बिगड़ा मूड बनाती है खुशबू

जिस तरह अच्छे भोजन से शरीर पुष्ट होता है उसी तरह अच्छी खुशबू मनमस्तिष्क को सेहतमंद बनाती है. अच्छी खुशबू से सोच बदलती है और सोच से जीवन बदल जाता है. यहां तक कि सुगंध हमारे विचारों और भावनाओं को बदलने की भी क्षमता रखती है. यह मनमस्तिष्क में शांति, उत्साह बढ़ा कर जीने का नजरिया बदलती है. यही वजह है कि हम सभी अच्छी खुशबू से महकना चाहते हैं.

मगर यह खुशबू सिर्फ हमें ही नहीं हमारे घर को भी महकाए तभी फैस्टिवल्स का असली आनंद है. रिसर्च के मुताबिक फैस्टिवल की तैयारी में व्यस्तता से उपजा तनाव भी भीनीभीनी खुशबू से कम होने लगता है.

आइए, जानते हैं कि अलगअलग फ्रैगरैंस हमारे मूड को किस तरह प्रभावित करती हैं:

लैवेंडर: इस की खुशबू हमारे दिमाग को शांत रखने में मदद करती है. भावनात्मक तनाव और अवसाद दूर कर राहत देती है. माइग्रेन और सिरदर्द के असर को कम करती है.

जैस्मिन: इस की खुशबू थकान दूर करने में मददगार है. यह न सिर्फ उत्साह बल्कि शरीर की ऊर्जा भी बढ़ाती है.

रोजमेरी: इस की खुशबू याद्दाश्त बढ़ाने, शारीरिक ऊर्जा वापस लाने, सिरदर्द और मानसिक थकान दूर करने में मददगार होती है.

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पिपरमिंट: इस की खुशबू ऐनर्जी बूस्टर है. यह एकाग्रता बढ़ाती है और स्पष्ट सोचने की शक्ति देती है. यह मूड भी अपलिफ्ट करती है.

लैमन: लैमन की खुशबू एकाग्रता बढ़ाती है और मन को शांत करती है. यह सांसों में समा कर तरोताजा एहसास देती है.

ताजी कटी घास की खुशबू: आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं के मुताबिक ताजा कटी घास से ऐसे कैमिकल रिलीज होते हैं जो व्यक्ति को रिलैक्स करते हैं. इस की खुशबू उम्र के साथ होने वाले मानसिक क्षय और बुढ़ापे की निशानियों को बढ़ने से रोकती है. तभी तो ऐसे ऐअर फ्रैशनर भी आने लगे हैं जो इस खुशबू का एहसास आप को कहीं भी करा सकें.

वनीला: एक अध्ययन के मुताबिक वनीला की खुशबू आप के मन को खुशी देती है. आप का मूड अच्छा हो जाता है और चिड़चिड़ापन गायब हो जाता है.

यों महकाएं आशियाना

अच्छी खुशबू से आप किस तरह घर के कोनेकोने को महका सकते हैं, आइए जानते हैं:

-घर के परदों, कालीनों व चादरों को धो कर धूप में सुखा लें.

-डस्टबिन डिटर्जेंट से रगड़ कर साफ कर दें, क्योंकि डस्टबिन से आने वाली दुर्गंध मेहमानों का मिजाज खराब कर सकती है. मैटल के कूड़ेदान की दुर्गंध हटाने के लिए उस में

-पुराने अखबार डाल कर आग लगा दें. दुर्गंध दूर हो जाएगी.

– फ्रिज में बेकार पड़े सड़ रहे ऐक्सपायर सामान हटा दें.

– बाथरूम और टौयलेट अच्छी तरफ साफ कर ऐअर फ्रैशनर से महकाएं.

– नए पेंट से घर को नया लुक दें. नया पेंट घर में महकता एहसास पैदा करता है.

– घर के कोनों और छोटी जगहों पर फ्रैगरैंट औइल स्प्रे करें. घर को महकाने के साथसाथ ये मच्छरों को भी भगाते हैं.

– स्ट्राबैरी, लैवेंडर, लैमन, औरेंज जैसी तरहतरह की खुशबू और डिजाइन वाली मोमबत्तियां बाजार में उपलब्ध हैं. इन का प्रयोग रोशनी के साथ दिलअजीज खुशबू के लिए भी किया जाता है.

– घर में चमेली, मोगरा, रात की रानी, लिली जैसे सुगंधित फूलों के पौधों को डिजाइनर गमलों में लगा कर घर में रौनक और महक दोनों ला सकते हैं. इन्हें आप बरामदे में डाइनिंग टेबल के पास या ड्राइंगरूम में भी रख सकते हैं.

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– दालचीनी को संतरे के छिलके के साथ धीमी आंच में हलका सा भून कर छोड़ दें. घर खुशबू से महक उठेगा.

– रूम फ्रैशनर, कारपेट पाउडर से आप घर में बिछे कारपेट के जरीए पूरे कमरे को महका सकते हैं. आप लैवेंडर और रोजमैरी पाउडर का प्रयोग भी कर सकते हैं. इस के लिए बेकिंग सोडा, ड्राई रोजमैरी और लैवेंडर औयल की जरूरत पड़ेगी.

– बाजार में फ्लोरल सैंटेड वैक्स बार्स भी उपलब्ध हैं. सूखे फूलों और ऐसैंसियल औयल से महकते इन वैक्स बार्स को उस स्थान पर टांग दें जहां आप खुशबू फैलाना चाहते हैं. आप इन्हें ड्रायर्स में भी रख सकते हैं.

ब्रेकअप- पूर्णविराम या रिश्तों की नई शुरुआत?

जब अंशु को पता चला कि उस की भांजी आरवी का 5 साल पुराना रिश्ता टूट गया है तो उस के होश उड़ गए. कितनी प्यारी थी आरवी और कबीर की जोड़ी. दोनों एकसाथ ही मुंबई के इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे थे. दोनों ही परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था, बस एक सामाजिक स्वीकृति मिलनी बाकी थी.

अंशु बहुत ही दुखी मन से अपनी दीदी के घर गई तो देखा, आरवी तो एकदम नौर्मल है और खिलखिला रही थी. उसे लगा कि वह इतनी दूर से दौड़ी चली आ रही है और आरवी को देख कर लगता ही नहीं कि वह परेशान है.

अंशु को लगा कि आजकल के बच्चों का प्यार भी कोई प्यार है. जब चाहो रिलेशनशिप में आ जाओ और जब मरजी ब्रेकअप कर लो. ये आजकल के रिश्ते भी कोई रिश्ते हैं? बस सारे रिश्ते दैहिक स्तर पर ही आधारित हैं.

अंशु को अपना समय याद आ गया, जब उस का रिश्ता प्रवेश के साथ टूट गया था. पूरे 2 वर्ष तक वह अपने खोल से बाहर नहीं निकल पाई थी. कितनी मुश्किल से उस ने अपने नए रिश्ते को स्वीकार किया था.

कभीकभी तो अंशु को लगता है कि वह आज भी अपने पति को स्वीकार नहीं कर पाई है. प्रवेश के साथ उस टूटे रिश्ते की खिरच अभी भी बाकी है.

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रात को आरवी अंशु के गले लग कर बोली, ‘‘मौसी बहुत अच्छा हुआ, आप आ गई हो.‘‘

‘‘मेरा पूरा परिवार मेरे साथ खड़ा है, इसलिए तो मैं ये फैसला कर पाई हूं.‘‘

परंतु, अंशु को लग रहा था कि आरवी को दरअसल कबीर से कभी प्यार ही नहीं था. पर आरवी के अनुसार, घुटघुट कर जीने के बजाय अगर आप की बन नहीं रही है तो क्यों ना ब्रेकअप कर के आगे बढ़ा जाए.

