कुछ बुरी आदतों के कारण मेरे लिप्स बहुत डार्क हो गए हैं?

सवाल-

कुछ बुरी आदतों के कारण मेरे लिप्स बहुत डार्क हो गए हैं. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

आप अपने लिप्स को रोज हाइड्रेटेड और मौइस्चराइज करें. उन पर रोज सनब्लौक का इस्तेमाल करें, धूम्रपान और तंबाकू चबाना छोड़ें, कैफीन का सेवन कम करें, होंठों पर बारबार जीभ न फिराएं. लिप्स पर किसी भी कौस्मैटिक्स का इस्तेमाल करने से पहले उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर देख लें. विटामिन ई युक्त लिपस्टिक का ही इस्तेमाल करें. लिप्स को कभीकभी ऐक्सफौलिएट करें ताकि उन की ऊपर की डार्क परत उतर जाए. लिप्स पर कैमिकल पील और लेजर ट्रीटमैंट भी करवा सकती हैं.

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धूप जितना हमारी स्किन को नुकसान पहुंचाती हैं. उतना ही नुकसान लिप्स को भी पहुंचाती हैं. पिंक और ब्यूटीफुल लिप्स हमारी स्किन को चार चांद लगा देते हैं, लेकिन फटे लिप्स हमारी पर्सनेलिटी पर धब्बा लगा देते हैं. वैसे तो मार्केट में कईं तरह के लिप बाम मौजूद हैं, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे लिप बाम्स के बारे में बताने वाले हैं. जो आप 200 रूपए के बजट में खरीद सकते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में…

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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Winter Special: घर पर बनाएं टेस्टी रेस्टोरेंट स्टाइल सरसों का साग

अगर आप अपनी फैमिली को टेस्टी और हेल्दी कुछ खिलाना चाहते हैं तो आज हम आपको सरसों के साग की हेल्दी और टेस्टी रेसिपी बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को डिनर में आसानी से परोस सकती हैं. तो आइए आपको बताते हैं रेस्टोरेंट स्टाइल हेल्दी और टेस्टी सरसों के साग की आसान रेसिपी…

हमें चाहिए

सरसों के पत्ते – 500 ग्राम,

पालक– 150 ग्राम,

बथुआ– 100 ग्राम,

टमाटर– 250 ग्राम,

प्याज– 01 (बारीक कटी हुई),

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लहसुन– 05 कलियां (बारीक कटी हुई),

हरी मिर्च– 02 नग,

अदरक– 01 बड़ा टुकड़ा,

सरसों का तेल– 02 बड़े चम्मच,

बटर/घी– 02 बड़े चम्मच,

हींग– 02 चुटकी,

जीरा– 1/2 छोटा चम्मच,

हल्दी पाउडर– 1/4 छोटा चम्मच,

मक्के का आटा– 1/4 कप,

लाल मिर्च पाउडर– 1/4 छोटा चम्मच,

नमक– स्वादानुसार

बनाने का तरीका

सबसे पहले सरसों, पालक और बथुआ के पत्तों को अच्छी तरह से साफ करके धुल लें. इसके बाद उन्हें छलनी में रख दें, जिससे पानी निथर जाए.

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इसके बाद इन्हें मोटा-मोटा काट लें और कुकर में एक कप पानी के साथ डालें और मध्यम आंच पर एक सीटी आने तक उबाल लें. इसके बाद कुकर को उतार कर रख दें और उसकी सीटी निकलने तक इंतजार करें.

अब टमाटर और अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें और फिर उसे हरी मिर्च के साथ मिक्सी में डाल कर बारीक पीस लें. उसके बाद कढ़ाई में एक चम्मच तेल डालें और गरम करें. तेल गरम होने पर उसमें मक्के का आटा डालें और हल्का ब्राउन होने तक भून लें.

आटे को एक प्याली में निकालने के बाद कढ़ाई में बचा हुआ तेल डालें और उसे गरम करके उसमें हींग और जीरा डाल दें और दस सेकेंड तक भून लें. उसके बाद प्याज और लहसुन डालें और हल्का गुलाबी होने तक भून लें.

उसके बाद हल्दी पाउडर, टमाटर का पेस्ट और लाल मिर्च डालें और मसाले को तब तक भूनें, जब तक कि वह तेल न छोड़ने लगे. मसाले के भुनने के दौरान कुकर से सरसों के पत्ते निकाल लें. उन्हें ठंडा करके मिक्सी में डालें और दरदरा पीस लें.

अब भुने हुये मसाले में सरसों के पिसे हुए पत्ते डाल दें. साथ ही आवश्यकतानुसार पानी, मक्के का आटा और नमक भी डालें और अच्छी तरह से चला दें. इसके बाद इसे मध्यम आंच पर पकाएं और उबाल आने के पांच-छ: मिनट बाद तक पकाने के बाद गैस बंद कर दें और गरमागरम मक्के की रोटी संग अपनी फैमिली को परोसें. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी है जो आपकी फैमिली को बेहद पसंद आएगी.

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क्या आप जानते हैं नीबू के ये 12 फायदे

नीबू के लाभ बड़े

चाट हो या दाल, कोई भी व्यंजन इस के प्रयोग से स्वादिष्ठ हो जाता है. यह फल खट्टा होने के साथसाथ बेहद गुणकारी भी है. आइए जानते हैं इस के कुछ प्रयोगों के बारे में:

1.कृमि रोग: 10 ग्राम नीबू के पत्तों के रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिला कर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मर जाते हैं. नीबू के बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से भी कीड़े मर जाते हैं.

2.सिरदर्द : नीबू के पत्तों का रस निकाल कर अच्छी तरह सूंघें. जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इस से शीघ्र आराम मिलता है.

3.नकसीर : ताजे नीबू का रस निकाल कर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून निकलता हो, तो बंद हो जाएगा.

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4.तृष्णा : किसी कारण से बारबार प्यास लगती हो, तो नीबू चूसने या शिकंजी पीने से तुरंत प्यास बंद हो जाती है. इसे तेज बुखार में भी दिया जा सकता है.

