वादे हैं वादों का क्या

हमारे देश के लगभग सारे शहर बड़े अस्तव्यस्त हैं. चंडीगढ़ और गांधीनगर जैसे नए शहर भी 40-50 सालों में बुरी तरह टूटीफूटी सड़कों पर कच्ची दुकानों, कोनों में गुमटियों, मैदानों में झुग्गियों की बस्तियों से भरे पड़े हैं. पुराने शहरों का तो कुछ कहना ही नहीं. स्मार्ट सिटी का जो नारा दिया जाता है वह पंडों द्वारा यज्ञ करो, दान करो और धनधान्य पाओ जैसा होता है. मिलता कुछ नहीं, खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है.

दिल्ली में बारबार मास्टर प्लान बनते हैं. अब 2041 की विशाल दिल्ली की योजनाएं बन रही हैं. बड़ीबड़ी बातें हो रही हैं पर हाल यह है कि इतने बड़े शहर में मास्टर प्लान के मसौदे पर अपने विचार देने के लिए सिर्फ 70 लोग आए, बाकी को पता है कि यहां सरकार को सुनना नहीं आता, तोड़ना और रिश्वत लेना ज्यादा आता है. क्या फायदा है 20 साल बाद की सोचने का जब अगले 20 दिन का पता नहीं.

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नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों में कोरोना पर फतह पा लेने का वादा किया था. क्या हुआ? वैसे भी 2-3 घंटे में 70 लोगों की बातें भारीभरकम दस्तावेजों को ले कर सुनना संभव कहां है.

दिल्ली ही नहीं हर शहर, कसबे की औरतें अब इस बात को तैयार हो गई हैं कि उन्हें बदबूदार सड़कों, तंग गलियों, भयंकर प्रदूषण, खतरनाक ट्रैफिक में जीना है. जिस के पास पैसा है वह अपना अंदरूनी घर ठीक कर रहा है, बाहर की साजसज्जा, साफसफाई की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. वैसे भी मकान अगर आकर्षक लगे तो पड़ोसियों को ईर्ष्या होती है और सरकारी लोगों का रिश्वत का रेट बढ़ जाता है.

मास्टर प्लान में भी सोलर पैनलों का हल्ला कुछ ज्यादा मचाया गया है. लोग लगवा भी लेते हैं पर सस्ते और जल्दी खराब होने वाले सोलर पैनलों से बिजली का वही हिसाब है जैसा वाटर हारवेस्टिंग से पीने के पानी का. ये सरकारी चोंचले बन कर रह जाते हैं और शहरों के मास्टर प्लानों की उपज होते हैं. इन मास्टर प्लानों पर अरबों रुपए खर्च करे जाते हैं पर आखिर में शहर में रहने वालों को कुछ नहीं मिलता.

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हमारे यहां की शहरी जिंदगी एक जंगल की तरह है जहां पेड़पौधों की तरह टेढ़ेसीधे उगे मकान होते हैं और इन में औरतों को हर समय जंगल का सा डर रहता है. ऊपर से गंद और बदबू बोनस में मिलती हैं. दिल्ली का कल्याण पिछले मास्टर प्लानों से कुछ भी नहीं हुआ, अब तो बिलकुल नहीं होगा.

बिना पार्लर घर पर इन 4 तरीकों से करें स्किन पौलिशिंग

स्किन को समय समय पर एक्सफोलिएट करने की जरूरत होती है. ताकि स्किन से डेड सेल्स रिमूव होकर स्किन क्लीन व फ्रैश लुक दे सके. क्योंकि हर महिला यही चाहती है कि उसकी स्किन हर उम्र में जवां रहे. लेकिन ये तभी संभव है जब हम अपनी स्किन की प्रोपर केयर करेंगे. और यहां हमारा मतलब प्रोपर केयर से स्किन पोलिशिंग से है. जो स्किन से सारी गंदगी को रिमूव करके उसे फिर से यंग बनाने का काम करता है. तो जानते हैं स्किन पोलिशिंग के और क्या क्या फायदे हैं और हम इसे कैसे कर सकते हैं.

क्या है स्किन पौलिशिंग

स्किन पौलिशिंग पूरी बोडी पर भी होती है या फिर आप उसे शरीर के किसी खास भाग जैसे चेहरे, हाथों , पैरों पर भी करवा सकते हैं. ये आपकी खुद की चोइज पर निर्भर करता है. लेकिन इसकी खास बात यह है कि ये स्किन से डेड सेल्स को तो रिमूव करता ही है, साथ ही न्यू सेल्स को जेनेरेट कर स्किन को प्रोपर मोइस्चर प्रदान करता है. जिससे स्किन पर ग्लो नजर आने लगता है. और यही तो हर कोई चाहता है कि उसकी स्किन पर नेचुरल ग्लो रहे.

क्यों है ज्यादा फायदेमंद

– स्किन को एक्सफोलिएट करे.
– पोर्स को क्लीन करने में सक्षम, जिससे एक्ने की प्रोब्लम नहीं होती.
– न्यू सेल्स को उत्पन कर हैल्दी स्किन देने का काम करे.
– स्किन को हाइड्रेट करे.
– ब्लड फ्लो को सुचारु करने में सक्षम.

कैसे करें घर पर बोडी पौलिशिंग

अगर हम पार्लर में जाकर बोडी पौलिशिंग करवाते हैं , तो वो महंगी होने के साथ साथ उस दौरान स्किन केमिकल्स के संपर्क में ज्यादा आती है. जो भले ही थोड़े दिनों के लिए आपकी स्किन पर ग्लो लाने का काम करे, लेकिन थोड़े दिनों के बाद केमिकल्स के कारण स्किन फिर से डल सी दिखने लगती है. जिससे हम यही सोचते हैं कि इतने पैसे खर्च करने का कोई फ़ायदा नहीं हुआ. लेकिन यदि आप इसी ट्रीटमेंट को घर पर घर की चीजों से करेंगे तो स्किन को ज्यादा फायदा भी होगा और आपकी पौकेट पर भी ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा. जानते हैं कैसे करें स्किन पौलिशिंग –

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फर्स्ट मेथर्ड –

जब भी स्किन को पौलिश करें तो सबसे पहले अपनी स्किन को साफ पानी से क्लीन कर लें, ताकि स्किन पर जमी धूल मिट्टी रिमूव हो सके. फिर स्किन को स्क्रब करें. इसके लिए आप टमाटर को 2 हिस्सों में काट कर उसके एक हिस्से को बारीक़ चीनी में अच्छे से डिब करके उससे 10 मिनट तक स्क्रब करें. इससे आपकी स्किन से डेड स्किन रिमूव होकर आपकी स्किन ग्लो करेगी. साथ ही दाग धब्बे दूर होंगे. फिर आप अपनी स्किन को पानी से धो लें. इसके बाद आप स्किन पौलिशिंग पैक तैयार करें. इसके लिए आप 1 चम्मच बेसन में थोड़ी सी हल्दी, आधा छोटा चम्मच शहद के साथ पेस्ट तैयार करने के लिए दही डालें. फिर इसे मिलाते हुए इसका स्मूद पेस्ट तैयार करें. फिर तैयार पेस्ट को चेहरे पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें. जब पैक सूख जाए तो इसे स्क्रब करते हुए इसे पानी की मदद से हटा लें. इससे मिनटों में आपको अपनी स्किन पर ग्लो नजर आएगा.