आजकल की युवा पीढ़ी पहले से अधिक जागरूक और व्यावहारिक है. एक व्यक्ति के पीछे पूरी जिंदगी खराब करने के बजाय वह ब्रेकअप कर के आगे की राह आसान बना लेते हैं.

दूसरी ओर मानसी का जब ऋषि से 2 साल पुराना रिश्ता टूट गया, तो वह अवसाद में चली गई. अपने साथसाथ उस ने पूरे परिवार की जिंदगी भी मुश्किल कर दी थी. कोई भी रिश्ता जबरदस्ती का नहीं होता है. अगर आप का साथी आप के साथ वास्ता नहीं रखना चाहता है तो गिड़गिड़ाने के बजाय अगर आप सम्मानपूर्वक आगे बढ़ें, तो ना केवल आप के साथी के लिए, बल्कि आप के लिए भी अच्छा होगा.

हालांकि ब्रेकअप पर बहुत दलीलें हो सकती हैं, परंतु फिर भी एकसाथ घुटघुट कर जीने से कहीं अधिक बेहतर ब्रेकअप है. ब्रेकअप चाहे शादी से पहले हो या शादी के बाद, हमेशा मर्यादित होना चाहिए. ये कुछ छोटेछोटे व्यावहारिक सुझाव हैं, अगर हम इन्हें निजी जीवन में अपनाएं तो बहुत जल्दी ही एक संपूर्ण जीवन की ओर बढ़ सकते हैं-

– शहीदाना भाव ले कर मत घूमें – ब्रेकअप होने का मतलब यह नहीं है कि आप 24 घंटे मुंह बिसूर कर घूमते रहें. ये जीवन का अंत नहीं है. जिंदगी आप को फिर से खुशियां बटोरने का मौका दे रही है. आप की पहचान खुद से है. बहुत बार हम रिश्तों में ही अपना वजूद ढूंढ़ने लगते हैं. इसलिए हम किसी भी कीमत पर ब्रेकअप नहीं करना चाहते हैं. एक या दो दिन मूड का खराब होना लाजिमी है, पर उस खराब रिश्ते की यादों को च्युइंगम की तरह मत खींचें.

– दिल के दरवाजे खुले रखें – एक हादसे का मतलब ऐसा नहीं है कि आप जिंदगी को जीना ही छोड़ दें. दिल के दरवाजे को हमेशा खुला रखें. हर रात के बाद सुबह अवश्य होती है. एक अनुभव बुरा हो सकता है, पर इस का मतलब यह नहीं कि आप रोशनी की किरण से मुंह फेर लें.

– काम में दिल लगा लें – काम हर मर्ज की दवा होती है. अपनेआप को काम में डुबा लें, आधे से ज्यादा दर्द तो यों ही गायब हो जाएगा और जितना अधिक काम में दिल लगेगा, उतना ही अधिक आप की प्रतिभा में निखार होगा और तरक्की के रास्ते खुल जाएंगे.

– ना छोड़ें आशा का साथ – बहुत बार देखने में आता है कि लोग ब्रेकअप के बाद निराशा की गर्त में चले जाते हैं. एक घुटन भरे रिश्ते में सारी उम्र निराशा में बिताने से अच्छा है कि ब्रेकअप कर के आप नई शुरुआत करें. आशा का दामन पकड़ कर रखें और ब्रेकअप के पश्चात नई शुरुआत करें.

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– जिंदगी खूबसूरत है – ब्रेकअप के कारण इस की खूबसूरती को नजरंदाज मत करें. जिंदगी वाकई खूबसूरत है. अपने ब्रेकअप से कुछ नया सीखें और दोबारा उन्हीं गलतियों को मत दोहराएं. ब्रेकअप के बाद ही आप को लोगों को समझने की बेहतर परख भी आती है.

अगर सरल भाषा में कहें, तो ब्रेकअप का मतलब पूर्णविराम नहीं बल्कि नई शुरुआत होता है.

देहमुक्ति: जब मेरे भाई ने दी मौसी को वेश्या की संज्ञा  

सुबह टीवी औन कर न्यूज चैनल लगाया तो रिपोर्टर को यह कहते सुन कर कि अपने शोषण के लिए औरतें स्वयं दोषी हैं, मन गुस्से से भर गया. फिर खिन्न मन से टीवी बंद कर दिया. सोचने लगी कि हर समय दोषी औरत की क्यों? आजकल जो भी घटित हो रहा है वह क्या कुछ नया है? न तो बाबा नए हैं न ही आश्रम रातोंरात बन गए. फिर अशांत मन से उठ कर चाय बनाने रसोईघर में घुस गई. पर मन था कि गति पकड़ बैठा और न जाने कब की भूलीबिसरी यादें ताजा हो गईं, फिर सारा दिन मन उन यादों के इर्दगिर्द घूमता रहा. बहुत कोशिश की इन यादों से बाहर आने की पर मन न जाने किस धातु का बना है? लाख साधो, सधता ही नहीं.

कभी लगता है कि नहीं हमारा मन हमारे कहने में है. लेकिन फिर छिटक कर दूर जा बैठता है. जीवन के घेरे में न जाने कितनी बार मन को परे धकेल देते हैं. पर आज तो जैसे इस मन का ही साम्राज्य था.

आज न जाने क्यों मौसी बहुत याद आ रही थीं. हम बच्चे इतना कुछ समझते नहीं थे. कमला मौसी आतीं तो बहुत खुश हो जाते. वे मां की बड़ी बहन थीं. लेकिन मां और मौसी बातें करतीं तो हमें वहां से हटा देती थीं. कहती थीं, ‘‘जाओ बच्चो अपना खेल खेलो.’’

उन की आधीअधूरी बातें कानों में जाती, तो भी पल्ले नहीं पड़ती थीं. बस जो भी समझ में आता था वह यह था कि मौसी बालविधवा है. शायद उस समय हमें विधवा का अर्थ भी ठीक से नहीं पता था. थोड़ा बड़ा होने पर जब मां से पूछा कि मौसी बालविधवा क्यों हैं, तो मां ने बस इतना ही कहा कि मौसाजी, मौसी को बहुत छोटी उम्र में छोड़ कर, परलोक सिंधार गए थे और फिर कभी कुछ पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ी, क्योंकि वक्त के साथसाथ हम भी बड़े होते चले गए.

मौसी की शादी एक अच्छे घराने में हुई थी. काफी धनदौलत थी. पर मौसाजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था. वे अपने मांबाप के अकेले बेटे और मौसी से उम्र में काफी बड़े थे. उन के स्वास्थ्य की सलामती के लिए घर में पूजापाठ चलते रहते. वृंदावन से एक गुरुजी का भी आनाजाना था. वे कुछ दिन वहीं रुकते और सब सदस्य उन के आदेशों का पालन करते. गुरुजी को भगवान जैसा पूजा जाता था. उन के आदेश को सब पत्थर की लकीर मानते थे.

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मौसी से जो भी कार्य मौसाजी के स्वास्थ्य के लिए करने को कहा जाता, मौसी पूरे यत्न से करतीं. मुझे याद है एक बार गुरुजी ने कड़ाके की सर्दी में उन्हें रात में मिट्टी की 1001 गौरी की पिंडलियां बनाने के लिए कहा तो इतनी छोटी उम्र में भी मौसी ने नानुकुर किए बिना बना दीं. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. उन के रत्न भी मौसाजी को नहीं बचा पाए.

