टीकाकरण और सावधानी के साथ सामान्य होता उत्तर प्रदेश -श्री नवनीत कुमार सहगल

अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ श्री नवनीत सहगल ने बताया कि कोविड नियंत्रण करने में मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में 3टी की विशेष रणनीति के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश मंे 340 कोविड के नये मामले आयें हैं, जबकि डेढ़ माह पूर्व 23 अप्रैल कोे 38,000 मामले थे.

‘3 टी’ की विशेष रणनीति में एक अभिनव प्रयोग करते हुए आंशिक कोरोना कफ्र्यू तथा टीकाकरण अभियान को जोड़ा गया है. इन पांच तत्वों का अभियान चलाकर कोविड संक्रमण को नियत्रित करने में सफलता मिली है.

उत्तर प्रदेश में संक्रमण अन्य प्रदेशों अपेक्षा कम हो रहे है. आंशिक कोरोना कफ्र्यू में जीवन और जीविका दोनों को बचाने के उद्देश्य से आंशिक कोरोना कफ्र्यू में औद्योगिक गतिविधियां, आर्थिक गतिविधियां, कृषि से संबंधित खाद, बीज, कृषि उपकरणों की मरम्मत, आवश्यक सामग्रियों से संबधित आवागमन तथा उनसे सम्बन्धित दुकाने भी खुली रखी गयी थी.

टीकाकरण की गति तेज :

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है. प्रदेश में 02 करोड़ 35 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज दी गयी है तथा 18 से 44 वर्ष के लगभग 50 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज दी गयी है. मुख्यमंत्री जी द्वारा इस माह 06 लाख से 09 लाख तथा अगले माह से 10 लाख प्रतिदिन टीकाकरण कराने के निर्देश दिए हैं.

अगले 02 महीनों में 07 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य है. 31 अगस्त तक 10 करोड़ टीकाकरण कराने हेतु प्रशिक्षण एवं आवश्यक व्यवस्थाओं करने हेतु स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया है. दिसम्बर 2021 तक प्रदेश की पूरी जनता को टीकाकरण लगाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंनेे बताया कि अभिभावक स्पेशल अभियान के तहत 12 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के अभिभावकों का टीकाकरण कराया जा रहा है.

श्री सहगल ने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से निगरानी समितियों द्वारा ट्रेसिंग के तहत घर-घर जाकर संक्रमण की जानकारी ली जा रही है. उन्होंने बताया कि 97000 ग्रामीण पंचायतों में 5 मई, 2021 से एक विशेष अभियान चलाकर, जिसमें लगभग 80 हजार निगरानी समितियों द्वारा घर-घर जाकर उन लोगों का जिनमें किसी प्रकार के संक्रमण के लक्षण होने पर उनका एन्टीजन टेस्ट भी कराया जा रहा है. अगर एन्टीजन टेस्ट निगेटिव आ रहा है और लक्षण हैं तो उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराया जा रहा है, इसके साथ-साथ लगभग 14 लाख से अधिक मेडिकल किट भी बांटी गयी है. उन्होंने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से सरकारी मशीनरी द्वारा उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की जनसंख्या में से अब तक लगभग 17 करोड़ से अधिक लोगों से उनका हालचाल जाना गया है. उन्होंने बताया कि माह अगस्त से बच्चों के लिए एक सघन अभियान चलाया जायेगा जिसके तहत निगरानी समितियों द्वारा बच्चों का हालचाल लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक टेस्ट कराये जा रहे हैं.

कोरोना कर्फ्यू में समय बढेगा

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा टीम-19 के समीक्षा बैठक में आगामी सोमवार, 21 जून से कोरोना कर्फ्यू में और छूट दिए जाने का निर्णय लिया गया हैं. रात्रिकालीन कोरोना कफ्र्यू रात्रि 09 बजे से अगले दिन प्रातः 07 बजे तक प्रभावी होगा.

कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन के साथ रेस्टोरेंट व मॉल को 50 फीसदी क्षमता के साथ खुलेगा. इसी तरह, पार्क, स्ट्रीट फूड आदि के संचालन की अनुमति भी दी जाएगी. इन स्थलों पर कोविड हेल्प डेस्क की स्थापना अनिवार्य होगी.

नई व्यवस्था के संबंध में विस्तृत गाइडलाइंस समय से जारी की जायेगी. साप्ताहिक बंदी के दौरान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सेनेटाइजेशन, फाॅगिंग तथा साफ-सफाई का अभियान चलाया जा रहा है.

प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना से मदद

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा संगठित एवं असंगठित श्रमिकों तथा रेहड़ी, पटरी वाले लोगों को 1000 रुपये का भत्ता दिया गया है. प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘‘प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण’’ योजना के तहत मुफ्त राशन नवम्बर तक बढ़ाए जाने की घोषणा की गई है.

प्रदेश में संक्रमण कम होने पर भी कोविड-19 के टेस्टों की संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है, ताकि संक्रमित व्यक्ति की पहचान करके इलाज किया जा सके. प्रदेश में विगत 24 घंटे में 2,57,135 टेस्ट किये गये हैं तथा 05 करोड़ 38 लाख से अधिक टेस्ट किए गये हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं.

उन्होंने बताया कि प्रदेश में 7,221 कोरोना के एक्टिव केस हैं, जिनमें 4,382 कोविड मरीज होम आइसोलेशन में हैं. कल विगत 24 घंटे में 1104 तथा अब तक 16 लाख 73 हजार लोग कोविड-19 से ठीक हुए हैं.

ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में आॅक्सीजन समुचित मात्रा में उपलब्ध है. प्रदेश में आॅक्सीजन की कोई समस्या भविष्य में न हो इसके लिए 427 आॅक्सीजन प्लाण्ट अस्पतालों में लगाये जा रहे हैं, जिसमें से 83 प्लाण्ट क्रियाशील हो गए हैं.

उन्होंने बताया कि संभावित कोविड की तीसरी लहर के तहत सभी मेडिकल कालेज में 100-100 बेड पीआईसीयू के, हर जिला अस्पताल में 20-20 बेड पीआईसीयू के और कम से कम दो सीएससी में पीकू/नीकू के बेड बढ़ाये जा रहे हैं. जिसे 20 जून, 2021 तक पूरा करने का समय दिया गया है.

इसके साथ-साथ सभी सीएचसी में 20-20 आॅक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराये जा रहे हैं. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और वेंटिलेटर संचालन के लिए सभी जिलों में तकनीशियनों की तैनाती सुनिश्चित कराने के निर्देश मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए हैं. आईटीआई से प्रशिक्षित योग्य युवाओं को आवश्यकतानुसार इन मशीनों के संचालन के संबंध में दक्षता दिलाई जाएगी.

किसानों को एमएसपी का लाभ

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए तेजी से चल रही है. गेहँू क्रय अभियान के तहत 12 लाख से अधिक किसानों से
53,80,801.30 मी0 टन गेहूँ खरीदा गया है.

मुख्यमंत्री जी द्वारा गेहूँ खरीद अभियान जो आज 15 जून 2021 तक था उसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है.

मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि गेंहूँ क्रय केन्द्रों का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाए तथा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल खरीदी जाए.

