Hindi Stories Online : हुस्न का बदला

Hindi Stories Online : शीला की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और क्या न करे. पिछले एक महीने से वह परेशान थी. कालेज बंद होने वाले थे. प्रदीप सैमेस्टर का इम्तिहान देने के बाद यह कह कर गया था, ‘मैं तुम्हें पैसों का इंतजाम कर के 1-2 दिन बाद दे दूंगा. तुम निश्चिंत रहो. घबराने की कोई बात नहीं.’

‘पर है कहां वह?’ यह सवाल शीला को परेशान कर रहा था. उस की और प्रदीप की पहचान को अभी सालभर भी नहीं हुआ था कि उस ने उस से शादी का वादा कर उस के साथ… ‘शीला, तुम आज भी मेरी हो, कल भी मेरी रहोगी. मुझ से डरने की क्या जरूरत है? क्या मुझ पर तुम्हें भरोसा नहीं है?’ प्रदीप ने ऐसा कहा था.

‘तुम पर तो मुझे पूरा भरोसा है प्रदीप,’ शीला ने जवाब दिया था.

शीला गांव से आ कर शहर के कालेज में एमए की पढ़ाई कर रही थी. यह उस का दूसरा साल था. प्रदीप इसी शहर के एक वकील का बेटा था. वह भी शीला के साथ कालेज में पढ़ाई कर रहा था. ऐयाश प्रदीप ने गांव से आई सीधीसादी शीला को अपने जाल में फंसा लिया था.

शीला उसे अपना दोस्त मान कर चल रही थी. उन की दोस्ती अब गहरी हो गई थी. इसी दोस्ती का फायदा उठा कर एक दिन प्रदीप उसे घुमाने के बहाने पिकनिक पर ले गया. फिर वे मिलते, पर सुनसान जगह पर. इस का नतीजा, शीला पेट से हो गई थी.

जब शीला को पता चला कि उस के पेट में प्रदीप का बच्चा पल रहा है, तो वह घबरा गई. बमुश्किल एक क्लिनिक की लेडी डाक्टर 10 हजार रुपए में बच्चा गिराने को तैयार हुई. डाक्टर ने कहा कि रुपयों का इंतजाम 2 दिन में ही करना होगा.

इधर प्रदीप को ढूंढ़तेढूंढ़ते शीला को एक हफ्ते का समय बीत गया, पर वह नहीं मिला. शीला ने उस का घर भी नहीं देखा था. प्रदीप के दोस्तों से पता करने पर ‘मालूम नहीं’ सुनतेसुनते वह परेशान हो गई थी.

शीला ने सोचा कि क्यों न घर जा कर कालेज में पैसे जमा करने के नाम पर पिता से रुपए मांगे जाएं. सोच कर वह घर आ गई. उस की बातचीत के ढंग से पिता ने अपनी जमीन गिरवी रख कर शीला को 10 हजार रुपए ला कर दे दिए.

वह रुपए ले कर ट्रेन से शहर लौट आई. टे्रन के प्लेटफार्म पर रुकते ही शीला ने जब अपने सूटकेस को सीट के नीचे नहीं पाया, तो वह घबरा गई. काफी खोजबीन की गई, पर सूटकेस गायब था. वह चीख मार कर रो पड़ी. शीला गायब बैग की शिकायत करने रेलवे पुलिस के पास गई, पर पुलिस का रवैया ढीलाढाला रहा.

अचानक पीछे से किसी ने शीला को आवाज दी. वह उस के बचपन की सहेली सुधा थी.

‘‘अरे शीला, पहचाना मुझे? मैं सुधा, तेरी बचपन की सहेली.’’

वे दोनों गले लग गईं.

‘‘कहां से आ रही है?’’ सुधा ने पूछा.

‘‘घर से,’’ शीला बोली.

‘‘तू कुछ परेशान सी नजर आ रही है. क्या बात है?’’ सुधा ने पूछा.

शीला ने उस पर जो गुजरी थी, सारी बात बता दी. ‘‘बस, इतनी सी बात है. चल मेरे साथ. घर से तुझे 10 हजार रुपए देती हूं. बाद में मुझे वापस कर देना.’’ सुधा उसी आटोरिकशा से शीला को अपने घर ले कर पहुंची.

शीला ने जब सुधा का शानदार घर देखा, तो हैरान रह गई.

‘‘सुधा, तुम्हारा झोंपड़पट्टी वाला घर? तुम्हारी मां अब कहां हैं?’’ शीला ने सवाल थोड़ा घबरा कर किया.

‘‘वह सब भूल जा. मां नहीं रहीं. मैं अकेली हूं. एक दफ्तर में काम करती हूं. और कुछ पूछना है तुझे?’’ सुधा ने कहा, ‘‘ले नाश्ता कर ले. मुझे जरूरी काम है. तू रुपए ले कर जा. अपना काम कर, फिर लौटा देना… समझी?’’ कह कर सुधा मुसकरा दी.

शीला रुपए ले कर घर लौट आई. अगले दिन जैसे ही शीला आटोरिकशा से डाक्टर के क्लिनिक पर पहुंची, तो वहां ताला लगा था. पूछने पर पता चला कि डाक्टर बाहर गई हैं और 2 महीने बाद आएंगी. शीला निराश हो कर घर आ गई. उस ने एक हफ्ते तक शहर के क्लिनिकों पर कोशिश की, पर कोई इस काम के लिए तैयार नहीं हुआ.

हार कर शीला सुधा के घर रुपए वापस करने पहुंची.

‘‘मैं पैसे वापस कर रही हूं. मेरा काम नहीं हुआ,’’ कह कर शीला रो पड़ी.

‘‘अरे, ऐसा कौन सा काम है, जो नहीं हुआ? मुझे बता, मैं करवा दूंगी. मैं तेरी आंख में आंसू नहीं देख सकती,’’ सुधा ने कहा.

शीला ने सबकुछ सचसच बता दिया. ‘‘तू चिंता मत कर. मैं सारा काम कर दूंगी. मुझ पर यकीन कर,’’ सुधा ने कहा. और फिर सुधा ने शीला का बच्चा गिरवा दिया. डाक्टर ने उसे 15 दिन आराम करने की सलाह दी.

शीला बारबार कहती, ‘‘सुधा, तुम ने मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है. यह एहसान मैं कैसे चुका पाऊंगी?’’

‘‘तुम मेरे पास ही रहो. मैं अकेली हूं. मेरे रहते तुम्हें कौन सी चिंता?’’ शीला अपना मकान छोड़ कर सुधा के घर आ गई.

शीला को सुधा के पास रहते हुए तकरीबन 6 महीने बीत गए. पिता की बीमारी की खबर पा कर वह गांव चली आई. पिता ने गिरवी रखी जमीन की बात शीला से की. शीला ने जमीन वापस लेने का भरोसा दिलाया.

जब शीला सुधा के पास आई, तो उस ने सुधा से कहा, ‘‘मुझे कहीं नौकरी पर लगवा दो. मैं कब तक तुम्हारा बोझ बनी रहूंगी? मुझे भी खाली बैठना अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘ठीक है. मैं कोशिश करती हूं,’’ सुधा ने कहा.

एक दिन सुधा ने शीला से कहा, ‘‘सुनो शीला, मैं ने तुम्हारी नौकरी की बात की थी, पर…’’ कह कर सुधा चुप हो गई.

‘‘पर क्या? कहो सुधा, क्या बात है बताओ मुझे? मैं नौकरी पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं.’’ सुधा मन ही मन खुश हो गई. उस ने कहा, ‘‘ऐसा है शीला, तुम्हें अपना जिस्म मेरे बौस को सौंपना होगा, सिर्फ एक रात के लिए. फिर तुम मेरी तरह राज करोगी.’’

शीला ने सोचा कि प्रदीप से बदला लेने का अच्छा मौका है. इस से सुधा का एहसान भी पूरा होगा और उस का मकसद भी.

शीला ने अपनी रजामंदी दे दी. फिर सुधा के कहे मुताबिक शीला सजसंवर कर बौस के पास पहुंच गई. बौस के साथ रात बिता कर वह घर आ गई. साथ में सौसौ के 20 नोट भी लाई थी. और फिर यह खेल चल पड़ा. दिन में थोड़ाबहुत दफ्तर का काम और रात में ऐयाशी.

अब शीला भी आंखों पर रंगीन चश्मा, जींसशर्ट, महंगे जूते, मुंह पर कपड़ा लपेटे गुनाहों की दुनिया की बेताज बादशाह बन गई थी.

कालेज के बिगड़ैल लड़के, अमीर कारोबारी, सफेदपोश नेता सभी शीला के कब्जे में थे. एक दिन शीला ने सुधा से कहा, ‘‘दीदी, मुझे लगता है कि अमीरों ने फरेब की दुकान सजा रखी है…’’ इतने में सुधा के पास फोन आया.

‘‘कौन?’’ सुधा ने पूछा.

‘‘मैडम, मैं प्रदीप… मुझे शाम को…’’

‘‘ठीक है. 10 हजार रुपए लगेंगे. एक रात के… बोलो?’’

‘‘ठीक है,’’ प्रदीप ने कहा.

‘‘कौन है?’’ शीला ने पूछा.

‘‘कोई प्रदीप है. उसे एक रात के लिए लड़की चाहिए.’’ शीला ने दिमाग पर जोर डाला. कहीं यह वही प्रदीप तो नहीं, जिस ने उस की जिंदगी को बरबाद किया था.

‘‘दीदी, मैं जाऊंगी उस के पास,’’ शीला ने कहा.

‘‘ठीक है, चली जाना,’’ सुधा बोली.

शीला ने ऐसा मेकअप किया कि उसे कोई पहचान न सके. दुपट्टे से मुंह ढक कर चश्मा लगाया और होटल पहुंच गई.

शीला ने एक कमरा पहले से ही बुक करा रखा था, ताकि वही प्रदीप हो, तो वह देह धंधे के बदले अपना बदला चुका सके. प्रदीप नशे में झूमता हुआ होटल पहुंच गया.

‘‘मेरे कमरे में कौन है?’’ प्रदीप ने मैनेजर से पूछा.

‘‘वहां एक मेम साहब बैठी हैं. कह रही हैं कि साहब के आने पर कमरा खाली कर दूंगी. वैसे, यह उन्हीं का कमरा है. होटल के सभी कमरे भरे हैं,’’ कह कर मैनेजर चला गया.

प्रदीप ने दरवाजा खोल कर देखा, तो खूबसूरती में लिपटी एक मौडर्न बाला को देख कर हैरान रह गया.

‘‘कमाल का हुस्न है,’’ प्रदीप ने सोफे पर बैठते हुए कहा.

‘‘यह आप का कमरा है?’’

