Serial Story: नया अध्याय (भाग-2)

लेखिका- सुधा थपलियाल

थोड़ी देर में एक दरवाजा खुलने की आवाज आई. एक लंबी, गौरवर्ण, सुंदर सी लड़की अस्तव्यस्त सी गाउन को पहने हुए बाहर निकली.

‘मम्मी, यह कैसा शोर हो रहा है? मैम, आप?’ प्राची को देखते ही उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

नफरत की निगाहों से रीना को घूरती हुई प्राची उस कमरे की ओर जाने लगी जहां से रीना निकली थी. घबराई सी रीना ने उसे रोकने की असफल कोशिश की. प्राची ने एक ओर उसे धक्का दे कर कमरे में घुस गई. मनीष बिस्तर पर आराम से निर्वस्त्र बेखबर सो रहा था. चादर एक ओर सरकी हुई थी.

‘मनीष,’ पूरी ताकत से प्राची चिल्लाई.

आंखें मलता हुआ मनीष उठा. प्राची को देख कर वह निहायत ही आश्चर्य से भर गया. सकपकाते हुए अपने को ढकने की कोशिश करने लगा.

‘नंगे तो तुम हो ही चुके हो, ढकने के लिए बचा ही क्या है?’ शर्ट उस की तरफ फेंकती हुई हिकारत से प्राची बोली और कमरे से बाहर आ गई.

रीना सिटपिटाई सी खड़ी हुई थी. थोड़ी देर में मनीष भी कपड़े पहन कर बाहर आ कर प्राची का हाथ पकड़ कर बाहर जाने के लिए मुड़ा. प्राची ने गुस्से से अपना हाथ झटक दिया. जातेजाते रीना की मां से प्राची बोली, ‘शर्म नहीं आती तुम्हें, तुम्हारे ही सामने, तुम्हारी बेटी किसी पराए आदमी के साथ सो रही है.’

‘हमारे बारे में क्या बक रही है, अपने आदमी से पूछ,’ बेशर्मी से उस औरत ने जवाब दिया.

‘तो… यह है तुम्हारा स्तर,’ मनीष की ओर देखती व्यंग्य से प्राची कह एक झटके में बाहर निकल गई.

‘प्राची, प्राची,’ मनीष बोलता ही रह गया.

रात की निस्तब्धता और कालिमा कैब में बैठी प्राची के अंतर्मन को भेद कर उस को तारतार कर रही थी. एक आंधी सी उस के अंदर उठ रही थी. जिस में उड़ा चला जा रहा था उस का मानसम्मान, प्रेम और विश्वास. दर्द घनीभूत हो सैलाब बन कर उस की आंखों से बह निकला.

‘मैम,’ ड्राइवर ने कहा.

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‘ओह,’ भारी आवाज में प्राची ने कहा और पेमेंट कर थके कदमों से घर में प्रवेश किया. आज अपना ही घर कितना पराया सा लग रहा था. थोड़ी देर में मनीष भी पहुंच गया. उस की हिम्मत नहीं हुई प्राची से कुछ बोलने की. वह सीधे बैडरूम में चला गया. प्राची वहीं सोफे पर ढह गई. मस्तिष्क में उठा बवंडर रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. मन कर रहा था कि अभी जा कर मनीष को झकझोर कर पूछे ‘क्यों किया मेरे साथ ऐसा’. फिर अनिता का खयाल आते ही खामोश हो गई. आहत मन सोने नहीं दे रहा था. समय बहुत भारी लग रहा था. घड़ी में देखा सुबह के 5 बज रहे थे. दिल, दिमाग से टूटे शरीर को कब नींद ने अपनी आगोश में ले लिया, पता ही न चला.

‘मम्मा,’ पीहू अपने नन्हेंनन्हें हाथों से उसे उठा रही थी. प्राची एकदम से उठी. घड़ी सुबह के 10 बजा रही थी. समय देख कर प्राची हड़बड़ा गई. मनीष नर्सिंग होम जा चुका था. रात की बात याद कर एक बार लगा शायद कोई बुरा सपना देखा. अगले ही पल सचाई का एहसास होते ही पीहू को गोदी में उठा कर अपनी आगोश में भर कर जोरजोर से रोने लगी. किचन में पीहू के लिए कुछ बना रही अनिता एकदम से घबरा गई. पीहू भी ‘मम्मा…मम्मा’ कहते रोने लगी.

‘क्या हुआ मैडम,’ असमंजस से भरी अनिता बोली.

‘कुछ नही,’ आंसूओं को पोंछ्ती हुई प्राची बोली.

अचानक याद आया प्राची को कि 12 बजे औफिस में मीटिंग थी. तुरंत फोन पर सूचित किया कि वह औफिस नहीं आ पाएगी. पीहू को ले कर वह बैडरूम में चली गई. जिस घर में वह औफिस से आने के लिए बेचैन रहती थी, आज वही घर उस को काटने को आ रहा था. मन कर रहा था कि पीहू को ले कर भाग जाए यहां से. मनीष के प्रति मन घृणा से भर गया. मन कर रहा था कि कभी उस की शक्ल न देखे. किस को बताए, मां को… वह तो हार्ट की पेशेंट है. अपने सासससुर को, हां, यह ठीक रहेगा. रोतेरोते प्राची ने उन्हें सारी बातें बता दीं. सासससुर दोनों सन्न रह गए. अपने बेटे को धिक्कारते हुए और स्वयं अपने बेटे के इस कुकृत्य के लिए प्राची से माफी मांगने लगे.

शाम को मनीष जब नर्सिंग होम से वापस आया तो प्राची से माफी मांगने लगा.

‘क्यों किया तुम ने मेरे साथ विश्वासघात?’ मनीष का हाथ पकड़ कर प्राची चीख उठी.

‘तुम तो अपने जौब में इतनी व्यस्त रहती थीं, मेरे लिए तुम्हारे पास समय ही नहीं था,’ बेशर्मी से मनीष बोला.

‘किस के लिए व्यस्त रहती थी, अपने परिवार के लिए. तुम्हारा ही तो सपना था नर्सिंग होम का,’ मनीष के तर्कों से हैरान हो प्राची बोली.

मनीष अपने बचाव में जितना गिरता जा रहा था, प्राची उतना ही आहत होती जा रही थी. दोनों को लड़ते देख पीहू जोरजोर से रोने लगी. फिर तपाक से मनीष उठा और इंसानियत, प्यार, विश्वास सब का गला घोंट कर भड़ाक से दरवाजा खोल कर बाहर चला गया.

उस के बाद तो कुछ भी सामान्य नहीं रहा. अभी वह सोच ही रही थी कि क्या करे कि पता चला कि रीना मां बनने वाली है.

‘निकलो यहां से, मुझे तुम से कोई रिश्ता नहीं रखना,’ प्राची अपना आपा खो चुकी थी.

‘यह मेरा भी घर है,’ मनीष ने भी ऊंची आवाज में कहा.

‘मत भूलना यह गाड़ी और फ्लैट मेरे नाम हैं, और मैं, इन की किस्तें भर रही हूं,’ क्रोध से कांपती हुई प्राची बोली.

मनीष ने बिना वक्त गंवाए अपना सामान पैक किया और बाहर निकल गया. उस के बाद तो मनीष जैसे घर को भूल ही गया. मनीष की बातों से आहत, आक्रोशित प्राची एक घुटन सी महसूस कर रही थी, जो उस को अंदर ही अंदर से तोड़ रही थी. आखिर, उस ने अपनी मां, सासससुर, दीदीजीजा सब को बुला कर अपना निर्णय सुना दिया तलाक लेने का. सब ने बोलना शुरू कर दिया…इतना आसान नहीं यह सब. कैसे रहेगी अकेले. पीहू का क्या होगा? हम समझाएंगे मनीष को…

लेकिन रीना के मोहजाल में फंसा मनीष तो जैसे तलाक लेने के लिए पहले से ही तैयार बैठा था. किसी के समझाने का उस पर कोई असर न प‌ड़ा. आपसी सहमति से तलाक मिलने में ज्यादा समय न लगा. सारे परिजन बेबसी से दर्शक बने खड़े रह गए. वह दिन अच्छे से याद है प्राची को जब कोर्ट ने उन के तलाक पर मुहर लगाई थी. उस दिन रीना भी मौजूद थी. उस के चेहरे पर खिंची विद्रूप विजयी मुसकान आज भी प्राची के दिल को छलनी कर देती है. मनीष उस के पास आया और पीहू को गोदी में उठाने की कोशिश की. प्राची ने एकदम से पीहू को अपनी बांहों में जकड़ कर कठोर शब्दों में बोली, ‘मेरी बेटी को छूने की भी हिम्मत मत करना.’ और तेज कदमों से पीहू को ले कर चली गई. मनीष देखता ही रह गया.