किसी ने कहा कि बहुत छोटी है, दूसरा विवाह करा दो, तो किसी ने सती होने की सलाह दी. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.

गुरुजी ने कहा कि इसे भगवान की सेवा में लगा दो. सब को वही सही लगा.

एक यक्ष प्रश्न यह भी था कि संतान न होने की वजह से इतनी बड़ी जायदाद को कौन संभालेगा? परिवार वालों ने रिश्तेदारी में से ही एक लड़का गोद ले लिया और अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ससुराल वाले मौसी की तरफ से उदासीन हो गए. घर को वारिस की जरूरत थी. यह जरूरत पूरी होते ही मौसी की हैसियत नौकरानी से कुछ ही ज्यादा रही. फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा. वे सिर्फ शांतिपूर्वक रहना चाहती थीं.

दिन बीतते चले गए और लोगों का व्यवहार मौसी से बदलता चला गया. एक दिन वृंदावन से गुरुजी ने संदेश भिजवाया कि बहू को गुरुसेवा के लिए वृंदावन भेज दो, पुण्य मिलेगा.

घर के सभी सदस्यों ने बिना सोचविचार किए उन्हें वृंदावन भेज दिया. हमेशा की तरह मौसी ने भी बिना कुछ कहे बड़ों की आज्ञा का पालन किया. वैसे भी एक हकीकत यह भी है कि आज भी बहुत सी विधवाओं को वृंदावन में भीख मांगते देखा जा सकता है. पर मौसी को एक आश्रम में आश्रय मिल गया. अब मौसी कुछ दिन वृंदावन और कुछ दिन अपने घर रहतीं.

रुपएपैसों की कोई कमी नहीं थी. इसलिए गुरुजी के कहने पर वृंदावन में एक बड़ा सा आश्रम बनवा दिया गया. धीरेधीरे मौसी का वृंदावन से आना बंद हो गया और वे उसी आश्रम में एक कमरा बनवा कर रहने लगीं. कहीं न कहीं लोगों का बदलता व्यवहार और नजरिया इस का एक बड़ा कारण रहा.

कभीकभी मम्मी की और मौसी की फोन पर बात हो जाती. पर बात करने के बाद मां बहुत दुखी रहती थीं. एक दिन में पस्थितियां कुछ ऐसी बन गई कि मां ने गुस्से में वृंदावन जाने का निश्चय कर लिया और फिर घर से चल दीं. पर भाई ने उन्हें अकेले नहीं जाने दिया और वह भी उन के साथ कुछ दिनों के लिए वृंदावन चला गया. मां को मौसी से मिल कर बहुत खुशी हुई. पर मौसी ने उन्हें यहां 2 दिन से ज्यादा रुकने नहीं दिया.

मौसी ने कहा, ‘‘इस तरह से नाराजगी में घर छोड़ कर तूने सही नहीं किया, सुधा. मेरी बात कड़वी लगेगी पर स्त्री को हमेशा एक संरक्षण की जरूरत पड़ती है. शादी से पहले पिता और भाई, शादी के बाद पति और बुढ़ापे में बेटा. समाज में इस से इतर स्त्री को सम्मानपूर्वक जीने का हक नहीं मिलता. आगे से यह गलती दोबारा मत दोहराना. अकेली औरत का दर्द मुझ से ज्यादा कौन समझ सकता है?’’

वापसी में मां ने भाई से कहा, ‘‘बेटा, मौसी के चरणस्पर्श करो.’’

मगर भाई ने पैर छूने से इनकार कर दिया. मां को बहुत बुरा लगा. मौसी ने यह कह कर कि बच्चा है भाई के सिर पर हाथ रखा. लेकिन भाई ने उन का हाथ झटक दिया. शायद मौसी भाई की आंखों में अपने लिए नफरत साफ देख पा रही थीं. इसलिए उन्होंने मां को गुस्सा करने नहीं दिया. शांत रहने का आदेश दे कर बिदा करा.

घर आ कर मां और भाई में बहुत कहासुनी हुई. मां मौसी के खिलाफ कुछ सुनना नहीं चाहती थीं, पर भाई था कि एक ही बात की रट लगाए हुए था, ‘‘वह मौसी नहीं वेश्या है, वेश्या?’’

यह सुनते ही मां ने तड़ाक से एक थप्पड़ जड़ दिया.

इस पर भाई ने गुस्से में कहा, ‘‘आप चाहे कुछ भी कहो, मारो, लेकिन यह एक कड़वी हकीकत है, जिसे आप झुठला नहीं सकतीं. वह वेश्याओं का अड्डा है. वहां सब तरह का धंधा होता है.’’

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मां ने चीख कर कहा, ‘‘बस…बहन है वह मेरी. मां समान है. मैं उस के खिलाफ एक शब्द नहीं सुनना चाहूंगी.’’

इस पर भाई ने कहा, ‘‘इन 2 दिनों में मैं ने वहां जो देखा या मुझे बताया गया, तो क्या वह सब झूठ है?’’

‘‘हां, सब झूठ है. होगा सच औरों के लिए पर मेरी मां समान बहन के लिए नहीं. अगर आज के बाद उन के लिए एक भी शब्द बोला, तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

उन दोनों के बीच की कहासुनी सुन कर हम लोगों को बहुत डर लग रहा था. पर जैसे भाईर् भी जिद पर उतर आया था. उस ने कहा, ‘‘आप के लिए होगी मां. मेरे लिए तो…’’

मां बीच में ही बोल पड़ीं, ‘‘बस चुप रहो. मैं एक भी शब्द नहीं सुनना चाहती.’’

भाई गुस्से से वहां से चला गया. झगड़ा खत्म नहीं हो रहा था. मां ने कई बार उसे समझाना चाहा, लेकिन वह भी जिद पर अड़ा रहा. शायद उस के मानसपटल पर सबकुछ चिह्नित हो गया था. मां ने एक बार फिर उसे समझाने की नाकाम कोशिश की.

इस पर उस ने कहा, ‘‘चलो अब बात छोड़ो. अभी मेरे साथ वृंदावन चलो. मैं आप को उन सब लोगों से मिलवाता हूं, जिन्होंने मुझे ये सब बताया.’’

तभी अचानक मौसी का फोन आ गया. मां के सवाल करने पर मौसी रो पड़ीं और फिर बोलीं, ‘‘जब मुझे भेजने का निर्णय लिया गया था तब किसी ने भी नहीं रोका. तब कहां थे सब? यह निर्णय तो समाज का ही था. जितने मुंह उतनी बातें. एक अकेली औरत को क्या नहीं सहना पड़ता? सब का सामना करना आसान नहीं है?’’

‘‘इस जीवन से तो अच्छा मरना है, जीजी,’’ मां ने कहा.

‘‘क्या मरना इतना आसान है सुधा?’’ मौसी ने पूछा.

कुछ देर चुप्पी छाई रही, फिर मौसी ने ही चुप्पी को तोड़ा और कहा, ‘‘सुधा, इस बात की वजह से अपने घर में क्लेश मत रखना. हां, यहां दोबारा मत आना और न ही कोई पत्र व्यवहार करना.’’

‘‘पर… जीजी…’’ अभी मां कुछ पूछतीं उस से पहले ही मौसी ने कहा, ‘‘तुझे मेरा वास्ता.’’

शायद मां में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मां समान बहन की बात न मानें. खैर, बात आईगई हो गई. महीनों या कहो सालों तक न तो मां ने ही फोन करना ठीक समझा और न ही मौसी का फोन आया.

