प्रैग्नेंसी के बाद नौकरी पर तलवार

नेहा ने जानबूझ कर अपनी प्रैगनैंसी की खबर दफ्तर में सब से छिपा कर रखी, क्योंकि उसे डर था कि कहीं उस की प्रैगनैंसी के बारे में जानने के बाद उस की अच्छीखासी नौकरी पर खतरा न मंडराने लगे.नेहा की तरह ही अधिकतर कामकाजी महिलाओं को लगता है कि गर्भवती होने पर उन की नौकरी को खतरा हो सकता है. उन्हें काम से निकाला जा सकता है, जबकि पिता बनने वाले पुरुष को अकसर नौकरी या कार्यस्थल पर बढ़ावा मिलता है.प्रोफैशनल वर्ल्ड में महिलाओं के लिए गर्भावस्था एक चुनौतीपूर्ण समय होता है. सिर्फ शारीरिक तौर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक तौर पर भी उन के लिए बहुत सारी चुनौतियां खड़ीहो जाती हैं. गर्भावस्था में पेश आने वाली चुनौतियों में से एक नौकरी के स्तर पर महसूस होने वाली है.शोधकर्ता क्या कहते हैं इस बारे में:

शोध से जुड़े इस निष्कर्ष को ऐप्लाइड मनोविज्ञान के जनरल में प्रकाशित किया गया. इस में इस बात की पुष्टि की गई कि मां बनने वाली औरतों को ऐसा महसूस होता है कि अब कार्यस्थल पर उन्हें तरजीह नहीं दी जाएगी. अमेरिका की फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह उन महिलाओं पर किया गया पहला अध्ययन है, जिन्हें ऐसा महसूस होता है कि गर्भावस्था के दौरान उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा.

कार्यस्थल पर प्रोत्साहन कम मिलना:

मैनेजमैंट के सहायक अध्यापक पुस्टियन अंडरडौल के मुताबिक हम ने पाया कि महिलाओं ने जब अपने गर्भवती होने का खुलासा किया तो उन्होंने कार्यस्थल पर प्रोत्साहन का अनुभव कम किया. जब महिलाओं ने इस बात का जिक्र अपने मैनेजर या सहकार्यकर्ताओं से किया तो उन्होंने देखा कि उन्हें कैरियर के क्षेत्र में प्रोत्साहन दिए जाने की दर में कमी आई, जबकि पुरुषों को प्रोत्साहन दिए जाने की दर में बढ़ोतरी हुई.

ये भी पढ़ें- #coronavirus: क्या 15 अप्रैल से खुलेगा Lockdown?

जिंदगी में आते हैं बदलाव:

निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पुस्टियन ने 2 सिद्धांतों का गहराई से अध्ययन किया. पहले में यह पाया कि गर्भवती महिलाओं को नौकरी से निकाले जाने का डर रहता है और दूसरे में पाया कि महिलाओं को ऐसा इस वजह से लगता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान निजी जिंदगी और कैरियर के क्षेत्र में कई बदलाव आते हैं.

संभव सहायता की बेहद दरकार:

शोध में कुछ नई बातें बताई गई हैं जैसे गर्भवती महिलाओं के साथ किस तरह से पेश आना चाहिए. मां बनने वाली महिलाओं के प्रति कैरियर से जुड़े प्रोत्साहन को कम नहीं किया जाना चाहिए. इस के साथ ही मैनेजर्स को मातापिता दोनों को ही सामाजिक और कैरियर से जुड़ी हर संभव सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि उन्हें काम और परिवार से जुड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने में मदद मिले.

भेदभाव की शिकार महिलाएं:

विभिन्न सर्वे और आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार देने का दावा और वकालत करने वाले देशों का हाल बहुत अच्छा नहीं है. वहां विवाहित महिलाओं, विशेषकर मां को नौकरी में तरजीह नहीं दी जाती. ब्रिटेन के मानवाधिकार आयोग ने ‘डिपार्टमैंट औफ बिजनैस इनोवेशन ऐंड स्किल्स’ के साथ मिल कर किए गए एक शोध में यह पाया कि ब्रिटेन में हर 5वीं गर्भवती और नई मां के साथ दफ्तर में काम के दौरान भेदभाव किया जाता है.

अर्थशास्त्री सिल्विया एन हुलिट ने अपनी पुस्तक ‘क्रिएटिंग ए लाइफ:

प्रोफैशनल वूमन ऐंड द क्वैस्ट फौर चिलड्रन’ में लिखा है कि 40 के पड़ाव पर पहुंच चुकी पेशेवर अमेरिकी महिलाओं में से 42% संतानहीन थीं. लेकिन उन में से 14% ने ऐसे ही रहने का फैसला किया था. कारण स्पष्ट था कि पारिवारिक दायित्व कैरियर में रुकावट न बने.भारत में स्थितियां और भी गंभीर हैं. करीब सालभर पहले केंद्र सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए 26 हफ्तों के मातृत्व अवकाश को सवेतनिक अवकाश के प्रावधान के तौर पर स्वीकृत किया था. शोध में सामने आया कि इस के बाद से 9 हजार स्टार्टअप और छोटी कंपनियों में 46% कंपनियों ने पिछले 18 महीनों में ज्यादातर नौकरियां पुरुषों को दीं. टिमलीज सर्विसेज के पुराने आंकड़ों के अनुसार 2004-2005 से 2011-12 में नौकरियों में महिलाओं की निकासी की दर 7 साल में 28 लाख रही.

संशोधित मातृत्व लाभ अधिनियम के बाद 1 साल में 11 से 18 लाख के बीच महिलाओं की नौकरी जाना हैरान करता है.आज भी एकतिहाई कंपनियां ऐसी हैंजहां स्टाफ में महिला है ही नहीं, जबकि71% कंपनियां ऐसी हैं जहां महिला कर्मचारी तो हैं, लेकिन उन की संख्या 10% से भी कम है.परिवार और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी आज भी सिर्फ महिलाओं की मानी जाती है. यही कारण है कि मां बनने के बाद40% महिलाएं अपने बच्चों को पालने के लिए नौकरी छोड़ रही हैं. एक और तथ्य यह भी सामने आया है कि जो महिलाएं नियमित तौर पर काम कर रही हैं, उन के बच्चों की संख्या भी कम है. ऐसी महिलाओं की प्रजनन दर 10 साल पहले 3.3 हुआ करती थी, जो अब घट कर 2.9 तक आ गई है. वहीं गैरकामकाजी महिलाओं की प्रजनन दर में कुछ खास कमी नहीं आई है. अभी भी यह 3.1 है.ये आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि कामकाजी महिलाएं दबाव में हैं. उन के सामने2 ही रास्ते हैं-या तो वे नौकरी छोड़ दें या फिर पेशेवर जिंदगी को बनाए रखने के लिए मां बनने से बचें, जबकि ये दोनों ही स्थितियां किसी भी सभ्य समाज के लिए सही नहीं हैं.एक महिला कर्मचारी का कहना है कि उस की पदोन्नति होने वाली थी और इसी बीच वह गर्भवती हो गई. जब उस के बौस को उस की प्रैगनैंसी की बात पता चली तो उस की जगह किसी अन्य सहकर्मी को उस पद के लिए नियुक्त कर दिया.

ये भी पढ़ें- #coronavirus: नए तरह के विश्व युद्ध का जन्म, क्या होगा दुनिया का भविष्य ?

जब उस महिला ने अपने बौस से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो बताया गया कि ऐसा इसलिए कि वह गर्भवती है और शायद कल को वह यह नौकरी छोड़ कर भी चली जाए.अकसर कामकाजी महिलाओं के साथ ये समस्याएं आती हैं कि जब वे गर्भवती हो जाती हैं तो संस्थान का व्यवहार उन के प्रति बदल जाता है. उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है या फिर खुद उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है और वजह यह बताई जाती है कि वह ठीक से काम नहीं कर रही. ये सब इसलिए होता है, क्योंकि गर्भवती महिलाओं को पेड मैटरनिटी लीव दी जाती है, जिसे ज्यादातर निजी संस्थान नहीं देना चाहते हैं.

मानवाधिकार अधिनियम के तहत गर्भावस्था संबंधी भेदभाव लैंगिक भेदभाव का एक प्रकार है. किसी नियोक्ता द्वारा किसी ऐसे कर्मचारी या नौकरी के आवेदन के साथ इस कारण भेदभाव किया जाना गैरकानूनी हो सकता है, क्योंकि वह गर्भवती है या ऐसा समझा जाता है कि वह भविष्य में गर्भवती बन सकती है.नियोक्ताओं को संभावित कर्मचारियों सेयह पूछने की अनुमति नहीं होती है कि क्या वे गर्भवती तो नहीं हैं या क्या भविष्य में उन का परिवार शुरू करने या गर्भवती होने का इरादातो नहीं है? फिर भी इस प्रतियोगी युग में जब तक गर्भवती कर्मचारी बहुत कुशल और  भरोसेमंद न हो, कोई भी उसे केवल कानूनों के कारण ढोना नहीं चाहेगा. गर्भ का पता चलते ही कैरियर और बच्चों में चुनाव करना भी एक विकल्प है.

फेसबुक फ्रैंडशिप: जब सामने आई वर्चुअल वर्ल्ड की सच्चाई

Serial Story: फेसबुक फ्रैंडशिप – भाग 1

शुरुआत तो बस यहीं से हुई कि पहले उस ने फेस देखा और फिदा हो कर फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी. रिक्वैस्ट 2-3 दिनों में ऐक्सैप्ट हो गई. 2-3 दिन भी इसलिए लगे होंगे कि उस सुंदर फेस वाली लड़की ने पहले पूरी डिटेल पढ़ी होगी. लड़के के फोटो के साथ उस का विवरण देख कर उसे लगा होगा कि ठीकठाक बंदा है या हो सकता है कि तुरंत स्वीकृति में लड़के को ऐसा लग सकता है कि लड़की उस से या तो प्रभावित है या बिलकुल खाली बैठी है जो तुरंत स्वीकृति दे कर उस ने मित्रता स्वीकार कर ली. यह तो बाद में पता चलता है कि यह भी एक आभासी दुनिया है. यहां भी बहुत झूठफरेब फैला है. कुछ भी वास्तविक नहीं. ऐसा भी नहीं कि सभी गलत हो. ऐसा भी हो सकता है कि जो प्यार या गुस्सा आप सब के सामने नहीं दिखा सकते, वह अपनी पोस्ट, कमैंट्स, शेयर से जाहिर करते हो. अपनी भावनाएं व्यक्त करने का साधन मिला है आप को, तो आप कर रहे हैं अपने को छिपा कर किसी और नाम, किसी और के फोटो या किसी काल्पनिक तसवीर से.