एकएक कर के सब घर वाले प्राची को तसल्ली दे कर चले गए मां को छोड़ कर. मां भी कब तक रहती, एक दिन वह भी चली गई. फिर एक दिन मनीष आया, अपना बाकी सामान, कपड़े बगैरह लेने. प्राची ने अपने को और पीहू को गैस्टरूम में बंद कर लिया. मनीष ‘पीहूपीहू’ बोलता ही रह गया. प्राची को मनीष का पीहू के लिए तड़पना सुकून सा दे रहा था. मनीष ने जो उस के साथ विश्वासघात किया था, बिना उस की किसी गलती के उस को जो वेदना दी थी, उस की यह सजा तो उस को मिलनी ही चाहिए.

आगे पढ़ें- औफिस वालों का बहुत सहयोग प्राची को मिल रहा था…..

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शादी के 5 साल बाद रणबीर कपूर की इस एक्ट्रेस ने लिया तलाक, पढ़ें खबर

बौलीवुड फिल्म बचना ए हसीनो में रणबीर कपूर के साथ स्क्रीन शेयर कर चुकीं एक्ट्रेस मिनिषा लांबा इन दिनों सुर्खियों में है, जिसकी वजह उनकी कोई फिल्म नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ है. दरअसल एक्ट्रेस मिनिषा लांबा (Minissha Lamba) ने शादी के बाद 5 साल बाद पति से तलाक लेने का फैसला किया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

शादी के 5 साल बाद लिया तलाक

जानी-मानी एक्ट्रेस मिनिषा लांबा ने अपने पति रयान थाम को 5 साल बाद तलाक दे दिया है. मिनिशा लांबा और रयान थाम की पहली मुलाकात साल 2013 में जुहू स्थ‍ित एक नाइट क्लब में हुई थी. इसी मुलाकात के बाद दोनों के बीच दोस्ती हो गई और ये करीब आने लगे, जिसके बाद साल 2015 में दोनों ने शादी की थी.

 

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Reports: Minissha Lamba and Ryan Tham are officially divorced… #minisshalamba #divorce #bollywood #filmcircle #filmybindiya @minissha_lamba

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शादी में खास मेहमान हुए थे शामिल

मिनिषा लांबा और रयान थाम ने 6 जून 2015 को कोर्ट में शादी की थी. लेकिन मिनिषा लांबा और रयान थाम की शादी में केवल खास लोग ही शामिल हुए थे, जिसमें फैमिली और फ्रेंड्स के अलावा इंडस्ट्री के कुछ खास लोग शामिल हुए थे.

बिग बौस कंटेस्टेंट डियांड्रा सोरेस आईं थीं नजर

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मिनिषा लांबा की शादी में उनकी दोस्त और बिग बॉस फेम डियांड्रा सोरेस ने जमकर मस्ती करती नजर आईं थीं. वहीं पार्टी में मिनिषा लांबा अपने ससुर के साथ जमकर फोटोज खिंचवाते हुए भी नजर आईं थीं. साथ ही मिनिषा लांबा और रयान थाम को उनके फैंमिली मेंबर्स ने आशीर्वाद किया था. हर किसी को उम्मीद थी कि इनका रिश्ता सात जन्मों तक चलेगा लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

 

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Let ur big day be as beautiful as u guys ! Let the party begin ! #minisshalamba #ryantham

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बता दें, मिनिषा लांबा के अलावा कई बौलीवुड और टीवी एक्ट्रेसेस अपना शादी का रिश्ता तोड़ चुकी हैं, जिसमें मलाइका अरोड़ा से लेकर श्वेता तिवारी तक का नाम शामिल है.

आखिर क्यों नेहा कक्कड़ को बनाने पड़े गोबर के उपले, Video हुआ Viral

 बॉलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ आए दिन सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. जहां कभी उनकी सौंग तो कभी डांस फैन का दिल जीतता है. वहीं नेहा का ये अंदाज फैंस को काफी पसंद आता है, जिसके बाद उनकी हर वीडियो वायरल हो जाती है. लेकिन हाल ही में नेहा कक्कड़ का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह गोबर के उपले बनाती हुई नजर आ

कंटेस्टेंट के कहने पर किया ये काम

दरअसल, नेहा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जो टीवी के रियलिटी शो सारेगामापा लिटिल चैंप्स के स्टेज का हैं. वहीं वीडियो में नेहा और जज के रूप में हिमेश रेशमिया जावेद अली और शो के एंकर मनीष पॉल मस्ती करते हुए नजर आ रहे हैं. इसी दौरान एक बच्चे ने नेहा से यह कहा कि वह अपने गांव में दोस्तों के साथ आपके गाने सुनकर गोबर से उपले बनाता है, तो इस पर नेहा काफी खुश हो गईं, लेकिन इसी के साथ ही बच्चे ने सिंगर से उपले बनाने की रिक्वेस्ट कर डाली.

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नाक मुंह सिकोड़ते नजर आईं नेहा

कंटेस्टेंट की रिक्वेस्ट को मना न करते हुए नेहा कक्कड़ उपले बनाने के लिए स्टेज पर आईं. उपले बनाते वक्त नेहा के एक्सप्रेशन देखने लायक है. उपले बनाते वक्त वह अपने नाक-मुंह सिकोड़ते हुए नजर आईं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. साथ ही नेहा की इस वीडियो को सोशलमीडिया पर वायरल कर रहे हैं.

डांस को लेकर भी बटोर रही हैं सुर्खियां


नेहा की इस वीडियो के अलावा एक और वीडियो सुर्खियों में है, जिसमें वह ‘निकले करंट’ पर डांस करती हुई नजर आ रही हैं. वीडियो में नेहा कक्कड़ अपने और जस्सी गिल के गाने निकले करंट पर डांस सीखती नजर आ रही हैं.

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बता दें, पिछले दिनों नेहा कक्कड़ का नाम सिंगर उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण से जोड़ा जा रहा था. हालाकि दोनों इस बात को नकारते हुए नजर आए थे.

Web Series Review: जानें कैसी है बंदिश बैंडिट्स

रेटिंग : साढ़े तीन   स्टार

निर्माता : अमृतपाल सिंह बिंद्रा

निर्देशक : आनंद तिवारी

कलाकार : नसिरुद्दीन शाह, अतुल कुलकर्णी, शीबा चड्ढा, रित्विक भौमिक, श्रेया चौधरी.

ओटीटी प्लेटफॉर्म: अमेजॉन प्राइम

अवधि: 10 एपिसोड, 4 घंटे 15 मिनट

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, संगीत घरानों का तिलिस्म, आर्थिक संकट, प्रेम संगीत, म्यूजीशियन और इलेक्ट्रीशियन का फर्क बताने के साथ पारिवारिक रिश्ते की बात करने वाली वाली एक अति बेहतरीन संगीत प्रधान मनोरंजक वेब सीरीज ‘बंदिश बैंडिट्स’ अमेजॉन प्राइम पर लेकर आए हैं फिल्मकार आनंद तिवारी. ‘बंदिश बैंडिट्स’ देखकर अहसास होता है कि अमेजॉन प्राइम ने सही राह पकड़ी है.इसमें एक बेहतरीन कंटेंट व कहानी है ,बेहतरीन लोकेशन, राजघराने , हवेली और किले हैं ,जो कि भारत के साथ साथ पश्चिमी देशों के दर्शकों को भी आकर्षित करते हैं. इस वेब सीरीज में सनातन और वर्तमान संगीत के टकराव का खूबसूरत चित्रण के साथ एक खूबसूरत प्रेम कहानी भी है.