‘‘जी,’’ शीला ने कहा.

‘‘मैं आप का नाम जान सकता हूं?’’ प्रदीप ने पूछा.

‘‘मोना.’’

‘‘आप कपड़े उतारिए और अपना शौक पूरा करें. समय बरबाद न करें. इसे अपना कमरा ही समझिए.’’

इस के बाद शीला ने प्रदीप को अपना जिस्म सौंप दिया. वे दोनों अभी ऐयाशी में डूबे ही थे कि किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी.

प्रदीप मुंह ढक कर सोने का बहाना कर के सो गया.

शीला ने दरवाजा खोला, तो पुलिस को देख कर वह जोर से चिल्लाई, ‘‘पुलिस…’’

‘‘प्रदीप साहब, आप के खिलाफ शिकायत मिली है कि आप ने मोना मैडम के कमरे पर जबरदस्ती कब्जा जमा कर उन से बलात्कार किया है. आप को गिरफ्तार किया जाता है,’’ पुलिस ने कहा.

‘‘जी, मैं…’’ यह सुन कर प्रदीप की घिग्घी बंध गई.

पुलिस ने जब प्रदीप को गिरफ्तार किया, तो मोना उर्फ शीला जोर से खिलखिला कर हंस उठी और बोली, ‘‘प्रदीपजी, इसे कहते हैं हुस्न का बदला…’’

Romantic Story : मुहब्बत हो गई तुम से

Romantic Story : ‘‘अंकल, मैं युवान से शादी नहीं कर पाऊंगी. मैं यह शादी तोड़ रही हूं. प्लीज, युवान को बता दीजिएगा. आप का दिया हार और कंगन मैं अभी आप के औफिस में दे जाऊंगी. नमस्ते.’’

अपने मंगेतर युवान के पिता को फोन पर शादी से इनकार कर भाविषा को यों लग रहा था मानो उस के हाथपैरों से जान निकल गई हो. अतीव घबराहट से उस के हाथ पैर कांप रहे थे. दिल डूबा जा रहा था. वहीं दूसरी ओर उसे राहत का एहसास भी हो रहा था.

इन मिश्रित एहसासों में डूबतीउतराती भाविषा फोन काट कर बैड पर धम्म से बैठ गई. अनायास आंखों के सामने युवान का चेहरा कौंध आया. उस के हृदय में जैसे शूल चुभा.

युवान, उस का सब से प्यारा, अंतरंग दोस्त… प्रेमी… उफ, उस ने उसे क्या समझ और उस की असली फितरत क्या निकली? अनायास उसे खुशनुमा अतीत की रोशन यादों ने अपने आगोश में समेट लिया…

युवान से भविषा की पहली मुलाकात उस की दिल्ली यूनिवर्सिटी के वार्षिक फ्लौवर शो में हुई थी. उसे आज भी अच्छी तरह याद है, वह उन दिनों एमए प्रीवियस में थी और युवान एमए फाइनल में.

उस दिन भाविषा ने एक सफेद रंग की लौंग स्कर्ट और टौप पहना हुआ था. सफेद रंग उस का पसंदीदा रंग था. वह एक जूही के पौधे के पास जा कर पोज दे रही थी और उस की सहेली उस का फोटो खींच रही थी.

भाविषा एक तीखे नैननक्श की गोरीचिट्टी बेहद खूबसूरत युवती थी. सहेली ने उस के कुछ फोटो खींचे ही थे कि उस ने देखा, एक बांका सजीला नौजवान उस के पास आ कर पौधे पर खिलते जूही के फूलों की सुंदर पृष्ठभूमि में सैल्फी लेने लगा.

उसे अपने पास यों फोटो लेते देख भाविषा चिंहुक कर मुंह बनाते हुए वहां से हट गई. उसे यों दूर जाते देख वह मुसकराते हुए उस से बोला, ‘‘ओ… मिस बेला… जूही… कहां चलीं? अपना इंट्रोडक्शन तो देती जाइए. बाय द वे मैं युवान, एमए फाइनल में.’’

उस दिन के बाद से वह गाहेबगाहे उस से टकरा जाता. कभी लाइब्रेरी में तो कभी कैंटीन में, कभी कंप्यूटर लैब में तो कभी यूनिवर्सिटी के गलियारों में. जब भी वह उस से टकराता, उसे एक दिलकश मुसकान देता और उसे ‘मिस बेला जूही’ कह कर पुकारता.

एक दिन यूनिवर्सिटी औडीटोरियम में कोई कल्चरल फंक्शन था. आगेआगे अपनी एक सहेली के साथ प्रोग्राम देख रही थी कि तभी उसे लगा, कोई उस की बगल वाली खाली सीट पर आ कर बैठ गया. उस के कानों में वही चिरपरिचित आवाज पड़ी, ‘‘मिस बेला जूही, आप मुझ से यों इतना दूरदूर क्यों भागती हैं? भई मैं कोई सड़कछाप शोहदा तो नहीं जो आप मुझे देखते ही अपना रास्ता बदल लेती हैं. हम दोनों एक ही डिपार्टमैंट में हैं. मैं बस आप से दोस्ती करना चाहता हूं… जस्ट प्योर फ्रैंडशिप. दैट्स इट.’’

उस दिन उस की बातचीत के शिष्ट और नर्म लहजे ने आखिरकार भाविषा के मन में जगह बना ही ली और दोनों दोस्त बन गए.

वे दोनों यूनिवर्सिटी में कक्षा के बाहर हमेशा साथसाथ देखे जाते. वक्त के साथ आहिस्ताआहिस्ता दोनों के मन में प्रेम की अगन जलने लगी.

महज दोस्ती से शुरू हुआ उन का सफर कई पड़ावों को पार कर प्रेम के मुकाम तक पहुंच गया. दोनों जिंदगी का सफर साथसाथ बिताने के ख्वाब देखने लगे.

उन दोनों की माइक्रोबायलौजी में एमएससी पूरी हो गई थी. दोनों की जौब्स प्राइवेट सैक्टर में लग गई. अब उन के सपने पूरे करने का वक्त आ गया था.

भाविषा ने अपने मातापिता को युवान के मातापिता से शादी की बात करने के लिए भेजा. जहां युवान के पिता एक धनाढ्य उद्योगपति थे, वहीं भाविषा के पिता एक निजी प्रतिष्ठान में छोटे पद पर कार्यरत थे. वे महज एक सुपरवाइजर थे. अपनी सीमित बंधीबंधाई तनख्वाह में उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपने 2 बच्चों को पालापोसा था, उन्हें उच्च शिक्षा दिलाई थी.

भाविषा के मातापिता युवान के घर की शानशौकत देख चकरा गए. मन में असंख्य आशंकाएं फन उठाने लगीं. यदि लड़के वालों की कोई मांग हुई तो क्या होगा? वे इतने रईस लोगों से रिश्ता कैसे निभा पाएंगे?

युवान के घर का ड्राइंगरूम एक रंगारंग प्रदर्शनी से कम न था. विशालकाय हौल में 3 शानदार गद्देदार मखमली सोफे रखे थे. फर्श पर गुदगुदा कालीन बिछा था. दीवारों पर कई आदमकद पेंटिंग्स उन की शोभा बढ़ा रही थीं. हर कोने में मद्धिम रंगीन रोशनी बिखेरते लैंप थे. सीलिंग से बड़ेबड़े कलात्मक गड़ाई वाले फानूस लटक रहे थे.

ऐसे जबरदस्त ड्राइंगरूम में सस्ती सी सिंथैटिक साड़ी और पैंट शर्ट पहने भाविषा के मातापिता बेहद असहज महसूस कर रहे थे. सोच रहे थे, बेटी की जिद पर यहां आ तो गए लेकिन इतने धनाढ्य घर के कुलदीपक से अपनी बेटी के रिश्ते की बात किस दम पर चलाएं. उन की तुलना में तो वे कुछ भी नहीं. उन के पास मात्र उन की नाजों से पली लाखों में एक खूबसूरत लाडली थी लेकिन इस वैभव और आडंबर के बीच क्या उन की कनक छड़ी सी हीरे की कनि बिटिया अपनी पहचान बनाए रख पाएगी? उन्होंने कितने जतन से उसे पढ़ायालिखाया था. क्या उस की पढ़ाईलिखाई, उस की अस्मिता की कद्र उस सोने के संसार में हो पाएगी?

वे दोनों इन विचारों के सैलाब में डूबतेउतराते हुए खयाल मग्न थे कि तभी युवान के मातापिता बेटे के साथ वहां आ गए.

कडककलफ लगे पेस्टल आसमानी कुरतेपाजामे में सुदर्शन, भव्य शख्सियत के स्वामी युवान के पिता को देख भाविषा के पिता ने हकलाते हुए उन्हें नमस्ते की. उन की जीभ तालू से चिपक गई थी.

ठीक यही हाल भाविषा की मां का था. महंगी साड़ी और हीरों के गहनों में युवान की ठसकेदार मां को देख कुछ लमहों तक उन के मुंह से कोई बोल न फूटा. फिर अचकचाते हुए उन्होंने युवान की मां और पिता को नमस्ते की.

युवान के पिता पहले ही बेटे की भाविषा से विवाह की मंशा जान कर उस के माता, पिता और उन के परिवार की पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत पड़ताल करा चुके थे.

उन के अनुसार भाविषा जैसी गरीब परिवार की लड़की से उन के इकलौते बेटे का विवाह उन के लिए हर तरह से घाटे का सौदा साबित होगा. यह विवाह संबंध मखमल पर टाट के पैबंद सरीखा होगा. उन के उच्च वर्गीय आभिजात परिचय क्षेत्र में इस रिश्ते को ले कर उन की बहुत जगहंसाई होगी. सो वे और उन की पत्नी दृढ़ प्रतिज्ञ थे कि वे हर लिहाज से इस बेमेल शादी को कतई नहीं होने देंगे. पर युवान की भाविषा से विवाह की जिद्द के मद्देनजर वे यह भी जानते थे कि उन्हें इस मुद्दे को बहुत डिप्लोमैटिकली हैंडल करना होगा जिस से युवान को इस रिश्ते से होने वाले नफेनुकसान का जायजा हो जाए और वह स्वत: इस संबंध के लिए न कर दे.

बेटे के सामने युवान के मातापिता भाविषा के पेरैंट्स से बहुत शिष्टता और नरमाई से पेश आए. उन का यथोचित आदरसत्कार किया.

