#Coronavirus: पहले से तैयारी है जरूरी 

आज आपको हर दिन न्यूज़ में, आसपास के लोगों को देखकर पता चल ही रहा होगा कि कोरोना की गिरफ्त में हर कोई आ रहा है. खासकर के कोरोना की सैकंड लहर युवाओं  को अपना शिकार बना रही है. कोरोना की गिरफ्त में आने वाले लोग खुद नहीं समझ पा रहे हैं कि वे कब व कैसे इस वायरस की चपेट में आए. लेकिन अब जो होना था वो हो गया, इसलिए पैनिक होने के बजाए पहले से कुछकुछ तैयारी करके रखें. ताकि मुसीबत आने पर आपके पास प्राथमिक उपचार हो और आपको एकदम से इधरउधर न भागना पड़े. तो आइए जानते हैं पहले से की जाने वाली तैयारी के बारे में-

1. कोरोना की फर्स्ट ऐड किट 

जिस तरह से हम अपने घरों में , अपने पर्स में व अपनी गाड़ी में  फर्स्ट ऐड किट रखते हैं , ताकि मुसीबत आने पर यानि किसी भी आपात स्तिथि में हम स्तिथि को काफी हद तक कंट्रोल कर सके. ऐसे में इस महामारी के समय में हमें पहले से ही घर पर  कोरोना की फर्स्ट ऐड किट रखनी होगी, ताकि कोरोना होने पर दवाओं के लिए एकदम से आपके हाथपैर न फूल जाएं. इसके लिए आपको किट में पेरासिटामोल, विटामिन सी , डी व जिंक की टेबलेट,  बी काम्प्लेक्स, गार्गल करने के लिए बीटाडीन , पल्स ऑक्सीमीटर, भाप लेने के लिए स्टीमर व कैप्सूल व थर्मामीटर जरूर रखें. ये सभी दवाइयां शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं . इन्हें  आप मामूली लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही लेना शुरू कर दें. यहां तक कि आप विटामिन्स व जिंक की टेबलेट को बिना लक्षण होने पर भी शुरू कर सकते हैं. क्योंकि ये शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करती हैं.

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मास्क से रखें खुद को सेफ 

ये स्लोगन तो आपने सुना ही होगा कि दो गज दूरी के साथ मास्क है जरूरी.  इसलिए आप किट में फेस मास्क जरूर रखें. इसके लिए आप एन 95 मास्क खरीदें या फिर थ्री लेयर , क्योंकि ये काफी हद तक बैक्टीरिया व वायरस से सुरक्षा प्रदान जो करते हैं. आप रीयूज़एबल मास्क भी जरूर अपने पास रखें, ताकि अगर परिवार के किसी भी सदस्य में इसके लक्षण दिखाई दें तो आप उसे मास्क देकर बाकियों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं. हो सके तो 2 – 3 जोड़े ग्लव्स के भी रखें. क्योंकि इस समय कब किस की जरूरत पड़ जाए,  कहा नहीं जा सकता.

–  सैनिटाइजर है जरूरी 

कब किस चीज को छू लेने के बाद बैक्टीरिया व वायरस हमारे संपर्क में आ जाते हैं , कहा नहीं जा सकता. इसलिए मास्क के साथसाथ हाथों को साफ रखना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप ऐसे  सैनिटाइजर का चयन करें, जिसमें 70 पर्सेंट अल्कोहल हो. साथ ही स्किन को मॉइस्चरिजे करने वाली प्रोपर्टीज भी हो. ताकि स्किन  सैनिटाइजर के प्रभाव में आने से ड्राई न होने पाए. आप  सैनिटाइजर की छोटीछोटी कई बोतल खरीद कर अपने पास रख लें.  कोशिश करें घर में आप  सैनिटाइजर की बजाय साबुन से हैंड वाश करने की आदत पर ज्यादा जोर दें.

2 डॉक्टर्स के नंबर लेकर रखें 

हो सकता है कि आपके आसपास अधिकांश लोग कोरोना पॉजिटिव हो और आपका परिवार अभी बचा हुआ हो, तो भी आप निश्चिंत होकर न बैठें. बल्कि गूगल पर सर्च करके अपने आसपास के अच्छे डाक्टर्स के नंबर्स लेकर रखें, साथ ही होस्पिटल्स की भी जानकारी रखें.  हो सके तो ओक्सीजन कैन्स अपने घर में अरेंज करके रखें, ताकि आप जरूरत के समय खुद को व अपनों को सुरक्षित रख सकें. आप उन लोगों के भी संपर्क में रहें तो कोरोना पॉज़िटिव हैं.  इससे आपको लक्षणों को आसानी से पहचाने व बहुत सी जानकारी मिलने में मदद मिलेगी. यहां तक की जरूरत पड़ने पर आपको ऐसे लोगों से समय पर जरूरी जानकारी मिलने से आपको ज्यादा दिक्कतों का भी सामना नहीं करना पड़ेगा.

अगर हो जाए कोरोना तब क्या करें

जैसा की सभी जानते हैं कि कोरोना का अभी तक कोई ज्यादा कारगर इलाज नहीं है. सिर्फ वैक्सीन ही है, जो कोरोना से थोड़ा बहुत बचाव करने में मददगार है. ऐसे में अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को कोरोना हो गया है तो आप घबराए नहीं बल्कि लक्षण देखें , जैसे अगर सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं है व ओक्सीजन लेवल भी नार्मल है, तो यकीन  मानिए अगर ये शुरुवाती स्टेज है तो  स्तिथि को घर में दवाओं व होम आइसोलेशन के जरिए इम्प्रूव किया जा सकता है. बस आपको डाक्टर के संपर्क में बने रहना है और प्रोपर केयर व समय पर दवाइयां देने की जरूरत है. इसके जरिए मरीज धीरेधीरे 14 – 20 दिन में ठीक हो जाएगा. लेकिन अगर हाई फीवर , सहन से बाहर खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत डाक्टर की सलाह से मरीज को एडमिट करें , ताकि ओक्सीजन लेवल और डाउन न जाने पाए और मरीज को समय रहते बचाया जा सके.