यदि अपनी बात रखने का प्लेटफौर्म ही चाहिए था तो उस में किसी अप्सरा की तरह सुंदर चेहरा लगाने की क्या जरूरत थी? आप कह सकती हैं कि हमारी मरजी. ठीक है, लेकिन है तो यह फर्जी ही. आप साधारण सा कोई चित्र, प्रतीक या फिर कोई प्राकृतिक तसवीर लगा सकते थे. खैर, यह कहने का हक नहीं है. अपनी मरजी है. लेकिन जिस ने फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी उस ने उस मनोरम छवि को वास्तविक जान कर भेजी न आप को? आप शायद जानती हो कि मित्र संख्या बढ़ाने का यही साधन है, तो भी ठीक है, लेकिन बात जब आगे बढ़ रही हो तब आप को समझना चाहिए कि आगे बढ़ती बात उस सुंदर चित्र की वजह से है जो आप ने लगाई हुई है अपने फेसबुक अकांउट पर. आप ने अपने विषय में ज्यादा कोई जानकारी नहीं लिखी. आप से पूछा भी मैसेंजर बौक्स पर जा कर. और पूछा तभी, जब बात कुछ आगे बढ़ गई थी. कोई किसी से यों ही तो नहीं पूछ लेगा कि आप सिंगल हो. और आप का उत्तर भी गोलमोल था. यह मेरा निजी मामला है. इस से हमारी फेसबुक फ्रैंडशिप का क्या लेनादेना?

ये भी पढे़ं- कीमत: सपना पूरा करने की सुधा को क्या कीमत चुकानी पड़ी

बात लाइक और कमैंट्स तक सीमित नहीं थी. बात मैसेंजर बौक्स से होते हुए आगे बढ़ती जा रही थी. इतनी आगे कि जब लड़के ने मोबाइल नंबर मांगा तो लड़की ने कहा, ‘‘फोन नहीं, मेल से बात करो. फोन गड़बड़ी पैदा कर सकता है. किस का फोन था, कौन है वगैराहवगैरहा.’’ अब मेल पर बात होने लगी. शुरुआत में लड़के ने फेस देखा. मित्र बन जाने पर लड़के ने विवरण देखा उसे पसंद आया. उसे किसी बात की उम्मीद जगी. भले ही वह उम्मीद एकतरफा थी. उसे नहीं पता था शुरू में कि वह जिस दुनिया से जुड़ रहा है वहां भ्रम ज्यादा है, झूठ ज्यादा है. पहले लड़की के हर फोटो, हर बात पर लाइक, फिर अच्छेअच्छे कमैंट्स और शेयर के बाद निजी बातें जानने की जिज्ञासा हुई दोनों तरफ से. हां, यह सच है कि पहल लड़के की तरफ से हुई. लड़के ही पहल करते हैं. लड़कियां तो बहुत सोचनेविचारने के बाद हां या नहीं में जवाब देती हैं.

बात आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी लड़के पर ही आती है समाज, संस्कारों के तौर पर. तो शुरुआत लड़के ने ही की. इंटरनैट की दुनिया में आ जाने के बाद भी समाज, संस्कार नहीं छूट रहे हैं यानी 21वीं सदी में प्रवेश किंतु 19वीं सदी के विचारों के साथ.

फे सबुक पर सुंदर चेहरे से मित्रता होने पर लड़के के अंदर उम्मीद जगी. विस्तृत विवरण देख कर उस ने हर पोस्ट पर लाइक और सुंदर कमैंट्स के ढेर लगा दिए. बात इसी तरह धीरेधीरे आगे बढ़ती रही. लड़की के थैंक्स के बाद जब गुडमौर्निंग, गुडइवनिंग और अर्धरात्रि में गुडनाइट होने लगी तो किसी भाव का उठना, किसी उम्मीद का बंधना स्वाभाविक था. लगता है कि दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई है. लड़के को तो यही लगा.

ये भी पढ़ें- करवाचौथ: पति अनुज ने क्यों दी व्रत न रखने की सलाह?

लड़के ने विस्तृत विवरण में जाति, धर्म, शिक्षा, योग्यता, आयु सब देख लिया था. पूरा स्टेटस पढ़ लिया था और उस को ही अंतिम सत्य मान लिया था. जो बातें स्टेटस मेें नहीं थीं, उन्हें लड़का पूछ रहा था और लड़की जवाब दे रही थी. जवाब से लड़के को स्पष्ट जानकारी तो नहीं मिल रही थी लेकिन कोई दिक्कत वाली बात भी नजर नहीं आ रही थी. फेसबुक पर ऐसे सैकड़ों, हजारों की संख्या में मित्र होते हैं सब के. आमनेसामने की स्थिति न आए, इसलिए एक शहर के मित्र कम ही होते हैं. होते भी हैं तो लिमिट में बात होती है. सीमित लाइक या कमैंट्स ही होते हैं खास कर लड़केलड़की के मध्य. लड़का छोटे शहर का था. विचार और खयालात भी वैसे ही थे. लड़कियों से मित्रता होती ही नहीं है. होती है तो भाई बनने से बच गए तो किसी और रिश्ते में बंध गए. नहीं भी बंधे तो सम्मानआदर के भारीभरकम शब्दों या किसी गंभीर विषय पर विचारविमर्श, लाइक, कमैंट्स तक. ऐसे में और उम्र के 20वें वर्ष में यदि किसी दूसरे शहर की सुंदर लड़की से जब बात इतनी आगे बढ़ जाए तो स्वाभाविक है उम्मीद का बंधना.

फोटो के सुंदर होने के साथसाथ यह भी लगे कि लड़की अच्छे संस्कारों के साथसाथ हिम्मत वाली है. किसी विशेष राजनीतिक दल, जाति, धर्म के पक्ष या विपक्ष में पूरी कट्टरता और क्रोध के साथ अपने विचार रखने में सक्षम है और आप की विचारधारा भी वैसी ही हो. आप जब उस की हर पोस्ट को लाइक कर रहे हैं तो जाहिर है कि आप उस के विचारों से सहमत हैं. लड़की की पोस्ट देख कर आप उस के स्वतंत्र, उन्मुक्त विचारों का समर्थन करते हैं, उस के साहस की प्रशंसा करते हैं और आप को लगने लगता है कि यही वह लड़की है जो आप के जीवन में आनी चाहिए. आप को इसी का इंतजार था.

ये भी पढ़ें- अपनी अपनी खुशियां: शिखा का पति जब घर ले आया अपनी प्रेमिका

बात तब और प्रबल हो जाती है जब लड़का जीवन की किसी असफलता से निराश हो कर परिवार के सभी प्रिय, सम्माननीय सदस्यों द्वारा लताड़ा गया हो, अपमानित किया गया हो, अवसाद के क्षणों में लड़के ने स्वयं को अकेला महसूस किया हो और आत्महत्या करने तक का विचार मन में आ गया हो. तब जीवन के एकाकी पलों में लड़के ने कोई उदास, दुखभरी पोस्ट डाली हो. लड़की ने पूछा हो कि क्या बात है और लड़के ने कह दिया हाले दिल का. लड़की ने बंधाया हो ढांढ़स और लड़के को लगा हो कि पूरी दुनिया में बस यही है एक जीने का सहारा. लड़के ने पहले अपने ही शहर में महिला मित्र बनाने का प्रयास किया था, जिस में उसे सफलता भी मिली थी. लड़की खूबसूरत थी. पढ़ीलिखी थी. स्टेटस में खुले विचार, स्वतंत्र जीवन और अदम्य साहस का परिचय होने के साथ कुछ जबानी बातें भी थीं. लड़के ने इतनी बार उस लड़की का फोटो व स्टेटस देखा कि दोनों उस के दिलोदिमाग में बस गए. फोटो कुछ ज्यादा ही. अपने शहर की वही लड़की जब उसे रास्ते में मिली तो लड़के ने कहा, ‘‘नमस्ते कल्पनाजी.’’

आगे पढ़ें- ऐसे में दूसरे शहर की वीर…

Serial Story: फेसबुक फ्रैंडशिप – भाग 2

लड़की हड़बड़ा गई, ‘‘आप कौन? मेरा नाम कैसे जानते हैं?’’ लड़के ने खुशी से अपना नाम बताते हुए कहा, ‘‘मैं आप का फेसबुक फ्रैंड.’’

और लड़की ने गुस्से में कहा, ‘‘फेसबुक फ्रैंड हो तो फेसबुक पर ही बात करो. घर वालों ने देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी. उन्हें फेसबुक का पता चलेगा तो वह अकाउंट भी बंद हो जाएगा. चार बातें अलग सुनने को मिलेंगी. वे कहेंगे स्वतंत्रता दी है तो इस का यह मतलब नहीं कि तुम लड़कों से फेसबुक के जरिए मित्रता करो. उन से मिलो…और प्लीज, तुम जाओ यहां से, मैं नहीं जानती तुम्हें. क्या घर से मेरा निकलना बंद कराओगे? घर पर पता चल गया तो घर वाले नजर रखना शुरू कर देंगे.’’ फिर, घर वालों का प्रेम, विश्वास और भी बहुतकुछ कह कर लड़की चली गई. तब लड़के के मन में खयाल आया कि एक ही शहर के होने में बहुत समस्या है. जो लड़की की समस्या है वही लड़के की भी है. लड़के ने हिम्मत कर के पूछ तो लिया, लेकिन लड़की ने कहा कि फेसबुक फ्रैंड हो तो फेसबुक पर मिलो. अपनी बात कहने के बाद लड़के ने भी सोचा कि यदि उसे भी कोई घर का या परिचित देख लेता तो प्रश्न तो करता ही. भले ही वह कोई भी जवाब दे देता लेकिन वह जवाब ठीक तो नहीं होता. यह तो नहीं कह देता कि फेसबुक फ्रैंड है. बिलकुल नहीं कह सकता था. फिर बातें उठतीं कि जब इस तरह की साइड पर लड़कियों से दोस्ती हो सकती है तो और भी अनैतिक, अराजक, पापभरी साइट्स देखते होंगे.

