Serial Story: का से कहूं (भाग-3)

जब मोहना के घरवाले लौट गए तो मोहना ने दरवाजे की ओट से रानी ओर किशोरजी बातें सुनीं.

‘‘मैं ने सोचा था कि शादी के बाद विलास ठीक हो जाएगा… सभी हो जाते हैं. पर ये तो अब तक वहीं अटका हुआ है,’’ किशोरजी कह रहे थे.

‘‘हां, मुझे भी कहां लगा था कि बहू इस का मन नहीं बदल पाएगी,’’ रानी भी हां में हां मिला रही थीं.

मोहना को अब यह बात बिलकुल स्पष्ट हो चुकी थी कि जो करना है उसे ही करना पड़ेगा. विलास एक बहुत अच्छा पति है, सुलझा हुआ, संवेदनशील और प्यार करने वाला किंतु जीवन में शारीरिक सामीप्य की जो खाई थी, क्या मोहना उस के साथ अपना पूरा जीवन काट सकेगी? अब इस प्रश्न का उत्तर उसे स्वयं ही देना था. बात थी भी इतनी कि किस से कहती वह?

घर पर त्योहार मनाने का सब से बड़ा फायदा जो मोहना को हुआ वह यह रहा कि अब उस ने

अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में लेने का निर्णय कर लिया. वापस मुंबई लौट कर मोहना ने विलास के आगे एक छोटी सी ट्रिप पर चलने का प्रस्ताव रखा. कई बार जो बातें रोजमर्रा के माहौल में नहीं हो पातीं वह पर्यटन स्थलों पर फ्रैश मूड में बहुत अच्छे से हो जाती हैं. इसी सोच से मोहना ने ये बात कही जो विलास ने सहर्ष स्वीकार कर ली.

आने वाले वीकैंड पर दोनों ने पंचगनी का ट्रिप बनाया. जहां मुंबई का तापमान हमेशा एकसा रहता है वहीं पंचगनी की हलकी ठंड से लिपटी शामें विलास और मोहना के लिए एक अच्छा बदलाव थीं. शौल ओढ़े, बोनफायर के आसपास बैठे दोनों ने अपने रिजार्ट में एक अच्छा दिन बिताया. अगले दिन दोनों ने यहां के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों को देखने का मन बनाया. आर्थर सीट की ऊंचाई से कोइना वैली का अद्भुत नजारा देखा, एल्फिंस्टन पौइंट पर पहुंच कर दोनों ने गरमगरम मैगी खाई और मसाला छास पी, टेबल लैंड का विशाल क्षेत्र उन्होंने घुड़सवारी कर पूरा किया और वेणा लेक में बोटिंग कर एक यादगार दिन बिताया.

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‘‘यहां की प्रसिद्ध स्ट्राबेरी तो ले लो. रूम में चल कर खाएंगे,’’ मोहना ने कहा.

‘‘सिर्फ स्ट्राबेरी?’’ मैं तो यहां की स्ट्राबेरी वाइन भी लेने वाला हूं,’’ हंस कर विलास ने कहा.

दोनों काफी खुश थे. यही सही मौका है, आज ही विलास से अपने दिल की बात करनी होगी, मोहना ने सोच रखा था. रूम में पहुंच कर दोनों ने वाइन ले चीयर्स किया. मोहना का गंभीर चेहरा देख विलास ने कारण जानना चाहा, ‘‘क्या घर की याद आ रही है?’’

‘‘नहीं… लेकिन एक अत्यंत गंभीर विषय पर बात करनी है तुम से… सोच नहीं पा रही कैसे कहूं…’’ मोहना की हिचकिचाहट देख विलास को बात का अंदेशा होने लगा. आखिर अपनी कमी किसे पता नहीं होती. उस ने बात को आगे न बढ़ाते हुए दूसरी बात शुरू करनी चाही, ‘‘मोहना, छोड़ो ये गंभीर बातें. आज का दिन कितना अच्छा बीता, अब मूड मत औफ करो.’’

‘‘विलास, तुम क्या चाहते हो कि मैं केवल ऊपर से हंसती रहूं या अंदर से भी खुश रहूं?’’ मोहना आज इस विषय पर बात करने की ठान चुकी थी. आखिर कब तक इस रिश्ते को यों अधूरा सा जीती रहेगी वह, ‘‘प्लीज मुझे बताओ कि आखिर बात क्या है. मैं असली कारण जानना चाहती हूं. आखिर हम जीवनसाथी हैं, सारी उम्र हमें एकदूसरे का साथ निभाना है, चाहे सुख हो या दुख, चाहे तकलीफ हो या आनंद. अगर हम ही अपने दिलों की परतें हटा कर एकदूसरे से अपने मन की बात नहीं कह सकते तो फिर कैसा रिश्ता है यह? मैं तुम्हें अपना सब कुछ मान चुकी हूं और मैं जानती हूं कि तुम भी मुझ से प्यार करते हो. ये रिश्ता केवल सतही नहीं अपितु हम दोनों के दिलों को एक सूत्र में बांधता है. क्या तुम मुझ से अपने मन की व्यथा नहीं कह सकते? क्या रोकता है तुम्हें? क्या मैं तुम्हें पसंद नहीं? क्या तुम्हारा प्यार मेरी गलतफहमी है या फिर केवल परिवार के लिए लिया गया एक फैसला?’’ मोहना कहती चली गई. आज उस ने स्वयं को रोका नहीं. जो पीड़ा उस के मन में आज तक मरोड़ रही थी, उस ने आज उसे विलास के सामने उघाड़ कर रख दिया.

मोहना की आंतरिक तकलीफ ने विलास को भी विचलित कर दिया. उस ने सोचा न था कि ऊपर से हमेशा हंसती रहने वाली मोहना हृदय की गहराइयों में इतनी व्यथित होगी. किंतु अपने दिल की असलियत बयान करने से वह अभी भी हिचकिचा रहा था, ‘‘क्या बताऊं, मोहना… ऐसी कोई बात नहीं है. बस, यों ही कभी कुछ तो कभी कुछ कारणों की वजह से… तुम व्यर्थ ही इतना परेशान हो रही हो.’’

‘‘ठीक है. जैसा तुम चाहो. यदि तुम मुझे अपनी संगिनी नहीं मानते तो कोई बात नहीं. पर यदि कल को मेरे कदम बहक जाएं तो प्लीज मुझे दोष मत देना. तब यह न सोचना कि मैं चरित्रहीन निकली. मैं ने सब से पहले तुम्हारे आगे अपने मन की बात कही. एक लड़की होते हुए भी मैं ने ऐसे कठिन विषय पर बात करने की पहल की. पर अगर तुम मुझ से परदा रखना चाहते हो, तो हमारी शादीशुदा जिंदगी में आगे जो कुछ भी होगा उस के जिम्मेदार तुम ही रहोगे, मेरी यह बात याद रखना,’’ आज मोहना काफी अडिग थी.

नींद आंखों से कोसों दूर भटकती रही और सारी रात विलास, मोहना द्वारा कही बातों पर विचार करता रहा. सच ही तो कह रही है वह. आखिर वह जीवनसंगिनी है, यदि विलास उस के आगे अपना मन नहीं खोल सकता तो फिर किस से कहेगा? पौ फटने के समय जब आकाश में लालिमा छाई, तब विलास के मस्तिष्क में भी रोशनी होने लगी. उस ने सोच लिया कि आज वह मोहना को सब कुछ बता देगा.

‘‘नाश्ते के लिए चलें?’’ नहा कर आई मोहना ने पूछा.

‘‘हां, संक्षिप्त सा उत्तर दे विलास उस के साथ चल दिया. गहरी सोच में था वह. आखिर आज वह अपने अंदर दबी उलझनों की गांठों को खोलने की कोशिश करने वाला था.