5.मिरगी : चुटकी भर हींग को नीबू में मिला कर चूसने से मिरगी रोग में लाभ होगा.

6.दांत व मसूड़ों का दर्द : दांत दर्द होने पर नीबू को 4 टुकड़ों में काट लीजिए, इस के बाद ऊपर से नमक डाल कर सभी टुकड़े गरम कीजिए, फिर 1-1 टुकड़ा दांत व दाढ़ में रख कर दबाते जाएं व चूसते जाएं. दर्द में राहत महसूस होगी. मसूड़े फूलने पर नीबू को पानी में निचोड़ कर कुल्ले करने से अत्यधिक लाभ होगा. पायरिया : नीबू का रस व शहद मिला कर मसूड़ों पर मलते रहने से रक्त व पीप आना बंद हो जाते हैं.

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7.हिचकी : 1 चम्मच नीबू का रस व शहद मिला कर पीने से हिचकी बंद हो जाएगी. इस प्रयोग में स्वादानुसार कालानमक भी मिलाया जा सकता है.

8.खुजली : नीबू में फिटकरी का चूर्ण मिला कर खुजली वाले स्थान पर रगड़ें. खुजली समाप्त हो जाएगी.

9.जोड़ों का दर्द : नीबू के रस को दर्द वाले स्थान पर मलने से दर्द व सूजन समाप्त हो जाएगी.

10.पीड़ारहित प्रसव : गर्भधारण के चौथे माह से प्रसवकाल तक अगर स्त्री 1 नीबू की शिकंजी रोज पिए तो प्रसव बिना कष्ट होता है.

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11.मूत्रावरोध : नीबू के बीजों को महीन पीस कर नाभि पर रख कर ठंडा पानी डालें, रुका हुआ पेशाब खुल कर व साफ आ जाता है.

12.तपोदिक : नीबू के 25 ग्राम रस में 11 तुलसी के पत्ते तथा जीरा, हींग व नमक सब को गरम पानी में मिला कर पीने से तपेदिक रोग में लाभ होगा.

Serial Story: हमारे यहां ऐसा नहीं होता (भाग-1)

‘‘क्या हाल हैं? क्या लग रहा है? एक होस्टल की वार्डन जैसी मेरी मां से निभा पाओगी?‘‘ रात 11 बजे अजय ने बांहों में लिपटी अपनी नईनवेली पत्नी धारा से जब पूछा, तो वह खिलखिला उठी. यों ही लेटेलेटे अपने फर्जी कालर ऊपर किए और कहा ,‘‘तुम जानते नहीं धारा शर्मा को? कितना भरोसा है मुझे खुद पर. क्यों नहीं निभेगी…? हर तरह के लोगों से निबटना आता है मुझे.‘‘

‘‘देखते हैं, अभी तो तुम्हें घर में आए एक महीना ही हुआ है, आरती भाभी तो रोती ही रहती थीं, बेचारी भाभी. कभी अपने मन का कुछ कर ही नहीं पाई थीं, मुझे दुख होता था, पर क्या करूं, मां हैं मेरी. प्यार भी सब को बहुत करती हैं, बस थोड़ी जिद्दी हैं, जो घर में करती आई हैं, वही होता रहे तभी खुश रहती हैं.‘‘

‘‘क्या उन के लिए अपनी खुशी ही माने रखती है?‘‘

‘‘नहीं, वे यह भी चाहती हैं कि सब खुश रहें, बस अपनी सोच में ज्यादा बदलाव कर नहीं पातीं.‘’

धारा कुछ देर सोचती रही, तो अजय ने पूछा, ‘‘क्या हुआ? डर लग रहा है? डोंट वरी, मैं तुम्हारे साथ हूं.‘‘

धारा को हंसी आ गई. वह मुसकराते हुए बोली, ‘‘अब तुम मुझे सचमुच डराने की कोशिश मत करो. जब से हमारी शादी की बात शुरू हुई थी, तब से यही सुन रही हूं कि तुम्हारी मम्मी के साथ रहने में मुझे नानी याद आ जाएगी. मैं तो सच बताऊं, एक्ससाइटेड हूं. देखते हैं, इस प्रोजैक्ट को कैसे हैंडल करना है.‘‘

यह सुन कर अजय को जोरों की हंसी आई, फिर उस ने धारा को किस करते हुए कहा, ‘‘अच्छा…? मेरी मां एक प्रोजैक्ट है तुम्हारा?‘‘

‘‘हां, वैसा ही फील हो रहा है सुनसुन कर. ओह, अच्छा, अब सोने दो. कल सुबह मेरा एक प्रेजेंटेशन है, बौस को इतने हिंट दिए कि अभी शादी हुई है, थोड़ा चैन से जीने दे, पर नहीं, कहता है, इस कोरोना टाइम में तुम्हें हनीमून पर तो जाना नहीं है, काम ही टाइम से कर लो. मैं कौन सा तुम्हें औफिस बुला रहा हूं.‘‘

‘‘तुम इतनी लायक हो. तुम्हारे बिना तुम्हारे बौस को कहां चैन आ सकता है. मां को बता दिया है, कल तुम्हें काम है?‘‘

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‘‘नहीं, इस में क्या बताना, एक हफ्ते से औफिस का काम शुरू कर दिया है, रोजरोज क्या बताना.‘‘

‘‘अब ठीक से बताओ, मैनेज हो रहा है न, कोई दिक्कत तो नहीं है?‘‘

‘‘कोशिश कर रही हूं, गुडनाइट, चलो, सोते हैं अब,‘‘ कहते हुए धारा ने अजय के हाथ पर सिर रखते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं.

कांदीवली, मुंबई की इस सोसाइटी की एक बिल्डिंग के इस थ्री बैडरूम में सुधा और विनय अपने बेटे अजय और बहू धारा के साथ रहते थे. कुछ साल पहले तक उन का बड़ा बेटाबहू विजय और आरती भी साथ रहते थे, पर सुधा के साथ रहना आसान बात नहीं थी. जैसे ही विजय को दिल्ली में नई जौब मिली, वह फौरन चला गया था.