ऐसे में दूसरे शहर की वीर, साहसी, दलबल, विचारधारा, जाति, धर्म सब देखते हुए जिस में चेहरे का मनोहारी चित्र तो प्रमुख है ही, फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी जाती है और लड़की की तरफ से भी तभी स्वीकृति मिलती है जब उस ने सारा स्टेटस, फोटो, योग्यता, धर्म, जाति आदि सब देख लिया हो. और वह भी किसी कमजोर व एकांत क्षणों से गुजरती हुई आगे बढ़ती गई हो. लड़की क्यों इतना डूबती जाती है, आगे बढ़ती जाती है. शायद तलाश हो प्रेम की, सच्चे साथी की. उसे जरूरत हो जीवन की तीखी धूप में ठंडे साए की. और जब बराबर लड़की की तरफ से उत्तर और प्रश्न दोनों हो रहे हो. मजाक के साथ, ‘‘मेरे मोबाइल में बेलैंस डलवा सकते हो?’’ और लड़के ने तुरंत ‘‘हां’’ कहा. लड़की ने हंस कर कहा कि मजाक कर रही हूं. तुम तो इसलिए भी तैयार हो गए कि इस बहाने मोबाइल नंबर मिल जाएगा. चाहिए नंबर?

ये भी पढे़ं- Valentine’s Day: पिया का घर

‘‘हां.’’ ‘‘क्यों?’’

‘‘बात करने के लिए.’’ ‘‘लेकिन समय, जो मैं बताऊं.’’

‘‘मंजूर है.’’ और लड़की ने नंबर भी भेज दिया. अब मोबाबल पर भी अकसर बातें होने लगीं. बातों से ज्यादा एसएमएस. बात भी हो जाए और किसी को पता भी न चले. बातें होती रहीं और एक दिन लड़की की तरफ से एसएमएस आया.

‘‘कुछ पूछूं?’’ ‘‘पूछो.’’

‘‘एक लड़की में क्या जरूरी है?’’ ‘‘मैं समझा नहीं.’’

‘‘सूरत या सीरत?’’ लड़के को किताबी उत्तर ही देना था हालांकि देखी सूरत ही जाती है. सिद्धांत के अनुसार वही उत्तर सही भी था. लड़के ने कहा, ‘‘सीरत.’’

‘‘क्या तुम मानते हो कि प्यार में उम्र कोई माने नहीं रखती?’’ ‘‘हां,’’ लड़के ने वही किताबी उत्तर दिया.

‘‘क्या तुम मानते हो कि सूरत के कोई माने नहीं होते प्यार में?’’ ‘‘हां,’’ वही थ्योरी वाला उत्तर.

और इन एसएमएस के बाद पता नहीं लड़की ने क्या परखा, क्या जांचा और अगला एसएमएस कर दिया. ‘‘आई लव यू.’’

लड़के की खुशी का ठिकाना न रहा. यही तो चाहता था वह. कमैंट्स, शेयर, लाइक और इतनी सारी बातें, इतना घुमावफिराव इसलिए ही तो था. लड़के ने फौरन जवाब दिया, ‘‘लव यू टू.’’

रात में दोनों की एसएमएस से थोड़ीबहुत बातचीत होती थी, लेकिन इस बार बात थोड़ी ज्यादा हुई. लड़की ने एसएमएस किया, ‘‘तुम्हारी फैंटेसी क्या है?’’ ‘‘फैंटेसी मतलब?’’

‘‘किस का चेहरा याद कर के अपनी कल्पना में उस के साथ सैक्स…’’ लड़के को उम्मीद नहीं थी कि लड़की अपनी तरफ से सैक्स की बातें शुरू करेगी, लेकिन उसे मजा आ रहा था. कुछ देर वह चुप रहा. फिर उस ने उत्तर दिया, ‘‘श्रद्धा कपूर और तुम.’’

लड़की की तरफ से उत्तर आया, ‘‘शाहरुख.’’ फिर एक एसएमएस आया, ‘‘आज तुम मेरे साथ करो.’’ लड़की शायद भूल गई थी उस ने जो चेहरा फेसबुक पर लगाया है वह उस का नहीं है. एसएमएस में लड़की ने आगे लिखा था, ‘‘और मैं तुम्हारे साथ.’’

‘‘हां, ठीक है,’’ लड़के का एसएमएस पर जवाब था. ‘‘ठीक है क्या? शुरू करो, इतनी रात को तो तुम बिस्तर पर अपने कमरे में ही होंगे न.’’

‘‘हां, और तुम?’’ ‘‘ऐसे मैसेज बंद कमरे से ही किए जाते हैं. ये सब करते हुए हम अपने मोबाइल चालू रख कर अपने एहसास आवाज के जरिए एकदूसरे तक पहुंचाएंगे.’’

ये भी पढ़ें- Valentine’s Day: प्रतियोगिता

‘‘ठीक है,’’ लड़के ने कहा. फिर उस ने अपने अंडरवियर के अंदर हाथ डाला. उधर से लड़की की आवाजें आनी शुरू हुईं. बेहद मादक सिसकारियां. फिर धीरेधीरे लड़के के कानों में ऐसी आवाजें आने लगीं मानो बहुत तेज आंधी चल रही हो. आंधियों का शोर बढ़ता गया. लड़के की आवाजें भी लड़की के कानों में पहुंच रही थीं, ‘‘तुम कितनी सुंदर हो. जब से तुम्हें देखा है तभी से प्यार हो गया. मैं ने तुम्हें बताया नहीं. अब श्रद्धा के साथ नहीं, तुम्हारे साथ सैक्स करता हूं इमेजिन कर के. काश, किसी दिन सचमुच तुम्हारे साथ सैक्स करने का मौका मिले.’’

लड़की की आंधीतूफान की रफ्तार बढ़ती गई, ‘‘जल्दी ही मिलेंगे फिर जो करना हो, कर लेना.’’ थोड़ी देर में दोनों शांत हो गए. लेकिन अब लड़का सैक्स की मांग और मिलने की बात करने लगा. जिस के लिए लड़की ने कहा, ‘‘मैं तैयार हूं. तुम दिल्ली आ सकते हो. हम पहले मिल लेते हैं वहीं से किसी होटल चलेंगे.’’

लड़के ने कहा, ‘‘मुझे घर वालों से झूठ बोलना पड़ेगा और पैसों का इंतजाम भी करना पड़ेगा. हां, संबंध बनने के बाद शादी के लिए तुरंत मत कहना. मैं अभी कालेज कर रहा हूं. प्राइवेट जौब में पैसा कम मिलेगा. और आसानी से मिलता भी नहीं है काम, लेकिन मेरी कोशिश रहेगी कि…’’

लड़की ने बात काटते हुए कहा, ‘‘तुम आ जाओ. पैसों की चिंता मत करो. मेरे पास अच्छी सरकारी नौकरी है. शादी कर भी ली तो तुम्हें कोई आर्थिक समस्या नहीं होगी.’’ ‘‘मैं कोशिश करता हूं.’’ और लड़के ने कोशिश की. घर में झूठ बोला और अपनी मां से इंटरव्यू देने जाने के नाम पर रुपए ले कर दिल्ली चला गया. पिताजी घर पर होते तो कहते दिखाओ इंटरव्यू लैटर. लौटने पर पूछेंगे तो कह दूंगा कि गिर गया कहीं या हो सकता है कि लौटने पर सीधे शादी की ही खबर दें. लड़का दिल्ली पहुंचा 6 घंटे का सफर कर के.

घर पर तो जा नहीं सकते. घर का पता भी नहीं लिखा रहता है फेसबुक पर. सिर्फ शहर का नाम रहता है. यह पहले ही तय हो गया था कि दिल्ली पहुंच कर लड़का फोन करेगा. और लड़के ने फोन कर के पूछा, ‘‘कहां मिलेगी?’’ ‘‘कहां हो तुम अभी?’’

‘‘स्टेशन के पास एक बहुत बड़ा कौफी हाउस है.’’ ‘‘मैं वहीं पहुंच रही हूं.’’

लड़के के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं. उस के सामने लड़की का सुंदर चेहरा घूमने लगा. लड़के ने मन ही मन कहा, ‘‘कदकाठी अच्छी हो तो सोने पर सुहागा.’’

आगे पढ़ें- लड़का कौफीहाउस में काफी देर…

ये भी पढे़ं- थोड़ी सी बेवफाई: ऐसा क्या देखा था सरोज ने प्रिया के घर

Serial Story: फेसबुक फ्रैंडशिप – भाग 3

लड़का कौफीहाउस में काफी देर इंतजार करता रहा. तभी उसे सामने आती एक मोटी सी औरत दिखी जिस का पेट काफी बाहर लटक रहा था. हद से ज्यादा मोटी, काली, दांत बाहर निकले हुए थे. मेकअप की गंध उसे दूर से आने लगी थी. ऐसा लगता था कि जैसे कोई मटका लुढ़कता हुआ आ रहा हो. वह औरत उसी की तरफ बढ़ रही थी. अचानक लड़के का दिल धड़कने लगा इस बार घबराहट से, भय से उसे कुछ शंका सी होने लगी. वह भागने की फिराक में था लेकिन तब तक वह भारीभरकम काया उस के पास पहुंच गई.

