घरेलू काम: न मान, न दाम

क्या घरेलू कामकाज थैंकलैस जौब है? जी हां, यह सच है. अगर ऐसा नहीं होता तो हिंदुस्तान में कामगार के तौर पर महिलाओं की इज्जत पुरुषों से ज्यादा होती, क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा काम करती हैं. उन का काम हर समय जारी रहता है, केवल सोने के समय को छोड़ कर. यह बात एनएसएसओ यानी नैशनल सैंपल सर्वे और्गेनाइजेशन के सालाना राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण से सामने आई है. 68वें चक्र के इस सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं चाहे शहरों में रहती हों या गांवों में, वे पुरुषों से कहीं ज्यादा काम करती हैं.

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 68वें चक्र के आंकड़े एक और गलतफहमी दूर करते हैं कि शहरी महिलाएं शिक्षित होने के नाते अधिक कामकाजी होती हैं. आंकड़ों से मालूम होता है कि ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्र की महिलाएं गैरमेहनताने वाले घरेलू कार्य में अधिक व्यस्त रहती हैं. एनएसएसओ के 68वें चक्र के अनुसार, 64% महिलाएं जो 15 वर्ष या उस से अधिक आयु की हैं घरेलू कामकाज में व्यस्त रहती हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का यह प्रतिशत 60 है.

अगर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की बहस को छोड़ दें तो इन आंकड़ों से मालूम होता है कि ज्यादातर महिलाएं घरेलू कामकाज में व्यस्त रहती हैं, जिस का उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता है. इन आंकड़ों से भी इस मांग को बल मिलता है कि घरेलू कामकाज को श्रम माना जाए और महिलाओं को उस का मेहनताना दिया जाए. गौरतलब है कि ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में लगभग 92% महिलाएं अपना ज्यादातर समय घरेलू काम में व्यतीत करती हैं.

बहरहाल, प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में 1 लाख घरों को इस सर्वे में शामिल किया गया, जिस में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि शहरी क्षेत्र की अधिकतर महिलाएं कहती हैं कि वे घरेलू काम अपनी व्यक्तिगत इच्छा के कारण करती हैं. जबकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का कहना है कि वे घरेलू काम इसलिए करती हैं, क्योंकि उसे करने के लिए कोई और सदस्य उपलब्ध नहीं है.

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जुलाई, 2011 से जून, 2012 तक के इस 68वें चक्र से यह भी जाहिर होता है कि चूंकि शहरों में छोटे परिवार ज्यादा हो गए हैं, इसलिए घरेलू जिम्मेदारियों को बांटने के लिए सदस्यों की कमी रहती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी स्थिति नहीं है.

दिलचस्प बात यह है कि लगभग 34% ग्रामीण महिलाओं ने इस बात की इच्छा व्यक्त की कि अगर उन्हें घर पर ही कोई अन्य काम दिया जाए तो वे उसे खुशीखुशी स्वीकार लेंगी, जबकि 28% शहरी महिलाओं ने ही घर पर रह कर कोई अन्य काम करने की इच्छा व्यक्त की. दोनों क्षेत्रों में मात्र 8% महिलाएं ही ऐसी हैं, जिन्हें अपना ज्यादातर समय घरेलू काम करते हुए गुजारना नहीं पड़ता.

अब सवाल यह है कि घरेलू काम के अतिरिक्त घर पर रहते हुए महिलाएं किस किस्म के काम को करने को अधिक प्राथमिकता देती हैं? सर्वे से मालूम पड़ता है कि सिलाई का काम महिलाओं को अधिक पसंद है. दोनों क्षेत्रों में 95% महिलाएं नियमित आधार पर कार्य करने को प्राथमिकता देती हैं. महिलाओं की दिलचस्पी स्वरोजगार में भी है, बशर्ते उन्हें व्यापार करने के लिए रिआयती व आसान दर पर ऋण दिया जाए.

दिलचस्प बात यह है कि इस सिलसिले में भी ग्रामीण महिलाओं का प्रतिशत (41), शहरी महिलाओं के प्रतिशत (29) से कहीं ज्यादा है. इस के अलावा 21% ग्रामीण महिलाओं और 27% शहरी महिलाओं ने कहा कि अपनी इच्छा का कार्य करने के लिए वे पहले ट्रेनिंग लेना पसंद करेंगी.

2011-12 के सर्वे से यह तथ्य भी सामने आया है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान शहरी क्षेत्र में घरेलू कार्य में जुटी महिलाओं का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में लगभग एक सा ही रहा है. घरेलू कार्य में जुटी महिलाओं का प्रतिशत 2004-05 में जहां 45.6 था, वहीं 2009-10 में बढ़ कर 48.2% हो गया, लेकिन 2009-10 और 2011-12 के बीच वह लगभग समान ही रहा है.

दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू कामों में जुटी महिलाओं का प्रतिशत निरंतर बढ़ता जा रहा है. मसलन, 61वें चक्र में यह प्रतिशत 35.3% था जो 66वें चक्र में बढ़ कर 40.1% हो गया और वर्तमान चक्र में यह 42.2% है. अगर क्षेत्र की दृष्टि से देखें तो उत्तरी राज्यों खासकर पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में महिलाएं घरेलू काम में अधिक जुटी हुई हैं. दक्षिण व उत्तरपूर्व राज्यों में यह स्थिति कम है.

जरूरी है अर्थिक स्वतंत्रता

बहरहाल, जहां घरेलू काम को ‘उत्पादक श्रम’ की श्रेणी में शामिल करने की मांग बढ़ती जा रही है, वहीं एनएसएसओ से यह भी आग्रह किया जा रहा है कि वह ‘समय प्रयोग सर्वे’ को लागू करे. इस का एक फायदा यह होगा कि शोधकर्ताओं को मालूम हो जाएगा कि घर पर रहने वाली महिला कितना समय आर्थिक दृष्टि से उत्पादक गतिविधि में व्यतीत करती है.

इस में कोई संदेह नहीं है कि समाज में महिलाओं की स्थिति उसी सूरत में मजबूत हो सकती है जब वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हों. जाहिर है, इस के लिए जरूरी है कि महिलाओं द्वारा किए जा रहे घरेलू कार्य को श्रम माना जाए और उन्हें इस का आर्थिक मेहनताना मिले. इस के अलावा यह भी जरूरी है कि महिलाओं की संपूर्ण स्थिति को सामने लाने के लिए एनएसएसओ उन से आधुनिक संदर्भों पर भी सवाल करे जैसे- क्या वे घर से बाहर कोई वेतन कार्य करना पसंद करेंगी या घरेलू काम के बोझ को वे किसी दूसरे के साथ बांटना चाहेंगी आदि.

किसी भी विकसित देश की तमाम अलगअलग परिभाषाओं में एक महत्त्वपूर्ण परिभाषा या फिर कहें उस के विकसित होने को साबित करने वाली स्थिति यह होती है कि उस देश की तमाम महिलाएं उस देश के पुरुषों की ही तरह कामकाजी होती हैं. कामकाजी होने से यहां आशय पुरुषों के बराबर महत्त्व वाले घर से बाहर के कामकाजों में हिस्सेदारी करना और उन्हीं के बराबर वेतन पाना है. जिन देशों में ऐसी स्थितियां नहीं हैं वे कम से कम विकसित देशों की सूची में नहीं आते. इसलिए भी हिंदुस्तान को अभी लंबा सफर तय करना है, क्योंकि हमारे यहां श्रम के मामले में महिलाएं यों तो पुरुषों से कहीं ज्यादा श्रम करती हैं, लेकिन उन के श्रम को उतना पारितोष नहीं मिलता जितना पुरुषों को मिलता है.

अगर 2020 तक भारत को एक बड़ी आर्थिक ताकत बनना है तो हमें अपने देश की महिलाओं के श्रम की महत्ता को समझना होगा. लेकिन समझने से आशय महज मुंहजबानी शाबाशी देना या यह कहना कि सब कुछ तुम्हारा ही तो है, से नहीं है, बल्कि इस से आशय महिलाओं के श्रम को आर्थिक दृष्टि से बराबर का सम्मान देना है और उन्हें तमाम आर्थिक गतिविधियों का अनिवार्य व बराबर की ताकत वाला महत्त्व देना है.

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सवाल जो सर्वे में नहीं पूछे गए

यह सच है कि नैशनल सैंपल सर्वे के आंकड़ों से बहुत कुछ पता चलता है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अगर इस सर्वेक्षण को सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बनाना है, तो इस में हर उस सवाल को शामिल करना जरूरी होगा जो महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को विस्तार से बयां कर सके, क्योंकि महत्त्वपूर्ण होते हुए भी इस सर्वे की कई खामियां हैं और वे आमतौर पर न पूछे गए जरूरी सवालों को ले कर ही हैं.

