सर्दियों में शिशु की स्किन को चाहिए बहुत कुछ खास

क्या आप जानते हैं कि बच्चों की स्किन बड़ों की स्किन से तीन गुना पतली होती है. अधिक कोमल, नाजुक और सौम्य होने के कारण उसकी स्किन को खास देखभाल की जरूरत होती है. यहां पर यह भी समझना होगा कि नवजात की स्किन की देखभाल में सिर्फ चेहरा नहीं बल्कि संपूर्ण शरीर की स्किन शामिल होती है. वैसे तो आजकल बाजार में तरह-तरह के बेबी स्किन केयर प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, लेकिन मांएं सिर्फ कीको पर ही भरोसा करती हैं क्योंकि इन में पैराबिन्स नहीं हैं. सेंसिटिव स्किन पर डर्मटोलौजिकली टेस्टेड होने की वजह से इन्हें इस्तेमाल करना सुरक्षित है.

साबुन, शैंपू हों माइल्ड

बच्चे को नहलाने वाला पल माँ के लिए बहुत ख़ास होता है क्योंकि यह दोनों के बीच बॉन्डिंग विकसित करने में मददगार होता है. ये पल माँ और बच्चे के लिए ख़ास और मज़ेदार बने रहें, इसके लिए जरूरी है की सही बेबी प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाए ताकि बच्चे की स्किन को नुकसान न पहुंचे कीको की बेथिंग रेंज में जेंटल बेबीवाश ऐंड शैंपू, सोप, नो-टीयर्स शैंपू और बाथ फोम शामिल हैं. आप अपनी पसंद के अनुसार प्रॉडक्ट्स चुन सकते हैं. जेंटल बॉडीवाश शैंपू बच्चे की स्किन और बालों, दोनों की कोमलता से सफाई करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा आप सोप और शैंपू अलग-अलग भी चुन सकते हैं. बाथफोम भी बेबी की स्किन की क्लीनिंग के लिए एक बेहतरीन विकल्प है. ये सभी प्रोडक्ट्स स्रुस्, स्रुश्वस्, डाय और ऐल्कोहल फ्री हैं.

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रैशेज की होगी छुट्टी

डायपर पहनने के बाद लंबे समय तक स्किन के गीले रहने के कारण बच्चे को रैशेज पड़ना आम है क्योंकि डायपर के आस पास वाला हिस्सा काफी संवेदनशील होता है. ऐसे में कीको की नैपी क्रीम काफी बेहतर और कमाल की है क्योंकि ये जिंक ऑक्साइड बेस फार्मूले पर बनी है. यह स्किन के ऊपर एक पतली प्रौटेक्टिव परत बना कर उसे रैशेस से बचाती है. वहीं कीको के सॉफ्ट वाइप्स ऐसे हैं, जिसमें ऐलोवेरा व कैमोमाइल के एक्स ट्रैक्ट्स होने के कारण ये स्किन को बिना ड्राई किये कोमलता से साफ़ करते हैं. बच्चे के टेलकम पाउडर का चयन सतर्कता से करना चाहिए क्योंकि ज्यादातर टेलकम पाउडर स्किन के पोर्स को ब्लॉक करते हैं. कीको का राइस-स्टार्च बेस्ड टेलकम पाउडर बनाये वेलवेटी सॉफ्ट बिना स्किन पोर्स को ब्लौक किये हुए.

ताकि कोमलता रहे बरकरार

मौसम का बदलाव शिशु की कोमल स्किन पर जल्दी असर डालता है, जिससे उसकी स्किन में रूखापन जल्दी आ जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए शिशु के लिए अच्छी क्रीम और बौडी लोशन का चुनाव करना बेहद जरूरी है. कीको की शीया बटर ऐंड ओमेगा 3 बेस्डरिच क्रीम और आलमंड मिल्क बैस्ड बौडी लोशन बेहतरीन विकल्प हैं साथ ही शिशु की मसाज के लिए अच्छे तेल की जरूरत होती है और कीको का राइस ब्रान बेस मसाज औयल शिशु की स्किन पर कमाल का असर दिखाता है. यह तेल शिशु की स्किन में जल्दी अब्जार्ब हो जाता है और स्किन को पोषण प्रदान करता है. ये नौनस्टिकी होता है और जिससे अप्लाई करना भी आसान है. ये सभी प्रौडक्ट्स कीको की बेबी मूमैंट्स रेंज में हैं जो पैराबिन्स फ्री और डर्मटोलॉजिकली टैस्टेड हैं. यह बच्चों की स्किन की कोमलता को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. इसलिए हमेशा अपने बच्चे के लिए कीको पर ही भरोसा कीजिए क्योंकि इसके प्रोडेक्ट्स वेजिटेरियन औरिजिन वाले खास नेचुरल स्रोत तत्वों से बने हैं, इसलिए ये इतने सुरक्षित हैं कि आप इन्हें अपने न्यूबौर्न बेबी के लिए बेहिचक यूज कर सकती हैं.

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रेप से भी ज्यादा खौफनाक है मासूम बच्चियों का ‘खफ्द’ या खतना

लेखिका-  मासूमा रानालवी

इन दिनों हमारे यहां बच्चियों के साथ होने वाले रेप पर बहुत सारी बातें हो रही हैं. नये कानून बनाये जा रहे हैं, सामाजिक चेतना विकसित किये जाने की कोशिशें हो रही हैं. यह अच्छी बात है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि हमारे ही समाज में एक ऐसा समुदाय है, जहां मासूम बच्चियों के साथ रेप से भी कहीं ज्यादा खौफनाक, रेप से भी ज्यादा जघन्य कृत्य हो रहा है. लेकिन उस पर न तो खुलकर सामाजिक हस्तियां बोल रही हैं और न ही ऐसे कृत्य को अपराध माने जाने की बात हो रही है. हम इस जघन्य कृत्य को धर्म के नाम पर, सामाजिक प्रथा के नाम पर होने दे रहे हैं. जी, हां! ये जघन्य कृत्य मासूम बच्चियों का ‘खफ्द’ या खतना है.

हिंदुस्तान में बोहरा मुस्लिम समुदाय जिन्हें दाऊदी बोहरा या सुलेमानी बोहरा के रूप में भी जाना जाता है, में यह बर्बर प्रथा आज से नहीं ग्यारहवीं सदी से लागू है. इसके चलते तीन-चार से लेकर सात-आठ साल तक मासूम बच्चियों को जब उन्हें देश दुनिया की तो छोड़िये अपने आपके बारे में कुछ नहीं पता होता, तब उनका बहला-फुसलाकर धोखे से खतना किया जाता है. इस खतना से वे तात्कालिक तौरपर तो पीड़ा से बिलबिला जाती ही हैं, पूरी जिंदगी उनके जेहन से यह खौफ नहीं निकलता. एक तरह से वह पूरी जिंदगी मानसिक खौफ में जीती हैं. हैरानी की बात यह है कि यह ‘खफ्द’ या खतना जिसे अंग्रेजी में फीमेल जेनाइटल म्युटिलेशन कहते हैं, संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक मानवाधिकारों का हनन है.