कुछ सालों बाद एक पत्र से पता चला कि मौसी बहुत बीमार हैं और इलाज के लिए दिल्ली गई हैं. तब मां से रहा नहीं गया और उन्होंने भाई के सामने मौसी से मिलने की इच्छा जताई. भाई खुद मां को मौसी से मिलवाने के लिए दिल्ली ले गया. मौसी और मां मिल कर बहुत रोईं. मौसी को कैंसर बताया गया था और वह भी लास्ट स्टेज का.

मौसी की हालत देख मां रोए जा रही थीं. तब कमला मौसी ने नर्स को कमरे में बाहर जाने को कहा और मां से बोलीं, ‘‘सुधा, पूछ क्या पूछना चाहती थी?’’

मां की रूलाई फूट गई. शब्द नहीं निकल रहे थे. मौसी ने अपने जर्जर शरीर से बैठना चाहा पर नाकामयाब रहीं. भाई दूर खड़ा सब देख रहा था. उस ने आगे बढ़, मौसी को सहारा दे कर बैठाया. कमला मौसी ने हाथ से इशारा करते हुए कहा, ‘‘आशू बैठ. नाराज है न मौसी से? सुधा तेरे सभी सवालों के आज जवाब मिल जाएंगे. तू जानना चाहता है न कि कितनी सचाई है इस आशू की बातों में?’’ उन की सांस उखड़ने लगी थी.

मां ने कहा भी, ‘‘मुझे कुछ नहीं जानना. आप शांत रहो.’’

मौसी ने कहा, ‘‘अकेली स्त्री का दर्द बहुत बड़ा होता है. हां मैं अछूती नहीं… सुधा कड़वी सचाई यह है कि यह जो इज्जत, शीलशुचिता, शब्द हैं न, जिन की वजह से बारबार स्त्रियों को कमजोर किया जाता है असल में औरतों के शोषण की सब से बड़ी वजह शायद यही हैं.

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‘‘आज भी वह इस तथाकथित चारित्रिक बंधन से मुक्त नहीं हो पाई है. जब मैं जा रही थी, तो किसी ने मुझे हक से रोका भी तो नहीं था. कोई कहता तो सही कि हम मर गए हैं क्या? तुम कैसे जा सकती हो, अपना घर छोड़ कर? लेकिन ऐसा नहीं हुआ. किसी ने भी तो मेरे लिए दरवाजे नहीं खोले. मैं एकदम इतनी पराई हो गई सब के लिए. यह शायद मेरे औरत होने की सजा थी.’’

कुछ देर सुबकने के बाद वे फिर बोलीं, ‘‘आज सब मुझ पर ऊंगलियां उठा रहे हैं. जिन लोगों ने, जिस समाज ने भेजा, वही पीठ पीछे हंसता था, बातें बनाता था. पता है एक महिला अपने चरित्र पर उठती ऊंगली आज भी बरदाश्त नहीं कर पाती और शायद यहीं वह चूक जाती है. यही वजह उस के मानसिक और शारीरिक शोषण का कारण होती है.

‘‘हां, आश्रम में सबकुछ होता है. लेकिन मेरे लिए यह वेश्यालय नहीं. वह आश्रम तो मुझ जैसी और भी कई औरतों के लिए एक आश्रय है. मैं ने उन्हें गुरु माना है. वही मेरे सबकुछ हैं. बहुत सी बार स्थितियोंवश जब 2 लोग जुड़ते हैं तब उस समय एक भावनात्मक संबंध जुड़ता है जो शारीरिक संबंध का रूप ले लेता है. वैसे भी अपनों ने तो मुंह मोड़ लिया था. कहां जाती? ससुराल वालों ने पीछा छुड़ाना चाहा तो मायके वालों का भी तो साथ नहीं मिला… किस ने ढोना चाहा इस बोझ को? बोलो? ऐसे में गुरुजी ने ही सहारा दिया, आश्रय दिया.

‘‘सहारा देने वाला ही मेरे लिए सबकुछ होता होगा. आश्रम में मेरे जैसी न जाने कितनी बेसहारा औरतों को संरक्षण तो मिल जाता है. पति की मृत्यु के बाद तो कुछ लोगों ने कहा कि इस लड़की को मर जाना चाहिए. अब यह जी कर क्या करेगी? पर… मेरे अंदर इतनी शक्ति नहीं थी, जो मैं अपने प्राण त्याग देती. कहना बहुत आसान होता है पर करना बहुत मुश्किल. अपनेअपने गरीबान में झांक कर देखो सब,’’ कहतेकहते फफक कर रो पड़ीं.

फिर थोड़ी देर चुप रहने के बाद आगे बोलीं, ‘‘सत्य की भूख तो सब को होती है, लेकिन जब यह परोसा जाता है, तो बहुत कम लोग इसे पचा पाते हैं, सुधा. अकेली औरत को हजारों बुनियादी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और इसी कारण उसे कई अत्याचारों, शोषण और प्रतिरोध करने पर दमन का शिकार होना पड़ता है.

‘‘मुझे मालूम है पति के साए से दूर औरत को वेश्या ही समझा जाता है. आखिरकार इस पुरुषप्रधान समाज में स्त्री को एक देह से अलग एक स्त्री के रूप में देखता ही कौन है? यहां तो, स्त्री के कपड़ों के भीतर से नग्नता को खींचखींच कर बाहर लाने की परंपरा है. नग्नता और शालीनता के मध्य की बारीक रेखा समाज स्वयं बनाता और स्वयं बिगाड़ता है. हर औरत इस दलदल में हमेशा फंसा महसूस करती है. स्त्री की मुक्ति केवल देह की मुक्ति है? मेरी जिंदगी क्या है? मैं तो एक टूटा हुआ पत्ता हूं. न मेरा कोई आगे, न पीछे. क्या पता एक हवा का झोंका कहां फेंक दे?’’

उस दिन मां और मौसी घंटों रोती रही थीं. भाई को भी अपने कहे शब्दों पर बहुत अफसोस हुआ था. मां से इस मुलाकात के बाद मौसी का मन हलका हो गया था शायद इतना हलका कि उस के बाद उन की सांसें हमेशा के लिए चली गईं.

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इन 7 वर्कआउट से आसानी से घटाएं वजन

जासमीन कश्यप (गुडवेज फिटनैस)

महिलाएं एक उम्र के बाद या फिर शादी के बाद अपने शरीर के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. नतीजा यह होता है कि या तो वे बेडौल हो जाती हैं या फिर जीवनशैली से संबंधित बीमारियों का शिकार बन जाती हैं.

यहां हम कुछ ऐसे वर्कआउट्स के बारे  में बता रहे हैं जिन्हें यदि ऐक्सपर्ट की देखरेख में किया जाए तो महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं:

कार्डिओ वर्कआउट:

कार्डिओ फायदेमंद है. यह वेट लौस करने में काफी मददगार है. इस से तनाव कम होता है. वर्कआउट से फेफड़ों तक औक्सीजन पहुंचने में मदद मिलती है, रक्तसंचार सही होता है, दिल मजबूत और ब्लड भी प्यूरिफाई होता है. कार्डियो वर्कआउट वजन को कम कर के बौडी में जमा अतिरिक्त फैट को कम करता है और बीमारियों से बचाता है.