मसलन, सर्वे में महिलाओं से इस संबंध में सवाल नहीं किया गया कि क्या वे घर से बाहर के कामकाज में शामिल होना चाहेंगी? यह प्रश्न इसलिए भी आवश्यक था, क्योंकि घर पर रह कर घरेलू काम करने वाली महिलाओं में से बहुत कम ही ऐसी होंगी जो घर के बाहर जा कर काम करते हुए वेतन लेने की इच्छुक न हों. महिलाएं इस बात से भी काफी आहत रहती हैं कि पुरुषों के मुकाबले काफी ज्यादा काम करने के बावजूद उन के काम से ठोस रूप में घर वेतन नहीं आता, इसलिए उन के काम को महत्त्व नहीं दिया जाता.

यही नहीं, न सिर्फ महिलाओं के श्रम को नकद वेतन मिलने वाले श्रम के मुकाबले कम महत्त्व दिया जाता है, बल्कि उस श्रम की सामाजिक प्रतिष्ठा भी बहुत कम है. महिलाएं इस पीड़ा से अकसर दोचार होती रहती हैं. मगर इस सर्वेक्षण में उन की इस पीड़ा को व्यक्त करने वाला कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है. इस लिहाज से भी यह सर्वेक्षण की एक बड़ी खामी है.

अधूरी तसवीर

इस सर्वेक्षण में एक और जरूरी पहलू पर महत्त्वपूर्ण राय नहीं पता चल पाई कि अगर इस सर्वेक्षण में घर पर रहने वाली महिलाओं से यह सवाल किया जाता कि उन्हें सवेतन संबंधी काम करने के लिए आखिर किस चीज की ज्यादा जरूरत है- अच्छी क्वालिफिकेशन की, शुरू से घर से बाहर काम करने की मानसिकता के तहत की जाने वाली परवरिश की, अपना काम शुरू करने के लिए नकद पैसों की, परिवार के सदस्यों के प्रोत्साहन की या महिलाओं को घर के बाहर के कामकाज को बढ़ावा देने वाली संस्कृति की? यह जानना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि सामूहिक रूप से किसी विस्तृत राय के अभाव में हम लोग महज अनुमान लगाते हैं कि महिलाएं किस बात या चीज की कमी के चलते खुद को कोल्हू के बैल माफिक मानती हैं.

इस सवाल के अभाव में हम तार्किक रूप से यह भी नहीं जान सकते कि महिलाएं क्या सोचती हैं कि जब वे घर का काम नहीं करेंगी तो फिर उन की नजर में यह काम किसे करना चाहिए? जैसे आज की स्थिति में तमाम घर के काम उन के जिम्मे हैं क्या कल वे भी इसी तरह घर के तमाम कामों को पुरुषों के सिर पर डालना चाहती हैं? या फिर पुरुषों ने भले उन के साथ बराबरी का व्यवहार न किया हो और बाहर का काम करने के बाद भी उन से घर के पूरे काम की अपेक्षा करते हों, वे प्रोफैशनल कामकाजी होने के बाद घर के काम के लिए बराबरी के बंटवारे पर भरोसा करती हैं?

यह भी जानना जरूरी था कि महिलाएं नौकरी करना ज्यादा पसंद करती हैं या अपना काम? अगर अपना काम करना पसंद करती हैं, तो इस क्षेत्र में उन्हें सब से बड़ी बाधा फिलहाल क्या लगती है? इन जरूरी सवालों के अभाव में यह सर्वेक्षण महिलाओं के कामकाज की स्थिति और उन के आर्थिक आकलन की एक तसवीर तो पेश करता है, मगर यह तसवीर कुल मिला कर अधूरी ही है.

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नये वर्ष के संकल्‍प, क्‍या करें और क्‍या न करें, जाने यहां

नये साल का स्वागत हमेशा खुशियों के साथ होता है. कई योजनायें लागू करने की बात होती है. कुछ रेसोल्यूशन भी किये जाते है, लेकिन कई बार ये न हो पाने की स्थिति में मायूसी मिलती है. साल 2020 बहुत सारे समस्याओं के साथ गुजरने वाला है. कोविड 19 पेंडेमिक ने कुछ परिवारों के कई प्रिय व्यक्ति को खोया है, किसी की नौकरी गयी, तो किसी को काम के पैसे तक नहीं मिल रहे है. लोग भुखमरी और दूसरी बीमारी के शिकार हो रहे है. देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है, ऐसे में नया साल पूरे विश्व के लिए चुनौती और संघर्ष के साथ आने वाला है. नए वर्ष की पूर्व संध्‍या की योजनाएं भी इस साल रात्रि लॉकडाउन के चलते पिछले कई वर्षों की तुलना में अलग होंगी. 

इस बारें में कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पिटल के कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट डॉ. शौनक अजिंक्य कहते है कि नये वर्ष को कहीं पार्टी में जाने या करने के बजाय आराम से अपने परिवार के साथ बैठकर इसे घर पर मनाये या फिर किसी मूवी का आनंद ले, पर इस वर्ष 31 दिसंबर से पहले नये साल के लिए संकल्‍प लेने से न भूलें, क्योंकि नया साल बहुत सारी चुनौती के साथ आपके जीवन में प्रवेश करने वाला है. 

प्राचीन इतिहास के अनुसार नये वर्ष पर संकल्‍प लेने की अवधारणा, रोमन काल से जुड़ी है, जो जैनस (जिनके नाम पर जनवरी महीने का नाम पड़ा) को वचन देकर हर वर्ष का शुभारंभ करते थे और उसे पूरा करने की कोशिश करते थे.  

वर्ष 2019 में कराये गये ऑनलाइन सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 28 प्रतिशत अमेरिकियों ने बताया कि उन्‍होंने वर्ष 2020 के लिए ‘नव वर्ष संकल्‍प’ लिये थे और अधिकांश लोगों को उम्‍मीद थी कि वे अपने संकल्‍पों को पूरा कर सकेंगे, लेकिन महामारी ने उनकी सभी योजनाओं को बर्बाद कर दिया, पर वे हतोत्‍साहित होने के बजाय, फिर से कोशिश करने लगे है, जो अच्छी बात है, ऐसे ही कुछ संकल्प के बारें में डॉ. शौनक ने बात की, जो निम्न है,

  • नयी सोच और नयी प्रेरणा के साथ नये वर्ष में कदम रखें,
  • यह जरूरी नहीं कि संकल्‍प लंबे समय के लिए ही किये जाय, कम समय के लिए भी संकल्‍प लिये जा सकते है,
  • परिजनों और दोस्‍तों से उनके पिछले वर्ष के संकल्‍पों के बारे में जानें और उनसे पूरे हुए संकल्पों के बारें में भी जानने की कोशिश करें, 
  • संकल्‍प न पूरा कर पाने की वजह जानें, मसलन अनरियलिस्टिक लक्ष्य, खुद की प्रोग्रेस को ट्रेस न कर पाना, बिना सोचे बहुत सारे संकल्प ले लेना आदि. 
  • संकल्पों को पूरा करने के लिए, कड़े डेडलाइंस न बनाएं, बल्कि साल 2021 में पूरे वर्ष अपने काम-काज की गति को फोलो करते रहे. इसके अलावा कुछ ख़ास बातों का ध्यान आने वाले वर्ष में रखना जरुरी है, जो निम्न है,  

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साल 2021 को बनाये खुबसूरत

बजट  

  • अपने लायक बजट बनायें और बजट के अनुरूप योजनाएं बनाएं, काफी सोच-विचारकर खर्च करे, बजट बनाने से आपको पता चल सकेगा, आपको किन-किन जगहों पर कितना पैसा खर्च करना है. 

आहार 

  • भोजन हमारे शरीर के लिए इंधन है, थिरेपी नहीं,
  • किसी भी मील को स्किप न करें और न ही जयादा मात्रा में भोजन लें, आहार में फल, सब्जियां, बेरिज और सूखे मेवे नियमित रूप से शामिल करें,
  • शरीर को हाइड्रेट रखें और नियमित जरुरत के अनुसार पानी जरूरी पीयें,
  • खाना पकाना सीखें, ताकि स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक और विभिन्‍न प्रकार के व्‍यंजन आप घर में भी खा सकें.

नशीले पदार्थ

  • नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचें, लोगों का मानना है कि नशीले पदार्थों के सेवन से अच्छी नींद अच्‍छी आती है, प्रतिरोधक तंत्र बेहतर बना रहता है और त्‍वचा स्‍वस्‍थ बनी रहती है, जबकि ये सब स्वास्थ्य के लिए अत्‍यंत हानिकारक है, साथ ही इसका सेवन न करने से पैसे की भी बचत होती है. 

