6 टिप्स: ऐसे पाएं दोमुंहे बालों से छुटकारा

अकसर दोमुंहे बालों की समस्या तब उत्पन्न होती है जब बालों की बाहरी परत को किन्हीं कारणों से नुकसान पहुंचता है, जिन में बालों को स्टाइलिंग व स्ट्रेटनिंग करने वाले उपकरणों को ज्यादा इस्तेमाल करना, ज्यादा गरमी के कारण बालों को नुकसान पहुंचना, बालों पर ज्यादा कैमिकल्स का इस्तेमाल करना, बालों को ज्यादा धोना, ट्रिमिंग नहीं करवाना, इन सब कारणों से दोमुंहे बालों की समस्या पैदा होती है.

हम आप को कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जो आप के बालों को हैल्दी बनाने के साथसाथ दोमुंहे बालों की समस्या से भी नजात दिलवाने का काम करेंगे.

नारियल का तेल

नारियल का तेल दोमुंहे बालों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होता है, क्योंकि यह रूखे व दोमुंहे बालों को पोषण देने व उन में हमेशा नमी बनाए रखने का काम करता है. इस के लिए आप नारियल के तेल को कुनकुना कर के बालों की जड़ों के साथसाथ पूरे बालों में अच्छी तरह लगाएं. कोशिश करें कि आप पूरी रात के लिए नारियल के तेल को बालों में लगा छोड़ दें, फिर सुबह धोएं. इस से धीरेधीरे बालों की ड्राईनैस दूर होने के साथसाथ दोमुंहे बालों की भी समस्या दूर होगी, क्योंकि इस में मौजूद कौपर, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम जैसे खनिज होने के साथसाथ इस में हैल्दी फैट्स होते हैं, जो बालों के लिए जरूरी माने जाते हैं. आज मार्केट में आप को कोकोनट औयल युक्त शैंपू भी मिल जाएंगे, जो आप के बालों के लिए काफी अच्छे साबित होंगे.

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आंवला

आंवले में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट रिच विटामिन सी हेयर फौलिकल्स को रिपेयर करने के साथसाथ हेयर ग्रोथ में भी काफी मददगार साबित होता है, साथ ही फ्री रैडिकल्स के कारण बालों को पहुंचे नुकसान को रिपेयर करने का काम भी करता है. आंवला में विटामिन सी, गैलिक ऐसिड, ऐंटीऔक्सीडैंट्स आदि पाए जाते हैं, जो बालों को सभी जरूरी पोषण देने का काम करते हैं.

आप आंवला युक्त शैंपू का इस्तेमाल करें या फिर आंवले को 5-6 घंटे पानी में भिगो कर फिर इस के पानी को उबाल कर ठंडा कर बालों को धोएं. इस से बालों की ड्राईनैस भी दूर होगी, उन में शाइन भी आएगी और धीरेधीरे दोमुंहे बालों की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.

रीठा

रीठा स्कैल्प से डैंड्रफ को कंट्रोल कर के ड्राईनैस व हेयरफौल को होने से रोकता है, क्योंकि इस में ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटीफंगल प्रौपर्टीज जो होती हैं. डैंड्रफ के कारण ही हेयरफौल व स्कैल्प पर इचिंग जैसी समस्या होती है. ऐक्सपर्ट्स की भी यही सलाह होती है कि अगर आप के बालों में डैंड्रफ, ड्राईनैस व स्प्लिट ऐंड्स की प्रौब्लम है तो आप ऐसे शैंपू का इस्तेमाल करें, जिस में मेन इन्ग्रीडिएंट रीठा हो, क्योंकि दोमुंहे बालों की समस्या बालों के बेजान होने की वजह से ही होती है. ऐसे में रीठा बालों को पोषण देने का काम करता है.

और्गन औयल

और्गन औयल आप के बालों को प्रदूषण व धूलमिट्टी के कारण होने वाले नुकसान से बचाने का काम करता है, साथ ही यह बालों को पतला होने से भी रोकता है ताकि बाल टूटें नहीं व स्कैल्प हैल्दी बने. रिसर्च में यह साबित हुआ है कि और्गन औयल में पावरफुल ऐंटीऔक्सीडैंट्स व नरिशिंग फैटी ऐसिड्स आप के बालों को फ्री रैडिकल्स व स्टाइलिंग से होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं, जिस से बाल ?ाड़ने की समस्या से ले कर स्प्लिट ऐंड्स की समस्या भी कंट्रोल होती है.

भृंगराज

भृंगराज बालों के खोए मौइस्चर को वापस ला कर बालों की फ्रिजीनैस व स्प्लिट ऐंड्स की प्रौब्लम को दूर भगाने में सक्षम है, साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव कर के हेयर ग्रोथ को बढ़ाने का काम भी करता है. जब ज्यादा कैमिकल्स के इस्तेमाल करने के कारण आप को बालों के सफेद होने की समस्या ?झेलनी पड़ती है तो आप की सारी सुंदरता फीकी पड़ने लगती है. यह उस का भी समाधान करता है. ऐसे में आप मार्केट में मिलने वाले भृंगराज औयल व शैंपू से बालों को नरिश करें.

ऐवोकाडो

ऐवोकाडो जहां सेहत के लिए बहुत लाभकारी साबित होता है, वहीं यह बालों को भी पोषण देने का काम करता है, क्योंकि यह विटामिन ए, डी और ई का अच्छा स्रोत होता है, जो बालों को घना बनाने के साथसाथ उन्हें दोमुंहे होने से भी बचाता है.

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2015 की एक स्टडी के अनुसार, ऐवोकाडो में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल क्यूटिकल्स सैल्स को सील करने के साथसाथ बालों को सौफ्ट, स्मूद व ब्रेक होने से बचाते हैं. ऐसे में बालों को स्ट्रौंग बनाने क लिए उस शैंपू का चयन करें, जिस में ऐवोकाडो भी हो.

Serial Story: सजा– भाग 3

दलाल ने कहा 2-3 दिन के अंदर ही ऐसे कुछ घर खाली होने वाले हैं तब वह खुद ही उन्हें फोन कर के सही घर दिखाएगा.

असगर तरन्नुम से पहले ही होटल आ गया था. थकी, बदहवास तरन्नुम को देख कर उसे बहुत अफसोस हुआ. फोन पर चाय का आदेश दे कर बोला, ‘‘कहां मारीमारी फिर रही हो? यह काम तुम्हारे बस का नहीं है.’’

‘‘वाह, जब शादी की है तो घर भी बसा कर दिखा देंगे. आप हमारे लिए घर नहीं खोज सके तो क्या. हम ही आप को घर ढूंढ़ कर रहने को बुला लेंगे,’’ तरन्नुम खुशी से छलकती हुई बोली.

‘‘चलो, यही सही,’’ असगर ने कहा, ‘‘चायवाय पी कर नहा कर ताजा हो लो फिर घर पर फोन कर देना. अभी अब्बू परेशान हो रहे होंगे. उस के बाद नाटक देखने चलेंगे. और हां, साड़ी की जगह सूट पहनना. तुम पर बहुत फबता है.’’

असगर की इस बात पर तरन्नुम इठलाई, ‘‘अच्छा मियांजी.’’

रात देर से लौटे, दिन भर की थकान थी, इतना तो तरन्नुम कभी नहीं घूमी थी. पर अब रात को भी उसे नींद नहीं आ रही थी. कल देखे जाने वाले घरों के बारे में वह तरहतरह के सपने संजो रही थी. उस का अपना घर, उस का अपना खोजा घर.

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नाश्ते के बाद असगर दफ्तर चला गया. तरन्नुम रीता के इंतजार में तैयार हो कर बैठी उपन्यास पढ़ रही थी. उस का मन सुबह से ही किसी भी चीज में नहीं लग रहा था. होटल भला घर हो सकता है कभी? उसे लग रहा था जैसे वह मुसाफिरखाने में अपने सामान के साथ बैठी अपनी मंजिल का इंतजार कर रही है और गाड़ी घंटों नहीं, हफ्तों की देर से आने का सिर्फ ऐलान ही कर रही है और हर पल उस की बेचैनी बढ़ती ही जा रही है.

अचानक फोन की घंटी से जैसे वह गहरी सोच से जाग उठी. रीता ने होटल की लौबी से फोन किया था. रीता की आवाज खुशी से खनक रही थी. तरन्नुम ने झटपट पर्स उठाया और लौबी में आ गई. रीता ने बाहर आतेआते कहा, ‘‘आज ही सुबह बिन्नी दी का फोन आया था. उन के पड़ोस में कोई मुसलिम परिवार है, उन्हीं की कोठी का ऊपरी हिस्सा खाली हुआ था. उस घर की मालकिन बिन्नी दी की खास सहेली हैं. उन्हीं की गारंटी पर तुम्हें घर देने के लिए तैयार हैं. जितना किराया तुम दे सकोगी उन्हें मंजूर होगा.’’

रीता और तरन्नुम पंचशील पार्क की उस कोठी में गए. तरन्नुम को गेट खोलते ही बहुत अच्छा लगा. घर के बाहर छोटा सा लेकिन बहुत खूबसूरत लौन, इस भरी गरमी में भी हराभरा नजर आ रहा था.

