बनें एक-दूसरे के राजदार

रिश्ते हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं और इन्हीं रिश्तों में सब से खास और करीबी रिश्ता होता है पतिपत्नी का, जिन्हें एकदूसरे का अंग माना जाता है. जीवन की गाड़ी इन्हीं 2 पहियों पर चलती है, इसलिए यह माना जाता है कि इन दोनों का एकदूसरे के साथ सहयोग बना कर प्रेम से चलना बहुत जरूरी है. यह माना गया है कि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा भावुक होती हैं, उन पर किसी भी अच्छीबुरी या छोटीबड़ी बात का प्रभाव जल्दी पड़ता है. लेकिन यही औरतें दिल से पुरुषों की तुलना में अधिक मजबूत होती हैं. इसी कारण वे बड़े से बड़ा दर्द भी सह लेती हैं और किसी से कुछ नहीं कहतीं, अपने पति से नहीं. लेकिन इस रिश्ते में प्यार बनाए रखने के लिए जरूरी यह होता है कि दोनों एकदूसरे के राजदार बनें.

पतिपत्नी से जुड़े इस विषय पर हम ने गुजरावाला टाउन, दिल्ली के सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ डा. गुरमुख सिंह से बात की, जिस में उन्होंने कुछ प्रश्नों के तार्किक उत्तर इस तरह दिए:

पतिपत्नी का रिश्ता कैसा होना चाहिए?

पतिपत्नी को हमेशा एक अच्छे दोस्त या साथी की ही तरह होना चाहिए. केवल पत्नी को ही नहीं, बल्कि पति को भी अपनी पत्नी को अपना राजदार बनाना चाहिए.

जब मां बाप ही लगें पराए

पतिपत्नी दोस्त कैसे बन सकते हैं?

हमारे यहां आज भी जौइंट फैमिली में बहुत से लोग रहते हैं, जिस में कभीकभी समस्याएं और कठिनाइयां भी आने लगती हैं. ऐसे में पति को चाहिए कि वह अपनी पत्नी और अपनी मां दोनों को समय दे. पत्नी को भी ध्यान रखना चाहिए कि वह केवल अपने बारे में नहीं, बल्कि पूरे परिवार के बारे में सोचे और थोड़ाथोड़ा स्वयं को भी बदलने का प्रयास करे.

क्या ऐसा केवल लव मैरिज में ही संभव है या अरेंज्ड मैरिज वाले पतिपत्नी भी दोस्त बन सकते हैं?

एकदूसरे के साथ सामंजस्य बना कर रखना किसी भी तरह की शादी का मूलमंत्र है. शादी के लव या अरेंज्ड होने का इस पर कोई खास असर नहीं पड़ता. जरूरी है कि एकदूसरे के प्रति लव और केयर दोनों तरफ से हो.

कितना जरूरी होता है एकदूसरे को राजदार बनाना?

आज के समय में पतिपत्नी दोनों ज्यादातर वर्किंग ही होते हैं. ऐसे में एकदूसरे पर विश्वास की कमी रहती है. दिमाग में हमेशा एक शक पनपता रहता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि दोनों एकदूसरे से सब कुछ शेयर करें ताकि यह विश्वास पनप सके कि मुझ से कुछ भी नहीं छिपाया जा रहा. लेकिन कभीकभी सब कुछ शेयर नहीं भी करना चाहिए, क्योंकि 100% राजदार बनाने से आप का यह पवित्र बंधन टूटने के कगार पर भी पहुंच सकता है. कुछ बातें या राज ऐसे होते हैं, जिन का राज रहना ही सही रहता है.

अगर पति एक्सप्रैसिव न हो तो तालमेल कैसे बैठाएं?

सब की अपनी, अलग पर्सनैलिटी होती है. यह तो कुछ समय बाद हर किसी को एकदूसरे के बारे में समझ में आने लगता है. बस हमें स्वयं अपनी भावनाओं पर संयम रखना आना चाहिए और समय के अनुकूल ही कहना और अपेक्षा करनी चाहिए.

आप के पास इस तरह के कितने केस आते हैं और आप उन्हें कैसे सुलझाते हैं?

हमारे यहां ऐसे बहुत से केस आते हैं, जहां पतिपत्नी के रिलेशन में फ्रैंडशिप की कमी होती है. इस तरह के केसेज में हम दोनों पक्षों की बात सुनते हैं और फिर सुलझाते हैं.

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कोरोना की जंग में सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ होम क्वारंटाइन किट

भारत कोरोना वायरस के मामलों में अब ब्राजील को पीछे छोड़ कर दूसरे नंबर पर पहुँच चुका है. दिन प्रतिदिन अब मामले बढ़ते ही जा रहे है. पूरा देश एक जंग लड़ रहा और इस लड़ाई में हमे सहयोग देना है. घर मे रहकर खुद को सुरक्षित रखकर हम इस लड़ाई में जीत हासिल कर सकते है. खुद को सुरक्षित रखने के लिए हमे कुछ हथियारों की जरूरत है जिनमे सोशल डिस्टनसिंग, सेनिटेशन और होम क्वारंटाइन किट शामिल है.

घर पर रह के हम होम क्वारंटाइन किट की मदद से संक्रमण के खतरे को रोक सकते है, निश्चित रूप से अन्य घरेलू साथियों को संक्रामण से बचाना एक चुनौती है. होम क्वारंटाइन किट के इस्तेमाल के पीछे का विचार उन संक्रमण से जुड़ी समस्याओं से प्रेरित है जो 1-2 BHK अपार्टमेंट और घरों में रहने वाले मध्यम वर्ग-निम्न मध्यम वर्ग के परिवार रहते है.

किट में एक एंटीवायरल बेड शीट, तकिया कवर, तौलिया, फेस मास्क साशा बोस, नैनो कैमिक्स के सी ई ओ, रूमाल आदि घर मे वायरस से बचाव के लिए शामिल है . किट के तहत सभी उत्पादों को 99% तक कोरोना वायरस के लिए परीक्षण किया गया है.

क्या होती है वर्कप्लेस बुलिंग

यदि घर में किसी सदस्य को कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो पूरे परिवार के साथ उनसे जुड़े लोगो को भी संक्रमण का खतरा हो जाता है. होमक्वारंटाइन किट का इस्तेमाल कर के हम इस समस्या का समाधान कर सकते है.

