Dipika Kakar का Sasural Simar Ka 2 से रातों रात कटा पत्ता! पढ़ें खबर

कलर्स के ‘ससुराल सिमर का’ की सिमर यानी दीपिका कक्कड़ फैंस के बीच काफी पौपुलर रही हैं. वहीं इसका दूसरा सीजन ‘ससुराल सिमर का 2’ (Sasural Simar Ka 2) भी लोगों के दिलों में खास जगह बनाता जा रहा है. हालांकि इसका कुछ श्रेय सिमर यानी दीपिका कक्कड़ को भी जाता है. लेकिन खबर है कि एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ जल्द ही शो को अलविदा कहने वाली हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

सिमर की कहानी होगी खत्म

खबरों की मानें तो  ‘ससुराल सिमर का 2’ (Sasural Simar Ka 2)  में सिमर यानी दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakar) का रोल कुछ ही एपिसोड्स के लिए था, जिसके कारण मेकर्स ने उनके किरदार को खत्म करने का फैसला किया है. वहीं कहा जा रहा है कि इस दीपिका कक्कड़ का किरदार फिल्मी अंदाज में दर्शकों को अलविदा कहेगा.

 

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इस तरह होगा ट्रैक खत्म!

 

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दूसरी तरफ सीरियल की बात करें तो ससुराल सिमर का 2 के अपकमिंप एपिसोड में गीतांजलि सभी के सामने बड़ी सिमर की खूब बेइज्जती करेगी. सिमर अपना पक्ष रखने की कोशिश करेगी, लेकिन गीतांजलि उसकी नहीं सुनेगी. दरअसल, इसी के चलते सिमर घर छोड़ने का फैसला करेगी, जिसके बाद दीपिका का किरदार खत्म हो जाएगा.

बता दें,  आरव और छोटी सिमर की शादी हो गई है. हालांकि अब तक इस बात से बेखबर आरव को पता चल गया है कि सिमर से उसकी शादी हो चुकी है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में फैंस को दोनों की बौंडिंग देखने को भी मिलेगी. लेकिन इससे पहले कहानी में कई मोड़ आएंगे, जो दर्शकों को एंटरटेन करेंगे.

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आखिर एक्ट्रेस विद्या बालन क्यों बनी ‘शेरनी’, पढ़ें खबर

अभिनेत्री विद्या बालन की फिल्म ‘शेरनी’ की एक टाइटल म्यूजिकका लौंच अमेजन प्राइम विडियो पर किया गया, जिसमें विद्या ने फारेस्ट ऑफिसर विद्या विंसेट की भूमिका निभाई है, जो अपनी बात सबके सामने एक शेरनी की तरह रख सकती है.उनके साथ 9 ऐसी महिलायें है, जो कठिन परिस्थिति से गुजर कर अपनी मंजिल पायी है. विद्या कहती है कि मैं एक अभिनेत्री होने की वजह से लोग मुझे और मेरे काम को देखते और सराहते है, लेकिन ऐसी बहुत सी महिलाएं है जिन्हें हम नहीं जानते और उन्होंने भी अपने रास्ते एक शेरनी की तरह तय कर अपनी मंजिल पायी है.

असल में हर महिला में एक शेरनी होती है और वे इसे समझती नहीं. ऐसी महिलाएं बिना कुछ कहे लगातार चुनौती का सामनाकरती रहती है.मैंने देखा है कि अधिकतर घरेलू महिलाएं चुपचाप, शांत और अपनी भावनाओं को बिना बताये रहती है और वह परिवार में अदृश्य रहती है, कोई उसकी मौजूदगी को महसूस नहीं करता. मैं उन सभी महिलाओं को इस संगीत के द्वारा सैल्यूट करना चाहती हूं. मेरे जीवन में मेरी माँ शेरनी है, उन्होंने बिना कुछ कहे समस्याओं का सामना कर मुझे बड़ा किया और हमेशा मेरा साथ दिया है. उम्र के इस पढ़ाव में भी वह डांस, फिटनेस, संगीत सीखती और खुश रहती है. माँ हमेशा कहती है कि जितना तुम झुकोगे, लोग उतना ही तुमको झुकायेंगे. इसलिए डटकर किसी समस्या का समाधान करो. इसके अलावा मेरी बहन और भतीजी भी शेरनी की तरह घने जंगल में अपना रास्ता बना लेने में सक्षम है.

 

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इसके आगे विद्या कहती है कि इस म्यूजिक वीडियो को करते वक्त जब मैं जंगल में गयी, तो वहां की ताज़ी हवा, आकर्षक हरियाली, पर्वत, जलाशय आदि को देखकर मैंने प्रकृति के इस क्रिएशन को धन्यवाद दिया. इसके अलावा मेरे अंदर एक शक्ति है, जो किसी भी समस्या का हल निकाल सकती है, क्योंकि जंगल नष्ट कर दिए जाने पर भी प्रकृति उसे बार-बार सहेजती है.

 

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15 साल के इस कैरियर में विद्या ने फिल्म ‘परिणीता’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’, ‘द डर्टी पिक्चर’ ‘कहानी’ आदि कई फिल्मों से अभिनय कीलोहा मनवा चुकी है. फिल्म‘लगे रहो मुन्ना भाई’विद्या कैरियर की टर्निंग पॉइंट थी, जिसके बाद से उसे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा.उसने बेहतरीन परफोर्मेंस के लिए कई अवार्ड जीते.साल 2014 में उसे पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. विद्या ने फिल्म ‘मिशन मंगल’ और ‘शकुंतला’ जैसी महिला प्रधान फिल्में की है, इसकी वजह के बारें में वह कहती है किमैं महिला प्रधान फिल्म सोचकर नहीं करती. मैं उन कहानियों को चुनती हूं, जो सबको कही जाय और सब पसंद करें, ऐसे में अगर महिला प्रधान फिल्म हो तो मुझे कोई समस्या नहीं और जिस फिल्म में मेरी भूमिका मेरे लायक हो, उसे मैं चुनती हूं. हर चरित्र कुछ न कुछ सिखाती है. मैंने इस फिल्म से भी बहुत कुछ सीखा है. ऐसी फिल्में आपको अंदर से पूरा करती है. इसके अलावा एक अच्छी स्टोरी ही एक सफल फिल्म दे सकती है.