घंटी की आवाज सुनते ही हमउम्र जुड़वां 3 साल के नन्हे बच्चे, एक पमेरियन कुत्ता और नौकर चारों ही दरवाजे पर लपके. जाली के दरवाजे के अंदर से ही नौकर बोला, ‘‘आप कौन, कहां से तशरीफ ला रही हैं?’’

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रीता ने कहा, ‘‘जा कर मालकिन से बोलो, बिन्नी दी ने भेजा है.’’

नौकर ने दरवाजा पूरा खोलते हुए कहा, ‘‘आइए, वे तो सुबह से आप का ही इंतजार कर रही हैं.’’

बैठक कक्ष सजाने वाले की नफासत की दाद दे रहा था जैसे हर चीज अपनी सही जगह पर थी. यहां तक कि खरगोश की तरह सफेद कुरतेपाजामे में उछलकूद मचाते बच्चे भी जैसे इस कमरे की सजावट का हिस्सा हों. उन्हें बैठे 5 मिनट ही बीते होंगे कि कमरे का परदा सरका, आने वाली को देख कर रीता झट से उठी, ‘‘हाय निकहत आपा, कितनी प्यारी दिख रही हैं आप इस फालसाई रंग में.’’

निकहत हंस दी, ‘‘आज ज्यादा ही सुंदर दिख रही हूं. गरज की मारी आ गई वरना तो बिन्नी के पास आ कर गुपचुप से चली जाती है, कभी भूले से भी यहां तशरीफ नहीं लाई.’’

‘‘क्यों बिन्नी के साथ ईद पर नहीं आई थी,’’ रीता ने सफाई देते हुए कहा.

‘‘पर अभी तो ईद भी नहीं और नया साल भी नहीं. खैर इनायत है, गरज से ही सही, आई तो,’’ निकहत ने कहा, ‘‘और सुनाओ, कैसा चल रहा है तुम्हारा कामकाज.’’

‘‘वहां से आजकल छुट्टी ले रखी है. इन से मिलिए, ये हैं मेरी सहेली तरन्नुम, रामपुर से आई हैं. इन के शौहर यहां पर हैं. अपना मकान है लेकिन किराएदार खाली नहीं कर रहे हैं. शादी को 8-10 महीने होने को आए लेकिन अब तक मियां का साथ नहीं हो पाया. किराए पर ढंग का घर मिल नहीं रहा और होटल में रहते 5-7 दिन हो गए. बिन्नी दी से बात की तो उन्होंने आप के घर का ऊपरी हिस्सा खाली होने की बात कही. सुनते ही मैं तुरंत इन्हें खींचती आप के पास ले आई.’’

‘‘रामपुर में किस के घर से हैं आप?’’ निकहत ने पूछा.

‘‘वहां बहुत बड़ी जमींदारी है मेरे अब्बू की. क्या आप भी वहीं से हैं?’’ तरन्नुम ने पूछा.

‘‘नहीं, मैं तो कभी वहां गई नहीं. पिछले साल मेरे शौहर गए थे अपने दोस्त की शादी में. मैं ने सोचा शायद आप उन्हें जानती होंगी.’’

‘‘किस के यहां गए थे? रामपुर में हमारे खानदानी घर ही ज्यादातर हैं.’’

‘‘अब नाम तो मुझे याद नहीं होगा, क्या लेंगी आप…चाय या ठंडा? वैसे अब थोड़ी देर में ही खाना लग रहा है. आप को हमारे साथ आज खाना जरूर खाना होगा. हमारे साहब तो दौरे पर गए हैं. बच्चों के साथ 5-6 दिन से खिचड़ी, दलिया खातेखाते मुंह का स्वाद ही खराब हो गया.

‘‘रीता को तो हैदराबादी बिरयानी पसंद है, साथ में मुर्गमुसल्लम भी. मैं जरा रसोई में खानेपीने का इंतजाम देख लूं. नौकर नया है वरना मुर्गे का भरता ही बना देगा. तब तक आप यह अलबम देखिए. रीता, अपनी पसंद का रेकार्ड लगा लो,’’ कहती हुई निकहत अंदर चली गई.

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तरन्नुम ने अलबम खोला और उस की आंखें असगर से मिलतेजुलते एक आदमी पर अटक गईं. अगला पन्ना पलटा. निकहत के साथ असगर जैसा चेहरा. अलगअलग जगह, अलगअलग कपड़े. पर असगर से इतना कोई मिल सकता है वह सोच भी नहीं सकती थी. उस ने रीता को फोटो दिखा कर पूछा, ‘‘ये हजरत कौन हैं?’’

‘‘क्यों, आंखों में चुभ गया है क्या?’’ रीता हंस दी, ‘‘संभल के, यह तो निकहत दीदी के पति हैं. है न व्यक्तित्व जोरदार, मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं. असल में इन के मांबाप जल्दी ही गुजर गए. निकहत अपने मांबाप की इकलौती बेटी थी तिस पर लंबीचौड़ी जमीनजायदाद, बस, समझो लाटरी ही लग गई इन साहब की. नौकरी भी निकहत के अब्बू ने दिलवाई थी.’’

तरन्नुम को अब न गजल सुनाई दे रही थी और न ही कमरे में बच्चों की खिलखिलाती हंसी का शोर, वह एकदम जमी बर्फ सी सर्द हो गई. दिल की धड़कन का एहसास ही बताता था कि सांस चल रही है.

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Serial Story: सजा– भाग 2

शहनाज खाला ने उस का हाथ पकड़ कर अपनी आंखों से लगाया, ‘‘बेटा, तुम तो मेरे लिए फरिश्ते की तरह आए हो, जिस ने मेरी बच्ची की जिंदगी बहारों से भर दी,’’ खुशी से गमकते वह और खालू घर के अंदर खबर देने चले गए.

उन के जाने के बाद शकील कमरे में आते हुए बोला, ‘‘तो हुजूर ने मुझे शह देने के लिए सब हथकंडे आजमाए.’’

असगर ने कहा, ‘‘तू डर मत, मैं जीत का दावा कार मांग कर नहीं कर रहा हूं.’’

‘‘तू न भी मांगे,’’ शकील ने कहा, ‘‘तो भी मैं कार दूंगा. हम मुगल अपनी जबान पर जान भी दे सकने का दावा करते हैं, कार की तो बात ही क्या.’’

‘‘मजाक छोड़ शकील,’’ असगर ने कहा, ‘‘कल उसे पता लगेगा तब…’’

‘‘अब कुछ असर होने वाला नहीं है,’’ शकील ने कहा, ‘‘अपनेआप शादी के बाद हालात से सुलह करना सीख जाएगी. अपने यहां हर लड़की को ऐसा ही करने की नसीहत दी जाती है.’’

‘‘पर तू कह रहा था शकील कि वह आम लड़कियों जैसी नहीं है, बड़ी तेजतर्रार है.’’

‘‘वह तो शादी से पहले 50 फीसदी लड़कियां खास होने का दावा करती हैं पर असलीयत में वे भी आम ही होती हैं. है न, जब तक तरन्नुम को शादी में दिलचस्पी नहीं थी, मुहब्बत में यकीन नहीं था, वह खास लगती थी. पर तुम्हें चाह कर उस ने जता दिया है कि उस के खयाल भी आम औरतों की तरह घर, खाविंद, बच्चों पर ही खत्म होते हैं. मैं तो उस के ख्वाबों को पूरा करने में उस की मदद कर रहा हूं,’’ शकील ने तफसील से बताते हुए कहा.

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और यों दोस्त की शादी में शरीक होने वाला असगर अपनी शादी कर बैठा. तरन्नुम को दिल्ली ले जाने की बात से शकील कन्नी काट रहा था. अपना मकान किराए पर दिया है, किसी के घर में पेइंगगेस्ट की तरह रहता हूं. वे शादीशुदा को नहीं रखेंगे. इंतजाम कर के जल्दी ही बुला लेने का वादा कर के असगर दिल्ली वापस चला आया.

तरन्नुम ने जब घर का पता मांगा तो असगर बोला, ‘‘घर तो अब बदलना ही है. दफ्तर के पते पर चिट्ठी लिखना,’’ और वादे और तसल्लियों की डोर थमा कर असगर दिल्ली चला आया.

7-8 महीने खतों के सहारे ही बीत गए. घर मिलने की बात अब खटाई में पड़ गई. किराएदार घर खाली नहीं कर रहा था इसलिए मुकदमा दायर किया है. असगर की इस बात से तरन्नुम बुझ गई, मुकदमों का क्या है, अब्बा भी कहते हैं वे तो सालोंसाल ही खिंच जाते हैं, फिर क्या जिन के अपने घर नहीं होते वह भी तो कहीं रहते ही हैं. शादी के बाद भी तो अब्बू, अम्मी के ही घर रह रहे हैं, ससुराल नहीं गई, इसी को ले कर लोग सौ तरह की बातें ही तो बनाते हैं.

असगर यों अचानक तरन्नुम को अपने दफ्तर में खड़ा देख कर हैरान हो गया, ‘‘आप यहां? यों अचानक,’’ असगर हकलाता हुआ बोला.

तरन्नुम शरारत से हंस दी, ‘‘जी हां, मैं यों अचानक किसी ख्वाब की तरह,’’ तरन्नुम ने चहकते से अंदाज में कहा, ‘‘है न, यकीन नहीं हो रहा,’’ फिर हाथ आगे बढ़ा कर बोली, ‘‘हैलो, कैसे हो?’’ असगर ने गरमजोशी से फैलाए हाथ को अनदेखा कर के सिगरेट सुलगाई और एक गहरा कश लिया.