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कहानी:

10 एपिसोड वाले ‘बंदिश बैंडिट्स’ की कथा शुरू होती है जोधपुर से. जहां जोधपुर के संगीत सम्राट राधे मोहन राठौड़ (नसिरुद्दीन शाह) सख्त नियमों के साथ शास्त्रीय संगीत की सेवा में रत हैं.उनके अनुसार हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अनुशासन और कठिन साधना की जरूरत है. वह हर दिन विद्यार्थियों को संगीत सिखाते हैं. कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए संगीत के कार्यक्रम नहीं देते. अब तक वह संगीत की तालीम देते हुए सात लोगों का ‘गंडा बंधन’ कर चुके हैं. अब उन्हें अपने पोते राधे (रित्विक भौमिक) से काफी उम्मीदें है.राधे कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही हर दिन कई घंटे तक संगीत की रियाज करते हैं. इसी बीच हर्षवर्धन शर्मा (रितुराज सिंह) की बेटी तमन्ना शर्मा (श्रेया चौधरी) मुंबई से जोधपुर संगीत की तलाश में आती हैं. लाड़ प्यार में पली, पॉप सेंसेशन तमन्ना शर्मा के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स हैं. एक संगीत कंपनी के साथ तमन्ना का 3 हिट गानों का कॉन्ट्रैक्ट है. दूसरे गाने के असफल होने पर देसी बीट्स की तलाश में जोधपुर आती हैं.अपने पिता की सलाह पर म्यूजिक कंसर्ट करती हैं. राधे अपने दोस्त कबीर (राहुल कुमार) के साथ पहुंचता है. जहां तमन्ना और राधे की मुलाकात होती है. तमन्ना उसका मजाक उड़ाती है ,इस पर आलाप लेकर राधे एक गीत गाता है और वह तुरंत अपने दादाजी को वही शास्त्रीय रागों में बंधा हुआ गीत सुनाता है. पंडित राधे मोहन राठौर खुश होकर दूसरे दिन सुबह उसका ‘गंडा बंधन’ करने की घोषणा करते हैं. पर तमन्ना की वजह से सुबह सही समय पर राधे के न पहुंचने से  पंडित जी नाराज हो जाते हैं. पर फिर वह प्रायश्चित परीक्षा देता है और पंडित जी उसका ‘गंडा बंधन’ करते हैं.

उधर घर को आर्थिक संकट से बचाने के प्रयास के तहत राधे, तमन्ना के साथ मिलकर गाना तैयार करता है. दोनों के बीच प्यार पल्लवित होता है. पर घरवालों से छिपाने के लिए वह चेहरे पर मास्क लगाकर तमन्ना के साथ इस गाने का वीडियो भी फिल्माता है और संगीत कंपनी के साथ लोगों को पसंद आ जाता है.पर राधे के पिता राजेंद्र (राजेश तैलंग) और मां मोहिनी (शीबा चड्ढा) तथा पंडित जी उसकी शादी संध्या (रिधा चौधरी) के साथ तय करते हैं, जिससे कहानी में एक मोड़ आता है. फिर यह शादी टूट जाती है.  उधर पंडित जी की पहली पत्नी का बेटा दिग्विजय (अतुल कुलकर्णी) भी महान संगीतकार है. दोनों के बीच टकराव है .इधर राधे यानी कि मास्कडमैन का राज खुलने के आगे पीछे कहानी में कई परतें खुलती हैं. बैंक कर्ज के कारण राठौड़ की हवेली हाथ से निकल जाने का डर, दिग्विजय द्वारा अपने पिता की संगीत सम्राट की उपाधि को चुनौती के बीच राधे व तमन्ना की प्रेम कहानी की लुका छुपी भी चलती रहती है.तो वही परिवार के बिखरने और एकजुट होने की कथा भी है.

लेखन:
 
बॉलीवुड में संगीत को लेकर ‘रॉक ऑन’ या ‘रॉकस्टार’,  ‘जुबान’ जैसी फिल्में बन चुकी हैं. उन सबसे हटकर एक बेहतरीन कथानक और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को सही मायनों में पूरे विश्व के सामने लानेवाली वेब सीरीज है ‘बंदिश बैंडिट्स’. इसमें प्यार के साथ-साथ संगीत के मजबूत सुर भी हैं. यह संगीत की धड़कन है. इसकी कथा व पटकथा पर काफी मेहनत की गयी है. संगीत के दो विपरीत धुनों पर खड़े किरदारों की प्रेम कहानी के साथ राठौड़ की हवेली और संगीत घराने को बचाने का संघर्ष संतुलित ढंग से आगे बढ़ता रहता है.परिवार की एकता संदेश को कहानी में इस तरह से पिरोया गया है कि वह कहीं से भी उपदेश नहीं लगता.

इस वेब सीरीज में कबीर , अर्घ्य और तमन्ना के कुछ अश्लील संवाद जरूर अखरते हैं, इस तरह के संवादों से बचना चाहिए था. यदि लेखक ने इस पर ध्यान दिया होता इस वेब सीरीज स्कोर बच्चे भी देखकर कुछ सीख सकते थे.

” घर बच गया, अब घराना बचाने की जरूरत है.”तथा”एक कलाकार का धर्म होता है दो दिलों को मिलाना.”जिसे संबाद बहुत बेहतरीन बने हैं.

निर्देशन:

बतौर निर्देशक आनंद तिवारी इससे पहले ‘द प्रेसिडेंट इज कमिंग’,  ‘लव पर स्क्वेयर फुट’, ‘टिकट टू बॉलीवुड’ जैसी फिल्में व कुछ वेब सीरीज निर्देशित कर चुके हैं ,मगर आनंद तिवारी का निर्देशन सही मायनों में वेब सीरीज ‘बंदिश बैंडिट्स’ में ही उभर कर आया है.यह वेब सीरीज उन्हें एक सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में स्थापित करती है, पर कुछ एपिसोड  एडिटिंग टेबल पर कसे जाने चाहिए थे.

निर्देशक आनंद तिवारी इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने शास्त्रीय संगीत के ‘रागों’ की ताकत को एक खूबसूरत कहानी के साथ पेश किया है. तो वहीं उन्होंने दो विपरीत धुनों के संगीत के टकराव को खूबसूरती के साथ पेश किया है. पूर्व और पश्चिम के मिलन को भी खूबसूरती से गढ़ा गया है ,जिसकी वजह संगीत के प्रति पैशन भी है.

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संगीत:

संगीतकार शंकर एहसान लॉय ने इसे वेब सीरीज को बेहतरीन संगीत से सजाया है. इसकी सफलता में उनके संगीत के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ‘सजन बिन’, ‘लब पर आए’ ,’गरज बरस’, ‘पधारो म्हारे देस”,मोरी अरज सुनो गिरधारी आज  के अलावा विरह गीत लोगों को अभिभूत कर देते हैं.फिल्मों से गायब हो चुकी ‘ठुमरी’ का भी इसमें समावेश एक सुखद अनुभूति देता है. इसी के साथ ठुमरी को शृंगार रस में वाला गीत “लव पे आए”  मंत्र मुग्ध करता है.

अभिनय:

निर्देशक की आधी सफलता तो उसी वक्त  तय हो जाती है, जब वह किरदारों के साथ न्याय करने वाले कलाकारों का चयन करता है. आनंद तिवारी ने हर किरदार के लिए उपयुक्त कलाकारों का ही चयन किया है. अनुशासन प्रिय   व अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने वाले संगीत सम्राट पंडित राधे मोहन राठौड़ के किरदार को नसिरुद्दीन शाह ने अपने अभिनय से जीवंत कर दिया है. राधे के किरदार में रित्विक भौमिक, तमन्ना के किरदार में श्रेया चौधरी, दिग्विजय के किरदार में अतुल कुलकर्णी , मोहिनी के किरदार में शीबा चड्ढा ने कमाल का अभिनय किया है. अन्य कलाकारों ने भी ठीक-ठाक अभिनय किया है.

कैमरामैन श्रीराम गणपति ने जोधपुर शहर व जोधपुर स्थित महलों को भी ना सिर्फ खूबसूरती से कैमरे में कैद किया है, बल्कि उन्हें किरदार के रूप में भी पेश किया है.

जब घर में अविवाहित देवर या जेठ हों

हाल ही में (22, फरवरी 2020) मध्य प्रदेश के विदिशा में देवरभाभी के प्यार में एक शख्स को अपनी जान गंवानी पड़ गई. दरअसल पति को अपनी पत्नी और अपने भाई के बीच पनप रहे अवैध संबंधों की भनक लग गई थी. उस ने एकदो बार दोनों को रंगे हाथों पकड़ भी लिया था. इस के बाद पतिपत्नी के बीच अकसर झगड़े होने लगे थे. भाभी के प्यार में डूबे देवर को अच्छेबुरे का कुछ भी ख़याल नहीं रहा. उस ने भाभी के साथ मिल कर भाई को रास्ते से हटाने का षड्यंत्र रच डाला.