व्‍यायाम 

  • रोज व्‍यायाम करें, नए साल में नयी दिनचर्या शुरू करे, ऑफिस या घर आते-जाते समय सीढि़यों का प्रयोग करें,
  • घर को साफ-सुथरा रखने की आदत डालें, क्‍योंकि मेड न होने की स्थिति में, यह काम बड़ा लग सकता है, 
  • प्रकृति के सान्निध्य में रहने का प्रयास करें, क्योंकि शरीर की जैविक घड़ी को ठीक रखने के लिए सूर्य की रोशनी बहुत जरुरी है.

समय प्रबंधन 

  • समय को प्रबंधित करें, अन्‍यथा समय आपको प्रबंधित कर देगा,
  • एक बार में एक ही काम करें, अलग-अलग गतिविधियों के लिए समय निर्धारित करें, प्रत्‍येक कार्य को पूरा करने में आपका ध्‍यान सौ फीसदी उसी में होना चाहिए. एक साथ कई कार्य करने से आपकी कुशलता नहीं बढ़ती, बल्कि तनाव बढ़ जाता है, आंशिक ध्‍यान देकर कार्य करने से चिंता बढ़ती है, क्‍योंकि काम का ढेर अधिक होने लगता है, 
  • काम का बंटवारा समय और पैसे के हिसाब से कर लें, ताकि समय बचे, इसके लिए आजकल प्रयोग में लाने वाली घरेलू उपकरणों को न भूलें, 
  • आराम के लिए समय दें, समय से सोयें और समय से जगे, इससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है, सोशल मीडिया पर अधिक समय न बिताएं.

हॉबीज 

  • रोज के दबाव और तनाव से ध्‍यान हटाने के लिए शौक की चीजें करना बेहद उपयोगी होता है, इसमें नये-नये शौक पालें, जैसे पौधों को पानी देने से तंत्रिकाएं शांत रहती है, एकाग्रता बढ़ती है,
  • अपने लुक्स के साथ प्रयोग करें, त्‍वचा की देखभाल पर समय दें 
  • छुट्टियों के लिए प्‍लान बनायें , जिससे किसी भावी ट्रिप के बारे में सोचने मात्र से ही हफ्तों तक उस ख़ुशी को महसूस की जा सकें, , घूमें-फिरें, सैर-सपाटे पर जायें, विदेश सैर पर जाना कुछ समय तक मुश्किल हो सकता है, लेकिन जिंदगी की लय में बदलाव लाने के लिए कुछ समय के लिए छोटे ट्रिप पर भी जा सकते है, 
  • स्‍वेच्‍छापूर्ण कुछ सामाजिक काम करने से तनाव कम होता है, मन को सुकून मिलता है और स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर बना रहता है. 

विचार प्रबंधन 

  • विचार, भावनाओं, व्‍यवहारों व आदतों को प्रभावित करते है, संभव हो तो, मन में आने वाले विचारों को लिखें, इससे मन में आने वाले विचारों के दृष्टिकोण को बदलने में मदद मिलती है, 
  • स्‍वयं के लिए उदार शब्‍दों को अपनाएं, जैसा आप दोस्‍तों के लिए करते है, 
  • ग्रेटिट्यूड जर्नल बनाकर घटित होने वाली 3 अच्‍छी बातों को लिखने की कोशिश करें और सोशल मीडिया की नकारात्‍मक खबरों से बचें.

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थिरेपी 

  • म्‍यूजिक थिरेपी  का जादुई असर होता है, इससे तनाव कम होता है, मिजाज बेहतर बन सकता है, 
  • एरोमाथिरेपी  का असर हमारे मन, स्‍मृति और ऊर्जा पर पड़ता है, इसलिए अपने आसपास के माहौल को खुश्‍बूदार बनायें.
  • प्रोफेशनल थिरेपी  से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल का संकल्‍प लेने की जरुरत है, आवश्‍यकता होने पर अपने निकटतम मेंटल हेल्‍थकेयर प्रोफेशनल से अवश्य संपर्क करें, ऑनलाइन काउंसलिंग का भी सहयोग आज ले सकते है, जो घर पर बैठकर ही संभव है.  

इस तरह ना करें तेल का प्रयोग, हो सकता है कैंसर

अक्सर त्यौहारों में तेल और वनस्पतियों की खपत दुगनी तिगुनी हो जाती है. इसके अलावा बाहर के खानों में भी हमें तेल की मात्रा काफी ज्यादा मिलती है. तेल सभी व्यंजनों में जरूरी तो है, पर इसके कई नुकसान भी हैं. फास्टफूड स्टौल्स अक्सर पुराने तेल का भी इस्तेमाल करते हैं. इसका सेहत पर जो नुकसान होता है उस बारे में जान कर आप हैरान रह जाएंगे. आपको बता दें कि एक बार से ज्यादा तेल के इस्लेमाल से कैंसर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

लोग अक्सर कड़ाही में बचे तेल का दोबारा से उपयोग करते हैं. कड़ाही में बचे तेल का दोबारा या कई बार उपयोग करना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. आपको ये जान कर हैरानी होगी कि जितनी बार आप तेल गर्म करते हैं, उसमें उतने ही कैंसर के कारक बनते हैं. यही कारक जब अधिक देर तक उस तेल में रह जाते हैं तो वह बढ़ते जाते हैं और अगली बार फिर से उबालने पर इनकी शक्ति और भी बढ़ जाती है. इसका प्रमुख कारण विशेषज्ञों ने बताया कि बार-बार तेल गर्म करने उसके मुख्य कारक नष्ट हो जाते हैं.

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बढ़ जाती है कैंसर की सम्‍भावना

तेल के बार बार प्रयोग से उसमें कैंसर के तत्व पैदा हो जाते हैं. इसका सबसे ज्यादा असर हमारे पेट पर होता है. गौल ब्लैडर में कैंसर होने की संभावना सबसे ज्यादा बढ़ जाती है.

शरीर के लिए खतरा

कड़ाही में बचे तेल के दुबारा इस्तेमाल से कई तरह के नुकसान सामने आए हैं. कारण है तेल से सभी जरूरी तत्वों का खत्म हो जाना. बार बार तेल गर्म करके यूज करने से उनमें धीरे-धीरे फ्री रेडिकल्स बनने लगते हैं. इन रेडिकल्स के रिलीज़ होने से तेल में एंटी औक्सीडेंट खत्म हो जाते हैं और यह बचा हुआ तेल कैंसर का कारण बन सकता है. इसके साथ ही इस तेल के प्रयोग से शरीर में कौलेस्ट्रौल की मात्रा बढ़ जाती है.

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पत्नी से परेशान, क्या करें श्रीमान

यों तो हमारा समाज पुरुषप्रधान समाज है और यही समझा जाता है कि पति ही पत्नियों को प्रताडि़त करते हैं, लेकिन ऐसी पत्नियों की संख्या भी कम नहीं है जिन्होंने पतियों की नाक  में दम कर रखा होता है.

पत्नियां किसकिस तरह पतियों को प्रताडि़त करती हैं और उन्हें पतियों से क्याक्या शिकायतें होती हैं:

कई पत्नियों को तो पतियों से इतनी शिकायतें होती हैं कि अगर उन्हें रूप में कामदेव, मर्यादा में राम और प्रेम में कृष्ण भी मिल जाए तो भी जरा सा भी मौका मिलते ही सखियों से, पड़ोसियों से पतिपुराण शुरू हो जाएगा.

उच्चशिक्षित व उच्च पद पर आसीन पत्नियां तो नजरों व हावभाव से भी पतियों का अपमान कर देती हैं. मसलन, उन के अंगरेजी के उच्चारण, रहनसहन, पहननेओढ़ने के तरीकों व पसंद का सब के सामने मजाक उड़ा देती हैं और पति बेचारा अपमान का घूंट पी कर रह जाता है और अंदर ही अंदर अपना आत्मविश्वास खोने लगता है. बाहरी तौर पर कुछ दिखाई न देने पर भी पति के लिए ये सब बहुत कष्टदायक होता है.

मानसिक प्रताड़ना

सोनाली उच्च शिक्षित है और उस का पति नीरज भी बहुत अच्छी नौकरी पर है. पर सीधेसाधे नीरज के व्यक्तित्व से यह सब नहीं झलकता. वह बात करने में भी बहुत सीधा है. उस के कुछ भी गड़गड़ बोलने या गड़बड़ हरकत करने पर सोनाली सब के सामने नाटकीय अंदाज में व्यंग्य से कह देती है कि भई माफ करना मेरे पति को, उन की तो यह आदत है. आदत से मजबूर हैं बेचारे. सुनने वाले कभी उसे तो कभी उस के पति को देखते रह जाते.

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पत्नियां कई बार पतियों को मानसिक रूप से वे सब करने के लिए मजबूर कर देती हैं, जो वे बिलकुल नहीं करना चाहते. पति के मातापिता, भाईबहन के विरुद्ध बोलना, उन की छोटी से छोटी बात को बढ़ाचढ़ा कर बोल कर पति के कान भरना, घर से अलग हो जाने के लिए मजबूर करना आदि. लेकिन इन्हीं बातों में वे मायके में अपने भाईभाभी या बहनों के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश करती हैं या उन की बातों को छिपा लेती हैं, पर ससुराल की बातों को नजरअंदाज करना ज्यादातर पत्नियों को नहीं आता.

झूठे मुकदमे की धमकियां

आजकल की आधुनिक नवयुवतियों ने तो हद ही कर डाली है. अब तो पत्नी के पक्ष में कई कानून बन गए हैं. इन कानूनों का फायदा ज्यादातर उन्हें नहीं मिल पाता जिन्हें वाकई उन की जरूरत होती है. इन कानूनों को हथियार बना कर कई मगरूर पत्नियां पति को कई तरह से प्रताडि़त करती हैं. इन अधिकारों के बल पर परिवारों में बड़ी तेजी से बिखराव आ रहा है. जो स्त्री दया, त्याग, नम्रता, भावुकता, वात्सल्य, समर्पण, सहनशीनता का प्रतिरूप थी वही एक एकल परिवार की पक्षधर हो कर उसी को अपना आदर्श मान रही है.

सारे कानून एकपक्षीय हैं. पति ने तलाक के पेपर पर दस्तखत नहीं किए तो उस पर दहेज या घरेलू हिंसा का केस दर्ज कर उसे फंसा लिया जाता है. फिर तो मजबूरन दस्तखत करने ही पड़ते हैं. अगर पत्नी की ज्यादातियों से तंग आ कर पति पत्नी को तलाक देना भी चाहे तो उसे अच्छीखासी रकम पत्नी की देनी पड़ती है. कई बार यह उस के बूते से बाहर की बात होती है.

हालांकि ऐसी भी पत्नियां हैं जो अपनी सहनशक्ति व कोमल स्वभाव से टूटे घर को भी बना देती हैं, पर उस की संख्या कम है. पति को बारबार टोकना, प्रताडि़त करना, मानसिक कष्ट देना जिंदगी के प्रति पति की खिन्नता को बढ़ाएगा. अंदर ही अंदर उस के आत्मविश्वास को तोड़ेगा, जिस से उस का व्यक्तित्व प्रभावित होगा.

तरहतरह की शिकायतें

इतिहास गवाह है कि उच्च शिक्षित पतियों ने अनपढ़ व कम शिक्षित पत्नियों के साथ भी निर्वाह किया, लेकिन उच्चशिक्षित व उच्च पद पर आसीन पत्नियां, यदि पति उन के अनुरूप नहीं है तो बरदाश्त नहींकर पातीं. वे सर्वगुण संपन्न पति ही चाहती हैं. पत्नियों को पतियों से तरहतरह की शिकायतें होती हैं और वे पति को अपनी बात मानने के लिए मजबूर करती हैं.

पौराणिक व ऐतिहासिक उदाहरणों से पता चलता है कि कैसे उस समय भी पत्नियां सामदामदंडभेद अपना कर पति से उस की इच्छा के विरुद्ध अपनी बात मनवा लेती थीं और कालांतर में उन की जिद्द और महत्त्वकांक्षा पति की मृत्यु और कुल के विनाश का कारण बनती थी. ऐसे बहुत से उदाहरण हैं इतिहास में जहां पत्नियों की महत्त्वकांक्षाओं ने राज्यों की नींवें हिला दीं और इतिहास की धारा मोड़ कर रख दी.

पत्नियों की अनगिनत शिकायतों का बोझ उठातेउठाते पति बूढ़े हो जाते हैं. मानव साधारण घर से था. लेकिन मेधावी मानव आईआईटी से इंजीनियरिंग और आईआईएम अमहमदाबाद से एमबीए कर के एक प्रतिष्ठित मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर पदस्त हो गया. हालांकि सफलताओं ने, वातावरण ने उसे काफी कुछ सिखा दिया था, पर उस की साधारण परवरिश की छाप उस के व्यक्तित्व पर नजर आ ही जाती. उस की यह कमी उस की पत्नी जो देहरादून के प्रसिद्ध स्कूल से पढ़ी थी, को बरदाश्त नहीं होती थी. मानव के अंगरेजी के उच्चारण से तो उसे सख्त चिढ़ थी. जबतब कह देती, ‘‘तुम तो अंगरेजी बोलने की कोशिश मत किया करो मेरे सामने या फिर पहले ठीक से अंगरेजी सीख लो.’’

सरेआम बेइज्जती

राखी का अपने पति की पसंद पर कटाक्ष होता, ‘‘क्या गोविंदा टाइप कपड़े पसंद करते हो…वह तो कम से कम फिल्मों में ही पहनता है…तुम्हें तो कपड़े पसंद करने के लिए साथ ले जाना ही बेकार है.’’

रोहन जब सोफे पर टांग पर टांग रख कर बैठता तो पैंट या लोअर ऊपर चढ़ जाए या अस्तव्यस्त हो जाए वह परवाह नहीं करता था. वैसा ही अस्तव्यस्त सा बैठा रहता. उस की पत्नी मानसी को उस का नफासत से न बैठना घोर नागवार गुजरता. उस की मित्रमंडली की परवाह किए बिना बारबार उसे आंखें दिखाती रहती कि ठीक से बैठो. उस का ध्यान बातों में कम व रोहन की हरकतों पर अधिक होता.

नमन औफिस से आते ही जूतेमोजे एक तरफ फेंक कर बाथरूम में घुस जाता और फिर चप्पलों सहित पैर धो कर छपछप कर पूरे फर्श को गीला करता हुआ सोफे में धंस कर अधलेटा हो जाता. यह देख कर उस की पत्नी मीना का दिमाग खराब हो जाता और फिर उन में झगड़ा शुरू हो जाता.

इस के अलावा भी कई शिकायतें हैं उसे पति से. पति का अलमारी के कपड़े बेतरबीत कर देना, गीला तौलिया बिस्तर पर डाल देना, गंदे हाथों से कुछ भी खा लेना, खाना खातेखाते जूठे हाथ से फोन पकड़ लेना, जूठे हाथ से डोंगे से दालसब्जी निकाल लेना आदि.

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सामाजिक प्रतिष्ठा पर आंच

यदि पति का व्यक्तित्व तन और मन से यदि असंतुलित होगा तो पत्नी भी इस से अप्रभावित नहीं रहेगी. यदि पति की सामाजिक प्रतिष्ठा पर आंच आएगी तो मान पत्नी का भी न होगा. यदि बच्चे पिता का सम्मान नहीं करेंगे तो कालांतर में मां का भी नहीं करेंगे.

पति को बदलने व सुधारने की कोशिश में ही जीवन की खुशियों का गला घोट देना कहां की समझदारी है. जीवन तो एकदूसरे के अनुसार ढलने में है न कि ढालने में. पति कोई दूध पीता बच्चा है जिस की आदतें पत्नी अपने अनुसार ढाल लेगी? किसी का भी व्यक्तित्व एक दिन में नहीं बनता. अगर कोई बदलाव आएगा भी तो बहुत धीरेधीरे और वह भी आलोचना कर के या उस का मजाक उड़ा कर नहीं. आलोचना नकारात्मकता को बढ़ावा देती है.

कमजोर होता है मनोबल

आज विवाहित स्त्रियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है. लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में यह बात भी सत्य है कि हर सफल स्त्री के पीछे एक पुरुष का हाथ होता है. पति के प्यार, संरक्षण, सहयोग के बिना कोई भी पत्नी अपने क्षेत्र में मनचाही सफलता प्राप्त नहीं कर सकती.

पति को भी छोटीमोटी बातों के कारण अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए. आत्मविश्वास खोने से मनोबल कमजोर होता है. यदि पति को लगता है कि उस के अंदर वास्तव में कुछ ऐसी आदतें हैं, जो उन के सुखी वैवाहिक जीवन में दीवार बन रही है, तो खुद को बदलने की कोशिश करने में कोई बुराई नहीं है.

 

Ranbir Kapoor ने दिया गर्लफ्रेंड आलिया से शादी को लेकर बयान तो Viral हुए ये मीम्स

साल 2020 में जहां कई सेलेब्स ने इस दुनिया को अलविदा कहा तो वहीं कुछ सेलेब्स ने अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करते हुए शादी करने का फैसला किया. वहीं कुछ लोगों ने शादी के फैसलों को टालने का फैसला किया है. दरअसल, खबरों की मानें तो लंबे समय से रिलेशनशिप को लेकर सुर्खियों में रहने वाले एक्टर रणबीर कपूर और आलिया भट्ट इस साल शादी करने वाले थे. लेकिन कोरोना के चलते दोनों ने ये प्लान कैंसल कर दिया. लेकिन अब सोशलमीडिया पर इस खबर को लेकर मीम्स का दौर शुरु हो गया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

शूटिंग के दौरान शुरु हुई प्रेम कहानी

रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की प्रेम कहानी की शुरुआत फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ (Brahmāstra) की शूटिंग के दौरान शुरू हुई थी, जिसके बाद दोनों कई बार साथ नजर आए. यहां तक कि ऋषि कपूर के निधन के समय भी आलिया नीतू कपूर के साथ ही मौजूद नजर आई थीं. वहीं खबरें थीं कि दोनों इस साल शादी करने वाले थे लेकिन कोरोना की वजह से ऐसा हो नहीं पाया.

महामारी के चलते नही की शादी

शादी को लेकर रणबीर कपूर ने बताया है कि, ‘मैं अब तक आलिया से शादी कर चुका होता अगर यह महामारी नहीं आई होती. मैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहना चाहता हूं. मैं जल्द ही अपनी यह ख्बाहिश पूरी करना चाहता हूं.’ रणबीर कपूर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए यह भी कहा है कि वो साल 2021 में शादी कर सकते हैं.

मीम्स हुए वायरल

शादी को लेकर रणबीर कपूर के खुलासे के बाद जहां हर कोई उनकी शादी का इंतजार कर रहा है तो वहीं कुछ लोग ट्विटर पर उनका जमकर मजाक उड़ाते नजर आ रहे हैं. दरअसल, रणबीर कपूर हमेशा से ही बॉलीवुड इंडस्ट्री के लवरबॉय रहे हैं, जिसके कारण लोग मान नही रहे हैं कि वह शादी करेंगे. क्योंकि इससे पहले भी वह  कटरीना कैफ (Katrina Kaif) और दीपिका पादुकोण के साथ भी शादी का प्लान बना चुके थे. लेकिन अब शादी के इस प्लान के बाद सोशलमीडिया पर उनका काफी मजाक बन रहा है.

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अलविदा 2020: इस साल इन सेलेब्स के घर गूंजी किलकारियां, नए साल में माता-पिता बनेंगे ये स्टार्स

इस बात से तो शायद आप सभी आप सहमत होंगे की साल 2020 पिछले कई सालों से कई मायनों में अलग रहा है, जहाँ एक तरफ ये साल कई लोगों की ज़िन्दगी में बुरा वक़्त लेकर आया है वहीँ दूसरी तरफ ये महामारी भी कई जोड़ों को मात्रत्व और पितृत्व की खुशियों से दूर नहीं कर सकी है. इस साल, दुनिया के कुछ सबसे चहेते जोड़ों ने सोशल मीडिया पर खुशखबरी का ऐलान किया है. तो चलिए जानते है ऐसे ही कुछ celebs के बारे में जिनके घर इस साल नन्हा मेहमान आया या जिनके घर नन्हा मेहमान आने वाला है-

1-करीना कपूर ख़ान और सैफ अली खान :

बॉलीवुड के पावर कपल करीना कपूर खान और सैफ अली खान बहुत जल्द अपने दूसरे बच्चे का स्वागत करने के लिए काफी उत्साहित हैं. करीना ने एक आधिकारिक बयान जारी कर ये खुशखबरी अपने फैंस को सुनाई. जहाँ बहुत ज़ल्द तैमूर को अपना भाई या बहन मिल जायेगा वहीँ दूसरी मीडिया को भी अपना एक नया स्टार मिल जायेगा.

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2-अनुष्का शर्मा और विराट कोहली:

भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली की पत्नी और मशहूर एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा जल्द ही माँ बनने वाली है.ये खबर शेयर करते हुए विराट कोहली ने अपने instagram पर अनुष्का की बेबी बंप flaunt करते हुए एक तस्वीर भी शेयर की और लिखा की ,”हम जल्द ही तीन होने वाले हैं.” साल 2021 में उनके घर एक नन्हा मेहमान आने वाला है.

 

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हम आपको बता दे की विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने दिसम्बर 2017 में इटली में शादी की थी .हाल ही में विराट ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात को कुबूल किया था की उन्होंने कभी भी अनुष्का को फॉर्मल तरीके से प्रपोज नहीं किया ,फिर भी आज इनका रिश्ता बहुत ही खूबसूरत मोड़ पर आ गया है.

3- अनीता हसनंदानी और रोहित रेड्डी-

नागिन, ये है मोहब्बतें, काव्यांजली फेम अभिनेत्री अनीता हसनंदानी जल्द ही मां बनने वाली हैं. उन्‍होंने बिना किसी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नैचुरली कंसीव किया है. अनीता की डिलीवरी अगले साल फरवरी में होगी.

 

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अनीता और उनके पति रोहित रेड्डी ने इस खुशी को फैंस के साथ कुछ दिन पहले ही साझा किया है. अनीता और रोहित ने एक क्यूट वीडियो साझा किया. जिसमें अनीता अपना बेबी बंप फ्लॉन्ट करती हुई नजर आई थीं.

प्रेगनेंसी की खबर देने के बाद अनीता ने बताया कि उन्‍हें 30 के बाद मां बनने में काफी हिचक हो रही थी, उन्‍हें नहीं लगा था कि वो 39 की उम्र में नैचुरली कंसीव कर पाएंगी. अब जब उन्‍होंने कंसीव कर लिया है तो उन्‍हें लगता है कि उम्र बस एक नंबर होता है.

अनीता ने कहा कि उन्‍होंने पिछले साल ही तय कर लिया था कि अब वो पैरेंट बनने के लिए तैयार हैं और लॉकडाउन का समय दोनों को बिल्‍कुल सही लगा. इस उम्र में मां बनने पर अनीता का कहना है कि अगर आप मानसिक और शारीरिक रूप से फिट हैं तो आप किसी भी उम्र में नैचुरली कंसीव कर सकती हैं.

4- करणवीर बोहरा और टीजे सिद्धू –

 

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टीवी के जाने-माने एक्टर करणवीर बोहरा के घर नन्हा मेहमान आया है. पत्नी टीजे सिद्धू ने बेबी गर्ल को जन्म दिया है. रविवार को करणवीर बोहरा ने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वह हाथ में प्रैम लेकर हॉस्पिटल में एंट्री करते नजर आ रहे थे. उन्होंने बताया था कि टीजे को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है और नन्हा मेहमान किसी भी समय आने वाला है.

करणवीर बोहरा ने आगे कहा, “मेरे घर एक बेटी ने जन्म लिया है. हम दोनों ही वैंकूवर में हैं.शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता मेरी नसों में जो खुशी की लहर दौड़ रही है. मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि तीन-तीन बेटियों का पिता बन गया हूं. जिंदगी इससे ज्यादा खूबसूरत नहीं हो सकती थी. सोचो मैं इन तीनों रानियों के साथ राज जिंदगी में राज करूंगा. भगवान इन खूबसूरत परियों के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. मैं इनकी बहुत देखभाल करूंगा क्योंकि ये मेरी तीन देवियां हैं. मेरी लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती. आप मुझे चार्ली कह सकते हैं क्योंकि यहां तीन परियां हैं.

5–शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा :

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी इस साल तब काफी चर्चा में रही जब उन्होंने अपनी बेटी के जन्म के बारे में बताकर सभी को हैरान कर दिया.शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा सरोगेसी के ज़रिये दूसरी बार पेरेंट्स बने है.
बेटी के ज़न्म के बारे में खुद शिल्पा ने बताया की वह पिछले 5 साल से दूसरे बच्चे के लिए कोशिश कर रही थी और सरोगेसी के ज़रिये अब जाकर उनका यह सपना पूरा हुआ है.

6- अमृता राव और RJ अनमोल:

शादी के 4 साल बाद अमृता राव के घर में किलकारियां गूंजी है.अभिनेत्री ने एक बेटे को जन्म दिया है.अमृता राव ने अपनी प्रेगनेंसी की बात को लम्बे समय तक छिपाए रखा था.नौवे महीने में उन्होंने सोशल मीडिया के ज़रिये इस बात की जानकारी दी थी.अमृता ने इस बात को छिपाने के लिए अपने फेंस से माफ़ी भी मांगी.

उन्होंने लिखा था,”मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है की मै इस अच्छी खबर को अपने दोस्तों और अपने प्रशंसको के साथ साझा कर रही हूँ साथ ही मै आप लोगों से माफ़ी मांगना चाहती हूँ की यह खबर मेरी वजह से आप लोगों के पास अब तक नहीं पहुँच सकी”.

