शादी के बाद बदलेगा ‘आदिनागिन बानी’ का लुक, सुरभि का नया अवतार

कलर्स का सुपरनेचुरल शो नागिन का 5वां सीजन इन दिनों फैंस के बीच काफी पौपुलर हो रहा है. वहीं सीरियल से जुड़ी एक खबर ने फैंस को चौंका दिया है. दरअसल, आने वाले एपिसोड में वीर को बानी के नागिन होने की असलियत पता चल जाएगी, जिसके बाद वह बानी से शादी करेगा. लेकिन इससे पहले ही शो में बानी यानी सुरभि चंदना का आफ्टर वेडिंग लुक सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है. आइए आपको दिखाते हैं सीरियल में बानी के आफ्टर लुक की वायरल फोटोज…

1. ऐसा दिखा सुरभि चंदना का अंदाज

सुरभि चंदना ने हाल ही में अपनी कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिनमें वह बहूरानी के रुप में पोज देती नजर आ रही हैं. बहूरानी बनते ही सुरभि चंदना ने अपना पूरा मेकओवर कर डाला है. फोटोज में वह ऑरेंज कलर की साड़ी के साथ मैचिंग इयरिंग्स कैरी किए नजर आ रही हैं. वहीं सुरभि चंदना का हेयरस्टाइल भी पूरी तरह से बदल चुका है, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा है.

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2. सिंपल लुक में भी लगती हैं खूबसूरत

सुरभि चंदना के नागिन 5 में अभी तक के लुक की बात करें तो वह बेहद सिंपल रहते हैं. लेकिन फिर भी वह खूबसूरत लगती हैं. लहंगे की बात करें तो हाल ही में फ्लावर प्रिंट पैटर्न के साथ शाइनी ब्लाउज वाले लहंगे में सुरभि का लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था. वहीं उसके साथ मैचिंग हैवी इयरिंग्स उनके लुक पर चार चांद लगा रहे थे.

3. सिंपल साड़ी को दें ट्रैंडी लुक

 

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Bani Bani Bahu 🐍 #naagin5 #banisharma on Colors Saturday- Sunday 8 PM Styled By – @tripzarora @shreya_nehal

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इन दिनों सिंपल साड़ी के साथ ट्रैंडी इयरिंग्स का कौम्बिनेशन काफी पौपुलर है. और अगर आप भी ट्रैंडी लुक ट्राय करना चाहती हैं तो सुरभि चंदना का ये लुक ट्राय करना ना भूलें.

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4. ब्राइडल लहंगा करें ट्राय

अगर आप अपनी वेडिंग के लिए लहंगा ढूंढ रही हैं तो सुरभि चंदना का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. हैवी एम्ब्रैयडरी वाले टौमेटो रेड लहंगे के साथ कुंदन की ज्वैलरी आपके लुक पर चार चांद लगा देगी.

इमोशन पर कंट्रोल करना है जरूरी

आज की महिला मल्टी टैलेनटिड है, लेकिन जहां एक ओर दफ्तर में उससे उम्मीद रखी जाती है, वहीं घर को अच्छे ढंग से रखना, बच्चों को समुचित मार्गदर्शन देना, उन्हें प्यार व देखभाल से पालना, पढ़ाई-लिखाई व खेलकूद में सहयोग देना, सोसायटी में पति के कंधे से कंधा मिलाकर चलना, फैमिली और फ्रैंड्स के रिलेशनशिप निभाना जैसे कार्य भी उसी से अपेक्षित होते हैं. ऐसे में शारीरिक व मानसिक थकावट कब तनाव का रूप ले लेती है, पता ही नहीं चलता.

परिस्थिति का मुकाबला

आज जब आप इंटैलिजैंस और अवेयरनैस यानी बुद्धिमत्ता व जागरूकता को अपने व्यक्तित्व का एक अहम पहलू मानती हैं, तो यह अति आवश्यक है कि इमोशनल स्मार्टनैस का भी ध्यान रखें. घर हो या दफ्तर, आप को हर रोज कई तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. याद रखें की विपरीत परिस्थितियां तो रहेंगी, कहीं न कहीं ऐसे लोग भी आप के आसपास रहेंगे, जो सिर्फ दूसरों के लिए परेशानियां और कठिनाइयां उत्पन्न करना ही अपना फर्ज मानते हैं. दफ्तर में बौस अगर आप को बेवजह डांटते हैं या आप के सहकर्मी आप से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा रखते हैं अथवा किसी प्रोजैक्ट की डैड लाइन तक आप काम पूरा नहीं कर पा रही हैं, तो समस्या की जड़ पर ध्यान दें. यह आप का नितांत व्यक्तिगत निर्णय होता है कि दुख, तनाव और परेशानी में घिर कर रोनाबिसूरना है या शांत व तटस्थ रह कर समस्या का हल ढूंढ़ना है.

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यही इमोशनल स्मार्टनैस है, जिस के अभाव में आप अपनी अक्षमताओं, असफलताओं और बेबसी पर बैठ कर आंसू बहाते हुए सब के सामने ‘इमोशनल फूल’ बन कर रह जाएंगी.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने वर्ष 2001-2011 के बीच किए अध्ययन में पाया है कि 30 से 45 साल की 36% कामकाजी महिलाएं तनाव और हाई ब्लडप्रैशर की शिकार हैं. इतना ही नहीं, 31% कामकाजी युवा महिलाएं माइग्रेन के अथवा किसी अन्य प्रकार के दर्द की शिकार हैं. 65% दर्द के कारण 6 से 8 घंटे की सामान्य नींद नहीं ले पातीं. 49% पर दर्द की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर हो रहा है. वहीं 13% को क्रौनिक दर्द की वजह से नौकरी तक छोड़नी पड़ी है.

नैशनल इंस्टिट्यूट औफ औक्युपेशनल हैल्थ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 सालों में युवाओं की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ा है. मैट्रो शहरों में काम करने वाले पुरुष ही नहीं महिलाएं भी तनाव, अनिद्रा, डायबिटीज और मोटापे का शिकार पाई गई हैं.

आप क्या करें

आप ई क्यू के प्रयोग से कार्यक्षेत्र का तनाव कम करें और इस के लिए अपनाएं आगे बताए जा रहे तरीके:

न कहना सीखें

यह सत्य है कि अधिक योग्य व्यक्ति को ही अधिक जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं. बेशक आप योग्य हैं और सभी कार्य पूर्ण कुशलता से कर सकती हैं. पर कभीकभी ‘न’ कहने की कला भी सीखें. कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता, इस बात को स्वीकारें. बौस की नजरों में ऊपर उठने के लिए क्षमता से अधिक स्ट्रैस लेना ठीक नहीं.

रखें सकारात्मक सोच

कार्यक्षेत्र से जुड़ी समस्याओं से जूझने के लिए हमेशा अपनी सोच को आशावादी और सकारात्मक रखें. दूसरों से मिली आलोचनाओं और अतीत में मिली असफलताओं को स्वयं पर हावी न होने दें.

एकाग्रता बढ़ाएं

जब आप तनावमुक्त और शांत हो कर कोई कार्य करेंगी तभी उस कार्य की गुणवत्ता प्रभावशाली होगी. इसलिए अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करें और एकाग्रचित्त हो कर बिना इधरउधर की व्यर्थ की बातों पर ध्यान दिए लगन से अपना कार्य करें.

कार्यक्षेत्र की राजनीति से दूर रहें

अकसर कार्यस्थलों में वैचारिक एवं कार्यप्रणाली संबंधी राजनीति हावी रहती है. आप बिना तनाव में आए ध्यानपूर्वक अपना कार्य करें. इमोशनल ब्लैकमेलिंग की राजनीति से बच कर रहें.

बौस के साथ संपर्क में रहें

कार्यक्षेत्र की किसी भी प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक परेशानी सदैव बौस के साथ शेयर करें. अपने क्रियात्मक और व्यावहारिक सुझाव भी बौस के साथ बांटने की हिम्मत रखें. इस से आप की कार्यशैली का पता चलता है.

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यह सदैव याद रखें कि तनाव तो हर कार्यक्षेत्र में होता ही है, किंतु अपनी योग्यता एवं इमोशनल स्मार्टनैस से आप अपने कार्य को सरल एवं तनावमुक्त बना सकती हैं. उसी कार्यकुशलता से आप घर में भी छोटेछोटे प्रयोगों द्वारा अपने कामकाज को सहजता से कर पाने में सक्षम होंगी.

नियमित करें व्यायाम

फिजियोथेरैपिस्ट रजनी कहती हैं कि व्यायाम से ऐंडोर्फिंस में वृद्धि होती है. यह रसायन दिमाग में उल्लास का संचार करता है, जिस से शारीरिक तनाव अपनेआप ही कम हो जाता है. व्यायाम शरीर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को निर्मित करता है. याद रखें कि मोटापा और वजन कम करना ही व्यायाम का एकमात्र कार्य नहीं होता. इम्यून सिस्टम में सुधार के साथसाथ व्यायाम तनाव के नकारात्मक असर को भी समाप्त करता है.

यदि हम इमोशनली स्मार्ट व सुदृढ़ होंगे तो अपनी कार्यशैली व जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन ला कर तनाव को दफ्तर ही नहीं घरेलू कामकाज में अड़चन बनने से भी रोक पाएंगे.

मान लीजिए कि आप को दफ्तर समय पर पहुंचना है किंतु आप की कामवाली बाई बिना पूर्व सूचना के छुट्टी पर चली गई है. सारा घर व रसोई फैली पड़ी है. नाश्ता बनाना, सब का लंच पैक करना, बच्चों को स्कूल भेजना आदि अंतहीन कामों में आप की चिड़चिड़ाहट सातवें आसमान को छूने लगती है. तनाव और बौखलाहट में आप अपना सारा क्रोध पति और बच्चों पर निकालेंगी. स्वयं पर तरस खाएंगी कि सब कुछ आप को अकेले ही झेलना पड़ता है. यह स्थिति वास्तव में विकट होती है किंतु इस से जूझने का जो तरीका आप चुनती हैं, वह आप की इमोशनल दृढ़ता व स्मार्टनैस पर ही निर्भर करता है.

आप स्मार्ट हैं तो सुबहसुबह क्रोध व तनाव से घिरीं रोतेझींकते हुए दिन की शुरुआत करने के बजाय धैर्य से काम लेंगी. पति को मुसकरा कर एक कप गरम चाय का प्याला पकड़ाएंगी और प्यार से उन्हें रसोई में अपनी सहायता के लिए बुलाएंगी. बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करते हुए उन्हें अपना स्कूल बैग, यूनिफौर्म और जूते इत्यादि स्वयं तैयार करने को प्रेरित करेंगी. लंच यदि न भी पैक हो पाया तो कोई बात नहीं. चिकचिक करने से कहीं बेहतर होगा कि बच्चे स्कूल कैंटीन से ले कर कुछ खा लें. एकाध दिन बाहर खा लेने में कोई हरज नहीं. आप भी खुश और बच्चे भी.

रिश्तों का तनाव

कहते हैं कि रिश्ते बनाए नहीं निभाए जाते हैं. यदि आप इमोशनली स्मार्ट हैं, तो इस बात को आप बेहतर ढंग से समझ पाएंगी कि 2 व्यक्तियों में वैचारिक मतभेद होता ही है. अत: छोटीछोटी बातों से घबरा कर रिश्तों में कड़वाहट और तनाव लाने से बेहतर है उन्हें नजरअंदाज कर देना. कभीकभी ऐसा भी होता है कि न चाहते हुए भी आप स्वयं को भावनात्मक रूप से टूटा व हारा हुआ पाती हैं. घर का कोई न कोई सदस्य बेवजह आप को कुछ चुभने वाली बातें सुना जाता है. सास, जेठानी या ननद आप के हर काम में मीनमेख निकालती हैं, पति की अपेक्षाओं पर आप खरी नहीं उतरती हैं, इसलिए उन के क्रोध का पात्र बनी रहती हैं.