नाश्ते के बाद आज कुछ शौपिंग का प्रोग्राम था. लेकिन विलास के कहने पर पहले दोनों ने केट्स पौइंट जाने का निश्चय किया. पहाड़ की ऊंचाई पर पहुंच कर विलास ने एक एकांत कोना तलाशा और मोहना से वहां बैठने का आग्रह किया, ‘‘तुम जानना चाहती हो न कि मैं क्यों तुम्हारे पास नहीं आता? आज मैं तुम्हें अपने अतीत का वह राज बताने जा रहा हूं जिसे मैं कभी भी कुरेदना नहीं चाहता. लेकिन अगर आज नहीं कहा तो शायद फिर कभी कह न सकूंगा…’’

‘‘विलास, तुम बेझिझक मुझ से अपनी बात कह सकते हो. तुम जो भी कहोगे, वह केवल हम दोनों के बीच रहेगा,’’ मोहना की बात से विलास आश्वस्त हो गया. उस ने 1 गिलास पानी पिया. कुछ सोच कर उस ने आगे बात कहनी शुरू की…

जब विलास केवल 12 वर्ष का था तब उस के साथ एक हादसा गुजरा था. उस के मौसाजी

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जोकि उसी शहर नौकरी करने आए थे. उस के घर में रहने आए. अगले कुछ महीनों जब तक उस की मौसीजी की नौकरी का तबादला  उसी शहर में न हो जाता, उन्हें इसी के घर में रहना था. एक बार मौसीजी आ जाए, तब ये अपना घर ले लेंगे, ऐसा विचार था. सब कुछ अच्छे ढंग से व्यवस्थित हो गया. किशोरजी अपनी दुकान संभालते, रानी घर संभालतीं, मौसाजी अपने दफ्तर जाते और विलास अपने स्कूल. सब की मुलाकात अकसर रात को खाने की मेज पर हुआ करती. ऐसे ही करीब 20 दिन बीत गए.

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Serial Story: का से कहूं (भाग-1)

रानीऔर किशोरजी के इकलौते बेटे की शादी थी. पूरे घर में रौनक ही रौनक थी. कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी थी. दुलहनिया भी इसी शहर के एक नामी घर से लाए थे. जैसे इन का अपना सुनार का व्यवसाय था जो पूरे शहर में प्रसिद्ध था वैसे ही दुलहन के घरवालों का भी गोटेकारी का बड़ा काम था और उन की दुकानें शहर में कई जगहों पर थीं. उन का पूरा परिवार एक संयुक्त परिवार के रूप में एक ही कोठी में रहता था. चाचाताऊ में इतना एका था कि विलास के रिश्ते के लिए हां करने से पहले भी मोहना ने अपने ताऊजी को बताया था. तभी तो रानी को मेहना भा गई थी. उन का मानना था कि एकल परिवार की लड़कियां सासससुर से निभा नहीं सकतीं. संयुक्त परिवार की लड़की आएगी तो हिलमिल कर रहेगी.

डोली तो अलसुबह ही आंगन में उतर चुकी थी, दूल्हादुलहन को अलग कमरों में बिठा कर थोड़ी देर सुस्ताने का मौका भी दिया गया था. गीतों से वातावरण गुंजायमान था. फिर खेल होने थे सो सब औरतें उसी तैयारी में व्यस्त थीं. खूब हंसीखुशी के बीच खेल हुए. मोहना और विलास ने बहुत संयम से भाग लिया. न कोई छीनाझपटी और न कोई खींचतानी. मोहना खुश थी कि उस की पसंद सही निकल रही है वरना उस के बड़े भैया की शादी में भाभी के हाथों में उन के अपने नाखून गड़ कर लहूलुहान हो गए थे पर उन्होंने भैया को बंद मुट्ठी नहीं खोलने दी थी. ऐसे खेलों का क्या फायदा जो शादी के माहौल में नएनवेले जोड़े के मन में प्रतियोगियों जैसी भावना भर दें.

शाम ढलने को थी. सभी भाइयोंदोस्तों ने विलास का कमरा सुसज्जित कर दिया था. रात्री भोजन के पश्चात मोहना को सुहाग कक्ष में ले जा कर बैठा दिया गया. हंसतीखिलखिलाती बहनें कुछ ही देर में विलास को भी वहां छोड़ गईं.

‘‘अरे आप इतने भारी कपड़ों में सांस कैसे ले पा रही हो? वाई डोंट यू चेंज,’’ विलास ने कमरे में आते ही कहा, ‘‘मैं भी बहुत थक गया हूं. मैं भी चेंज कर लेता हूं.’’

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मोहना एक बार फिर खुशी से लाल हो गई. कितना समझने वाला साथी मिला है उसे. वो उठ कर बाथरूम में चेंज कर के आई तब तक विलास भी चेंज कर के बिस्तर पर लेट चुका था. ‘गुड नाईट’, मुसकरा कर कह विलास ने कमरे की लाइट बुझा दी. थोड़ी ही देर में पिछले कई दिनों से चल रही रस्मों की थकान और सुबह से उकड़ू बैठी मोहना को नींद ने घेर लिया.

सुबह दोनों फ्रैश उठे. एकदूसरे को देख कर मुसकराए. विलास बोला, ‘‘कुछ दिनों की बात है, मोहना, यहां तो रीतिरिवाज खत्म नहीं होंगे पर हम दोनों जब मुंबई चले जाएंगे तब लाइफ सैटल होने लगेगी.’’ विलास अपने पिता का कारोबार न संभाल कर मुंबई में नौकरी करता था. शादी के कुछ दिनों बाद दोनों का मुंबई चले जाने का कार्यक्रम तय था. पर उस से पहले विलास और मोहना को हनीमून पर जाना था. शादी का दूसरा दिन हनीमून की पैकिंग में गया और तीसरे दिन दोनों ऊटी के लिए रवाना हो गए. ऊटी का नैसर्गिक सौंदर्य देख दोनों प्रसन्नचित्त थे. रिजौर्ट भी चुनिंदा था. विलास के मातापिता की तरफ से ये उन की शादी का गिफ्ट था.

‘‘यहां का सूर्योदय बहुत फेमस है तो कल सुबह जल्दी उठ कर चलेंगे सन पौइंट. चलो अब सो जाते हैं,’’ कह विलास ने कमरे की लाइट बंद कर दी. आज मोहना को थोड़ा अजीब लगा. नई विवाहिता पत्नी बगल में लेटी है और विलास जल्दी सोने की बात कर रहा है, वह भी हनीमून पर. घर पर उसे लगा था कि समय की कमी, थकान, आसपास परिवार वालों की मौजूदगी आदि के कारण वो उस के निकट नहीं आया पर यहां अकेले में? यहां क्यों विलास को सोने की जल्दी है? पर फिर अगले ही पल उस ने अपने विचारों को झटका, कह तो रहा है कि सुबह जल्दी निकलना है और फिर कितना तो खयाल रखता है वह मोहना का. सारे रास्ते उस के आराम और खानेपीने के बारे में पूछता रहा. कुछ ज्यादा ही सोच रही है वह शायद.

अगला दिन अच्छा व्यतीत हुआ. दोनों ने काफी कुछ घूमा. देर शाम थक कर

दोनों कमरे में लौटे, ‘‘मोहना, प्लीज क्या तुम मेरी पीठ पर ये बाम लगा दोगी? मेरी पीठ में काफी दर्द है कुछ दिनों से,’’ विलास ने मोहना को बाम की एक शीशी देते हुए कहा.

‘‘हां, क्यों नहीं. इस में प्लीज कहने की क्या बात है. लाओ, मैं बाम लगा देती हूं,’’ वो बाम लगाते हुए सोचने लगी, ‘‘अगर तुम्हारी पीठ में दर्द है तो कल कमरे में ही रेस्ट करते हैं, कहीं घूमने नहीं निकलते.’’

‘‘नहीं, नहीं, सुबह तक आराम आ जाना चाहिए और फिर इतनी दूर तक आए हैं तो कमरे में रहने तो नहीं,’’ विलास ने कहा.

अगले 2 दिनों में दोनों ने ऊटी शहर के पर्यटक आकर्षणों को देखा. बोटैनिकल गार्डन, रोज गार्डन, सैंट स्टीफन चर्च आदि घूम कर दोनों ने शहर का पूरा लुत्फ उठाया. होम मेड चौकलेट भी खरीदीं और यहां की सुप्रसिद्ध चाय भी. सभी घरवालों के लिए कुछ न कुछ तोहफे भी लिए. आज वापसी की बारी थी. मोहना जरा सी उदास भी थी और नहीं भी. जब उस का कुंवारा दिल पति प्रेम के सानिध्य में डूबने की इच्छा जताता, वह उसे समझा लेती कि पतिपत्नी का रिश्ता एक हफ्ते का नहीं अपितु पूरे जीवन भर का होता है. जिस सामीप्य के लिए वह तरस रही है, वह उसे मिल ही जाएगा. तो फिर आज के खुशहाल क्षण क्यों गंवाए?

घर लौटने पर रानी और किशोरजी बेहद खुश हुए. अब तक सारे रिश्तेदार लौट चुके थे. घर अपने वास्तविक रूप में लौट चुका था. आज मोहना ने अपनी पहली रसोई बनाई जिस में रानी ने उस की पूरी सहायता की. शगुन के रूप में किशोर जी ने उसे सोने के कंगन दिए. इतना प्यार, इतना दुलार पा कर मोहना अपने भाग्य पर इठलाने लगी थी.

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कुछ दिन वहां रह कर मोहना और विलास मुंबई के लिए रवाना हो गए. सब कुछ बहुत अच्छा था, एकदम आदर्श स्थिति… बस कमी थी तो केवल शारीरिक सामीप्य की. विलास अब तक मोहना के निकट नहीं आया था. पर वह बेचारा भी क्या करे, पीठ में दर्द जो कायम था, सोच मोहना अपना मन संभाल रही थी.

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Serial Story: का से कहूं (भाग-4)

उस दिन भी रोज की तरह सब काम यथावत हो रहे थे. विलास की स्कूल बस नहीं आई तो मौसाजी ने उसे स्कूल छोड़ने का प्रस्ताव रखा, ‘‘यह अच्छा हो जाएगा, तुम तो जाते भी उसी तरफ हो,’’ कह किशारेजी आश्वस्त हो गए. लेकिन मौसाजी की नीयत में भारी खोट था. उन्होंने रास्ते में एक फ्लाईओवर के नीचे कोने में गाड़ी रोक ली. फिर उन्होंने विलास के साथ जबरदस्ती की. बेचारे विलास ने बहुत छूटने की कोशिश की पर विफल रहा.

एक बलिष्ठ आदमी के आगे छोटे बच्चे का क्या जोर. इस दुर्घटना ने उस के आत्मविश्वास को बुरी तरह छलनी कर दिया. ऊपर से उसे धमकी भी दी गई कि अगर मुंह खोला तो घर में कोई भी उस की बात का विश्वास नहीं करेगा. मां, अपनी बहन का साथ निभाएगी और पिता से ऐसी गंदी बात वह कह कैसे सकता है. विलास का बालमन घायल हो गया. लेकिन बेदर्दी मौसा को शर्म न आई. उस आदमी ने इस घटना को एक सिलसिला ही बना लिया. अब वह अकसर विलास को स्कूल छोड़ने की पेशकश करने लगा.

मातापिता सोचते कि बच्चा आराम से कार में चला जाएगा और मान लेते. विलास कितना भी मना करता, कभीकभी स्कूल न जाने के लिए बीमार होने का नाटक भी करता पर रानी और किशोरजी उस की एक न सुनते. सोचते अन्य बच्चों की तरह स्कूल न जाने के बहाने बना रहा है. मौसा ने उस के साथ दुष्कर्म करना जारी रखा. विलास अंदर से टूटता जा रहा था. कहे तो किस से कहे? इस कारण पढ़ाई में उस का मन न लगता जिस से स्कूल में उस के नंबर भी गिरने लगे.

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‘‘मम्मीपापा को काउंसलर ने स्कूल बुलाया तो उन्होंने बताया कि मैं अकसर स्कूल न जाने का बहाने बनाता हूं. बातोंबातों में यह बात सामने आई कि मौसाजी मुझे आराम से कार में छोड़ते हैं और मैं फिर भी नानुकुर करता हूं. शायद काउंसलर टीचर को कुछ संदेह हुआ. अगले दिन से उन्होंने अकेले में मेरी काउंसलिंग शुरू कर दी. अब तक इन हादसों को करीब 2 महीने गुजर चुके थे. टीचर के बारबार कुरेदने से मेरे अंदर की घबराहट बाहर आने लगी और एक दिन मैं ने उन्हें सब कुछ बता दिया. उस दिन मैं इतना रोया, इतना रोया कि टीचर भी मेरे साथ रो पड़ी थीं. फिर उन्होंने ही मेरे घर में बताया,’’ कह विलास चुप हो गया.

मोहना सुन्न बैठी थी. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि विलास के मुंह से वह ऐसी कोई बात सुनेगी. आज उसे समझ आ गया कि विलास का उस के पास न आना और न ही उसे पास आने देने के पीछे क्या कारण है. विलास मनोरूप से घायल है, खास कर संबंध बनाने को ले कर. मोहना, विलास का दर्द समझ सकती थी. आखिर वह उस की जीवनसंगिनी है, विलास ने उसे अपना समझ कर उस से अपना वह दर्द बांटा है जिसे वह कई सालों से अपने मन के किसी कोने में दबाए हुए था.

ऊपर से सब कुछ सही लगता है पर कितनी बार मन के अंदर की परतें रिस रही होती हैं. हम कितनी बार ऐसी खबरें पढ़तेसुनते हैं लेकिन इन का कितना गहरा असर होता होगा बाल मन पर, यह कितनी बार सोचते हैं हम? शायद कभी नहीं. कारण है कि हमारा अपना कोई इन खबरों का हिस्सा नहीं होता न. मोहना को भी आज पहली बार इस वेदना का अंदाजा हुआ था. एक पीडि़त के कथन के बाद वह समझी थी कि यौन शोषण जीवन पर एक काला धब्बा है. तो क्या इस की छाप अमिट है? क्या विलास या इस के जैसे बचपन में हुए हादसों के शिकार अन्य लोग उबर नहीं सकते? मोहना गहरी सोच में पड़ गई.

उस रात मोहना ने विलास का हाथ नहीं छोड़ा. शायद वह बिना बोले ही कहना चाहती थी कि वह उस की तकलीफ में उस के साथ है. आज विलास ने भी अपना हाथ छुड़ाने की चेष्टा नहीं की. अगली सुबह दोनों मुंबई के लिए रवाना हो गए. इस छोटी सी ट्रिप का काफी बड़ा फायदा हुआ था. कम से कम बात की असलियत तो सामने आई. अब मोहना ने ठान लिया कि वह विलास को मानसिक रूप से भी स्वस्थ कर के रहेगी. उस ने इस विषय पर काफी पढ़ना आरंभ कर दिया. जो ज्ञान, जो बात जहां से पता चल सकती थी, उस ने जानना शुरू कर दिया.

काफी कुछ पढ़ने से उसे यह पता चला कि यह एक जटिल मनोदशा होती है जो बड़े होने पर आहत मन में ट्रौमा के रूप में रहती है और यही हो रहा था विलास के साथ. कुछ महीनों के शोषण ने उस की पूरी जिंदगी पर गलत छाप छोड़ दी. मोहना ने पढ़ा कि ऐसी स्थिति से बाहर निकलने में काउंसलिंग काफी सहायक होती है. पहले उस ने एक अच्छी काउंसलर के बारे में पता लगाया. उन से मिली. उन की बातों से उसे आश्वासन मिला कि वह विलास की मदद अवश्य कर सकेंगी. हां, इस में कुछ महीनों का समय लग सकता है. मोहना को अब विलास को काउंसलिंग के लिए तैयार करना था.

‘‘तुम ने कहा था कि यह बात केवल हम दोनों के बीच रहेगी… फिर यह काउंसलिंग? यह गलत है मोहना, तुम ने मेरा विश्वास तोड़ा है,’’ मोहना की बात सुन कर विलास तैश में आ गया.

‘‘नहीं विलास, मैं तुम्हारा विश्वास जीतना चाहती हूं. मुझे ऐसा क्यों लगता है कि तुम किसी पापी के पाप की सजा खुद को देते आ रहे हो. तुम क्यों घुट कर जी रहे हो. आज जमाना खुल कर जीने का है. क्या तुम अपने आसपास नहीं देखते कि लोग स्वयं अपना जीवनसाथी चुन रहे हैं, यहां तक कि समलैंगिक साथी चुनने की आजादी भी मिल गई है. लोग शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, रेप विक्टिम्स खुल कर सामने आ रहे हैं, मातापिता बच्चों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर गुहार लगा रहे हैं,’’ मोहना पूरी कोशिश कर रही थी. ‘‘ऐसे में तुम बरसों पुरानी दुर्घटना की चादर अपने ऊपर से उतार फेंकने को तैयार नहीं हो. क्यों? क्या डर है तुम्हें? एक बार अपने भय का सामना तो करो. एक बार कोशिश तो करो. मैं वादा करती हूं कि अगर तुम्हें काउंसलिंग पसंद नहीं आई या तुम्हारी तकलीफ बढ़ी तो मैं तुम्हारा साथ दूंगी और एक बार फिर कहती हूं कि यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी.’’

