Serial Story: बीती ताहि बिसार दे… (भाग-2)

निमी के पापा भी अपनी गलतियों व अपनी जिद्द के आगे थक गए थे. उन की बातों से पश्चात्ताप साफ झलकता था. उस का दिल किया कि वह दोनों दोस्तों का गुस्सा निमी के पापा पर उतार दे. अपने बच्चों की जिंदगी बरबाद कर के आखिर क्या मिला उन्हें? वह चिल्लाचिल्ला कर पूछना चाहता था, उन मातापिता से कि क्यों बांध देते हो अपने बच्चों को जबरदस्ती के रिश्तों में… हर निर्णय लेने की छूट देते हो उन को, छोटी से छोटी बात में उन की पसंद पूछते हो और जब जिंदगी भर का निर्णय लेने का समय आता है तो अपनी जिद्द से उन की जिंदगी को कभी न भरने वाला नासूर बना देते हो. उस का मन अपने दिवंगत पिता को कभी इस बात के लिए क्षमा नहीं कर पाया. नन्हा शनी उन के घर आ गया. दादी और बूआ की देखरेख में वह बड़ा होने लगा. पर शनी को मां के साथसाथ पिता का भी प्यार नहीं मिला. देवेश का चेहरा उसे देखते ही गुस्से में तन जाता. लाख समझाता खुद को कि जो कुछ हुआ उस में इस नन्हे का क्या दोष. लेकिन चाह कर भी उस के साथ सहज नहीं हो पाता. नन्हा प्यार और नफरत बहुत जल्दी समझ जाता है. वह भी देवेश से दूरी ही बना कर रखता. दादी व बूआ से ही चिपका रहता.

जो घर देवेश के हंसीठहाकों से गूंजता रहता था, उसी घर में 4 जनों के होते हुए भी मुर्दनी छाई रहती. उन की बेनूर जिंदगी में अगर थोड़ीबहुत तरंग उठती भी तो रागिनी की वजह से. देवेश ने खुद को काम में डुबो दिया. पढ़नेलिखने के शौकीन देवेश की लाइब्रेरी कई महान लेखकों की दुर्लभ कृतियों से अटी पड़ी थी. वह जहां भी जाता किताबें खरीद लाता था. औफिस से आ कर वह अपनी लाइब्रेरी में बैठ जाता और देर रात तक अंगरेजी पढ़ता रहता. रागिनी अंगरेजी से एमए कर रही थी. उसी साल शानिका ने उस की कक्षा में प्रवेश लिया था. रागिनी और शानिका की दोस्ती जल्दी ही गहरी हो गई. सीधीसाधी, भोलीभाली शानिका रागिनी को बहुत अच्छी लगती थी.

एक दिन उस ने अपनी कुछ सहेलियों को घर लंच पर बुलाया था. काफी समय बाद लड़कियों की चुहलबाजी से सूना घर गुलजार हो गया था. व्यवसाई परिवार होने के कारण उन का घर बड़ा, खूबसूरत व हर तरह से सुविधासंपन्न था. उस की सहेलियां उस का घर देख कर खुश हो रही थीं. रागिनी भी खुश हो कर उन्हें

1-1 कमरा दिखा रही थी. सब देखतेदेखते वे देवेश की लाइब्रेरी में पहुंच गईं. पढ़ने की शौकीन शानिका इतने सारे महान लेखकों की किताबें देख कर बावरी सी हो गई. ‘‘यह लाइब्रेरी किस की है रागिनी? तुम्हारे घर कौन है पढ़ने का शौकीन?’’ वह शेल्फ पर रखी किताबों पर नजर दौड़ाती हुई बोली.

‘‘मेरे भैया. जहां भी जाते हैं बस किबातें खरीद लाते हैं.’’ ‘‘अच्छा, तेरे भैया के पास तो बहुत अच्छीअच्छी किताबें हैं. इन में से कुछ किताबें ऐसे हैं जिन्हें मैं पढ़ना चाहती हूं, पर मिल नहीं रही थीं. मैं ले लूं? पढ़ कर वापस कर दूंगी.’’

‘‘अरे नहींनहीं,’’ रागिनी बोली, ‘‘बाप रे, भैया की किताबों को छुओ भी तो उन्हें पता चल जाता है. उन से पूछे बिना उन की किताबें नहीं ले सकते. भैया लंच पर आने वाले हैं. उन से पूछ कर ले लेना.’’ ‘‘ठीक है,’’ शानिका खुश हो कर बोली.

लंच टाइम में देवेश घर आ कर सीधे अपने कमरे में चला गया. मां ने लंच लगा दिया. रागिनी की सभी सहेलियां डाइनिंग टेबल पर आ गईं. ‘‘रागिनी जा देवेश को भी बुला ला खाने के लिए,’’ मां बोलीं.

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रागिनी देवेश को बुलाने कमरे में चली गई, ‘‘भैया खाना खा लो चल कर.’’ ‘‘तुम लोग खाओ… मुझे यहीं दे दो,’’

देवेश बोला. ‘‘क्या भैया आप भी…क्या सोचेंगी मेरी सहेलियां…आप कोई छोटे बच्चे हो, जो शरमा कर अंदर छिप रहे हो,’’ कह रागिनी उसे हाथ से खींच कर बाहर ले आई. वह अनिच्छा से आ कर डाइनिंग टेबल पर आ कर बैठ गया. रागिनी ने सब से उस का परिचय कराया.

जब शानिका से परिचय कराया तो सब पर सरसरी नजर व औपचारिक परिचय करती देवेश की निगाहें अनायास ही शानिका पर अटक गईं. लंबी, छरहरी, गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें, कंधों पर लहराते मुलायम घने बाल सब उस के कमनीय चेहरे को और भी कमनीय बना रहे थे. उस के अनुपम सौंदर्य के साथसाथ उस के चेहरे की सादगी ने भी देवेश को एक बार दोबारा उस के चेहरे पर भरपूर नजर डालने के लिए मजबूर कर दिया. उस की निगाहों की कशिश रागिनी से छिपी न रह सकी.

सभी खाना खाने लगे. सभी लड़कियां आपस में चुहलबाजी कर रही थीं. कुछ छिटपुट बातें देवेश से भी कर रहीं थीं. पर शानिका बिना कुछ अधिक बोले सब की बातों पर मुसकरा रही थी. देवेश के कान और निगाहें अनायास ही उस की उपस्थिति को तोल रही थीं. अभी सब ने खाना खत्म ही किया था कि सोया हुआ शनी उठ कर कमरे से बाहर आ गया. इतने सारे लोगों को देख वह सहम कर दादी की गोद में दुबक गया. उस प्यारे से बच्चे को देख कर सभी लड़कियां उस की तरफ आकर्षित हो गईं. उसे अपने पास बुलाने के लिए तरहतरह के प्रलोभन देने लगीं. लेकिन शनी किसी के पास जाने के लिए तैयार नहीं हुआ. बस टुकुरटुकुर सब को देखता रहा.

‘‘मेरे पास आओ,’’ शानिका प्यार से उसे छूते हुए बोली, ‘‘तुम्हें अच्छी कहानी सुनाऊंगी.’’ ‘‘कौन सी वाली,’’ किसी की बात का जवाब न देने वाला शनी एकाएक शानिका से पूछ बैठा तो सब चौंक कर हंसने लगे.

‘‘जो वाली तुम कहोगे…पहले मेरे पास आओ,’’ वह उस का हाथ धीरे से अपनी तरफ खींचती हुई बोली तो शनी दादी की गोद से उतर कर उस की गोदी में बैठ गया. ‘‘अच्छा, पहले अपना नाम बताओ,’’ कह शानिका उस के घुंघराले बालों पर उंगलियां फेरते हुए बोली.

‘‘शनी,’’ और वह धीरेधीरे शानिका से बातें करने लगा. शानिका उस से थोड़ी देर बातें करती रही. उसे पता नहीं था कि देवेश की मुग्ध निगाहें उस के चेहरे को सहला रही हैं. एकाएक शानिका ने नजरें उठाईं तो निगाहें देवेश की निगाहों से जा टकराईं. देवेश अचकचा कर निगाहें फेर उठ खड़ा हुआ और अपने स्टडीरूम में चला गया.

रागिनी ने सब कुछ ताड़ लिया. समझ गई, भोलीभाली शानिका पितापुत्र दोनों के मन में बिंध गई.

सभी लड़कियां उठ कर ड्राइंगरूम में बैठ कर गपशप करने लगीं. तभी रागिनी शानिका से बोली, ‘‘तुझे किताबें चाहिए, तो भैया से ले ले. फिर वे औफिस के लिए निकल जाएंगे.’’ ‘‘तू ले आ न,’’ शानिका उस से अनुनय करती हुई बोली.

‘‘अरे मुझे क्या पता तुझे कौनकौन सी किताब चाहिए. फिर मुझे तो मना भी कर सकते पर तुझे औपचारिकतावश नहीं कर पाएंगे.’’ शानिका दुविधा में खड़ी रही. ‘‘जा न. भैया इस समय स्टडीरूम में ही हैं. 10-15 मिनट में चले जाएंगे…’’

रागिनी के जोर देने पर शानिका स्टडीरूम में चली गई. देवेश आरामकुरसी पर अधलेटा सा आंखें मूंदे बैठा था. उसे ऐसे देख कर शानिका वापस मुड़ गई. तभी आहट सुन कर देवेश ने आंखें खोल दीं. बोला, ‘‘अरे आप, कुछ काम था मुझ से,’’ वह बोला.

आप के पास बहुत अच्छी किताबें हैं…मुझे कुछ किताबें चाहिए थीं, पढ़ने के लिए. पढ़ कर लौटा दूंगी.’’ ‘‘हांहां, क्यों नहीं. जोजो चाहिए ले लीजिए,’’ देवेश बोला.

शानिका शेल्फ खोल कर अपनी पसंद की किताबें निकालने लगी.