तरन्नुम को लगा जैसे किसी ने उसे जोर से तमाचा मारा हो. वह लड़खड़ाती सी कुरसी पकड़ कर बैठ गई. मरियल सी आवाज में बोली, ‘‘हमें आया देख कर आप खुश नहीं हुए, क्यों, क्या बात है?’’

असगर ने अपने को संभालने की कोशिश की, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. तुम्हें यों अचानक आया देख कर मैं घबरा गया था,’’ असगर ने घंटी बजा कर चपरासी से चाय लाने को कहा.

‘‘हमारा आना आप के लिए खुशी की बात न हो कर घबराने की बात होगी, ऐसा तो मैं ने सोचा भी नहीं था,’’ तरन्नुम की आंखें नम हो रही थीं.

तब तक चपरासी चाय रख कर चला गया था. असगर ने चाय में चीनी डाल कर प्याला तरन्नुम की तरफ बढ़ाया. तरन्नुम जैसे एकएक घूंट के साथ आंसू पी रही थी.

असगर ने एकदो फाइलें खोलीं. कुछ पढ़ा, कुछ देखा और बंद कीं. अब उस ने तरन्नुम की तरफ देखा, ‘‘क्या कार्यक्रम है?’’

‘‘मेरा कार्यक्रम तो फेल हो गया,’’ तरन्नुम लजाती सी बोली, ‘‘मैं ने सोचा था पहुंच कर आप को हैरान कर दूंगी. फिर अपना घर देखूंगी. हमेशा ही मेरे दिमाग में एक धुंधला सा नक्शा था अपने घर का, जहां आप एक खास तरीके से रहते होंगे. उस कमरे की किताबें, तसवीरें सभी कुछ मुझे लगता है मेरी पहचानी सी होंगी लेकिन यहां तो अब आप ही जब अजनबी लग रहे हैं तब वे सब…’’

असगर के चेहरे पर एक रंग आया और गया. फिर वह बोला, ‘‘यही परेशानी है तुम औरतों के साथ. हमेशा शायरी में जीना चाहती हो. शायरी और जिंदगी 2 चीजें हैं. शायरी ठीक वैसी ही है जैसे मुहब्बत की इब्तदा.’’

‘‘और मुहब्बत की मौत शादी,’’ असगर की तरफ गहरी आंखों से देखते हुए तरन्नुम बोली.

‘‘मुझे पता है तुम ने बहुत से इनाम जीते हैं वादविवाद में, लेकिन मैं अपनी हार कबूल करता हूं. मैं बहस नहीं करना चाहता,’’ असगर ने उठते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा सामान कहां है?’’

‘‘बाहर टैक्सी में,’’ तरन्नुम ने बताया.

‘‘टैक्सी खड़ी कर के यहां इतनी देर से बैठी हो?’’

‘‘और क्या करती? पता नहीं था कि आप यहां मिलोगे भी या नहीं. फिर सामान भी भारी था,’’?तरन्नुम ने खुलासा किया.

जाहिर था असगर उस की किसी भी बात से खुश नहीं था.

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जब टैक्सी में बैठे तो असगर ने टैक्सी चालक को किसी होटल में चलने को कहा, ‘‘पर मैं तो आप का घर देखना…’’

असगर ने तरन्नुम का हाथ दबाया, ‘‘मेरे दोस्त अपने घर में मुझे मेहमान रखने की इजाजत नहीं देंगे.’’

‘‘पर मैं तो मेहमान नहीं, आप की बीवी हूं,’’ तरन्नुम ने मरियल आवाज में दोहराया.

‘‘उन की पहली शर्त ही कुंआरे को रखने की थी और ऐसी जल्दी भी क्या थी. मैं ने लिखा था कि घर मिलते ही बुला लूंगा,’’ असगर का दबा गुस्सा बाहर आया.

‘‘हमारी शादी को 8 महीने हो गए. तब से अभी तक अगर अपना घर नहीं मिला तो क्या किराए का भी नहीं मिल सकता था,’’ तरन्नुम ने खीज कर पूछा. उसे दिल ही दिल में बहुत बुरा लग रहा था कि शादी के चंद महीने बाद ही वह खास औरताना अंदाज में मियांबीवी वाला झगड़ा कर रही थी.

‘‘ठीक है,’’ असगर ने कहा, ‘‘अब तुम दिल्ली आ ही गई हो तो घरों की खोज भी कर लो. तुम्हें खुद ही पता लग जाएगा कि घर ढूंढ़ना कितना आसान है,’’ होटल में आ कर भी तरन्नुम महसूस कर रही थी कहीं कुछ है जो असगर को सामान्य नहीं होने दे रहा.

अगले दिन असगर जब दफ्तर चला गया तब तरन्नुम ने अपनी सहेली रीता अरोड़ा को फोन किया और अपनी घर न मिलने की मुश्किल बताई. रीता ने कहा कि वह शाम को अपने परिचितों, मित्रों से बातचीत कर के कुछ इंतजाम करेगी.

दूसरे दिन रीता अपनी कार ले कर तरन्नुम को लेने आई. रास्ते से उन्होंने एक दलाल को साथ लिया जो विभिन्न स्थानों में उन्हें मकान दिखाता रहा. शाम होने को आई लेकिन अभी तक जैसा घर तरन्नुम चाहती थी वैसा एक भी नहीं मिला. कहीं घर ठीक नहीं लगा तो कहीं पड़ोस तरीके का नहीं. अगर दोनों ठीक मिल गए तो आसपास का माहौल बेतुका. दलाल को छोड़ते हुए रीता ने घर के बारे में पूरी तरह अपनी इच्छा समझाई.

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Serial Story: सजा– भाग 4

निकहत ने जब खाने के लिए बुलाया तब वह जैसे किसी दूसरी दुनिया से लौट कर आई, ‘‘आप बेकार ही तकल्लुफ में पड़ गईं, हमें भूख नहीं थी,’’ उस ने कहा.

‘‘तो क्या हुआ, आज का खाना हमारी भूख के नाम पर ही खा लीजिए. हमें तो आप की सोहबत में ही भूख लग आई है.’’

रोशनी सा दमकता चेहरा, उजली धूप सी मुसकान, तरन्नुम ठगी सी देखती रही. फिर बोली, ‘‘आप के पति कितने खुशकिस्मत हैं, इतनी सुंदर बीवी, तिस पर इतना बढि़या खाना.’’

‘‘अरे आप तो बेकार ही कसीदे पढ़ रही हैं. अब इतने बरसों के बाद तो बीवी एक आदत बन जाती है, जिस में कुछ समझनेबूझने को बाकी ही नहीं रहता. पढ़ी किताब सी उबाऊ वरना क्या इतनेइतने दिन मर्द दौरे पर रहते हैं? बस, उन की तरफ से घर और बच्चे संभाल रहे हैं यही बहुत है,’’ निकहत ने तश्तरी में खाना परोसते हुए कहा.

‘‘कहां काम करते हैं कुरैशी साहब?’’ तरन्नुम ने पूछा.

‘‘कटलर हैमर में, उन का दफ्तर कनाट प्लेस में है. असगर पहले इतना दौरे पर नहीं रहते थे जितना कि पिछले एक बरस से रह रहे हैं.’’

‘‘असगर,’’ तरन्नुम ने दोहराया.

‘‘हां, मेरे शौहर, आप ने बाहर तख्ती पर अ. कुरैशी देखा था. अ. से असगर ही है. हमारे बच्चे हंसते हैं, अब्बू, ‘अ’ से अनार नहीं हम अपनी अध्यापिका को बताएंगे ‘अ’ से असगर,’’ फिर प्यार से बच्चे के सिर पर धौल लगाती बोली, ‘‘मुसकराओ मत, झटपट खाना खत्म करो फिर टीवी देखेंगे.’’

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‘‘अरे, तरन्नुम तुम कुछ उठा नहीं रहीं,’’ रीता ने तरन्नुम को हिलाया.

‘‘हूं, खा तो रही हूं.’’

‘‘क्यों, खाना पसंद नहीं आया?’’ निकहत ने कहा, ‘‘सच तरन्नुम, मैं भी बहुत भुलक्कड़ हूं. बस, अपनी कहने की रौ में मुझे दूसरे का ध्यान ही नहीं रहता. खाना सुहा नहीं रहा तो कुछ फल और दही ले लो.’’

‘‘न दीदी, मुझे असल में भूख थी ही नहीं, वह तो खाना बढि़या बना है सो इतना खा गई.’’

‘‘अच्छा अब खाना खत्म कर लो फिर तुम्हें ऊपर वाला हिस्सा दिखाते हैं, जिस में तुम्हें रहना है. तुम्हारे यहां आ कर रहने से मेरा भी अकेलापन खत्म हो जाएगा.’’

‘‘पर किराए पर देने से पहले आप को अपने शौहर से नहीं पूछना होगा,’’ तरन्नुम ने कहा.

‘‘वैसे कानूनन यह कोठी मेरी मिल्कियत है. पहले हमेशा ही उन से पूछ कर किराएदार रखे हैं. इस बार तुम आ रही हो तो बजाय 2 आदमियों के बीच बातचीत हो इस बार तरीका बदला जाए,’’ निकहत शरारत से हंस दी, ‘‘यानी मकान मालकिन और किराएदारनी तथा मध्यस्थ भी इस बार मैं औरत ही रख रही हूं. राजन कपूर की जगह बिन्नी कपूर वकील की हैसियत से हमारे बीच का अनुबंध बनाएंगी, क्यों?’’