घबराएं नहीं, धैर्य से काम लें. एकांत में बैठ कर एकाग्रचित्त हो कर अपने व्यवहार और कार्यों का निष्पक्षता से विश्लेषण करें. यदि वास्तव में आप को अपने व्यवहार में कुछ गलत लगे तो बिना किसी पूर्वाग्रह व अहं को आड़े लाए स्वयं को बदलने की कोशिश करें और संबंधित व्यक्ति से माफी मांग लें. वार्त्तालाप कभी बंद नहीं होना चाहिए. ऐसा होने पर गलतफहमियां और बढ़ जाती हैं. आप स्मार्ट हैं, स्ट्रौंग हैं, आप में आत्मविश्वास भरा है, तो आप ये सब निश्चित रूप से कर पाएंगी, क्योंकि आप जानती हैं कि तनाव और परेशानियों में जीना स्वयं की गलतियां सुधार लेने से कहीं कठिन होता है.

यदि आप सही हैं तो अनर्गल और व्यर्थ की बातों से व्यथित होने की कतई आवश्यकता नहीं. स्वयं को भावनात्मक रूप से सबल बनाएं और परिवार वालों को अपना दृष्टिकोण प्यार से समझाएं. सामने वाला गरम हो रहा हो तो आप ठंडी रहें. पहले उसे ठंडा होने दें फिर स्नेह से उसे पिघला कर अपने सांचे में ढाल लें. बात बन जाएगी.

ये सब मेरे साथ ही क्यों होता है? सब मुझे ही गलत क्यों समझते हैं? सब मिल कर मेरे लिए सिर्फ समस्याएं ही क्यों बढ़ाते हैं? हर बार सिर्फ मैं ही क्यों झुकूं? यह सब सोचते ही आप स्वयं को बेचारी और शक्तिहीन मानने लगती हैं. ‘मैं ही क्यों’ आप को एहसास दिलाता है कि आप लोगों एवं परिस्थितियों की सताई हुई हैं. ‘बेचारी मैं’ का भाव आप को आत्मदया के अंधे कुएं में धकेल देता है.

समस्याओं का हल

परीक्षा में बच्चों के परिणाम अच्छे न आना अथवा युवा होते बच्चों के साथ वैचारिक संघर्ष होना अथवा बच्चों की समुचित देखभाल की कमी के चलते बच्चों में असंयमित और असंतुलित व्यवहार का बढ़ना भी महिलाओं के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द बन जाता है. ऐसे में आप क्या करेंगी? संयम खो कर अनापशनाप डांटफटकार एवं टोकाटाकी और रोकटोक शुरू कर करेंगी या स्वयं पर काबू रख कर बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए अपने मित्रवत व्यवहार से उन्हें अपने विश्वास में ले कर समस्याओं का युक्तिपूर्ण हल निकालने की चेष्टा करेंगी? बच्चों के सामने कभी भी ‘परफैक्ट’ या ‘रोल मौडल’ बनने की चेष्टा न करें. अपनी समस्याओं, सफलताओं, कठिनाइयों, अपने डर, सपने, उम्मीदों और असफलताओं को खुल कर बच्चों के साथ बांटें.

इमोशनल ब्लास्ट’ का शिकार

कई बार महिलाओं के साथ ऐसा भी होता है कि सब कुछ जानतेसमझते हुए भी वे अपनी भावनाओं पर काबू पाने में असमर्थ रहती हैं और ‘इमोशनल ब्लास्ट’ का शिकार हो जाती हैं. इस की परिणिति डर, निराशा, अवसाद, हीनभावना, डिप्रैशन और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याओं में होती है. हारमोनल परिवर्तन इस समस्या का कारण हो सकते हैं. बड़ी उम्र में मेनोपौज के समय में ऐसे लक्षण अकसर महिलाओं में दिखने लगते हैं. ऐसे में अच्छे डौक्टर की सलाह लेना सही रहेगा. खानपान और लाइफस्टाइल जीवनशैली में अच्छा चेंज लाएं. अच्छी और आशावादी सोच को बढ़ाने वाली पुस्तकें पढ़ें और छोटी-छोटी बातों में खुश रहना सीखें.

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कोरोना से बेहाल उस पर अंधविश्वास के जाल

हाल ही में एक धार्मिक नेता जिन्होंने गे मैरिज को कोरोना की वजह बताई उन्हें खुद कोरोना हो गया. 91 साल के पैट्रिआर्क फिलारेट को कोरोना से पीड़ित होने पर अस्पताल में एडमिट किया गया.

कीव के यूक्रेनियम ऑर्थोडॉक्स चर्च के हेड फिलारेट देश के जानेमाने धार्मिक गुरु हैं जिन के 15 मिलियन फॉलोअर्स हैं. कोरोनावायरस को ले कर उन के विचार बेहद हास्यास्पद हैं. एक टीवी इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि यह महामारी भगवान के द्वारा दिया गया है जो इंसानों को उन के द्वारा किए गए पापों की वजह से भोगना पड़ रहा है. पापों की फ़ेहरिस्त में उन्होंने सब से पहला नाम सेम सेक्स मैरिज यानी समलिंगी विवाह को रखा. जाहिर है कि उन के इस बयानबाजी के कारण इस समुदाय के लोगों के विरुद्ध सामान्य लोगों के मन में घृणा पैदा होगी और आवेश में आ कर लोग इन्हें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. दुनिया के और भी बहुत से धार्मिक गुरुओं ने एलजीबीटी समुदाय यानी( लेस्बियन गे बायोसेक्सुअल एंड ट्रांसजेंडर ) को इस महामारी का जिम्मेदार बताया है.

कोरोना महामारी को ले कर अक्सर हमारा सामना ऐसी बेवकूफी भरी सोचों से होता रहता है. लोग अपनीअपनी मानसिकता और दायरे के हिसाब से अफवाहें फैलाते रहते हैं.

हाल ही में यूके में सोशल मीडिया के जरिए एक खबर बड़ी तेजी से फैली कि कोरोना वायरस जैसी महामारी 5 जी इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण पनप रही है. इस के बाद वहां लोग घबड़ा कर 5जी टावर्स को आग के हवाले करने लगे. कोई वैज्ञानिक तथ्य मौजूद न होने के बावजूद इस अफवाह के फैलते ही लोगों ने 5जी मोबाइल टावर्स में आग लगाने के साथ 5जी इंस्टॉलेशन के लिए फाइबर ऑप्टिक केबल को बिछाने का काम कर रहे मजदूरों को भी प्रताड़ित किया. बहुत से दावों में यह कहा गया कि वायरस वुहान में इसलिए पैदा हुआ क्योंकि चीन के शहर ने पिछले साल 5G नेटवर्क को विस्तार दिया था.

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कुछ लोग तो कोरोना से बचने के लिए रामचरितमानस के पन्ने पलट बाल की खोजबीन में भी लग गए. हुआ यह कि कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल मीडिया में यह खबर तेजी से वायरल हुई कि रामायण के बाल कांड में बाल मिल रहा है. यह बाल पवित्र है और इस को साधारण पानी के साथ या फिर पानी में उबाल कर और गंगा जल मिला कर पीने से कोरोना वायरस ठीक हो जाता है या होता ही नहीं है. सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो भी आ गए जिस में लोग दीप जला कर या हाथपैर धो कर पन्ने को पलटते हुए बाल कांड के पन्नों में पहुंच कर बाल मिलने का दावा करने लगे. बस बहुत से लोग बिना कुछ सोचेसमझे बालकांड के बाल की तलाश में लग गए.

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का एक नमूना यूपी के कुछ शहरों में दिखा है. यहां के मेडिकल स्टोर्स पर कोरोना शट आउट/गेट आउट कार्ड बिकता हुआ पाया गया. दावा यह किया गया कि इस कार्ड को गले में पहनने से कोरोना का संक्रमण नहीं होेता.
100 रुपये से ले कर 150 से 180 रुपये तक में बिकने वाले इस कार्ड के भीतर शक्कर के दाने के बराबर पत्थर जैसे भरे होने के साथ इन से एक गंध निकलती है. इसे बेचने वालों को भी इस की कंपनी का नाम नहीं पता मगर लोगों ने बड़ी संख्या में इस की खरीददारी की.

मध्य प्रदेश के रतलाम के नयापुरा में तो हद ही हो गई जब एक झाड़फूंक करने वाले बाबा द्वारा हाथ चूम कर कोरोना ठीक करने की अफवाह उड़ी तो लोगों का हुजूम वहां इकठ्ठा होने लगा. नतीजा यह हुआ कि हाथ चूम कर कोरोना ठीक करने का दावा करने वाले बाबा की कोरोना से ही मौत हो गई और दूसरे 19 लोग भी इस से संक्रमित हो गए. बाबा की मौत होने पर इस  अंधविश्वास का खुलासा हुआ पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

कोरोना के कारण अंधविश्वास और अफवाहों का बाजार भी लगातार गर्म रहा है. खासतौर पर यह अंधविश्वास का जाल महिलाओं पर इस कदर हावी रहा है कि वायरस भगाने के नाम पर वे रात दिन पूजापाठ लगी रहती है. बिहार के कैमूर और गोपालगंज में महिलाओं ने कोरोना को देवी मान कर पूजा की गुड़हल के नौ फूल, गुड़ की नौ डली, नौ लौंग और सिंदूर की नौ लकीर के साथ कोरोना माता को दूर करने के प्रयत्न किये.

उत्तर प्रदेश में अंधविश्वास का प्रकोप कुछ इस कदर दिखा कि लोगों ने दिये जला कर और कुएं में पानी डाल कर कोरोना महामारी के इलाज का दावा करना शुरू कर दिया. किसी ने कहा कि कोरोना से बचने के लिए गांव में जितने पुरुष हैं उतने आटे के दिये जलाएं तो किसी ने  दियों को शाम के समय घर की देहरी पर रखना शुरू किया.

कई जगह तो मोदी के तर्ज पर घर की बड़ीबूढ़ी औरतें अब भी हर रोज थालियां बजाती हैं और कोरोना को भगाने का प्रयास करती हैं. कई लोगों ने कोरोना से बचने के लिए घर में हर रोज नियमित पूजा पाठ करना, नीम के पेड़ के पास दिया जलाना और पेड़ को दो लोटा जल चढ़ाना शुरू किया हुआ है .

कोरोना को ले कर फिरोजाबाद में एक अलग ही अंधविश्वास नजर आया. वहां यह अफवाह उड़ी कि जितना हो सके हल्दी का पानी कुंए में डाले इस से कोरोना जैसी बीमारी पर नियंत्रण किया जा सकता है. इस के बाद बिना कुछ सोचे समझे सैकड़ों महिलाओं ने बंद पड़े कुओं में हल्दी का पानी डालना शुरू कर दिया

वहीँ मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में यह अफ़वाह भी फैली कि हरी चूड़ी पहनने और घर के बाहर गोबर व लेप का पंजा बनाने से कोरोना नहीं आएगा और परिवार सुरक्षित रहेगा.

गांव के कुछ लोगों ने इस बीमारी के इलाज के तरहतरह के नुस्खे बताने भी शुरू किये हैं. लोगों का विश्वास है कि गुड़ की चाय पीने और उस में एक जोड़ा लौंग की फलियां डाल कर पीने से कोरोना खत्म हो जाता है.

गावों के कुछ लोगों ने कोरोना का कारण सूर्यग्रहण भी माना उन के मुताबिक़ सूर्यग्रहण की वजह से सभी नक्षत्र बिगड़े हैं और यह सब शनि का प्रकोप है. कुछ लोगों ने कोरोना से बचने के लिए आटे के दिए जलाने भी शुरू किये.

इन सब के साथ कोरोना के नाम पर ठगी का धंधा भी चालू है. कई जगह लोगों ने कोरोना के नाम पर चंदा उगाहना शुरू किया. लोगों को डराया गया कि जो लोग चंदा नहीं देंगे उन्हें कोरोना मार देगा. कुछ लोग सुबहशाम पीपल में जल दे रहे हैं क्यों कि उन का मानना है कि सभी देवता इस में बसते हैं और ये देवता सब ठीक कर देंगे.

दरअसल हमारे समाज में तर्कशील बौद्धिक चेतना का विकास नहीं हो पाया है जिस का कारण एक तो धार्मिक अंधविश्वासों का मौजूद होना है और दूसरा कारण है लोगों का अशिक्षित होना. लोग बहुत आसानी से पाखंडियों, जालसाजों और ठगों की जाल में फंस जाते हैं और यह सोचने का प्रयास भी नहीं करते कि ऐसा वे कर क्यों रहे हैं.