इसी तरह उत्तर प्रदेश के बिजनौर की एक घटना भी रिश्तों को शर्मसार करने वाली है. यहाँ की एक महिला ने अपने साथ हुए अपराध के बारे में पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखवाई. महिला के मुताबिक़ उसे घर में अकेला देख उस के देवर ने जबरन क्रूरता से उस के साथ दुष्कर्म किया और धमकी दे कर वहां से भाग गया.

ऐसी घटनाएं हमें एक सबक देती हैं. ये हमें बताती हैं कि कुछ बुरा घटित हो उस से पहले ही हमें सावधान रहना चाहिए खासकर कुछ रिश्तों जैसे नई भाभी और साथ रह रहे अविवाहित देवर या जेठ के मामले में सावधानी जरूरी है.

दरअसल जीजासाली की तरह ही देवरभाभी का रिश्ता भी बहुत खूबसूरत पर नाजुक होता है. नई दुल्हन जब नए घर में कदम रखती है तो नए रिश्तों से उस का सामना होता है. हमउम्र ननद और देवर जल्दी ही उस से घुलमिल जाते हैं. जेठ के साथ उसे थोड़ा लिहाज रखना पड़ता है. पर कहीं न कहीं देवर और जेठ के मन में भाभी के लिए सैक्सुअल अट्रैक्शन जरूर होता है. वैसे भी युवावस्था में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बहुत सहज प्रक्रिया है. ऐसे में जरूरी है अपने रिश्ते की मर्यादा संभाल कर रखने की ताकि भविष्य में कोई ऐसी घटना न हो जाए जिस से पूरे परिवार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़े.

1. काउंसलिंग

सब से पहले घर के बड़ों का दायित्व है कि शादी से पूर्व ही घर में मौजूद भावी दूल्हे के अविवाहित भाइयों की काउंसलिंग करें. उन्हें समझाएं कि जब घर में नई दुल्हन कदम रखे तो उसे आदर की नजरों से देखें. रिश्ते की गांठ के साथसाथ आने वाली जिम्मेदारियां भी निभाऐं. भाभी का अपना व्यक्तित्व है और अपनी पसंद है इसलिए उस की इज्जत का ध्यान रखें.

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लड़की के मांबाप भी अपनी बेटी को विदा करने से पहले उसे ससुराल में रहने के कायदे सिखाएं. अपनी आंखों में लज्जा और व्यवहार में शालीनता की अनिवार्यता पर बल दें. बातों के साथसाथ अपने कपड़ों पर भी ध्यान देने की बात कहें.

2. थोड़ी प्राइवेसी भी जरुरी

अक्सर देखा जाता है कि छोटे घरों में भाभी, देवर, जेठ, ननद सब एक ही जगह बैठे हंसीमजाक या बातचीत करते रहते हैं. परिवार के सदस्यों का मिल कर बैठना या बातें करना गलत नहीं है. पर कई दफा देवर या जेठ नहाने के बाद केवल टॉवेल लपेट कर खुले बदन भाभी के आसपास घूमते रहते हैं. बहू को कोई अलग कमरा नहीं दिया जाता है. यह उचित नहीं है.

हमेशा नवल दंपत्ति को एक कमरा दे देना चाहिए ताकि बहू की प्राइवेसी बनी रहे. यदि संभव हो तो दूल्हादुल्हन के लिए छत पर एक कमरा बनवा दिया जाए या ऊपर का पूरा फ्लोर दे दिया जाए और अविवाहित देवर या जेठ मांबाप के साथ नीचे रह जाएं. इस से हर वक्त देवर या जेठ बहू के आसपास नहीं भटकेगें और लाज का पर्दा भी गिरा रहेगा.

3. जरूरत पड़े तो इग्नोर करें

इस संदर्भ में मनोवैज्ञानिक अनुजा कपूर कहती हैं कि यदि आप नईनवेली दुल्हन है और आप को महसूस हो रहा है जैसे अविवाहित देवर या जेठ आप की तरफ आकर्षित हो रहे हैं तो आप को उन्हें इग्नोर करना सीखना पड़ेगा. भले ही देवर छोटा ही क्यों न हो. मान लीजिए कि आप का देवर मात्र 15 -16 साल का है और आप उसे सामान्य नजरों से देख रही हैैं. पर संभव है कि वह आप को दूसरी ही नजरों से देख रहा हो. याद रखें किशोरावस्था से ही इंसान विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होने लगता है. इसलिए उसे कभी भी बढ़ावा न दें.

दिल्ली में रहने वाली 40 वर्षीया निधि गोस्वामी कहती हैं,” जब मेरी नईनई शादी हुई और मैं ससुराल आई तो मेरा इकलौता देवर मुझ से बहुत जल्दी ही हिलमिल गया. घर में सासससुर भी थे पर दोनों बुजुर्ग होने की वजह से अक्सर अपने कमरे में ही रहते थे. इधर मेरे पति के जाने के बाद मेरा देवर अक्सर कमरे में आ जाता. मैं खाली समय में पेंटिंग बनाने का शौक रखती थी. पेंटिंग देखने के बहाने देवर अक्सर मुझे निहारता रहता या फिर मेरे हाथों को स्पर्श करने का प्रयास करता. पहले तो मैं ने इस बात को तूल नहीं दिया. पर धीरेधीरे मुझे एहसास हुआ कि देवर की इंटेंशन सही नहीं है. बस मैं ने उसे दूर रखने का उपाय सोच लिया. अब मैं जब भी अपने कमरे में आती तो दरवाजा बंद कर लेती. वह एकदो बार दरवाजा खुलवा कर अंदर आया पर मेरे द्वारा इग्नोर किए जाने पर बात उस की समझ में आ गई और वह भी अपनी मर्यादा में रहने लगा.”

इग्नोर किए जाने पर भी यदि आप के जेठ या देवर की हरकते नहीं रुकतीं तो उपाय है कि आप सख्ती से मना करें. इस से उन के आगे आप का नजरिया स्पष्ट हो जाएगा.

4. जब घर वाले दें प्रोत्साहन

प्राचीन काल से ही हमारे समाज में ऐसे रिवाज चलते आ रहे हैं जिस के तहत पति की मौत पर देवर या जेठ के साथ विधवा की शादी कर दी जाती है. इस में महिला की इच्छा जानने का भी प्रयास नहीं किया जाता. यह सर्वथा अव्यावहारिक है. इसी तरह कुछ घरों में ऐसी घटनाएं भी देखने को मिल जाती हैं जब पतिपत्नी की कोई संतान नहीं होती तो घर के किसी बुजुर्ग व्यक्ति की सलाह पर चोरीचुपके देवर या जेठ से बहू के शारीरिक संबंध बनवा दिए जाते हैं ताकि घर में बच्चे का आगमन हो जाए. इस तरह की घटनाएं भी महज शर्मिंदगी के और कुछ नहीं दे सकतीं. रिवाजों के नाम पर रिश्तों की तौहीन करना उचित नहीं.

कई घटनाएं ऐसी भी नजर आती हैं जब पत्नियां जेठ या देवर से अवैध सैक्स सम्बन्ध खुद खुशी खुशी बना लेती हैं. यह भी सर्वथा अनुचित है. क्योंकि इस का नतीजा कभी अच्छा नहीं निकलता. कितने ही घर ऐसे हालातों में बर्बाद हो चुके हैं. कुछ दिन बाद पोल खुल ही जाती है और घर तो टूटते ही हैं, कई जोड़ों में तलाक की नौबत आ सकती है.

5. बात करें

यदि कभी आप को महसूस हो कि देवर या जेठ की नजर सही नहीं और आप में ज्यादा ही इंटरेस्ट ले रहे हैं तो पहले तो खुद उन से दूर रहने का प्रयास करें. मगर यदि उन की कोई हरकत आप को नागवार गुजरे तो घर के किसी सदस्य से इस संदर्भ में बात जरूर करें. बेहतर होगा कि आप पति से बात करें और उन्हें भी सारी परिस्थितियों से अवगत कराएं. आप अपने मांबाप से भी बात कर सकती हैं. सास के साथ कम्फर्टेबल हैं तो उन से बात करें. घर में ननद है तो उस से सारी बातें डिसकस करें. इस से आप का मन भी हल्का जाएगा और सामने वाला आप को समस्या का कोई न कोई समाधान जरूर सुझाएगा. संभव हो तो आप उस देवर या जेठ से भी इस संदर्भ में बात कर उन्हें समझा सकती हैं और अपना पक्ष स्पष्ट कर सकती हैं.