उन्होंने बताया कि अगली फसल के लिए खाद-बीज आदि किसानों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गये हैं.

Karan Mehra के बिना Nisha Rawal ने धूमधाम से मनाया बेटे Kavish का बर्थडे, फोटोज वायरल

ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम एक्टर फफउफफकरण मेहरा और निशा रावल के बीच हुई लड़ाई सुर्खियों में बनी हुई है. वहीं इस मामले में उनके बेटे काविश की कस्टडी का भी कई बार जिक्र किया गया है. इस बीच काविश मेहरा का बर्थडे सेलिब्रेशन देखने को मिला, जिसका फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है. वहीं इस दौरान करण मेहरा इस पार्टी में शामिल नहीं नजर आए. आइए आपको दिखाते हैं पार्टी की इनसाइट फोटोज…

करण मेहरा को नहीं मिला पार्टी का न्योता

nisha

हाल ही में काविश का बर्थडे सेलिब्रेट करते हुए निशा रावल ने पार्टी रखी थी, जिसमें उनके करीबी दोस्त हिस्सा बने थे. हालांकि इस पार्टी में करण मेहरा नजर नही आए, जिनका सबूत ये वायरल फोटोज हैं. लेकिन करण मेहरा ने बेटे के लिए गिफ्ट और केक भिजवा दिया था.

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कुछ यूं मनाया बेटे का बर्थडे

kavish

निशा रावल ने धूमधाम से अपने बेटे काविश का बर्थडे सेलिब्रेट किया. फोटोज की बात करें तो काविश ने मां निशा रावल के साथ मिलकर अपने बर्थडे का केक काटा और इस दौरान रोहित वर्मा, करणवीर ग्रोवर और बाकी दोस्त उनकी खुशी में शामिल हुए. दूसरी तरफ अपने बर्थडे थीम को देखकर काविश बेहद खुश नजर आए.

करण मेहरा ने किया विश

 

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बेट काविश की बर्थडे पार्टी पर जहां करण मेहरा नहीं दिखे. तो वहीं सोशलमीडिया के जरिए करण मेहरा ने बेटे को विश किया. वहीं एक फोटो शेयर की, जिसमें केक और गिफ्ट साफ नजर आ रहा था.

पुरानी वीडियो हुई वायरल

 

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जहां इस बार के बर्थडे सेलिब्रेशन में करण मेहरा बेटे काविश से अलग थे तो वहीं सोशल मीडिया पर उनके पुराने बर्थडे की फोटोज और वीडियो छाई हुई थी. फैंस भी काविश को बर्थडे विश करते नजर आ रहे थे.

 

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बता दें, पिछले दिनों निशा रावल ने एक्टर करण मेहरा पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया था, जिसके बाद दोनों एक-दूसरे पर इल्जाम लगाते नजर आए थे. वहीं इस दौरान बेटे की कस्टडी को लेकर भी कई सवाल खड़े हुए थे.

शाह परिवार करेगा किचन में काव्या का बुरा हाल, अनुपमा भी खींचेगी टांग

सीरियल ‘अनुपमा’ में वनराज और काव्या की शादी हो चुकी है. हालांकि शाह परिवार इस शादी से खुश नही हैं. लेकिन फिर भी वह बेटे वनराज के लिए काव्या को शाह हाउस में रखने के लिए मान गए हैं. इस बीच आने वाले एपिसोड में शाह फैमिली काव्या का बुरा हाल करते हुए नजर आने वाले हैं, जिसका अंदाजा अनुपमा के नए प्रोमो में देखा जा सकता है. आइए आपको दिखाते हैं प्रोमों क्या हुआ है काव्या का हाल…

काव्या का होगा बुरा हाल

 

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अब तक आपने देखा कि वनराज से शादी के बाद काव्या (Madalsha Sharma) शाह परिवार के हर सदस्य के दिल में जगह बनाने की कोशिश में जुटी हुई, जिसके चलते आने वाले एपिसोड में कई पापड़ बेलने पड़ने वाले हैं. दरअसल, हाल ही में शो के मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें बा-बापूजी, काव्या को किचन की जिम्मेदारी देते नजर आएंगे. वहीं इस दौरान काव्या का हाल देखने लायक होगा. दूसरी तरफ काव्या की बुरी हालत देख अनुपमा (Rupali Ganguly) अपने किचन में काव्या की टांग खिंचाई करती नजर आएगी.

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अनुपमा के जज्बे की तारीफ करेगा वनराज

 

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काव्या से शादी के बाद वनराज का अनुपमा की तरफ बर्ताव बदलने लगा है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में वनराज, अनुपमा की तारीफ करता हुआ नजर आएगा. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में वनराज नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएगा. जहां उसका बौस वनराज की उम्र को लेकर कहेगा कि आपकी उम्र के लोगों में जज्बा नहीं रहता , जिसका जवाब देते हुए वनराज कहेगा कि वह एक ऐसी औरत को जानता है, जो 46 की उम्र में अनपढ़ होने के बावजूद स्कूल में डांस सिखाती है. वहीं औनलाइन क्लासेस भी देती है और जल्द ही वह अपना स्कूल भी खोलेगी. वनराज का ये बदला बर्ताव देख हालांकि काव्या के गले से नीचे नहीं उतरेगा.

 

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Skin Care Tips: बेजान Nails में ऐसे भरें जान

हॉट ऑइल मेनीक्‍योर अब तक का बससे बहुत ही महंगा ट्रीटमेंट है. अपने नाखूनों और हाथों को पैंपर करने का इससे अच्‍छा तरीका आपको और कोई नहीं मिलेगा.

महिलाओं के हाथ किचन में काम करते करते बहुत ही ज्‍यादा खराब हो जाते हैं. इसका सीधा असर आपके नाखूनों पर पड़ता है, जो कि रूखे और कमजोर पड़ जाते हैं.

स्‍पा में या पार्लर जा कर हॉट ऑइल मेनीक्‍योर करवाना काफी महंगा पड़ सकता है इसलिये आज हम आपको घर पर ही आराम से इसे करना सिखाएंगे. तो तैयार हो जाइये स्‍पा जैसा ट्रीटमेंट घर पर ही पाने के लिये.

जरूरत की चीजें

– सूरजमुखी तेल और कैस्‍टर ऑइल, मिक्‍स किया हुआ

– थोड़ा सा बादाम तेल

– विटामिन ई तेल और ऑलिव ऑइल

– टी ट्री ऑइल

– विटामिन ई कैप्‍सूल

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अब आपको क्‍या करना चाहिये

– सभी सामग्रियों को एक साथ मिक्‍स कर के माइक्रोवेव में 30 सेकेंड के लिये गरम करें. आप इसमें विटामिन ई के कैप्‍सूल को तोड़ कर अंदर के मिश्रण को इसमें मिक्‍स कर सकती हैं.

– कोशिश करें कि तेल बहुत ज्‍यादा ना गरम हो.

– अब धीरे से तेल के अंदर अपनी उंगलियों को डुबोएं और जब तक तेल ठंडा ना हो जाए अपनी उंगलियां बाहर ना निकालें.