कितनी बार अप्लाई करें. – आप इसे हफ्ते में 2 बार अप्लाई कर सकते हैं. इसका स्किन पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता और यह हर तरह की स्किन के लिए फायदेमंद होता है. क्योंकि इसमें केमिकल जो नहीं होते.

सैकंड मेथर्ड-

सबसे पहले स्किन को पानी से अच्छे से धो लें. फिर एक बाउल में 2 बड़े चम्मच सी साल्ट, दो बड़े चम्मच ओलिव आयल, 1 बड़ा चम्मच नीम्बू का रस और आधा छोटा चम्मच लैवेंडर आयल की मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. फिर इसे चेहरे पर 10 मिनट के लिए लगा कर छोड़ दें. हलका ड्राई होने पर पानी से धो लें. इससे स्किन डीप क्लीन होने के साथ साथ ये स्किन पर ग्लो लाने का भी काम करता है. बता दें कि सी साल्ट और नीम्बू बेहतरीन एक्सफोलिएटर का काम करता है. वहीं ओलिव आयल स्किन सेल्स को रिपेयर कर स्किन को हैल्दी और ग्लोइंग बनाता है. लैवेंडर आयल स्किन से पिगमेंटेशन को दूर कर डार्क स्पोट्स को कम करता है.यानी ये पैक आपकी स्किन को नेचुरल तरीके से फायदा पहुंचाने का काम करेगा.

कितनी बार अप्लाई करें – आप इस पैक को हफ्ते में 1 बार अप्लाई करें और रिजल्ट देखें.

थर्ड मेथर्ड-

आप एक बाउल में 3 बड़े चम्मच जोजोबा आयल डालकर उसमें 2 बड़े चम्मच ब्राउन शुगर की ऐड करें. फिर इसमें एक बड़ा चम्मच संतरे के रस , साथ में 2 विटामिन इ के कैप्सूल डालें. इसे अच्छे से मिलाते हुए इसका पेस्ट बनाएं. और फिर चेहरे पर अप्लाई करें. आप अगर इसे पूरी बोडी पर अप्लाई करना चाहती हैं तो क्वांटिटी को उस हिसाब से ऐड कर लें. बता दें कि जोजोबा आयल में एंटी फंगल और एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टीज होने के कारण ये एक्ने से लड़ने में सक्षम होता है. साथ ही ये विटामिन सी और इ में रिच होने के कारण स्किन को मॉइस्चरिजे करने का भी काम करता है. वहीं ब्राउन शुगर स्किन को एक्सफोलिएट करके यूथफुल ग्लो लाने का काम करता है. तो संतरे के रस में विटामिन सी होने के कारण ये स्किन के टेक्सचर और कलर दोनों को इम्प्रूव करता है, तभी इसका प्रयोग स्किन पौलिशिंग में किया जाता है. विटामिन इ कैप्सूल सीरम के रूप में काम करके स्किन को मोइस्चर प्रदान करने का काम करता है . इसलिए ये पैक स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है.

कितनी बार अप्लाई करें – आप इस पैक को हफ्ते में 3 बार अप्लाई कर सकते हैं. इससे स्किन को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचेगा बल्कि स्किन नौरिश होने के साथ ग्लो करेगी.

फोर्थ मेथर्ड-

आधा बड़ा चम्मच शुगर लेकर उसमें थोड़ा सा सेब का गूदा डालें. और फिर चुटकी भर दालचीनी का पाउडर डालकर उसका पेस्ट तैयार करें. इसके बाद इसे चेहरे, हाथ , पैरों , कोहनी जहां पर भी अप्लाई करना चाहते हैं करें. इस पैक को आपको कम से कम 20 मिनट लगाना होगा तभी इसका अच्छा रिजल्ट आपको देखने को मिलेगा. सूखने के बाद सर्कुलर मोशन में अच्छे से मसाज करें. इससे आपकी स्किन चमक उठेगी. क्योंकि शुगर में एक्सफोलिएट करके वाली प्रोपर्टीज होती हैं , तो सेब के गूदे में स्किन को पुन जीवित करने, हाइड्रेट व ग्लोइंग बनाने वाले गुण होते हैं. वहीं दालचीनी में एंटी इन्फ्लैमटॉरी गुण होने के कारण ये एक्ने से लड़ने में मददगार होने के साथ साथ रंग को भी इम्प्रूव करता है. इससे स्किन प्रोब्लम्स से भी छुटकारा मिलता है.

कितनी बार अप्लाई करें – आप इसे हफ्ते में 2 बार अप्लाई करें. बस ध्यान रखें एप्लीकेशन से पहले स्किन को साफ़ पानी से अच्छे से धो लें.

किन बातों का ध्यान रखें-

– अगर आप फुल बोडी पौलिशिंग के बारे में सोच रही हैं तो आप पौलिशिंग से पहले बाथ जरूर लें. इससे स्किन क्लीन हो जाती है. और अगर आप चेहरे पर पौलिशिंग करना चाहती हैं तो पहले फेस को अच्छे से क्लीन जरूर करें. इससे पोर्स क्लीन होने के साथ साथ पौलिशिंग का रिजल्ट अच्छा आता है.

– स्किन के खुरदुरे भागों को प्यूमिक स्टोन की मदद से एक्सफोलिएट करें. इससे डेड स्किन निकलने के साथ साथ पौलिशिंग का अच्छा रिजल्ट मिलता है.

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– स्किन पौलिशिंग से पहले कोई भी फेसवाश अप्लाई न करें.
– स्किन को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं.
– विटामिन ए और इ रिच डाइट लें. क्योंकि ये स्किन की ओवरआल हैल्थ के लिए जरूरी माना जाता है.
– स्किन पर मॉइस्चराइजर जरूर अप्लाई करें. क्योंकि इसके आभाव में स्किन ड्राई होने से एजिंग का डर बना रहता है.

रात के समय मुझे बारबार पेशाब जाना पड़ता है, मेरी बीमारी क्या है?

