आखिर कौन हैं कमला हैरिस…

लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह

अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को के काउंटी अल्मेडा की अदालत के कटघरे में एक 14 साल की लड़की थी. उस के फेस पर गहरा मेकअप था. अदालत की ज्यूरी सहित सभी उसे विचित्र नजरों से देख रहे थे. तभी उस लड़की के वकील के रूप में डिस्ट्रिक्ट एटार्नी कमला हैरिस ने ज्यूरी की ओर देख कर कहा, ‘‘कटघरे में खड़ी यह लड़की गैंगरेप का शिकार बनी है. मैं जानती हूं आप लोग नहीं चाहते कि यह लड़की आप लोगों के बच्चों के साथ खेले. पर इस देश का कानून मात्र गोरे लोगों को बचाने के लिए नहीं बना है.
कटघरे में खड़ी यह लड़की अभी मासूम है और इसे उन लोगों से सुरक्षा चाहिए, जो इसे जंगली जानवरों की तरह नोच खाने की ताक में बैठे हैं.’’

असिस्टेंट एटार्नी के रूप में अदालत में जब कमला हैरिस कटघरे में खड़ी लड़की की ओर अंगुली से इशारा कर के ज्यूरी की आंख से आंख मिला कर बात कर रही थीं, तब उन की कही एकएक बात ज्यूरी के दिल में उतरती जा रही थी. इस केस को कमला हैरिस जीत गई थीं, लड़की के साथ रेप करने वाले अपराधी ठहराए गए थे. पर अदालत से निकलने के बाद वह लड़की गायब हो गई थी.

डिस्ट्रिक्ट एटार्नी कमला हैरिस और पुलिस ने उस लड़की की बहुत खोज की, पर उसका कहीं पता नहीं चला. वकील के रूप में कैरियर बना चुकी कमला हैरिस सदैव दमन का शिकार बनी युवतियों के लिए लड़ती रहीं. वकील के रूप में उन का अटेंशन हमेशा टीनएज प्रोटक्शन पर रहा.

पुलिस जब सेक्स बेचना अपराध है, इस बात पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही थी, तब कमला हैरिस देख रही थीं कि युवा लड़कियों को आर्थिक तंगी की वजह से ड्रग एडिक्ट बना कर अथवा जबरदस्ती गंदे व्यवसाय में धकेला जा रहा है.

ये भी पढ़ें- बेबी करें प्लान लेकिन इन बातों का रखें ध्यान

कमला हैरिस का मानना था कि जो लड़कियां इस सैक्स के बिजनेस से बाहर जाना चाहती हैं, उन के लिए समाज में खड़ी होने का क्या स्थान है? सेन फ्रांसिस्को जैसी जगह में इन लड़कियों के लिए सेफ हाऊस कहां है? आखिर कमला हैरिस और उन के साथियों के प्रयास से जनवरी, 2004 में इस तरह की लड़कियों के लिए एक सेफ हाऊस शुरू किया गया.

यही कमला हैरिस आज 2020 में अमेरिका के वाइस प्रेसीडेंट का चुनाव लड़ने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी की अत्यंत चर्चित उम्मीदवार हैं. अमेरिका के प्रेसीडेंट ट्रंप को इस समय अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार जो विडेन की उतनी चिंता नहीं थी, जितनी चिंता अब वाइस प्रेसीडेंट की उम्मीदवार कमला हैरिस की है.
जो बिडेन ने कमला हैरिस को वाइस प्रेसीडेंट के रूप में पसंद कर के प्रेसीडेंट ट्रंप के इंडियन मतदाताओं के गणित पर पानी फेर दिया है. क्योंकि कमला हैरिस की जड़ इंडिया में है.

कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन मूल रूप से तमिलनाडु की थीं. पढ़ाई के लिए वह 1960 में मद्रास से अमेरिका गईं और वहां कैंसर रिसर्चर के रूप में काम किया. श्यामला ने अमेरिका में ही इकोनौमी के प्रोफेसर डोनाल्ड हैरिस के साथ शादी की, जो अफ्रीका के जमैका के रहने वाले थे.

जब कमला 5 साल की थी, तभी दोनों में तलाक हो गया था. इस तरह कमला हैरिस को उन की मां श्यामला और उन के दादा गोपालन, जो भारत में ब्रिटिश सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में अफसर थे, से भारतीय संस्कार मिले.

कमला हैरिस को एक ब्लैक वुमन के रूप में अमेरिका में काफी संघर्ष करना पड़ा है. परंतु वह कभी अपनी चमड़ी के रंग की वजह से पीछे नहीं हटीं. वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू करने के बाद कमला हैरिस एक के बाद एक क्षेत्र में विजयी होती गईं.

हार्वर्ड कालेज से ग्रेज्युएशन करने के बाद कमला ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई की और वकील के रूप में काम करना शुरू किया. 1990 में कमला को कैलिफोर्निया के अल्मेडा शहर में असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट एटार्नी बनने का मौका मिला.

2003 में कमला सेन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में चुनी गईं. इस पद तक पहुंचने वाली कमला हैरिस पहली महिला थीं. इस चुनाव में उन्होंने अपनी बौस रह चुकी टेरेस हलीनन को हरा कर सब को चौंका दिया था. कमला हैरिस का स्वभाव ही सब को चौंकाने वाला था. कमला हैरिस ने 2 बार सेन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के बाद 2011 में कैलिफोर्निया की एटार्नी जनरल पर अपना दावा ठोंका. कमला 2 बार अपने प्रतिद्वंद्वियों को हरा कर राज्य की एटार्नी जनरल बनीं. इस पद पर कमला पहली अश्वेत महिला थीं.

कैलिफोर्निया जैसे समृद्ध राज्य की एटार्नी जनरल बनने के बाद कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी में अपना दबदबा बढ़ाती रहीं. जब अमेरिका के प्रेसीडेंट बराक ओबामा थे, तब ओबामा की फ्रंट ट्रेजर के रूप में काम कर के कमला प्रेसीडेंट ओबामा की नजरों में चढ़ गईं.

2016 में जब कमला ने कैलिफोर्निया की सीनेटर के रूप में अपना काम किया तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ. हैरानी की बात यह थी कि डेमोक्रेटिक पार्टी में सीनेटर के रूप में उम्मीदवारी करने वाली कमला हैरिस हमेशा चुनाव जीतती रहीं.

इस का कारण गरीब, अश्वेतों, अल्पसंख्यकों, इमिग्रंट्स और गे कम्युनिटी पर उन की मजबूत पकड़ थी. समाज से उपेक्षित और अमेरिकी समाज के शिक्षित कहे जाने वाले लोग गे को धिक्कारते हैं. जबकि उन के न्याय के लिए कमला हैरिस हमेशा लड़ती रहीं.

उन के लिए कानून की लड़ाई लड़ते हुए कमला हैरिस का विरोध उन की पार्टी के तमाम नेताओं ने भी किया, परंतु कमला हैरिस इस लड़ाई में पीछे नहीं हटीं और उसी का परिणाम था कि गरीब पीडि़त अमेरिकियों ने कमला हैरिस को हमेशा बहुमत से चुनाव जिताया. जब कमला हैरिस से पूछा गया कि अन्याय से लड़ने के लिए इतनी जबरदस्त ताकत उन के अंदर कहां से आई तो उन्होंने संकोच किए बगैर कहा कि ‘मैं बचपन से ही ऐसे माहौल में पलीबढ़ी, जहां हम ने लोगों को अन्याय से लड़ते देखा है.