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Anupamaa की ‘काव्या’ ने औफस्क्रीन ससुर Mithun Chakraborty को Birthday किया Wish

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) की काव्या यानी मदालसा शर्मा आए दिन अपनी नई वीडियो और फोटोज के कारण सुर्खियों में रहती हैं. वहीं उनकी पर्सनल लाइफ भी फैंस के बीच चर्चा का कारण रहती हैं. इसी बीच काव्या यानी मदालसा शर्मा (Madalsa Sharma) ने अपने औफस्क्रीन ससुर यानी बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को बर्थडे विश किया है, जिसकी फोटो सोशलमीडिया पर छा गई हैं.

ससुर जी को किया विश

लंबे समय तक दोस्त रहने के बाद 2018 में एक्टर मिथुन चक्रवर्ती के बेटे मिमोह चक्रवर्ती से मदालसा शर्मा ने शादी की थी. वहीं मदालसा शर्मा ने दिग्गज अभिनेता मिथुन को उनके बर्थडे पर एक खास फोटो शेयर करके विश किया है. दरअसल,  एक्टर और पूर्व राज्यसभा सदस्य मिथुन चक्रवर्ती 71 साल के हो गए हैं, जिसके चलते मदालसा शर्मा ने उनकी जवानी की एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘Happy Birthday!!!! हम आपसे बहुत प्यार करते हैं.’

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फैमिली संग वक्त बिताती हैं मदालसा

मदालसा शर्मा और उनके ससुर के बीच क्यूट बॉन्ड है. इतना ही नहीं मदालसा शर्मा उनका बहुत सम्मान करती है. मदालसा अपने सास और ससुर के साथ कई बार वेकेशन पर भी जाती हैं, जिसकी फोटोज वह सोशलमीडिया पर फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं.

अनुपमा के चलते बटोर रही हैं सुर्खियां

मदालसा शर्मा के सीरियल अनुपमा की बात करें तो इन दिनों वनराज से शादी करने के बाद काव्या को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अब तक आपने देखा है कि काव्या नाइटी पहनकर बा और बापूजी के सामने आ जाती हैं, जिसके बाद अनुपमा उसे समझाने की कोशिश करती हैं. वहीं अपकमिंग एपिसोड में काव्या किचन का काम ना करने के कारण नौकर रखने की बात करती है. इस बीच अनुपमा उसे कहेगी कि जितना घर संभालना मुश्किल है उतना ही नौकर संभालना, जिसका जवाब  देते हुए कहेगी कि वह दिमाग वाली है वह सब संभाल लेगी.

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Summer Special: नेचर का लेना है मजा, तो केरल है बेस्ट औप्शन

गरमी की हों या सर्दी की, केरल भारत के बेस्ट पर्यटन स्थलों में से एक है. कतार में उगे नारियल के पेड़, बैकवाटर और नेचुरल खूबसूरती से सराबोर केरल की हरीभरी भूमि को रोमांटिक पर्यटन स्थल का दर्जा देता है. परिवार के साथ छुट्टियां बिताने के लिए केरल सब से अच्छा औप्शन है. यदि आप नेचर लवर हैं तो केरल में आप को नेचुरल खूबसूरती के साथ नेचर से जुड़े रोचक बातें जानने व देखने को मिल जाएंगे.

टीक म्यूजियम

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केरल में घूमने की जगहों में पौपुलर है निलांबुर का टीक म्यूजियम. इस म्यूजियम में 80 से 100 फुट लंबे सागौन के पेड़ों से जुडी विस्तृत जानकारी और उस के ऐतिहासिक तथ्य मौजूद हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस म्यूजियम को दुनियाभर में एक अलग तरह का म्यूजियम होने का दर्जा मिला है. केरल वन अनुसंधान संस्थान परिवार में 1995 में निर्मित यह म्यूजियम 2 मंजिली इमारत में है.

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निलांबुर में इस तरह का म्यूजियम होने की कुछ ऐतिहासिक वजहें भी हैं. दरअसल, निलांबुर वह जगह है जहां दुनियाभर में सबसे पहले सागौन के पेड़ लगाए गए थे. 1840 में ब्रिटिश शासनकाल में निलांबुर में सागौन के पेड़ों का रोपण कर उसकी लकड़ी को इंग्लैंड भेजा जाता था.

ऐसी ही कुछ और रोचक जानकारियों से भरा यह म्यूजियम सालभर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.

रोचक जानकारियों से भरा म्यूजियम सालभर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित

म्यूजियम की रोचकता उसके एंट्री गेट से ही पता चल जाती है जहां 55 साल पुराने सागौन के पेड़ की जटिल जड़ प्रणाली के शानदार दृश्य मौजूद है. म्यूजियम के निचले तल में संरक्षित कन्नीमारा सागौन की ट्रांसलाइट, जो कि परम्बिकुलम वाइल्ड लाइफ सैंचुरी में पाया गया सबसे पुराना सागौन का पेड़ है, इसके साथ ही, यहां 160 साल पुराना कोन्नोल्ली के प्लांट से लाया गया बहुत बड़ा सागौन वृक्ष भी है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

उरु नाम के प्राचीन समुद्री पोत का लकड़ी से बना मौडल और विभिन्न आकारों में सागौन की लकड़ी से बने खंभे भी निचले तल में देखने को मिलते हैं. यहां सबसे दिलचस्प नजारा नागरामपारा से लाए गए 480 वर्ष पुराने सागौन के पेड़ का है.

वैसे, सागौन के पेड़ के अलावा इस म्यूजियम का दूसरा सब से रोचक हिस्सा यहां मौजूद 300 तरह की अलग-अलग तितलियों और विभिन्न प्रकार के छोटे जानवरों का संग्रह है. इसके साथ ही, सागौन के पेड़ों की कटाई को दर्शाती पेंटिंग्स, खेती में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक औजार और तस्वीरें म्यूजियम की रोचकता को और भी बढ़ा देती हैं.

और भी हैं ठिकाने…

टीक म्यूजियम देखने के बाद निलांबुर में पर्यटकों के लिए और भी कई ठिकाने हैं, जहां घूम कर नेचुरल खूबसूरती का आनंद उठाया जा सकता है. नीलांबुर के पास ही स्थित नेदुनायकम, अपने वनों, हाथियों और लकड़ी से बने रेस्टहाउस के लिए बहुत प्रसिद्ध है.