‘‘हैलो.’’ ‘‘आप कौन?’’ लड़के ने अपनी सांस रोकते हुए कहा.

‘‘तुम्हारी फेसबुक…’’ ‘‘लेकिन तुम तो वह नहीं हो. उस पर तो किसी और की फोटो थी और मैं उसी की प्रतीक्षा में था,’’ लड़के ने हिम्मत कर के कह दिया. हालांकि वह समझ गया था कि वह बुरी तरह फंस चुका है.

‘‘मैं वही हूं. बस, वह चेहरा भर नहीं है. मैं वही हूं जिससे इतने दिनों से मोबाइल पर तुम्हारी बात होती रही. प्यार का इजहार और मिलने की बातें होती रहीं. तुम नंबर लगाओ जो तुम्हें दिया था. मेरा ही नंबर है. अभी साफ हो जाएगा. कहो तो फेसबुक खोल कर दिखाऊं?’’ ‘‘कितनी उम्र है तुम्हारी?’’ लड़के ने गुस्से से कहा. लड़के ने उस के बालों की तरफ देखा. जिन में भरपूर मेहंदी लगी होने के बाद भी कई सफेद बाल स्पष्ट नजर आ रहे थे.

ये भी पढ़ें- गुनाह: श्रुति के प्यार में जब किया अपनी गृहस्थी को तबाह

‘‘प्यार में उम्र कोई माने नहीं रखती, मैं ने यह पूछा था तो तुम ने हां कहा था.’’ ‘‘फिर भी कितनी उम्र है तुम्हारी?’’

‘‘40 साल,’’ सामने बैठी औरत ने कुछ कम कर के ही बताया. ‘‘और मेरी 20 साल,’’ लड़के ने कहा.

‘‘मुझे मालूम है,’’ महिला ने कहा. ‘‘आप ने सबकुछ झूठ लिखा अपनी फेसबुक पर. उम्र भी गलत. चेहरा भी गलत?’’

‘‘प्यार में चेहरे, उम्र का क्या लेनादेना?’’ ‘‘क्यों नहीं लेनादेना?’’ लड़के ने अब सच कहा. अधेड़ उम्र की सामने बैठी बेडौल स्त्री कुछ उदास सी हो गई.

‘‘अभी तक शादी क्यों नहीं की?’’ ‘‘की तो थी, लेकिन तलाक हो गया. एक बेटा है, वह होस्टल में पढ़ता है.’’

‘‘क्या?’’ लड़के ने कहा, ‘‘आप मेरी उम्र देखिए? इस उम्र में लड़के सुरक्षित भविष्य नहीं, सुंदर, जवान लड़की देखते हैं. उम्र थोड़ीबहुत भले ज्यादा हो लेकिन बाकी चीजें तो अनुकूल होनी चाहिए. मैं ने जब अपनी फैंटेसी में श्रद्धा कपूर बताया, तभी तुम्हें समझ जाना चाहिए था.’’ ‘‘तुम सपनों की दुनिया से बाहर निकलो और हकीकत का सामना करो? मेरे साथ तुम्हें कोई आर्थिक समस्या नहीं होगी. पैसों से ही जीवन चलता है और तुम मुझे यहां तक ला कर छोड़ नहीं सकते.’’

लड़के को उस अधेड़ स्त्री की बातों में लोभ के साथ कुछ धमकी भी नजर आई. ‘‘मैं अभी आई, जाना नहीं.’’ अपने भारीभरकम शरीर के साथ स्त्री उठी और लेडीज टौयलेट की तरफ बढ़ गई. लड़के की दृष्टि उस के पृष्ठभाग पर पड़ी. काफी उठा और बेढंगे तरीके से फैला हुआ था. लड़का इमेजिन करने लगा जैसा कि फैंटेसी करता था वह रात में.

लटकती, बड़ीबड़ी छातियों और लंबे उदर के बीच में वह फंस सा गया था और निकलने की कोशिश में छटपटाने लगा. कहां उस की वह सुंदर सपनीली दुनिया और कहां यह अधेड़ स्त्री. उस के होंठों की तरफ बढ़ा जहां बाहर निकले बड़बड़े दांतों को देख कर उसे उबकाई सी आने लगी. अपने सुंदर 20 वर्ष के बेटे को देख कर मां अकसर कहती थी, मेरा चांद सा बेटा. अपने कृष्णकन्हैया के लिए कोई सुंदर सी कन्या लाऊंगी, आसमान की परी. इस अधेड़ स्त्री को मां बहू के रूप में देखे तो बेहोश ही हो जाए?

लड़के को लगा फिर एक आंधी चल रही है और अधेड़ स्त्री के शरीर में वह धंसता जा रहा है. अधेड़ के शरीर पर लटकता हुआ मांस का पहाड़ थरथर्राते हुए उसे निगलने का प्रयास कर रहा है. उसे कुछ कसैलाविषैला सा लगने लगा. इस से पहले कि वह अधेड़ अपने भारीभरकम शरीर के साथ टौयलेट से बाहर आती, लड़का उठा और तेजी से बाहर निकल गया. उस की विशालता की विकरालता से वह भाग जाना चाहता था. उसे डर नहीं था किसी बात का, बस, वह अब और बरदाश्त नहीं कर सकता था.

ये भी पढे़ं- बाउंसर: हवलदार को देख क्यों सूखने लगी झुमकी की जान

बाहर निकल कर वह स्टेशन की तरफ तेज कदमों से गया. उस के शहर जाने वाली ट्रेन निकलने को थी. वह बिना टिकट लिए तेजी से उस में सवार हो गया. सब से पहले उस ने इंटरनैट की दुनिया से अपनेआप को अलग किया. अपनी फेसबुक को दफन किया. अपना मेल अकाउंट डिलीट किया. अपने मोबाइल की सिम निकाल कर तोड़ दी. जिस से वह उस खूबसूरत लड़की से बातें किया करता था जो असल में थी ही नहीं. झूठफरेब की आभासी दुनिया से उस ने खुद को मुक्त किया. अब उसे घर पहुंचने की जल्दी थी, बहुत जल्दी. वह उन सब के पास पहुंचना चाहता था, उन सब से मिलना चाहता था, जिन से वह दूर होता गया था अपनी सोशल साइट, अपनी फेसबुक और ऐसी ही कई साइट्स के चलते.

वह उस स्त्री के बारे में बिलकुल नहीं सोचना चाहता था. उसे नहीं पता था कि लेडीज टौयलेट से निकल कर उस ने क्या सोचा होगा. क्या किया होगा? बिलकुल नहीं. लेकिन सुंदर लड़की बनी अधेड़ स्त्री तो जानती होगी कि जिस के साथ वह प्रेम की पींगे बढ़ा रही है, वह 20 वर्ष का नौजवान है और आमनासामना होते ही सारी बात खत्म हो जाएगी.

सोचा तो होगा उस ने. सोचा होता तो शायद वह बाद में स्थिति स्पष्ट कर देती या महज उस के लिए यह एक एडवैंचर था या मजाक था. कही ऐसा तो नहीं कि उस ने अपनी किसी सहेली से शर्त लगाई हो कि देखो, इस स्थिति में भी जवान लड़के मुझ पर मरते हैं. यह भी हो सकता है कि उसे लड़के की बेरोजगारी और अपनी सरकारी नौकरी के चलते कोई गलतफहमी हो गई हो. कहीं ऐसा तो नहीं कि वह केवल शारीरिक सुख के लिए जुड़ रही हो, कुछ रातों के लिए. हां, इधर लडके को याद आया कि उस ने तो शादी की बात की ही नहीं थी. वह तो केवल होटल में मिलने की बात कर रही थी. शादी की बात तो मैं ने शुरू की थी. कहीं ऐसा तो नहीं कि अधेड़ स्त्री अपने अकेलेपन से निबटने के लिए भावुक हो कर बह निकली हो. अगर ऐसा है, तब भी मेरे लिए संभव नहीं था. बात एक रात की भी होती तब भी मेरे शरीर में कोई हलचल न होती उस के साथ.

उसे सोचना चाहिए था. मिलने से पहले सबकुछ स्पष्ट करना चाहिए था. वह तो अपने ही शहर में थी, मैं ने ही बेवकूफों की तरह फेसबुक पर दिल दे बैठा और घर से झूठ बोल कर निकल पड़ा. गलती मेरी भी है. कहीं ऐसा तो नहीं…सोचतेसोचते लड़का जब किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा तो फिर उस के दिमाग में अचानक यह खयाल आया कि पिताजी के पूछने पर वह क्या बहाना बनाएगा और वह बहाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने लगा.