मेरे मातापिता भी जातिभेद के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेते थे. बर्कले शहर में जहां मैं बड़ी हुई, वहां हमारी चमड़ी के रंग की वजह से पड़ोसी बच्चे मेरे और मेरी बहन के साथ खेलने नहीं आते थे.

इन सभी सामाजिक बुराइयों को देख कर मैं ने वकील बनने का निश्चय किया. इसीलिए मैं पीडि़त लोगों की लड़ाई लड़ रही हूं.’ आज कमला हैरिस अमेरिका में ‘लेडी ओबामा’ के रूप में जानी जाती हैं.

हैरानी की बात यह है कि जिन कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रेसीडेंट के उम्मीदवार जो बिडेन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए पसंद किया है. कमला हैरिस ने उन्हीं जो बिडेन के सामने पार्टी के प्राइमरी इलेक्शन में प्रेसीडेंट की उम्मीदवारी दर्ज कराई थी.

ये भी पढ़ें- डाक्टर के बजाय चपरासी क्यों बनना चाहते हैं युवा

जबकि यह चुनाव जीतने के बाद जो बिडेन अपना उपराष्ट्रपति किसे घोषित करेंगे, अमेरिका में इस की काफी चर्चा थी. आखिर जो बिडेन ने फाइटर लीडर कमला को पसंद किया और आज कमला हैरिस प्रेसीडेंट ट्रंप के सामने एक जबरदस्त ट्रंप कार्ड बन कर उभरी हैं.

कमला हैरिस इंडियन और अफ्रीकन मूल के लोगों को आकर्षित कर सकती हैं. क्योंकि कमला की मां इंडियन और पिता अफ्रीकन मूल के थे. ऐसे संयोगों में दोनों कम्युनिटी के लोग कमला हैरिस की उम्मीदवारी से खुश हैं, जिस से प्रेसीडेंट ट्रंप की नींद उड़ी हुई है.

अगर आप भी जाना चाहते हैं रोड ट्रीप पर तो इन नियमों का करें पालन

यात्रा पर लगा प्रतिबंध पर अब कम कर दिया गया है. अगर आप ड्राइव पर जाना चाहते हैं तो यह आपके लिए अच्छा समय है. ऐसे वक्त में आप कहीं बाहर जानें का प्लान बना सकते हैं. लेकिन इससे पहले आपके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. जिसका आपको खास ख्याल रखना होगा.
तीन लोगों से ज्यादा बनती है भीड़ :

अपने कार में तीन लोगों से ज्यादा के साथ ही ट्रीप प्लान न करें क्योंकि तीन से ज्यादा लोग भीड़ बना देते हैं. इससे आप भी यात्रा के दौरान नियमों का सही से पालन कर पाएंगे. कार में इतना ही स्पेस होता है कि आप तीन लोगों में सोशल डिस्टेंश को अच्छे से मेंटन कर सकते हैं. हमें खुद से इमानदार रहना पड़ेगा क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग अभी जरूरी है. यह हमारी जिम्मेदारी है कि संक्रमण के खतरों को कम करें न सिर्फ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी और यह तभी संभव है जब हम जरुरी नियमों का पालन करें. ही किस और के लिए लेकिन औरों के लिए भी.

अगर आप नेक्सट रोड ट्रीप प्लान करते हैं तो आप सारे नियमों का पालन जरूर करें. इससे आपको यात्रा में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी इससे आप अपने आप को दूसरों को संक्रमित होने से बचाएंगे #BeThe Better Guy

Wedding Album: आदित्य नारायण ने श्वेता अग्रवाल संग लिए सात फेरे, सामने आई खूबसूरत फोटोज

बीते दिनों से सेलेब्स की शादियों का सिलसिला जारी है. जहां कुछ दिनों पहले ही नेहा कक्कड़ ने रोहनप्रीत संग साथ फेरे लिए हैं. तो वहीं अब उनके खास दोस्त और सोनी टीवी के सिंगिंग रिएलिटी शो ‘इंडियन आइडल 12’ के होस्ट आदित्य नारायण (Aditya Narayan) ने भी अपनी मंगेतर श्वेता अग्रवाल (Shweta Agarwal) संग शादी कर ली है, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं आदित्य और श्वेता की शादी की खास फोटोज…

मंदिर में लिए आदित्य और श्वेता ने फेरे

कोरोना काल को देखते हुए श्वेता अग्रवाल और आदित्य नारायण (Aditya Narayan and Shweta Agarwal) ने मुंबई के इस्कॉन मंदिर में सात फेरे लिए, जिसमें उनकी फैमिली के खास लोग ही मौजूद नजर आए. वहीं शादी की रस्मों के दौरान आदित्य के पिता उदित नारायण और उनकी पत्नी साथ दिखे.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Wedding Blogger (@wedding_diaries_1)

ये भी पढ़ें- अनुपमा को घर चलाने की चुनौती देगा वनराज, आएगा नया ट्विस्ट

ऐसा था दुल्हा-दुल्हन का अंदाज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by FM News (@filmimanoranjan)

इस धमाकेदार शादी में जहां आदित्य नारायण गोल्डन कलर की शेरवानी के साथ ज्वैलरी कैरी करते नजर आए तो वहीं श्वेता अग्रवाल भी व्हाइट गोल्डन कलर के कौम्बिनेशन वाले खूबसूरत लहंगे में किसी राजकुमारी की तरह दिखीं. वहीं दोनों के पेरेंट्स का लुक भी सभी को बेहद पसंद आया.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by @adiholic_shwetaholic

रोमेंटिक लुक में नजर आए आदित्य और श्वेता

शादी की सभी रस्मों के दौरान आदित्य नारायण और श्वेता अग्रवाल (Aditya Narayan and Shweta Agarwal) एक दूसरे का हाथ थामें सात फेरे लेते दिखे. वहीं  आदित्य नारायण अपनी दुल्हन श्वेता को निहारते नजर आए, जिसे देखकर फैंस काफी तारीफें कर रहे हैं. इसी बीच दोनों कुछ पल मस्ती करते हुए भी दिखे.

ये भी पढ़ें- नेहा कक्कड़ के कारण हुई रोहनप्रीत और टोनी कक्कड़ में लड़ाई, Video Viral

अनुपमा को घर चलाने की चुनौती देगा वनराज, आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों शाह परिवार में वनराज औऱ काव्या के अफेयर के कारण ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ बाबूजी ने वनराज को प्रौपर्टी से बेदखल कर दिया है तो वहीं बा ने वनराज के सामने परिवार और काव्या में से किसी एक को चुनने का फैसला रख दिया है. इसी बीच अनुपमा को वनराज ने एक चुनौती भी दे दी है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा करेगी घर छोड़ने का फैसला

बा के वनराज को दिए फैसले के कारण कशमकश में अनुपमा फंस जाती है, जिसके कारण आने वाले एपिसोड धमाकेदार नजर आने वाला है. दरअसल, वनराज के घर छोड़कर जाने के फैसले पर अनुपमा आकर कहेगी कि, मेरे जाने से घर में शांति होती है, तो वह घर छोड़कर चली जाएगी. हालांकि बाबूजी अनुपमा की बात को सुनते हुए वनराज को प्रौपर्टी से बेदखल करने का फैसला लेंगे और कहेंगे कि अब इस घर पर उसकी बजाय अनुपमा का हक है, जिसे सुनकर सभी हैरान रह जाएंगे.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by STAR PLUS ⭐➕ (@starplusshow)