घबराएं नहीं , खुद को मोटीवेट रखें 

कोरोना ने जिस तरह से कोहराम मचाया हुआ है, उससे हर किसी के मन में दहशत का माहौल व्याप्त है. लेकिन ये समय घबराने का नहीं है बल्कि हिम्मत से काम लेने का है. इसलिए इस समय अपने आप को नेगेटिविटी से दूर रखकर ऐसे लोगों से संपर्क में रहें , जो इस वायरस को मात देकर जिंदगी की जंग को जीतने में कामयाब हुए हैं. कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही ये बिलकुल न सोचें कि इसका अंजाम खराब ही होगा, क्योंकि ऐसा बिलकुल नहीं है. अगर आप मामूली लक्षणों को  इग्नोर न करके समय पर आपको इलाज मिल जाता है तो आप फिर से सामान्य जीवन जीने लगते हैं.  इसलिए खुद को इस दौरान बुरी खबरों से बिलकुल दूर रखें, ताकि अच्छी सोच, अच्छा माहौल आपको व आपके अपनों को जल्दी ठीक करने में मदद करेगा.

सभी के टेस्ट जरूरी 

अगर परिवार में किसी एक तो कोरोना हो गया है तो आप परिवार में रह रहे सभी सदस्यों के टेस्ट जरूर करवाएं. क्योंकि बहुत से लोगों में यह देखने में आया है कि उनमें सिम्टम्स नहीं होने के बावजूद वे पॉज़िटिव आते हैं. ऐसे में समय पर टेस्ट से समय पर ट्रीटमेंट मिलने में आसानी हो जाती है. अगर परिवार में बच्चे हैं और वे नेगेटिव हैं तो कोशिश करें कि उन्हें अपने किसी रिलेटिव्स के यहां भेज दें, ताकि उनमें संक्रमण का डर न रहे. लेकिन इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया कि आजकल कोविद के लिए टेस्ट करवाने के लिए भी काफी जद्दोजेहद करनी पड़ती है. ऐसे में अगर परिवार का कोई सदस्य पॉजिटिव आया है तो डॉक्टर से संपर्क करें ताकि बिना टेस्ट के भी बाकियों की दवाएं शुरू करके उन्हें सेफ जोन में रखा जा सके.

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–  समझदारी है जरूरी 

अगर आप या फिर आपके परिवार में किसी को कोरोना हो गया है, तो पैनिक होने के बजाय समझदारी से आगे के लिए कदम उठाने की जरूरत है. जैसे जिस तरह से कोरोना के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है, उससे डाक्टर्स पर भी काफी प्रेशर है. ऐसे में अगर आप किसी एक डॉक्टर से ऑनलाइन कंसल्ट कर रहे हैं तो दूसरे डाक्टर को भी बैकअप में रखें, ताकि एक के जवाब न देने पर आपको दूसरे डॉक्टर से समय पर जवाब मिलने के कारण मरीज को सही ट्रीटमेंट मिल सके. साथसाथ आप अपने करीब में जिन लोगों को कोरोना हुआ है, उनके संपर्क  में रहें. ताकि आपको जरूरी जानकारी व सुझाव मिलते रहें. साथ ही औक्सीजन सिलिंडर व होस्पिटल्स में बेड्स की उपस्थिति के बारे में भी जानकारी रखें.

हड़बड़ी मचाए 

कोविड की रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही परिवार में हड़कंप मच जाता है. लेकिन ये जान लें कि अगर आरटीपीसीआर में सीटी वैल्यू 20 से कम है तो आपको ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. क्योंकि ऐसे मरीजों में वायरस लोड काफी ज्यादा होता है. इससे इन्हें व दूसरों के लिए खतरा बना रहता है. लेकिन अगर बुखार ज्यादा तेज नहीं है, खांसी भी कम है और ओक्सीजन लेवल भी सामान्य चल रहा है तो होम आइसोलेशन में केयर से  मरीज को ठीक किया जा सकता है. अधिकांश लोग आजकल फीवर आते ही एचआरसीटी करवाने पहुंच जाते हैं. लेकिन आपको बता दें कि इसका कोई फायदा नहीं होता है , डाक्टर 5 – 7 दिन बाद इसे करवाने की सलाह देते हैं. तभी इसके सही नतीजे सामने आते हैं. सीटी स्कैन में 24 में से स्कोर दिया जाता है,  अगर लंग्स तक इन्फेक्शन पहुंच गया होता है तो इसका स्कोर भी ज्यादा आता है और डाक्टर ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह देते हैं.  क्योंकि इस स्तिथि में केस बिगड़ने पर मरीज की जान भी जा सकती है. इसलिए जरूरी है पहले सिचुएशन को समझना और फिर उसके लिए एक्शन लेना. वरना  हड़बड़ी में गड़बड़ी होने के चांसेस रहते हैं.

कौनकौन से टेस्ट हैं जरूरी 

कोविड का इंफेक्शन कितना है और शरीर में उसका क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसका पता लगाने के लिए सीबीसी , सीआरपी , डी डाईमर , सीरम फेरिनटिन , एचआरसीटी इत्यादि टेस्ट करवाएं जाते हैं.  लेकिन ये सभी टेस्ट्स डाक्टर पूरे 14 डेज के सर्किल के हिसाब से करवाते हैं , ताकि सही रिजल्ट पता चल सके.  इसलिए शुरुवात में ही इन्हें करवाने की जल्दबाजी न करें.

मरीज का रूम कैसा हो 

अगर बात होम आइसोलेशन की है तो मरीज का कमरा हवादार होने के साथसाथ उसमें अटैच्ड  वाशरूम भी हो. ताकि बाकी लोगों को संक्रमण का डर न रहे. मरीज को जब भी दवाइयां या खाना देना हो तो उनके रूम के पास एक स्टूल रख दें, उसी पर ही उन्हें देने वाली चीजें रखें, डिस्पोजेबल बर्तन रखें . साथ ही उनके रूम में बचे हुए खाने को डालने के लिए पॉलिथीन रखें. फिर अगले दिन उसे उठाकर बाहर रख दें. लेकिन इसके बाद खुद की सैनीटाईजेशन का ध्यान जरूर रखें. ये सब करते हुए आप डबल मास्क्स पहनें.