‘‘बहुत शौक है आप को पढ़ने का?’’ देवेश ने पूछा. ‘‘जी.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छा शौक है, पर कालेज की पढ़ाई के साथ कैसे कर लेती हैं ये सब?’’ ‘‘बस शौक होता है तो हो जाता है. ये किताबें ले जा रही हूं. जल्दी पढ़ कर लौटा दूंगी.’’

‘‘हांहां, जब पढ़ लें तब दे दीजिएगा… जो भी किताब पढ़ना चाहें बेझिझक ले जाया करें,’’ वह प्यार भरी नजर उस पर डालते हुए बोला. ‘‘जी, थैंकयू,’’ कह कर शानिका स्टडीरूम से बाहर निकल गई. बाहर आ कर रागिनी से बोली, ‘‘तेरे भैया तो बहुत ही अच्छे हैं बात करने में. तू तो बेकार डरती है उन से. उन्होंने कहा है कि मैं जब भी किताब ले जाना चाहूं, ले जा सकती हूं.’’

रागिनी जानती थी कि इस बात से बिलकुल अनभिज्ञ है कि वह उस के भैया के दिल में कहां तक उतर गई है.

अब शानिका अकसर आती. कभी देवेश की मौजूदगी में तो कभी गैरमौजूदगी में. कभी किताबें रख जाती कभी ले जाती. उसे पढ़ते देख देवेश भी नित नएनए लेखकों की किताबें लाता रहता. शानिका जब भी उस की मौजूदगी में आती, देवेश की मुग्ध निगाहों का घेरा उसे अपने आगोश में ले लेता. शनी तो उस से इतना घुलमिल गया था कि उसे 1 मिनट भी नहीं छोड़ता था. जब वह जाने लगती तो रोरो कर आसमान सिर पर उठा लेता. उस के साथ जाने की जिद्द करने लगता.

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रागिनी सब कुछ समझ रही थी. शानिका की मौजूदगी ने देवेश को मुसकराना सिखा दिया था. उस की खोईखोई निगाहों में उसे शानिका की तसवीर दिखती. उसे लगता कि शानिका भी देवेश को पसंद करती है, पर कितना पसंद करती है, यह वह समझ नहीं पाती. मां के पास उस के लिए कई रिश्ते आए थे, जिन में से कई रिश्ते कुआरी लड़कियों के भी थे. पर वे रिश्ते ऐसे ही थे जैसे एक विवाहित व 1 बच्चे के पिता के लिए आ सकते थे. देवेश उन रिश्तों के बारे में सुनता भी नहीं था. देवेश की कुंआरी भावनाएं जो अभी जस की तस थीं. वह सोच भी नहीं पाता था कि उस का विवाह एक बार हो चुका है और वह एक बच्चे का पिता है. उस के जीवन की उलझनों का शिकार अकसर शनी हो जाता था. वह न कभी शनी को गोद में उठाता न कभी दुलारता. एक अनजानी सी नफरत घर कर गई थी उस मासूम बच्चे के लिए उस के दिल में. वह उसे अपनी जिंदगी की सब से बड़ी बाधा समझता था. एकाएक कहीं दूर से घंटा बजने की आवाज सुनाई दी. स्मृतियों में खोया देवेश जैसे अपनेआप में लौट आया. घड़ी पर नजर डाली. रात के 2 बज रहे थे. उस ने एक लंबी सांस ली. उस की आंखें अभी भी गीली थीं. उस ने दोनों हथेलियों से अपनी आंखें पोंछीं और फिर बैडरूम में चला गया.

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Serial Story: बीती ताहि बिसार दे… (भाग-1)

‘‘भैया ये आप की किताबें… शानिका ने दी हैं,’’ रागिनी किताबें मेज पर रखती हुई बोली. अपने स्टडीरूम में बुकशेल्फ पर किताबों को ठीक करते हुए देवेश ने पलट कर एक नजर मेज पर रखी गई किताबों पर डाली. फिर पूछा, ‘‘क्या शानिका आई थी आज यहां?’’

देवेश की आंखों की चमक रागिनी की नजरों से छिपी न रह सकी. बोली, ‘‘भैया, कालेज में दी थीं.’’

‘‘अच्छा,’’ कह कर देवेश फिर किताबों में उलझ गया. रागिनी पल भर खड़ी रह पलट कर जाने लगी तो एकाएक देवेश बोल पड़ा, ‘‘आजकल तेरी सहेलियां घर नहीं आती हैं… तू बुलाती नहीं है क्या अपनी सहेलियों को?’’

रागिनी पल भर के लिए देवेश का चेहरा पढ़ती रही, फिर धीरे से बोली, ‘‘सहेलियां या फिर सिर्फ शानिका?’’ ‘‘मैं ने ऐसा तो नहीं कहा…’’

‘‘कुछ भी न कहा हो भैया पर क्या मैं समझती नहीं कि शानिका का नाम ही आप की आंखों को चमक से भर देता है… चेहरे पर इंद्रधनुषी नूर बिखर जाता है.’’ देवेश ने कोई जवाब नहीं दिया. किताबों को ठीक करने में लगा रहा.

‘‘भैया,’’ कह रागिनी देवेश के पास जा कर खड़ी हो गई, ‘‘बहुत पसंद करते हो न शानिका को?’’ ‘‘नहीं तो… मैं ने ऐसा कब कहा,’’ देवेश हकलाती सी आवाज में बोला.

‘‘भैया खुद को संभाल लो ताकि बाद में धक्का न लगे… उस राह पर कदम न बढ़ाओ. आप तो जानते हो शानिका मेरी क्लास में पढ़ती है. अभी सिर्फ 19 साल की है. 3 भाइयों की छोटी बहन है… उस की शादी की तो अभी दूरदूर तक कोई बात नहीं है और आप… शानिका को मैं जानती हूं. वह आप को पसंद भी करे, तब भी वह इतनी सीधी लड़की है कि अपने पिता व भाइयों के खिलाफ कभी नहीं जाएगी. ऐसा उस का स्वभाव ही नहीं… उस के पिता एक विवाहित और 4 साल के बच्चे के पिता के हाथ में अपनी बेटी का हाथ कभी नहीं देंगे.’’ ‘‘रागिनी,’’ देवेश लगभग चीख पड़ा. वह हताश सा कुरसी पर बैठ गया. बोला, ‘‘क्यों याद दिलाती हो तू और मां मुझे वे सब कुछ… मेरा विवाह नहीं, बल्कि मेरे जीवन का एक भयानक हादसा था वह… शनी मेरा बेटा नहीं, एक बहुत बड़ी दुर्घटना है मेरे जीवन की जो पिताजी की जिद्द और मेरी मजबूरियों की वजह से मेरे जीवन में घटित हो गई. मैं तो बस इतना जानता हूं कि मेरी उम्र अभी 28 साल है और मेरे अधिकतर दोस्तों की अभी शादियां तक नहीं हुई हैं.’’ ‘‘मैं सब कुछ जानती हूं भैया और आप के दिल को भी समझती हूं. काश, आप को खुशी देना मेरे हाथ में होता तो खींच लाती शानिका को अपने भैया की जिंदगी में या फिर वे सब आप के जीवन में न घटा होता तो मेरे इस खूबसूरत और योग्य भाई की बात गर्व से करती शानिका से… कोई भी लड़की खुद पर इतराती आप को जीवनसाथी के रूप में पा कर.’’

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थोड़ी देर चुप रहने के बाद रागिनी देवेश के बालों में स्नेह से हाथ फेरते हुए फिर बोली, ‘‘पर मैं नहीं चाहती कि दोबारा कोई धक्का लगे आप को… जो आप चाहते हैं वह नामुमकिन है. आप खुद ही सोचिए भैया, क्या आप मेरी शादी कर दोगे किसी ऐसे लड़के से? मां के पास कई रिश्ते आए हैं. उन में से कोई लड़की पसंद कर गृहस्थी बसा लो अपनी. तब शानिका की तरफ से भी धीरेधीरे दिलदिमाग हट जाएगा.’’ मुझे नहीं करनी है शादीवादी, ‘‘देवेश थके स्वर में बोला,’’ जा तू सो जा… जाते समय दरवाजा बंद कर देना… मैं कुछ देर पढ़ना चाहता हूं.’’

रागिनी थोड़ी देर खड़ी रही, फिर दरवाजा बंद कर बाहर निकल गई. देवेश मेज पर सिर रख कर फूटफूट कर रो पड़ा. जो बातें, जो विचार उस के दिमाग में आ कर उथलपुथल मचाने लगते थे पर दिल था कि उन से अनजान ही रहना चाहता था. उन्हीं बातों को, उन्हीं विचारों को रागिनी के शब्दों ने जैसे आकार दे दिया था और वे उस के दिमाग में आ कर हथौड़ा मारने लगे थे.

रात का नीरव अंधकार था. कोई संगी नहीं, कोई साथी नहीं, जो उस की भावनाओं को समझ सके. रागिनी छोटी बहन थी, एक हद तक उसे समझती थी. पर कुछ करने में असमर्थ थी. लगभग हर वक्त दुखी रहने वाली मां से वह अपना दुखदर्द बांट नहीं सकता था. बीती बातों को भूलना चाहता था पर शनी के रूप में उस का विगत अतीत बारबार उस के सामने आ कर खड़ा हो जाता. वह चाहते हुए भी भूल नहीं पाता. शनी जैसेजैसे बड़ा हो रहा था, उस का अतीत भी जैसे आकार में बड़ा हो कर उसे अपने होने का एहसास दिला रहा था. अभी भी नहीं भूलता देवेश उस दिन को जब उसे उस के पिता के कैंसर होने का पता चला था. कैंसर आखिरी स्टेज पर था. तब देवेश ने अपना एमबीए खत्म कर पिता के व्यवसाय में रुचि लेनी शुरू ही की थी कि पिता की बीमारी ने व्यवसाय का सारा भार उस के नाजुक कंधों पर डाल दिया. तब वह सिर्फ 23 साल का था. पिता की बीमारी ने सब को सकते में डाल दिया. किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था.