देखभाल के अंतर्गत रोगी को क्वारंटाइन की अवधि के दौरान एंटीवायरल सुरक्षा कपड़ों और लिनन का उपयोग करने की सलाह दी जाती है जिसे बिना धुले भी इस्तेमाल किया जा सकता है (जब तक कि कोई दाग न हो). होंम क्वारंटाइन उत्पाद सक्रिय फाइबर को एम्बेडेड करता है और कोरोना वायरस को मारता है. एंटी गंध तकनीक ये सुनिश्चित करता है की इन चादरों का उपयोग बार-बार बिना धुले भी किया जा सकता है. एंटी लीचिंग प्रॉपर्टी इसे अन्य कपड़ों के साथ धोने या आम अलमारी में सुरक्षित रखने में मदद करती है.

एंटीवायरल किट 100% कपास से बना है, इस किट के अंदर प्रत्येक उत्पाद को टिकाऊ और लंबे समय तक नियमित उपयोग के रूप में बनाया गया है. यह नवजात शिशुओं के लिए भी सुरक्षित है और 15 गुना तक धोने योग्य है जो पूरे 15 दिनों के घर पर क्वारंटाइन अवधि के लिए पर्याप्त है.  ये सारे उपकरण रोगी के इस्तेमाल में आने के बावजूद संक्रमण को रोगी से घर के अन्य देखभाल करने वाले घर के साथी को जोखिम से बचाने में समर्थ है.

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हम सब जानते है की वैक्सीन आने से पहले तक कोरोना का समाधान केवल सावधानी और खुद की सुरक्षा है. बीमारी से लड़ने के लिए हमे बहुत कड़े कदम उठाने होंगे और इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए. किसी भी परिवार में जीवन का नुकसान अपरिवर्तनीय है, प्रौद्योगिकी अनुकूलन के साथ हम कई जीवन बचा सकते हैं. होम क्वारंटाइन की संख्या बढ़ती ही जा रही है इसलिए हमें इन सभी उपकरणों की सहायता से कोरोना के साथ इस लड़ाई में जीत हासिल करनी होगी.

(Inputs by Sasha Bose, CEO of Nano Chemiqs)

जब बनें पहली बार मां तो शरीर में आयरन की मात्रा हो सही

डा. बसब मुखर्जी, औब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलौजिस्ट, एमआरसीओजी, कोलकाता

वैसे तो उम्र के हर पड़ाव पर चुस्तदुरुस्त रहना व्यक्ति की प्राथमिकता होनी चाहिए, पर पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए खासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें उन बीमारियों या कमियों के बारे में पता होना चाहिए, जो गर्भवती महिलाओं पर असर डाल सकती हैं.

एनीमिया को एक ऐसी स्थिति के रूप में पारिभाषित किया जाता है, जब आप के शरीर में ऊतकों तक पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन पहुंचाने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की कमी रहती है. एनीमिया गर्भवती महिलाओं में पाई जाने वाली सामान्य स्थिति है, जिस से उन के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. सभी गर्भवती महिलाओं में से 42 फीसदी महिलाएं अपनी गर्भावस्था की किसी न किसी स्टेज पर एनीमिया की शिकार होती हैं.

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आयरन और फोलेट से भरपूर संतुलित भोजन करें

एनीमिया से बचने और शरीर में खून या लौह तत्वों की कमी को दूर करने के लिए आयरन या फोलिक एसिड से भरपूर संतुलित भोजन करना पहला कदम है. कई शाकाहारी और मांसाहारी पदार्थों में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. रेड मीट, चिकन, मछली, अंडों, अंकुरित अनाज, सूखी बीन्स और हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन का सब से बेहतरीन स्रोत है. यह फूड आइटम्स सभी जगह आसानी से मिल जाते हैं.

डाक्टरों की सलाह से सप्लिमेंट्स लें, डाइट की पोषक क्षमता बढ़ाएं

हालांकि गर्भावस्था में पोषक तत्वों से भरपूर और संपूर्ण भोजन भी कई बार शरीर की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता, इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में बड़ी मात्रा में आयरन से भरपूर पदार्थों को शामिल करने की जरूरत होती है.

गर्भवती महिलाएं डाक्टर की सिफारिश के अनुसार आयरन सप्लिमेंट्स को अपने आहार में शामिल करें. इस के साथ ही पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को कैल्शियम और आयरन सप्लिमेंट्स भी देने की अकसर सिफारिश की जाती है.

समयसमय पर अपने हीमोग्लोबिन लेवल की जांच करें

समयसमय पर जांच कराते रहने से हमेशा ही किसी समस्या के उभरने का समय से पता चलता है. विशेषज्ञों की सिफारिश के अनुसार गर्भवती महिलाओं को कम से कम 3 बार अपने हीमोग्लोबिन लेवल की जांच करानी चाहिए. जांच में हीमोग्लोबिन का 12 से कम पाया जाना आयरन की कमी का सूचक है, जबकि अगर जांच में किसी का हीमोग्लोबिन लेवल 10.5 से कम निकलता है तो व्यक्ति शरीर में खून की कमी या एनीमिया का शिकार होता है. इसलिए समयसमय पर हीमोग्लोबिन की जांच कराना जरूरी है.

मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक सेहत जितना महत्वपूर्ण है

हालांकि इस में कोई शक नहीं है कि एनीमिया का प्रारंभिक कारण शरीर को ताकत देने वाले लौह तत्वों से युक्त पदार्थों का भोजन में पर्याप्त रूप से न शामिल होना माना जाता है. कई बार एनीमिया के रोगियों में सोचनेसमझने की क्षमता गड़बड़ हो सकती है और डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं. यह स्थिति एनीमिया को और गंभीर बना देती है.

इस के अलावा पहली बार मां बनने में मानसिक स्वास्थ्य की काफी चुनौतियां आती हैं, जो काफी हानिकारक होती हैं और काफी हद तक नुकसान पहुंचाती हैं. इसीलिए यह महत्वपूर्ण है कि महिला तनाव न ले और अपने जीवन के सब से यादगार और सब से खुशनुमा पलों का आनंद उठाए.

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जागरूक रहें, छोटीछोटी चीजों को ठीक करें

सेहतमंद बने रहने के लिए जागरूक रहना और छोटेछोटे कदम उठाना काफी लाभदायक हो सकता है, जैसे खाना खाने के साथ चाय या कौफी नहीं पीनी चाहिए, क्योंकि यह सब जानते हैं कि इस से भोजन में शामिल आयरन को अपनाने या अवशोषित करने में शरीर को काफी बाधाओं का सामना करना पड़ता है. कास्ट आयरन के बरतनों में पका हुआ खाना अन्य बरतनों में पके हुए खाने की अपेक्षा आयरन की मात्रा 80 प्रतिशत तक बढ़ा देता है.

लैंगिक भेदभाव: केजुअल सेक्सिज़्म

ये कभी आकस्मिक नहीं होता. केजुअल सेक्सिज़्म के बारे में ज्यादा गहराई से जानने से पहले हम यह जानेंगे की यह होता क्या है? जब हम किसी व्यक्ति के साथ उसके लिंग के आधार पर अलग किस्म से व्यवहार करतें हैं तो उसे ही अक्सर होने वाला  लैंगिक भेद भाव (केजुअल सेक्सिज़्म) कहा जाता है. इस पितृसत्तात्मक समाज में ज्यादातर महिलाओं को यह सहना पड़ता है. लगभग हर जगह ही जैसे काम पर या घर पर, समाज में हर जगह महिलाएं इसका शिकार बनती हैं. आइए जानते हैं यह महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करता है?

समाज द्वारा स्थापित रोल तय करना : अक्सर समाज महिलाओं से पहले से स्थापित तय किए गए नियमो को मानने की अपेक्षा करता है. यदि आप एक लड़की हैं तो आप ने अपने घर वालों को अक्सर यह कहते सुना होगा कि एक लड़की की तरह पेश आओ या आप के लिए सुंदर दिखना जरूरी होता है.

महिलाओं का उदाहरण देकर ताने मारना : आप ने अक्सर देखा होगा की कुछ पुरुषों को हम यह कह कर चिड़ाते हैं की यह महिलाओं की तरह चल रहा है या हम महिलाओं को भी कई बार ऐसे उदाहरण देते हैं कि उनका दिमाग घुटनों में होता है जोकि एक प्रकार से उन्हें नीचा दिखाना होता है.

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यौन वस्तुकर्ण : इसका उदाहरण है मां बहन की गंदी गालियां या आपके कार्यस्थल पर कसी गई फब्तियां, आप कैसी दिखती हैं इस पर टिप्पणी , आप को गलत तरह से छूना आदि.  यह भी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को नकारत्मक रूप से प्रभावित करता है.

अब जानते हैं कि यह लैंगिक भेदभाव महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करता है?

सुरक्षा खतरे में होना : जब महिलाओं को रास्ते में कोई गलत तरीके से छेड़ेगा या उस पर किसी प्रकार की टिप्पणियां करेगा तो उनको अपनी सुरक्षा का खतरा तो महसूस होगा ही. उनके एक प्रकार का भय मन में बैठ जाएगा.

स्वयं को कम समझना : यदि पुरुषों महिलाओं को दूसरे का उदाहरण देकर नीचा दिखायेंगे  तो महिलाओं को अपने मन में यह लगेगा की उनमें कुछ कमी है. इसलिए वह अपने आप को कम समझेंगी.

आत्म विश्वास में कमी : यदि महिलाओं को अपनी बनावट व वह कैसी दिखती हैं इन बातों पर बुरी टिप्पणियां मिलेंगी तो उन्हें अपने आप में ही अच्छा महसूस नहीं होगा. कहीं न कहीं उनका आत्म विश्वास कमजोर हो जाएगा.

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स्वयं को दोषी मानना : महिलाएं अक्सर हर छोटी छोटी बात को दिल से लगा कर बैठ जाती हैं. ऐसे में यदि कोई भी उन्हें उनके बारे में कुछ भी गलत बोलेगा तो वह उस में अपना ही कोई दोष ढूंढेंगी.

असशक्त बनना : यदि महिलाएं स्वयं को कमजोर समझने लगेंगी तो उन्हें लगेगा की उनके पास कुछ भी करने के लिए हिम्मत नहीं है. ऐसे में वह सशक्त नहीं बनेंगी जिससे उनके कैरियर व उनकी मानसिक हालत पर भी गहरा व नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. अतः हम सब को यह ऊपर लिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए और किसी भी महिला को नीचा नहीं दिखना चाहिए.

हैल्दी स्किन के लिए चाहिए ये 5 स्किन केयर प्रोडक्ट

अपनी स्किन को हेल्दी रखना किसे पसंद नहीं होता है. परंतु यदि आप अपनी स्किन को ऐसे ही जवान व चमकती रखना चाहतीं हैं तो आप को उसकी केयर भी करनी होगी और केयर के लिए आप को जरूरत होगी स्किन केयर प्रोडक्ट्स की. परंतु कुछ स्किन केयर प्रोडक्ट ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम एफोर्ड नहीं कर पाते. और यदि हम सस्ते प्रोडक्ट ले लेतीं हैं तो उनमें हमें गुणवत्ता पर शक होने लगता है कि कहीं इसका कोई साइड इफेक्ट तो नहीं होगा. अतः आज हम आप को कुछ ऐसे स्किन केयर प्रोडक्ट्स के बारे में बताएंगे जिनसे आप की स्किन भी स्वस्थ रहेगी, आप को उनसे पिंपल आदि भी नहीं होंगे व सबसे बढ़िया बात , वह प्रोडक्ट आप के बजट में भी आ जाएंगे.

एक बढ़िया क्लींजर :

आप की स्किन केयर का सबसे मुख्य स्टेप होता है आप के फेस को साफ करना जिस के लिए आप को एक क्लींजर की आवश्यकता होती है. आप किसी भी प्रकार के कठोर क्लींजर का प्रयोग न करें बल्कि ऐसा क्लींजर ढूंढे जो साबुन मुक्त हो, सल्फेट मुक्त हो और जिस का Ph लेवल भी सामान्य हो. इस प्रकार का क्लींजर आप की स्किन के लिए जेंटल है. इस का प्रयोग आप हर रोज सोने से पहले करें.