ये भी पढ़ें- Valentine’s Day: दीवाली की रात- क्या रूही को अपना बना पाया रूपेश

बावरी छोरीः आहाना कुमरा का शानदार अभिनय

रेटिंगः तीन स्टार

 निर्माताः अजय जी राय, मोहित छाबरा व सुदीप्तो सरकार

निर्देशकः अखिलेश जायसवाल

कलाकारः आहाना कुमरा, निक्की वालिया, रूमाना मोला, विक्रम कोचर, सागर आर्या, रालेन गूडी, दक्ष त्यागी, हेमंत पाटिल, सोहेला कपूर

अवधिः एक घंटा 22 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ

‘‘मस्तराम’’जैसी ईरोटिक फिल्म के निर्देशक अखिलेश जायसवाल ने रिश्तों की एक नई समझ को विकसित करने वाली फिल्म ‘बावरी छोरी’’लेकर आए हैं, जिसमें ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का‘ व ‘खुदा हाफिज‘जैसी कई फिल्मों और ‘सैंडविच फॉरएवर‘ जैसी कई वेब सीरीज में अपने अभिनय का प्रदर्शन कर शोहरत बटोर चुकी अदाकारा आहना कुमरा एक नए व जोशीले अवतार में हैं. इस फिल्म को ईरोज नाउ पर देखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें- Valentine Day पर Neha Kakkar को पति Rohanpreet ने दिया खास गिफ्ट, देखें फोटोज

कहानीः

यह कहानी है पंजाब की राधिका(आहाना कुमरा)नामक एक आधुनिक नारी की,  जिसका पति अभिषेक (सागर आर्या)शादी के बाद राधिका के गहने आदि लेकर लंदन चला गया था. मगर चार वर्ष बीत गए और वह वापस नही आता है. चार वर्ष तक इंतजार करने के बाद अभिषेक के संपर्क में रहने वाले लोगों के पते लेकर राधिका अकेले ही लंदन पहुंचती है. उसका मकसद अभिषेक की तलाश कर उसके शरीर के छोटे छोटे टुकड़े कर उसका आचार बनाकर सुअर को खिला देना है. लंदन एअरपोर्ट पर राधिका को लेने राधिका का पुराना दोस्त आनंद(विक्रम कोचर )आता है, मगर राधिका उसके साथ नहीं जाती है. वह एक माल में जाकर लंबा चाकू खरीदकर अपने बैग में रखकर अभिषेक की तलाश में निकल पड़ती है. उसके साथ कई तरह की अजीबोरीब घटनाएं घटती हैं. उसका बैग भी चोरी हो जाता है. पर उसे  सरोज(निक्की वालिया)के घर में शरण मिलती है. पर उसे कुछ खास नही मिलता है. अचानक उसे अभिषेक का एक सुराग मिलता है, तो वह सरोज के घर से निकल पड़ती है. रास्ते में उसकी मुलाकात सदैव शराब में डूबी रहने वाली अकेली लड़की एना से होती हैं. एना(रूमाना मोला)उसे लेकर पहले अपनी नानी(सुहेला कपूर)के घर जाती है. पर कुछ देर में ही नानी की मौत हो जाती है. उसके बाद दोनों अखिलेष की खोज में निकल पड़ते हैं. अखिलेश मिलता है और पता चलता है कि उसकी पत्नी(रालेन गूडी)व लगभग दस वर्ष का बेटा(दक्ष त्यागी)है. तब वह उसके शरीर के टुकडे़ करने का इरादा त्याग कर राधिका उसे माफ कर देती है.

लेखन व निर्देशनः

इस फिल्म से अखिलेश जायसवाल ने साबित कर दिखाया कि वह एक बेहतरीन निर्देशक हैं. उन्हे मानवीय संवेदनाओं और नए मानवीय रिश्तों की अच्छी समझ है. कहानी काफी अच्छी चुनी है. इस कहानी के साथ आज की लड़कियां रिलेट भी कर सकती है. मगर इसकी पटकथा व लंदन में  राधिका की जो यात्रा है, वह कुछ गड़बड़ है. इस पर लेखक व निर्देशक ने ठीक से शोध कार्य नही किया है. कई जगह पर यह फिल्म कंगना रानौट की फिल्म ‘क्वीन’की नकल लगती है. कुछ दृश्य अति बनावटी नजर आते हैं. बीच बीच में निर्देशक भूल जाते हैं कि उनकी हीरोईन राधिका लंदन क्यों आयी है? रूमाना मोला के ऐना के किरदार को लेखक व निर्देशक सही ढंग से विकसित नही कर पाए. ऐना सिर्फ कैरीकेचर बनकर रह गयी है.

ये भी पढे़ं- Bigg Boss 14: Rahul और Rubina ने संग किया रोमांस तो गर्लफ्रेंड दिशा ने दिया ये रिएक्शन

अभिनयः

पूरी फिल्म आहाना कुमरा के ही कंधों पर है.  इस फिल्म में अपने उत्कृष्ट अभिनय से राधिका के किरदार को उकेर कर आहाना कुमरा ने साबित कर दिखाया कि उनके अंदर किसी भी किरदार को आत्मसात करने की क्षमता के साथ पूरी कहानी को अकेले ही आगे ले जाने में भी सक्षम हैं. उनके चेहरे पर सदैव जीवंतता नजर आती है. नानी के अति छोटे किरदार मे सोहेला कपूर अपनी छाप छोड़ जाती हैं. ऐना के किरदार में रूमाना मोला भी आकर्षित करती हैं. विक्रम कोचर का अभिनय भी यादगार है. लंबे समय बाद अभिनय में वापसी करने वाली निक्की वालिया भी अपने अभिनय से मोह लेती हैं.

Valentine Day पर Neha Kakkar को पति Rohanpreet ने दिया खास गिफ्ट, देखें फोटोज

बौलीवुड की पौपुलर सिंगर में से एक नेहा कक्क्ड़ शादी के बाद से सुर्खियों में छाई हुई हैं. कभी शादी तो कभी गाने उन्हें फैंस के छाए रखते हैं. हाल ही में नेहा कक्कड़ ने शादी के बाद अपना पहला वेलेंटाइन डे सेलिब्रेट किया है, जिसकी फोटोज उन्होंने सोशलमीडिया अकाउंट पर शेयर की हैं. साथ ही पति रोहनप्रीत से मिले सरप्राइज ने उन्हें चौंका दिया है, जिसे उन्होंने फैंस के साथ भी शेयर किया है. आइए आपको दिखाते हैं क्या है पति रोहनप्रीत का वेलेंटाइन डे पर नेहा के लिए सरप्राइज….

रोहनप्रीत सिंह ने दिया ये गिफ्ट

वैलेंटाइन डे के खास मौके पर नेहा कक्कड़ के पति रोहनप्रीत सिंह ने बेहद प्यार गिफ्ट दिया है. दरअसल, नेहा के लिए रोहनप्रीत ने हाल ही में अपने हाथ की कलाई पर एक प्यारा सा टैटू गुदवाया है.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 14: Rahul Vaidya और Rubina Dilaik ने संग किया रोमांस तो गर्लफ्रेंड दिशा ने दिया ये रिएक्शन

 टैटू में ये थी खास बात

जहां नेहा टैटू देखकर खुशी थीं तो वहीं उनके फैंस टैटू में नेहा कक्कड़ के पति रोहनप्रीत सिंह ने जो लिखवाया था उस बात पर उन्हें शाबाशी दे रहे थे. दरअसल, रोहनप्रीत ने अपनी कलाई पर ‘नेहूज मैन’ लिखवाया, था, जिसे देखकर फैंस उकी तारीफें करते नही थक रहे हैं.

रोहनप्रीत को बार-बार किया किस

वैलेंटाइन डे पर ये क्यूट सा गिफ्ट पाकर नेहा कक्कड़ बेहद इमोशनल होती हुई नजर आईं और रोहनप्रीत सिंह को किस करती हुई दिखीं. तो वहीं फैंस भी रोहनप्रीत का ये प्यार देखकर खुशी से फूले नही समा रहे. और कमेंट के जरिए उनकी तारीफें करते दिख रहे हैं.

ये भी पढे़ं- ‘अनुपमा’ की कास्ट को बड़ा झटका, कोरोना की चपेट में आया ये एक्टर

बता दें, हाल ही में वेलेंटाइन डे पर नेहा कक्कड़ पति संग इंडियन आइडल के मंच पर नजर आईं थीं. वहीं शो के होस्ट आदित्य नारायण की वाइफ भी सेट पर नजर आईं थीं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

Bigg Boss 14: Rahul और Rubina ने संग किया रोमांस तो गर्लफ्रेंड दिशा ने दिया ये रिएक्शन

कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ के फिनाले के आखिरी हफ्ते की शुरुआत हो चुकी है, जिसके बाद मेकर्स शो में नए टास्क की तैयारी करने में लगे हैं. वहीं शो के कंटेस्टेंटस भी महीनों की अपनी लड़ाइयों को धीरे-धीरे खत्म कर रहे हैं. दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में महीनों से चल रही राहुल वैद्य और रुबीना दिलैक अपनी सारी दुश्मनी भुलाते नजर आने वाले हैं, जिस पर राहुल वैद्य की गर्लफ्रेंड दिशा परमार का रिएक्शन भी सामने आया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

रुबीना संग डांस करेंगे राहुल

हाल ही मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो में दिखाया गया है कि शो में  कई RJ की एंट्री होगी जो घरवालों से सवाल पूछते नजर आएंगे, जिसका जवाब घरवालों को देने होंगे. वहीं इन सवालों में राहुल और रुबीना की दुश्मी पर भी सवाल उठेगा. लेकिन अपनी दुश्मनी को दोस्ती में बदलने इच्छा जाहिर करते हुए राहुल, रुबीना के लिए  गाना भी गाएंगे, जिसके जवाब में रुबीना उनके साथ डांस करने की इच्छा जाहिर करती नजर आएंगी.

ये भी पढ़ें- ‘अनुपमा’ की कास्ट को बड़ा झटका, कोरोना की चपेट में आया ये एक्टर

गर्लफ्रेंड ने दिया ये रिएक्शन

राहुल वैद्य के रुबीना के डांस के प्रोमो को देखते ही गर्लफ्रेंड दिशा परमार ने भी अपना रिएक्शन दिया है. दिशा परमार (Disha Parmar) ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर लिखा, ‘कल का एपिसोड आइकॉनिक होने वाला है…हाहाहाहाहा…ये सिर्फ मुझे ही लग रहा है कि या फिर वाकई में रुबीना जूही चावला की तरह ही लग रही हैं?’

बता दें, बीते रविवार यानी वेलेंटाइन डे के मौके पर ‘बिग बॉस 14’ के घर में दिशा परमार की धमाकेदार एंट्री हुई थी, जहां वह रेड कलर की रफ्फल साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं राहुल वैद्य के नेशनल टीवी पर पूछे गए शादी के सवाल का जवाब देते हुए शादी के लिए हां भी कहा था. वहीं सभी घरवालों और सलमान खान को शादी में आने का न्योता भी दिया था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Rubina Dilaik (@rubinadilaik)

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 14: Nikki के बाद दूसरी फाइनलिस्ट बनीं ये कंटेस्टेंट, एजाज खान को लगेगा झटका

ओटीसी दवाएं: सस्ते में रखें स्वस्थ

आप अपनी दैनिक जीवन से जुड़ी हर छोटीमोटी चीज का समाधान खुद करने की कोशिश करते होंगे. स्वास्थ्य से संबंधित छोटीमोटी परेशानियों का समाधान भी खुद कर लंबी कतार में लगने और डाक्टर को मोटी फीस दे कर खुद को लूटने से बचा सकते हैं.