देवेश ने पिता के इलाज में दिनरात एक कर दिया पर मौत की तरफ बढ़ते पिता के कदमों को वह नहीं लौटा पाया. एक दिन पिता ने उस से आखिरी इच्छा व्यक्त की कि यदि वह चाहता है कि वे सुखसंतोष से इस दुनिया से जाए तो वह शादी कर ले. वे उस की शादी देखना चाहते हैं. देवेश परेशान सा हो गया. बोला, ‘‘इतनी जल्दी अभी तो मुझे बहुत कुछ करना है. ये भी कोई उम्र है शादी की? मेरे साथ के लड़के तो अभी पढ़ ही रहे हैं.’’

‘‘तू शादी कर लेगा बेटा, तो मैं चैन से मर सकूंगा. व्यवसाई परिवारों में तो शादियां जल्दी हो ही जाती हैं. तुझे जो करना है उस के बाद करते रहना. मेरी यह इच्छा पूरी कर दे देवेश… तेरी मां के लिए सहारा हो जाएगा और मैं भी एक जिम्मेदारी पूरी कर के चैन से दुनिया से जा पाऊंगा.’’ ‘‘लेकिन पापा इतनी जल्दी लड़की कहां मिलेगी… कौन ढूंढ़ेगा?’’ वह मजबूर सा हो

कर बोला. ‘‘लड़की है मेरी नजर में… मेरे दोस्त समीर की बेटी. एमबीए है. सुंदर है… समीर भी तैयार है इस रिश्ते के लिए.’’

पिता की हालत देख कर भावुक हो देवेश कुछ नहीं बोल पाया. आननफानन में एक सादे से समारोह में उस की शादी हो गई. उस की नवविवाहिता पत्नी 2 दिन उस के साथ रही. उन 2 दिनों में भी निमी के चेहरे व स्वभाव में उस ने एक अजीब तरह का तनाव महसूस किया. फिर उस ने सोचा कि वह भी शायद उस की तरह जल्दबाजी में हुई इस शादी के कारण उलझन में होगी. तीसरे दिन वह उसे 2-4 दिनों के लिए उस के मायके छोड़ आया. लेकिन वह जब उसे लेने गया तो उस ने आने से इनकार कर दिया. उस के ससुर ने कहा कि थोड़े दिनों वे स्वयं ही निमी को ससुराल छोड़ने आ जाएंगे. लेकिन निमी को न आना था न आई. पिता थोड़े दिनों बाद सब को अलविदा कह गए. कुछ दिन तो पिता के जाने के दुख से उबरने में लग गए उसे. फिर मां ने उसे बहू को लिवा लाने भेज दिया. लेकिन निमी फिर भी आने को तैयार नहीं हुई. उसे कुछ समझ नहीं आया. निमी का व उस का संपर्क मात्र 2 दिन का था. इसलिए वह उसे बहुत जोरजबरदस्ती भी नहीं कर पा रहा था. नईनई ससुराल में भी कुछ बोल नहीं पा रहा था. छोटी सी उम्र में तमाम जिम्मेदारियों ने उसे अजीब सी उलझन में डाल दिया था.

धीरेधीरे दबीढकी बातें सामने आने लगीं. निमी किसी दूसरे लड़के से विवाह करना चाहती थी. पर उस के पिता को वह लड़का और रिश्ता पसंद नहीं था. अपने पिता की जिद्द की वजह से वह उस के साथ शादी के लिए तैयार हो गई. निभाना चाहा पर रह नहीं पाई और अब वह किसी भी सूरत में आने के लिए तैयार नहीं थी. वह हतप्रभ रह गया. उस की जिंदगी ने यह कैसा मोड़ ले लिया और यह मोड़ इतने पर भी खत्म नहीं हुआ. इस के बाद वह गहरी खाई में गिर पड़ा, जब कुछ महीनों बाद पता चला कि निमी मां बनने वाली है. जब मां ने ये सब सुना तो उसे समझाबुझा कर दोबारा निमी को लिवा लाने भेजा. किसी तरह बेमन से वह निमी को लेने ससुराल चला गया. उस ने बहुत समझाया कि बीती बातों को भुला दे और उस के साथ नई जिंदगी शुरू करे.

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निमी के मातापिता ने भी बहुत समझाया, पर निमी तो जैसे पगली सी हो गई थी. न वह आने को तैयार हुई और न ही वह ऐसी हालत में अपना खयाल रखती थी. उसे उस पर दया भी आई. वह भी उस की तरह अपने पिता की जिद्द की शिकार हो गई. थकहार कर वह वापस आ गया. कुछ महीने बाद उसे पुत्र जन्म का व निमी की मृत्यु का समाचार एकसाथ मिला. उस की समझ में नहीं आया कि वह रोए या हंसे. 2 दिन की खता ने जिंदगी भर की सजा दे डाली थी उसे. उसे लगा उस की जिंदगी में कभी न छंटने वाला अंधेरा छा गया. क्या करे और क्या नहीं. लगभग डेढ़दो महीने तक उस ने अपनी ससुराल से कोई संपर्क नहीं साधा. फिर एक दिन उस के ससुर का फोन उस की मां के लिए आया कि वे आ कर अपनी अमानत को ले जाएं. नन्हे से बच्चे को वहां संभालने वाला कोई नहीं है. बेटी की मौत के गम में निमी की मां तो बिस्तर से भी नहीं उठ पा रही हैं.
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REVIEW: नींद में बिस्तर गीला करने के मुद्दे पर बेहतरीन फिल्म ‘लघु शंका’

रेटिंग : 3 स्टार

लेखक व निर्देशक: निखिल मेहरोत्रा

कलाकार : श्वेता त्रिपाठी,  योगेंद्र विक्रम सिंह , कनुप्रिया पंडित,  नरोत्तम वैद.

अवधि : 15 मिनट

ओ टीटी प्लेटफार्म : सोनी लिव

हर इंसान मैं छोटी मोटी बीमारियां ऐसी होती हैं , जिसकी वजह से इंसान सदैव हीन ग्रंथि का शिकार रहता है और तमाम काल्पनिक विपत्तियों को सोच कर परेशान होता रहता है. इसी मुद्दे पर फिल्मकार निखिल मेहरोत्रा एक सोचने पर मजबूर करने वाली लघु फिल्म “लघु शंका ” लेकर आए हैं जो कि 16 अक्टूबर से ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर देखी जा सकती है.

कहानी:

फिल्म लघुशंका की कहानी शादी के योग्य लड़की श्रुति(श्वेता त्रिपाठी) की कहानी है , जिसे रात में बिस्तर गीला करने की आदत है.  उसकी इस आदत से  स्वयं श्रुति और उसके माता(कनुप्रिया पंडित)-पिता(नरोत्तम वैद) भी हमेशा शर्मिंदगी महसूस करते हैं. श्रुति की शादी तय हो गई है और 2 दिन पहले श्रुति को लगता है कि उसके होने वाले पति (योगेंद्र विक्रम सिंह)और ससुराल पक्ष को इस बात की जानकारी दे दी जानी चाहिए. इसी बात पर घर के अंदर बहस छिड़ जाती है,  जिसमें श्रुति का में मेरा भाई अपने शब्दों के बाण से श्रुति वा पूरे परिवार को शर्मिंदा करने की कोशिश करता है. श्रुति के पिता चाहते हैं कि शादी रद्द कर दी जाए. पूरे परिवार में जबरदस्त हंगामा होता है अंततः श्रुति एक निर्णय लेती है और उनकी शादी हो जाती है.  अब शादी के बाद क्या होता है इसके लिए तो “लघुशंका”  देखनी पड़ेगी.

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कहानी व निर्देशन: 

फिल्मकार निखिल मेहरोत्रा बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने महज 15 मिनट की बेहतरीन पटकथा वाली लघु फिल्म के माध्यम से एक बहुत बड़े मुद्दे पर बहुत बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.  निर्देशक निखिल मेहरोत्रा ने नींद में बिस्तर गीला करने की समस्या के मुद्दे को बेहतरीन तरीके से उकेरा है. एक भावनात्मक दृश्य में श्रुति व उसकी विनम्र मां (कनुप्रिया पंडित) अब तक इस बात को छिपाती रही हैं, जो उन दोनों के मन में ‘लघुशंका’ के रूप में है. इसमें एक अहम सवाल उठाया गया है कि दांपत्य जीवन की नींव झूठ पर रखी जानी चाहिए या नहीं. निर्देषक ने अति संवेदनषील विषय पर बिना फिजूल की कहानी गढ़े एक सरल फिल्म बनायी है. वह ख्ुाद भी लेखक हैं. इससे पहले सह लेखक के रूप में वह ‘दंगल’व‘पंगा’में अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं. लेकिन क्लायमेक्स में पहुंचते पहुंचते लेखक व निर्देशक चूक गए. इस नाजुक मुद्दे पर गंभीर चर्चा आगे होनी चाहिए थी, पर अचानक इसे जिस तरह से अचानक खत्म किया गया, वह खलता है. यह फिल्म रूढ़िवादी मानवीय चिंताओं पर कटाक्ष भी करती है. यह लघु फिल्म लोगों को सोचने पर विवश करती है.

मन्नान शाह का बैकग्राउंड म्यूजिक नाटकीय पहलू के साथ-साथ इसके मजेदार बिट्स दोनों को अच्छी तरह से मिला देता है.

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अभिनय:

श्वेता त्रिपाठी बेहतरीन अभिनेत्री हैं,  इस बात को वह लगातार वेब सीरीज वह कुछ फिल्मों में साबित करती चली जा रही हैं. श्रुति के किरदार में श्रुति की शर्मिंदगी और फिर एक अटल निर्णय लेकर एक सशक्त नारी के रूप में जिस तरह वह उभरती है,  उसे श्वेता त्रिपाठी ने बखूबी अपने अभिनय से संवारा  है. कनुप्रिया पंडित नरोत्तम वैद्य योगेंद्र विक्रम सिंह ने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं आदित्य नारायण, बाइक बेचने को भी हुए तैयार!