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यदि आप निलांबुर से कुछ यादें समेट कर ले जाना चाहते हैं तो कुछ ही दूरी पर मौजूद छोटे से गांव अरुवेकोड जा कर कुछ खरीदारी कर सकते हैं. यह स्थान अपने पौपुलर मिट्टी के बरतनों के लिए जाना जाता है. पर्यटक अपने लिए और अपने रिश्तेदारों के लिए यहां से समान खरीदते हैं.

ठहरने की है अच्छी व्यवस्था…

नीलांबुर में यात्रियों के ठहरने की अच्छी व्यवस्था है. यहां होटलों और रिजौर्ट की सुविधा के साथ ही स्थानीय लोगों ने अपने ही घरों में भी किराए पर कमरे देने की व्यवस्था कर रखी है. यह सुविधा सस्ती होने के साथ ही आप को खूबसूरत नेचुरल दृश्य देखने का भी मौका देती है. नीलांबुर के रैस्तरां में टेस्टी और पारंपरिक मालाबारी खाने का जायका भी आपको इस जगह की बार-बार याद दिलाएगा.

तो फिर देर मत करिए, घूमने की प्लानिंग कर लीजिए.

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Health tips: तनाव दूर करने के 5 आसान टिप्स

आप वास्तव में स्वस्थ रहना चाहती हैं, तो शरीर के साथसाथ दिमाग को भी स्वस्थ रखें. कई दफा बीमारियां और शारीरिक पीड़ाएं मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक पहलू से भी जुड़ी होती हैं, जिन पर आमतौर पर हम ध्यान नहीं देते. उदाहरण के लिए फाइब्रोसाइटिस को ही ले लें. यह ऐसी स्थिति है जिस से मांसपेशियों में दर्द, नींद और मूड से संबंधित समस्याएं हो सकती है. यह समस्या पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाओं में दिखती है और यह ताउम्र भी रह सकती हैं. इस की कई वजहें हो सकती हैं जैसे आर्थ्राइटिस, संक्रमण या फिर व्यायाम की कमी. ऐसे में जरूरी है कि शरीर के साथसाथ मानसिक सेहत का भी खयाल रखा जाए.

स्वास्थ्य पर असर

मानसिक बीमारियों की शुरुआत डिप्रैशन से होती है. एक व्यक्ति जब किसी बात को ले कर थोड़े समय के लिए उदास होता है, तो उस के खतरनाक नतीजे नहीं होते. मगर जब उदासी लंबे समय तक बनी रहे तो यह डिप्रैशन में बदल जाती है और व्यक्ति हमेशा उदास, परेशान, तनहा रहने लगता है, नकारात्मक बातें करता है और दूसरों से मिलने से कतराता है. इस का असर उस के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है.

दिल्ली जैसे महानगरों में लोग डिप्रैशन के साथसाथ टैंशन के भी शिकार हो रहे हैं. एक तरफ अधिक से अधिक रुपए कमाने की जरूरत तो दूसरी ओर रिश्तों में बढ़ रहा तनाव और एकाकी जीवन लोगों में टैंशन यानी तनाव बढ़ा रहा है.

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वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 35% से ज्यादा लोग ऐक्सरसाइज करने में आलस करते हैं. शारीरिक रूप से कम सक्रियता व्यक्ति के लिए दिल की बीमारियों, कैंसर, डायबिटीज और हड्डियों के रोगों के साथसाथ मानसिक रोगों का भी खतरा बढ़ाती है.

इन बातों का रखें खयाल

व्यायाम करें: व्यायाम करने से ऐंडोर्फिन हारमोन का संचार बढ़ता है. यह एक ऐसा हारमोन है जो दर्द और तनाव से लड़ता है और अच्छी नींद लाने में सहायक होता है. रोज स्ट्रैचिंग, वाकिंग, स्विमिंग, डांसिंग जैसे व्यायाम मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं.

सामाजिक बनें: अध्ययनों के मुताबिक जिन लोगों को सामाजिक सहयोग मिलता है वे तनाव, डिप्रैशन और दूसरे मानसिक रोगों से दूर रहते हैं. फिर अपनी समस्याओं को दूसरों से डिस्कस करने पर नए रास्ते भी मिलते हैं और तनाव भी घटता है.

पसंदीदा काम करें: अकसर लोग अपनी हौबी के लिए समय नहीं निकाल पाते, जो ठीक नहीं है. अपनी हौबी को अपनाएं. इस से जीवन के प्रति उत्साह बढ़ता है और सोच सकारात्मक होती है. अपने अंदर की रचनात्मकता को बाहर लाएं. यह कोई भी काम जैसे लेखन, बागबानी, कौमेडी, कुकिंग आदि कुछ भी हो सकता है.

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किसी के लिए कुछ कर के देखें: अपने लिए तो हम सभी जीते हैं, मगर कभीकभी दूसरों के लिए भी कुछ कर पाने की खुशी मन से मजबूत बनाती है. किसी की मदद करना, किसी अजनबी को कुछ देना या फिर अपनों के काम आना जैसे कार्य आप को आनंद से भर देंगे. यानी लोगों की तारीफ करें और उन्हें खुशी दें.

दूसरों की परवाह न करें: लोग क्या सोचेंगे, क्या कहेंगे जैसी बातें अकसर हमारे दिमाग के संतुलन को बिगाड़ देती हैं. इसलिए दूसरों की परवाह किए बगैर वह करें जो आप को सही लगे.

दूरी- भाग 2 : समाज और परस्थितियों से क्यों अनजान थी वह

लेखक- भावना सक्सेना

वह समझ नहीं पाती थी कि मां उस से इतनी नफरत क्यों करती है. वह जो भी करती है, मां के सामने गलत क्यों हो जाता है. उस ने तो सोचा था मां को आश्चर्यचकित करेगी. दरअसल, उस के स्कूल में दौड़ प्रतियोगिता हुई थी और वह प्रथम आई थी. अगले दिन एक जलसे में प्रमाणपत्र और मैडल मिलने वाले थे. बड़ी मुश्किल से यह बात अपने तक रखी थी.