ऐसे में इजी समाधान है ओटीसी दवाएं, जिन्हें खरीद पर आप ठीक भी हो जाएंगे और आप की जेब पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ेगा.

कौन सी हैं ओटीसी दवाएं

इस संबंध में जानते हैं फरीदाबाद के ‘एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज’ के सीनियर कंसल्टैंट ऐंड एचओडी इंटरनल मैडिसिन के डा. राजेश बुद्धिराजा से:

ओटीसी दवाओं, जिन्हें ओवर द काउंटर मैडिसिन भी कहते हैं, पर किसी तरह की कोई रोकटोक नहीं है. इन्हें नौनप्रैस्क्राइब मैडिसिन भी कहते हैं. इन में सर्दीखांसी, बुखार, सिरदर्द, आंखों में जलन इन्फैक्शन, पेट दर्द की समस्या, ऐसिडिटी व उलटियों की समस्या, ऐलर्जी, शरीर में दर्द, डाइटरी सप्लिमैंट, मैडिकल डिवाइस इत्यादि शामिल होते हैं, जिन्हें आप अपनी प्रौब्लम के हिसाब से खरीद कर घर बैठे अपनी बीमारी को ठीक कर सकते हैं.

जैसे गले में दर्द व खराश होने पर विक्स व स्ट्रैप्सिल्स, ऐसिडिटी की शिकायत होने पर डाइजिन ले सकते हैं, अगर आप इन का गलत इस्तेमाल न करें तो.

ये भी पढ़ें- कदम बढ़ाइए जिंदगी छूटने न पाए

आप को मार्केट में कई तरह की ओटीसी दवाएं मिल जाएंगी, जिन्हें आप अपनी रोजाना की दिक्कतों में ले कर खुद को शारीरिक रूप से ठीक रख सकते हैं.

इन दवाओं पर विश्वास करने का एक कारण यह भी है कि इन्हें सदियों से परिवार के लोग ले कर खुद का व परिवार के लोगों का उपचार कर रहे हैं. भारत में सब से ज्यादा बिकने वाली ओटीसी दवाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

पेनकिलर व कोल्ड टैबलेट

क्रोसिन, डी कोल्ड, डिस्प्रिन, विक्स वेपोरब, विक्सएक्शन 500.

ऐंटीसैप्टिक क्रीम या लिक्विड

डैटोल, बोरोप्लस, बोरोसौफ्ट.

बाम

मूव, आयोडैक्स, जौइंट एक्ने क्रीम, वोलिनी.

कफ रिलीवर

स्ट्रैप्सिल्स, विक्स, हौल्स, विक्स कफ ड्रौप्स, औट्रिविन.

पाचन गोलियां

डाबर हींगगोली, अनारदाना, ईनो, हाजमोला, पुदीनहरा, डाइजिन.

स्किन ट्रीटमैंट

इचगार्ड, क्लियरसिल, क्रैकक्रीम, रिंगगार्ड.

हैल्थ सप्लिमैंट्स

कौंपलाइन, कैल्सियम सैंडोज, होर्लिक्स, डाबर च्यवनप्राश, सोनाचांदी च्यवनप्राश.

आई ट्रीटमैंट

आईटिस, आई टोन, रिफ्रैश जैल.

उलटियों की समस्या

एमेसेट, जो ज्यादातर इस्तेमाल की जाती है, पेरिनोम, पवोमाइन.

बर्थ कंट्रोल पिल्स

इस में इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव शामिल होती है, लेकिन एमटीपी ड्रग्स नहीं.

भारत में ओटीसी दवाएं बनाने की दिशा में निम्नलिखित कंपनियों का अहम योगदान है, जिन का विवरण इस प्रकार है:

– अमृतांजन हैल्थ केयर लिमिटेड, सिपला लिमिटेड, डाबर इंडिया लिमिटेड, इमामी, ग्लैक्सो स्मिथ क्लिन, हिमालय हर्बल हैल्थ केयर, कोपरण लिमिटेड, पारस फार्मासूटिकल्स लिमिटेड, प्रौक्टर ऐंड गैंबल, रैकिट बेंकिसर गु्रप आदि.

क्या-क्या फायदे हैं ओटीसी दवाओं के :

ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ने से बचाएं

द्य आज के समय में डाक्टर के पास जाना आसान नहीं है. छोटी सी बीमारी में भी आप के हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं, क्योंकि फीस, महंगीमहंगी दवाएं और साथ ही टैस्ट भी करवाने के कारण हम खुद को काफी लुटा हुआ महसूस करते हैं, लेकिन खुद की मानसिक संतुष्टि के लिए सब करवा लेते हैं, जबकि अगर आप को सामान्य सी प्रौब्लम है जैसे पेट दर्द, सिरदर्द, हलका बुखार, कफ और आप को इस का कारण भी पता है कि ऐसा आप का कुछ दिनों से लाइफस्टाइल खराब होने की वजह से हुआ है तो आप बिना डाक्टर के पास गए घर पर ही खुद को ओटीसी दवाओं से ठीक कर के फिर से सामान्य जीवन जी सकते हैं.

ये भी पढ़ें- 8 TIPS: बस एक चुटकी हींग

ट्राइड ऐंड टैस्टेड

आप ने अपने बड़े बुजुर्गों से सुना होगा कि अगर बच्चे को पेट में दर्द या फिर ऐसिडिटी की समस्या होती है तो उसे ग्राइप वाटर दिया जाता है. ठीक इसी तरह अगर बड़ों को सिरदर्द हो तो बाम लगाने से व कफ, बुखार व गले में दर्द होने पर क्रोसिन या फिर विक्स लेने से आराम आ जाता है.

ऐसिडिटी की शिकायत होने पर कुनकुने पानी के साथ डाइजिन सीरप या फिर गोलियां लेने से ठीक हो जाती है. सिर्फ उन्हीं से नहीं अधिकांश बार डाक्टर के पास इन्हीं प्रौब्लम के लिए जाने पर वे भी इन्हें ही लेने की सलाह देते हैं.

ऐसे में जब सदियों से लोग इन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं और इन का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है, तो फिर आप भी इन्हें इस्तेमाल कर के खुद व अपनों को आराम पहुंचा सकते हैं.

आसानी से उपलब्ध

आज हर गलीमहल्ले में मैडिकल स्टोर्स खुल गए हैं, जो लोगों के लिए हर समय हाजिर रहते हैं. यही नहीं अगर आप को मैडिसिन्स की जरूरत है तो वे आप के बिना आए, आप के घर पर भी मैडिसिन पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं ताकि आप को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो.

ऐसे में अगर आप उन्हें बताएंगे कि आप को खांसीजुकाम की शिकायत है तो वे आप को बिना परचे के ओटीसी दवा दे देंगे, जो महंगी भी ज्यादा नहीं होती और आप को आराम भी आ जाता है.

लाइन में लगने से बचाव

अगर आप को छोटी सी परेशानी है और आप डाक्टर के पास पहुंच गए, फिर तो समझ जाएं कि आप का काफी समय बरबाद होगा. एक तो आनेजाने का समय, साथ ही जाने में होने वाले पैट्रोल का खर्चा और ऊपर से कतार में लगना आप को परेशान करेगा. तब आप यही सोचेंगे कि काश इस छोटी सी प्रौब्लम का इलाज हम खुद से कर लेते. ऐसे में ओटीसी दवाएं आप की छोटी बीमारी में बड़े काम की साबित होंगी.

सामान्य लक्षणों में आराम पहुंचाए

कई बार शरीर में अचानक से दर्द होना शुरू हो जाता है या फिर अचानक ऐसा महसूस होता है, जैसे खांसीजुकाम होने वाला है. ऐसे में हलके से भी लक्षण दिखने पर आप ओटीसी दवाओं का सेवन कर के बीमारी को होने से रोक कर खुद का ध्यान रख पाते हैं वरना अगर आप गंभीर लक्षण दिखाने के बाद डाक्टर के पास जाते हैं तो आप को तकलीफ भी ज्यादा सहनी पड़ती है और पौकेट पर बोझ भी काफी पड़ता है. ऐसे में आप समय रहते ओटीसी दवाओं से खुद का खयाल रख पाते हैं.

सेहत के मामले में बनाएं ऐक्सपर्ट

कोरोना ने लोगों को अपनी सेहत के प्रति इतना अधिक सतर्क कर दिया है कि अब लोग हर चीज के लिए डाक्टर के पास जाने से बेहतर खुद ही उपचार करना सही समझते हैं. जैसे हार्टबीट, ब्लड में औक्सीजन के लेवल को मापने के लिए घर पर ही औक्सीमीटर ले आए हैं, बीपी व ब्लड शुगर लैवल को मापने के लिए बीपी व शुगर मशीन, इंसुलिन के इंजैक्शन घर पर ही खुद लगाना शुरू कर दिया है ताकि खुद की व अपनों की हैल्थ को मौनिटर कर सकें.

छोटीछोटी बीमारियों के लिए कब, क्या और कितनी मात्रा में देनी है, यह जान सकें. इस तरह वे सेहत के मामले में ऐक्सपर्ट बनते जा रहे हैं, जो आज के समय की जरूरत भी है, क्योंकि कब, क्या मुसीबत आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता.

इन बातों का ध्यान रखना भी जरूरी

– कुछ लोगों की यह आदत हो जाती है कि वे हलका सा सिरदर्द होने पर भी बरदाश्त करने के बजाय झट से दवा खा लेते हैं, जिस से भले ही उन्हें आराम मिल जाए, लेकिन धीरेधीरे उन की सहन करने की क्षमता कम होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि आप आसानी से उपलब्ध होने के कारण इन दवाओं के आदी न बनें. कहते हैं न कि अति हर चीज की बुरी होती है. इन का जरूरत से ज्यादा सेवन आप को नुकसान पहुंचा सकता है.