सवाल-

मैं 34 साल की कामकाजी महिला हूं. कुछ दिनों से रात के समय मुझे बारबार पेशाब जाना पड़ता है. बेचैनी और थकान भी बहुत ज्यादा होती है. मुझे बताएं कि ऐसा क्यों हो रहा है और इस से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है?

जवाब-

आप के द्वारा बताए गए लक्षण हृदयरोग का संकेत देते हैं. इस प्रकार के लक्षण इस बात का संकेत देते हैं कि दिल अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहा है. ऐसे में बीमारी गंभीर होने पर आप का दिल पूरी तरह फेल हो सकता है. हालांकि घबराएं नहीं और पहले इस की पुष्टि के लिए किसी अच्छे डाक्टर से परामर्श लें. उचित जांच और सही समय पर इलाज के साथ बीमारी को आसानी से ठीक किया जा सकता है. इलाज में देरी करने पर बात सर्जरी तक पहुंच सकती है, इसलिए लापरवाही बिलकुल न दिखाएं.

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आए दिन सांस फूलने की शिकायतें सुनने को मिलती हैं. शादीब्याह या किसी छोटेमोटे प्रोग्राम में मौसी, बूआ, ताऊ, चाची या अन्य किसी चिरपरिचित को सांस फूलने की शिकायत करते सुना जाता है. क्या कभी आप ने सोचा कि सांस फूलने के असली कारण क्या हैं.

सांस फूलना

सांस फूलने की मुख्य वजह है शरीर को औक्सीजन ठीक से न मिल पाना जिस से फेफड़े पर अनावश्यक दबाव पड़ता है. ऐसे में फेफड़े औक्सीजन पाने के लिए श्वसन क्रिया की गति को बढ़ा देते हैं जिस को हम सरल भाषा में सांस फूलना कहते हैं. यदि समय रहते सांस फूलने पर ध्यान नहीं दिया गया तो इस के परिणाम जानलेवा हो सकते हैं.

पूरी खबर पढने के लिए- थोड़ा चलने से फूलने लगे सांस, तो गंभीर हो सकती है समस्या

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

क्या होती है वर्कप्लेस बुलिंग

जैसा कि आप जानते हैं कि बुलीइंग स्कूल से लेकर ऑफिस तक हर जगह मौजूद है. यह बात अलग है कि यह स्कूल व कॉलेज आदि में ज्यादा देखने को मिलती है हालांकि जहां आप जॉब आदि करते हैं, वहां कम देखने को मिलती है.

चाहे बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह हो या स्कूल के बच्चे या फिर किसी अन्य कार्य स्थल के कर्मचारी, लेकिन इन सब पर चर्चाएं कम ही होती हैं और यदि कोई चर्चा उठती भी है तो वह बिना किसी परिणाम की खत्म भी हो जाती है.

सुशांत सिंह का मामला तो अभी हाल फिलाल का है लेकिन हम सभी जानते हैं कहां से शुरू हुई बात कहां पर पहुंच गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला लेकिन पूरे मामले पर अगर ध्यान दिया जाए तो यह भी एक प्रकार का बुलिंग का केस ही है.इस अभिनेता के दुनिया से अलविदा कह देने के बाद बहुत से मुद्दे उठे, जैसे कि डिप्रेशन, तनाव, प्रताड़ना, नेपोटिज्म.

मानसिक उत्पीड़न या शारीरिक रूप से नुक़सान पहुंचाना एक चिंता का विषय है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव दिमाग पर पड़ता है और यह आत्महत्या का भी एक कारण हो सकता है. अतः कैसे पहचान सकते हैं कि आप अपने कार्य स्थान पर बुलीइंग का शिकार हो रहे हैं. आइए जानते हैं.

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जान बूझ कर इग्नोर करना : यदि आप को कुछ बच्चे या कुछ लोग जान बूझ कर इग्नोर करते हैं या अपने ग्रुप में आप को यह कह कर शामिल नहीं करते हैं कि आप उनके योग्य नहीं हैं तो समझ जाइए की आप इंटेंशनल यानी जान बूझ कर किए जाने वाले इग्नोरंस के शिकार हो रहे हैं.

धोखा करना : यदि आप के साथ कोई धोखा करता है या फिर आप से किए गए वादों से मुखर जाता है और आप से बचने के लिए लगातार झूठ पे झूठ बोलता रहता है तो वह आप के साथ धोखा कर रहे हैं और आप को समझ जाना चाहिए कि आप बुल्ईंग का शिकार हो रहे हैं.

धमकियां देना : क्या आप को भी लगातार किसी चीज के लिए धमकियां मिल रही हैं, या आप को कुछ ऐसा महसूस होता है कि इन धमकियों से आप को शारीरिक नुक़सान का कोई खतरा है तो आप को उन्हें हल्के में नहीं टालना चाहिए. आप को उसके खिलाफ कोई एक्शन लेना चाहिए.

आप को छोड़ना : यदि आप को हर काम में अलग रखा जाता है या कुछ एक ग्रुप के द्वारा आप को बाहर निकाल दिया जाता है तो यह भी एक किस्म की बुलीइंग ही होती है और इससे आप के मन व मस्तिष्क पर बूरा व नकारत्मक प्रभाव पड़ सकता है. अतः ऐसे लोगों के साथ ज्यादा न रहें.

आप की बुराइयां करना : यदि आप की टीचर या आप के बॉस के सामने कोई आप की लगातार बुराइयां करता है और आप की गलतियां निकालता है तो इसका अर्थ यह है कि वे आप के लिए बुरा सोचते हैं. आप को ऐसे लोगों से जितना हो सके उतना बचना होगा.

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खिलाफ करना : कुछ लोग ऐसे होते हैं कि वह आप के दोस्तों को ही आप के खिलाफ कर देते हैं. वह उन के आगे आप की झूठी बुराइयां करते हैं जिस कारण आप की दोस्ती टूट जाए और आप पूरे ऑफिस में या पूरी क्लास में अकेला महसूस करें.

श्रेय छीनना : ऐसा अक्सर होता होगा कि किसी काम में मेहनत तो आप ने की होगी परंतु इसका श्रेय कोई और ले जाता होगा. ऐसा बिल्कुल न होने दें. अपने हक की लड़ाई आप को लड़नी चाहिए. अक्सर ऐसा उन लोगों के साथ होता है जो अपनी आवाज उठाने में हिचकिचाते हैं.