सोचा था कि प्रमाणपत्र और मैडल ला कर मां के हाथों में रखेगी तो मां बहुत खुश हो जाएगी. उसे सीने से लगा लेगी. लेकिन ऐसा हो न पाया था. मां की पड़ोस की सहेली नीरा आंटी की बेटी ऋतु उसी की कक्षा में पढ़ती थी. वह भूल गई थी कि उस रोज वीरवार था. हर वीरवार को उन की कालोनी के बाहर वीर बाजार लगता था और मां नीरा आंटी के साथ वीर बाजार जाया करती थीं.

शाम को जब मां नीरा आंटी को बुलाने उन के घर गई तो ऋतु ने उन्हें सब बता दिया था. मां तमतमाई हुई वापस आई थीं और आते ही उस के चेहरे पर एक तमाचा रसीद किया था, ‘अब हमें तुम्हारी बातें बाहर से पता चलेंगी?’

‘मां, मैं कल बताने वाली थी मैडल ला कर.’

‘क्यों, आज क्यों नहीं बताया, जाने क्याक्या छिपा कर रखती है,’ बड़ी हिकारत से मां ने कहा था.

वह अपनी बात तो मां को न समझा सकी थी लेकिन 13 बरस के किशोर मन में एक प्रश्न बारबार उठ रहा था- मां मेरे प्रथम आने पर खुश क्यों नहीं हुई, क्या सरप्राइज देना कोई बुरी बात है? छोटा रवि तो सांत्वना पुरस्कार लाया था तब भी मां ने उसे बहुत प्यार किया था. फिर अगले दिन तो मैडल ला कर भी उस ने कुछ नहीं कहा था. और कल तो हद ही हो गई थी.

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स्कूल में रसायन विज्ञान की कक्षा में छात्रछात्राएं प्रैक्टिकल पूरा नहीं कर सके थे तो अध्यापिका ने कहा था, ‘अपनाअपना लवण (सौल्ट) संभाल कर रख लेना, कल यही प्रयोग दोबारा दोहराएंगे.’ सफेद पाउडर की वह पुडि़या बस्ते के आगे की जेब में संभाल कर रख ली थी उस ने. कल फिर अलगअलग द्रव्यों में मिला कर प्रतिक्रिया के अनुसार उस लवण का नाम खोजना था और विभिन्न द्रव्यों के साथ उस की प्रतिक्रिया को विस्तार से लिखना था. विज्ञान के ये प्रयोग उसे बड़े रोचक लगते थे.

स्कूल में वापस पहुंच कर, खाना खा कर, होमवर्क किया था और रोजाना की तरह, ऋतु के बुलाने पर दीदी के साथ शाम को पार्क की सैर करने चली गई थी. वापस लौटी तो मां क्रोध से तमतमाई उस के बस्ते के पास खड़ी थी. दोनों छोटे भाई उसे अजीब से देख रहे थे. मां को देख कर और मां के हाथ में लवण की पुडि़या देख कर वह जड़ हो गई थी, और उस के शब्द सुन कर पत्थर- ‘यह जहर कहां से लाई हो? खा कर हम सब को जेल भेजना चाहती हो?’ ‘मां, वह…वह कैमिस्ट्री प्रैक्टिकल का सौल्ट है.’ वह नहीं समझ पाई कि मां को क्यों लगा कि वह जहर है, और है भी तो वह उसे क्यों खाएगी. उस ने कभी मरने की सोची न थी. उसे समझ न आया कि सच के अलावा और क्या कहे जिस से मां को उस पर विश्वास हो जाए. ‘मां…’ उस ने कुछ कहना चाहा था लेकिन मां चिल्लाए जा रही थी, ‘घर पर क्यों लाई हो?’ मां की फुफकार के आगे उस की बोलती फिर बंद हो गई थी.

वह फिर नहीं समझा सकी थी, वह कभी भी अपना पक्ष सामने नहीं रख पाती. मां उस की बात सुनती क्यों नहीं, फिर एक प्रश्न परेशान करने लगा था- मां उस के बस्ते की तलाशी क्यों ले रही थी, क्या रोज ऐसा करती हैं. उसे लगा छोटे भाइयों के आगे उसे निर्वस्त्र कर दिया गया हो. मां उस पर बिलकुल विश्वास नहीं करती. वह बचपन से नानी के घर रही, तो उस की क्या गलती है, अपने मन से तो नहीं गई थी.

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13 बरस की होने पर उसे यह तो समझ आता है कि घरेलू परिस्थितियों के कारण मां का नौकरी करना जरूरी रहा होगा लेकिन वह यह नहीं समझ पाती कि 4 भाईबहनों में से नानी के घर में सिर्फ उसे भेजना ही जरूरी क्यों हो गया था. जिस तरह मां ने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान किया, वह उस पर गर्व करती है.

पुराने स्कूल में वह सब को बड़े गर्व से बताती थी कि उस की मां एक कामकाजी महिला है. लेकिन सिर्फ उस की बारी में उसे अलग करना नौकरी की कौन सी जरूरत थी, वह नहीं समझ पाती थी और यदि उस के लालनपालन का इतना बड़ा प्रश्न था तो मां इतनी जल्दी एक और बेबी क्यों लाई थी और लाई भी तो उसे भी नानी के पास क्यों नहीं छोड़ा. काश, मां उसे अपने साथ ले जाती और बेबी को नानी के पास छोड़ जाती. शायद नानी का कहना सही था, बेबी तो लड़का था, मां उसे ही अपने पास रखेगी, भोला मन नहीं जान पाता था कि लड़का होने में क्या खास बात है.

वह चाहती थी नानी कहें कि इसे ले जा, अब यह अपना सब काम कर लेती है, बेबी को यहां छोड़ दे, पर न नानी ने कहा और न मां ने सोचा. छोटा बेबी मां के पास रहा और वह नानी के पास जब तक कि नानी के गांव में आगे की पढ़ाई का साधन न रहा. पिता हमेशा से उसे अच्छे स्कूल में भेजना चाहते थे और भेजा भी था.