ये भी पढ़ें- नेहा कक्कड़ के कारण हुई रोहनप्रीत और टोनी कक्कड़ में लड़ाई, Video Viral

वनराज को माफ करने के लिए कहती है बा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anupamaa Updates (@anupamaastarplus)

बेटे को घर छोड़ने से रोकने के लिए बा अनुपमा को समझाने की कोशिश करती हैं कि वह वनराज को माफ कर दे. हालांकि अनुपमा उसे माफ करने से मना करते हुए कहती है कि इन्होंने मुझे धोखा दिया है. वो कहती है ये मुझसे नहीं होगा.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by yun_hi_kabhi (@yun_hi_kabhi)

अनुपमा को चुनौती देगा वनराज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anupama Fanpage (@anupamaa.fc)

पूरा परिवार जहां अनुपमा के साथ कदम से कदम मिला रहा है तो वहीं वनराज ये सब देखकर गुस्से से आग बबूला हो गया है, जिस कारण अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज अनुपमा से कहेगा कि अगर उसमें हिम्मत है तो पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाकर दिखाए, जिस चुनौती को अनुपमा स्वीकार करती नजर आएगी.

ये भी पढ़ें- वनराज को अनुपमा की बेइज्जती करता देख बापूजी को आया गुस्सा, उठाया बड़ा कदम

मां ने पिता की कमी महसूस नहीं होने दिया – जान कुमार सानू

फिल्म ‘तारे जमीन पर’ में ‘बम बम भोले…गाने को गाकर चर्चित हुए संगीतकार और गायक जान कुमार सानू, प्ले बैक सिंगर कुमार सानू के छोटे बेटे है. उनका असली नाम जयेश भट्टाचार्या है, जिसे बाद में बदलकर उसके अंकल ने जान कुमार शानू रखा. साल 1994 में जब कुमार शानू की पहली पत्नी रीता भट्टाचार्या को, कुमार शानू का  उस दौर की प्रसिद्ध अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री से प्रेम सम्बन्ध का पता चला, तो रीता भट्टाचार्यान ने तलाक ले ली. उस समय वह तीसरा बेटे जान होने वाला था और वह 6 महीने की गर्भवती थी. इसके बाद उन्होंने बहुत मुश्किल से तीनों बेटों की परवरिश की, क्योंकि कुमार सानू ने उनकी सुध कभी नहीं ली. कलर्स टीवी पर बिग बॉस 14 से निकलने के बाद जान कुमार सानू ने अपने अनुभव और पिता के बारें में बात की, आइये जाने क्या कहते है वह.

सवाल-बिग बॉस 14 में आपका अनुभव कैसा था?

इस शो से बहुत कुछ सीखने को मिला है. अच्छी-अच्छी आदतें लग गयी. टाइम टेबल सही हो गया, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान सोना, उठना और खाना सबकुछ बदल गया था. इसके अलावा काफी चीजों को देखने का नजरिया मेरा बदला है. मैं कभी अपने घर और संगीत से इतना दूर नहीं रहा. मुझे लगा नहीं था कि मैं 6 हफ़्तों तक अंदर रह लूँगा. ये मेरे लिए मजेदार थी, जो जीवन में एक बार मिला. मैं बहुत खुश हूं. साथ ही मेरी दोस्ती पहले सबसे थी और ये समय के साथ बदलती भी रही.

ये भी पढ़ें- नेहा कक्कड़ के कारण हुई रोहनप्रीत और टोनी कक्कड़ में लड़ाई, Video Viral

सवाल-आप कुमार शानू के बेटे है, यहाँ तक पहुँचने में पिता का कितना सहयोग रहा है?

मेरे पिता ने मेरे पर्सनल लाइफ और कैरियर में कोई सहयोग नहीं किया. इस बात से मुझे दुःख है, लेकिन इससे मैं मजबूत बना हूं. मैंने खुद मेहनत कर यहाँ तक पहुंचा हूं. हम तीनों भाइयों ने अपनी मंजिल पाने के लिए काफी संघर्ष किया है. इससे बहुत कुछ सीखा है. मुझे कोई अफ़सोस नहीं है, क्योंकि अब मुझे अपनी मंजिल मिल चुकी है. मेरे पिता को जितना सम्मान श्रोताओं ने दिया है. मैं भी उसे पाने की कोशिश कर रहा हूं. 

सबकुछ मेरी माँ और ननिहाल वालों ने ही किया है. उन्होंने हम तीनों भाइयों को बड़ा किया है. माँ की वजह से आज मैं यहाँ तक पहुँच सका हूं. मेरे दोनों भाई गाते है, लेकिन अभी बड़ा भाई जेस्सी प्रोफेसर है और दूसरा भाई ज़िको ग्राफिक डिजाईनिंग का ‘हेड’ है.

सवाल-आप अपनी जर्नी के बारें में बताएं?

मैंने बचपन में अपनी नानी मीरा दत्ता से संगीत सीखा है. इसके बाद शुभ्र दास गुप्ता से तालीम ली  है. अभी मैं मेवाती घराने के पंडित रतन मोहन शर्मा से संगीत सीख रहा हूं. मैंने वौइस् ओवर, डबिंग, विज्ञापनों के जिंगल्स आदि कई काम किये है. इसके अलावा शंकर महादेवन, शांतनु मैत्र, सोनू निगम आदि के साथ गाने गाये है. मैंने 6 साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था. इसमें कई हिंदी और बांग्ला गीत मैंने गाये है. इसके अलावा मैं कई एल्बम और फिल्मों में भी गीत दे रहा हूं, जो एकदम फ्रेश और नयी होगी.

सवाल-सिंगल पेरेंटिंग के बारें में आपकी सोच क्या है?

मैंने अपनी माँ को करीब से देखा है, उन्होंने जिस तरीके से हम सबको पाला है, ये काबिलेतारीफ है. मैं ऐसे सभी सिंगल पैरेंट को प्रणाम करता हूं. माता-पिता दोनों का बच्चे के जीवन में होना बहुत जरुरी होता है. इससे शारीरिक और मानसिक अच्छा विकास होता है. मेरी माँ ने बहुत मुश्किलों से हमें पढ़ाया और बड़ा किया है. उन्होंने कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दिया. बड़े होने के बाद मुझे ये पता चला है. मैं चाहता हूं कि माता-पिता बच्चे पर अपने झगड़े न निकाले, क्योंकि वे दोषी नहीं होते, लेकिन उन्हें भुगतना पड़ता है. मैं भी बहुत भुगत चुका हूं. 

ये भी पढ़ें- वनराज को अनुपमा की बेइज्जती करता देख बापूजी को आया गुस्सा, उठाया बड़ा कदम

सवाल-तनाव होने पर क्या करते है?

मैं कभी तनावग्रस्त नहीं होता, क्योंकि मैं एक गायक हूं और संगीत मेरे लिए सबकुछ है. संगीत के अलावा मुझे कुछ नहीं आता.

National Environment Control Day: वायु प्रदूषण पर दें ध्यान 

विश्व में प्रदूषण एक साइलेंट किलर बन चुका है. इससे हमारे सारे प्राकृतिक पदार्थ नष्ट हो रहे है. भारत में इसे हर साल 2 दिसम्बर को रास्ट्रीय पर्यावरण नियंत्रण दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसको मनाने का उद्देश्य 2 और 3 दिसम्बर साल 1984 की रात को भोपाल में मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस के रिसाव से, त्रासदी के शिकार लोगों को याद करना है. इसमें लगभग 3787 लोग मारे गए थे और लाखों लोग प्रभावित भी हुए थे. इस त्रासदी का प्रभाव आज भी जन्म लेने वाले बच्चों में पाया जाता है. वे अपंग पैदा हो रहे है.

