Valentine’s Day: दीवाली की रात- क्या रूही को अपना बना पाया रूपेश

मैं अपनी रूही से धनतेरस के दिन मिलने वाला था, लेकिन पता चला कि वह आस्ट्रेलिया से लौटी ही नहीं है, तो मेरी व्याकुलता बढ़ गई. क्योंकि मैं मन ही मन चाह रहा था कि इंतजार की घडि़यां जल्दी खत्म हो जाएं. कई रातों से मैं ठीक से सोया भी नहीं हूं. नींद आती भी तो कैसे. कभी उस के बारे में तो कभी अपने बारे में सोचसोच कर मैं परेशान हुए जा रहा हूं. इधर मेरी डायरी के पन्ने प्यार के खत लिखलिख कर भर गए हैं. मैं ने उसे 3 माह पहले एक सौंदर्य प्रतियोगिता में देखा था. मुझे निर्णायक के तौर पर बुलाया गया था. मैं भी इस प्रतियोगिता के लिए आतुर था.

सौंदर्य प्रतियोगिता का चिरप्रतीक्षित दिन आ गया. मैं सुगंधित इत्र लगा कर फैशनेबल कपड़ों में वहां पहुंच गया. वहां का नजारा देख दिल बागबाग हो गया. सरसराते आंचलों और मदभरी सुगंधलहरियों के बीच नाना सुंदरियां खिलखिला रही थीं. रूप का हौट हाट लगा हुआ था. सौंदर्य प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि तथा अन्य अतिथि मंच की ओर प्रस्थान करने लगे. मैं भी उन में शामिल था.

मंच के एक ओर मनमोहक झलक पड़ी. अरे…यह कौन? अनूठा रंगरूप है…ऐसा रूप तो पहले कहीं नहीं देखा था. रूही के रूपवैभव पर तो सारा विश्व गर्व करता है. आज मैं ही नहीं अपितु सारा विश्व इस लावण्यमयी की रूपराशि के समक्ष नतमस्तक होने को आतुर है. ऐसा सौंदर्य मुंबई महानगर में भी नहीं दिखता.

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उस की आवाज में जादू है. विश्वास ही नहीं होता कि ऐसा स्वर भी होता है. वह रूपगुण की धनी थी. उस दिन मैं पहली ही झलक में उस पर मरमिटा था. न जाने कितनी कल्पनाएं कर बैठा था. ऐसा लगा था जैसे मेरी वर्षों की तलाश पूरी हो गई हो. मैं मन में एक प्यारे सपने का घरौंदा संजोने लगा.

उस शाम हमारा एकदूसरे से परिचय हुआ और हम ने एकसाथ चाय पी. उस के साथ बिताए 4 घंटे बेहद खुशनुमा रहे. अब रूही मेरी रूह बन गई. उस का निश्छल स्वभाव, उत्कृष्ट संस्कार, उच्चशिक्षा और खूबसूरत व्यवहार…सब से बढ़ कर उस के चेहरे का भोलापन, उस के द्वारा गाए गीत, ये सब मेरे मन में बैठ गए. दूसरे दिन प्रतियोगिता के फोटो आ गए. वह मेरे रूपरंग और गठीले बदन के साथ खड़ी फब रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगा कि हमारी जोड़ी जंच रही है. और मैं मन ही मन उसे अपनी अर्द्धांगिनी के रूप में देखने लगा था. उसे फोन कर बधाई दी और शाम को क्लब में बुला लिया. हमारी लगातार मुलाकातें होती रहीं. उस दिन यह भी पता चला कि उसे 4 फिल्मी गीतों के लिए साइन किया गया है.

यह सुन मुझे खुशी हुई. उसे गले लगा कर मैं ने बधाई दी. उस के व्यवहार से लगा जैसे वह भी मुझे मन ही मन चाहने लगी है या उस की तलाश भी मंजिल की ओर है. मैं जब उसे बुलाता तो वह आ जाती और जब वह बुलाती तो मैं भी सारे काम छोड़ उस के पास दौड़ादौड़ा चला आता. उस के करीब होने का एहसास दिल को इतना खुश कर देता कि मैं खुद गीत लिखने लगा. मेरी दैनिक गतिविधियों में परिवर्तन आने लगा और अब ये सब मुझे भी काफी अच्छा लगने लगा. मैं अब सुबह जल्दी उठ कर सैर के लिए जाने लगा जहां मेरी रूह जाया करती. उस से मिलने की इच्छा मुझ में नई ऊर्जा का संचार करने लगी. वह किसी प्रसाधन का उपयोग नहीं करती थी. वह इतनी सुंदर थी कि उस पर से मेरी नजरें हटती ही नहीं थीं. उस की मुसकराहट ने मेरी दुनिया ही बदल डाली. मेरे पांव जमीन पर नहीं टिकते थे.

एक सुबह जब वह सामने से मुसकराती, जौगिंग करती आ रही थी तो मैं सोचने लगा कि इसे क्या दूं क्योंकि इस के सामने तो दुनिया की हर चीज फीकी लगती है. उस ने आते ही मुसकरा कर देखा और कहा, ‘‘ मैं चाहती हूं कि आप कल मेरे घर डिनर पर आएं.’’

मैं उस का निमंत्रण पा कर फूला नहीं समाया. मैं भी तो रातदिन, उठतेबैठते यही प्रार्थना कर रहा था. आज मुझे अपनी मुराद पूरी होती लगी. उस के घर में प्रवेश करते ही मैं रोमांचित हो गया. फाटक के रोबदार प्रहरियों ने मेरी आदरपूर्वक अगवानी की. वातावरण देख खुशी से मन झूम उठा. रूही के मातापिता ने सस्नेह आशीर्वाद दिया. इधरउधर की तथा मेरे परिवार की खूब चर्चा हुई. रूही उन की एकलौती बेटी थी. मैं ने उन्हें अपना परिचय देते हुए बताया कि मैं श्याम मनोहर दासजी का एकलौता सुपुत्र तथा लोकप्रिय मौडल के साथसाथ उद्योगपति रूपेश हूं, यह सुन कर वे बेहद प्रसन्न हुए.

मेरे मातापिता शहर के नामी लोगों में अग्रणी स्थान रखते हैं तथा उद्योगपतियों की लिस्ट में उन के साथ मेरा नाम भी जुड़ा हुआ है. मेरे लिए कई रिश्ते आ रहे हैं, लेकिन मुझे एक भी नहीं भाता है, न जाने रूही में ऐसा क्या कुछ था, जो मुझे अपनी ओर खींच रहा था. शायद मुझे ऐसी ही लड़की की तलाश थी. एक शाम दोनों परिवारों ने एकसाथ बिताई. फिर संकोच छोड़ हम दोनों भी घुलमिल गए. हम ने एकदूसरे के परिवारों के बारे में भी बात की.

इस दौरान रिकौर्डिंग के सिलसिले में रूही को आस्ट्रेलिया जाना पड़ा. इधर मेरा मन व्याकुल था. मैं बेसब्री से उस का इंतजार कर रहा था. मैं कभी अंदर कभी बाहर जाता. कहीं दिल लगता ही नही था. उस दिन मुझे प्यार की तड़प का सही एहसास हुआ.