अजय और धारा की लवमैरिज थी, दोनों मुंबई में ही एक कौमन फ्रैंड के घर मिले थे और दोस्ती हो गई थी.

सुधा को इस शादी पर कोई आपत्ति नहीं हुई थी, क्योंकि धारा भी ब्राह्मण परिवार से ही थी.

सुधा इस विवाह के लिए कोरोना के खत्म होने का इंतजार करने के मूड में थीं, क्योंकि उन्हें सब रस्मोरिवाज और सारे रिश्तेदारों की भीड़ के साथ यह विवाह करना था, पर अजय और धारा इंतजार नहीं करना चाहते थे. वे जानते थे कि सबकुछ नौर्मल होने में अभी समय लगने वाला है, युवा मन किसी भी तरह सब दूरियां मिटा कर साथ रहना चाहते थे, कोविड 19 के चलते बारबार बाहर मिलने जाना भी सेफ नहीं था, विनय और अजय भी वर्क फ्रौम होम ही कर रहे थे.

विजय और आरती ने भी फोन पर यही कहा, ‘‘मां, हम आ जाएंगे, बस बहुत ही जरूरी रस्म के साथ यह शादी हो जानी चाहिए, किसी को भी बुलाने की जरूरत ही क्या है इस टाइम, और कोई बुरा भी नहीं मानेगा. आप बस धारा की मम्मी से बात कर लो.‘‘

धारा की मम्मी माया अंधेरी इलाके में अकेली ही रहतीं, उस के पिता थे नहीं. माया टीचर थीं. आजकल वे औनलाइन क्लासेस में व्यस्त थीं. वे इस विचार से खुश थीं कि शादी कम से कम शोरशराबे में हो. वे एक आधुनिक सोचविचार वाली महिला थीं, जो किसी भी तरह सामाजिक दबाव को सहन न करतीं और धारा ने भी इसी खुली सोच से जीना सीखा था.

कोरोना वायरस ने दुनिया पलट कर रख दी थी. कितनों के प्रोग्राम, योजनाएं रखी रह गई थीं, ऐसे ही सब की सहमति से एक छोटे से पैमाने पर जरूरी रस्में संपन्न हुईं और धारा अजय के घर आ गई.

थोड़े दिन के लिए अजय और धारा ने छुट्टी ली, पर आजकल वर्क फ्रौम होम के दिन थे, जाना कहीं था ही नहीं, औफिस का काम पहले से ज्यादा हो रहा था, दोनों ने अपनाअपना काम जल्दी ही शुरू कर दिया.

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सुधा एक परंपरावादी सास थी. महानगर में रहते हुए भी सोच सदियों पुरानी. जो घर में अब तक करती आई थीं, उस में उन्हें किसी और का कहा बदलाव जरा भी मंजूर नहीं था. वे यह भी जान गई थीं कि उन की रोकटोक के कारण ही बड़े बेटे और बहू ने यहां से जाने में ही अपनी भलाई समझी. अब उन्हें धारा पसंद तो बहुत आई थी, बहुत सुंदर, हंसमुख सी धारा सारा दिन वैसे तो अपने काम में बिजी रहती, पर जिस तरह औफिस के काम के साथ उन के साथ मिल कर घर के भी काम संभाल लेती, वे हैरान हो कर रह जातीं. पर जैसे ही धारा अपने मन से कुछ भी करने लगती, सुधा कह उठती, ‘‘धारा, हमारे यहां ऐसा नहीं होता.‘‘

विनय काम से काम रखने वाले पुरुष थे. सुधा के कार्यक्षेत्र में उन्होंने कभी दखल नहीं दिया था, पर जिद्दी पत्नी को भी अच्छी तरह जानते थे, देख रहे थे कि धारा कुछ भी अपनी पसंद का करने पर सुधा को नाराज कर देती है. वे ढकेछुपे शब्दों में धारा को सपोर्ट भी करते, पर ज्यादा बात करने की उन की आदत थी ही नहीं.

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Serial Story: हमारे यहां ऐसा नहीं होता (भाग-2)

एक अच्छे पद पर काम करने वाली धारा के सरल स्वभाव की वे मन ही मन प्रशंसा करते. धारा ने पिता का स्नेह देखा ही नहीं था, वह पापापापा करती विनय के आगेपीछे घूमती.

सुधा समझ जाती कि धारा के मन में अपने पिता के साथ समय न बिता पाने की कसक रह गई है. उन के मन में इस समय धारा के लिए कोमल भाव जागते, फिर थोड़ी देर बाद वे एक संगदिल सास के रूप में जल्दी ही आ जातीं.

अगली सुबह धारा 6 बजे उठी. सुधा भी जागी हुई थी और किचन में चाय चढ़ा रही थीं, गुड मौर्निंग बोलते हुए धारा ने कहा, ‘‘मां, मैं फ्रेश हो कर आई, मेरी भी चाय छान लेना आप. आज बहुत काम है, साढ़े 8 बजे से एक मीटिंग है, आती हूं.‘‘

सुधा ने 2 कप चाय छानी और लिविंग रूम में बैठ कर पीनी शुरू की. धारा ने आते ही कहा, ‘‘मां बताओ, क्याक्या काम कर दूं? क्या सब्जी काट दूं?‘‘

सुधा ने कहा, ‘‘पहले आराम से चाय पी लो.‘‘

‘‘मां, खाली क्या बैठूं? साथ ही साथ कुछ काम भी निबटा देती हूं, नाश्ता क्या बनाना है? पोहा बना लूं?‘‘

‘‘ठीक है.‘‘

धारा तेजी से गई और आलूप्याज ले आई. चाय पीतेपीते सब काट कर रखा, फिर पूछा, ‘‘मां, सब उठने वाले होंगे, बना दूं क्या?‘‘

‘‘पहले नहा लो.‘‘

‘‘मां, आज वीडियो काल्स हैं. किचन के काम निबटा कर नहाधो कर तैयार हो जाऊंगी.‘‘

‘‘मैं कई दिन से तुम्हें बताना चाह रही थी, हमारे यहां बहू नहाधो कर ही किचन में घुसती हैं,‘‘ सुधा ने कहा.