हम आपको बता दे की 15 मई 2016 को अमृता और अनमोल ने गुपचुप तरीके से शादी कर ली थी जिसमे उनके घरवाले और कुछ दोस्त ही शामिल थे .शादी से पहले अमृता और अनमोल ने एक दुसरे को 7 साल डेट किया था .

7- पूजा बनर्जी और कुणाल वर्मा –

‘देवों के देव महादेव’ की पार्वती यानि टीवी एक्ट्रेस पूजा बनर्जी और उनके पति कुणाल वर्मा पेरेंट्स बन गए हैं. पूजा 9 अक्टूबर को बेटे को जन्म दिया है. कुणाल ने एक न्यूज़ पोर्टल से बात करते हुए इसकी जानकारी दी है. कुणाल ने कहा, “पूजा और मैं बहुत खुश हैं. हमें यह बताते हुए खुशी है कि आज हम एक बेटे के पैरेंट्स बन गए. जब पूजा ने बेटे को जन्म दिया तब मैं उनके साथ ऑपरेशन थिएटर में था. दोनों स्वस्थ हैं और हम भगवान के आशीर्वाद के लिए बहुत आभारी हैं.”
हम आपको बता दें कि पूजा बनर्जी और कुणाल वर्मा ने मार्च के महीने में ही कोर्ट मैरिज कर ली थी. इसकी जानकारी पूजा ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए फैन्स को दी थी. इसके बाद 15 अप्रैल को दोनों पारंपरिक रीति-रिवाज से शादी करने वाले थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण ऐसा नहीं हो पाया.
पूजा ने शादी की अनाउंसमेंट करने के साथ ये भी बताया था कि दोनों शादी पर जो खर्चा करने वाले थे, उन पैसों को वो कोरोना की वजह से पीड़ित लोगों की मदद करेंगे.

8- हार्दिक पंड्या और नतासा स्टैनकोविस :

 

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टीम India के ऑल राउंडर खिलाडी हार्दिक पंड्या की पत्नी नतासा स्टैनकोविस ने साल 30 जुलाई 2020 में एक बेटे को जन्म दिया. हम आपको बता दे की हार्दिक ने अपने Instagram पर अपनी मंगेतर नतासा स्टैनकोविस के साथ अपनी 4 तस्वीरे पोस्ट करके नताशा की प्रेगनेंसी की बात सबके सामने ला दी थी.नताशा की प्रेगनेंसी के कुछ ही महीनो पहले हार्दिक पंड्या ने उनसे सगाई की थी लेकिन कोरोना वायरस में लॉक-डाउन की वज़ह से उन्होंने अपनी शादी की तारीख आगे बढ़ा दी.बाद में खबरे आई की उन्होंने गुपचुप तरीके से शादी भी कर ली.

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9- एक्ट्रेस सागरिका घाटगे और क्रिकेटर ज़हीर खान:

‘चक दे’ एक्ट्रेस सागरिका घाटगे और क्रिकेटर ज़हीर खान जल्द ही पैरेंट्स बनने वाले हैं. उनके घर एक नन्हा मेहमान आने वाला है .इस बात की पुष्टि उनके बहुत ही करीबी मित्र ने की.  हम आपको बता दे ज़हीर और सागरिका हमेशा से ही मीडिया की नज़रों से अपने निजी जीवन को दूर रखने की कोशिश करते रहे हैं और इसमें ये कामयाब भी रहे है.ज़हीर खान और सागरिका ने अपने रिश्ते पर मुहर तब लगाई जब ये दोनों एक साथ युवराज सिंह और हेज़ल केच की शादी में पहुँचे .सागरिका ने सगाई का अनाउंसमेंट भी बहुत ही प्यारे अंदाज़ में किया था.

मेहंदी से लेकर शादी के रिसेप्शन तक छाया गौहर खान का जलवा, देखें फोटोज

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 7 की विनर रह चुकीं एक्ट्रेस गौहर खान ने बीते दिनों 11 साल छोटे मंगेतर औऱ कोरियोग्राफर जैद दरबार संग शादी कर ली हैं, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर तहलका मचा रही हैं. वहीं शादी से जुड़े हर फंक्शन में गौहर का लुक लड़कियों को बेहद पसंद आ रहा है. इसीलिए आज हम आपके लिए गौहर खान के शादी के फंक्शन के हर लुक आपके लिए लेकर आए हैं, जिसे आप अपनी शादी के लिए ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं गौहर खान के लुक्स…

1. रस्मों की शुरुआत में कुछ यूं था गौहर का लुक

निकाह से पहले गौहर और जैद की चिक्सा का रस्म हुई, जिसकी फोटोज और वीडियो दोनों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की थी. वहीं लुक की बात करें तो गौहर यैलो कलर के प्रिंटेड कारीगरी वाले लहंगे में नजर आईं, जिसके साथ उन्होंने मैचिंग ज्वैलरी पहनी थीं. गौहर का ये लुक किसी भी वैडिंग फंक्शन के लिए परफेक्ट लुक में से एक है.

 

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2. मेहंदी लुक था सबसे अलग

 

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अक्सर हर कोई मेहंदी सेरेमनी के लिए हरा रंग तलाश करता है, लेकिन गौहर ने अपनी मेहंदी सेरेमनी के लिए पीले रंग का चुनाव किया. मिरर वर्क वाले ब्लाउज के साथ गौहर का सिंपल लहंगा बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं इसके साथ फ्लावर ज्वैलरी काफी खूबसूरत लग रही थी.

3. संगीत सेरेमनी के लिए शरारा था खास

 

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संगीत सेरेमनी की बात करें तो गौहर का लुक इसमें भी खास था. फुलकारी वाली कारगरी वाला शरारा का औप्शन गौहर ने चुना था, जिसके साथ मैचिंग ज्वैलरी उनके लुक पर चार चांद लगा रही थी. वहीं फैंस को भी उनका ये लुक खास पसंद आया था.

4.  शादी के लुक में छाया गौहर का जादू

 

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अपने निकाह के लुक के लिए गौहर ने गोल्डन और क्रीम कलर का चुनाव किया था, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था. इसके साथ हैवी ज्वैलरी उनके निकाह लुक को कम्पलीट कर रही थीं. शरारा कौम्बिनेशन वाला गौहर का ये लुक किसी भी दुल्हन के लिए परफेक्ट औप्शन है.

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5. रिसेप्शन में महारानी बनकर पहुंची थीं गौहर

 

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शादी के बाद रिसेप्शन सेलिब्रेशन की बात करें तो गौहर खान ने डार्क रेड और गोल्डन कलर के लहंगे में धासूं एंट्री मारी थी. वहीं इस लुक के साथ उनकी मैचिंग ज्वैलरी उनके लुक को महारानी जैसा फील करा रही थी.

वहम है अकेलापन

समय पर विवाह न हो पाने, जीवनरूपी सफर में हमसफर द्वारा बीच में ही साथ छोड़ देने या पतिपत्नी में आपसी तालमेल न हो पाने पर जब तलाक हो जाता है तो ऐसी स्थिति में एक महिला अकेले जीवन व्यतीत करती है. लगभग 1 दशक पूर्व तक इस प्रकार अकेले जीवन बिताने वाली महिला को समाज अच्छी नजर से नहीं देखता था और आमतौर पर वह पिता, भाई या ससुराल वालों पर निर्भर होती थी. मगर आज स्थितियां इस के उलट हैं. आज अकेली रहने वाली महिला आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और जीवन में आने वाली हर स्थिति का अपने दम पर सामना करने में सक्षम है.

‘‘यह सही है कि हर रिश्ते की भांति पतिपत्नी के रिश्ते का भी जीवन में अपना महत्त्व है, परंतु यदि यह रिश्ता नहीं है आप के साथ तो उस के लिए पूरी जिंदगी परेशान और तनावग्रस्त रहना कहां तक उचित है? यह अकेलापन सिर्फ मन का वहम है और कुछ नहीं. इंसान और महिला होने का गौरव जो सिर्फ एक बार ही मिला है उसे मैं अपने तरीके से जीने के लिए आजाद हूं,’’ यह कहती हैं एक कंपनी में मैनेजर 41 वर्षीय अविवाहिता नेहा गोयल. वे आगे कहती हैं, ‘‘मैं आत्मनिर्भर हूं. अपनी मरजी का खाती हूं, पहनती हूं यानी जीती हूं.