दरअसल इस बर्बर प्रथा के चलते लड़कियों के जननांग के बाहरी हिस्से को काट दिया जाता है या इसकी ऊपरी त्वचा निकाल दी जाती है. इसके पक्ष में जो तर्क दिये जाते हैं वे ये हैं कि इससे लड़की का ताउम्र स्वास्थ्य बेहतर रहता है, उसे किसी किस्म की संक्रामक बीमारी नहीं होती और यह भी कि ऐसा करने से सेक्स की चाहत बढ़ जाती है. मगर हकीकत बिल्कुल इसके उल्टी है. सच बात तो यह है कि ‘खफ्द’ या खतना किया ही इसलिए जाता है कि स्त्रियों में होने वाली स्वभाविक सेक्स की चाहत को खत्म कर दिया जाए.

यह न सिर्फ बर्बरता है बल्कि यह मानवाधिकारों का हनन भी है; क्योंकि इस प्रथा के जरिये महिलाओं को प्राकृतिक ढंग से जीने का हक ही छीन लिया जाता है. वास्तव में यह प्रथा पितृसत्ता की एक बहुत ही सोची समझी और बेहद गहरी साजिश है. ग्यारहवीं सदी से ही यह बर्बर प्रथा बोहरा मुसलमानों में मौजूद है और इसका असली मकसद यह है कि इसके जरिये महिलाओं को काबू में रखा जाये. दरअसल बोहरा मुस्लिम समुदाय व्यापारिक समुदाय है, जिस कारण समुदाय के पुरुष अकसर व्यापारिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं, कामकाज के चलते उन्हें घर से बाहर भी जाना रहना पड़ता है.

ऐसे में उन्हें यह खटका रहता है कि कहीं उनकी महिलाएं किसी और पुरुष से शारीरिक संबंध न बना लें. इसीलिए इस प्रथा का षड़यंत्र बिछाया गया और महिलाओं की सेक्स की कुदरती इच्छा को बर्बर तरीके से खत्म करने की चाल चली गई. मेडिकल साइंस कहती है कि महिलाओं के शरीर में सिर्फ क्लिटोरियस वह हिस्सा है, जिसके कारण उसे सेक्स की अनुभूति हासिल होती है. उसके चलते ही उसे सेक्स की इच्छा और संतुष्टि होती है. बोहरा मुस्लिम समुदाय के पुरुषों द्वारा बहुत सफाई से कौम की महिलाओं पर अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए उनके स्वभाविक सेक्सुअल डिजायर से उन्हें महरूम कर दिया जाता है.

इसके बाद ये महिलाएं जिंदगीभर अपने शरीर को ढोती हैं, एक तरह से अनुभूति के मामले में वे जिंदा लाश होती हैं, उन्हें इसके बाद न तो सेक्स की इच्छा होती है और न ही इसमें खुशी-खुशी भागीदारी करने का मन बन पाता है. यह महिलाओं के विरूद्ध बहुत बड़ा षड़यंत्र है यह पितृसत्ता की सबसे सोची समझी गहरी चाल है. जिसके जरिये पुरुष महिलाओं पर अपना नियंत्रण रखते हैं. हम लोग पिछले पांच सालों से पूरे देश में इस बर्बर प्रथा के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लोगों को जागरूक कर रहे हैं, तमाम सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं से मिल रहे हैं. महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री से भी मिल चुके हैं और सबसे गुहार लगा रहे हैं कि बोहरा महिलाओं को इस नारकीय प्रथा से मुक्ति दिलायी जाये. लेकिन सरकार और प्रशासन मानो कानों में रूई दिये बैठा है, उसे लाखों महिलाओं की यह जलालत भरी जिंदगी की पीड़ा, पीड़ा ही नहीं लग रही है.

सुप्रीम कोर्ट में भी इस संबंध में याचिका दायर की गई है, जहां कहा जा रहा है कि इस बारे में जो भी आपराधिक वारदातें हुई हैं, उनका ब्योरा पेश किया जाए. यह कितनी हास्यास्पद बात है कि जब हमारे यहां अभी तक खतना को अपराध ही नहीं घोषित किया गया तो फिर ऐसी वारदातों का ब्योरा कहां मिल सकता है? अगर वाकई सरकार महिलाओं के प्रति संवेदनशील है तो पहले इस बर्बर प्रथा को अपराधा घोषित करे, फिर इस अपराध से संबंधित ब्योरों की मांग करे. लेकिन अगर ऐसा नहीं करते और देश-विदेश में मौजूद लाखों महिलाओं की इस पीड़ा की धर्म और बर्बर प्रथा के नाम पर अनदेखी करते हैं तो यह एक प्रकार से उन्हें रेप से भी ज्यादा खौफनाक हादसे में झोंकने जैसा होगा.

(मासूमा रानालवी मूलतः मुंबई की हैं और फिलहाल नोयडा में रहती हैं. मासूमा खुद भी दाऊदी  बोहरा समाज से नाता रखती हैं. बचपन में उनका भी धोखे से खतना हुआ था,जिसकी पीड़ा से वह आज तक नहीं उबरीं. साल 2016 में जब यूएन ने महिलाओं के खतने की प्रथा को दूर करने के लिए जीरो टोलरेंस का लक्ष्य घोषित किया,जिससे 27 अफ्रीकी देशों में यह रुका,जहां ‘महिला खतना’ की समस्या बहुत विकट स्थिति में थी. उन्हीं दिनों मासूमा रानालवी ने इसके विरुद्ध भारत में अपनी ही जैसी कुछ महिलाओं के साथ शुरू किया है. पिछले कुछ सालों से वह पूरी दुनिया में इसके विरुद्ध अलख लगा रही हैं. यह लेख लोकमित्र गौतम की उनके साथ हुई विस्तृत बातचीत पर आधारित है)