‘‘पर क्यों मां?‘‘ धारा पूछ बैठी.

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यह सुन कर सुधा अचकचा गईं. कैसे कहें कि वे यह मानती हैं कि रात को पति के साथ सोने से तन अशुद्ध होता है, किचन में साफ हो कर जाना चाहिए, उन की सास ने भी हमेशा उन्हें दिल्ली की ठंड में भी किचन में नहाने के बाद ही जाने दिया था.

धारा की बात पर वे चुप रहीं. धारा ने किचन में नहा कर जाने का यह तर्क सुन रखा था. उस ने अपनी मुसकराहट को कंट्रोल करते हुए कहा, ‘‘कहीं आप भी तो इस पुरानी सोच को नहीं मानतीं न मां कि पतिपत्नी रात को सोएं और अशुद्ध सिर्फ बहू हुई, अभी आप अजय को भी नहाने के लिए कहेंगी?‘‘

धारा के चेहरे पर सुबहसुबह बड़ी खिली हुई सी मुसकान थी. सुधा सोच में पड़ गईं कि अगर यह कहें कि हां, वे यह बात मानती हैं तो उन की सोच इस पढ़ीलिखी बहू के आगे छोटी लगेगी और अगर धारा को आज भी ऐसे किचन में जाने दिया तो यह अजीब लगेगा, क्योंकि उन के यहां तो ऐसा ही होता है, आरती भी हमेशा नहा कर ही किचन में गई है. जब से धारा घर में आई थी, घर में एक रौनक थी, उन्हें धारा का साथ अच्छा लगता, पर अपने बनाए नियम और ज्यादा अच्छे लगते.

धारा ने फटाफट घर के काम निबटाए और फिर अपना लैपटौप खोल कर बैठ गई. विनय और अजय भी अपनेअपने काम में बिजी हो गए थे. सुधा छुटपुट काम निबटाती रही.

धारा को जैसे ही फुरसत मिली, वह फिर सुधा के साथ मिल कर काम करने लगी. लंच टाइम में टीवी पर न्यूज लगा ली गई. भाषण चल रहा था कि अगर किसी मुसलिम लड़के ने हिंदू लड़की से प्यार किया, तो उसे मार दिया जाएगा. सुधा के भी यही विचार थे कि ऐसा ही होना चाहिए. वे बोलीं, ‘‘सही है, अपने धर्म को बचाने के लिए ऐसी धमकी तो देनी ही पड़ेगी.‘‘

धारा ने दमदार तरीके से अपनी बात रखी, ‘‘नहीं मां, यह बहुत ही गलत बात है. अब सरकार बताएगी कि किस से प्यार करना है, किस से नहीं?‘‘

‘‘बताना ही पड़ेगा, जब अपना धर्म संकट में होगा तो…‘‘

‘‘अगर धर्म यह सिखा रहा हो कि धर्म के नाम पर प्यार करने वालों को मार दिया जाए तो ऐसा धर्म किस काम का? ये लोग दलितों की बेटियों के साथ रेप कर सकते हैं, उन का छुआ खा नहीं सकते. जितना नुकसान धर्म ने दुनिया में किया है, उतना किसी और चीज ने नहीं किया.‘‘

‘‘क्या नास्तिकों जैसी बातें कर रही हो?‘‘ सुधा को गुस्सा आने लगा, तो विनय ने फौरन बात बदलने के लिए दूसरा टौपिक शुरू कर दिया.

धारा ने भी फिर हलकेफुलके मूड में हंसनाबोलना शुरू कर दिया. बातोंबातों में धारा को अचानक याद आया, ‘‘दूसरी मीटिंग शुरू होने का समय हो गया है. मैं तो बातों में भूल ही गई थी, अभी जल्दी है, अजय. तुम ये सब टेबल संभाल लेना. मैं बैठती हूं,‘‘ जल्दी से अपनी प्लेट किचन में रख कर धारा लैपटौप पर झुक गई.

अजय भी टेबल संभालने लगा. विनय की तरफ देख कर सुधा कुछ नाराजगी से बोली, ‘‘ऐसा कभी देखा है घर में? हमारे यहां ऐसा कभी हुआ है?‘‘

विनय मुसकुराए, ‘‘ऐसा कुछ बुरा भी नहीं हो रहा है घर में, टेंशन मत लिया करो.‘‘

धारा का पहला करवाचौथ आया तो सुधा तैयारियों की बातें करने लगी, तो धारा ने कहा, ‘‘मां, मैं कोई फास्ट नहीं रखती. मुझे तो एसिडिटी की प्रोब्लम है.‘‘

सुधा को जैसे करंट सा लगा, ‘‘कैसी बातें कर रही हो, धारा. हमारे यहां ऐसे सोच भी नहीं सकते कि करवाचौथ का व्रत नहीं रखा जाएगा.‘‘

‘‘पर मां, मैं भूखी नहीं रह सकती.‘‘

‘‘कुछ फ्रूट्स खा लेना.‘‘

‘‘मां, मुझे फ्रूट्स खा कर भी भूख लगती है.‘‘

‘‘आरती ने तो प्रेगनेंसी में भी इतनी अच्छी तरह फास्ट रखा था.‘‘

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‘‘पर मां, फास्ट रख कर क्या हो जाता है? मैं ऐसे ही अजय को इतना प्यार करती हूं.‘‘

‘‘ये पति की लंबी उम्र के लिए है, इतना तो पता ही होगा.‘‘

‘‘पर मां, मेरी मम्मी भी रखती थीं यह फास्ट, फिर भी मेरे पापा को बचा नहीं पाईं.‘‘

सुधा के पास इस तर्क का कोई जवाब नहीं था. अजय ने मजाक में विनय से कहा, ‘‘चलो, पापा, आप खुश हो जाओ. मैं तो धारा को खातेपीते देख ही खुश हो लूंगा, मेरा क्या है.’’

धारा को सुधा की नाराजगी देखते हुए बेमन से फास्ट रखना ही पड़ गया. यह अलग बात है कि उस ने मौका देख कर जो खाना था, खा लिया, किसी को कानोंकान खबर न हुई.

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Serial Story: हमारे यहां ऐसा नहीं होता (भाग-3)

2 दिन बाद ही अचानक सुबह उठते ही धारा तैयार होने लगी. सुधा चौंकी, ‘‘कहां जा रही हो?‘‘

‘‘मम्मी की तबीयत खराब है. कार ले कर जा रही हूं, जरूरत होगी तो उन्हें डाक्टर को दिखा दूंगी, 1-2 कपडे़ भी ले जा रही हूं. मैं शायद वहां रुक जाऊं 2-4 दिन.’’

‘‘अरे, तुम ने पूछा भी नहीं. सीधे बता रही हो. हमारे यहां ऐसा नहीं होता कि बहू सीधे तैयार हो कर चल दे, और किसी से पूछे भी न.‘‘

‘‘आप आज देर से उठीं, तब तक मैं ने नाश्ता भी बना दिया और फिर तैयार हो गई. और अपने ही घर जाने की परमिशन क्या लेना, मां, मैं ने नई जिम्मेदारियां ली हैं और निभाना भी जानती हूं, मैं जब यहां आऊंगी तब भी मुझे अपनी मम्मी से परमिशन नहीं लेनी होगी. मेरे लिए दोनों घर बराबर हैं, यह आप स्वीकार करें, प्लीज.‘‘

धारा अपनी मम्मी की हेल्थ की चिंता करते हुए कार ले कर चली गई. सुधा ने कहा, ‘‘आजकल की बहुओं के ढंग… वाह, जबान तो ऐसे चलती है कि पूछो मत. एक हम थे कि ससुराल में मुंह नहीं खोला.‘‘

विनय ने जोर से हंसते हुए कहा, ‘‘देखो, झूठ मत बोलो, अम्मां और जीजी को तुम पानी पीपी कर मेरे सामने कोसती थी कि कहां फंस गई, हमारे तो करम ही फूट गए. मुझे याद मत दिलाओ कि तुम कैसे टपरटपर शिकायत करती थी सब की.‘‘

अजय ने जोर का ठहाका लगाते हुए कहा,‘‘पापा, कम से कम मेरी पत्नी पीछे से तो मेरे कान नहीं खाती, जो भी कहना होता है, सीधे मां से ही कह लेती है.‘‘

‘‘देख रही हूं, जोरू के गुलाम बन कर रहोगे तुम, पर हमारे यहां जो होता आया है, उस का पालन क्या उसे नहीं करना चाहिए?‘‘

‘‘देखो सुधा, वह आज की समझदार, मेहनती लड़की है, उसे तुम इतना दबा कर रखने के बजाय उस की बातों को, उस के तर्कों को ध्यान से सुनोगी तो समझ जाओगी कि वह कितनी समझदार है. तुम ने देखा था न, कितनी बिजी थी वह कल अपनी मीटिंग में, तो भी फोन पर बात करते हुए तुम्हें एक किलो भिंडी काट कर दे दी कि तुम इतनी देर किचन में न खड़ी रहो, जरा सा उठती है, कितने कामों को यों ही निबटा देती है, उस के गुण देखो, मन खुश होगा. जरूरी नहीं कि आज तक जो घर में होता आया है, कोई बोला नहीं, चुप रहा तो वह ठीक ही था.‘‘

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धारा ने फोन कर बताया कि उस ने अपनी मां को डाक्टर को दिखा दिया है. दवाओं से आराम होते ही वह हाउस हेल्प को सब समझा कर आ जाएगी.

2 दिन बाद धारा लौट भी आई. सब अपनेअपने रूटीन में व्यस्त हो गए.

घर में एक दिन सब डिनर करते हुए टीवी देख रहे थे. सुधा सरकार की अंधभक्त थी, यह बिहार में चुनाव की रैलियों का समय था, विपक्ष की रैलियों में जबरदस्त भीड़ की तसवीरें देखते हुए सुधा बोली, ‘‘ये देखो, ये मरवाएंगे सब को, कोरोना काल में बिना मास्क के इतनी भीड़…‘‘

धारा जोर से हंसी, ‘‘मां, आप को बस ये भीड़ दिख रही है, और कहीं भीड़ नहीं दिख रही? क्या मां… आप तो बहुत ही एक तरफ हो कर सोचती हैं. न हमें सरकार घर आ कर कुछ दे रही है, न विपक्ष, पर सही प्वाइंट तो होना चाहिए.

‘‘मां, आंखों पर पट्टी बांध कर सरकार की सब बातों को सही और विपक्ष की हर बात को गलत नहीं ठहराना चाहिए, वैसे भी इस सरकार ने तो दिलों में जो मजहबी दीवारें खड़ी कर दीं, मैं चाह कर भी आप की किसी बात में हां में हां नहीं मिला पाऊंगी.‘‘

‘‘धारा, तुम बहस बहुत करती हो. हमारे यहां कोई बहू कभी ऐसे बड़ों की बात नहीं काटा करती, कभी तो चुपचाप सुन लिया करो.‘‘

‘‘मां, मैं तो अपने मन की बात कहती हूं, जैसे आप ने अपने विचार रखे, मैं ने भी रख दिए.‘‘

कुछ दिन और बीते, सुधा किसी भी तरह अपनी सोचों से, अपने बनाए नियमों से बाहर जा कर जीने के लिए तैयार नहीं थी, उन का साफसाफ कहना था कि बहू जब घर में आती है तो उसे ससुराल के ही तौरतरीके मानने चाहिए, उस की अपनी लाइफ शादी से पहले तक ही होती है, कोई भी सब्जी बनानी होती, सुधा जैसे कहती, वह वैसी ही बननी होती, कोई त्योहार जैसे मनता आया था, वैसा ही मनना चाहिए, उन की नजरों में बहू का अपना अस्तित्व होता ही नहीं. वे कहतीं, ‘‘लड़कियों को पानी की तरह होना चाहिए, जिस में मिला दो, वैसी ही हो जाएं.‘‘

धारा बड़ों का सम्मान करती, औफिस और घर के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने वाली आज की मौडर्न लड़की थी. उस की हर बात में लौजिक होता. वह हर बात बड़ी सोचसमझ कर बोलती और अपना पक्ष पूरी ईमानदारी से रखती.
विनय और अजय उस के व्यक्तित्व से प्रभावित थे. विजय और आरती फोन पर संपर्क में रहते.

शाम को धारा सैर करने जाती, जहां उस की कुछ अच्छी फ्रैंड्स बन गई थीं, सब मिल कर थोड़ी देर बैठ कर बातें करतीं, फिर अपनेअपने घर लौट आतीं.

एक दिन पड़ोस की नेहा ने कहा, ‘‘इतने दिन कोरोना के चक्कर में सब घर में बंद रह गए, मन बुरी तरह ऊब गया, अगर हम पांचों तैयार हों, तो एक छोटी सी आउटिंग कर लें क्या?‘’

धारा ने कहा, ‘‘गुड आइडिया, मैं तैयार हूं.‘‘

कविता ने कहा, ‘‘मेरी सास जरूर अड़ंगा लगाएंगी, कोरोना के चक्कर में न खुद निकल रही हैं, न कहीं जाने दे रही हैं. बस, किसी तरह सैर पर आ जाती हूं.‘‘

धारा हंसी, ‘‘तो एक काम करते हैं, अपनीअपनी सासू मां को भी ले चलते हैं.‘‘

‘‘दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा? पिकनिक में भी सासू मां? ओह नो…‘‘

धारा ने कहा, ‘‘देखो, पतियों के साथ तो जाना नहीं है न?‘‘

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सब ने एकसाथ कहा, ‘‘नहीं, उन से ही तो ब्रेक लेना है, रातदिन झेल गए यार, थोड़ा हमें भी टाइम चाहिए.‘‘

‘‘यहां ताज होटल में एक पैकेज चल रहा है. मैं ने इंटरनेट पर यों ही चैक किया था. घर से लंच कर के निकलो, वहां डिनर और ब्रेकफास्ट कौम्प्लीमेंट्री हैं. जबरदस्त सेफ्टी मेजर्स, एक रात के रेट बहुत अच्छे हैं आजकल, स्टेकेशन का कौंसेप्ट हैं ये, कहीं और तो जा नहीं पाएंगे, थोड़ा चेंज हो जाएगा, रात में सब एक रूम में बैठ कर ताश खेलेंगे या कोई और गेम. बोलो दोस्तो, हो जाए…? सासू मांएं तैयार हुईं तो ठीक है, वरना हम चलते हैं.‘‘

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Serial Story: हमारे यहां ऐसा नहीं होता (भाग-4)

तय हुआ, सब अपने घर जल्दी ही इस पर बात कर लेंगी. धारा ने जब यह प्रोग्राम अकेले में अजय को बताया, तो वह खिलखिला कर हंसा, बोला, ‘‘अच्छा, तुम्हें मुझ से ब्रेक चाहिए?’’

‘‘नहीं, बस यों ही रूटीन से ब्रेक चाहिए, दोस्तों के साथ, एक बार दोस्तों के साथ हो आऊं, फिर हम चारों चलेंगे, सोच रही हूं, मां को ले जाऊं.‘‘

‘‘डार्लिंग, फिर तो तुम जा चुकीं,‘‘ अजय हंसा. सुनते ही सुधा ने कहा, ‘‘हमारे यहां ऐसा नहीं होता, धारा, कि घर के पुरुष घर में बैठे हों और औरतें होटलों में घूमती फिरें.‘‘

पर विनय को लग रहा था कि अगर सुधा थोड़ा बाहर निकलेगी और धारा के साथ अकेले में समय बिताएगी, तो दोनों की बौंडिंग बहुत अच्छी हो सकती है. किसी भी तरह से उन्होंने सुधा से हां करवा ही ली.

कविता और नेहा की सासें भी थोड़ा नखरा दिखाने के बाद तैयार हो ही गईं. सीमा और नीता को घर से परमिशन नहीं मिली.

धारा ने अपनी मम्मी से चलने के लिए पूछा, तो उन्होंने खुशीखुशी हां कर दी और वे भी अपनी बैस्ट फ्रैंड रेखा के साथ चलने को तैयार हो गईं. रात को अकेले में अजय ने पूछा, ‘‘डार्लिंग, मेरे बिना जाओगी?‘‘

‘‘तुम्हें अपने मन की बात बताती हूं, अजय, मुझे मां से कोई शिकायत नहीं, जबकि वे हर समय यही कहती हैं कि हमारे यहां ऐसा नहीं होता, वे मुझे मेरे मन की एक बात भी नहीं करने देती, मैं उन्हें गलत नहीं ठहराती. उन्होंने इस घर के सिवा, परंपराओं और अपने संस्कारों से आगे दुनिया देखी ही नहीं. जो चलता आ रहा है, उन्होंने उसी को सही मान लिया है.

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“मैं चाहती हूं कि वे कुछ अलग तरह से दुनिया को देखें और समझें, बातबात में उन्हें उलटा जवाब मैं देना नहीं चाहती. मैं उन की सोच किसी और तरह से बदलने की कोशिश करूंगी. उन्हें बाहर की दुनिया से अपने साथ घुमा कर मिलवाऊंगी, एक औरत अपनी लाइफ को भी कुछ आजादी से जी सकती है. उन्होंने देखा ही नहीं, इस घर की चारदीवारी में रहरह कर उन की सोच कैसे बदलेगी?”

धारा की बात सुन कर अजय ने बांहों में भर कर उस पर चुंबनों की बौछार कर दी. कहा, ‘‘प्राउड औफ यू, डिअर.‘‘ धारा भी उस की बांहों में सिमटती चली गई.

कविता और नेहा के साथ धारा ने प्रोग्राम फाइनल कर लिया और ताज होटल में चार डबल रूम बुक करवा ही लिए.

सुधा थोड़ी टेंशन में थीं. ऐसा तो कभी नहीं हुआ था कि वे पति के बिना कभी इस तरह गई हों, उन्हें रहरह कर धारा पर गुस्सा आ रहा था. साथ ही, पति और बेटे पर भी कि घर में कब इस तरह हुआ है कि औरतें अकेली बाहर घूम रही हों. वे तो मुंबई में रहने के बाद भी कभी अकेली घर से निकली नहीं थीं. शनिवार को लंच कर के धारा और सुधा ने अपने छोटेछोटे बैग पैक किए. धारा ने कहा, ‘‘जो खाना बचा है, आप लोगों के लिए डिनर हो जाएगा. अजय, तुम कल कुछ बना लेना. हम दोपहर तक तो आ ही जाएंगे.‘‘

सुधा ने पति और बेटे के मुसकराते चेहरों पर नजर डाली, तो उन्हें और गुस्सा आया. धारा ने कार निकाली. वह रास्ते से अपनी मम्मी और रेखा आंटी को लेने वाली थी. कविता और नेहा की सासें मंजू और गीता लाइफ को खुल कर जीने वाली जिंदादिल औरतें थीं, जिन की सुधा से अच्छी जानपहचान भी थी.

कविता अपनी कार ले जा रही थी. नेहा को ड्राइविंग नहीं आती थी. आठों लोग आगेपीछे ताज होटल पहुंचे. सुधा माया और रेखा से अच्छी तरह ही मिलीं. माया का नेचर बहुत दोस्ताना था, सब सामान अच्छी तरह सैनेटाइज करने के बाद सब की एंट्री हुई. कदमकदम पर सेफ्टी का ध्यान रखा गया था. लिफ्ट में भी तीनतीन जनों के ही खड़े होने की जगह गोल घेरा था.

सुधा को लग रहा था, जैसे वे किसी जादुई दुनिया में हैं. किसी फाइवस्टार होटल में उन्होंने पहली बार कदम रखा था और अब तो मुंबई में आठ महीने बाद घर से निकलना हुआ था, जैसे उन्होंने खुली हवा में पहली बार सांस ली हो, फाइवस्टार के वैभव पर उन की आंखें चकाचौंध से भरी थीं. एकएक चीज देखने में मगन सुधा को देख कर धारा को अच्छा लगा. वह उन के लगातार टोकते रहने पर भी कभी उन से नाराज नहीं हुई थी. वह जानती थी कि सुधा को कभी कोई एक्सपोजर मिला ही नहीं, हमेशा घर की चारदीवारी में रहने वाली सास की संकुचित सोच को समझती थी. उन्होंने यही सीखा था कि शादी के बाद अपनी लाइफ होनी ही नहीं चाहिए, इसलिए उसे टोकती थीं.

फ्रेश होने के बाद सब धारा के रूम में ही आ गए. वहां रखी इलैक्ट्रिकल केतली में धारा ने चाय बनाई. किसी को उस में मजा तो नहीं आया, पर सब ने गप्पों में पी ही ली. उस के बाद शुरू हुआ, हंसीठहाकों, एक से बढ़ कर एक जोक्स का दौर.

सुधा हैरान थी कि कैसे सब की सब पति और बच्चों के बिना इतनी खुश हो रही हैं, पति पर इतने जोक्स मारे गए, लौकडाउन में पति की आदतों का इतना मजाक उड़ाया गया कि एक बार तो सुधा भी खिलखिला कर हंस पड़ी और एक बार क्या हंसी, फिर तो उन की हंसी थमने का नाम ही नहीं ले रही थी.

धारा ने चुपके से उन के हंसने का एक प्यारा सा वीडियो बना कर अजय को व्हाट्सएप पर भेज दिया. उस का मैसेज आया, “क्या अब हमारे यहां ऐसा होगा, मेरी मां को बिगाड़ मत देना तुम.‘‘

धारा ने हार्ट की इमोजी भेज दी थी, फिर अंत्याक्षरी खेली गई. डिनर के लिए खूब अच्छी तरह से तैयार हो कर सब ताज के रेस्तरां शामियाना गए, जहां सब का टैम्प्रेचर चेक करने के बाद एंट्री की गई. चांदी की थाली में बढ़िया डिनर कर के सब ताज का एकएक कोना देखने लगीं, फिर थोड़ी देर के लिए होटल से बाहर टहलने निकल गईं. सामने गेट वे औफ इंडिया पर घूमते हुए कई फोटो लिए गए.

सुधा के लिए यह सब एक सपने जैसा था. उन्हें अपने जीवन का यह नियम याद ही नहीं आया कि उन के यहां की औरतें कभी अकेले बाहर नहीं जातीं. उन्होंने सब अपनी हमउम्रों को देखा तो यही सोचा कि इन सब को ऐसे जीना आता है. उस ने यह सब कभी सोचा भी क्यों नहीं, आज उन्हें अपने ऊपर पहली बार गुस्सा आया.

रात को सब ने ताश खेले. सुधा को ताश खेलना नहीं आता था, पर वे सब को देखती रहीं. धारा ने जब कहा, ‘‘मां, मेरे पास आ कर बैठो, मैं आप को सिखाती भी जाऊंगी,‘‘ सुधा कहने को हुई, ‘‘हमारे यहां औरतें ताश…’’

पर, उन्होंने मन ही मन खुद को तुरंत लताड़ा और धारा के पास बैठ कर सीखने लगीं. अगली सुबह सब ने साथ में ब्रेकफास्ट किया, लजीज व्यंजन, बेहतरीन माहौल, एक पुलक से भरता रहा सब का मन. सब ने चेकआउट 11 बजे किया और इस ट्रिप को 10 में से 10 नंबर देते हुए घर आ गए.

माया और रेखा को धारा घर छोड़ने गई, तो माया दोनों को एक कप कौफी के लिए रोकने लगी, तो धारा ने कहा, ‘‘नहीं मम्मी, फिर आ जाएंगे. अभी पापा और अजय के लिए जा कर अच्छा सा लंच बनाऊंगी,‘‘ कहते हुए धारा के चेहरे पर जो मुसकान थी, सुधा को पहली बार उस पर इतना प्यार आया. धारा ने रास्ते में पूछा, ‘‘मां, मजा आया? सच बताना.‘‘

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‘‘हां बेटा, बहुत अच्छा लगा.‘‘

‘‘फिर आओगी कभी ऐसे फ्रैंड्स के साथ?‘‘

‘‘हां, जरूर.‘‘

धारा ने छेड़ा, ‘‘पर मां, हमारे यहां तो ऐसा…’’

यह सुुनते ही सुधा जोर से हंसी, ‘‘चुप रहो.‘‘

कार में अच्छे म्यूजिक के साथ सासबहू का जोर का ठहाका भी गूंज उठा.

नेहा कक्कड़ के कारण हुई रोहनप्रीत और टोनी कक्कड़ में लड़ाई, Video Viral

बीते दिनों बौलीवुड की पौपुलर सिंगर नेहा कक्कड़ की रोहन प्रीत संग शादी काफी सुर्खियों में रही थीं. वहीं दोनों के हनीमून की फोटोज ने भी फैंस के बीच काफी हलचल मचाई थी. हालांकि इस बार रोहनप्रीत का नेहा कक्कड़ के भाई टोनी संग एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दोनों लड़ते नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला…

गाने को लेकर हुई लड़ाई

सिंगर नेहा कक्कड़ और उनके भाई टोनी कक्कड़ का नया गाना ‘शोना शोना’ (Shona Shona) रिलीज हुआ है, जिसमें बिग बौस 13 के फेमस कंटेस्टेंट शहनाज गिल और सिद्धार्थ शुक्ला नजर आ रहे हैं. जहां गाना सोशलमीडिया पर धूम मचा रहा है तो वहीं नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) के पति रोहनप्रीत सिंह (Rohanpreet Singh) भी दिन रात इसी गाने को गुनगुनाते नजर आ रहे हैं. इसी बीच गाने के चलते उनके और टोनी कक्कड़ के बीच लड़ाई भी होती नजर आई.

 

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वीडियो हुआ वायरल

 

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नेहा के पति रोहनप्रीत सिंह ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो नेहा कक्कड़ की फोटो को देखकर उन्हें याद करते नजर आ रहे हैं. वहीं बैकग्राउंड में टोनी कक्कड़ का ‘शोना शोना’ गाना बज रहा है. इसी बीच टोनी कक्कड़ रोहनप्रीत को देख रहे हैं लेकिन अगले ही पल वो उनसे उनका फोन छीनने नजर आ रहे हैं, जिसमें नेहा की फोटो है.

 

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बता दें, गाने के प्रमोशन के दौरान नेहा कक्कड़ और टोनी कक्कड़ सलमान खान (Salman Khan) के पौपुलर रिएलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ (Bigg Boss 14) में भी पहुंचे थें, जिसमें नेहा अपने भाई टोनी के लिए दुल्हन की तलाश करती भी नजर आई थीं. वहीं घरवालों को टास्क के जरिए एंटरटेन करते भी यह भाई बहन की जोड़ी नजर आई थी.

वनराज को अनुपमा की बेइज्जती करता देख बापूजी को आया गुस्सा, उठाया बड़ा कदम

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है, जो दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है. वहीं इसी के चलते टीआरपी की रेस में यह सीरियल नंबर 1 पर कायम है. लेकिन अब शो में बाप बेटे का ड्रामा फैंस को एंटरटेन करने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आने वाला नया ट्विस्ट…

घर से बाहर जाता है वनराज

अब तक आपने देखा कि वनराज के अफेयर का सच जानने के बाद राखी अपनी बेटी किंजल और पारितोष की सगाई तोड़ देती है. वहीं बा और बापूजी को वनराज और काव्या के बारे में पता लगने के बाद दोनों हैरान हो जाते हैं. वहीं बापूजी, वनराज को घर से बाहर निकालने का फैसला करते हैं. हालांकि बा बापूजी को यह कदम उठाने से रोकने की कोशिश करती नजर आती हैं.

 

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अनुपमा को धमकाता है वनराज

 

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परिवार और बच्‍चों को अपने खिलाफ जाता देख वनराज, अनुपमा पर भड़क जाता है और अनुपमा को उसके घर से निकल जाने को कहता है. वहीं पिता को मां पर चिल्लाता देख समर जाकर बाबूजी को इस बारे में बता देता है. इसी कारण बाबूजी वनराज को घर से निकल जाने के लिए कहकर घर के बाहर लगी नेमप्‍लेट को उसके हाथ में थमा देते हैं. साथ ही आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि हंसमुख प्रॉपर्टी के कागज फाड़कर वनराज का अहंकार चकनाचूर करते नजर आएंगे और संपत्ति के कागजात से वनराज का नाम हटाने का भी फैसला करेगा.

 

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घर छोड़ेगा वनराज

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बा वनराज को अनुपमा और परिवार या काव्या में से किसी एक को चुनने के लिए कहेगी, जिसके जवाब में वनराज घर छोड़ने का फैसला करता नजर आएगा, जिसके बाद अनुपमा अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करती नजर आएगी.

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Winter Special: घर पर बनाएं रवा केसरी

अगर आप कुछ हेल्दी और टेस्टी अपने बच्चों को खिलाना चाहती हैं तो रवा केसरी आपके लिए बेस्ट औप्शन रहेगा. रवा केसरी हेल्दी और टेस्टी दोनों है. साथ ही ये आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप डेजर्ट या लंच में मीठे के तौर पर अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को परोस सकती हैं.

हमें चाहिए

1/4 कप बादाम का चूरा

1 कप सूजी

2 बड़े चम्मच घी

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4 बड़े चम्मच पिसी चीनी

1/2 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

2 छोटे चम्मच बादाम कटे.

बनाने का तरीका

पैन को गरम कर घी और सूजी डाल कर भूरा होने तक भूनें. अब इस में 1 कप पानी और चीनी डालें. लगातार चलाती रहें ताकि गांठ न पड़े. फिर इलायची पाउडर और बादाम चूरा डाल कर 2-3 मिनट और भूनें. इसे मनचाहे आकार के बाउल में डालें. ठंडा होने पर निकालें और बादाम बुरक कर सर्व करें.

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