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पूरी दुनिया इस समय भी कोरोना वायरस की चपेट में है और इस का केवल एक ही इलाज है और वह है घर पर रहना यानी सामाजिक दूरी को बना कर रखना. कोरोना पूरी तरह तभी भागेगा जब इस की वैक्सीन आएगी. तब तक जितने भी पापपुण्य या अंधविश्वासों के चक्कर में पड़े रहो कुछ होने वाला नहीं सिवा अपनी आर्थिक मानसिक और शारीरिक  क्षति के. यही नहीं यदि अंधविश्वास के नाम पर ऐसे ही लोगों का मजमा लगना कायम रहा तो कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जाएगी.

जानें क्या है रेनबो डायट

डॉ प्रियंका रोहतगी, मुख्य पोषण विशेषज्ञ, अपोलो हॉस्पिटल्स

‘रेनबो डाईट’ ऐसा आहार है जिसमें विभिन्न रंगों के खाद्य पदार्थ शामिल हों. इसके लिए आप अपने आहार में अलग-अलग रंगों के फल और सब्ज़ियां शामिल कर सकते हैं. आपकी थाली में ढेरों रंग न केवल खाने को आकर्षक बनाते हैं, बल्कि आपको सेहतमंद भी रखते हैं. हर किसी को अपने आहार में ज़्यादा फल और सब्ज़ियां शामिल करनी चाहिए क्योंकि इनमें मौजूद पोषक तत्व आपको कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं.

ज़रूरी पोषक तत्व

कई फलों और सब्ज़ियों में विटामिन सी, कैरोटिनायड जैसे अवयव (जिनमें से कुछ अवयव शरीर में विटामिन ए में बदल जाते हैं), विटामिन के, राइबोफ्लेविन, फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. वास्तव में अमरूद और आंवला विटामिन सी के सस्ते और बेहतरीन स्रोत हैं. इसके अलावा शिमला मिर्च में थायामिन पाया जाता है, जो एक प्रकार का विटामिन बी है.

कुछ सब्ज़ियों जैसे आलू, शकरकंदी, टैपिओका और यैम (रतालू) तथा फल जैसे आम, केला और चीकू भरपूर उर्जा के स्रोत हैं. ज़्यादातर फलों और सब्ज़ियों में पानी एवं फाइबर की मात्रा अधिक तथा कैलोरीज़ की मात्रा कम होती हैं.

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ज़्यादातर हरी सब्ज़ियों जैसे साग पालक, पुदीना, ग्वारपाठा में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. हरी पत्तेदार सब्ज़ियों जैसे अगाथी, ऐमरंथ, ड्रमस्टिक और मेथी कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं. हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में पोटेशियम एवं मैग्निशियम की मात्रा अधिक तथा वसा एवं सोडियम की मात्रा कम होती है, ऐसे में ये दिल की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.

रेनबो डाईट यानि रंग बिरंगा आहार

1. लाल- भावनात्मक एवं शारीरिक उर्जा के लिए

लाल रंग के खाद्य पदार्थ आपके शरीर के लिए पावरहाउस का काम करते हैं. फलों और सब्ज़ियों में मौजूद लाल रंग कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रखता है जैसे तरबूज, चैरी, आलु बुखारा, स्ट्राबैरी आदि. फलों के अलावा सब्ज़ियों एवं अन्य खाद्य पदार्थों में मौजूद लाल रंग भी सेहतमंद है. लाल फल जैसे स्ट्राबैरी में फोलेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो दिल के सेहत के लिए फायदेमंद है. इसी तरह चैरी में मौजूद फाइबर आपकी त्वचा के लिए उपयोगी है और विटामिन सी कम रक्तचाप को नियन्त्रित रखने में मदद करता है. लाल मिर्च आपके खाने को तीखा बनाती है, हालांकि यह आपकी इम्युनिटी यानि बीमारियों से लड़ने की ताकत भी बढ़ाती है.

2. परपल-सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए

परपल कलर वाले खाद्य पदार्थों में एंथोसायनिन बहुत अधिक मात्रा में होता है, जो कैंसर और दिल की बीमारियों से सुरक्षित रखता है. उदाहरण के लिए बैंगन में फोलिक एसिड और पोटैशियम भरपूर मत्रा में पाया जाता है जो दिल की मांसपेशियों और सर्कुलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाता है. इसी तरह परपल पत्तागोभी, परपल गाजर, रेज़िन, ब्लैककरेंट इसी श्रेणी में आते हैं. अक्सर नीले, परपल और काले खाद्य पदार्थों को एक ही श्रेणी में रखा जाता है. परपल खाद्य पदार्थों में मौजूद एंथोसायनिन कैंसर और सूजन से बचाने के लिए जाना जाता है, यह डायबिटीज़, मोटापे और दिल की बीमारियों के जोखिम को भी कम करता है. परपल कलर के खाद्य पदार्थों में ल्यूटीन, विटामिन सी और क्वरसेटिन भी पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखकर व्यक्ति को दीर्घायु बनाता है.

3. सफेद- स्वच्छता का प्रतीक

फल और सब्ज़ियां जैसे नाशपाति, सेब, केला, गोभी और लहसुन में फाइबर बहुत अधिक होता है और ये कॉलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं. सफेद खाद्य पदार्थों में एंटी- ऑक्सीडेन्ट फ्लेवोनोइड जैसे क्वरसेटिन और सेहत के लिए फायदेमंद रसायन जैसे एलिसिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो कॉलेस्ट्रॉल और रक्तचाप कम करने में मदद करते हैं. सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से पेट के कैंसर और दिल की बीमारियों की संभावना कम होती है. केला, शलजम, मक्का, मशरूम, प्याज, आलू, अदरक में पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसी तरह मशरूम में सेलेनियम, पोटैशियम, राइबोफ्लेविन, नियासिन और विटामिन डी पाया जाता है. फूलगोभी में सल्फर पाया जाता है जो कैंसर से लड़ने, हड्डियों के टिश्यूज़ को मजबूत बनाने और रक्त वाहिकों के रखरखाव में फायदेमंद है.

4. हरा- समग्र स्वास्थ्य और संतुलन के लिए

सभी जानते हैं कि हरे रंग के खाद्य पदार्थ पोषण के स्रोत हैं और इनका सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए. पौधों में हरा रंग क्लोरोफिल के कारण होता है, जो पौधों के लिए जीवन है. हरे रंग के खाद्य पदार्थ विटामिन ए, सी, के, आयरन, एंटीऑक्सीडेन्ट जैसे कैरोटिनोइड और फ्लेवोनोइड का स्रोत हैं. हरी सब्ज़ियों में क्लोरोफिल, ल्यूटीन, ज़ियाज़ेंथिन और फोलेट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. पालक, पत्तागोभी, फली, भिंडी और ब्राॅकली इसी श्रेणी में आते हैं. हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में ल्यूटीन होता है जो आंखों में मैक्यूलर डीजनरेशन को रोकता है. हरी सब्ज़ियों में फोलेट, क्लोरोफिल और आयरन बहुत अधिक मात्रा में होता है, ऐसे में यह उर्जा का बेहतरीन स्रोत हैं. यह कहने की आवश्यकता नहीं कि हरा रंग आंखों, हड्डियों, दातों के लिए फायदेमंद है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है. सलाद हो या सूप, भोजन में हरे विकल्पों की कमी नहीं है.

5. नीला- शरीर के सिस्टम को ठंडा रखने के लिए

आकाश और पानी का यह रंग आपके रक्तचाप को नियन्त्रित रखता है और शरीर को फिट बनाए रखने में मदद करता है. फलों और सब्ज़ियों में नीला रंग एक अवयव एंथोसायनिन के कारण होता है, जे एंटीआॅक्सीडेन्ट के साथ आपके शरीर को सुरक्षित रखता है और दिमाग को तेज़ बनाता है. नीले रंग के खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले अन्य पोषक जैसे फ्लेवोनोइड, एलेजिक एसिड, क्वरसेटिन और ल्यूटीन रेटीना के लिए फायदेमंद हैं, शरीर में मिनरल एब्र्ज़ाप्शन में सुधार लाते हैं, एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. भोजन में मौजूद नीले अवयव सूजन को कम करते हैं और ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं.

6. नारंगी- स्वास्थ्य, बीमारियों से लड़ने की ताकत और ताज़गी

संतरा, कद्दू, आम और गाजर शक्ति और ताकत देते हैं. इन फलों और सब्ज़ियों का नारंगी रंग बीटा-कैरोटीन की वजह से होता है, जो हड्डियों को मजबूत और आंखों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. नारंगी खाद्य पदार्थों में मौजूद फाइटोकैमिकल म्युकस मेम्ब्रेन को स्वस्थ बनाते हैं, कैंसर एवं दिल की बीमारियों की संभावना को कम करते हैं और इम्यून सिस्टम में सुधार लाते हैं. इसके अलावा नारंगी खाद्य पदार्थ शरीर में फ्री रेडिकल्स और कॉलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. नारंगी खाद्य पदार्थों में पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिन बी 6, फाइबर, लायकोपीन और फ्लेवोनोइड होते हैं, जो बीमारियों से बचाते हैं.

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7. पीला- मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिकाओं की मजबूती के लिए

पीले रंग के खाद्य पदार्थ मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, ये लिवर, त्वचा, आंखों की सेहत के लिए भी उपयोगी हैं. केसर, पीली बैल पैपर, एवेकैडो उम्र की वजह से टिश्यूज़ में होने वाले डीजनरेशन को कम करते हैं, प्रोस्टेट कैंसर से भी बचाते हैं. चमकीले पीले रंग के फल एलडीएल यानि बैड कॉलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को कम करने में मदद करते हैं. ये बोन मैरो, मांसपेशियों हड्डियों और तंत्रिकाओं को मजबूत बनाते हैं. त्वचा में चमक पैदा करते हैं. तो अपने आहार में अनानास, हल्दी, सरसों, पीली बैल पैपर और मकई को शामिल कीजिए और पीले रंग का जादू महसूस कीजिए. हल्दी एक एंटीसेप्टिक है, जो शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ाती है. वहीं मकई में मौजूद विटामिन बी कॉम्पलेक्स में पचाने वाले एंजाइम होते हैं तो पाचन तंत्र में सुधार लाते हैं, साथ ही फेफड़ों के लिए भी फायदेमंद हैं. अस्थमा के मरीज़ों के लिए पीले खाद्य पदार्थ विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं.

फायदे

उपरोक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने से कई और फायदे भी होते हैं जैसे टाईप 2 डायबिटीज़ की संभावनाकम होती है; ईसोफेगस, पेट और संभवतया कोलोरेक्टल, फेफड़ों, मुख और फैरिंजियल कैंसर की संभावना कम होती है; कार्डियोवैस्कुलर रोगों और स्ट्रोक की संभावना कम होती है. कच्चे फल और सलाद दिमाग में एमोयलॉईड प्लाक बनने से रोकते हैं, जो अल्ज़ाइमर का कारण है.

नेशनल हेल्थ एण्ड मेडिकल रीसर्च काउन्सिल के मुताबिक व्यस्कों को दिन में कम से कम पांच प्रकार की सब्जियां और दो तरह के फल रोज़ाना खाने चाहिए. ज़्यादातर विशेषज्ञ आलू को इन सात चीज़ों में शामिल नहीं करते. तो अगर आप सेहतंमद रहना चाहते हैं तो अपने आहार में ढेर सारे फल और सब्ज़ियां शामिल करें.

मैगी से लेकर कुरकुरे वाला मेकअप करें ट्राय

क्या कभी आपने सोचा था कि स्नैक्स, मैगी, कुरकुरे, हाजमोला,50-50 बिस्किट्स और पॉपिन्स जैसे स्नैक्स की पैकिंग की थीम पर शानदार मेकअप किया जा सकता हैं. नहीं ना! पर आपको जानकार आश्चर्य होगा कि ऐसा भी हो सकता है. वो कैसे? आइये जानें

सोशल मीडिया के जरिये हम और आप आए दिन मेकअप के नए-नए तरीके देखतें हैं.क्योंकि सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है,जहां हम आपको लोगों के अनोखी कला देखने को मिल सकती है.  इस मंच पर  इतने सारे वीडियो और टुटोरिअल देखने को मिलते हैं, जिन्हें हम आप अपने घर पर खुद भी ट्राई करते हैं.

पर इस बार कुछ ऐसा देखने को मिला कि आंखों को यकीन नहीं हुआ. वो इसलिए क्योंकि हमने और

आपने अब तक मेकअप के जितने की तरीके अपनाएं होंगे, उनसे अलग मेकअप की नई तकनीक को ईजाद किया है 20 वर्षीय दिव्या प्रेमचंद ने. जब मेरी नज़र दिव्या की प्रोफाइल पर पड़ी तो हम उनकी प्रोफाइल देखते रह गए.

करतीं हैं नये प्रयोग

वैसे दिव्या इंस्टाग्राम पर मेकअप के जरिये नए-नए प्रयोग करने के लिए जानी जाती हैं. पर हाल ही में दिव्या सोशल मीडिया पर फ़ेवरेट मैगी, हाजमोला, 50-50 जैसे स्नैक्स की पैकिंग को मेकअप लुक में बदलने के लिए बहुत चर्चा में हैं और उन्होंने अपनी इस सीरीज को ‘इंडियन स्नैक सीरीज’ का नाम दिया है.

1- कुरकुरे लुक

कुरकुरे पर आधारित मेकअप करने के लिए दिव्या ने कुरकुरे के शेप वाली टेढ़ी-मेढ़ी आईब्रो बनाईं, जो कुरकुरे की तरह मिलती है.  सिर्फ मेकअप ही नहीं दिव्या ने मेकअप के साथ ही  कपड़ों व ज्वेलरी का सिलेक्शन भी इसी थीम को ध्यान में रखते हुए किया. जिस प्रकार उन्होंने ऑरेंज कलर  का इफ़ेक्ट दिया है वो भी बेहद लाजवाब है.

 

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If you don’t vibe with this song, you won’t ever vibe with me. 😊😊😊 Song by @trvthhvrts Addictive! TEDA HAI PAR MERA HAI 🧡 #IndianSnackSeries Kurkure has been my allll time fav no matter what! @kurkuresnacks @kurkure_india 🧡Eyeshadow: @juviasplace and @morphebrushes Jaclyn hill palette Vol 1 🧡Eyeliner: @inglotgcc gel liner and @anastasiabeverlyhills Norvina electric cake liner 🧡Lashes: @azeredocosmetics Mandy lashes in icon 🧡Eye glitter: @nyxcosmetics_arabia Glitter primer 🧡Concealer: @shiseido synchro- skin refreshing c 🧡Lipstick: @nyxcosmetics_arabia lip lingerie in ruffle trim . . #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #maggi #merimaggi #maggiindia #kurkuremasalamunch #desiinfluencer #kurkure

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2- हाजमोला लुक

 

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Tag that one person who is a Hajmola fan 😂 Who knew digestive pills are addictive. . HAJMOLA turned me into an Indian Vamp! @daburhajmolaofficial @daburindialtd 💜Eyeshadow: @anastasiabeverlyhills Riviera palette 💜Eye topper: @marcjacobsbeauty See Quin in gleam girl 💜Lashes: @kokolashes in Venus 💜Polka dots: using @anastasiabeverlyhills electric cake liners 💜Concealer: @lagirlcosmetics yellow corrector 💜Lipstick: @maccosmeticsmiddleeast rebel . . #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #maggi #merimaggi #maggiindia #hajmola #desiinfluencer #kurkure

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दिव्या का हाजमोला लुक भी बहुत लाजवाब है. हाजमोला जैसा लुक पाने के लिए उन्होंने जिस प्रकार आईशैडो से लेकर एक्सेसरीज में पर्पल कलर का यूज किया है, वह बहुत प्रशसनीय है.

3- मैगी लुक

 

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I clearly look astonished with the highlighter haha! 😂 Anyways, who still listens to @jaysean 😫❤️ #IndianSnackSeries @maggiarabia @maggiindia ❤️ . 💛Eyeshadow: @juviasplace Saharan blush Vol 1 and @colourpopcosmetics single shadow in tiki 💛Eyeliner: @flormar vinyl waterproof liner and @nyxcosmetics_arabia glitter prime and Glitter brilliants in GLI05 💛Highlighter: @gleam_melaniemillshollywood loose highlighter powder in Light gold 💛Concealer: @hyntbeauty Duet concealer in medium tan by @cleanbeautybinge 💛Powder: @coty.air.spun extra translucent . . #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #madhuridixit #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #namshi #maggi #merimaggi #maggiindia #maggimagicmasala

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दिव्या ने मैगी मेकअप को यूनिक बनाने के लिए कपड़ों से मैच करने के लिए गोल्ड ज्वेलरी पहनी है. ‘दो मिनट में तैयार नूडल्स’ की थीम पाने के लिए दिव्या ने अपनी आंखों को कालेआईलाइनर के माध्यम से नूडल्स का शेप दिया है.

4- पॉपिन्स लुक

 

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So far the most colourful look haha! ❤️😫#Indiansnackseries Poppins candy @parleproducts . . 🌈Setting powder: @innisfreemiddleeast No sebum mineral powder 🌈Eyeshadow: @urbandecayme electric palette 🌈Eyelashes: @zayabeautyuae 3d mink lashes in ZB016 🌈Eyeliner: @inglotgcc powerpuff girls gel liner 🌈Blush: @juviasplace Saharan blush vol 1 🌈Lipstick: @giorgioarmani lip magnet 400 . . #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #madhuridixit #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #namshi #laysmagicmasala #lays

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इस लुक को पाने के लिए दिव्या ने अपने आई मेकअप को हाइलाइट करने के लिए राइनस्टोन्स का इस्तेमाल किया है. पॉपिन्स के रैपर से मैच करती हुई डेमी मैट रेड  लिपस्टिक लगाई और लुक को ब्लशर और हाईलाइटर की मदद से कम्पलीट किया है.

5-50-50 लुक

 

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I only prefer OG songs pls! No remixes 😫 50-50💚 @britanniaarabia @britannia.industries 🤑Eyeliner: @anastasiabeverlyhills electric cake liner and @inglotgcc gel liner 🤑Eyeshadow: @urbandecayme Electric palette 🤑Mascara: @sephoramiddleeast 🤑Highlighter: @anastasiabeverlyhills loose highlighter 🤑Lipstick: @beccacosmetics ultimate lipstick love in truffle . . #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #madhuridixit #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #namshi #maggi maggiindia #britannia #5050 #indiansnackseries

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इस लुक के लिए दिव्या ने यल्लो, डार्क और लाइट कलर ग्रीन कलर आईशैडो से आंखों का मेकअप किया है. सिर्फ इतना ही नहीं आंखों पर व्हाइट आईशैडो से आउट लाइन भी बनाई है और आंखों के नीचे फिफ्टी- फिफ्टी भी इंग्लिश में लिखा है. मेकअप को कम्पलीट करने के लिए मैचिंग के कपड़े और ज्वेलरी भी पहनी है.

6- प्लेन भुजिया

 

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@haldiraminternational bhujia making me look like a real snack 😂❤️ inspired by @rowisingh 💥Eyes: @giorgioarmani lip magnet 400, @fentybeauty frosted metallic powder in Foxy and @kvdveganbeauty glitter gel in Tesoro Gold 💥Lashes: @zayabeautydubai 3D mink lashes 💥Highlighter: @anastasiabeverlyhills loose highlighter powder in so Hollywood 💥Lipstick: @fentybeauty metallic lipstick in so chilly #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #madhuridixit #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #namshi #laysmagicmasala #indiansnackseries @diipakhosla

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इसी तरह प्लेन भुजिया का लुक पाने के लिए दिव्या ने मेकअप  से लेकर ज्वेलरी  व कपड़ों का सिलेक्शन भी इसी थीम को ध्यान में रखते हुए किया. जिस प्रकार उन्होंने रेड और यल्लो का इफ़ेक्ट दिया है वो बहुत अच्छा लग रहा है.

7-पास पास लुक

 

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I think green is my fav colour 👀💚 #IndianSnackSeries @passpassmf . 💚Eyeshadow: @morphebrushes jaclyn hill palette and @urbandecayme Moondust palette 💚Highlighter: @anastasiabeverlyhills Moondust palette 💚Lipstick: @tartecosmetics tartiest lip paint in fortuna 💚Powder: @coty.air.spun extra translucent 💚Mascara: @marcjacobsbeauty velvet noir 💚Eye gems: @daiso_japan_me Nail art gems . . #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #madhuridixit #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #namshi #maggi #merimaggi #maggiindia #passpass

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दिव्या का यह लुक भी बहुत ही बेहतरीन है. इस तरह का लुक पाने के लिए दिव्या ने मेकअप कपड़े और ज्वेलरी का सिलेक्शन इसी आधार पर किया है. आंखों पर डार्क ग्रीन कलर का आईशैडो लगाया और उसे हाइलाइट करने के लिए राइनस्टोन्स का इस्तेमाल किया है.

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8-लेस लुक

 

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If you don’t like such songs, we can’t be friends sorry. 😂 #IndianSnackSeries 🦋💙 The Lays Magic Masala! @lays_india @laysarabia @lays 💙Blender: Namshy blender from @cleanbeautybinge 💙Eyeshadow: @sponjac Moroccan palette, @urbandecayme Electric palette and @juviasplace Saharan blush Vol 1 💙Eyeliner: @flormar vinyl waterproof liner 💙Highlighter: @anastasiabeverlyhills moonchild palette 💙Lipstick: @nyxcosmetics_arabia lip lingerie in ruffle trim . . #maryhadalittleglam #hudabeauty #shophudabeauty #makeuptutorials #beautyrp #bretmansvanity #makeupholic #anastasiabeverlyhills #madhuridixit #inglotcosmetics #narcissist #morphebrushes #browngirl #livetinted #disney #Cinderella #disneyprincess #dubaimakeupblogger #mydubai #desifashion #hypnaughtymakeup #esmeralda #1minutemakeup #undiscoveredmuas #namshi #laysmagicmasala #lays

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दिव्या ने इस लुक के लिए  डार्क ब्लू कलर के आईशैडो से आई मेकअप किया है. आंखों को हाईलाइट करने के लिए आंखों में गिलटर लगाया है. और तो और कपड़ों और ज्वेलरी का सिलेक्शन भी मैचिंग का किया है ताकि कहीं से कोई कमी ना नज़र आये. दिव्या का यह मेकअप लुक बहुत अच्छा लग रहा है.

सौदामिनी: सब ओर से छली गई सौदामिनी के साथ क्या हुआ?

Serial Story: सौदामिनी (भाग-2)

रईस दद्दा ने सौदामिनी के लालनपालन में कहीं कोताही नहीं की थी लेकिन अनुशासन में बंधी वह न ज्यादा पनप पाई न ही पढ़लिख पाई. मृदुल जैसा सच्चा प्रेमी मिला लेकिन छीन लिया गया. आदित्य के पल्ले से बांध दी गई जिस ने पत्नी होने का उसे अधिकार कभी दिया ही नहीं. सास ने घर की मानमर्यादा के नाम पर उस की जबान बंद कर दी. क्या सौदामिनी ने अपने साथ होते अन्याय के आगे हथियार डाल दिए?

जानने के लिए आगे पढ़िए.

कोई एक बरस बाद राय साहब ने अपनी लाड़ली बेटी को पीहर बुलवा भेजा था. रोजरोज बेटी को मायके बुलाने के पक्ष में वे कतई नहीं थे. आदित्य के साथ सजीधजी सौदामिनी मायके आई तो राय साहब कृतकृत्य हो उठे. रुके नहीं थे आदित्य, बस औपचारिकता निभाई और चले गए. राय साहब ने भी कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझी थी. धनदौलत की तुला पर बेटी की खुशियों को तोलने वाले दद्दा ने उस के अंतस में झांकने का प्रयत्न ही कब किया था? जितने दिन सौदामिनी पीहर में रही, अम्मा, बाबूजी रोज उसे बुलवा भेजते थे. वह कभी कुछ नहीं कहती थी. बस, अपने खयालों में खोई रहती. आखिर एक दिन अम्मा ने बहुत कुरेदा तो वह पानी से भरे पात्र सी छलक उठी, ‘मेरी इच्छाअनिच्छा, भावनाओं, संवेदनाओं को जाने बिना, क्या मेरे जीवन में ठुकराया जाना ही लिखा है, चाची? एक ने ठुकराया तो दूसरे के आंगन में जा पहुंची. अब आदित्य ने ठुकराया है तो कहां जाऊं?’

अम्मा और बाबूजी ने विचारविमर्श कर के एक बार दद्दा को बेटी के जीवन का सही चित्र दिखलाना चाहा था. वस्तुस्थिति से पूरी तरह परिचित होने के बाद भी दद्दा न चौंके, न ही परेशान हुए. वैसे भी ब्याहता बिटिया को घर बिठा कर उन्हें समाज में अपनी बनीबनाई प्रतिष्ठा पर कालिख थोड़े ही पुतवानी थी. उन्होंने सौदामिनी को बहुत ही हलकेफुलके अंदाज में समझाया, ‘पुरुष तो स्वभाव से ही चंचल प्रकृति के होते हैं. हमारे जमाने में लोग मुजरों में जाया करते थे. अकसर रातें भी वहीं बिताते थे और घर की औरत को कानोंकान खबर नहीं होती थी. शुक्र कर बेटी, जो आदित्य ने अपने संबंध का सही चित्रण तेरे सामने किया है. अब यह तुझ पर निर्भर करता है कि तू किस तरह से उस को अपने पास लौटा कर लाती है.’

पिता द्वारा आदित्य का पक्ष लिया जाना उसे बुरा नहीं लगा था, बल्कि इस बात की तसल्ली दे गया था कि जैसे भी हो, उसे अपनी ससुराल में ही समझौता करना है.

समय धीरेधीरे सरकने लगा था. सौदामिनी को समय के साथ सबकुछ सहने की आदत सी पड़ने लगी थी. भीतर उठते विद्रोह का स्वर, कितना ही बवंडर मचाता, संस्कारों की मुहर उस के मौन को तोड़ने में बाधक सिद्ध होती.

इसी तरह 2 वर्ष बीत गए. सौदामिनी का हर संभव प्रयत्न व्यर्थ ही गया. आदित्य उस के पास लौट कर नहीं आए. स्नेह के पात्र की तरह आदमी घृणा के पात्र को एक नजर देखता अवश्य है, पर आदित्य के लिए उस की पत्नी मात्र एक मोम की गुडि़या थी, संवेदनाओं से कोसों दूर, हाड़मांस का एक पुतलाभर.

कभीकभी जीवन में इंसान को जब कोई विकल्प सामने नजर नहीं आता तो उस का सब्र सारी सीमाएं तोड़ कर ज्वालामुखी के लावे के समान बह निकलता है. ऐसा ही एक दिन सौदामिनी के साथ भी हुआ था. घर से बाहर जा रहे आदित्य का मार्ग रोक कर वह खड़ी हुई, ‘किस कुसूर की सजा आप मुझे दे रहे हैं? आखिर कब तक यों ही मुंह मोड़ कर मुझ से दूर भागते रहेंगे?’

‘सजा कुसूरवार को दी जाती है सौदामिनी, तुम ने तो कुसूर किया ही नहीं, तो फिर मैं तुम्हें कैसे सजा दे सकता हूं? मैं ने सुहागरात को ही तुम से स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि हमारा विवाह मात्र एक समझौता है. तुम चाहो तो यहां रहो, न चाहो तो कहीं भी जा सकती हो. मेरी ओर से तुम पूर्णरूप से स्वतंत्र हो.’

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उस रात आदित्य का स्वर धीमा था, पर इतना धीमा भी नहीं था कि हवेली की दीवारों को न भेद सके. एक कमरे से दूसरे कमरे का फासला ही कितना था. दीवान साहब के कानों में आदित्य का एकएक शब्द पिघले सीसे के समान उतरता गया. अपना ही खून इतना बेगैरत हो सकता है? क्या उन की बहू परित्यक्ता का सा जीवन बिताती आई है? इस की तो उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.

उन्होंने पत्नी को बुला कर कई प्रश्न किए, पर कोई भी उत्तर संतोषजनक नहीं लगा था. तारिणी पूर्णरूप से बेटे की ही पक्षधर बनी रही थीं. दीवान साहब ने सौदामिनी को पीहर लौट जाने का सुझाव दिया था. वह वहां भी नहीं गई.

तब जीवन की हर समस्या की ओर व्यावहारिक दृष्टिकोण रखने वाले दीवान साहब ने बहू को आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. दबी, सहमी सौदामिनी के लिए यह प्रस्ताव अप्रत्याशित सा ही था. बस, यही सोचसोच कर कांपती रही थी कि बरसों पहले छोड़ी गई किताब और कलम पकड़ने में कहीं हाथ कांपे तो क्या करेगी?

पर दृढ़निश्चयी दीवान साहब के आगे उस की एक भी न चली. उधर तारिणी ने सुना, तो घर में हड़कंप मच गया. पूरी हवेली की व्यवस्था ही चरमरा कर रह गई थी. इतने बरसों बाद बहू को पोथी का ज्ञान करवाना क्या उचित था? पर पति के सामने उन की आवाज घुट कर रह गई.

सौदामिनी की मेहनत, लगन और निष्ठा रंग लाई. उस का मनोबल बढ़ा, व्यक्तित्व में निखार आया. अब लोग उस की तरफ खिंचे चले आते थे, आदित्य का स्थान अब गौण हो चला था.

पत्नी के इस परिवर्तन पर आदित्य परेशान हो उठा था. वैसे भी पुरुष, नारी को अपने ऊपर या अपने समकक्ष कब देखना चाहता है. यदि चाहेअनचाहे पत्नी या उस के संबंधियों के प्रयास से ऐसा हो भी जाता है तो पुरुष की हीनभावना उसे उग्र बना देती है. ऐसा ही यहां भी हुआ था जो थोड़ाबहुत मान पति के अधीनस्थ हो कर उसे मिल रहा था, वह भी छिनता चला गया. पर सौदामिनी रुकी नहीं, आगे ही बढ़ती गई.

अमेरिका में उस के पत्र मुझे नियमित रूप से मिलते रहे थे. मन में राहत सी महसूस होती.

उधर दीवान साहब की दशा दिनपरदिन गिरती चली गई. बहू का दुख घुन के समान उन के शरीर को खाता जा रहा था. हर समय वे खुद को सौदामिनी का दोषी समझते. उस का जीवन उन्हें मझधार में फंसी हुई उस नाव के समान लगता, जिस का कोई किनारा ही न हो. भारीभरकम शरीर जर्जरावस्था में पहुंचता गया, जबान तालू से चिपकती गई. एक दिन देखते ही देखते उन के प्राणपखेरू उड़ गए और सौदामिनी अकेली रह गई.

उस दिन उसे लगा, वह रिक्त हो गई है. ऐसा कोई था भी तो नहीं, जो उस के दुख को समझ पाता. जिस कंधे का सहारा ले कर वह आंसुओं के चंद कतरे बहा सकती थी, वह भी तो स्पंदनहीन पड़ा था.

पिता की मृत्यु के बाद आदित्य पूर्णरूप से आजाद हो गया था. तेरहवीं की रस्म के बाद ही सूजी को घर में ला कर वह मुक्ति पर्व मनाने लगा था. सूजी उस के दिल की स्वामिनी तो थी ही, पूरे घर की स्वामिनी भी बन बैठी. घर की पूर्ण व्यवस्था पर उस का ही वर्चस्व था.

संवेदनशील सौदामिनी विस्मित हो पति का रवैया निहारती रह गई.

आदित्य का व्यवहार धीरेधीरे उसे परेशान नहीं, संतुलित करता गया. उस में निर्णय लेने की शक्ति आ गई थी.

अपने आखिरी पत्र में उस ने मुझे लिखा था…

‘सारे रस्मोंरिवाजों के बंधनों को तोड़ कर एक दिन मैं आजाद हो जाऊंगी. नासूर बन गए जुड़ाव की लहूलुहान पीड़ा से तो मुक्ति का सुख ज्यादा आनंददायक होगा. लगता है, वह समय आ गया है. अगर जिंदा रही तो जरूर मिलूंगी.

तुम्हारी सौदामिनी.’

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उस के बाद वह कहां गई, मैं नहीं जानती थी. दद्दा को भी मैं ने कई पत्र लिखे थे, पर उन्होंने तो शायद दीवान साहब की मृत्यु के बाद बेटी की सुध ही नहीं ली थी. बेटी को अपनी चौखट से विदा कर के ही उन के कर्तव्य की इतिश्री हो गई थी.

आगे पढ़ें- सौदामिनी गंभीर हो उठी थी. उसके…

Serial Story: सौदामिनी (भाग-1)

आबू की घुमावदार सड़कों और हरीभरी वादियों के बीच बसे उस छोटे से रमणीक स्थल पर मूकबधिरों की सेवा करती सौदामिनी से यों भेंट हो जाएगी, इस की तो मैं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. गहरा नीला रंग उसे सब से अधिक प्रिय था. गहरे नीले रंग की साड़ी में उस ने सलीके से अपनी दुर्बल काया को छिपा रखा था. हाथ में पकड़े पैन को, रजिस्टर पर तेजी से दौड़ाती हुई मैं उस को अपलक निहारती रह गई.

माथे पर चौड़ी लाल बिंदी और मांग में रक्तिम सिंदूर की आभा इस बात की पुष्टि कर रही थी कि इतना संघर्षभरा जीवन जीने के बाद भी अपने अतीत से जुड़े उन चंद पृष्ठों को वह अपने वर्तमान से दूर रखने में शायद असमर्थ थी. मेज की दराज से उस ने पुस्तकें निकालीं तो मैं ने उस का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पुकारा, ‘‘सौदामिनी, पहचाना नहीं क्या मुझे?’’

सौदामिनी चौंकी जरूर थी, पर मुझे पहचान लिया हो, ऐसा भी नहीं लगा था. वह अपनी जगह पर यों ही बैठी रही, न मुसकराई, न ही कुछ बोली. उस का शुद्ध व्यवहार मुझे अचरज में डाल गया था. सोचा, समय का अंतराल चाहे कितना ही क्यों न फैल जाए, इंसान का चेहरा, रूपरंग इतना तो नहीं बदल जाता कि उसे पहचाना ही न जा सके.

चश्मे को पोंछ कर उस ने फ्रेम को कुछ ऊपर खिसका दिया और पहचानने की कोशिश करने लगी. मैं ने फिर याद दिलाया, ‘‘सौदामिनी, मैं हूं, तनु, तुम्हारे अच्युत काका की बेटी.’’

‘‘अरे, तनु तुम? आओआओ, इतने बरसों बाद कैसे आना हुआ?’’ उस ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखते हुए पूछा.

फिर दराज बंद कर के उस ने चाबी का गुच्छा, पास ही खड़े चौकीदार को पकड़ाया और कमरा बंद करने का निर्देश दे कर बाहर निकल आई. कुछ ही कदमों के फासले पर हरीभरी झाडि़यों व लतिकाओं से घिरा हुआ उस का घर था. लौन का गेट खोल कर उस ने बाहर रखी चारपाई को, घुटने मोड़ कर सीधा किया और उस पर मोटी सी दरी बिछा कर बोली, ‘‘अमेरिका में रहते हुए तुम्हारी तो चारपाई पर बैठने की आदत छूट गई होगी? मुश्किल हो तो आरामकुरसी निकाल दूं?’’

‘‘कैसी बातें करती हो? यही सब तो वहां याद आता है…आम का अचार, उड़द की दाल की बडि़यां. सच पूछो तो यहां की मिट्टी की सोंधी महक ही तो बारबार मुझे खींच लाती है.’’

झुर्रीदार चेहरे पर हंसी प्रस्फुटित हुई थी, ‘‘अच्छा, यह तो बताओ, मेरा पता तुम्हें किस ने दिया?’’

‘‘अविनाश और मैं दोनों ही काम पर जाते हैं, इसलिए रोजरोज तो छुट्टी मिलती नहीं है. 5 वर्षों में एक बार आ पाते हैं. कुल मिला कर 3 सप्ताह की छुट्टी मिलती है, उन में 2 सप्ताह तो अम्मा, बाबूजी के पास रामपुर में ही बीत जाते हैं. बाकी एक सप्ताह किसी न किसी पहाड़ी जगह पर ही हम बिताते हैं. इस बार बच्चों ने आबू देखने की जिद की, तो यहीं चले आए.’’

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कुछ देर बाद चारों ओर पसरे मौन को मैं ने ही बींधा, ‘‘दरअसल, शारीरिक रूप से अपंग बच्चों पर मैं एक किताब लिख रही हूं. किसी ने तुम्हारे आश्रम का नाम सुझाया, तो यहीं चली आई.’’

मैं ने उसे वस्तुस्थिति से अवगत कराया. वह चुपचाप गुमसुम सी बैठी रही, जैसे न ही कुछ पूछना चाह रही हो, न ही कुछ कहने की इच्छुक हो. वातावरण कुछ बोझिल सा हो चला था. दिसंबर की ठंडी धूप सामने वाले पेड़ पर जा अटकी थी. ठंडी हवाओं से कुछ सिहरन सी महसूस हुई तो मैं ने शौल ओढ़ ली.

‘‘यहां अकसर शाम को ठंड बढ़ जाती है. चलो, अंदर चल कर बैठते हैं. अब तो अंधेरा भी होने लगा है.’’

दरवाजा खोल कर उस ने मुझे अंदर बिठाया और खुद अलमारी में से कुछ निकालने लगी. पलस्तर उखड़े कमरे में

4 कुरसियां और मेजपोश से ढकी मेज के अलावा, कोने में एक पुराना पलंग था, जिस पर कांच सी पारदर्शी आंखों में तटस्थ सा भाव लिए एक छोटा सा बालक लेटा था. सौदामिनी को देख कर उस के चेहरे पर स्मित हास्य के चिह्न मुखर हो उठे थे. न जाने कौन सी भाषा में वह उस से प्रश्न करता जा रहा था और वह भी उसी की भाषा में उस की जिज्ञासा शांत करती जा रही थी.

मैं एकटक उसे निहारती रह गई. बालों में छिटके चांदी के तार, चेहरे पर पड़ आई झुर्रियों ने उसे असमय ही बुढ़ापे की ओर धकेल दिया था. दुग्ध धवल सा गौर वर्ण आबनूस की तरह काला हो चुका था. भराभरा सा गदराया शरीर संघर्ष करतेकरते दुर्बल काया का रूप ले चुका था.

‘‘यह मानव है, मेरा बेटा, बहुत प्यारा है न?’’ बच्चे के कपड़े बदलते हुए उस ने मुझ से कहा तो मैं चौंकी. कमरे में पसरी सड़ांध मेरे नथुनों में समाने लगी थी. बड़ी मुश्किल से मैं ने उबकाई को रोका. मेरी परेशानी माथे पर पड़ी सिलवटों से जाहिर हो उठी थी. वह शायद समझ गई थी. बोली, ‘‘वैसे तो हमेशा लघुशंका और दीर्घशंका के लिए संकेत देता है. आज ठंड कुछ ज्यादा है न, इसलिए…अच्छा, तुम बैठो, मैं चाय बना कर लाती हूं.’’

पर मेरा ध्यान कहीं और था, इस पसोपेश में थी कि यह बालक है कौन? जहां तक मुझे याद था, आदित्य के घर से जब वह लौटी थी तो निसंतान ही थी.

सौदामिनी चाय बनाने चली गई तो मैं पास ही पड़ी आरामकुरसी पर आंखें मूंद कर लेट गई. हवा के झोंकों से यादों के किवाड़ धीरेधीरे खुलने लगे तो मन दद्दा की हवेली में भटकने लगा था…

बाबूजी के चचेरे भाई थे, दद्दा. लोग उन्हें राय साहब भवानी प्रसाद के नाम से पहचानते थे. शहर के बीचोंबीच संगमरमर से बनी उन की कोठी की शान निराली थी.

दद्दा ने बड़ा ही निराला स्वभाव पाया, तबीयत शौकीन और अंदाज रईसी वाले. हर काम अपने ही ढंग से करते, न किसी के काम में हस्तक्षेप करते, न ही किसी की टीकाटिप्पणी बरदाश्त करते.

जन्म लेते ही सौदामिनी के सिर से मां का साया उठ गया था. पिता करोड़ों की जायदाद के इकलौते वारिस थे, पर प्यार और अपनत्व का आदानप्रदान करने में गजब के कंजूस. भावनाएं और संवेदनाएं तो उन्हें छू तक नहीं पाई थीं. हर शाम शहर के रईस लोगों के बीच शतरंज की बाजी खेलने वाले दद्दा ने अपनी बेटी के लालनपालन में कहीं कोताही की हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता. हर समय उस पर कड़ी निगरानी रखते थे.

सौदामिनी जरा सा सिसकती, तो दद्दा चिल्लाते. उन की चीखपुकार सुन कर सेविकाएं दौड़ी चली आतीं और बिटिया बिना दुलारेपुचकारे सहम कर यों ही चुप हो जाती. ठोकर खा कर गिरती, तो दद्दा एक ही गति में निरंतर चिंघाड़ते रहते. सेविकाओं की पेशी होती, कोई इधर दौड़ती कोई उधर भागती, और कोई खिलौनों की अलमारी के सामने जा खड़ी हो जाती पर सौदामिनी तो तब तक पिता का रौद्र रूप देख कर ही दहशत के मारे चुप हो चुकी होती थी.

स्कूल या कालेज सौदामिनी कभी गई ही नहीं. इस का कारण था, राय साहब की रूढि़वादी सोच. घर से बाहर बेटियों को निकालने के वे सख्त विरोधी थे. वे सोचते, लड़कों के संग बतिया कर उन की बिटिया कहीं भाग गई तो? पास ही एक मिशनरी स्कूल था, वहीं की एक ईसाई टीचर को उन्होंने सौदामिनी की शिक्षा के लिए नियुक्त कर दिया था. ऐसे में उस की शिक्षा का दायरा हिंदी, अंगरेजी की वर्णमाला तक ही सिमट कर रह गया था.

बेटी के प्रति अपनी आचारसंहिता में नित नए विधानों की रचना करने वाले दद्दा. उस के हर काम, हर गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखने लगे.

सौदामिनी हर समय व्याकुल रहती जीवन की उन सचाइयों से परिचित होने के लिए, जिन की चर्चा अकसर वह अपनी सहेलियों से सुन लिया करती थी.

कलकत्ता का राजभोग और मथुरा के पेड़े खाते समय उस का मन कच्चे अमरूद खाने के लिए तरसता. ऐसे में दोपहरी में हम दोनों दद्दा की नजरें चुरा कर पिछवाड़े की बगिया में जा पहुंचतीं. पेड़ पर चढ़ कर कच्चे अमरूद ढूंढ़ने का आनंद वैसा ही था जैसे किसी गोताखोर के लिए मोती ढूंढ़ने का.

एक दिन यह खबर, न जाने कैसे दद्दा के दीवानखाने जा पहुंची. और तब सौदामिनी की पेशी हुई.

पिता का तिरस्कारपूर्ण स्वर सुन कर बालहृदय छलनी हो गया. सहम कर अपना मुंह अपने नन्हेनन्हे हाथों से छिपा कर वह देर तक रोती रही.

सौदामिनी हर समय सहमीसिमटी रहती थी, न हंसती न बोलती. पिंजरे के तार चाहे सोने के हों या लोहे के, कैद तो आखिर कैद ही है.

धीरेधीरे उस का मनोबल गिरता चला गया. हाथपांव पसीने में भीगे रहते, जबान लड़खड़ाने लगी. रात को सोती तो चीखनेचिल्लाने लगती. कई हकीम, डाक्टर और वैद्यों का इलाज करवाया गया, पर सौदामिनी की दशा दिनपरदिन बिगड़ती ही चली गई.

एक दिन दद्दा के मुनीम अपने अनुज, डाक्टर मृदुल को सौदामिनी के इलाज के लिए ले आए. अचानक अपने सामने किसी नए डाक्टर को देख कर राय साहब असमंजस में पड़ गए. एक तो मुनीम का भाई, दूसरा अनुभवहीन. सोचा, जहां बड़ेबड़े डाक्टर कुछ नहीं कर पाए, यह नौसिखिया क्या कर लेगा? बस, यही सोच कर दद्दा चुप्पी साधे रहे.

पर सौदामिनी की ऐसी दशा अम्मा, बाबूजी से सहन नहीं हो पा रही थी. पहली बार अम्मा ने तब दद्दा के सामने मुंह खोला था और न जाने क्या सोच कर वे मान भी गए.

मृदुल की दवा से सौदामिनी की दशा दिनपरदिन सुधरने लगी. मृदुल जानते थे, उस का रोग शारीरिक कम, मानसिक अधिक है. दवा से ज्यादा उसे प्यार और अपनत्व की जरूरत है. उधर सौदामिनी को स्वास्थ्यलाभ मिला, इधर राय साहब के विश्वास की जड़ें मृदुल पर जमने लगीं. वह तेजस्वी व्यक्तित्व और विलक्षण बुद्धि का स्वामी था, सदा अपने आकर्षण में सब को बांधे रखता. घंटों सौदामिनी के पास बैठा रहता.

मृदुल की संवेदनाओं ने न जाने कब अपमान, उपेक्षा और तिरस्कार के वज्र खंड तले सहमीसिमटी सौदामिनी के हृदय की बसंती बयार को सुगंधित झोंके के समान छू कर उस के दिल में प्रेम का बीज अंकुरित कर दिया.

सौदामिनी मृदुल के साहचर्य के लिए हर समय तरसती. उधर मृदुल भी सौदामिनी के ठहाकों, मुसकराहटों और उलझनों से अनजाने ही जुड़ते चले गए.

शुरूशुरू में राय साहब को इस प्रेमप्रसंग की जरा भी जानकारी नहीं मिली. प्यार, स्नेह, आसक्ति जैसी नैसर्गिक भावनाएं उम्र के किसी भी सोपान पर, जीवन के किसी भी मोड़ पर स्वाभाविक रूप से जन्म ले सकती हैं. उन के नियम, विधान के संसार में ऐसा सोचना भी प्रतिबंधित सा था.

ऊंची मानमर्यादा और प्रतिष्ठा के स्वामी राय साहब लाखों का दहेज देने की सामर्थ्य रखते थे. मुनीम के भाई के साथ अपनी इकलौती बेटी को ब्याह कर समाज में अपनी प्रतिष्ठा पर उन्हें कालिख थोड़े ही पुतवानी थी.

मैं उस प्रेमकहानी को कभी नहीं भूली, जिस की एकएक ईंट, राय साहब ने अपने छल से गिरवा दी थी और रह गया था, एक खंडहर.

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कुछ दिनों के लिए सौदामिनी को दद्दा ने उस के ननिहाल भिजवा दिया था. नाना की तबीयत बेहद खराब थी, इसलिए उन की सेवा के लिए कोई तो चाहिए ही था. पिता के बारे में सौदामिनी के मन में कोई दुर्भावना नहीं उपजी और न ही कोई राय बनी. जब तक लौटी, मुनीम और उन का अनुज पूरे दृश्यपटल से ओझल हो चुके थे. मृदुल यों बिना बताए क्यों चले गए, कहां चले गए? इस की जरा भी भनक न सौदामिनी को मिली, न ही हवेली वालों को.

छल, प्रवंचनाओं के छद्म भेदों से दूर सौदामिनी का मन मैला करना कोई बहुत कठिन काम नहीं था. जीवन के गूढ़ रहस्यों से अनभिज्ञ भोलीभाली बेटी के सामने दद्दा ने मृदुल के चरित्र का ऐसा घिनौना चित्रण प्रस्तुत किया कि उस का मन मृदुल के प्रति वितृष्णा से भर उठा.

प्रेम में चोट खाए हृदय का दुख समय के साथ ही मिटता जाएगा, यह सभी जानते थे. दद्दा भी जानते थे कि वक्त बड़े से बड़े जख्म भर देता है. समय बीतता गया. सौदामिनी के रिसते घाव भरने लगे.

विश्वास, अविश्वास के चक्रवात में उलझी सौदामिनी अब एक बार फिर प्रेम का घरौंदा बनाने के लिए सुनहरे स्वप्न संजोने लगी थी. इस घर से भावनात्मक रूप से वह जुड़ी ही कब थी, जो यहां मन रमता? करोड़पति पिता ने करोड़पति परिवारों की खोज शुरू कर दी थी. रिश्तों की कमी न थी. पर दद्दा को हर रिश्ते में कोई न कोई खामी नजर आती ही थी.