करीने से सजाकर छोटे से रसोई घर को दिखाएं स्पेसफुल

लेखिका- सुचित्रा अग्रहरी

 रसोई घर किसी भी घर का एक खास हिस्सा होता है, जहाँ हमारी भारतीय महिलाओं का आधा से ज्यादा समय  बितता है. वो हर वक्त रसोई को सुव्यवस्थित, स्वच्छ और सुंदर रखने की कोशिश करती रहती है, ताकि घर के किसी सदस्य पर नकारात्मक प्रभाव ना पड़े खास कर त्योहारों के सीज़न में जैसे ही त्यौहारी सीजन की शुरुआत होती है रसोई का महत्व और भी बढ़ जाता है, लेकिन अगर किचन छोटा हो तो सामानों को सुव्यवस्थित तरीके से करने और रखने में बहुत परेशानीओं का सामना करना होता है. अगर आपका भी रसोइघर छोटा है और आप सामानों को सही से तरीके से  व्यवस्थित नहीं कर पा रही हैं, तो हम आपको कुछ खास तरीके बताने जा रहे हैं, जिसके मदद से आप अपने छोटे से रसोई घर को भी करीने से सजाकर  व्यवस्थित कर सकती हैं और वो भी बहुत ही स्मार्ट तरीकों के साथ. तो आइए चलते है और जानते है, की हम अपने छोटे से रसोई घर को किस तरीके से व्यवस्थित कर सकते है.

किचन कैबिनेट

छोटे से रसोई घर में सामानों को ढंग से सुव्यवस्थित तरीके से रखने के लिए किचन कैबिनेट का होना बहुत आवश्यक है.

किचन कैबिनेट में आप फूड आइटम्स, कुकवेयर और बर्तनों को आसानी से रख सकती हैं, साथ ही रोज इस्तेमाल होने वाले सामानों को भी आप रख सकती हैं.

जिससे रसोई प्लेटफार्म पर गैस चूल्हे के आसपास की जगहें खाली दिखे और स्वच्छ भी. जिससे आपका रसोई घर फ्रेश भी दिखेगा और ज्यादा भरा-भरा भी नही.

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वेजिटेबल रैक

आप अपने छोटे से रसोईघर में सब्जियों को सुव्यवस्थित ढंग से रखने के लिए वेजिटेबल रैक का इस्तेमाल कर सकती हैं.

त्योहारों में समान ज्यादा होने से फ्रिज पूरा भरा रहता है, तो ऐसे में सब्जियों को रखने के लिए वेजिटेबल रैक अच्छा ऑप्शन है, जिससे जगह भी बचेगा और सब्जीयां भी सुरक्षित रहेंगी.

बाज़ार में आजकल फोल्ड करने वाले भी वेजिटेबल रैक उपलब्ध हैं, जिसका उपयोग ना होने पर आप उसे फोल्ड करके आसानी से रख सकती है.

रिवॉल्विंग स्पाइस रैक

रसोईघर में लगभग दस से पंद्रह तरीको के मसालों का उपयोग महिलाएं अमूनन ज़रूर करती हैं, जिसे उन्हें मैनेज करने में  काफी मुश्किल हो जाती है. ऐसे में मसलों को सही तरीके व्यवस्थित करने के लिए रिवॉल्विंग स्पाइस रैक आपके लिए अच्छा हो सकता है.

स्पाइस रैक में आप अपनी सुविधानुसार से मसाले के डिब्बों को रख सकती है व आपको मसलों को ढूंढने में परेशानी नही होती. इस तरह से आप रसोईघर में काफी जगह बचा सकती है.

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Festive Special: ख़जूर से बनाएं शुगर फ्री मिठाइयां

खजूर एक प्रकार के मीठे फल होते हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ साथ अत्यधिक स्वास्थ्यप्रद भी होते हैं. खजूर का जन्म मेसोपोटामिया या मिश्र में हुआ था. पके खजूर का रंग हल्का पीला तथा लाल और सूखे खजूर का रंग भूरा होता है. खजूर स्वाद में इतना अधिक मीठा होता है कि इसे शकर के विकल्प के रूप में बड़ी ही सहजता से प्रयोग किया जा सकता है. खजूर से मिलने वाली प्राकृतिक मिठास शकर की प्रोसेस्ड मिठास से कई गुना लाभकारी होती है. इसे सुखाकर ही छुहारा बनाया जाता है जो मेवा का एक प्रकार है और जिसकी गणना पंच मेवा में की जाती है. खदरावई, हयानी, अजवा, मेडजूल और बरही खजूर के मुख्य प्रकार है. खजूर बाजार में बीज सहित और बिना बीज दोनों ही प्रकार के उपलब्ध हैं. आजकल बाजार में अरब का खजूर भी बहुतायत से उपलब्ध है.

भारतीय खजूर के मुकाबले में अरब का खजूर स्वाद में अधिक मीठा और नरम, काले रंग का तथा छोटे बीज वाला होता है. अरब के खजूर की कीमत भी भारतीय खजूर से लगभग ढाई गुना तक अधिक होती है. आइये जानते हैं खजूर के प्रमुख फायदों के बारे में-

-ख़जूर में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो शरीर का फ्री रेडिकल्स से बचाव करते हैं.

-6 खजूर में लगभग 80 ग्राम मैग्नीशियम पाया जाता है, और मैग्नीशियम हमारे शरीर के ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने के साथ गठिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से हमें दूर रखता है.

-ख़जूर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है जो शरीर के पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है जिससे कब्ज की शिकायत नहीं होने पाती.

-इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है इसलिए इनके नियमित सेवन से एनीमिया को दूर कर शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है.
इसके अतिरिक्त खजूर मांसपेशियों को समृद्ध करने, त्वचा और बालों को चमकदार करने का काम भी करता है.

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कैसे खाएं

खजूर को यूं तो ऐसे ही मीठे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है परन्तु प्रतिदिन एक जैसा ही खाने से बोरियत होने लगती है. तो आइए हम जानते हैं ऐसे कुछ उपाय जिन्हें अपनाकर आप आसानी से खजूर को अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं.

-खजूर को दूध के साथ पीसकर मिल्क शेक बनाएं.

-दही में बारीक बारीक काटकर डालें और आधा घण्टा रखकर प्रयोग करें ताकि खजूर की मिठास पूरे दही में आ जाये.

-शकर के स्थान पर खजूर का प्रयोग करके आप स्वादिष्ट बर्फी, रोल, और लड्डू बना सकतीं हैं.

-250 ग्राम खजूर को बारीक काटकर 4 टेबलस्पून नीबू के रस में डालें. इसमें स्वादानुसार काला नमक, काली मिर्च पाउडर, और भुना जीरा पाउडर डालकर अचार बनाएं.

-इमली और खजूर को समान मात्रा में मिलाकर स्वादिष्ट चटनी बनाएं.