वह 5 बरस की थी, जब पापा ने उसे दिल्ली लाने की बात कही थी. किंतु नानानानी का कहना था कि वह उन के घर की रौनक है, उस के बिना उन का दिल न लगेगा. मामामामी भी उसे बहुत लाड़ करते थे. मामी के तब तक कोई संतान न थी. उन के विवाह को कई वर्ष हो गए थे. मामी की ममता का वास्ता दे कर नानी ने उसे वहीं रोक लिया था. पापा उसे वहां नए खुले कौन्वैंट स्कूल में दाखिल करा आए थे. उसे कोई तकलीफ न थी. लाड़प्यार की तो इफरात थी. उसे किसी चीज के लिए मुंह खोलना न पड़ता था. लेकिन फिर भी वह दिन पर दिन संजीदा होती जा रही थी. एक अजीब सा खिंचाव मां और मामी के बीच अनुभव करती थी.

ज्योंज्यों बड़ी हो रही थी, मां से दूर होती जा रही थी. मां के आने या उस के दिल्ली जाने पर भी वह अपने दूसरे भाईबहनों के समान मां की गोद में सिर नहीं रख पाती थी, हठ नहीं कर पाती थी. मां तक हर राह नानी से गुजर कर जाती थी. गरमी की छुट्टियों में मांपापा उसे दिल्ली आने को कहते थे. वह नानी से साथ चलने की जिद करती. नानी कुछ दिन रह कर लौट आती और फिर सबकुछ असहज हो जाता. उस ने ‘दो कलियां’ फिल्म देखी थी. उस का गीत, ‘मैं ने मां को देखा है, मां का प्यार नहीं देखा…’ उस के जेहन में गूंजता रहता था. नानी के जाने के बाद वह बालकनी के कोने में खड़ी हो कर गुनगुनाती, ‘चाहे मेरी जान जाए चाहे मेरा दिल जाए नानी मुझे मिल जाए.’

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…न जाने कब आंख लग गई थी, भोर की किरण फूटते ही पूनम ने उसे जगा दिया था. शायद, अजनबी से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाना चाहती थी. ब्रैड को तवे पर सेंक, उस पर मक्खन लगा कर चाय के साथ परोस दिया था और 4 स्लाइस ब्रैड साथ ले जाने के लिए ब्रैड के कागज में लपेट कर, उसे पकड़ा दिए थे. ‘‘न जाने कब घर पहुंचेगी, रास्ते में खा लेना.’’ पूनम ने एक छोटा सा थैला और पानी की बोतल भी उस के लिए सहेज दी थी. उस की कृतज्ञतापूर्ण दृष्टि नम हो आई थी, अजनबी कितने दयालु हो जाते हैं और अपने कितने निष्ठुर.

जागते हुए कसबे में सड़क बुहारने की आवाजों और दिन की तैयारी के छिटपुट संकेतों के बीच एक रिकशा फिर उन्हें बसअड्डे तक ले आया था. उस अजनबी, जिस का वह अभी तक नाम भी नहीं जानती थी, ने मथुरा की टिकट ले, उसे बस में बिठा दिया था. कृतज्ञ व नम आंखों से उसे देखती वह बोली थी, ‘‘शुक्रिया, क्या आप का नाम जान सकती हूं?’’ मुसकान के साथ उत्तर मिला था, ‘‘भाई ही कह लो.’’

‘‘आप के पैसे?’’

‘‘लौटाने की जरूरत नहीं है, कभी किसी की मदद कर देना.’’

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मेरे चेहरे की स्किन बहुत पतली हो गई है और उस पर बारीक रेखाएं भी दिखाई देती हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. मैं 5 सालों से लगातार तरहतरह का मेकअप कर रही हूं. मेरे चेहरे की त्वचा बहुत पतली हो गई है और उस पर बारीक रेखाएं भी दिखाई देती हैं. अब तो पिंपल्स की परेशानी भी हो गई है. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं जिस से मेरी त्वचा स्वस्थ व ग्लोइंग दिखे?

जवाब-

मेकअप करने में कोई खराबी नहीं है, लेकिन जब मेकअप को क्लीन नहीं किया जाता तब दिक्कत आती है. इसलिए रोज रात को सोने से पहले अपनी स्किन की क्लींजिंग, टोनिंग कर के उसे मौइस्चराइज करें.

महीन लाइंस के लिए पार्लर में जा कर एएचए क्रीम का रैग्युलर यूज करें. इस से स्किन में कलोजन बनना शुरू हो जाएगा और महीन लाइंस ठीक हो जाएंगी. स्किन को ग्रो और  ग्लो करने के लिए भोजन में प्रोटीन अधिक मात्रा में लें.

ऐसा करने पर धीरेधीरे आप की त्वचा स्वस्थ हो जाएगी. आप को चेहरे पर जो दाने हो रहे हैं उन के लिए आप अपने मेकअप का ब्रैंड बदल लें.

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महिलाओं को अगर अपनी त्वचा की केयर करनी है तो सबसे बेस्‍ट तरीका है कि आप सोने से पहले अपने चेहरे से मेकअप निकालकर सोएं. इसलिए स्किन केयर में मेकअप रिमूवल को बहुत जरूरी समझा जाता है. आज हम आपको ऐसे घरेलू मेकअप रिमूवल के बारे में बताएंगें जो आपकी स्किन को नुकसान पहुंचाए बिना चेहरे से मेकअप हटाएंगें. परीक्षण किए गए ये मेकअप रिमूवल जिद्दी से जिद्दी मेकअप को भी आपकी स्किन से हटा देंगें. मस्कारा हो, आईलाइनर हो या फिर ग्लॉसी लिपस्टिक हो, इन प्राकृतिक मेकअप रिमूवल से आपको जरूर ही फायदा होगा.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जिद्दी मेकअप के लिए घरेलू मेकअप रिमूवर्स

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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Fashion Tips: अब साड़ी ही नहीं टॉप भी है ब्लाउज

आमतौर पर ब्लाउज को साड़ी के साथ ही पहना जाता है परन्तु आजकल इंडो वेस्टर्न स्टाइल फैशन में है जिसमें विभिन्न ब्लाउज को साड़ी के साथ साथ स्कर्ट, जीन्स, मिडी, प्लाजो आदि के साथ टॉप की तरह भी पहना जा रहा है जिससे ये किसी भी पर्सनेलिटी को एक अलग लुक प्रदान करते हैं. आजकल कौन कौन से ब्लाउज फैशन में हैं जिन्हें आप टॉप की तरह भी कैरी कर सकतीं हैं आइए जानते हैं-

-केडिया ब्लाउज

सामने की ओर से दाएं और बाएं पोर्शन को एक दूसरे पर ओवरलैप किया हुआ, वी शेप वाला गुजराती केडिया ब्लाउज इन दिनों काफी ट्रेंड में है. प्योर गुजराती स्टाइल में तो इस पर सामने की ओर अच्छी खासी मिरर वर्क की कढ़ाई होती है. पर आजकल प्रिंट और लेस में भी बाजार में उपलब्ध है जो कढ़ाई वाले की अपेक्षा कम रेंज में होता है. ऑफिस मीटिंग, सेमिनार आदि में ट्राउजर के साथ तो बर्थ डे पार्टी अथवा फैमिली गेट टू गेदर में धोती पेंट के साथ आप इसे कैरी कर सकतीं हैं.