भाविषा के पिता ने डरतेडरते हाथ जोड़ कर भावी समधी से कहा, ‘‘समधीजी, मैं एक नौकरीपेशा ईमानदार इंसान हूं. एक निजी संस्थान में छोटी सी नौकरी करता हूं. किसी तरह पेट काट कर मैं ने दोनों बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई है. मेरी बेटी यूनिवर्सिटी की गोल्ड मैडलिस्ट है. उस के शील स्वभाव और शिक्षा संस्कार के अलावा आप को और कुछ न दे पाऊंगा. यदि आप को इस से ज्यादा की अपेक्षा हो तो मुझे माफ कीजिएगा.’’

‘‘नहींनहीं समधीजी, देख ही रहे हैं, कुदरत का दिया मेरे पास सबकुछ है. मुझे आप से कुछ भी नहीं चाहिए आप की गुणी बेटी के अलावा. हम अगले संडे आप के घर आते हैं बिटिया से मिलने.’’

‘‘जी मोस्ट वैलकम. आप तीनों अवश्य हमारे घर पधारें. हम आप का वेट करेंगे.’’

अगले रविवार युवान अपने मातापिता के साथ भाविषा के घर पहुंचा. भाविषा का छोटा सा दीनहीन 2 कमरों का दड़बेनुमा फ्लैट देख युवान का चेहरा भी उतर गया. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था, भाविषा का घर इतना फटेहाल होगा. उस के ड्राइंगरूम में महज बेंत की 3 कुरसियां रखी थीं और एक लकड़ी की सस्ती सी चादर से ढका दीवान रखा था. उस के घर की बदहाली देख युवान सोच रहा था, ‘यह वह कहां फंस गया? उसे ताउम्र इस कंगाली के ग्रहण लगे घर में आना होगा?’

अलबत्ता अपनी प्रेयसी भाविषा को देख उस के मन को तनिक सुकून अवश्य मिला. उस की मां श्यामवर्णी स्थूलकाय महिला थीं. नैननक्श भी साधारण थे. उस की बहन भी हूबहू मां जैसी थी. उन दोनों के सामने उस का भोर का उजास फैलाता नाजुक कली सा नमकीन रूपसौंदर्य देख उस ने अपने मन को समझाया, ‘बड़ी, भाविषा का घर जैसा भी हो, वह तो लाखों में एक है न. जो भी उसे देखेगा, उस से रश्क किए बिना न रहेगा. उसे जिंदगी तो उस के साथ बितानी है. उस के घर से उसे क्या लेनादेना.’

भविषा के मातापिता ने अपनी हैसियत से बढ़ कर उन का स्वागतसत्कार किया. घर के बने व्यंजन परोसे लेकिन उन के घर के सस्ते कप और प्लेटें देख तीनों आगंतुकों का मूड बदमजा हो गया.

युवान की मां ने म्लान मुख भाविषा को जगमग हीरे जड़े कंगन और हीरों का हार पहना कर उस का रोका कर दिया.

तीनों ही भाविषा के घर से अंतर्मन में चल रहे द्वंद्व में डूबे लौटे. जहां युवान के मन की मायूसी के बादल प्रिया के मासूम, भोलेभाले खूबसूरत चेहरे को देख कुछ हद तक छंट गए थे, वहीं उस की मां और पिता का इस शादी को किसी भी हालत में नहीं होने देने का संकल्प दृढ़ हो गया था. भाविषा बेशक नायाब हीरा थी लेकिन उस की कंगाल पृष्ठभूमि उन की उन के समाज में खासी जगहंसाई की वजह बनेगी जो वह हरगिजहरगिज नहीं होने देंगे.

रोके के अगले दिन युवान के औफिस जाने के बाद उस के पिता ने भाविषा के पिता को फोन लगाया, ‘‘समधीजी, मुझे आप से एक जरूरी बात करनी थी.’’

‘‘जी… जी… कहिए.’’

‘‘जी ऐसा है, हम 250 लोगों की बरात ले कर आएंगे. जैसाकि मैं ने आप को पहले ही कहा था, दहेज के नाम पर हमें आप से फूटी कौड़ी भी नहीं चाहिए. बस हमें शादी फाइवस्टार होटल में चाहिए. शादी की मिलनी में हर बराती को 10-10 ग्राम का एक सोने का सिक्का चाहिए होगा. हमारे खानदान में आज तक जितनी शादियां हुई हैं, सब में यह रीत निभाई गई है. तो विवश हमें आप के सामने यह मांग रखनी पड़ रही है. उम्मीद है, आप हमारी विवशता समझेंगे. ओके बाय…’’

उफ… यह क्या? हर बराती को 1-1 तोले का सिक्का… मन ही मन उन्होंने हिसाब लगाया. करीब 20 लाख का खर्च. फिर फाइवस्टार होटल में शादी. उस में लाखों का खर्च.

कल तो सबकुछ एक हसीं सपने जैसा बीता था. कल से वे 7वें आसमान में उड़ रहे थे यह सोचसोच कर कि उन की बेटी की शादी एक करोड़पति घर में बिना दानदहेज के एक सर्वगुणसंपन्न सुपात्र से हो रही है और आज अचानक उन की यह मांग.

समधीजी के ये अल्फाज उन के कानों में जैसे पिघले शीशे की मानिंद पड़े. घबराहट से उन के हृदय की धड़कन बढ़ आई. पेशानी पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आईं. हाथपैरों की जान निकल गई. वे धम्म से सामने पड़ी कुरसी पर बैठ गए.

पिता को भावी ससुर से बात करने के बाद इस हाल में देख भाविषा दौड़ीदौड़ी उन के पास आई और उन्हें झं?ाड़ते हुए बोली, ‘‘क्या हुआ पापा? अंकल ने क्या कहा?’’

पिता ने कांपते स्वरों में उसे समधीजी की मांग के बारे में बताया. सारी बातें सुन कर भाविषा सन्न रह गई. उस ने पिता को सांत्वना दी, ‘‘पापा, आप चिंता मत करिए. मैं अभी युवान से बात करती हूं. आप सबकुछ नहीं करेंगे. निश्चिंत रहिए. मुझे युवान पर पूरा भरोसा है. वह जरूर इस का कुछ न कुछ तोड़ निकालेगा. आप फिकर मत करिए. मैं अभी उस से बात करती हूं.’’

भाविषा ने युवान को तुरंत एक रैस्टोरैंट में बुलाया और उसे उस के पिता की मांग बताई. फिर बोली, ‘‘युवान, मेरे पापा तुम लोगों की मांग किसी हालत में पूरी नहीं कर पाएंगे. हम न तो फाइवस्टार होटल में शादी अफोर्ड कर पाएंगे, न ही 250 बरातियों को मिलनी में सोने के सिक्के दे पाएंगे. प्लीज, अपने पापा को सम?ाओ.’’

‘‘अरे यार, यह तुम कहां होटल और सोने के सिक्कों की बात ले कर बैठ गई. ये बातें बड़ों के करने की हैं हनी, इन से हम दोनों दूर ही रहें तो अच्छा है. बड़ों की बातें बड़े ही जानें,’’ युवान ने कंधे उचकाते हुए बेहद लापरवाही से जवाब दिया और फिर अपने बिंदास बेपरवाह लहजे में बोला, ‘‘देखो तो मौसम कितना सुहाना हो रहा है, चलो अब औफिस से हाफ डे लिया है तो उस का सदुपयोग ही हो जाए. चलो, लौंग ड्राइव पर चलते हैं.’’

‘‘यहां मेरे पापा सोचसोच कर हलकान हो रहे हैं कि इतना सबकुछ मैनेज कैसे होगा और तुम्हें लौंग ड्राइव की पड़ी है. बात की गंभीरता को समझ  युवान, यह कोई मामूली बात नहीं. अगर तुम ने इस लेनदेन के मुद्दे पर सीरियस स्टैंड नहीं लिया तो सब खत्म हो जाएगा.’’

‘‘भई मैं क्या सीरियस स्टैंड लूं? तुम क्या चाहती हो मैं अपने पेरैंट्स से लड़ूं? अरे, अपने बच्चों की शादीब्याह में हर पेरैंट की कुछ चाहत होती है. भई मैं तो उन से कुछ नहीं बोल सकता. अब बोलो, तुम ड्राइव पर मेरे साथ आ रही हो या नहीं? नहीं तो मैं दोस्तों की तरफ निकल जाता हूं. तुम लड़कियां भी न. अजीब ही होती हैं. हर बात में तुम लोगों को टांग अड़ाने की आदत होती है. अरे बड़े लोग इस समस्या का कुछ न कुछ तोड़ निकाल ही लेंगे. इतनी टैंशन की क्या बात है? चिल यार.’’

‘‘तो तुम इस मसले पर उन से कुछ नहीं बोलोगे? यह तुम्हारा फाइनल डिसीजन है?’’ इस बार भाविषा ने युवान को आग्नेय नेत्रों से घूरते हुए कहा.

इस पर युवान ने तनिक रोष से कहा, ‘‘नहीं, मैं उन से कुछ नहीं बोलूंगा. वे दोनों उन की मरजी के विरुद्ध तुम से शादी करने की बात पर मुझ से वैसे ही खफा हैं. अब मैं उन्हें और नाराज करने की हिम्मत नहीं कर सकता.’’

भाविषा ने तनिक देर सोचा और फिर आंखों से चिनगारियां बरसाते हुए गुस्से से दांत भींचते हुए युवान से कहा, ‘‘तो हमारी शादी कैंसिल. मैं तुम जैसे स्पाइनलैस इंसान से कतई शादी नहीं कर सकती. गुड बाय युवान, मु?ा से कौंटैक्ट करने की कोशिश मत करना. मैं तुम्हें फोन पर ब्लौक कर रही हूं. अपनी लाइफ से भी,’’ कहते हुए भाविषा क्रोध से लंबीलंबी सांसें लेते हुए वहां से पैर पटकते तेज चाल से चली गई.

युवान हैरान उसे जाते देख चिल्लाया, ‘‘भाविषा… सुनो तो, भाविषा…’’ कहते हुए वह उस के पीछेपीछे आया लेकिन वह अपने स्कूटर पर वहां से जा चुकी थी.

वहां से वह सीधी औफिस पहुंची और एक रिपोर्ट बनाने लगी लेकिन आज उस का मन उस के आपे में न था. वह रिपोर्ट के विभिन्न तथ्यों को क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित नहीं कर पा रही थी. बारबार गलतियां कर रही थी. मन पखेरू बारबार युवान के साथ बीते खुशनुमा दिनों के सायों में भटकने लगता.

किसी तरह सप्रयास रिपोर्ट बना कर वह उसे अपने युवा बौस अभिजीत के कैबिन में ले गई और उन्हें थमा दी.

‘‘भाविषा, कोई परेशानी हो तो बताइए. आप की रिपोर्ट्स तो हमेशा परफैक्ट होती हैं. मैं पूरे स्टाफ को आप की रिपोर्ट्स का उदाहरण देता हूं. आज आप मुझे बहुत परेशान दिख रही हैं. कोई परेशानी हो तो प्लीज बताइए. शायद मैं आप की कोई मदद कर सकूं?’’