आम आदमी हो या कोई सेलेब इस लौकडाउन में हर किसी को पैसे की तंगी का सामना करना पड़ा है. जहां बीते दिनों कई सेलेब्स ने सामने आकर पैसों की तंगी के चलते सोशलमीडिया का सहारा लिया है तो वहीं कुछ सेलेब्स ने पैसों को लेकर अपना दर्द बयां किया है. दरअसल, हाल ही में पौपुलर सिंगर उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण ने अपनी लव लाइफ और प्रौफेशनल लाइफ को लेकर खुलासे किए हैं, जिसमें पैसों की तंगी का भी उन्होंने जिक्र किया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

दिवालिया होने की कही बात

हाल ही में सालों पुरानी गर्लफ्रेंड श्वेता अग्रवाल से इस साल शादी का मन बना रहे सिंगर आदित्य नारायण ने बताया है. कि वे दिवालिया होने की कगार पर हैं. दरअसल, एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि उनके पास महज 18 हजार रुपये बचे हैं. उनके सारे पैसे खत्म हो गए हैं और अपना खर्चा चलाने के लिए उन्होंने म्यूचुअल फंड तक के पैसे निकाल लिए हैं. अगर अक्टूबर तक उन्हें काम नहीं मिला तो हो सकता है कि खर्चा चलाने के लिए उन्हें बाइक भी बेचनी पड़े. हालांकि बाद में आदित्य ने इस बारे में सफाई भी दी है कि ऐसा कुछ नही है.

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10 साल से पुराने रिश्ते को देंगे नाम

आदित्य नारायण ने अपनी लव लाइफ का खुलासा करते हुए कहा है कि वह इस साल के अंत तक अपनी गर्लफ्रेंड श्वेता अग्रवाल के साथ शादी करने वाले हैं. दरअसल, आदित्य बताया कि वो पिछले 10 साल से श्वेता अग्रवाल को डेट कर रहे हैं. दोनों की पहली मुलाकात फिल्म शापित के दौरान हुई थी, जिसके बाद दोनों का रिश्ता प्यार में बदल गया. हालांकि इसी दौरान दोनों के अफेयर की खबरें भी आईं थीं. लेकिन करियर के चलते दोनों ने अपने प्यार को सभी से छुपाया. वहीं अब 10 साल तक इस रिश्ते में रहने के बाद दोनों के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग हो गई है और तब जाकर शादी करने का मन बनाया है.

ब्रेकअप के बाद ‘नागिन 3’ स्टार पर्ल वी पुरी को एक और झटका, पिता का हुआ निधन

साल 2020 में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बेहद बुरा देखने को मिला है. जहां कुछ लोगों ने दुनिया को अलविदा कहा है तो वहीं शूटिंग पर कोरोना वायरस के कहर ने सभी को डरा कर रख दिया है. इसी बीच टीवी इंडस्ट्री से एक और बुरी खबर आ रही है. दरअसल, नागिन 3 में नजर आ चुके एक्टर पर्ल वी पुरी के पिता का निधन हो गया है, जिसके चलते वह सदमें मे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

आगरा रवाना हुए पर्ल

पर्ल वी पुरी के पिता का हार्टअटैक के चलते निधन हो गया हैखबर है कि पर्ल वी पुरी के पिता निमोनिया से जूझ रहे थे. वहीं पिता के निधन की खबर सुनते ही पर्ल वी पुरी जल्दी में आगरा पहुंचे और पिता के अंतिम संस्कार क्रिया पूरी की. खबरों की मानें तो 14 अक्टूबर को पर्ल वी पुरी के पिता का चौथा था. और वह अभी भी आगरा में अपनी फैमिली के साथ मौजूद हैं.

 

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I’ve lost my father 🙏🏽 LATE SHREE MR . VIPIN PURI He was a very happy soul full of life a very good human being he was a man of substance whatever Iam , it’s just one percent of what my father was but this “was” have broken my backbone. I Request all of you to please love your parents as much as possible give them all the happiness in life do whatever best you can do for them within time before it is too late. Waqt ka kuch nai pata . I had so many dreams for my father but now I won’t be able to fulfill them ever . For the first time in life I feel powerless aaj ehsas hua baap ka hona hi apne aap me bohot bada sahara hota hai , bohot taqat milti hai sirf unke hone se . Mere papa kehte they.. “ sab kuch luta ke bhi agar seekh ya kuch seekhne ko mile to use sasta samjho “ learning is very important and aaj waqt ne mujhe ye sikha diya ki jab tak bhi maa baap hain unke saath rehna roz subah unka ashirwad lena unke saath waqt bitana bohot zaruri hai. Aap sabhi se meri guzarish hai please love your parents as much as you can and be with them no matter what. I love you dad 🙏🏽 you are the best 🙏🏽 #radhasoami 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽

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इस शो में आने वाले हैं नजर

खबरों की मानें तो पिता के निधन होने की खबर के बाद पर्ल वी पुरी सीरियल ‘ब्रह्मराक्षस 2’ की शूटिंग बीच में ही छोड़ कर चले गए थे, जिसके बाद शूटिंग को बीच में ही रोक दिया गया है.  वहीं फैंस भी सोशल मीडिया के जरिए पर्ल वी पुरी के सांत्वना दे रहे हैं.

बता दें, पर्ल वी पुरी ने अपने पिता संग लॉकडाउन में काफी समय बिताया था, जिसके साथ ही वह परिवार संग अपना बर्थडे भी सेलिब्रेट करते नजर आए थे.  इसके साथ ही वह कई सेलिब्रेशन में भी अपने पिता के साथ नजर आए थे.

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 सेना में मौत औरतों के लिए आफत 

भारतचीन सीमा पर अभी तक गोलियों से सैनिक मारे नहीं जा रहे हालांकि तैयारी दोनों तरफ से पूरी है. 45 साल बाद पहली बार चीनी सैनिकों ने गोलियां चलाईं पर हवा में क्योंकि युद्ध पूरी तरह भड़क न जाए इस की कोशिश दोनों तरफ से हो रही है. चीन भारत को सबक सिखाने के लिए उतनी ही धमकी देना चाहता है जितनी जरूरत है, वह लंबी जानलेवा लड़ाई में उलझना नहीं चाहता, क्योंकि उस से कुछ नहीं मिलेगा.

भारतचीन सीमा का विवाद हमारी विदेश नीति की पूरी तरह धरासाई होने का नतीजा है. 1962 के बाद भारत और चीन में लंबी सीमा पर तनाव के बावजूद शांति बनी रही है, क्योंकि चीन इस आग को सुलगाए रखना चाहता है कि कभी तिब्बती राजाओं के अधीन रहे इलाके आज बीजिंग सरकार के हैं और अंगरेजों की खींची लाइनें बेमतलब की हैं पर वह उस जमीन को लेने के लिए बेचैन नहीं है, जिस पर उस का केवल सांस्कृतिक दावा है. पहाड़ों के ये इलाके मैदानी भारतीय राजाओं के लिए कभी भी मतलब के नहीं थे.

भारतचीन युद्ध यदि हुआ तो यह बहुत जानलेवा होगा. दोनों देशों ने भारी सेना सीमा पर जमा कर रखी है. हर तरफ तोपों, मिसाइलों, टैंकों को ले जाया गया है. सैकड़ों हवाईजहाज मौजूद हैं. अगर यहां युद्ध होता है तो दोनों तरफ की सैकड़ों औरतें विधवा होंगी यह पक्का है. इस युद्ध में जब बिना गोली चलाए ही सैनिकों की लाशें आ रही हैं तो युद्ध होने पर न जाने कितनी लाशें आएंगी?

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युद्धों की महिमा गाई जाती है. सरकारें अपनी जनता को जम कर उकसाती हैं. जनता खून की प्यासी हो जाती है पर जिन्होंने वास्तव में खून बहाया होता है उन्हें 2-4 दिन शहीद का नाम दे कर भुला दिया जाता है. यह भारत में ज्यादा होता है पर दूसरे देशों में भी होता है. युद्ध घायलों के लिए तो और आफत होते हैं. उन के घर वालों को जीवनभर इस युद्ध की विभीषिका सहनी पड़ती है जो उन्होंने देश के लिए लड़ा और देश उन्हें शुरुआत में पैसा दे कर भूलभाल जाता है.

भारत में जो सैनिक गांवों से आते हैं वहां तो और बुरी हालत होती है. विधवा को मिलने वाला पैसा पति के भाईबहन ही नहीं खुद के भाईबहन भी हड़प जाते हैं. यदि विधवा के बच्चे बड़े व समझदार न हों तो विधवा की खूब कफन की लूट मचती है. सेना की नौकरी अच्छी मानी जाती है पर सेना में मौत औरतों के लिए एक आफत होती है खासतौर पर भारत जैसे कट्टर समाज में जहां आज भी विधवा को पति की मौत का दोषी माना जाता है.

भारतचीन दोस्ती दोनों के लिए एक नियामत थी. भारत ने भरभर कर कच्चा माल निर्यात किया था और भरभर कर घर की जरूरत का सामान मंगाया था. युद्ध ने भारतीयों को सस्ते नएनवेले सामान से दूर कर दिया है. टिकटौक जैसे एप ने भारत की लड़कियों को टेलैंट दिखाने का मौका दिया था. उन्हें अपने खोल से निकलने का अवसर मिला था. उन की आजादी पर लगे कांटेदार तारों को काटने का अवसर मिला था, अब फिर फिसल गया है. भारतीय टिकटौक जब भी बनेगा, वह खुद के भी सैंसर का शिकार रहेगा और सरकारी सैंसर का भी. चीन से झड़पें दोनों देशों को महंगी पड़ेंगी, यह पक्का है.

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क्या कोरोना में ओरल और वैजाइनल सैक्स करना सेफ है?

सवाल-

मैं 26 साल की युवती हूं. मेरा बौयफ्रैंड 28 साल का है और हमारी दोस्ती पिछले कई सालों से है. वह मेरे साथ सुरक्षित यौन संबंध बनाना चाहता है. मैं यह जानना चाहती हूं कि अभी जबकि कोरोना का कहर है क्या ओरल और वैजाइनल सैक्स करना सेफ है? इस के अलावा अगर वैजाइना के अंदर ही कंडोम फट जाए तो क्या गर्भधारण हो सकता है? अगर हम सिर्फ ओरल सैक्स ही करें  तो इस के लिए सही कंडोम कौन सा हो सकता है?

जवाब-

विवाहपूर्व सैक्स संबंध बनाना कतई उचित नहीं होता मगर यदि इस में दोनों पार्टनर की सहमति हो तो संबंध बनाने से पहले जरूरी ऐहतियात जरूर बरतें.

यों सैक्स संबंध में कंडोम जरूरी सुरक्षा देने में सस्ता और बेहतर विकल्प जरूर है मगर कंडोम हमेशा ब्रैंडेड ही खरीदना सही रहता है. ब्रैंडेड कंडोम अधिक समय तक साथ देता है और जल्द फटता भी नहीं.

रही बात कोरोनाकाल में सैक्स संबंध को ले कर, तो अगर आप व आप का बौयफ्रैंड पिछले कई दिनों से शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, सर्दी, खांसी या बुखार नहीं है तो सैक्स संबंध बनाने में कोई हरज नहीं.

रही बात ओरल सैक्स के दौरान कंडोम की, तो आजकल बाजार में कई फ्लैवर्स में कंडोम्स उपलब्ध हैं जो सैक्स को अधिक जोशिला और रोमांच देने में सक्षम हैं.

मगर जो भी करें सोचसमझ कर व आपसी रजामंदी से ही. जोश में चूक हो जाए और फिर पछताना पङे इस के लिए आप और आप का बौयफ्रैंड दोनों ही सचेत रहें तो ज्यादा बेहतर है.

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4साल की लंबी कोर्टशिप के बाद जब नेहा और शेखर ने अचानक अपनी दोस्ती खत्म कर ली तो सभी को बहुत आश्चर्य हुआ. ‘‘हम सब तो उन की शादी के निमंत्रण की प्रतीक्षा में थे. आखिर ऐसा क्या घटा उन दोनों में जो बात बनतेबनते बिगड़ गई?’’ जब नेहा से पूछा तो वह बिफर पड़ी, ‘‘सब लड़के एक जैसे ही होते हैं. पिछले 2 साल से वह मुझे शादी के लिए टाल रहा है. कहता है, इसी तरह दोस्ती बनाए रखने में क्या हरज है? असल में वह जिम्मेदारियों से दूर भागने वाला, बस, मौजमस्ती करने वाला एक प्लेबौय किस्म का इनसान है. आखिर मुझे भी तो कोई सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा चाहिए.’’

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सैक्स एजुकेशन नहीं है शर्म की बात

गांव हो या शहर लड़के और लड़कियों को सैक्स की जानकारी बेहद कम होती है, जो जानकारी होती भी है वह बेहद सतही होती है. इस की वजह यह है कि पढ़नेलिखने की जगह सोशल मीडिया से यह जानकारी मिलती है, जो भ्रामक होती है. सोशल मीडिया के अलावा पोर्न फिल्मों से सैक्स की जानकारी मिलती है, ये दोनों ही पूरी तरह से गलत होती है. कई बार लड़कियों को पता ही नहीं होता है और गर्भवती हो  जाती हैं.

बात केवल लड़कियों में नासम झी की नहीं लड़कों को भी सैक्स की पूरी जानकारी नहीं होती है. स्त्रीरोग की जानकार डाक्टर रमा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हो गया है. इसीलिए इस बात की जरूरत होती है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सैक्स शिक्षा दी जाए. घर में मां और स्कूल में टीचर ही यह काम सरलता से कर सकती है. मां और टीचर को पता होना चाहिए कि बच्चों को सैक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिए. इस के लिए  मां को खुद भी जानकारी रखनी चाहिए.’’

गर्भनिरोध की  जानकारी हो

डाक्टर रमा श्रीवास्तव का कहना है कि आजकल जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं उन से पता चलता है कि कम उम्र में लड़कियों के साथ होने वाला शारीरिक शोषण उन के रिश्तेदारों या फिर घनिष्ठ दोस्तों के द्वारा किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि लड़की को 10 से 12 साल के बीच यह बता दिया जाए कि सैक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जा सकता है. लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ ऐकांत में न जाएं. अगर इस तरह की कोई घटना हो जाती है तो लड़की को यह बता दें कि मां को पूरी बात बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके.

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शारीरिक संबंधों से यौनरोग हो सकते हैं, जिन का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इन बीमारियों में एड्स जैसी जानलेवा बीमारी भी शामिल हैं, जिस का इलाज तक नहीं है.

इसी तरह स्कूल में टीचर को चाहिए कि वह लड़कियों को बताए कि गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती हैं? इन का उपयोग क्यों किया जाता है. बहुत सारी लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटना हो जाती तो वह या तो मां बन जाती है या फिर आत्महत्या कर लेती है. ऐसी लड़कियों को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि अब इस तरह की गोली भी आती है जिस के खाने से अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है. मौर्निंग आफ्टर पिल्स नाम से यह दवा की दुकानों पर मिलती है.

अस्पतालों में मिले मुफ्त

डाक्टर रमा श्रीवास्तव की कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में महिला डाक्टरों को एक दिन कुछ घंटे ऐसे रखने चाहिए जिन के दौरान किशोरियों की परेशानियों को हल किया जाए. यहां पर परिवार नियोजन की बात होनी चाहिए. स्कूलों को भी समयसमय पर डाक्टरों को साथ ले कर ऐसी चर्चा करानी चाहिए. ताकि छात्र और टीचर दोनों को सही जानकारी मिल सके.

किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में माहवारी को ले कर होती है. आमतौर पर माहवारी आने की उम्र 12 साल से 15 साल के बीच होती है. अगर इस बीच में माहवारी न आए तो डाक्टर से मिल कर पता करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है. माहवारी में देरी का कारण पारिवारिक इतिहास जैसे मां और बहन को अगर माहवारी देर से आई होगी तो उस के साथ भी देरी हो सकती है. इस के अलावा कुछ बीमारियों के चलते भी ऐसा होता है. इन बीमारियों में गर्भाशय का न होना, उस का छोटा होना, अंडाशय में कमी होना, क्षय रोग और एनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है. डाक्टर के पास जा कर ही पता चल सकता है कि सही कारण क्या है.

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि कभीकभी लड़की उस समय भी गर्भधारण कर लेती है जब उस के माहवारी नहीं होती है. ऐसा तब होता है जब लड़की का शरीर गर्भधारण के योग्य हो जाता है, लेकिन माहवारी किसी कारण से नहीं आती है. यह नहीं सोचना चाहिए कि जब तक माहवारी नहीं होगी गर्भ नहीं ठहर सकता है.

माहवारी में रखें खयाल

माहवारी में दूसरी तरह की परेशानी भी आती है. कभीकभी यह समय से शुरू तो हो जाती है, लेकिन बीच में 1-2 माह का गैप भी हो जाता है. शुरुआत में यह नार्मल होता है लेकिन अगर यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है. कभीकभी माहवारी का समय तो ठीक होता है, लेकिन यह ज्यादा मात्रा में होती है. अगर ध्यान न दिया जाए तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उस का विकास कम हो जाता है.

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परेशानी की बात यह है कि कुछ लोग अपनी लड़की को डाक्टर के पास ले जाने से घबराती हैं. उन का मानना होता है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उस के अंग को नुकसान हो सकता है, जिस से पति उस पर शक कर सकता है. ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि अब ऐसा नहीं है. अल्ट्रासाउंड और दूसरे तरीकों से जांच बिना किसी नुकसान के हो  सकती है.

10 टिप्स: फैस्टिव मेकअप दिखे खूबसूरत

भारतीय त्योहारों में सजनेसंवरने का काफी चलन है. कई दिनों पहले से तैयारियां शुरू होने के साथसाथ सब से ज्यादा महिलाओं में इस बात को ले कर क्रेज देखा जाता है कि क्या पहनेंगी, ट्रैडिशनल या वेस्टर्न ड्रैस के साथ ज्वैलरी कैसी होगी. पार्लर में कैसे खुद का मेकअप करवाएंगी ताकि सब अलग दिखें और खुद को देख कर खुद से प्यार हो जाए.

मगर अब जब कोरोना वायरस ने सब की जिंदगी को रोक रखा है तो ऐसे में त्योहारों के आगमन पर भी मन में वह खुशी नहीं है, क्योंकि सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क और वायरस के डर कर कारण कहीं आनेजाने में डर जो लगता है. ऐसे में यही मन में आता है कि जब त्योहारों में कहीं आनाजाना ही नहीं है, मेहमाननवाजी नहीं करनी है तो फिर सजनासंवरना किस के लिए? लेकिन आप का ऐसा सोचना बिलकुल गलत है, क्योंकि खुद को संवारने से न सिर्फ आप की पर्सनैलिटी निखरती व अट्रैक्टिव लगती है, बल्कि नई ऊर्जा का संचार होने से सकारात्मकता आती भी है. इसलिए इन त्योहारों पर आप अपनी पसंद के आउटफिट्स पहनने के साथसाथ घर पर ही कुछ कौस्मैटिक्स से अपना मेकअप कर के न सिर्फ अपने बजट को बिगड़ने से बचाएं, बल्कि बिना पार्लरजाए घर पर ही करें खुद का स्मार्ट मेकअप और इस संकट के समय भी घर बैठे त्योहारों का खुल कर मजा लें.