-क्रॉप टॉप

हल्के फेब्रिक में बना होने के कारण इसे गर्मियों के मौसम में डेली ड्रेस के रूप में पहना जाता है. यह हर उम्र और हर साइज की महिलाओं पर अच्छा लगता है.लो वेस्ट ड्रेस की शौकीन महिलाओं के लिए यह बहुत अच्छा विकल्प है. जीन्स और मिनी स्कर्ट्स पर यह खूब फबता है.

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-नॉटेड टॉप

फ्रेंड्स और फैमिली के साथ फन, मस्ती, या  पिकनिक पर आप इसे पहनें बहुत जंचेगा. यह टॉप बॉडी को शेप देता है, इसकी नॉट को आप अपनी इच्छानुसार ऊपर या नीचे बांध सकतीं हैं. हाई वेस्ट जीन्स, जॉगर्स, अथवा पोल्का डॉट्स की किसी भी ड्रेस के साथ यह बहुत अच्छा लगता है.

-पूसी-बो ब्लाउज

पूसी बो ब्लाउज को सर्वप्रथम मार्गरेट थैचर ने पहना और तब से ही यह फैशन में आया. 18 से लेकर 50 वर्ष की उम्र की हर महिला पर यह अच्छा लगता है. इसे आप जीन्स, मिडी और स्कर्ट के साथ आसानी से कैरी कर सकतीं हैं. अवसर के अनुकूल इसे सिल्क, कॉटन, ब्रोकेड या सॉटन किसी भी फेब्रिक में बनाया जा सकता है.

-चोकर स्टाइल टॉप

भांति भांति की डिजाइन के चोकर इस समय ट्रेंड में हैं. चोकर स्टाइल टॉप में ब्लाउज के फेब्रिक से ही नेक के लिए चोकर बना दिया जाता है. इस प्रकार के ब्लाउज को पहनने के बाद गले में किसी भी एसेसरीज की आवश्यकता नहीं होती. ऑफिस या कैजुअली आप इसे यूँ ही पहन सकतीं हैं परन्तु किसी विशेष अवसर पर कानों में हैवी इयरिंग्स के साथ पहनें.

जूम मीटिंग के दौरान क्या पहनें

कोरोना के आगमन के बाद से प्राइवेट और सरकारी दोनों क्षेत्रों में आफिस कल्चर का स्थान वर्क फ्रॉम होम ने ले लिया है. आजकल अधिकांश कार्य घर से ही किये जा रहे हैं ऐसे में आप का कायदे से ड्रेस अप होना बहुत मायने रखता है. जूम मीटिंग के दौरान आप पूसी बो, केडिया और चोकर जैसे ब्लाउज का इस्तेमाल कर सकतीं हैं परन्तु यह ध्यान रखें कि उनके रंग बहुत अधिक चटक और आंखों को चुभने वाले न हों.

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रखें कुछ बातों का ध्यान

-जो भी ड्रेस आप चुनें पर ध्यान रखें कि उसमें आपका व्यक्तित्व निखर कर आये.

-अपनी बॉडी शेप के अनुसार ब्लाउज का चयन करें ताकि वह आप पर भद्दा न लगे.

-पतले फेब्रिक का ब्लाउज बनवाते समय मोटे फेब्रिक के अस्तर का प्रयोग करें.

-ब्रोकेड, जरी, सिल्क और सॉटन के ब्लाउज सिलवाते समय पेड्स का प्रयोग करें ये आपकी ब्रेस्ट को सही शेप प्रदान करेंगे.

-स्लीवलेस ब्लाउज पहनते समय अपनी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें.

-हैवी कढ़ाई या सिल्क, ब्रोकेड आदि के ब्लाउज को प्रयोग करने के बाद डॉय क्लीन कराकर रखें ताकि उनमें कीड़े लगने की संभावना न रहे.

-चूंकि ट्रेंडी ब्लाउज काफी महंगे आते हैं इसलिए इन्हें हमेशा सोचविचार कर खरीदें ताकि ये आपकी कई ड्रेसेज पर काम आ सकें.

‘बुसान फिल्म फेस्टिवल’ के बाद अब न्यूयार्क फिल्म फेस्टिवल में आशापूर्णा देवी की ‘नजरबंद’ का हुआ प्रदर्शन

4 से 13 जून तक अमरीका के न्यूयार्क शहर में संपन्न ‘‘न्यूयार्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल’’में मशहूर फिल्मकार सुमन मुखेपाध्याय निर्देशित फिल्म‘‘नजरबंद’’का यूएस प्रीमियर संपन्न हुआ. ज्ञातब्य है कि इससे पहले फिल्म‘‘नजरबंद’’का विश्व प्रीमियर ‘‘25 वें बुसान अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’’में हो चुका है. आशापूर्णा देवी की लघु कहानी ‘‘चुटी नकोच’’ पर आधारित इस फिल्म में तन्मय धनानिया और इंदिरा तिवारी ने मुख्य भूमिका निभायी है.

सुमन मुखोपाध्याय ने इस फिल्म के निर्माण व शूटिंग के लिए एक अपरंपरागत दृष्टिकोण अपनाया. आशापूर्णा देवी ने इस लघु कहानी को दशको पहले लिखा था, पर फिल्मकार सुमन मुखोपाध्याय ने इसे समसामायिक बनाकर चित्रित किया है.  कोलकाता में दो ‘बाहरी लोगों‘ की कहानी ‘नजरबंद’वास्तव में समाज में हाशिए पर मौजूद वर्गों पर एक दिलचस्प दृश्य प्रस्तुत करती है.