– अगर आपको ऐसा करना पसंद आया हो, तो तेल को और 10 सेकेंड के लिये गरम कर के यह विधि करें.

– एक बार मेनीक्‍योर होने पर उंगलियों को बाहर निकालें और हाथों को प्‍लेन पानी से धो लें.

– फिर उन्‍हें साफ तौलिये से पोछ लें.

– लीजिये हो गया आपका हॉट ऑइल मेनीक्‍योर.

– आप इसे हफ्ते में दो बार रात को सोने से पहले कर सकती हैं. इसके अलावा याद रखें कि सोते समय आपको अपने हाथों को मॉइस्‍चराइजर से भी मसाज करना है.

इसके फायदे

– नियमित हॉट ऑइल मेनीक्‍योर करने से आपके नाखूनों की उम्र जल्‍दी नहीं घटती.  – इसके साथ ही ब्‍लड सर्कुलेशन भी सुधरता है जिससे त्‍वचा हमेशा हेल्‍दी रहती है.  – लंबे समय के बाद आपकी त्‍वचा और भी जवान बनी रहेगी.

– इससे आपके नाखूनों में चमक रहेगी और उसका टेक्‍सचर भी सुधरेगा.

– आपके नाखून देखने में साफ लगेंगे और वे जल्‍दी जल्‍दी बढ़ेंगे.

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Fashion Tips: ट्राय करें कुलोट्स, फ्यूजन ड्रेस का Cool Look

क्रौप टौप के बाद अब क्रौप पैंट्स का ट्रैंड फैशन में छाया हुआ है. इन क्रौप पैंट्स को कुलोट्स के नाम से जाना जाता है. फैशन का यह अंदाज भी जुदा है. नए स्टाइल की पैंटनुमा कुलोट्स आजकल फैशन ट्रैंड की सूची में पहले पायदान पर हैं. इस की सब से बड़ी खासीयत है कि यह पैंट छोटे कद, हैल्दी, लंबी या फिर पतली हर बौडी टाइप की युवतियों पर फबती है.

हो सकता है कि पहली नजर में आप इसे नापसंद कर दें, लेकिन इसे नजरअंदाज बिलकुल भी न करेंगी. यदि आप इस नए लुक वाली पैंट को ट्राई करने में हिचक रही हैं, तो शुरुआत में ऐंकल लैंथ वाली कुलोट्स लें. पहली बार इसे पहनने में अटपटा कम लगे, इस के लिए प्रिंटेड कुलोट्स लेने की जगह सिंगल और डार्क कलर मसलन, काला, नीला या भूरे रंग की कुलोट्स चुनें.

किस के साथ पहनें कुलोट्स

कुलोट्स को किसी भी टौप के साथ पेयर किया जा सकता है. यह आप पर निर्भर करता है कि आप खुद को किस लुक में देखना पसंद करेंगी. उदाहरण के तौर पर यदि आप हाई वैस्ट कुलोट्स चुनती हैं, तो इसे आप एक स्टाइलिश क्रौप टौप के साथ पेयर कर सकती हैं. इस के अतिरिक्त यदि आप ने लो वैस्ट और ऐंकल लैंथ कुलोट्स को चुना है, तो इस को नी लैंथ कुरती के साथ पहना जा सकता है.

कुलोट्स पहनने का यह स्टाइल आप को वैस्टर्न ऐथनिक का फ्यूजन लुक देगा. बाजार में ए लाइन स्कर्टनुमा कुलोट्स भी मौजूद हैं, जिन्हें फौर्मल या स्टाइलिश शर्ट के साथ पेयर किया जा सकता है. फैशन ट्रैंड्स में पहले ही सब के फेवरेट बन चुके ज्वैल्ड टौप भी कुलोट्स के साथ स्टाइलअप किए जा सकते हैं.

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कब और कहां पहनें

 

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कई लैंथ, स्टाइल और पैटर्न्स में मौजूद कुलोट्स न सिर्फ स्टाइलिश लगती हैं, बल्कि इन्हें पहनना भी काफी कंफर्टेबल है. इसीलिए इन्हें किसी भी जगह आसानी से कैरी किया जा सकता है. खासतौर पर गरमी के मौसम में तो ये बहुत ही आरामदायक होती हैं. आप इन्हें डे पार्टी, नाइट आउटिंग यहां तक कि औफिस में भी पहन कर जा सकती हैं.

हां, यदि आप औफिस में कुलोट्स पहनना चाहती हैं तो फौर्मल लुक वाली कुलोट्स ही चुनें और इसे फौर्मल शर्ट या टौप के साथ ही पेयर करें. फौर्मल लुक के लिए आप मोनोक्रोमैटिक कलर की कुलोट्स ट्राई करें. इन के साथ आप ब्लेजर भी पहन सकती हैं. ब्लेजर और कुलोट्स का कौंबिनेशन सुनने में भले ही आप को अटपटा लग रहा हो, लेकिन यह आप को स्टाइलिश प्रोफैशनल लुक देगा.

बौलीवुड में छाया कुलोट्स  का जादू

 

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फिल्म ‘पीकू’ में दीपिका पादुकोण को पहली बार कई दृश्यों में कुलोट्स पहने देखा गया. तब इसे नी लैंथ कुरतियों के साथ ही पेयर करने का ट्रैंड था. लेकिन अब दीपिका के अलावा आलिया भट्ट भी फिल्म ‘शानदार’ के प्रमोशन पर फौर्मल लुक वाली कुलोट्स में दिखीं. तब से कुलोट्स के साथ फैशन ऐक्सपैरिमैंट का सिलसिला शुरू हो गया.

अब इस स्टाइलिश पैंट को बौलीवुड की अन्य अभिनेत्रियां भी अलगअलग इवेंट्स में अलगअलग टौप्स के साथ कैरी करते देखी जा चुकी हैं. एक फोटोशूट के दौरान सोनम कपूर को भी कौमिक प्रिंट वाली कुलोट्स में देखा गया. कई जानेमाने फैशन डिजाइनर्स कुलोट्स को फैशन इंडस्ट्री में न्यू ऐंट्री नहीं मानते. उन की मानें, तो क्युलोट्स का फैशन 70 के दशक से प्रचलित है. अब नए लुक और स्टाइल के साथ इस का कमबैक हुआ है.

कुलोट्स का इतिहास

स्कर्ट की तरह दिखने वाली कुलोट्स  वास्तव में एक शौर्ट पैंट की तरह होती है. फ्रांस के हैनरी तृतीय के शासनकाल के दौरान कुलोट्स काफी लोकप्रिय थी. इस के बाद विक्टोरियन युग में जब महिलाओं को पैंट पहनने की स्वतंत्रता चाहिए थी, उस वक्तभी स्कर्टनुमा पैंट के रूप में कुलोट्स प्रचलन में आई. तब से ले कर अब तक इस के डिजाइन, पैटर्न और स्टाइल में कई बदलाव आ चुके हैं. क्युलोट्स का फैशन पिछले वर्ष से हौट लिस्ट में शामिल हो चुका है. कुलोट्स का ही एक स्वरूप डिवाइडेड स्कर्ट है. अधिकतर भारतीय स्कूलों में लड़कियों को डिवाइडेड स्कर्ट ही यूनिफौर्म के रूप में पहननी होती है.