Festive Special: नई दुल्हनों के लिए परफेक्ट है बिग बौस 14 की पवित्रा के ये 5 लुक्स

रियलिटी शो बिग बौस 14 की कंटेस्टेंट पवित्रा पूनिया इन दिनों एजाज खान से अपनी लड़ाई को लेकर फैंस का ध्यान खीच रही हैं. हालांकि शो से बाहर भी वह अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती थीं. दरअसल, पारस छाबड़ा की एक्स गर्लफ्रेंड रह चुकीं पवित्र पुनिया अपने रिलेशनशिप को लेकर चर्चाओं में रही हैं. हालांकि आज हम पवित्र पुनिया को लेकर किसी कौंट्रवर्सी नही बल्कि उनके साड़ी लव के बारे में बात करें. अक्सर साड़ी में जलवे बिखेरने वाली पवित्रा पुनिया बिग बौस के घर में भी साड़ी लुक से घरवालों का दिल जीतती नजर आई. दरअसल, एक टास्क के दौरान पवित्रा साड़ी में नजर आईं, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था.

1. शिमरी साड़ी है परफेक्ट

अगर आप फेस्टिव लुक में अपने हुस्न का जलवा बिखेरना चाहती हैं तो शिमरी साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल के साथ स्टाइलिश लुक देने के लिए ये साड़ी अच्छा औप्शन साबित होगा.

 

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🧶🦩

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2. कौटन साड़ी को दें स्टाइलिश लुक

अगर आप नए पैटर्न में साड़ी ट्राय करना चाहती हैं तो पवित्रा पूनिया की ब्लैक साड़ी का लुक चेंज कर दें. साथ ही औफ शोल्डर लुक से अपने हुस्न को निखारें.

3. ब्लैक साड़ी है परफेक्ट

 

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🖤JUS DREIN JUS DAUN❤️

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अगर आप नेट की ब्लैक साड़ी को उभारना चाहती हैं तो पवित्रा पूनिया की इस साड़ी को ट्राय करना ना भूलें. ये आपके लुक पर चार चांद लगाने के लिए परफेक्ट औप्शन है.

4. ये साड़ी है फैस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट

 

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“Brought roses home.Keys didn’t fit. 💚

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अगर आप फेस्टिव सीजन में साड़ियों के औप्शन तलाश रही हैं तो पवित्रा पूनिया की ये साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ अगर आप ग्रीन इयरिंग्स या ब्लैक ज्वैलरी ट्राय करेंगी तो आपका लुक चमक उठेगा.

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5. औफ शौल्डर लुक करें ट्राय 

 

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🎱♠️🎲 . . . #pavitrapunia #8 #🔺#™️

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अगर आप औफ शोल्डर लुक ट्राय करने में कंफरटेबर हैं तो पवित्रा का ये लुक ट्राय करना ना भूलें. सिंपल प्लेन साड़ी के साथ औफशोल्डर स्टाइलिश ब्लाउज आपके लुक पर चार चांद लगा देगा.

छांव: जीवन का सच क्या जान पाई आशा?

Serial Story: छांव (भाग-1)

लेखिका- डा. ऋतु सारस्वत

आंसू थे कि थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे और मैं भी इन्हें कहां थामना चाह रही थी. एक ऐसा सैलाब जो मुझे पूर्वाग्रहों की चुभन से बहुत दूर ले जाए, पर यह चाह कब किसी की पूरी हुई है जो मेरी होती. प्रश्नों के घेरे में बंध कर पांव उलझ गए और थम गई मैं, पर प्रश्नों का उत्तर इतना पीड़ादायक होगा, यह अकल्पनीय था.

‘आभाजी, यह निर्णय आसान नहीं है. किसी और की बच्ची को स्वीकारना सहज नहीं है. ऐसा न हो कि मां का साया देने की चाह में पिता की उंगली भी छूट जाए? मैं बहुत डरता हूं आप फिर सोच लीजिए.’ पर मैं कहीं भी सशंकित नहीं थी. मेरी ममता तो तभी हिलोरे मारने लगी थी जब आरती को पहली बार देखा था. दादी की गोद में सिमटी वह दुधमुंही बच्ची स्वयं को सुरक्षा के कवच में घेरे हुए थी. वह कवच जो मेरे विनय से सात फेरे लेने के बाद और आरती की मां बनने के बाद भी न टूटा.

‘‘मां, आप आरती को मुझे दे दीजिए, मैं इसे सुला दूंगी. आप आराम से मौसीजी से बातचीत कीजिए.’’

‘‘नहीं आभा, तुम आरती की चिंता मत करो, जाओ देखो, विनय को किसी चीज की जरूरत तो नहीं.’’

‘‘ठीक है, मां,’’ इस से अधिक कुछ नहीं कह पाई. कमरे से बाहर निकली तो मौसीजी की आवाज सुन कर पांव वहीं थम गए :

‘‘यह क्या विमला, तू ने आरती को आभा को दिया क्यों नहीं? जब से

आई हूं, देख रही हूं तू एक पल के लिए भी आरती को खुद से दूर नहीं करती. इस तरह तो आरती कभी आभा से जुड़ नहीं पाएगी. आखिर वह मां है इस की.’’

‘‘मां नहीं, सौतेली मां, कैसे सौंप दूं अपने कलेजे के टुकड़े को पराए हाथों में, मैं ने वृंदा को वचन दिया था कि मैं उस की बच्ची का खयाल रखूंगी.’’

‘‘तो तू ने विनय की दोबारा शादी की क्यों?’’

‘‘दीदी, अभी विनय की उम्र ही क्या है, सारा जीवन पड़ा है उस के सामने, तनमन की जरूरत तो पत्नी ही पूरी कर सकती है. अब दोनों मिल कर अपनी गृहस्थी संभालें.’’

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‘‘और आरती?’’

‘‘न दीदी, आरती उन की जिम्मेदारी नहीं है. उस की दादी भी मैं और मां भी मैं. अपनी बच्ची को सौतेलेपन की हर छाया से दूर रखूंगी.’’

‘‘विमला, तू यह ठीक नहीं कर रही.’’

‘‘दीदी, ठीक और गलत का हिसाब आप रखो. आज तक कौन सी सौतेली मां सगी हुई है, जो आभा होगी.’’

‘‘ठीक है, विमला, तुझे जो उचित लगे वह कर पर देखना तेरी यह सोच एक दिन आरती को ही सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी,’’ मौसीजी कमरे से बाहर आ गईं.

‘‘तू यहीं खड़ी थी, आभा,’’ मुझे देख कर मौसीजी एक पल को सकपका गईं फिर संभलते हुए बोलीं, ‘‘तू परेशान मत हो, समय सब ठीक कर देगा.’’

उस समय के इंतजार में एकएक दिन बीतने लगा पर जैसे बंद मुट्ठी से रेत सरक कर बिखर जाती है, मां के दिल के बंद दरवाजों से मेरी ममता टकरा कर लौट आती.