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6. जब देवर /जेठ को किसी से प्यार हो जाए

मान लीजिये कि आप के देवर को किसी लड़की से प्यार हो जाए. ऐसे में ज्यादातर देवर भाभी से यह सीक्रेट जरूर शेयर करते है. यदि वह बताने में शरमा रहा है तो भी उस के हावभाव से आप को इस बात का अहसास जरूर हो जाएगा. ऐसे समय में आप को एक अभिभावक की तरह उसे सही सलाह देनी चाहिए और कोई भी गलत कदम उठाने से रोकना चाहिए.

अमेजिंग लैगिंग लुक्स करें ट्राय

गरमियों में अक्सर औफिस के लिए रोजाना जीन्स और पैंट पहनना आफत का काम लगता है. साथ ही टाइट जीन्स कभी-कभी पसीने में हमारी स्किन को भी नुकसान पहुंचा देते हैं. इसलिए रोजाना जीन्स की बजाय अगर हम लैगिंग का इस्तेमाल करें तो यह हमारी स्किन और डेली कम्फर्ट के साथ भी अच्छा रहेगा. अपने नए-नए रंगों और पैटर्न के चलते लैगिंग आजकल काफी ट्रैंड में हैं. इंडियन ड्रैस के साथ मैच कराना हो या फिर वैस्टर्न टौप के साथ, लैगिंग का कोई जवाब नहीं. जानिए, इसे कैरी करने के कुछ खास टिप्स…

अगर खेलने का है शौक तो ट्राई करें कम्फरटेबल जैगिंग

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अगर आप को खेलने का शौक है या फिर जौगिंग करती हैं, तो ढीली टीशर्ट के साथ लैगिंग पहन सकती हैं, लेकिन ध्यान रहे, यह ज्यादा टाइट न हो. लैगिंग के साथ सही फुटवियर का होना भी जरूरी है.

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स्कर्ट के साथ ट्राई करें ट्रैंडी लैगिंग

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अगर आपको भी स्कर्ट पहनना पसंद है, लेकिन पर्सनल प्रौब्लमस के चलते आप स्कर्ट नही पहन पा रही हैं और आप कुछ अलग ट्राई करना चाहती हैं, तो स्कर्ट के साथ भी लैगिंग पहन सकती हैं, जो आप को डिफरैंट लुक देगी.

लौंग कार्डिगन के साथ लैगिंग्स करें ट्राई

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अगर आप कौलेज जाती हैं और कुछ नया और ट्रैंडी ट्राई करना चाहती हैं तो लैगिंग के साथ शर्ट की बजाय लौंग कार्डिगन के साथ इसे मिक्स ऐंड मैच कर सकती हैं.

स्मार्ट लुक के लिए ट्राई करें लौंग शर्ट के साथ लैगिंग

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गर्ल्स स्मार्ट लुक पाने के लिए लौंग शर्ट के साथ लैगिंग पहन सकती हैं. चाहें तो इनर, टीज या टौप को शर्ट के अंदर पहन कर शर्ट के बटन खुले रख सकती हैं. साथ में चश्मा, स्कार्फ और लौंग बूट हों तो हर कोई आप के लुक का दीवाना हो जाएगा.

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कुछ बातों का रखें ध्यान

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लैगिंग के साथ टौप या जैकेट पहनते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि उस की लंबाई आप के घुटनों तक हो. शौर्ट टौप के साथ अच्छी नहीं लगती. अगर आप शौर्ट ड्रैस के साथ लैगिंग पहन रही हैं तो उस का कलर ज्यादा चटक न हो.

Edited by Rosy

शाम के नाश्ते में ऐसे बनाएं टेस्टी साबूदाना रोल

रोजाना शाम को अक्सर आपको भूख लगती होगी, जिसके लिए आम समोसे और पकौड़े जैसे स्नैक्स खा लेते हैं, जो आपकी हेल्थ के लिए बिल्कुल अच्छे नही होते. इसीलिए आज हम आपको साबूदाने से बनी एक हेल्दी और टेस्टी रेसेपी के बारे में बताएंगे जो आपकी भूख को शांत करने के साथ-साथ हेल्थ का भी ख्याल रखेगी.

सामग्री

साबूदाना-1 कप भीगा

मूंगफली के दाने- 20 से 25

हरी मिर्च- 1 से 2

आलू उबले हुए 2

धनिये की चटनी

तेल- 2 बड़े चम्मच

नमक- स्वादानुसार

समर रेसिपी: नींबू की चटनी

बनाने का तरीका

मूंगफली के दानों को कड़ाई में भून कर मिक्सी में पीस लें. भीगे साबूदाने में उबले आलू, बारीक कटी हरीमिर्च व नमक मिलाएं और अच्छी तरह से मिक्स कर आटा बना लें. साबूदाने के आटे को बराबर हिस्सों में बांट लें. इसके बाद 2 प्लास्टिक शीट्स के बीच में तेल लगा कर एक भाग को पतली रोटी की तरह बेल लें. गरम तवे पर हलका तेल लगाकर दोनों तरफ सेंक लें. इसकी 1 इंच चौड़ी स्ट्रिप काटकर  चटनी लगाकर रोल करें. इसी तरह सभी रोल को तैयार करके चटनी लगा कर शाम के नाश्ते में परोसें.

12वीं के बाद एग्रीकल्चर में कैसे बनाएं करियर

करियर को लेकर लगभग हर युवा असमंजस में रहता है. 12वीं का रिजल्ट आते ही छात्रों को करियर चुनने में कन्फ्यूजन रहता है कि, क्या करना सही होगी क्या नहीं. पहले के समय में ज्यादातर छात्र डॉक्टरी, इंजीनियरिंग करने की सोचते थे. इसके अलावा एमबीए करने की सोच सकते थे, लेकिन बदलते समय के साथ-साथ करियर को लेकर भी हजारों मौके खुल चुके हैं. कमी है तो सिर्फ सही और सटीक जानकारी की. यहां हम आपको कृषि से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं. इस क्षेत्र में करियर को लेकर कई मौके हैं. अगर आप भी कृषि में भविष्य की संभावना तलाश रहे हैं तो 12वीं के बाद बीएससी एग्रीकल्चर या बीएससी एग्रीकल्चर औनर्स की डिग्री लेना सही फैसला होगा.
आप एग्रीकल्चर, वेटनेरी साइंस, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, फॉरेस्ट्री, हॉर्टिकल्चर, फूड साइंस और होम साइंस में से किसी भी एक विषय में डिग्री ले सकते हैं. साथ ही पढ़ाई पूरी करके करने के बाद आप चाहें तो खेती कर सकते हैं या जॉब कर सकते हैं. भारत कृषि प्रधान देश है इसलिए इस क्षेत्र में नौकरी के ढेरों मौके हैं.

कृषि क्षेत्र में नौकरी के ये हैं रास्ते

भारत में आज भी 70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं. इस क्षेत्र में पढ़ें-लिखे लोगों की जरूरत है. आज का युवा इस क्षेत्र में लाखों के पैकेज पर जॉब कर रहा है. इस फील्ड में आप मार्केटिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर इकोनोमिक्स, एग्रो मेट्रोलॉजी, एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एंड कम्यूनिकेशन रिसर्च या मैनेजमेंट के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं. इसके अलावा आप नेशनेलाइज्ड बैंकों में कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण विकास अधिकारी, फील्ड अफसर भी बन सकते हैं. साथ ही साथ राज्यों के विभिन्न कृषि विभागों में भी आप अपने करियर की संभावना देख सकते हैं.

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इन संस्थानों में ले सकते हैं एडमिशन

गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय (पंतनगर यूनिवर्सिटी) और जवाहरलाल नेहरू एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में एडमिशन पीएटी (प्री एग्रीकल्चरल टेस्ट) की रैंक के आधार पर मिलेंगे.
वहीं कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षण लेने के लिए आप हैदराबाद, पुणे, ग्वालियर, इंदौर और पालमपुर स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर जा सकते हैं. साथ ही कोलकाता और भुवनेश्वर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से आप डिग्री लेकर अपने भविष्य को सुनहरा मौका दे सकते हैं. वहीं राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (उदयपुर) में इस क्षेत्र में ट्रेनिंग के साथ डिग्री भी हासिल कर सकते हैं. यूपी के इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट व अलीगढ़ विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर में एडमिशन लेकर कृषि क्षेत्र की बारिकियों को समझ सकते हैं.