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ध्यान रखें

 

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अगर कम हाइट की महिला को कुलोट्स पहननी हो, तो ऐंकल लैंथ का चुनाव करना चाहिए. इसे हाईहील्स या वैजिस के साथ पेयर किया जाए, तो बहुत ही स्टाइलिश लुक उभर कर आता है.

जहां लंबी महिलाओं पर बौटम फ्लेयर लुक वाली कुलोट्स खूब जंचेगी, वहीं पतलीदुबली महिलाओं पर मिड लैंथ कुलोट्स भी स्टाइलिश लुक देंगी. कुलोट्स को टी स्ट्रैप शूज या पीप टौप के साथ भी पहना जा सकता है.

यदि आप के पास ब्लैक कुलोट्स है तो उसे व्हाइट टैंक टौप या व्हाइट जंपर के साथ पहनें. यह कौंबिनेशन बहुत ही ट्रैंडी लुक देगा.

प्रिंटेड कुलोट्स को कभी प्रिंटेड टौप के साथ न पहनें. उसे सिंगल कलर टौप के साथ भी पेयर करें.

चाहत की शिकार: क्यों श्वेता को मार दिया आनंद ने

लेखक- विनय कुमार पाठक

कुलमिला कर उस की जिंदगी की गाड़ी ठीकठाक चल रही थी. श्वेता से उस का परिचय होने के बाद तो जिंदगी में कोई कमी ही नहीं रह गई थी. बीचबीच में श्वेता उस के पास आती थी और उस की रातों को गुलजार कर जाया करती थी. वह अपनी जिंदगी से काफी संतुष्ट था खासकर श्वेता के आने के बाद से.

श्वेता समयसमय पर उस से थोड़ेबहुत पैसे लेती रहती थी, पर उसे इस का जरा भी अफसोस नहीं था, क्योंकि बदले में उसे श्वेता से काफीकुछ मिलता भी था.

परेशानी तब हुई, जब श्वेता की मांग दिनबदिन बढ़ने लगी. एक दिन तो उस ने उस से बड़ी मांग कर दी, ‘‘आनंद, मुझे 50,000 रुपए की सख्त जरूरत है,’’ यह उस ने आनंद के बालों में प्यार से हाथ फेरते हुए कहा.

‘‘क्या… 50,000 रुपए? तुम पागल तो नहीं हो गई हो क्या श्वेता?’’ आनंद ने चौंक कर उठते हुए कहा था.

‘‘क्या तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते? पहली बार तुम मुझे मना कर रहे हो. क्या इतना ही प्यार है तुम्हारे दिल में मेरे लिए या फिर मुझ से मन भर गया है?’’ श्वेता ने प्यार से कहा.

‘‘देखो, जो रकम मेरे बस में है, वह मैं तुम्हें दे सकता हूं, पर 50,000 रुपए… इतने रुपए तो मेरी सालभर की तनख्वाह के बराबर हैं,’’ आनंद ने उसे समझाने की कोशिश की.

‘‘7 साल की तनख्वाह के बराबर तो नहीं हैं न?’’ एकाएक श्वेता का रुख बदल गया.

‘‘अगर मैं पुलिस में शिकायत कर दूं तो 7 साल के लिए हवालात में चले जाओगे. सीसीटीवी कैमरे में सुबूत हैं कि तुम मुझे अपने साथ लाते रहे हो. यहां की हर गलीनुक्कड़ में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. मेरे कपड़ों पर तुम्हारी करतूत के सुबूत भी हैं. वैसे भी आजकल ‘मी टू’ के चलते बड़ेबड़ों की हालत खराब है, फिर तुम्हारी क्या बिसात है?’’

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‘‘देखो, 50,000 रुपए तो मुझे हर हाल में चाहिए ही चाहिए. तुम कैसे इंतजाम करोगे, यह तुम जानो. एक हफ्ते का समय है तुम्हारे पास,’’ कहते हुए श्वेता चली गई और आनंद हैरान सा उसे जाते हुए देखता रहा.

इस के बाद से आनंद काफी चिंतित रहने लगा था. उस की कुल तनख्वाह 6,000 रुपए महीने थी जिस में से 2-3 हजार रुपए तो वह श्वेता पर ही लुटा देता था. 1,000 रुपए घर भेज दिया करता था. बाकी उस के खानेपीने पर खर्च हो जाया करते थे. पैसों के लिए एकमात्र सहारा उस का मालिक था

जो 1-2 महीने से ज्यादा की एडवांस तनख्वाह नहीं दे सकता था.

तो फिर क्या किया जाए? अगर श्वेता ने पुलिस में शिकायत कर दी तो उसे लेने के देने पड़ जाएंगे. एक साल पहले ही वह मुंबई आया था. कोई ऐसा जानकार भी नहीं था जिस से उसे पैसों की मदद मिल सके.

आनंद मुंबई के दादर इलाके में एक प्लाट पर बने छोटे से झोंपड़ीनुमा मकान में रहता था. प्लाट के मालिक ने प्लाट की देखभाल के लिए उसे वहां टिका दिया था. प्लाट के मालिक की उस प्लाट पर एक बहुमंजिला अपार्टमैंट्स बनाने की योजना थी जिस के लिए बिल्डरों से बात चल रही थी.

आनंद को महज 6,000 रुपए तनख्वाह मिलती थी. घर पर बेकार बैठे रहने के बजाय यह भी बुरा न था. न जाने कितने लोग मुंबई जैसे बड़े शहरों में मामूली तनख्वाह पर काम करने आते हैं क्योंकि उन के पास और कोई काम नहीं होता. कइयों को तो काफी खराब हालात में रहना पड़ता है, पर वह संतुष्ट था. रहने को झोंपड़ी थी ही. वहीं कुछ कच्चापक्का बना कर खा लेता था. बिजलीपानी की सुविधा चौबीसों घंटे थी जिस का बिल मालिक अदा करता था.

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काफी सोचविचार के बाद आनंद के दिमाग में एक ही उपाय आया श्वेता को रास्ते से हटाने का. उस की हत्या कर देना, पर लाश को कहां और कैसे ठिकाने लगाएगा, यह बहुत बड़ी समस्या थी.

काफी सोचविचार के बाद आनंद ने लाश को प्लाट के एक कोने में फेंक कर खुद पुलिस को सूचित करने की योजना सोची. वह खुद शिकायत करेगा तो पुलिस को शक भी नहीं होगा.

अगली बार जब श्वेता आई तो आनंद ने उस का दिल खोल कर स्वागत किया.

‘‘जैसेतैसे मैं ने रुपयों का इंतजाम किया है. आगे से इतनी बड़ी रकम मत मांगना. मैं गरीब आदमी कहां से इतनी बड़ी रकम लाऊंगा?’’ आनंद ने श्वेता को बांहों में भरते हुए कहा.

श्वेता को इस बात से मतलब नहीं था कि आनंद ने रुपयों का इंतजाम कहां से किया है. मन ही मन उस ने सोचा, ‘रुपए तो मैं तुम से हमेशा मांगूंगी. आखिर मजबूरी में तुम्हें अपना जिस्म देती हूं तो उस का भुगतान तो देना ही होगा.’