आखिर एक दिन बड़ी ही जद्दोजेहद के बाद उन्हें दीवान दुर्गा प्रसाद का इकलौता बेटा आदित्य अपनी सौदामिनी के लिए उपयुक्त लगा. आदित्य डाक्टर था, व्यक्तित्व का ही नहीं, कृतित्व का भी धनी था.

अतीत के सारे दुखद प्रसंगों को भूल कर सौदामिनी खुद को कल्पनाओं के मोहक संसार में पिरोने लगी थी.

दोनों ही पक्षों ने दिल खोल कर खर्चा किया था. दीवान साहब की प्रतिष्ठा का अंदाजा बरात में आए लोगों की भीड़ देख कर लगाया जा सकता था. जीवनपर्यंत सुखदुख का साथी बने रहने का संकल्प ले कर सौदामिनी ने ससुराल की देहरी पर कदम रखा था.

रात्रि की नीरवता चारों ओर पसरी हुई थी. सभी मेहमान अपनेअपने कमरों में सो चुके थे. कमरे के बाहर उस की सास तारिणी सामान को सुव्यविस्थत करने में जुटी हुई थीं. रात्रि का तीसरा पहर भी ढलने को था. लेकिन आदित्य का दूरदूर तक कहीं पता न था.

सुबह की पहली किरण के साथ आदित्य कमरे में लौटे तो सौदामिनी और भी सिमट गई.

वे बिना कोई भूमिका बांधे पास ही पड़ी कुरसी पर बैठ गए और बोले, ‘सौदामिनी, हमारे समाज में मातापिता बेटे के लिए पत्नी नहीं, अपने लिए कुलवधू ढूंढ़ते हैं, गृहलक्ष्मी ढूंढ़ते हैं,’ आदित्य के स्वर में ऐसा भाव था, जिस ने सौदामिनी के मन को छू लिया.

‘मैं किसी और को प्यार करता हूं. सूजी नाम है उस का…मेरे ही अस्पताल में नर्स है. तुम्हें बुरा तो लगेगा, पर मैं सच कह रहा हूं. मैं ने तो तुम्हें एक नजर देखा भी नहीं था. कई बार मैं ने इस विवाह का विरोध किया, पर मां न मानीं. सच पूछो तो उन्होंने भी तुम्हारी धनसंपदा को ही पसंद किया है, तुम्हें नहीं,’ इतना कह कर आदित्य दूसरे कमरे में चले गए थे और छोड़ गए थे सूनापन.

कल्पना का महल खंडित हो चुका था. सौदामिनी अपनी जगह से हिली, न डुली. उसे लगा, वह जमीन में धंसती चली जा रही है. ऐसे समय में कोई नवविवाहिता कह भी क्या सकती है. बस, आदित्य के अगले वाक्य की प्रतीक्षा करती रही. वे लौट आए थे, ‘इस घर में तुम्हें सारे अधिकार मिलेंगे, पर मेरे हृदय पर अधिकार सूजी का ही होगा. उसे भुलाना मेरे वश में नहीं,’ आदित्य की आंखों में भावुकता से अश्रुकण छलक आए.

सौदामिनी सोच रही थी, अगर उस के दिल पर उस का अधिकार नहीं तो इस घर में रह कर क्या करेगी? किलेनुमा उस हवेली में वह खुद को कैदी ही समझ रही थी.

कुछ ही देर में आदित्य की मां थाल में नए वस्त्र और आभूषण ले कर आईं, जिन्हें अपने शरीर पर धारण कर के उसे आगंतुकों से शुभकामनाएं लेनी थीं. सौदामिनी ने मां का लाड़प्यार कभी देखा नहीं था, सुना जरूर था कि मां का हृदय विशाल होता है, एक वटवृक्ष की तरह, जिस की छाया तले न जाने कितने पौधे पुष्पित, पल्लवित होते हैं. बस, यही सोच कर उन का हाथ पकड़ कर सौदामिनी सिसक उठी, ‘मांजी, सबकुछ जानते हुए भी, आप ने मेरा जीवन बरबाद क्यों किया? आप को उन की प्रेमिका से ही उन का विवाह करवाना चाहिए था.’

तारिणी ने अपना हाथ छुड़ाते हुए रुखाई से कहा, ‘बहू, रिश्ते जोड़ते समय खानदान, जात, वर्ग, परंपरा जैसी कई बातों को ध्यान में रखना पड़ता है.’

कांपते स्वर में उस ने इतना ही कहा, ‘चाहे इन सब बातों के लिए किसी दूसरी लड़की के जीवन की सारी खुशियां ही दांव पर क्यों न लग जाएं?’

‘ऐसा कुछ नहीं होता, बहू. पत्नी में सामर्थ्य हो तो साम, दाम, दंड, भेद जैसा कोई भी अस्त्र प्रयोग कर के अपने पति का मन जीत सकती है.’

सास ने कहा, ‘देखो सौदामिनी, तुम इस घर की बहू हो. इस घर की मानमर्यादा तुम्हें ही बना कर रखनी है. समाज में हमारा नाम है, इज्जत है. आदित्य और सूजी के संबंधों पर परदा पड़ा रहे, इसी में तुम्हारी भलाई है और हम सब की भी. किसी को इस विषय में कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए. तुम्हारे ससुर दीवान साहब को भी पता नहीं चलना चाहिए. वे दिल के मरीज हैं. उन का ध्यान रख कर ही मैं ने तुम्हें इस घर की बहू बनाया है, वरना सूजी ही आती इस घर में. अगर उन्हें कुछ हो गया तो इस का उत्तरदायित्व तुम पर ही होगा.’

सभी का अपनाअपना मत था. कोई मजबूरी जतला रहा था, कोई धमकी दे रहा था. सौदामिनी को समाज के कठघरे में खड़ा करने वाले उस के तथाकथित संबंधी, उस की भावनाओं से सर्वथा अनभिज्ञ थे. राय साहब के साम्राज्य की इकलौती राजकुमारी का अस्तित्व ससुराल वालों ने कितनी बेरहमी से नकार दिया था.

नववधू अपमान का घूंट पी कर रह गई थी. न जाने क्यों, उस दिन मृदुल बहुत याद आए थे, ‘क्यों छोड़ कर चले गए उसे यों मझधार में? कम से कम एक बार मिल तो लेते, कुछ कहनेसुनने का मौका तो दिया होता.’

दीवान साहब नेक इंसान थे. एक बार सौदामिनी के जी में आया कि वह उन से सबकुछ कह दे, पर सहज नहीं लगा था. वह होंठ सीए रही थी.

– क्रमश:

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Serial Story: सौदामिनी (भाग-3)

सामने मेज पर रखी चाय बर्फ के समान ठंडी हो चुकी थी. गुमसुम सी बैठी सौदामिनी से मैं ने प्रश्न किया, ‘‘दीवान साहब के घर से निकल कर तुम कहां गईं, कहां रहीं?’’

सौदामिनी गंभीर हो उठी थी. उस के माथे पर सिलवटें सी पड़ गईं. ऐसा लगा, उस के सीने में जो अपमान जमा है, एक बार फिर पिघलने लगा है.

‘‘तनु, अतीत को कुरेद कर, वर्तमान को गंधाने से क्या लाभ? उन धुंधली यादों को अपने जीवन की पुस्तक से मैं फाड़ चुकी हूं.’’

‘‘जानती हूं, लेकिन फिर भी, जो हमारे अपने होते हैं और जिन्हें हम बेहद प्यार करते हैं, उन से कुछ पूछने का हक तो होता है न हमें. क्या यह अधिकार भी मुझे नहीं दोगी?’’

आत्मीयता के चंद शब्द सुन कर उस की आंखें भीग गईं. अवरुद्ध स्वर, कितनी मुश्किल से कंठ से बाहर निकला होगा, इस का अंदाजा मैं ने लगा लिया था.

‘‘जिस समय आदित्य की चौखट लांघ कर बाहर निकली थी, विश्वासअविश्वास के चक्रवात में उलझी मैं ऐसे दोराहे पर खड़ी थी, जहां से एक सीधीसपाट सड़क मायके की देहरी पर खत्म होती थी. पर वहां कौन था मेरा? सो, लौटने का सवाल ही नहीं उठता था.

‘‘आत्महत्या करने का प्रयास भी कई बार किया था, पर नाकाम रही थी. अगर जीवन के प्रति जिजीविषा बनी हुई हो तो मृत्युवरण भी कैसे हो सकता है? इतने बरसों बाद अपनी सूनी आंखों में मोहभंग का इतिहास समेटे जब मैं घर से निकली थी तो मेरे पास कुछ भी नहीं था, सिवा सोने की 4 चूडि़यों के. उन्हें मैं ने कब सुनार के पास बेचा, और कब ट्रेन में चढ़ कर यहां माउंट आबू पहुंच गई, याद ही नहीं. यहांवहां भटकती रही.

‘‘ऐसी ही एक शाम मैं गश खा कर गिर पड़ी. पर जब आंख खुली तो अपने सामने श्वेत वस्त्रधारी, एक महिला को खड़े पाया. उस के चेहरे पर पांडित्य के लक्षण थे. उस के हाथ में ढेर सारी दवाइयां थीं. मिसरी पगे स्वर में उस ने पूछा, ‘कहां जाना है, बहन? चलो, मैं तुम्हें छोड़ आती हूं.’

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‘‘किसी अजनबी के सामने अपना परिचय देने में डर लग रहा था. वैसे भी अपने गंतव्य के विषय में जब खुद मुझे ही कुछ नहीं मालूम था तो उसे क्या बताती. उस के चेहरे पर ममता और दया के भाव परिलक्षित हो उठे थे. मेरे आंसुओं को वह धीरेधीरे पोंछती रही. उस ने मुझे अपने साथ चलने को कहा और यहां इस आश्रम में ले आई.

‘‘कई दिनों से बंद पड़े एक कमरे को उस ने भली प्रकार से साफ करवाया, रोजमर्रा की जरूरी चीजों को मेरे लिए जुटा कर वह मेरे पास ही बैठ गई. कुछ देर बाद उस ने मेरे अतीत को फिर से कुरेदा तो मैं ने हिचकियों के बीच सचाई उसे बता दी.

‘‘उस का नाम श्यामली था. एक दिन वह बोली, ‘यों कब तक अंधेरे में मुंह छिपा कर बैठी रहोगी, सौदामिनी. जब जीवन का हर द्वार बंद हो जाए तो जी कर भी क्या करेगा इंसान?

‘‘‘जीवन एक अमूल्य निधि है, इसे गंवाना कहां की अक्लमंदी है? केवल भावनाओं और संवेदनाओं के सहारे जीवन नहीं जीया जा सकता. जीविकोपार्जन के लिए कुछ न कुछ साधन जुटाने पड़ते हैं.’

‘‘श्यामली इसी आश्रम की संचालिका थी. बरसों पहले उस ने और उस के डाक्टर पति ने इस आश्रम को स्थापित किया था. वह मुझे इसी आश्रम में बने एक स्कूल में ले गई. इधरउधर छिटकी, बिखरी कलियों को समेट कर एक कक्षा में बिठा कर पढ़ाना शुरू किया तो लगा, पूर्ण मातृत्व को प्राप्त कर लिया है. घर के बाहर कुछ सब्जियां वगैरा उगा ली थीं. समय भी बीत जाता, खर्च में भी बचत हो जाती.

‘‘दिन तो अच्छा बीत जाता था. शाम को अकेली बैठती तो गहरी उदासी के बादल चारों ओर घिर आते थे. श्यामली अकसर मुझे अपने घर बुलाती, पर कहीं जाने का मन ही नहीं करता था.

‘‘कई आघातों के बाद जीवन ने एक स्वाभाविक गति पकड़ ली थी. सहज होने में कितना भी समय क्यों न लगा हो, जीवन मंथर गति से चलने लगा था. अतीत की यादें परछाईं की तरह मिटने लगी थीं. उसी वातावरण में रमती गई, तो जीवन रास आने लगा.

‘‘इधर एक हफ्ते से श्यामली मुझ से मिली नहीं थी. मैं अचरज में थी कि वह इतने दिनों तक अनुपस्थित कैसे रह सकती है. कभी उस के घर गई नहीं थी. इसलिए कदम उठ ही नहीं रहे थे. पर जब मन न माना तो मैं उसी ओर चल दी.