‘‘मैं तुम्हारे दर्द को समझता हूं, आभा पर क्या करूं. मां का व्यवहार मेरी समझ से परे है. उन्होंने तो मुझे भी आरती से दूर कर दिया है. जब भी मैं आरती को गोदी में लेता हूं, वे किसी न किसी बहाने से उसे मुझ से वापस ले लेती हैं. क्या मेरा मन इस से आहत नहीं होता पर क्या करूं?’’

‘‘विनय, मुझे इस घर में आए 6 महीने हो गए हैं और मुझे वह पल याद नहीं जब आरती को मैं ने अपनी गोद में लिया हो. मां क्यों नहीं समझतीं कि रिश्ते बांधने से बंधते हैं. क्या यशोदा मां…’’

‘‘तुम खुद को समझा रही हो या मुझे? तुम भी जानती हो कि तुम्हारी ये उपमाएं निरर्थक हैं.’’

विनय की बात सुन कर मैं ने चुप्पी ओढ़ ली. धीरेधीरे समय सरक रहा था और मैं मां की कड़ी पहरेदारी में अपनी ममता को अपने ही आंचल में दम तोड़ते हुए देख रही थी. मेरी बेबसी पर शायद प्रकृति को तरस आ गया.

‘‘मां, बधाई हो, आप दादी बनने वाली हैं,’’ उत्साह भरे लहजे में विनय ने कहा.

‘‘मैं तो पहले ही दादी बन चुकी हूं, तू तो आभा को बधाई दे. चल अच्छा हुआ, अब कम से कम मेरी आरती से झूठी ममता का नाटक तो बंद करेगी,’’ मां के स्वर की कटुता दीवारों को भेदती हुई मुझ तक पहुंची और एक पल में ही खुशी के रंग स्याह हो गए. पलक अपने जन्म के साथ मेरे लिए ढेर सारी आशाएं भी लाई.

‘‘विनय, अब देखना मां कितना भी चाहें पर आरती अपनी बहन से दूर नहीं रह पाएगी.’’

‘‘काश, ऐसा हो,’’ विनय ने ठंडे स्वर में कहा.

जानती थी मैं कि विनय का विश्वास डगमगा चुका है. पिछले 3 सालों में उन्होंने अपनी बेटी के पास होते हुए भी दूर होने की पीड़ा को झेला है. खुद को समझातेसमझाते विनय थक चुके हैं. विनय की पीड़ा को जब मैं समझ पा रही हूं तो मां क्यों नहीं? 9 महीने अपने खून से सींचा है उन्होंने विनय को, फिर क्यों अपने बेटे को जानेअनजाने दुख पहुंचा रही हैं?

‘‘क्या सोच रही हो, आभा, पलक कब से रोए जा रही है?’’

‘‘आई एम सौरी,’’ मैं ने पलक को विनय की गोद से ले कर सीने से लगा लिया. पलक का स्पर्श मेरे तन और मन को तृप्त कर गया पर मन का एक कोना अब भी आशा और निराशा के बीच हिचकोले खा रहा था.

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‘‘आरती बेटा, इधर आओ, देखो तुम्हारी छोटी बहन,’’ आरती पलक को दूर से ही टुकुरटुकुर देख रही थी पर मेरी आवाज में इतनी ताकत कहां थी कि वह आरती को अपने पास बुला सके. आरती बिना कुछ बोले मुड़ गई और मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरो ही नहीं पाई. ?

मां के जीवन का एकमात्र ध्येय था आरती को असीम स्नेह देना, क्या कभी ममता भी नुकसानदायक हुई है? यह एक ऐसा सवाल है जिस का जवाब हां या न में देना कठिन है पर एक बात निश्चित है कि अगर ममता अपनी आंखों पर पट्टी बांध ले तो वह बच्चे के लिए घातक बन जाती है. आरती की हर चाह उस के बोलने से पहले पूरी कर देना मां की पहली प्राथमिकता थी.

आगे पढ़ें- मौसम के न जाने कितने रंग आतेजाते रहे पर मां ने…

Serial Story: छांव (भाग-3)

लेखिका- डा. ऋतु सारस्वत

आरती की शादी? कैसे निभाएगी आरती शादी के उत्तरदायित्वों को. समझौता, त्याग, समर्पण ये शब्द तो आरती के शब्दकोष में हैं ही नहीं. और इन के बगैर परिवार के दायित्वों का वहन नहीं किया जा सकता. कहीं आरती जिम्मेदारियों से…नहींनहीं, मैं यह क्या सोचने लगी. मैं ने स्वयं को धिक्कारा. मां और विनय को घर और वर दोनों पसंद आ गए.

‘‘विनय, राज करेगी हमारी बेटी वहां, पैसों की तो कोई कमी ही नहीं है. तभी तो समधनजी ने दहेज के लिए साफ मना कर दिया,’’ मां खुशी से फूली नहीं समा रही थीं.

‘‘पर मां, उन्होंने यह भी तो कहा था कि आरती घर की बड़ी बहू बन कर सारे घर को संभाल ले. क्या आरती संभाल पाएगी?’’

‘‘मैं ने पहली बार ऐसा बाप देखा है जो अपनी बेटी के अवगुण ढूंढ़ रहा है. मांबाप तो वे होते हैं जो बच्चों के अवगुण होने पर भी उसे ढक दें पर तू क्यों ऐसा करेगा, आखिर आभा की छाया का असर तो आएगा ही,’’ मां के इस तीखे प्रहार से विनय सुन्न हो गए और मैं हमेशा की तरह आंसुओं के सैलाब में बह कर इन प्रहारों से दूर बहने की नाकाम कोशिश करने लगी.

वह घड़ी भी आ गई जब आरती घर से विदा हो गई. ऐसा लगा मां ने पहली बार खुली हवा में सांस ली हो, जैसे कह रही हों कि देख वृंदा, मैं ने तेरी बच्ची को सौतेली मां की छाया से कितना दूर रखा है. मेरी बेचैनी आरती के जाने के बाद बढ़ गई थी. हर समय मन शंकाओं से घिरा रहता था.

आखिर वही हुआ जिस का डर था, अभी आरती की शादी को 2 महीने भी नहीं बीते थे कि एक दिन सुबहसुबह आरती घर आ गई.

‘‘दादी, दादी,’’ वह दौड़ती हुई मां के कमरे में पहुंची. विनय और मैं भी उस के पीछेपीछे भागे.

‘‘दादी, मुझे उस घर में नहीं रहना. शेखर की मम्मी बातबात पर चिल्लाती हैं और मेरी ननद और देवर दिनभर मेरे कान खाए रहते हैं. कभी चाय बनाओ तो कभी घर की सफाई करो. क्या मैं नौकरानी हूं?’’

‘‘तू चिंता मत कर लाडो, मैं बात करूंगी उन लोगों से, तू जा नहाधो कर आराम कर ले.’’

आरती के कमरे में जाते ही मां बोलीं, ‘‘मैं जानती थी यह सब होगा. दहेज इसीलिए नहीं लिया कि घर के लिए नौकरानी चाहिए. विनय, चल उस शेखर को फोन मिला, खबर लेती हूं उस की.’’

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विनय कुछ कहते कि दरवाजे पर घंटी बजी. देखा, सामने शेखर था, ‘‘मम्मी, आरती आई है क्या?’’

‘‘हां बेटा, क्या तुम्हें बिना बताए?’’

‘‘जी मम्मी,’’ विनय और मां भी कमरे में आ गए.

‘‘बेटा, तुम्हारे और आरती के बीच कुछ…’’ विनय के सवाल पर शेखर का चेहरा उतर गया.

‘‘मम्मीपापा, आरती की नासमझी ने घर के लोगों को बहुत ठेस पहुंचाई है. इस के तानाशाही व्यवहार से मेरी मम्मी बहुत दुखी हैं. क्या आप यकीन करेंगे कि यह पानी का गिलास भी अपने हाथ से नहीं लेना चाहती. सुबह यह आंखें तभी खोलती है जब मम्मी या मेरी बहन शशि इस के सामने चाय ले कर पहुंचें. पूरेपूरे दिन कमरे में अकेले बैठ कर टीवी देखना, घर के किसी काम में हैल्प करना तो बहुत दूर की बात, अपना काम तक खुद न करना, इस की आदत में शुमार है.

‘‘हम सब को लगता था कि समय के साथ यह अपनी जिम्मेदारी समझने लगेगी पर आरती का यह व्यवहार अब हम सब की परेशानी का सबब बन गया है. दुख तो मुझे इस बात का है कि पिछले 3-4 दिन से मेरी मम्मी की तबीयत बहुत खराब है. उन का खयाल तो रखना दूर की बात उन के कमरे में जा कर हालचाल तक पूछना आरती ने उचित नहीं समझा. मैं ने जब इस बात के लिए डांटा तो यह चीखचीख कर रोने लगी. अब आप ही बताइए, क्या मैं ने गलत किया?’’

‘‘तुम बिलकुल परेशान मत हो, शेखर. मैं तुम से आरती के व्यवहार के लिए माफी मांगती हूं, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. एकदो दिन वह यहां रह ले फिर हम खुद ही उसे ले कर तुम्हारे घर आएंगे,’’ मेरे इस आश्वासन के बाद शेखर चला गया पर मां के लिए यह सब असहनीय था.

‘‘तू कौन होती है आरती को समझाने वाली, नहीं जाएगी आरती उस घर में. यहीं रहेगी इस घर में, मेरी बच्ची मुझ पर बोझ नहीं है.’’

‘‘नहीं मां, आरती यहां नहीं रहेगी. उसे अपने घर जाना होगा.’’

‘‘आभा, तेरी हिम्मत जो तू मेरे सामने…आखिर सौतेली मां जो ठहरी,’’ गुस्से में मां दांत किटकिटाने लगीं.

‘‘मां, क्या आप जानती हैं कि सौतेला किसे कहते हैं? दुख तो इस बात का है कि कुछ लोगों ने मिल कर मां जैसे पवित्र रिश्ते को सौतेलेपन का तमगा पहना दिया है पर कोई रिश्ता कभी सौतेला नहीं होता, सौतेला होता है हमारा व्यवहार जो कभी भी किसी भी रिश्ते में निभाया जा सकता है.

‘‘यह कैसी परिपाटी है, अगर मां जन्म देने वाली न हो तो उसे अविश्वास की दृष्टि से देखा जाए. एक जानवर के साथ जब हम कुछ सालों तक रह लेते हैं तो उस से भी घुलमिल जाते हैं तो फिर आरती तो एक जीतीजागती इंसान है. आज जो आरती की स्थिति है उस का कारण आप का अति स्नेह है. आप ने उसे इतनी गहरी छांव में रखा कि वह जान ही नहीं पाई कि जीवन का सच क्या है.

‘‘मां, क्या आप ने बरगद के पेड़ के नीचे किसी पौधे को पनपते हुए देखा है? नहीं न, आप वही बरगद की छांव हैं. प्यार और दुलार का मतलब यह बिलकुल नहीं कि बच्चों को उन की गलतियों पर डांटा न जाए. आंखें खोल कर देखिए और सोचिए, क्या आरती को बचपन से ही कभी उसे उस की जिम्मेदारियों को सिखाने की कोशिश की गई तो फिर एकाएक वह कैसे जिम्मेदार बन सकती है? अब क्या आप ट्यूटर की तरह शेखर को भी बदल देंगी?’’

‘‘यह क्या बकवास कर रही है, आभा? तू अपनी मर्यादा में रह.’’

‘‘मां, मर्यादा मैं नहीं आप तोड़ रही हैं, रिश्तों की हर मर्यादा आप ने आरती के मोह में तज दी. आज आप शेखर के परिवार को खरीखोटी सुनाने के लिए तैयार हैं. क्या आप ने आरती को बड़ों का सम्मान करना, छोटों से प्यार करना सिखाया? जबजब विनय या मैं ने कोशिश की तो आप ने हमें सौतेला कह कर दूर फेंक दिया. आरती ने सिर्फ शासन करना सीखा पर उस में उस की गलती नहीं है क्योंकि बच्चा हमेशा अपने बड़ों के व्यवहार को अपने जीवन में अंगीकार करता है. मां, शेखर या उस का परिवार क्यों आरती की हुकूमत बरदाश्त करेगा?

‘‘रिश्तों को जोड़ने के लिए प्यार और समर्पण देना होता है. हमारा जीवन हमारी ही प्रतिध्वनि है. हम जो देते हैं वही हम तक लौट कर आता है. आप ही बताइए, क्या शादी गुड्डेगुडि़यों का खेल है कि आज पसंद नहीं तो दूसरा ले आओ. मां, हमारी बच्ची हम पर बोझ नहीं है पर अपने अंतर्मन से पूछिए क्या वाकई गलती आरती की नहीं है? बच्चों की गलतियों को सुधारना और सही राह दिखाना ही तो मातापिता का दायित्व होता है. एक पल को मान लीजिए कि आरती सबकुछ छोड़ कर यहीं हमारे पास रह जाती है तो वह करेगी क्या? जब हम इस दुनिया में नहीं रहेंगे तो वह कैसे अपना जीवन बिताएगी? मां, आप ने तो उसे आत्मनिर्भर भी बनने नहीं दिया.