ख़जूर से बनाएं ये व्यंजन

-खजूर के लड्डू

कितने लोगों के लिए 8
बनाने में लगने वाला समय 20 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

बीज निकले खजूर 250 ग्राम
शुद्ध घी 1 टेबलस्पून
बारीक कटी मेवा 1 छोटी कटोरी
नारियल लच्छा 1 टेबलस्पून
खसखस 2 टेबलस्पून
दूध 1 कप

विधि

खजूर को दूध के साथ मिक्सी में बारीक पीस लें. एक पैन में घी गरम करें और धीमी आंच पर खजूर के पेस्ट को गाढ़ा होने तक भूनें. दूसरे पैन में मेवा, खसखस और नारियल को भी हल्का सा रोस्ट कर लें ताकि उनका कच्चापन निकल जाए. जब खजूर का मिश्रण पैन के किनारे छोड़ने लगे तो गैस बंद करके मेवा और नारियल लच्छा भली भांति मिलाएं. हाथों में चिकनाई लगाकर तैयार मिश्रण से लड्डू बनाएं और खसखस में लपेटकर एयरटाइट जार में भरकर रखें.

-नारियल खजूर बर्फी

कितने लोगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 20 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

बीज निकले खजूर 250 ग्राम
दूध 1/4 लीटर
घी 1 टेबलस्पून
मिल्क पाउडर 1 कप
नारियल बुरादा आधा कप
पिस्ता कतरन सजाने के लिए

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विधि

खजूर को दूध के साथ मिक्सी में पीस लें. एक पैन में घी गरम करें और पेस्ट डालकर 2 से 3 मिनट तक चलाएं. अब मिल्क पाउडर डालें और 5 मिनट चलाकर नारियल बुरादा अच्छी तरह मिलाएं. जब मिश्रण गाढ़ा होकर पैन के किनारे छोड़ने लगे तो चिकनाई लगी चौकोर प्लेट में जमाकर पिस्ता कतरन डालें.आधा घंटे बाद सेट होने पर चौकोर टुकड़ों में काटें.

अपने ससुराल वालों के साथ कैसे एडजस्ट करें?

अक्सर ऐसा होता है कि जब आप की शादी हो जाती है तो न केवल आप नए लोगों से जुड़ जाते हैं. बल्कि आप नई जिम्मेदारियां व नए कर्तव्व्यों से भी जुड़ जाते हैं. दूल्हा या दुल्हन जोकि आज तक केवल एक बेटा या बेटी थे अब बहू व दामाद बन जाते हैं. ऐसा ही मम्मी व पापा के साथ भी होता था जोकि आज तक सिर्फ एक बच्चे के माता पिता थे वह अब सास व ससुर बन जाते हैं. इस दौरान कई बार ससुराल वालों के साथ एडजस्ट करते समय दिक्कत होती है जिस कारण बहुत सी शादियां टूट भी जाती हैं.

ससुराल वालों के साथ एडजस्ट होने में आने वाली चुनौतियां

गलत अनुमान लगा लेना : कई बार हम अपने ससुराल वालों के लिए पहले से ही गलत सोच कर चलते हैं क्योंकि समाज ने व किसी हमारे जानकार जिसके रिश्ते अपने ससुराल वालों के साथ अच्छे नहीं होते हैं उन्होंने यह हमें बताया होता है तो हम वहीं मान लेते हैं. परन्तु ऐसा नहीं होता आप को पहले से ही अनुमान नहीं लगाना चाहिए कि यदि आप ससुराल वालों के साथ रहेंगी तो आप को प्राइवेसी व स्वतंत्रता नहीं मिलेगी. ऐसा कुछ केस में होता है न कि हर एक में. ऐसा ही सास ससुर के साथ भी होता है.

बेटे का सास बहू के बीच फस कर रह जाना : ज्यादा तर ऐसा होता है कि बहू व सास के बीच लड़का फस कर रह जाता है. वह दोनो ही उसके लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती हैं जिससे सास के अपने बेटे के साथ व पति के अपनी पत्नी के साथ रिश्ते बिगड़ने की सम्भावना होती है.

घर के नियम : कुछ एक घरों में अपने नियम बने होते हैं जोकि आप को पालन करने होते हैं. अब यह नियम आप की इच्छा के बिना ही बनाए जाते हैं क्योंकि यह नियम आप के आने से पहले ही तय हो चुके होते हैं. हो सकता है यह नियम आप को पसंद न आएं परंतु घर वाले इन नियमों को 20 से 25 साल पहले ही बना चुके होते हैं तो शायद वो इन्हे आप के लिए न बदलें.

प्राइवेसी : आजकल की लड़कियां जोकि अपने पैरो पर खड़ी होती हैं उन्हें अपने लिए स्पेस चाहिए होता है जो यदि उनको उसके ससुराल वाले न दें तो उनके बीच एक दरार बन सकती है. परन्तु आजकल के माता पिता के पास भी इतना बड़ा घर नहीं होता है कि वह उन्हें बहुत सा स्पेस दे सकें. एक 2 बेड रूम सेट वाले घर में इस बात को लेकर ज्यादा झगडे होते हैं.

लाइफस्टाइल पसंद : कई बार ऐसा होता है कि नई बहू को जो चीजें पसंद हैं वह ससुराल वालों के घर में प्रचलित न हो और इस वजह से दोनों में टकराव हो सकता है. जैसा यदि लड़की को नॉन वेज खाना पसंद हो और ससुराल वालों के घर में केवल शाकाहारी भोजन ही अलाउड हो तो इस प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं.

एक जैसे विचार होना : कई बार ऐसा हो सकता है कि घर में चलने वाले किसी मुद्दे पर चाहे वह कोई राजनीतिक मुद्दा हो या किसी को लेकर कहीं गई कोई स्टेटमेंट. इसमें हर इंसान के अपने अपने विचार हो सकते हैं तो ऐसा सम्भव है कि ससुराल वालों को बहू की बात अच्छी न लगे या बहू को ससुराल वालों को. अतः इस मामले में धैर्य से काम लेना जरूरी है.

ससुराल वालों के साथ रहना : ससुराल वालों के साथ रहना कुछ बच्चों को पसंद नहीं होता है इसलिए वह अपने लिए अलग घर की डिमांड करते है जोकि घर वालों को पसंद नहीं होता है. ऐसे में कुछ सास इसलिए भी दुखी हो जाती हैं कि सालों से उनका बेटा उनके साथ रहता आ रहा है और अब वह उनसे दूर हो जाएगा.

दादा ससुर दादी सास के साथ रहना : बुजुर्ग ससुराल वालों के साथ रहना अक्सर एक बहुत ही मुश्किल काम माना जाता है क्योंकि इनकी देख भल करना एक कठिन काम होता है जोकि आज कल के बच्चों को करने में बहुत दिक्कत आती है. इन सब कामों के चलते आप के पास अपने लिए समय नहीं बचता है.

ससुराल वालों के साथ मैनेज करने के टिप्स

अपने द्वारा लगाए गए अनुमान में बदलाव लाइए : सबसे पहले आप के मन में ससुराल वालों को लेकर जो गलत धरना बनी हुई है उसे बदलिए. वह सब भी आप के जैसे ही हैं. अतः आप को एडजस्ट करना चाहिए. हो सकता है वह आप की सारी इच्छाएं भी पूरी कर दें. ऐसा ही ससुराल वालों को भी करना चाहिए. दोनो तरफ से विनम्रता बरतनी चाहिए.

शादी से पहले अपने ससुराल वालों को जानिए : आप को अपने पार्टनर से पहले ही अपने सास ससुर के बारे में जान लेना चाहिए. उनके घर में क्या क्या मान्य है व क्या क्या नहीं. वह आप की कितनी आजादी देंगे और कितनी नहीं. इन सब बातों के बारे में पहले ही पता कर लें ताकि आप को बाद में दिक्कत न आए.

एक सकारात्मक मन से शुरुआत करें : अपने ससुराल वालों को हमेशा एक सकारात्मक नजरिए से देखें. उनके साथ शुरू से ही एक अच्छा व प्यारा रिश्ता बनाने की सोचिए. यदि आप उनसे परेशानी नहीं रखेंगे तो वह भी आप से किसी प्रकार का द्वेष नहीं रखेंगे. इसलिए एक सकारात्मक सोच का होना बहुत आवश्यक है.

साथ समय बताएं : साथ में समय बिताना बहुत आवश्यक है. यदि आप के किसी बात को लेकर झगडे हो रहे हैं तो आप उन्हे साथ बैठ कर सुलझा सकते हैं या यदि आप को एक दूसरे से कोई समस्या भी है तो भी आप उन्हे सुलझा सकते हैं. यदि आप अपने ससुराल वालों से अलग भी रहते हैं तो भी आप को कभी कभार उनके पास आकर समय जरूर बिताना चाहिए.

कर्तव्य बाट लेना : आप को अपनी जिम्मेदारियां व कर्त्तव्य आपस में बांट लेने चाहिए ताकि आप के ससुराल वाले हर बात पर आप को न टोकें व आप स्वयं से ही काम कर ले.

वित्तीय जिम्मेदारी : एक साथ बैठ कर निर्णय लें कि घर वालों को आप ने कितनी वित्तीय सहायता लेनी है और किस काम के लिए वह आप को सहायता देंगे.

प्राइवेसी दें : नए नए जोड़े को पूरा स्पेस मिलना चाहिए. यह उन्हें एक दूसरे के साथ समय बिताने में व एक दूसरे को अच्छे से जानने में मदद करेगा.

इस रिश्ते की नकारत्मकता को भी समझें : हर समय आप के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहेंगे. किसी समय आप दोनों पक्षों में लड़ाई झगड़े भी हो सकते हैं जोकि इस रिश्ते का नकारत्मक रूप है. आप को इस चीज को भी समझना चाहिए व मैच्योर रूप से इस स्थिति को संभालना चाहिए.

जीत होने की सम्भावना : यदि आप अपने घर वालों की सारी बात मानेंगे और यदि वह भी आप की पसंद व ना पसंद का ख्याल रखेंगे तो आप के बीच मन मुटाव व समस्या बहुत कम होंगी जिससे आप को जीतने वाली एक फील आएगी.

किसी तीसरे इंसान की राय लेना छोड़ दें : यदि आप के बीच कोई तीसरा इंसान आ जाता है और वह आप के ससुराल वालों के खिलाफ आप के कान भरता है तो आप को उसकी सुननी ही नही चाहिए. आप को अपने ससुराल वालों के साथ रहना है न कि किसी तीसरे इंसान के साथ. इसलिए आप को हमेशा अपने ससुराल वालों का ही पक्ष लेना चाहिए.

अपनी प्राथमिकता को थोपें : यदि आप को कोई चीज पसंद है और आप के ससुराल वाले उस चीज को पसंद नहीं करते हैं तो आप को एक दम से वह चीज उन पर थोप नहीं देनी है. आप आराम से उन्हें समझा सकते हैं और यदि वह फिर भी नहीं मानते हैं तो आप कहीं बाहर जाकर अपनी इच्छा पूरी करनी चाहिएं. जैसे यदि आप के घर वाले नॉन वेज नहीं खाने देते हैं तो आप बाहर जा कर खा सकती हैं.

उनके पारिवारिक मुद्दों से दूर रहें : ऐसा हो सकता है कि आप के ससुराल वालों की आप के पति के साथ किसी बात को ले कर लड़ाई हो जाए या उन की कोई पारिवारिक मुद्दे को लेकर बहस चल जाए तो आप को उनके बीच में नहीं बोलना चाहिए. हो सकता है वह इस बात को पसंद न करें या आप को भी लड़ाई के बीच में घसीट लें.

वास्तविक इच्छाएं रखें : आप को अपने ससुराल वालों के परिवार को देखते हुए उनसे ऐसी इच्छाएं रखनी चाहिए जिन्हे वह सच मे पूरी कर सकें. आप को भी उन्हें व उनके रीति रिवाजों को समझना होगा.

पति का किरदार सबसे महत्त्वपूर्ण होता है : पति का ससुराल वालों व पत्नी के बीच के रिश्ते में सबसे मुख्य किरदार होता है. अतः यदि उनके बीच कोई समस्या खड़ी हो जाती है तो पति को अपनी पत्नी के साथ साथ अपने घर वालों को भी समझना चाहिए.

अपने पति के साथ मजबूत रिश्ता बनाएं : आप को अपने पति के साथ एक मजबूत बॉन्डिंग बनानी चाहिए. यदि आप के ससुराल वालों से आप की लड़ाई हो भी जाती है तो वह आप की उनसे सुलह करवा सकते हैं और आप की साइड भी ले सकते हैं.

रिश्तों के अस्तित्व पर संकट!

आज के समय में आधुनिकता का बढ़ता प्रचलन, पारिवारिक रिश्तों से बढ़ती दूरियां, आधुनिक जीवनशैली में एक-दूसरे के लिए समय का अभाव, बढ़ता संवादहीनता, अपनेपन की भावना का अभाव, माता-पिता की आपसी कलह, रूढिगत परंपराएं, संयुक्त परिवार का विखंडन, बच्चों को घर में दादा-दादी और नाना-नानी का प्यार न मिल पाना जैसे कई अन्य कारण आज के समय में परिवार के बिखरने के कारण होने के साथ-साथ सभी रिश्तो के अस्तित्व पर संकट का मूल कारण भी है. आज के आधुनिक समय में हर रोज कई परिवार टूटता है, तों कई रिश्ते अपना मूल अस्तित्व खो देते है. कभी पिता-पुत्री का संबंध सामने आता है, तो कभी अपने ही संतान द्वारा मारे जाने की खबर आती है , तों कभी सम्पति के लिए बेरहमी से बुजुर्गो का क़त्ल कर दिया जाता है. तों आईये आज हम पारिवारिक विघटन और रिश्तो के अस्तित्व पर संकट के मूल कारणों पर नजर डालती है- विनय सिंह के संग.