‘‘नहीं… नहीं… सर, ऐसी कोई बात नहीं. दीजिए, मैं इसे ठीक कर के ले आती हूं,’’ यह कहते ही जैसे ही वह सीट से उठी, घोर तनाव से उसे चक्कर आने लगा और वह लड़खड़ाते हुए आंखें बंद कर बैठ गई.

‘‘भाविषा, क्या हुआ? आप ठीक तो हैं?’’

‘‘जी… जी… सर, ठीक हूं.’’

‘‘नहीं… नहीं… आप बिलकुल ठीक नहीं हैं. आप का चेहरा एकदम उतर गया है. आप यहीं बैठिए और मु?ो बताइए क्या परेशानी है. शायद आप के मन का बो?ा हल्का हो जाए,’’ अभिजीत ने उसे जबरदस्ती वहीं बैठा लिया और उस के लिए कौफी मंगवाई.

फिर उस से पूछा, ‘‘हां तो अब बताइए.’’

भाविषा और अभिजीत पिछले 5 वर्षों से साथसाथ काम कर रहे थे. उस नाते दोनों में आप सी अच्छी ट्यूनिंग थी. अभिजीत को भाविषा और युवान के प्रेमप्रसंग के बारे में अच्छी तरह पता था.

भाविषा ने अभिजीत के बहुत आग्रह करने पर उसे पूरा घटनाक्रम विस्तार से बताया जिस के जवाब में उस ने उस से कहा, ‘‘आप ने बिलकुल सही निर्णय लिया. आप को ऐसी डिमांड वाले लालची लोगों में अपना रिश्ता कतई नहीं करना चाहिए.’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं अभिजीत, मेरा भी यही मानना है. मैं खुद भी ऐसे इंसान से शादी नहीं करना चाहती जो मेरी परेशानी को न समझे.’’

‘‘बिलकुल, अभी आप घर जा कर रैस्ट करिए. आप नौर्मल नहीं लग रहीं.’’

अपने घर पहुंच भाविषा ने पहला काम जो किया वह था युवान के पिता को फोन कर उन्हें शादी के लिए इनकार करना.

यह काम कर के भाविषा बैठी ही थी कि उस के पिता ने उस से कहा, ‘‘यह तूने क्या किया बिटिया? शादी तोड़ दी? अरे बेटा, इतनी जल्दी क्या थी? मैं तो सोच रहा था अपना मकान बैंक के पास गिरवी रख उन से लोन ले लेता. कुछ न कुछ इंतजाम हो ही जाता.’’

पिता के आर्द्र स्वर को सुन भाविषा अतीत से वर्तमान में वापस आई.

‘‘मुझे  एक स्पाइनलैस इंसान से शादी नहीं करनी. युवान ने मेरी कोई मदद नहीं की. मुझे टका सा जवाब दे दिया. मैं ने फैसला कर लिया है पापा, यह शादी नहीं होगी,’’ कहते हुए वह घोर मानसिक संताप से आंखों में उमड़ आए आंसुओं के समंदर को सप्रयास भीतर ही भीतर जज्ब करते हुए भीतर चली गई और फूटफूट कर रो पड़ी. शहनाई की खुशियां मातम में बदल गई थीं.

दिन बीत रहे थे. युवान को भूलना इतना आसान न था. वह भाविषा का पहला प्यार था. उस ने उसे प्यार के खूबसूरत जज्बे से रूबरू कराया था, मुहब्बत की दुरूह राहों पर उंगली थाम कर चलना सिखाया था लेकिन जिंदगी कब किस के लिए रुकी है?

युवान से रिश्ता तोड़े पूरा बरस हो आया था. युवान से दूर हो कर भाविषा का मन मर सा गया था. जिंदगी जीने का उछाह खत्म हो गया था. वह एक मशीनी जिंदगी जी रही थी लेकिन उस मुश्किल समय में अभिजीत ने उस का बहुत साथ दिया. अपनी सहृदयता और मृदु स्वभाव से वह धीमेधीमे उस के दिल में जगह बनाने लगा था. दोनों के मध्य औपचारिकता की दीवार धीरेधीरे टूट गई थी और दोनों बहुत अच्छे और करीबी दोस्त बन गए थे. उस की और मातापिता की गरमाहट भरी सपोर्ट के दम पर भाविषा भी अपने ब्रेकअप के गम से लगभग उबर आई थी.

उस दिन किसी नेता की आकस्मिक मृत्यु के चलते औफिस खुलते ही बंद हो गया. औफिस से निकलतेनिकलते अभिजीत ने भाविषा से कहा, ‘‘भाविषा, मुझे तुम से कुछ बहुत जरूरी बात करनी है.’’

‘‘कहो अभिजीत.’’

‘‘चलो, कहीं बैठ कर कौफी पीते हैं.’’

दोनों एक रैस्टोरैंट में जा कर बैठ गए.

‘‘भाविषा, मैं तुम से शादी करना चाहता हूं. मुझ से शादी करोगी?’’

‘‘क्या… क्या… क्या… शादी?’’ भाविषा अचकचाते हुए बोली.

‘‘हां भाविषा शादी. मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं भाविषा, दिलोजान से चाहने लगा हूं. तुम्हारे साथ जिंदगी का 1-1 लमहा बिताना चाहता हूं. बोलो, मेरी हमसफर बनोगी?’’ अभिजीत ने उस की आंखों में झांकते हुए कहा.

‘‘मुझे… मुझे थोड़ा समय चाहिए.’’

‘‘ओके… ओके… जितना समय चाहिए ले सकती हो. मुझे कोई जल्दी नहीं.’’

‘‘हां, एक बात, तुम हां कहो उस से पहले मैं तुम्हें अपना घर दिखाना चाहता हूं. आज चलें घर?’’

‘‘हां चलो, आज अपने पास टाइम भी है.’’

दोनों अभिजीत के घर पहुंचे. उस का घर देख भाविषा के चेहरे पर तनिक मायूसी के भाव आ गए.

‘‘मेरा घर बहुत छोटा है भाविषा, शादी के बाद हमें इसी घर में रहना होगा. रह लोगी इतने छोटे घर में?’’

‘‘यह कोई समस्या नहीं. मेरा घर भी बहुत छोटा है, तुम्हारे घर से भी छोटा.’’

भाविषा की बात सुन कर अभिजीत के चेहरे पर राहत के भाव आ गए.

यह देख कर भाविषा मुसकरा दी, ‘‘अगर हम दोनों शादी करें तो हमारे बीच कुछ भी परदे में नहीं होना चाहिए. मैं रिश्तों में ट्रांसपेरैंसी में विश्वास करती हूं.’’

‘‘तुम ने तो मेरे मुंह की बात छीन ली. बिलकुल सही कहा तुम ने.’’

तभी अभिजीत के पेरैंट्स उन के ड्राइंगरूम में आ गए. अभिजीत ने भाविषा से उन का परिचय कराया.

अभिजीत की मां ने उसे बड़ी गरमाहट से अपने से लगा कर आशीर्वाद दिया. उस के पिता ने भी उसे आशीर्वाद दिया.

तभी उस की मां ने अभिजीत से कहा, ‘‘बेटा, जा अपनी दादी और चाचाचाची को बुला ला.’’

दादी और चाचाचाची को उस के आने की खबर लग गई थी. चाची उन के लिए गरमगरम हलवा ले कर आई. सब से पहले दादी ने भाविषा की बलैयां लेते हुए उस का मुंह मीठा कराया और फिर उसे अपने गले से लगा कर आशीर्वाद दिया.

अभिजीत की मां ने भी उसे अपने हाथ से बड़े प्यार से खिलाते हुए कहा, ‘‘तुम पहली बार हमारे घर आई हो, मुंह मीठा कराना तो बनता है.’’

चाची ने भी यही कहते हुए बड़े स्नेह से उसे हलवा खिलाया.

तभी अभिजीत की 2 बहनें और चाचा के

3 बच्चे वहां आ गए और उस से बड़ी ही गरमजोशी से मिले.

अभिजीत ने अपनी बहनों और कजिंस से कहा, ‘‘चलो, भाविषा को अपना पूरा घर दिखाते हैं.’’

अभिजीत ने उसे 5 छोटेछोटे कमरों का घर दिखाया. फिर अभिजीत उस के कानों में फुसफुसाया, ‘‘मेरी दोनों बहनों की शादी अगले माह ही है. तो बहनों के जाने के बाद उन का यह रूम हमें मिल जाएगा.’’

भाविषा सब के साथ करीब 2 घंटे रही. उसे यह महसूस ही नहीं हुआ कि वह अभिजीत के घर वालों से पहली बार मिली है. उसे अभिजीत के घर वाले खासकर दादी और उस के पेरैंट्स बेहद अच्छे लगे. अपनी जिंदगी की बेहतरीन दोपहरी उन के साथ बिता वह अपने घर लौटी.

अभिजीत भाविषा को उस के घर ड्रौप करने आया और उस के मातापिता से मिला. वहीं उस ने उन सब को बताया कि उस के ऊपर खुद उस के अपने परिवार और दादी, चाचा, चाची और उन के 3 बच्चों की जिम्मेदारी है. उस के चाचा एक दुर्घटना के बाद से डिप्रैशन में चले गए थे और वे कुछ काम नहीं करते.

अभिजीत के जाने के बाद भाविषा ने अपने पेरैंट्स को उस के विवाह प्रस्ताव के बारे में बताया. अभिजीत के छोटे से घर और उस के घर वालों के सहृदय और मृदु स्वभाव के बारे में बताया.

देर रात तक बहुत सोचविचारने के बाद भाविषा ने फैसला ले लिया कि वह अभिजीत से शादी करेगी. 5 बरसों के साथ में बहुत सोचने पर भी उसे उस की शख्सियत में ढूंढ़े से भी कोई कमी न दिखी.

भाविषा के मातापिता ने उसे समझने की कोशिश की कि अगर वह अभिजीत से शादी करती है तो उसे भी अभिजीत के साथ उस के पूरे घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी, इसलिए वह भावनाओं में न बहे और बहुत सोचविचार कर अभिजीत से शादी का निर्णय ले.

अभिजीत के घर वालों को इतने अपनेपन और प्यार से एक छत के नीचे रहते देख वह उन सब के सोने से खरे मीठे स्वभाव के प्रति आश्वस्त हो गई थी कि जिम्मेदारियों के बावजूद अभिजीत के साथ उस की जिंदगी खासी सुखद होगी.

सुबह औफिस में अभिजीत के कैबिन में जाने पर उस ने भाविषा से कहा, ‘‘मैडम, इस नाचीज को आप ने अधर में लटका रखा है. प्लीज, अपना फैसला सुनाने की जहमत करें.’’

‘‘अरे इतनी जल्दी क्या है जनाबे आली, थोड़ी प्रतीक्षा करें. फैसला भी आ जाएगा,’’

प्यार के मीठे जज्बे से लबालब अपनी आंखों

को शैतानी से गोलगोल घुमाते हुए भाविषा ने जवाब दिया.

‘‘अच्छाजी, तो यह बात है. मुझे मेरा जवाब मिल गया.’’

‘‘मेरे बिना कुछ बोले? हुजूर हम ने अच्छेअच्छों को ओवर कौन्फिडैंस से मात खाते हुए देखा है.’’

‘‘मैडम, इस नाचीज को लिफाफे से उस के मजमून की खबर लग जाती है.’’

‘‘अच्छाजी, इतना भरोसा?’’ भाविषा ने इस बार खिलखिलाते हुए पूछा.

‘‘जी… जी… आप की इन झील सी गहरी आंखों ने आप का राज उगल दिया,’’ कहते हुए अभिजीत ने भाविषा के हाथ पर अपना हाथ रख दिया. दोनों प्रेमियों के चेहरे शिद्दत की मुहब्बत की रोशनी से दमक उठे.

Best Kahani : प्यारा रिश्ता

Best Kahani :  प्रिया की नजरें बाहर टिकी थीं जहां उस का नया हस्बैंड नीरज उस की बेटी कनु को साइकिल सिखा रहा था. कनु के चेहरे पर डर के साथसाथ एक प्यारी सी मुसकान भी थी. नीरज ने उसे पीछे से पकड़ रखा था और लगातार उस के साथ चल रहा था. तभी कनु की साइकिल डगमगाई और वह साइकिल छोड़ कर नीरज की बांहों में आ गिरी. नीरज उसे संभालता खड़ा हुआ. उस समय कनु बिलकुल नीरज के करीब थी.

नीरज ने कनु की बांहों को कस कर पकड़ा था. इधर प्रिया कसमसाई सी उठी और बेचैनी से ड्राइंगरूम में ही टहलने लगी. कमरे में लगे बड़े से मिरर में उस ने खुद को निहारा. समय और परिस्थितियों की मार ने कहीं न कहीं उस की खूबसूरती में कुछ कमी ला दी थी. उम्र का असर उस की स्किन पर दिखने लगा था, जबकि उस की 15 साल की बेटी कनु बिलकुल नाजुक कली सी कोमल थी. युवावस्था की दहलीज की तरफ कदम बढ़ाता उस का शरीर आकर्षक रूप ले रहा था. नीरज भी कोई कम हैंडसम नहीं था. उस के आकर्षक व्यक्तित्व के जादू में बंध कर ही प्रिया ने दूसरी शादी इतनी जल्दी कर ली थी.

‘‘कनु इधर आ जल्दी. बहुत हो गई मस्ती.  चलो और कमरे में जा कर पढ़ाई करो,’’ प्रिया ने बालकनी में आ कर बेटी को आवाज लगाई फिर पति को संबोधित करती हुई बोली, ‘‘नीरज, मैं ने आप से कहा था न कि आज शौपिंग के लिए जाना है और आप यहां लगे हो कब से.’’

‘‘अरे मैडम अपनी बेटी को साइकिल चलाना सिखाना भी तो जरूरी है न बस वही कर रहा था.’’

प्रिया की सख्त आवाज सुन कर कनु चुपचाप अंदर आ गई और नीरज भी साइकिल रखता हुआ प्रिया से बोला, ‘‘चलो तुम्हारी शौपिंग करा दूं पर तुम तो तैयार भी नहीं.’’

‘‘2 मिनट घर में बैठ कर मु?ा से बात कर लोगे तो कुछ हो नहीं जाएगा. जब देखो कनु में ही लगे रहते हो,’’ प्रिया ने चिढ़ कर कहा.

नीरज ने अचरज से पत्नी की तरफ देखा, ‘‘बेटी से ईर्ष्या?’’

प्रिया ने मुंह बनाते हुए कहा, ‘‘बकवास बंद करो और मेरे लिए चाय बनाओ. तब तक मैं तैयार होती हूं,’’ कह कर प्रिया अपने कमरे में तैयार होने चली गई. उसे बारबार नीरज के शब्द चुभ रहे थे. पर अभी नीरज ने जो कहा वह सच ही तो था. उसे अपनी ही बेटी से ईर्ष्या होने लगी थी या कहिए एक तरह का डर लगने लगा था. पर इस डर को वह किसी से शेयर भी नहीं कर सकती थी. खुद अपनी बेटी या पति से भी नहीं.

कनु पिछले महीने ही ऐग्जाम खत्म होने पर घर लौटी थी वरना वह होस्टल में रह कर पढ़ाई कर रही थी. अपनी मां के जीवन में आए उतारचढ़ावों से दूर वह अपनी दुनिया में मगन थी. मगर जब एक दिन उस ने सुना कि उस की मां सैकंड मैरिज कर रही हैं तो सौतेले पिता का खौफ उस के दिल में घर कर गया. कुछ दिन वह परेशान सी रही.

इसी बीच एक दिन नीरज उस से मिलने आए और तब उसे महसूस हुआ कि उस के सौतेले पिता तो बहुत अच्छे हैं. इसी वजह से वह छुट्टियों में घर आने की हिम्मत जुटा सकी. वह घर आई तो नीरज ने उसे पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. हमेशा पिता के रूप में उस के साथ खड़ा रहा. समय के साथ दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करने लगे. मगर प्रिया को बापबेटी के इस प्यार में वासना की ?ालक मिल रही थी और इसी वजह से वह परेशान रहती थी.

लता यही वजह है कि उस ने बेटी को छोटे या मौडर्न कपड़े पहनने से यह कह कर रोक दिया था कि तुम अब बड़ी हो गई हो. उस के लिए बड़ी बाजू की बिलकुल लाइट कलर की कुरतियां ला दी थीं. बेटी को मां का यह व्यवहार अजीब लगने लगा था. यही नहीं प्रिया हर समय उसे टोकाटाकी करने लगी थी. कनु जब भी नीरज के साथ होती तो प्रिया उसे किसी न किसी बहाने अपने पास बुला लेती.

‘‘मम्मी मुझे स्वीमिंग सीखनी है. मैं घर में बोर हो जाती हूं,’’ एक दिन कनु ने अपने मन की इच्छा बताई.

प्रिया कुछ कहती उस से पहले नीरज बोल पड़ा, ‘‘अरे वाह बेटे स्वीमिंग तो मुझे भी बहुत पसंद है. ऐसा करो कल से मैं औफिस के बाद तुम्हें स्वीमिंग क्लासेज ले चलूंगा.’’

‘‘औफिस के बाद शाम में कनु को ले जाने की क्या जरूरत? मैं दिन में इसे ले कर चली जाऊंगी. आप औफिस पर ध्यान दो,’’

कह कर प्रिया कनु का हाथ पकड़ कर किचन में ले आई.

‘‘स्वीमिंग, साइकिलिंग, पेंटिंग, डांसिंग के बजाए कभी कभी कुकिंग भी सीखने की कोशिश कर. लड़की है तू पर किचन

में कभी आती नहीं है.

चल चाय बना कर पिला,’’ प्रिया उसे डांट लगाते हुए बोली.

कनु को किचन में छोड़ कर प्रिया नीरज के पास लौटी. उसे घूरते हुए बोली, ‘‘हर समय कनु के आगे पीछे क्यों घुमते हो? क्या मु?ा में कोई कमी है? क्या मैं ने तुम्हें हर खुशी नहीं दी?’’

‘‘कहना क्या चाहती हो प्रिया? कनु बिन बाप की बच्ची है. उसे यह न लगे कि सौतेला पिता खराब होता है इसलिए उसे हर खुशी देना चाहता हूं. उसे हौसला देना चाहता हूं कि वह अकेली नहीं.’’

‘‘इतना भोला बनने की कोशिश मत करो नीरज. क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम कनु के मासूम रूप के पीछे दीवाने हो रहे हो? मधुमक्खी की तरह चिपके रहते हो उस से.’’

‘‘प्रिया खबरदार जो ऐसी बात की,’’ कहते हुए नीरज ने उसे चांटा रसीद कर दिया.

प्रिया को ऐसे रिएक्शन की अपेक्षा नहीं थी. उधर आवाज सुन कर कनु भी किचन से ड्राइंगरूम में आ गई. बेटी को देख कर दोनों चुप हो गए और ऐसी ऐक्टिंग करने लगे जैसे कुछ न हुआ हो.

उस दिन घर का माहौल कुछ सही नहीं था. नीरज रात को अपने कमरे में खामोश बैठा था तो प्रिया की बेचैनी भी खत्म नहीं हो रही थी. उधर कनु भी अपनी उल?ानों में खोई थी.

रात को नीरज को नींद नहीं आ रही थी. उस ने कभी सोचा भी न था कि प्रिया अपनी बेटी को ले कर ऐसा इलजाम लगा सकती है. वह बालकनी में निकल कर टहलने लगा. कनु भी जगी हुई थी. वह पानी लेने के लिए उठी तो पिता को बाहर देख करउधर ही आ गई.

नीरज कनु को देख कर थोड़ा चौंका फिर बोला, ‘‘क्या बात है बेटा आप सोए नहीं?’’

कनु पिता के गले लगती हुई बोली, ‘‘पापा आप बहुत अच्छे हो. मैं ने कभी सोचा नहीं था कि मुझे आप के जैसे पापा मिलेंगे. आई लव यू.’’

नीरज ने भी उस का माथा सहलाते हुए आई लव यू कहा. तभी पीछे से प्रिया वहां आ गई. उन्हें गले लगे देख कर वह अपना आपा खो बैठी और अनापशनाप चिल्लाने लगी.

प्रिया नीरज पर तोहमत लगाती हुई बोली, ‘‘तुम्हें लज्जा नहीं आई अपनी बेटी की उम्र की लड़की से इश्क फरमा रहे हो और कनु तुझे जरा भी एहसास है कि तू क्या कर रही है?’’

अचानक मां के इन इलजामों को सुन कर कनु को समझ नहीं आया कि यह क्या हो रहा है. वह घबराते हुए पीछे हट गई और उस की आंखों से आंसू बह निकले.

नीरज का पारा चढ़ गया. वह चिल्लाता हुआ बोला, ‘‘तुम कैसी औरत हो प्रिया, अपनी ही मासूम बच्ची पर ऐसी ओछी तोहमत लगा रही हो? कितनी घटिया सोच है तुम्हारी. लानत है तुम पर. बहुत हो गया. मैं तुम्हारे साथ अब नहीं रह सकता. मैं तुम्हें और इस घर को छोड़ कर चला जाऊंगा प्रिया. कनु भी होस्टल चली जाएगी. फिर तुम रहना अकेले. तुम्हारी यही सजा है,’’ कहते हुए वह अपने कमरे में चला गया और

आंखें बंद कर लेट गया. उस की धड़कनें गुस्से में बढ़ी हुई थीं.

तभी कनु का मोबाइल बजा तो गुस्से में प्रिया ने पूछा, ‘‘इतनी रात को तुझे कौन फोन कर रहा है?’’

‘‘मुझे नहीं मालूम मम्मी,’’ कनु ने घबराते हुए कहा.

प्रिया ने उस का फोन औन कर के स्पीकर पर डाल दिया. मोबाइल पर एक क्रूर घटिया सी आवाज गूंजी, ‘‘कनिका डार्लिंग अरे बाबा कनु डार्लिंग सुन रही हो न? मैं हूं तेरी सहेली निभा के भाई का दोस्त और सुन मैं ने कहा था न तेरी एक चीज मेरे पास है… तो अभी मैं ने वही चीज तुझे भेजी है. जरा व्हाट्सऐप खोल और वह वीडियो देख. फिर बाहर निकल के आ जा मैं इंतजार कर रहा हूं.’’

यह सब सुन कर प्रिया की आंखें डर और आश्चर्य से फैल गईं. जल्दी से व्हाट्सऐप खोला. दोनों मांबेटी वीडियो देखते ही घबरा उठीं. उन का दिल धक से रह गया. तब तक फिर से फोन आया तो प्रिया ने उसे स्पीकर पर डाल दिया.

फिर वही घटिया आवाज गूंजी, ‘‘सुन कनु डार्लिंग यह वीडियो मैं ने अभी वायरल नहीं किया है पर किसी भी समय कर सकता हूं. अगर तू चाहती है कि मैं इसे वायरल न करूं तो बाहर आ जा और हमारे साथ एक लौंग ड्राइव पर चल. घर वालों को कुछ मत बताना चुपचाप आ जा बाहर.’’

‘‘यह सब क्या है? कौन बदतमीज हो तुम? मेरी बेटी का ऐसा वीडियो बनाने की तुम्हारी जुर्रत कैसे हुई?’’ प्रिया गुस्से में चीखी.

‘‘ओए आंटी ऐसीवैसी बातें न करना. तेरी लाडली की इज्जत मेरे हाथ में है. जरा सा ऊंचनीच बोला न तो वायरल कर दूंगा. धमकी नहीं दे रहा हूं सचाई बता रहा हूं. मुझ से तमीज से बात कर.’’

‘‘तु?ा से तमीज से बात करूं? तेरे जैसे घटिया आदमी से?’’ प्रिया चीख रही थी और कनु रो रही थी. यह सब सुन कर जल्दी से नीरज बाहर आया और पूछने लगा कि क्या हो रहा है.

तब दौड़ती हुई कनु आई और नीरज से लिपट गई, ‘‘पापा वह लड़का मेरा वीडियो बना कर मुझे ब्लैकमेल कर रहा है.’’

‘‘कैसा वीडियो?’’

‘‘पापा वह…’’ कनु से कुछ बोला नहीं

जा रहा था तो प्रिया बोल उठी, ‘‘घटिया लड़केने कनु का कपड़े बदलते हुए वीडियो बना लिया है.’’

तब कनु सारी बात बताते हुए बोली, ‘‘2 दिन पहले मैं अपनी सहेली निभा के घर गई थी. उस का बर्थडे था तो इसी बीच निभा के भाई के दोस्त ने मेरे ऊपर सौस गिरा दी. निभा ने मुझे दूसरे कपड़े दे कर कहा कि तू चेंज कर ले. बस वहां उस के बाथरूम में मैं ने कपड़े चेंज किए और जरूर उस लड़के ने वहां कैमरा छिपा रखा था. उस ने मेरा वीडियो बना लिया.’’

‘‘इतनी गिरी हुई हरकत करने वाले लड़कों को अभी मैं सही कर के आता हूं,’’ कहता हुआ नीरज बाहर निकला.

पीछे से प्रिया पुकारती रह गई, ‘‘अरे नहीं वे गुंडे हैं. उन के पास मत जाना,’’ लेकिन नीरज ने एक न सुनी और बाहर निकल कर उन्हें खोजने लगा.

थोड़ी दूर से आवाज आई, ‘‘अरे अंकल

तू क्यों आ गया? तेरी लड़की कहां है? तुझे किस ने बुलाया?’’

‘‘अभी बताता हूं मुझे किस ने बुलाया कमीनो,’’ कहता हुआ नीरज आगे बढ़ा तो 3 लड़के सामने आ गए. नीरज उन के ऊपर लातघूंसों के साथ टूट पड़ा. बहुत देर तक नीरज अकेले उन से मोबाइल छीनने और उन्हें वश में करने की कोशिश करता रहा. मगर वे 3 थे सो उन का पलड़ा ही भरा था. नीरज को काफी चोटें आ गई थीं. फिर भी वह उन से लगातार जूझ रहा था. तभी एक लड़के ने चाकू निकाला और उस के कंधे पर इतना तेज वार किया कि वह तिलमिला उठा और नीचे गिर पड़ा. तीनों लड़के बाइक ले कर भाग गए.

तब तक प्रिया बाहर आ गई थी. नीरज को संभालते हुए रोने लगी, ‘‘यह सब क्या किया तुम ने नीरज? गुंडों से भिड़ गए.’’

‘‘मैं गुंडो से भिड़ गया और तब तक भिड़ता रहूंगा जब तक इन कमीनों को ऊपर या अस्पताल न पहुंचा दूं. जो मेरी बच्ची की इज्जत से खेले उसे जीने का हक नहीं है. मैं कुछ गलत नहीं कर रहा.’’

‘‘नीरज प्लीज मेरी बात सुनो. चलो अभी तुम्हें अस्पताल ले कर जाना होगा.’’

प्रिया उसे अस्पताल ले कर गई. मरहमपट्टी के बाद शाम तक छुट्टी मिल गई.

प्रिया ने घर पहुंचते ही हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘नीरज, तुम्हें कुछ हो गया तो मैं जी नहीं पाऊंगी प्लीज इन सब में मत पड़ो.’’

‘‘तो क्या करूं बेटी को भेज दूं कमीनों के साथ या फिर उस की इज्जत के साथ खेलने दूं? उस वीडियो को वायरल करने दूं? छोड़ो फिर पुलिस को खबर कर देता हूं.’’

‘‘पर इस से भी कनु की बदनामी होगी.’’

‘‘तो ठीक है फिर मुझे मेरे हिसाब से बदला ले लेने दो. उन्हें चुप करने का मौका दो. मैं तीनों को अस्पताल पहुंचाऊंगा और वह वीडियो अपने हाथ से डैस्ट्रौय करूंगा,’’ नीरज बोला.

‘‘पर इस तरह आमनेसामने लड़ना सही नहीं. कोई और उपाय निकालो,’’ प्रिया ने कहा.

‘‘ठीक है कुछ और सोचता हूं.’’

फिर नीरज ने कनु से लड़के का पता मांगा. कनु ने अपनी सहेली से पूछ कर पिता को पता दे दिया और बताया कि वह सुबहसुबह शहर के दूसरे हिस्से में स्थित जिम जाता है.

अगले दिन सुबह जब सब सो रहे थे तो नीरज ने अपनी कार निकाली और उस की नंबर प्लेट चेंज कर दी. फिर उस लड़के के घर के बाहर छिप कर उस का इंतजार करने लगा. सुबह 8 बजे के करीब वह लड़का अपने दोस्त के साथ बाइक पर बैठ कर निकला तो नीरज उस का पीछा करने लगा. नीरज उस की बाइक के एकदम करीब पहुंचा और पुल के पास सुनसान सड़क देख कर उस की बाइक को अपनी गाड़ी से इतनी तेजी से धक्का मारा कि एक लड़का तो उसी समय कोमा में चला गया और दूसरा बुरी तरह घायल हो गया. नीरज ने दोनों लड़कों की जेब से मोबाइल निकाले और उन्हें बुरी तरह तहसनहस कर के पानी में फेंक दिया.

एक लड़का और जो उन का साथी था वह अभी बचा हुआ था. मगर उस के पास कोई वीडियो नहीं था. वह बस मजे लेने के लिए उन दोनों के साथ आया था. उस से कोई खतरा न देख कर नीरज ने अपनी तरफ से मामले को यहीं खत्म करने का फैसला लिया. अब न तो बांस था और न बांसुरी के बजने का डर क्योंकि मोबाइल के साथ वीडियो समाप्त हो चुका था.

प्रिया नीरज की एहसानमंद थी और समझ चुकी थी कि नीरज कनु को ले कर कितना सैंसिटिव है.

अगले दिन जब सारा मामला शांत हो गया तो प्रिया ने पूछा, ‘‘कनु की इज्जत के पीछे तुम ने अपनी जान की भी परवाह नहीं की. तुम्हें कुछ हो जाता तो?’’

‘‘तो मुझे कोई गिला न होता. मेरी बेटी मुझ से मदद मांग रही थी. मैं पिता हूं और उसे सुरक्षित रखना, उस की सुरक्षा करना मेरी जिम्मेदारी और मेरा प्यार है. अब तुम इस प्यार को जिस भी नजर से देखो. चाहे तुम्हें हम दोनों के बीच जो रिश्ता नजर आए पर मेरे लिए अपनी बेटी की इज्जत से बढ़ कर कुछ भी नहीं.’’

प्रिया नीरज के गले लग गई और आंसू बहाती हुई बोली, ‘‘नीरज मुझे माफ कर दो. इतने अच्छे पिता और इतनी प्यारी बेटी के बीच के रिश्ते को मैं ने गलत नजर से देखा.’’

कनु भी पिता के सीने से लगती हुई बोली, ‘‘पापा आप के जैसा पापा मैं ने कोई और नहीं देखा. मेरे अपने पापा भी ऐसे नहीं होते जैसे आप हैं.’’

नीरज ने खुशी से बांहें फैला कर दोनों को अपने से लगा लिया.

Korean Rice Roll : फैमिली के लिए बनाएं कोरियन राइस रोल

Korean Rice Roll :  हम आपको एक ऐसी ही डिश को बनाना बता रहे हैं जिसमें आपको देशी और विदेशी दोनों ही टेस्ट प्राप्त हो सकेंगे. कोरियन व्यंजन अपने तीखे और चटपटे टेस्ट के लिए जाने जाते हैं. यदि आप भी अपने डेली के भोजन में कुछ परिवर्तन चाहते हैं तो इस कोरियन डिश को अवश्य ट्राई कीजिये.

कितने लोगों के लिए            8

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

चावल का आटा                 2 कप

कॉर्नफ्लोर                        1/2 कप

नमक                              1/2 टीस्पून

घी                                   1 टीस्पून

पानी                                डेढ़ कप

साबुत लाल मिर्च              8

कटा लहसुन                   10 कली

अदरक किसा                  1 टीस्पून

बारीक कटा पत्ता गोभी      1 कप

बारीक कटी प्याज               1

बारीक कटा हरा प्याज          1 लच्छी

तेल                                   1 टेबलस्पून

विधि

साबुत लाल मिर्च के डंठल तोड़कर 1 घण्टे के लिए पानी में भिगो दें. चावल का आटा, कॉर्नफ्लोर और नमक को एक साथ छलनी से छान लें. पानी में घी डालकर उबालें. जब पानी में उबाल आ जाये तो चावल का आटा, कॉर्नफ्लोर और नमक को धीरे धीरे गर्म पानी में मिलाएं. ध्यान रखें कि पानी सिर्फ उतना ही मिलाएं जितने में आटा बंधने जैसा हो जाये. अब इसे आधे घण्टे के लिए ढक कर रख दें. लाल मिर्च को पानी में से निकालकर इन्हें आधे लहसुन और अदरक  के साथ मिक्सी में पीस लें. अब चावल के आटे को थोड़ा सा घी लगाकर मसल मसलकर चिकना कर लें. जब आटा एकदम लचीला हो जाये तो इससे लंबे लंबे 4 रोल बना लें. उबलते पानी के ऊपर छलनी में इन रोल्स को रखें और ढककर 20 मिनट तक तेज आंच पर पकाएं. ठंडा होने पर इन्हें 2 इंच लंबे टुकड़ों में काट लें. अब एक पैन में तेल डालकर बचा लहसुन और प्याज भूनें और कटा पत्ता गोभी और हरा प्याज डालकर 2-3 मिनट तेज आंच पर पकाएं. पिसा लाल मिर्च का पेस्ट डालकर पुनः 3-4 मिनट पकाएं. कटे रोल्स डालकर अच्छी तरह चलाएं. तैयार रोल्स को हरे प्याज से गार्निश करके सर्व करें.

Writer- Pratibha Agnihotri

Skin Care Tips : रिंकल फ्री स्किन की रखती हैं चाहत, तो भूलकर भी न करें ये गलतियां

Skin Care Tips :  बढ़ती उम्र का प्रभाव सब से पहले चेहरे पर ही दिखाई देने लगता है. चेहरे पर कब महीन रिंकल्स उभर आते हैं, इस का पता ही नहीं चलता. ये रिंकल्स चेहरे की चमक कम कर देते हैं, इसलिए ऐक्सपर्ट्स मानते हैं कि रिंकल्स को अवौइड नहीं करना चाहिए. रिंकल्स ही कुछ समय बाद एजिंग में बदलने लगते हैं. अकसर लोग 30-35 की उम्र के बाद ही रिंकल्स की समस्या को ले कर ऐक्सपर्ट्स के पास जाते हैं, लेकिन तब तक ट्रीटमैंट के लिए देर हो चुकी होती है. तब ट्रीटमैंट से सिर्फ 30% तक ही फायदा होता है. अगर आप 20-22 साल की उम्र से ही स्किन की केअर करेंगी तो रिंकल्स की समस्या आएगी ही नहीं.?

रिंकल्स होने के कारण

ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि रिंकल्स होने के 2 कारण होते हैं, जेनेटिक व ऐक्सटर्नल. यदि रिंकल्स जेनेटिक वजह से हैं तो उन्हें ठीक किया जा सकता है.

अगर आप अपने आहार संतुलन का पूरा ध्यान रखती हैं तो आप की त्वचा जवां नजर आती है. भोजन में विटामिन ए,सी और ई को बढ़ाने से त्वचा ग्लो करने लगेगी और टाइट भी रहेगी.

वजन कम होना: दूसरों की देखादेखी यदि डाइटिंग शुरू करने की सोची और खाना कम कर दिया है तो इस से भले ही शरीर कुछ स्लिमट्रिम हो जाए, पर वजन तेजी से कम होने के कारण आप की स्किन ढीली होने लगती है और स्किन पर रिंकल्स पड़ने लगते हैं, जो देखने में अच्छे नहीं लगते.

प्रदूषण: आप कहीं भी निकल जाइए, चारों तरफ प्रदूषण से जुड़ी ऐसी समस्याएं घेरे रहेंगी जो वास्तव में धीरेधीरे ऐसा बहुत कुछ चुरा लेती हैं जो बड़ी मुश्किल से हासिल होता है.

अल्ट्रावौयलेट किरणें: अल्ट्रावौयलेट किरणों से त्वचा में कोलेजन प्रोटीन कम हो जाता है और त्वचा पर रिंकल्स व एजिंग की समस्या होने लगती है.

नींद हो पूरी: 8 घंटे की गहरी नींद सोएं. अगर काम करने की विवशता हो, तो बीचबीच में उठ कर एकाध बार आंखों को ठंडे पानी से धोएं.

तनाव का न हो दबाव: तनाव से दूर रहें. स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से आप रिंकल्स से काफी सालों तक बच सकती हैं.

6 Days Working : काम के घंटे बढ़ने चाहिए

6 Days Working : सुबह 9 बजे से 9 बजे रात तक सप्ताह में 6 दिन काम करना सही है या गलत इस पर दुनियाभर में विवाद छिड़ गया है. यह वर्कर्स के हितों के खिलाफ माना जा रहा है और बहुत से मैनेजर क्वालिटी वर्क और क्वांटिटी टाइम की तुलना कर के इस कंसैप्ट को नकार रहे हैं.

यह ठीक है कि ज्यादा काम लोगों को थका सकता है पर यह न भूलें कि आज जो पक्के मकान और सामान से भरे मकान, बिजली, इंटरनैट, एअरकंडीशनिंग, गाडि़यां, रेलें, हवाईजहाज सब इसी 9/9/6 की देन हैं.

24 घंटों 365 दिनों मिलने वाली फैसिलिटीज अपनेआप चमत्कार से जमीन पर नहीं उतरीं. कहीं किसी ने जमकर काम किया, जबरन गुलाम बन कर या फिर अपनी इच्छा से तब जा कर ये सुविधाएं मिलीं.

अब हर सुविधा पा चुका जना चाहता है कि उस की जिंदगी या तो पुरोहितों की तरह हो जाए या राजाओं और उन के दरबारियों की तरह. यूरोप में 4 दिन का सप्ताह बारबार मांगा जा रहा है. वर्क फ्रौम होम का दावा ठोका जा रहा है. भरपूर सुविधाओं की तो मांग की जा रही है पर घर में बैठ कर वीडियो गेम्स खेलने या रेस्तरां में पैग पर पैग पीने का समय मांगा जा रहा है.

9/9/6 या 90 घंटे काम अव्यावहारिक हो, प्रैक्टिकल न हो पर यह जरूरी है कि काम के घंटे बढ़ें, अगर लोग ज्यादा सुविधाएं चाहते हैं. पहले के दौर में मानव ने आग और पशुओं को पालतू बना कर काम चलाया था, आज इंडस्ट्रीयलाइजेशन से लाभ मिल रहा है. इंडस्ट्रीयलाइजेशन प्रकृति के दोहन पर निर्भर थी, आज प्रकृति ने जवाब दे दिया है. अब यही लाइफस्टाइल बनाए रखने के लिए ज्यादा काम करना होगा.

चीन ने पिछले 40 सालों में बहुत तेजी से उन्नति की बिना जबरन, गुलाम लेबर के. यह लंबे घंटों के कारण हुआ. यूरोप ने दुनिया फतह की क्योंकि जहाजों पर चढ़ कर जाने वाले लोग घंटों के अनुसार काम नहीं करते थे. अमेरिका ने गुलामों से 90 घंटे काम कराया तो उसे सफलता मिली. श्रमिकों का हित चाहने वाली रूसी कम्युनिस्ट पार्टी ने काम को प्रैफरैंस न दे कर मुंह बंद रखने की नीति अपनाई

तो वह यूरोपीय देशों में सब से पिछड़ा रहा. भारत का तो कमाल ही है. यहां तो गुणगान उन का होता है जो 1000 वर्ष तक बिना कामधाम किए तपस्या कर के ईश्वर को खुश करते रहे थे. ऋषिमुनियों ने कभी काम नहीं किया पर समाज के ठेकेदार बने रहे. राजा भी या तो लड़ते थे या मौज करते या फिर पूजापाठ में समय बरबाद करते रहे हैं. आज फिर हम उसी रास्ते पर चल रहे हैं.

करोड़ों की तादाद में लोग पानी में एक डुबकी लगाने के लिए अपने दिन के 20-22 से ज्यादा घंटे बरबाद कर रहे हैं. वे  90 घंटे काम करने के विचार पर टिकेंगे नहीं तो क्या करेंगे. हमारी औरतें 90 घंटे सदियों से काम करती रही हैं पर किसी ने उन के लिए आंसू नहीं बहाए. सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तम काम करने पर उन्हें फटकार और मार ही मिलती थी. उन की तरह काम करने की बात पर पुरुष क्यों भड़क रहे हैं?

Sharvari का स्टाइलिश अवतार, आर्काइव अल्बर्टा फेर्रेत्ती गाउन में बिखेरा जलवा….

Sharvari : बौलीवुड की ‘राइजिंग स्टार’ के तौर पर पहचानी जाने वाली शर्वरी अपने शानदार अभिनय के साथसाथ बेहतरीन फैशन सेंस के लिए भी जानी जाती हैं. हाल ही में उन्होंने अल्बर्टा फेर्रेत्ती के रिसार्ट 2024 कलेक्शन से एक बेहद दुर्लभ गाउन पहनकर सभी को चौंका दिया. यह खूबसूरत कालम बस्टियर गाउन, जिसमें बारीक माइक्रो और मैक्रो सिक्विन एंब्रौयडरी की गई है, विशेष रूप से उनके लिए आर्काइव से मंगवाया गया था, जिससे यह एक एक्सक्लूसिव फैशन मोमेंट बन गया.

किसी भी अभिनेत्री के लिए इतना दुर्लभ आउटफिट पहनना किसी उपलब्धि से कम नहीं है. इस चमचमाते एंबेलिशमेंट और स्लिम फिट गाउन ने शर्वरी की सहज सुंदरता को और निखार दिया. अल्बर्टा फेर्रेत्ती के डिजाइनों की खासियत यही है कि वे स्त्री के मनोविज्ञान को खूबसूरती से दर्शाते हैं और उसे एक सजीव, लेकिन वास्तविक परिधान का रूप देते हैं. शर्वरी ने इस गाउन को पहनकर इस विजन को बखूबी जीवंत कर दिया.अगर वर्कफ्रंट की बात करे तो शरवरी आलिया भट्ट के साथ फिल्म अलफा में एक्शन पेक इमेज में नजर आएंगी.

Akshay Kumar के बेटे आरव कुमार को सेकंड हैंड कपड़े खरीदना है पसंद

Akshay Kumar : अक्षय कुमार ने अपने जीवन में काफी संघर्ष करके सफलता का मजा चखा है. 14 साल की उम्र में अक्षय कुमार पैसा कमाने के चक्कर में विदेश चले गए थे और वहां शेफ से लेकर मार्शल आर्ट सीखने तक कई सारे काम करके पैसे कमाए. बतौर एक्टर भी अक्षय कुमार ने काफी संघर्ष किया है. लेकिन अक्षय कुमार के बेटे जो सिल्वर स्पून के साथ आलीशान जिंदगी और अमीरी में पले बड़े हैं वह भी काफी हद तक अक्षय कुमार की तरह ही अपनी जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं,.

अक्षय कुमार के अनुसार उनके बेटे आरव बहुत ही साधारण जिंदगी जीते हैं , आरव को एक्टर नहीं बनना था क्योंकि वह फैशन डिजाइनर बनना चाहते थे. इसलिए आरव 14 साल की उम्र में ही लंदन पढ़ाई करने चले गए, अक्षय के अनुसार मैं उसको रोक नहीं पाया क्योंकि मैं खुद 14 साल की उम्र में पैसा कमाने के उद्देश्य से विदेश चला गया था अक्षय के अनुसार उनका बेटा आरव ना सिर्फ अपने घर के सारे काम जैसे खाना बनाना, घर साफ करना, बर्तन धोना कपड़े धोना आदि सब खुद ही करते हैं.

वहीं आरव को महंगे कपड़े पहनना पसंद नहीं है. महंगे कपड़े खरीदना उसको पैसे की बर्बादी लगती है , जबकि उसको पैसे की कोई कमी नहीं है और वह पैशे से फैशन डिजाइनर है, फिर भी उसको सेकंड हैंड कपड़े पहनना ज्यादा पसंद है. उसको महंगे कपड़े पहनना पसंद नहीं है. आरव लंदन में थ्रिफ्टी से जाकर कपड़े खरीदता है, थ्रिफ्टी वो जगह है जहा पर सेकंड हैंड कपड़े मिलते हैं, जो की आरव को पसंद है . आरव को अच्छे से पता है कि उसके पिता उसको महंगे से महंगा कपड़ा दिला सकते हैं, बावजूद इसके आरव सेकंड हैंड कपड़े खरीदना ज्यादा पसंद करता है. क्योंकि महंगे कपड़े खरीद कर वह पैसों की बर्बादी के खिलाफ है.

एक्टर Gurmeet Choudhary अपनी फिटनेस के लिए स्ट्रिक रूल्स करते हैं फौलो

Gurmeet Choudhary : ग्लैमर इंडस्ट्री में अपने फिगर को बेहतर रखने और अपने किरदार को निभाने के लिए सेलेब्स उसकी डिमांड के अनुसार कड़ी मेहनत करते है और ये ही मेहनत उनको बेस्ट बौडी फिगर के साथ परफेक्ट लुक भी देती हैं. जो उनके फैंस को पसंद आता हैं. टीवी इंडस्ट्री से अपने करियर कि शुरुआत करने वाले परफेक्ट बौडी वाले हैंडसम एक्टर गुरमीत चौधरी अपने बेस्ट लुक और पर्सनालिटी से अलग ही पहचान बनाये हुए हैं उनकी बेस्ट पर्सनालिटी का राज क्या हैं आइये जानते हैं.

पर्सनैलिटी का राज

गुरमीत सिर्फ अपनी कमाल की एक्टिंग के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी शानदार फिजीक से भी चर्चाओं में रहते हैं. वह अपनी फिटनेस को बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. इसके लिए स्प्रिंटिंग, वेट ट्रेनिंग, मार्शल आर्ट्स, डांसिंग, साइकिल चलाना, जौगिंग, और योग शामिल हैं. डिसिप्लिन फिटनेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उन्होंने अपने फिटनेस रूटीन को बहुत ही डिसिप्लिन तरीके से अपनाया है. वो अपना फिटनेस रूटीन सुबह 6 बजे तक कम्पलीट कर लेते हैं. इसके अलावा उन्होंने डेढ़ साल तक एक ही तरह का खाना खाया था। वो भी बोइल्ड फ़ूड जो बेस्वाद होता हैं. इसके अलावा उन्हें चीनी, रोटी, चावल या ब्रेड खाए हुए डेढ़ साल हो गए हैं। जो किसी के लिए भी बिल्कुल आसान नहीं है.

अपनी बौडी को दे टाइम

गुरमीत का कहना हैं कि बौडी को फिट रखने के लिए किसी को भी 24 घंटे में से कम से कम 30 मिनट निकालना बहुत जरूरी है. जो शख्स 24 घंटे में से वर्कआउट के लिए 30 मिनट नहीं निकाल सकता समझिए वो कुछ नहीं कर सकता. यकीन मानिए जिस दिन से आपने वर्कआउट करना शुरू कर दिया, उस दिन से आप मेंटली और फिजिकली स्ट्रांग होते जाएंगे. इतना ही नहीं आप काम पर भी फोकस अच्छे से करने लगेंगे. इसलिए अपनी बौडी को भी समय दें ताकि आप अपनी बौडी का भरपूर ख्याल रख पाएं.

अनहैल्दी डाइट नहीं एक्सेप्ट

एक इंटरव्यू के दौरान गुरमीत ने बताया कि आपको हर किरदार के लिए खुद को मेंटली रूप से तैयार करना होता है. इसके लिए मैंने अपनी डाइट में बोइल्ड फ़ूड को शामिल किया. इसका कोई भी स्वाद नहीं होता, लेकिन धीरेधीरे मुझे यह स्वादिष्ट लगने लगा. अब मेरी भूख इतनी बढ़ गई है कि अगर मैं कुछ अनहैल्दी खाऊंगा, तो यह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आएगा. मैं घी खा सकता हूं, लेकिन अगर यह बहुत ज्यादा होगा तो मेरी बॉडी इसे एक्सेप्ट नही करेंगी. साथ ही उन्होंने अपने स्ट्रिक रूल्स के बारे में भी बताया कि वह सुबह 4 बजे उठ जाते हैं और रात को लगभग 9:30 बजे तक सो जाते हैं. उनका मानना है कि एक व्यक्ति का 80 प्रतिशत हेल्थ उसके डाइट पर निर्भर करता है. इसलिए वह अपनी रोजाना एक्सरसाइज करने के साथसाथ एक पोषण से भरपूर डाइट फौलो करते हैं. वह कहते हैं कि अगर आपकी डाइट अच्छी है तो आप 99 प्रतिशत तक अपना वजन कंट्रोल में रख सकते हैं. इसका साफ अर्थ है कि आप फिट हैं.

वर्क फ्रंट

गुरमीत चौधरी ने वैसे तो कई शो में काम किया जैसे -कुमकुम : एक प्यारा सा बंधन, पुनर्विवाह ,गीत-हुई सबसे पराई, लेकिन उन्हें पहचान ‘रामायण’ से मिली. इस शो में गुरमीत ने राम का किरदार निभाकर खूब प्रशंसा बटोरी. गुरमीत ने ‘खामोशियां’ मूवी के साथ बड़े पर्दे पर कदम रखा फिर ‘वजह तुम हो’ जैसी मूवी में भी काम किया. इसके बाद कई वेब सीरीज में भी काम किया. उनकी वेब सीरीज ‘ये काली काली आंखें’ सीजन 2 लोगों को काफी पसंद आई. क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज ‘ये काली काली आंखें’ के अभी तक दो सीजन आ चुके हैं. पहला सीजन 2022 में आया था और दूसरा सीजन साल 2024 में नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुआ था. इस शो में गुरमीत चौधरी ने ‘गुरु’ का किरदार निभा कर लोगों को काफी एम्प्रेस किया और उन्होंने भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के पाडकास्ट में इससे जुड़ी बाते भी शेयर की थी.

Married Life : मेरे पति मारपीट और गाली-गलौज करते हैं, मैं क्या करूं?

Married Life :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं विवाहित महिला हूं. 4 साल का बेटा है. पति सरकारी नौकरी करते हैं. समस्या यह है कि ससुराल वालों के कहने पर मेरे पति मेरे साथ मारपीट व गालीगलौज करते हैं और बातबात पर दूसरी शादी करने व तलाक देने की धमकी देते हैं. घरेलू हिंसा से परेशान हो कर मैं अपने बेटे के साथ मायके रहने चली गई. कुछ समय पहले मेरे पिता का देहांत हो गया तो मैं ससुराल वापस आ गई. लेकिन पति व ससुराल वालों का मेरे प्रति रवैया अभी भी वैसा का वैसा ही है. ससुर अकसर धमकी देते हैं कि उन की पहुंच ऊपर तक है. दरअसल, मेरी ननद पुलिस में दारोगा है, इसी बात का वे मुझ पर रोब जमाते रहते हैं. मैं बहत परेशान हूं. उचित सलाह दें.

जवाब-

पहले आप अपने पति से अकेले में प्यार से बात करें और समझाने की कोशिश करें. फिर भी बात न बने तो आप अदालत में जज के समक्ष अपनी सुरक्षा के लिए बचावकारी आदेश ले सकती हैं.

पति या ससुराल पक्ष द्वारा पत्नी का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मौखिक, मनोवैज्ञानिक या किसी भी प्रकार का यौन शोषण किया जाना घरेलू हिंसा के अंतर्गत आता है और कोई भी पीड़ित महिला या उस का पड़ोसी या परिवार का कोई भी सदस्य अपने क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में शिकायत दर्ज करा कर बचावकारी आदेश हासिल कर सकता है. इस कानून का उल्लंघन होने की स्थिति में पीड़ित करने वाले को जेल के साथसाथ जुर्माना भी हो सकता है.

आप भी अपने साथ हो रहे अन्याय व प्रताड़ना के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के अंतगर्त ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज करा कर न केवल ससुराल में रहने का अधिकार पा सकती हैं, बल्कि मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का मुआवजा की मांग भी कर सकती हैं.

आप की ससुराल वाले आप के अधिकारों की अनभिज्ञता के चलते आप के साथ ऐसा दुर्व्यवहार कर रहे हैं. जब आप उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी देंगी तो वे रास्ते पर आ जाएंगे.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें