भारत में अब तक कोरोना घरघर नहीं फैला है, पर जिन देशों में फैल चुका है, वहां से पता चलता है कि यदि घर के एक जने को हो जाए तो बाकी के लिए उसे घर में झेलना एक चुनौती होता है.
न्यूयार्क के क्वींस इलाके में रहने वाली जैशन इस समस्या को हर पल महसूस कर रही है. उस का 56 साल का पति कई दिन पुराने कपड़ों में कई दिनों से बदली नहीं गई चादर पर सिमटा दोमंजिला मकान की ऊपरी मंजिल पर अकेला पड़ा है…
जैशन… यानी कि मैं अपनी बैठक में ही फोम का गद्दा डाल कर सो रही हूं ताकि अपने पति पर नजर रख सकूं. वह मदद के लिए बुदबुदा रहा है…उस की आवाज कर्कश है… ऊनी शर्ट और ऊपर से स्वेटर पहने होने के बावजूद वह कंपकंपा रहा है.
मैं उसे जगाना नहीं चाहती थी, लेकिन उस के बाथरूम में दवा रखना भूल गई थी मैं…
जिस बोतल से उस की डिश में कैप्सूल डालती हूं, उसे यहां नहीं छोड़ सकती. इसे दूसरे बाथरूम में बिल्कुल अलग रखना है.
‘‘कुछ और चाहिए?’’ मैं उस से पूछती हूं… जो भी उस का छुआ हुआ है, उसे बड़ी सावधानी से किचन तक ले जाती हूं, जहां मेरी 16 साल की बेटी एम्मा खड़ी है.
मैं तब तक बाहर ही खड़ी रहती हूं, जब तक कि वह डिशवाशर नहीं खोल देती… और रेक्स को खींच नहीं देती, ताकि मुझे कुछ भी छूना न पड़े और वह फिर से उन्हें बंद कर दे…
वह मेरे लिए नल खोल देती है और मैं डिस्पोजेबल साबुन को अपनी कोहनी से अपनी ओर खींच कर हाथ धोती हूं.
मेरा पति जेम्स अच्छी कदकाठी का है. वह अकसर ही हमारे ब्रोकलिन एरिया से क्वींस में जमैका घाटी तक 5 घंटे की बाइक चला कर आताजाता रहता है…
आज वह छत को घूरते हुए पीठ के बल लेटा है… कभी करवट बदल लेता है. कई दिनों से वह एक ही पाजामा पहने हुए है… देर तक उस के पास रुक कर कपड़े बदलना एक बहुत ही कठिन काम है… कंबल और चादर की वह अपने नीचे गठरी सी बना लेता है. बाहर बहुत ही ठंड है…
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यह 12 मार्च… यानी 12 दिन पहले की बात है, जब जेम्स सो कर उठा तो उसे बहुत जोर की ठंड लगी.
अगले दिन जब अमेरिका में कोरोना वायरस की खबरें फैल रही थीं… उसे लगा कि वह कुछ अच्छा महसूस कर रहा है, तभी उसे फिर से ठंड लगने लगी… उसे 100 डिगरी बुखार था.
तभी से जेम्स को हमारे बैडरूम तक सीमित कर दिया गया. यहां वह अपार्टमेंट के सामने चैराहे पर निरंतर आते ट्रकों की आवाजों की शिकायत करता है. कुछ ब्लौक्स (रिहायशी क्षेत्र) दूर पश्चिम में स्थित न्यूयार्क बंदरगाह से आने वाली धमाकेदार आवाजों से भी वह परेशान रहता है.बैडरूम का दरवाजा कस कर बंद रखा जाता है, क्योंकि हर समय भीतर जाने की कोशिश करते रहने वाली बिल्ली को फिर रात में बाहर कौन लाएगा…
बीमारी के लक्षण दिखने के 2 दिन बाद जेम्स को हमें सौंपते हुए क्लिनिक से हमें हिदायत देते हुए कहा गया, ‘‘क्या करोगे अगर तुम कोरोना की चपेट में आ गए? निर्देशों को पढ़ो और अपनेआप को घर के अन्य लोगों और जानवरों से अलग कर लो…’’ उस के बाद उसे 101.5 डिगरी बुखार आया और फ्लू का उस का टेस्ट नेगेटिव आया.
कुछ महीने पहले उसे गंभीर अस्थमा का अटैक आया था और उसे एडमिट कराना पड़ा था. इसी वजह से उस का कोरोना वायरस की फैल रही महामारी कोविड 19 का टेस्ट कराया गया. उस के एक दिन बाद ही टेस्ट किट की कमी हो गई थी, साथ ही सख्ती भी और बढ़ा दी गई थी…
तब से हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो बस जेम्स के चारों ओर घूमती है. डाक्टर से मिल कर हम ने तय किया कि यदि उस की हालत और खराब हो जाती है, तो कौन सा रूम उसे देना चाहिए… बहुत सारे काम थे… उस की दवाएं, जो बारबार स्टाक से बाहर हो जाती थीं… उन्हें वैबसाइट पर ढूंढ़ना… हमारे पास वे सामान भी नहीं थे, जो बहुत बुखार या बहुत पसीना आने पर चाहिए होते हैं.
हम एक उस दुनिया में थे, जहां समाचारों में बस ‘टेस्टिंग, क्वारंटीन, दवाओं की कमी और महामारी के फैलाव की कहानियां थीं और डर भरी रातें तो अभी आने को थीं.
ऐसे में जेम्स के दोस्तों ने दवाएं और वाइन ला कर दे कर मेरी बड़ी मदद की… एक दोस्त पैरासिटामोल छोड़ गया था और एक दूसरा दोस्त पास की ही फार्मेसी से वाइन की बोतल छोड़ गया, जो आगे आने वाली डरावनी रातों में मेरे बड़े काम आई…
3 दिन बाद उस के डाक्टर ने बताया कि टेस्ट पौजिटिव आया है. उस समय जेम्स करवट से लेट कर न्यूयार्क स्टेट में कन्फर्म हुए केसों के बारे में एक लेख पढ़ रहा था. वह उसी वायरस की कहानियां पढ़ रहा था, जिस ने इस समय स्वयं उसी पर हमला कर दिया था. वह लोगों को अस्पताल में भरती करने, उन्हें सांस लेने के लिए वेंटिलेटर पर रखने और उन की मृत्यु की कहानियां पढ़ रहा था.
जिस दिन जेम्स ने पहली बार खुद को बीमार महसूस किया था, उसी दिन मैं ने और एम्मा ने एचबीओ टीवी पर चेरनेबिल सीरीज देखना शुरू किया था. यह सीरीज 1986 में रूस में हुई परमाणु दुर्घटना से संबंधित थी. 3 एपिसोड देखने के बाद ही हम ने उसे देखना बंद कर दिया.
अब वह समय पीछे छूट गया है, जब हम साथ बैठ कर कुछ देखते थे. अब तो बस भागदौड़ रह गई है… उस ने एकाध कटोरी सूप पी लिया है या नहीं, वह सूंघने में असमर्थ है, क्योंकि उस की नाक चोक हो गई है.
अब मेरा सारा समय… उस का बौडी टेंपरेचर लेने, औक्सीटोमीटर से औक्सीजन का स्तर मापने इत्यादि में गुजरता है. एक दोस्त ने डाक्टर की सलाह पर खून में औक्सीजन का स्तर मापने के लिए मौनिटर ला दिया था, जो मेरे बहुत काम आया…
जेम्स को दवा देना, चाय देना, डाक्टर को उस की गिरती हालत के बारे में मैसेज करना… और बारबार हाथ धोना… और जब वह अपने बिस्तर में खांस रहा और पैरों को रगड़ रहा होता तो उस से कुछ दूर खड़े हो कर उसे देखना…
‘‘तुम यहां मत खड़ी हो… मौत मुझे बुला रही है,’’ वह कहता.
‘‘जी.’’
फिर जैसेजैसे रात गहराती जाती, वह डरने लगता.
‘‘बुखार, पसीना, सिरदर्द, बदन दर्द और रात का लंबा समय उसे घबरा देता. यह एक पत्थर कूटने वाली मशीन की तरह मुझे कूट कर रख देता है,’’ वह कहता.
एम्मा का हाईस्कूल 13 मार्च से बंद हो गया था और न्यूयार्क के अन्य स्कूलों की तरह औनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई थी. एम्मा और क्लास के अन्य बच्चों को शिक्षकों ने कड़े निर्देश दिए थे.
‘‘यह छुट्टियां नहीं रेगुलर स्कूल है,’’ उन से कहा गया था. मैं ने प्रिंसिपल और स्कूल को एक मेल लिखा और बताया कि घर में एम्मा किन हालात से गुजर रही है.’’
पूरे समय कभी मैं डाक्टर को मैसेज लिखती, कभी जेम्स के भाईबहनों को…अपने मातापिता, भाई, जेम्स के बिजनेस पार्टनर को… उस के दोस्तों, कर्मचारियों को मैसेज लिखलिख कर जेम्स की हालत के बारे में बताती.
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जेम्स बहुत थका हुआ और कमजोर है और सारा समय इन मैसेज के जवाब नहीं दे सकता है.
‘‘मेरे परिवार से कुछ भी मत छिपाना,’’ जेम्स कहता.
‘‘वह उस ग्रे स्वेटर को मांग रहा है, जो उस के पिता पहनते थे, जब वे जिंदा थे.’’
हमारे चारों ओर जो लोग थे, वे सामान्य जीवन जी रहे थे. हर कोई हमारा सलाहकार बन गया था और अपनेअपने अनुभवों के अनुसार इस महामारी से जुड़े मीम्स शेयर कर रहा था.
‘‘घर से स्कूलिंग कैसे करें… सोशल डिस्टेंस कैसे बनाएं वगैरह…’’ वे नहीं जानते थे कि हमारा घर एक अस्थायी अस्पताल में तबदील हो चुका था. हर आने वाला पल कैसा होगा, हमारे लिए यही महत्वपूर्ण था.
‘‘मैं ने बिल्ली की गंदगी साफ कर दी है,’’ एम्मा कह रही थी.
बाहर कोने में कुछ लोग खड़े थे. मैं उन से बात करना चाहती थी…
‘‘ये परिवार से जुड़ने के लिए एक अच्छा समय है.‘‘ वे कह रहे थे. मैं वापस आ गई… अब मैं उन्हें नहीं देखना चाहती थी.
इस समय एम्मा मेरी मददगार बन गई थी. बाथरूम का आधा हिस्सा हम ने ले लिया था और आधा जेम्स के सामान… उस की गंदगी के लिए था.
‘‘ये गंदे, बुरे सपने भरे जैसे दिन थे…’’
एम्मा हर काम में मेरी मदद कर रही थी. नर्सिंग के काम के अलावा घर को व्यवस्थित करने, रसोई का काम करने, बिल्ली को खाना खिलाने, उस की गंदगी साफ करने, कपड़े तह करने के साथ ही जेम्स के लिए बीचबीच में हलका खाना पकाने, बरतन साफ करने, हर काम में मेरी मदद करती…
इन मुश्किल दिनों में जब मैं जेम्स के कमरे से बिना छुए डिशवाशर में डालने को बरतन लाती और बारबार धोने से रुखे हो गए अपने हाथों को धोती, तब भी वह मेरी मदद करती.
‘‘हम ऐसे बात करते जैसे हम बराबर के हो गए हैं,’’ वह सही ही तो कहती है…
मेरा सारा समय हमें सेफ रखने में बीत रहा था. दरवाजों के हेंडल्स को पोंछना, बिजली के स्विचों, नलों को कीटाणुनाशक से साफ करना मेरा रोज का काम हो गया था. हर रोज अल्कोहल से अपने फोन को साफ करती. रात होते ही दिनभर के इस्तेमाल हुए कपड़ों को धुलने फेंक देती.
जब एम्मा नहाने जाती, तो मैं सारे बाथरूम को अच्छे से साफ करती. हर उस चीज को हटा देती, जो जेम्स ने इस्तेमाल की होती. साथ ही, एम्मा को निर्देश देती कि किसी भी चीज को छुए नहीं और शावर ले कर सीधे अपने कमरे में जाए.
मेरे मन में डर बैठ गया था, उस की सुरक्षा को ले कर…
‘‘अगर एम्मा को भी कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा…’’ यह सोच कर मैं बेहद डर गई थी.
अगर जेम्स कभी हमारे नहाने से पहले बाथरूम इस्तेमाल कर लेता, तो मैं फिर से उसे साफ करती तब हम बाथरूम में जाते.
मैं ने उसे एप्सोम साल्ट से स्नान करवाया. फिर तो वह इतना कमजोर हो गया था कि बाथरूम तक भी नहीं जा पा रहा था और बीच में ही गिर जा रहा था… फिर बस मुंह धुला कर ही काम चलाया जाने लगा.
मैं आगे की संभावनाओं के बारे में विचार करती, ‘‘अगर एम्मा बीमार हो गई तो…’’
‘‘मैं उस की भी देखभाल कर लूंगी.’’ बात तो यह थी कि, ‘‘अगर मैं खुद बीमार हो गई तो…’’
मैं अपनी बेटी को समझा देना चाहती थी कि अगर ऐसी कोई परिस्थिति आ जाए तो वह क्या करेगी.
‘‘क्या होगा, अगर जेम्स को अस्पताल में एडमिट करना पड़ा तो….?’’ और अगर मैं…‘‘
‘‘क्या एक 16 वर्ष की बच्ची को घर में अकेले छोड़ा जा सकता है…..?’’
पर, एक बात मैं अच्छे से जानती हूं कि मैं उसे अपने मातापिता के पास नहीं भेज सकती. वे 78 वर्ष के थे और पास ही लौंग आईलैंड में रहते थे.
हालांकि, वे तो उसे अपने पास बुलाना चाहते थे, पर इस में खतरा था. उन की पोती उन्हें एक अदृश्य, खतरनाक वायरस की चपेट में ले सकती थी.
‘‘नहीं, उसे किसी और के पास भेजना होगा… कोई ऐसा जिस के पास उसे अलग से रखने और देखभाल के लिए एक बाथरूम और बैडरूम हो…’’
रात के 4-4 बजे तक मैं फर्श पर लेटी अवाक सी सोचती, सुनती, जागती रहती.
बुखार में जेम्स बुरी तरह बड़बड़ाता… एम्मा को अपनी 20 साल पुरानी गर्लफ्रैंड के नाम से बुलाता… 3 बार हम ने उसे अस्पताल में भरती कराने की सोचा. एक बार तो डाक्टर से बात करते ही मेरी हिचकी बंध गई और मैं रोने के लिए बाथरूम की तरफ भागी.
हर बार हम ने घर पर ही रहने का निर्णय लिया, क्योंकि उसे सांस लेने में तकलीफ नहीं थी. यदि होती तो उसे अस्पताल में भरती कराना ही पड़ता.
न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के इमर्जैंसी रूम की एक डाक्टर से हम ने वीडियो फोन से बात की. डाक्टर 250 से ज्यादा ऐसे मरोजों को देख चुकी थी, जिन्हें फ्लू जैसे लक्षण थे. उन्होंने हम से कहा कि जेम्स को हम घर पर ही रख सकते हैं, बशर्ते उस की औक्सीटोमीटर में औक्सीजन की माप सही बनी रहे और उसे सांस लेने में कोई तकलीफ न हो.
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मैं हलके से बेडरूम का दरवाजा खोलती तो पाती कि जेम्स सो रहा है…उस के पास जा कर देखती कि उस की सांसें चल रही हैं या नहीं. वैसे ही जैसे कभी एम्मा को देखती थी, जब वह छोटी थी और अपने पालने में सोती थी.
ऐसी ही उन बुरी रातों में मैं जेम्स से कुछ दूरी बना कर कंबल में मुड़े हुए उस के पैरों को रगड़ रही थी… दुख के उन पलों में एक क्षण ऐसा आया था, जब मेरे होंठों से वही गीत फूट पड़ा, जो मेरी मां और मेरी दादी मुझे गा कर सुनाया करती थीं. वह एक आयरिश बाल गीत था, जो छोटे बच्चों को सुलाने के लिए गाया जाता था.
मेरी दादी उसे रशियन में गाती थीं. वह मेरे बचपन का गीत था, जो लगभग 40 साल बाद मेरे होठों पर फूटा था, जिसे मैं अपने मृतप्रायः, बीमार पति के समक्ष गुनगुना रही थी.
‘‘हम कितने मनहूस माहौल में रह रहे हैं,’’ मैं रसोई में एम्मा से कह रही थी.
‘‘हमारे जैसे और भी बहुत लोग हैं,’’ एम्मा ने कहा..
दूर से देखने पर जेम्स और भी कमजोर नजर आता. उस की 6 फुट 1 इंच की काया बड़ी ही दीनहीन सी लगती. उस का कमजोर शरीर ढेर सारे कपड़ों में लिपटा हुआ था… जिन में वह अपनी विंटर जैकेट के नीचे एक और जैकेट, जिस के नीचे उस के पापा का ग्रे ऊनी स्वेटर था, जिस के नीचे एक डबल फोल्ड शर्ट थी, जिस के नीचे एक धारीदार बनियान पहने था. उस पर भी वह कहता था कि उसे ठंड लग रही है.
मार्च के चमकते हुए सूरज में भी उस के मुंह पर वही मास्क चढ़ा रहता, जो कि टेस्ट के लिए क्लिनिक जाते समय उसे पहनाया गया था…
हम लोग क्लिनिक जा रहे थे. हम दोनों ने ही ‘डिस्पोजेबल ग्लव्स’ पहन रखे थे. उस से पहले वाला दिन बड़ा ही कठिन था, जब जेम्स को सारा दिन चक्कर और उलटी आती रही. वह अपनेआप खा भी नहीं पा रहा था.चम्मच से खिलाने पर ही थोड़ाबहुत खा पा रहा था. इन्हेलर का इस्तेमाल करने पर भी उसे खांसी आ रही थी.
सुबह पसीने से वह नहाया हुआ था और शाम को लुढ़का पड़ा था. वह डरा हुआ था. उस ने मुझ से कहा, ‘‘उसे खांसी के साथ खून आया था.’’
हम ने उस के डाक्टर से बात की.
‘‘हम सब अंधे के समान काम कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कई मरीज एक सप्ताह के भीतर ही अच्छा महसूस करने लगते हैं, जबकि अन्य ज्यादा गंभीर केसों में उलटा हो जाता है…
‘‘वायरस फेफड़ों पर हमला कर देता है और खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है,’’ डाक्टर ने बताया.
‘‘अगर मरीज की स्थिति नहीं सुधरती है, तो अगली अवस्था निमोनिया की होती है… ऐसा अन्य मरीजों में देखा गया है,’’ डाक्टर ने यह भी बताया.
डाक्टर ने एक फार्मेसी से एंटीबायोटिक लेने को कहा, जो एक घंटे में ही बंद होने वाली थी. मैं ने जेम्स के दोस्त को मैसेज किया. उस ने कहा कि वह दवा ले लेगा…
मैं ने उसे संतरे भी लाने को कहा. जेम्स को संतरे का जूस और उस की फांकें पसंद थीं और हमारे पास घर पर बस एक संतरा बचा था. इस समय संतरे जैसी कई चीजें महंगी हो गई थीं.
डाक्टर ने सुबह हमें सब से पहले आने और आ कर सीने का एक्सरे कराने को कहा. हम धीरेधीरे चल कर आ रहे थे. जेम्स धीरेधीरे खांसते हुए चल रहा था. कुछ और लोग दिखाई दे रहे थे. हालांकि उन की संख्या पहले से काफी कम थी, जबकि न्यूयार्क के गवर्नर एंड्रयू क्योमो ने लोगों से जहां तक हो सके, घरों में ही रहने को कहा था.
कुछ जौगिंग करने वाले भी थे, जैसे कि एक हफ्ते पहले मैं भी उन में से एक होती थी.
मैं ने जेम्स का ध्यान उन की तरफ से हटाने का प्रयास किया और उसे डालियों पर खिलती हुई कलियां दिखाने लगी.
‘‘मुझे महसूस हो रहा था कि वे हमारी तरफ मुड़ कर देखेंगे, तो शायद जेम्स को अच्छा न लगे.’’ पर वे खुद बड़े सावधान थे, ‘‘अपने मास्क पहने हुए वे लोग खुद को हम से बचाते हुए सीधे निकल गए…’’
क्लिनिक पर एक और जोड़ा था, जो मास्क पहने था, और अंदर चला गया.एक आदमी मास्क पहन कर वहीं इंतजार कर रहा था.
जेम्स एक कुरसी पर आंखें बंद कर बैठ गया था. मैं ने परिचारिका से कहा, ‘‘मेरे पति का कोविड 19 टैस्ट पौजिटिव आया है.’’
परिचारिका की आंखें मास्क में से ही हठात एक क्षण को मुझ से मिलीं. उस ने मुझे भी एक मास्क दिया.
आज जेम्स का डाक्टर किसी अन्य क्लीनिक पर था, इसलिए हमें दूसरे डाक्टर को दिखाना था. हमें पूरी जानकारी उसे फिर से देनी थी.
मास्क पहने हम इंतजार कर रहे थे. जेम्स की आंखें अभी भी बंद थीं. मैं अपने पीछे की खिड़की से बाहर देखने लगी…
‘‘गली में लोग और दिनों की तरह ही चल रहे थे, तभी एक आदमी आया, अपने गंजे सिर पर हाथ फेरता हुआ एक छोटे से कैफे में घुस गया.
एक अन्य परिचारिका आई. पहली वाली ने उस के कान में कुछ फुसफुसाया… और उस ने अपना मास्क पहन लिया.
हमें अंदर बुलाया गया. मास्क पहनी हुई एक नर्स ने जेम्स की नब्ज देखी.उसे हलका बुखार था. लगभग 99 डिगरी… शायद उस ने इबुप्रोफेन दवा ली थी, इसलिए बुखार हलका हो गया था. उस का ब्लड प्रेशर ठीक था.नब्ज भी सही थी और औक्सीजन का स्तर भी ठीक था.
हम ने डाक्टर को उस के बुखार, पसीने, मितली, खांसी और खांसी के साथ आए खून के बारे में बताया.
एक बार फिर जेम्स का परीक्षण किया गया. उसे आंखें बंद कर कुरसी पर सिर टिका कर बैठने को कहा गया, वहीं कोई किसी मरीज से कह रहा था, ‘‘वह बहुत बीमार है. उसे 5 ब्लौक्स (रिहाइशी क्षेत्र) दूर अस्पताल में भरती हो जाना चाहिए.’’
डाक्टर अंदर आता है. उस ने चेहरे पर मास्क और हाथों में प्लास्टिक का कवर पहन रखा है. एक पतले से गाउन में जेम्स को एक्सरे के लिए ले जाया जाता है.
‘‘यह बहुत ही कठिन और अजीब था.’’ लौट के आने पर उस ने कहा, ’’अपने सिर के नीचे हाथों को रखे रखना…’’
‘‘यह एक्सरे एक हफ्ते पहले वाले से अलग है,’’ रेडियोलौजिस्ट से सलाह कर डाक्टर ने हम से कहा.
‘‘अब यह बाएं फेफड़े में निमोनिया दिखा रहा है.’’
‘‘पिछली रात डाक्टर ने ठीक ही एंटीबायोटिक लिखी थी.’’
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डाक्टर ने स्टैथोस्कोप से सुना, ‘‘जेम्स के फेफड़े ठीक लग रहे थे, घरघरा नहीं रहे थे. उसे सांस लेने में भी परेशानी नहीं हो रही थी.’’ उस की घर पर रख कर ही देखभाल की जा सकती थी.
‘‘लेकिन, अब तुम्हें और जल्दीजल्दी दिखाने आना होगा,’’ डाक्टर ने कहा. हम क्लिनिक के दरवाजे पर खड़े बाहर की ओर देख रहे थे… 2 बुजुर्ग औरतें दरवाजे के बाहर बातें कर रहीं थी. क्या मैं उन से कहूं कि, ‘‘वे बाहर हैं… घर जाएं… अपने हाथ धोएं और भीतर ही रहें…’’ या फिर, ‘‘जब तक वे चली न जाएं, हम यों ही यहीं खड़े रहें. और जब वे चली जाएं, तब हम यहां सब 3 ब्लौक्स दूर अपने घर को निकलें.’’
मैं ने मैग्नोलिया, फोरसाथिया के खिले हुए फूलों को देखा… जेम्स कह रहा था कि, ‘‘उसे ठंड लग रही थी.’’
‘‘उस की गरदन पर बाल बढ़ गए थे… बड़ी हुई दाढ़ी में से सफेद बाल दिख रहे थे…’’
फुटपाथ पर कुछ लोग हम से आगे निकल रहे थे. वे नहीं जानते कि हम उन के भविष्य के दृष्टा हैं.
एक स्वप्न, एक पूर्वाभास मुझे हो रहा है कि, ‘‘कल वो भी हम जैसे ही होंगे या तो जेम्स की तरह, मास्क पहने हुए, या फिर यदि भाग्यशाली हुए तो मुझ जैसे – उस की सेवा करते हुए.’’