घर की सीढ़ियां बनाते समय रखें इन 6 बातों का ध्यान

अक्सर लोग आर्किटेक्ट की मदद के लिए बिना ही कांट्रेक्टर के बताए नक्शे के मुताबिक घर का कंस्ट्रक्शन शुरू कर देते हैं. जिसका सबसे ज्यादा असर घर की सीढ़ियों पर दिखता है. अगर घर की सीढ़ियों में परेशानी होती है तो ये आने वाले दिनों में कईं परेशानियों का सबब बन सकता है. इसीलिए आज हम आपको सीढ़िया बनाते समय किन बातों का ध्यान रखें इसके बारे में कुछ आसान टिप्स बताएंगे, जिससे आपकी सीढ़ियों का डिजाइन और लुक दोनों बदल जाएगा.

1. हेड रूम का ध्यान रखना है जरूरी

सीढ़ियों  बनाते समय हेड रूम का ध्यान रखना जरूरी है, जिससे कि लंबे व्यक्तियों का सिर छत से न टकराए. अक्सर ऐसा होता है कि जल्दीबाजी में सीढ़ियों से उतरते हुए सिर अथवा माथा छत या छज्जे से टकरा जाता है और चोट लग जाती है.

2. सीढ़ियों का साइज का भी रखें ध्यान

सीढ़ियों को कम से कम 840 एमएम और ज्यादा से ज्यादा एक मीटर तक अपनी जरूरत के अनुसार रखना चाहिए. अच्छी सीढ़ी वही है जिसमें चढ़ते और उतरते वक्त आपको बहुत ज्यादा मेहनत न करनी पड़े. आम तौर पर किसी भी वयस्क का एक पग यानी स्टेप 600 एमएम यानी 2 फुट का होता है. इसको ध्यान में रखते हुए ही सीढ़ियों का निर्माण कराएं. यह ध्यान रखें कि सीढ़ियों पर ऊपर चढ़ते हुए दुगनी ऊर्जा लगानी पड़ती है, ऐसे में अगर सीढ़ियों ऊंची-नीची होंगी, उनमें सामंजस्य नहीं होगा तो दुर्घटना की संभावना बनी रहेगी.

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3. राइजर का रखें ध्यान

घर में इस्तेमाल की जाने वाली सीढ़ियों में 250 एमएम का ट्रेड और 165 एमएम से 175 एमएम तक का राइजर इस्तेमाल किया जा सकता है. आप इसे ज्यादा से ज्यादा 220 एमएम तक का रख सकते हैं. अगर राइजर ज्यादा ऊंचा होगा तो पैर भी ज्यादा ऊंचाई तक उठाने होंगे, जिससे चंद सीढ़ियों  चढ़ने के बाद ही थकान महसूस होने लगेगी.

4. डिजाइनिंग का रखें पूरा ध्यान

सीढ़ियां इस तरह डिजाइन कराई जानी चाहिए कि उस तक आसानी से पहुंचा जा सके. अगर कमरों के दरवाजे सीढ़ियों के साथ खुल रहे हों तो ऐसे में कम से कम 310 मिलीमीटर तक की न्यूनतम दूरी जरूर बनाकर रखनी चाहिए. इसका फायदा यह होगा कि कमरे से सीढ़ियों तक आसानी से स्टेप-अप किया जा सकेगा.

5. फर्नीचर चढ़ाने में न हो दिक्कत

सीढ़ियों को कभी बहुत तंग नहीं रखना चाहिए. ऐसा होने से खासकर ऊपरी मंजिलों पर फर्नीचर चढ़ाने और उतारने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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6. स्टील फिनिश वाली रेलिंग का करें इस्तेमाल

सीढ़ियों की डेकोरेशन के लिए तमाम तरह के विकल्प मौजूद हैं. इन्हें सजाने में सबसे ज्यादा भूमिका रेलिंग की होती है. रेलिंग के लिहाज से आयरन या फिर स्टील फिनिश वाली रेलिंग का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

फलक से टूटा इक तारा: काश सान्या को यह एहसास पहले हो जाता

Serial Story: फलक से टूटा इक तारा- भाग 1

‘‘मां तुम समझती क्यों नहीं, आजकल तो सभी मातापिता अपने बच्चों को छूट देते हैं, तुम क्यों नहीं मुंबई जाने देती मुझे?’’ सान्या जिद पर अड़ी थी और उस की मां 2 दिन से उसे समझा रही थी, ‘बेटी, हम मध्यवर्गीय लोग हैं, तुम पढ़ाई में इतनी अच्छी हो कि डाक्टर, इंजीनियर बन सकती हो, क्यों इस फालतू के डांस शो के लिए जिद पर अड़ी हो?’

‘‘नहीं मां, मैं जाऊंगी डांस शो में,’’ पैर पटकते हुए सान्या कमरे की तरफ बढ़ गई और जा कर पलंग पर औंधेमुंह लेट गई. उस की मां दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोली, ‘‘बेटी, तुम बात समझने की कोशिश करो, मैं तुम्हारी दुश्मन नहीं, दरवाजा तो खोलो.’’

सान्या कहां सुनने वाली थी. उसे तो मुंबई जाना था डांस शो के लिए. वह तो मशहूर मौडल बनना चाहती थी. कहां पसंद था उसे यह साधारण लोगों की तरह जीना? वह तो खुले आसमान में उड़ जाना चाहती थी पंछियों की तरह, जहां कोई रोकटोक न हो, जितना चाहो उड़ो. दूरदूर तक खुला आसमान, न तो रीतिरिवाज की बंदिश न ही समाज के बंधन. उस की मां कैसे कह देती, ‘बेटी, तुम जाओ.’ वह बेचारी तो स्वयं संयुक्त परिवार के बंधनों में फंसी थी. यदि वह आज उसे छूट देगी तो यह इस के बाद मौडलिंग में जाने की जिद करेगी. और फिर, वह देवरजेठ समेत अन्य रिश्तेदारों को क्या जवाब देगी? देर तक सान्या की मां इसी उधेड़बुन में उलझी रही और फिर मन ही मन बोली, ‘सान्या के पिताजी घर आएं तो रात को उन से जरूर इस विषय में बात करूंगी.’

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रात को खाना खा कर परिवार के सभी सदस्य सोने के लिए अपने कमरे में चले गए और तभी सान्या की मां ने मौका पा कर उस के पिताजी से कहा, ‘‘सुनिए जी, बच्ची का बड़ा मन है डांस शो में जाने के लिए, वैसे हमें उसे रोकना नहीं चाहिए, कितना अच्छा डांस करती है हमारी सान्या. हर वर्ष स्कूल के सालाना कार्यक्रम में भाग लेती है और इनाम भी ले कर आती है हमारी बेटी. हां कह दीजिए न, एक बार मुंबई में डांस शो में जा कर आ जाएगी तो उस का दिल नहीं टूटेगा.’’

सान्या के पिताजी बोले, ‘‘एक बार जाने में तो कोई हर्ज नहीं, लेकिन वह आगे मौडलिंग के लिए भी तो जिद करेगी, कैसे भेजेंगे उसे?’’

