नीचे के फ्लोर पर ही उन्हें कमरा दिलवाया और दरवाजा खोलती हुई बोली,”आ जाओ साहब. आज की रात यही आशियाना है तुम्हारा.”
थैंक्स कह कर अंकित ने दरवाजा बंद करना चाहा तो वह दरवाजे के बीच में आ गई.
“इतनी जल्दी पीछा छुड़ाना चाहते हो हम से मेरी जान?” लड़की की आंखों में कुटिलता और वासना की लपटें जल उठीं.
वह जबरन अंकित से सटती हुई बोली,”दिल चीज क्या है आप हमारी जान लीजिए…. हुजूर जो चाहे ले लो यह कनीज अब तुम्हारी है.”
“यह क्या कह रही हो?” घबड़ाता हुआ अंकित बोला.
मयंक भी अचरज से उस लड़की की तरफ देख रहा था. लड़की अब बेशर्मी पर उतर आई थी.
बिस्तर पर बैठती हुई बोली,” तुम्हारी जिंदगी की यह रात रंगीन कर दूंगी. तुम बस इशारा करो.”
अब तक अंकित और मयंक अच्छी तरह समझ गए थे कि यह किस तरह की लड़की है और वे इस होटल में आ कर बुरी तरह फंस गए हैं. मयंक बाथरूम की तरफ चला गया और इधर लड़की अंकित पर डोरे डालती रही. अंकित घबरा कर पीछे हट रहा था और लड़की उस के करीब आने का प्रयास करती रही.
अंकित तैयार नहीं हुआ तो वह अपनी अदाएं बिखेरती हुई बोली,”किस बात से डर रहे हो हुजूर? इस उम्र में जवां, खूबसूरत शरीर की जरूरत नहीं या जेब ढीली करना नहीं चाहते हो? चलो ज्यादा नहीं केवल ₹1 लाख दे देना. उतनी रकम तो होगी ही न. भारत दर्शन पर निकले हो.”
अंकित ने उसे परे करते हुए कहा,”नहीं बहनजी हमारे पास रुपए नहीं हैं.”
“ओए लड़के, बहन किस को बोला? मैं बहन नहीं तेरी. चल ₹1 लाख नहीं है तो अपनी यह घड़ी, अपनी यह सोने की चेन और अंगूठी दे देना. चल नखरे मत कर. शुरू हो जा. जी ले अपनी जिंदगी मेरे साथ आज की रात.”
अंकित सिकुड़ कर बैठता हुआ बोला,” सुनो, आप गगलतफहमी में हो. मेरा दोस्त बीमार है. इलाज के लिए आया हूं मैं.”
“देख चिकने, बहाने मत बना. तू ऐसे तैयार नहीं होगा तो यह शालू तुझे लूट लेगी,” कहते हुए उस लड़की यानी शालू ने बंदूक निकाल ली.
तभी मयंक सामने आ गया और बोला,”हम तो कब के लुट गए हैं शालू, बस तुम्हारी नजरों में अपना चेहरा ही ढूंढ़ रहे हैं. ”
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मयंक ने शालू के करीब आ कर कहा तो अंकित आंखें फाड़ कर उस की तरफ देखने लगा.
“देख शालू, मेरी जिंदगी के बस आखिरी 2-4 महीने ही बचे हैं. मैं अपनी जिंदगी के बचे हुए इन थोड़े से दिनों में जीवन की सारी खुशियां पा लेना चाहता हूं. मैं 35 साल का हूं पर तू यकीन नहीं करेगी, आज तक मेरी न कोई गर्लफ्रैंड है न बीवी. अतृप्त ही रह जाता अगर तू न मिलती. जल जाना चाहता हूं आज. आ जला दे मुझे…”
शालू शराबी निगाहों से उस की तरफ देखती हुई बोली,”क्या सचमुच तू मुझे अब पाना चाहता है?”
“हां पर एक धंधेवाली की तरह नहीं, एक प्रेमिका की तरह मेरी बांहों में समा जा. मरने से पहले एक बार अपने प्यार से तृप्त कर दे मुझे,” मयंक ने शालू को अपनी तरफ खींचा और आगोश में भर कर बाथरूम की तरफ ले गया.
बाथरूम में शौवर के नीचे खड़ा करता हुए बोला,”आज मैं भीग जाना चाहता हूं तुम्हारे साथ,” कहते हुए उस ने शौवर चला दिया और शालू पूरी तरह भीग गई. मयंक ने अचानक अपने होंठ उस के भीगे होंठों पर रख दिए. शालू की सांसें तेज हो गई थीं. वह पूरी तरह मयंक की गिरफ्त में थी.
मयंक ने उसी के दुपट्टे से उस की आंखें बांधते हुए कहा,” बस अब देखो मत. महसूस करो मुझे. मैं तुम्हारी रूह में उतर जाना चाहता हूं. ”
कहते हुए मयंक ने उस की बांहें थामी और उसे पीछे की तरफ करता हुआ खुद बाथरूम से बाहर आ गया और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया. शालू को बात समझ में आई तो वह दरवाजा पीटने लगी. तब तक मयंक और अंकित तेजी से होटल से बाहर निकल आए. जल्दी से कार स्टार्ट की और रफूचक्कर हो गए. वहां से काफी दूर आने के बाद उन की जान में जान आई.
अंकित हंसता हुआ बोला,”यार तू इतना रोमांटिक है, यह तो मुझे पता ही नहीं था.”
“और तू इतना शरमीला है यह भी कहां पता था मुझे,” मयंक ने कहा तो दोनों दोस्त ठहाके लगा कर हंसने लगे. काफी आगे जा कर उन्हें एक सलीके का होटल मिला तो दोनों वहीं ठहर गए.
आगे भी पूरे सफर में तबीयत खराब होने के बावजूद मयंक अपने मन की करता रहा. वह जिंदगी की हर खुशी अपने दामन में भर लेना चाहता था. कभी पहाड़ों पर चढ़ने की जिद करता तो कभी सागर में गोते लगाना चाहता. कभी हैलीकोप्टर में बैठ कर दुनिया देखने की डिमांड करता तो कभी स्ट्रीट फूड्स खाने को मचल उठता. अंकित उसे ऐसे कामों के लिए मना करता रह जाता और अमन अपने मन की कर गुजरता.
इसी दौरान एक दिन अचानक उस की तबीयत काफी खराब हो गई. उस समय वे शिमला में थे. अंकित जल्दी से उसे पास के एक अस्पताल में ले कर भागा मगर उस अस्पताल में मयंक को दाखिल नहीं किया गया. उन लोगों ने उसे दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया. अंकित मयंक को ले कर वहां पहुंचा लेकिन वहां भी मयंक को ट्रीटमैंट की फैसिलिटी नहीं मिल सकी. उस की तबीयत बिगड़ रही थी. अंकित घबराया हुआ था. अंत में थक कर अंकित शिमला के सब से बड़े अस्पताल में पहुंचा. वहां मयंक को ऐडमिट कर लिया गया. 4-5 दिन में उस की स्थिति बेहतर हो गई तो छठे दिन उसे डिस्चार्ज कर दिया गया.
अब अंकित ने उस ट्रिप को थोड़ी जल्दी में पूरा किया और मयंक को ले कर वापस घर आ गया. 2 महीने के इस सफर के बाद मयंक बहुत खुश था. वह अंदर से बेहतर महसूस कर रहा था.
मयंक की बहन प्रज्ञा इस बात से बहुत खुश रहती थी कि अंकित मयंक का इतना खयाल रखता है.
वह जब भी फोन करतीं तो अंकित दोस्त के इलाज और हालत के बारे में विस्तार से बताता. मयंक की गतिविधियों का लेखाजोखा देता. बातचीत करते समय दोनों दोस्तों में मीठी झड़पें होतीं तो प्रज्ञा के बच्चे तालियां बजाबजा कर हंसते. वे अंकित को यंगर अंकल कह कर पुकारते और उस के साथ खूब मस्ती भरी बातें करते.
कई बार मयंक कहता,”मेरा भाई भी होता न तो तुझ सा नहीं हो पाता. तू तो भाई से भी बढ़ कर है.”
एक दिन मयंक की बहन वीडियो काल पर थी. अंकित चाय बनाने गया हुआ था और मयंक बहन से अंकित की तारीफ कर रहा था.
प्रज्ञा ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा,”मयंक मैं एक बात कहूं, तू मानेगा?
“हां दीदी बोलो न.”
“मैं चाहती हूं तू अपना घर अंकित के नाम कर दे. तेरे बाद मैं नहीं बल्कि तेरा भाई अंकित ही इस घर का मालिक होगा.”
इस बीच अंकित चाय ले कर कमरे में आ रहा था. उस ने प्रज्ञा की बात सुन ली थी.
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चाय रखते हुए उस ने इनकार में सिर हिलाते हुए कहा,” नहीं दीदी यह सही नहीं. आप ऐसी बातें नहीं कर सकतीं. जो घर मयंक का है वह कल को आप का या बच्चों का होगा मेरा नहीं. मैं किसी चीज की ख्वाहिश में मयंक का साथ नहीं दे रहा बल्कि मयंक के साथ मुझे यों ही दुनिया की खुशियां मिल रही हैं. ”
“देख मेरे भाई, मेरे अंकित, मैं ने मयंक से घर तेरे नाम करने की बात इसलिए नहीं की है ताकि तेरे एहसानों का कर्जा उतारा जा सके बल्कि इसलिए की है ताकि आने वाले समय में कभी मुझे भारत जाने की इच्छा हुई तो मुझे यह सोच कर मन न मसोसना पड़े कि वहां अब मेरा और कोई नहीं. मैं मयंक के बाद भी भारत घूमने आऊं तो पूरे अधिकार के साथ तेरे घर आ कर रुक सकूं. तू मेरी बात समझ रहा है न अंकित ? ”
“हां दीदी समझ गया. जैसी आप की इच्छा,” कहते हुए मयंक की आंखें भर आईं. आज उसे महसूस हो रहा था कि वाकई उस की कोई बड़ी बहन भी है जो उस पर अपना पूरा हक रखना चाहती है. भले ही वह दुनिया में अकेला है मगर अब उस का भी एक परिवार था जो उसे बहुत प्यार करता था.