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चौथे दिन सुबह होते ही जैसे ही सूचना मिली कि रूही आ गई है, मेरी खुशी का तो ठिकाना ही न रहा था. मैं सोचने लगा कि जिन खुशियों की तलाश में हम सारा जीवन गुजार देते हैं, आखिर वे खुशियां क्या हैं? दार्शनिक इस पर लंबी बहस कर सकते हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार आत्मसंतुष्टि तथा संसार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ही व्यक्ति की खुशी है. सच ही तो है, जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं, उस का एकमात्र लक्ष्य खुशियों को पाना ही तो होता है. हमारी जिंदगी में जो कुछ महत्त्वपूर्ण है, जैसे प्यार, विश्वास, सफलता, मित्रता, रिश्ता, चाहत, सैक्स, पैसा सभी खुशियों को बटोरने के साधन ही तो हैं.

कब, कैसे, कहां और क्यों आप खुशी से झूमने लगेंगे? यह आप भी नहीं जानते. खुशियां न बढि़या होती हैं और न घटिया. खुशियां केवल खुशियां होती हैं यानी मन की संतुष्टि कौन, कैसे, किस हाल में पा लेगा और खुश रहेगा यह न तो कोई मनोवैज्ञानिक बता सकता है, न कोई दार्शनिक और न ही डाक्टर, क्योंकि हर इंसान की खुशी उस के आसपास घट रही परिस्थितियों की देन है. किसी व्यक्ति की खुशी अगर प्यार में है लेकिन उस का प्यार किसी कारण से उस से दूर हो गया है और हम उसे फिर भी खुश रहने के लिए कहते हैं तो यह संभव नहीं है क्योंकि खुश इंसान मन से होता है. हर व्यक्ति को अलगअलग चीजों से खुशी मिलती है, जैसे कोई प्यार में खुशी देखता है, तो कोई पैसे में खुशी तलाशता है, किसी के लिए बूढ़े मातापिता की सेवा ही सब से बड़ी खुशी है, तो कोई अनाथ को पाल कर व अनपढ़ को पढ़ा कर खुश हो जाता है.

मुझे सुखद दांपत्य जीवन के लिए सच्चा प्यार चाहिए. साथ ही मैं चाहता हूं कि जो भी मेरा जीवनसाथी बने वह मुझे और मेरे परिवार को समझे और उन्हें सम्मान और प्यार दे. ये सब बातें मुझे रूही में नजर आती थीं. इसलिए ही मैं ने उसे अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला किया.

मैं उसी क्षण मां के पास गया और मन की बात भी उन्हें बता दी. मां को मेरी पसंद अच्छी लगी. उन्होंने यह बात पिताजी को भी बता दी. पिताजी ने सामाजिक औपचारिकताएं निभाते हुए रूही के पिता से बात की. शाम को मैं बाहर जाने की तैयारी में था कि मां और पिताजी कमरे में आए.

‘‘कहीं बाहर जा रहे हो?’’ पिताजी ने पूछा. ‘‘कुछ काम है?’’ मैं ने पूछा.

पिताजी ने बताया, ‘‘मैं ने रूही के पिता से तुम्हारे विवाह की बात कर ली है. उन्होंने कल दोपहर हमें जिमखाना क्लब में लंच के लिए बुलाया है.’’ हम वहां पहुंचे तो जिमखाना क्लब का वातावरण बड़ा शांत था. रूही और उस के मातापिता हमारी अगवानी के लिए खड़े थे.

रूही के पिता ने रूपेश से पूछा, ‘‘आप बेंगलुरु के हैं हम मंगलौर के, दोनों के रहनसहन में अंतर है. क्या विवाह सफल होगा?’’ रूही पर एक नजर डालते हुए रूपेश ने कहा, ‘‘मेरी दृष्टि में विवाह अपनेआप सफल नहीं होते उन्हें सफल बनाना पड़ता है. इस के लिए पतिपत्नी दोनों को निरंतर प्रयास करना पड़ता है.’’

रूपेश के पिता ने रूही से पूछा,‘‘रूही बेटे, तुम्हारा क्या विचार है?’’ ‘‘विवाह स्त्रीपुरुष का गठबंधन है जिन का लालनपालन अलगअलग परिवेश में होता है. जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों पक्षों को समझौते करने होते हैं,’’ रूही ने उत्तर दिया.

रूही की मां ने प्रसन्न होते हुए कहा, ‘‘इस ओर भी ध्यान देना जरूरी होता है कि भावुक हो कर किए गए समझौते भी इस रिश्ते को प्रभावित कर खुशियों का गला घोंट देते हैं.’’ ‘‘नहीं, हम भावुक नहीं हैं…’’ दोनों ने समवेत स्वर में कहा.

हम दोनों के मातापिता ने और विचार करने को कहा. 2 सप्ताह बीत गए. मेरा मन डूबता जा रहा था, क्योंकि रूही के मातापिता ने हामी नहीं भरी थी.

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दीवाली की सुबह रूही के मातापिता बहुत सारे कीमती तोहफे ले कर हमारे घर आए. यह देख कर मेरी खुशी का ठिकाना ही न रहा. रूही के मातापिता की खूब आवभगत हुई. दोनों परिवार बेहद प्रसन्न थे. मुझे और रूही को यह दीवाली खुशियों भरी लग रही थी. शांत रूही मुझे अर्थपूर्ण नजरों से देख रही थी. मानो कुबेर का खजाना उस की और मेरी झोली में आ गिरा हो.

पिताजी ने मुझे गले लगा लिया और मां ने रूही को. चारों ओर से पटाखों के स्वर के साथ आकाश में कई मनमोहक आतिशबाजियां फूट रही थीं. ‘‘दीवाली की रात खुशियों की रात,’’ मां ने कहा. रूही और मैं उन पलों का आनंद लेने लगे.

वेलेंटाइन डे से पहले रेड कलर की ड्रैस में नजर आईं सुरभि चंदना, फोटोज वायरल

टीवी एक्ट्रेस सुरभि चंदना अक्सर अपने हौट फैशन को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. नागिन एक्ट्रेस का फैशन फैंस को इतना पसंद आता है कि उन्हें ट्राय करने का एक मौका नही छोड़ते. इसी बीच सुरभि चंदना ने वेलेंटाइन डे से पहले कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह बेहद हौट और खूबसूरत पोज देते नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं वेलेंटाइन वीक पर सुरभि के कुछ खूबसूरत लुक, जिन्हे आप ट्राय कर सकती हैं.

1. रेड ड्रैस में छाया सुरभि का लुक   

सोशलमीडिया पर शेयर की गई फोटोज में एक्ट्रेस सुरभि चंदना रेड कलर की हाई स्लिट गाउन नजर आ रही हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं. वहीं ब्लैक कलर की ज्वैलरी कैरी करके सुरभि बहुत ही खूबसूरत लग रही हैं. वहीं फैन्स को उनका बोल्ड अंदाज बहुत पसंद आ रहा है.