तो जानते हैं इस बारे में ब्यूटी ऐक्सपर्ट भारती तनेजा से उन ब्यूटी प्रोडक्ट्स के बारे में, जिन्हें आप कई तरीकों से इस्तेमाल कर के खुद को सजा सकती हैं:

काजल पैंसिल से बनाएं जैल आईलाइनर

काजल से जहां आंखों को हाईलाइट कर के मनचाहा लुक दिया जा सकता है, वहीं यह खूबसूरती को बढ़ाने का काम भी करता है, क्योंकि कहते हैं न कि जिस बात को आप जबां से नहीं कह पाते उसे आप की आंखें बयां कर देती हैं. काजल हर लड़की या महिला की मेकअप किट में होता ही है, लेकिन अब जब त्योहारों की बात है और अपने मेकअप को थोड़ा और हाईलाइट करना है तो आईलाइनर लगाने में पीछे क्यों रहें. अब आप सोच रही होंगी कि आप के पास आईलाइनर है ही है तो आप को बता दें कि कैसे आप का काजल लाइनर का काम करेगा.

आप अपनी काजल पैंसिल को पैंसिल लाइनर की तरह इस्तेमाल कर सकती हैं. इस से आंखों को बोल्ड लुक मिलने के साथसाथ लाइनर के फैलने का डर भी नहीं रहता. इस की खास बात यह है कि अगर आप को मेकअप करना नहीं आता तो आप के लिए यह बैस्ट रहेगा. ठीक इसी तरह अगर आप अपनी आंखों के ऊपर जैल आई लाइनर लगाने की इच्छा रखती हैं तो आप अपनी काजल पैंसिल को माइक्रोवैब में 3 सैकंड गरम कर के थोड़ा ठंडा कर आंखों के ऊपर अप्लाई करें. यह आप को बिलकुल जैल आईलाइनर जैसा फील देने का काम करेगा.

टिप: अगर आप की औयली स्किन है तो जैल लाइनर आप के लिए बैस्ट है, क्योंकि यह आप की स्किन पर लंबे समय तक स्टे जो करता है.

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आईलाइनर से बनाएं बिंदी

लाइनर को जहां आप आंखों के ऊपर व नीचे लगा कर उन्हें खूबसूरत बना सकती हैं वहीं कलरफुल लाइनर से वाटरप्रूफ बिंदी भी बना कर खुद के रूप को निखार सकती हैं. इस से जहां बिंदी का जैसी चाहे डिजाइन बना सकती हैं, वहीं यह लंबे समय तक स्टे भी करती है. आप ब्लैक लाइनर से सैलिब्रिटीज की तरह ब्यूटी स्पौट भी बना सकती हैं, फिर देखिए देखने वाले आप को देखते रह जाएंगे.

टिप: लाइनर वाटरप्रूफ ही खरीदें, क्योंकि इस के फैलने के चांसेज नहीं होते हैं.

पाउडर से लाएं फेस पर व्हाइटनिंग इफैक्ट

पाउडर न सिर्फ आप की बौडी को महकाने का काम करता है, बल्कि आप चाहें तो यह आप की स्किन टोन को भले ही कुछ घंटों के लिए लेकिन इंप्रूव कर के फेस पर व्हाइटनिंग इफैक्ट देने का काम करता है. सदियों से पाउडर का इस्तेमाल कौस्मैटिक्स में किया जाता रहा है. यहां तक कि 5000 साल पहले से इजिप्ट और उत्तर पश्चिम भारत में स्किन टोन को इंप्रूव करने के लिए इस का इस्तेमाल किया जा रहा है.

आज तो इस का इस्तेमाल ब्लश, आईशैडो, फाउंडेशन और अनेक ब्यूटी पोडक्ट्स में किया जाता है, क्योंकि यह औयल को ऐब्जौर्ब करने व स्किन को सौफ्ट टैक्स्चर देने के साथसाथ टोन को इंप्रूव भी जो करता है.

अब आप सोच रही होंगी कि इस के लिए कोई खास तरह का पाउडर होगा. तो आप को बता दें कि इस के लिए आप को मार्केट जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि घर में जो भी टैलकम पाउडर है आप उसे अपने फेस पर अप्लाई कर के इंस्टैंट ग्लो व व्हाइटनिंग इफैक्ट पा सकती हैं और स्मूद टैक्स्चर मिलने के कारण इस पर मेकअप करना भी आप के लिए काफी आसान होगा.

टिप: जब भी फेस पर पाउडर अप्लाई करें तो उसे हाथों की मदद से सीधे फेस पर अप्लाई न करें, बल्कि कौटन की मदद से करते हुए फेस पर लगाएं, इस से पूरे फेस पर एकसमान पाउडर लगता है.

लिपग्लौस से करें मल्टी मेकअप

लिपग्लौस न सिर्फ होंठों को ग्लौसी टैक्स्चर देने का काम करता है, बल्कि लिप्स को मौइस्चर प्रदान करने के साथसाथ थोड़ा सा कलर भी देता है यानी यह आप के पाउट को शाइन देने का काम करता है. लेकिन क्या आप जानती हैं कि आप अपने लिपग्लौस का इस्तेमाल हाईलाइटर की तरह भी कर सकती हैं? इस के लिए आप अपनी उंगली पर थोड़ा सा लिपग्लौस ले कर उसे ब्रो और चिक बोंस पर लगा कर हाई लाइटिंग जैसा इफैक्ट पा सकती हैं. लेकिन ध्यान रखें कि हाई शाइन या शिमरी लिपग्लौस ही हाईलाइटर के लिए बैस्ट होता है.

आप अपने ग्लौस को क्रीम ब्लश की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इस के लिए आप अपने चिक्स पर थोड़ा सा ग्लौस लगा कर अच्छी तरह उसी एरिया में फैला कर तुरंत पाएं फ्रैश और ग्लोइंग फेस. अगर आप के पास पिंक या पीच कलर का ग्लौस है तो उस का इस्तेमाल कर के पिंकीपिंकी टच फील कर सकती हैं. इसी तरह आप लिपग्लौस को ग्लौसी आईलिड्स की तरह भी यूज कर सकती हैं. लिपग्लौस का थोड़ा सा टच ही ग्लौसी आई लुक देने का काम करेगा.

टिप: चाहे आप लिपग्लौस को हाईलाटर के लिए इस्तेमाल करें या फिर ब्लश के लिए, इस की थोड़ी सी मात्रा ही ग्रेट लुक देने का काम करती है.

ग्लौसी लिपस्टिक को दें मैट जैसी फिनिश

औफिस हो या पार्टी, मेकअप को फाइनल टच देने की जिम्मेदारी लिपस्टिक पर ही होती है. चाहे लड़कियां हों या महिलाएं मेकअप करें या न करें, लेकिन लिपस्टिक लगाना नहीं भूलतीं, क्योंकि यह उन के फेस में नई जान डालने का काम जो करती है. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ समय पहले तक ग्लौसी लिपस्टिक की डिमांड थी, लेकिन अब तेजी से ग्लोसी लिपस्टिक की जगह मैट लिपस्टिक लेने लगी हैं. क्योंकि यह लौंग लास्टिंग होने के साथसाथ चिपचिपी सी नहीं होती और साथ ही यह आप के फेस को ज्यादा हाईलाइट करने का काम करती है. लेकिन अब सवाल ये है कि अगर आप के पास ग्लौसी लिपस्टिक है तो आप उसे मैट लिपस्टिक कैसे बनाएं. तो इस के लिए आप अपने लिप्स पर ग्लौसी लिपस्टिक लगाएं, फिर होंठों के बीच टिशू पेपर रख कर थोड़ा दबाएं. उस की ऐक्स्ट्रा शाइन निकल जाए और वह मैट लुक देने लगे या फिर अपने हाथों में थोड़ा पाउडर लगा कर उसे उंगलियों की मदद से लिप्स पर लगाएं और फिर टिशू पेपर की मदद से उसे हलका दबाते हुए हटाएं. इस से लिपस्टिक मैट लुक दे कर आप को बोल्ड लुक देने का काम करेगी.

टिप: लिपस्टिक लगाते हुए इस बात का ध्यान रखें कि आप ज्यादा पाउडर न लगाएं वरना सारा लुक बिगड़ सकता है.

लिपस्टिक से बनाएं नेलपेंट

त्योहार पर शृंगार की बात हो और नेल्स को न रंगा जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बाहर जाने का समय नहीं होता या फिर कुछ ऐसी परिस्थितियों के कारण चाह कर भी बाहर नहीं जा पाते हैं, जिस के कारण नाखूनों की सुंदरता से सम झौता कर लेती हैं. लेकिन अगर थोड़ा हट कर व क्रिएटिव हो कर सोचें तो आप घर बैठे मिनटों में नेलपेंट बना सकती हैं.

अकसर जब हम एक ही लिपस्टिक का शेड लगालगा कर बोर हो जाती हैं तो हम अपनी पुरानी लिपस्टिक को रिटायर कर देती हैं. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि आप की पुरानी लिपस्टिक आप के लिए नेलपेंट का काम कर सकती है? जी हां, बस आप एक बाउल में अपनी लिपस्टिक को डाल कर उस में ट्रांसपेरैंट नेलपेंट मिलाएं, फिर उसे ब्रश की मदद से अच्छी तरह मिलाते हुए नेलब्रश से अपने नाखूनों को रंगें. आप चाहें तो इस में ग्लिटर भी डाल सकती हैं. हुआ न क्रिएटिव आइडिया. इस से हाथ भी लगेंगे खूबसूरत और लिपस्टिक भी बरबाद नहीं जाएगी. आप आईशैडो से भी नेलपेंट बना सकती हैं. इस के लिए भी आप को इसी प्रक्रिया को दोहराना है, तो हुआ न इजी?

टिप: जब भी लिपस्टिक या आईशैडो से नेलपेंट बनाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि ब्रश की मदद से इस तरह मिलाएं कि उस में गांठें न पड़ें वरना अप्लाई करने में काफी मुश्किल होगी और फिनिशिंग भी नहीं आ पाएगी.

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फाउंडेशन करे कंसीलर का काम

हर बार नया लुक कौन नहीं चाहता, लेकिन फेस के हर पार्ट को निखारने के लिए अलगअलग ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदे जाएं यह०० भी संभव नहीं होता. ऐसे में आप का फाउंडेशन न सिर्फ आप के चेहरे के दागधब्बों को छिपाने का काम करेगा, बल्कि आप इस में लिपस्टिक या आईशैडो मिला कर इसे विभिन्न तरह के हाईलाइटर की तरह भी इस्तेमाल कर के अपनी ड्रैस व चेहरे की रौनक को बढ़ा कर सैलिब्रिटी जैसा फ्रैश व नया लुक पा सकती हैं, क्योंकि हाईलाइटर के इस्तेमाल से स्किन का कौंप्लैक्शन और निखरने के साथसाथ चिकबोंस और उभर कर आती हैं साथ ही इसे आप कंसीलर की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यह डार्क सर्कल्स, दागधब्बों को छिपाने का काम करता है. इस के लिए आप इसे बस थिक अप्लाई कर के डब करें. फिर रिजल्ट आप के सामने होगा.

टिप: जिस भी हाईलाइटर का चयन करें इस बात का ध्यान रखें कि आप की स्किन टोन को सूट करे.

ब्लशर से बनाएं लिपस्टिक का शैड

ब्लशर को आप ब्लशऔन की तरह तो इस्तेमाल कर ही सकती हैं ताकि आप के चिक्स पिंकिश नजर आएं, लेकिन अगर आप लाइट मेकअप करना चाहती हैं तो आप इसे आईशैडो की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं. अगर आप का बिलकुल लिपस्टिक लगाने का मन नहीं है या मैट लुक रखना चाहती हैं तो मैट ब्लशर को अपने लिप्स पर लगा सकती हैं. यह बहुत ही लाइट लिपस्टिक का काम करता है. यही नहीं अगर आप के पास लिपस्टिक का राइट शेड नहीं है तो आप ने जो भी लिपस्टिक लगाई है उस पर ब्लशर का दूसरा शेड लगा कर आप दूसरा लिपस्टिक का शेड भी बना सकती हैं और अगर आप का ग्लौसी ब्लशर है तो आप मैट लिपस्टिक को ग्लौसी टच दे सकती हैं. आप आंखों पर भी ब्लशर लगा कर लाइट मेकअप की तरह इसे इस्तेमाल कर सकती हैं. तो हुआ न ब्लशर का मल्टी यूज?

टिप: लिप्स पर लिपस्टिक के शेड को चेंज करने के लिए दूसरे कलर के ब्लशर का ही इस्तेमाल करें.

आईशैडो से करें ब्रो कलर

आईशैडो को बहुत तरह से इस्तेमाल कर सकती हैं. आप पिंकिश, रैडिश आईशैडो को लिप्स पर भी लगा कर उन्हें खूबसूरत बना सकती हैं, साथ ही ब्लशर की तरह भी इस का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर आप के पास गोल्डन, सिल्वर, ग्लौसी या फिर ब्रौंज कलर का आईशैडो है तो उसे लिप ग्लौस की तरह इस्तेमाल कर सकती हैं, चिकबौंस को हाईलाइट करने के लिए भी इसे यूज किया जाता है. आप नेलपौलिश पर भी इसे अप्लाई कर के उन्हें ग्लौसी, शिमरी लुक दे सकती हैं. लेकिन ध्यान रखें कि यह थोड़ी देर के लिए ही स्टे करेगा.

अगर आप के पास ब्राउन या ब्लैक आईशैडो है तो दोनों को मिला कर अपनी आईब्रोज को कलर कर सकती हैं. यह फेस के फीचर्र्स को चेंज करने के लिए भी हाईलाइट व कंट्रोलिंग का काम करता है. अगर आप के बाल ग्रे हो रहे हैं और आप के पास उन्हें रंगने का समय नहीं है तो आप ब्राउन या ब्लैक आईशैडो से टैंपरेरी ही सही ऊपरऊपर के बालों को कलर कर सकती हैं.

टिप: हाईलाइटर के लिए आईशैडो का थोड़ा इस्तेमाल ही काफी होता है.

मसकारा से बनाएं आईब्रोज को सुंदर

मसकारा का यूज आई लैशेज को बड़ा करने के लिए किया जाता है. लेकिन आप इसे आईब्रोज को सुंदर दिखाने के लिए भी कर सकती हैं. अगर आप का मसकारा ट्रांसपेरैंट है तो आप इसे डार्क आईब्रोज पर अप्लाई करें और अगर आप की लाइट आईब्रोज हैं तो आप उन पर ब्राउन या ब्लैक मसकारा लगा कर उसे कलर कर सकती हैं और अगर आप के ग्रे हेयर्स हैं और आप को अचानक कहीं जाना पड़ रहा है तो आप बालों को जड़ों से मसकारा ब्रश से रंग भी सकती हैं. तो हुआ न मैजिक मसकारा.

टिप: बालों को रंगने के लिए कभीकभार ही इस का इस्तेमाल करना चाहिए.

बजट के साथसाथ मेकअप किट भी रहे हलकी

जब भी हम मार्केट से कोई ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने जाते हैं तो हमारी पौकेट पर बो झ पड़ता ही है. ऐसे में प्रोडक्ट्स की सम झ नहीं होने के कारण हम स्किन ब्यूटी को बढ़ाने के लिए हर तरह के प्रोडक्ट को खरीद लेते हैं, जबकि अगर ब्यूटी प्रोडक्ट्स के मल्टीपर्पज होने की सही जानकारी हो तो 2-3 ब्यूटी प्रोडक्ट्स से ही अपने पूरे चेहरे की खूबसूरती को बढ़ा सकती हैं और साथ ही मेकअप किट पर भी ज्यादा भार नहीं पड़ता है, जिस से आप घर पर मेकअप करने के साथसाथ कहीं पर भी मेकअप कर सकती हैं और वह भी पौकेट पर बिना अतिरिक्त बो झ डाले.

खुद के लिए संवरें

भले ही इस बार हर बार की तरह त्योहारों की वह रौनक न हो, वह मजा न आए जो हर बार आता था, क्योंकि तब जम कर शौपिंग होती थी, मेहमानों का आनाजाना लगा रहता था, सजने को मन करता था. लेकिन इस बार किस के लिए सजना है यह सोच कर त्योहारों पर खुद को भी फीका न रखें बल्कि उसी तरह घर को भी, खुद को संवारें जैसे हर बार संवारती थीं. यह सोच कर तैयार हों कि भले कोई न आए, लेकिन हम सैल्फी खींच कर तो दिखा ही सकते हैं कि इस बार भी हम ने खुद को खूबसूरत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इस से आप को व देखने वालों को भी फैस्टिव जैसा फील होगा.

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ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साथ करें ऐक्सपैरिमैंट्स

जिस तरह जिंदगी में अनुभवों से कामयाबी हासिल होती है, ठीक उसी तरह अगर आप अपने लुक को संवारना चाहती हैं तो अपने एक ही लुक से हट कर बदलाव के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साथ खेलें. यकीन मानिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साथ खेलखेल में आप को नया लुक मिल जाएगा, जिस के बारे में आप ने सोचा भी नहीं होगा. लेकिन ऐक्सपैरिमैंट तो आप को करना ही पड़ेगा जैसे- लिपस्टिक से हाईलाइटर बनाएं क्लोस से आंखों के ऊपर शाइन लाएं, काजल को लाइनर बनाएं. फिर देखिए घर बैठे आप को फैस्टिवल्स पर अपनी पसंद का लुक मिल जाएगा.

फेस्टिवल शुरू होने से पहले किचन को ऐसे करें जर्म फ्री

त्योहारों का मतलब ही जम कर मस्ती करना, खूब खानापीना, खूब पकवान बनाना खुद व घर को संवारना होता है. ऐसे में जब घर की साफसफाई की बात आती है, तो किचन को विशेष रूप से साफ करने पर ध्यान देना होता है, क्योंकि उसी में हम अपनों की सेहत का ध्यान रखने के साथसाथ त्योहारों पर इस में तरहतरह के पकवान बना कर मेहमानों का स्वागत करते हैं. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि अगर आप की किचन साफसुथरी नहीं होगी, चीजें अच्छी तरह अरेंज कर के नहीं रखी होंगी, तो न तो आप को त्योहारों जैसा फील आएगा और न ही आप के घर आए मेहमानों को अच्छा फील होगा. इसलिए इन त्योहारों पर आप अपनी किचन की हाइजीन का खास ध्यान रख कर उसे त्योहारों के लिए तैयार करें. जानिए कुछ आसान से टिप्स:

शुरुआत करें खुद को साफ रखने से

किचन की हाइजीन के बारे में सोचने से पहले आप को पर्सनल हाइजीन का खास ध्यान रखना होगा, क्योंकि रोजाना घर व बाहर के काम करतेकरते कब जर्म्स हमारे संपर्क में आ जाते हैं, हमें पता ही नहीं चलता. ऊपर से इन के न दिखने के कारण हम यह सोच कर भ्रमित हो जाते हैं कि हमारे हाथ तो साफ हैं. जबकि ऐसा नहीं होता.

जब भी हम किसी चीज को छूते हैं या फिर किसी से हाथ मिलाते हैं, तो हम हर बार अपने हाथों में बैक्टीरिया को आने का निमंत्रण ही देते हैं, जिन के कारण इन्फैक्शन, फूड पौइजनिंग होने और कई बार तो जान पर भी बन आती है. ऐसे में जरूरी है कि हाथों को थोड़ीथोड़ी देर बाद साफ पानी से धोते रहें. इस से आप बीमार होने से बचने के साथसाथ त्योहारों पर अपनों का खास खयाल रख भी पाएंगी.

