Serial Story: अब बहुत पीछे छूट गया (भाग-3)

सास रोते हुए कहने लगीं कि उसे लगा था शादी के बाद उस का बेटा सही रास्ते पर आ जाएगा.

“एक मां हो कर जब आप अपने बेटे को सही राह पर नहीं ला पाईं, फिर मुझ से कैसे उम्मीद लगा लिया कि मैं उसे सही राह पर ला सकती हूं?”

सास के पास कोई जवाब नहीं था. बेटे के आदतों से त्रस्त सुमन की सास अपनी बेटी के पास रहने चली गईं. लेकिन सुमन कहां जाती?
रोजरोज शराब पीकर आधी रात को घर आना और कुछ पूछने पर उलटे सुमन को मारना, गंदीगंदी गालियां देना सूरज की आदत बन चुकी थी.

कभीकभी तो बिना बात के ही वह सुमन को मारने और गाली देने लगता था. सुमन को वह अपने पैरों की जूती के बराबर समझता था. सूरज यह सोच कर अपनी पत्नी पर जुल्म ढाता कि वह मर्द है और जो चाहे कर सकता है।

सुमन पर उस का अत्याचार रोजरोज बढ़ता ही चला जा रहा था. जब सुमन रोरो कर अपनाशदर्द मां को बताती, तो उलटे वह उसे ही समझाने लगतीं कि मर्द ऐसे ही होते हैं. औरतों को संभालना आना चाहिए.

एक रात एक महिला की बांहों में झूमतेहुए जब सूरज घर आया और कमरे में जा कर अंदर से दरवाजा लगा लिया, तो सुमन अंदर तक सुलग उठी. कैसे एक पत्नी यह बात बरदाश्त कर सकती थी कि उस का पति उस के ही सामने, उस के ही बैडरूम में किसी गैर महिला के साथ….

‘इतना कैसे गिर सकता है यह इंसान’ सुमन बड़बड़ाई और जोरजोर से दरवाजा पीटने लगी. गुस्से में सूरज बाहर आया और उस औरत के सामने ही मारतेमारते यह बोल कर सुमन को घर से बाहर निकाल दिया कि अब न तो उस की जिंदगी में और न ही इस घर में उस के लिए कोई जगह है. रोतीचीखती रही वह, दरवाजा पीटती रही, पर सूरज ने दरवाजा नहीं खोला. आसपड़ोस वाले सब देख रहे थे. मगर उन्हें क्या जरूरत थी किसी के घरेलू मामलों में दखल देने की. सो सब तमाशा देख अपनेअपने घर चले गए.

घंटों वह दरवाजे के बाहर सिसकती रही, पर सूरज ने दरवाजा नहीं खोला. फिर क्या करती वह?

फिर वह मायके आ गई लेकिन यहां भी उस का वास नहीं हुआ. मां बातबात पर समझाती रहतीं कि वह अपने घर लौट जाए, क्योंकि वे कब तक उस का बोझ उठा पाएंगे. भाई बढ़ते खर्चे को ले कर अलग सुनाता रहता था और भाभी तो उसे देखना तक नहीं चाहती थी. सोचती कब वह उस घर से निकल जाए.

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“आखिर हम औरतों की स्थिति इतनी बदतर क्यों है? हमें ही क्यों सब सहना पड़ता है?” सुमन बोली.

सुमन की दर्दभरी कहानी सुन कर किरण को बहुत दुख हुआ.
बोली,“लेकिन यह कौन सी नई बात है सुमन? मर्द तो शुरू से ही औरतों पर राज करते आए हैं, उसे अपना गुलाम समझते आए हैं. चाहे बाप हो, भाई हो या पति, सब ने औरतों को दबा कर रखना चाहा. जो दब कर रहीं वह सीता, सावित्री कहलाईं और जो नहीं दबीं वह बदचलन, बेहया बन गईं. लेकिन जरूरत आज इस बात पर भी अंडरलाइन करने की है कि खुद औरतें इस बात से इनकार करती हैं कि पति उस पर जुल्म करता है.

“पूछो तो यही जवाब मिलेगा कि यह उन के घर का मामला है। आप रहने दो. चाहे पति मारेपीटे, जान ही क्यों न ले ले, पर कई औरतों के लिए उस का पति देवता है, परमेश्वर है।”

किरण बोली,”आज औरतों की स्थिति बदतर इसलिए है, क्योंकि वह सहना जानती है, लड़ना नहीं. जिस दिन औरतें अपने हक के लिए लड़ना शुरू कर देंगी न, सच कहती हूं सुमन, सही मानों में उस दिन औरतों को आजादी मिलेगी, गुलामी और बेचारगी जैसे शब्दों से. मगर औरतें खुद ऐसा चाहती हैं क्या? मैं तो कहती हूं कि तुम्हें उसी दिन पति का घर छोड़ देना चाहिए था, जब उस की करतूतों का तुम्हें पता चला था. लेकिन तुम ने ऐसा नहीं किया क्योंकि तुम्हें लगा एक दिन वह सुधार जाएगा.”

“आपशकी एकएक बात सही है किरणजी, लेकिन दुख तो मुझे इस बात का है कि मेरे मांबाप ने भी मुझे नहीं समझा, वरना मुझे यों दरदर की ठोकरें न खानी पड़ती,” बोलतेबोलते सुमन सिसकने लगी.

“नहीं, रोना नहीं, रोते तो बुजदिल लोग हैं और तुम तो बहादुर लड़की हो. तुम कमजोर नहीं हो सुमन यह दिखा दो दुनिया वालों को और एक बात, तुम मुझे किरणजी नहीं, बल्कि दीदी कह कर बुलाओगी, तो मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा,” उस के सिर पर हाथ फेरते हुए जब किरण बोली तो उसे पकड़ कर सुमन फूटफूट कर रोने लगी.

आज पहली बार कोई ऐसा मिला था, जो उस के दर्द को समझ रहा था, वरना तो सब ने उसे ही कटघरे में खड़ा किया यह बोल कर कि गलती उसी की है.

“बसबस… अब रोना बंद करो,” सुमन के आंसू पोंछते हुए किरण बोली, “तुम ने कहा था तुम एमबीए करना चाहती थीं?”

“जी।”

“तो आगे क्या करने का सोचा है, एमबीए या सुसाइड?” बोल कर किरण हंसी तो सुमन भी हंस पड़ी,“देखो, तो हंसते हुए तुम कितनी प्यारी लग रही हो,” प्यार से सुमन को निहारते हुए किरण बोली.

“दी, मैं एमबीए करना चाहती हूं, सपना है मेरा. लेकिन मैं कोई छोटीमोटी नौकरी भी करना चाहती हूं ताकि अपना खर्चा उठा सकूं,”सुमन बोली.

सुमन नहीं चाहती थी कि वह किरण पर बोझ बन कर रहे. और किरण भी नहीं चाहती कि उसे लगे वह उस पर कोई एहसान कर रही है, इसलिए उस के नौकरी करने वाली बात पर उस ने हामी भर दी.

किरण अनाथ बच्चों के लिए एक एनजीओ चलाती थी. इस के अलावा वह जरूरतमंदों की भी मदद करती रहती थी. किरण का बड़े-बड़े लोगों से पहचान था, तो उनषसे बोल कर सुमन की नौकरी भी लगवा दी और उस का एमबीए में एडमिशन भी हो गया.

जो सुमन पहले हरदम उदास रहा करती थी, अब काफी खुश रहने लगी थी. उस की नाइट शिफ्ट ड्यूटी होती थी। वह सुबह उठ कर किरण के साथ घर के कामों में हाथ बंटा कर कालेज निकल जाती, फिर देर रात ही घर वापस आती थी. जिंदगी अब अच्छी लगने लगी थी उसे.

एमबीए की पढ़ाई पूरी होते ही एक बड़ी कंपनी में सुमन की नौकरी लग गई. कल तक यही सुमन थी जिस का कोई ठिकाना नहीं था. दरदर भटकने को मजबूर थी वह. लेकिन आज उस के पास सब कुछ है. सुमन और किरण छोटा सा घर छोड़ कर एक बड़े घर में आ गई थी. अब सुमन बस से नहीं, बल्कि अपनी गाड़ी से औफिस जाने लगी थी.

एक दिन यह सोच कर सुमन के आंखों में आंसू आ गए कि अगर किरण न आई होती उस की जिंदगी में या तो वह आत्महत्या कर चुकी होती या रोरो कर अपनी जिंदगी काट रही होती कहीं पर.शलेकिन आज उस की जिंदगी उमंगों से भरी हुई है.