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‘‘जीवन, पाने से अधिक, देने का नाम है. मैं हमेशा खामोश रही पर अगर आज भी मैं चुप रहती तो मैं स्वयं की नजरों में गिर जाती. सिर्फ इस डर से कि आप मुझे सौतेली मां कहेंगी. मैं आरती का जीवन बिखरने नहीं दूंगी. मां, सिर्फ जन्म देने वाली ही मां हो, ऐसा नहीं है. मां वह भी होती है जो बच्चे का हाथ थाम उसे जीवनपथ पर चलना सिखाए. उसे अच्छेबुरे का ज्ञान कराए और इन सब से बढ़ कर जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाए. मां, आरती को अपनी छांव से मुक्त कर दीजिए वरना मां, मेरी बच्ची का जीवन यों…’’ मैं बिलखबिलख कर रोने लगी.

मां खामोश थीं. उन की चुप्पी शायद आरती की गहरी छांव से मुक्ति और उस के जीवन की शुरुआत का संदेश थी.

Serial Story: छांव (भाग-2)

लेखिका- डा. ऋतु सारस्वत

मौसम के न जाने कितने रंग आतेजाते रहे पर मां ने घर में एक ऐसी रेखा खींच दी थी कि पतझड़ जाने का नाम ही नहीं ले रहा था और बसंत को लाने की भरसक कोशिश करती रही इस सच को भूल कर कि इंसान के लाख चाहने पर भी ऋतुएं प्रकृति की इच्छा से ही बदलती हैं. समय सरकता जा रहा था. अब पलक स्कूल जाने लायक हो गई थी.

‘‘विनय, पलक का ऐडमिशन उसी स्कूल में करवाना जहां आरती जाती है, क्या पता दोनों बहनें वहां एकदूसरे के करीब आ जाएं.’’

‘‘तुम्हें लगता है ऐसा होगा, पर मुझे नहीं लगता कि यह संभव है, मां ने आरती को किसी और रिश्ते को पहचानने ही कहां दिया है.’’

विनय की कही गई इस सचाई को मैं झुठला भी नहीं सकती थी. मेरे भीतर एक गहरी टीस थी कि अगर मैं विनय के जीवन में नहीं आती तो आरती अपने पिता से यों दूर न होती. इस ग्लानि से मैं तभी मुक्ति पा सकती थी जब आरती हमें अपने जीवन से जोड़ ले. और पलक ही मुझे वह कड़ी नजर आ रही थी पर यह इच्छा प्रकृति ने ठुकरा दी.

‘‘मम्मा, दीदी लंच टाइम में मुझ से बात नहीं करतीं. वे मुझे देख कर चली जाती हैं. मम्मा, दीदी ऐसा क्यों करती हैं? मेरी फ्रैंड की दीदी तो उस से बहुत प्यार करती हैं, अपना टिफिन भी शेयर करती हैं, दीदी मुझ से गुस्सा क्यों हैं?’’

क्या समझाऊं, कैसे समझाऊं समझ नहीं आ रहा था, ‘‘दीदी आप से नाराज नहीं हैं, बेटा, वे कम बोलती हैं न इसलिए,’’ मेरे इस जवाब को सुन कर पलक कुछ और पूछे बिना किचन में चली गई.

‘‘विनय, कल तुम मेरे साथ बाजार चलना, आरती के लिए कुछ कपड़े लाने हैं.’’

‘‘मां, पिछले महीने ही तो…’’

‘‘तो क्या हुआ, बच्ची को पहननेओढ़ने का शौक है और तू जो कल पलक के कपड़े ले कर आया है?’’

‘‘मां, नर्सरी क्लास में यूनीफार्म नहीं है इसलिए लाना जरूरी था वरना वह

तो आरती के पुराने कपड़े पहनती आ रही है.’’

‘‘तो इस में अनोखी बात कौन सी हो गई? हर छोटा बच्चा बड़े भाईबहन के कपड़े पहनता है. खबरदार जो मेरी बच्ची के साथ भेदभाव करने की कोशिश की, मां तो सौतेली है ही, अब बाप भी…’’ मां यह कहते हुए बरामदे में चली गईं.

विनय बुत बने मां को जाते देखते रहे.

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‘‘विनय, तुम मां की बात को खामोशी से मान लिया करो. देखो, अब तुम्हारा मन भी दुखी हुआ और मां को भी गुस्सा आ गया.’’

‘‘आभा, क्या मां से इस घर की स्थिति छिपी है. तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा तो घर की किस्तों में ही निकल जाता है और यह कैसे संभव है कि रोजरोज…’’ विनय के स्वर की पीड़ा मेरे मन को बींध रही थी पर क्या करूं अपनी बेबसी और लाचारी पर कभीकभी गुस्सा आता, मन करता कि मां से चीखचीख कर कहूं कि वे घर को 2 हिस्सों में न बांटें.

किस अधिकार से उन्हें कुछ कहती, उन्होंने न तो मुझे अपनी बहू माना और न ही आरती की मां. मां आरती के जितने करीब थीं उतनी ही पलक से दूर. दादी और दीदी के द्वारा दी गई अवहेलना पलक के भीतर घाव कर रही थी, यह सच मेरी पीड़ा को गहराए जा रहा था. समय की सुइयां टिकटिक करते आगे बढ़ती गईं, धीरेधीरे न केवल पलक के घाव भर गए बल्कि उसे अपने और आरती के बीच का अंतर भी समझ में आ गया.

‘‘मां, आप ने आरती का रिजल्ट देखा है, थर्ड डिवीजन…’’

‘‘तो क्या हुआ? तुझे नौकरी करवानी है क्या उस से?’’

‘‘मां, आप क्यों नहीं समझतीं कि पढ़नेलिखने का संबंध सिर्फ नौकरी करने से नहीं है. विद्या अच्छी समझ और सोच देती है.’’

‘‘विनय, यह भी खूब रही. तू बता, मैं तो अनपढ़ हूं. तो क्या मुझ में अच्छी सोच और समझ नहीं है?’’

मां की इस बात को सुन कर विनय चुप हो गए पर मैं जानती थी कि उन का मन भीतर ही भीतर चीत्कार कर रहा था. कुछ देर की खामोशी के बाद वे बोल पड़े, ‘‘मां, आज से आरती को आभा पढ़ाएगी.’’

‘‘बहुत हो गया यह पढ़ाईलिखाई का रोना, जितना पढ़ना है, खुद पढ़ लेगी और अगर तुझे ज्यादा चिंता है तो घर पर ही इस का ट्यूशन लगा दे.’’

‘‘ठीक है, ऐसा ही सही,’’ विनय ने समर्पण कर दिया. दूसरे दिन से आरती को पढ़ाने के लिए ट्यूटर आने लगा. सिर्फ 2 दिन बाद ही मां बोलीं, ‘‘विनय, आरती को वह टीचर पसंद नहीं है. बातबात पर डांटता है.’’