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चीजों को अरेंज कर के रखें

जिस तरह आप अपने वार्डरोब को अरेंज कर के रखती हैं ताकि आप का वार्डरोब सुंदर लगने के साथसाथ चीजें भी आसानी से मिल सकें. उसी तरह आप अपनी किचन में भी चीजों को अरेंज कर के रखें. बहुत सी महिलाओं की आदत होती है कि वे किचन में छोटीछोटी चीजों को यहांवहां रख देते हैं, जिस से न तो वे दिखने में अच्छी लगती हैं और साथ ही खुले में पड़े होने के कारण उन में बैक्टीरिया पनपने के चांसेज भी काफी बढ़ जाते हैं और फिर अनजाने ही सही, जब हम उन का इस्तेमाल करते हैं, तो वे हमारे शरीर में जा कर हमें बीमार कर सकते हैं.

ऐसे में जब त्योहार आने वाले हैं तो क्या आप चाहेंगी कि त्योहारों में रंग में भंग का काम करे आप की लापरवाही नहीं. तो फिर आज से ही किचन में चीजों को अरेंज कर के यानी डब्बों में रखने की आदत डाल लें. इस से चीजें आसानी से मिल भी जाएंगी, किचन सुंदर भी लगेगी और चीजों के खराब होने की टैंशन भी नहीं होगी.

फूड क्लिप्स से करें खाने की चीजों को लौक

क्या आप नहीं चाहतीं कि आप जो भी खाएं वह हैल्दी होने के साथसाथ लंबे समय तक फ्रैश भी रहे? आप की छोटी सी हैबिट आप की स्नैक्स आइटम्स व अन्य चीजों को लंबे समय तक फै्रश रखने का काम करेगी. अकसर देखने में आता है कि स्टोरेज बौक्स नहीं होने की स्थिति में चीजें खुले में पड़े रहने के कारण उन में सीलन आने से कीड़े भी लग जाते हैं, जिस से दोबारा इस्तेमाल करते समय वे किसी काम की नहीं रहतीं. ऐसे में आप अपनी किचन में छोटीछोटी चीजों को जैसे हब्स, मसाले, बिस्कुट, चिप बैग को फूड क्लिप्स से लौक कर के रखें खासकर त्योहारों के समय तो ये क्लिप्स बहुत काम आते हैं. घर में मेहमानों का आनाजाना लगा रहता है. ऐसे में बारबार चीजों को निकालने के कारण उन के खराब होने के चांसेज ज्यादा रहते हैं. लेकिन ये क्लिप्स पैकेट में हवा व पानी अंदर नहीं जाने देते, जिस से आप का फूड सेफ रहता है. इसलिए चीजों को बरबाद होने व खुद को बीमारी से बचाने के लिए फूड क्लिप्स का इस्तेमाल जरूर करें.

किचन में रखें मल्टी स्पेस वाले कंटेनर

कोरोना के कारण लोगों के मन में इस बार डर है. ऐसे में त्योहारों की रौनक तो फीकी है ही. लेकिन कब तक लोग खुद को अपनों से मिलने से रोक पाएंगे? ऐसे में भले ही कम लेकिन अपने मिलने तो आएंगे ही. तो ऐसे में बारबार आप उन के लिए बाउल्स में नमकीन, ड्राई फ्रूट्स, बिस्कुट्स सर्व करें इस से बेहतर है कि आप त्योहारों पर पहले से ही अपनी किचन में मल्टी बौक्स कंटेनर में स्नैक्स रख लें. इस बात का भी ध्यान रखें कि इस काम के लिए आप जिस कंटेनर का इस्तेमाल करें, उस में ऊपर से कवर करने का भी औप्शन हो. इस से जहां आप बारबार सर्व करने से बच जाएंगी, वहीं स्नैक्स के खराब होने के चांसेज भी नहीं रहेंगे. तो हुआ न मल्टीपर्पज कंटेनर फायदे का साबित, जो प्रेजैंटेबल दिखने के साथसाथ आप के खाने को भी रखे सेफ व फ्रैश.

माइक्रोवैव का खास ध्यान

माइक्रोवैव हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है. इस में खाना बनाने से ले कर खाना गरम करने की प्रक्रिया इतनी आसान है कि अब तो यह हर किचन का हिस्सा बनता जा रहा है. लेकिन क्या आप जानती हैं कि जिस माइक्रोवैव को आप सुविधा का साधन मानती हैं, अगर उसे सही तरीके से साफ नहीं किया जाता है तो यह आप को बीमार भी कर सकता है, क्योंकि जब भी हम माइक्रोवैव में खाने को गरम करते या फिर बनाते हैं तो उस से आसपास व माइक्रोवैव की प्लेट पर गंदगी जमा होने से उस में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जो हमारी हैल्थ पर घातक प्र्रभाव डालने का काम करते हैं.

एक शोध में 50% माइक्रोवैव डोर के हैंडल पर एटीपी की संख्या 300 से ज्यादा देखी गई. एटीपी यानी एडानोसीन ट्राइफास्फेट जो एक मौलेक्यूल है, जिस का उपयोग यह आंकलन करने के लिए किया जाता है कि सतह कितनी गंदी है. अगर एटीपी की संख्या 100 से 300 के बीच आती है तो इस का मतलब सतह को जल्दीजल्दी साफ करने की जरूरत होती है और अगर 300 या उस से ज्यादा है तो इस का मतलब  सतह बहुत गंदी है और इस के कारण बीमारी फैल सकती है.

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तो अब आप सम झ गए होंगे कि माइक्रोवैव आप को सुविधा देने के साथसाथ आप की मुसीबत को भी बढ़ा सकता है अगर आप ने उसे जल्दीजल्दी साफ करने की आदत नहीं डाली. आप माइक्रोवैव को डिशवाशर या फिर हलके गरम पानी में नीबू का रस डाल कर उसे साफ कर सकती हैं. आप सिरके से भी इसे साफ कर सकती हैं. यकीन मानिए साफसुथरे माइक्रोवैव में खाना बनाने व गरम कर के सर्व करने का मजा ही कुछ और होता है खासकर त्योहारों पर जब जल्दबाजी में होने के कारण इस की ज्यादा जरूरत पड़ती है.

स्पोंज व सिंक रखें हमेशा साफ

आप जान कर हैरान होगी कि एक छोटे से स्पौंज में 54 बिलियन बैक्टीरियल सैल्स होते हैं, जो स्पौंज के कारण बाकी चीजों में आ कर आप की हैल्थ को प्रभावित कर सकते हैं. अत: स्पौंज किचन के कपडों व सिंक को गरम पानी में डिशवाशर डाल कर रोजाना साफ करें. इस से बैक्टीरिया मरने से आप अपनी किचन हाइजीन का खासतौर पर ध्यान रख पाएंगी. इस बात का भी ध्यान रखें कि कपड़ों को धोने के बाद उन्हें सुखाएं जरूर और कभी भी गंदे कपड़ों से साफ बरतनों को साफ न करें. आप की यह सम झदारी आप के अपनों का खास खयाल रखेगी.

इन जगहों की जल्दीजल्दी सफाई

किचन में बहुत सारी ऐसी जगहे होती हैं, जो खाने के संपर्क में नहीं आतीं, लेकिन हम जब उन्हें अपने हाथों से बारबार टच करते हैं तो वे बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाती हैं जैसे डोर नोब्स, हैंडल्स, नल, फ्रिज डोर आदि. ऐसे में जर्म्स के फैलने के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं. इसलिए आप के लिए जरूरी है कि जब भी आप हैंडल्स को टच करें तो अपने हाथ जरूर धोएं ताकि आप के द्वारा खाने तक जर्म्स न पहुंच पाएं इन्हें हफ्ते में एक बार ब्लीच सौल्यूशन से जरूर साफ करें ताकि जर्म्स मर सकें.

छोटीछोटी सफाई रखे कीटाणुओं से दूर

बात चाहे किचन के स्लैब की हो या फिर किचन में रखे स्टोव की या फिर डस्टबिन की, इन की साफसफाई अच्छी तरह करने की जरूरत होती है, स्टोव पर रोज खाने बनाने के कारण गंदगी जमा हो जाती है, किचन स्लैब पर हम सब्जियां रखने से ले कर रोटी तक बनाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप रोज इन्हें डिस इन्फैक्टैंट से जरूर साफ करें. इस से बैक्टीरिया मरने के साथसाथ आप की किचन भी क्लीन दिखेगी.

वहीं डस्टबिन से सब से ज्यादा बीमारी फैलने के चांसेज होते हैं. इस में भी कई तरह के बैक्टीरिया पनपते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप इसे डिसइन्फैक्टैंट या सिरके वाले पानी से हफ्ते  में एक बार जरूर साफ करें. इस से डस्टबिन साफ होने के साथसाथ उस से दुर्गंध आनी भी बंद हो जाएगी.

कोरोना वायरस में आप के लिए फैस्टिवल्स को खुल कर ऐंजौय करने के साथ अपनी व अपनों की सेफ्टी का भी खास ध्यान रखने की जरूरत है. इस के लिए जरूरी है कि जब भी बाहर से खानेपीने का सामान लाएं तो उसे पानी से धो लें या फिर वाइप्स से क्लीन कर लें ताकि संक्रमण के चांसेज न रहें. कोशिश करें कि बाहर से लाए सामान को एक कोने में ही रखें ताकि उसे साफ करना आसान हो और अगर आप किचन के स्लैब पर सामान रखते हैं तो उसे साफ करना न भूलें. इस तरह आप सेफ भी रहेंगे और त्योहारों का पूरापूरा आनंद भी ले पाएंगे.

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