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मशहूर बंगला फिल्मकार व रंगकर्मी के लिए यह पहला मौका नही है?जब उनकी फिल्म अंतरराष्ट्ीय फिल्म समारोहों में ेधूम मचा रही हो. खुद सुमन मुखोपाधय कहते हैं-‘‘इस फिल्म को लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाया जाएगा.  एनवाईआईएफएफ एक आभासी फिल्म समारोह है, लेकिन एलआईएफएफ जून के मध्य में ब्रिटिश फिल्म संस्थान में और बर्मिंघम में भी एक भौतिक संस्करण आयोजित करने जा रहा है. दोनों स्थान विज्ञान और कला के लिए प्रमुख स्थल हैं और मैं वहां स्क्रीनिंग के लिए बहुत खुश हूं. मैं चैथी बार एनवाईआईएफएफ में भाग लूंगा. फिल्मोउत्सव में ‘चतुरंगा’ (2008),  ‘महानगर एट कोलकाता’ (2010) और ‘शेषर कोबिता’ (2015) का भी प्रदर्शन हुआ था. ’’

सुमन मुखोपाध्याय बंगला  भाषा की फिल्में व नाटक बनाते रहे हैं. लेकिन उन्होने ‘पोशम पा’को हिंदी भाषा में बनाया था. अब उन्होने आशापूर्णा देवकी की कहानी पर आधारित इस फिल्म को भी हिंदी भाषा में ही बनाया है. वह कहते हैं-‘‘मैंने शुरू से ही गैर-बंगाली आप्रवासियों के रूप में पात्रों की कल्पना की और उन्हें हाशिए पर रहने वाले लोगों के रूप में उजागर करना चाहता था. साथ ही,  इन दिनों ‘बाहरी लोगों‘ का विचार बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य की हवा में है.  विचार सिर्फ भाषा के लिए हिंदी फिल्म बनाने का नहीं था, बल्कि मैंने हिंदी में फिल्म बनाने की कल्पना की थी. ’’

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कारोबार का हिस्सा बन गई हैं Celebrities को लेकर अफवाहें

– लेडी डाॅक्टर की क्लीनिक से बाहर स्पाॅट हुई मलाईका अरोड़ा, साथ में थे अर्जुन कपूर. शादी के पहले ही खुशखबरी की तैयारी.

– भाजपा के बंगाल में बुरी तरह से हारने के बाद, मिथुन चक्रवती जा रहे हैं ममता बनर्जी के खेमे में.

– भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार का निधन. कोरोना से संक्रमित होने पर सांस लेने में हो रही थी तकलीफ.

सोशल मीडिया में वायरल हुईं इन तीन सुर्खियों में आखिर क्या समानता है? बस यही कि ये तीनों अफवाहें हैं, हकीकत नहीं. जी हां, 7 जून 2021 को सायरा बानो को 24 घंटे के अंदर दूसरी बार ट्वीट करके बताना पड़ा कि उनके पति यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार की तबीयत स्थिर है, डाॅक्टरों का कहना है एक-दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जायेगी. लेकिन फेसबुक से लेकर ट्वीटर और यूट्यूब में तो दिलीप कुमार को श्रद्धांजलियां देने की होड़ लगी थी. यहां तक कि लोगों ने तो कंधों में जाती हुई उस अर्थी का फोटो भी डाला था, जिसे दिलीप कुमार की बतायी जा रही थी.

ये सचमुच बेशर्मी की हद है. पिछले चार पांच सालों मं दर्जनों बार रह रहकर इस तरह की अफवाहें दिलीप कुमार की मौत को लेकर उड़ चुकी हैं. दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो कहती हैं, ‘अब तो साहब की मौत को लेकर अफवाह एक रूटीन का हिस्सा बन गई है.’ हर बार इस तरह की अफवाह के बाद सायरा बानो को दिलीप कुमार के पर्सनल ट्वीटर हैंडल से इसका खंडन करना पड़ता है. लेकिन इन खंडनों के बाद आजतक एक भी अफवाह वीर सामने आकर शर्मिंदा होने और माफी मांगने की हिम्मत नहीं कर सका. बार बार दिलीप कुमार की मौत की अफवाह उड़ाने वालों में इतनी गैरत नहीं है कि वो कभी सामने आकर कहें कि उनसे गलती हो गई. जरा कल्पना करिये एक ऐसे वक्त में जब हर तरफ कोरोना महामारी का तांडव व्याप्त हो, हर कोई दहशत मंे हो, उस समय एक ऐसे व्यक्ति के मरने की अफवाह जो पहले ही 99 साल का हो और सालों से बिस्तर में हों कितनी बड़ी अमानवीयता है. क्योंकि दिलीप कुमार की सेहत जिस मोड़ पर है, उसमें वह कभी भी इस त्रासदी का शिकार तो हो ही सकते हैं, लेकिन बार बार जिस तरह उनकी मौत के अफवाह उड़ायी जा रही है, उससे जिस दिन वह वाकई नहीं रहेंगे, उनके चाहने वालों को काफी समय तक इसका यकीन ही नहीं होगा.

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लेकिन अफवाह उड़ाने वालों को इससे क्या फर्क पड़ता है? वे न तो अपनी इन हरकतों पर कभी शर्माते हैं और न ही इन हरकतों से तौबा ही करते हैं. …और वे ऐसा किसी कमअक्ली या बेवकूफी के कारण नहीं करते, वे बार बार ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि इससे उनके कई उल्लू सीधे होते हैं. जी हां, इस लाइक और वाॅच आवर के दबाव वाले दौर में ये हरकतें महज मजा लेने की हरकतें भर नहीं है. इनके पीछे भरपूर मकसद है. वास्तव में आज की तारीख मंे अफवाहें भी कारोबार बन गई हैं. सोशल मीडिया ऐसी ही सनसनियों को भुनाने का कारोबार करता है. इसलिए ये अफवाहें नटखट हरकतें नहीं होतीं, इन्हें बकायदा सोच विचारकर उड़ाया जाता है, फैलाया जाता है. अफवाह उड़ाने वाले बहुत चालाक लोग हैं. वे जानते हैं हिंदुस्तान में लोग जिसे प्यार करते हैं, खास तौरपर अपने हीरों से वे उन्हें सामान्य नहीं मानते. खास मानते हैं. इसलिए वे उन्हें लेकर हमेशा एक्स्ट्रीम पर सोचते हैं. जो लोग दिलीप कुमार, धर्मेंद्र, मनोज कुमार या अमिताभ बच्चन की रह रहकर मौत की झूठी खबरें उड़ाते हैं, वे ऐसे लोग नहीं हैं, जो इन महान कलाकारों की मौत से कभी वाकई बहुत दुखी हों. सचमुच मंे जब इन कलाकारों की मौत होगी तो इन अफवाह उड़ाने वालों को इससे कतई सदमा नहीं लगेगा.

सच्चाई यह है कि अफवाहें उड़ाने वाले ये तीन किस्म के लोग होते हैं, एक वे जो मानसिक रोगी होते हैं. दूसरे वे जो जुगुप्स है और यह देखना चाहते हैं कि वाकई किसी बड़ी सेलिब्रिटी के न रहने पर लोग किस तरह दुखी होते हैं और तीसरे वे लोग हैं, जो बड़ी चालाकी से आम भारतीयों में सेलिब्रिटीज को लेकर मौजूद दीवानगी को अपने लाइक और वाॅच आवर के लिए भुनाना चाहते हैं यानी ये तीसरे लोग इन अफवाहों का कारोबार करते हैं. ये सचमुच खौफनाक है. क्योंकि ये अफवाहें उड़ाने वाले चाहते हैं कि उनकी इन अफवाहों के चक्रव्यूह में फंसकर सेलिब्रिटीज के फैन उनके कारोबारी दिमाग की सफलता बन जाए. ये चाहते हैं कि इनके द्वारा इन सेलिब्रिटीज के प्रस्तुत दुख को सैकड़ों लोग देखें, सुनें, लाइक करें और उनके व्यूवर और वाॅच टाइम को बढ़ाएं.

जो व्यक्ति वास्तव में इन सेलिब्रिटीज का सचमुच फैन होगा, वह उनके दुख, मौत या उनके साथ घटे किसी हादसे को सनसनी की चाश्नी में लपेटकर कारोबार नहीं करेगा. ऐसा तो वही लोग कर सकते हैं, जो किसी की मौत से दुखी नहीं होते, जिन्हें किसी पर टूटे दुखों के पहाड़ से कोई फर्क नहीं पड़ता. आज की तारीख में इनमें ज्यादातर कच्चे पक्के यूट्यूबर हैं. ये इन अफवाहों की भरपूर फसल काटना चाहते हैं. वास्तव में आज के दौर मंे अफवाहें चाहे बाॅलीवुड के सेलिब्रिटीज को लेकर की जाएं या किसी बड़े नेता के बारे में झूठी खबरें फैलायी जाएं, इन सबके पीछे कहीं न कहीं कमायी का लालच होता है. ऐसे लोग किसी सेलिब्रिटीज के फैन तो हो नहीं सकते, हत्यारे होते हैं. भले ये किसी जीते जी इंसान की हत्या न करते हों, लेकिन अपनी इस हरकत के जरिये ये इनकी छवि हत्या तो करते ही हैं.

दरअसल आज की तारीख में हर कोई मौके का फायदा उठाना चाहता है. चाहे इसके लिए उसे झूठी अफवाह ही क्यों न उड़ानी पड़े. जिन लोगों की सेलिब्रिटी वैल्यू है, चाहे जिस वजह से उन्हें अर्जित किया हो, ऐसे काईंया लोग इनकी सेलिब्रिटी को अपने कारोबार में भुनाना चाहते हैं. इस वजह से ये कभी किसी नजायज संबंध की अफवाह उड़ा देंगे, तो कभी मरने या कभी कोई ऐसी बात जो चैंकाने वाली होते हुए भी असली लगेगी, उसके जरिये लोगों का ध्यान खींच लेते हैं. कुछ साल पहले अमिताभ बच्चन की एक कार दुर्घटना मंे मौत की अफवाह उड़ायी गई. ये अफवाह उड़ाने वालों ने बकायदा एक जबरदस्त एक्सीडेंट की फोटो भी सोशल मीडिया मंे वायरल कर दी, जिसमें कार को चकनाचूर हुआ दिखाया गया. इस अफवाह को सुनकर अमिताभ के करोड़ों फैंस सोशल मीडिया में अमिताभ बच्चन को श्रंद्धाजलि अर्पित करने लगे थे. कुछ घंटों में ही कई लाख श्रंद्धाजलियां अर्पित कर दी गईं, तब तक अमिताभ खुद सार्वजनिक रूप से सामने आकर इसका खंडन किया था.

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इसी तरह पिछले दिनों इलियाना डिक्रूज के पहले प्रेग्नेट और फिर अर्बोेशन की अफवाह उड़ायी गई. इससे इलियाना इतने डिप्रेशन में चली गईं कि वो कई दिनों तक यही नहीं समझ पायी कि इसका विरोध कैसे करे? अंततः वे सोशल मीडिया में यह कहते हुए सामने आयीं कि अफवाह उड़ाने वालों के लिए अफसोस कि मैं जिंदा हूं. बाॅलीवुड मंे जिस किसी सेलिब्रिटी को बहुत ज्यादा अफवाहों का सामना करना पड़ा है, उनमें एक कटरीना कैफ भी हैं. उन्हें लेकर एक से एक रचनात्मक अफवाहें उड़ती रहती हैं. कोई कहता है कि वो पहले लड़का थीं, किसी ने यह अफवाह उड़ायी कि पहला उनका सरनेम टुरकुट्टे था और एक अफवाह ये भी कि कटरीना भारत में नकली पासपोर्ट के साथ छुपकर रह रही हैं. अब भला बताइये कटरीना किस किस का और कैसे जवाब दें. अजय देवगन और काजोल की जोड़ी तमाम लोगों बेमेल लगती है. इनमें किसी किस्म का झगड़ा नहीं होता. लेकिन पिछले साल अफवाहबाजों ने यहां तक खबर उड़ा दी कि काजोल ने अजय से तलाक ले लिया है और वह बच्चों के साथ अलग रह रही हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफवाहबाज क्या नहीं करते.

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