 

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2. ब्लैक ड्रैस करें ट्राय

 

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अगर आप वेलेंटाइन वीक या फिर किसी पार्टी में ड्रैस की तलाश कर रही हैं तो सुरभि चंदना की ये ब्लैक रफ्फल ड्रैस ट्राय करना ना भूलें. इस ड्रैस के साथ ज्वैलरी के लिए स्टड इयरिंग्स पहनें तो बेहद अच्छा होगा.

3. पिंक साड़ी कर सकती हैं ट्राय 

 

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अगर आप वेलेंटाइन वीक में साड़ी पहनना चाहती हैं तो सुरभि चंदना की ये पिंक कलर की जौर्जट की साड़ी आपके लिए अच्छा औप्शन है. ये आपके लुक को सिंपल लेकिन स्टाइलिश बनाने में मदद करेगी.

4. जींस और टौप का कौम्बिनेशन करें ट्रायॉ

 

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जींस का औप्शन हर कोई चुनता है. लेकिन जब उसके साथ अच्छे टौप की करें तो काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. इसीलिए सुरभि का ये रेड कलर का टौप किसी भी डैनिम के साथ अच्छा औप्शन है.

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5. फ्लावर प्रिंटेड ड्रैस है परफेक्ट

 

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अगर आप ड्रैस का चुनाव करने वाली हैं तो सुरभि की ये फ्लावर प्रिंटेड ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

इमोशनल अत्याचार: क्या पैसों से प्यार करने वाली नयना को हुई पति की कदर

 

 

 

Serial Story: इमोशनल अत्याचार – भाग 3

‘‘मैं अभी तकलीफ में हूं… बातें करने में असमर्थ हूं. तुम चाहो तो बाद में फोन करूंगा.’’

‘‘सुनो, जरा अपना क्रैडिट कार्ड की लिमिट बढ़वा दो मु झे एक बड़ी स्क्रीन वाला टीवी लेना है और तुम्हारे कार्ड की लिमिट पूरी हो गई है. अब मुंबई जैसे शहर के खर्चे हजार होते हैं तुम क्या सम झोगे? मैं अपनी दोस्त के साथ दुकान गई थी और कार्ड डिक्लाइन हो गया. मु झे बेहद शर्मिंदगी महसूस हुई. तुम्हें मेरी जरा भी फिक्र नहीं है…’’

नयना बोल रही थी और जतिन का दिल छलनी हो रहा था कि उस ने एक बार भी मेरी खैरियत नहीं पूछी. सिर्फ और सिर्फ पैसों का ही नाता रह गया है क्या? चूंकि सारी बातें प्रेरणा के समक्ष ही हो रही थीं, सो उस का भी मन पसीज गया. शाम होतेहोते जतिन के मातापिता ही रायपुर से रांची होते हुए पिपरवार पहुंच गए. उन के आ जाने के बाद प्रेरणा भी थोड़ी निश्चिंत हुई और कालोनी के और लोग भी. जतिन की मां को तो पता ही नहीं था कि उन की नवब्याहता बहू उन के बेटे के साथ न रह कर मुंबई रहने लगी है. बेटे की शादी के बाद उन्हें ज्यादा पूछताछ उन की गृहस्थी में सेंध सरीखी लगती थी. जतिन ने भी घरपरिवार में किसी से इस बात की चर्चा तक नहीं की कि नयना अब उस के साथ नहीं रह रही. यह बात उसे एक तरह से खुद की हार सम झ आती थी और वह इस दर्द को दबाए घुल रहा था.

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अब जब मां के सामने सारी बातें स्पष्ट हो गईं तो उस का मन भी कुछ हलका हुआ और वह अपने टूटे पैर और चोटिल दिलदिमाग व शरीर की तरफ उत्प्रेरित हुआ. अपने शुभचिंतक और मददगार भी दिखने लगे. जतिन की मां ने नयना को फोन लगा कर कहा कि वह पिपरवार आ कर उस की देखभाल करे. उन्होंने उसे भलाबुरा भी कहा कि पति की दुर्घटना के विषय में जान कर भी वह नहीं आई.

नयना ने भोलेपन से कहा, ‘‘मम्मीजी, अब मेरे पास इतने पैसे अभी नहीं हैं कि मैं मुंबई से रांची फ्लाइट का किराया भर सकूं. जतिन के कार्ड की लिमिट भी पार हो गई है इस महीने.’’

जतिन के मातापिता सिर पकड़ कर बैठ गए कि कैसी मानसिकता है उस की? खैर, उसे टिकट भेजा गया और एहसान जताती हुए नयना आ भी गई. महीनों बाद अपनी  पत्नी को घर में देख जतिन खिल उठा. उसे शुरुआती दिनों की याद आने लगी जब उस ने और नयना ने गृहस्थी की शुरूआत की थी. परंतु नयना के नखरों का अंत नहीं था, साधारण से परिवार की साधारण सी नौकरी करने वाली लड़की पति के पैसों पर ऐश करती उच्चाकांक्षी हो उन्मुक्त हो चुकी थी. घर में घुसते हुए ही उस की उस जगह से शिकायतों का पुलिंदा अनावृत होने लगा था. जतिन का ड्राइवर, नयना को रिसीव करने गया. उस के जूनियर के समक्ष ही वह कोयला वाली सड़कों, सूने रास्ते और पसरी मनहूसियत का रोना ले कर बैठ गई.

जतिन बिस्तर पर है, लाचार है, इस बात का भी एहसास उसे कुछ समय बाद ही चला. फिर उसे बढ़े हुए कामों से भी परेशानी होने लगी. सासससुर के समक्ष ही वह अपनी अप्रसन्नता व्यक्त करने लगी. उस की आने की खबर सुन, अगले दिन जतिन के सहकर्मी और कालोनी की महिलाएं भी मिलने आ गईं. वैसे भी सब नियमित हालचाल तो जतिन का करते ही थे.

सब ड्राइंगरूम में बैठे ही थे कि नयना कमरे में जतिन को ऊंचे स्वर में कहने लगी, ‘‘यही बात मु झे पसंद नहीं… यहां हर वक्त लोग नाक घुसाए रहते हैं, प्राइवेसी किस चिडि़या का नाम है मानो खबर ही नहीं, बाई द वे, वह लड़की नहीं दिखाई दे रही है, जिस का हाथ पकड़ तुम ने केक काटा था?’’

‘‘नयना, ऐसे न बोलो जब मेरा ऐक्सिडैंट हुआ तो इन्हीं लोगों ने मु झे संभाला था और प्रेरणा का तो तुम्हें शुक्रगुजार होना चाहिए.’’

नयना के आने के 2-3 दिनों के बाद ही जतिन के मातापिता रायपुर लौट गए ताकि बेटेबहू एकांत में अपनी टूटती गृहस्थी की मौली को फिर से लपेट लें.

मां ने एक बार कहा भी, ‘‘जतिन तू क्यों नहीं मुंबई या किसी अन्य महानगर में नौकरी खोज लेता है ताकि बहू भी खुश रह सके?’’

‘‘मां मैं ने एक माइनिंग यानी खनन अभियंता की पढ़ाई की है और मेरी नौकरी हमेशा ऐसी जगहों पर ही होगी. अब खदान तो महानगरों में नहीं न होंगे?’’