एडमिशन लेने की ये है प्रक्रिया

ICAR (Indian Council of Agricultural Research) हर साल कृषि और इससे मिलते जुलते विषयों में एडमिशन की घोषणा करता है. जहां AIEEA (अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा) के द्वारा एडमिशन दिया जाता है. इन विषयों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स ICAR की आधिकारिक वेबसाइट aieea.net पर जाकर पूरी जानकारी ले सकते हैं.

12वीं पास छात्र UG कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं. जबकि PG कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट की डिग्री होनी चाहिए. वहीं जो छात्र PHD कोर्सेज में एडमिशन लेना चाहते हैं वो पोस्ट ग्रेजुएट होने चाहिए. एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए ICAR की वेबसाइट मॉक टेस्ट भी करवाया जाता है. ताकि स्टूडेंट पेपर पैटर्न से भी परिचित हो सकें.

उदाहरण- इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ गांव पहुंचा युवक, किसानी कर कमा रहा लाखों

विनोद कुमार ने अनोखा मिसाल पेश किया है. विनोद गुड़गांव के फरूखनगर तहसील के गांव जमालपुर के रहने वाले हैं. जिन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ मोती की खेती करनी शुरू कर दी. इसके लिए उन्होंने पहले इंटरनेट का सहारा लिया और खेती के तरीके और फायदे कमाने के तरीके सीखे. इसके बाद विनोद ने सीफा (सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर भुवनेश्वर) में जाकर एक सप्ताह की ट्रेनिंग ली. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विनोद ने 2013 में मानेसर पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था. जिनका मन जॉब में नहीं लगा और आज वे कषि से लाखों कमा रहे हैं.

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खेती करने के लिए इस इंजीनियर ने छोड़ दी लाखों की नौकरी, अब करोड़ों में कर रहा कमाई
कमल ने एमटेक किया है और नई तकनीकि के माध्यम से खेती कर रहा है. खेती करने के लिए कमल ने ढाई लाख रूपए पैकेज की नौकरी छोड़ दी. राजस्थान के झालावाड़ जिले के छोटे से गांव गुराड़ियाजोगा का रहने वाला यह शख्स दूसरों के लिए मिसाल बन गया. नौकरी छोड़कर कमल गांव आ गया और आधुनिक तरीके से खेती शुरू कर दी. कमल ने एक लाख कर्ज लेकर सात बीघा खेत पर नर्सरी शुरू की. साथ ही नई तकनीकि का प्रयोग करते हुए सीडलिंग ट्रे और कोकोपिट में 50 हजार पौधे मिर्च, टमाटर, गोभी, करेला, खीरा, बैंगन के तैयार किए. इस काम को शुरू करने के लिए कमल ने कर्ज लिया था और अब 20 लोगों को राजगार दे रहा है. इसके लिए उसने कृषि विज्ञान केंद्र से तकनीकी की ट्रेनिंग ली. सबसे पहले उसने पूर्व साइंटिस्ट मधुसूदन आचार्य और रामराज मीणा से तकनीकि जानकारी ली फिर काम शुरू किया और अब वह करोड़ों में कमा रहा है.

मेरे फिजिशियन ने सलाह है कि मुझे जल्दी नैक फीमर फ्रैक्चर की सर्जरी करा लेनी चाहिए?

सवाल-

मुझे नैक फीमर फ्रैक्चर है, यह समस्या इतनी गंभीर है कि फरवरी के महीने से मैं चल भी नहीं पा रही हूं. मेरे फिजिशियन ने सलाह दी है कि मुझे जितनी जल्दी से जल्दी हो सके सर्जरी करा लेनी चाहिए. ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

अगर फ्रैक्चर के कारण रक्त नलिकाओं में टूटफूट हो गई है तो फेमोरल हैड को रक्त की सप्लाई बंद हो जाएगी, जिस से अंतत: हड्डियों के ऊतक मरने लगेंगे, जिसे ऐस्क्युलर नैक्रोसिस कहते हैं. यह एक आपातकालीन स्थिति है, इसलिए आप को सर्जरी कराने में बिलकुल भी देरी नहीं करना चाहिए.

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मेरी आयु 33 वर्ष है. 3 हफ्ते पहले मेरा सिर दरवाजे से टकरा गया था और मुझे गंभीर चोट लगी थी. अब गरदन में भी दर्द होने लगा है. क्या इस से मुझे चिंतित होने की जरूरत है?

चोट का असर कई बार कुछ हफ्तों तक बना रहता है. सिर जब किसी भारी वस्तु से झटके से टकराता है, तो गरदन पर भी उस चोट का असर पड़ता है, जिसे गरदन की मोच कहा जाता है. इस में गरदन के सौफ्ट टिशू में मामूली इंजरी हो जाती है. अपनी गरदन को थोड़ा आराम दें. उस पर दबाव डालना या झटका न देना ही बेहतर होगा. अगर दर्द बराबर बना हुआ है तो डाक्टर को दिखाएं.

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चमत्कार: क्या पूरा हो पाया नेहा और मनीष का प्यार

ड्राइंगरूम में बैठे पापा अखबार पढ़ रहे थे और उन के पास बैठी मम्मी टीवी देख रही थीं. मैं ने जरा ऊंची आवाज में दोनों को बताया, ‘‘आप दोनों से मिलने मनीष 2 घंटे के बाद आ रहा है.’’

‘‘किसलिए?’’ पापा ने आदतन फौरन माथे पर बल डाल लिए.

‘‘शादी की बात करने.’’

‘‘शादी की बात करने वह हमारे यहां क्यों आ रहा है?’’

‘‘क्या बेकार का सवाल पूछ रहे हैं आप?’’ मम्मी ने भी आदतन तीखे लहजे में पापा को झिड़का और फिर उत्तेजित लहजे में मुझ से पूछा, ‘‘क्या तुम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया है?’’

‘‘हां, मम्मी.’’

‘‘गुड…वेरी गुड,’’ मम्मी खुशी से उछल पड़ीं.

‘‘बट आई डोंट लाइक दैट बौय,’’ पापा ने चिढ़े लहजे में अपनी राय जाहिर की तो मम्मी फौरन उन से भिड़ने को तैयार हो गईं.

‘‘मनीष क्यों आप को पसंद नहीं है? क्या कमी है उस में?’’ मम्मी का लहजा फौरन आक्रामक हो उठा.

‘‘हमारी नेहा के सामने उस का व्यक्तित्व कुछ भी नहीं है. जंचता नहीं है वह हमारी बेटी के साथ.’’

‘‘मनीष कंप्यूटर इंजीनियर है. उस के पिताजी आप से कहीं ज्यादा ऊंची पोस्ट पर हैं. वह फ्लैट नहीं बल्कि कोठी में रहता है. मुझे तो वह हर तरह से नेहा के लिए उपयुक्त जीवनसाथी नजर आता है.’’

‘‘तुझे तो वह जंचेगा ही,’’ पापा गुस्से में बोले, ‘‘क्योंकि मैं जो उसे पसंद नहीं कर रहा हूं. मेरे खिलाफ बोलते हुए ही तो तू ने सारी जिंदगी गुजारी है.’’

‘‘पापा, आई लव मनीष. मुझे अपना जीवनसाथी चुनने…’’

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मम्मी ने मुझे अपनी बात पूरी नहीं कहने दी और पापा से भिड़ना जारी रखा, ‘‘मैं ने आप के साथ जिंदगी गुजारी नहीं, बल्कि बरबाद की है. रातदिन की कलह, टोकाटाकी और बेइज्जती के सिवा कुछ नहीं मिला है मुझे पिछले 25 साल में.’’

‘‘इनसान जिस लायक होता है उसे वही मिलता है. बुद्धिहीन इनसान को जिंदगी भर जूते ही खाने को मिलेंगे.’’

‘‘आप के पास भी जहरीली जबान ही है, दिमाग नहीं. क्या यह समझदारी का लक्षण है कि बेटी शादी करने की अपनी इच्छा बता रही है और आप क्लेश करने पर उतारू हैं.’’

‘‘मैं अपनी बेटी के लिए मनीष से कहीं ज्यादा बेहतर लड़का ढूंढ़ सकता हूं.’’

‘‘पहली बात तो यह कि आज तक आप ने नेहा के लिए एक भी रिश्ता नहीं ढूंढ़ा है. दूसरी बात कि जब नेहा मनीष से प्रेम करती है तो शादी भी उसी से करेगी या नहीं?’’

‘‘यह प्रेमव्रेम कुछ नहीं होता. जो फैसला बड़े सोचसमझ और ऊंचनीच देख कर करते हैं, वही बेहतर होता है.’’

‘‘प्रेम के ऊपर आप नहीं तो और कौन लेक्चर देगा?’’ मम्मी ने तीखा व्यंग्य किया, ‘‘शादी के बाद भी आप प्रेम के क्षेत्र में रिसर्च जो करते रहे हैं.’’

‘‘मैं किसी भी औरत से हंसूंबोलूं, तो तुझे हमेशा चिढ़ ही हुई है. जिस आदमी की पत्नी लड़झगड़ कर महीने में 15 दिन मायके में पड़ी रहती थी वह अपने मनोरंजन के लिए दूसरी औरतों से दोस्ती करेगा ही.’’

‘‘मेरी गोद में नेहा न आ गई होती तो मैं ने आप से तलाक ले लिया होता,’’ अब मम्मी की आंखों में आंसू छलक आए थे.

‘‘बातबात पर पुलिस बुला कर पति को हथकडि़यां लगवा देने वाली पत्नी को तलाक देने की इच्छा किस इनसान के मन में पैदा नहीं होगी? मैं भी इस नेहा के सुखद भविष्य के कारण ही तुम से बंधा रहा, नहीं तो मैं ने तलाक जरूर…’’

‘‘अब आप दोनों चुप भी हो जाओ,’’ मैं इतनी जोर से चिल्लाई कि मम्मी और पापा जोर से चौंक कर सचमुच खामोश हो गए.

‘‘घर में आप का होने वाला दामाद कुछ ही देर में आ रहा है,’’ मैं ने उन दोनों को सख्त स्वर में चेतावनी दी, ‘‘अगर उसे आप दोनों ने आपस में गंदे ढंग से झगड़ने की हलकी सी झलक भी दिखाई, तो मुझ से बुरा कोई न होगा.’’

‘‘मैं बिलकुल चुप रहूंगी, गुडि़या. तू गुस्सा मत हो और अच्छी तरह से तैयार हो जा,’’ मम्मी एकदम से शांत नजर आने लगी थीं.

‘‘मैं भी बाजार से कुछ खानेपीने का सामान लाने को निकलता हूं,’’ नाखुश नजर आ रहे पापा मम्मी को गुस्से से घूरने के बाद बैडरूम की तरफ चले गए.

अपने कमरे में पहुंचने के बाद मेरी आंखों में आंसू भर आए थे. अपने मातापिता को बचपन से मैं बातबात पर यों ही लड़तेझगड़ते देखती आई हूं. अपनी- अपनी तीखी, कड़वी जबानों से दोनों ही एकदूसरे के दिलों को जख्मी करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं.

वे दोनों ही मेरे भविष्य का निर्माण अपनेअपने ढंग से करना चाहते थे. अकसर उन के बीच झड़पें मुझे ले कर ही शुरू होतीं.

मम्मी चाहती थीं कि उन की सुंदर बेटी प्रभावशाली व्यक्तित्व की स्वामिनी बने. उन्होंने मुझे सदा अच्छा पहनाया, मुझे डांस और म्यूजिक की ट्रेनिंग दिलवाई. मेरी हर इच्छा को पूरी करने के लिए वे तैयार रहती थीं. वे खुद कमाती थीं, इसलिए मुझ पर पैसा खर्च करने में उन्हें कभी दिक्कत नहीं हुई.

पापा का जोर सदा इस बात पर रहता कि मेरा कैरियर बड़ा शानदार बने. वे मुझे डाक्टर या आई.ए.एस. अफसर बनाना चाहते थे. मेरे स्वास्थ्य की भी उन्हें फिक्र रहती. मैं खूब जूस और दूध पिऊं और नियमित रूप से व्यायाम करूं, ऐसी बातों पर उन का बड़ा जोर रहता.

वैसे सचाई यही है कि मेरी मम्मी के साथ ज्यादा अच्छी पटती रही क्योंकि पापा को खुश करना मेरे खुद के लिए टेंशन का काम बन जाता था. पापा की डांट से बचाने के लिए मम्मी मेरी ढाल हमेशा बन जाती थीं.

मुझे ले कर उन के बीच सैकड़ों बार झगड़ा हुआ होगा. जब एक बार  दोनों का मूड बिगड़ जाता तो अन्य क्षेत्रों में भी उन के बीच टकराव और तकरार का जन्म हो जाता. मम्मी ने 5-6 साल पहले ऐसे ही एक झगड़े में पुलिस बुला ली थी. मुझे वह सारी घटना अच्छी तरह से याद है. उस दिन डर कर मैं खूब रोई थी.

मैं न होती तो वे दोनों कब के अलग हो गए होते, ऐसी धमकियां मैं ने हजारों बार उन दोनों के मुंह से सुनी थीं. अब मनीष से शादी कर मैं सिंगापुर जाने वाली थी. मेरी गैरमौजूदगी में कहीं इन दोनों के बीच कोई अनहोनी न घट जाए, इस सोच के चलते मेरा मन कांपना शुरू हो गया था.

मनीष आया तो मम्मी ने प्यार से उसे गले लगा कर स्वागत किया था. पापा भी जब उस से मुसकरा कर मिले तो मैं ने मन ही मन बड़ी राहत महसूस की थी.

‘‘हम दोनों अगले हफ्ते शादी करना चाहते हैं क्योंकि 15 दिन बाद मुझे सिंगापुर में नई कंपनी जौइन करनी है. अभी शादी नहीं हुई तो मामला साल भर के लिए टल जाएगा,’’ मनीष ने उन्हें यह जानकारी दी, तो मम्मीपापा दोनों के चेहरों पर टेंशन नजर आने लगा था.

‘‘सप्ताह भर का समय तो बड़ा कम है, मनीष. हम सारी तैयारियां कैसे कर पाएंगे?’’ मम्मी चिंतित हो उठीं.

‘‘आंटी, शादी का फंक्शन छोटा ही करना पड़ेगा.’’

‘‘वह क्यों?’’ पापा के माथे में फौरन बल पड़े तो उन्हें शांत रखने को मैं ने उन का हाथ अपने हाथ में ले कर अर्थपूर्ण अंदाज में दबाया.

‘‘सच बात यह है कि मेरे मम्मीपापा इस रिश्ते से बहुत खुश नहीं हैं. मैं ने इसी वजह से कल रात ही उन्हें नेहा से शादी करने की बात तब बताई जब नई कंपनी से मुझे औफर लैटर मिल गया. उन दोनों की नाखुशी के चलते बड़ा फंक्शन करना संभव नहीं है न, अंकल.’’

‘‘मेरी बेटी लाखों में एक है, मनीष. उन्हें तो इस रिश्ते से खुश होना चाहिए.’’

‘‘आई नो, अंकल, पर वे दोनों आप दोनों जितने समझदार नहीं हैं जो अपनी संतान की खुशी को सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण मानें.’’

मनीष की इस बात को सुन कर मुझे अचानक इतनी जोर से हंसी आई कि मुझे ड्राइंगरूम से उठ कर रसोई में जाना ही उचित लगा था.

उस पूरे सप्ताह खूब भागदौड़ रही. मम्मी व पापा को इस भागदौड़ के दौरान जब भी फुरसत मिलती, वे आपस में जरूर उलझ पड़ते. मैं दोनों पर कई बार गुस्से से चिल्लाई, तो कई बार आंखों से आंसू भी बहाए. जो रिश्तेदार इकट्ठे हुए थे उन्होंने भी बारबार उन्हें लड़ाईझगड़े में ऊर्जा बरबाद न करने को समझाया, पर उन दोनों के कानों पर जूं नहीं रेंगी.

हम ने फंक्शन ज्यादा बड़ा नहीं किया था, पर हर काम ठीक से पूरा हो गया. मेरी ससुराल में मेरे रंगरूप की खूब तारीफ हुई, तो मेरे सासससुर भी खुश नजर आने लगे थे.

हमारा हनीमून 3 दिन का रहा. मनाली के खुशगवार मौसम में अपने अब तक के जीवन के सब से बेहतरीन, मौजमस्ती भरे 3 दिन मनीष के संग बिता कर हम दिल्ली लौट आए.

वापस आने के 2 दिन बाद ही हम ने हवाईजहाज पकड़ा और सिंगापुर चले आए. अपने मम्मीपापा से विदा लेते हुए मैं रो रही थी.

‘‘आप दोनों एकदूसरे का ध्यान रखना, प्लीज. आप का लड़ाईझगड़ा अब भी चलता रहा, तो मेरा मन परदेस में बहुत दुखी रहेगा.’’

मैं ने बारबार उन से ऐसी विनती जरूर की, पर मन में भारी बेचैनी और चिंता समेटे ही मैं ने मम्मीपापा से विदा ली थी.

शुरुआत के दिनों में दिन में 2-2 बार फोन कर के मैं उन दोनों का हालचाल पूछ लेती.

‘‘हम ठीक हैं. तुम अपना हालचाल बताओ,’’ वे दोनों मुझे परेशान न करने के इरादे से यही जवाब देते, पर मेरा मन उन दोनों को ले कर लगातार चिंतित बना रहता था.

मनीष जब भी मुझे इस कारण उदास देखते, तो बेकार की चिंता न करने की सलाह देते. मैं खुद को बहुत समझाती, पर मन चिंता करना छोड़ ही नहीं पाता था.

बीतते समय के साथ मेरा मम्मीपापा को फोन करना सप्ताह में 1-2 बार का हो गया. मनीष की अपने बौस से ज्यादा अच्छी नहीं पट रही थी. इस कारण मुझे जो टेंशन होता, वही मैं फोन पर अपने मम्मीपापा से ज्यादा बांटता था.

मनीष ने कोशिश कर के अपना तबादला बैंकाक में करा लिया. वहां शिफ्ट होने से पहले उन्होंने 1 सप्ताह की छुट्टी ले ली. लगभग 6 महीने बाद इस कारण हमें इंडिया आने का मौका मिल गया था. सारा कार्यक्रम इतनी जल्दी बना कि अपने आने की सूचना मैं ने मम्मीपापा को न दे कर उन्हें ‘सरप्राइज’ देने का फैसला किया था.

मनीष और मैं एअरपोर्ट से टैक्सी ले कर सीधे पहले मेरे घर पहुंचे. 4 दिन बाद मेरे सासससुर की शादी की 30वीं वर्षगांठ थी, इसलिए पहले 3 दिन मुझे मायके में बिताने की स्वीकृति मनीष ने दे दी थी.

मनीष और मुझे अचानक सामने देख कर मेरे मम्मीपापा भौचक्के रह गए. मम्मी की चाल ने मुझे साफ बता दिया कि उन की कमर में तेज दर्द हो रहा है, पर फिर भी उन्होंने उठ कर मुझे गले से लगाया और खूब प्यार किया.

पापा की छाती से लग कर मैं अचानक ही आंसू बहाने लगी थी. उन को प्रसन्न अंदाज में मुसकराते देख मुझे इतनी राहत और खुशी महसूस हुई कि मेरी रुलाई फूट पड़ी थी.

‘‘आप दोनों को क्या हमारे आने की खबर थी?’’ कुछ संयत हो जाने के बाद मैं ने इधरउधर नजरें घुमाते हुए हैरान स्वर में सवाल किया.

‘‘नहीं तो. क्यों नहीं दी तू ने अपने आने की खबर?’’ मम्मी नकली नाराजगी दिखाते हुए मुसकराईं.

‘‘मुझे आप दोनों को ‘सरप्राइज’ देना था. वैसे पहले यह बताओ कि सारा घर फिर किस खुशी में इतना साफसुथरा… इतना सजाधजा नजर आ रहा है?’’

‘‘घर तो अब ऐसा ही रहता है, नेहा. हां, परदे पिछले महीने बदलवाए थे, सो इस कारण ड्राइंगरूम का रंग ज्यादा निखर आया है.’’

‘‘कमाल है, मम्मी. अपनी कमर दर्द की परेशानी के बावजूद आप इतनी मेहनत…’’

‘‘मेरी प्यारी गुडि़या, यह सारी जगमग तेरी मां की मेहनत का नतीजा नहीं है. आजकल साफसफाई का भूत मेरे सिर पर जरा ज्यादा चढ़ा रहता है,’’ पापा ने छाती चौड़ी कर मजाकिया अंदाज में अपनी तारीफ की तो हम तीनों खिलखिला कर हंस पड़े.

‘‘आप और घर की साफसफाई…आई कांट बिलीव यू, पापा.’’

‘‘अरे, अपनी मम्मी से पूछ ले.’’

मैं मम्मी की तरफ घूमी तो उन्होंने हंस कर कहा, ‘‘मैं ने अब इन्हें गृहकार्यों में अच्छी तरह से ट्रेंड कर दिया है, नेहा. कुछ देर में ये हम सब को देखना कितने स्वादिष्ठ गोभी और मूली के परांठे बना कर खिलाएंगे.’’

‘‘गोभी और मूली के परांठे पापा बनाएंगे?’’ मेरा मुंह खुला का खुला रह गया.

‘‘साफसफाई और किचन पापा ने संभाल लिया है, तो घर में आप क्या करती हो?’’ मैं ने आंखें मटकाते हुए मम्मी से सवाल पूछा.

‘‘आजकल जम कर ऐश कर रही हूं,’’ मम्मी ने जब अपने बालों को झटका दे कर बड़ी अदा से पीछे किया तो मैं ने नोट किया कि उन्होंने बाल छोटे करा लिए थे.

‘‘बाल कब कटवाए आप ने? बड़ा सूट कर रहा है आप पर यह नया स्टाइल,’’ मैं ने चारों तरफ घूम कर मम्मी के नए स्टाइल का निरीक्षण किया.

‘‘तेरे पापा को ही मुझे मेम बनाने का शौक चढ़ा और जबरदस्ती मेरे बाल कटवा दिए,’’ मम्मी ने अजीब सी शक्ल बना कर पापा की तरफ बड़े प्यार से देखा था.

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‘‘चल, बाल तो मैं ने कटवा दिए, पर ज्यादा सुंदर दिखने को ब्यूटीपार्लर और जिम के चक्कर तो तुम अपनी इच्छा से ही लगा रही हो न,’’ पापा ने यह नई जानकारी दी, तो मैं ने मम्मी की तरफ और ज्यादा ध्यान से देखा.

उन्होंने अपना वजन सचमुच कम कर लिया था और उन के चेहरे पर भी अच्छाखासा नूर नजर आ रहा था.

‘‘आप दोनों 6 महीने में कितना ज्यादा बदल गए हो. मम्मी, आप सचमुच बहुत सुंदर दिख रही हो,’’ मैं ने प्यार से उन का गाल चूम लिया.

‘‘स्वीटहार्ट, तुम बेकार ही सिंगापुर में मम्मीपापा की चिंता करती रहती थीं. ये दोनों बहुत खुश नजर आ रहे हैं,’’ मनीष की इस बात को सुन कर मैं झेंप उठी थी.

‘‘हमारी फिक्र न किया करो तुम दोनों, परदेस में तुम तो हमारी गुडि़या का पूरापूरा ध्यान रखते हो न, मनीष?’’ पापा ने अपने दामाद के कंधे पर हाथ रख दोस्ताना अंदाज में सवाल पूछा.

‘‘रखता तो हूं… पर शायद उतना अच्छी तरह से नहीं जितना आप मम्मी का रखते हैं,’’ मनीष की यह बात सुन कर हम सब फिर से हंस पड़े.

‘‘कैसे हो गया यह चमत्कार,’’ मेरी हंसी थमी, तो मैं ने पापा और मम्मी का हाथ प्यार से पकड़ कर हैरान सी हो यह सवाल मानो खुद से ही पूछा था.

 

‘‘मुझे कारण पता है,’’ मनीष किसी स्कूली बच्चे की तरह हाथ उठा कर बोले तो हम तीनों बड़े ध्यान से उन का चेहरा ताकने लगे थे.

हमारे ध्यान का केंद्र अच्छी तरह बन जाने के बाद उन्होंने शरारती अंदाज में मुसकरातेशरमाते हुए कहा, ‘‘मेरी समझ से इस घर में दामाद के पैरों का पड़ना शुभ साबित हुआ है.’’

फिर हम चारों के सम्मिलित ठहाके से ड्राइंगरूम गूंज उठा.

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