परिवार में आधुनिकता का बढ़ना

आधुनिकता नये अनुभवों, नई उपलब्धियों की ग्रहणशीलता और स्वीकार्यता है. प्यार की वेदना , वेदना का आनन्द तथा आनन्द की वेदना के आयाम की कोई समझ इन्हें नहीं होती. ये बस लेना ही जानते हैं , बाते शेयर करने के आनन्द की कोई ललक नहीं. आधुनिक विकास के साथ मनुष्य का मन बदलने लगा. त्याग और बलिदान के बदले जीवन में लोभ और भोग का व्यक्तिवादी वर्चस्व बढ़ने लगा. व्यक्तिवाद का दबाव जितना बढ़ता गया, व्यक्तित्व का प्रसार उतना ही घटता गया.

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ये स्नेह और भागीदारी की अनुभूति से परिचित ही नहीं हो पाते. उन्हें पता ही नहीं होता कि प्यार क्या होता है. आधुनिकता ने नारियों के सम्मुख अभूतपूर्व सुयोग की सम्भावनाओं का आह्वान प्रस्तुत कर दिया है. आधुनिक नारी के सामने चुनौती भी इसके साथ-साथ उभड़ी है. अगर वह नए दिगन्त को नम्रता और कृतज्ञता से अपना अर्घ्य देने को प्रस्तुत होगी, तभी वह कल्याणीया हो सकेगी.

समय का अभाव

आज कल भागदौड की जिंदगी में सभी इतना व्यस्त रहते है कि किसी के पास अपनों को समय देने का समय ही नही है. अब नवविवाहित दंपती शादी के एक महीने बाद ही मूल परिवार से अलग होने का निर्णय ले लेते है. अति-व्यस्तता और अचानक घर-गृहस्थी के बढते दबाव के बीच तालमेल न बिठा पाना नवविवाहित दंपतियो कों अलग होने के लिए उकसाते है. इस बात कों हवा देती है आज कल की आधुनिक नौकरिया (जैसे शिफ्ट डयूटी करने वाले कॉल सेंटर कर्मचारी हो या मीडिया कर्मचारी हो सभी अपने परिवार को अधिक समय नही दे पाते है). इस तरह भावनात्मक तौर पर असंतुलित बनता है और एक खुशहाल परिवार टूट जाता हैं.

पर्दों का असर

आज के समय में छोटे-बड़े पर्दे पर घर-घर की कहानी चल रही है,चाहे वह टीवी सीरियल हो या फ़िल्मी सीन सब में एक आधुनिक परिवार कों दिखाया जा रहा है. टीवी हर घर की जरूरत बन चुका है. छोटे पर्दे पर अश्लील और अनैतिक धारावाहिक या खबरें, फूहड हास्य और स्त्री की गलत छवि को पेश किया जा रहा है और इसका सीधा गलत असर परिवार के युवाओं पर पड़ता है. छोटे और बडे पर्दे पर सेक्स और पारिवारिक हिंसा के दश्य कों देख कर परिवार के नव युवको के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों में भी अनैतिक बदलाव आ रहा है. जो किसी भी सुखी परिवार के लिए दुखदायी है.

एकल परिवार का प्रचलन

भारत में तेजी से एकल परिवार की अवधरणा बढ़ती जा रही है खासकर बड़े शहरों और मेट्रों शहरों. मेट्रो शहर का यह परिवार धीरे-धीरे गाँव और शहर में भी फ़ैल रहा है, जहां वहीं एकल परिवार का प्रचलन.  यह हमारे देश और संस्कृति के खिलाफ है. फिर भी पश्चिम देशी की नकल एवं आधुनिकता के दिखाए ने इस तरह के परिवार कों बढ़ावा दे रहा है. एक ऐसा परिवार जहाँ पति-पत्नी और सिर्फ उनके बच्चे होते है, इस परिवार में दादा-दादी व नाना-नानी का स्थान कही नहीं होता है.

टूटते सयुक्त परिवार

आधुनिकवाद और भौतिकवाद के आपा धापी में दिन प्रतिदिन सयुक्त परिवार के टूटने की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

संयुक्त परिवार के विघटन का सबसे बड़ा दुष्परिणाम नैतिकगुणों के हृास और असंवेदनशीलता के रूप में सामने आया है. सामंजस्य, संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व जैसे गुण संयुक्त परिवार में उपजते और विकसित होते हैं. यहाँ बच्चे ऐसे गुणों को अपने बालपन से ही देखते, समझते और स्वीकार करते हैं. संयुक्त परिवारों में खास तौर पर दादा-दादी और नाना-नानी का सानिध्य मिला होता हैं , उनमें से अधिकांश संस्कारित देखे गए हैं.  माता-पिता का कठोर अनुशासन निश्चित रूप से दादी की गोद में शीतलता का अहसास कराता है और दादा की अंगुली पकड़कर घुमने का अपना अलग ही मज्जा होता है. जो सुख और सुरक्षा का कवच संयुक्त परिवार में मिलता है वह एकल परिवारों में असंभव है.

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परिवार में बढ़ता अकेलापन

आज के बदलते ज़माने में परिवार के  बच्‍चे, जवान एवं  बुजुर्ग सभी किसी ना किसी समय अपने परिवार में ही आप कों अकेला महसूस करते हैं. बढ़ते आधुनिकता, तकनीक का परिवार पर हावी होना और मनोरंजन साधनों में लगातार वृद्धि हमें अपनों से दूर ले जा रही हैं. शादी के बाद कई लोगो के पास परिवार के लिए समय ही नही है, तों कई लोग पैसे कमाने के होड़ में कई दिनों तक अपने बच्चो से भी नही मिल पाते है. जिससे इन लोगो के पारिवारिक रिश्तो पर संकट का बादल छा जाता है.

Winter Special: स्टफ्ड मावा लड्डू

सर्दियों का मौसम एक ऐसा मौसम है जब आप भरपूर हैवी डायट ले सकते हैं वो भी बिना डरे. खासकर मावे और ड्राई फ्रूट्स के लड्डू इस मौसम में खूब खाए जाते हैं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं  स्टफ्ड मावा लड्डू बनाने की रेसिपी जो घर पर बेहद आसानी से बनाए जा सकते हैं.