‘‘दरवाजा श्यामली ने ही खोला था. मुझे देख कर उस के चेहरे पर स्मित हास्य के चिह्न मुखर हो उठे थे. उसे देख कर मुझे अपने अंदर कुछ सरकता सा महसूस हुआ. पहले से वह बेहद कमजोर लग रही थी.

‘‘उस ने आगे बढ़ कर मेरे कंधे पर हाथ रखा और अंदर ले गई. पालने में एक बालक लेटा हुआ था. मानसिक रूप से उस का पूर्ण विकास अवरुद्ध हो गया है, ऐसा मुझे महसूस हुआ था. पूरे घर में शांति थी.

‘‘‘पिछले कुछ दिनों से मेरे पति की तबीयत अचानक खराब हो गई. आजकल रोज अस्पताल जाना पड़ता है,’ उस ने बताया.

‘‘क्या कहते हैं, डाक्टर?’

‘‘‘उन्हें कैंसर है,’ उस का स्वर धीमा था.

‘‘कुछ देर बाद उस के पति के कराहने का स्वर सुनाई दिया, तो वह अंदर चली गई. साथ ही, मुझे भी अपने पीछे आने को कहा.

‘‘दुर्बल शरीर, खिचड़ी से बेतरतीब बाल, लंबी दाढ़ी…पर मैं उसे एक पल में पहचान गई थी. सामने मृदुल मृत्युशय्या पर लेटा था. सैलाब के क्षणों में जैसे समूची धरती उलटपलट जाती है, वैसे ही मेरे अंतस में भयावह हाहाकार जाग उठा था. वक्त ने कैसा क्रूर मजाक किया था, मेरे साथ? अतीत के जिस प्रसंग को मैं भूल चुकी थी, वर्तमान बन कर मेरे सामने खड़ा था. वितृष्णा, विरक्ति, घृणा जैसे भाव मेरे चेहरे पर मुखरित हो उठे थे. उस की पीड़ा देख कर मेरे चेहरे पर संतोष का भाव उभर आया.

‘‘‘अगर तुम यहां मृदुल के पास कुछ समय बैठो, तो मैं आश्रम का निरीक्षण कर आऊं?’ श्यामली ने मुझे वर्तमान में धकेला था.

‘‘‘हांहां, तुम निश्ंिचत हो कर जाओ, मैं यहीं पर हूं.’

‘‘श्यामली के जाने के बाद वातावरण असहज हो उठा था. मैं अपनेआप में सिमटती जा रही थी. मृदुल की मुंदी हुई आंखें हौलेहौले खुलने लगी थीं. उस के हावभाव में बेहद ठंडापन था. झील जैसी शांत शीतल छाया बिखेरती निगाहें उठा कर उस ने मुझे देखा और अपने पास रखी कुरसी पर बैठने को कहा. फिर हौले से बोला, ‘तुम यहां, इस शहर में?’

‘‘‘और अगर यही प्रश्न मैं तुम से करूं तो? मृदुल, क्या सपनों के राजकुमार यों ही जिंदगी में आते हैं? अगर श्यामली से ही ब्याह करना था तो मुझ से प्रेम ही क्यों किया था? मुझे तो अकेले जीने की आदत थी.’ रुलाई को बमुश्किल संयत करते हुए मैं ने पूछा तो उस ने अपनी कांपती मुट्ठी में मेरी दोनों हथेलियों को कस कर पकड़ लिया.

‘‘उस के स्पर्श में दया, ममता और अपनत्व के भाव थे. वह हौले से बोला, ‘क्या दोषारोपण के सारे अधिकार तुम्हारे ही पास हैं? मुझे लगता है तुम ने उतना ही सुना और समझा है, जितना शायद तुम ने सुनना और समझना चाहा है. अपने इर्दगिर्द की सारी सीमाएं तोड़ दो और फिर देखो, क्या कोई फरेब दिखता है, तुम्हें?’

‘‘मैं उसे एकटक निहारती रही. अपना सिर पीछे दीवार से टिका कर उस ने आंखें बंद कर लीं. उन बंद आंखों के पीछे बहुतकुछ था, जो अनकहा था.

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‘‘आखिर मृदुल ने खुद ही मौन बींधा, ‘तुम्हारे पिता राय साहब बड़े आदमी थे. वहां का रुख तक वे अपने अनुसार मोड़ने में सिद्धहस्त थे. यह मुझ से ज्यादा शायद तुम समझती होगी. जिन दिनों मैं तुम्हारे पास आया करता था, मेरे भैया की तबीयत अचानक खराब हो गई थी. डाक्टर ने दिल का औपरेशन करने का सुझाव दिया था. देखा जाए तो भारत में न डाक्टरों की कमी है, न ही अस्पतालों की, पर तुम्हारे पिता ने उस समय मुझे भैया को ले कर अमेरिका में औपरेशन करने का सुझाव दिया था.

‘‘‘तुम तो जानती हो, मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, पर राय साहब ने आननफानन सारी तैयारी करवा कर 2 टिकट मेरे हाथ में पकड़वा दिए थे. उस समय मेरा मन उन के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक हो उठा था.

‘‘‘तुम सोच रही होगी, मैं तुम से मिलने क्यों नहीं आया? मैं तुम्हारे घर गया था, पर तब तक तुम ननिहाल जा चुकी थीं. कुछ ही दिन बीते तो अमेरिका में तुम्हारे ब्याह की खबर सुनी थी. तुम्हारे पिता के प्रति मन घृणा से भर उठा था. शतरंज की बिसात पर 2 युवा प्रेमियों को मुहरों की तरह प्रयोग कर के कितनी कुशलता से उन्होंने बाजी जीत ली थी. फिर तुम ने भी तो सच को समझने का प्रयास ही नहीं किया.’

‘‘छोटे बालक की तरह वह सिसकता रहा. अतीत की धूमिल यादें, एक बार फिर मानसपटल पर साकार हो उठी थीं. झूठी मानमर्यादा और सामाजिक प्रतिष्ठा की दुहाई देने वाले मेरे पिता को, 2 युवा प्रेमियों को अलग करने से क्या मिला? मृदुल को तो फिर भी गृहस्थी और पत्नी का सुख मिला था. लुटती तो मैं ही रही थी. कितनी देर तक पीड़ा के तिनके हृदयपटल से बुहारने का प्रयास करती रही थी, पर बरसों से जमी पीड़ा को पिघलने में समय तो लगता ही है.

‘‘घर पहुंच कर सुख को मैं कोसने लगी कि मृदुल से क्यों मिली. मृगतृष्णा ही सही, आश्वस्त तो थी कि उस ने मुझे छला है. धोखा दिया है. अब तो घृणा का स्थान दया ने ले लिया था. उस से मिलने को मन हर समय आतुर रहता. उस के सान्निध्य में, कुंआरे सपने साकार होने लगते. यह जानते हुए भी कि मैं अंधेरी गुफा की ओर बढ़ रही हूं, खुद को रोक पाने में अक्षम थी.

‘‘एक दिन मेरे अंतस से पुरजोर आवाज उभरी, ‘यह क्या कर  रही है तू? जिस महिला ने तुझे जीवनदान दिया, जीने की दिशा सुझाई, उसी का सुखचैन लूट रही है. मृदुल तेरा पूर्व प्रेमी सही, अब श्यामली का पति है. फिर तू भी तो आदित्य की ब्याहता पत्नी है. श्यामली के जीवन में विष घोल रही है?’

‘‘मन ने धिक्कारा, तो पैरों में खुदबखुद बेडि़यां पड़ गईं. श्यामली से भी मैं दूर भागने लगी थी. अपने ही काम में व्यस्त रहती. मन उचटता तो गूंगेबहरे, विक्षिप्त बच्चों के पास जा पहुंचती. इस से राहत सी महसूस होती थी. श्यामली संदेशा भिजवाती भी, तो बड़ी ही सफाई से टाल जाती.

‘‘एक रात श्यामली के घर से करुण क्रंदन सुनाई दिया था. मन हाहाकार कर उठा. दौड़ती हुई मैं श्यामली के पास जा पहुंची, लोगों की भीड़ जमा थी.

‘‘पाषाण प्रतिमा बनी श्यामली पति के सिरहाने गुमसुम सी बैठी थी. पास ही, उस का बेटा लेटा हुआ था. सच, पुरुष का साया मात्र उठ जाने से औरत कितनी असहाय हो उठती है. मुझे जिंदगी ने छला था तो उसे मौत ने.

‘‘उस दिन के बाद मैं प्रतिदिन श्यामली के पास जाती. घंटों उस के पास बैठी रहती. उस की खामोश आंखों में मृदुल की छवि समाई हुई थी.

‘‘पति की मौत का दुख घुन की तरह उस के शरीर को बींधता रहा था. उस की तबीयत दिनपरदिन बिगड़ने लगी थी. वह अकसर कहती, ‘मृदुल बहुत नेक इंसान थे. जीवन के इस महासागर में, उन्हें बहुत कम समय व्यतीत करना है, यह शायद वे जानते थे. उन्होंने कभी किसी को चोट नहीं पहुंचाई, कभी किसी को दुख नहीं दिया. पर अब मुझे जीवन की तल्खियों से जूझने के लिए अकेला क्यों छोड़ गए?’

‘‘जब निविड़ अंधकार में प्रकाश की कोई किरण दिखाई नहीं देती, तब आदमी जिंदगी की डोर झटक कर तोड़ देने को मजबूर हो जाता होगा. श्यामली का जीवन भी ऐसा ही अंधकारपूर्ण हो गया होगा, तभी तो एक दिन चुपके से उस ने प्राण त्याग दिए थे और जा पहुंची थी अपने मृदुल के पास.

‘‘मृदुल की मृत्यु के बाद मैं उसी के घर में उस के साथ रहने लगी थी. हर समय उस का बेटा मेरे ही पास रहता. हर समय उस के मुख पर एक ही प्रश्न रहता कि उस के बाद उस के बेटे का क्या होगा? मैं उसे धीरज बंधाती, उस का मनोबल बढ़ाती, पर वह भीतर ही भीतर घुटती रहती.

‘‘‘जीने का मोह ही नहीं रहा,’ उस ने एक दिन बुझीबुझी आंखों से कहा था, ‘एक बात कहूं? मेरी मृत्यु के बाद इस आश्रम और मेरे बेटे मानव का दायित्व तुम्हारे कंधों पर होगा,’ उसे मेरी हां का इंतजार था, ‘हमारा रुपयापैसा, जमापूजीं तुम्हारी हुई सौदामिनी…’

‘‘मैं चुप थी. क्या इतना बड़ा उत्तरदायित्व मैं संभाल सकूंगी? मन इसी ऊहापोह में था.

‘‘फिर थोड़ा रुक कर वह बोली, ‘मृत्युवरण से कुछ समय पूर्व ही मृदुल ने अपने और तुम्हारे संबंधों के बारे में मुझे सबकुछ बता दिया था. यह भी कहा था कि अगर मुझे कुछ हो जाए तो मानव का दायित्व मैं तुम्हें सौंप दूं. उन की अंतिम इच्छा क्या पूरी नहीं करोगी? एक बार हां कह दो, तो चैन से इस संसार से विदा ले लूं.’

‘‘मन कृतकृत्य हो उठा था. साथ ही, मृदुल का मेरे प्रति अटूट विश्वास इस अवधारणा से मुक्त कर गया था कि सप्तपदी और विवाह का अनुष्ठान तो मात्र एक मुहर है जो 2 इंसानों को जोड़ता है. असल तो है, मन से मन का मिलन.

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‘‘मानव का उत्तरदायित्व लेने से हिचकिचाहट तो हुई थी. एक बार फिर समाज और इस के लोग मेरे सामने आ गए थे. मन कांपा था, लोग अफवाहें फैलाएंगे. फिकरे कसेंगे, पर एक झटके से मन पर नियंत्रण भी पा लिया था. सोचा, जिस समाज ने हमेशा घाव ही दिए, उस की चिंता कर के इस बच्चे का जीवन क्यों बरबाद करूं? मृदुल के विश्वास को क्यों धोखा दूं?’’

आसमान पर चांद का टुकड़ा कब खिड़की की राह कमरे में दाखिल हो गया, हम दोनों को पता ही नहीं चला. मैं उठ कर बाहर आई, तो चांद मुसकरा रहा था.

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