अलगअलग तरह के कार्डिओ वर्कआउट से आप खुद को फिट रख सकती  हैं. मसलन:

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ऐरोबिक्स:

ऐरोबिक्स आप कभी भी कहीं भी एक छोटी सी जगह पर कर सकते हैं. इस में अपनी पसंद के म्यूजिक पर कुछ स्टैप्स किए जाते हैं. ग्रेपवाइन लेग कर्ल जंपिंग जैक्स जैसे मूव्स से पूरे शरीर का वजन घटता है. पसीने के जरीए बौडी से टौक्सिन निकलना ही फैट और बीमारियों को दूर करता है. सिर्फ पसीना निकलना ही जरूरी नहीं, कड़ी मेहनत भी जरूरी है. ऐरोबिक्स वर्कआउट में आप के हार्ट रेट को लो से हाई ले जा कर एक स्तर पर मैंटैन किया जाता है, जो वेट लौस में मदद करता है.

स्ट्रैंथ वर्कआउट:

महिलाओं के लिए स्टैं्रथ वर्कआउट बहुत जरूरी भी है और ट्रैंड में भी. इस से महिलाओं में औस्टियोपोरेसिस की समस्या बहुत कम होती है. बोन डैंसिटी भी बढ़ती है. इस में बाइसैप कर्ल, ट्राइसैप ऐक्सटैंशन, हैमर कर्ल, शोल्डर प्रैस, पुशअप्स, ट्राइसैप डिप्स इत्यादि महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं.

डांस फिटनैस:

फिटनैस डांस महिलाओं के लिए बहुत ही अच्छा है और आजकल तो यह ट्रैंड बनता जा रहा है. इस में आप भांगड़ा, बेली डांस इत्यादि पर अलगअलग तरीके से थिरक कर  30-50 मिनट तक वर्कआउट कर सकती हैं. मस्ती के साथसाथ वजन भी घट जाता है.

किकबौक्सिंग:

किकबौक्सिंग एक तरह का कार्डिओ वर्कआउट है. इस में बहुत सारी मसल्स एकसाथ इस्तेमाल होती हैं. महिलाओं में ज्यादातर अपनी आर्म्स और लैग्स को टोन करना ही मुख्य होता है. किकबौक्सिंग वैसे तो पूरे शरीर के लिए अच्छी है लेकिन यह उस पार्ट को जल्दी टोन करती है जिस से आप अपनी मनचाही कट स्लीव्स या वनपीस ड्रैस पहन सकती हैं. इस में शरीर के ऊपरी भाग के मूवमैंट्स जैब्स, क्रौस, हुक व अपरकट्स हैं तो शरीर के निचले भाग के मूवमैंट्स में नी स्ट्राइक, फ्रंट किक, राउंडहाउस किक, साइड किक, बैक किक इत्यादि शामिल हैं.

हाई इंटैंसिटी वर्कआउट:

कुछ महिलाएं अपने लिए समय नहीं निकाल पातीं जिस की वजह से वे जिम या पार्क में जा कर वर्कआउट नहीं कर पातीं. उन के लिए हाई इंटैंसिटी वर्कआउट बढि़या विकल्प है. यह बाकी वर्कआउट्स से थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन इस से कम समय में ज्यादा वजन कम किया जा सकता है. यह मैटाबौलिज्म को तेजी से बढ़ाता है. इस वर्कआउट में कुछ हाई इंटैंसिटी ऐक्सरसाइज का चुनाव कर के उन्हें क्रम में लगा कर सैट्स में किया जाता है जैसे, जंप, स्विंग, ऐअर पुशअप्स, रौक क्लाइम्बिंग स्टार जंप, जंप हाईनीज को मिला कर 1 सैट करने के बाद इन सभी के 3 सैट या 5 सैट किए जाते हैं. हर ऐक्सरसाइज को मिनटों में या सैकंड्स के हिसाब से किया जाता है. वेट लौस और बौडी टोनिंग के लिहाज से कम समय में ज्यादा से ज्यादा वजन कम करने के लिए यह अच्छा वर्कआउट है.

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स्टैपर वर्कआउट:

यह भी एक अच्छा विकल्प है. एक बौक्स या सीढ़ी का इस्तेमाल कर इस वर्कआउट को कर सकती हैं. स्टैमिना बढ़ाने में यह काफी मददगार है.

ऐब्स वर्कआउट:

इस में आप लैग रेज, स्क्वाट्स, क्रंचेज इत्यादि कर सकती हैं. इस से पेट, कमर व टांगों की चरबी घटेगी. महिलाओं में ज्यादातर पेट, कमर और लैग्स की चरबी ज्यादा होती है.

महिलाओं के लिए प्लैंक, सूमो स्क्वाट्स, बैक लैग किकिंग, वुड चौपर, रशियन क्रंच, प्लैंक, लैग फ्लटर इत्यादि व्यायाम बढि़या  विकल्प हैं.

फटी हुई एड़ियों को ऐसे करें ठीक और पाएं ड्राय पैरों से छुटकारा

जैसे हम सर्दियों में अपनी स्किन का बहुत अधिक ध्यान रखते हैं उसी प्रकार हमें अपने पैरों का भी ध्यान रखना चाहिए. सर्दियों में खास कर हम अपने पैरों का ध्यान रखना भूल जाते हैं क्योंकि हम इन्हे जूतों व जुराबों से ढक लेते हैं. हम यह नहीं सोचते हैं कि हमारे पैर भी ड्राई हो सकते हैं. सर्दियां हमारे पैरों को सबसे अधिक ड्राई करती हैं और इसी कारण आप की एड़ियों में भी क्रैक हो जाती हैं. इस समस्या को सुलझाने के लिए आप सर्दियों में अपने पैरों को साफ व सुंदर रखने के लिए निम्न टिप्स का पालन करना चाहिए.

अपने पैरों को गुनगुने पानी में जिस में नमक व नींबू मिला हुआ हो उसमे लगभग 10 मिनट तक डूबा कर रखें. 10 मिनट के बाद पैरों को स्क्रब करें ताकि ड्राई स्किन निकल जाए.

स्क्रब करने के तुरन्त बाद अपने पैरों पर एक फीट क्रीम लगाएं ताकि उन्हें थोड़ी केयर मिल सके. यदि आप के पैरों की स्किन बहुत ही ड्राई है तो आप  पैरों के लिए कोई स्पेशल क्रीम का प्रयोग कर सकते हैं.

इस प्रकार की क्रीम्स फेस के लिए प्रयोग होने वाली क्रीम्स से थोड़ी थिक होती हैं. अच्छे नतीजों के लिए फुट क्रीम को हर रोज रात में सोने से पहले लगाएं.

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आप के पैरों के लिए मसाज बहुत अच्छी होती है न केवल ड्राई व फटी हुई स्किन के पैरों के लिए बल्कि आप के पैरों की थकान उतारने के लिए भी.

मसाज करने के लिए आप नारियल तेल, घी, बादाम के तेल का प्रयोग कर सकते हैं. मसाज करने के लिए सर्कुलेशन मोशन में आप हाथों को घुमाएं और इससे आप के पैरों को मॉइश्चर भी मिलेगा.

यदि आप के अभी भी ड्राई पैर हैं तो आप इन पर पेट्रोलियम जेली का प्रयोग कर सकते हैं. यह नुस्खा आप की फटी हुई एड़ियों पर एक चमत्कार के रूप में काम करेगा.

इसे आप अपने पैरो को साफ करके उस के बाद प्रयोग कर सकते हैं. आप इसकी मसाज भी कर सकती हैं. इससे मसाज करने के बाद पैरों में जुराब पहन लें और सो जाएं. इससे आप के पैरों में मॉइश्चर लॉक होने में मदद मिलेगी.