मोहना के मनाने पर विलास काउंसलिंग के कुद सैशंस लेने को तैयार हो गया और पहले कुछ सैशंस में ही विलास ने अनुभव किया कि अपने अंदर जो पीड़ा, जो दर्द, घृणा व छटपटाहट उस ने दबा रखी थी, उस का पहाड़ रेत की तरह ढहने लगा है. धीरेधीरे विलास अपनी मनोचिकित्सक से खुलता गया. जितना उस ने अपनी भावनाएं बांटी, उस की वेदना उतनी ही घटती गई. कुछ महीनों में विलास अपने अंदर एक नयापन, स्फूर्ति और उल्लास अनुभव करने लगा.

कुछ महीनों में काउंसलिंग की अवधि समाप्त हो गई. विलास ने अब अपने भूत को पूरी तरह त्याग दिया. वह खुशी से वर्तमान में जीने लगा. मोहना तो खुश थी ही, क्योंकि उसे सही अर्थों में अपना पति मिल गया. एक और कारण था दोनों की खुशी का उन्हें एकदूसरे में सच्चा हमसफर जो मिल गया था.

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Serial Story: का से कहूं (भाग-2)

मुंबई पहुंच कर नए घर को व्यवस्थित करने का जिम्मा विलास ने मोहना को दिया, ‘‘अब से इस घर की सारी जिम्मेदारी तुम्हारी. चाहे जैसे सजाओ, चाहे जैसे रखो. हम तो आप के हुक्म के गुलाम हैं,’’ विलास का यह रूप, लच्छेदार बातें मोहना पहली बार सुन रही थी. अच्छा लगा उसे कि अकेले में विलास उस से बिलकुल खुल चुका था. विलास ने अपना औफिस वापस जौइन कर लिया और मोहना घर की साजसज्जा में व्यस्त रहने लगी. दिन में जितने फोन मोहना के मायके से आते, उतनी ही बार रानी भी उस से बात करती रहतीं. उसे अकेलापन बिलकुल नहीं महसूस हो रहा था. लेकिन विलास अकसर रातों को बहुत ही देर से घर लौटता, ‘‘आजकल काफी काम है. शादी के लिए छुट्टियां लीं तो बहुत काम पेंडिंग हो गया है,’’ वह कहता. घर की एक चाबी उसी के पास रहती तो देर रात लौट कर वह मोहना की नींद खराब नहीं करता, बल्कि अपनी चाबी से घर में घुस कर चुपचाप बिस्तर के एक कोने में सो जाता. मोहना सुबह पूछती तो पता चलता कि रात कितनी देर से लौटा था.

जब जिंदगी पटरी पर दौड़ने लगी तो मोहना सारा दिन घर में अकेले बोर होने लगी. विलास के कहने पर उस ने लोकल ट्रेन में चलना सीखा और अवसरों की नगरी मुंबई में 2 शिफ्टों में सुबहशाम की 2 नौकरियां ले लीं. अब मोहना खुद भी व्यस्त रहने लगी. शुरू में उसे यह व्यस्तता बहुत अच्छी लगी. लोकल ट्रेन में चलने का अपना ही नशा होता है. आप सारी भीड़ का एक हिस्सा हैं, आप उन के साथ उन की रफ्तार से कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं और एकएक मिनट की कीमत समझ रहे हैं. मोहना भी इस जिंदगी का मजा लेने लगी. उस के कुछ नए दोस्त भी बने. प्रियंवदा उस की अच्छी सहेली बन गई जो उसे अकसर लोकल ट्रेन में मिला करती. उस का औफिस भी उसी रास्ते पर था. प्रियंवदा की शादी को एक साल हुआ था और मोहना की शादी को अभी केवल 2 महीने बीते थे.

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‘‘दूसरी शिफ्ट की क्या जरूरत है, मोहना, रात को घर लौटते समय देर नहीं हो जाती?’’ एक दिन प्रियंवदा ने पूछा.

‘‘हां, करीब 10 बज जाते हैं पर विलास काफी देर से घर लौटते हैं तो मुझे कोई प्रौब्लम नहीं होती.’’

‘‘तभी मैं कहूं्… मेरे पति तो मुझे जरा सी देर भी अकेला नहीं छोड़ते. यहां तक कि किचन का काम निबटाने में भी अगर टाइम लग जाए तो शोर मचाने लगते हैं,’’ कह प्रियंवदा शरमा कर हंसने लगी, ‘‘तुम्हारी शादी तो और भी नई है. रात को ऐनर्जी कहां से लाती हो.’’

मोहना के मन में आया कि अपनी सहेली को असली बात बता दे पर फिर नई दोस्ती होने के कारण चुप रह गई. किंतु अब उस के मन की टीस बढ़ने लगी. हर किसी के बैडरूम के किस्से और मजाक सुन कर उस के मन में अपनी जिंदगी की रिक्तता और भी गहराने लगी थी. खैर, जिंदगी तो अपनी रफ्तार से भागती रहती है. यों ही 6 महीने गुजर गए. आज फिर मोहना ने शुरुआत करने के बारे में सोचा… उसे याद आया कि जब पिछले महीने उस ने विलास के करीब सरक कर अपना हाथ उस की छाती पर रखा था तो कैसे विलास ने बेरुखी से कहा था, ‘‘क्या कर रही हो?’’

‘‘कुछ नहीं,’’ सकुचा कर रह गई थी वह. पर फिर भी उस ने हाथ नहीं हटाया था. धीरे से विलास की बांहों में जब वह आ गई तो उस ने विलास के गाल को चूमा था. विलास असहज हो गया और बोला, ‘‘मोहना, आजकल औफिस में बहुत स्ट्रैस चल रहा है. इस कारण मुझे सिरदर्द भी है. तुम्हें बुरा न लगे तो मैं करवट लेना चाहता हूं,’’ और विलास मोहना की तरफ पीठ फेर कर सो गया था. न जाने कितनी और देर तक मोहना जागी रही थी. सोती भी कैसे, नींद जो पलकों में आने से इंकार कर रही थी. इन बीते दिनों में जब कभी उस ने हिम्मत कर के शुरुआत की तब विलास की तरफ से केवल बेरुखी हाथ लगी. कभी कहता आज बहुत थका हुआ हूं, तो कभी खराब तबीयत का बहाना.

आज फिर मोहना ने कोशिश करने की सोची. उस ने एक बहाना बनाया, ‘‘मेरी पीठ में

आजकल बहुत ड्राईनैस हो रही है, मौसम बदल रहा है न, शायद इसलिए. पर मेरा हाथ पूरी पीठ तक नहीं पहुंच पा रहा. क्या तुम मेरी पीठ पर क्रीम लगा दोगे?’’ कहते हुए मोहना ने अपनी पीठ पर क्रीम लगाने की फरमाइश की और उस की ओर अपनी नंगी पीठ ले कर बैठ गई. स्पर्श में बड़ी ताकत होती है. उसे उम्मीद थी कि क्रीम लगाते हुए शायद विलास का मन उसे बांहों में लेने को हो जाए. विलास ने क्रीम तो लगा दी लेकिन काम पूरा करते ही नजर फेर ली.

वैसे मोहना को विलास से और कोई शिकायत न थी. वह उस का पूरा खयाल रखता. जब कभी वह लेट हो जाता तो डिनर भी बना कर रखता. नाश्ता बनाने में, घर को व्यवस्थित रखने में उस की पूरी सहायता करता. मोहना को लगता जैसे विलास उस से प्यार तो करता है पर कुछ है जो उसे रोक रहा है.

अगले महीने से त्योहार शुरू होने वाले थे. चूंकि ये उन का पहला त्योहार था इसलिए दोनों ने घरवालों के साथ ही त्योहार मनाने का कार्यक्रम बनाया. विलास व मोहना कुछ दिनों के लिए अपने शहर लौटे.

उस शाम मोहना के घरवाले विलास के घर डिनर पर आमंत्रित थे. बातचीत का सिलसिला चल रहा था.

‘‘और बच्चों हमें गुड न्यूज कब सुना रहे हो?’’ विलास की बुआ जो इसी शहर में रहती हैं, भी आई हुई थीं.

‘‘उस के लिए तो इन दोनों को समय से घर आना पड़ेगा, बहनजी,’’ मोहना की मां ने जवाब दिया, ‘‘ये दोनों तो 10 बजे के बाद ही घर में घुसते हैं. मैं ने तो टोका भी मोहना को कि 2-2 शिफ्टों में नौकरी करने की क्या जरूरत?’’

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वह आगे कुछ कहतीं इस से पहले ही किशोरजी बोल पड़े, ‘‘अच्छा ही है न, देर से आएगी, थकी होगी तो बैडरूम में कोई डिमांड भी नहीं करेगी.’’ उन की यह बात जहां सभी को अटपटी लगी वहीं मोना को समझते देर न लगी कि किशोरजी स्थिति से अवगत हैं और उन्होंने फिर भी जानबूझ कर ये रिश्ता करवाया. उस का मन किशोर जी के प्रति घृणा से भर गया. तभी रानी भी बोल पड़ी, ‘‘बच्चे समझदार हैं, जो करना होगा खुद कर लेंगे, हमें कुछ भी बोलने की क्या जरूरत है भला,’’ ओह, तो इस का मतलब रानी भी सब जानती हैं.

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‘सासू जी तुने मेरी कदर न मानी’ गाने पर डांस करती दिखीं ‘गुड्डन तुमसे न हो पाएगा’ एक्ट्रेस, Photos Viral

‘जीटीवी’ पर हर सोमवार से शुक्रवार रात आठ बजे प्रसारित हो रहे ‘शून्य स्क्वायर प्रोडक्शन’के सीरियल ‘गुड्डन तुमसे न हो पाएगा’ की कहानी बीस वर्ष आगे बढ़ चुकी है और अब छोटी गुड्डन के किरदार में भी कनिका मान ही नजर आ रही हैं. मगर कहानी काफी दिलचस्प हो गयी है. सीरियल में छोटी गुड्डन का जन्मदिन बनाया गया. इस अवसर पर एक छोटी सी पार्टी रखी गयी, जिसमें छोटी गुड्डन यानी कि अभिनेत्री कनिका मान ने ‘‘सासू जी तूने मेरी कदर न मानी’गीत पर जमकर नृत्य किया.

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वास्तव में गुड्डन की हत्या के पीछे पुष्पा और सोना की ही साजिश रही है, जिसकी ग्लानि उन्हे सता रही है. इन दोनों का मन बार बार इनसे कह रहा है कि इन्होने एक पाप किया है और इन्हे अपने इस पाप को छोटी गुड्डन के सामने स्वीकार कर लेना चाहिए. जब गुड्डन के जन्म दिन को उनके पति अगस्तय की मौजूदगी में मनाने का निर्णय लिया गया, तो पुष्पा और सोना ने विचार विमर्श कर तय किया कि वह दोनो अपने पाप की स्वीकारोक्ति गुड्डन व उनके पति अगस्त्य के समक्ष उनके जन्मदिन के अवसर पर आयोजित पार्टी में कर लेंगें.

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लेकिन जिनका दिमाग हमेशा साजिश करने व दूसरों को नुकसान पहुंचाने में ही लगा रहता हो, वह भला कैसे अपने पाप को स्वीकार करेगा?तो आखिरी मोड़ पर पुष्पा का मन बदल गया और पुष्पा ने छोटी गुड्डन के शरबत ड्रिंक में मिलावट कर उसे नुकसान पहुंचाने की ठान ली. उधर अपनी जन्मदिन पार्टी में जब अति खुशी और उत्साह से गुड्डन लबालब हो गयी, तब वह ‘‘सासू जी तूने मेरी कदर न मानी’’गीत पर नृत्य करना शुरू कर दिया. इधर पुष्पा ने गुड्डन की खुशी के रंग में भंग डालने की अपनी योजना पर काम करने लगी. गुड्डन उर्फ कनिका मान के इस नृत्य ने सेट पर मौजूद हर किसी को उनकी प्रशंसा करने पर मजबूर कर दिया.

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वास्तव में कनिका मान के लिए नृत्य करना कोई परेशानी वाली बात भी नही थी. वह कहती हैं- ‘मेरे लिए नृत्य करना बहुत आसान रहा. मैं पहले भी दो पंजाबी फिल्मों ‘रॉकी मेंटल’ और ‘दाना पानी’ बतौर हीरोईन की हैं. और सभी जानते हैं कि पंजाबी फिल्मों में गीत संगीत व नृत्य की भरमार होती है. इसके अलावा मैं ‘रूहआफजा’,  ‘व्याह’,  ‘क्रश’, ‘पागल’ सहित कई पंजाबी म्यूजिक वीडियो का हिस्सा बनकर कई प्रकार के  नृत्य कर चुकी हैं. मुझे तो सीरियल ‘गुड्डन तुमसे न हो पाएगा’में ‘सासू जी तूने मेरी कदर न मानी’पर नृत्य करने पर मजा आया. ’’

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अंडर एज ड्राइविंग को करें ना

याद करो जब आप बचपन में कार पार्किंग में जाकर बंद कार को चलाने की कोशिश करते थें. उस वक्त आपको कार चलाना सिर्फ एक गेम लगता था. लेकिन रूकिए कार चलाना कोई गेम नहीं है जब तक आप एक सही उम्र में नहीं आ जाते.

अगर आप पेरेंट्स हैं और आप चाहते हैं कि आपके बच्चे कार चलाएं और पड़ोस तक लेकर जाएं तो आपको ध्यान रखना होगा कि आपके बच्चे सही उम्र में ही कार चलाएं. क्योंकि ड्राइविंग करने की क्षमता उम्र और एक्सपीरियंस के साथ आती है. ऐसे में ज्यादाजल्दबाजी में कहीं आपके बच्चे से कोई गलती न हो जाएं इस बात का ख्याल आपको रखना होगा. क्योंकि कई बार आपको ऐसी गटनाएं सुनने को मिलती है जिसमें कम उम्र के बच्चों से गलती हो जाती है. इसिलिए कार चलाने के दौरान अपने बच्चों को साथ ही साथ लोगों के भी सुरक्षा का ध्यान रखें.

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आज कल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी कार चलाने के लिए ज्यादा इच्छुक होते हैं इसलिए सभी यंगस्टर्स के लिए एक सलाह है कि वह अपने सही समय और सही उम्र का इंतजार करें. जब तक आपको कार चलाने की सर्टिफिकेट न मिल जाए तब तक कार को कहीं लेकर न जाएं. इससे आपके साथ- साथ रोड़ पर यात्रा कर रहे लोगों को भी नुकसान हो सकता है. कोई भी काम आप सही समय और सही उम्र से करते हैं तो आपको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती है. सही समय का इंतजार करें.

Reception में नई दुल्हन के साथ आदित्य नारायण का रोमांटिक डांस, Video वायरल

सोनी टीवी के सिंगिंग रिएलिटी शो ‘इंडियन आइडल 12’ के होस्ट आदित्य नारायण (Aditya Narayan) ने एक्ट्रेस श्वेता अग्रवाल (Shweta Aggarwal) को कई साल  तक डेट करने के बाद शादी कर ली है, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई है. लेकिन इसी बीच दोनों के वेडिंग रिसेप्शन की कुछ वीडियो वायरल हुई हैं, जिसमें दोनों रोमेंटिक अंदाज में डांस करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

शादी में जमकर नाची बाप बेटे की जोड़ी

 

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शादी के बाद आदित्य अपने ग्रैड रिसेप्शन में पापा उदित नारायण संग जमकर ठुमके लगाते नजर आ रहे हैं. वहीं उनकी मां भी इसमें आदित्या का पूरा साथ देते दिख रही हैं. इसी बीच एक और वीडियो में उदित नारायण और उनकी वाइफ दीपा ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे’ के पौपुलर गाने ‘मेहंदी लगा के रखना’ पर डांस करते नजर आ रहे हैं. वहीं आदित्य, सलमान खान के गाने ‘तेरे घर आया’ पर वाइफ श्वेता संग ताल से ताल मिलाते नजर आ रहे हैं.

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रिसेप्शन में पहुंचे खास मेहमान

 

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बौलीवुड के फेमस सिंगर उदित नारायण के बेटे के वेडिंग रिसेप्शन में जहां एक्टर गोविंदा भी अपने परिवार के साथ पहुंचे. वहीं ड्रग्स मामले को लेकर सुर्खियों में चल रही कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया भी मस्ती करते नजर आए.

 

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रोमेंटिक लुक में नजर आए थे आदित्य और श्वेता

शादी की सभी रस्मों के दौरान आदित्य नारायण और श्वेता अग्रवाल (Aditya Narayan and Shweta Agarwal) एक दूसरे का हाथ थामें सात फेरे लेते दिखे थे. वहीं आदित्य नारायण अपनी दुल्हन श्वेता को निहारते नजर आए , जिसे देखकर फैंस काफी तारीफें कर रहे थे. इसी बीच दोनों कुछ पल मस्ती करते हुए भी दिखे.

 

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बता दें, बौलीवुड सिंगर आदित्य नारायण ने 1 दिसंबर को 10 साल पुरानी गर्लफ्रेंड और मंगेतर श्वेता अग्रवाल से इस्कॉन मंदिर में शादी की थी, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर छाइ हुई है.

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प्रैग्नेंट अनुष्का का शीर्षासन और समाज पर साइड इफेक्ट्स

2 दिसम्बर को देश के प्रमुख अखबारों में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली का एक फोटो छपा है. इस फोटो में विराट अपनी 8 माह की गर्भवती पत्नी फिल्म अभिनेत्री अनुष्का शर्मा को दीवार के सहारे शीर्षासन करवा रहे हैं. अनुष्का का सिर जमीन पर है और पैर ऊपर.

फुल साइज के फोटो में साफ दिख रहा है कि अनुष्का शर्मा गर्भवती है. यह फोटो खुद विराट कोहली ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. यह फोटो ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने से पहले का है. चूंकि अनुष्का बच्चे को जन्म देने वाली है, इसलिए विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया दौरे को बीच में छोड़ कर आएंगे.

 

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सब जानते हैं कि जब कोई सेलेब्रिटी फोटो पोस्ट करता है तो आम लोग नकल करने लग जाते हैं. फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन जिन उत्पादों का विज्ञापन करते हैं उन की बिक्री रातोंरात बढ़ जाती है. भले ही अमिताभ बच्चन तेल का विज्ञापन करें या बीकानेरी नमकीन का.  ऐसे में सवाल उठता है कि यदि कोई सामान्य वर्ग की 8 माह की गर्भवती महिला अनुष्का शर्मा की तरह शीर्षासन करे तो क्या होगा?

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राजस्थान की मशहूर गायनोकोलॉजिस्ट और अजमेर के राजकीय जनाना अस्पताल की प्राचार्य रहीं डॉ. स्नेहलता ने कहा कि आम महिलाओं को सेलेब्रिटी की नकल नहीं करनी चाहिए. चूंकि शीर्षासन में ब्लड का सरकुलेशन सिर की ओर यानि विपरीत दिशा में हो जाता है, इसलिए गर्भ में पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है. ऐसे में प्री-मिच्यौर डिलीवरी भी हो सकती है.

 

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डॉ. स्नेहलता ने माना कि विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसी सेलेब्रिटी के घरों में योग प्रशिक्षक होते हैं. ऐसे प्रशिक्षकों की उपस्थिति में अनुष्का शीर्षासन कर रही है. इस के लिए अनुष्का का अभ्यास भी रहा होगा. हो सकता है कि फोटो खिंचवाने के समय चिकित्सक भी उपस्थित रहे हों, लेकिन सामान्य परिवारों की गर्भवती महिलाओं को शीर्षासन से परहेज करना चाहिए.

डॉ. स्नेहलता ने कहा कि अखबारों को भी ऐसे फोटो प्रकाशित करने के साथ विशेषज्ञों की राय भी देनी चाहिए. अनुष्का शर्मा किसी फिल्म की शूटिंग नहीं कर रही हैं, बल्कि हकीकत में एक बच्चे को जन्म देने जा रही है. जब हम हकीक़त प्रकट करने जा रहे हैं तब सच्चाई सामने रखनी चाहिए. वैसे तो गर्भवती पत्नी का शीर्षासन वाला फोटो सार्वजनिक करने का कोई तुक नहीं है. सामान्य गर्भवती महिला को अपने और गर्भ में पल रहे बच्चे का ख्याल रखना चाहिए.

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शादी के बाद हाय मोटापा

राधिका जब 22 साल की थीं जब उनकी शादी अरुण से हुई. दुबले-पतले छरहरे जिस्म और तीखे नैन-नक्श वाली राधिका भरेपूरे और आर्थिक रूप से अपने मायके से ज़्यादा संपन्न घर में आकर बहुत खुश थी. लेकिन उन्होंने महसूस किया कि शादी के कुछ महीने बाद से ही उनका वजन आश्च र्यजनक ढंग से बढ़ने लगा.

राधिका कहती है, ‘शादी के एक साल के अंदर ही मुझे अचानक एहसास हुआ कि मैं जैसे पहली थी वैसी नहीं रही. मेरी जगह एक मोटी औरत ले रही थी. पहले तो मुझे समझ नहीं आया कि ऐसा क्योंै हो रहा है. अभी तो मेरे बच्चेक भी नहीं थे और मुझे खाने के साथ ज्याझदा परेशानी भी नहीं थी. जब मैंने बैठकर सोचा तो मुझे समझ में आया कि आखिर मैं कैसे मोटी हो रही हूँ. दरअसल मैं शादी से पहले आजाद और मस्तीुखोर लड़की थी, जब मन किया तब खाया, नहीं मन किया तो नहीं खाया, दिन भर ऐसे ही घूमते और मस्ती करते बीतता था, लेकिन शादी के बाद मेरी जिंदगी सोफे के इर्द-गिर्द घूम रही थी, जहां मैं बैठकर यही सोचती थी कि लंच और डिनर में क्याज पकाया जाए जो मेरी ससुराल वालों और पति को खूब पसंद आये. इस चक्कर में मैं सादे खाने की बजाय घी और मसाले वाला रिच खाना भी लगातार बना-खा रही थी. पहले हफ्ते में दो या तीन बार कोई स्वीट डिश चख ली, मगर शादी के बाद हर दिन किसी ना किसी खाने में कोई ना कोई स्वीट डिश बना रही थी. कभी हलवा, कभी खीर, कभी गुलाब जामुन, कभी रबड़ी तो कभी फ्रेंच टोस्ट. और तो और यूट्यूब से भी रेस्पीज देख कर अनेकों नयी नयी डिशेज़ ट्राय कर रहे थी. ये सब सिर्फ पति और सासुमाँ की तारीफ़ पाने और किचेन में अपना वर्चस्व जमाने के लिए था, लेकिन इसका बुरा असर मेरे शरीर पर पड़ने लगा था. कमर कमरा बनने की ओर अग्रसर थी.’

अनुराधा की शादी में शुरू से ही टेंशन ने अपनी जगह बना ली थी. शादी से पहले अनुराधा का साइज़ 12 था, जो कि बिलकुल स्वस्थ वजन है, लेकिन शादी के बाद ससुराल के तनाव और बोरियत से बचने के लिए वह काफी खाने लगी थी. अनुराधा कहती हैं, ‘शादीशुदा जिंदगी ने डायटिंग करना नामुमकिन बना दिया था. शादी से पहले मुझे वजन घटाना आसान लगता था. मैं एक-दो बार का खाना भी छोड़ देती थी, लेकिन एक शादीशुदा औरत होने के नाते मुझे अपने पति और सास-ससुर के बारे में भी सोचना पड़ता था. वैसे भी हम एक साथ बैठकर खाना खाने के अलावा कोई काम साथ में नहीं करते थे. मेरे पति से मेरी आदतें और विचार बहुत अलग थे. फिर धीरे-धीरे मेरी शादीशुदा जिंदगी में दरार पड़ने लगी और इस तनाव में मैं और ज़्यादा खाने लगी. अपना दुख को भूलने के लिए मैं अक्सर पास के रेस्त्रां से पिज्जाम और गारलिक ब्रेड भी आर्डर करने लगी. मेरे बढ़ते वजन के साथ ही पति के साथ मेरा रिश्तां भी बिगड़ता जा रहा था. मुझे यकीन था कि मैं अपने पति को आकर्षक नहीं लगती थी इसलिए मैं उनके साथ फिजिकल रिलेशन बनाने से परहेज करती थी. मैं ढीले-ढाले कपड़े पहनने लगी और अपने को अधेड़ समझने लगी थी.’

जब अनुराधा साइज़ 15 की हो गयीं तब उन्हें अपने शरीर को ले कर चिंता होने लगी. सास भी अक्सर उनके बढ़ते वजन पर कमेंट करने लगी, तब अनुराधा ने जिम ज्वाइन कर लिया. वह अपने पति को दिखाना चाहती थीं कि वह अपना वजन घटाने की कोशिश कर रही हैं ताकि वह फिर से सेक्सी दिखने लगें. लेकिन जब पति बाहर होते तो वह बैडरूम में बिस्तर पर पड़ी चुपके-चुपके पिज़्ज़ा और चॉकलेट खाती थी क्योंकि वह बहुत बोर और अकेली हो जाती थीं. अनुराधा हफ्ते में चार बार जिम जाती थीं, बावजूद इसके उनका वजन ज़रा भी कम नहीं हो रहा था और घर में तनाव इतना कि शादी टूटने की कगार पर आ पहुंची थी. इस दर्द को कम करने के लिए वह और ज़्यादा जंक फूड खाने लगी थी.

आखिरकार एक दिन उनका रिश्ता टूट ही गया. अनुराधा ससुराल से मायके वापस लौट आयी लेकिन दो साल के अंदर ही वह बिना किसी व्यायाम के, बिना डायटिंग के पुनः अपने पुराने स्लिम ट्रिम आकार में वापस आ गयीं. वजह थी तनाव से मुक्ति और आज़ाद जीवन की ख़ुशी. मायके में उनकी पुरानी गतिविधियां फिर से शुरू हो गयी थीं. उनको संगीत से प्यार था और मायके में आ कर उन्होंने अपना रियाज़ फिर से शुरू कर दिया था. इससे उनको असीम मानसिक शान्ति का अहसास होता था. घूमने-फिरने का शौक था जो बिना रोकटोक पूरा हो रहा था. फिर अनुराधा ने नौकरी ज्वाइन कर ली. ऑफिस की सीढिया उतरते-चढ़ते कब वो अपने पुराने सेक्सी लुक में वापस आ गयीं, पता ही नहीं चला.

शादी के बाद बहुत ज़्यादा ख़ुशी और बहुत ज़्यादा तनाव दोनों ही स्थितियां औरत के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ पर तेज़ी से असर डालती हैं. भारत में आमतौर पर लड़कियों की शादी बीस से पच्चीस साल की उम्र में होती है. बीस- पच्चीस साल कोई व्यक्ति अपने घर में जिस तरह के खानपान और आदतों में जीता आया है, शादी होते ही वह सबकुछ अचानक ही बदल जाता है. सोने जागने के टाइम से लेकर खान-पान, घूमना-फिरना, मनोरंजन, व्यायाम, कामकाज सब ससुराल वालों की इच्छा को देखते हुए नए तरीके से करना पड़ता है. कुछ लड़कियां जो शादी से पहले जिम जाती थीं, स्पोर्ट्स में पार्टिसिपेट करती थीं, मॉर्निंग वाक पर जाती थीं या खुद को फिट रखने के लिए कुछ और करती थीं, शादी के बाद ये सब बंद हो जाता है. फिर तो सुबह उठ कर पहले घर वालों के लिए चाय-नाश्ते की तैयारी करो, पति दफ्तर जाता है तो उसके नाश्ते से लेकर लंच बनाने और पैक करने की जिम्मेदारी नयी-नवेली बहु के कंधे पर तुरंत धर दी जाती है. ऐसे में खुद के व्यायाम के लिए समय कहाँ होता है? शादी के बाद महिलाओं की लगता है कि वो बहुत काम करती है इसलिए व्यायाम की क्या जरूरत है इस लापरवाही के कारण एक्सट्रा कैलोरी बर्न नहीं होती और वो मोटी हो जाती हैं..

मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण खानपान में होने वाला बदलाव भी है. अब नीलम की समस्या को ही ले लें. नीलम की शादी 28 साल की उम्र में हुई. शादी के वक़्त उसका वजन 49 किलो था, जो कि बहुत अच्छा था. नीलम काफी चुस्त थी. एनर्जेटिक थी. शादी के बाद जब वह ससुराल आई और किचेन सम्भाला तो यहां सारा खाना रिफाइंड आयल और देसी घी में बनता था. सरसों के तेल की महक तो यहाँ किसी को बर्दाश्त ही नहीं थी. जबकि मायके में अट्ठाइस साल तक वह सरसों के तेल में बना खाना ही खाती आई थी. यहाँ रोटी में भी देसी घी चुपड़ा जाता था और सुबह-शाम दाल में तड़का भी देसी घी का लगता था. नतीजा ये हुआ कि छह महीने के अंदर ही नीलम के सारे कपड़े तंग हो गए. वजन बढ़ गया. चुस्ती फुर्ती गायब हो गयी और वह आलसीपन की गिरफ्त में आ गयी. सिर्फ कुकिंग आयल में बदलाव से ही नीलम का सुन्दर शरीर भोंडा होना शुरू हो गया. फिर भारत में तो शादी के बाद लड़कियों के लिए बहुत सारी चीज़ें बदल जाती हैं और अधिकाँश लड़कियाँ ससुराल में एडजेस्ट होने के दौरान भारी तनाव का सामना भी करती हैं. तनाव मोटापा बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक है. तनाव के कारण भूख भी ज़्यादा लगती है.

अंजलि की सास दुष्ट चरित्र की महिला है. वह अंजलि के हर काम में नुक्स निकालती है. पूरे वक़्त उस पर नज़र रखती है कि वह कौन सा काम कैसे कर रही है. दिन में काम से थक कर वह एक घंटा आराम करने अपने कमरे में जाती है तो उसके आराम के वक़्त में उसकी सास घर के अन्य सदस्यों या पड़ोसी महिलाओं से जोर-जोर से बातचीत करती है ताकि वह सो ना सके. सास की बातों में उसकी आलोचना के वाक्य उसे तनाव से भर देते हैं. वह दिन का एक घंटा भी अपने शरीर और दिमाग को रेस्ट नहीं दे पाती है. इसका असर बड़ी तेज़ी से उसके शरीर पर पड़ रहा है. तनाव की वजह से उसको कब्ज़ भी रहने लगा है. खानपान ठीक ना होने से अपच और जलन की शिकायत हो गयी है. मगर ये बातें किससे कहे.

वजन बढ़ना आज महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या है और यह मोटे होने की ये समस्या शादी के बाद सिरदर्द बन जाती है. एक अध्ययन के मुताबिक शादी के पांच साल बाद 82 प्रतिशत महिलाओं का वजन बढ़ जाता है. कुछ कारण जो हर घर में नज़र आते हैं हमने ऊपर बताये. शादी के बाद सेक्स लाइफ शुरू होने से महिलाओं के शरीर में होने वाला हार्मोनल चेंज भी मोटापे की वजह बनता है.

शादीशुदा जीवन की शुरुआत के साथ लड़की में कई तरह के इमोशनल और हार्मोनल बदलाव आते है. सेक्सुयल लाइफ में एक्टिव होना भी वजन बढ़ाने में जिम्मेदार होता है. इसके अलावा लडकियां जल्दी गर्भधारण से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का भी इस्तेमाल करने लगती है जो मोटापे का कारण बनती हैं.

शादी के पहले लड़कियां अपने लुक्स और वेट पर ज्यादा ध्यान देती हैं और नियमित एक्सरसाइज भी करती हैं. ये सब इसलिए भी होता है ताकि शादी में परेशानी ना हो और उनके लुक्स और परफेक्ट फिगर को देख कर उन्हें स्मार्ट और हैंडसम लड़का मिल जाए. शादी होते ही वह एक्सरसाइज वगैरा छोड़ कर लाइफ को एन्जॉय करने में लग जाती हैं. मनचाहा खाना खाती हैं. नवविवाहित कपल्स अधिकतर डिनर के लिए बाहर जाते है और हाई कैलोरिज कंज्यूम करते हैं. इससे महिलाओं के पेट का एरिया बढ़ जाता है. शादी के बाद लड़कियां अपनी और अपने पति की जिंदगी में व्यस्त हो जाती है और खुद की केयर करना उनके लिए मुश्किल होता है. लिहाज़ा उनका वजन बढ़ने लगता है. इसके अलावा शादी के बाद लड़कियों के स्लीपिंग पैटर्न बदल जाता है. कई बार वे पर्याप्त नींद नहीं ले पाती है और लड़कियों में वजन बढ़ने का सबसे बड़ा कराण यही है. शादी के पहले, हमारे करीबी कहते रहते हैं कि सुंदर दिखो. लेकिन शादी के बाद यह दबाव नहीं के बराबर रहता है. इसलिए महिलाएं अपनी फिटनेस को लेकर गैरजिम्मेदार हो जाती है. शादी के बाद कई महिलाओं का ज्यादा समय नए सदस्यों के साथ गॉसिपिंग में जाता है. जिन घरों में नयी बहू के लिए माहौल खुशनुमा होता है, वहां उसकी ननद, देवरानी या अन्य बराबर की उम्र की महिलायें होती हैं, तो नयी बहू का बहुत सारा समय उनके साथ बिस्तर पर बैठ कर गप्प मारने में भी जाता है और इससे भी वजन बढ़ता है.

आजकल लोग 28-30 साल के बीच शादी कर लेते हैं. अध्ययन के मुताबिक 30 के बाद शरीर का मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है जिससे शरीर का वजन बढ़ता है. अधिकांश कपल्स शादी के 1 या 2 साल बाद फैमिली प्लानिंग करते हैं. बच्चे को जन्म देने के बाद अधिकांश महिलाएं अपना वजन कम करने की कोशश नहीं करती. ना ही मालिश वगैरा करवाती हैं. इससे बाद कई शारीरिक व्याधियां भी पैदा होती हैं और प्रेगनेंसी की वजह से बढ़ा हुआ वजन भी परमानेंट हो जाता है.

6 टिप्स: इन गैजेट्स से करें घर की सेफ्टी

महानगर हों या छोटे शहर आए दिन चोरी की घटनाएं सुनने को मिल जाती हैं. चोर घर को खाली देख तुरंत हाथ साफ कर लेते हैं. लेकिन अब आप को चोरों से डरने की जरूरत नहीं और न ही अपने घूमने के प्रोग्राम को कैंसल करने की, क्योंकि आज की हाईटैक, स्मार्ट टैक्नोलौजी के जमाने में अपने घर को सुरक्षित रखने के लिए हर तरह के सस्ते, सुंदर और टिकाऊ विकल्प उपलब्ध हैं, जिन के जरीए आप कहीं भी रह कर अपने घर पर नजर रख सकती हैं. नीबू लटकाने से या पूजा करवाने से आप का घर सुरक्षित नहीं होगा, यह याद रखें.

1. वाई-फाई सर्विलांस कैमरा

आजकल ज्यादातर नौकरीपेशा हैं. ऐसे में घर की चिंता हमेशा सताती रहती है. लेकिन अब आप वाईफाई कैमरा लगा कर बेफिक्र हो सकती हैं, क्योंकि इस में लगा सैंसर किसी भी तरह की आवाज या चहलकदमी को पहचान लेता है और आप को ईमेल के जरीए अलर्ट भेज देता है. इस में नाइट विजन की भी सुविधा है, जिस से अंधेरे में भी यह काम करता है और इस से आप को चित्र, वीडियो मिल सकते हैं. यह आप के फोन से भी कनैक्ट हो सकता है जिस से कहीं भी रह कर आप अपने घर पर होने वाली गतिविधि को देख सकती हैं.

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2. औटोमैटिक लाइट

घर की सुरक्षा के लिए लाइट टाइमर भी एक अच्छा विकल्प है. इस की खूबी यह है कि यह आप के द्वारा तय समय पर जलेगी और बंद होगी. इतना ही नहीं, इस में एक खास खूबी यह भी है कि यदि आप इसे रेडियो से कनैक्ट कर देती हैं, तो लाइट जलने के साथसाथ गाना भी बजने लगेगा, जिस से चोरों को भ्रम होगा कि कोई घर में है और फिर वे घर में घुसने की हिमाकत नहीं करेंगे.

3. फिंगर लौक

यह शानदार डिवाइस सुरक्षित और भरोसेमंद है तथा जो बाजार में आसानी से उपलब्ध है. यह फिंगर लौक एक इलैक्ट्रौनिक लौक है, जिस में स्कैनर लगा होता है. इस में परिवार के सभी सदस्यों के फिंगर प्रिंट लौक किए जाते हैं. दरवाजा सिर्फ उन की फिंगर को पहचान कर ही खुलता है. यदि कोई इसे तोड़ने या खोलने का प्रयास करता है, तो घर के अंदर लगा सायरन बजने लगता है. इस तरह से आप की गैरमौजूदगी में भी आप का घर सुरक्षित हरेगा. आजकल लोग मुख्य दरवाजे पर बायोमीट्रिक्स न्यूमैरिक लौकिंग, प्री टाइम सैटिंग, कार्ड स्वैपिंग लौक आदि का उपयोग अधिक कर रहे हैं.

4. वीडियो डोर फोन

यह एक ऐसा डिवाइस है, जिसे ऐंट्री गेट पर लगाया जाता है. जब भी आप के गेट पर आ कर कोई बैल बजाता है, तो उस का फोटो अंदर लगी स्क्रीन पर आ जाता है और अनजान व्यक्ति से गेट खोले बिना भी बात की जा सकती है. यह डिवाइस चोरी व अपराध होने से बचाता है. इस डिवाइस को आप चाहें तो अपने स्मार्ट फोन से भी कनैक्ट कर सकते हैं. वैसे यह सिस्टम वाईफाई पर भी काम करता है. ऐसे में अगर आप घर पर नहीं होंगी, तो भी घर आए व्यक्ति से बात कर उस से काम पूछ सकती हैं.

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5. इंट्रूजन अलार्म

बाहर की सुरक्षा के बाद हमें अपने घर के अंदर की सुरक्षा के बारे में भी ध्यान रखना चाहिए. यदि कोई किसी तरह इन सुरक्षा उपकरणों से चालाकी कर के अंदर प्रवेश करने में कामयाब हो भी जाता है तो घबराएं नहीं. घर को ऐसी स्थिति से बचाने के भी उपाय मौजूद हैं. इस के लिए आप अपने घर में इंट्रूजन अलार्म जैसे हाईटैक उपकरण लगा सकती हैं. आप की गैरमौजूदगी में यदि कोई घर के अंदर अनधिकृत रूप से प्रवेश करता है या घर में कुछ असामान्य होता है, तो यह अलार्म उस की पहचान कर अलार्म बजा देता है. इस में कुछ फोन नंबर भी फीड करने की सुविधा होती है, जिस से आप तक सूचना पहुंच जाती है.

6. फायदे हैं अनेक

– घर में इन सिक्योरिटी गैजेट्स लगाने से आप के कीमती सामान की सुरक्षा होती है.

– इन की सहायता से चोरों का पता आसानी से लगाया जा सकता है.

– आधुनिक सुरक्षा प्रणाली से आप दूर रह कर भी आसानी से घर पर नजर रख सकती हैं, देख सकती हैं कि घर में क्या हो रहा है, साथ ही दरवाजे के लौक, रोशनी व अन्य उपकरणों पर नियंत्रण रख सकती हैं.

– इन की सहायता से घर में आग लगने जैसी दुर्घटनाओं से भी बचा जा सकता है.

– यदि आप वर्किंग हैं, तो कैमरे की सहायता से बच्चों पर नजर रख बेफिक्र हो औफिस में काम कर सकती हैं.

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