एक बढ़िया मॉइश्चराइजर :

मॉइश्चराइजर आप को अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रखते हुए खरीदना चाहिए. यदि आप की ड्राई स्किन है तो आप को अधिक हाइड्रेशन की जरूरत होती है. इसलिए अधिक हाइड्रेशन देने वाला मॉइश्चराइजर खरीदें. और यदि आप की स्किन ऑयली है तो कोई ऑयल मुक्त मॉइश्चराइजर खरीदें. यदि आप की स्किन सेंसिटिव है तो आप अल्कोहल मुक्त और सुगन्ध मुक्त मॉइश्चराइजर का प्रयोग कर सकते हैं.

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सन स्क्रीन :

सन स्क्रीन भी आप की स्किन के लिए एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्टेप होता है. सूर्य की हानिकारक किरणे आप की स्किन को टेन कर सकती हैं. अतः उनसे बचने के लिए आप को सन स्क्रीन का प्रयोग आवश्यक रूप से करना चाहिए. आप को कम से कम 30 या 50 एसपीएफ वाला सन स्क्रीन प्रयोग करना चाहिए.

एक्सफोलिएटर :

आप के स्किन पर गन्दगी व प्रदूषण के कारण डेड स्किन सेल्स इकट्ठी हो सकती हैं जो आप की स्किन को खराब करती हैं. उन्हें अपनी स्किन से निकालने के लिए आप को एक्सफोलिएशन की जरूरत होती है. इसके लिए आप किसी स्क्रब का प्रयोग कर सकते हैं. अतः आप की स्किन के लिए एक्सफोलिएशन भी बहुत जरूरी होता है. इस स्टेप को भूल कर भी न भूलें.

एंटी एजिंग प्रोडक्ट :

हमारी स्किन पूरा दिन धूप, प्रदूषण व डस्ट आदि में रहने के कारण समय से पहले ही बूढ़ी होने लग जाती है और हमें फाइन लाइन आदि होनी शुरू हो जाती हैं. इससे बचने के लिए आप को एक एंटी एजिंग प्रोडक्ट की जरूरत है. आप ऐसे उत्पादों का प्रयोग कर सकते हैं जिन में विटामिन सी व रेटिनोल आदि मौजूद हो. यह दोनो चीजें आप की स्किन को बरकरार रखने के लिए बहुत लाभदायक माने जाते है और इनसे आप की स्किन का टेक्सचर भी निखरता है.

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शादी की खबरों के बीच नेहा कक्कड़ ने ऐसे खोली ‘मायके और ससुराल’ की पोल

बौलीवुड की पौपुलर सिंगर नेहा कक्कड़ इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं. जहां नेहा कक्कड़ ने सोशलमीडिया पर एक पोस्ट के जरिए प्यार का ऐलान किया है. तो वहीं उनके हाल ही में किए गए पोस्ट में फैंस नेहा को संस्कारी बहू का टैग दे रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला…

संस्कारी बहू का लुक देख फैंस ने शेयर किए मीम्स

दरअसल, नेहा कक्कड़ ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कुछ फोटोज पोस्ट की है, जिसमें वह संस्कारी दुल्हन के रोल में नजर आ रही हैं. वहीं नेहा की इन फोटोज को देखने के बाद फैंस मीम्स शेयर कर रहे हैं. हालांकि नेहा ने संस्कारी दुल्हन का लुक अपने फैंस को नवरात्रि की बधाई के लिए दिया था.

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फैंस को लगा झटका

अपने फैंस को कंफ्यूज करने के बाद नेहा कक्कड़ ने एक मजेदार मीम शेयर कर किया, जिसमें वो मायके और ससुराल के गेटअप को दिखाते हुए नजर आईं, जिसके बाद फैंस उनकी शादी को लेकर बाते कर रहे हैं.

आदित्य के बाद नेहा करेंगी शादी

आदित्य नारायण के बाद सिंगर नेहा कक्कड़ की शादी की चर्चा रोहनप्रीत सिंह से होने की खबरें हैं. दरअसल, रोहनप्रीत सिंह भी नेहा की तरह एक सिंगर हैं, जिनका गाना नेहू दा ब्याह 21 अक्टूबर को रिलीज होने वाला है.  इसीलिए दोनों स्टार्स की शादी की खबरें वायरल हो रही है.

यहां हुई थी पहली मुलाकात

 

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Jab we met! ♥️🙈 @rohanpreetsingh 🥰 #LoveAtFirstSight 🙌🏼 #NehuDaVyah #NehuPreet

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खबरों की मानें तो रोहन और नेहा की पहली मुलाकात डायमंड दा छल्ला के सेट पर हुई थी, जिसके बाद दोनों की दोस्ती हुई और बाद में यह प्यार में बदल गई. हालांकि इससे पहले नेहा कक्कड़ का नाम सिंगर आदित्य नारायण के साथ जोड़ा जा रहा था, जिसके चलते दोनों की शादी की अफवाहें भी उड़ी थी, हालांकि ये एक शो के रियलिटी स्टंट साबित हुआ था.

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बता दें, नेहा संग शादी रचाने जा रहे रोहनप्रीत सिंह एक पंजाबी सिंगर हैं, जो कई रियलिटी शो में नजर आ चुके हैं, जिनमें ‘राइजिंग स्टार 2’ ‘मुझसे शादी करोगे’ और 2007 में रोहनप्रीत ने सारेगामापा लिटिल चैंप्स में भाग ले चुके हैं.

नहीं रहीं ‘कुमकुम भाग्य’ की ‘इंदू दादी’, 54 साल की उम्र में हुआ निधन

कोरोनावायरस का ये साल देश-दुनिया के लिए जहां मुसीबत साबित हो रहा है तो वहीं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के सितारों के लिए बुरा सपने जैसा लग रहा है. दरअसल, बीते दिन टीवी सीरियल कुमकुम भाग्य में इंदु दासी का किरदार निभाने वाली दिग्गज कलाकार जरीना रोशन खान का निधन हो गया है. वहीं उनके को स्टार रह चुके स्टार्स ने सोशलमीडिया पर फैंस को जानकारी देते हुए दुख जताया है.

अभि-प्रज्ञा ने कही ये बात

खबरों की मानें तो 54 साल की एक्ट्रेस जरीना रोशन खान का निधन हार्ट अटैक के चलते निधन हुआ है.  कुमकुम भाग्य में उन्होंने अपने रोल से फैंस के बीच खास जगह बना ली थी. वहीं जरीना रोशन खान के निधन की जानकारी देते हुए सृति झा ने एक फोटो शेयर करते हुए एक एक हार्ट की इमोजी भी शेयर की है. वहीं, शब्बीर आहलूवालिया ने लिखा है, ‘ये चांद सा रोशन चेहरा…’

 

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💔…

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इस एक्टर ने कही ये बात

 

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Ye chand sa Roshan Chehera 💔

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टीवी शो कुमकुम भाग्य से जुड़े एक्टर अनुराग शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया है कि, ‘हां, ये सही है.  ये खबर हम सभी के लिए काफी चौंका देने वाली है. वो एक बहुत ही प्यारी इंसान थी.  जिंदगी से भरपूर, उम्र के इस पड़ाव पर भी को काफी उत्साह से भरी हुई थी.  मैंने उनके जैसा कोई भी इंसान आज तक नहीं देखा.  वो बहुत प्यारी थी.  मुझे लगता है कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआती दिनों में एक स्टंट वुमेन के तौर पर भी काम किया था. और वो वाकई में अपनी निजी जिंदगी में भी एक फाइटर की तरह ही थी.  मैंने उनके साथ बीते महीने काम किया था.  हमने काफी अच्छा वक्त बिताया.  वो बिल्कुल ठीक थी.  लेकिन अचानक आज ही ये खबर हमारे ग्रुप में आई.  मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ करता हूं. ‘

बता दें, बीते दिनों बौलीवुड औऱ टीवी सितारों के निधन की खबरों ने फैंस को डरा दिया है.

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‘साथ निभाना साथिया 2’ के लिए अभिनेता हर्ष नागर को सीखनी पड़ी गुजराती

दिल्ली से मुंबई पहुंचते ही मासूम चेहरे और सीखने की इच्छा के चलते अभिनेता हर्ष नागर ने कम समय में टीवी पर कई बेहतरीन चरित्र निभा चुके हैं. अब वह ‘‘साथ निभाना साथिया सीजन 2’’मुख्य भूमिका में नजर आने वाले हैं.  हर्ष नागर पारिवारिक व मनोरंजक सीरियल‘‘साथ निभाना साथिया’’के सीजन दो में गुजराती युवक अनंत देसाई का किरदार निभाते हुए नजर आएंगे. इसमें गहना का किरदार निभा रही अभिनेत्री स्नेहा जैन के रोमांस करते नजर आएंगे. अपने किरदार के लिए  हर्ष अपने हावभाव, मुद्राएं, तरीके और भावों का अभ्यास तब तक करते रहे जब तक कि वह पूरी तरह अपने किरदार को समझ नहीं गए. इतना ही नही अनंत देसाई के किरदार के साथ न्याय करने केे लिए उन्होने अपने निजी जीवन की पत्नी  तन्वी व्यास से गुजराती भाषा सीखी.

हर्ष नागर कहते हैं- ‘‘मैंने हमेशा अपनी पत्नी तन्वी से गुजराती भोजन और संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सुना है. गुजराती एक बहुत ही प्यारी भाषा है और मैंने गुजराती भाषा से अधिक परिचित होने और इसकी विभिन्न बारीकियों और शैलियों को परिपूर्ण करने के लिए चुना है, जो विशेषताएं ‘साथ निभाना साथिया‘ शो में मेरे किरदार ’अनंत’ के अनुरूप है. मेरी पत्नी तन्वी इस प्रक्रिया के माध्यम से मुझे सलाह देने के लिए पर्याप्त हैं.  मैंने उनके उनसे न केवल गुजराती बोली को सही तरीके से बोलना सीखा,बल्कि इसके उच्चारण और कुछ लोकप्रिय गुजराती तकिया कलमों में भी महारत हासिल की.  यह अब तक चुनौतीपूर्ण और रोमांचक रहा है.  यह सीरियल मेरे दिल के बहुत करीब है. मैंने अपनी सभी ऊर्जाओं को इस किरदार के परफेक्शन में लगा दिया है और मुझे उम्मीद है कि यह स्क्रीन पर जरूर दिखाई देगा. हमेशा एक नई भाषा सीखने में मजा आता है. मेरा यह सीखने का पूरी तरह से एक अलग अनुभव रहा है. ”

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पाॅंच वर्ष की उम्र से अभिनय करते आ रहे हर्ष नागर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनके मासूम चेहरे से प्रभावित होकर वड़ोदरा की ‘पूर्व मिस इंडिया 2008’’और ग्राफिक डिजायर जाइनर तन्वी व्यास ने हर्ष के संग व्याह किया था. इनका वैवाहिक जीवन सफलता पूर्वक आगे बढ़ रहा है.

19 अक्टूबर से हर सोमवार से शुक्रवार रात नौ बजे ‘‘स्टार प्लस’’ पर प्रसारित होने वाले रश्मि शर्मा निर्मित सीरियल‘‘साथ निभाना साथिया’’में हर्ष नागर के साथ ही पूरा मोदी परिवार वापस आ रहा है. इसमें गोपी (देवोलेना भट्टाचार्जी), कोकिला (रूपल पटेल), अहम (मोहम्मद नाजिम)का समावेष है.

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जानें क्या है ‘कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम’ 

लॉकडाउन में लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अधिकतर समय घर पर ही बिताने के लिए मजबूर है. वर्क फ्रॉम होम होने की वजह से उन्हें अधिक से अधिक समय  कम्प्यूटर पर बिताना पड़ रहा है, क्योंकि जब आप ऑफिस जाते है तो जाने-आने का समय निकालने के बाद का समय जो तक़रीबन 4 से 5 घंटे ही होता है. उतनी देर तक काम करते है. इसके अलावा घर पर रहते हुए परेशान होने पर लोग अधिकतर फोन या टीवी देखते रहते है. इससे आंखो की समस्या कुछ महीनों में बढती दिखाई दे रही है.

आंखो में जलन या खुजली जैसी परशानी लोगो में दिख  रही है.  सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चे भी इससे प्रभावित हो रहे है, जो बच्चे ज्यादा देर तक टैबलेट्स पर वक्त बिताते हैं या स्कूल से जुड़े कामों के लिए कंप्यूटर का इस्तमाल करते हैं, उन्हें भी इस तरह की समस्या हो सकती है. इस बारें में दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कार्तिकेय संगल कहते है कि कंप्यूटर विजन सिंड्रोम’ आँखों से जुडी एक समस्या है, जो घंटो लगातार लैपटॉप, टीवी और कम्प्यूटर के सामने बैठने से होती है. कोरोना संक्रमण की वजह से सभी लोग घर पर है और पिछले कुछ महीनों से आँखों की समस्या बढ़ती दिखाई दे रही है. समय रहते इलाज होना जरुरी है, नहीं तो दृष्टि की समस्या हो सकती है. 

कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण 

कम्प्यूटर ज्यादा देर तक इस्तमाल करने से आंखों को लंबी अवधि में नुकसान पहुंचता हैइसके कोई प्रमाण फिलहाल उपलब्ध नहीं हैंलेकिन रोज 8 से 10 घंटे लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने से आंखों पर काफी दबाव पड़ता हैजिससे परेशानी महसूस हो सकती है. कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण निम्न है, 

         धुंधला नजर आना

         चीजें डबल नजर आना

         आंखें लाल होना

         आंखों में खुजली

         सिरदर्द

         गर्दन या पीठ में दर्द आदि.

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सभी डॉक्टर्स का मानना है कि आजकल लोगों की नौकरी 12 घंटे कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करने की होती है. जब आप किताब पढ़ते हैं तो आप 30 से 40  मिनट में उठते हैं और इधरउधर जाते हैंमगर कम्प्यूटर पर काम करने के दौरान ऐसा नहीं कर पाते. लोग लगातार घंटों नहीं उठते. इससे ही कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम अस्तित्व में आई है, जिसमें आंखों का सूखनाआंखों का लाल होनाआंखों से पानी निकलना और मांसपेशियों का कमजोर होना आदि शामिल हैं।

इसके आगे डॉ. कार्तिकेय कहते है कि आँखों में खुजली होने या आंखों के लाल होने की परेशानी सबको है. इसकी समस्या किसी को कम तो किसी को ज्यादा है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कम्प्यूटर पर कितना वक्त बिताते है. कम्प्यूटर और लैपटॉप पर काम करने के दौरान आंखों को स्वस्थ रखने के सुझाव कुछ इस प्रकार है,  

1. कम्प्यूटर की स्क्रीन आंखों की सीध में या आंखों से थोड़ी नीचे होनी चाहिए, कम्प्यूटर या लैपटॉप की स्क्रीन आंखों से ऊपर नहीं होनी चाहिएइसकी स्क्रीन आंखों से जितनी ऊपर होगीआंखों पर उतना जोर पड़ेगा, 

2. नियमित कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करने वालों को हमेशा एंटीग्लेयर लैंस का इस्तेमाल करना चाहिए, जिन्हें  नजर का चश्मा लगा हुआ हैवे अपने चश्मे में एंटीग्लेयर लैंस लगवाएं और जिनके चश्मा नहीं लगा हुआ हैवे भी एंटीग्लेयर लैंस का साधारण चश्मा पहनें, बेहतर यह है कि कम्प्यूटर की स्क्रीन पर भी एंटीग्लेयर शीशा लगा लें,

3. हर आंधे घंटे में ब्रेक लेना जरूरी है और 5 से 10 बार आंखों को जल्दीजल्दी झपकाना चाहिए, जिससे आंख के सभी हिस्सों में पानी पहुंच जाय और आंखों में नमी बनी रहे.

कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम से बचाव के उपाय

         कोई भी लक्षण लगातार नजर आएंतो डॉक्टर से संपर्क करें,

         चश्मा लगाकर ही काम करें,

         कम्प्यूटरटीवीमोबाइल का इस्तेमाल अंधरे में ना करें,

         डेस्कटॉपलैपटॉपमोबाइल को आंखों से सही दूरी पर रखें,

         आंखों में ड्राइनेस महसूस होतो आईड्रॉप् को इस्तेमाल करें,

         कम्प्यूटर पर काम करते हैंतो बीचबीच में ब्रेक लेते रहें,

         आंखों को आराम देने के लिए आधे घंटे के गैप में आंखों को कम्प्यूटर से हटा लें, एकदो मिनट के लिए आंखें बंद करके बैठ जाएँ.

आंखो के लिए करें कुछ वर्क आउट 

1. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें, आँखों का व्यायाम भी करें,

2.इस बात पर ध्यान दें कि एसी की हवा सीधी आपकी आंखों में ना पड़े,

3.आंखों को किसी प्रकार की तेज रोशनी से बचाएँ, अगर स्क्रीन पर बल्ब या ट्यूबलाइट की सीधी रोशनी रही है तो उससे बचे, क्योंकि यह भी आंखों की सेहत को प्रभावित कर सकती है,

4.कुछ लोग ऐसा भी करते हैं कि कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हुए लाइट बंद कर देते हैं, ऐसा ना करें, स्क्रीन पर काम करते हुए पर्याप्त रोशनी होने की जरुरत है.

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आँखों में किसी भी समस्या के होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ और समय रहते इलाज करवाएं, ताकि किसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकें. 

जब मां बाप ही लगें पराए

रीतेश अपनी क्लास का मेधावी छात्र था. पर पिछले दिनों उस का नर्वस ब्रेक डाउन हो गया. इस से उस की योग्यता का ग्राफ तो गिरा ही दिनप्रतिदिन के व्यवहार पर भी बहुत असर पड़ा. खासतौर पर मां और भाई के प्रति उस का आक्रामक व्यवहार इतना बढ़ गया कि उसे मनोचिकित्सालय में भरती कराना पड़ा. उस के साथसाथ घर वालों की भी पर्याप्त काउंसलिंग की गई. तब 3 महीने बाद यह मनोरोगी फिर ठीक हुआ. उस के मांबाप को बच्चों के साथ बराबर का व्यवहार करने की राय दी गई.

  1. क्यों पड़ी यह जरूरत

डा. विकास कुमार कहते हैं, दरअसल किसी भी मनोरोग की जड़ हमेशा रोगी के मनमस्तिष्क में नहीं होती. परिवार, परिवेश और परिचित से भी उस का जुड़ाव होता है, उस का असर अच्छेभले लोगों पर पड़ता है. हम औरों की दृष्टि से नहीं सोच पाते.

अकसर मनोचिकित्सकों के पास ऐसे केस आते रहते हैं. ‘सिबलिंग राइवलरी’ बहुत कौमन है. ऐसा छोटेछोटे बच्चों में भी होता है, जिन बच्चों में उम्र का अंतर कम होता है उन में खासतौर पर. यदि मांबाप वैचारिक या अधिकार अथवा व्यवहार में बच्चों में ज्यादा भेद करें तो भाईबहनों में यह प्रवृत्ति आ जाती है.

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  1. मां-बाप हैं इस की जड़

छोटेछोटे बच्चे छोटे होने के बावजूद भाईबहनों को स्वाभाविक रूप से प्यार करते हैं. अकेला बच्चा मांबाप से पूछता है, औरों के भाईबहन हैं पर उस के नहीं. उस को भाई या बहन कब मिलेंगे? बच्चा बहुत निर्मल मन से उन का स्वागत करता है पर धीरेधीरे वह देखता है कि उस के भाईबहन को ज्यादा लाड़प्यार दिया जा रहा है, ज्यादा अटैंशन दी जा रही है तो अनजाने ही वह पहले उस बच्चे को और फिर मांबाप को अपना शत्रु समझने लगता है. फिर अपनी बुद्धि के अनुसार बदला लेने लगता है.

रिलेशनशिप काउंसलर निशा खन्ना कहती हैं, ‘‘अकसर मांबाप बच्चों को चीजें बराबर दिलाते हैं, खिलातेपिलाते एकजैसा हैं पर वे मन के स्तर पर एकरूपता नहीं रख पाते. जैसे किसी बच्चे की ज्यादा प्रशंसा करेंगे, उसे भविष्य की आशा बताएंगे, अपने सपनों को साकार करने वाला बताएंगे. वे यह भूल जाते हैं कि हर एक बच्चे का बौद्धिक व भावनात्मक स्तर भिन्न होता है. इसलिए मांबाप को चाहिए कि वे बच्चों के साथ डेटूडे व्यवहार में चौकस रहें. उन से बराबरी का व्यवहार करें वरना एक बच्चा कुंठित, झगड़ालू, ईर्ष्यालु और हिंसक तक हो सकता है. इस के दुष्परिणाम हत्या, आत्महत्या, तोड़फोड़ मनोरुग्णता जैसे कई रूपों में हो सकते हैं.’’

  1. पेरैंटिंग सब से बड़ी चुनौती

गृहिणी राजू कहती हैं, ‘‘बच्चों को पैदा करने से ज्यादा मुश्किल है प्रौपर पेरैंटिंग. यह आज की सब से बड़ी चुनौती है. पहले बच्चा संयुक्त परिवार में पलता था, उस की भीतरी, आंतरिक और भावनात्मक शेयरिंग के लिए दादादादी, बूआ, चाचाताऊ आदि थे. उन के पास बच्चों के लिए अवसर था. फिर अभाव भी थे तो बच्चे थोड़े में संतुष्ट थे परंतु आज का बच्चा जागरूक है. मीडिया के माध्यम से सबकुछ घर में देखता है, इसलिए वह मांबाप से अपने अधिकार चाहता है. वह तर्कवितर्क करता है, बहस में जरा भी संकोच नहीं करता. ऐसे में मांबाप को चाहिए कि वे सजग हो कर पेरैंटिंग करें. पैसा खर्च कर के कर्तव्य की इतिश्री न करें.’’

मांबाप अकसर बच्चों के प्रति सोचविचार कर व्यवहार नहीं करते. किशोर बबली कहती है, ‘‘मेरे मांबाप मेरी टौपर बहन पर जान छिड़कते हैं. मैं घर के सारे काम करती हूं, दादी का ध्यान रखती हूं. उन्हें इस से कोई मतलब नहीं. दीदी तो पानी तक हाथ से ले कर नहीं पीतीं. ऐसे में मैं टौपर बनूं तो कैसे?’’

दादी उस के मनोभावों का उद्वेलन शांत करती हैं पर मांबाप की ओर से वह खास संतुष्ट नहीं है. वह उन से अपने काम का रिटर्न और प्यार चाहती है.

  1. शेयरिंग है जरूरी

रमन मल्टीनैशनल कंपनी में ऊंचे ओहदे पर हैं. मांबाप का खूब खयाल रखते हैं. उन की बैंक मैनेजर पत्नी भी पूरा ध्यान रखती है. पर उन को यह बड़ा ही शौकिंग लगा जब माता-पिता ने छोटे बेटे के साथ रहने का निर्णय लिया. छोटा बेटा मांबाप पर खास ध्यान भी नहीं देता, न ही उस के बच्चे. उस की घरेलू पत्नी भी अपने में ही मगन थी. मांबाप के इस निर्णय पर रमन व उन की पत्नी बहुत नाराज हो गए. फूटफूट कर रोए. एक पड़ोसिन ने रमन के मांबाप को यह बात बताई तो मांबाप को लगा सचमुच उन से गलती हो गई.

वे रमन और उन की पत्नी को अपनी ओर से श्रीनगर घुमाने ले गए. वहां उन्होंने बताया कि छोटा लड़का कम कमाता है. उस की बीवी भी नौकरी नहीं करती. दोनों के बच्चे भी आज्ञाकारी नहीं हैं. ऐसे में वे साथ रहेंगे तो उन्हें कुछ आर्थिक मदद भी मिल जाएगी और बच्चों की पढ़ाईलिखाई व पालनपोषण भी अच्छा रहेगा. भले ही उन्हें रमन के साथ सुख ज्यादा है पर 8-10 साल भी हम जी गए तो उस की गृहस्थी निभ जाएगी वरना रोज की चिकचिक से मामला बिगड़ जाएगा.

रमन व उन की पत्नी ने काफी हलका महसूस किया, साथ ही हकीकत जान कर उन का छोटे भाई के प्रति नजरिया भी बदला. उन्होंने भी आर्थिक स्तर के चलते जो दूरियां आने लगी थीं उन्हें समय रहते पाट दिया.

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  1. पैसा ही सबकुछ नहीं

डा. जय अपने माता-पिता को हर माह खर्च के लिए अच्छी राशि देते हैं पर उन्हें लगता है कि उन के मांबाप रिश्तेदारों में छोटे भाई का गुणगान ज्यादा करते हैं जिस ने कभी उन की हथेली पर कुछ नहीं रखा. इस के चलते परिवार में 2 गुट होने लगे. तब जय के माता-पिता ने स्पष्ट किया कि बेटा, पैसे की मदद बहुत बड़ी है पर तुम्हारे छोटे भाई का पूरा परिवार भी कम मदद नहीं करता, राशनपानी लाना, कहीं लाना, ले जाना, छोड़ना, सामाजिकता निभाने में मदद करना. अगर हम इन्हीं कामों को पैसे से तौलें तो तुम्हारे पैसे से ज्यादा ही रहेगी यह मदद. कोई नापने में समझता है तो कोई तौलने में. डा. जय को भी लगा कि यह बात तो सही है कि पैसे देने के बाद वे माता-पिता की खैरखबर नहीं ले पाते. उन को पिता के हार्टअटैक के समय छोटे भाई के ससुराल वालों की दौड़भाग भी याद आई.

  1. नजरिए का विस्तार

सुरंजय और संजय मांबाप से खूब लड़ते हैं. उन के मंझले भाई अजय इन दोनों से अलग हैं. अजय शराब नहीं छूते. वे आज्ञाकारी व मांबाप के सहायक हैं. फिर भी मांबाप उन दोनों को भी बराबर प्यार देते हैं. उस के अच्छे होने का फायदा ही क्या? अजय के इस कौन्फ्लिक्ट पर मांबाप ने समझाया, ‘शरीर का कोई अंग जब तक ठीक होने लायक हो तब तक उस की पूरी परवा की जाती है. उन की संगत ठीक नहीं थी, हमारे प्यार से वह सुधरी, आगे और भी सुधार संभव है. तुम पर जो नाजविश्वास हमें है, उस का तो कहना ही क्या पर हम इन दोनों को नजरअंदाज नहीं कर सकते तुम्हारी मांग जायज होने के बावजूद. अजय की शिकायत काफी कम हो गई. वे समझ सके कि सब को बराबर प्यार देना मांबाप की जिम्मेदारी है. यही उन के भाइयों को भी करना चाहिए पर वे अपरिपक्व हैं.

  1. कमजोर बच्चे की ओर झुकाव

मांबाप का मन अकसर छोटे और कमजोर बच्चों की ओर ज्यादा रहता है. वे सब बच्चों को समान व स्तरीय देखना चाहते हैं. ऐसे में कभीकभी भेदभाव जैसा व्यवहार लगता है पर असल में उन का भाव वैसा नहीं होता. बड़े बच्चों के साथ मांबाप दोस्ताना होते हैं. वे उन्हें जिम्मेदार समझ कर उन से उम्मीद करते हैं कि वे छोटे भाईबहनों का भी ध्यान रखें.

  1. सही सलाह भी जरूरी

प्रकाश वैसे आईआईटी का छात्र है पर उसे लगता है कि उस के विकलांग भाई के पीछे मांबाप पागल हैं. अगर उस पर इस से आधा भी प्यार लुटाते तो वह 2 चांस नहीं गंवाता. उसे उस के दोस्तों ने समझाया, ‘तुम समर्थ हो, सबल हो. तुम्हारा बड़ा भाई हर काम के लिए उन पर निर्भर है. इसलिए अगर वे राधूराधू करें तो तुम परेशान मत हुआ करो. तुम्हारे पास बाहर की पूरी दुनिया है. राधू के पास व्हीलचेयर, किताबें, टीवी और इक्कादुक्का लोगों के अलावा कौन है? इतने पराधीन जीवन में मांबाप ही उस का साथ नहीं देंगे तो वह जी ही नहीं पाएगा.’ प्रकाश को लगा कि उस की सोच भी दोस्तों जैसी परिपक्व व सकारात्मक होनी चाहिए.

  1. देने-लेने में फर्क

चाहे किसी के पास कितना ही धन हो पर अधिकार की प्राप्ति सब बराबर चाहते हैं. एक प्रोफैसर मां कहती हैं, मेरे बेटे का 5 लाख रुपए महीने का पैकेज है पर फिर भी वह छोटीछोटी बातों पर लड़ता है. उस के भाई को 20 हजार रुपए मिलते हैं. दो पैसा उसे दे दूं तो रूठ कर मेरी चीज मेरे सामने ही रख जाता है. तब मेरी सखी ने समझाया, ‘इस व्यवहार से तुम बेटेबहू दोनों खो दोगी.’ तब मैं ने समझा पैसे से भी ज्यादा जरूरी है भावनात्मकता व्यक्त करना. अब से मैं होलीदीवाली सब को बराबर देती हूं. भाईभाई आपस में कन्सर्न रख कर अब कुछ तरक्की पर हैं. बड़े भाई ने छोटे भाई के बिजनैस को प्रौफिटेबल बनाने में भी मदद की. होड़ और ईर्ष्या की जगह अच्छे अनुकरण ने ली.

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बलवीर कहते हैं, ‘‘मेरे बड़े बेटे के पास अकूत दौलत है. मैं ने अपनी प्रौपर्टी बांटी तो हिस्सा उस के हाथ से कराया. उस ने यादगार के तौर पर मामूली चीजें लीं बाकी भाईबहनों को दे दीं. उन सब में प्रेम भी खूब है. छोटा बेटा नशे का शिकार था उसे भी संभाला.’’ मनोचिकित्सक डा. विकास कहते हैं, ‘‘एकजैसी परवरिश पाने पर लगभग सब बच्चे एकजैसे योग्य निकल सकते हैं. उन में 19-20 का अंतर होता है. यह नैचुरल व ऐक्सेप्टेबल होता है.’’

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