यदि आप इस प्रकार अपने पैरों की देख रेख करेंगी तो आप के पैर न कभी रूखे दिखेंगे और न ही आप की कभी एड़ियां फटेंगी. अतः सर्दियों में अपनी स्किन के साथ साथ अपने पैरों का भी ध्यान रखें.

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आज टीआरपी बादशाह है – डेलनाज़ ईरानी

हिंदी फिल्म ‘कल हो न हो’ में स्वीटू की भूमिका निभाकर चर्चित हुई अभिनेत्री डेलनाज ईरानी ने फिल्में ही नहीं, कई टीवी शो में काम किया है. उनकी कॉमेडी के अंदाज की दर्शक हमेशा तारीफ़ करते है. उन्होंने मनोरंजन की दुनिया में एक लम्बी पारी बिताई है, पर अभी भी खुद को नया समझती है. उन्हें हर नया किरदार प्रेरित करता है. उन्होंने हर भूमिका को संजीदगी के साथ जिया है. हंसमुख और खूबसूरत डेलनाज अपने जीवन में टीवी को काफी महत्व देती है, जिसकी वजह से वह घर-घर में जानी गयी. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की, आइये जानते है, उनकी कहानी उनकी जुबानी. 

सवाल-टीवी इंडस्ट्री में आपने बहुत सारा काम किया है, पहले और आज की टीवी शो में क्या अंतर पाती है? टीवी का भविष्य को आप कैसे देखती है?

टीवी हमेशा लोगों के बीच में रहा है और रहेगा. ये लोगों के बीच में हमेशा रहेगा. मैंने अपनी माँ को लॉकडाउन में कुछ और शो दिखाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सिरे से मना कर दिया. इससे टीवी की अहमियत समझी जा सकती है. टीवी की तकनीक में काफी विकास पहले से हुआ है और एक कलाकार के तौर पर ये सही है कि इसका फायदा लेखक से लेकर सभी को हो रहा है. साथ ही नए-नए काम हो रहे है. दर्शकों के लिए यह उनके घर का गोल्डन हाउस है. मैंने भी टीवी पर बहुत काम किया है और लोग मुझे फिल्मों से अधिक टीवी अभिनेत्री के तौर पर पहचानते है. इतना ही नहीं टेलीविज़न में काम करते हुए मैंने मुंबई में अपना घर बनाया है.मेरा लगाव टीवी के प्रति बेहद है, इसे मैं कभी छोड़ नहीं सकती. मैं टीवी के अलावा थिएटर और फिल्में भी करती हूं. आगे वेब के क्षेत्र में भी जाना चाहती हूं. 

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पहले और आज के शो में काफी अंतर आया है. 90 के दशक में मैंने शो ‘कमांडर’ से काम करना शुरू किया. ये श्री अधिकारी ब्रदर्स का पहला शो था. उस समय से लेकर अगर मैं अर्ली 20 की बात करूँ, तो वो जमाना बहुत अलग था. डेली शोप का जमाना नहीं था. तब कहानी से लेकर शो को फिल्माने तक सारी चीजों को महत्व दिया जाता था. अभी टीआरपी का जमाना है. ये गिरते ही सारे लोग इसकी चर्चा कर कहानी को अदल बदल करते रहते है. जब मैंने काम शुरू किया था, तब एक कहानी जो पहले से थी और वह कभी बदलती नहीं थी, क्योंकि ये एक सेट स्क्रिप्टेड कहानी हुआ करती थी. इसका शुरू से अंत तक के किरदार के बारें में मुझे पता होता था और उसमें कोई बदलाव नहीं होता था. अब तो टीआरपी बादशाह है. कंटेंट के बदलाव पसंद न होने पर भी काम करना पड़ता है और इसे कलाकार से लेकर लेखक, निर्देशक सभी भुगतते है. 

सवाल-आज के इस टीआरपी होड़ में एक्टर को काम करना कितना मुश्किल होता है?

एक अच्छे कलाकार किसी भी हालात में काम कर लेता है, क्योंकि स्क्रिप्ट ताबड़तोड़ वाली आती है, जिसमें कल या अगले हफ्ते क्या होने वाला है किसी को पता नहीं होता . एक जमाना था जब निर्देशक का काम एक कलाकार को सही माइने में निर्देश देना था, लेकिन अब कलाकार को क्रिएटिविटी के साथ एक बार समझ लेना है खुद अपना काम करने है. निर्देशक आकर सिर्फ ‘एक्शन’ और ‘कट’ बोलता है. 

सवाल-ऐसे में नए कलाकारों को कितनी मुश्किलें आती है?

नए को बहुत मुश्किल होता है. वे काम करते-करते ही सीखते है. डेली सोप में एक चेहरे को रोज एक समय पर देखने से कुछ दिनों में वो चेहरा आपको पसंद आ जाएगा. आज के दर्शक इन सब चीजों से परिचित है. बार-बार चेहरा बदल देने से भी उन्हें कोई ऐतराज नहीं होता. इसलिए कलाकार अच्छे हो या नहीं, उसका कोई फर्क शो पर नहीं पड़ता. ये आज का ट्रेंड है. आज एक कलाकार एक रात में चर्चित हो जाता है. इसके अलावा आज बहुत सारी तकनीक भी शो को बनाने में सहयोग देती है. कलाकार अगर अच्छा न भी हो, तो तकनीक उसे सम्हाल लेती है. पहले स्क्रिप्ट और कलाकार का महत्व होता था, जिसमें निर्देशक ‘कैप्टेन ऑफ़ द शिप’ होता था. आज तो एक शो के निर्देशक भी बदलते रहते है. आज किसी के पास समय नहीं है. आज टीवी के शो फिल्म की तरह बन रहे है. 

सवाल-आपने रियलिटी शो, डेली सोप और फिल्मों में काम किया है, आपको किसमें काम करने में अधिक मज़ा आता है?

मैं सही बात बोलूँ, तो रियलिटी शो में पैसे बहुत अच्छे मिलते है. 3 से 4 महीने में एक अच्छा अमाउंट मिल जाता है, इसलिए सबको वह पसंद आता है. मैं जब बिग बॉस 6 में गयी थी तो मुझे कुछ प्रूव नहीं करना था. लोग मुझे जानते है और दर्शक मेरा रियल रूप देखना चाहते थे. इस सोच से मैं उसमें गयी थी. आज लोग रियलिटी शो में जाने पर कुछ और बनना चाहते है. खुद के व्यक्तित्व को एन्हांस नहीं करते. उन्हें लगता है कि रोमांटिक होने, चिल्लम चिल्ली करने या गाली गलौज देने पर वे अधिक दिनों तक अंदर टिक सकते है. आज के दर्शकों की रूचि भी वैसी हो चुकी है, इसलिए शो चल रहा है. रियलिटी शो से डेली सोप की तुलना नहीं की जा सकती. मुझे दोनों ही पसंद है.

सवाल-रियल लाइफ में आप कैसी है?

मैं कॉमेडियन की भूमिका निभा चुकी हूं, पर रियल लाइफ में एक जोक भी नहीं कर पाती. मैं बहुत पॉजिटिव स्वभाव की हूं और हर बात को सकारात्मक रूप में और नए रूप में शुरू करना पसंद करती हूं. कॉमेडी करते समय मैं पूरी तरह से चरित्र में घुसकर काम करती हूं और वही मुझे अच्छा लगता है. 

सवाल-एक्टिंग आपका पैशन था या इत्तफाक?