कैसा हो आपका मास्क 

कोई भी 3 लेयर वाला मास्क्स उपयुक्त होता है.  क्योंकि ये वायरस के साथसाथ डस्ट को भी आपसे दूर रखने का काम करता है. इसके लिए आप मार्केट में मिलने वाले एन- 95 मास्क्स, डिस्पोजेबल मास्क्स का इस्तेमाल कर सकते है. यहां तक कि मरीज को घुटन महसूस न हो, इसके लिए उसे कॉटन का 3 लेयर मास्क्स भी दिया जा सकता है. जिसे वह पहने व धोए.

बारबार हाथों को सैनीटाईज़ करें 

चेहरे पर मास्क लगाने के साथसाथ अपने हाथों को थोड़ीथोड़ी देर में साबुन व सैनीटाईज़र से साफ करते रहें. और इस बात का ध्यान रखें कि आपके  सैनीटाईज़र में 70 पर्सेंट या इससे ज्यादा अल्कोहल की मात्रा होनी चाहिए.

होम ट्रीटमेंट 

अगर मरीज  होम आइसोलेशन में है तो उसे दिन में 3 बार गरारे, 3 बार स्टीम, 2 बार काढ़ा व हमेशा पीने के लिए गरम पानी ही दें.  अगर ,मरीज को डायबिटीज नहीं है तो उसे नारियल पानी भी पिलाएं. इससे शरीर में विटामिन्स व मिनरल्स की कमी पूरी होने के साथ बॉडी हाइड्रेट भी रहती है.

क्वारंटाइन में इन चीजों पर रखें नजर 

– अपने शरीर के तापमान पर नजर रखें, इसके लिए दिन में 4 – 5 बार फीवर जरूर चेक करें.

– ऑक्सीमीटर की मदद से खून में औक्सीजन के लेवल को चेक करते रहें. अगर औक्सीजन का लेवल 98 – 99  से ड्राप होकर 94 से कम हो गया है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि इस स्थिति में आपको ,होस्पिटल में एडमिट होने की व स्पेशल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है.

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मेंटली कैसे रहें फिट 

– टीवी , लैपटोप या फिर फोन पर मूवीज, सीरीज देख कर खुद को बिजी रखें.  सीरियस मूवीज की जगह कोमेडी मूवीज देखें.

– नेगेटिव न्यूज़ से दूरी बना कर रखें.

– अफवाहों से दूर रहने की कोशिश करें.

– मन को खुश करने वाले गाने सुनें.

– योगा करें, क्योंकि इससे मन शांत रहने के साथसाथ आपकी फिटनेस भी बनी रहती है.

कोरोना को लें हलके में 

अकसर आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि मुझे तो कोरोना हो नहीं सकता, मेरी इम्युनिटी तो बहुत स्ट्रौंग है. लेकिन इसके बावजूद ऐसे लोग भी कोरोना की गिरफ्त में आ रहे   हैं. क्योंकि ये वायरस है ही इतना खतरनाक और डाक्टर , दवाओं , होस्पिटल व ओक्सीजन की किल्लत हालात को और भयावह बना रही है. मैं अपनी आपबीती बताती हूँ. मुझे कुछ हफ्ते पहले कोविड  हुआ था, जिससे मेरा शरीर अभी तक नहीं उभर पाया है. और डाक्टर्स की लापरवाही ने इसे और बिगाड़ने का काम किया. मेरे फॅमिली डाक्टर से हमने इस बारे में वीडियो कॉल के जरिए संपर्क किया तो उन्होंने शुरुवाती 5 दिनों की दवाएं तो लिख दी. लेकिन उसके बावजूद मेरे गले में दर्द व फीवर नहीं उतरा.  तब दोबारा उनसे संपर्क करना चाहा तो उन्होंने न तो फ़ोन उठाया और न ही मैसेज का जवाब दिया. जबकि मेरा वायरल लोड बहुत ज्यादा था, इसलिए उन्होंने भी शुरुवात से ही ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी थी. लेकिन ऐसी सावधानी भरी सलाह का क्या फायदा , जिसमें दवाओं की किल्लत व डाक्टर से बात तक न हो पाएं. ऐसे में किसी परिचित के बताने पर मेरे हस्बैंड ने पुणे के डाक्टर से संपर्क किया. तब उन्होंने तुरंत मुझे फेबिफ्लू का कोर्स शुरू के लिए बोला. धीरेधीरे मेरी तबियत में सुधार हुआ. लेकिन शरीर इस कदर कमजोर हो गया है कि उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. परेशानी यहां थमी नहीं , मेरे हस्बैंड को भी मेरे पॉजिटिव आते ही दवाइयां शुरू कर दी गई थी, जबकि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. ताकि उन्हें संक्रमण न हो. लेकिन जिस दिन डाक्टर ने उन्हें दोबारा दिखाने को बोला था, उस दिन काफी बार काल करने पर जवाब मिला कि डाक्टर साहब आजकल देख नहीं रहे हैं. जबकि ये सरासर झूठ था. जिस कारण मेरे हस्बैंड की तबियत बिगड़ती गई , उन्हें 103 – 104 के बीच फीवर रहा. सिर व बोडी में भयंकर दर्द. यहां तक कि उनका ऑक्सीजन लेवल 94 पहुंच गया था. लेकिन डाक्टर साहब तो अपनी ही दुनिया में मस्त थे. जैसे तैसे करके हमने दूसरे डाक्टर से संपर्क साधा. क्योंकि उन्हें डाईबिटिज की भी  परेशानी है और देर ज़िंदगी पर भारी पड़ सकती थी . तो डाक्टर ने ऑक्सीजन सिलिंडर की तुरंत व्यवस्था करने व तुरंत से ही फेबिफ्लू व स्ट्रेरोइड्स लेने को कहा. जिससे उनका शुगर जंप कर गया. जैसे तैसे सिचुएशन को कंट्रोल किया. अब ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जद्दोजहद शुरू हुई. मेरे कजिन भाई ने एक दिन लाइन में धक्कामुक्की खाकर ओक्सीजन सिलेंडर का बंदोबस्त किया. जिस काऱण मेरा भाई और चाचा पॉजिटिव हो गए. मेरे चाचा तो अभी तक सीरियस हैं और हम उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं. ये सिर्फ मेरी नहीं बल्कि हममें से अधिकांश की आपबीती रही होगी . इसलिए संभल जाएं और कोरोना को हलके में न लें.

Mother’s Day Special: फैमिली को परोसें टेस्टी और हेल्दी कांजीवरम इडली

साउथ इंडियन खाना हर किसी को पसंद आता है. साउथ का खाना हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी भी होता है. अगर आप को भी हेल्दी और टेस्टी खाना पसंद है तो ये डिश आपके काम की है. आज हम आपको कांजीवरम इडली की रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे आप गरमागरम सांभर के साथ अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को खिला सकती हैं.

हमें चाहिए

– उड़द की धुली दाल ( 02 कप)

– सेला चावल ( 03 कप)

– करी पत्ते ( 03 नग)

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– हींग पाउडर (01 छोटा चम्मच)

– जीरा ( 02 छोटे चम्मच)

– काली मिर्च पाउडर (02 छोटे चम्मच)

– अदरक (02 छोटे टुकड़े कुटे हुये)

बनाने का तरीका

– सबसे पहले चावल और दाल को अच्छी तरह से धो कर अलग-अलग पानी में भि‍गो दें.

– 3-4 घंटे भीगने के बाद इन्हें एक बार फिर धो लें और इसके बाद इन्हें अलग-अलग पीस लें.

– पिसी हुई दाल और चावल को एक में मिला लें साथ ही इसमें अदरक, हींग, जीरा, काली मिर्च पाउडर एवं नमक भी मिला लें और लगभग 20 घंटे के लिए रख दें.

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– 20 घंटे के बाद करी पत्तों को भूनकर मिश्रण में मिला लें. अब एक बड़े बर्तन में पानी भर कर इडली के सांचों में इस मिश्रण को भर कर 25-30 मिनट तक भाप में   पका लें.

– लीजिये, अब आपकी स्‍वादिष्‍ट कांजीवरम इडली तैयार है. इसे प्लेट में इडली चटनी व इडली सांबर के साथ सर्व करें.

खुश रहें स्वस्थ रहें

आज के दौर में हर कोई किसी ना किसी परेशानी से जूझ रहा है. ये परेशानी तब और ज्यादा बढ़ गयी जब से कोरोना महामारी ने अपनी दस्तक दी. ऐसे में तनाव, चिंता और मूड को सही रखना भी जरूरी है. हमारे अंदर इमोशन ही तो हैं जो समय समय पर बदलते रहते हैं. तमाम विशेषज्ञों और उनकी शोध के मुताबिक हमारा व्यवहार, तनाव को नियंत्रित करने के लिए काफी मददगार होता है.

हम जब भी परेशानी में होते हैं तो उसमें ख़ुशी ढूंढना काफी मुश्किल काम है. परेशानी तनाव का सबसे बड़ा सबब बन सकती है. हमें ऐसे समय में खुश रहने की सबसे ज्यादा जरूरत है, जब चारों तरफ से नकारात्मकता हमारे ऊपर हावी हो रही हो. यकीन मानिये ये बिलकुल भी नामुमकिन नहीं है.
ये कैसे करना है, चलिए जानते हैं.

1. तनाव से रहें दूर-

तनाव हमारे लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है. अगर हम खुद को इससे जितना हो सके दूर रखेंगे उतना ही फायदा हमें ही मिलेगा. कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच स्थितियां भी कुछ यूं हो गयी हैं कि तनाव पास ही आ रहा है. ऐसे में ब्लडप्रेशर को समान्य रखना भी काफी जरूरी है. इसलिए अच्छी हेल्थ और ख़ुशी के लिए डॉक्टर भी आपको तनाव से दूरी बनाने की अच्छी सलाह देंगे.

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2. कितना काम का ध्यान?-

काफी लोग होते हैं जो अपनी परेशानी के दौर में ध्यान लगाना पसंद करते हैं. लेकिन हर कोई ध्यान नहीं लगा सकता. कुछ लोग शांति का अभ्यास तो करते हैं लेकिन उनको सफलता नहीं मिलती. ऐसे में जरूरी है कि अगर आप भी ध्यान लगाने में अपना मन एकाग्र नहीं कर पाते तो कोई और रास्ता ढूंढें जो आपको शांति और ख़ुशी दे. आप उन बातों के बारे में ना सोचें जो आपको तनाव देती हैं.

3. ना छोड़ें उम्मीद-

उम्मीद ही तो मात्र एक ऐसी चीज होती है जिस पर पूरी दुनिया टिकी हुई है. उम्मीद के जरिये आप बड़ी से बड़ी मुश्किल परिस्थियों में खुद को ख़ुशी महसूस करा सकते हैं. अगर आपने नकारात्मक परिस्थिति में सब कुछ सकारात्मक बनाए की ठान लें तो आपको जीत जरुर मिलेगी.

4. कहीं ज्यादा सकारात्मकता ना पड़ जाए भार-

जी हां आगे आप हर वक्त सकारात्मकता के बारे में ज्यादा ध्यान देते हैं या खुश रहने के बारे में ही सोचते रहते हैं तो ये आर्टिफिशियल या बनावटी लग सकता है. कभी कभी इसका प्रभाव उल्टा भी पड़ सकता है. क्योंकि हम जितना ध्यान अपनी ख़ुशी की ओर केन्द्रित करते हैं उतना ही मन उदास होता है. और आप कभी कभी खुद के बारे में बुरा भी महसूस कर सकते हैं.

5. छोटी-छोटी चीजों पर दें ध्यान-

ये विकल्प आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है. कभी कभी हमें छोटी से छोटी चीजें भी वो ख़ुशी देती हैं, जो बड़ी चीजें नहीं दे पाती. विशेषज्ञों की मानें तो सकारात्मकता मनोविज्ञान पर आधारित होती है. हमारा छोटी सी चीज भी मूड बेहतर बना सकती है तो फिर खुद सोचिये किसी बड़ी ख़ुशी के पीछे भागने से क्या फायदा?

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6. खुद को खोजिये-

परेशानी के बीच इंसान खुद के अस्तित्व को भुलाने लगता है. ऐसे में आपको खुद को खोजना चाहिए. आप अपना समय घर की साफ़ सफाई में लगाइए. इससे आपका मन केन्द्रित रहेगा. क्योंकि एक गंदा कमरा भी कहीं ना कहीं सकारात्मकता पर असर डालता है. साथ ही गंदा रसोई आपके स्वाश्थ्य को खराब करता है. इसलिए अगर आप घर में अपना समय बिताते हैं तो अपना समय साफ़ सफाई में लगाएं. इससे आप संक्रमण से भी बचे रहेंगे और आपकी हेल्थ भी सही रहेगी.

7. सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर हो कंट्रोल-

इस बात से ऐतराज नहीं किया जा सकता कि सोशल मीडिया बुरी खबरों से भरा हुआ है. हालांकि आप इसके जरिये खुद को अपडेट रखने के साथ अपने दूर दराज के दोस्तों और परिजनों के साथ जुड़े रहने का मौका भी मिलता है. आप सोते वक्त सोशल मीडिया का इस्तेमाल ना करें. आप अपने परिवार वालों के साथ या उन लोगों के साथ समय बिताएं जो आपके अपने हैं और आपके करीब हैं. इससे आपको ख़ुशी मिलेगी.

तो ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनकी मदद से आप बड़ी से बड़ी परेशानी को हराकर अपने लिए ख़ुशी के दो पलों को चुरा सकते हैं. इस वक्त पूरा विश्व ऐसे दौर से गुजर रहा है जहां चारों ओर नकारात्मकता ही है. ऐसे में आपको अपना ख़ास ख्याल खुद ही रखना है. आप खुद को तनाव मुक्त तभी बना पाएंगे जब आप परेशानी से दूर रहेंगे. और आपको परेशानी से दूर कैसे रहना है उसके लिए आपकी मदद हमारा ये लेख करेगा.

मां बनने के दौरान कई सारी जिम्मेदारियां आती हैं-अनामिका सेन गुप्ता

अनामिका सेन गुप्ता

कोफाउंडर, सस्टेनेबल्स

घर हो या बाहर हमेशा महिलाओं के साथ दोेहरी नीति अपनाई जाती है खासकर मां बनने के बाद काम करने पर लोग आश्चर्य की दृष्टि से देखते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है मां बनने के बाद महिलाएं जिम्मेदारी उतनी नहीं ले पातीं, जितनी उन्होंने पहले ली थी. ऐसे में खुद की प्रतिभा को पहचान कर व्यवसाय क्रिएट कर लेना सब से अच्छी बात होती है.

इसी सोच को अपने जीवन का मूल मंत्र बना कर मुंबई की अल्मित्रा सस्टेनेबल्स की कोफाउंडर, मोमप्रैन्योर अनामिका सेनगुप्ता ने सस्टेनेबल और ईकोफ्रैंडली लाइफस्टाइल से लोगों का परिचय करवाया है.

उन से उन की जर्नी के बारे में हुई बात के कुछ खास अंश पेश हैं:

इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

मां बनने के बाद ही मैं ने यह व्यवसाय शुरू किया. पहले मैं कौरपोरेट में काम करती थी. जब मैं प्रैगनैंट हुई और बच्चा होने के बाद काम पर लौटी, तो मेरे प्रति लोगों का व्यवहार बदल चुका था. कंपनी को लग रहा था कि मां बनने के बाद मैं काम की जिम्मेदारी लेने में सक्षम नहीं, क्योंकि मैं हायर मैनेजमैंट रोल में काम कर रही थी.

बिना किसी कारण के उन लोगों ने मुझे कंपनी छोड़ने के लिए कहा, जो मेरे लिए काफी शौकिंग था, क्योंकि मैं ने कभी ऐसा अपने लिए सोचा नहीं था, क्योंकि मेरा प्रमोशन भी प्रैगनैंट होने के बाद ही हुआ था.

मेरे हिसाब से जब एक महिला मां बनती है, तो उस की क्रिएटिविटी पहले से अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि उस ने एक बच्चे को क्रिएट कर जन्म दिया है.

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मुझे प्रैगनैंसी के बाद कई महीनों का समय मिला था. उस दौरान मुझे कुछ अलग करने की इच्छा भी पैदा हुई थी, जिसे मैं ने बच्चे के जन्म के साथसाथ शुरू किया, क्योंकि जब मेरे बेटे नियो का जन्म हुआ, तो मुझे उस के लिए बेबी रैप अमेरिका से मंगवाना पड़ा था. उस दौरान मैं ने देखा कि ये रैप मैं यहां भी बना सकती हूं और मैं पेरैंट कंपनी अल्मित्रा तत्त्व के अंतर्गत बेबी रैप बनाने का काम करने लगी और धीरेधीरे मैं ने 3 साल बाद अल्मित्रा सस्टेनेबल्स की भी शुरुआत की.

शुरू में मैं ने सोशल मीडिया का सहारा लिया, जिस में लोगों का रिस्पौंस बहुत अच्छा रहा. अभी 54 देशों में इस की मांग है.

कैसे आगे बढ़ीं?

बेटे के जन्म के बाद मैं उस का किसी भी प्रकार की प्लास्टिक से परिचय नहीं करवाना चाहती थी. पेड़पौधों के बीच वह बड़ा हो रहा है. मैं ने उस के लिए प्लास्टिक टूथब्रश का प्रयोग नहीं किया. उसे बैंबू टूथब्रश दिया. इस तरह जिन चीजों को बेटे की परवरिश में मुझे जरूरत पड़ी, मैं नैचुरल चीजों को खोजती रही. इस से मेरा नैचुरल चीजों में काम करना आसान हुआ.

क्या इस प्रोडक्ट की मार्केटिंग में कुछ मुश्किलें आईं?

शुरू से ही इस का व्यवसाय अच्छा चला है, क्योंकि भारत में मेरी पहली ऐसी कंपनी रही है, जो इस तरीके के प्रोडक्ट बनाती है. यूरोप में इस की मांग सब से अधिक है.

इस काम में परिवार का कितना सहयोग मिलता है?

पूरा परिवार ही सहयोग देता है. यह मेरा अब फैमिली व्यवसाय बन चुका है. मेरे पति बिप्लब दत्ता और ननद कल्यानी दत्ता सभी इस में काम करते हैं. इसे हम सब साथ मिल कर कर रहे हैं. शुरुआत में जब बेटा छोटा था, तब थोड़ी मुश्किलें आईं, लेकिन परिवार ने काफी सहयोग तब भी दिया है.

इस व्यवसाय में किस तरह की समस्या आती है?

समस्या इस में कम आती है, क्योंकि मैं ने हर महिला को काम करने की आजादी दी है. इस के अलावा कारीगरों के साथ भी मेरी ट्यूनिंग अच्छी है. ईकोफैंडली प्रोडक्ट होने की वजह से सब को पहले लगा था कि इसे लोगों तक पहुंचाने में मुश्किलें आएंगी, क्योंकि आम लोग इस की गुणवता को नहीं समझ पाते, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. आज हमारे खरीदार यूथ भी हैं, जो अच्छी बात है.

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इस फील्ड में कैरियर बनाना कितना मुश्किल है?

बिलकुल भी मुश्किल नहीं होती. सब से कठिन फेज महिला के मां बनने के बाद आता है. तब मैं ने यह काम शुरू किया था और कोई समस्या नहीं आई. असल में एक महिला का लड़की से मां बनने में कई सारी जिम्मेदारियां आती हैं. ऐसे में अपने दिल की सुनने की जरूरत होती है. महिलाएं इस के साथ अधिक जुड़ सकती हैं, क्योंकि यह काम अगली जैनरेशन के लिए किया जाता है.

क्या कभी ग्लास सीलिंग का सामना  करना पड़ा?

यह तो होता ही रहता है, लेकिन मैं अपने काम और सही उत्पाद पर अधिक फोकस्ड हूं. जब मैं कौरपोरेट में थी, तब ग्लास सीलिंग का सामना महिला होने की वजह से बहुत  अधिक करना पड़ा था और अंत में नौकरी तक छोड़नी पड़ी. यहां मैं अपने हिसाब से सब को अच्छा वातावरण दे रही हूं, इसलिए यहां सभी अच्छे हैं.

मदरहुड के बाद महिलाएं अकसर काम छोड़ घर बैठ जाती हैं, उन से क्या कहना चाहती हैं?

मदरहुड की वजह से मेरी जौब छूट गई थी और मैं ने साहस कर खुद की कंपनी शुरू की और आज सफल हूं. इसलिए आप हमेशा दिल की आवाज सुनें और जो अच्छा लगे, उसे अवश्य करें. अपनी स्ट्रैंथ पर हमेशा विश्वास रखें.

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देसी अवतार में हिना खान ने शेयर की फोटोज, फैंस ने दिया ये रिएक्शन

बीते दिनों पिता की कार्डियक अरेस्ट से निधन और कोरोना का सामना करने के बाद टीवी सीरियल्स से लेकर बौलीवुड में नाम कमा चुकी एक्ट्रेस हिना खान एक बार फिर सुर्खियों में छा गई हैं. दरअसल, हाल ही में हिना खान ने अपनी कुछ फोटोज अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर शेयर की हैं, जिसमें उनका लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं हिना खान की लेटेस्ट फोटोज…

 देसी अवतार में नजर आईं हिना खान

अपने पिता के निधन के बाद हिना खान ने पहली बार अपनी फैशन फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं. इन फोटोज में हिना खान देसी अवतार में नजर आ रही हैं.  काले रंग के कढ़ाईदार सूट में हिना खान बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

 

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सूट के साथ ज्वैलरी भी थी खास

 

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हिना खान ने काले कढ़ाईदार सूट के साथ मैचिंग ज्वैलरी भी कैरी की. ज्वैलरी की बात करें तो मैटल की ये ज्वैलरी के साथ औक्साइड ज्वैलरी बेहद खूबसूरत लग रही है. सिंपल लुक के साथ हिना खान का मेकअप भी बेहद अच्छा है.

गाने में दिखा हौट अवतार

 

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एक्ट्रेस हिना खान का लेटेस्ट गाना ‘पत्थर वरगी’ हाल ही में रिलीज हो गया है. हिना (Hina Khan) ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर गाने के रिलीज होने की जानकारी फैंस को दी है, जिसके बाद फैंस का अच्छा रिएक्शन देखने को मिल रहा है. वहीं गाने में हिना खान का लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. वेस्टर्न लुक में हिना का लुक ग्लैमरस लग रहा है.

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बता दें, बीते दिनों पिता के निधन के बाद हिना खान को कोरोना हो गया था, जिसके बाद उन्होंने सोशलमीडिया को अलविदा कह दिया था. वहीं अब अपनी वर्क कमिटमेंटस को लेकर वह दोबारा सोशलमीडिया पर वापस आई हैं.

Hyundai Creta के साथ सफर

The Nuptial Test ऐसा थका देने वाला और लंबा टेस्ट जिसमें इस गाड़ी को भारतीय शादियों में अहम रोल अदा करना होगा.
इसके अलावा और गाड़ी का कहां ऐसा रफ-टफ इस्तेमाल हो सकता था भला, हम ये जानने के लिए बैचेन हैं कि @HyundaiIndia #Creta इससे कैसे डील करती है. क्या ये टॉर्चर कर देने वाले टेस्ट को झेल पाएगी?
#RechargeWithCreta

भारत में Hyundai Creta

हुंडई क्रेटा को भारत में SUV के लिए एक बेंचमार्क स्थापित में अभूतपूर्व सफलता मिली है. इसलिए हमने सोचा कि क्यों न @HyundaiIndia #Cretaको सबसे चुनौती पूर्ण ‘Nuptial Test’ यानी इंडिया की शादियों में परखा जाए.
जानना चाहते हैं क्या है ये टेस्ट? तो यहां पढ़िए #RechargeWithCreta

उत्तर प्रदेश में गांव-गांव ‘विशेष स्वच्छता अभियान’ से हो रहा कोरोना का मुकाबला

कोविड-19 संक्रमण को रोकने में यूपी के ग्रामीण इलाकों में ‘विशेष स्वच्छता अभियान’ ने बड़ी भूमिका निभाई है. बरसात से पूर्व गांव-गांव तक की जा रही साफ-सफाई संक्रामक रोगों का प्रसार कम कर रही है. सरकार प्रत्येक व्यक्ति की जान बचाने के लिये कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. इसके लिये उसने ग्रामीण इलाकों में बड़े स्तर पर स्वच्छता अभियान चला रखा है. इस तरह का अभियान चलाने वाले प्रदेशों में यूपी ने पहले स्थान पा लिया है.

कोरोना की पहली लहर के दौरान भी योगी सरकार के शानदार कोविड मैनेजमेंट की डब्ल्यूएचओ समेत देश और दुनिया में जम कर तारीफ हुई थी.
सरकार के निर्देश पर यूपी के समस्त ग्राम पंचायतों में साप्ताहिक बंदी, शनिवार और रविवार को विशेष सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं.

क्षेत्र पंचायतों में रविवार तक कुल 58194 ग्राम पंचायतों और 97509 राजस्व ग्रामों में 86663 कर्मियों ने साफ-सफाई, सैनीटाइजेशन और फॉगिंग कार्य किया गया है. अभी तक अभियान दिवसों में 62611 राजस्व ग्रामों में विशेष सफाई अभियान चलाए गये हैं. सरकार के निर्देश पर कुल 32966 राजस्व ग्रामों में ब्लीचिंग पाउडर और सोडियम हाइपोक्लोराइउ का छिड़काव किया गया है. कुल 14096 राजस्व ग्रामों में फॉगिंग कराई गई है.

बीमारी की चेन तोड़ने में लगी सरकार के प्रयासों से पहली बार गांवों में विशेष स्वच्छता अभियान के दौरान नालियों की सफाई, ग्राम पंचायतों में स्थापित हैण्डपम्पों के चबूतरों की मरम्मत कराई गई है. अभियान काल में ग्रामीण इलाकों में अभी तक सरकार के प्रयास से 20,62, 499 सफाई अभियान संचालित किये जा चुके हैं.

तेज रफ्तार से बीमारी को रोकने में सफल हो रहीं निगरानी समितियां

सरकार को गांवों में भी ‘टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट’ के मूलमंत्र से रोज बड़ी सफलता मिल रही है. निगरानी समितियां बीमारी को रोकने के लिये ढाल बन गई हैं. गांव-गांव में कोरोना वायरस के खात्मे के लिये तिगुनी ताकत से आर-पार की लड़ाई में जुटी हैं. निगरानी समितियों के सदस्य रोज 14403 मेडिकल किटों का वितरण कर रहे हैं. अभी तक कुल 254720 मेडिकल किट का वितरण ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा चुका है.

कुल 201265 लोगों को आइसोलेट किया गया है. निगारानी समितियों के सदस्य अभी तक बाहर से आए 228945 लोगों का चिन्हींकरण कर चुकी हैं. निगरानी समितियां बीमारी के लक्षण वाले लोगों को तत्काल इलाज दिला रही हैं.

मेडिकल किट से लेकर होमआईसोलेशन में रहने की गाईडलाइनों से परिचित करा रही हैं. जो घरों में आईसोलेट नहीं रह सकते हैं उनको गांव के ही विद्यालयों, सामुदायिक केन्द्रों व स्वास्थ्य केन्द्रों पर इलाज की मुफ्त सुविधाएं दिला रही हैं. निगरानी समिति में लेखपाल, रोजगार सेवक, एनजीओ, एसएचजी, कोटेदार से लेकर सफाई कर्मचारी तक सभी बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं.

सरकार का प्रयास ला रहा रंग, लोग समझने लगे स्वच्छता का महत्व

योगी सरकार के बीमारी को मात देने के लिये किये जा रहे प्रयासों का ही असर है कि अब प्रदेश के लोगों को समझ में आने लगा है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने में स्वच्छता बेहद जरूरी है. प्रदेश में गठित 60569 निगरानी समितियों के 4 लाख सदस्य प्रतिदिन एक-एक व्यक्ति के घर तक पहुंच रहे हैं.

ग्राम पंचायत स्तर पर गठित समितियों के सदस्य नियमित रूप से लोगों की व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान दे रहे हैं. उनको नियमित रूप से साबुन से हाथ धोने आदि विषय में जागरूक कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को व्यक्तिगत तथा आसपास के वातावरण की स्वच्छता और समाजिक दूरी के महत्व के बारे में भी जानकारी दी जा रही है.

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने उत्तर प्रदेश तैयार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना के खिलाफ युद्धस्तर पर और प्रभावी ढ़ंग से लड़ाई लड़ी जा रही है. यही वजह है कि राज्य में कोरोना के सक्रिय मामले तेजी से घट रहे हैं. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए हमारी कार्य योजना पूरी तरह से तैयार हैं. पूरी सावधानी के साथ हम काम कर रहे हैं. तीसरी लहर से मुकाबले के लिए खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में समर्पित तौर पर आईसीयू बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

मुख्यमंत्री ने फिल्म सिटी नोएडा में कहा कि गांवों में हमें संक्रमण रोकना ही होगा. इसके लिए ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीट की रणनीति बनाई गई है. संक्रमित व्यक्ति की त्वरित पहचान कर अगर उसका त्वरित उपचार शुरू हो जाए, तो मामला क्रिटिकल नहीं होगा. इसलिए हम एंटीजन टेस्ट के साथ ही उन्हें मेडिकल किट दे रहे हैं. आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट भले ही बाद में आए, हम उपचार शुरू कर दे रहे हैं. मरीजों को वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि अगर मरीज की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव है और उसमें कोरोना के लक्षण हैं, तो उनकी जांच के लिए डिजिटल एक्सरे करें.

आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा: योगी

सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में रोजाना औसतन 2.50 लाख लोगों की टेस्टिंग हो रही है. अब तक 4.5 करोड़ टेस्ट हो चुके हैं. प्रदेश में कोरोना की प्रथम लहर में हमने टीम 11 बनाकर प्रभावी नियंत्रण किया था, दूसरी लहर में टीम-9 बनाकर सबकी जवाबदेही तय की गई है. यही वजह है कि आज बीते 24 घंटे में पाजीटिव केस तकरीबन 10 हजार ही आए हैं.

पहले संक्रमण का रेट 22 फीसद था, जो घटकर पांच फीसद हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1.50 करोड़ लोगों को हम वैक्सीन दे चुके हैं और आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा. 45 साल से ऊपर के लोगों को भारत सरकार वैक्सिन उपलब्ध करा रही है. गौतमबुद्धनगर समेत 23 ऐसे जिले हैं, जहां 18 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों को भी वैक्सिन दिया जा रहा है, जहां संक्रमण दर अन्य जिलों से ज्यादा है. इसके बाद हमारी तैयारी गांवों की है.

हमने निर्देश दिया है कि गांवों में कामन सर्विस एरिया में वैक्सिनेशन का बंदोबस्त किया जाए, ताकि वहीं उनका पंजीकरण कर उनका वैक्सिनेशन किया जा सके. उन्हें दूर न जाना पड़े. इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि भीड़ न बढ़ने पाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं स्वयं सात मई से फील्ड में हूं और मैंने वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ और गोरखपुर के गांवों में जाकर व्यवस्था का निरीणण किया है . आगे भी यह कार्यक्रम जारी रहेगा.

इंसेफेलाइटिस के अनुभवों से लाभ लेते हुए दिए निर्देश

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कोरोना की संभावित तीसरी लहर से मुकाबले की भी व्यापक तैयारी कर रहे हैं. प्रदेश में कई दशकों से इंसेफेलाइटिस का कहर था, हमारी सरकार ने इस पर 98 फीसद तक नियंतत्रण पा लिया है. उससे लड़ते समय हमने व्यापक कार्य योजना बनाई थी. हमारी कार्य योजना का नतीजा ही है कि पहले जहां इंसेफेलाइटिस से 1200 से 1500 बच्चों की मौत होती थी, वहीं विगत वर्ष 63 मौतें हुईं.

इसी कार्य योजना के अनुभवों का लाभ लेते हुए हमने कोरोना की तीसरी लहर से खासकर बच्चों और महिलाओं को बचाने के लिए निर्देश दिए हैं. उनके लिए डेडिकेटेड अस्पताल और आईसीयू बनाए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं. समन्वय समिति बनाई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में मिलकर काम करती है.

नोएडा में ना हो ऑक्सीजन की कमी

सीएम योगी ने कहा कि पोस्ट कोविड में ब्लैक फंगस की समस्या आई है, हमने एडवाइजरी जारी की है. इसे रोकने के लिए कार्य योजना बनाई गई है. सीएमओ, मेडिकल कालेज और जिला अस्पतालों को एडवाइजरी भेजी है. ब्लैक फंगस को लेकर ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उन्होंने नोएडा का जिक्र करते हुए कहा कि 27 अप्रैल को जहां 10 हजार से अधिक केस थे, वहीं आज 400 से भी कम हैं.

पूरे प्रदेश में एक्टिव मामलों की संख्या बीते 24 घंटे में घटकर 1.63 लाख रह गई है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि नोएडा दिल्ली से सटा हुआ है. वहां से आवागमन होता है. ऐसे में प्रशासन से कहा गया है कि मरीजों को आक्सीजन की कमी न होने पाए.

इस देश ने अपने नाम किया मिस यूनिवर्स 2020 का खिताब, Top 5 में भारत था शामिल

फ्लोरिडा में हो रहे मिस यूनिवर्स 2020 का खिताब का ऐलान हो गया है. मैक्सिको की एंड्रिया मेजा ने इस खिताब को अपने नाम कर लिया है. वहीं भारत की Adline Castelino थर्ड रनरअप बनते हुए टौप 5 में अपनी जगह बनाई है, जिसके बाद उन्हें हर कोई बधाई दे रहा है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

भारत रहा 3rd रनरअप

दरअसल, फ्लोरिडा में हो रहे इस इवेंट में पूर्व मिस यूनिवर्स जोजिबिनी टूंजी ने मैक्सिको की एंड्रिया मेजा को ताज पहनाया. वहीं टौप 5 कंटेस्टेंट की बात करें तो ब्राजिल की Julia Gama 1st रनरअप, पेरू की Janick Maceta 2nd रनरअप, भारत की  Adline Castelino 3rd रनरअप और डोमिनिकन रिपब्लिक की Kimberly Perez 4th रनरअप बनीं हैं.

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मिस यूनिवर्स का ये था जवाब एंड्रिया

Question-Answer राउंड में जब एंड्रिया से सवाल किया गया कि अगर आप अपने देश की लीडर होती, तो आप COVID-19 महामारी को कैसे हैंडल करतीं? तो उन्होंने जवाब दिया ‘मेरा मानना है कि COVID-19 जैसी इस मुश्किल स्थिति से निपटने का कोई सही तरीका नहीं है. हालांकि, मेरा मानना ​​है कि मैंने जो किया होता उसमें लॉकडाउन होता, इससे पहले कि सब कुछ इतना बड़ा होता क्योंकि हमने बहुत सारी जान गंवाई. और हम ये अफॉर्ड नहीं कर सकते. हमें अपने लोगों की देखभाल करनी होगी. इसलिए मैं शुरू से ही उनका ख्याल रखती.’

दिल से आती है सुंदरता

फाइनल स्टेटमेंट में एंड्रिया को ब्यूटी स्टैंडर्ड के बारे में बात करते हुए कहा “हम एक ऐसी सोसायटी में रहते हैं जो बहुत एडवांस है. जैसे-जैसे हम एक एडवांस सोसायटी हैं, वैसे ही हम स्टीरियोटाइप के साथ भी एडवांस हैं. मेरे लिए, सुंदरता न केवल आत्मा से आती है, बल्कि हमारे दिल से भी आती है और हम किस तरह से व्यवहार कर रहे हैं. कभी किसी को ये बताने की अनुमति न दें कि आप मूल्यवान नहीं हैं.”

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बता दें, भारत का प्रतिनिधत्व कर रहीं 22 वर्षीय एडलिन क्वाडरोस कास्टलिनो के माता-पिता कर्नाटक से हैं. हालांकि उनकी परवरिश कुवैत में हुई है. वहीं मिस यूनिवर्स 2020 की उनकी जर्नी कई मुश्किलों से बनी है.

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