जतिन की बात सही ही थी. अगले 3-4 दिनों में ही महानगरीय पंछी के  पंख फड़फड़ाने को व्याकुल होने लगे. उसे मुंबई की चकाचौंध की कमी महसूस होने लगी.  झारखंड के उस अंदरूनी भाग की हरियाली और सघन वन के बीच सुंदर कालोनी शांत वातावरण और खुशमिजाज लोग मुंह चिढ़ाते प्रतीत होते. बंगला, गाड़ी, ड्राइवर, इज्जत उसे नहीं लुभाते थे. लोगों की परवाह और स्नेह उसे बंधन लगने लगा. वह वहां से निकलने के बहाने खोजने लगी. हां, सभी से वह उस लड़की के विषय में जरूर पूछती जो केक कटवाते वक्त साथ थी. पर किसी ने उसे कुछ भी नहीं बताया, प्रेरणा के विषय में. उलटे लोगों को लगने लगा कि यदि नयना की जगह प्रेरणा से जतिन की शादी हुई होती तो ज्यादा सफल और सुखी होती उस की जिंदगी.

‘‘जतिन मैं ने बुधिया को सबकुछ सम झा दिया है, वह तुम्हारा खयाल रख लेगी. मु झे वापस जाना ही होगा, यहां मेरा दम घुटता है. मैं 2-3 महीनों में फिर आती हूं. तुम तो जानते ही हो मु झे वर्क फ्रौम होम बिलकुल पसंद नहीं,’’ कहते हुए नयना अपना सामान समेटने लगी.

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जतिन बिस्तर पर प्लास्टर वाले पैर लिए उसे देख रहा था, जिसे कटने में अभी 5 हफ्ते शेष थे. भावुक, संवेदनशील जतिन पत्नी के इस अवतार को देख अचंभित हो रहा था. दिल की गहराई में बहुत कुछ टूट रहा था, बिखर रहा था. उस ने जाती हुई नयना को इस बार कुछ नहीं कहा, बल्कि करवट ले उस की तरफ पीठ कर दी ताकि उस के आंसुओं को देख नयना उसे कमजोर न सम झ ले और फिर और ज्यादा इमोशनल अत्याचार न करने लगे.

जतिन ने इस बार उसे दिल से ही नहीं जिंदगी से भी विदा कर दिया. इस एक पहिए की गृहस्थी से उस का भी मन उचाट हो गया. नयना ने सोचा भी नहीं था कि उस के जाते ही राघव उसे तलाक के पेपर भिजवा देगा. कहां वह उस के पैसों पर ऐश करने की सोच रही थी, सीधासाधा सा पढ़ाकू गंवार टाइप का लड़का कुछ ऐसा कर जाएगा जो उस के स्वप्नों पर वज्रपात सरीखा होगा. नयना ने सम झा था कि वह इस तरह जतिन को इमोशनल मूर्ख बना अपनी मनमानी करती रहेगी. ठुकराए जाने के बाद उसे उस छप्पन भोग थाली का महत्त्व याद आ रहा था. मगर जिंदगी बारबार मौके नहीं देती है.

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Serial Story: इमोशनल अत्याचार – भाग 1

नयना अपने हाथों में लिए उस कागज के टुकडे़ को न जाने कब से निहार रही थी. उसे तो खुश होना चाहिए था पर न जाने क्यों नहीं हो पा रही थी. जब तक कुछ हासिल नहीं होता है तब तक एक जुनून सा हावी रहता है जेहन पर. इस कागज के टुकड़े ने मानो उस का सर्वस्व हर रखा था. पर क्या करे इस शाम को जब हर दिन की वह जद्दोजहद एक  झटके में समाप्त हो गई. अब जो भी हो इस शाम को इस हासिल का जश्न तो बनता ही है.

अगले ही पल गहरे मेकअप तले खुद को, खुद की भावनाओं को छिपाए एक डिस्को में जा पहुंची. यही तो चाहिए था उसे. इसी को तो पाना था उसे, पर फिर ये आंसू क्यों निकल रहे हैं? क्यों नहीं  झूम रही? क्यों नहीं थिरक रही? क्यों यह शोर, ये गाने जिन के लिए वह बेताब थी, आज कर्णफोड़ू और असहनीय महसूस हो रहे हैं?

यही चाहिए था न, फिर पैर थिरकने की जगह जम क्यों गए हैं… उफ…

फिर ये अश्रु, यह मूर्ख बनाती बूंदाबांदी, जब देखो उसे गुमराह करने को टपक पड़ती है. यह वही बूंदाबांदी है जिस ने नयना के जीवन को पेचीदा बना दिया है. कहते हैं ये आंसू मन के अबोले शब्द होते हैं, पर क्षणक्षण बदलते मन के साथ ये भी अपनी प्रकृति बदलते रहते हैं और मानस की उल झनों को जलेबीदार बना बावला साबित कर देते हैं. तेज बजता संगीत, हंसतेचिल्लाते लोग, रंगीन रोशनी और रहस्यमय सा अंधकार का बारबार आनाजाना, बिलकुल उस की मनोस्थिति की तरह.

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काश यह शोर कम होता, काश थोड़ी नीरवता होती.

अजीबोगरीब विक्षिप्त सी सोच होती जा रही है उस क. मन उन्हीं छूटी गलियों की तरफ क्यों भाग रहा है, जिन्हें छोड़ने को अब तक तत्पर थी, आतुर थी.

नयना की शादी एक अभियंता जतिन से हुई थी, जो देश के एक टौप इंजीनियरिंग कालेज से पढ़ा हुआ होनहार कैंडिडेट था उस वक्त अपनी बिरादरी में. नयना ने भी इंजीनियरिंग की ही डिगरी हासिल की थी और किसी आईटी फर्म के लिए काम करती थी. शादी के वक्त सबकुछ बहुत रंगीन था, शादी खूब धूमधड़ाके से हुई थी नयना के शहर मुंबई से. शादी के बाद वह विदा हो कर जतिन के शहर रायपुर गई और फिर दोनों हनीमून मनाने चले गए.

जतिन चूंकि खनन अभियंता था तो लाजिम था कि उस की पोस्टिंग खदान के पास ही होगी. वह  झारखंड के कोयला खदान में कार्यरत था और पिपरवार नामक कोलयरी में उस की पोस्टिंग थी. कोयला खदान के पास ही सर्वसुविधा संपन्न कालोनी थी, जहां अफसरों और श्रमिकों के परिवार कंपनी के क्वार्टरों में रहते थे. जतिन को भी एक बंगला मिला हुआ था, जिस में एक छोटा सा बगीचा भी था और सर्वैंट क्वाटर्स भी. हनीमून से लौट कर जतिन बड़ी खुशी से नयना को ले कर पिपरवार अपने बंगले पर अपनी गृहस्थी शुरू करने गया. अब तक वह गैस्ट हाउस में ही रहता था सो अब पत्नी और घर दोनों की खुशी उसे प्रफुल्लित कर रही थी. जिंदगी के इस नवीकरण से उत्साहित जतिन अपने क्वार्टर को घर में तबदील करने में लग गया. नयना भी उसी उत्साह से इस नूतनता का आनंद लेने लगी.

नवविवाहित जोड़े को हर दिन कोई न कोई कालोनी में अपने घर खाने पर निमंत्रित करता था. शहर से दूर उस छोटी सी कालोनी में सभी बड़ी आत्मीयता से रहते थे. आपस के सौहार्द और जुड़ाव की जड़ें गहरी थीं, किसी सीनियर अफसर की पत्नी ने खुद को नयना की भाभी बता एक रिश्ता बना लिया तो किसी ने बहन, तो किसी ने बेटी. नयना को 1 हफ्ते तक अपनी रसोई शुरू करने की जरूरत ही नहीं पड़ी. कोई न कोई इस बात का ध्यान रख लेता था.

इस बीच एक बूढ़ी महिला बुधनी को उन्होंने काम पर रख लिया जो बंगले से लगे सर्वैंट क्वार्टरों में रहने लगी. नयना भी वर्क फ्रौम होम करने लगी.

पिपरवार से नजदीकी शहर रांची कोई 80 किलोमीटर दूर था. एक महीने में ही कई बार नयना जिद्द कर वहां के कई चक्कर काट चुकी थी. जबकि जरूरत की सभी दुकानें कालोनी के शौपिंग सैंटर में उपलब्ध थीं. मगर रांची तो रांची ही था, एक सुंदर पहाड़ी नगर मुंबई की चकाचौंध वहां नदारद थी. 2 महीने होतेहोते नयना को ऊब होने लगी, औफिसर क्लब में हफ्ते में एक बार होने वाली पार्टी में उस का मन न लगता. वहां का घरेलू सा माहौल उसे रास न आता. जतिन भी दिनोंदिन व्यस्त होता जा रहा था, खदान की ड्यूटी बहुत मेहनत वाली होती है और जोखिम किसी सैनिक से कम नहीं. थक कर चूर, कोयले की धूल से अटा जब वह लौटता तो नयना का मन वितृष्णा से भर जाता. जतिन उसे बताता खदान में चलने वाले बड़ेबड़े डोजरडंपरों के बारे में कि कैसे वे गहरी खदानों में चलते हैं, कैसे कोयला काटा जाता है. उन भारीभरकम मशीनों के साथ काम करने के जोखिम की भी चर्चा करता या बौस की शाबाशी या डांट इत्यादि का जिक्र करता तो नयना उबासी लेने लगती. उस के अनमनेपन को भांपते हुए जतिन अगली छुट्टी का प्रोग्राम बनाने लगता.

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मगर जो था सो था ही, पैसे आ तो रहे थे जो नयना को बेहद पसंद थे पर सचाई यह

थी कि वह महानगरीय जीवन की कमी महसूस करने लगी थी. उसे आश्चर्य होता कि यहां रहने वाली दूसरी स्त्रियां खुश कैसे रहती हैं. वहां के शांत वातावरण में उसे सुख नहीं रिक्तता महसूस होने लगी. न कोई मौल, न कोई मल्टीप्लैक्स, भला कोई इन सब के बिना रहे कैसे?

वह इतवार था जब उन दोनों ने शादी के 2 महीने पूरा होने की खुशी में केक काटा था और 5-6 कुलीग्स को खाने पर बुलाया था. रात में वह सोशल मीडिया पर अपनी सहेली की तसवीरें देख रही थी, जो उस ने दिल्ली के किसी मौल में घूमते हुए खींची थीं.

अचानक उसे अपना जीवन बरबाद लगने लगा और बहुत खराब मूड के साथ उस ने जतिन को जता भी दिया. जतिन ने हर तरीके से अपने प्यार को जताने की खूब कोशिश की पर नयना पर मानो भूत सवार था.

आगे पढ़ें- कुछ ही दिनों के बाद जब उस ने जतिन को सूचना दी कि…

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Serial Story: इमोशनल अत्याचार – भाग 2

नयना को उस की मां ने पहले ही चेताया था कि जतिन की पोस्टिंग अंदरूनी जगहों पर ही रहेगी. पर उस वक्त तो नयना को जतिन की मोटी सैलरी ही आकर्षित कर रही थी. अब उसे सबकुछ फीका और अनाकर्षक लगने लगा था. वहां के लोग, वह जगह और खुद जतिन भी. प्यार का खुमार उतर चुका था. उस इतवार देर रात उस ने ऐलान कर ही दिया कि वह हमेशा यहां नहीं रह सकती है.

कुछ ही दिनों के बाद जब उस ने जतिन को सूचना दी कि उस की कंपनी अब वर्क फ्रौम होम के लिए मना कर रही है और उसे अब मुंबई जा कर औफिस जाते हुए काम करना होगा, तो जतिन को जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ उस की खुशी जतिन से छिप नहीं रही थी. उस का प्रफुल्लित चेहरा उसे उदास कर रहा था. नयना बारबार कह रही थी कि वह आती रहेगी बीचबीच में. जतिन उसे रांची एअरपोर्ट तक छोड़ने गया. मुंबई में रहने के लिए फ्लैट और बाकी इंतजामों के लिए भी उस ने पैसे भेजे. अब नयना की नौकरी में इतना दम नहीं था कि वह ज्यादा शान और शौकत से रह सके.

अब सोशल मीडिया नयना की मुंबई  के खासखास जगहों पर क्लिक की तसवीरों से पटने लगा. वह जितना खुश दिख रही थी, राघव उतना ही उदास और दुश्चिंता से घिरा जा रहा था. उसे अपनी शादी का अंधकार भविष्य स्पष्ट नजर आने लगा था. बूढ़ी नौकरानी जो पका देती जतिन जैसेतैसे उसे जीवन गुजार रहा था. कालोनी की सभी महिलाएं नयना को कोसतीं कि एक अच्छेभले लड़के का जीवन बिगाड़ दिया उस ने. इंसान कार्यक्षेत्र में भी बढि़या तभी परफौर्म कर सकता है जब वह मानसिक रूप से भी स्थिर हो. जतिन हमेशा दुखीदुखी और उदास सा रहता था, कोयला खदान में उसे अति सतर्कता की जरूरत थी जबकि वह उस के उलट भाव से जी रहा था.

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उस दिन खदान में माइंस इंस्पैक्शन के लिए कोई टीम आई हुई थी. नयना को लौटे 5 महीने हो चुके थे. इस बीच जतिन 2 बार मुंबई जा चुका था, पर पता नहीं क्यों वह नयना के व्यवहार में खुद के लिए कोई प्रेम महसूस नहीं कर पाया था. अपनी उधेड़बुन में वह हैरानपरेशान सा टीम के सवालों के जवाब दे रहा था. सही होते हुए भी वह कुछ गलत जानकारी देने लगा था. उस के साथ ही कंपनी जौइन करने वाली पर्सनल मैनेजर प्रेरणा उस की बातों को संभालते हुए उस की बातों को बारबार सुधारने का प्रयास कर रही थी. प्रेरणा जतिन की मनोस्थिति भांप रही थी, परंतु आज जतिन कुछ ज्यादा ही परेशान दिख रहा था.