ये भी पढ़ें- एक्सरसाइज से ब्रेक भी है फायदेमंद

– अच्छी बात है कि आप ने अपने घर में दवाओं के लिए अलग से बौक्स बना कर रखा हो, लेकिन यह भी जरूरी है कि आप दवाओं को समयसमय पर चैक करें ताकि आप को पता रहे कि कोई दवाई ऐक्सपायरी तो नहीं हो गई है. अगर किसी दवा पर बैन लग गया है तो आप उसे भूल कर भी न खाएं, बल्कि तुरंत फेंक दें.

जब पति का प्यार हावी होने लगे

रोहिणी में रहने वाली संगीता ने अपनी सहेलियों को कौन्फ्रैंस कौल की, ‘‘क्या हाल हैं सब के? मैं बस अभीअभी फ्री हुई. आज मेरे पति को थोड़ी देर के लिए औफिस जाना पड़ा. कितना सुकून मिल रहा है, मैं बता नहीं सकती वरना अधिकतर वह वर्क फ्रौम होम करते हैं तो सारा दिन मेरे आसपास ही मंडराते रहते हैं.

किसी भी बहाने से उठूं, पीछेपीछे चले आते हैं. किचन में जाओ तो संग खाना बनवाने लगते हैं, सफाई करो तो डस्टिंग करने लगते हैं, कपड़े धोऊं तो निचोड़ने चले आते हैं…कम से कम तुम लोगों के पति औफिस तो जाते हैं, यहां तो सुख भी नहीं. ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, चाय सबकुछ साथ में.

कुछ कहो तो कहते हैं मैं तुम से एक पल की दूरी भी बरदाश्त नहीं कर सकता. मैं तुम से इतना प्यार करता हूं कि तुम दूसरे कमरे में भी जाती हो तो तुम्हारी याद सताने लगती है.’’

संगीता की बातें सुन कर सभी सहेलियों के मुंह बनने लगे. एक ने तो कह भी दिया, ‘‘तुम्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए कि इतना प्यार करने वाला पति मिला है. औरतें तरसती हैं इतने प्यार के लिए. तुम्हें मिल रहा है और तुम हो कि शिकायत कर रही हो.’’

दूसरी ने भी कहा, ‘‘बिलकुल सही बात है. क्या पता यह प्यार कब तक मिले. मैं ने तो सुना है कि जैसेजैसे उम्र बढ़ती जाती है, प्यार कम होता है. तुम्हें तो अपने पति पर उन से भी ज्यादा प्यार लुटाना चाहिए. उन की सराहना करो, उन के लिए कुछ अच्छा पकाओ, उन के गुण गाओ.’’

‘‘तुम सब के लिए कहना आसान है, क्योंकि तुम मेरी स्थिति में नहीं हैं. विश्वास करो, ये सब बातें मैं अपना मन हलका करने के लिए कहती हूं, न कि कुछ जताने के लिए. माइ हसबैंड लव मी टू मच,’’ संगीता जब कभी अपने पति के प्यार के किस्से अपनी सहेलियों को सुनाती है तो वे सब रश्क करने लगती हैं. कुछ तो यह भी कहती हैं कि संगीता उन्हें जलाने के लिए ही ये मनगढ़ंत किस्से सुनाया करती है.

लेकिन संगीता जानती है कि उसे इन किस्सों को सुना कर खुशी नहीं होती है, उलटा उस के दिल का गुबार कुछ हलका हो जाता है.

क्या ‘टू मच लव’ होता है

प्यार की कोई सीमा नहीं होती, प्यार का कोई अंत नहीं होता जैसे जुमले हम सभी ने सुने हैं.

हम अकसर यह मानते हैं कि प्यार करो तो टूट कर करो, उस में डूब कर करो. लेकिन प्यार जरूरत से ज्यादा भी हो सकता है? शायद हां. हो सकता है कि जिसे हम प्यार समझते रहे हों, वह सामने वाले के लिए उस की निजता पर वार हो. प्यार करना और हावी हो जाने में अंतर होता है. हम प्यार के नाम पर सामने वाले की जिंदगी पर अपनी पकड़ को कसते चले जा सकते हैं और वह बेचारा शिकायत भी नहीं कर सकता, क्योंकि हम तो उस से प्यार करते हैं.

गायत्री का पति उस के हर निर्णय में अपनी मरजी चलाता है. चाहे उस के कपड़े हों, गहने हों, हेअर स्टाइल हो या फिर किस से दोस्ती करनी है, यह फैसला. कारण एक ही होता- मैं तुम से प्यार करता हूं, तुम्हारी चिंता करता हूं, तुम्हारी फिक्र रहती है मुझे, क्या तुम मेरी इतनी-सी बात भी नहीं मान सकतीं?

बेचारी गायत्री अपनी इच्छा से कुछ भी नहीं कर पाती, क्योंकि हर बात में उस के पति का ‘टू मच लव’ आढ़े आ जाता है.

ये भी पढ़ें- दोस्ती को चालाकियों और स्वार्थ से रखें दूर

केस स्टडी

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के संबल जिले की शरिया अदालत में एक महिला ने अपनी 18 महीने की शादी रद्द करने की दरख्वास्त दी. कारण बताया गया-उस का पति उस से जरूरत से अधिक प्यार करता है. बिलकुल नहीं लड़ता है.

उस महिला का कहना था कि उसे अपने पति के बेइंतहा प्यार व लगाव से घुटन होती है. पति के अच्छे बरताव के कारण उस महिला की जिंदगी नर्क बन गई है, इसलिए उस ने इस शादी को तोड़ने का मन बनाया.

वह अपने पति से तंग आ चुकी है. उस का पति खाना पकाने में उस की मदद करता है, उस के साथ घर के काम करवाता है, कभी उस की किसी बात से नाराज नहीं होता है.

महिला ने तथाकथित रूप से कहा, ‘‘मैं झगड़े के एक दिन के लिए तरसती हूं, लेकिन मेरे रोमांटिक पति के साथ ऐसा होना नामुमकिन है जो हमेशा मुझे माफ कर देता है और आए दिन मुझ पर तोहफों की बारिश करता रहता है.

‘‘मुझे बहस करनी है, एक झगड़ा चाहिए, न कि बिना परेशानियों वाली जिंदगी.’’

जब उस के पति से पूछा गया तो उस का कहना था कि वह एक आदर्श और अच्छा पति बनना चाहता था, इसलिए अपनी पत्नी की हर बात मानता रहा.

हालांकि शरिया के मौलाना ने उस औरत की तलाक की दरख्वास्त को बेकार और बेहूदा बताते हुन्ए खारिज कर दिया. किंतु इस केस से यह बात सामने आई कि जिसे हम एक आदर्श स्थिति समझ लेते हैं, जरूरी नहीं कि हर पत्नी को वही चाहिए.

थोड़े शिकवे थोड़ी शिकायत

पूजा का पति भी इसी तरह उस की बात में हां में हां मिलाता है. वह कहती है, ‘‘मैं कहूं कि मुझे मायके जाना है तो कहते हैं ठीक है. जब कहोगी तब लेने आ जाऊंगा. मैं कहूं कि मुझे खाना नहीं बनाना तो कहते हैं कि ठीक है, बाहर से और्डर कर देते हैं. मैं कहूं कि मुझे तुम्हारे खर्राटे तंग करते हैं तो कहते हैं कि ठीक है, मैं दूसरे कमरे में सो जाऊंगा. लगता है जैसे इन का नाम ‘मिस्टर ठीक है’ होना चाहिए.

‘‘मैं कितनी भी बार एक ही बात कहूं, इन का जवाब एक ही होता है कि ठीक है, तंग आ गई हूं मैं. लगता है जैसे मैं बौस हूं और ये मेरे मुलजिम. बस हाथ जोड़े खड़े रहते हैं. पतिपत्नी को समतल प्लेटफौर्म पर होना चाहिए न. कभी झगड़ा हो तो जिंदगी में नमक का स्वाद भी आए. यह क्या हर समय बस मीठा ही मीठा.’’

इतनी समीपता किस काम की

जब से जयश्री के पति का वर्क फ्रौम होम शुरू हुआ तब से उस की मुसीबतें बढ़ गईं. पहले पति औफिस और बच्चों के स्कूल चले जाने के बाद जयश्री अपना समय अपने हिसाब से गुजरती थी. कभी वौक पर जाती, कभी पुस्तक पढ़ती, कभी किसी सहेली के घर चली जाती, कभी कोई मूवी देखने बैठ जाती. लेकिन अब वर्क फ्रौम होम के चलते उस का पति हर समय उस के आसपास ही मंडराता रहता है. बच्चे तो औनलाइन क्लासेज में बिजी हो गए, पर पति वहीं बैठना चाहता है जहां जयश्री हो.

जयश्री कहती है, ‘‘जैसे ही मैं हिलती हूं, ये पूछने लगते हैं, कहां जा रही हो? उफ, अब क्या मैं टौयलेट भी पूछ कर जाऊं.’’

स्मिता के लिए भी उस के पति का हर समय पास होना कष्टदायक होता जा रहा है. उस के पति सैल्स डिपार्टमैंट में नौकरी करते हैं. वह कहती है, ‘‘औफिस में क्या हो रहा है, कौन क्या गेम खेल रहा है, कौन काम कर रहा है, कौन कामचोरी करता है… इन सब का कच्चाचिट्ठा मेरे पति मुझे सुनाते रहते हैं. मुझे इन सब में क्या इंटरैस्ट.

‘‘पर सबकुछ छोड़ कर मुझे उन की यह सारी बातों में अपना पूरा समय बेकार करना पड़ता है. जबकि मेरा मन करता है कि अपनी मनपसंद पत्रिका में छपी कहानियां व लेख पढ़ूं.’’

बीवी हूं बेटी नहीं

दिव्या का लिया हुआ कोई भी निर्णय उस के पति को गवारा नहीं होता. वह हर बात में यही कहता है कि तुम्हें नहीं पता आजकल दुनिया कितनी खराब है, सब लोग बेवकूफ बनाने के बहाने ढूंढ़ते रहते हैं, तुम ठहरीं घरेलू महिला. तुम्हें तो आसानी से उल्लू बना देंगे, आदि.

पति के अनुसार ऐसा वह दिव्या के प्यार में करता है. माना कि उस की चिंता प्यार का नतीजा है, परंतु ऐसे व्यवहार से दिव्या का आत्मविश्वास गिरता चला जा रहा है. क्या ऐसा प्यार पत्नी के लिए नुकसानदेह नहीं?

नीलिमा का पति उस के ऊपर तोहफों की बरसात करता रहता है. नीलिमा गलती से कह दे कि फलां की साड़ी कितनी सुंदर है या फिर मैं ने फलां जगह नहीं देखी, बस उस का पति आननफानन में उस की ख्वाहिश पूरी करने की जल्दबाजी में लग जाता है.

वह कहती है, ‘‘इस डर के मारे मैं किसी को कौंप्लिमैंट भी नहीं दे सकती कि मेरे पति फौरन वैसी ही वस्तु मेरे लिए ला देंगे. अरे यार, किसी चीज की प्रशंसा करने का अर्थ यह तो नहीं कि मुझे भी वह चीज चाहिए. पसंद आने का मतलब यह कैसे हो गया कि मुझे हर वह चीज चाहिए जो मुझे अच्छी लेगी.’’

ये भी पढ़ें- कैसे लें अपने प्रेमी की परीक्षा

संभल कर रखें कदम

कोकिला की जब नईनई शादी हुई तब उस के पति उस से अच्छी कुकिंग किया करते थे. उन की ईगो बूस्ट करने के लिए कोकिला अकसर उन की प्रशंसा के पुल बांधती रहती, ‘‘इन के जैसे छोले तो मैं कभी बना ही नहीं सकती… इन के हाथ का हलवा खाने के बाद मुझे अपने हाथ का बिलकुल पसंद नहीं आता… इन से पावभाजी बनानी सीख तो लूं पर इन के हाथ जैसा स्वाद कहां से लाऊं.’’

ऐसी बातों से उस के पति फूले नहीं समाते थे, पर वहीं कुछ समय बाद ऐसा होने लगा कि वे कोकिला के हर पकवान में नुक्स निकालने लगे. उसे हर बार कोई न कोई टिप बताते, उसे बेहतर पकाने के नुसखे सिखाते. धीरेधीरे जब पूरा किचन कोकिला ने संभाल लिया तो वह भी उतना ही अच्छा खाना पकाने लगी. लेकिन शुरुआत में की गई गलती भारी पड़ने लगी. हर बार मेहमानों, ससुराल या मायके पक्ष या फिर दोस्तों के बीच पति द्वारा कोकिला के खाने में ‘ऐसे बनातीं तो और भी बढि़या बनता’ जैसे जुमलों से उसे कुढ़न होने लगी.

नहीं चाहिए इतना प्यार

प्यार से भी उकताहट हो सकती है. अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप,  कोई भी काम बहुत अधिक हो तो वह परेशान करने लगता है, फिर चाहे वह अच्छाई ही क्यों न हो. मैरिज काउंसलर प्रीति कहती हैं कि उन के पास एक केस आया था जहां पत्नी अपने पति के अत्यधिक प्यार से परेशान हो कर उन से सलाह लेने आई थी.

‘‘जब मैं सुबह औफिस के लिए जाने को तैयार हो रही होती हूं, तब मेरे पति मुझे पीछे से आ कर पकड़ लेते हैं और रोजाना लेट कर देते हैं. ऐसे ही जब मैं शाम को डिनर बना रही होती हूं तब भी मेरे पति का मुझे बांहों में भरना मुझे रास नहीं आता. हर चीज का अपना समय, अपनी जगह होती है.

रोज ये हरकतें मुझे इरिटेट करने लगी हैं. हालांकि शादी की शुरुआत में उन की बातें मुझे 7वें आसमान पर बैठा दिया करती थीं, पर अब उन की इन्हीं हरकतों पर मुझे कोफ्त होने लगी है. मेरी नजरों में प्यार वह है कि मेरे पति मेरा हाथ बंटाएं, मेरे कामों में मेरी मदद करें न कि केवल कोरा प्यार दर्शाते रहें. लेकिन वहीं मुझे ऐसा लगता है कि मैं स्वार्थी हो रही हूं. वह तो मुझ से प्यार करते हैं और मैं हूं कि शिकायत कर रही हूं.’’

मैरिज काउंसलर की सलाह

अकसर मैरिज काउंसलिंग में पतिपत्नी दोनों की एकसाथ काउंसलिंग की जाती है, किंतु इस मामले में प्रीति ने ऐसा नहीं किया. उन का सोचना था कि ज्यादा प्यार करने के लिए काउंसलर के पास जाना शायद पति को अखरेगा. दूसरी तरफ यह बात भी सच है कि जिन आदतों से हम अपने जीवनसाथी के प्रति आकर्षित होते हैं, अकसर उन्हीं के कारण हम बाद में खीजने लगते हैं.

प्रीति ने पत्नी को सलाह दी कि अपने मन से यह खयाल निकाल दें कि आप स्वार्थी हो रही हैं या फिर कृतघ्न बन रही हैं. जो प्यार आप के लिए पहले आकर्षण का केंद्र था, अब वही आप को घुटन देने लगा है, तो इस का इलाज यह हो सकता है कि आप इस विषय में अपने पति से खुल कर बात करें. आप क्या चाहती हैं, अपनी इच्छाएं, अपने सपने अपने पति से बांटिए ताकि उन्हें पता चल सके कि वाकई में उन की पत्नी क्या चाहती है.

मन के अंदर कुढ़ते रहने से रिश्ता खराब होता चला जाता है. बेहतरी इसी में है कि आप खुल कर संवाद करें और उन्हें अपने मुताबिक प्यार करने का मौका दें.

प्रीति कहती हैं कि ज्यादा प्यार करने में कोई नुकसान नहीं है. बस, दोनों पार्टनर्स को एकदूसरे की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए. कुछ लोगों को हर समय अपने पार्टनर की कंपनी चाहिए होती है तो कुछ एकांतप्रिय होते हैं. कुछ को बहुत सारी बातें करना भाता है तो कुछ शांति से कुछ पढ़ना या संगीत सुनना चाहते हैं.

शादीशुदा जीवन में भी हमें अपने पार्टनर द्वारा खींची रेखाओं का आदर करना आना चाहिए. वही असली प्यार है.

साफ बात करने में भलाई

निशा ने अपने पति से न सिर्फ इस विषय में बात की, बल्कि अपनी अलग हौबी भी शुरू कर दी. अब जब भी उस के पति का प्यार उस पर हावी होने लगता है, वह अपने पति से कहती है कि उसे अपनी हौबी करने की इच्छा है और वह चित्रकारी करने दूसरे कमरे में चली जाती है.

निशा की देखादेखी उस की सहेली टीना ने भी बागबानी की अपनी हौबी को अपने किचन गार्डन में विकसित कर लिया है. टीना खुश हो कर बताती है कि अपने पौधों के साथ समय व्यतीत कर के वो फ्रैश महसूस करती है और  पति की अत्यधिक निकटता से थोड़ी फ्रैश एअर भी ले लेती है.

निशा कहती है कि जब उस ने अपने पति से इस विषय में बात की तो वो आहत हो गए. उन का कहना था कि बीवियां तो प्यार के लिए तरसती हैं और तुम हो कि इस बात के लिए मुंह बना रही हो कि मैं तुम से बहुत ज्यादा प्यार  करता हूं.

ये भी पढ़ें- उम्मीदों के बोझ तले रिश्ते

निशा को पति को समझने में 2 दिन का समय लगा. मैं ने उन्हें कई उदाहरण दे कर बताया कि उन का प्यार दरअसल में उन की असुरक्षा की भावना है, जो मुझ में नहीं है और इसलिए मैं उन्हें पूरी फ्रीडम और टाइम देती हूं. मेरे लिए उन के साथ चौबीसों घंटे चिपके रहना प्यार नहीं है, बल्कि मेरी सोच यह है कि थोड़ी देर की दूरी से प्यार और बढ़ता है.

हम दोनों यदि कुछ देर अलग रहें, अन्य लोगों से मिलें तो हमारे पास एकदूसरे से करने के लिए और भी कई बातें होंगी. मेरी यह बात उन्हें समझ आ गई और उन्होंने अपने व्यवहार में बदलाव लाना शुरू कर दिया.’’

यह बात सही है कि हर रिश्ते को थोड़ी ब्रीदिंग स्पेस चाहिए होती है. मनोचिकित्सक डा. शशांक का कहना है कि पतिपत्नी का एकदूसरे से कुछ दूरी बनाने से उन के रिश्ते में ताजगी आती है. तभी तो मायके से लौटी पत्नी और भी प्यारी लगती है. पति और पत्नी को अपने दोस्तों की अलगअलग मंडलियों से भी मेलजोल रखना चाहिए.जीवनसाथी के अलावा जिंदगी में दोस्तों की जगह बेहद जरूरी है.

दूसरे रिश्तों की कमी के कारण पतिपत्नी का रिश्ता बासा होने लगता है. एकदूसरे पर ज्यादा हावी होने से रिश्ते में खटास आने लगती है.

सब को अपनी स्पेस चाहिए, चाहे वह पति हो, पत्नी हो या फिर बच्चे. पतिपत्नी के रिश्ते में दोनों एक ही प्लेटफौर्म पर खड़े हैं. ऐसे में दोनों को चाहिए कि एकदूसरे की भावनाओं व इच्छाओं का सम्मान करें. एकदूसरे को अपनी मरजी के अनुसार जीने दें. कहीं प्यार के नाम पर आप अपने पार्टनर को कुचल तो नहीं रहे,

इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है. कई बार प्यार इतना हावी होने लगता है कि उस के नीचे दम घुटने लगता है. यह बात रिश्ते के लिए बिलकुल  अच्छी नहीं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें