पूजा बनर्जी ने डिलीवरी के 3 दिन बाद देखी बेटे की शक्ल, शेयर किया इमोशनल पोस्ट

टीवी सीरियल ‘देवों के देव महादेव’ से घर-घर में पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस पूजा बनर्जी एक बेटे की मां बन गई हैं. अपनी शादी, प्रैग्नेंसी और बेबी बंप को लेकर सुर्खियों में रहने वाली पूजा ने पहली बार मां बनने का सफर अपने फैंस के साथ शेयर किया है. दरअसल, पूजा बनर्जी ने डिलीवरी के तीन बाद अपने बेटे की शक्ल देखी, जिसके बाद उन्होंने इमोशनल होकर अपने अनुभव को शेयर किया. साथ ही बच्चे की फोटो भी दिखाई. आइए आपको बताते हैं पोस्ट में क्या लिखा पूजा बनर्जी ने…

पति को औपरेशन थियेटर ले जाना चाहती थीं पूजा  

पूजा बनर्जी ने अपनी कम्पलीट फैमिली फोटो शेयर करते हुए लिखा, मैं उन सभी लोगों को शुक्रिया कहना चाहती हूं, जिन्होंने मेरे और परिवार के लिए इतनी दुआएं मांगी हैं. मैं हर किसी के मैसेज का जवाब नहीं दे सकी. इस बात के लिए मैं आप सभी से माफी मांगना चाहती हूं. मेरे लिए मां बनने का ये सफर काफी इमोशनल रहा है. बीते कुछ समय से मैं इस खुशी को महसूस कर रही हूं. 9 अक्टूबर को हम हॉस्पिटल जाने से पहले मैं और मेरे पति कुणाल शर्मा को पूरी रात नींद नहीं आई. हम दोनों अपने बच्चे का वेलकम करने के लिए बेहद एक्साइटेड थे. इस समय हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था. मैंने डॉक्टर से ऑपरेशन थिएटर में कुणाल शर्मा को ले जाने की इजाजत मांगी, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से ऐसा न हो सका. मुझे अकेले ही ऑपरेशन थिएटर में जाना पड़ा. इस दौरान मेरी आंखों में आंसू थे.’

 

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Sharing my experience 1stly I want to thank each and every one of you who have showered their love and blessings on our lil one and sorry I could not reply all of you. This is been an extremely emotional journey for both of us as we have been through a lot in these last few days . So starting from day 1 . On 9th of October 2020 we reached the hospital early morning after a sleepless night full of excitement, anxiety, happiness and all mixed emotions as we were about to see our baby for the 1st time and we were very much prepared to welcome him in this world. As per previous discussion with the doctors my husband was supposed to be inside the OT with me for my moral support during the surgery but due to this unfortunate corona situation he wasn’t allowed and I had to go for it alone . I broke into tears as I was entering the OT cos honestly i was scared as it was my 1st time and I had no clue what’s gonna happen to me but I had Hopes atleast if my I can hold my husband’s hands I will be fine and that din happen, still I went ahead and only thing which was going on my mind was our baby and imagining what will he or she look like . The surgery started and within a few minutes I could hear his 1st cry but I could hardly see his face they took him to clean . I was thrilled and awaiting to see him for 1st time then they showed me his face finally for few seconds and said I will get to see him in the recovery room. Rest of the surgery got over and I kept waiting to see my baby properly but to my disappointment I came to know the baby was taken to NICU already cos he got some breathing issues. My heart skipped a beat and I din know how to react . Then our wait started , day 1 , day 2 day 3 we both were running out of patience as we both din even know how he looks cos we hardly saw him for a few seconds. Finally after a lot of prayers on day 4th he recovered and was given to us and we met him for the 1st time . Out heart and life is filled with joy and we both love him to our life but somehow I will never be able to forget those 3 nights without him. And I pray each and every child born should be safe and sound and may they never have to be away from their mothers 🙏

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बेटे से तीन दिन अलग रहीं पूजा

पूजा बनर्जी ने लिखा, ‘पहली बार मैं खुद को इतना अकेला महसूस कर रही थी. समझ नहीं आ रहा था कि मैं अब क्या करुं जिसके बाद मेरी सर्जरी शुरू हो गई. कुछ देर बाद मैंने बच्चे की आवाज तो सुनी, लेकिन मैं उसका चेहरा नहीं देख सकीं. मैं उसको अपनी गोद में लेना चाहती थी पर मुझे तुरंत ही रिकवरी रुप में भेज दिया गया. हालांकि बाद में मुझे पता चला कि मेरे बेटे को NICU में रखा गया है. ये बात सुनकर मैं घबरा गई थी. तीन दिन बाद मैंने और कुणाल ने अपने बेटे की शक्ल देखी. मैंने अपने बेटे के बिना तीन रातें गुजारी हैं. मैं दुआ करुंगी कि हर मां का बच्चा इस समय सुरक्षित रहे और किसी को ऐसा दिन न देखना पड़े.’

पति के लिए लिखा खास मैसेज

 

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Awaiting…🤰🤰 📷@bbhupi25

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पति संग बेटे की फोटो शेयर करते हुए पूजा ने लिखा कि एक समर्पित पति और अब एक समर्पित पिता .. मेरे लिए दुनिया का मतलब है और जिस तरह से यू ने मेरा ख्याल रखा है, मैं आपके लिए कभी नहीं कर पाऊंगी. आइए हम मिलकर एक इस खास इंसान की केयर करें. हैप्पी पैरेंटहुड माई लव.

बता दें, पूजा बनर्जी ने पति कुनाल वर्मा संग बेटे के साथ फोटोज शेयर की हैं, जिसके बाद फैंस से लेकर सेलेब्स उन्हें बधाई दे रहे हैं. वहीं उनकी ये फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल भी हो रही हैं.

महंगा है डिजिटल ज्ञान

घरों में रहने की वजह से जो अतिरिक्त खर्च आजकल डिजिटल कनैक्शन और डिजिटल डिवाइस पर होने लगा है उस में से काफी बेकार है. आईपीएल मैचों में विज्ञापनदाताओं में बड़े विज्ञापन डिजिटल प्लेटफौर्म पर चलने वाले विडियो गेम्स और औनलाइन पढ़ाने वाली कोचिंग कंपनियां हैं. उन्होंने बैठेठाले लोगों को फुसलाने के लिए सैकड़ों करोड़ के विज्ञापन आईपीएल में ही लिए हैं, जिन का उत्पादकता से या जीवन जीने में कोई रोल नहीं है.

गेमिंग कंपनियां व डिजिटल पढ़ाई कराने वाली कंपनियां असल में दिल बहलाने की बातें करती हैं. देश और समाज कुछ ठोस करने से बनता है. जब तक खेतों और कारखानों में काम न हो कुछ नहीं बनता किसी भी देश का. जो देश कम लोगों से कम मेहनत में बहुत उत्पादन कर लेते हैं वे तो मौजमस्ती पर, फिल्मों पर, खेलों पर, जुए पर, नाचगाने पर खर्च करना वहन कर सकते हैं पर जहां मकान नहीं, खाना नहीं, स्वास्थ्य नहीं, इलाज नहीं वहां लोग अपना पैसा वीडियो या कंप्यूटर गेम्स व भुलाने वाली डिजिटल ऐजुकेशन पर खर्च करें, मूर्खता है.

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आज देशभर में पढ़ाई औनलाइन हो रही है. इस पर मांबापों का अरबों रुपया खर्च हो रहा है. यह किसी काम का नहीं रहेगा. इन बच्चों के पास 5-7 साल बाद डिगरियां होंगी पर नौकरियां नहीं. जो खर्च हो रहा है उसे भी पूरा करतेकरते 10-15 साल लग सकते हैं. बड़े विज्ञापनों के जरीए लोगों को बहकाया जा रहा है, क्योंकि आज इस की डिलिवरी पर सवाल नहीं उठाए जाते.

कंप्यूटर गेम्स और ऐजुकेशन की सामग्री एअरकंडीशंड कमरों में तैयार होती है और इस का असली जीवन से दूरदूर तक कोई वास्ता नहीं है. ये गेम्स और पढ़ाई रामलीला और मंत्र पाठ की तरह हैं, जो दिखने में रोचक लगें या गंभीर, देते कुछ नहीं. यह दुनिया सदियों से धर्म के इन चक्करों में खूनखराबा करती रही पर जब इन का जोर कम हुआ तो ही वैज्ञानिक व तकनीकी उन्नति हुई, जिस ने लोगों को छत दी, खाना दिया, सेहत दी, जीवन के सुख दिए.

औनलाइन गेमिंग और ऐजुकेशन फिर मंदिरशाही और जड़दिमाग ला रही है. पश्चिमी एशिया में इस का नुकसान देख चुके हैं जहां इसलाम के नाम पर देश के बाद देश नष्ट होते चले गए हैं और तेल की भरपूर कमाई को हवाई बातों में नष्ट कर दिया गया है. आज यह कोरोना के बहाने बाकी दुनिया में हो रहा है.

अभी मकानों की कमी नहीं. कारखाने बने हुए हैं, सड़कें हैं, कारें और बसें हैं पर जल्द ही फिजिकल काम करने की कला भुला दी जाएगी, क्योंकि हर पढ़लिखे के पास तो स्क्रीन ज्ञान होगा, चर्च, मठ या मंदिर में होने वाले प्रवचन की तरह. उस में चाहे मंदिरमसिजद बनाना सिखा दें, गेहूं पैदा करना नहीं सिखा सकते. मंदिर, मठ, मसजिद, चर्च भी बन इसलिए जाते हैं कि जो भी थोड़ाबहुत ज्ञान होता है, जो भी फिजिकल लेवर करने वाले मिलते हैं, वे उसी में अपनी सारी शक्ति झोंक देते हैं और भूखे रह कर धर्म की सेवा करते हैं. अब नया धर्म डिजिटल ज्ञान का बन रहा है, जो खिलाएगा, सुनाएगा पर जीने का पाठ नहीं पढ़ाएगा.

डिजिटल ज्ञान महंगा भी बड़ा है. स्मार्ट फोन, लैपटौप, चार्ज स्क्रीन वाले स्मार्ट ऐंड्रौएड टीवी सब घरों की पिछली बचत खा रहे हैं. लोगों की कमाई का बड़ा हिस्सा इन चीजों में लग रहा है, जिन से लाभ थोड़ा सा है. आज घर में एअरकंडीशनर से महंगा लैपटौप होने लगा है, एनुअल मैंटेनैंस महंगी है. डेटा कनैक्शन पर ज्यादा खर्च करने लगे हैं, बजाय मकान के किराए पर. इस सब का खमियाजा सब भुगतेंगे.

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2 रुपए की गिल्ली से खेल का जो आनंद होता था वह डिजिटल स्क्रीन पर देखे जाने वाले मैच, डिजिटल गेम या डिजिटल पढ़ाई में नहीं. कंप्यूटर की भाषा 1 और 0 है. आदमी का ज्ञान भी वैसा ही रह जाएगा, कोरोना की वजह से कम मूर्खता की वजह से ज्यादा.

क्या आपका हैंड सैनिटाइज़र है असली?

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप की वजह से सम्पूर्ण विश्वभर के लोग अब पर्सनल हाइजीन पर पहले से कई अधिक ध्यान देने लगे हैं. वायरस दूरी बनाए रखने के लिए लोग बार-बार साबुन से हाथ धोना या अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहें हैं.इस समय मार्केट में हैंड सैनिटाइजर की भारी डिमांड है. ऐसे समय में आपको ये जानना बेहद जरूरी है कि आपके पास जो हैंड सैनिटाइजर है वह असली है या नकली.

कैसे जानें सैनिटाइज़र असरदार है या नहीं?

इस बारे में मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल साकेत एवं मैक्स मल्टी स्पेशिएलिटी सेंटर, पंचशील पार्क नई दिल्ली के एसोसिएट डायरेक्टर एंड इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर रोमेल टिक्कू का कहना है कि अल्कोहल हैंड सैनिटाइज़र का एक बहुत महत्वपूर्ण इन्ग्रीडिएंट है इसलिए जो सैनिटाइज़र आप ख़रीदें, चेक करें कि उसके लेबल पर इथाइल अल्कोहल, इथेनॉल या आइसोप्रोपाइल अल्कोहल ज़रूर लिखा हो. सैनिटाइज़र में अल्कोहल का प्रतिशत 60 से 95 के बीच होना चाहिए. तभी यह जर्म्स और वायरस को मारने में प्रभावी होगा. वहीं 60% से कम अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र्स संक्रमण रोकने में किसी काम के साबित नहीं होंगे.एक बात और जहां सैनिटाइज़र में मौजूद अल्कोहल बैक्टीरियाज़ और जर्म्स का सफ़ाया करने का काम करता है, वहीं अल्कोहल की इतनी ज़्यादा मात्रा आपके हाथों को रूखा बना सकती है. अत: ऐसा सैनिटाइज़र चुनें, जिसमें विटामिन E भी हो, जो आपके हाथों को रूखेपन से से बचा सके.

कैसे करें हैंड सैनिटाइज़र इस्तेमाल

जब आप हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें तो सुनिश्चित करें कि हाथ साफ करने से पहले आपके हाथ सूखे हों क्योंकि हैंड सैनिटाइजर में मौजूद अल्को हल तभी काम करता है जब आपके हाथ सूखे हों.
सैनिटाइजर की दो-तीन बूंद लें और उसे अपनी हथेलियों, उंगलियों के बीच , हथेलियों के ऊपर की त्वचा और नाखूनों के आसपास की स्किन पर अच्छी तरह से रब करें. सूखने से पहले सैनिटाजर को ना पोछें, ना ही धोएं. सैनिटाइटर का उपयोग करने के बाद सुनिश्चित करें कि यह आपकी त्वचा में ठीक से अवशोषित हो. सीडीसी के अनुसार बैक्टेरिया का सफाया करने के लिए सैनिटाइज़र को कम से कम 30 सेकेंड के लिए हाथों पर मलना चाहिए.

कैसे काम करता है हैंड सैनिटाइजर?

हैंड सैनिटाइजर हाथ पर मौजूद सभी कीटाणुओं को तुरंत समय मार देता है. लेकिन जैसे ही आप किसी दूसरी दूषित सतह के संपर्क में आते हैं तो आपके हाथ फिर से गंदे हो जाते हैं. इसलिए आपके हाथ कितनी देर तक सेफ रहेंगे यह आपके द्वारा किसी संक्रमित चीज को छूने पर निर्भर करता हैं.

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किस बात का ध्यान रखें

हैंड सैनिटाइजर में बहुत सारे कैमिकल का प्रयोग किया जाता है और यह हाथ के कीटाणुओं को मार सके इसके लिये एल्कोहल भी मिलाया जाता है. इसलिये हैंड सैनिटाइजर से हाथ धाेने के बाद आप खाने का सेवन कभी ना करें .

हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने के बाद खाना ना खाएं क्योंकि अगर जब आप खाना खाएंगे तो हैंड सैनिटाइजर में प्रयोग किये गये कैमिकल व एल्कोहल आपके पेट में जाएंगे और वह पेट की कई बीमारियों का कारण बनेंगे.

हैंड सैनिटाइजर से हाथ साफ करने के बाद उन हाथों को अपने चेहरे पर मत लगाएं नहीं तो आपके चेहरे पर एलर्जी, दाने और खुजली हो सकती है.

शिशुओं या बहुत छोटे बच्चों के हाथों पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. अगर टॉडलर्स या स्कूल जाने वाले बच्चे सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी निगरानी में ही ऐसा करने दें.

डॉक्टर रोमेल टिक्कू कहते हैं कि सैनिटाइजर में अगर मेथेनॉल डला हो तो हानिकारक हो सकता है. मेथनॉल के कारण आंखों की रौशनी जा सकती है और जानलेवा भी हो सकता है. हमेशा सैनिटाइजर की बोतल अपने बच्चे और पालतू जानवरों की पहुंच से दूर और किसी उंचे स्थान पर रखें.

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सैनिटाइजर को सुरक्षित जगह रखें

डॉक्टर कहते हैं कि हैंड सैनिटाइजर्स में कम से कम 60 पर्सेंट अल्कोंहल होता है, ऐसे में वे बेहद ज्वहलनशील होते हैं यानी उनमें बड़ी तेजी से आग लगती है. इसलिए सैनिटाइजर्स को ऐसी जगह के पास इस्तेीमाल ना करें जहां आग लगने की संभावना हो जैसे- रसोई गैस, लाइटर, माचिस आदि.

बालों को खूबसूरत बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स  

बदलती जीवनशैली और भागदौड़ के चलते पर्सनल ब्यूटी केयर का समय नहीं मिल पाता. और फिर आजकल कोरोना के चलते लोगों में तनाव भी बढ़ रहा है. इन सब की वजह से आप की खूबसूरती प्रभावित हो रही है. ऐसे में थोड़ा सा खयाल रख कर आप अपने बालों की खूबसूरती बरकरार रख सकती हैं:

– अगर आप की स्कैल्प औयली है तो अलटरनेट डे या रोज शैंपू करें.

– शैंपू करते वक्त हेयर से अधिक स्कैल्प की सफाई पर ध्यान दें. अधिक शैंपू डालने से बाल ड्राई और फिजी हो जाते हैं.

– कंडीशनर का प्रयोग स्कैल्प के बजाय बालों पर करें. स्कैल्प पर अधिक कंडीशनर का प्रयोग करने पर बाल निर्जीव हो जाते हैं.

– यह सही है कि हैल्दी बौडी में ही हैल्दी हेयर रहते हैं, इसलिए डाइट पर हमेशा ध्यान देने की जरूरत होती है. खाने में प्रोटीन की मात्रा अधिक रखें. इस से हेयर हैल्दी और स्ट्रौंग रहते हैं. अंडा, मछली, सोयाबींस, हरी सब्जियां आदि प्रोटीन रिच होती हैं, जिन्हें अपनी डाइट में हमेशा शामिल करें.

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– भोजन में रिच ऐंटीऔक्सिडैंट फूड जैसे बेरीज, ऐवोकाडो और नट्स को अधिक शामिल करें.

– हेयर स्टाइलिंग सही तरीके से करने की जरूरत होती है. टैक्स्चर और वौल्यूम स्प्रे पर्क दोनों निर्जीव बालों के लिए अच्छे होते हैं, जबकि कंडीशनर और कर्ल क्रीम दोनों कर्ली हेयर के लिए अच्छे रहते हैं.

– ब्लो ड्राई करना है तो उसे अच्छी तरह जान लें. घर पर हेयर ड्राई करना ठीक है पर स्ट्रेट हेयर के लिए सैलून अच्छा रहता है. इस के अलावा अगर घर पर हेयर स्ट्रेट कर रही हैं तो हीट को मीडियम रख कर हेयर रूट से टिप तक ले जाएं. इस से बालों का स्लीक रूप दिखेगा.

– ड्राई शैंपू का प्रयोग बालों के लिए सब से बड़ा हैक्स है जब आप के पास शैंपू करने के लिए समय नहीं होता, लेकिन यह याद रखें कि ड्राई शैंपू बालों को धोने का विकल्प नहीं है.

– कुछ घरेलू नुसखे हेयर केयर के लिए अच्छे होते हैं. जैसे एक हेयर मास्क बालों को चमकदार और मुलायम बनाता है, बालों के अनुसार अंडे की सफेद जर्दी को एक कटोरी में ले कर भीगे बालों में लगा कर कौंब कर लें.

– भीगे बालों में मेयोनीज को कंडीशनर के रूप में लगाएं और थोड़ी देर तक मसाज करें. 20 मिनट तक लगा रहने के बाद धो लें. इस से ग्लौसी लुक आएगा.

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– बालों को कभी भी टौवेल से अधिक  झाड़ें या पोंछें नहीं. बालों को धोने के बाद उन्हें टौवेल से लपेट कर रखें. इस से वे कम फिजी होते हैं और मुलायम रहते हैं.

Festive Special: पार्टी के लिए परफेक्ट है करिश्मा कपूर के ये आउटफिट

बौलीवुड फिल्मों से दूर 45 साल की एक्ट्रेस करिश्मा कपूर अक्सर अपने सोशल मीडिया पेज पर अपनी फोटोज को शेयर करती रहती हैं, जिन्हें उनके फैंस बहुत पसंद करते हैं. बौलीवुड की कईं हिट फिल्मों का हिस्सा रह चुकी करिश्मा बहुत ही स्टाइलिश और फैशनेबल हैं. वह अक्सर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने लुक की फोटोज शेयर करती हैं. वेस्टर्न हो या इंडियन दोनों ही लुक में करिश्मा कपूर बेहद खूबसूरत नजर आती हैं. आज हम उनके वेस्टर्न लुक के बारे में आपको बताएंगे. कि कैसे 45 की उम्र में भी स्टाइलिश बने रहें.

1. करिश्मा की ब्लैक ड्रेस है पार्टी परफेक्ट

अगर आप किसी किटी पार्टी का हिस्सा बनने जा रही हैं और कुछ सिंपल ट्राय करना चाहती हैं तो करिश्मा की ये शाइनिंग फ्लावर प्रिंट ड्रेस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये ड्रेस आपको स्टाइलिश के साथ फैशनेबल भी बनाएगी. आप चाहें तो इस ड्रेस के साथ बैली या फिर शूज भी ट्राय कर सकती हैं ये आपको कम्फरटेबल रखेगा.

 

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#aboutlastnight ✨✨ In @prabalgurung Jewellery – @gehnajewellers1 Styled by @tanghavri MuH by @kritikagill Pics – @studiowindia #AQEawards #delhi

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2. औफिस के लिए परफेक्ट है ये लुक

 

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❤️? #Repost @tanghavri with @get_repost ・・・ Bts at a recent shoot with lolo????? @therealkarismakapoor ? @arshaangandhi #blessedwiththebest

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आजकल लोग औफिस के लिए सूट की बजाय पैंट पहनना ज्यादा पसंद करते है. ये आपको कम्फरटेबल के साथ प्रौफेशनल भी दिखाता है. अगर आप भी औफिस के लिए स्टाइलिश और प्रोफेशनल दिखना चाहती हैं तो करिश्मा कपूर का ये लुक आपके लिए परफेक्ट है. वाइट पैंट के साथ सिंपल ब्राउन टीशर्ट और सिंपल श्रग का कौम्बिनेशन आपके लिए कम्फरटेबल लुक रहेगा.

3. करिश्मा का ये हौट लुक करें ट्राय

 

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? #saturdayswag @prabalgurung @tanghavri

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आजकल चेक पैटर्न ट्रैंड में है अक्सर कोई न कोई सेलिब्रिटी इस लुक में नजर आता है. लाइट बैंगनी कलर के साथ चैक पैटर्न और शूज का कौम्बिनेशन परफेक्ट है. ये आपके लुक को कम्फरटेबल के साथ-साथ स्टाइलिश बनाएगा.

4. डार्क ब्लू औप श्रग का कौम्बिनेशन है परफेक्ट

 

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Casual day in Kolkata ? in @_vedikam #eventdiaries

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आजकल मार्केट में कई तरह के लौंग श्रग मौजूद हैं, जिसे आप जींस या ड्रेस के साथ कैरी कर सकती हैं. करिश्मा का ये लुक भी इसी लुक जैसा है. अगर आप कोई लौंग ड्रेस ट्राय कर रही हैं, लेकिन वो औफ स्लीव हो तो आप श्रग का इस्तेमाल कर सकती है. ये कम्फरटेबल के साथ-साथ ट्रेंडी भी है.

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बता दें, करिश्मा कपूर लंदन में इन दिनों अपनी फैमिली के साथ क्वौलिटी टाइम बिता रही हैं, जिसकी फोटोज करिश्मा अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैंस के लिए शेयर कर रही हैं. वहीं इस वेकेशन में उनके साथ बहन करीना भी शामिल हो गईं हैं.

Short Story: आइसोलेशन या आजादी

मैं कोविड हॉस्पिटल के रिसेप्शन पर खड़ा था. हाथ में कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट थी. आसपास कुछ लोग तालियां बजा कर उस का अभिनंदन कर रहे थे. दरअसल यह रिपोर्ट मेरे एक कमरे के उस जेल से आजादी का फरमान था जिस में मैं पिछले 10 दिनों से बंद था. मेरा अपराध था कोरोना पॉजिटिव होना और सजा के रूप में मुझे दिया गया था आइसोलेशन का दर्द.

आइसोलेशन के नाम पर मुझे न्यूनतम सुविधाओं वाले एक छोटे से कमरे में रखा गया था जहां रोशनी भी सहमसहम कर आती थी. उस कमरे का सूनापन मेरे दिल और दिमाग पर भी हावी हो गया था. वहां कोई मुझ से बात नहीं करता था न कोई नज़दीक आता था. खाना भी बस प्लेट में भर कर सरका दिया जाता था. मन लगाने वाला कोई साधन नहीं, कोई अपना कोई हमदर्द आसपास नहीं. बस था तो सिर्फ एक खाली कमरा और खामोश लम्हों की कैद में तड़पता मेरा दिल जो पुरानी यादों के साए में अपना मन बहलाने की कोशिश करता रहता था.

इन 10 दिनों की कैद में मैं ने याद किए थे बचपन के उन खूबसूरत दिनों को जब पूरी दुनिया को मैं अपनी मुट्ठी में कैद कर लेना चाहता था. पूरे दिन दौड़भाग, उछलकूद और फिर घर आ कर मां की गोद में सिमट जाना. तब मेरी यही दिनचर्या हुआ करती थी. उस दौर में मां के आंचल में कैद होना भी अच्छा लगता था क्यों कि इस से आजाद होना मेरे अपने हाथ में था.

सचमुच बहुत आसान था मां के प्यार से आजादी पा लेना. मुझे याद था आजादी का वह पहला कदम जब हॉस्टल के नाम पर मैं मां से दूर जा रहा था.

“बेटा, अपने शहर में भी तो अच्छे कॉलेज हैं. क्या दूसरे शहर जा कर हॉस्टल में रह कर ही पढ़ना जरूरी है ?” मां ने उदास स्वर में कहा था.

तब मां को पापा ने समझाया था ,” देखो प्रतिभा पढ़ाई तो हर जगह हो सकती है मगर तेरे बेटे के सपने बाहर जा कर ही पूरे होंगे क्यों कि वहां ए ग्रेड की पढ़ाई होती है.”

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“पता नहीं नए लोगों के बीच अनजान शहर में कौन सा सपना पूरा हो जाएगा जो यहां नहीं होगा? मेरे बच्चे को ढंग का खाना भी नहीं मिलेगा और कोई पूछने वाला भी नहीं होगा कि किसी चीज की कमी तो नहीं.”

मां मुझे आजादी देना नहीं चाहती थी मगर मैं हर बंधन से आजाद हो कर दूर उड़ जाना चाहता था.

तब मैं ने मां के हाथों को अपने हाथ में ले कर कहा था,” मान जाओ न मां मेरे लिए…”

और मां ने भीगी पलकों के साथ मुझे वह आजादी दे दी थी. मैं हॉस्टल चला गया था. यह पहली आजादी थी मेरी. अपनी जिंदगी का बेहद खूबसूरत वक्त बिताया था मैं ने हॉस्टल में. पढ़ाई के बाद जल्द ही मुझे नौकरी भी मिल गई थी. नौकरी मिली तो शादी की बातें होने लगीं.

इधर अपने ऑफिस की एक लड़की प्रिया मुझे पसंद आ गई थी. वह दिखने में जितनी खूबसूरत थी दिमाग की भी उतनी ही तेज थी. बातें भी मजेदार किया करती. उस के कपड़े काफी स्टाइलिश और स्मार्ट होते जिन में उस का लुक निखर कर सामने आता. मैं उस पर से नजरें हटा ही नहीं पाता था.

एक दिन मैं ने उसे प्रपोज कर दिया. वह थोड़ा अचकचाई फिर उस ने भी मेरा प्यार स्वीकार कर लिया. यह बात मैं ने घर में बताई तो मेरे दादाजी और पिताजी भड़क उठे.

दादाजी ने स्पष्ट कहा,” ऐसा नहीं हो सकता. तू गैर जाति की लड़की से शादी करेगा तो हमारे नातेरिश्तेदार क्या बोलेंगे?”

मां ने दबी जबान से मेरा पक्ष लिया तो उन लोगों ने मम्मी को चुप करा दिया. तब मैं ने मां के आगे अपनी भड़ास निकालते हुए कहा था,” मां आप एक बात सुन लो. मुझे शादी इसी लड़की से करनी है चाहे कुछ भी हो जाए. आप ही बताओ आज के जमाने में भला जात धर्म की बात कौन देखता है? मैं नहीं मानता इन बंधनों को. अगर मुझे यह शादी नहीं करने दी गई तो मैं कभी भी खुश नहीं रह पाऊंगा.”

मां बहुत देर तक कुछ सोचती रहीं. फिर मेरी खुशी की खातिर मां ने पिताजी और दादा जी को मना लिया. उन्होंने पता नहीं दादा जी को ऐसा क्या समझाया कि वे शादी के लिए तुरंत मान गए. पिताजी ने भी फिर विरोध में एक शब्द भी नहीं कहा. इस तरह मां ने मुझे जातपांत और ऊंचनीच के उन बंधनों से आजादी दे कर प्रिया के साथ एक खूबसूरत जिंदगी की सौगात दी थी.

प्रिया दुल्हन बन कर मेरे घर आ गई थी. मां बहुत खुश थीं कि उन्हें अब एक बेटे के साथ बेटी भी मिल गई है मगर प्रिया के तो तेवर ही अलग निकले. उसे किसी भी काम में मां की थोड़ी सी भी दखलंदाजी बर्दाश्त के बाहर थी. मां कोई काम अपने तरीके से करने लगतीं तो तुरंत प्रिया वहां पहुंच जाती और मां को बिठा देती. मां धीरेधीरे खुद ही चुपचाप बैठी रहने लगी. वह काफी खामोश हो गई थीं.

इस बीच हमारे बेटे का जन्म हुआ तो पहली दफा मैं ने मां के चेहरे पर वह खुशी देखी जो आज तक नहीं देखी थी. अब तो मां पोते को गोद में लिए ही बैठी रहतीं. शुरू में तो प्रिया ने कुछ भी नहीं कहा क्यों कि उसे बच्चे को संभालने में मदद मिल जाती थी. बेटे के बाद हमारी बिटिया ने भी जन्म ले लिया. मां ने दोनों बच्चों की बहुत सेवा की थी. दोनों को एक साथ संभालना प्रिया के वश की बात नहीं थी. मां के कारण दोनों बच्चे अच्छे से पल रहे थे.

इधर एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से पिताजी चल बसे. मां अकेली रह गई थीं मगर बच्चों के साथ अपना दिल लगाए रखतीं. अब बेटा 6 साल का और बेटी 4 साल की हो गई थी. सब ठीक चल रहा था. मगर इधर कुछ समय से प्रिया फिर से मां के कारण झुंझलाई सी रहने लगी थी. वह अक्सर मुझ से मां की शिकायतें करती और मैं मां को बात सुनाता. मां खामोशी से सब सुनती रहतीं.

एक दिन तो हद ही हो गई जब प्रिया अपनी फेवरिट ड्रैस लिए मेरे पास आई और चिल्लाती हुई बोली,” यह देखो अपनी मां की करतूत. जानते हो न यह ड्रैस मुझे मेरी बहन ने कितने प्यार से दी थी. 5 हजार की ड्रैस है यह. पर तुम्हारी मां ने इसे जलाने में 5 सेकंड का समय भी नहीं लगाया.”

“यह क्या कह रही हो प्रिया? मां ने इसे जला दिया?”

“हां सुरेश, मां ने इसे जानबूझ कर जला दिया. मैं इसे पहन कर अपनी सहेली की एनिवर्सरी में जो जा रही थी. मेरी खुशी कहां देख सकती हैं वह? उन्हें तो बहाने चाहिए मुझे परेशान करने के.”

“ऐसा नहीं हैं प्रिया. हुआ क्या ठीक से बताओ. जल कैसे गई यह ड्रैस ?”

” देखो सुरेश, मैं ने इसे प्रेस कर के बेड पर पसार कर रखा था. वहीं पर मां तुम्हारे और अपने कपड़े प्रेस करने लगीं. मौका देख कर गर्म प्रेस इस तरह रखी कि मेरी ड्रैस का एक हिस्सा जल गया,” प्रिया ने इल्जाम लगाते हुए कहा.

“मां यह क्या किया आप ने? थोड़ी तो सावधानी रखनी चाहिए न,” सारी बात जाने बिना मैं मां पर ही बरस पड़ा था.

मां सहमी सी आवाज में बताने लगीं,” बेटा मैं जब प्रेस कर रही थी उसी समय गोलू खेलताखेलता उधर आया और गिर पड़ा. प्रेस किनारे खड़ी कर के मैं उसे उठाने के लिए दौड़ी कि इस बीच नेहा ने हाथ मारा होगा तभी प्रेस पास रखी ड्रैस पर गिर गई और कपड़ा जल गया. ”

मैं समझ समझ रहा था कि गलती मां की नहीं थी मगर प्रिया ने इस मामले को काफी तूल दिया. इसी तरह की और 2 -3 घटनाएं होने के बाद मैं ने प्रिया के कहने पर मां को घर के कोने में स्थित एक अलग छोटा सा कमरा दे दिया और समझा दिया कि आप अपने सारे काम यहीं किया करो. उस दिन के बाद से मां उसी छोटे से कमरे में अपना दिन गुजारने लगीं. मैं कभीकभी उन से मिलने जाता मगर मां पहले की तरह खुल कर बात नहीं करतीं. उन की खामोश आंखों में बहुत उदासी नजर आती मगर मैं इस का कारण नहीं समझ पाता था.

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शायद समझना चाहता ही नहीं था. मैं घर की शांति का वास्ता दे कर उन्हें उसी कमरे में रहे आने की सिफारिश करता क्यों कि मुझे लगता था कि मां अपने कमरे में रह कर जब प्रिया से दूर रहेंगी तो दोनों के बीच लड़ाई होने का खतरा भी कम हो जाएगा. वैसे मैं समझता था कि लड़ती तो प्रिया ही है पर इस की वजह कहीं न कहीं मां की कोई चूक हुआ करती थी.

अपने कमरे में बंद हो कर धीरेधीरे मां प्रिया से ही नहीं बल्कि मुझ से और दोनों बच्चों से भी दूर होने लगी थीं. बच्चे शुरूशुरू में दादी के कमरे में जाते थे मगर धीरेधीरे प्रिया ने उन के वहां जाने पर बंदिशें लगानी शुरू कर दी थीं. वैसे भी बच्चे बड़े हो रहे थे और उन पर पढ़ाई का बोझ भी बढ़ता जा रहा था. इसलिए दादी उन के जीवन में कहीं नहीं रह गई थीं.

प्रिया मां को उन के कमरे में ही खाना दे आती. मां पूरे दिन उसी कमरे में चुपचाप बैठी रहतीं. कभी सो जातीं तो कभी टहलने लगतीं. उन के चेहरे की उदासी बढ़ती जा रही थी. मैं यह सब देखता था पर पर कभी भी इस उदासी का अर्थ समझ नहीं पाया था. यह नहीं सोच सका था कि मां के लिए यह एकांतवास कितना कठिन होगा.

पर आज जब मुझे 10 दिनों के एकांतवास से आजादी मिली तो समझ में आया कि हमेशा से मुझे हर तरह की आजादी देने वाली मां को मैं ने किस कदर कैद कर के रखा है. आज मैं समझ सकता हूं कि मां जब अकेली कमरे में बैठी खाना खाती होंगी तो दिल में कैसी हूक उठती होगी. कैसे निबाला गले में अटक जाता होगा. उस समय कोई उन की पीठ पर थपकी देने वाला भी नहीं होता होगा. खाना आधा पेट खा कर ही बिस्तर पर लुढ़क जाती होंगी. कभी आंखें नम होती होंगी तो कोई पूछने वाला नहीं होता होगा. बच्चों के साथ हंसने वाली मां हंसने को तरस जाती होंगी और पुराने दिनों की भूलभुलैया में खुद को मशगूल रखने की कोशिश में लग जाती होंगी. सुबह से शाम तक अपनी खिड़की के बाहर उछलकूद मचाते पक्षियों के झुंड में अपने दुखदर्द का भी कोई साथी ढूंढती रह जाती होंगी.

अस्पताल की सारी कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद मैं ने गाड़ी बुक की और घर के लिए निकल पड़ा. अचानक घर पहुंच कर मैं सब को सरप्राइज करना चाहता था खासकर अपनी मां को. आइसोलेशन के इन 10 दिनों में मैं ने बीती जिंदगी का हर अध्याय फिर से पढ़ा और समझा था. मुझे एहसास हो चुका था कि एकांतवास का दंश कितना भयानक होता है. मैं ने मन ही मन एक ठोस फैसला लिया और मेरा चेहरा संतोष से खिल उठा.

घर पहुंचा तो स्वागत में प्रिया और दोनों बच्चे आ कर खड़े हो गए. सब के चेहरे खुशी और उत्साह से खिले हुए थे. मगर हमेशा की तरह एक चेहरा गायब था. प्रिया और बच्चों को छोड़ मैं सीधा घर के उसी उपेक्षित से कोने वाले कमरे में गया. मां मुझे देख कर खुशी से चीख पड़ीं. वह दौड़ कर आईं और रोती हुई मुझे गले लगा लिया. मेरी आंखें भी भीग गई थीं. मैं झुका और उन के पांवों में पड़ कर देर तक रोता रहा. फिर उन्हें ले कर बाहर आया.

मैं ने पिछले कई सालों से आइसोलेशन का दर्द भोगती अपनी बूढ़ी मां से कहा,” मां आज से आप हम सबों के साथ एक ही जगह रहेंगी. आप अकेली एक कमरे में बंध कर नहीं रहेंगी. मां पूरा घर आप का है.”

मां विस्मित सी मेरी तरफ प्यार से देख रही थीं. आज प्रिया ने भी कुछ नहीं कहा. शायद मेरी अनुपस्थिति में दूर रहने का गम उस ने भी महसूस किया था. बच्चे खुशी से तालियां बजा रहे थे और मेरा दिल यह सोच कर बहुत सुकून महसूस कर रहा था कि आज पहली बार मैं ने मां को एकांतवास से आजादी दिलाई है. उधर मां को लग रहा था जैसे बेटे की नेगेटिव रिपोर्ट से उन की जिंदगी पॉजिटिव हो गई है.

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कैसा हो जीवनसाथी: अपने जैसा या विपरीत

अमित और शुभा की अरैंज मैरिज हुई थी. शुभा पढ़ीलिखी और समझदार लड़की है . उस ने एमबीए किया हुआ है. शादी से पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब भी करती थी. मगर शादी के बाद सास की इच्छा देखते हुए उस ने जॉब छोड़ दी. फिर अगले साल बेटा हो गया इसलिए जॉब दोबारा ज्वाइन करने की बात सोच ही नहीं सकी. इधर अमित केवल लॉ ग्रैजुएट था. लॉ कर के फैमिली बिजनेस में लगा हुआ था. हैल्दी शरीर और सांवले रंग के कारण दिखने में भी आकर्षक नहीं था जब कि शुभा गोरी, लंबी और खूबसूरत थी. शुभा को देख कर अमित अक्सर हीनभावना महसूस करता. यह भावना तब और बढ़ जाती जब उस के दोस्त या रिश्तेदार शुभा की खूबसूरती को ले कर उसे छेड़ते. दोस्त अक्सर कहा करते,” यार तेरे जैसे लड़के को हूर कैसे मिल गई. जरा हमें भी सीक्रेट बता दे.”

ऐसी बातें उसे अक्सर ही सुनने को मिलतीं. अमित जानता था कि शुभा के आगे वह हर तरह से कम है. केवल एक दौलत ही है जिस मामले में वह शुभा से अधिक था. समय के साथ शुभा के प्रति अमित का व्यवहार रूखा होता गया. अपनी हीनभावना छिपाने के लिए वह शुभा के प्रति डोमिनेटिंग एटीट्यूड अपनाने लगा. हर बात पर चीखचिल्ला कर अपना वर्चस्व साबित करता.

इस तरह की घटनाएं हम अक्सर आम जिंदगी में देखते हैं. जब हमें हमसफर तो मिल जाता है मगर सफर कठिन हो जाता है.

दरअसल जिंदगी में किसी के साथ की जरूरत हर किसी को पड़ती है. कोई ऐसा साथी जो जिंदगी के हर उतारचढ़ाव में आप का साथ दे. जो आप की खुशियों को दोगुना और गमों को आधा कर दे. ऐसा साथी कोई दोस्त भी हो सकता है और जीवन भर साथ निभाने वाला जीवनसाथी भी. कई बार आप गलत व्यक्ति को अपने जीवन में शामिल कर लेते हैं और फिर जीवन भर पछताते हैं. इसलिए साथी चुनते वक्त बहुत सावधान रहने की जरूरत है. सवाल यह भी उठता है की हमें अपना जीवनसाथी अपने जैसा ढूंढना चाहिए या अपने से विपरीत? ज्यादातर मामलों में साथी अपने जैसा होना चाहिए. मगर कुछ मामलों में विपरीत साथी भी बेहतर साबित होता है.

लुक

वैसे तो एक अच्छा जीवनसाथी साबित होने के लिए इंसान का लुक अधिक मायने नहीं रखता और आप इस मामले में खुद से विपरीत शख्स को भी चुन सकते हैं. मगर मन की शांति और सही अर्थों में खुशहाल जिंदगी के लिए खूबसूरती और आकर्षण में अपने जैसा साथी बेहतर साबित होता है. मान लीजिए आप के साथी के देखे आप बेहद खूबसूरत हैं. आप ने एक साधारण से दिखने वाले शख्स से शादी की है. ऐसे में बहुत संभव है कि समय के साथ आप के जीवनसाथी के मन में एक इंफिरिएरिटी कंपलेक्स की भावना घर कर जाए जो धीरेधीरे बढ़ती जाएगी. क्यों कि आप के जीवनसाथी को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व परिचितों से अक्सर ही आप की खूबसूरती को ले कर कमेंटस सुनने को मिलेंगे. आप दोनों की तुलना की जाएगी. ऐसी बातें सुन कर और खुद को हीन महसूस कर आप का साथी बिखर जाएगा.

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इस के विपरीत यदि आप का जीवनसाथी आप के देखे अधिक स्मार्ट और आकर्षक है तो आप को हमेशा ही यह डर बना रहेगा कि कहीं कोई उसे आप से चुरा कर न ले जाए या वह आप से बेवफाई तो नहीं कर रहा. इस से आप दोनों के रिश्ते में तनाव पैदा होते रहेंगे.

प्रोफेशन

कहा जाता है कि एक डॉक्टर को किसी डॉक्टर से ही शादी करनी चाहिए या राइटर को किसी राइटर से और पुलिस वाले को किसी पुलिस वाले से ही शादी करनी चाहिए. दरअसल जब आप एक ही प्रोफेशन के होते हैं तो आप के बीच तालमेल बेहतर ढंग से हो पाता है. सामने वाला आप के प्रोफेशन की जिम्मेदारियों और चुनौतियों को समझता है. इसलिए आप के प्रति उस रवैया सही रहता है. वह हर बात के लिए आप को ब्लेम नहीं करता बल्कि आप की परिस्थितियों को महसूस कर सकता है.

ऐसे बहुत से प्रोफेशन है जिन में व्यक्ति को किसी भी समय अपने काम पर निकलना पड़ सकता है. ज्यादा समय तक घर से बाहर रहना पड़ सकता है. अपनी पर्सनल लाइफ के बजाय अपने काम को प्राथमिकता देनी पड़ती है. पूरे जुनून के साथ काम में लगना होता है. वकील, डॉक्टर, पुलिस, एक्ट्रेस, राइटर जैसे बहुत से प्रोफेशनल्स इसी श्रेणी में आते हैं. ऐसे लोगों को अपना काम पूरे जूनून से और बिना समय देखे करना पड़ता है. जीवनसाथी उसी फील्ड का होगा तो वह उस इंडस्ट्री के हालातों से परिचित होने की वजह से कोई सवाल नहीं उठाएगा.

वैसे जिंदगी में हर किसी के लिए संभव नहीं कि वह समान प्रोफ़ेशन वाले व्यक्ति से शादी करे. मगर यदि आप के पास ऑप्शन हैं तो ऐसे में तो सेम प्रोफेशन सेलेक्ट करना ही समझदारी होगी.

स्वभाव

जीवनसाथी के साथ समय बिताने की सब से महत्वपूर्ण शर्त होती है उस का अच्छा स्वभाव. क्यों कि स्वभाव अच्छा हो तभी साथ पसंद आता है. क्या आप ऐसे पति या पत्नी के साथ रहना स्वीकार करेंगे जो पूरे दिन आप से झगड़ा करता रहता हो या आप को नीचा दिखाता हो. यदि आप का स्वभाव गर्म है तो जरूरी है कि आप का जीवनसाथी शांत स्वभाव वाला हो ताकि उसे आप के गुस्से की ज्वाला शांत करना आता हो. इसी तरह यदि आप बहुत बोलने वाली हैं तो जरूरी है कि जीवनसाथी कम बोलने और अधिक सुनने वाला हो ताकि आप दोनों के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग बनी रहे.

यदि दोनों ही अधिक गुस्से वाले या ज्यादा बोलने वाले हुए तो रिश्तों में दरार आने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसा साथ ज्यादा समय तक नहीं चल पाता. इसी तरह आप का साथी अधिक खर्च करने वाला हो तो आप का स्वभाव हाथ बांध कर खर्च करने वाला यानी बचत करने में विश्वास रखने वाला होना चाहिए. यदि वह जल्दबाजी में फैसले लेने वाला शख्स हो तो आप के अंदर विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता जरूर होनी चाहिए. तभी आप की गृहस्थी की गाड़ी बिना किसी बाधा के आराम से चल सकेगी. यानी कई मामलों में स्वभाव विपरीत रहना भी फ़ायदेमंद हो सकता है.

दौलत/ हैसियत

इंसान अक्सर शादी अपने बराबर वालों से करना पसंद करता है. मगर कई बार इंसान को जब किसी से प्यार हो जाता है तो वह ऊंचनीच या हैसियत नहीं देखता और यही उचित भी है. जरूरी नहीं कि आप का जीवनसाथी आप के जैसी हैसियत का ही हो. आप को उस का मन देखना चाहिए. दिल और दिमाग से यदि वह आप के जैसा है तो फिर दौलत के पैमाने पर उस की हैसियत न नापें.

महत्वाकांक्षा

शादी से पहले अपने जीवनसाथी से उस के भविष्य के प्लान जरूर डिस्कस करें. यदि आप का जीवनसाथी आप के देखे बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी है तो उस से रिश्ता जोड़ने से पहले जरूर सोचें. क्योंकि कई बार महत्वाकांक्षा के पीछे इंसान रिश्तों को भी पीछे छोड़ जाता है. महत्वाकांक्षी होना अच्छा है मगर हद से ज्यादा नहीं. जीवनसाथी के रूप में ऐसा शख्स ही चुनें जिसे आप के सपने अपने जैसे लगें. जिंदगी से दोनों की अपेक्षाएं एक जैसी हों और दोनों के लिए खुशी का मतलब भी एक जैसा ही हो.

खानपान के मामले में

खानपान की आदतें, पसंदनापसंद, पतिपत्नी के रिश्ते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. 27 साल की सपना प्योर वेजीटेरियन है जब कि उस का पति सौरभ शुक्ला नॉनवेज प्रेमी है. ऐसे में पति के लिए नॉनवेज खाना बनाते समय सपना को उबकाई आने लगती. काफी समय तक इस बात को ले कर घर में झड़पें होती रहीं. अंत में सौरभ ने घर से बाहर ही नॉनवेज खाना शुरू कर दिया. मगर इस वजह से वह सपना से चिढ़ा हुआ सा रहने लगा.

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ऐसा ही कुछ राधिका के साथ भी हुआ. वह बचपन से बहुत फूडी थी. उसे तरहतरह की टेस्टी चीजें खाना पसंद थीं. वह अक्सर दोस्तों के साथ बाहर खाने जाती. फैमिली के साथ भी कहीं घूमने जाती तो सब से पहले वहां के लोकल खाने का लुत्फ़ उठाती. खाना बनाते समय भी नएनए एक्सपेरिमेंट्स करती. मगर उस का पति इस मामले में बहुत बोरिंग है. उसे घर का खाना चाहिए होता है और वह भी बहुत सादा. उस का सप्ताह भर का मेनू पहले से डिसाइड रहता है. फूड आइटम्स में अधिक वैरिएशन भी नहीं होता. ऐसे में राधिका के लिए उस के साथ निभाना बहुत कठिन हो रहा था. पति को अपनी पसंद का कुछ खिलाना चाहती तो वह मुंह बना लेता. ऐसे में राधिका भी पति को अवॉयड कर अपनी सहेलियों या रिश्तेदारों के साथ घूमने का प्लान बनाने लगी. दोनों के रिश्ते में महज खानपान की आदतों में अंतर के कारण खटास आने लगी थी.

इसलिए बेहतर है कि रिश्ता जोड़ने से पहले भावी जीवनसाथी से इस मामले में बात जरूर करें. आप फूडी हैं तो अपने जैसा फूडी ही चुनें, वेजेटेरियन हैं तो वेजेटेरियन ही चुनें तभी आप जिंदगी का सही अर्थों में आनंद ले सकेंगी.

अंडरस्टैंडिंग

शादी की सफलता के लिए एकदूसरे को समझना बहुत जरूरी है. शादी से पहले अपने भावी जीवनसाथी के साथ थोड़ा समय जरूर बिताएं. आप दोनों एकदूसरे को समझ जाते हैं, आप के बीच अंडरस्टैंडिंग कायम हो जाती है तो समझिए उस से बेहतर जीवनसाथी आप के लिए कोई नहीं हो सकता. आप के बीच एक कनेक्शन बनना चाहिए. अंडरस्टैंडिंग इतनी ज्यादा होनी चाहिए कि आप बिना बोले उस के दिल की बात समझ जाएं और उसी तरह वे भी आप का मन पढ़ सकें.

इस सन्दर्भ में मनोवैज्ञानिक अनुजा कपूर कहती हैं कि हमारा जीवनसाथी हम से विपरीत होगा तो शादी अधिक समय तक टिक नहीं सकेगी. शादी उसी से करनी चाहिए जो आप के जैसा हो. वैसे जिंदगी में प्यार हमें किस से होगा यह हम तय नहीं कर सकते. लेकिन आने वाली जिंदगी खुशहाल और शांतिपूर्ण रह सके इस के लिए आपसी तालमेल बना रहना जरूरी है.

अपना जीवनसाथी चुनने से पहले यह देखें कि क्या आप उस के साथ जिंदगी भर रहना पसंद करेंगे ? उदाहरण के तौर पर थोड़े समय के लिए ज्यादा बोलने वाली लड़की आप को पसंद आ सकती है मगर जिंदगी भर साथ रहने की बात अलग होती है. शादी के बाद संभव है कि उस के ज्यादा बोलने से आप को दिक्कत होने लगे. इसलिए शादी से पहले कंपैटिबिलिटी जरूर देखें. वस्तुतः अपने जीवनसाथी में हम एक अच्छा दोस्त ढूंढते हैं. ऐसा दोस्त जिस के साथ हमेशा रहने का दिल करे. जिस के साथ आप समय बिताना पसंद करें. जो आप के दिल की हर बात समझे. जिस के साथ आप एक हो सकें. जो आप के साथ आप की बातें कर सके.

विपरीत के साथ शार्ट टर्म रिश्ता तो बना सकते हैं मगर लौंग टर्म रिश्ते के लिए उस का अपने जैसा होना जरूरी है. हम सब अपने जैसे व्यक्ति का साथ चाहते हैं. तभी तो शादीशुदा हो कर भी लोग एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स चलाते हैं क्यों कि वे किसी ऐसे व्यक्ति का साथ चाहते हैं जो उन की भावनाओं को समझे. उन को प्यार करे.

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क्या करें जब सताए कमर दर्द

डॉ. मनीष वैश्य, सह-निदेशक, न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली,

सिरदर्द के बाद कमर दर्द आज सब से आम स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या बनती जा रही है. बढ़ती उम्र के लोगों को ही नहीं युवाओं को भी यह दर्द बहुत सता रहा है. महिलाएं कमर दर्द की आसान शिकार होती हैं 90 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी स्‍तर पर कमर दर्द से पीड़ित रहती हैं. खासकर कामकाजी महिलाएं जो ऑफिसों में बैठ कर लगातार काम करती हैं. उन में रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ने से कमर दर्द की समस्या हो जाती है.

कमर दर्द

हमारी रीढ़ की हड्डी में 32 कशेरूकाएं होती हैं जिस में से 22 गति करती हैं जब इन की गति अपर्याप्‍त होती है या ठीक नहीं होती तो कई सारी समस्‍याएं पैदा हो जाती हैं रीढ़ की हड्डी के अलावा हमारी कमर की बनावट में कार्टिलेज (डिस्‍क), जोड़, मांसपेशियां, लिगामेंट आदि शामिल होते हैं इस में से किसीकिसी में भी समस्या आने पर कमर दर्द हो सकता है इस से खड़े होने, झुकने, मुड़ने में बहुत तकलीफ होती है अगर शुरूआती दर्द में ही उचित कदम उठा लिए जाएं तो यह समस्‍या गंभीर रूप नहीं लेगी

क्या हैं कारण

कमर दर्द की समस्या में महिलाओं की जीवनशैली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कामकाजी महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है क्योंकि उन्हें अपने जॉब के कारण घंटों एक ही स्थिति में बैठकर काम करना होता है कई महिलाएं आरामतलबी की जिंदगी जीने के कारण भी कमर दर्द की शिकार हो जाती हैं इस के अलावा कई और कारण भी हैं:

· शरीर का भार सामान्‍य से अधिक होना

· मांसपेशियों में खिंचाव

· बिना ब्रेक के लंबे समय तक काम करना

· हमेशा आगे की ओर झुक कर चलना या बैठना

· ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर हो जाना

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· अस्‍थमा या रूमैटिक डिस्‍आर्डर के कारण लंबे समय तक स्‍टेरॉइड युक्त दवाइयों का सेवन

· ज्‍यादा लंबे समय तक बेड रेस्‍ट करना

· शरीर का पॉस्चर खराब होना

· प्रजनन अंगों का संक्रमण; पेल्विक इन्फ्लेमैटरी डिसीज़ (पीआईडी)

· गर्भावस्था

· ऊंची एड़ी के फुटवेयर पहनना इस से रीढ़ की हड्डी पर बुरा प्रभाव पड़ता है और कमर दर्द की समस्या हो जाती है

गर्भावस्था और कमरदर्द

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कमर दर्द होना सामान्य है गर्भावस्था के दौरान वज़न बढ़ जाता है और बच्चे को जन्म देने के लिए लिगामेंट्स को रिलैक्स करने के लिए हार्मोनों का स्त्राव बढ़ जाता हैं अधिकतर गर्भवती महिलाओं में कमर दर्द की समस्या पांचवें से सातवें महीने के दौरान होती है, लेकिन यह शुरूआती महीनों में भी हो सकती है उन महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द की समस्या होने की आशंका और अधिक होती है जो पहले से ही निचले कमर दर्द की समस्या से जूझ रही हैं गर्भावस्था या उस के बाद महिलाओं में कमर दर्द की शिकायत होने का एक प्रमुख कारण गलत तरीके से बैठना और सोना है वहीं लंबे समय तक सही तरीके से न बैठ कर बच्चे को दूध पिलाना भी कमर दर्द का कारण बन सकता है गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के बाद पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन न करने से होने वाली शारीरिक कमजोरी के कारण भी कमर दर्द की समस्या हो सकती है

सप्लीमेंट्स लेने में न हिचकिचाएं

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार भारत में पचास साल से अधिक उम्र की महिलाओं में से हर दूसरी महिला ऑस्‍टियोपोरोसिस की शिकार है ऑस्‍टियोपोरोसिस से पीड़ित 50 प्रतिशत महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है ऐसे में उन्हें कैल्‍शियम और विटामिन डी विशेष कर विटामिन डी3 और बायोफास्‍फोनेट को सप्‍लीमेंट के रूप में लेने की सलाह दी जाती हे विटामिन k भी बोन डेनसिटी बढ़ाता है इसलिए कई महिलाओं को यह भी सप्‍लीमेंट के रूप में दिया जाता है एक सामान्‍य महिला को प्रतिदिन 1000 मिलिग्राम तथा एक गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली महिला को 1300 मिलिग्राम कैल्‍शियम की आवश्‍यकता होती है. जब भोजन से यह आवश्‍कता पूरी नहीं होती तो इसे डाएट्री सप्‍लीमेंट्स के द्वारा पूरा किया जाता है कई मामलों में सप्‍लीमेंट्स बहुत कारगर होते हैं लेकिन अगर इन का सेवन बिना सोचेसमझे किया जाये ये घातक भी हो सकते हैं इसलिये यह आवश्‍यक है कि इनका सेवन डॉक्‍टर की सलाह के बगैर न किया जाये

कमर दर्द में छिपे खतरे अनेक

कमर दर्द सिर्फ रीढ़ की हड्डी या कमर की मांपेशियों की समस्‍या के कारण नहीं होता है यह कईं गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है, इसलिए कमर दर्द को हल्के में न लें और तुरंत डाग्नोसिस करा कर उपचार कराएं

· किडनी से सबंधित बीमारियां या संक्रमण

· ब्‍लेडर में संक्रमण

· स्‍पाइनल ट्युमर

· रीढ़ की हड्डी में संक्रमण से भी कमर दर्द होता है लेकिन यह बहुत कम मामलों में देखा जाता है

उपचार

कमर दर्द के मामले में लापरवाही न करें प्रारंभिक अवस्‍था में यदि डॉक्‍टर को दिखा दिया जाए तो सामान्‍य से उपाय और थोड़ी सी सावधानी अपना कर इसे ठीक किया जा सकता है इस के ज्‍यादा गंभीर होने जैसे रीढ़ की हड्डी का मुड़ जाना, डिस्‍क डैमेज हो जाने पर ऑपरेशन की नौबत आ जाती है आमतौर पर 85-95 प्रतिशत कमर दर्द बिना सर्जरी के दवाइयों, एक्‍सरसाइज, पॉश्‍चर करेक्‍शन तकनीकों और फिजियोथेरेपी की विभिन्‍न तकनीकों से ठीक किए जा सकते हैं केवल 5-10 प्रतिशत मामलों में ही ऑपरेशत की जरूरत पड़ती है

डॉक्टर एक्‍स-रे, एमआरआई या सीटी स्‍कैन के द्वारा कमर दर्द के कारणों का पता लगाकर मरीज का उपचार करते हैं

सर्जरी

सर्जरी जनरल एनेस्‍थिसिया दे कर की जाती है सर्जरी द्वारा पूरी डिस्‍क को या आंशिक रूप से इसे बाहर निकाल लिया जाता है पूरी डिस्‍क निकालने के बाद वहां कृत्रिम डिस्‍क प्रत्‍यारोपित की जाती है इसके अलावा स्‍पाइन फ्युजन के द्वारा भी कमर की हड्डी की मजबूती फिर से पाई जा सकती है सर्जरी के बाद 1-3 महीने आराम करने की सलाह दी जाती है इस दौरान ड्राइविंग करने, वजन उठाने, आगे की ओर झुकने, लंबे समय तक बैठने, भागने-दौड़ने की मनाही होती है

ओजोन थेरेपी

कमर और डिस्‍क के दर्द के लिए ओजोन थेरेपी सब से अत्‍याधुनिक तकनीक है ओजोन थेरेपी लोकल एनिस्‍थिसिया में की जाती है इस पूरी प्रक्रिया में एक-एक घंटे की छह सीटिंग तीन हफ्ते के दौरान लेना होती हैं इसमें बिना अस्‍पताल में भर्ती हुए ही कमर दर्द ठीक किया जा सकता है यह एक माइक्रोस्‍कोपिक सर्जरी है इसमें चीरा भी नहीं लगाना पड़ता इसमें ओजोन को डिस्‍क के आंतरिक हिस्‍से तक पहुंचाया जाता है लेकिन हर तरह के कमरदर्द में यह कारगर नहीं है

सर्जरी के बाद दोबारा कमरदर्द होने की आशंका 15 प्रतिशत होती है लेकिन ओजोन थेरेपी में सिर्फ 3 प्रतिशत इसमें खर्च भी परंपरागत सर्जरी से एक तिहाई आता है.

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भ्रम से रहें दूर

कमर दर्द लाइलाज नहीं है सही पहचान और उपचार से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है

आपॅरेशन के बाद हमेशा बिस्‍तर पर रहने की नौबत नहीं आती. अत्‍याधुनिक चिकित्‍सा पद्धतियों से रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन संभव है और कुछ दिनों के आराम के बाद व्‍यक्‍ति सामान्‍य जीवन जी सकता.

बीती ताहि बिसार दे…: कैसे बदल गई देवेश की जिंदगी?

Serial Story: बीती ताहि बिसार दे… (भाग-3)

उस के बाद जब कभी शानिका आई, वह उस से सामना होने को टालता रहा. यह सोच कर कि शानिका से किसी पूर्व सूचना के घर आ गई. रागिनी उस समय घर पर नहीं थी. मां को प्रणाम कर वह किताबें ले कर स्टडीरूम में चली गई. उसे भी पता नहीं था कि देवेश इस समय घर पर होगा. देवेश को देख कर वह चौंक गई. शानिका को अचानक सामने आया देख कर देवेश भी चौंक गया. दिल की धड़कनें बेकाबू हो गईं. आज उसे शानिका बहुत दिनों बाद दिखाई दी. ‘‘अरे आप आज घर पर कैसे?’’

‘‘बस थोड़ा देर से जाऊंगा आज,’’ देवेश मुसकराते हुए बोला, ‘‘रागिनी को पता नहीं था कि आप आने वाली हैं? वह तो अभी घर पर नहीं है. पर जल्दी आ जाएगी.’’ ‘‘कोई बात नहीं मैं इंतजार कर लूंगी. ये लीजिए अपनी किताबें,’’ वह किताबें मेज पर रखती हुई बोली.

‘‘दूसरी किताबें देख लीजिए जो आप को चाहिए,’’ वह मीठे स्वर में बोला. वह शानिका की मौजूदगी को इतने दिनों से टाल रहा था. लेकिन अब सामने आ गई थी तो उस का दिल नहीं कर रहा था कि वह जाए. शानिका शेल्फ में किताबें देखने लगी. देवेश अपने दिल पर अकुंश नहीं रख पा रहा था. सोच रहा था, एक बार तो बात करे शानिका से कि आखिर वह क्या चाहती है. अपने ही ध्यान में जैसे किसी अदृश्य शक्ति से बंधा ऐसा सोचता हुआ वह उस के करीब आ गया.

‘‘शानिका,’’ वह भावुक स्वर में बोला. ‘‘जी,’’ एकाएक उसे इतने करीब देख कर शानिका उस की तरफ पलट गई.

‘‘मुझ से शादी करोगी?’’ उस की निगाहें उस के चेहरे पर टिकी थीं. उसे स्वयं पता नहीं था कि वह क्या बोल रहा है. ‘‘जी,’’ शानिका हकला सी गई, ‘‘मैं ने

ऐसा कुछ सोचा नहीं अभी,’’ वह उलझी, परेशान सी बोली. ‘‘तो कब सोचोगी?’’ देवेश का स्वर हलका सा कठोर हो गया.

शानिका गरदन झुकाए नीचे देखने लगी. ‘‘बोलो शानिका कब सोचोगी?’’

‘‘पता नहीं मेरे घर वाले मानेंगे या नहीं…’’ ‘‘अगर तुम्हारे घर वाले नहीं मानेंगे तो क्यों आई हो मेरी जिंदगी में तूफान ले कर,’’ वह उसे झंझोड़ता हुआ बोला, ‘‘क्यों मेरी भावनाओं को उकसाया तुम ने? मैं जैसा भी था अपने हाल से समझौता कर लिया था मैं ने. तुम ने क्यों हलचल मचा दी मेरे दिलदिमाग में. बताओ शानिका बताओ,’’ वह उसे बुरी तरह झंझोड रहा था. उस की आंखों में आंसू थे और चेहरे पर कठोरता के भाव.

शानिका देवेश को ऐसे रूप में देख कर हड़बड़ा सी गई. वह खुद को छुड़ाने का यत्न करने लगी. बोली, ‘‘छोड़ दीजिए मुझे. मैं आप की बात का जवाब बाद में दूंगी. आप अभी होश में नहीं हैं.’’ ‘‘मैं होश में नही हूं और होश में न ही आऊं तो ठीक है… जाओ चली जाओ मेरे सामने से. फिर कभी मत आना मेरे सामने,’’ कह कर उस ने शानिका को हलका सा धक्का दे कर छोड़ दिया.

शानिका रोती हुई बाहर निकल गई. तभी अंदर आती रागिनी ने उसे पकड़ लिया. पूछा, ‘‘क्या हुआ शानिका? ऐसी बदहावास सी क्यों हो रही है और रो क्यों रही है? भैया ने कुछ कहा क्या?’’ ‘‘नहीं…मैं घर जा रही हूं.’’

‘‘चली जाना…पहले मेरे साथ आ,’’ वह उसे खींचती हुई अपने बैडरूम में ले गई. उसे सहलाया, पानी पिलाया. जब वह संयत हो गई तो फिर बोली, ‘‘शानिका मैं नहीं जानता, तेरे और भैया के बीच ऐसी क्या बात हुई पर मैं बात का अंदाजा लगा सकती हूं. मैं जानती हूं भैया तुझ से बहुत प्यार करते हैं. तुझ से शादी करना चाहते हैं…मैं जानती हूं यह नामुमकिन है, फिर भी पूछना चाहती हूं कि तेरा दिल क्या कहता है? तेरे दिल में भैया के लिए वैसी कोमल भावनाएं हैं क्या? तू भी उन्हें पसंद करती है?’’ शानिका कुछ नहीं बोली. टपटप आंसू

गिरने लगे. ‘‘बोल न शानिका,’’ रागिनी उसे प्यार से सहलाते हुए बोली.

‘‘मेरे चाहने से क्या होता…मम्मीपापा को कौन मनाएगा? मैं तो बोल भी नहीं सकती उन से.’’ ‘‘मतलब कि तू भी भैया से प्यार करती है?’’

शानिका ने कोई जवाब नहीं दिया. चुपचाप नीचे देखती रही. थोड़ी देर दोनों चुप रहीं, फिर रागिनी बोली, ‘‘पापा की जिद्द ने भैया के जीवन में इतना बड़ा व्यवधान पैदा कर दिया. छोटी सी उम्र में उन्हें शादी के बंधन में बांध दिया और वह शादी उन के लिए नासूर बन गई. वरना तू भी जानती है कि मेरे भैया जैसा लड़का चिराग ले कर ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगा, उन जैसा साथी पाने का तो कोई भी लड़की ख्वाब देख सकती है.’’ शानिका ने कोई जवाब नहीं दिया तो रागिनी फिर बोली, ‘‘अगर प्यार भैया से करती है, तो किसी दूसरे के साथ कैसे खुश रह पाएगी तू और जब तक अपनी बात नहीं बोलेगी तब तक कोई तेरी बात कैसे मानेगा…अपने दिल की बात अपने मातापिता से कहना कोई गुनाह तो नहीं. अगर प्यार करती है तो बोलने की भी हिम्मत कर. चुप मत रह. चुप रहना किसी समस्या का हल नहीं है. तेरी चुप्पी, भैया और तेरी दोनों की जिंदगी बरबाद कर देगी,’’ रागिनी ने उसे समझाबुझा कर घर भेज दिया.

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शानिका कुछ दिनों तक सोचती रही कि सही कहती है रागिनी. उस ने स्वयं को टटोला. उस के अंदरबाहर देवेश कब बस गया उसे पता ही नहीं चला. कब शनी से इतना प्यार हो गया वह समझ नहीं पाई. किसी दूसरे के साथ वह खुश नहीं रह पाएगी. अपने दिल की बात अपने मातापिता के आगे रखना कोई गुनाह तो नहीं है. उसे रागिनी की बात याद आई.

एक दिन हिम्मत कर के उस ने सधे शब्दों में मम्मी से अपने दिल की बात कर दी. मम्मी समझदार थीं. सहजता से, गंभीरता से, धैर्य से उस की बात सुनी फिर बोली, ‘‘यह क्या कह रही है बेटी… देवेश हर तरह से अच्छा लड़का सही. पर एक बच्चे का पिता है वह. पहले विवाह की बात हम भुला भी दें पर बच्चा आंखों देखी मक्खी तो नहीं निगली जा सकती न?’’

‘‘उस नन्हे से सब को इतनी नफरत क्यों है मम्मी?’’ वह रोआंसी सी हो गई, ‘‘जो सिर्फ प्यार की भाषा जानता है. उस का पिता तक उस से नफरत करता है. वह नन्हा बच्चा, जिसे कुछ भी पता नहीं सिर्फ सब से प्यार करना चाहता है और सब से प्यार पाना चाहता है, मुझे जिस बात पर ऐतराज नहीं, तो आप क्यों परेशान हो रही हैं? मैं सब संभाल लूंगी.’’ जब पिता व भाइयों तक बात पहुंची तो वे भी आपे से बाहर हो गए. उन्हें यहां तक लगा कि उन की भोलीभाली बेटी को उन लोगों ने बरगला दिया है. लेकिन शानिका भी कटिबद्ध थी सब को अपनी बात समझाने के लिए. उस ने अपने तर्कों से सब को परास्त कर दिया.

‘‘एक बात सोचिए पापा. देवेश व निमी के पिता ने अपनी जिद्द के कारण देवेश व निमी का जीवन बरबाद कर दिया…शनी से उस का बचपन छीन लिया…मातापिता का प्यार छीन लिया. क्या आप भी मेरे साथ ऐसी ही कोई गलती करना चाहते हैं?’’ सुन कर सब चुप हो गए. पता नहीं उस के कहने में कोई बात थी या बात में ही कोई दम था. तर्क अकाट्य था. निशाना अचूक और अपनी पूरी सत्यता के साथ उन के सामने था.

‘‘ठीक है, तेरी जिस में खुशी है उसी में हम सब की खुशी है,’’ कह कर पापा ने हथियार डाल दिए. शानिका की तो खुशी का ठिकाना नहीं था. अक्तूबर का महीना था. दीवाली का पर्व यानी रोशनी का त्योहार, देवेश के लिए तो सभी त्योहार जैसे बेमानी हो गए थे. वह कोई भी त्योहार नहीं मानता था. वह चुपचाप अपने स्टडीरूम में अंधेरे में बैठा था. खिड़की से बाहर दीयों व बिजली के लट्टुओं को जगमगाता देख रहा था. पटाखों की आवाज सुन रहा था और सोच रहा था कि उस की जिंदगी के गलियारों का अंधेरा तो इतना घना हो गया है, जिसे कोई भी चिराग रोशन नहीं कर सकता.

रागिनी दरवाजे पर रंगोली बना रही थी. तभी गेट खुला, उस ने किसी को अंदर आते देखा. आकृति के करीब आने पर वह चौंक गई, बोली, ‘‘शानिका तू? इस वक्त?’’ वह आश्चर्य से सुंदर सी साड़ी में सजी शानिका को देखती रह गई. ‘‘हां, आज तुम लोगों के साथ दीवाली मनाने आई हूं.’’

‘‘दीवाली मनाने…इतनी रात किस के साथ आई है…तेरे पापा ने कैसे आने दिया…’’ ‘‘पापा की आज्ञा ले कर आई हूं और भैया छोड़ कर गए हैं मुझे यहां,’’ शानिका मुसकरा रही थी. ‘‘अब हमेशा जिंदगी भर इसी घर में दीवाली मनाऊंगी.’’

‘‘क्या?’’ रागिनी आश्चर्यमिश्रित खुशी से बोली, ‘‘तू सच कह रही है शानिका?’’ ‘‘हां, मैं सच कह रही हूं…पापा मान गए.’’

‘‘तो अंदर चल न जल्दी,’’ खुशी के आवेग से उस की आवाज कांप रही थी. ‘‘भैया अंदर स्टडीरूम में बैठे हैं. जा जा कर उन्हें बुला ला.’’

शानिका स्टडीरूम में गई तो देवेश अपने खयालों में डूबा आंखें बंद कर चुपचाप बैठा था. वह धीरे से उस के पास जा कर खड़ी हो गई और उंगलियों से उस के बालों को सहलाती हुई बोली, ‘‘दीवाली जैसे रोशनी के पर्व में भी यों अंधेरे में बैठे हैं आप.’’ शानिकाका स्पर्श पा कर देवेश एकदम चौंक गया. बोला, ‘‘तुम यहां इस वक्त?’’

‘‘हां,’’ शानिका ने बिजली का स्विच औन कर दिया, ‘‘आप के साथ दीवाली मनाने आई हूं… पापा की आज्ञा ले कर… भैया छोड़ कर गए हैं मुझे. अब हमेशा आप के साथ दीवाली मनाऊंगी जिंदगी भर,’’ वह संजीदगी से बोली, ‘‘मैं ने भैया से कहा है कि घर वापस आप मुझे छोड़ देंगे. वे मुझे लेने न आएं. छोड़ देंगे न आप मुझे?’’ ‘‘शानिका…’’ देवेश अपनी जगह खड़ा हो गया, ‘‘क्या तुम सच कह रही हो? मजाक तो नहीं कर रही हो न? ऐसा मजाक मैं सहन नहीं कर पाऊंगा.’’

‘‘मैं सच कह रही हूं… पापा मान गए. मैं ने मना लिया मम्मीपापा को. वे बहुत समझदार हैं… मुझ से बहुत प्यार करते हैं. मेरी पसंद उन की पसंद,’’ वह शरमाते हुए बोली. ‘‘ओह शानिका,’’ कह खुशी के आवेग में देवेश ने शानिका को बांहों में भर कर सीने से लगा लिया.

फिर बोला, ‘‘चलो शानिका मां के पास चलते हैं, उन्हें भी बता दें.’’ ‘‘एक शर्त पर चलूंगी.’’

‘‘कौन सी?’’ ‘‘पहले शनी को ले कर आइए. मां सब से प्यारी चीज होती है बच्चे के जीवन में और एक मां के कारण ही शनी से उस का बचपन व पिता का प्यार छिन गया. अब मैं नहीं चाहती कि दूसरी मां की वजह से उस के शेष जीवन की खुशियां छिन जाएं. मैं उस की मां बन कर उस के पिता का प्यार उसे लौटाना चाहती हूं. आप के जीवन

में जो कुछ भी घटा उस में उस मासूम का कोई दोष नहीं.’’ ‘‘अब ले कर आता हूं,’’ देवेश हंस कर बाहर चला गया और फिर तुरंत शनी को ले आया.

दोनों ने शनी के हाथ पकड़े और मां के पास चले गए. शानिका को देख कर मां चौंक गईं. बोलीं, ‘‘शानिका तुम यहां इस वक्त?’’

शानिका प्रणाम करने के लिए मां के पैरों में झुक गई. ‘‘होने वाली बहू को गले लगाओ मां…इस दीवाली साक्षात लक्ष्मी आप के घर आ गई है,’’ रागिनी सजल नेत्रों से हंसते हुए बोली.

‘‘क्या सच…’’ मां ने बात की सचाई के लिए देवेश की तरफ देखा तो खुशी से दमकता देवेश का चेहरा देख अब कुछ भी देखनासमझना बाकी नहीं रह गया था. उन्होंने पैर छूती शानिका को उठा कर अपने गले से लगा लिया.

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खुशी के अतिरेक में देवेश ने शनी को गोद में उठा कर अपनी बांहों में भींच लिया. कभी न दुलारने वाले पापा को शनी हैरानी से देखने लगा. वहां वात्सल्य का सागर लहरा रहा था. बच्चा प्यार की भाषा बहुत जल्दी समझ जाता है. उस ने अपनी दोनों नन्हीनन्ही बांहें देवेश के गले में डाल दीं.

रागिनी पीछे खड़ी अपने बहते आंसुओं को लगातार पोंछ रही थी और मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि यह दीवाली उन के घर को ताउम्र रोशन रखे.

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