड़ती नजर आती हैं. आज हम आपको दिखाते हैं अवनीत कौर (Avneet Kaur)के कुछ लुक्स, जिसे आप हर सीजन में ट्राय कर सकते हैं.

1. Neon कौम्बिनेशन है परफेक्ट

मानसून में अगर आप कुछ अलग और परफेक्ट लुक चाहती हैं तो नियोन कलर आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. अवनीत की तरह आप नियोन कलर के साथ वाइट का कौम्बिनेशन करके आप अपने लुक को चमका सकते हैं. ये आपके लुक को मानसून में ब्राइट लुक देगा.

 

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Hello hair. It’s you and me against the elements.🌈💚 Wearing- @_mad_over_accessories 📸- @amandeepnandra

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2. पोल्का डौट है परफेक्ट औप्शन

 

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Chota sa fasana, kise kya batana…..❤️ #throwback

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अगर आप नया ट्रैंड ढूंढ रही हैं तो पोल्का डौट आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. पोल्का डौट की साड़ी हो या ड्रैस आपके लुक के लिए खूबसूरत ट्रैंड है. आप चाहें तो अवनीत की तरह पोल्का डौट ड्रैस विद फ्रिल पैटर्न का लुक ट्राय कर सकती हैं.

3. डैनिम है परफेक्ट औप्शन

 

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Do you like Tom more or Jerry ?❤️ Wearing- @burger.bae

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डैनिम हर मौसम में परफेक्ट लुक है. वहीं अगर मौनसून की बात की जाए तो डैनिम जींस की बजाय आप शौट्स ट्राय कर सकती हैं. इसके साथ आप क्रौप टौप का कौम्बिनेशन करके आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

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4. इंडियन लुक है परफेक्ट

 

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Meinu ishq tera lae dooba ❤️ Do you like me in Indian more or western? 📸- @sonianandra

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अगर आप इंडियन लुक ट्राय करना चाहती हैं तो अवनीत कौर के सिंपल और शाइनी कुर्ते के साथ जंक ज्वैलरी आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है.

5. कलरफुल ड्रैस है परफेक्ट

 

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THIS OR THAT 💕💖💫 Styled by @anshudixit_ Outfit @mad.glam Fashion pr team @vblitzcommunications

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मानसून में अगर आप कलरफुल ड्रैस ट्राय करना चाहते हैं तो अवनीत कौर की ये ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

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