तभी खदान के ऊंचेऊंचे रास्ते पर जतिन का पैर फिसल गया और वह खुदी हुई ढीली कोयले की ढेरी से कई फुट नीचे लुढ़क गया. बौस ने प्रेरणा को इशारा किया कि वह जतिन को संभाले, डाक्टर और ऐंबुलैंस की व्यवस्था करे और वे खुद आधिकारिक टीम को यह बोलते आगे बढ़ गए कि जतिन हमारे सब से काबिल अफसरों में से एक है.

कोयला खदानों में छोटी से छोटी घटनादुर्घटना को भी बेहद संजीदगी से लिया जाता है ताकि बड़ी दुर्घटना न घटे. जतिन की दाहिने पैर की हड्डी टूट गई थी और दोनों हाथों में भी अच्छीखासी चोट लगी थी. चेहरे पर भी काफी खरोंचें लगी थीं. कुल मिला कर वह अब बिस्तर पर आ चुका था.

डिसपैंसरी से छुट्टी होने तक प्रेरणा उस के साथ ही रही. कुछ और मित्रगण भी जुट गए थे. घर पहुंचा तब तक कालोनी की महिलाओं तक उस की दुर्घटना की खबर पहुंच गई थी. यही तो खूबसूरती थी उस छोटी सी जगह की कि सब एकदूसरे दुखसुख में सहयोग करते. नयना को यही बात नागवार गुजरती. वह इसे निजता का हनन सम झती. खैर, प्रेरणा को बातोंबातों में पता लग गया था कि जतिन का उस दिन जन्मदिन था और उस की नवविवाहिता ने उसे 2 दिनों से फोन भी नहीं किया था. हालांकि उस के क्रेडिट कार्ड से अच्छीखासी रकम खर्च होने का मैसेज आ चुका था. बूढ़ी महरी तो घबरा ही गई कि वह किस तरह साहब को संभाले. खैर, अगलबगल वाली पड़ोसिनों ने उस दिन के भोजन का इंतजाम कर दिया. रात में प्रेरणा ने एक केक और कुछ मित्रों को साथ ला कर जतिन की उदासी दूर करने की असफल कोशिश की.

इस बीच जतिन ने तो नहीं पर किसी पड़ोसिन ने केक और

उस गैटटुगैदर की तसवीरें नयना को भेज दीं. आश्चर्यजनक रूप से नयना ने तुरंत उन्हें मैसेज कर पूछा कि वह लड़की कौन है जो जतिन की बगल में बैठी केक कटवाने में मदद कर रही है. पड़ोसिन को यह बात बेहद नागवार गुजरी कि उस का ध्यान जतिन के प्लास्टर लगे पैर या चोटिल पट्टियों से बंधे हिस्सों की तरफ न जा कर इस बात पर गया.

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अनुभवी नजरों ने भांप लिया था कि जतिन की पत्नी नौकरी का बहाना कर मुंबई रहने लगी है और उस के वियोग में जतिन बावला हुए जा रहा है. प्रेरणा जतिन के प्रति एक अतिरिक्त हमदर्दी का भाव रखने लगी थी. जहां कालोनी में सब शादीशुदा थे वहीं प्रेरणा कुंआरी और जतिन जबरदस्ती कुंआरों वाली जिंदगी गुजार रहा था. उस दिन देर रात तक उसे दवा इत्यादि दे कर ही वह अपने घर गई थी, अगले दिन सुबहसुबह नाश्ता और चाय की थर्मस ले हाजिर हो चुकी थी, चूंकि जतिन खुद से दवा लेने में भी असमर्थ था.

प्रेरणा महरी का सहारा ले कर उसे बैठा ही रही थी कि नयना का फोन आ गया, ‘‘कल तो खूब पार्टी मनी है, कौन है वह जो तुम्हारा हाथ पकड़ केक कटवा रही थी? मेरी पीठ पीछे तुम इस तरह गुलछर्रे उड़ाओगे मैं सोच भी नहीं सकती. दिखने में तो बहुत भोले मालूम होते हो…’’

नयना के व्यंग्यात्मक तीर चल रहे थे और जतिन का दिल छलनी हुए जा रहा था. सारी बातें फोन की परिधि को लांघती हुई पूरे कमरे में तरंगित हो रही थीं. प्रेरणा के सामने उस की गृहस्थी की पोल खुल चुकी थी जिसे उस ने बमुश्किल एक  झूठा मुलम्मा चढ़ा कर छिपाया हुआ था.

जतिन हूंहां के सिवा कुछ नहीं बोल पा रहा था और नयना सीनाजोरी की सारी हदें पार करती जा रही थी. कौन कहता है कि नारी बेचारी होती है? कम से कम नयना के उस रूखे व्यवहार से तो ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था. न संवेदनशीलता और न ही स्नेहदुलार.

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वैलेंटाइन डे पर क्या कहते है Nagin एक्टर, पढ़ें इंटरव्यू

प्यार है तो रोमांस है और प्यार को जिन्दा रखने के लिए रोमांस की जरुरत है, कुछ ऐसी ही सोच रखते है अभिनेता विजयेन्द्र कुमेरिया और उनकी पत्नी प्रीति कुमेरिया, जो कुमेरिया प्रोडक्शन हाउस को चलाती है. दोनों की जोड़ी हमेशा साथ मिलकर इस प्रोडक्शन हाउस का काम देखते है और कई शार्ट फिल्में, वेब सीरीज और टीवी शो अब तक बना चुके है. वैलेंटाइन डे को वे अब अधिक मनाते नहीं, क्योंकि समय की कमी होती है, लेकिन डेटिंग करते वक़्त उन्होंने हमेशा इसे मनाया और खुद को प्रीति के करीब महसूस किया. दोनों ने वैलेंटाइन डे के लिए खास गृहशोभा के लिए अपने प्यार भरे जिंदगी के बारें में बात की, पेश है कुछ अंश.

सवाल-विजयेन्द्र, आप अपनी पत्नी से कैसे मिले थे, वो घटना क्या थी?

मैं केबिन क्रू की नौकरी एक फ्लाइट में हेड के रूप में कर रहा था और वही मेरी मुलाकात प्रीति से हुई थी, क्योंकि वह भी उसमे काम करती थी. वहां मैंने उसे पसंद किया और बातचीत हुई, फिर किसी फ्लाइट में मिलना हुआ. एक दूसरे से जान पहचान बनी और हम दोनों ने अपने मोबाइल नंबर शेयर किये. धीरे-धीरे दोस्ती हुई, प्यार हुआ और 4 साल बाद शादी की.

सवाल-शादी से पहले आप दोनों ने वैलेंटाइन डे को कैसे मनाया था?

शुरू में तो हम दोनों ने फूल, गिफ्ट, डिनर आदि का लेन-देन रहा, जो बहुत अच्छा लगता था. बीच में मैं 2 साल के लिए दूसरे एयरलाइन्स में शिफ्ट हो गया था. वहां से वेलेंटाइन डे या प्रीति की बर्थडे पर आया करता था. धीरे-धीरे समझ में आया कि केवल एक दिन वेलेंटाइन डे को मना लेना काफी नहीं, प्यार का इजहार हर रोज करना चाहिए. अब मैं केवल एक दिन इसे मनाने की पक्ष में नहीं हूं.

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सवाल-कोई क्रेजियेस्ट वेलेंटाइन डे है, जो आपको याद आती हो?

एक बार मैं वेलेंटाइन डे पर आना चाहता था और दोहा से मैंने फ्लाइट लेकर दुबई आया. वहां मैं फंस गया, क्योंकि वहां से कोई फ्लाइट नहीं थी, जो मुझे पता नहीं था. उस दौरान मैं सही समय पर पहुँच नहीं पाया था, पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी थी, पूरा दिन वेलेंटाइन डे को मनाने के चक्कर में जल्दी घर नहीं पहुँच पाया और अगले दिन सुबह फिर निकल जाना पड़ा.

सवाल-पहली बार प्यार का इजहार आप दोनों में से किसने किया?

प्रीति- मैंने ही किया था, क्योंकि विजयेन्द्र निर्णय लेने में काफी समय ले रहे थे. मैंने उनसे कहा कि अगर आप इस रिश्ते में कॉंफिडेंट नहीं हो, तो समय बर्बाद न करना ही अच्छा होगा.

विजयेन्द्र- प्रीति की इस बात का मुझपर गहरा असर पड़ा और मैं समझ गया कि मुझे अब निर्णय ले लेना चाहिए, क्योंकि मैं उसे ऐसे जाने नहीं देना चाहता, क्योंकि वह मेरे जीवन का एक हिस्सा बन चुकी है.

सवाल-विजयेन्द्र, पहली बार परिवार से शादी की बात कहने पर उनका रिएक्शन कैसा था?

हम दोनों का परिवार काफी सपोर्टिव और प्रोग्रेसिव है. किसी को भी किसी प्रकार की समस्या नहीं थी. उन्होंने कैरियर और लाइफ का चॉइस करने का हमें मौका दिया है. किसी भी बात पर उन्होंने जबरदस्ती नहीं की.

सवाल-आप दोनों एक दूसरे की किन खूबियों से आकर्षित हुए?

विजयेन्द्र – बहुत सारी खूबियाँ प्रीति में है. पहला इम्प्रेशन उनकी खूबसूरती थी. उनके दिल में जो बात होती है वह कह देती है, किसी बात को दिल में नहीं रखती. झूठा व्यवहार उन्हें पसंद नहीं होता, उनकी ये सब खूबियाँ मुझे बहुत पसंद है.

प्रीति – मैंने विजयेन्द्र की साधारण जीवन शैली से आकर्षित हुई. एक सफल कलाकार होते हुए भी उनमें दिखावा या बनावटीपन नहीं है. वे बिना ईगो के बात करते है, सच बोलते है, महिलाओं का सम्मान करते है आदि सब मुझे अच्छा लगा था.

सवाल-आप दोनों हनीमून पर कहाँ गए थे?

हम दोनों थाईलैंड में कोहसामुई गए थे. एक सुंदर द्वीप है, जहाँ बहुत कम लोग जाते है, जिसकी प्राकृतिक सुन्दरता काबिलेतारीफ है.

सवाल-डेटिंग की कुछ यादगार पल जिसे आप दोनों याद करते हो?

पहली यादगार पल जब प्रीति ने मुंबई में मेरा सरप्राइज बर्थडे पार्टी रखी थी. सबकुछ बहुत ही अच्छी तरीके से अर्रेंज किया गया था. सारे दोस्त वहां पर आये थे और मुझे बहुत अच्छा लगा था.

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सवाल-वेलेंटाइन डे हमारे देश में विदेश से आया हुआ है और इसे सभी उमंग के साथ मनाते है, लेकिन पहले की तुलना में अभी डिवोर्स की रफ़्तार बहुत अधिक है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

पिछले कुछ सालों से मैं इस दिन को एक दिन मनाने के पक्ष में ही नहीं हूं. हर दिन प्यार को समर्पित होना चाहिए. मेरे हिसाब से आज के यूथ खुद के पार्टनर से अधिक सोशल मीडिया के लिए इसे करते है. उस पर वे अधिक कंसन्ट्रेट कर रहे है, जबकि उन्हें अपनी रिश्तों पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है. सोशल मीडिया पर दिखावा अधिक हो रहा है. इस प्रकार वे साथ रहते हुए भी एक दूसरे से काफी दूर है. ये एक समस्या है. आजकल वे कोम्युनिकेट कम कर रहे है.

सवाल-रिलेशनशिप आज एक चर्चित शब्द बन गया है, जिसे अधिकतर यूथ फोलो कर रहे है, आपकी राय इस बारें में क्या है?

जब दो लोग रिलेशनशिप में है, उन्हें ही इसका निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि आजकल बड़े शहरों में कोई रोक-टोक नहीं है. अगर दोनों इस रिश्ते से खुश है, तो ठीक है, इसे टैबू न बनाये.

सवाल-आप दोनों में कहासुनी होने पर कौन पहले मनाता है?

विजयेन्द्र- जिसकी गलती होती है, वही मनाता है, लेकिन एक समय के बाद गलती किसीकी है, ये समझ में आ जाता है और वह माफ़ी मांग लेता है.

प्रीति – अगर मेरी गलती होती है तो मैं सॉरी कह देती हूं, इसे अधिक समय तक मन में नहीं रखती. अभी हम दोनों इतने समझदार हो चुके है कि बिना कारण के कहासुनी नहीं होती, लेकिन इन सबमें ईगो को दूर रखना जरुरी होता है.

सवाल-आप दोनों को एक दूसरे की कौन सी बात पसंद नहीं ?

विजयेन्द्र – मुझे प्रीति की जल्दी से किसी निर्णय को ले लेना पसंद नहीं, जिससे कई बार समस्या आती है, पर मैं सम्हाल लेता हूं.

प्रीति – विजयेन्द्र किसी भी बात को निर्णय लेने में बहुत सोचते है, जो मुझे पसंद नहीं.

सवाल-समय मिलने पर दोनों क्या-क्या करते है?

समय मिलने पर कही घूमने चले जाते है या मूवी देखते है.

सवाल-विजयेन्द्र, प्रीति की कौन सी डिश आपको बहुत पसंद है?

वह नॉन- वेज बहुत अच्छा बनाती है.

सवाल-वेलेंटाइन डे पर आपका मेसेज क्या है?

मैं सभी यूथ से कहना चाहता हूं कि हर दिन आप जिससे प्यार करते है, करते रहिये और इमानदार रहिये. दिखावे के लिए नहीं, दोनों की ख़ुशी को ध्यान में रखकर कुछ भी करें.

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अनुपमा की नई मुश्किल, क्या बेटी की खातिर अपने सिर लेगी ये इल्जाम

सीरियल अनुपमा में काव्या पूरी कोशिश कर रही है कि वनराज को उसके परिवार से अलग कर सके. वहीं इसी के चलते काव्या ने समर को जेल भेज दिया था. हालांकि बेटे के लिए अनुपमा ने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा कदम उठाते हुए नजर आती है. लेकिन अब अनुपमा की जिंदगी में नई मुसीबत का सामना करने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

पाखी के स्कूल में लगती है आग

अब तक आपने देखा कि अनुपमा , पाखी के स्कूल में काम करती है, जहां वह एक फंक्शन में बच्चों के साथ खेलती नजर आती है. हालांकि इसी दौरान आग लग जाती है और अनुपमा बच्चों को बचाने की कोशिश करती हुई दिखती है. लेकिन बच्चों को बचाने के चक्कर में अनुपमा खुद आग में फंस जाती है. वहीं समर और पाखी मां को खोता देख परेशान हो जाते हैं और वनराज को इस बारे में बता देते है.

 

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वनराज बचाता है जान

 

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पाखी, अनुपमा के आग में फंसने की खबर जैसे ही वनराज को बताती है. वह घबरा जाता है और स्कूल की तरफ भागता है. जहां वह अनुपमा को बचाने की कोशिश करता नजर आता है. हालांकि इसमें समर भी उसकी मदद करता है.

अनुपमा के सामने आएगी नई मुसीबत

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि आग से बचने के बाद जब अनुपमा घर पर होती है तो स्कूल की प्रिंसिपल आकर अनुपमा से कहती है कि अगर वह अपनी नौकरी को बचाना औऱ बेटी पाखी को स्कूल में रखना चाहती है तो उसे ये इल्जाम खुद पर लेना पड़ेगा, जिसे सुनने के बाद पूरा शाह परिवार हैरान हो जाता है. अब देखना ये है कि अनुपमा कौन सा कदम उठाती है.

बता दें, जल्द ही शो में एक नई एंट्री होने वाली है, जो अनुपमा की जिंदगी में एक नई उम्मीद बनकर आएगी. लेकिन इसके साथ ही अनुपमा की जिंदगी में कई और नई मुसीबत आएंगी.

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Bigg Boss 14: रातों रात घर से बेघर हुए Abhinav Shukla तो फैंस को आया गुस्सा, सुनाई खरी खोटी

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 14 (Bigg Boss 14) में इस हफ्ते कंटेस्टेंट्स को सपोर्ट करने उनके करीबी सेलेब्स आए हुए हैं, जिसके बाद शो में इमोशनल सीन्स देखने को मिल रहे हैं. हालांकि इन खुशियों के बीच फैंस को अचानक होने वाले इविक्शन से झटका लगने वाला है.

दरअसल, खबरे हैं कि शो में घरवालों के सपोर्ट में आए सेलेब्स को एक पॉवर दी गई है, जिसके चलते उन्हें किसी एक सदस्य को घर में से निकालना होगा, जिसके चलते इस हफ्ते अभिनव शुक्ला (Abhinav Shukla) एलिमनेट होते दिखेंगे. हालांकि यह अचानक हुए इविक्शन से फैंस की नींदे उड़ गई हैं. और वह अभिनव के सपोर्ट में उतर आए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

फैंस को आया गुस्सा

अभिनव शुक्ला बिग बॉस 14 के दमदार प्रतियोगी के तौर पर नजर आ रहे थे और हर कई उनकी जीत की कामना कर रहा था, ऐसे में अभिनव का शो से बाहर हो जाना किसी को गले नहीं उतर रहा है. दरअसल अचानक अभिनव के इविक्ट होने से फैंस गुस्से में हैं और मेकर्स को खरी खोटी सुना रहे हैं.

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मेकर्स को सुनाई खरी खोटी

अभिनव शुक्ला के इविक्शन पर फैंस का कहना है कि वो उन्हें फिनाले में देखना चाहते हैं और मेकर्स को अपना फैसला बदलना चाहिए. एक फैन ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘इस खबर ने दिल तोड़ दिया है. अभिनव शुक्ला को फिनाले में होना चाहिए. अभिनव शुक्ला तुम्हें भविष्य की शुभकामनाएं. तुम शो के सबसे बेहतरीन प्रतियोगी थे. मेरी तरफ से तुम्हें खूब सारा प्यार….’ तो वहीं फैंस का कहना है कि शो स्क्रिप्टेड है. साथ ही कह रहे हैं कि वोट से कंटेस्टेंट्स को नही निकाल पाए तो इस तरह का निकाल रहे हो आप.

बता दें, अभिनव शुक्ला के अचानक इविक्शन के बाद रुबीना पूरी तरह टूटती हुईं नजर आएंगी. हालांकि इस समय उनकी बहन ज्योतिका उनका साथ देंगी.

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42 वर्षीय प्रेमी मुझसे शादी नही करना चाहता, मैं क्या करुं?

मैं 20 वर्षीया और अनाथ हूं. 3 सालों से अपने 42 वर्षीय प्रेमी के घर में रह रही हूं. चूंकि मेरे कई लोगों से प्रेम संबंध हैं, इसलिए वह मुझ से विवाह नहीं करना चाहता. मैं स्वयं को काफी असुरक्षित महसूस कर रही हूं. कृपया मार्गदर्शन करें?

यदि आप का प्रेमी गंभीर है और आप से शादी न करने के पीछे आप का अन्य लोगों से संबंध ही वजह है तो आप को उन लोगों से किनारा कर लेना चाहिए. यदि वह बिना विवाह किए आप को यों ही इस्तेमाल करना चाहता है तो अच्छा होगा कि आप अपने लिए कोई ऐसा व्यक्ति तलाश लें जो आप से शादी करने को राजी हो. उस स्थिति में भी आप को भटकाव का यह रास्ता जो किसी भी नजरिए से आप के हित में नहीं है, छोड़ना होगा.

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अगर आप अपने प्रेमी के साथ शादी करने की सोच रही हैं तो बेहतर है कि आप उसके परिवार के लोगों से भी मिलना शुरू कर दें. किसी भी संबंध में रहना एक अलग बात है और शादी के बंधन में बंधना एक अलग बात है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि शादी के बाद आपको उसी परिवार के साथ रहना है.

अगर आपको शादी के बाद पता चले कि आपने जिससे शादी की है वो व्यक्ति तो अच्छा है लेकिन उसका परिवार वैसा नहीं है, जैसा आप चाहती हैं तो आप क्या करेंगी. इसलिए चलिए आज जानते हैं कि आपको कौन-सी खास चीजें अपने साथी के परिवार के बारे में पता होनी चाहिए.

1. क्या परिवार का स्वभाव डोमिनेटिंग है

कोई भी इंसान आप पर अपने फैसले थोपने लगे या आप पर हावी होने लगे तो शायद उनका यह स्वभाव आपको बिल्कुल पसंद नहीं आएगा. इसलिए आप पहले ही जान लें कि कहीं उसके परिवार के सदस्यों का स्वभाव डोमिनेट करने वाला तो नहीं हैं. ऐसा कोई भी हो सकता है जैसे उसके पिता, मां, भाई या बहन. अगर ऐसा है तो अभी भी समय है कि आप एक बार फिर सोच लें, क्योंकि इस तरह के माहौल में आप खुद को एडजस्ट नहीं कर पाएंगी और फिर इससे आपके रिश्ते भी परेशानी में आ जाएंगे.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- बौयफ्रेंड से शादी करने से पहले जान लें ये बातें

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सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem
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