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घर की स्थितियां कुछ ऐसी थीं कि मेरा विवाह नहीं हो पाया, परंतु मुझे कभी जीवनसाथी की कमी नहीं खली, बल्कि मुझे लगता है कि यदि मेरा विवाह होता तो शायद मैं इतनी आजाद और बिंदास नहीं होती. तब मेरी उन्नति में मेरी जिम्मेदारियां आड़े आ सकती थीं. मैं अभी तक 8 प्रमोशन ले चुकी हूं, जिन्हें यकीनन परिवार के चलते नहीं ले सकती थी.’’ केंद्रीय विद्यालय से प्रिसिंपल पद से रिटायर हुईं नीता श्रीवास्तव का अपने पति से उस समय तलाक हुआ जब वे 45 वर्ष की थीं और उन का बेटा 15 साल का. वे कहती हैं, ‘‘कैसा अकेलापन? मैं आत्मनिर्भर थी.

अच्छा कमा रही थी. बेटे को अच्छी परवरिश दे कर डाक्टर बनाया. अच्छा खाया, पहना और खूब घूमी. पूरी जिंदगी अपनी शर्तों पर बिताई. कभी मन में खयाल ही नहीं आया कि मैं अकेली हूं. जो नहीं है या छोड़ गया है, उस के लिए जो मेरे पास है उस की कद्र न करना कहां की बुद्धिमानी है?’’

रीमा तोमर के पति उन्हें उस समय छोड़ गए जब उन का बेटा 10 साल का और बेटी 8 साल की थी. उन की उम्र 48 वर्ष थी. पति डीएसपी थे. अचानक एक दिन उन्हें अटैक आया और वे चल बसे. अपने उन दिनों को याद करते हुए वे कहती है, ‘‘यकीनन मेरे लिए वे दिन कठिन थे. संभलने में थोड़ा वक्त तो लगा पर फिर मैं ने जीवन अपने तरीके से जीया.

आज मेरा बेटा एक स्कूल का मालिक है और बेटी अमेरिका में है. पति के साथ बिताए पल याद तो आते थे, परंतु कभी किसी पुरुष की कमी महसूस नहीं हुई. मैं अपनी जिंदगी में बहुत खुश थी और आज भी हूं.’’ मनोवैज्ञानिक काउंसलर निधि तिवारी कहतीं हैं, ‘‘अकेलापन मन के वहम के अलावा कुछ नहीं है. कितनी महिलाएं जीवनसाथी और भरेपूरे परिवार के होते हुए भी सदैव अकेली ही होती हैं. वंश को बढ़ाने और शारीरिक जरूरतों के लिए एक पति की आवश्यकता तो होती है, परंतु यदि मन, विचार नहीं मिलते तो वह अकेली ही है न? इसलिए अकेलेपन जैसी भावना मन में कभी नहीं आने देनी चाहिए.’’

अकेली औरतें ज्यादा सफल कुछ समय पूर्व एक दैनिक पेपर में एक सर्वे प्रकाशित हुआ था जो अविवाहित, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं पर कराया गया था. उस के अनुसार:

अकेली रहने वाली 93% महिलाएं मानती हैं कि उन का अकेलापन गृहस्थ महिलाओं की तुलना में जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल रहने में अधिक सहायक सिद्ध हुआ है. इस से उन्हें आजादी से जीवन जीने का अधिकार मिला है.

65% महिलाएं जीवन में पति की आवश्यकता को व्यर्थ मानती हैं और वे विवाह के लिए बिलकुल भी इच्छुक नहीं हैं. द्य आवश्यकता पड़ने पर विवाह करने के बजाय इन्होंने किसी अनाथ बच्चे को गोद लेना अधिक अच्छा समझा.

इन्हें कभी खालीपन नहीं अखरता. ये अपनी रुचि के अनुसार सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती है और आधुनिक मनोरंजन के साधनों का लाभ उठाती हैं. चिंतामुक्त हो कर जी भर कर सोती हैं.

इस सर्वेक्षण के अनुसार एकाकी जीवन जीने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं की संख्या के अनुपात में बहुत कम है.

बढ़ रहा सिंगल वूमन ट्रैंड

पिछले दशक से यदि तुलना की जाए तो एकाकी जीवन जीने वाली महिलाओं की संख्या में 39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. विदेशों में अकेले जीवन जीने वाली महिलाओं की उपस्थिति समाज में बहुत पहले से ही है, साथ ही वहां वे उपेक्षा और उत्पीड़न की शिकार भी नहीं होतीं. भारतीय समाज में 1 दशक में महिलाओं की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है. हाल ही में आई पुस्तक ‘आल द सिंगल लेडीज अनमैरिड वूमन ऐंड द राइज औफ एन इंडिपैंडैंट नेशन’ की लेखिका रेबेका टेस्टर के अनुसार 2009 के अनुपात में इस दशक में सिंगल महिलाओं की बढ़ती संख्या समाज में उन के महत्त्व का दर्ज कराती है.

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यह सही है कि हर रिश्ते की अपनी गरिमा और महत्त्व होता है. अकेलापन सिर्फ मन का वहम तो है, परंतु इस के लिए सब से आवश्यक शर्त है महिला की आत्मनिर्भरता और आत्मशक्ति का मजबूत होना, क्योंकि यदि वह आत्मनिर्भर नहीं है तो उसे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पराधीन होना होगा. पराधीनता तो सदैव कष्टकारी ही होती है. आत्मनिर्भरता की स्थिति में उस पर किसी का दबाव नहीं होता और अपने ऊपर उंगली उठाने वालों को भी मुंहतोड़ जवाब दे पाने में सक्षम होती है. ‘‘अकेले रहने वाली महिलाओं को अपनी आत्मशक्ति को मजबूत रखना चाहिए. जो जिंदगी आप ने चुनी है उस में खुश रहना चाहिए. कभी किसी को अपने पति के साथ देख कर मन को कमजोर करने वाले विचार नहीं आने चाहिए,’’ यह कहती हैं नीता श्रीवास्तव.

जब भी कभी ऐसा अवसर जीवन में आता है तो इसे सिर्फ अपने मन का वहम मानें और सचाई को स्वीकार कर के जीवन को आगे बढ़ाएं. जिंदगी जिंदादिली का नाम है न कि किसी के सहारे का मुहताज होने का. स्वयं को अंदर से मजबूत कर के अपनी शक्ति को सामाजिक और रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए. साथ ही कुछ ऐसे संसाधनों को भी खोजना चाहिए जिन में आप व्यस्त रहें.

कदम बढ़ाइये… जिंदगी छूटने न पाये…

“सैर! वो भी सुबह की… अरे! कहाँ? समय ही नहीं मिलता…” किसी भी महिला से पूछ कर देखिये… यही जवाब मिलेगा. अगर आप का भी यही जवाब है तो ये लेख आपके लिए ही है.

“जीवन चलने का नाम… चलते रहो सुबहोशाम…” 70 के दशक की हिंदी फिल्म “शोर” के इस लोकप्रिय गीत में जैसे जीने का सार छिपा है. जी हाँ! चलना ही जीवन की निशानी है. जब तक कदम चलगें… तब तक जिंदगी…

आज की इस अतिव्यस्त जीवनशैली में हम जैसे चलना भूल ही गए हैं. हमें खुद से ज्यादा मशीनों पर भरोसा होने लगा है. मशीनें हमारी मजबूती नहीं बल्कि मजबूरी बन गई हैं. इन पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक हो गई है कि हमने अपनी निजी मशीन यानि शरीर की सारसंभाल लगभग बंद ही कर दी है. नतीजा…. इस कुदरती मशीन को जंग लगने लगा है…. इसके पार्ट्स खराब होने लगे हैं…

आज के इस दौर में लगभग हर वह व्यक्ति जो 40 पार जाने लगा है, किसी न किसी शारीरिक परेशानी से जूझ रहा है. कई बीमारियाँ जैसे मानसिक तनाव, दिल की बीमारियाँ आदि तो 40 की उम्र का भी इंतज़ार नहीं करती… बस! जरा सी लापरवाही… और व्यक्ति को तुरंत अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं.

डायबिटीज, रक्तचाप, थायराइड, मानसिक तनाव हो या गर्भावस्था… डॉक्टर सबसे पहले मरीज को सुबह-शाम घूमने की सलाह देते हैं. यह सबसे सस्ता और आसान व्यायाम है जिसे किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है. कहते हैं कि सुबह की सैर व्यक्ति को दिन भर उर्जावान रखती है मगर यदि किसी कारणवश सुबह सैर का वक्त न मिले तो शाम को भी की जा सकती है. बस! इतना ध्यान रखें कि दोपहर के भोजन और सैर के बीच कम से कम 3-4 घंटे का अंतराल अवश्य रखें.

नियमित सैर के शारीरिक फायदे

1. सैर करने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं. जोड़ों और मांसपेशियों को नई उर्जा मिलती है.

2. रक्त प्रवाह सही रहता है जो कि ह्रदय को स्वस्थ रखता है.

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3. पाचनतंत्र मजबूत होता है.

4. रक्त में शर्करा का स्तर सामान्य रखने में भी सैर बहुत लाभदायक है.

5. मोटापा कम होता है. शरीर स्वस्थ और आकर्षक रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है.

6. दिमाग तरोताजा और क्रियाशील रहता है.

7. आस-पास दिखने वाली हरियाली आँखों को सुकून और ठंडक देती है.

नियमित सैर के सामाजिक फायदे

सैर करने के कई सामाजिक फायदे भी हैं मगर इसका अर्थ ये कदापि नहीं है कि आप अपनी सैर भूल कर गप्पबाजी करने लगें. इसके लिए सैर करने के पश्चात कुछ समय पार्क में शांति से बैठें, प्रकृति को नजदीक से महसूस करें और अपने आस-पास के माहौल में घुलने-मिलने का प्रयास करें.

1. यदि आप नियमित सैर पर जाती हैं तो बहुत से नए लोगों से आपकी जान पहचान बनती है और आपका सामाजिक दायरा विस्तृत होता है.

2. आस-पास की वे ताजा ख़बरें मिल जाती हैं जो सामान्य अखबार में नहीं होती.

3. विचारों का आदान-प्रदान होने से नए विचार जगह बनाते हैं और आपकी क्रियाशीलता बढ़ती है.

4. जाने-अनजाने कई सामाजिक समस्याओं के समाधान मिल जाते हैं.

5. कई बार आपसी जान-पहचान रिश्तेदारी में भी बदल जाती है.

6. यदि आप क्रियाशील व्यक्तित्त्व की स्वामिनी हैं तो नियमित सैर करना आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं. सैर करते समय दिमाग बहुत क्रियाशील रहता है और आपको बहुत से नए और अनोखे आइडियाज आ सकते हैं जो आपकी क्रियाशीलता को निसंदेह बढ़ाएंगे.

हालाँकि सैर करना सबसे आसान व्यायाम कहलाता है मगर फिर भी कुछ सावधानियां रखना अतिआवश्यक है.

सैर के दौरान क्या करें-

1. सैर करने का समय निश्चित रखें और इसका पालन करें.

2. सैर चाहे सुबह हो या शाम, हमेशा आरामदायक जूते पहन कर ही करें.

3. इस दौरान पहने जाने वाले कपड़े भी आरामदायक होने चाहियें.

4. सैर के लिए किसी हरियाली वाली जगह को ही चुने. हरे-भरे पार्क आपको अपनी सैर नियमित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

5. सैर करते समय थोड़ी गहरी साँसे लें.

6. यदि लम्बी सैर करनी हो तो अपने साथ पानी की बोतल अवश्य रखें.

7. सैर के समय पेट खाली रखें.

8. सर्दियाँ हों तो आवश्यक गर्म कपड़े पहन कर सैर पर जायें.

9. अतिआवश्यक कार्य निपटा कर सैर पर निकलें ताकि दिमाग व्यर्थ में उलझे नहीं.

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सैर के दौरान क्या न करें-

1. पहले ही दिन ज्यादा सैर करने की ना सोचें अन्यथा अधिक थकान होने से आगे के लिए उत्साह मंद पड़ सकता है.

2. सैर न करने के बहाने न खोजें.

3. सैर करते समय बातें न करें.

4. सैर करते समय पहने जाने वाले कपड़े न तो अधिक ढीले हों और न ही ज्यादा कसे हुए.

5. सैर करने के लिए ऐसी जगह न चुनें जिसमें घुमाव या मोड़ अधिक हों. जगह समतल और एकसार होनी चाहिए ताकि गति में लय बनी रहे.

6. सैर करते समय मुँह से सांस ना लें.

7. ईयर फोन लगा कर गाने सुनें मगर आवाज तेज न रखें.

8. शारीरिक चोट के दौरान सैर करने से बचें.

तो अब सोचना छोडिये… सैर को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाइये और थाम लीजिये भागती जिन्दगी की डोर अपने हाथ में…

किडनी स्टोन से बचाए लो ऑक्सीलेट डाइट

यदि आप की किडनी में पथरी है तो आप को पता होगा कि लो ऑक्सीलेट डाइट क्या होती है. जिन लोगों को किडनी मे स्टोन कि समस्या होती है उन्हे डॉक्टर इसी प्रकार की डाइट सुझाते हैं. परन्तु क्या यह सच मे प्रभावकारी है? क्या इससे आप के किडनी स्टोन को कम होने में किसी प्रकार की मदद मिलती है या नहीं. आइए जानते हैं लो ऑक्सीलेट डाइट के बारे में. इसमें आप क्या क्या चीजें खा सकते हैं और कौन कौन सी चीजें खाने से आप को बचना है? आज हम इन सभी प्रश्नों के बारे में जानेंगे.

ऑक्सालिक एसिड एक तत्त्व है जोकि आप का शरीर बनाता है. यदि यह आप के शरीर द्वारा कम उपजता है तो आप इसे कुछ खाद्य पदार्थों द्वारा भी प्राकृतिक रूप से अपने शरीर में ले जा सकते हैं. इस तत्त्व का व कैल्शियम का आप के यूरिनरी ट्रैक्ट में कम मात्रा में होना आम तौर पर आप को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं देता है..

परन्तु कुछ केस में यह दोनो तत्त्व इकठ्ठे हो जाते हैं और कैल्शियम ऑक्सीलेट नामक किडनी स्टोन बना लेते हैं. यह उन लोगों में आम होता है जिनका शरीर यूरिन की कम मात्रा बना पाता है. अतः यदि आप को इस प्रकार का किडनी स्टोन हो जाता है तो आप को अपनी डाइट से ऑक्सीलेट की मात्रा बहुत कम कर देनी चाहिए.

कैसे पालन करें एक लो ऑक्सीलेट डाइट का?

इस डाइट का मतलब है कि उन चीजों को कम करना जिनमे ऑक्सीलेट की मात्रा कम होती है. कुछ भोजन जोकि ऑक्सीलेट में हाई होते हैं वह कुछ फल व सब्जियां, नट्स, अनाज आदि होते हैं. बहुत से विशेषज्ञ यह मानते हैं कि आप को एक दिन में 40-50 मिली ग्राम से कम ऑक्सीलेट खाना चाहिए.

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क्या खाएं और किन चीज़ों को खाने से बचें?

निम्न चीजें आप को खानी चाहिए:

फल – फलों में केला, जामुन, चैरी, स्ट्रॉबेरी, सेब, अप्रीकोट, नींबू व आलूबुखारा खा सकते हैं.

सब्जी – मस्टर्ड ग्रीन, ब्रोकली, पत्ता गोभी, फूल गोभी, मशरुम, प्याज, मटर आदि.

अनाज – सफेद चावल, मक्की का आटा व ओट्स.

प्रोटीन – अंडे, मीट, मछली, पोल्ट्री.

डेयरी पदार्थ – दही, दूध, चीज, बटर.

मसाले – दालचीनी, काली मिर्च, हल्दी, जीरा आदि.

निम्न चीजें खाने से बचें:

फल – कीवी, खजूर, रास्पबेरी, संतरे आदि.

सब्जियां – पालक, आलू, ओकरा, गाजर, बीट्स आदि.

दाल – राजमा दाल, नेवी बीन्स, रिफ्रेड बीन्स आदि.

नट्स – अखरोट, काजू, बदाम, पिस्ता आदि..

चॉकलेट व कोकोआ.

अनाज- ब्राउन राइस, मिलेट, बल्गुर, कॉर्नमील आदि.

क्या यह डाइट किडनी स्टोन से बचने में सहायक है?

कुछ रिसर्च का कहना है कि किडनी स्टोन हाई ऑक्सीलेट के कारण होता है. यदि आप ऑक्सीलेट को अपनी डाइट से कम नहीं कर सकते हैं तो आप को अपना कैल्शियम इन टेक बढ़ा देना चाहिए. यह भी आप को किडनी स्टोन से बचा सकता है. आप किडनी स्टोन से बचने के लिए निम्न टिप्स को भी अपना सकते हैं.

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नमक का सेवन कम करें : यदि आप ज्यादा नमक खाते हैं तो भी आप को किडनी स्टोन होने का रिस्क होता है. अतः अपना नमक का सेवन कम करें.

विटामिन सी के सप्लीमेंट लेना बंद करें : आप का शरीर विटामिन सी को ऑक्सीलेट में बदलता है. इसलिए आप को विटामिन सी भी अधिक मात्रा मे नहीं लेना चाहिए.

स्वयं को हाइड्रेटेड रखें : यदि आप अधिक पानी पिएंगे तो आप का शरीर यूरिन भी अधिक बनाएगा. अतः स्वयं को हाइड्रेटेड रखें.

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