रीता जोर से हंस दी, ‘‘रहने दो निकहत दीदी, बिन्नी दी ने शादी के बाद वकालत की छुट्टी कर दी.’’

‘‘इस से क्या हुआ,’’ निकहत हंसी, ‘‘उन्होंने विश्वविद्यालय की डिगरी तो वापस नहीं कर दी है. जो काम कभी न हुआ तो वह आज हो सकता है. क्यों तरन्नुम, तुम्हारी क्या राय है? मैं आज शाम तक कागजात तैयार करवा कर होटल भेज देती हूं. तुम अपनी प्रति रख लेना, मेरी दस्तखत कर के वापस भेज देना. रही किराए के अग्रिम की बात, उस की कोई जल्दी नहीं है, जब रहोगी तब दे देना. आदमी की जबान की भी कोई कीमत होती है.’’रीता तरन्नुम को तीसरे पहर होटल छोड़ती हुई निकल गई.

शाम को असगर के आने से पहले तरन्नुम ने खूब शोख रंग के कपड़े, चमकदार गहने पहने, गहरा शृंगार किया, असगर उसे तैयार देख कर हैरान रह गया. यह पहरावा, यह हावभाव उस तरन्नुम के नहीं थे जिसे वह सुबह छोड़ कर गया था.

‘‘आप को यों देख कर मुझे लगा जैसे मैं गलत कमरे में आ गया हूं,’’ असगर ने चौंक कर कहा.

‘‘अब गलत कमरे में आ ही गए हो तो बैठने की गलती भी कर लो,’’ तरन्नुम ने कहा, ‘‘क्या मंगवाऊं आप के लिए, चाय, ठंडा या कुछ और,’’ तरन्नुम ने लहरा कर पूछा.

‘‘होश में तो हो,’’ असगर ने कहा.

‘‘हां, आंखें खुल गईं तो होश में ही हूं,’’ तरन्नुम ने जवाब दिया, ‘‘आज का दिन मेरी जिंदगी का बहुत कीमती दिन है. आज मैं ने अपनी हिम्मत से तुम्हारे शहर में बहुत अच्छा घर ढूंढ़ लिया है. उस की खुशी मनाने को मेरा जी चाह रहा है. अब तो अनुबंध की प्रति भी है मेरे पास. देखो, तुम इतने महीने में जो न कर सके वह मैं ने 6 दिन में कर दिया,’’ अपना पर्स खोल कर तरन्नुम ने कागज असगर की तरफ बढ़ाए.

असगर ने कागज लिए. तरन्नुम ने थरमस से ठंडा पानी निकाल कर असगर की तरफ बढ़ाया. असगर के हाथ कांप रहे थे. उस की आंखें कागज को बहुत तेजी से पढ़ रही थीं. उस ने कागज पढ़े और मेज पर रख दिए. तरन्नुम उस के चेहरे के उतारचढ़ाव देख रही थी लेकिन असगर का चेहरा सपाट था कोरे कागज सा.

‘‘असगर, तुम ने पूछा नहीं कि मैं ने कागजात में खाविंद का नाम न लिख कर वालिद का नाम क्यों लिखा?’’ बहुत बहकी हुई आवाज में तरन्नुम ने कहा.

असगर ने सिर्फ सवालिया नजरों से उस की तरफ देखा.

‘‘इसलिए कि मेरे और निकहत कुरैशी के खाविंद का एक ही नाम है और अलबम की तसवीरें कह रही हैं कि हम दोनों बिना जाने ही एकदूसरे की सौतन बना दी गईं. निकहत बहुत प्यारी शख्सियत है मेरे लिए, बहुत सुलझी हुई, बेहद मासूम.’’

‘‘तरन्नुम,’’ असगर ने कहा.

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‘‘हां, मैं कह रही थी वह बहुत अच्छी, बहुत प्यारी है. मैं उन का मन दुखाना नहीं चाहती, वैसा कुछ भी मैं नहीं करूंगी जिस से उन का दिल दुखी हो. इसलिए मैं वह घर किराए पर ले चुकी हूं और वहां रहने का मेरा पूरा इरादा है लेकिन उस घर में मैं अकेली रहूंगी. पर एक सवाल का जवाब तुम्हारी तरफ बाकी है, तुम ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया?’’

‘‘मुझे तुम बेहद पसंद थीं,’’ असगर ने हकलाते हुए कहा.

‘‘तो?’’

‘‘जब तुम्हें भी अपनी तरफ चाहत की नजर से देखते पाया तो सोचा…’’

‘‘क्या सोचा?’’ तरन्नुम ने जिरह की.

‘‘यही कि अगर तुम्हारे घर वालों को एतराज नहीं है तो यह निकाह हो सकता है,’’ असगर ने मुंह जोर होने की कोशिश की.

‘‘मेरे घर वालों को तुम ने बताया ही कहां?’’ तरन्नुम गुस्से से तमतमा उठी.

‘‘देखो, तरन्नुम, अब बाल की खाल निकालना बेकार है. शकील को सब पता था. उसी ने कहा था कि एक बार निकाह हो गया तो तुम भी मंजूर कर लोगी. तुम्हारी अम्मी ने झोली फैला कर यह रिश्ता अपनी बेटी की खुशियों की दुहाई दे कर मांगा था. वैसे इसलाम में 4 शादियों तक भी मुमानियत नहीं है.’’

‘‘देखिए, मुझे अपने ईमान के सबक आप जैसे आदमी से नहीं लेने हैं. आप की हिम्मत कैसे हुई निकहत जैसी नेक बीवी के साथ बेईमानी करने की और मुझे धोखा देने की,’’ तरन्नुम ने तमतमा कर कहा.

‘‘धोखाधोखा कहे जा रही हो. शकील को सब पता था, उसी ने चुनौती दे रखी थी तुम से शादी करने की.’’

‘‘वाह, क्या शर्त लगा रहे हैं एक औरत पर 2 दोस्त? आप को जीत मुबारक हो, लेकिन यह आप की जीत आप की जिंदगी की सब से बड़ी हार साबित होगी, असगर साहब. मैं आप के घर में किराएदार बन कर जिंदगी भर रहूंगी और दिल्ली आने के बाद अदालत में तलाक का दावा भी दायर करूंगी. वैसे मेरी जिंदगी में शादी के लिए कोई जगह नहीं थी. शकील ने शादी के बहुत बार पैगाम भेजे, मैं ने हर बार मना कर दिया. उसी का बदला इस तरह वह मुझ से लेगा, मैं ने सोचा भी नहीं था. आज पंचशील पार्क जा कर मुझे एहसास हुआ कि क्यों दिल्ली में घर नहीं मिल रहे? क्यों तुम उखड़ाउखड़ा बरताव कर रहे थे? देर आए दुरुस्त आए.’’

‘‘पर मैं तुम्हें तलाक देना ही नहीं चाहता,’’ असगर ने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हें अपनी बीवी बनाया है. मैं तुम्हारे लिए दूसरी जगह घर बसाने के लिए तैयार हूं.’’

बहुत खुले दिमाग हैं आप के, लेकिन माफ कीजिए. अब औरत उस कबीली जिंदगी से निकल चुकी है जब मवेशियों की गिनती की तरह हरम में औरत की गिनती से आदमी की हैसियत परखी जाती थी. बच्चों से उन का बाप और निकहत से उस का शौहर छीनने का मेरा बिलकुल इरादा नहीं है और वैसे भी एक धोखेबाज आदमी के साथ मैं जी नहीं सकती. हर घड़ी मेरा दम घुटता रहेगा लेकिन तुम्हें बिना सजा दिए भी मुझे चैन नहीं मिलेगा. इसीलिए तुम्हारे घर के ऊपर मैं किराएदार की हैसियत से आ रही हूं.’’

फिर तेज सांसों पर नियंत्रण करती हुई बोली थी तरन्नुम, ‘‘मैं सामान लेने जा रही हूं. तुम निकहत को कुछ बताने का दम नहीं रखते. तुम बेहद कमजोर और बुजदिल आदमी हो. हम दोनों औरतों के रहमोकरम पर जीने वाले.’’

असगर के चेहरे पर गंभीरता व्याप्त थी. तरन्नुम अपनी अटैची बंद कर रही थी. वह मन ही मन सोच रही थी…अम्मीअब्बू की खुशी के लिए उसे वहां कोई भी बात बतानी नहीं है. यह स्वांग यों ही चलने दो जब तक वे हैं.’’

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Serial Story: सजा– भाग 1

असगर अपने दोस्त शकील की शादी में शरीक होने रामपुर गया. स्कूल के दिनों से ही शकील उस के करीबी दोस्तों में शुमार होता था. सो दोस्ती निभाने के लिए उसे जाना मजबूरी लगा था. शादी की मौजमस्ती उस के लिए कोई नई बात नहीं थी और यों भी लड़कपन की उम्र को वह बहुत पीछे छोड़ आया था.

शकील कालेज की पढ़ाई पूरी कर के विदेश चला गया था. पिछले कितने ही सालों से दोनों के बीच चिट्ठियों द्वारा एकदूसरे का हालचाल पता लगते रहने से वे आज भी एकदूसरे के उतने ही नजदीक थे जितना 10 बरस पहले.