इसे हर साल मनाने का खास उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फ़ैलाने से है, क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण से कई बीमारियाँ आज पैर पसार रही है, जो चिंता का विषय है. इस बारें में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के पल्‍मनरी एवं स्‍लीप मेडिसिन कंसल्‍टेंट डॉ. (कर्नल) एस पी राय कहते है कि स्वच्छ वायु, स्वास्थ्य के लिए मूलभूत जरुरत है और वायु प्रदूषण विभिन्‍न गंभीर तरीकों से आज स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित कर रहा है. ओजोन जैसे प्रदूषक तत्‍व लोगों की सांस में जलन पैदा करते है, अस्‍थमा और सीओपीडी के लक्षण बढ़ाते है साथ ही फेफड़ा व हृदय रोग पैदा करते है. 

ये भी पढ़ें- बेबी करें प्लान लेकिन इन बातों का रखें ध्यान

असल में वायु प्रदूषण, प्रमुख रूप से उद्योगों, मोटर वाहनों, एवं थर्मोइलेक्ट्रिक पावर प्‍लांट्स से निकलने वाली तथा बायोमास ईंधन के जलने से पैदा होने वाली गैसों और पार्टिकुलेट मैटर (छोटे कणों) का मिश्रण है. पतझड़ और जाड़े के महीनों में, खेतों में बड़े पैमाने पर जलायी जाने वाली पराली, जो यांत्रिक जुताई का एक किफायती विकल्‍प है, इससे धुंआ, धुंध और सूक्ष्‍म-कणीय प्रदूषण फैलता है. धातुएं एवं फ्री रेडिकल्‍स जैसे वायु प्रदूषक, फेफड़े के वायु नालों और वायु कोष को नुकसान पहुंचाते है, जहां ऑक्‍सीजन और कार्बन डाइ-ऑक्‍साइड का आदान-प्रदान होता है. बच्‍चे, बुजुर्गों और यूथ, जो किसी प्रकार की क्रोनिक अस्‍थमा, सीओपीडी, फाइब्रोसिस डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियों से पीडि़त है, उन लोगों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव का खतरा अधिक होता है. 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन भी स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करने वाले चार वायु प्रदूषकों पर जोर देता है, पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन डाइ-ऑक्‍साइड, सल्‍फर डाइ-ऑक्‍साइड और ओजोन. इन चार प्रदूषकों पर जोर देने का उद्देश्‍य वायु की गुणवत्‍ता की सामान्‍य स्थिति पर नजर रखना है. दिल्‍ली और एनसीआर उन क्षेत्रों में शामिल है, जहां वायु की गुणवत्‍ता सबसे खराब है, जहां वर्ष 1999 के बाद से दिवाली के दौरान हर नवंबर में यह गुणवत्‍ता स्‍तर पीएम 2.5 और पीएम 10 तक पहुंच जाता है. 

हाउसहोल्‍ड एयर पॉल्‍यूशन (एचएपी), जिसे इनडोर एयर पॉल्‍यूशन (आईएपी) के रूप में भी जाना जाता है, इसका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों के लिए गंभीर होता है, जो चिंता का विषय है, क्‍योंकि वहां की यह अधिकांश आबादी खाना पकाने एवं स्‍पेस हीटिंग के लिए परंपरागत बायोमास पर निर्भर है. साथ ही रोशनी के लिए केरोसीन या अन्‍य तरल ईंधनों को उपयोग में लाते हैं, जिनसे एचएपी का लेवल बढ़ने का अधिक खतरा होता है. वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय निम्न है,

  • धुंआ करने से बचे और धूम्रपान बंद करें, 
  • पुराने कुक स्‍टोव्‍स की जगह स्‍वच्‍छ कुक स्‍टोव्‍स का प्रयोग करें,
  • डीजल ट्रांसपोर्ट से होने वाले प्रदूषण को कम करने की कोशिश करें, 
  • बायोमास और जीवाश्‍म ईंधनों को खुले में न जलाएं,
  • फसलों की पराली जलाने से बचें,
  • लिक्विड पेट्रोलियम गैस और बिजली के साथ-साथ बायोगैस एवं एथेनॉल का प्रयोग करें, जो स्‍वच्‍छ ऊर्जा के कुछ विकल्‍प आज प्राप्त है,
  • ड्राइविंग की जगह कारपूलिंग, सार्वजनिक परिवहन, बाइकिंग और पैदल चलने की आदत बनाएं,
  • प्‍लास्टिक का कम से कम उपयोग करें.

ये भी पढ़ें- डाक्टर के बजाय चपरासी क्यों बनना चाहते हैं युवा

इसके आगे डॉ. एस. पी. राय कहना है कि कुछ सावधानियां अपनाए जाने से व्यक्ति कई बिमारियों से खुद को सुरक्षित रख सकता है, कुछ बातें निम्न है,

  • लोगों को चाहिए कि वो जितना हो सके, उतना अधिक घर पर रहें और घर से काम करने की कोशिश करें, अधिकतम वायु प्रदूषण के समय में अधिक यातायात वाली जगहों से दूर रहकर ही व्‍यायाम करें,
  • अपने घर से फफूंद, धूल और पालतू पशुओं के रोवें को यथासंभव दूर रखें,
  • समय से टीकाकरण कराएं, हर वर्ष फ्लू का टीका लें और यदि आपकी उम्र 65 वर्ष और इससे अधिक है, तो निमोनिया का भी टीका लें,
  • बाहर निकलने पर हमेशा मास्‍क का प्रयोग करें. 

doc

कोरोना की वजह से कम मिलें लेकिन मानसिक स्वास्थ्य के लिए मिलें जरूर

कोरोना वायरस आया तो काफी हद तक जिंदगी की रफ्तार थम गई. भय, चिंता, भविष्य से ज्यादा वर्तमान की फिक्र इंसान पर हावी हो गई. नौकरी, पढ़ाई, काम, घूमना, मौजमस्ती, जब भी मन करे घर से निकल जाना और किसी मौल में शौपिंग करना, होटल में खाना खाना या कहीं यों ही बिना योजना बनाए कार उठा कर निकल जाना, पार्टी, धमाल, दोस्तों के साथ गपबाजी, नाइटआउट, रिश्तेदारोंपरिचितों के घर जमावड़ा और सड़कों पर बेवजह की चहलकदमी – अचानक सब पर विराम लग गया. किसी के मिलने का मन होता था, तो पहुंच जाते थे उस के घर, कि चलो, आज साथ मिल कर लंच या डिनर करते हैं.

लौकडाउन से अब अनलौक तो हो गया लेकिन संक्रमण अभी भी घूम रहा है. घर से बाहर निकलने से पहले हर किसी को कई बार सोचना पड़ता है. जरूरी होता है तभी लोग कदम दरवाजा पार करते हैं. घबराहट, डर और घर में बैठे रह कर केवल आभासी दुनिया से जुड़े रहने से सब से ज्यादा असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा है.

मानसिक सेहत बिगड़ी :

फैलते कोरोना वायरस के इस दौर में लोग मानसिक रूप से भी बहुत ज्यादा परेशान हुए हैं. जितना जरूरी शारीरिक स्वास्थ्य का खयाल रखना है, उतना ही जरूरी है मानसिक सेहत को दुरुस्त रखना. इस से इंसान के सोचने, महसूस करने और काम करने की ताकत प्रभावित होती है.

तनाव और अवसाद जब घेर लें तो उस का सीधा असर रिश्ते और फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता है. जो पहले से ही मानसिक रूप से बीमार थे, कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के इस दौर में उन लोगों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन जो मानसिक रूप से स्वस्थ थे, वे भी अपनी सेहत खोते जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- बिगड़ा मूड बनाती है खुशबू

इस की सब से बड़ी वजह है घर की चारदीवारी में कैद हो जाना और बाहर से सारे संपर्क टूट जाना. बेशक, वीडियो कौल पर आप जिस से चाहे बात कर सकते हैं, पर जो मजा साथ बैठ कर बात कर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में आता है, वह मोबाइल या लैपटौप पर उंगली चला कर कैसे मिल सकता है.

मिलनाजुलना सपना हो गया :

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए लोगों से मिलनाजुलना जरूरी होता है. लेकिन कोरोना ने इस पर प्रतिबंध सा लगा दिया है. उस ने तो सारी मस्ती और रौनक छीन ली है.

पहले आयोजन व समारोहों में जा कर कितने सारे लोगों से मिलने का मौका मिल जाता था और एक पारिवारिक या दोस्ताना माहौल निर्मित हो जाने के कारण ढेर सारी खुशियों के पल समेटे जब लोग घर लौटा करते थे तो कितने दिनों तक उन बातों की पोटलियां खोल कर बैठ जाया करते थे जो वहां उन्होंने साझा की थीं या जी थीं. अब तो गिनती कर लोगों को बुलाने की बाध्यता है, फिर मास्क और सेनिटाइज करते रहने के बीच सारा बिंदासपन एक कोने में दुबक कर बैठ जाता है. दूरदूर बैठ कर और हाथ हिला कर ही कुछ कहा, कुछ सुना जाता है. अपनी सुरक्षा के कारण दूसरे लोगों से खुल कर न मिल पाने की पीड़ा हर किसी को त्रस्त कर रही है.

कैसे हो रहा है असर :

ब्रिटिश जर्नल लैंसेट साइकेट्री में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कोरोना वायरस न सिर्फ मनुष्य को शारीरिक रूप से कमजोर कर रहा है बल्कि मानसिक तौर पर भी इस महामारी के कई सारे नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं. एक अन्य शोध में यह पाया गया है कि कुछ लोगों की तंत्रिकाओं पर प्रभाव पड़ा है. मानसिक सेहत में जब लंबे समय तक सुधार नहीं हो पाता है तो वह मस्तिष्क को प्रभावित करती है. न केवल बुजुर्ग, बल्कि अकेले रहने वाले लोग, वयस्क, युगल, पुरुष, महिलाओं, बच्चों यानी हर उम्र के लोगों को मानसिक सेहत से जूझना पड़ रहा है. दैनिक रूटीन से कट जाने और घर में बंद रहने की वजह से दिमाग को मिलने वाले संकेत बंद हो जाते हैं. ये संकेत घर के बाहर के वातावरण और बाहरी कारकों से मिलते हैं. लेकिन लगातार घर में रहने से यह बंद हो जाता है. इन सब कारणों से अवसाद और चिंता के बढ़े मामले देखने को मिल रहे हैं. इसे सामूहिक तनाव भी कह सकते हैं. लोग अपने बच्चे के भविष्य को ले कर असमंजस में हैं. किसी को नौकरी छूट जाने का तनाव है तो किसी को वित्तीय स्थिति ठीक करने का तनाव. वहीं, घर पर बहुत समय रहने पर उकताहट होने वालों को बाहर निकल कर आजादी से न घूम पाने का तनाव है. मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि इसे ‘जीनोफोबिया’ का शिकार होना कहा जा सकता है. इस में लोग किसी व्यक्ति के सामने आने पर घबराने लगते हैं, बात करने से डरते हैं, आंख में आंख डाल कर बात नहीं कर पाते. ऐसा कैमरे में देखने की आदत के कारण हो रहा है.

डिजिटल दुनिया पर निर्भरता के कारण उपजी इस परेशानी को मनोवैज्ञानिक भाषा में ‘जीनोफोबिया’ यानी फीयर औफ ह्यूमन अथवा इंसानों से डर कहा जाता है. दिमाग चीजों को स्वीकार नहीं कर पा रहा. उसे लगने लगा है कि वीडियो पर बात कर के वह सहज महसूस कर पाएगा. लेकिन, हो इस के विपरीत रहा है.

मिलें लोगों से :

सुरक्षा के सारे नियमों का ध्यान रखते हुए अपने मानसिक स्वास्थ्य को सही खुराक देने के लिए बेशक कम मिलें, पर लोगों से मिलें अवश्य. बेशक दूरी बना कर मिलना पड़े, बेशक मास्क पहनना पड़े, पर मिलें अवश्य. घर बैठेबैठे होने वाली ऊब कहीं मुसीबत न बन जाए. सोशल मीडिया या इंटरनैट आप को बोर नहीं करता लेकिन यह मन की पूरी खुराक नहीं देता.

यह तो इंसान में वास्तविक जिंदगी से पलायन का भाव होता है जो उसे इंटरनैट की ओर धकेल देता है. इस समय बोरियत की शिकायत आम हो गई है. यदि आप भी खुशी की तलाश या जीवन के बे-अर्थ हो जाने के एहसास के कारण डिजिटल साधनों पर अंधाधुंध समय बिता रहे हैं तो यह मुसीबत बन सकता है. जब महज मनोरंजन या बोरियत भगाने के लिए इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं तो एक और परेशानी उभरती है.

सो, इस समय जरूरत है उन लोगों से मिलें जिन्हें आप की परवा है, जो आप से प्यार करते हैं या जिन के साथ समय बिताने से आप को खुशी और राहत महसूस होती है.

ये भी पढ़ें- लंबे समय तक ऐसे रखें मसाले सुरक्षित

जरूरत है कि फिर से लोगों से जुड़ें, सामाजिक दायरा छोटा ही रखें, पर आभासी दुनिया से अलग स्वयं उन से जा कर मिलें जरूर. आप खुद में बदलाव महसूस करेंगे, मानो बरसों का कोई बोझ उतर गया हो. खिलखिलाहटें और हंसी आप में एक नई ऊर्जा भर जाएंगी और तनाव जाता महसूस होगा. मानसिक तनाव से निकलने के लिए शराब और नशीली दवाओं का उपयोग या नींद की दवा लेने से कहीं बेहतर है कि उन से मिलें जिन के साथ वक्त गुजारना आप में जीने की ललक पैदा करता है. मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह से भावनात्मक आयाम पर टिका होता है. यदि हमारा सामाजिक जीवन दुरुस्त है तो हम मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे ही और अपने संबंधों को आनंद से जी पाएंगे. तब जटिल स्थितियों का मुकाबला करने की भी शक्ति खुदबखुद आ जाती है.

कोरोना है, रहेगा भी अभी लंबे समय तक, उसे ले कर अवसाद में जीने के बजाय खुद को फिर से तैयार करें ताकि सामाजिक जीवन जी सकें. अपने प्रियजनों, दोस्तों, रिश्तेदारों व परिचितों से मिलें और अपने मानसिक स्वास्थ्य को दवाइयों का मुहताज बनाने के बजाय मन की बातें शेयर कर, खुलकर हंस कर अपने दुखसुख बांटते हुए कोरोना को चुनौती देने के लिए तत्पर हो जाएं.