मुझे बचपन से ही अभिनय का शौक था. मैंने बहुत कम उम्र से ड्रामा, इलोक्यूशन आदि किया करती थी. मुझे कॉन्फिडेंस स्कूल और कॉलेज से आ गया था. कॉलेज के बाद मैंने काम शुरू कर दिया और इसमें परिवार ने बहुत सहयोग दिया. 

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सवाल-अभी मनोरंजन की दुनिया में मनोरंजन कम और रियलिटी का प्रवेश अधिक हो चुका है, आप इस बात से कितनी सहमत है?

हर चीज का एक फेज होता है. इसका भी एक समय है, जो कुछ दिनों बाद निकलकर कुछ और आएगा. वेब में  इतनी लिबर्टी है, जो दिखती है. मारधाड़, वायलेंस बहुत होता है, जिसे देखना भी कई बार मुश्किल होता है, लेकिन इसे व्यक्ति अकेले देख सकता है, इसलिए इसमें इतनी रियल दिखाने की कोशिश की जाती है. सर्टिफिकेशन आने पर अच्छा इसलिए होगा, क्योंकि रियल-रियल बोलकर लोग एक सीमा रेखा को लांघ जाते है, उस पर लगाम लग सकेगा. 

सवाल-एक्टिंग के अलावा क्या पसंद करती है? परिवार में अभी कौन-कौन है?

मुझे डांस का बहुत शौक है. मेरा बर्षों से डांस का पैशन रहा है. लॉकडाउन के बाद तो कुकिंग का भी शौक लग गया है. समय मिलता है तो मूवी देखती हूं. 

मैं अपनी माँ और फियांसे पर्सी के साथ रहती हूं. 

सवाल-आप अपनी जर्नी से कितनी संतुष्ट है? क्या कोई रिग्रेट है?

मैं अपनी जर्नी से बहुत खुश हूं, लेकिन अभी बहुत सारे काम करने है. रियल सिनेमा का अभी युग है और मैं इसमें माँ की भूमिका करने की इच्छा रखती हूं. कॉमेडी के अलावा मैंने टीवी शो ‘छोटी सरदारनी’ में निगेटिव भूमिका निभाई है. मैं अलग-अलग काम अलग प्लेटफॉर्म पर करना चाहती हूं. मुझे चुनौतीपूर्ण काम पसंद है. मैं प्यारी अनन्या पांडे, सारा अलीखान और तारा सुतारिया की प्यारी माँ की भूमिका निभाना चाहती हूं. 

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

मैं बॉडी पोजिटिविटी पर अधिक महत्व देती हूं. जिस काम में आपको ख़ुशी मिले, उसे करें और खुश रहे, क्योंकि ये लाइफ आपकी है और महिलाएं खुद को भूलकर सबका ध्यान रखती है. अपनी ख़ुशी को समझे और उसे करने की कोशिश करें. आप जैसी भी रंगरूप, की हो, उसमें खुश रहे.

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शादी के बाद नई दुल्हन के लिए परफेक्ट है सना खान के ये लुक्स

बौलीवुड के दबंग खान संग स्क्रीन शेयर कर चुकीं एक्ट्रेस सना खान इन दिनों अपनी शादी की खबरों को लेकर सुर्खियों में हैं. कोरोना काल में फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने वाली सना खान लगातार अपनी शादी से जुड़ी फोटोज फैंस के साथ शेयर कर रही हैं, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं, इसीलिए आज हम आपको सना खान के कुछ लुक्स के बारे में आपको बताएंगे, जिसे आप शादी से लेकर आफ्टर वेडिंग तक ट्राय कर सकती हैं.

शरारा से सजाएं लुक

शादी के बाद सना खान हर फंक्शन की फोटोज सोशलमीडिया पर शेयर कर रही हैं. हाल ही में एक फोटो में वह ग्रीन शरारा पहने नजर आ रही हैं, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा है. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो सना ने गोल्ड ज्वैलरी के साथ इस लुक को कम्पलीट करती नजर आ रही हैं.

 

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रिसेप्शन में ट्राय करें ये लुक

 

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सना खान के वेडिंग रिसेप्शन की बात करें तो लखटकिया लहंगे में उनका लुक देखने लायक था. दरअसल, रिसेप्शन में एक लाख का जोड़ा पहनने वाली सना खान का लहंगा डिजाइनर पूनम्स कॉर्चर ब्रांड का था. वहीं इसकी कीमत 1350 डॉलर यानी करीब 99 हजार 879 रुपए बताई जा रही है. ड्यूपिन क्रेप मैटेरियल से बने सना के लहंगे पर हैवी गोल्डन एम्ब्रॉयडरी की गई थी, जो उनके लुक पर चार चांद लगा रही थी.

मेहंदी के लिए परफेक्ट था सना का लुक

 

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मेहंदी लुक की बात करें तो बनारसी सूट की कारीगरी वाले औरेंज सूट के साथ पिंक दुपट्टा कैरी करने वाली सना का लुक काफी खूबसूरत और सिंपल था. इसके साथ ज्वैलरी की बात करें तो हैवी झुमको के साथ ये लुक कम्लीट पैकेज था.

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शादी का गाउन भी था खूबसूरत

 

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अगर आप भी क्रिश्चयन वेडिंग के लिए गाउन की तलाश कर रही हैं तो सना खान का वाइट गाउन लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन साबित होगा.

BIGG BOSS 14: नवम्बर में तलाक लेने वाले थे रुबीना-अभिनव, फैंस को लगेगा झटका

कलर्स के पौपुलर रियलटी शो ‘बिग बॉस 14’ इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में खास कमाल नही दिखा पा रहा है, जिसके चलते मेकर्स शो में नए-नए ट्विस्ट ला रहे हैं. दरअसल, वीकेंड का वार पर सलमान खान ने फिनाले का ऐलान करते हुए चौंका दिया है, जिसके बाद फैंस हैरान हो गए हैं. इसी बीच शो के नए प्रोमो ने दर्शकों को हैरान कर दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

रुबीना को इम्यूनिटी स्टोन होगा खतरे में

खबरों की मानें तो, इस हफ्ते के आखिर में सिर्फ चार सदस्य ही घर में बचेंगे, जिसके बाद घर में कुछ नए सदस्यों की एंट्री होती नजर आएगी. लेकिन इससे पहले शो के मेकर्स घरवालों को नया टास्क देते नजर आने वाले हैं. दरअसल, बिग बॉस घरवालों को एक मुश्किल भरा टास्क देने वाले हैं, जिसमें घर के सदस्यों को रुबीना दिलाइक (Rubina Dilaik) को मिली इम्यूनिटी स्टोन को पाने का मौका मिलेगा.

 

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तलाक का राज खोलेंगी रुबीना

 

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बिग बौस द्वारा दिए टास्क में घरवालों को अपना एक ऐसा सच बताना है, जिसे कोई भी नहीं जानता है. एक-एक करके सभी घरवाले अपने सच से दुनिया के सामने रखते नजर आएंगे तो वहीं रुबीना अपना एक ऐसा सच बताती नजर आएंगी, जिससे जानकर फैंस हैरान होने वाले हैं. इस टास्क में रुबीना दिलाइक कहेंगी कि वह और अभिनव शुक्ला (Abhinav Shukla) एक-दूसरे से अलग होने का फैसला करने वाले थे, जिसके लिए दोनों ने ही एक-दूसरे को नवम्बर तक का समय दिया था. हालांकति बिग बौस में आने की वजह बताते हुए रुबीना कहेंगी कि बिग बॉस करने का सबसे बड़ी वजह यही थी कि दोनों एक-दूसरे को एक मौका देना चाहते थे.