लेकिन एक बात उसे बड़ा दर्द देता था, वह यह कि हरदम हंसनेमुसकराते और लोगों की मदद करने वाली किरण कभीकभी उदास क्यों हो जाती है? कई बार पूछना चाहा सुमन ने, पर यह सोच कर रुक जाती कि शायद उसे ठीक न लगे.

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उस रात बैड पर दोनों समांतर लेटी हुई थीं. बगल में कौफी का 2 मग रखा हुआ था और दोनों यहांवहां की बातें कर रही थीं.

“दी, आज भी यह सब सोच कर हंसी आती है कि कैसे आप ने उन तीनों गुंडों को पानी पिलापिला कर मारा था. कैसे आपषने उन्हें पस्त कर दिया था. आप में इतनी हिम्मत आई कहां से? मैं तो 1 को भी ना मार सकूं और आप ने 3-3 को धूल चटा दिया। कैसे दी?” सुमन ने पूछा.

उस की बात पर पहले तो किरण हंसी, फिर बोली, “वह इसलिए क्योंकि मैंने कराटे का कोर्स किया हुआ है. ब्लैक बैल्ट हूं मैं समझी।”

“ओह, तभी…” अपनी आंख नचाते हुए सुमन बोली,“दी, एक बात और पूछूं आप से? बुरा तो नहीं मानोगी?”

उस की बात पर किरण ने मुसकराते हुए न में सिर हिलाया.

“दी,आज तक आप ने शादी क्यों नहीं की?” बहुत दिन तक अपने आप को रोके रखने के बाद आज सुमन ने पूछ ही लिया.

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उस की बात पर पहले तो किरण चुप रह गई. फिर मीठे भाव से मुसकराई और फिर गंभीर हो गई.

“बोलो न दी, आज तक क्यों आप अकेली हो. पढ़ीलिखी हो, इतनी सुंदर भी हो, फिर भी क्यों आप अकेली हो आज तक?”

“क्योंकि मेरे लायक कोई मिला ही नहीं… और जो मिला वह मेरा हो नहीं पाया,” बोल कर वे चुप हो गईं.

“हो नहीं पाया मतलब…” सुमन आज जान लेना चाहती थी कि आखिर क्यों अब तक किरण दी अकेली हैं?

“क्योंकि जिस से मैं ने प्यार किया, वह इंसान दगाबाज निकला. फायदा उठाया उस ने मेरा सिर्फ. आज भी सोचती हूं, तो लगता है कितनी स्टुपेड थी मैं जो उसे जान नहीं पाई. जानती हो सुमन, मैं ने उस के लिए कितना त्याग किया? जब उस की नौकरी छूट गई थी तब मैं ने उस के सारे खर्चे हंसतेहंसते उठाए. अपने परिवार के खिलाफ जा कर मैं उस के साथ लिवइन में रहने लगी और वह मेरी आंखों में धूल झोंक कर कईकई लड़कियों से संबंध रखता रहा.

“एक दिन जब मैं ने अपनी इन्हीं आंखों से उसे उस लड़की के साथ हमबिस्तर होते हुए देखा, तो सन्न रह गई थी. पूछा उस से कि हम दोनों तो एकदूसरे से प्यार करते थे न, शादी कर के अपनी छोटी सी गृहस्थी बसाने का सपना देखा था न, फिर उस ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? क्यों धोखा दिया उस ने मुझे? तो बेशर्मों की तरह हंसते हुए बोला कि उस का कई लड़कियों के साथ संबंध हैं तो क्या वह सब के साथ शादी कर ले।

“पागल थी मैं जो उस की बातों में आ कर अपने परिवार से रिश्ता खत्म कर लिया. गई थी मांपापा के पास अपनी गलतियों के लिए माफी मांगने, पर उन्होंने मेरे मुंह पर ही दरवाजा दे मारा यह बोलशकर कि मैं उन के लिए मर चुकी हूं. झूठ नहीं कहूंगी, फिर कई पुरुष आए मेरे जीवन में, पर सब ने मुझ से नहीं, बल्कि मेरे शरीर से प्यार किया. जैसे ही भूख मिटी मुझे छोड़ कर किसी और की बांहें तलाशने लग गए.

“अब तो सोच लिया है कि एकला ही चलूंगी अब।

“विकट मोड़ों वाली झाड़झंकर भरी जिंदगी में अटकाभटका आज मैं जीवन के ऐसे मुकाम पर पहुंच गई हूं जहां अब मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं है. खुश हूं मैं उन बच्चों के साथ जो इस दुनिया में अनाथ हैं.”

आगे पढें- किरण की बातें सुन सुमन….

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Serial Story: अब बहुत पीछे छूट गया (भाग-4)

किरण की बातें सुन सुमन की आंखें भर आईं. बोली,“हर व्यक्ति के साथ कितना कुछ गोपनीय होता है. सतह के ऊपर किसी से मिलते हुए, उस के बारे में बहुत कुछ जानते हुए भी हम उसशके अंतर्मन के गहन कोने से कितने अनजान रहते हैं न दी और हमें इस का भान भी नहीं होता,” एक उदास मुस्कान के साथ सुमन बोली.

“हूं…” एक गहरी सांस छोड़ते हुए किरण बोली, “सही कह रही हो तुम. अच्छा छोड़ो अब यह सब बातें. यह बताओ वह लड़का…अरे वही जो औफिस में तुम्हारे साथ काम करता है, क्या नाम है उस का… हां, सत्यम… कैसा लगता है तुम्हें?” सुमन की आंखों में झांकते हुए किरण ने पूछा तो शरमा कर सुमन ने अपनी नजरें झुका ली.

“न न… ऐसे शरमाने से थोड़े ही चलेगा, बताना पड़ेगा बहन कि चक्कर क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच?”

“दी आप भी न, ऐसी कोई बात नहीं है सच में,”नजरें झुकाए सुमन मुसकराई.

“अच्छा, मुझ से झूठ बोलोगी? मैं उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेती हूं तो तुम क्या हो? अरे भई मैं ने भी प्यार किया है, तो क्या समझ नहीं सकती तुम्हारी आंखों की भाषा?”

“प्यारव्यार कुछ नहीं, बस दोस्ती है हमारे बीच. एकदूसरे का साथ अच्छा लगता है हमें और कुछ नहीं दी,” सुमन बोली.

“और कुछ नहीं दी… मुंह बनाते हुए किरण बोलीं,“अरे पागल इसे ही तो प्यार कहते हैं. एकदूसरे का साथ अच्छा लगना, एकदूसरे के खुशी में खुश होना, एक दिन भी न मिलने पर बेचैन हो जाना, यही तो प्यार है पगली।”

सुमन के गालों पर शर्म की लाली देख किरण को एक शरारत सूझी,“वैसे, सुना है वह बंदा शादीशुदा है और उसशका एक बेटा भी है?”

“क्या…” सुमन भयंकर तरीके से चौंकी, “पर आप को कैसे पता यह सब?” उसे लगा शादीशुदा होते हुए भी कहीं वह लड़का उसे अपने जाल में तो नहीं फंसा रहा है?

“अरे, कल तुम ही तो नींद में बड़बड़ा रही थी यह सब बातें बोल कर,” किरण ठठा कर हंस पड़ी, “मज़ाक कर रही हूं।”

“ओह दी, आप ने तो मेरी जान ही ले ली,” अपने दिल पर हाथ रख सुमन बोली.

“अरे वाह, अभी तो कह रही थी कोई प्यारव्यार नहीं है तुम दोनों के बीच, तो फिर यह क्या है?”

किरण की बात पर वह लजा गई.

“वैसे, एक रोज उसे खाने पर बुलाओ. देखें तो बंदा है कैसा? मेरी बहन के लायक है भी या नहीं,” सुमन के गालों पर प्यार की थपकी देते हुए किरण बोली.

किरण को सुमन के लिए सत्यम एकदम सही लड़का लगा. ‘हां, दोनों की उम्र में अंतर जरूर है, लेकिन प्यार में सब जायज है और आजकल के लड़के तो अपनी उम्र से बड़ी लड़कियों को पसंद करने लगे हैं’ किरण ने सोचा.

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सत्यम को पूरी और आलू की भाजी बहुत पसंद है इसलिए आज उस के ही पसंद का खाना बन रहा था. सुमन ने पूरी बेल कर किरण को दी, तो उसे कङाही में छोड़ते हुए किरण बोली, “यह अच्छा है सुमन जो तुम्हें सत्यम जैसा जीवनसाथी मिला. देखा मैं ने उस की आँखों में तुम्हारे लिए प्यार. लेकिन क्या सत्यम के मातापिता भी तैयार हैं तुम दोनों के रिश्ते के लिए?”

“सत्यम के पापा नहीं हैं, मां हैं और एक बड़ी बहन है, जिन की शादी हो चुकी है. मिल चुकी हूं मैं उन सब से. कोई दिक्कत नहीं है उन्हें हमारे रिश्ते से,” पूरी बेल कर किरण के हाथों में पकड़ाते हुए सुमन बोली.

“फिर तो ठीक है, कोई समस्या नहीं है. लेकिन एक समस्या है. कहीं सूरज ने तुम्हें तलाक देने से मना कर दिया, तो क्या करोगी फिर?” सुमन की तरफ देख कर किरण बोली.

मगर उस दिन सत्यम के साथ सुमन को देख कर सूरज ने कैसे रिएक्ट किया था, यह नहीं बताई थी दी को।

गुस्से से उबलते हुए कहने लगा कि उसे क्या लगता है. वह उसे तलाक दे देगा? ताकि वह इस सत्यम से शादी कर सके. कभी नहीं, कभी वह उसे तलाक नहीं देगा.

उस पर सुमन बोली थी,“जैसा तुम ठीक समझो. लेकिन यह भी जान लो,:तुम ने मुझ पर जितने भी जुल्म किए हैं न सूरज, उस का एकएक सुबूत है मेरे पास और वह आसपड़ोस के लोग जिन्होंने रोज मुझे तुम्हारे हाथों मारगालियां खाते देखा है, क्या वे गवाही नहीं देंगे तुम्हारे खिलाफ? शादीशुदा होने के बाद भी तुम्हारे कई औरतों से संबंध हैं, वह भी बताऊंगी मैं पुलिस को. फिर तो तुम्हें जेल जाने से कोई रोक नहीं सकता. नौकरी तो जाएगी ही समझ लो और तलाक तो मुझे वैसे भी मिल जाएगा. तो सोच लो, फायदा किस का ज्यादा है, मेरा या तुम्हारा? और जब हमारे बीच अब कुछ बचा ही नहीं, तो फिर नाम के रिश्ते को क्यों ढोना?” बोल कर सुमन लौट आई थी और वह देखता रह गया था.

शायद उसे भी सुमन की बात समझ में आ गई थी कि इस में ही उस की भलाई थी.

“देगा वह मुझे तलाक, आप चिंता मत करो दी, क्योंकि उसे भी मुझ से छुटकारा चाहिए,” सलाद काटते हुए सुमन बोली.

खानापीना खत्म होने के बाद किरण ने ही कहा वह सत्यम को उस के घर तक छोड़ आए. मन तो सुमन का भी था जाने का, पर बोलने में उसे शर्म आ रही थी. जब किरण ने कहा तो वह झटपट तैयार हो गई जाने के लिए.

मौसम आज बहुत सुहाना था इसलिए दोनों घूमतेघूमते एक पार्क में बेंच पर जा कर बैठ गए और अपने भविष्य के सपने बुनने लगे.

“कैसा लगा मैं तुम्हारी दीदी को? पसंद आया या नहीं?” सत्यम ने पूछा.

“क्यों पूछ रहे हो ?” सुमन बोली.
“मतलब, उन्हें मैं पसंद आया या नहीं?” सत्यम बोला.

“तो क्या? शादी मुझे करनी है तुम से, और तुम मुझे बहुत पसंद हो,” जब अपनी आंखें बंद कर सुमन बोली, तब एकटक से सत्यम उसे निहारने लगा.

अचानक से उसे सुमन पर बहुत प्यार आने लगा. सुरक्षित एकांत जगह देख कर एकायक सत्यम मुड़ा और सुमन को अपने आलिंगन में भर कर उस के अधरों को चूम लिया. गहरी मुसकान के साथ सुमन भी उसे प्यार से देखने लगी. पुरुष के साथ उस का यह पहला भरपूर आलिंगन था, इसलिए सुमन की रीढ़ में हलकी सी झुरझुरी पैदा हो गई. सूरज ने कभी उसे इस तरह से बांहों में भर कर प्यार नहीं किया था. उसे तो सिर्फ सुमन के शरीर से प्यार था, जिसे वह जबतब रौंदता रहता था.

जब सत्यम ने सुमन के होंठों पर दबाव बढ़ाया, तो यौवन वेग के अनेक लहरें अचानक देह में गहराने लगीं.

सत्यम ने कहा कि आज रात वह उसशके घर ही रुक जाए. उसकी मां एक रिश्तेदार की शादी में गई हुई हैं, तो कोई समस्या नहीं है.

“हां, लेकिन दी को क्या कहूंगी?”

सुमन बोली. मन तो उस का भी तड़प रहा था अपने शरीर के ताप को बुझाने के लिए.

“ठीक है, मैं कोई बहाना बना देती हूं,” बोल कर सुमन मुसकराई.

आज उन के दरमियान कोई नहीं था सिवाय खामोशी के. चुंबन के दौरान सुमन ने महसूस किया कि उस की कमीज के बटन खोले जा रहे हैं. अब दृढ़ आलिंगन में सुमन की नग्न पीठ पर सत्यम के चपल हाथ का स्पर्श था. जैसेजैसे सत्यम का हाथ फिसलता जा रहा था, सुमन रोमांचित होती जा रही थी. सत्यम के स्पर्श और चुंबनों ने सुमन के पूरे शरीर में थरथराहट भर दी. सुमन ने अपने भीतर ऐसी तप्त नमी कभी महसूस नहीं की थी. जब सत्यम ने उसे अपने आगोश में भरा, तो सुमन की सांस रुक गई और आंखें बंद हो गईं.

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समागम के पहले सुमन जितनी मुखर थी, बाद में उतनी ही मौन हो गई. आज जीवन में पहली बार सुमन ने खुद को परिपूर्ण पाया था. अपनत्व और सुरक्षा की ऐसी अनुभूति पहले कभी नहीं हुई थी उसे. उसे लग रहा था अपने सत्यम के साथ वह दुर्गम पर्वत के शिखर पर पहुंच गई हो, जहां सिर्फ मौन, शांति और सुकून था.

बहुत ऊंचाई से उसे बाहरी संसार का शोर और अंधड़ याद आया, जो अब बहुत पीछे छूट गया था. वह अब अपने सत्यम की मजबूत बांहों में सुरक्षित थी.

नेहा कक्कड़ की शादी पर आदित्य नारायण को डाउट, कही ये बात

बौलीवुड की पौपुलर सिंगर इन दिनों अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में हैं, जिस पर कई लोग अपनी शंका जता रहे हैं. वहीं अब इन लोगों में सिंगर और एक्टर आदित्य नारायण का भी नाम शामिल हो गया है. दरअसल, सिंगर नेहा कक्कड़ और रोहनप्रीत सिंह की शादी की खबर आने के बाद रोका सेरेमनी का एक वीडियो भी शेयर किया गया है, जिसके बाद आदित्य नारायण ने शंका में हैं कि यह सच है या नही. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

 आदित्य को नही मिला है इन्विटेशन                                    

सिंगर नेहा कक्कड़ और रोहनप्रीत सिंह की शादी को लेकर आदित्य नारायण ने शंका जताते हुए कहा है कि एक महीने में कोई व्यक्ति किसी से मिले और शादी की बात करे, यह संभव नहीं हो सकता. दरअसल, आदित्य नारायण को नेहा की शादी का कोई इन्विटेशन नहीं मिला है, इसके साथ ही उन्होंने नेहा के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक महीने में वह किसी से मिलकर शादी कर सकती हैं, मुझे यकीन नहीं होता.


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सच और झूठ को लेकर कही ये बात

 

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#IndianIdol11 Finale ❤️ Aaj Raat Tonight at 8 pm. Only on @sonytvofficial 😎 . @thecontentteamofficial

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नेहा की शादी को लेकर आदित्य एक इंटरव्यू में कहा है “क्या नेहा सच में शादी कर रही हैं? मुझे तो शादी का कोई न्योता नहीं मिला है. अजीब है कि नेहा कुछ ही समय पहले एक लड़के से मिलीं, वह भी कुछ हफ्तों पहले एक वीडियो शूट के लिए. वह कोई बच्ची नहीं जो इतना बड़ा निर्णय इस तरह ले लेंगी. नेहा और उनके मंगेतर (कहने के लिए) किसी ने भी शादी को लेकर कोई बयान नहीं दिया है. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि उम्मीद करता हूं कि यह सच में हो रहा हो. क्योंकि कोई ऐसे वीडियो शेयर कर शादी की अफवाहों को क्यों बढ़ावा देगा?”

 

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The day he made me meet His Parents and Family ♥️😇 Love You @rohanpreetsingh 🥰 #NehuPreet

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बता दें कि शो इंडियन आइडल में साथ काम कर चुके आदित्य नारायण और नेहा कक्कड़ बेहद अच्छे दोस्त है. हांलाकि दोनों इससे पहले अपने सौंग को लेकर शादी का पब्लिसिटी स्टंट कर चुके हैं, जिसके बाद नेहा कक्कड़ और रोहनप्रीत सिंह की शादी पर फैंस अपना शक जाहिर कर रहे हैं.

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Bigg Boss 14: सलमान खान के पति को सामान कहने पर भड़की रुबीना दिलैक, किया ये फैसला

कलर्स का पौपुलर रियलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है. जहां फैंस अपने पसंदीदा कंटेस्टेट को सोशलमीडिया के जरिए सपोर्ट कर रहे हैं. तो वहीं इन दिनों सलमान खान को ट्रोल कर रहे हैं. दरअसल, कंटेस्टेंट रुबीना दिलैक के पति अभिनव शुक्ला को सलमान खान के ‘सामान’ कहने पर इन दिनों सोशलमीडिया पर जंग छिड़ गई है. वहीं अब इस मामले पर घर के अंदर रुबीना ने भी आवाज उठा दी है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

मजाक में कही थी सलमान यह बात

दरअसल, टास्क के बाद सलमान खान ने मजाक करते हुए अभिनव शुक्ला को रुबीना दिलैक का ‘सामान’ कहते नजर आए थे, जिसके बाद सोशलमीडिया पर सलमान के खिलाफ रुबीना के फैंस ने कहा थी कि वह किसी के पति की ऐसे बेइज्जती कैसे कर सकते हैं.

कन्फेशन रुम में खूब रोईं रुबीना

 

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बीते एपिसोड में ‘बिग बॉस 14’ के घर में रुबीना दिलैक ने कन्फेशन रूम में आकर इस बात का जिक्र करते हुए सलमान से सवाल किया कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा? साथ ही रुबीना दिलैक ने ये भी कहा है कि आखिर उनका ऐसा कहने का मतलब क्या था? इसी के साथ रुबीना ने बिग बॉस से कहा कि उन्हें लग रहा है कि वो इस शो के लायक नहीं है और बिग बॉस पर अपना फैसला छोड़ देती हैं कि वह इस शो में रहे या ना रहें. वहीं रुबीना को लाख समझाने के बाद बिग बॉस तुरंत अभिनव शुक्ला को कन्फेशन रूम में बुलाते हैं, जिसके बाद अभिनव रुबीना को समझाते हैं और रुबीना को कन्फेशन रुम से बाहर लेकर जाते हैं. हालांकि बिग बौस ने इस मुद्दे को वीकेंड पर सलमान के सामने रखने का सुझाव भी दिया है, जिसके बाद ये वीकेंड काफी धमाकेदार दिखने वाला है.

बता दें, घर में कदम रखने के बाद से रुबीना दिलैक हर मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. हालांकि सोशमीडिया पर उनकी ये स्टैंड लेना लोगों को ड्रामे से कम नही लगता है, जिसके जलते सोशलमीडिया पर उन्हें ड्रामा क्वीन कहा जा रहा है.

सनकीन चीक्स को कैसे ट्रीट करें

खूबसूरत दिखने के लिए खूबसूरत चेहरा होना बहुत जरूरी है. और खूबसूरत चेहरा तभी दिखेगा जब आपके नाक , लिप्स, आंखों के साथ साथ आपके गाल भी खूबसूरत हो. लेकिन जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है और कई बार तो उम्र से पहले ही हमारे गाल पिचकने लगते हैं. जो न सिर्फ हमारी खूबसूरती को बिगाड़ने का काम करते हैं बल्कि हमारे आत्मविश्वास को भी कम करते हैं. इसके पीछे मुख्य रूप से 2 कारण होते हैं एक तो हमारी डाइट में पौष्टिक तत्वों का अभाव और दूसरा कारण जैसे ही उम्र बढ़ने लगती है, हमारी स्किन में कोलेजन का उत्पादन कम होने लगता है , जिससे स्किन अपनी इलास्टिसिटी और मोटाई खोने लगती है. जिससे धीरे धीरे स्किन में ढीलापन , झुर्रियां पड़ने के साथ साथ स्किन डल दिखनी शुरू हो जाती है.

बता दें कि जब स्किन का लचीलापन कम हो जाता है तो स्किन खासकर के चेहरे से अपनी बनावट खोनी शुरू कर देती है, जिसमें गालों का अंदर डंसना शामिल है. खासकर उम्र बढ़ने की स्तिथि में शरीर से सबक्यूटेनियस फैट यानि त्वचा के नीचे वाला फैट कम होने लगता है. जिससे स्किन ढीली पड़ने के साथ साथ अपनी ब्यूटी खो देती है. इस बारे में जानते हैं derma puritys की ललिता आर्या से कि सनकीन चीक्स किन कारणों से होता है और इसे कैसे कम किया जा सकता है.

कौन कौन से कारण है जिम्मेदार

1. एजिंग-

इसके लिए उम्र बढ़ने को जिम्मेदार माना जाता है. क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ साथ शरीर से फैट कम होने लगता है. खासकर के चेहरे से , जिसके कारण से सनकीन चीक्स की समस्या पैदा होती है.

2. बीमारी के कारण –

आपने देखा होगा कि जब भी हम बीमार होते हैं तो हमारा मुंह पिचका पिचका सा लगने लगता है, जो हमारे स्वस्थ होने के साथ ठीक होना शुरू कर देता है. लेकिन जब बीमारी गंभीर होती है, जिसके कारण हमें हर समय कमजोरी रहने लगती है और वजन भी कम होने लगता है, तो उसका सीधा असर हमारी फेसिअल स्किन पर पड़ता है. जिससे ये समस्या उत्पन होती है.

3. अनहैल्दी डाइट-

कहते हैं न कि हमारे खानपान का हमारी स्किन पर सीधा असर पड़ता है. अगर हमारी डाइट अच्छी होती है तो हमारी स्किन भी जवां दिखती है वरना अच्छी डाइट के अभाव में स्किन डल व मुरझाई मुरझाई सी लगती है. अगर हमारे खाने पीने में विटामिन्स व मिनरल्स की कमी होती है तो स्किन के कुछ खास हिस्सों से फैट खत्म होने के कारण स्किन की नेचुरल ब्यूटी खत्म होने लगती है. इसलिए जरूरी है कि आप हैल्दी ईटिंग हैबिट्स को अपनाएं.

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4. स्मोकिंग –

स्मोकिंग हमारी ओवरआल हैल्थ के लिए हानिकारक होता है और जब भी हम स्मोकिंग करते हैं तो इसमें मौजूद निकोटीन आपकी स्किन में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है, साथ ही कोलेजन के उत्पादन को भी कम करता है, जिससे स्किन की इलास्टिसिटी कम होने से स्किन लटकी, पिचकी व समय से पहले उस पर बुढ़ापा झलकने लगता है. कह सकते हैं कि स्मोकिंग हमारे फेसिअल लुक को बहुत अधिक प्रभावित करने का काम करती है.

5. डीहाइड्रेशन –

अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीती हैं तो इससे आपकी स्किन को नवीनीकृत करने व त्वचा की नमी बनाएं रखने में मदद मिलती है. साथ ही इसके माध्यम से स्किन सेल्स तक सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिल जाते हैं , जो स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाने का काम करते हैं . लेकिन अगर हम पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं तो स्किन का ग्लो जाने के साथ साथ सनकीन चीक्स जैसी प्रोब्लम्स होने लगती है. इसलिए खुद को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है.

6. स्ट्रेस-

कहते हैं न कि स्ट्रेस न सिर्फ हमें अंदर से बल्कि हमारी ब्यूटी पर भी अटैक करने का काम करता है. स्ट्रेस के कारण धीरे धीरे स्किन अपनी रंगत खोने लगती है. जिससे स्किन एजिंग, गालों का मुरझाकर सिकुड़ना आदि समस्या हो जाती है. इसलिए जितना हो सके स्ट्रेस से दूर रहें. हर बात को पॉजिटिव तरीके से सोचने की कोशिश करें.

7. नींद में कमी-

अच्छी नींद न सिर्फ हमें स्ट्रेस से दूर रखने का काम करती है बल्कि ऐसे हॉर्मोन्स को उत्पन करने में भी मदद करती है , जो स्किन को उसकी वास्तविक स्तिथि में रखने में मदद करते हैं. . लेकिन जब हमारी नींद पूरी नहीं होती है तो स्किन की इलास्टिसिटी कम होने के साथ साथ ढेरों तरह की स्किन प्रोब्लम्स हो जाती हैं.

क्या है इसका ट्रीटमेंट

वैसे तो इसके लिए ढेरों तरह के ट्रीटमेंट्स उपलब्ध हैं. लेकिन आजकल अधिकांश लोग इसके लिए फिलर्स और सर्ज़री की मदद लेकर अपने गालों में उभार लाकर अपनी खोई सुंदरता को वापिस लौटा रहे हैं. आपको बता दें कि ह्यलुरोनिक एसिड फिलर्स व सोफ्ट टिश्यू फिलर्स द्वारा आमतौर पर सनकीन चीक्स का इलाज किया जाता है. यहां तक कि इसके इलाज के लिए कई बार सर्जन लिपोसक्शन का इस्तेमाल करके फैट को अफेक्टेड एरियाज में ट्रांसफर करते हैं. सनकीन चीक्स को ठीक करने के लिए कोलेजन स्टिम्युलेटर्स का भी इस्तेमाल किया जाता है. यह शरीर द्वारा कोलेजन के उत्पादन को उत्तेजित करने और दोबारा से गालों में उभार लाने का तरीका है.

कुछ घरेलू नुस्खे भी इसमें कारगर साबित होते हैं –

– फेसिअल एक्सरसाइज- बता दें कि एक्सरसाइज से फेसिअल मसल्स हैल्दी रहती हैं. इसके लिए आप अपने मुंह में हवा भरकर थोड़ी देर इसी स्तिथि में रहें. इससे गालों के पिचकने की प्रोब्लम सोल्व होगी.

– डाइट- अगर आप हैल्दी डाइट लेंगे तो इससे शरीर में हैल्दी फैट की मात्रा सही रहेगी. और जब हैल्दी फैट होगा तो सनकीन चीक्स से भी आप दूर रहेंगे या फिर अगर प्रोब्लम हो गई है तो आप अपनी डाइट से इसे इम्प्रूव कर सकते हैं.

– घी को शामिल करें खाने में- अकसर हम हैल्थ क्योंसकिउस होने की वजह से अपनी डाइट में से घी को आउट कर देते है, जो सही नहीं है. क्योंकि स्किन में फैट की कमी होने के कारण गालों के अंदर डसने की प्रोब्लम होती है. जबकि आपको बता दें कि घी में एसेंशियल फैटी एसिड्स होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेट व मोइस्चर प्रदान करने का काम करते हैं. साथ ही घी को एजिंग को रोकने में भी कारगर माना जाता है. इसलिए अपनी डाइट में घी को जरूर शामिल करें.

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– मेथीदाने- अगर आप अपने गालों को सुंदर व गोल माटोल बनाना चाहते हैं तो रोजाना मेथीदाने का सेवन करें. क्योंकि मेथीदाने में एन्टिओक्सीडैंट्स और विटामिन्स होते हैं , जो चेहरे में कसाव लाने का काम करते हैं. इसके लिए आप इसका पानी भी पी सकते हैं या फिर इसके पेस्ट को गालों पर लगा सकते हैं.

– जैतून का तेल- जैतून का तेल स्किन के लिए काफी लाभकारी होता है. इसके लिए आप आप रोज़ाना जैतून के तेल से मालिश करें. इससे गालों को सही आकार मिलेगा.

– एलोवीरा है फायदेमंद- रोजाना एलोवीरा से स्किन की मसाज करने से एजिंग की समस्या नहीं होती है, क्योंकि इसमें विटामिन सी और इ होता है, जो इसे एजिंग को रोकने का काम करता है.

आज कॉम्पिटिशन बहुत है – रेनू ददलानी

क्लासिक और ट्रेडिशनल डिजाईन को सालों से अपने पोशाको में शामिल करने वाली डिज़ाइनर रेनू ददलानी दिल्ली की है. उन्होंने हमेशा कुछ अलग और चुनौतीपूर्ण डिजाईन को बनाने की कोशिश की है, जिसमें साथ दिया उनके परिवार वालों ने. उनके हिसाब से पारंपरिक एथनिक ड्रेस कभी पुराने नहीं होते, इसे एक जेनरेशन से दूसरा जेनरेशन आराम से पहन सकता है. डिज़ाइनर रेनू ददलानी के नाम से प्रसिद्ध उनकी ब्रांड हर जगह पौपुलर है. कोरोना संक्रमण में डिज़ाइनर्स समस्या ग्रस्त है, लेकिन रेनू के पोशाक किसी भी खास अवसर पर पहनने लायक और विश्वसनीय होने की वजह से उनके व्यवसाय पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है. उनकी खासियत चिकनकारी, पारसी गारा और कश्मीरी कढ़ाई जैसे जमवार, तिला अदि है, जिसमें साड़ी, लहंगा, कुर्ती आदि हर तरह के पोशाक मिलते है. पिछले 20 सालों से वह इस क्षेत्र में है. रेनू से उनकी लम्बी जर्नी के बारें में बात हुई, पेश है कुछ अंश.

सवाल-आपको इस फील्ड में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मुझे हमेशा से डिज़ाइनर आबू जानी के कपडे पसंद थे. पहले मैं गारमेंट की फील्ड में नहीं थी, लेकिन जब मैंने निर्णय लिया, तो हैण्डक्राफ्ट लक्जरी में ही काम करने को सोची. गाँव के कारीगरों को लेकर काम करना शुरू किया और उनके काम को फैशन में शालीनता का रूप दिया. इसके लिए मैंने कोई कौम्प्रमाइज नहीं किया. मैंने क्राफ्ट के बारें में पूरी अध्ययन कर फिर काम करना शुरू किया था. जैसे चिकनकारी के स्टिचेस कई तरीके के होते है, जिसे आम इंसान नहीं समझ पाता. इसे मैंने स्टडी से जाना और पहचाना. मेरी कामयाबी के पीछे मेरे कारीगर है, जिन्हें मेरी सोच को कपडे पर बखूबी उतारना आता है. 

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सवाल- कारीगरों का सहयोग आपके साथ कैसा रहता है? 

उनका सहयोग सालों से रहा है. कारीगर केवल काम ही नहीं करते थे, बल्कि वे इस कला को जीते है. लखनऊ, श्रीनगर, कोलकाता आदि जगहों पर सूदूर गांव में रहकर भी वे अपने काम को लेकर बहुत ही जोशीले होते है, क्योंकि उससे ही उनकी रोजी रोटी भी चलती है. मेरी ब्रांड ने इन्हें उनकी कारीगरी की पहचान करवाकर, उन्हें एक अलग अच्छी जिंदगी दी है. साथ ही इस हैण्डक्राफ्ट को विश्व में भी फ़ैलाने के बारें में सोचा है, क्योंकि विश्वसनीय चिकनकारी, जामवार, पारसी गारा के कपडे मिलना आज बहुत मुश्किल है. 

सवाल- आपने दो दशकों से काम किया है, फैशन वर्ल्ड में कितने बदलाव आये है? 

अभी लोग हैण्ड क्राफ्ट के बारें में अधिक जागरूक हो चुके है. लोग कम खरीदते है. पर ऐसी चीजे खरीदते है, जिसका फैशन कभी न जाएँ. मेरे सभी पोशाक लेगेसी के रूप में है, जो एक जेनरेशन से दूसरे जेनरेशन को दिया जा सकता है. इसका मूल्य दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता है. 

सवाल- इस बार फैशन में कौन से रंग है?

उत्सव में मिंट ग्रीन, वेडिंग में पेस्टल और अर्दी कलर्स. ब्राइडल पोशाक में गरारा, शरारा और लहंगा. 

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सवाल- आपने एक लम्बी जर्नी तय की है, कितना मुश्किल था, क्या-क्या समस्याएं आई?

शुरू-शुरू में बहुत मुश्किल था, क्योंकि मैं कढ़ाई के बारें में पूरी जानकारी रखना चाहती थी. इसके लिए मैंने बहुत ट्रेवल किया, कारीगरों से मिली. सभी कारीगर रिमोट गाँव में रहते है. मैंने इसके बारें में पढ़ी. कपडे बनाने की ये प्रक्रिया आसान नहीं. डाईंग, प्रींटिंग, सैंपलिंग, कढ़ाई करना आदि बहुत सारे काम होते है. अंतिम एक प्रौडक्ट बनने में 6 महीने से दो साल तक लगते है. इसके लिए सही देख-रेख बहुत जरुरी होता है, ताकि जो डिजाईन मैने सोचा है, वह 6 महीने बाद वैसा ही बनकर आयेगा, इसकी गारंटी नहीं होती. मैं खुशनसीब हूँ कि मेरे कारीगर हमेशा अपना सबसे अच्छा काम कर देते है, जो हमें चाहिए. 20 साल से वे सभी कारीगर आजतक जुड़े है और वे जानते है कि मुझे क्या चाहिए, इसलिए अधिक समस्या नहीं होती. हर बार अलग डिजाईन देना बहुत कठिन होता है, पर मैं देती हूँ. यही वजह है कि मेरे ग्राहक मुझसे हमेशा जुड़े रहते है. हर बार हम नया और बेहतर चीज उन्हें दिया जाता है. क्वालिटी और काम में किसी भी प्रकार की कमी मैं नहीं करती. आज कॉम्पिटिशन बहुत है, इसलिए अच्छा काम देना जरुरी है. 

सवाल- आपने अपने काम की शुरुआत कितने बजट से किया?

मैंने सूती चिकनकारी सूट से, जिसके लिए 50 हज़ार रूपये लगे थे, काम शुरू किया था. अभी 100 कारीगर मेरे साथ है और ये सभी एक परिवार की तरह मेरे साथ जुड़े हुए है. इसके अलावा मेरे साथ टीम में कई लोग बहुत एक्टिव है, जिसकी वजह से मुझे अधिक ट्रेवल नहीं करना पड़ता और काम हो जाता है. 

सवाल- फैशन को लक्जरी में माना जाता है और अभी कोरोना संक्रमण की वजह से डिज़ाइनर्स के आगे एक बड़ी चुनौती है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

कोविड 19 सबके लिए चुनौती है, लेकिन मेरे पोशाक के लिए ये समय सकारात्मक है, क्योंकि पहले लोग बाज़ार जाकर सामान खरीदते है, अब वे ऑनलाइन शौपिंग कर रहे है. ऑनलाइन स्टडी कर उन्हें पता चलता है कि हैण्ड क्राफ्ट का फैशन कभी नहीं जायेगा. आजकल लोग कम, थॉटफुल शौपिंग और वैल्यू फॉर मनी को अधिक देखते है. सस्टेनेबिलिटी जो आज कही जाती है, उसे मैंने आज से 20 साल पहले से ही ध्यान दिया था और ग्राहकों में जागरूकता फैलाई थी. 

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सवाल- फैशन को अपडेट कैसे करती है?

मैं साल में 2 से 3 बार अपडेट करती हूँ. इसमें डिजाईन, फैब्रिक्स, कलर्स, मोटिफ्स आदि के साथ बदलाव करते है. कढ़ाई तो बदला नहीं जा सकता, इन सब चीजो का बदलाव कर उनमें नया लुक लाते है. इसमें कारीगरों का ख़ास हाथ होता है, क्योंकि वे मेरी डिजाईन को उसी रूप में कपड़ो पर उकेरते है. 

सवाल- आपकी ब्रांड महिला सशक्तिकरण पर कितना काम करती है?

सारा काम वुमन इम्पावरमेंट पर ही होता है. 90 प्रतिशत सशक्त कारीगर महिलाएं ही है. चिकनकारी में सारी महिलाएं है. कोविड 19 के समय में मेरा काम चलता रहा. उनको घर से काम करने की सहूलियत दी है. उनको पूरे पैसे दिए जाते है.  ये कारीगर लखनऊ, श्रीनगर और कोलकाता के रिमोट गाँवों में रहते है. 

सवाल- आगे की योजनायें क्या है?

मेरी योजना है कि मैं अपनी ब्रांड को और अधिक लोगों तक पहुँचाऊ और लोगों को हैण्डक्राफ्ट के बारें में जागरूकता फैलाऊ, ताकि ये कला अदृश्य न हो जाय. 

सवाल- आपके काम में परिवार का सहयोग कितना रहा?

इस बारें में मैं बहुत लकी हूँ. परिवार के सहयोग के बिना कोई महिला काम नहीं कर सकती. मेरे पति ने, जब बच्चे छोटे थे, तब से लेकर आजतक सहयोग कर रहे है. उनके खुद का व्यवसाय होने के बावजूद वे सुबह से शाम तक मेरे सवाल-र्शनी में रहते थे. वित्तीय से लेकर, मानसिक, हर समय उन्होंने मेरा साथ दिया है. बच्चों ने भी मुझे बहुत सहयोग दिया है. वे अलग क्षेत्र में है, पर मेरी दो बहुएं है, वे मेरे व्यवसाय को आगे सम्हाल लेगी. 

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सवाल- क्या महिलाओं के लिए कोई सन्देश देना चाहती है?

सभी कामकाजी महिलाएं, जो इस समय घर और ऑफिस दोनों को सम्हाल रही है. उनके लिए ये समय कठिन अवश्य है, लेकिन महिलाओं को आत्मनिर्भर होना बहुत जरुरी है, जिससे उनका आत्मसम्मान बनी रहे. 

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जब आए जोड़ों से कटकट की आवाज

– डा. अखिलेश यादव, वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन, जॉइंट रिप्लेसमेंट, सेंटर फौर नी एंड हिप केयर, गाजियाबाद

क्या आप के जोड़ों में भी उठतेबैठते अचानक कटकट की आवाज आती है? क्या चलतेचलते अचानक जोड़ों के चटकने की आवाज आती है? वगैरह. यदि आप के साथ ऐसा हो रहा है तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि सामान्य दिखने वाली यह कटकट की आवाज हड्डियों की एक बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है.

कटकट या हड्डी चटकने की इस आवाज को मैडिकल भाषा में क्रेपिटस कहा जाता है. इस स्थिति को ‘नी पौपिंग’ भी कहा जाता है. इस समस्या का कारण जोड़ों के भीतर मौजूद द्रव के साथ जुड़ा हुआ है. इस द्रव में हवा के कारण बने बुलबुले फूटने लगते हैं, जिस के कारण जोड़ों में कटकट की आवाज आती है.

यदि कटकट की आवाज के अलावा कोई अन्य समस्या नहीं है तो आप को घबराने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन यदि इस के साथ अन्य लक्षण भी जुड़े हुए हैं, तो आप को जल्द से जल्द समस्या की जांच की जरूरत है. जब जोड़ों के मूवमेंट के दौरान वहां मौजूद कार्टिलेज घिसने लगते हैं, तो ऐसे में क्रेपिटस की समस्या होती है. जब इस समस्या में आवाज के साथ दर्द की शिकायत भी होने लगे तो समझिए कि समस्या गंभीर हो गई है.

यह समस्या गठिया या जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी का संकेत हो सकती है. इसलिए लापरवाही दिखाना आप के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है.

कटकट की आवाज कब आती है?

जोड़ों में क्रेपिटस यानी आवाज की समस्या जोड़ों के मुड़ने, स्क्वाट्स करने, सीढ़ियां चढ़नेउतरने, कुरसी या जमीन से उठनेबैठने आदि के दौरान हो सकती है. आमतौर पर इस समस्या में चिंता वाली कोई बात नहीं है. लेकिन यदि कार्टिलेज रफ हो जाए, तो यह धीरेधीरे आस्टियोपोरोसिस की बीमारी में बदल जाती है.

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आस्टियोपोरोसिस एक प्रकार की गठिया की बीमारी है. इस बीमारी में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिस से फ्रेक्चर का खतरा बहुत ज्यादा रहता है.

आस्टियोपोरोसिस के अन्य कारणों में खानपान, बदलती लाइफस्टाइल, व्यायाम की कमी, शराब का अत्यधिक सेवन, शरीर में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन की कमी आदि शामिल हैं.

समस्या की रोकथाम

हड्डियों की इस समस्या में मरीज को कैल्शियम का सेवन करने के लिए कहा जाता है. क्रेपिटस या आस्टियोपोरोसिस के मरीज को एक दिन में 1,000-1,500 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए. दूध और दूध से बनी चीजें, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, ओट्स, ब्राउन राइस, सोयाबीन आदि के सेवन से कैल्शियम की कमी को पूरा किया जा सकता है.

रात को आधा चम्मच मेथी के दाने भिगो लें, सुबह उन्हें चबाचबा कर खाएं और फिर उस का पानी पी लें. नियमित रूप से ऐसा करने से जोड़ों से कटकट की आवाज आनी बंद हो जाएगी.

इस के अलावा भुने चने के साथ गुड़ खाने से भी कटकट की आवाज दूर होती है. इस में मौजूद कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं.

विटामिन डी का सब से अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है. हर दिन 15 मिनट के लिए धूप में बैठने से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है. इसलिए सर्दी हो या गरमी, सुबह की कुनकुनी धूप का अनंद लेना कभी न भूलें.

टहलने और दौड़ने से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक क्षमता भी बढ़ती है. वजन उठाने वाली कसरत, चलना, दौड़ना, सीढ़ियां चढ़ना, ये व्यायाम हर उम्र में हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में लाभदायक हैं. इस के अलावा डांस भी एक बेहतरीन एक्सरसाइज है. इसे करने में हर किसी को मजा भी आता है और हड्डियां भी सेहतमंद बनी रहती हैं.

वर्कआउट से पहले वार्मअप जरूर करें, क्योंकि वार्मअप हड्डियों और मांसपेशियों को लचीला बना देता है, जिस से जोड़ों में आवाज की समस्या की शिकायत नहीं होती है.

यदि आप का वजन बहुत ज्यादा है, तो वजन को कम करें, क्योंकि मोटापा गठिया की समस्या का कारण बनता है.

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हड्डियों को मजबूत बनाना है तो धूम्रपान बंद कर दें और शराब का कम से कम सेवन करें. वहीं दूसरी ओर पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें, क्योंकि पानी कई बीमारियों का रामबाण इलाज होने के साथसाथ यह हड्डियों को भी मजबूत व लचीला बनाता है.

क्यों बढ़ रही बच्चों की नाराजगी

एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक युवा बच्चे आजकल बड़ी संख्या में साइकोलौजिस्ट के पास जाने लगे हैं. इसे तनाव व दुश्चिंता की महामारी के रूप में देखा जा सकता है. आलम यह है कि युवा खुद को हानि पहुंचाने से भी नहीं डरते. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आज जबकि बच्चों के पास मोबाइल, लैपटौप से ले कर अच्छे से अच्छे कैरियर औप्शंस और अन्य सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं तो फिर उन के मन में पेरैंट्स के प्रति नाराजगी और जिंदगी से असंतुष्टि क्यों है?बच्चों के साथ कुछ तो गलत है. कहीं न कहीं बच्चों के जीवन में कुछ बहुत जरूरी चीजें मिसिंग हैं और उन में सब से महत्त्वपूर्ण है घर वालों से घटता जुड़ाव और सोशल मीडिया से बढ़ता लगाव. पहले जब संयुक्त परिवार हुआ करते थे तो लोग मन लगाने, जानकारी पाने और प्यार जताने के लिए किसी गैजेट पर निर्भर नहीं रहते थे. आमनेसामने बातें होती थीं. तरहतरह के रिश्ते होते थे और उन में प्यार छलकता था. मगर आज अकेले कमरे में मोबाइल या लैपटौप ले कर बैठा बच्चा लौटलौट कर मोबाइल में हर घंटे यह देखता रहता है कि क्या किसी ने उस के पोस्ट्स लाइक किए? उस की तसवीरों को सराहा? उसे याद किया?

आज बच्चों को अपना अलग कमरा मिलता है जहां वे अपनी मरजी से बिना किसी दखल जीना चाहते हैं. वे मन में उठ रहे सवालों या भावों को पेरैंट्स के बजाय दोस्तों या सोशल मीडिया से शेयर करते हैं. अगर पेरैंट्स इस बात की चिंता करते हैं कि बच्चे मोबाइल या लैपटौप का ओवरयूज तो नहीं कर रहे तो वे उन से नाराज हो जाते हैं. केवल अकेलापन या सोशल मीडिया का दखल ही बच्चों की पेरैंट्स से नाराजगी या दूरी की वजह नहीं. ऐसे बहुत से कारण हैं जिन की वजह से ऐसा हो रहा है:

1. बढ़ती रफ्तार

फैशन, लाइफस्टाइल, कैरियर, ऐजुकेशन सभी क्षेत्रों में आज के युवाओं की रफ्तार बहुत तेज है. सच यह भी है कि उन्हें इस रफ्तार पर नियंत्रण रखना नहीं आता. सड़कों पर युवाओं की फर्राटा भरती बाइकें और हादसों की भयावह तसवीरें यही सच बयां करती हैं. ‘करना है तो बस करना है, भले ही कोई भी कीमत चुकानी पड़े’ की तर्ज पर जिंदगी जीने वाले युवाओं में विचारों के झंझावात इतने तेज होते हैं कि वे कभी किसी एक चीज पर फोकस नहीं कर पाते. उन के अंदर एक संघर्ष चल रहा होता है, दूसरों से आगे निकलने की होड़ रहती है. ऐसे में पेरैंट्स का किसी बात के लिए मना करना या समझाना उन्हें रास नहीं आता. पेरैंट्स की बातें उन्हें उपदेश लगती हैं.

मातापिता की उम्मीदों का बोझ: अकसर मातापिता अपने सपनों का बोझ अपने बच्चों पर डाल देते हैं. वे जिंदगी में खुद जो बनना चाहते थे न बन पाने पर अपने बच्चों को वह बनाने का प्रयास करने लगते हैं, जबकि हर इंसान की अपनी क्षमता और रुचि होती है. ऐसे में जब पेरैंट्स बच्चों पर किसी खास पढ़ाई या कैरियर के लिए दबाव डालते हैं तो बच्चे कन्फ्यूज हो जाते हैं. वे भावनात्मक और मानसिक रूप से टूट जाते हैं और यही बिखराव उन्हें भ्रमित कर देता है. पेरैंट्स यह नहीं समझते कि उन के बच्चे की क्षमता कितनी है. यदि बच्चे में गायक बनने की क्षमता और इच्छा है तो वे उसे डाक्टर बनाने की कोशिश करते हैं. बच्चों को पेरैंट्स का यह रवैया बिलकुल नहीं भाता और फिर वे उन से कटने लगते हैं.

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समय न देना

आजकल ज्यादातर घरों में मांबाप दोनों कामकाजी होते हैं. बच्चे भी 1 या 2 से ज्यादा नहीं होते. पूरा दिन अकेला बच्चा लैपटौप के सहारे गुजारता है. ऐसे में उस की ख्वाहिश होती है कि उस के पेरैंट्स उस के साथ समय बिताएं. मगर पेरैंट्स के पास उस के लिए समय नहीं होता.

दोस्तों का साथ

इस अवस्था में बच्चे सब से ज्यादा अपने दोस्तों के क्लोज होते हैं. उन के फैसले भी अपने दोस्तों से प्रभावित रहते हैं. दोस्तों के साथ ही उन का सब से ज्यादा समय बीतता है, उन से ही सारे सीक्रैट्स शेयर होते हैं और भावनात्मक जुड़ाव भी उन्हीं से रहता है. ऐसे में यदि पेरैंट्स अपने बच्चों को दोस्तों से दूरी बढ़ाने को कहते हैं तो बच्चे इस बात पर पेरैंट्स से नाराज रहते हैं. पेरैंट्स कितना भी रोकें वे दोस्तों का साथ नहीं छोड़ते उलटा पेरैंट्स का साथ छोड़ने को तैयार रहते हैं.

गर्ल/बौयफ्रैंड का मामला

इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण चरम पर होता है. वैसे भी आजकल के किशोर और युवा बच्चों के लिए गर्ल या बौयफ्रैंड का होना स्टेटस इशू बन चुका है. जाहिर है कि युवा बच्चे अपने रिश्तों के प्रति काफी संजीदा होते हैं और जब मातापिता उन्हें अपनी गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड से मिलने या बात करने से रोकते हैं तो उस वक्त उन्हें पेरैंट्स दुश्मन नजर आने लगते हैं.

दिल टूटने पर पेरैंट्स का रवैया

इस उम्र में दिल भी अकसर टूटते हैं और उस दौरान वे मानसिक रूप से काफी परेशान रहते हैं. ऐसे में पेरैंट्स की टोकाटाकी उन्हें बिलकुल सहन नहीं होती और वे डिप्रैशन में चले जाते हैं. पेरैंट्स से नाराज रहने लगते हैं. उधर पेरैंट्स को लगता है कि जब वे उन के भले के लिए कह रहे हैं तो बच्चे ऐसा क्यों कर रहे हैं? इस तरह पेरैंट्स और बच्चों के बीच दूरी बढ़ती जाती है.

बच्चे तलाशते थ्रिल

युवा बच्चे जीवन में थ्रिल तलाशते हैं. दोस्तों का साथ उन्हें ऐसा करने के लिए और ज्यादा उकसाता है. ऐसे बच्चे सब से आगे रहना चाहते हैं. इस वजह से वे अकसर अलकोहल, रैश ड्राइविंग, कानून तोड़ने वाले काम, पेरैंट्स की अवमानना, अच्छे से अच्छे गैजेट्स पाने की कोशिश आदि में लग जाते हैं. युवा मन अपना अलग वजूद तलाश रहा होता है. उसे सब पर अपना कंट्रोल चाहिए होता है, पर पेरैंट्स ऐसा करने नहीं देते. तब युवा बच्चों को पेरैंट्स से ही हजारों शिकायतें रहने लगती हैं.

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जो करूं मेरी मरजी

युवाओं में एक बात जो सब से आम देखने में आती है वह है खुद की चलाने की आदत. आज लाइफस्टाइल काफी बदल गया है. जो पेरैंट्स करते हैं वह उन के लिहाज से सही होता है और जो बच्चे करते हैं वह उन की जैनरेशन पर सही बैठता है. ऐसे में दोनों के बीच विरोध स्वाभाविक है.

ग्लैमर और फैशन

मौजूदा दौर में फैशन को ले कर मातापिता और युवाओं में तनाव होता है. वैसे भी पेरैंट्स लड़कियों को फैशन के मामले में छूट देने के पक्ष में नहीं होते. धीरेधीरे उन के बीच संवाद की कमी भी होने लगती है. बच्चों को लगता है कि पेरैंट्स उन्हें पिछले युग में ले जाना चाहते हैं.

हर क्षेत्र में प्रतियोगिता

आज के समय में जीवन के हर क्षेत्र में प्रतियोगिता है. बचपन से बच्चों को प्रतियोगिता की आग में झोंक दिया जाता है. पेरैंट्स द्वारा अपेक्षा की जाती है कि बच्चे हमेशा हर चीज में अव्वल आएं. उन का यही दबाव बच्चों के जीवन की सब से बड़ी ट्रैजिडी बन जाता है.

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नवरात्रि फेस्टिवल स्पेशल: बनाएं Healthy और टेस्टी आलू का हलवा

नवरात्रि के मौके पर घर में कई पकवान बनते हैं. लेकिन क्या आपने कभी अनिक घी से बना हुआ आलू का हलवा ट्राय किया है. ये खाने में टेस्टी और व्रत में आसानी से बनने वाली डिश है, जिसे आप और आपकी फैमिली बनाकर खा सकते हैं. नवरात्रि में अनिक घी से बना आलू का हलवा एक बहुत ही healthy और स्वादिष्ट डिजर्ट है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है की इसे आप उपवास में भी खा सकते है और इसको बनाना भी बहुत ही आसान है.

तो चलिए जानते है की आलू का हलवा कैसे बनाये-

कितने लोगों के लिए-4
बनाने का समय-15-20 मिनट
मील टाइप -वेज

हमें चाहिए-

आलू – 4 या 5 मध्यम साइज के उबले हुए
चीनी – 100 ग्राम
अनिक घी – 4 टेबल स्पून
किशमिश – 1 टेबल स्पून(ऑप्शनल)
काजू – 1 टेबल स्पून कटे हुए(ऑप्शनल)
इलाइची – 5-6 बारीक कुटी हुई
बादाम – 6-7 बारीक कटी हुई (ऑप्शनल)

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बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले उबले हुए आलू को अच्छे से मैश कर लीजिये.

2-अब एक कढाई में अनिक घी गर्म करिए. घी गर्म हो जाने के बाद उसमे मैश हुए आलू डाल दीजिये और कलछी से चलाते हुए धीमी आंच पर 7-8 मिनिट भूनिए.

3-अब भुने हुए आलू में चीनी डाल दीजिये. चीनी डालने के बाद इसे लगातार चलाते रहिये.

4-अब इसमें इलाइची पाउडर डाल कर अच्छे से मिला दीजिये.अब इसके बाद इसमें dryfruit ऐड कर दीजिये. (आप चाहे तो आप dryfruit नही भी डाल सकते है )

5-अब गैस को बंद कर दीजिये.तैयार है स्वादिष्ट आलू का हलवा.

पीरियड्स से जुड़ी सोच में बदलाव जरुरी: सृजना बगारिया

सृजना बगारिया (पी सेफ की सह-संस्थापिका )

मैन्सट्रुएशन एक हेल्दी बायोलॉजीकल प्रोसेस होता हैं . यह लड़कियों और महिलाओं के रिपरोडक्टिव सिस्टम से जुड़ा हुआ है . समाज में लोग इसे एक गंदगी के तौर पर देखते हैं इसलिए लड़कियां या महिलाएं इस पर बात करने से कतराती हैं.

देश में 88 प्रतिशत महिलाएं नहीं कर पाती पैड का इस्तेमाल

एक सर्वे के मुताबिक हमारे देश की लगभग 88 प्रतिशत महिलाएं अपने पीरियड्स के दौरान सैनेरटरी पैड का इस्तेमाल ही नहीं कर पाती हैं. पैड की जगह वे फटेपुराने कपड़े, अखबार, सूखी पत्तियां और प्लास्टिक तक इस्तेमाल में लाने को मजबूर हैं जो पूरी तरह गलत है और बहुत जोखिम भरा भी है .

पैड इस्तेमाल न करने से कैंसर का खतरा

भारत में मैन्सट्रुएशन लगभग 10 से लेकर14 साल की उम्र में शुरू हो जाता है जब कि मीनोपॉज की औसत उम्र लगभग 47 साल है . जब महिलाएं मेन्सट्रुअल में निकले खून को पैड के अलावा किसी दूसरी चीज से रोकती हैं तो वह खून उल्टी दिशा में बहने लगता है और वह एंडोमीट्रिओसिस जैसे गंभीर रोग की शिकार हो जाती हैं. पेल्विक इन्फेक्शन और रिप्रोडक्टिव ट्रेक्ट इन्फेक्शन जैसी गंभीर मामले आगे चल कर कैंसर होने की आशंका को बढ़ा देते हैं .

क्या है ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का हाल

ग्रामीण भारत में मैन्सट्रुएशन और इसकी हाइजीन को ले कर अभी जागरुकता की काफी कमी है . लोगों का कहना है कि नेशनल फैमिली हेल्थ 2015-16 के सर्वे के अनुसार 15 से 24 साल तक की 58 प्रतिशत महिलाएं नैपकीन, सैनिटरी नैपकीन का इस्तेमाल करती हैं . शहरी क्षेत्रों में 78 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स के दौरान पैड समेत दूसरी सुरक्षित तकनीकें अपनाती हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में केवल 48 प्रतिशत महिलाएं ही पीरियड्स के दौरान हाइजीन और दूसरी साफसुथरी तकनीकों का इस्तेमाल कर पाती हैं .

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क्या होते हैं रीयूजेबल सैनिटरी पैड

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह वह पैड्स हैं जिन्हें बारबार इस्तेमाल किया जा सकता है. इन पैड्स की एक बात यह है कि इन को लगातार 1.5 साल से ले कर 2 साल तक प्रयोग किया जा सकता है . पीरियड्स में इस्तेमाल किए गए सैनिटरी पैड्स से पैदा हुआ कचरा पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है लेकिन रीयूजेबल पैड्स से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है . एक समस्या यह भी है कि बहुत सी महिलाओं को अभी तक यह नहीं पता कि सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करने के बाद क्या करना है या उन्हें कहां फेंकना है. बहुत सी महिलाएं, यहां तक कि शहरों में भी सामान्य कचरे के साथ ही कूड़ेदान में फेंक देती हैं जो बिल्कुल गलत है . पैड्स को हमेशा मिट्टी में दफना देना चाहिए या पूरी तरह किसी काले पॉलीथीन में बंद करके अलग रखना चाहिए ताकि उस की पहचान अलग से हो सके .

युवा आ रहे हैं आगे

भारत में युवाओं का प्रतिशत सब से अधिक है और इसलिए इस समय हर क्षेत्र की कमान युवाओं ने अपने कंधे पर संभाली हुई है. मैन्सट्रुएशन के विषय पर जागरुकता बढ़ाने में भी युवा पीछे नहीं है . देश के कोनेकोने से युवा कार्यक्रम, आविष्कारों और आयोजनों के माध्यम से जागरुकता फैलाने का काम कर रहे हैं . कोई रियूज़ेबल सैनिटरी पैड्स बना रहा है तो कोई पीरियड्स को सरल बनाने के लिए समाज को शिक्षित कर रहा है तो कोई स्वयंसेवी संस्था के साथ जुड़ कर काम कर रहा है . युवाओं के इसी जोश के भरोसे आज देश के कोनेकोने में मैन्सट्रुएशन को ले कर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. लोग समझ रहे हैं कि यह कोई गंदगी नहीं बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो लड़की या महिला के लिए बहुत आवश्यक है .

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