‘‘आप इस डांस शो के लिए तो हां कीजिए, फिर उसे मैं समझा दूंगी,’’ सान्या की मां ने मुसकराते हुए कहा.

अगले दिन जब सान्या की मां व पिताजी ने उसे डांस शो में जाने के लिए हामी भरी तो उसे एक बार को तो विश्वास ही नहीं हुआ. वह कहने लगी, ‘‘मांपिताजी, आप लोग मान गए? कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही हूं?’’ मां बोली, ‘‘नहीं बेटी, यह हकीकत है. लेकिन इस के बाद तुम अपनी पढ़ाई में जुट जाओगी, मुझ से वादा करो.’’

‘‘हां मां, पक्का, फिर कभी जिद  नहीं करूंगी,’’ इतना कह सान्या अपनी मां से लिपट गई, ‘‘थैंक्यू मां, थैंक्यू पिताजी, आप दोनों कितने अच्छे हैं.’’ वह खुशी के मारे उछल पड़ी.

अगले ही दिन से डांस शो व मुंबई जाने की तैयारी शुरू हो गई. ऐसा करतेकरते शो का दिन भी आ गया और सान्या अपने मातापिता के साथ मुंबई डांस स्टूडियो में पहुंच गई. उस के मातापिता को दर्शकों में विशिष्ट अतिथि का स्थान मिला था. एकएक

कर सभी कंटैस्टैंट स्टेज पर आए. वे इतने बड़े स्टेज पर अपनी बेटी का डांस शो देखने को उत्सुक थे. स्टेज की साजसजावट, निर्णायक मंडल व दर्शकगण कुल मिला कर सभीकुछ बड़ा ही अच्छा लग रहा था. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि बचपन में 2 चोटियां बना कर घूमने वाली सान्या बड़ी फिल्मी हस्तियों के सामने अपना नृत्य प्रस्तुत करेगी. 3 लोगों का डांस पूरा हुआ और चौथा नंबर सान्या का था.

जैसे ही स्टेज पर उस का नाम पुकारा गया, सान्या के पिताजी का सीना फूल कर चौड़ा हो गया और अगले ही पल सान्या झूम कर स्टेज पर आ पहुंची. उस की नाचने की अदा सब से अलग थी. सभी दर्शकों और निर्णायक मंडल के सदस्यों की तालियों की गड़गड़ाहट से हौल गूंज उठा था. सान्या की मां उस के पिताजी के पास सरक कर मुंह पर हाथ रख कर धीरे से फुसफुसाती हुईर् बोली, ‘‘देखना जी, हमारी सान्या ही प्रथम आएगी, इस का फाइनल्स के लिए जरूर सलैक्शन होगा.’’ जवाब में सान्या के पिताजी ने अपना सिर हामी भरते हुए हिला दिया था.

खैर, शो खत्म हुआ. उस के पिताजी शाम को उसे मुंबई घुमाने के लिए ले कर गए. मरीन ड्राइव पर समुद्र की आतीजाती लहरें सड़क पर ठंडी फुहारें फेंक रही थीं. और हैंगिंग गार्डन में बुड्ढी का जूता देख सान्या बहुत खुश हो गई. कई पुरानी फिल्मों को वहां फिल्माया गया है. सान्या तो अपने सपनों की नगरी में आ पहुंची थी. वह तो सदा के लिए यहां बस जाना चाहती थी. किंतु मांपिताजी तो चाहते हैं कि वह आगे पढ़ाई करे और इस चमकदमक की दुनिया से दूर रहे.

खैर, अगले 2 दिनों में छोटा कश्मीर, नैशनल पार्क, एस्सेल वर्ल्ड आदि सभी जगहों पर घूम कर सान्या अपने मातापिता के साथ घर आ गई. लेकिन आने के बाद वह मुंबई और वहां का बड़ा सा स्टेज ही देखती रही. वह तो चाहती ही न थी कि उस रात की कभी सुबह भी हो. कितनी अच्छी होती है न सपनों की दुनिया. जो सोचो वही हकीकत में रूपांतरित होता नजर आता है. काश, उस का यह सपना हकीकत बन जाए. तभी घड़ी का अलार्म बजा और घर्रघर्र की आवाज ने उसे सोने नहीं दिया. उस ने झट से बटन दबा कर अलार्म बंद कर दिया.

थोड़ी देर में मां की आवाज आई, ‘‘बेटी सान्या, उठो न, तुम्हें कालेज जाने में देर हो जाएगी.’’

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‘‘जी मां,’’ कहते हुए सान्या ने अलसाई आंखों से सूर्य को देखा. बाथरूम में जा ठंडे पानी के छींटे अपनी आंखों पर मारे और मां के पास रसोई में जा कर अपने लिए चाय ले कर आई. अखबार पढ़ने के साथ चाय की चुस्कियां लेते हुए सान्या पेज थ्री में फिल्मी हस्तियों के फोटो देख रहे थी. उन्हें देख वह तो रोज ही ख्वाब संजोने लगती कि उसे मुंबई से बुलावा आ रहा है. हर वक्त मुंबईमुंबई, बस मुंबई.

उस की मां उसे समझाती, ‘‘सान्या, हम साधारण लोग हैं, मुंबई में तो बड़बड़े लोग रहते हैं. यह जो फिल्मी दुनिया है न, वास्तविक दुनिया से बहुत अलग है.’’ जवाब में सान्या कहती, ‘‘पर मां, वहां भी तो इंसान ही बसते हैं न. बस, एक बार मैं वहां चली जाऊं, फिर देखना, पैसा, शोहरत सब है वहां. यहां इस छोटे से कसबे में क्या रखा है? आज पढ़ाई पूरी कर भी लूंगी तो कल किसी सरकारी नौकरी वाले डाक्टर, इंजीनियर से तुम मेरा ब्याह कर दोगी और फिर रोज वही चूल्हाचौका. जो जिंदगी तुम ने जी है, वही मुझे जीनी होगी. क्या फायदा मां ऐसी जिंदगी का? मां मैं बड़े शहर में जाना चाहती हूं, मुंबई जाना चाहती हूं, कुछ अलग करना चाहती हूं.’’ मां ने उसे टालते हुए कहा, ‘‘अच्छाअच्छा, अभी तो पहले पढ़ाई पूरी कर ले.’’ लेकिन सान्या का कहां पढ़नेलिखने में मन लगने वाला था. उसे तो फैशन वर्ल्ड अच्छा लगता था, वह तो जागते हुए भी डांस शो और मौडलिंग के सपने देखती थी.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

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Serial Story: फलक से टूटा इक तारा- भाग 3

सान्या सोचने लगी, ‘कल तक जो देव मेरी हर बात का दीवाना हुआ करता था उसे आज अचानक से क्या हो गया है?’ यदि सान्या उस से बात करना भी चाहती तो वह मुंह फेर कर चल देता. अब सान्या मन ही मन बहुत परेशान रहने लगी थी. बारबार सोचती, कुछ तो है जो देव मुझ से छिपा रहा है. अब वह देव पर नजर रखने लगी थी और उसे मालूम हुआ कि देव का उस से पहले भी एक लड़की से प्रेमप्रसंग था और अब वह फिर से उस से मिलने लगा है.

सान्या सोचने लगी, ‘तो क्या देव, मुझे शादी के झूठे सपने दिखा रहा है.’ यदि अब वह देव से शादी के बारे में बात करती तो देव उसे किसी न किसी बहाने से टाल ही देता. और आज तो हद ही हो गई, जब सान्या ने देव से कहा, ‘‘हमारी शादी का दिन तय करो.’’ देव उस की यह बात सुन  मानो तिलमिला गया हो. वह कहने लगा, ‘‘तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने है, आज हम शादी कर लें और कल बच्चे? इतना बड़ा पेट ले कर घूमोगी तो कौन से धारावाहिक वाले तुम्हें काम देंगे. तुम्हारे साथसाथ मेरा भी कैरियर चौपट जब सब को पता लगेगा कि मैं ने तुम से शादी कर ली है.’’

सान्या कानों से सब सुन रही थी लेकिन जो देव कह रहा था उस पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था. उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया था. वह तो सोच भी नहीं सकती थी कि देव उस के साथ ऐसा व्यवहार करेगा. वह तो शादी के सपने संजोने लगी थी. उसे नहीं मालूम था कि देव उस के सपने इतनी आसानी से कुचल देगा. तो क्या देव सिर्फ उस का इस्तेमाल कर रहा था या उस के साथ टाइमपास कर रहा था. उस का प्यार क्या एक छलावा था. वह सोचने लगी कि ऐसी क्या कमी आ गई अचानक से मुझ में कि देव मुझ से कटने लगा है.

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कई धारावाहिकों में अपनी मनमोहक छवि और मुसकान के लिए सब का चहेता देव, क्या यही है उस की असलियत? जिस देव की न जाने कितनी लड़कियां दीवानी हैं क्या उस देव की असलियत इतनी घिनौनी है? वह मन ही मन अपने फैसले को कोस रही थी और अंदर ही अंदर टूटती जा रही थी, लेकिन उस ने सोच लिया था कि देव उस से इस तरह पीछा नहीं छुड़ा सकता. अगले दिन जब देव शूटिंग खत्म कर के घर जा रहा था, सान्या भी उस के साथ कार में आ कर बैठ गई और उस ने पूछा, ‘‘देव, क्या तुम किसी और से प्यार करते हो? मुझे सचसच बताओ क्या तुम मुझ से शादी नहीं करोगे?’’

आज देव के मुंह से कड़वा सच निकल ही गया, ‘‘क्यों तुम हाथ धो कर मेरे पीछे पड़ गई हो, सान्या? मेरा पीछा छोड़ो,’’ यह कह देव अपनी कार साइड में लगा कर वहां से पैदल चल दिया. लेकिन सान्या क्या करती? वह भी दौड़ कर उस के पीछे गई और कहने लगी, ‘‘मैं ने तुम से प्यार किया है, देव, क्या तुम ने मुझे सिर्फ टाइमपास समझा? नहीं देव, नहीं, तुम मुझे इस तरह नहीं छोड़ सकते. बहुत सपने संजोए हैं मैं ने तुम्हारे साथ. क्या तुम मुझे ठुकरा दोगे?’’

देव को सान्या की बातें बरदाश्त से बाहर लग रही थीं और उसी गुस्से में उस ने सान्या के गाल पर तमाचा जड़ते हुए कहा, ‘‘तुम मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ती?’’ सान्या वहां से उलटे कदम घर चली आई.

अब तो सान्या की रातों की नींद और दिन का चैन छिन गया था. न तो उस का शूटिंग में मन लगता था और न ही कहीं और. इतनी जानीमानी मौडल, इतने सारे नामी धारावाहिकों की हीरोइन की ऐसी दुर्दशा. यह हालत. वह तो इस सदमे से उबर ही नहीं पा रही थी. पिछले 4 दिनों से न तो वह शूटिंग पर गई और न ही किसी से फोन पर बात की. कई फोन आए पर उस ने किसी का भी जवाब नहीं दिया.

आज उस ने देव को फोन किया और कहा, ‘‘देव, क्या तुम मुझे मेरे अंतिम समय में भी नहीं मिलोगे? मैं इस दुनिया को छोड़ कर जा रही हूं, देव,’’ इतना कह फोन पर सान्या की अवाज रुंध गई. देव को तो कुछ समझ ही न आया कि वह क्या करे? वह झट से कार ले कर सान्या के घर पहुंचा. लिफ्ट न ले कर सीधे सीढि़यों से ही सान्या के फ्लैट पर पहुंचा.

दरवाजा अंदर से लौक नहीं था. वह सीधे अंदर गया, सान्या पंखे से झूल रही थी. उस ने झट से पड़ोसियों को बुलाया और सब मिल कर सान्या को अस्पताल ले कर गए. लेकिन वहां सान्या को मृत घोषित कर दिया गया.

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सान्या इस दुनिया से चली गई, उस दुनिया में जिस में उस ने सुनहरे ख्वाब देखे थे, वह दुनिया जिस में वह देव के साथ गृहस्थी बसाना चाहती थी, वह दुनिया जिस की चमकदमक में वह भूल गई कि फरेब भी एक शब्द होता है और देव से जीजान से मुहब्बत कर बैठी या फिर वह इस दुनिया के कड़वे एहसास से अनभिज्ञ थी. उसे लगता था कि ये बड़ीबड़ी हस्तियां, बडे़ स्टेज शो, पार्टियों में चमकीले कपड़े पहने लोग और बड़ी ही पौलिश्ड फर्राटेदार अंगरेजी बोलने वाले लोग सच में बहुत अच्छे होते हैं, लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि उस दुनिया और हम जैसे साधारण लोगों की दुनिया में कोई खास फर्क नहीं. हमारी दुनिया की जमीन पर खड़े हो जब हम आसमान में चमकते सितारे देखते हैं तो वे कितने सुंदर, टिमटिमाते हुए नजर आते हैं. किंतु उन्हीं सितारों को आसमान में जा कर तारों के धरातल पर खड़े हो कर जब हम देखें तो उन सितारों की चमक शून्य हो जाती है और वहां से हमारी धरती उतनी ही चमकती हुई दिखाई देती है जितनी कि धरती से आसमान के तारे. फिर क्यों हम उस ऊपरी चमक से प्रभावित होते हैं?

ये चमकदार कपड़े, सूटबूट सब ऊपरी दिखावा ही तो है दूसरों को रिझाने के लिए. तभी तो सान्या इन सब के मोहपाश में पड़ गई और देव से सच्चा प्यार कर बैठी. वह यह नहीं समझ पाई कि इंसान तो इंसान है, मुंबई के फिल्मी सितारों की दुनिया हो या छोटे से कसबे के साधारण लोगों की दुनिया, इंसानी फितरत तो एक सी ही होती है चाहे वह कितनी भी ऊंचाइयां क्यों न हासिल कर ले. लेकिन कहते हैं न, दूर के ढोल सुहावने. खैर, अब किया भी क्या जा सकता था.

लेकिन हां, हर पल मुसकराने वाली सान्या जातेजाते सब को दुखी कर गई और छोड़ गई कुछ अनबूझे सवाल. झूठे प्यार के लिए अपनी जान देने वाली सान्या अपनी जिंदगी को कोई दूसरा खूबसूरत मोड़ भी तो दे सकती थी. इतनी गुणी थी वह, अपने जीवन में बहुतकुछ कर सकती थी. सिर्फ जीवन के प्रति सकारात्मक सोच को जीवित रख लेती और देव को भूल जीवन में कुछ नया कर लेती. काश, वह समझ पाती इस दुनिया को. कितनी नायाब होती है उन सितारों की चमक जो चाहे दूर से ही, पर चमकते दिखाई तो देते हैं. सभी को तो नहीं हासिल होती वह चमक. तो फिर क्यों किसी बेवफा के पीछे उसे धूमिल कर देना. काश, समझ पाती सान्या. खैर, अब तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे फलक से एक चमकता तारा अचानक टूट गया हो.

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Serial Story: फलक से टूटा इक तारा- भाग 2

अभी एक महीना बीता था कि सान्या को मुंबई से डांस शो के फाइनल्स के लिए बुलावा आ गया. उस के पैर तो बिन घुंघरू के ही थिरकने लगे थे. वह तो एकएक दिन गिन रही थी फिर से मुंबई जाने के लिए. अब डांस फाइनल्स शो का भी दिन आ ही गया.

फिर से वही स्टेज की चमकदमक और उस के मातापिता दर्शकों की आगे की पंक्ति में बैठे थे और शो शुरू हुआ. नतीजा तो जैसे सान्या ने स्वयं ही लिख दिया था. उसे पूरा विश्वास था कि वही जीतेगी. और डांस शो की प्रथम विजेता भी सान्या ही बनेगी. फिर क्या था, सान्या का नाम व तसवीरें हर अखबार व मैग्जीन के मुखपृष्ठ पर थीं. अब उसे हिंदी धारावाहिकों के लिए प्रस्ताव आने लगे थे. सभी बड़े नामी उत्पादों की कंपनियां उसे अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिए प्रस्ताव देने लगी थीं.

अब तो सान्या आसमान में उड़ने लगी थी. उस की मां व पिताजी उस से कहते, ‘‘बेटी, इस चमकदमक के पीछे न दौड़ो, पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर लो.’’ लेकिन सान्या कहती, ‘‘पिताजी, ऐसे सुनहरे अवसर बारबार थोड़े ही मिलते हैं. मुझे मत रोकिए, पिताजी, उड़ जाने दीजिए मुझे आजाद परिंदे की तरह और कर लेने दीजिए मुझे अपने ख्वाब पूरे.’’

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मांपिताजी ने उसे बहुत समझाया, पिताजी तो कई बार नाराज भी हुए, उसे डांटाडपटा भी, लेकिन सान्या को तो मुंबई जाना ही था. सो, मातापिता की मरजी के खिलाफ जिद कर एक दिन उस ने मुंबई की ट्रेन पकड़ ली, लेकिन मातापिता अपनी बेटी को कैसे अकेले छोड़ते, सो हार कर उन्होंने भी उस की जिद मान ही ली. कुछ दिन तो मां उस के साथ एक किराए के फ्लैट में रही, लेकिन फिर वापस अपने घर आ गई. सान्या की छोटी बहन व पिता को भी तो संभालना था.

सान्या को तो एक के बाद एक औफर मिल रहे थे, कभी समय मिलता तो मां को उचकउचक कर फोन कर सब बात बता देती. मां भी अपनी बेटी को आगे बढ़ते देख फूली न समाती. एक बार मां 7 दिनों के लिए मुंबई आई. जगहजगह होर्डिंग्स लगे थे जिन पर सान्या की तसवीरें थीं. विभिन्न फिल्मी पत्रिकाओं में भी उस की तसवीरें आने लगी थीं. वह मां को अपने साथ शूटिंग पर भी ले कर गई. सभी डायरैक्टर्स उस का इंतजार करते और उसे मैडममैडम पुकारते.

मां बहुत खुश हुई, लेकिन मन ही मन डरती कि कहीं कुछ गलत न हो जाए, क्या करती आज की दुनिया है ही ऐसी. अपनी बेटी के बढ़ते कदमों को रोकना भी तो नहीं चाहती थी वह. पूरे 5 वर्ष बीत गए. रुपयों की तो मानो झमाझमा बारिश हो रही थी. इतनी शोहरत यानी कि सान्या की मेहनत और काबिलीयत अपना रंग दिखा रही थी. हीरा क्या कभी छिपा रहता है भला?

जब सान्या को किसी नए औफर का एडवांस मिलता तो वह रुपए अपने मांपिताजी के पास भेज देती. साथ ही साथ, उस ने मुंबई में भी अपने लिए एक फर्निश्ड फ्लैट खरीद लिया था. कहते हैं न, जब इंसान की मौलिक जरूरतें पूरी हो जाती हैं तो वह रुपया, पैसा, नाम, शोहरत, सम्मान आदि के लिए भागदौड़ करता है. तो बस, अब सबकुछ सान्या को हासिल हो गया तो उसे तलाश थी प्यार की.

वैसे तो हजारों लड़के सान्या पर जान छिड़कते थे किंतु उस की नजर में जो बसा था, वह था देव जो उसे फिल्मी पार्टी में मिला था और मौडलिंग कर रहा था. दोनों की नजरें मिलीं और प्यार हो गया.

कामयाबी दोनों के कदम चूम रही थी. जगहजगह उन के प्यार के चर्चे थे. आएदिन पत्रिकाओं में उन के नाम और फोटो सुर्खियों में होते. सान्या की मां कभीकभी उस से पूछती तो सान्या देव की तारीफ करती न थकती थी. मां सोचती कि अब सान्या की जिंदगी उस छोटे से कसबे के साधारण लोगों से बहुत ऊपर उठ चुकी है और वह तो कभी भी साधारण लोगों जैसी थी ही नहीं. सो, उस के मांपिताजी ने भी उसे छूट दे दी थी कि जैसे चाहे, अपनी जिंदगी वह जी सकती है. देव और सान्या एकदूसरे के बहुत करीब होते जा रहे थे.

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देव जबतब सान्या के घर आतेजाते दिखाई देता था. कभीकभी तो रात को भी वहीं रहता था. धीरेधीरे दोनों साथ ही रहने लगे थे और यह खबर सान्या की मां तक भी पहुंच चुकी थी. यह सुन कर उस की मां को तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ. जब मां ने सान्या से पूछा तो वह कहने लगी, ‘‘मां, यहां मुंबई में ऐसे ही रहने का चलन है, इसे लिवइन रिलेशन कहते हैं और यहां ऐसे रहने पर कोई रोकटोक नहीं. मेरे दूसरे दोस्त भी ऐसे ही रहते हैं और मां, मैं ने और देव ने शादी करने का फैसला भी कर लिया है.’’

मां ने जवाब में कहा, ‘‘अब जब फैसला कर ही लिया है तो झट से विवाह भी कर लो और साथ में रहो, वरना समाज क्या कहेगा?’’ सान्या बोली, ‘‘हां मां, तुम ठीक ही कहती हो, मैं देव से बात करती हूं और जल्द ही तुम्हें शादी की खुशखबरी देती हूं.’’

अगले दिन जैसे ही देव ने सान्या के मुंह से शादी की बात सुनी, वह कहने लगा, ‘‘हांहां, क्यों नहीं, शादी तो करनी ही है लेकिन इतनी जल्दी भी क्या है सान्या, थोड़ा हम दोनों और सैटल हो जाएं, फिर करते हैं शादी. तुम भी थोड़ा और नाम कमा लो और मैं भी. फिर बस शादी और बच्चे, हमारी अपनी गृहस्थी होगी.’’

देव की प्यारभरी बात सुन कर सान्या मन ही मन खुश हो गई और अगले ही पल वह उस की आगोश में आ गई. सान्या को पूरा भरोसा था अपनेआप पर और उस से भी ज्यादा भरोसा था देव पर. वह जानती थी कि देव पूरी तरह से उस का हो चुका है.

अब उन का मिलनाजुलना पहले से ज्यादा बढ़ गया था, कभी मौल में, तो कभी कैफे में दोनों हाथ में हाथ डाले घूमते नजर आ ही जाते थे. उन का प्यार परवान चढ़ने लगा था. सान्या तो तितली की तरह अपने हर पल को जीभर जी रही थी. यही जिंदगी तो चाहती थी वह, तभी तो उस छोटे से कसबे को छोड़ कर मुंबई आ गई थी और उस का सोचना गलत भी कहां था, शायद ही कोई विरला होगा जो मुंबई की चमकदमक और फिल्मी दुनिया की शानोशौकत वाली जिंदगी पसंद न करता हो.

अभी 2-3 महीने बीते थे और देव अब सान्या के फ्लैट में ही रहने लगा था. रातदिन दोनों साथ ही नजर आते थे. लेकिन यह क्या, देव अचानक से अब उखड़ाउखड़ा सा, बदलाबदला सा क्यों रहता है? सान्या देव से पूछती, ‘‘देव कोई परेशानी है तो मुझे बताओ, तुम्हारे व्यवहार में मुझे फर्क क्यों नजर आ रहा है? हर वक्त खोएखोए रहते हो. कुछ पूछती हूं तो खुल कर बात करने के बजाय मुझ पर झल्ला पड़ते हो.’’

देव ने जवाब में कहा, ‘‘कुछ नहीं, तुम ज्यादा पूछताछ न किया करो, मुझे अच्छा नहीं लगता है.’’

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

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क्यों कास्टिंग काउच का मोहरा नही बनीं एक्ट्रेस अंजलि ततरारी

धारावाहिक मेरे डैड की दुल्हन में निया शर्मा की भूमिका निभाकर चर्चित हुई 24 वर्षीय अभिनेत्री अंजलि ततरारी का जन्म उत्तराखंड की पिथौरागढ़ में हुआ. जब वह केवल 4 साल की थी, उनके पिता की एक एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी, इसके बाद उनकी माँ मोना ततरारी मुंबई आकर हिंदी और संस्कृत की अध्यापिका बनी और अंजलि की परवरिश की. अंजलि पढाई के साथ-साथ फैशन ब्लॉगर और कई विज्ञापनों में भी काम करती रही. इसके बाद उन्हें ऑडिशन के द्वारा अभिनय का मौका मिला. अभी अंजलि सोनी टीवी पर शो ‘सरगम की साढ़ेसाती’ में सरगम की मुख्य भूमिका निभा रही हैं, जिसमे इमोशन के साथ-साथ कॉमेडी भी है. अंजलि के लिए ये भूमिका किसी चुनौती से कम नहीं. चुलबुली और हंसमुख स्वभाव की अंजलि से बात करना रोचक था, आइये जाने क्या कहती है वह अपने बारें में.

सवाल-इस चरित्र ने आपको कैसे प्रेरित किया?

पहली वजह ये थी कि ये एक कॉमेडी शो है, मैंने पहले कभी किया नहीं है. बहुत कम अवसर होता है, जब किसी कलाकार को अलग-अलग भूमिका निभाने का मौका मिलता है. इसके अलावा ये शो एक प्रोग्रेसिव विचारों वाला है, जो मुझे पसंद है. साथ ही इसकी कांसेप्ट और कहानी दोनों फ्रेश है. साढ़ेसाती से यहाँ साढ़ेसात परिवार के सदस्यों से है.

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सवाल-ये भूमिका आपसे अलग है, आपको कितनी तैयारी करनी पड़ी?

ये वास्तव में मुझसे अलग भूमिका है, क्योंकि रियल लाइफ में मैंने कभी भी इतने बड़े परिवार की जिम्मेदारी नहीं ली है, क्योंकि अभी मैं छोटी हूं. इसलिए मुझे पर्सनालिटी और रिलेशनशिप पर काम किया. इसमें दद्दू, ससुर, देवर, पति आदि सबके साथ एक अलग सम्बन्ध दिखाया गया है, जो मुश्किल रहा. इसके अलावा कॉमेडी में टाइमिंग और पेस का सही होना जरुरी होता है, जो मैं अनुभव के साथ ही अच्छा कर पा रही हूं. कुछ लोगों को लगता है कि कॉमेडी आसान है, लेकिन सबसे अधिक कठिन है. एक दृश्य को बार-बार रिटेक  करने पर उसकी पंच लाइन के चले जाने का डर रहता है.

सवाल-उत्तराखंड से मुंबई कैसे आना हुआ?

काफी पर्सनल बातें है, जिसे मैं शेयर करने में कम्फ़र्टेबल नहीं हूं. पारिवारिक समस्या के चलते मुझे और मेरी माँ को मुंबई आना पड़ा, लेकिन अब लगता है कि अभिनय ही मेरी डेस्टिनी रही है, क्योंकि मुझे बचपन में डांस बहुत पसंद था. स्कूल की सारी एक्टिविटीज में मैं हमेशा भाग लेती थी. वहां रहकर मेरी क्रिएटिविटी का सपना कभी पूरा नहीं हो पाता. मुंबई आने का कोई प्लान नहीं था. मुंबई में मैं अपने अंकल के पास आई और पढाई पूरी करती रही. सी ए की परीक्षा दी, पर मुझे ये सब करना पसंद नहीं था. मैंने ऑडिशन देना शुरू कर दिया. मुझे कैमरे के आगे ऑडिशन देने में भी बहुत मजा आता था और रिजेक्शन होने से भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था. तब मुझे लगा कि कैमरे के सामने मुझे रहना अच्छा लगता है और यही मेरे काम करने का फील्ड है.

सवाल-पहला ब्रेक कब और कैसे मिला?

मैंने अभिनय में कोई ट्रेनिंग नहीं ली है, मुझे अपना प्रोफाइल बनाना भी नहीं आता था. सबसे पूछकर मैंने अपनी प्रोफाइल बनायीं है और हर रिजेक्शन से मैंने अभिनय सीखा है. शुरुआत मैंने कई बड़े-बड़े विज्ञापनों से किया है, लेकिन टीवी पर काम करने से जितना एक्सपोजर मिलता है, उतना किसी दूसरे माध्यम में नहीं मिलता. मैंने टीवी शो से पहले एक अच्छी वेब शो में भी काम किया है, लेकिन लोगों ने मुझे शो मेरी डैड की दुल्हन की निया के चरित्र से पहचानना शुरू किया. ये चरित्र मेरे दिल के पास हमेशा रहेगा, क्योंकि इसमें कई सारे इमोशन जुड़े हुए है. निया के चरित्र में मुझे एक दो दिन के बाद ग्लिसरीन प्रयोग करने की जरुरत नहीं पड़ी.

सवाल-मुख्य भूमिका होने पर कितना प्रेशर रहता है?

मुख्य भूमिका हो या आंशिक, मेरे काम में ईमानदारी और नर्वसनेस काम के प्रति हमेशा रहा है. ये जरुरी भी है, क्योंकि जिस काम के लिए दर्शक इतना प्यार देते है, शो को देखते है, उसे मैं हल्के में नहीं ले सकती.

सवाल-आपके यहाँ तक पहुँचने में परिवार का सहयोग कितना रहा?

मैं एक छोटे हिल स्टेशन पिथौरागढ़ से हूं, जहाँ किसी ने इस क्षेत्र को देखा नहीं है. उनके लिए मुझे हमेशा सहयोग देना बड़ी बात रही है. जब मैंने सी ए किया, तब वे सपोर्टिव थे और जब नहीं किया तब भी सहयोग दिया. मेरी माँ सिंगल पैरेंट होकर भी मुझे किसी चीज की कमी नहीं होने दी. उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है. जितनी कठिन उनकी जर्नी थी, उतनी ही सहज उन्होंने मेरी जर्नी बनाई है. आगे मैं उनके लिए एक स्मूथ जीवन बनाना चाहती हूं. माँ की सादगी और सबसे मेल-मिलाप बनाये रखने को मैं अपने जीवन में उतरना चाहती हूं.

सवाल-कितना संघर्ष रहा? क्या कभी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा?

संघर्ष से ही मैंने एक्टिंग सीखा है, इसलिए मैं उसे संघर्ष से अधिक चुनौती और हार्ड वर्क कहना चाहती हूं. ये चुनौती हर क्षेत्र में होती है. शुरू में बहुत रिजेक्शन मिला है, क्योंकि मुझे कैमरे को फेस करना, लाइटिंग की जानकारी, अभिनय कुछ भी नहीं आता था, इसलिए मुझे संघर्ष को ग्रूमिंग मानती हूं.

ऐसे काफी लोग मनोरंजन की दुनिया में मिलते है, जिनका इरादा कुछ और होता है. शुरू-शुरू में कई बार लोग बुला लेते थे और घंटो कॉफ़ी हाउस में बैठकर फिल्म और शो के बारें में चर्चा करते थे. मुझे समझ में आ गया कि यहाँ समय नष्ट करने के वजाय कई घंटे लाइन में खड़े होकर ऑडिशन देने में ही भलाई है.

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सवाल-क्या हिंदी फिल्मों में आने की इच्छा रखती है?

मुझे फिल्मों से अधिक वेब सीरीज में काम करने की इच्छा है, लेकिन मैने अभी दो साल टीवी में रहने का निर्णय लिया है. टीवी में पैसे के अलावा प्रसिद्धी भी मिलती है. मैं अभी थोडा स्टाब्लिश होने के बाद आगे एक्स्प्लोर करुँगी. मुझे इरफ़ान खान के साथ काम करने की इच्छा थी, पर दुर्भाग्य से वे अब नहीं रहे. मुझे निर्देशक इम्तियाज अली के निर्देशन में फिल्म करने की बहुत मन है. उनकी सारी फिल्मे मैंने देखी है.

सवाल-क्या महिला दिवस पर कोई मेसेज देना चाहती है?

मैं यूथ को कहना चाहती हूं कि सभी लड़के और लड़कियां कोरोना से बचने के लिए दिए गए गाइड लाइन्स को फोलो करें, क्योंकि फिर से इसका संक्रमण बहुत बढ़ गया है. इसके अलावा अगर आपमें प्रतिभा है तो आपको किसी गॉडफादर की जरुरत नहीं, मैंने भी घंटो लाइन में खड़े होकर ऑडिशन दिया है और यहाँ पहुंची हूं. मेहनत और धीरज से ही आपको सबकुछ मिल सकता है.

जल्द शादी करेंगे Bigg Boss 14 फेम Rahul Vaidya, इस दिन लेंगे Girlfriend दिशा के साथ फेरे

बिग बौस 14 के घर में नेशनल टेलीविजन पर अपनी गर्लफ्रेंड को शादी के लिए प्रपोज करने वाले राहुल वैद्य (Rahul Vaidya) इन दिनों सुर्खियों में हैं. बिग बॉस 14 (Bigg Boss 14) के रनरअप रह चुके सिंगर राहुल वैद्य जल्द ही गर्लफ्रेंड दिशा परमार संग शादी के बंधन में बंधने वाले हैं, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं. लेकिन इसी बीच राहुल वैद्य ने अपनी शादी के डेट को लेकर खुलासा किया है. आइए आपको बताते हैं कब होगी दिशा परमार और राहुल वैद्य की शादी….

शादी को लेकर कही ये बात

हाल ही में एक इंटरव्यू में शादी के सवाल पर राहुल वैद्य ने कहा कि उनकी शादी तीन से चार महीनों में होगी. हालांकि शादी की डेट अभी तक फाइनल नहीं हुई है. लेकिन वह चाहते हैं कि दोनों की शादी बड़े धूमधाम से हो. इसके लिए वह एक ग्रैंड फंक्शन भी होस्ट करेंगे.

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दिशा को लेकर कही ये बात

 

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बिग बॉस 14 के घर में अपने प्रपोज करने की वजह बताते हुए राहुल वैद्य ने बताया कि वह शो की शुरुआत में एकदम मिसफिट कंटेस्टेंट थे क्योंकि शुरू में किसी ने उनसे बात नहीं की थी. वहीं एक समय ऐसा आया जब वो दिशा को काफी मिस कर रहे थे और उनसे मिलना चाहते थे. साथ ही उन्हें दिशा को यह न बताने का पछतावा भी हुआ कि वो लाइफ में उनसे सबसे ज्यादा प्यार करते थे. हालांकि शो में प्रपोज करने पर दिशा परमार भी काफी सरप्राइज्ड हो गई थीं.

वेकेशन पर हैं दिशा-राहुल

 

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बिग बौस के घर से बाहर निकलने के बाद राहुल वैद्य अपनी गर्लफ्रेंड को हैलीकौप्टर में सैर करवाने ले गए थे. वहीं महाब्लेशवर में वह अपने वेकेशन का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं, जिसकी फोटोज और वीडियो दिशा परमार अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर लगातार शेयर कर रही हैं.

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Shehnaaz Gill ने शेयर किया नए म्यूजिक वीडियो का टीजर, फैंस ने किए ये कमेंट

बिग बॉस 13 (Bigg Boss 13) फेम सिंगर और एक्ट्रेस शहनाज गिल ( Shehnaaz Gill) इन दिनों एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला संग शादी की खबरों के चलते फैंस के बीच छाई हुई थीं. हालांकि सिद्धार्थ ने इन खबरों को केवल अफवाह बताया है. वहीं अब शहनाज के बादशाह संग नए गाने का इंतजार कर रहे फैंस के लिए खुशखबरी है. दरअसल, अपकमिंग म्यूजिक वीडियो फ्लाई का टीजर हो गया है. आइए आपको दिखाते हैं गाने का नया टीजर…

शहनाज ने शेयर किया वीडियो

 

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हाल ही में शहनाज गिल ने अपनी नई म्यूजिक वीडियो का पोस्टर शेयर किया था, जिसमें वह बौलीवुड के पौपुलर रैपर बादशाह (Badshah) संग नजर आने वाली हैं. वहीं फैंस भी इस नए गाने के लिए काफी एक्साइटिड हैं. इसी बीच शहनाज गिल ने अपने म्यूजिक वीडियो फ्लाई का टीजर सोशल मीडिया पर रिलीज कर दिया है, जिसमें बादशाह बड़े ही स्टाइल के साथ बर्फ पर पोज देते नजर आ रहे हैं तो वहीं शहनाज की भी झलक देखने को मिली है.

 

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रिश्ते को लेकर सुर्खियों में हैं शहनाज

बीते दिनों शहनाज गिल (Shenaaz Gill) को एयरपोर्ट पर नजर आईं थीं, जहां वह उन्हें हाथ में फोन पकड़े देखा गया था. वहीं फोन के वौलपेपर पर उनकी सिद्धार्थ (Sidharth Shukla) के साथ फोटो लगी हुई दिखाई दे रही थी. वहीं इस फोटो और वीडियो के सोशलमीडिया पर वायरल होने के बाद फैंस उनके रिश्ते पर मोहर लगा रहे हैं.

बता दें, शहनाज गिल और सिद्धार्थ शुक्ला आए दिन अपने रिश्ते को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. वहीं कई बार उन्हें ट्रोलिंग का शिकार भी होना पड़ता है. लेकिन बावजूद इसके दोनों अपने रिश्ते को दोस्ती का नाम देते हुए नजर आते हैं.

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Roohi के प्रमोशन में छाया जाह्नवी कपूर के लुक्स का जलवा, एक से बढ़कर एक ड्रैस में आईं नजर

बौलीवुड हसीनाएं अक्सर अपने लुक्स और फैशन को लेकर फैंस के बीच छाई रहती हैं. वहीं यंग एक्ट्रेसेस का जलवा लड़कियों के बीच छाया हुआ रहता है. दरअसल, एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर ने जब से इंडस्ट्री में कदम रखा है. वह अपने फैशन से सभी को हैरान करती रहती है. जहां बीते दिनों ब्राइडल क्लेक्शन में जाह्नवी का एथनिक लुक सभी को पसंद आया था तो वहीं अब उनका हौट अवतार फैंस के बीच सुर्खियां बटोर रहा है. आइए आपको दिखाते हैं जाह्नवी के हौट अवतार की झलक…

गाने का छाया लुक

जल्द ही जाह्नवी कपूर की अपकमिंग फिल्म रूही रिलीज होने वाली है, जिसके चलते वह इन दिनों प्रमोशन में बिजी हैं. वहीं इन प्रमोशन के बीच फिल्म के सॉन्ग ‘पनघट’ में जाह्नवी का रेड एंड ब्लैक आउटफिट फैंस के बीच छाया हुआ है. दरअसल, गाने में जाह्नवी कपूर ने ब्लैक स्फैगेटी-स्ट्रैप फ्लोर लेंथ वाली ब्लैक ड्रेस पहनी है, जिसके साथ सिल्वर स्टेलेटोज उनके लुक को हौट बना रहा है.

 

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 बैकलेस ड्रैस के कारण बटोर चुकी हैं सुर्खियां

 

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जाह्नवी के इस लुक से पहले रूही के प्रामोशन के लिए एक लुक और वायरल हुआ था, जिसे खुद जाह्नवी ने शेयर किया था. लुक की बात करें तो जाह्नवी ने सिल्वर टॉप और पिंक बॉटमवियर पहना था, जिसमें उनका अंदाज फैंस को काफी पसंद आया था.

नियोन लुक भी था खास

 

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जाह्नवी ने अपनी फिल्म रूही के प्रमोशन की शुरुआत में नियोन कलर की ड्रेस से फैंस का दिल जीता था. दरअसल, जाह्नवी ने प्रमोशन के पहले दिन औफ शोल्डर नियोन ड्रैस पहनी थी, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

इंडियन लुक में भी लगती हैं खास

 

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वेस्टर्न लुक को लेकर फैंस का दिल जीत रहीं जाह्नवी कपूर इंडियन लुक में भी खूबसूरत लगती हैं. अक्सर साड़ी में जाह्नवी अपनी फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. सूट, साड़ी या हो लहंगा, हर लुक में जाह्नवी बेहद खूबसूरत लगती हैं.

विवाह लड़कियों की इच्छा से नहीं, सामाजिक दबाव से होते है 

एक अच्छे कंपनी में कार्यरत मिताली की शादी घरवालों ने अपनी मर्जी से करवाया. जबकि वह किसी दूसरे लड़के से करीब 10 साल से प्यार करती थी. जब उसने अपने माता-पिता से अफेयर की बात कही, तो उसके पेरेंट्स गुस्से में आ गए और मिताली को डांटने लगे. मिताली जिद पर आ गयी और उसने पेरेंट्स के आगे कह दिया कि वह उस लड़के के सिवा किसी दूसरे लड़के से विवाह नहीं कर सकती. भले ही उसे घर छोड़ना पड़े. उसकी माँ अंजलि ने उसे बहुत समझाया कि वह लड़का उनके बराबरी का नहीं है और परिवार वाले भी भला – बुरा कहेंगे. घर की बड़ी होने की वजह से उसका विवाह ऐसे परिवार में होने से उसकी छोटी बहन की शादी होने में समस्या आएगी. इतना ही नहीं उस लड़के का परिवार छोटे दो कमरे वाले घर में रहता है और लड़के की आमदनी भी अच्छी नहीं, उसका पिता घर-घर अखबार बांटता है, ऐसे परिवार और छोटे कमरे वाले घर में मिताली का रहना संभव नहीं, ऐसी कई बातें बार-बार माँ के समझाने पर मिताली ने उस लड़के से रिश्ता तोड़ दिया और 6 महीने बाद उसकी शादी उसके माता-पिता के अनुसार सम्भ्रांत परिवार में हो गई. माता-पिता और परिवार जन उसकी इस शादी से खुश थे, पर मिताली का मन उस परिवार में नहीं लगा. वह अपने पति और ससुराल वालों को अपना नहीं पायी. मिताली काम के बाद जब भी घर आती, हमेशा उदास रहने लगी, इसे देख उसका पति बार-बार कारण पूछता, पर वह कुछ नहीं बताती. एक दिन उसके पति ने मिताली को फ़ोन पर ये कहते सुन लिया कि मैं कैसी भी रहूं, आप और पापा खुश है न? 

अब मिताली के पति को भी लगने लगा कि मिताली उससे कुछ छुपा रही है और एक दिन उसने खुद ही मिताली की उदास रहने की वजह जान उससे अलग होने की बात सोच कुछ महीने बाद डिवोर्स दे दिया. अब मिताली पेरेंट्स से दूर अकेले अपने कर्मस्थल पर रह रही है और कभी भी किसी से शादी न करने की ठान ली है. 

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सोशल मीडिया है हावी 

ये सही है कि आज के परिवेश में किसी भी लड़की को चाहे वह कमाऊ हो या नहीं, उसकी मर्जी के बिना सामाजिक दबाव में शादी के लिए राजी करना संभव नहीं होता, लेकिन कुछ परिवार इसे समझ नहीं पाते और अपनी इच्छा को बेटी पर थोपते है, जिससे वह रिश्ता टूटता है, इस बारें में मुंबई की मैरिज काउंसलर आरती गुप्ता कहती है कि आज की न्यू और मॉडर्न इंडिया में बदलाव काफी है. यहाँ तक कि छोटे कस्बों में भी ऐसा कम ही देखने को मिलता है. सोशल मीडिया आज पावरफुल हो चुका है, हर किसी के हाथ में एक मोबाइल है और हर लड़की इन्टरनेट चलाना भी जानती है. इससे सबको एक एक्सपोजर मिलता है. डेली लाइफ से लेकर पोर्नोग्राफी हर चीज को ऑनलाइन देखी जा सकती है. अभी लड़कियां भी बाहर निकल रही है. पिछले 10 सालों में ये बदलाव की लहर तेजी से आई है. पहले लड़की की शादी माता-पिता और सामाजिक दबाव में अवश्य होता था, पर अब नहीं, क्योंकि आज की लडकियां चाहे गांव, कस्बे या शहर की हो, हर कोई पढ़ लिखकर कुछ करने की इच्छा रखती है, जो अच्छी बात है. इसके अलावा लड़कियों को मुफ्त शिक्षा भी कई जगहों पर होता है, इससे लड़कियों का स्कूल जाना संभव हुआ है, साथ ही मिडिया द्वारा समय-समय पर कामयाब लड़कियों को आगे लाना और उसके बारें में बताना भी जागरूकता को बढ़ाने की दिशा में अच्छा कदम है.

इसके आगे काउंसलर आरती का कहना है कि आज की लड़कियां वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी है, क्योंकि उनकी शिक्षा, जॉब की संतुष्टि, बैंक बैलेंस आदि उसे मजबूती देती है. ऐसे में लड़कियां किसी के आधीन रहना पसंद नहीं करती, क्योंकि वे भी खुद को किसी से कम नहीं समझती. हालाँकि ये बदलाव लड़कियों के लिए चुनौती भी है और वे इसे लेने से घबराती नहीं. पहले लडकियां आत्मनिर्भर नहीं थी. इसलिए वे परिवार और समाज के आगे दबती थी. दिनभर चक्की चलाती थी और किसी से कुछ कहने में असमर्थ थी.  सबको सहन करने के अलावा कोई चॉइस नहीं था. अब जमाना काफी बदला है. चॉइस खूब है, इसलिए अगर पति या ससुराल पक्ष से नहीं जमता, तो छोड़ देने में लड़कियां नहीं हिचकिचाती. कई घरों में लड़की की माँ खुद आगे आकर बेटी को ससुराल छोड़ देने के लिए कहती है, क्योंकि वह नहीं चाहती कि उसके जैसे टॉक्सिक वातावरण में उसकी बेटी जीवन गुजारे. 

भुगतता है पूरा परिवार 

आगे मैरिज काउंसलर आरती का कहना है कि अगर विवाह लड़की के न चाहने पर होता है, तो उसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है, क्योंकि ऐसे रिश्तों को कोई निभाना नहीं चाहता, जिसमें दोनों की मर्ज़ी न हो. इसलिये दोनों में से एक भी व्यक्ति अगर मैच्योर है, तो उस रिश्ते को ठीक से निभाने की कोशिश कर सकता है, लेकिन यहाँ ये कहना भी गलत नहीं होगा कि भारतीय समाज में सोशल प्रेशर दोनों तरफ से होता है. कई बार बोलकर तो कभी साइलेंट होता है. इसे लड़की न सहन कर पाने की स्थिति में या तो भाग जाती है, आत्महत्या कर लेती है या फिर डिवोर्स लेती है. इसके बाद माता-पिता को लड़की की पूरी जिम्मेदारी मरते दम तक उठानी पड़ती है, जिसमें, शारीरिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक आदि कुछ भी हो सकता है. 

लड़कियों ने बदली है परिवेश 

आज लड़कियां इन्टरनेट के द्वारा हर चीज की जानकारी जुटाकर परिवेश को बदल देती है. मेरे यहाँ एक काम करने वाली लड़की अपने पैसे जमाकर पढाई करती थी और अच्छे नंबरों से पास भी हुई और आगे भी पढाई जारी रखी. मेरे हिसाब से एक व्यक्ति अपने रास्ते बनाने के लिए खुद हमेशा काबिल होता है, अगर उसकी इच्छा कुछ करने की हो.

सामाजिक दबाव से कैसे निकले माता-पिता

अपने अनुभव के बारें में आरती कहती है कि मुंबई की एक लड़की को उसकी पेरेंट्स ने सामाजिक दबाव में कोलकाता के लड़के से शादी करवा दी. लड़की वहां जाकर नाखुश थी और डिप्रेशन में चली गयी थी. उस लड़की के पेरेंट्स और भाई उसको साथ लेकर आये थे. मैंने बातचीत की और उसे ससुराल न रहकर अपने पति के साथ जॉब ट्रांसफर लेकर दूसरी जगह रहने की सलाह दी. इससे दोनों के रिश्ते बेहतर हो जाने पर वे फिर परिवार के साथ रह सकते है. इसके अलावा एक लड़की को माँ नहीं बनना था और वह अकेले आजाद रहना चाहती थी, जिसे मैंने अकेले रहने के लिए सलाह दी, कुछ दिनों बाद वे फिर साथ रहने लगे.  

असल में इन चीजो की कोई फार्मूला नहीं है. हर व्यक्ति की सोच, घर परिवार के तौर-तरीके, खुद की मान्यताओं, सामाजिक दबाव आदि को समझने की जरुरत है, कुछ बातें जो माता-पिता को लड़की की सुख के लिए देखना जरुरी है,

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  • शादी करने वाले युवक की सोच, आगे बढ़ने की चाह, संस्कार को समझने की करें कोशिश,
  • लड़की से उसकी चॉइस को जानने के बाद उस परिवार से मिले, उनकी सोच, परिवेश, नीयत, आदि देंखे, 
  • खुद के आत्मविश्वास पर संदेह न करें और अपने दिल की सुने, आसपास और समाज की परवाह करना छोड़े, 
  • लड़की की ख़ुशी का ध्यान रखे,
  • लड़का किसी भी धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण या देश का हो, सबको प्यार ही चाहिए. सबमें खून लाल ही बहता है, इसलिए रिश्ते की मजबूती को देखे और आगे बढे. 
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