बता दें, एक्ट्रेस रुबीना दिलाइक और अभिनव शुक्ला ने दो साल पहले जून, 2018 में शादी की थी. शिमला में शादी करने के बाद इस सेलिब्रिटी कपल ने मुंबई में ग्रैंड रिसेप्शन भी दिया था.

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पिता के अफेयर का पता लगने से पाखी होगी घर से लापता! अनुपमा में आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा टीआरपी लिस्‍ट में नंबर 1 पर बना रहने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिसका अंदाजा शो में आने वाले लगातार ट्विस्ट से लगाया जा सकता है. करंट ट्रैक की बात करें तो जहां वनराज और काव्या के अफेयर का सच पूरी फैमिली के सामने आ गया है. तो वहीं अनुपमा के नई जिंदगी की शुरुआत ने सभी को हैरान कर दिया है. लेकिन अब शो में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा को दोषी ठहराता है वनराज

शो में बीते दिनों आपने देखा कि काव्‍या के साथ अफेयर का सच सामने आने के बाद वनराज अनुपमा को दोषी ठहराता नजर आता है. वहीं अपने माता-पिता पर आरोप लगाता है कि उन्‍होंने एक ऐसी महिला से उसकी शादी करवाई तो उसके बराबर खड़े होने के लायक भी नहीं है.

 

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मां के लिए खड़ा होता है परितोष

 

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जहां वनराज को अनुपमा का अपमान करता देख बाबूजी को दोबारा दिल का दौरा पड़ जाता है. तो वहीं अनुपमा का दूसरा बेटा परितोष भी उसके साथ खड़ा हो जाता है. हालांकि काव्‍या चाल चलते हुए वनराज को भड़काती नजर आती है और उसे घर छोड़ देने की सलाह देती है.

 

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पाखी होगी लापता

 

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पिता के अफेयर के सच से बेखबर पाखी को जब पूरा सच पता चलता है तो वह टूट जाती है. क्योंकि वह नही चाहती की उसके माता पिता अलग हों. इसी कारण वह अपकमिंग एपिसोड में घर छोड़कर कहीं चली जाएगी. तो वहीं पाखी के लापता होने से पूरा परिवार परेशान होता नजर जाएगा.

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बता दें, बीते दिनों एक प्रोमो में वनराज काव्या को प्रपोज करता नजर आया था, जिसके बाद अंदाजा लगाया जा सकता है अनुपमा को छोड़ वनराज, काव्या से शादी कर सकता है.

Winter Special: मूली के पराठे 

सर्दियां आ गई हैं और सर्दियों में पराठों का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है या यूं कहे की पराठे हर किसी को पसंद होते है और अगर स्टफ्ड पराठे खाने को मिल जाये तो कहना ही क्या.फिर चाहे वो गोभी का हो,आलू का हो या प्याज़ का.पर अगर आप उन लोगों में से है जो अपनी हेल्थ को लेकर काफी सजग रहते है और कोई भी स्नैक्स या परांठे खाने से पहले 100 बार सोचते हैं तो आज हम आपके लिए लाये है सेहत और स्वाद से भरपूर मूली का पराठा .

जी हाँ दोस्तों मूली एक ऐसी सब्जी है, जिसमें कई स्वास्थ्य लाभ हैं.इसमे बहुत कम मात्रा में कैलोरी और बहुत ही अधिक मात्रा में पानी और फ़ाइबर पाया जाता है.
यूं तो लगभग सभी Stuffed पराठे समान तरीके से बनाए जाते हैं. लेकिन मूली का Stuffed पराठा बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण होता है! क्योंकि मूली में पानी की मात्रा अधिक होती है और जब आप आटे की लोई के अंदर मूली की Stuffing भरने की कोशिश करते हैं, तो यह नमी को छोड़ देता है जिससे इसे बेलना बहुत मुश्किल हो जाता है.
इसलिए आज हम जानेंगे कुछ ऐसे टिप्स जिसकी मदद से आप बिना किसी मुश्किल के स्वादिष्ट और Healthy मूली के पराठे बना सकते हैं.

कितने पराठे बनेंगे-7 से 8
कितना समय-15 से 20 मिनट
मील टाइप -वेज

हमें चाहिए

गेहूं का आटा – 400 ग्राम
अजवाइन-1/2 टी स्पून
अमचूर पाउडर-1/2 टी स्पून
रिफाइंड ऑयल-1 टी स्पून (मोमन के लिए)
मूली – 3-4 मीडियम साइज (घिसी हुई)
हरा धनियां – 1 टेबिल स्पून ( बारीक कटी हुआ )
हरी मिर्च – 2 ( बारीक कटी हुआ )
अदरक – 1 इंच लम्बा टुकड़ा (घिसा हुआ)
नमक – स्वादानुसार ( आधा छोटी चम्मच)
भुना हुआ जीरा – 1 छोटी चम्मच
तेल – परांठे सेकने के लिये

बनाने का तरीका –

सबसे पहले गेहूं के आटे को एक बाउल में निकाल ले. आटे में 1 टी स्पून रिफाइंड ऑयल ,अजवाइन और नमक डालकर मिला लें और उसे अच्छे से गूंध ले. गूंध कर करीब 20 मिनट के लिए एक साइड में रखें लें.
(ध्यान रहे : आटा ज्यादा कड़ा ना गूंधे)

स्टफ़िंग बनाने के लिए –

1-मूली को छील कर साफ पानी से धोकर कद्दूकस कर लें और उसमे थोड़ा नमक मिलकर 5 से 7 मिनट के लिए रख दें.

2-5 से 7 मिनट बाद घिसी हुई मूली को हाथों से दबाकर निचोड़ दें और उसका पानी निकाल दे.

(Note:ऐसा करने से मूली से नमी निकाल जाएगी और पराठे बनाने मे आसानी रहेगी.)

3-अब घिसी हुई मूली में बारीक कटा हरा धनिया,थोड़ा नमक,भुना हुआ जीरा ,घिसा हुआ अदरक और आमचूर पाउडर मिला दे .Stuffing तैयार है.

पराठे बनाने के लिए

1-अब गॅस पर तवा को चढ़ा दे. अब गूंथे हुये आटे से 2 छोटी नीबू के बराबर लोइयां तोड़े. एक लोई को 7-8 इंच के व्यास में पतला परांठा बेल कर एक प्लेट में रख दें.

2-दूसरी लोई को भी इसी तरह, बेल लें. अब दूसरे परांठे के ऊपर, एक टेबल स्पून stuffing भर कर चारों तरफ फैला दें, और पहला बेला हुआ पराठं इसके ऊपर रखें.
3-परांठे को थोड़ा सा हाथ से दबायें, बेलन से हल्के हाथों से बेलकर थोड़ा सा और बढ़ा दें.
4-अब तवे पर चमचे से थोड़ा सा तेल लगायें, मूली भरे परांठे को तवे पर डालें और मीडियम आंच पर उसको अच्छे से एक तरफ सेंक लीजिए फिर उसी प्रकार उसे पलट कर दूसरी तरफ भी सेंक लीजिए.
8-तैयार है स्वादिष्ट मूली का पराठा. आप इसे टमाटर की चटनी ,दही या चाय के साथ खा सकते हैं.

Note: आप चाहे तो मूली के पराठे के लिए आटा गूंधते समय ही कद्दूकस की हुई मूली मिला दें. इस तरह इसे भरना और रोल करना नहीं होगा और यह प्रक्रिया और भी सरल हो जाएगी.

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