असगर को दिल्ली से आया देख शकील खुशी से भर उठा, ‘‘वाह, अब लगा शादी है, वरना तेरे बिना पूरी रौनक में भी लग रहा था कि कुछ कसर बाकी है. तुझ से मिल कर पता लगा क्या कमी थी.’’

‘‘वाह, क्या विदेश में बातचीत करने का सलीका भी सिखाया जाता है या ये संवाद भाभी को सुनाने से पहले हम पर आजमाए जा रहे हैं.’’

‘‘अरे असगर, जब तुझे ही मेरे जजबात का यकीन न आ रहा हो तो वह क्यों करेगी मेरा यकीन, जिसे मैं ने अभी देखा भी नहीं,’’ शकील, असगर के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला.

बातें करतेकरते जैसे ही दोनों कमरे के अंदर आए असगर की निगाहें पल भर के लिए दीवान पर किताब पढ़ती एक लड़की पर अटक कर रह गईं. शकील ने भांपा, फिर मुसकरा दिया. बोला, ‘‘आप से मिलिए, ये हैं तरन्नुम, हमारी खालाजाद बहन और आप हैं असगर कुरैशी, हमारे बचपन के दोस्त. दिल्ली से तशरीफ ला रहे हैं.’’

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दुआसलाम के बाद वह नाश्ते का इंतजाम देखने अंदर चली गई. असगर के खयाल जैसे कहीं अटक गए. शकील ने उसे भांप लिया, ‘‘क्यों साहब, क्या हुआ? कुछ खो गया है या याद आ रहा है?’’

असगर कुछ नहीं बोला, बस एक नजर शकील की तरफ देख कर मुसकरा भर दिया.

शादी के सारे माहौल में जैसे तरन्नुम ही तरन्नुम असगर को दिखाई दे रही थी. उसे बिना बात ही मौसम, माहौल सभी कुछ गुनगुनाता सा लगने लगा. उस के रंगढंग देख कर शकील को मजा आ रहा था. वह छेड़खानी पर उतर आया. बोला, ‘‘असगर यार, अपनी दुनिया में वापस आ जाओ. कुछ बहारें देखने के लिए होती हैं, महसूस करने के लिए नहीं, क्या समझे? भई, यह औरतों की आजादी के लिए नारा बुलंद करने वालियों की अपने कालेज की जानीमानी सरगना है, तुम्हारे जैसे बहुत आए और बहुत गए. इसे कुछ असर होने वाला नहीं है.’’

‘‘लगानी है शर्त?’’ असगर ने चुनौती दी, ‘‘अगर शादी तक कर के न दिखा दूं तो मेरा नाम असगर कुरैशी नहीं.’’

शकील ने उसे छेड़ते हुए कहा, ‘‘मियां, लोग तो नींद में ख्वाब देखते हैं, आप जागते में भी.’’

‘‘बकवास नहीं कर रहा मैं,’’ असगर ने कहा, ‘‘बोल, अगर शादी के लिए राजी कर लूं तो?’’

‘‘ऐसा,’’ शकील ने उकसाया, ‘‘जो नई गाड़ी लाया हूं न, उसी में इस की डोली विदा करूंगा, क्या समझा. यह वह तिल है जिस में तेल नहीं निकलता.’’

और इस चुनौती के बाद तो असगर तरन्नुम के आसपास ही नजर आने लगा. अचानक ही एक से एक शेर उस के होंठों पर और हर महफिल में गजलें उस की फनाओं में बिखर रही थीं.

शकील हैरान था. यह तरन्नुम, जो हर आदमी को, आदमी की जात पर लानत देती थी, कैसे अचानक ही बहुत लजीलीशर्मीली ओस से भीगे गुलाब सी धुलीधुली नजर आने लगी.

घर में उस के इस बदलाव पर हलकी सी चर्चा जरूर हुई. शकील के साथ तरन्नुम के अब्बाअम्मी उस से मिलने आए. शकील ने कहा, ‘‘ये तुम से कुछ बातचीत करना चाहते थे, सो मैं ने सोचा अभी ही मौका है फिर शाम को तो तुम वापस दिल्ली जा ही रहे हो.’’

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असगर हैरान हो कर बोला, ‘‘किस बारे में बातचीत करना चाहते हैं?’’

‘‘तुम खुद ही पूछ लो, मैं चला,’’ फिर अपनी खाला शहनाज की तरफ मुड़ कर बोला, ‘‘खालू, देखो जो भी बात आप तफसील से जानना चाहें उस से पूछ लें, कल को मेरे पीछे नहीं पडि़एगा कि फलां बात रह गई और यह बात दिमाग में ही नहीं आई,’’ इस के बाद शकील कमरे से बाहर हो गया.

असगर ने कहा, ‘‘आप मुझ से कुछ पूछना चाहते थे, पूछिए?’’

शहनाज बड़ा अटपटा महसूस कर रही थीं. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या सवाल करें. उन के शौहर रज्जाक अली ने चंद सवाल पूछे, ‘‘आप कहां के रहने वाले हैं. कितने बहनभाई हैं, कहां तक पढ़े हैं? सरकारी नौकरी न कर के आप प्राइवेट नौकरी क्यों कर रहे हैं? अपना मकान दिल्ली में कैसे बनवाया? वगैरहवगैरह.’’

असगर जवाब देता रहा लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी तहकीकात किसलिए की जा रही है. शहनाज खाला थीं कि उस की तरफ यों देख रही थीं जैसे वह सरकस का जानवर है और दिल बहलाने के लिए अच्छा तमाशा दिखा रहा है. खालू के चंदएक सवाल थे जो जल्दी ही खत्म हो गए.

शहनाज खाला बोलीं, ‘‘तो बेटा, जब तुम्हारे सिर पर बुजुर्गों का साया नहीं है तो तुम्हें अपने फैसले खुद ही करने होते होंगे, है न…’’

‘‘जी,’’ असगर ने कहा.

‘‘तो बताओ, निकाह कब करना चाहोगे?’’

‘‘निकाह?’’ असगर ने पूछा.

‘‘और क्या,’’ खाला बोलीं, ‘‘भई, हमारे एक ही बेटी है. उस की शादी ही तो हमारी जिंदगी का सब से बड़ा अरमान है. फिर हमारे पास कमी भी किस चीज की है. जो कुछ है सब उसे ही तो देना है,’’ खाला ने खुलासा करते हुए कहा.

‘‘पर आप यह सब मुझ से क्यों कह रही हैं?’’

इस पर खालू ने कहा, ‘‘बात ऐसी है बेटा कि आज तक हमारी तरन्नुम ने किसी को भी शादी के लायक नहीं समझा. हम लोगों की अब उम्र हो रही है. अब उस ने तुम्हें पसंद किया है तो हमें भी अपना फर्ज पूरा कर के सुर्खरू हो लेने दो.’’

‘‘क्या?’’ असगर हैरान रह गया, ‘‘तरन्नुम मुझे पसंद करती है? मुझ से शादी करेगी?’’ असगर को यकीन नहीं आ रहा था.

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‘‘हां बेटा, उस ने अपनी अम्मी से कहा है कि वह तुम्हें पसंद करती है और तुम्हीं से शादी करेगी. देखो बेटा, अगर लेनेदेने की कोई फरमाइश हो तो अभी बता दो. हमारी तरफ से कोई कसर नहीं रहेगी.’’

‘‘पर खालू मैं तो शादी,’’ असगर कुछ कहने के लिए सही शब्द सोच ही रहा था कि खालू बीच में ही बोले, ‘‘देखो बेटा, मैं अपनी बच्ची की खुशियां तुम से झोली फैला कर मांग रहा हूं, न मत कहना. मेरी बच्ची का दिल टूट जाएगा. वह हमेशा से ही शादी के नाम से किनारा करती रही है. अब अगर तुम ने न कर दी तो वह सहन नहीं कर सकेगी.’’

एक पल को असगर चुप रहा, फिर बोला, ‘‘आप ने शकील से बात कर ली है.’’

‘‘हां,’’ खालू बोले, ‘‘उस की रजामंदी के बाद ही हम तुम से बात करने आए हैं.’’

शहनाज खाला उतावली सी होती हुई बोलीं, ‘‘तुम हां कह दो और शादी कर के ही दिल्ली जाओ. सभी इंतजाम भी हुए हुए हैं. इस लड़की का कोई भरोसा नहीं कि अपनी हां को कब ना में बदल दे.’’

‘‘ठीक है, जैसा आप सही समझें करें,’’ असगर ने कहा.

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Holi Special: इस होली अपने लुक को बनाएं स्टाइलिश और कंफरटेबल

होली वसंत ऋतु के दौरान मनाई जाती है और पूरे देश भर के लोग इसे बहुत मस्ती से मनाते हैं. होली रंगों का त्यौहार है और यह भारतीय लोगों का सबसे मन पसंदीदा त्यौहार माना जाता है इसलिए इस त्यौहार पर पहनने वाले कपड़े भी आपको बहुत सोच समझ कर चुनने होंगे. इस त्यौहार को रंगों के साथ साथ प्रेम का भी त्यौहार माना जाता है.

वैसे तो होली वाले दिन महिलाओं के लिए सफेद सूट सलवार और पुरुषों के लिए सफेद कुर्ता पजामा बेस्ट चॉइस होती है. और यहीं से होली खेलने के मजे की सारी शुरुआत होती है. तो आइए कुछ ऐसे ही होली वाले दिन पहनने के आउटफिट आइडिया के बारे में जानते हैं और इस होली को और भी रंगीन बनाते हैं.

सफेद एथनिक स्ट्रेट कुर्ता

इस होली पर आप जयपुर कुर्ती के कुछ आउटफिट को ट्राई कर सकती हैं. यहां आपको बहुत से होली आउटफिट मिलेंगे. अगर आपको बहुत ही आरामदायक कपड़े पहनने का शौक है तो आप होली के दिन सफेद रंग का एथनिक स्ट्रेट कुर्ता ट्राई कर सकती हैं जोकि आपके लुक में चार चांद लगा देगा.

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होली के लिए बेस्ट फैब्रिक : कॉटन कुर्ता

 

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होली के लिए सबसे अच्छा कपड़े का फैब्रिक होता है कॉटन और अगर यह कॉटन सफेद रंग का हो तो वह तो सोने पर सुहागा हो जाता है. अगर आप इस होली में अपने स्किन के प्रति सचेत रहना चाहते हैं और खुद को स्किन समस्याओं और टैनिंग से बचाना चाहते हैं तो फिर यह सफेद कॉटन कुर्ता अवश्य ट्राई करें.

सफेद एथनिक स्ट्रेट कॉटन कुर्ता

 

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आप होली के लिए अपनी एक कॉटन ड्रेस भी पसंद कर सकते हैं जिसमें अलग अलग रंगों के प्रिंट्स हों ताकि यह लगे की आप होली खेलने वाले हों अर्थात इस प्रकार की ड्रेस से आपकी होली और भी ज्यादा रंगीन बन जायेगी. अगर आप ऐसा ही कुछ सोच रहे हैं तो जयपुर कुर्ती की सफेद एथनिक स्ट्रेट कॉटन कुर्ता ट्राई कर सकते हैं.

व्हाइट कोरल एथनिक स्ट्रेट कॉटन कुर्ता पैंट के साथ

 

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क्या आप इस होली अपनी ड्रेस के कारण खूबसूरत दिखने के साथ साथ हॉट भी दिखना चाहती हैं तो कोरल एथनिक कुर्ती को पैंट्स के साथ ट्राई कीजिए. अब अपनी अधिक खोज को बंद करिए और सफेद और कोरल एथनिक स्ट्रेट कुर्ती के साथ पैंट्स को ट्राई करें.

वूमेन व्हाइट एथनिक ब्लू और ब्लू एथनिक कुर्ता पलाजो के साथ

अगर आप भी एथनिक स्टाइल को पसंद करते हैं और बॉलीवुड स्टाइल ट्राई करना चाहते हैं तो इस ऑप्शन को ट्राई कर सकते हैं. इस सेट के साथ आप बहुत ही खूबसूरत और स्टाइलिश दिखेंगी.

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अपना होली का दिन सफेद कपड़ों के साथ शुरू करने का अर्थ है की आप खाली कैनवास लेकर अपने घर से निकल रहे हैं और पूरा दिन अपने कैनवास पर एक खूबसूरत पेंटिंग रंग कर शाम को वापस घर आ रहे हैं.

‘विराट’ के लिए नहीं बल्कि इस शख्स के लिए रो रही हैं ‘गुम है किसी के प्यार में’ की ‘पाखी’!

कोरोना के बढते कहर का शिकार इन दिनों सेलेब्स पर भी देखने को मिल रहा है. जहां बीते दिनों सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) के एक्टर नील भट्ट (Neil Bhatt) को कुछ समय पहले कोरोना हुआ था. तो वहीं कुछ दिनों बाद ही उनकी मंगेत्तर ऐश्वर्या शर्मा (Aishwarya Sharma) भी कोरोना पौजीटिव हो गई थीं. वहीं शूटिंग भी बीच में रोक दी गई थी, जिसके बाद हर कोई अपने खास को याद कर रहा है. लेकिन ऐश्वर्या शर्मा को उनके मंगेत्तर की नही बल्कि शो के एक दूसरे कलाकार की याद आ रही है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

इस कलाकार संग शेयर की वीडियो

दरअसल, टीवी एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा को अपने बॉयफ्रेंड नील भट्ट की नहीं बल्कि सीरियल गुम है किसी के प्यार में की भवानी यानी किशोरी शहाणे को याद करती नजर आ रही हैं. दरअसल, हाल ही में ऐश्वर्या शर्मा ने एक वीडियो शेयर की है, जिसमें वह किशोरी शहाणे के साथ मस्ती करती नजर आ रही हैं.

 

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सेट पर साथ समय बिताती हैं दोनों एक्ट्रेसेस

 

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सेट पर ऐश्वर्या शर्मा सबसे ज्यादा समय किशोरी शहाणे के साथ ही बिताती हैं. दरअसल, सीरियल में पाखी और भवानी की काफी बौंडिग है, जिसके कारण दोनों हर बुरे काम में एक दूसरे की मदद करती है. शो में कुछ समय पहले ही भवानी ने पाखी की मदद से विराट और सई के बीच फूट डालने की कोशिश भी की थी.

 

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सीरियल के ट्रैक की बात करें तो शो की कहानी इन दिनों सई के इर्द-गिर्द घूम रही है. दरअसल, पाखी और भवानी मिलकर पुलकित और देवियानी की शादी को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सई पूरी कोशिश कर रही है कि दोनों की शादी करवा सके. वहीं इसी के चलते विराट भी उसके खिलाफ हो गया है.

पाखी के कारण बढ़ीं वनराज और काव्या के बीच दूरियां, ‘अनुपमा’ में आएगा नया ट्विस्ट

सीरियल अनुपमा में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां एक तरफ काव्या, वनराज को उसकी फैमिली से अलग करने की पूरी कोशिश कर रही है तो वहीं अनुपमा अपने बेटे समर की खुशी नंदिनी के प्यार को एक नया नाम देने की सोच रही है. हालांकि इसी बीच वनराज और अनुपमा के बीच भी बहस देखने को मिल रही है. लेकिन शो की कहानी में अभी कई नए मोड़ आने बाकी है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

शाह हाउस से बाहर हुई काव्या

 

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अब तक आपने देखा कि समर और वनराज की बहस के बीच पाखी की एंट्री हो जाती हैं. जहां हर कोई उसे देखकर खुश होता है तो वहीं काव्या को शाह हाउस में देखकर पाखी गुस्से से आगबबूला होती हुई नजर आती है. इसी कारण घर में काफी तमाशा भी होता है. दूसरी तरफ पाखी फैसला करती है कि वह शाह हाउस में तब तक नही आएगी जब तक काव्या घर में मौजूद रहेगी. पाखी का ये फैसला सुनते ही वनराज और अनुपमा हैरान हो जाते हैं. और काव्या को घर से जाने के लिए कहते नजर आते हैं.

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पाखी के कारण बढ़ीं दूरियां

 

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पाखी के कारण शाह हाउस से बेघर हुई काव्या के सारे प्लान पर पानी फिर जाता है. जहां काव्या का मौलेस्टेशन ड्रामा पूरी तरह बेकार हो जाता है तो वहीं उसके शाह हाउस को घर से निकालने का प्लान भी धरा का धरा रह जाता है. इसी बीच आने वाले एपिसोड में कई नए ड्रामे देखने को मिलेंगे. दरअसल, पाखी अपनी माता पिता को एक करने के लिए पूरी कोशिश करती नजर आएगी. वहीं काव्या वनराज को अपनी तरफ करने के लिए नए पालन बनाएगी. हालांकि काव्या के सारे प्लान फेल होते चले जाएंगे.

बता दें, जल्द शो में एक नई एंट्री होने वाली है. कहा जा रहा है कि शो में नया किरदार अनुपमा का पुराना प्यार होगा. वहीं इस बारे में शो के निर्माता राजन शाही ने कहा है कि, ‘मैं चाहता हूं कि राम कपूर भूमिका निभाएं. दरअसल, राम एक पौपुलर टीवी और फिल्म एक्टर हैं और पहले भी कई हिट शो का हिस्सा रहे हैं. और अगर पूरी तरह बात बनती है तो शो में नई लव स्टोरी नजर आएगी.

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बसंत ऋतु के रंग में रंगा Lakme Fashion Week, रेड कारपेट पर छाईं Hina Khan और ये एक्ट्रेसेस

बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है और इसके आगमन से ही प्रकृति की खूबसूरती के रंग चारों ओर फ़ैल जाती है. कोयल भी अपनी सुर निकालना शुरू कर देती है, ऐसे सुंदर रंग के माहौल में ‘ऍफ़ डी सी आई, लक्मे फैशन वीक 2021 शुरू की.

5 दिनों तक चलने वाले इस फैशन उत्सव को कोविड 19 की वजह से फिजिकल और डिजिटल दोनों में करना पड़ा. हर बार की तरह इस बार भी शो में बड़े-बड़े डिज़ाइनर्स से लेकर बॉलीवुड के कलाकार शामिल हुए और रैम्प की शोभा बढाई. इस बार फैशन वीक का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण फ्रेंडली, गर्मी में पहनने योग्य, रिजनेबल, कम्फ़र्टेबल और सस्टेनेबल का रहा. 

टाइमलेस द वर्ल्ड 

इस शीर्षक के साथ लोगों के इमोशन को ध्यान में रखते हुए पहली रात डिजाईनर कपड़ों के साथ रैम्प पर उतरी डिज़ाइनर अनामिका खन्ना, जिन्होंने अपने डिजाईन किये कपड़ों में अधिकतर कढ़ाई और क्रोशिया का प्रयोग कर परम्परागत, डेली वेअर, रंग-बिरंगे पुरुष और महिलाओं के कपड़ो से रैम्प को आलोकित कर दिया. पुरुषों के लिए शेरवानी और महिलाओं के लिए क्रोप्ट पेंट, फ्लूइड पायजामा आदि अलग-अलग रंगों में दिखाई पड़ी, जिसे किसी भी अवसर पर पहना जा सकता है.

 

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fashion-2

नवीनता की झलक 

 

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नए-नए डिजाईनरों को उत्साह देने की दिशा में लक्मे फैशन वीक का पहले दिन का पहला शो आई एन आई ऍफ़ डी की तरफ से ‘जेन नेक्स्ट’ रहा. इसमें बंगाल और कश्मीर के 2 डिजाईनरों को शामिल किया गया. बंगाल के नवोदय डिज़ाइनर राहुल दास गुप्ता, जिन्होंने ‘क्राफ्ट इन द फॉरफ्रंट’ के अंतर्गत एथनिक स्टाइल में और कश्मीर के वजाहत ने अपनी ब्रांड ‘रफुघर’ के अंतर्गत परंपरागत स्टाइलिश लुक में परिधान प्रस्तुत किये. इसमें दोनों डिजाईनर्स ने लुप्तप्राय मोटिफ्स और कारीगरी को अधिक महत्व दिया. 

प्रतिबिम्ब   

 

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गर्मियों में सभी को हल्के और आरामदायक कपडे पहनना पसंद होता है और इस उद्देश्य से रैम्प पर उतरी अर्पिता मेहता. उनके कलेक्शन का नाम रिफ्लेक्शन रहा, जिसमें वह प्रकृति के रूप को कपड़ों के जरिये दिखाने का प्रयास किया. यही वजह है कि उनकी पोशाकों में तरह-तरह के रंगीन फूल, पत्ते, बेल आदि दिखाई पड़े. उन्होंने अपने इस कलेक्शन में कफ्तान, शरारा, समर पेंट, गाउन आदि शामिल किया है.

कलाईडो

डिज़ाइनर पंकज और निधि हर साल की तरह इस बार अपनी नई कलेक्शन ‘कलाईडो’ के अंतर्गत रंग-बिरंगे, हल्के और ट्रेंडी पोशाक को रैम्प पर उतारें. शिफोन, जार्जेट के फेब्रिक्स पर रेट्रो-ग्राफिक डिजाईन्स देखने लायक रही, जिसे पंकज और निधि ने हल्के लाल, ऑरेंज, अल्ट्रा-वायलेट, ब्लू, आदि रंगों के साथ पेश किये. रंग दोनों डिजाईनर्स के जीवन में बहुत महत्व रखती है, जिसका आभास कपड़ों के माध्यम से दिखा. 

जाजाबर

 

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प्रसिद्ध डिज़ाइनर ऋतु कुमार की शो को देखने के लिए सबकी निगाहे रैम्प पर रही. इसबार उन्होंने ‘बोहो’ (जाजाबर) स्टाइल को अपने पोशाकों में जगह दी. फ्लोरल प्रिंट, पैचवर्क, लेस, कढ़ाई आदि से बनाये गए टियुनिक, कफ्तान, धोती पेंट, स्मार्ट ड्रेस आदि सभी बहुत अलग और ट्रेंडी लुक में दिखे. ऋतु कुमार की बोहेमियन लुक को टीवी शो के डिज़ाइनर निधि इयाशा ने बखूबी पेश किया. इस बार ऋतु कुमार की कलेक्शन का नाम ‘द ज़िप्सिस वाइफ’ रही.

कलर्ड गार्डन 

 

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गौरी- नयनिका ने इस बार अपने कपड़ो में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक प्रकृति में बदलाव को दिखाने की कोशिश की है. अलग-अलग रंगों के पोशाक समर/स्प्रिंग को ध्यान में रखकर आरामदायक और फ्री फ्लो बनायीं गयी है, जो देखने लायक रही.  

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समर 21

डिज़ाइनर मसाबा के कपडे हमेशा खूबसूरत और ट्रेंडी होते है. इस बार ‘समर 21’ में उन्होंने रिसोर्ट में जाने के लिए पहनी जाने वाली ट्रेंडी लुक को प्रस्तुत किया, जिसमें यूथ के लिए ट्रैक पेंट, जोगर्स पेंट, ऑफ़ शोल्डर गाउन, स्कर्ट ब्लाउज, मेक्सी स्कर्ट आदि परिधानों पर नेचर के मोटिफ्स दिए है.

किसमेट  

आर एलान के फेब्रिक्स को नए रूप में प्रस्तुत किया, डिज़ाइनर पायल सिंघल ने. उन्होंने एथ्लेजर पोशाक को ‘किसमेट’ के अंतर्गत कम्फ़र्टेबल और ऑफिस वेअर ड्रेस को रैंप पर उतारा. हल्के लेमन और पीले रंग के फ्लोरल डिजाईन के साथ ट्रेंडी लहंगा चोली और जैकेट के साथ अभिनेत्री आथिया शेट्टी ने रैंप पर जलवे बिखेरे. सभी परिधान के साथ मैचिंग बैग, स्कार्फ और ज्वेलरी भी इन्हें खूबसूरत बना रहे थे.   

झंकार पोशाक की 

डिज़ाइनर मनीष मल्होत्रा ने अपना नया कलेक्शन रैंप पर उतारे, जो किसी ख़ास अवसर या त्यौहार में पहने जा सकते है. उनके उतारे गए परिधानों में महिलाओं के लिए लहंगा, गाउन, जैकेट, शरारा, कुर्ता,पलाजो पेंट और पुरुषों के लिए कुर्ता पजामा, शेरवानी, आदि रहा, ये पोशाक शिमर, ग्लिटर जरदोजी, कढाई से भरे हुए होने की वजह से बहुत ही सुंदर दिखे. बॉलीवुड की कियारा अडवानी लहंगा चोली और कार्तिक आर्यन शेरवानी, पेंट कट ट्राउजर में रैम्प पर चलकर मनीष के कपड़ों की खूबसूरती बढ़ा दी. 

fashion

लेक्मे फैशन वीक का अंतिम दिन बॉलीवुड सितारों के जगमगा उठी, क्योंकि इस दिन अभिनेत्री अनन्या पांडे, लारा दत्ता, अहाना कुमरा, पूजा हेगड़े, हिना खान, दिव्या खोसला कुमार, दिया मिर्ज़ा आदि सभी ने रैंप पर डिज़ाइनर कपडे पहनकर वाक किया. डिज़ाइनर संयुक्ता की मेखला चादोर जिसे लारा दत्ता ने पहनी, आसाम की कारीगरी को जिन्दा रखने की दिशा में सफल प्रयास है. इसके अलावा डिज़ाइनर वरुण चक्किलम, स्वेता एंड अनुजा ग़ज़ल मिश्रा, अभिषेक और विनीता आदि सभी ने इस मौसम के हिसाब से रंग और डिजाईन पेश किये. अंतिम दिन का अंतिम शो रुचिका सचदेवा ने अपनी कलेक्शन ‘बोडिस’ से लाइव ओर्केस्ट्रा के बीच लक्मे की फेस शो स्टॉपर अभिनेत्री अनन्या पांडे के साथ बहुत ही रंगारंग कार्यक्रम के साथ संपन्न किया.

जानें क्या है ब्रैस्ट कैंसर और इससे जुड़े सर्जरी के औप्शन

बदलते जीवन शैली की वजह से भारत में कैंसर एक महामारी के रूप में फ़ैल रहा है. शोध में यह पाया गया है कि लगभग 20 साल बाद कैंसर के मरीजों की संख्या दुगुनी हो जायेगी. आज शायद ही कोई ऐसा परिवार है, जिसके घर में कैंसर का एक मरीज न हो. गलत लाइफस्टाइल की कीमत लोगों को कैंसर के रूप में मिल रहा है और इसमें सबसे अधिक ब्रैस्ट कैंसर के रोगी है, जिसका समय रहते इलाज करने पर कुछ हद तक रोगी को बचाया जा सकता है. ब्रैस्ट कैंसर होने पर कई महिलाओं के ब्रैस्ट भी निकाल दिया जाता है, जिसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, इसे ध्यान में रखते हुए ‘पूर्ति’ की शुरुआत की गई है, जो महिलाओं को जीने की आजादी दे सकें. 

इस बारें में कोलकाता, टाटा मेडिकल सेंटर की ब्रैस्ट ओंको सर्जन डॉ. रोजीना अहमद कहती है कि पिछले कुछ सालों में ब्रैस्ट कैंसर के मरीज पूरे विश्व में बहुत अधिक बढ़ चुके है, लेकिन भारत में इसकी संख्या अभी कम है, यहाँ 3 वेस्टर्न महिलाओं में एक महिला भारत की ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह संख्या पहले से बढ़ी है. एक साल में करीब 800 से 900 महिलाएं ब्रैस्ट कैंसर की मेरे डिपार्टमेंट में आती है. जिसमें 800 महिलाओं को सर्जरी की जरुरत पड़ती है, जिसमें 200 एडवांस केस के मरीज की सर्जरी नहीं की जाती, जबकि 400 महिलाओं के ब्रैस्ट को प्रिजर्व कर लिया जाता है और 400 को फुल ब्रैस्ट रिमुवल की जरुरत पड़ती है. ब्रैस्ट कैंसर बढ़ने की वजह बताना मुश्किल है, लेकिन कुछ वजह निम्न है, 

  • जेनेटिक है, तो इसे पता करना मुश्किल नहीं होता, क्योंकि मरीज को अनुवांशिकी से मिला है, जिसकी संख्या बहुत कम है,
  • बाकी महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर गलत लाइफस्टाइल की वजह से होती है. केवल 8 से 15 प्रतिशत अनुवांशिक मरीज होते है और इन्हें पहचान पाना आसान होता है, जबकि दूसरी महिलाओं की जीवन शैली में बदलाव की वजह से ब्रैस्ट कैंसर होता है, जिसे समझ पाना मुश्किल होता है. 
  • यंग लड़कियों में होने की वजह अधिकतर जेनेटिक होता है. जो एक या दो जेनेरेशन के बाद भी हो सकता है, 
  • कुछ यंग लड़कियों में जेनेटिक चेंज यानि म्युटेशन जो अधिकतर प्रेगनेंसी के बाद होती है, ऐसे में परिवार के किसी को ब्रैस्ट कैंसर न होने पर भी उस महिला को ब्रैस्ट कैंसर हो सकता है. इसलिए ये चिंता का विषय है, जिसके बारें में सोचने की जरुरत है. ब्रैस्ट कैंसर के मरीज केवल किसी एक राज्य में नहीं पूरे देश में बढ़ रहा है. पहले एक धारणा थी कि ये शहरों में होता है, गांव में नहीं,पर अब गांव में भी होता है. अंतर इतना है कि गांव की अपेक्षा शहरों में थोडा अधिक होता है. इस बीमारी के बढ़ने की वजह अधिकतर महिलाओं का समय पर शारीरिक जाँच न करवाना है, जिससे कैंसर का पता नहीं चल पाता. 

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इसके आगे डॉ.रोजीना कहती है कि जब महिलाएं शुरू में ब्रैस्ट पर एक गाँठ के साथ आती है, तो हमारी कोशिश होती है कि ब्रैस्ट को प्रीसर्व किया जाय, लेकिन कई बार सेर्जेरी से उसके ब्रैस्ट पूरी तरह से निकाल दिया जाता है. शुरू-शुरू में ब्रैस्ट कैंसर के मरीज डॉक्टर के पास पहुँचने से उनका इलाज संभव होता है. वैसे ब्रैस्ट कैंसर कई प्रकार के होते है, लेकिन स्टेज वन और स्टेज टू में आने पर भी 95 प्रतिशत महिलाओं का इलाज हो सकता है और ब्रैस्ट रिमूवल की जरुरत नहीं पढ़ती. कई बार लोग सोचते है कि ब्रैस्ट के कुछ पार्ट को निकलने से कैंसर वापस आ सकती है, पूरा ब्रैस्ट निकलना सही है,  ये बातें मिथ है. 

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पहले करीब 40 से 60 सालों से जब महिला का ब्रैस्ट कैंसर के होने से उसे निकाल देना ही एक रास्ता था, ऐसे में महिलाएं मानसिक रूप से टूट जाती थी. उन्हें लगता था कि उनका प्राइवेट जीवन अब अधूरा हो गया है. आज कई विकल्प है, अगर महिला के पास पैसे है, तो कॉस्मेटिक सर्जरी कर ब्रैस्ट इम्प्लांट कर लेती है, या फिर बाज़ार में कुछ ऐसी चीजो को खोजती है, जिनका प्रयोग वे ब्रैस्ट की जगह कर सकें. ‘पूर्ति’ इस दिशा में एक अच्छा आप्शन है जो ब्रैस्ट रिमूवल के बाद महिला को सामान्य जिंदगी जीने में सहयोग करती है,जो एक ब्रा के रूप में होता है, जिसके अंदर सिलिकॉन की पैडिंग होती है, जिसे पहनने पर  बाहर से कोई भी समझ नहीं सकता है कि महिला का ब्रैस्ट रिमुव हुआ है और उसे समाज में जीने की आज़ादी मिलती है. ये सही है जब महिला अपने कपडे उतारती है, तो उसे अपना शरीर दिखता है, जो उन्हें ख़राब लगता है, लेकिन कॉस्मेटिक सर्जरी बहुत ही खर्चीला होता है, जिसे हर महिला करवा नहीं सकती. 

इसके आगे डॉक्टर का कहना है कि ब्रैस्ट कैंसर एक पेनफुल बीमारी नहीं होती, क्योंकि कई बार पीरियड साइकिल के लिए भी ब्रैस्ट में दर्द होता है. इसलिए ब्रैस्ट में हुए दर्द को सामान्य मानकर डॉक्टर के पास नहीं जाती, इसलिए ये धीरे-धीरे बढ़ जाती है. महिलाओं से कहना है कि कोई भी गांठ अगर ब्रैस्ट में दर्द या बिना दर्द के भी हो, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और इलाज करवाएं.

‘पूर्ति’ की कांसेप्ट को रियल बनाने में दिल्ली के बायोकेमिस्ट, ब्रैस्ट कैंसर रिसर्चर, डॉक्टर पवन मेहरोत्रा का काफी प्रयास रहा है. कई साल विदेश में ब्रैस्ट कैंसर के लिए दवाइयां बनाने का काम करने के बाद वे भारत में टाटा फंडामेंटल रिसर्च से जुड़े और वहां स्तन कैंसर के कई डॉक्टर्स के साथ मिलकर, ब्रैस्ट कैंसर की बीमारी के बढ़ने के बारें में जानकारी हासिल कर स्तन कैंसर के लिए सही दवाई बनाने की कोशिश करने लगे. इस काम को करते हुए डॉ. पवन बंगलुरु के एक अस्पताल के कैंसर वार्ड में गए, जहाँ उन्होंने देखा कि दक्षिण की महिलाएं अधिकतर साड़ी पहनती है और उनमें कुछ महिलाये साड़ी की पल्लू लेफ्ट में, तो कुछ राईट में पल्लू रखी थी. इसकी वजह के बारें में पूछने पर महिलाओं के पति ने बताया कि इन महिलाओं में किसी की राईट तो किसी की लेफ्ट ब्रैस्ट को निकाले जाने की वजह से इन्होने पल्लू ऐसे रखी है और मानसिक रूप से महिलाएं परेशान भी है, क्योंकि एक ब्रैस्ट के निकाले जाने की वजह से उनके शरीर का संतुलन बिगड़ गया है, जिससे उनके गर्दन और कन्धों पर दर्द होता रहता है. 

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इस बारें में डॉ. पवन आगे कहते है कि उन महिलाओं के पति ने इलाज के साथ-साथ रिक्त स्थान की पूर्ति की भी बात मेरे सामने रखा. यही से ये कांसेप्ट मेरे दिमाग में आया और इस क्षेत्र में न रहते हुए भी मैं इस समस्या से जुड़ गया और दिल्ली की आई आई टी में बच्चों के साथ फर्स्ट इयर की पढाई कर मैन्यूफैक्चरिंग को सीखा और पूर्ति की स्थापना की, जिसमें रोगी की समस्या का खास ध्यान रखा गया. इसे बनाने में कई अस्पतालों और बायोटेक्नोलॉजी ने काफी सहयोग दिया. ट्रायल के लिए सारे अलग-अलग प्रोस्थेसिस होते है, जिसे ‘सम्पूर्ति सूटकेस’ कहते है. महिलाएं अपने हिसाब से अस्पताल में ट्रायल कर साइज़ बताने पर मरीज को ‘पूर्ति’ मिलती है. इस तरह ‘सम्पूर्ति पूर्ति सिस्टम’ का ये अभियान पिछले कई सालों से चल रहा है. अभी हजारों में महिलाएं इसका प्रयोग कर रही है. करीब 16 राज्यों में इसकी मांग है. श्रीलंका और बांग्लादेश में भी महिलाएं इसे पसंद कर रही है. इसमें कई स्तन कैंसर की महिलाओं को रोजगार भी मिला है, जिसमें वह नए मरीज को ट्रायल के बाद पूर्ति की किट देती है, जिसमें उन्हें कुछ रकम भी मिल जाती है. 

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डॉक्टर पवन कहते है कि ब्रैस्ट सर्जरी के 2 से 3 महीने बाद इस ब्रा का प्रयोग किया जा सकता है. ये प्रोडक्ट चश्मे की तरह है, जिसे कई सालों तक चलाया जा सकता है. सिलिकॉन लाइट वेट से बना इस उत्पाद का अनुभव नार्मल ब्रैस्ट की तरह मुलायम होता है. इसमें केवल ब्रा को लेना पड़ता है, क्योंकि वह धोने से फट जाता है. बाकी प्रोडक्ट दिए गए निर्देश के अनुसार देखभाल करने पर सालों तक चलते है. महिलाओं से उनका कहना है कि दांत की तरह वे अपने ब्रैस्ट का भी ध्यान दें.

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