सामग्री

1 कप खोया या मावा

1/2 कप पाउडर शुगर

1/2 बड़ा चम्मच घी

1/4 कप मिक्स्ड ड्राईफूट्स

4 बड़े चम्मच नारियल कद्दूकस किया

थोड़ा सा पिस्ता.

विधि

एक नौनस्टिक पैन में घी गरम कर मावा डाल कर 2 मिनट चलाएं.

फिर उस में चीनी डाल कर मिलाते हुए आंच से हटा कर ठंडा होने के लिए रख दें.

इस के बाद हाथ में घी लगा कर इस मिक्स्चर से स्मूद बौल्स बनाएं.

उन्हें हलका सपाट कर के बीच में गहरा कर ड्राइफूट्स भर कर इन के किनारों को बंद कर पुन: स्मूद बौल्स बनाएं. फिर पिस्ते व नारियल में लपेट कर थोड़ी देर सैट होने के लिए रखें और फिर सर्व करें.

घोंसले के पंछी

घोंसले के पंछी-भाग 3: ऋचा से क्यों पूछे जा रहे थे सवाल

अंकिता सोचने लगी पर उस के मन में दुविधा और शंका के बादल मंडरा रहे थे. बताए या न बताए. मम्मी उस के मन की बात जान गई हैं. कहां तक छिपाएगी? नहीं बताएगी तो उस पर प्रतिबंध लगेंगे. उस ने आगे आने वाली मुसीबतों के बारे में सोचा. उसे लगा कि मां जब इतने प्यार और सहानुभूति से पूछ रही हैं, तो उन को सब कुछ बता देना ही उचित होगा.

अंकिता खुल गई और धीरेधीरे उस ने मम्मी को सारी बातें बता दीं. गनीमत थी कि अभी तक अंकिता ने अपना कौमार्य बचा कर रखा था. लड़के ने कोशिश बहुत की थी, परंतु वह उस के साथ होटल जाने को तैयार नहीं हुई. डर गई थी, इसलिए बच गई. मम्मी ने इतमीनान की गहरी सांस ली और बेटी को सांत्वना दी कि वह सब कुछ ठीक कर देंगी. अगर लड़का तथा उस के घर वाले राजी हुए तो इसी साल उस की शादी कर देंगे.

अंकिता ने बताया था कि वह अपने साथ पढ़ने वाले एक लड़के के साथ प्यार करती है. उस के घरपरिवार के बारे में वह बहुत कम जानती है. वे दोनों बस प्यार के सुनहरे सपने देख रहे हैं. बिना पंखों के हवा में उड़ रहे थे. भविष्य के बारे में अनजान थे. प्रेम की परिणति क्या होगी, इस के बारे में सोचा तक नहीं था. वे बस एकदूसरे के प्रति आसक्त थे. यह शारीरिक आकर्षण था, जिस के कारण लड़कियां अवांछित विपदाओं का शिकार होती हैं.

ऋचा ने आदित्य को सब कुछ बताया. मामला सचमुच गंभीर था. अंकिता अभी नासमझ थी. उस के विचारों में परिपक्वता नहीं थी. उस की उम्र अभी 20 साल थी. वह लड़का भी इतनी ही उम्र का होगा. दोनों का कोई भविष्य नहीं था. वे दोनों बरबादी की तरफ बढ़ रहे थे. उन्हें संभालना होगा.

स्थिति गंभीर थी. ऋचा और आदित्य का चिंतित होना स्वाभाविक था. परंतु ऋचा और आदित्य को कुछ नहीं करना पड़ा. मामला अपनेआप सुलझ गया. संयोग उन का साथ दे रहा था. समय रहते अंकिता को अक्ल आ गई थी. उस की मम्मी की बातों का उस पर ठीक असर हुआ था.

अंकिता ने जब शिवम को बताया कि उस की मम्मी को उस के प्रेम के बारे में सब पता चल गया है तो वह घबरा गया.‘‘इस में घबराने की क्या बात है? मम्मी ने तुम्हारे डैडी का फोन नंबर व पता मांगा है. वह तुम्हारे घर वालों से हमारी शादी की बात करना चाहती हैं.’’

‘‘अरे मर गए, क्या तुम्हारे पापा को भी पता है?’’ उस के माथे पर पसीने की बूंदें छलक आईं.‘‘जरूर पता होगा. मम्मी ने बताया होगा उन को. परंतु तुम इतना परेशान क्यों हो रहे हो? हम एकदूसरे से प्रेम करते हैं, शादी करने में क्या हरज है? कभी न कभी करते ही, कल के बजाय आज सही,’’ अंकिता बहुत धैर्य से यह सब कह रही थी.

‘‘अरे, तुम नहीं समझतीं. यह कोई शादी की उम्र है. मेरे डैडी जूतों से मेरी खोपड़ी गंजी कर देंगे. शादी तो दूर की बात है,’’ वह हाथ मलते हुए बोला.‘‘अच्छा,’’ अंकिता की अक्ल ठिकाने आ रही थी. वह समझने का प्रयास कर रही थी. बोली, ‘‘तुम मुझ से प्रेम कर सकते हो तो शादी क्यों नहीं. प्रेम मांबाप से पूछ कर तो किया नहीं था. अगर वे हमारी शादी के लिए तैयार नहीं होते, तो शादी भी उन से बिना पूछे कर लो. आखिर हम बालिग हैं.’’

‘‘क्या बकवास कर रही हो, शादी कैसे कर सकते हैं?’’ वह झल्ला कर बोला, ‘‘अभी तो हम पढ़ रहे हैं. मांबाप से पूछे बगैर हम इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकते हैं?’’‘‘अच्छा, मांबाप से पूछे बगैर तुम जवान कुंआरी लड़की को बरगला सकते हो. उस को झूठे प्रेमजाल में फंसा सकते हो. शादी का झांसा दे कर उस की इज्जत लूट सकते हो. यह सब करने के लिए तुम बालिग हो परंतु शादी करने के लिए नहीं,’’ वह रोंआसी हो गई.

उसे मम्मी की बातें याद आ गईं. सच कहा था उन्होंने कि इस उम्र में लड़कियां अकसर बहक जाती हैं. लड़के उन को बरगला कर, झूठे सपनों की दुनिया में ले जा कर उन की इज्जत से खिलवाड़ करते हैं. शिवम भी तो उस के साथ यही कर रहा था. समय रहते उस की मम्मी ने उसे सचेत कर दिया था. वह बच गई. अगर थोड़ी देर होती तो एक न एक दिन शिवम उस की इज्जत जरूर लूट लेता. कहां तक अपने को बचाती. वह तो उस के लिए पागल थी.

शिवम इधरउधर ताक रहा था. अंकिता ने एक प्रयास और किया, ‘‘तुम अपने घर का पता और फोन नंबर दो. तुम्हारे मम्मीडैडी से पूछ तो लें कि वे इस रिश्ते के लिए राजी हैं या नहीं.’’‘‘क्या शादीशादी की रट लगा रखी है,’’ वह दांत पीस कर बोला, ‘‘हम कालेज में पढ़ने के लिए आए हैं, शादी करने के लिए नहीं.’’

‘‘नहीं, प्यार करने के लिए…’’ अंकिता ने उस की नकल की. वह भी दांत पीस कर बोली, ‘‘तो चलो, नाचेगाएं और खुशियां मनाएं,’’ अब उस की आवाज में तल्खी आ गई थी, ‘‘कमीने कहीं के, तुम्हारे जैसे लड़कों की वजह से ही न जाने कितनी लड़कियां अपनी इज्जत बरबाद करती हैं. मैं ही

बेवकूफ थी, जो तुम्हारे फंदे में फंस गई. थू है तुम पर.. भाड़ में जाओ. सब कुछ खत्म हो गया. अब कभी मेरे सामने मत पड़ना. गैरत हो तो अपना काला मुंह ले कर मेरे सामने से चले जाओ.’’उस दिन शाम को अंकिता जल्दी घर पहुंच गई. बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ था. ऋचा और आदित्य ने भेदभरी नजरों से एकदूसरे की तरफ देखा. अंकिता चुपचाप अपने कमरे में चली गई थी. आदित्य ने ऋचा को इशारा किया. वह पीछेपीछे अंकिता के कमरे में पहुंची. आदित्य भी बाहर आ कर खड़े हो गए थे.

‘‘आज बहुत जल्दी आ गईं बेटी,’’ ऋचा अंकिता से पूछ रही थी.‘‘हां मम्मी, आज मैं अपने मन का बोझ उतार कर आई हूं. बहुत हलका महसूस कर रही हूं,’’ फिर उस ने एकएक बात मम्मी को बता दी.

मम्मी ने उसे गले से लगा लिया. उसे पुचकारते हुए बोलीं, ‘‘बेटी, मुझे तुम पर गर्व है. तुम्हारी जैसी बेटी हर मांबाप को मिले.’’‘‘मम्मी यह सब आप की समझदारी की वजह से हुआ है. समय रहते आप ने

मुझे संभाल लिया. मैं आप की बात समझ गई और पतन के गर्त में जाने से बच गई. आप थोड़ा सी देर और करतीं तो मेरी बरबादी हो चुकी होती. मैं आप से वादा करती हूं कि मन लगा कर पढ़ाई करूंगी. आप की नसीहत और मार्गदर्शन से एक अच्छी बेटी बन कर दिखाऊंगी.’’

‘‘हां बेटी, तुम्हारे सिवा हमारा और कौन है? तुम चली जातीं तो हमारे जीवन में क्या बचता?’’‘‘मम्मी, ऐसा क्यों कह रही हैं? मैं आप के साथ हूं और भैयाभाभी भी तो हैं.’’ऋचा ने अफसोस से कहा, ‘‘वे अब हमारे कहां रहे? हम ने एकदूसरे को नहीं समझा और वे हम से दूर हो गए.’’

‘‘ऐसा नहीं है मम्मी, वे पहले भी हमारे थे और आज भी हमारे हैं.’’ ‘‘ये क्या कह रही हो तुम?’’‘‘मम्मी, मैं आप को राज की बात बताती हूं. भैया और भाभी से मैं रोज बात करती हूं. भाभी खुद फोन करती हैं. मैं ने उन्हें देखा नहीं है परंतु वे बातें बहुत प्यारी करती हैं. वे हम सब को देखना चाहती हैं. भैया तो एक दिन भी बिना मुझ से बात किए नहीं रह सकते. वे और भाभी यहां आना चाहते हैं लेकिन डैडी से डरते हैं, इसीलिए नहीं आते. मम्मी, आप एक बार…सिर्फ एक बार उन से कह दो कि आप ने उन्हें माफ किया, वे दौड़ते हुए आएंगे.’’

‘‘सच…’’ ऋचा ने उसे अपने सीने से लगा लिया, ‘‘बेटी, आज तू ने मुझे दोगुनी खुशी दी है,’’ वह खुशी से विह्वल हुई जा रही थी.‘‘हां, मम्मी, आप उन्हें फोन तो करो,’’ अंकिता चहक रही थी, ‘‘मैं भाभी से मिलना चाहती हूं.’’

‘‘अभी करती हूं. पहले उन को बता दूं. सुन कर वे भी खुशी से पागल हो जाएंगे. हम लोगों ने न जाने कितनी बार उन को बुलाने के बारे में सोचा. बस हठधर्मिता में पड़े रहे. बेटे के सामने झुकना नहीं चाहते थे परंतु आज हम बेटे के लिए और उस की खुशी के लिए छोटे बन जाएंगे. उसे फोन करेंगे.’’

वह बाहर जाने के लिए मुड़ी. कमरे के बाहर खड़े आदित्य अपनी आंखों से आंसू पोंछ रहे थे. आज उन्हें खोई हुई खुशी मिल रही थी. बेटी भी वापस अंधेरी गलियों में भटकने से बच गई थी. वह सहीसलामत घर लौट आई थी. बेटा भी मिल गया था. आज उन की हठधर्मिता टूट गई थी. उन्हें अपनी गलती का एहसास हो चुका था.

ऋचा ने आदित्य को बाहर खड़े देखा. वे समझ गईं कि अब कुछ कहने की जरूरत नहीं थी. वे सब सुन चुके थे. उन के पास जा कर भरे गले से बोली, ‘‘चलिए, बेटे को फोन कर दें और बहू के स्वागत की तैयारी

करें. आज हमें दोगुनी खुशी मिल रही है.ऐसा लग रहा है, जैसे घोंसले के पंछी वापस आ गए हैं. अब हमारा आशियाना वीरान नहीं रहेगा.’’ ‘‘हां, ऋचा,’’ आदित्य ने उसे बांहों के घेरे में लेते हुए कहा, ‘‘घोंसले के पंछी घोंसले में ही रहते हैं, डाल पर नहीं. प्रतीक को वापस आना ही था. हमारी बगिया के फूल यों ही हंसतेमुसकराते रहें. उन की सुगंध चारों ओर फैले और वे अपनी महक से सब के जीवन को गुलजार कर दे.

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