‘‘ठीक है, मैं बात करूंगा उस से.’’

‘‘बात करने की कहां जरूरत है, निकाल दे उसे और कोई दूसरा रख ले.’’

‘‘ठीक है,’’ विनय ने बात खत्म करने की मंशा से तुरंत मां की बात पर अपनी सहमति जताई.

‘‘आभा, क्या टीचर…?’’

‘‘नहीं, विनय, यह सच नहीं है. आरती पढ़ाई में कम और इधरउधर ज्यादा ध्यान देती है. टीचर ने 2-3 बार प्यार से समझाया पर जब आरती नहीं मानी तो थोड़ा जोर से…’’ मैं कहतेकहते रुक गई कि कहीं मैं कुछ गलत तो नहीं कर रही.

‘‘मैं समझ रहा हूं पर किया क्या जाए, आरती को मां के लाड़प्यार ने इतना बिगाड़ दिया है कि उसे किसी की ऊंची आवाज सुनना तो दूर, बड़ों की सीख सुनना भी गवारा नहीं. मैं क्या करूं, कैसे समझाऊं मां को कि बच्चे की भलाई के लिए प्यार और दुलार के साथसाथ कठोरता की भी जरूरत होती है. आभा, मैं कैसे भूलूं कि ये वही मां हैं जो बचपन में मेरे पढ़ाई न करने पर पिटाई कर देती थीं और आज…’’

विनय की हताशा से मेरा मन मुरझा गया. मां के जोर देने पर टीचर बदल दिया गया और फिर कुछ दिनों के बाद आरती को वही शिकायत. विनय थकने लगे थे और मेरा अपराधबोध बढ़ता जा रहा था. बहुत ही खींचतान कर के आरती ने 12वीं पास की.

‘‘मां, आरती अगर पढ़ना नहीं चाहती तो कुछ सीख ले, ऐसा काम जिस में

उस की रुचि हो और थोड़ाबहुत घर का काम.’’

‘‘चुप कर आभा, तुझे शर्म नहीं आती जो बच्ची से घर का काम करवाना चाहती है. तेरे सौतेलेपन की डाह आखिर डंक मारने लगी मेरी आरती को. कान खोल कर सुन ले, यह घर मेरा है. अगर दोबारा ऐसी बात की तो तुम सब का बोरियाबिस्तर बांध दूंगी. बेचारी बच्ची पढ़ती कैसे, घर में पढ़नेलिखने का माहौल तो हो?’’

ऐसा लग रहा था कि मेरे गाल पर मां लगातार थप्पड़ मारे जा रही हैं पर यह चोट तो शारीरिक चोट से कहीं अधिक गहरी थी. पलक जो दरवाजे पर खड़ी थी, ये सारी बातें सुन कर सहम गई.

‘‘मम्मा, क्या दादी हमें घर से निकाल देंगी?’’

‘‘नहीं बेटा, वे तो ऐसे ही…’’ मेरे शब्द गले में अटक गए. एकाधिकार, एकाधिपत्य आरती के जीवन का हिस्सा बन चुके थे.

‘पलक मेरे लिए चाय बना दे, पलक पानी लाना, मेरा सूट प्रैस कर दे, पलक,’ आरती के आदेशात्मक स्वर पूरे घर में गूंजते रहते और पलक कभीकभी झुंझला जाती.

‘‘पलक, आरती तुम्हारी बड़ी बहन है और बड़ों का काम हमें खुश हो कर करना चाहिए.’’

‘‘पर मम्मा, दीदी तो बड़ों का काम नहीं करतीं, दादी तक उन का काम करती हैं.’’

‘‘वह दरअसल…’’ पलक मेरे जवाब से संतुष्ट हो सके मैं ऐसे शब्दों को ढूंढ़ ही रही थी कि ‘‘रहने दीजिए, जानती हूं, दादी को आरती दीदी का काम करना पसंद नहीं.’’

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एक दिन…

‘‘विनय, तेरी मौसी का फोन आया था, आरती के लिए रिश्ता बताया है. शाम को जल्दी घर आ जाना, लड़के वालों के घर चल कर रिश्ते की बात चलानी है.’’

आगे पढ़ें- आरती की शादी? कैसे…

बिग बॉस 14: दूसरे ही हफ्ते में आमने-सामने आए हिना खान और सिद्धार्थ शुक्ला, पढ़ें खबर

कलर्स के पौपुलर रियलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ इन दिनों फैंस के बीच छाया हुआ है. नए टास्क और कंटेस्टेंट के बीच बहस से दर्शक खास तौर पर एंटरटेन होती रहती है. वहीं इस सीजन को और भी खास बनाने के लिए शो में सीनियर्स का तड़का लगाया गया है, जिसके चलते हिना खान, सिद्धार्थ शुक्ला और गौहर खान की तिगड़ी देखने को मिल रही है. वहीं तीनों मिलकर घर वालों को लिए कदम कदम परेशानियां खड़ी कर रहे हैं. लेकिन इस बार दोनों किसी घरवाले से भिड़ने की बजाय आपस में भिड़ते नजर आए हैं.  आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

पर्सनल सामान को लेकर हुआ टास्क

दरअसल, घर की सीनियर मेंबर हिना खान के पास सभी कंटेस्टेंट्स के पर्सनल सामान हैं, जिसके चलते सभी कंटेस्टेंट्स को आपसी सहमति से रोजाना किन्हीं 7 चीजों का चुनना होता है. लेकिन इसी रूल को हटाने के लिए बिग बौस ने एक टास्क करवाया, जिसमें निक्की तम्बोली और जैस्मिन भसीन के बीच तकरार देखने को मिली.

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सीनियर्स के बीच हुई धमाकेदार लड़ाई

निक्की और जैस्मिन के बीच हुए टास्क में जब विजेता के चुनाव की बारी आई तो सिद्धार्थ शुक्ला और हिना खान के बीच ही बहस शुरू हो गई. दरअसल, टास्क के विजेता के रूप में हिना खान ने जैस्मिन भसीन की साइड ली तो वहीं सिद्धार्थ ने मैच ड्रौ करने की बात करते हुए चिल्लाते नजर आए. हालांकि आखिर में हिना, सिद्धार्थ और गौहर ने एक साथ फैसला लिया कि जैस्मिन को विनर बनाया जाए.

आज होगा रूबीना और अभिनव पर वार


दरअसल, बीती रात दिखाए गए प्रोमो में आज पति-पत्नी की जोड़ी रूबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला से घरवाले लड़ते नजर आएंगे, जिसके चलते घर में आज ड्रामा देखने को मिलेगा.

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