श्वेता बोली, ‘‘अगर जरूरत नहीं होती तो तुम्हें क्यों तकलीफ देती…’’

फिर वे दोनों एकदूसरे के आगोश में समा गए. आनंद सोच रहा था कि वह आखिरी बार श्वेता के जिस्म को भोग रहा है, इस के बाद तो इसे खत्म कर देना है इसलिए वह जम कर उस के बदन का मजा ले रहा था.

श्वेता सोच रही थी कि आज 50,000 रुपए लेने के बाद फिर कब उस से रकम मांगनी है.

मौका पा कर आनंद ने श्वेता

का गला दबा दिया, फिर चाकू से

गले को रेत दिया और लाश को एक कोने में जा कर फेंक दिया.

आनंद को अपने प्लान पर पूरा भरोसा था, इसलिए वह आराम से सो गया. अगले दिन सुबह उस ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर जानकारी दी कि एक औरत की लाश प्लाट के एक कोने में पड़ी हुई है.

आनंद को यह गुमान था कि पुलिस को आसानी से चकमा दिया जा सकता है और इस के लिए उस ने खुद पुलिस से शिकायत करने की तरकीब अपनाई थी. शिकायत करने वाले पर पुलिस भला क्यों शक करेगी, उस ने यही सोचा था.

पुलिस ने आ कर सब से पहले श्वेता को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे ‘मृत लाया गया’ घोषित कर दिया. पुलिस ने अनजान शख्स के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

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आनंद बहुत खुश हुआ. उसे अपनी योजना कामयाब होती दिखाई दी, पर उसे पता नहीं था कि पुलिस शक के आधार पर उस से पूछताछ शुरू कर देगी. विरोधाभाषी बयानों के चलते वह पकड़ में आ गया और फिर मामला सुलझ गया.

आनंद ज्यादा देर तक पुलिस के सामने टिक नहीं पाया और उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. वही पुलिस को उस जगह पर भी ले गया जहां उस ने हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू छिपा कर रखा था.

इस तरह श्वेता के लालच ने उस की जिंदगी खत्म करवा दी और जिस्मानी आकर्षण ने आनंद की जिंदगी बरबाद कर दी.

#Coronavirus: डेल्टा वैरिएंट का कहर, दुनिया पर दिखा असर

देश में जहां अब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की रफ्तार थमती दिख रही है… वहीं आंकड़े लगातार कम हो रहे हैं… इतना ही नहीं लगातार सात दिनों से देश में कोरोना के नए केस का आंकड़ा एक लाख से नीचे आ चुका है. लेकिन राहत भरे इन आंकड़ों के बीच एक बार फिर से फिक्र बढ़ाने वाली खबर भी आई है…और वो ये है कि देश में कोरोना के एक नए वेरिएंट सामने आते जा रहे हैं,  जिसका नाम है डेल्टा वैरिएंट जो कि डेल्टा प्लस में बदल चुका है …और ये बेहद ही खतरनाक वैरिएंट साबित हो चुका है.

दरअसल ये महामारी के अब तक का सबसे ज्यादा संक्रामक वैरिएंट का अपग्रेड वर्जन  है… वो भी ऐसे वक्त में जब भारत समेत दुनिया के ज्यादा राज्यों में अनलॉक की तैयारी चल रही है…धीरे-धीरे सारी जगहों पर दुकानें, मॉल्स  खोले जा रहें हैं और ज्यादातर जगहों पर अनलॉक की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है…पूरा देश अनलॉक के इंतजार में होता है लेकिन यहां पर संकट टलता नहीं बल्कि बढ़ता हुआ नजर आ रहा है

आखिर क्या है ये डेल्टा वैरिएंट और कितना ख़तरनाक है ? ये डेल्टा वैरिएंट और इसके डेल्टा प्लस में बदलने का मतलब क्या है इसे जानना बहुत ही जरूरी है

दरअसल अब तक हाहाकारी मचाने वाले कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट ने अपने आप में म्यूटेशन करके ख़ुद को डेल्टा प्लस में बदल लिया है… यानी महामारी फैलाने वाला कोरोना अब डेल्टा में बदलकर हाहाकार मचा रखा है. जिससे दुनिया थर्रा गई, उसने और भी ज्यादा खतरनाक रूप धारण कर लिया है… और इससे ज्यादा डराने वाली ख़बर ये है, कि कोविड-19 का यही डेल्टा वैरिएंट पूरी दुनिया में धीरे-धीरे पैर पसार रहा है… और इसी कारण से कई देशों में सख्त पाबंदियां शुरू हो रही हैं… तो कुछ देशों ने अनलॉक की प्रक्रिया भी टाल दी गई  है…ये माना जा रहा है कि अगर अभी से पाबंदियां नहीं लगाई गई तो आगे मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

वायरस के इस नए रूप का मतलब है ज्यादा संक्रामक होने की आशंका . डेल्टा प्लस  कोरोना के उसी डेल्टा वेरिएंट में बदलाव के बाद बना है, जिसने देश में दूसरी लहर में तबाही मचाई और मौत का ऐसा मंजर दिखाया, जिसने सबको दहला दिया और अब वही डेल्टा वेरिएंट और ज्यादा खतरनाक डेल्टा प्लस में बदल गया है. कोरोना वायरस इस कदर रंग बदल रहा है कि अब उस पर एंटीबॉडी कॉकटेल नाम की दवा भी असर नहीं कर रही है और देश का भविष्य इससे भी ज्यादा भयावह हालात में जाता हुआ दिखाई दे रहा है. भारत में डेल्टा वैरिएंट के अब तक 6 केस मिल चुके हैं.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में डेल्टा वैरिएंट पर विस्तार से स्टडी की गई है.. इस स्टडी में डेल्टा वर्जन के 63 जीनोम की पहचान हुई है…63 में से 36 लोगों में डेल्टा प्लस वैरिएंट पाया गया है. 36 लोगों को वैक्सीन के 2 डोज़ भी लगाए जा चुके थे और 27 लोग ऐसे थे जिन्हें वैक्सीन की एक डोज़ मिली थी.

एक खबर के मुताबिक जिम्बाब्वे में भी कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई है जिसके बाद  हुरुंग्वे, करिबा में दो हफ्ते का लॉकडाउन लगा दिया गया है. ब्रिटेन में भी डेल्टा वैरिएंट के मामले लगातार बढ़ते रहने के कारण लॉकडाउन पर विचार हो रहा है और शायद कुछ ही दिनों में लग ही जाएगा. और भी ऐसे कई देश हैं जहां डेल्टा वैरिएंट तेजी के साथ फैल रहा है जिनमें फ्रांस, श्रीलंका और अकेले चीन में 100 से ज्याद केस और पाकिस्तान के सिंध और खैबरपख्तून में भी डेल्टा वैरिेएंट मिला है.

आइए अब जरा जानते हैं कि डेल्टा वैरिएंट कितना ज्यादा खतरनाक  है.. और इसके डेल्टा प्लस में बदले का मतलब क्या है ?

एक खबर के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट का डेल्टा प्लस में बदलने का सीधा मतलब है वायरस का वो अवतार जिसने खुद को पहले के मुकाबले और भी ज्यादा ताकतवर बनाया है. और पहले जिन दवाओं के सहारे कोरोना का इलाज संभव था, उसकी क्षमता पर संदेह खड़ा हो रहा है क्योंकि उस दवा का इस वैरिएंट पर कोई असर नहीं हो रहा है. सीधा मतलब ये है कि जो दवा अब तक कोरोना वायरस के खिलाफ़ एंटीबॉडी बना रही थी, वो इस वैरिएंट पर बेअसर हो सकती हैं..इसे ऐसे समझा जा सकता है ….

B.1.617.2 डेल्टा वैरिएंट के कारण दूसरी लहर आई…मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल से इसका इलाज हुआ लेकिन  अब ये  B.1.617.2 बदलकर AY.1  बन गया या कह सकते हैं डेल्टा बना. अब इस वैरिएंट पर एंटीबॉडी कॉकटेल दवा का असर पता नहीं है क्योंकि वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने के बाद भी डेल्टा वैरिएंट लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. डेल्टा वैरिएंट को B.1.617.2 नाम से जाना जाता है.

जानकारों के मुताबिक उनकी चिंता का पहला कारण तो डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण है, दूसरा कारण इस वैरिएंट का अपग्रेड वर्जन है, और तीसरा कारण है उन देशों के हालात  जहां डेल्टा तेजी से अपने पैर पसार रहा है.  अब दूसरे देशों की तरह ही भारत में भी कुछ केस आ चुके हैं तो डर इसी बात का है कहीं ये डेल्टा ज्यादा संक्रामक हो कर देश को अपनी चपेट में ले सकता है और यदि ऐसा हुआ तो इसे रोकना बहुत  मुश्किल हो जाएगा.  वैज्ञानिकों ने कहर से बचने की तैयारी भी शुरू कर दी है लेकिन भारत के कुछ राज्यों में फैले संक्रमण के बाद लॉकडाउन लगाया गया था लेकिन धीरे- धीरे अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है… जिससे आशंका है कि, महामारी और कहर बरपा सकती है इसलिए हो सकता है देश में  लॉकडाउन अभी कुछ दिन और बरकरार रहे तो शायद इस खतरनाक वैरिएंट से बचा जा सकता है. साथ ही सरकार को  इस बार और चौकन्ना रहने की आवश्यकता है.

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मेरे बाल बहुत पतले हैं और उन की ग्रोथ बहुत कम है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी समस्या मेरे बालों को ले कर है. मेरे बाल बहुत पतले हैं और उन की ग्रोथ बहुत कम है. उन्हें घना व लंबा करने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

बालों को घना व लंबा करने के लिए उन में सप्ताह में 1 बार ऐरोमेटिक तेल लगाने के बाद स्टीम लें. इस से सिर की त्वचा के रोमछिद्र खुलते हैं और औयल अंदर चला जाता है, जिस से बालों की ग्रोथ अच्छी होती है. बाल बनते हैं प्रोटीन से, इसलिए खाने में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा लें. आप चाहें तो बालों के लिए पार्लर में ओजोन या लेजर ट्रीटमैंट भी ले सकती हैं, जिस से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. इस से आप के द्वारा खाया प्रोटीन बालों की जड़ों तक पहुंचेगा और बाल स्वस्थ और लंबे हो जाएंगे.

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हर कोई घने बालों की इच्छा रखता है, घने बालों को अक्सरअच्छी अपीयरेंस और अच्छी हेल्थ के साथ जोड़ कर देखा जाता है. हालांकि, विभिन्न इंटरनल और एक्सटर्नल फैक्टर्स बालों के हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं. बालों की वॉल्यूम आपके बालों की संख्या को दर्शाता है. इससे यह निर्धारित किया जाता है कि आप के बाल की किस्में एक-दूसरे के कितने करीब हैं. यह बदले में, यह निर्धारित करता है कि आपके बाल कितने पतले या मोटे दिखाई देते हैं. बालों का झड़ना इसके वॉल्यूम को कम कर सकता है. कुछ ऑटोइम्यून डिजीज़ और अन्य मेडिकल कंडीशंस भी बालों के झड़ने और उसकी वॉल्यूम को कम करने में योगदान देती है. इससे आपके बाल पहले से कम घने दिखाई देते हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- 10 Tips: हल्के बालों की वॉल्यूम बढ़ाएं

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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7 Tips: रिश्ते की गहराई को नापें

अगर आप दोनों अलग अलग रह रहे हैं तो हो सकता है आपके कभी कभार झगड़े होते हों और ज्यादातर समय आप एक दूसरे के साथ कुछ इस तरह रहते हों मानो हर चीज परफेक्ट है. लेकिन आपके रिश्ते का असली टेस्ट तब होता है जब आप एक साथ रहते हैं. इस दौरान आपको एक दूसरे की कमियों का पता चलता है और यह सब बातें पता लगती हैं कि आपको किन किन चीजों पर काम करने की आवश्यकता है. अगर आप पहले से ही इन चीजों को जान लेंगे तो आपको शादी के बाद अधिक परेशानियां नहीं होंगी. इसलिए अगर आप एक दूसरे के साथ लिव इन में रहने की सोच रहे हैं तो यह एक बुरा आइडिया नहीं है. आइए जानते हैं किन किन तरीकों से आप अपने रिलेशनशिप को टेस्ट कर सकते हैं.

1. सोचें क्या आप सच में ही खुश हैं :

जब आप एक साथ रहते हैं तो आपको अपने पार्टनर की बुरी आदतों के बारे में पता चलेगा और आप उनकी बहुत से चीजों को नोटिस करना शुरू कर देंगे चाहे वह चीजें आपको बुरी ही क्यों न लगती हों. इन चीजों को देख कर अगर आप खुद को खुश महसूस नहीं कर रहे हैं तो उन्हें यह आदतें बदलने के लिए बोलें और इससे पता लगेगा कि वह आपके लिए सही है या नहीं.

2. पार्टनर आपको कितनी अटेंशन देता है:

एक साथ रहते समय आपको यह पता चलेगा कि आपके पार्टनर अपनी अधिक अटेंशन किसे देते हैं और वह आपको कितना समय दे पाते हैं. अगर वह आपकी ओर जरा भी ध्यान नही देते हैं तो समझ जाएं वह आपके लिए सही नहीं हैं.

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3. क्या मुश्किलों का सामना कर सकता है-

अगर कल को कोई चुनौती का सामना करना पड़ जाए तो आपके पार्टनर किस तरह रिएक्ट करेंगे यह भी आप साथ रहते समय बहुत सी बातों में नोट कर सकते हैं. उनकी इन्हीं छोटी छोटी बातों पर आपको ध्यान रखना है.

4. वह घर के कामों में कितनी जिम्मेदारी लेते हैं :

अगर आप चाहती हैं कि आपके पार्टनर आपके साथ मिल कर सारा काम करें तो आपको पहले यह देखना होता है कि वह आपकी काम में कितनी मदद करते हैं और कितने आलसी हैं. क्या वह किसी काम की जिम्मेदारी लेते हैं या उनसे बच कर भागते हैं?

5. कितने लंबे समय तक चलेगा रिश्ता :

ज्यादातर रिश्तों के खत्म होने का यही कारण होता है कि पार्टनर्स एक दूसरे से बोर हो जाते हैं. जब आप साथ रहेंगे तो वह आपकी सभी आदतों को देखेंगे और इस दौरान अगर वह आपसे इंप्रेस रहते हैं और आपमें अधिक रुचि दिखाते हैं तो इसका मतलब है वह आपके साथ लंबे समय तक रहने वाले हैं.

6. आप अपनी खुशियों को पा रहे हैं :

अगर आपको उनके साथ रहने से या समय बिताने से ऐसा लगता है कि अब आप और अधिक खुश रहने लगे हैं या आपके अंदर की खुशियां बाहर आने लगी हैं तो वह व्यक्ति आपके लिए बिल्कुल सही हैं.

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7. यह आपकी मानसिक सेहत का भी एक टेस्ट है :

अगर उनके साथ रहने से आपकी मेंटल हेल्थ स्थिर रहती है और आपके मन को शांति मिलती है तो वह आपके लिए सही है लेकिन अगर उनकी वजह से आपके दिमाग में हर समय चिंता और स्ट्रेस रहती है तो वह आपकी मानसिक सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं.

अगर आपके पार्टनर में ऊपर लिखित टेस्टों को पास कर दिया है तो आप उन्हें अपना होने वाला पति या पत्नी मान सकते हैं और यह समझ सकते हैं कि आपकी पसंद सच में ही बहुत अच्छी है लेकिन अगर वह आधे से अधिक टेस्टों में फेल हो जाते हैं तो आपको थोड़ा चौकन्ना होने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति भविष्य में अपनी जिम्मेदारियों से भाग सकते हैं या आप अगर उनके साथ शादी करते हैं तो थोड़े दुखी रह सकते हैं. इसलिए अपना निर्णय सोच समझ कर ही लें.

अंतिम स्तंभ- भाग 1 : बहू के बाद सास बनने पर भी क्यों नहीं बदली सुमेधा की जिंदगी

‘‘तू यह बात किसी को मत बताना’’, वह मेरे हाथों को अपने हाथ में ले कर चिरौरी सी कर रही थी, ‘‘मेरी इतनी बात मान लेना.’’

मेरा मुंह उतर गया. ‘‘क्या रे, तू तो मेरा दिमाग ही खराब कर रही है. मैं तो तेरी दी यह साड़ी पहन कर दुनियाभर में मटकती फिरती हूं कि देखोदेखो सब लोग, मेरी प्यारी सहेली ने कितनी सुंदर साड़ी दी है. और तू कह रही है कि किसी को मत बताना.’’

‘‘तू मेरा नाम मत बताना, बस.’’

‘‘वाह, यह तो कोईर् भी पूछेगा कि इतनी सुंदर साड़ी किस सहेली ने दी, किस खुशी में दी.’’

‘‘तू तो जानती है रे, कितनी मुसीबत हो जाएगी मेरी.’’

‘‘जिंदगीभर मुसीबत ही रही तेरी तो…’’

मेरा मन सच में खराब हो गया. असल में मुझे याद आ गया. 35 बरस पहले भी सुमेधा ने मुझे साड़ी दी थी. ऐसे ही छिपा कर. ऐसे ही कहा था,  ‘किसी को मत बताना.’ अवसर था इस की पहली संतान, ‘पुत्र’ के जन्म का. सासससुर, जेठजेठानी, देवरदेवरानी, ढेर सारे रिश्तेदारों व अतिथियों से भरा घर. पूरे घर में आनंदोत्सव की धूम. वह मुझे अपने कमरे में ले गई थी. अपनी अलमारी खोल एक साड़ी निकाल कर मुझे पकड़ाते हुए बोली, ‘जल्दी से इसे अपने पर्स के भीतर डाल ले. अपने पैसे से खरीद कर लाई हूं. गुलाबी रंग तुझ पर बहुत खिलता है. जरूर पहनना इसे.’

‘तेरे पास पैसा ही कितना बचता है. सारी तनख्वाह तो तू अपनी सासुमां को देती है. अगर साड़ी देने का इतना ही मन था तो आज तो तोहफे में तुझे ढेरों साडि़यां मिली हैं. उन्हीं में से कोई मुझे दे देती.’

‘वे सब साडि़यां, तोहफे तो सासुमां को मिले हैं.’

‘बेटा तेरा हुआ है. लोगों ने तोहफे तुझे दिए हैं?’

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और आज, आज गृहप्रवेश का शुभ अवसर है. उसी बेटे ने बनवाया है शानदार मकान. मकान क्या है, शानदार शाही बंगला है. जाने कहांकहां से ढूंढ़ढूंढ़ कर लाया है एक से एक बेशकीमती साजोसामान. भीतर से बाहर, हर ओर जगमगाते टाइल्स वाले फर्श. दमकती दीवारें. सामने अहाते में रंगबिरंगे फूलों से महकता बगीचा. पोर्टिको में खड़ी नईनवेली चमचमाती कार. बाजू में 2 दमदार दुपहिया वाहन दोनों पतिपत्नी के. रोबदार अलसेशियन कुत्ता. वैभव ही वैभव.

और मुझे याद आ रहा है उस का वह छोटा सा घर. ससुराल का संयुक्त परिवार वाला घर छूटने के बाद पति की नौकरी में जब वह घर बसाने आईर् थी, तो उसे यही घर मिला था. 2 छोटेछोटे कमरे, एक किचन. छोटा सा बरामदा. उसी से लगा निहायत छोटा सा बाथरूमटौयलेट. बरतन मांजने की जगह नहीं. न ही कपड़े सुखाने की.

हम सभी सहेलियों के वे दिन बड़ी भागदौड़ वाले थे. अपनी गृहस्थी से किसी तरह समय निकाल कर दोचार बार गई थी मैं उस के घर. एकदम अकबका जाती थी. इतने बड़े घर की लड़की, कैसे रहती है इस दड़बे जैसे छोटे से फ्लैट में. मगर वह खुश नजर आती.

तड़के सुबह से रात गए फुरसत ही नहीं उसे तो. मुंहअंधरे ही अपने नित्यकर्म से निबट, नाश्ता तैयार करना, चाय बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना. पति की तैयारी में मदद करना, रूमाल, पेन, डायरी रखना, सब के बैग में टिफिन रखना. सब से अंत में अपने पर्स में टिफिन बौक्स डाल मामूली सी साड़ी लपेट चप्पल फटकारती स्कूल भागना. शाम ढेर सारी कौपियों व सब्जीभाजी के थैलों से लदीफंदी जल्दीजल्दी घर लौटना.

पति, बच्चे सब उस का ही इंतजार करते बारबार दरवाजे पर आ रहे हैं. बाहर निकल कर ताक रहे हैं. उस की छाती खुशी से भर जाती. बच्चों को छाती से लगा झट से काम में जुट जाती. चायनाश्ता खाना. बीचबीच में बरतन साफ करना, पोंछा लगाते जाना. जिस पर सब की अलगअलग फरमाइशें. किसी को पकौड़े चाहिए, किसी को गुलगुले. सब की फरमाइशें पूरी करती सुख सागर में मगन.

ऐसे में कभी कोई सहेली, कोई रिश्तेदार, अतिथि आ जाए तो क्या पूछना. पति उस के भारी मजाकिया. छका डालते अपने मजाकों से सब को. नहले पर दहले भी पड़ते उन पर. वह देखदेख कर विभोर होती.

गृहस्थी का आनंददायक सुख. सुखों से भरे दिन बीतते गए. बच्चे बड़े होते गए. स्कूल, कालेज, नौकरीचाकरी, कामधंधे, शादीब्याह निबटते गए. नातीपोते भी आते गए.

व्यस्तताओं के इस दौर में हमारा संपर्क लंबे अरसे तक नहीं हो पाया. बरसों बाद उसे अपने ही शहर में, अपने ही दरवाजे पर देख कर मेरी तो चीख निकल गई. भरपूर गले मिल कर हम रो लिए. आंसू पोंछ कर मैं पूछने लगी, ‘कैसे आ गई तू अचानक यहां?’

‘मैं तो पिछले कई महीनों से यहां हूं. तेरा घर नहीं ढूंढ़ पा रही थी.’

‘मेरा घर नहीं ढूंढ़ पा रही थी? तेरा तो बचपन ही इन्हीं गलियों में बीता है. इसी सामने वाले घर में तो रहते थे तुम लोग.’

‘वह घर तो मेरे नानाजी का था न. शुरू में हम लोग नानाजी के घर में ही रहते थे. बाद में पिताजी भी नौकरी के साथ जगह बदलते रहे. नानाजी की मृत्यु के बाद यह घर बेच दिया गया. हमारा यहां आना भी छूट गया. एकदो बार तुम्हारे ही घर के शादीब्याह के कार्यक्रम में आए थे, तो तुम्हारे ही घर ठहरे थे.

‘अब तो पूरी गली बदल गई है. बिल्ंिडग ही बिल्ंिडग नजर आती हैं. पूरा शहर ही बदल गया है. मुझे तो अपनी गली ही पकड़ में नहीं आ रही थी. एक बुजुर्ग सज्जन से तेरे पिताजी का नाम ले कर पूछा तो वे बेचारे तेरे दरवाजे तक पहुंचा गए. यह भी बता गए कि यह घर तो एक अरसे से सूना पड़ा था, अब उन की लड़की आ कर रहने लगी है. अच्छा किया जो पति का साथ छूटने के बाद यहां आ गई. पिता के उजाड़ सूने घर में दिया जला दिया तूने तो. मगर यहां पुरानी यादें तो सताती होंगी.’

‘खूब. मगर तू बता रही थी कि तू पिछले कई महीने से यहां है. कहां ठहरी है?’

‘खैरागढ़ रोड पर. एक फ्लैट किराए पर लिया है. मेरा लड़का अब उसी तरफ मकान भी बनवा रहा है.’

‘मकान बनवा रहा है? इस शहर में, क्यों?’

‘बहू यहीं शिक्षाकर्मी हो गई है.’

‘और बेटा?’

‘बेटे का काम तो भागमभाग का है. बहू यहीं रहेगी. वह आताजाता रहेगा, यह सोच कर यहीं मकान बनवा रहा है.’

‘करता क्या है लड़का?’

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‘कंप्यूटर से संबंधित कुछ काम करता है. मैं आजकल के कामधंधे ठीक से समझती नहीं. महीने में 25 दिन तो दौरे पर रहता है. कभी कोलकाता, कभी लखनऊ, कभी धनबाद. जाने कहांकहां. घर आता है तो इतना थका रहता है कि मुझ से तो दो बोल भी नहीं बतिया पाता. अब मकान बनाने में भिड़ गया है तो और दम मारने की फुरसत नहीं.’

फिर वह मेरे घर अकसर ही आने लगी. हम बातें करते रहते. बचपन की, कालेज के दिनों की, अपनीअपनी गृहस्थी की. उस के पति अवकाशप्राप्ति के बाद ही सिधार गए थे. बताने लगी, ‘कह गए थे कि उन के भविष्य निधि वगैरह का पैसा दोनों बेटियों में बांट दिया जाए. मगर लड़के ने उन पैसों से मकान के लिए प्लौट खरीद लिया. कह दिया, बहनों को बाद में कमा कर दे देगा सारा पैसा. युद्ध स्तर पर चल रहा है मकान का काम. सारा पैसा उसी में झोंक रहा है. मुझ से स्पष्ट कह दिया, घर का खर्च तो अभी तुम्हें ही चलाना है, मां. वह नहीं कहता तो भी तो मैं करती ही थी अपनी खुशी से. महीनेभर का राशन, शाकसब्जियां, बच्चों की फरमाइशें, अभी तो पूरी पैंशन इसी सब में जा रही है.’

‘और बहू का पैसा?’

‘बाप रे, मैं उन पैसों के बारे में मुंह से नहीं बोल सकती. जाने क्या सोच कर बेटे ने जमीन का प्लौट भी उसी के नाम लिया है. सोचा होगा कुछ.’

और मैं गृहप्रवेश पर उस के घर गई तो दंग रह गई. यह तो राजामहाराजाओं का शाही बंगला लगता है. आखिर इतना पैसा इस के पास आया कहां से.

मगर वह गदगद थी, बोली, ‘‘बच्चा मेरा जिंदगीभर छोटे से दड़बे में रहा है न. सो, अपने सपनों का महल बनाया है. मेरे लिए इस से बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है. आज मेरा बहुत मन हो रहा है कि तुझे तेरी पसंद की साड़ी पहनाऊं.’’

मैं ने फिर वही बात कही कि तेरा इतना ही मन है तो जो इतनी साडि़यां तोहफे में आई हैं, मैं उन्हीं में से एक पसंद कर लेती हूं.

‘‘वे सब तो बहू को तोहफे  में मिली हैं. घर बहू का है. मैं तुझे अपनी तरफ से देना चाहती हूं. अपने पैसों से.’’

अगली शाम वह मुझे जिद कर दुकान ले गई. उस का मन रखने के लिए मैं ने एक साड़ी पसंद कर ली. अब वह कहने लगी कि, ‘‘किसी को बताना मत.’’

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उस की इस बात से मेरा मन खराब हो गया. इधर जब से वह वहां आई थी, उस की स्थिति देख कर मेरा मन खराब ही हो जाता था. उस का घर मेरे घर से काफी दूर था. उस तरफ रिकशा या कोई सवारी मिलती ही न थी. घर में 2 दुपहिया वाहन और एक नईनवेली कार थी. मगर वह मेरे घर पैदल ही आती. पोते, पोती और बहू के स्कूल से लौटने के बाद. उस की ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी थी. बुढ़ापे पर पहुंचा जर्जर शरीर. मेरे घर पहुंचते ही पस्त पड़ जाती. मेरे घर में बैठेबैठे घंटों हो जाते, न कोई उसे लेने आता, न खोजखबर लेता. बेटा घर में हो, तब भी नहीं. उलटे, मां को व्यंग्य करता, ‘तुम ही दौड़दौड़ कर सहेली के घर जाती हो. तुम्हारी सहेली तो कभी दर्शन ही नहीं देती.’

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