त्यौहारों के मौसम में दिखाएं अपना जलवा

आजकल हर कोई आने वाले त्यौहारों की तैयारियों में व्यस्त है. त्यौहारों के साथ आने वाली सकारात्मकता और उत्साह हम सभी के लिए बेहद ज़रूरी है. इस बार त्यौहारों के मौसम में आप भी अपने स्टाइल और खूबसूरती से अपने और दूसरों के मन में नई उमंग भर सकती हैं. तो फिर तैयार हो जाइए जलवे दिखाने और धूम मचाने को.

आप के ओवरआल लुक में कपड़ों का खास योगदान होता है. खासकर त्यौहारों में पहनावे के जरिये आप अपना लुक बदल सकती हैं. ऑरेलिया के ब्राण्ड हैड अरिंदम चक्रवर्ती के मुताबिक़ फ़ेस्टिवल सीजन में आप का पहनावा कुछ इस तरह का होना चाहिए,

1 . परफेक्ट ए लाइन

क्लासिक ए लाइन कुर्ता आप को आरामदायक और खूबसूरत एहसास देते हैं. अटैच्ड दुपट्टे वाला पिंक या रेड ए लाइन कुर्ता चुनें और इस के साथ सफेद चूड़ीदार, टैसल झुमके और फ्लैट्स मैच कर आप परफेक्ट लुक पा सकती हैं.

2. एंबेलिश्ड एंनसेंबल

एंबेलिश्ड एंनसेंबल त्योहारों के खास मौकों के लिए परफेक्ट हैं जो आप को भीड़ से अलग लुक देंगे. इसे प्रिंटेड स्कर्ट और फ्रंट पर मैचिंग प्रिंटेड जिलेट के साथ मैच करें .सिल्वर झुमके के साथ परफेक्ट लुक दें. इस ड्रेस के साथ आप अपने बाल खुले रखेंगी तो ज्यादा अच्छे लगेंगे. इस तरह आप फ़ेस्टिवल का आनंद उठाने के लिए एक खूबसूरत लुक के साथ तैयार हो जाएंगी.

ये भी पढ़ें- शादी के बाद नई दुल्हन के लिए परफेक्ट है सना खान के ये लुक्स

3. ज्योमैट्रिक प्रिंट

त्योहारों के इस सीजन में ज्योमैट्रिक प्रिंट वाले कुर्ते आप को ग्लैमरस लुक देंगे. ज्योमैट्रिक पीच कलर के कुर्ते को पीच कलर के पलाजो पैंट्स के साथ मैच करिए .हील्स और मिनिमल एक्सेसरीज के साथ अपने लुक को पूरा कीजिए.

4. कोऑर्डिनेटेड मॉम एंड डॉटर सेट्स

अपनी बेटी के साथ तालमेल बनाते हुए ड्रेस चुनिए और मॉम एंड मी लुक के साथ सब को आकर्षित करने के लिए तैयार हो जाइए. इन त्यौहारों के लिए आप गहरा पीला, नीला, गुलाबी, या हरे रंग के खूबसूरत प्रिंट चुन सकती हैं और अपने लुक के साथ एक्सपेरिमेंट कर सकती हैं.

5. मिनिमलिस्ट

इस साल त्यौहार वर्चुअल तरीके से मनाए जाएंगे इसलिए बेहतर होगा कि आप एक आरामदायक लुक चुनें. इस के लिए लंबी प्रिंटेड या टियर्ड ड्रेसेज से बेहतर और क्या हो सकता है. इस तरह के ड्रेस के साथ आप छोटे सिल्वर झुमके और ब्रांडेड हील्स पहनिए और अपने लुक को पूरा कीजिए.

त्योहारों में लोग खासतौर पर एथनिक ड्रेसेस पसंद करते हैं. एथनिक ड्रेसेस को आप थोड़े प्रयास से अधिक कम्फर्टेबल और आकर्षक बना सकते हैं. लाइमरोड की क्रिएटिव वाईस प्रेसिडेंट रागिनी सिंह कुछ ऐसे ही पहनावों के बारे में जानकारी दे रही हैं,

1. कंट्रास्ट स्ट्राइप्ड बॉर्डर टैंट साड़ी

कोई भी पारंपरिक भारतीय त्योहार सही एथनिक पहनावे के बगैर अधूरा होता है. त्योहारों के इस मौसम में आकर्षक, गॉर्जियस, स्ट्राइप्ड बॉर्डर से युक्त रेड कलर की बंगाली साड़ी अपने मूड के आधार पर आप किसी भी त्यौहार के दिन पहन सकती हैं.

2. जरी मोटिफ बनारसी साड़ी ब्लाउज के साथ

लाल बनारसी साड़ी में हर महिला आकर्षक लगती है. इस के साथ झुमके या गोल्ड ईयररिंग्स, नेकपीस और बड़ी लाल बिंदी का इस्तेमाल आप की खूबसूरती में चार चांद लगा देंगे.

3 .अंगरखा विद ब्लॉक प्रिंटेड पलाजो

यदि आप साड़ी ज्यादा नहीं पहनती हैं तो पलाजो आप के लिए सब से अच्छा ऑप्शन है. इसे लंबे अंगरखे कुर्ते या शार्ट नीलेंथ शार्पली कट कुर्ते के साथ पहनें. आप पारंपरिक लुक के साथ अधिक कैजुअल दिखने के लिए दुपट्टे का इस्तेमाल नहीं भी कर सकती हैं.

4. गोटा पट्टी योक डिजाइन कुर्ता, पलाजो के साथ

गोटा पट्टी वर्क इस फेस्टिव सीजन में एक जरूरी ट्रेंड बन गया है. मस्टर्ड गोटा पट्टी सूट और गोटा से सजे पलाजो के साथ स्लीव पेयर्ड का इस्तेमाल करें और रात में ड्रम की थाप पर डांस का आनंद उठाएं.

ये भी पढ़ें- ‘प्रेरणा’ के ये साड़ी लुक है हर ओकेजन के लिए परफेक्ट

5. ऑरेंज आर्ट सिल्क बंधनी दुपट्टा

दुपट्टे को कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है और यह आप के पहनावे को पारंपरिक से मॉडर्न में बदलने में मददगार साबित हो सकता है . सुंदर ऑरेंज और गोल्ड कॉम्बिनेशन दुपट्टा आप को आकर्षक बनाएगा. इसे लौंग स्कर्ट और क्रॉप टॉप, बेसिक सूट या लहंगे के साथ पहनें और फिर आप फैस्टिव पार्टी में धूम मचाने के लिए तैयार हैं.

त्योहारों में केवल कपड़े ही नहीं बल्कि आप के फुटवेयर्स भी खास होने चाहिए ताकि आप अपने स्टाइलिश मैचिंग फुटवियर्स के साथ धूम मचा सकें. आइए जानते हैं मेट्रो ब्रांड लिमिटेड की वाइसप्रेसिडेंट, अलीशामलिक से फ़ेस्टिवल लुक के लिए कुछ परफेक्ट फुटवियर के बारे में,

पार्टी स्टिलटोज़

अगर इस फेस्टिव सीजन में आप ग्लैमरस लुक की योजना बना रही हैं तो स्टाइलिश स्टिलटोज़ के साथ अपने पैरों को और ज्यादा ख़ूबसूरत बना लुक दे सकती हैं. ये बेहद आरामदायक और स्टाइलिश होते हैं.

गोल्डवेजेस

एथनिक लुक कभी भी ट्रेंड से बाहर नहीं होता है. एंटीक- गोल्ड वेजेस बेहद स्टाइलिश होते हैं जो अपनी चमक बिखेरते हैं. ये आप के फेस्टिव आउटफिट की ख़ूबसूरती को कई गुना बढ़ा देंगे.

एथनिक मोज़री

फेस्टिव सीजन में मोज़री सब से ज्यादा प्रचलित होते हैं. अगर आप आराम से समझौता किए बिना अपने पैरों को स्टाइलिश लुक देना चाहती हैं तो मोज़री आप के लिए हैं. अव्वल दर्जे की कढ़ाई और बेहतरीन नक्काशी के डिज़ाइन वाली मोज़री की प्यारी जोड़ी सचमुच आप के एथनिक लुक को बेहद आकर्षक बना देगी. आप एंकल-लेंथ पैंट, धोती या लहंगे के साथ इन्हें पहन सकती हैं और स्टाइल के साथ अपना जादू बिखेर सकती हैं.

पार्टी सैंडल्स

पार्टी सैंडल्स के साथ हर मौके पर अपने लुक को और ज्यादा ग्लैमरस बनाएँ. बात चाहे फेस्टिव सीज़न की हो या वेडिंग सीज़न की, पार्टी में सभी की निगाहें इन क्लासिक सैंडल्स पर टिकी होंगी.

ये भी पढ़ें- ब्राइडल ज्वैलरी चुनने से पहलें जान लें ट्रैंड

जब टूटे रिश्ते चुभने लगें

शादी का रिश्ता प्यार और विश्वास का होता है. दो लोग मिल कर एक जीवन शुरू करते हैं और एकदूसरे का सहारा बनते हैं. मगर जब रिश्तों में प्यार कम और घुटन ज्यादा हो तो ऐसे रिश्ते से अलग हो जाना ही समझदारी मानी जाती है. मगर अलग हो जाने के बाद की राह भी इतनी आसान नहीं होती.

पतिपत्नी के बीच रिश्ता टूटने के बाद अक्सर महिलाओं को ज्यादा समस्याएं आती हैं. यह इसलिए होता है क्योंकि आर्थिक जरूरतों के लिए महिलाएं अमूमन अपने पुरुष साथी पर निर्भर होती हैं. विवाद की स्थिति में उन्हें आर्थिक तंगी से बचाने के लिए कानून में कई प्रावधान किए गए हैं. इन्ही में एक मुख्य है गुजाराभत्ता.

हिंदू मैरिज ऐक्ट 1955 में पति और पत्नी दोनों को मैंटीनैंस का अधिकार दिया गया है. वहीं स्पेशल मैरिज ऐक्ट 1954 के तहत केवल महिलाओं के पास यह हक है.

पति से अलग होने के बाद महिला को पति से अपने और बच्चे के पालनपोषण के लिए गुजारेभत्ते के तौर पर हर माह एक निश्चित रकम पाने का हक़ कानून द्वारा दिया गया है. यदि महिला कमा रही है तो भी उसे गुजाराभत्ता दिया जाएगा. यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि वह सम्मान के साथ अपना जीवनयापन कर सके.

पत्नी के नौकरी न करने पर विवाद की स्थिति में कोर्ट महिला की उम्र, शैक्षिक योग्यता, कमाई करने की क्षमता देखते हुए गुजाराभत्ता तय करता है. बच्चे की देखरेख के लिए पिता को अलग से पैसे देने पड़ते हैं.

ये भी पढ़ें- ब्रेकअप- पूर्णविराम या रिश्तों की नई शुरुआत?

सुप्रीम कोर्ट ने मासिक गुजारेभत्ते की सीमा तय की है. यह पति की कुल सैलरी का 25 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है. पति की सैलरी में बदलाव होने पर इसे बढ़ाया या घटाया जा सकता है.

मगर कई बार देखा जाता है कि पति गुजाराभत्ता यानी मैंटीनैंस देने में आनाकानी करते हैं और किसी भी तरह यह रकम कम से कम कराने की जुगत में लगे रहते हैं. वे कोर्ट के आगे साबित करने का प्रयास करते हैं कि उन की आय काफी कम है. वैसे भी रिश्तों में आया तनाव इंसान को एकदूसरे के लिए कितना संगदिल बना देता है इस की बानगी हम अक्सर देखते ही रहते हैं.

हाल ही में हैदराबाद का एक मामला भी गौर करने योग्य है. एक डॉक्टर ने अपनी अलग रह रही पत्नी को 15,000 रुपये प्रति माह गुज़ाराभत्ता देने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से पारित उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया,

ग़ौरतलब है कि दोनों की शादी 16 अगस्त, 2013 में हुई थी और दोनों का एक बच्चा भी है. बच्चे के जन्म के बादपतिपत्नी के बीच कुछ मतभेद पैदा हुए. पत्नी ने घरेलू हिंसा के मामले के साथ ही मैंटीनैंस की अरजी डाली. पत्नी ने दावा किया था कि उस का पति प्रति माह 80,000 रुपये का वेतन और अपने घर और कृषि भूमि से 2 लाख रुपये की किराये की आय प्राप्त कर रहा है . उस ने अपने और बच्चे रखरखाव लिए 1.10 लाख रुपये के मासिक की मांग की .
फैमिली कोर्ट ने मुख्य याचिका के निपटारा होने तक पत्नी और बच्चे को प्रति माह 15,000 रुपये रखरखाव का देने का आदेश दिया . मगर पति ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई.

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या आज के समय में सिर्फ 15,000 रूपए में बच्चे का पालनपोषण संभव है? पीठ ने लोगों की ओछी मनोवृति की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन दिनों जैसे ही पत्नियां गुजाराभत्ते की मांग करती हैं तो पति कहने लगते हैं कि वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं या कंगाल हो गए हैं, यह उचित नहीं.

शादीब्याह के मामलों में हमारे देश में अजीब सा दोगलापन देखा जाता है. जब रिश्ते की बात होती है तो लड़के की आय और रहनसहन को जितना हो सके उतना बढ़ा कर बताया जाता है. लेकिन जब शादी के बाद खटास आ जाए और लड़के को अपनी पत्नी से छुटकारा पाना हो तो स्थिति उलट जाती है. कोर्ट में पति खुद को अधिक से अधिक मजबूर और गरीब साबित करने की कोशिश में लग जाता है. यह दोहरी मानसिकता कितनी ही महिलाओं व उन के बच्चों के लिए पीड़ा का सबब बन जाती है.

दिल्ली के रोहिणी स्थित अदालत में (नवंबर 10 2020 ) इसी से संबंधित एक केस की सुनवाई हुई. शिकायत कर्ता एक तीन साल के बच्चे की मां है. वह पति से अलग रहती है और अपने मातापिता के खर्च पर भरणपोषण कर रही है. उस का पति भोपाल का एक बड़ा कारोबारी है. उस की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है.

लेकिन जब पत्नी व अपने बच्चे को गुजाराभत्ता देने की बारी आई तो अपनी आर्थिक स्थिति खराब बताते हुए प्रतिवादी पति ने अपने नाम पर लिए गए कम्पयूटर व लैपटॉप भी अपनी मां के नाम पर कर दिए. यहां तक की जिस कंपनी का मालिक पहले खुद था वह कंपनी भी उस ने अपनी मां के नाम पर कर दी ताकि पत्नी व तीन साल के बच्चे को गुजाराभत्ता देने से बच सके. उस ने तुरंत कंपनी से इस्तीफ़ा दे दिया और अब उस के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं है.

अदालत ने उस के इस आचरण पर अचंभित होते हुए कहा कि लोगों की इस दोहरी मानसिकता को क्या कहा जाए. अपने ही बच्चे का खर्च उठाने को तैयार नहीं. बाद में अदालत ने पति को निर्देश दिया कि वह अपनी पत्नी व बच्चे को निचली अदालत द्वारा निर्धारित गुजाराभत्ते की रकम का भुगतान करे.

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने इस मामले में (फरवरी 2020) महिला व उस के अबोध बच्चे के लिए 15 हजार रुपये का अंतरिम गुजाराभत्ता देने का निर्देश दिया था. पति ने इस आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी थी. सत्र अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा.

इस तरह के मामले दिखाते हैं कि कुछ लोगों के लिए रिश्तों की कोई अहमियत नहीं होती. उन के लिए रूपए से बढ़ कर कुछ नहीं. रूपए बचाने के लिए ये लोग ईमानदारी ताक पर रख कर कितना भी नीचे गिर सकते हैं. इस का ख़ामियाज़ा बच्चे को भुगतना पड़ता है. इन बातों को ध्यान में रख कर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले में गुजाराभत्ता और निर्वाहभत्ता तय करने के लिए अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि दोनों पार्टियों को कोर्ट में कार्यवाही के दौरान अपनी असेट और लाइब्लिटी का खुलासा अनिवार्य तौर पर करना होगा. साथ ही अदालत में आवेदन दाखिल करने की तारीख से ही गुजाराभत्ता तय होगा.

ये भी पढ़ें- भूलकर भी न कहें पति से ये 6 बातें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजाराभत्ते की रकम दोनों पार्टियों के स्टेटस पर निर्भर है. पत्नी की जरूरत, बच्चों की पढ़ाई, पत्नी की प्रोफेशनल स्टडी, उस की आमदनी, नौकरी, पति की हैसियत जैसे तमाम बिंदुओं को देखना होगा. दोनों पार्टियों की नौकरी और उम्र को भी देखना होगा.इस आधार पर ही तय होगा कि महिला को कितने रूपए मिलने चाहिए.

कई दफा ऐसा भी होता है कि पति के सामर्थ्य से ज्यादा गुजारेभत्ते की मान कर दी जाती है. ऐसे में पति अगर यह साबित कर दे कि वह इतना नहीं कमाता कि खुद का ख्याल रख सके या पत्नी की अच्छी आमदनी है या उस ने दूसरी शादी कर ली है, पुरुष को छोड़ दिया या अन्य पुरुष के साथ उस का संबंध है, तो उन्हें मैंटीनैंस नहीं देना होगा. खुद की कम इनकम या पत्नी की पर्याप्त आमदनी का सबूत पेश करने से भी उन पर इंटरिम मैंटीनैंस का भार नहीं पड़ेगा.

फरवरी 2018 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गुजारेभत्ते को ले कर ऐसा ही एक आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया था कि यदि पत्नी खुद को संभालने में सक्षम है तो वह पति से गुजारेभत्ते की हक़दार नहीं है. याची के पति ने हाईकोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता सरकारी शिक्षक है और अक्तूबर 2011 में उस का वेतन 32 हजार रुपये था. इस आधार पर कोर्ट ने उस की गुजारेभत्ते की मान ख़ारिज कर दी.

जरुरी है कि रिश्ता टूटने के बाद भी एकदूसरे के प्रति इंसानियत और ईमानदारी कायम रखी जाए. खासकर जब बच्चे भी हों. क्योंकि इन बातों का असर कहीं न कहीं बच्चे के भविष्य पर पड़ता है.

करना चाहते हैं स्किन को एक्सफोलिएट तो इस होममेट अप्रिकोट स्क्रब से पाएं ग्लोइंग फेस

एक चमकती व निखरी हुई त्वचा पाना हर किसी का सपना होता है. परन्तु ऐसी त्वचा पाने के लिए हमें प्रयास भी उतने ही करने होते हैं. यदि आप हफ्ते में एक या दो बार अपनी स्किन को एक्सफोलिएट करते हैं तो आप के स्किन से सारी गन्दगी व डैड स्किन निकल जाती है जिससे आप को एक चमकती व दमकती त्वचा मिलती है. परन्तु स्क्रब भी कई प्रकार के होते हैं. यदि आप बेस्ट स्क्रब की बात करें तो ड्राई फ्रूट से बने कुछ स्क्रब आप की त्वचा के लिए सच में बहुत अच्छे होते हैं. ऐसे में हमारे सामने अप्रिकॉट स्क्रब भी आता है जो आप की स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है. इसे आप घर पर भी बना सकते हैं.

तो आइए जानते हैं इसे बनाने की विधि.

इंग्रेडिएंट्स

इस स्क्रब को बनाने के लिए आप को तीन चीजों की जरूरत पड़ेगी.

अप्रिकोट गुठली पाउडर

अप्रिकोट फल

शहद

ये भी पढ़ें- फटी हुई एड़ियों को ऐसे करें ठीक और पाएं ड्राय पैरों से छुटकारा

अप्रिकोट स्क्रब को घर पर ही बनाने की विधि.

सबसे पहले तो आप को एक अप्रिकोट या खुबानी की प्युरी बनाने की जरूरत होगी. इस के लिए आप को पहले फल का छिलका उतारना होगा और उस के बाद उसे मिक्सी मे डाल कर एक पेस्ट बनाना होगा. इसे अधिक लिक्विड बनाने के लिए इस पेस्ट मे किसी प्रकार का पानी या कुछ अन्य तरल पदार्थ न डालें.

अब इस पेस्ट के अंदर 2 चम्मच अप्रिकोट पाउडर को मिलाएं जो कि आप को आसानी से किसी भी स्टोर पर या बाजार में मिल जाएगा. परन्तु यदि आप यह अप्रिकोट पाउडर भी घर पर ही बनाना चाहते हैं तो अप्रिकोट को छील कर उस के अंदर से सारे बीज निकाल लें.

अब इन बीजों को कई दिनों तक सूरज की रोशनी के नीचे रखें. जब यह सूख जाए तो इनको अंदर से खोलें और आप को इसकी गुठली मिलेगी. इनको मिक्सी में पीस कर एक पाउडर बना लें और इस पाउडर का भी आप उस मिश्रण में प्रयोग कर सकते हैं.

अब इस मिश्रण में  आधा चम्मच शहद मिला कर, उस के बाद पेस्ट को अच्छे से मिक्स कर लें.

इस स्क्रब में किसी प्रकार के प्रिजर्वेटिव नहीं मिले हुए हैं इसलिए इस के खराब होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है. अतः एक बार में केवल इतना ही स्क्रब बनाएं की वह एक बार में ही सारा प्रयोग हो सके.

यदि आप इस स्क्रब का प्रयोग हफ्ते में एक या दो बार करेंगे तो आप को अपनी स्किन में अलग ही अंतर दिखाई देगा. यह स्क्रब आप को डेड स्किन सेल्स व आप की स्किन में जमी गन्दगी से छुटकारा दिलवाएगा और आप को एक सुनहरा निखार उपलब्ध कराएगा.

ये भी पढ़ें- कैसा हो आपका टोनर 

 

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें