‘‘तुम इतनी घबरा क्यों रही हो? तुम कांप रही थीं, इसलिए मैं ने तुम्हें पकड़ा था,’’ सिड बोला.
‘सिड, वह पहले ही तुम पर शक करती है, अब तो बात और भी बिगड़ जाएगी,’ वह बुदबुदाई, ‘क्या शीला कहीं से देख रही है?’
‘‘पार्टी कैंसिल करनी पड़ेगी, सिड. मेरा मन नहीं है,’’ प्रीति अब शीला की बात से डर रही थी. कहीं वह सचमुच न आ जाए. कहीं रहस्य खुल न जाए.
साल का आखिरी दिन था. शाम के 7 बजे थे, फिर भी प्रीति ने सभी नौकरों को छुट्टी दे दी थी. पीछे मंद स्वर में म्यूजिक औन था. सिड किचन काउंटर के बगल में एक ऊंचे स्टूल पर बैठा मार्टीनी की छोटीछोटी चुस्कियां ले रहा था और पिछले 15 मिनटों से प्रीति की किचन में आगेपीछे चलने की कदमताल सुन रहा था. लेकिन उस की नजरें बाहर फाटक पर टिकी हुई थीं. प्रीति घड़ीघड़ी रुकती, आह भरती और उस के कंधे पर अपना सिर रख देती. सिड तब हलके से उस का सिर थपथपाता, दिलासा देता.
‘‘ओह, कितना अनप्लेजेंट लग रहा है,’’ वह कहती, ‘‘उसे हमारे मजे वाले दिन को खराब कर के क्या मिला? हाऊ सैल्फिश.’’
सिड की समझ में नहीं आ रहा था कि प्रीति को हुआ क्या है?
‘‘तुम्हारे लिए कुछ लाया हूं, बेबी. ऊपर रखा है, बैडरूम में,’’ कह कर सिड ने उस का माथा चूम लिया.
प्रीति अपनी धुन में बोले जा रही थी, ‘‘फिर भी, मेरा 16वां जन्मदिन ही बैस्ट था. शुरू से अंत तक शीला का प्लान किया हुआ.’’
घड़ी ने 8 बजे का घंटा बजाया और उस ने सोचा, ‘मुझे नहीं लगता कि अब वह आएगी.’
‘‘चलो, किसी की नई साल की पार्टी में ही चलते हैं,’’ कह कर वह ऊपर कपड़े बदलने चली गई. कमरे में जब उसे ज्यादा ठंड महसूस हुई, उसे लगा कि सामने वाली खिड़की खुली है. सिड की लापरवाही पर सिर हिलाते हुए वह उसे बंद करने के लिए बढ़ी तो देखा कि खिड़की बंद थी. इधर उस के नथुने फड़फड़ाने लगे.
‘यह क्या? शैनल नंबर फाइव, तो यह था मेरा सरप्राइज?’
वह इसी विचार में डूबी हुई थी जब उस की नजर सामने रखी आरामकुरसी पर पड़ी. शीला उस में धंस के बैठी सिगरेट फूंक रही थी और प्रीति को देख कर मुसकरा रही थी.
‘‘मैं ने सुना, तुम बता रही थीं सिड को अपने 16वें जन्मदिन के बारे में. तुम्हें याद रहा. दैट वाज स्वीट.’’
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प्रीति उसे फटी आंखों से देख रही थी, ‘‘मैं ने तुम्हें अंदर आते हुए नहीं देखा. तुम अंदर कब आईं?’’
‘‘काफी देर हो गई आए हुए. आंख भी लग गई थी. जगी तब जब तुम ने नौकरों को दफा करना शुरू किया.’’
सिगरेट का धुआं हवा में सांप की भांति उठ रहा था, ‘‘ओह यस, इट इज योर बर्थडे टुडे. तुम जियो हजारों साल साल के दिन हों पचास हजार.’’
‘‘यह तुम किस से बातें कर रही हो, डार्लिंग?’’ आवाज सुन कर सिड भी आ गया. शीला को देखते ही उस का चेहरा तमतमा उठा, ‘‘तुम?’’
‘‘क्यों? चौंक गए.’’
सिड कुछ बुदबुदा रहा था, मगर आवाज गले में फंस सी गई थी.
शीला का चेहरा भी कुछ पीला सा हो गया था.
‘‘सिड, तुम ने मुझे मारना क्यों चाहा?’’ शीला बोली, ‘‘मैं ने तो तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा था.’’
‘‘सिड ने ऐसा कुछ भी नहीं किया. मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि मैं चुपचाप खड़े हो कर तुम्हारी यह बकवास सुन रही हूं. तुम को अपने सब से प्यारे पति से ऐसे बोलने दे रही हूं,’’ शीला पर नजर गड़ाते हुए प्रीति बोली.
‘‘और तुम कर भी क्या सकती हो?’’ फिर सिड को देखते हुए जोरदार आवाज में बोली, ‘‘जब तक मुझे अपने सवाल का जवाब नहीं मिलेगा, मैं वापस नहीं जाऊंगी,’’ शीला उसी आरामकुरसी पर वैसे ही बैठी रही थी.
सिड अब नौर्मल हो गया था. वह प्रीति के कंधों को पकड़े खड़ा था.
‘‘नो बेबी, माई हाउस, माई रूल्स, माई वे. यहां बस मेरी चलती है. मुझे किसी बात का जवाब देने की जरूरत नहीं और तुम तो अब खुशीखुशी वापस जाओगी,’’ यह कह कर प्रीति ने पर्स से रिवाल्वर निकाल कर शीला पर तान दिया और कहा, ‘‘और मेरे पास तुम्हें वापस भेजने का बड़ा अच्छा रास्ता भी है.’’
सिड भौचक्का सा देख रहा था कि प्रीति को हुआ क्या है. क्या बोल रही है?
वह घबरा गया और दो कदम पीछे हट गया. फिर बुदबुदाया, ‘शीला को मारने का प्लान मैं ने और प्रीति ने खुद बनाया था पर क्या किसी को पता चल गया? प्रीति बारबार शीलाशीला क्यों कर रही है. क्यों उस कुरसी की ओर नजरें गड़ाए हुए है.’
‘‘जल्दी खत्म करो, प्रीति. प्लीज,’’ सिड कह रहा था.
‘‘पागल हो गई हो क्या?’’ अपनी घनी बरौनियों के पीछे से शीला उन दोनों को देख रही थी और धीमेधीमे मुसकरा रही थी, ‘‘तुम मुझे, अपनी बहन को मारोगी?’’ यह कह कर उस ने फिर अपनी सिगरेट का कश लिया. उस की सिगरेट की आदत काफी बढ़ गई थी. पहले वह सिर्फ स्टाइलिश लगने के लिए कभीकभार ही सिगरेट फूंकती थी. अब, एक सिगरेट खत्म होती नहीं थी कि दूसरी जल जाती थी.
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प्रीति ने अपनी उंगली रिवाल्वर के घोड़े पर घुमाई और अगले क्षण जोर से धमाका हुआ. शीला के मुंह से निकला हुआ आखिरी शब्द था, ‘‘बाय.’’
धूल और धुएं के बादलों में लिपटी हुई, वह चली गई. न कोई चीख निकली, न कोई पुकार, लेकिन प्रीति को लगा कि धमाके के बाद उस ने उस की खिंचती हुई आवाज यह कहते हुए सुनी, ‘‘जब तक मुझे अपने सवाल का जवाब नहीं मिलेगा, मैं वापस नहीं जाऊंगी.’’
धूल थम गई. धुआं खिड़की से बाहर चला गया. न जाने फिर लाश क्यों नहीं मिली?
प्रीति ने देखा कुरसी पर खून के निशान भी न थे. हां, सीट पर गोली फंसी थी. सिड जोरजोर से चीख रहा था, ‘‘यह क्या हो गया है तुम्हें प्रीति. प्रीति होश में आओ. प्रीति, यू स्वीट गर्ल. प्रीति, यू आर बिग बिच.’’
बड़ा अजीब है यह मियाबीवी का जोड़ा, कैसे तुनकमिजाज हो गए हैं ये. बातबात में लोगों को काटने को दौड़ते हैं. बेवजह बहस करते हैं. खरगोश की तरह अचानक चौंक जाते हैं, बौराए से घूमते हैं. दोस्त हों या दुश्मन, अब सब इन से कतराते हैं.
हर साल प्रीति की हालत बद से बदतर होती जा रही है. सोना भी कम हो गया है. एक और अजीब आदत है प्रीति की कि वह किसी को ढूंढ़ती रहती है. उस को लगता है कि उस के आसपास कोई बैठा है, आरामकुरसी में लेटे हुए या बारस्टूल पर बैठे हुए या किचन के काउंटर पर टिके हुए कोई औरत, ऐंठती, सिगरेट फूंकती, टांग हिलाती, देख रही है, मुसकरा रही है, किसी सवाल के जवाब का इंतजार कर रही है.
प्रीति का यह बदला रुख देख कर सिड भी परेशान है. वह भी आपा खोता सा दिख रहा है.
सिड शीला के नाम पर फिल्म बनाना चाहता था पर प्रीति और सिड दोनों ने ही उस प्रसिद्ध अभिनेत्री को भगा दिया था, चिल्लाचिल्ला कर. प्रीति चीखी थी, ‘‘शीला पर फिल्म उस के मरने के बाद बनेगी. अभी वह काम बाकी है.’’
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‘‘कितनी भली लग रही हो, मेरी जान,’’ ऐसा कह कर वह एक लंबी हंसी हंसी. फिर उस ने अपनी सिगरेट का कश लिया. इस बीच, उस ने अपनी नजर प्रीति के चेहरे से नहीं हटाई.
‘‘क्या हुआ माई स्वीटनैस,’’ अपनी खनकती आवाज में वह बोलती रही, ‘‘मुझे देख कर खुश नहीं हुई?’’
प्रीति शीला को विस्फारित नेत्रों से देख रही थी. उस का मुंह एकदम सूख गया था. एक शब्द भी निकालना मुश्किल हो गया था.
‘‘नहीं,’’ आखिर एक शब्द निकल ही आया, ‘‘हमें तो लगा था कि ऐक्सिडैंट.
शीला ने धुएं का छल्ला बनाते हुए कहा, ‘‘ऐक्सिडैंट? कैसा ऐक्सिडैंट? कोई ऐक्सिडैंट नहीं हुआ था. वह तो मुझे मारने की कोशिश की गई थी जो नाकामयाब रही. हूं न तुम्हारे सामने, माई डार्लिंग,’’ वह फिर हंस दी.
लेकिन जब प्रीति उस से गले मिलने उस की तरफ बढ़ी, तो उस ने अपना हाथ उठा कर उसे आगे बढ़ने से रोक दिया, ‘‘नहीं, वहीं रहो. तुम्हें क्या लगता है, मैं भूल गई हूं, कैसी एलर्जी हो जाती है तुम्हें, मेरी सिगरेट के धुएं से. लेकिन फिर भी,’’ मुंह से धुएं का बड़ा सा बादल निकालते हुए वह बोली, ‘‘फिर भी तुम्हारा हर आशिक चेन स्मोकर था. हाऊ आइरौनिक.’’ फिर वह जोरजोर से हंसने लगी और हंसतेहंसते उस ने अपनी सिगरेट बुझा दी.
प्रीति की नजरें शीला पर से अब जा कर हट पाई थीं. गरमियों की छुट्टियों में दोनों बहनें किसी नई जगह जाती थीं, शिमला, नैनीताल, मसूरी आदि. इन की मम्मी को असल में हिलस्टेशन बहुत पसंद थे. जहां भी ये बहनें जातीं, हालात कुछ ऐसे बनते कि ये हमेशा अपने चारों तरफ अपने हमउम्र नौजवानों को पातीं. शीला से तो इन नौजवानों को डर लगता था. वह उन्हें घास भी नहीं डालती थी. मगर प्रीति का हर गरमी में एक नया अफसाना हो ही जाता था.
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‘‘मुझे तुम्हारे सभी आशिक पसंद थे, लेकिन पिन्का सब से अच्छा था. याद है?’’
खयालों में खोई प्रीति मुसकरा रही थी.
अब भी उसे याद था वह दृश्य. ऊंचाई इतनी थी कि बादल जमीन पर आ गए थे. मोटरसाइकिलों पर सवार कई सारे नौजवान दूर से आतेआते, उन तक पहुंच कर आगे निकल गए थे. बस, एक रुक कर देर तक दोनों बहनों को घूरघूर कर देख रहा था. उस के घूरने में कोई छिछोरापन नहीं था. ‘ऐसी होती हैं दिल्ली की लड़कियां,’ वह यह सोच रहा था, बाद में उस ने खुद ही यह बात प्रीति को बताई थी. वह था पिन्का. उस गरमी की छुट्टियों में पूरा शिमला प्रीति ने उस की मोटरसाइकिल पर पीछे बैठ कर देखा.
प्रीति ने आखिर कह ही दिया, ‘‘हां, मुझे अपने सभी आशिक पसंद थे, सिर्फ आखिरी वाला कभी नहीं अच्छा लगा. लेकिन मजेदार बात यह है कि बस, एक वही स्मोक नहीं करता था. जस्ट नौट माई टाइप. काश, तुम ने उस से शादी नहीं की होती,’’ सूखते गले और होंठों को गीला करने की असफल कोशिश करने लगी वह.
शीला ने एक और सिगरेट जला ली थी और बड़े ध्यान से प्रीति को देख रही थी.
‘‘सिड में बहुत सी अच्छी क्वालिटीज हैं. तुम ने उसे ठीक से नहीं समझा,’’ प्रीति बोली.
गहरी सांस लेते हुए वह बोली, ‘‘शायद, तुम ठीक कह रही हो. लेकिन उस ने मेरी कार क्यों टैंपर की?’’
प्रीति का मुंह फक् पड़ गया. बड़ी मुश्किल से वह बस इतना ही कह पाई, ‘‘ऐसा मत कहो. यह सच नहीं है. सिड तुम्हें बहुत चाहता है.’’
‘‘मैं तुम्हें बहुत कंट्रोल करती हूं, यही कह कर वह तुम्हें ले गया था न? अब वह तुम्हें कंट्रोल करता है. मुझे लगता है तुम्हें शौक है किसी न किसी के कंट्रोल में रहने का. गड़बड़ तुम में है, प्रीति.’’
वह फिर जोर से हंसने लगी. प्रीति को फिक्र हो रही थी कि आसपास वाले कहीं शिकायत न करने लगें. लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा. सब या तो खा रहे थे या बस उसे ही देख रहे थे. शीला की तरफ किसी का ध्यान न था. उस को लगा कि उस की आवाज ही नहीं निकलेगी. बड़ी मुश्किल से वह हिम्मत जुटा पाई, ‘‘शीला, यह सच नहीं है कि सिड ने तुम्हारी कार के साथ टैंपर किया था.’’
‘‘सच?’’ कुरसी से उठते हुए शीला बोली, ‘‘देखो तो. यहां मैं बातों में उलझ गई, वहां मेरा इंतजार हो रहा है. पता नहीं वह वेटर मेरा दोसा ले कर क्यों नहीं आया. बैठा होगा कहीं, इधरउधर, अपने प्यारे नेपाल के खयालों में खोया हुआ. खैर, कोई बात नहीं. आज बिना खाने के ही काम चलाना पड़ेगा. तुम से मैं बाद में मिलूंगी.’’
‘‘रुको, शीला, तुम यों नहीं जा सकतीं.’’
‘‘तुम्हारी पार्टी में आऊंगी. परसों है न? योर बर्थडे बैश.’’
प्रीति ने हौले से अपना सिर हिला दिया.
एक सुंदर हंसिनी की भांति इठलाती हुई शीला दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी. प्रीति ने उसे रोकते हुए कहा, ‘‘सुनो, क्या तुम वाकई सोचती हो…मेरा मतलब है, सिड और तुम्हारी कार…तुम बिना बात के शक कर रही हो…सोचो, कोई तुम्हें क्यों मारना चाहेगा?’’
यह सुनते ही शीला अपनी हील की नोक पर घूम गई. उस ने सिगरेट का गहरा कश लिया और प्रीति की ओर देखते हुए उसे आंख मारी और फिर बोली, ‘‘कई वजहें हो सकती हैं, माई इनोसैंट सिस्टर. पैसा, यश, रौब वगैरह सब काम की चीजें हैं, चाहे वे अपनी मेहनत की हों. या किसी और की,’’ यह कहने के साथ ही उस ने प्रीति को एक फ्लाइंग किस दिया.
‘‘सच, अब और नहीं रुक सकती. काम है. तुम्हें मैं कल 10 बजे फोन करूं?’’ जवाब का इंतजार किए बिना शीला वहां से चली गई. वापस मुड़ने पर प्रीति ने देखा कि उस का खाना कब का आ कर ठंडा भी हो गया था.
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‘‘क्या बात है, मेम साब? खाना अच्छा नहीं लगा? छुआ तक नहीं. कुछ और लाऊं?’’ वेटर ने बड़े अदब से कहा.
जो लोग बैठे थे वे प्रीति को घूर रहे थे. उन की चहेती शीला की बड़ी बहन है. कुछकुछ तो शीला जैसी ही है पर शीला वाली बात कहां है उस में, हर आंख में यही कथन था. यही बात प्रीति को वर्षों से सालती रही है.
अगले दिन औफिस में प्रीति बड़ी कसमसाहट महसूस कर रही थी. वैसे उस का मोबाइल नंबर नया था इसलिए शीला के फोन के आने की संभावना थी ही नहीं. फिर भी, मन बेचैन था. अभी 10 बजे ही थे कि फोन की घंटी बज उठी. बहुत सहम कर उस ने फोन उठाया.
‘‘हैलो.’’
उधर से जानीपहचानी सी आवाज सुनाई दी. इस से पहले कि वह आगे कुछ कह पाती, पीछे से 2 हाथों ने उस के कंधे पकड़ लिए. जब तक वह यह देखने के लिए मुड़ी कि कौन है, फोन ही कट गया. वह कोई और नहीं, सिड था.
आगे पढ़ें- साल का आखिरी दिन था. शाम के 7 बजे थे, फिर भी प्रीति ने…
उस का नाम प्रीति नहीं था. उस की मां ने उस का नाम प्रतिमा रखा था. मगर प्रीति नाम में कुछ अलग ही खनक थी. जब लोग उसे इस नाम से पुकारते थे तो उसे लगता था कि वह खूबसूरत है. इसीलिए उस ने अपना नाम प्रीति कर लिया था. वह साल के आखिरी दिन पैदा हुई थी, उसे इस में तारों की साजिश लगती थी. उस के पैदा होने का कोई न कोई खास मतलब जरूर है, ऐसा उसे लगता था.
उस के परिवार की असली हीरोइन शीला थी. उम्र में उस से 1 साल छोटी उस की बहन शीला और कोई नहीं ‘सिल्क शीला’ के नाम से मशहूर अभिनेत्री थी. देश का चमकता तारा थी वह. शान, शोहरत तो उस के पांव पर पड़े थे. ओह, क्या नहीं था उस में.
शीला हवा में उड़ती, आसमान को छूती, बादल जैसी थी और खुद प्रीति जमीन पर पड़ी हुई, उस बादल की स्लेटी परछाईं के नीचे दबी हुई, अपनी नीरस जिंदगी जी रही थी. यह थी उस की हकीकत और यह बात प्रीति को काफी सताती थी.
एक दिन प्रीति के लिए अचानक धूप निकल आई. शीला एक कार ऐक्सिडैंट में मारी गई. एक अजीब हादसा था. लाश घाटी में कहीं गिर गई थी. शीला के लाखों फैंस की दुनिया में मातम की लहर छा गई. मायूसी ने उन्हें उस की इकलौती जीवित बहन प्रीति की तरफ मोड़ दिया. प्रीति के चेहरे में उन्हें अपनी परमप्रिय शीला की झलक दिखाई दी. उस से वे शीला के बारे में जानना चाहते थे. कैसी थी वह, उस के बचपन के किस्से, उस की छोटीमोटी आदतें, उस की पसंदनापसंद, सब कुछ जानना चाहते थे वे.
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आने वाले दिनों और महीनों में प्रीति को लोगों ने अपने सिरआंखों पर बिठा लिया और वह उन के विस्मित ध्यान में लोटने लगी. दोनों बहनों का बचपन कैसे व्यतीत हुआ, इस पर एक नामी लेखक के साथ किताब लिखने का प्लान भी बनने लगा. और केक के ऊपर लगे हुए लाल चैरी के बारे में तो पति सिड हरदम याद दिलाता था. तमाम कानूनी कागजात पूरे हो जाने के बाद प्रीति को इंश्योरैंस कंपनी में नौकरी मिल गई थी और कंपनी की तरफ से जो पैकेज मिला था वह भी कम भारी नहीं था.
प्रीति अब संपूर्ण स्वतंत्रता के साथ एक मिड लेवल कौर्पोरेट औरत की जिंदगी व्यतीत कर रही थी. उस ने अपना कैरियर बड़े धीरज और मेहनत के साथ बनाया था. लेकिन अपनी मशहूर बहन के सामने उसे अपनी सब सफलताएं फीकी लगती थीं. अब उस की छोटी बहन इस दुनिया में नहीं रही. बस, उस की यादें ही बची थीं और उन यादों की हिफाजत करना उस के जिम्मे था. और क्या चाहिए था उसे. अवसर का पासा खुदबखुद गिर कर सही दाने दिखा रहा था. सही कहा गया है, दुनिया में देर है लेकिन अंधेर नहीं.
एक दिन प्रीति दफ्तर में बहुत व्यस्त थी. उसे अपनी असिस्टैंट लतिका से कोई जरूरी काम था इसलिए वह उसे ढूंढ़ रही थी. डैस्क पर उसे न पा कर उस ने अनुमान लगाया कि हो न हो वह प्रोग्राम मैनेजर रैंबो के औफिस में गई है. वह रैंबो के औफिस में गई. औफिस का दरवाजा अंदर से बंद था. परदे भी गिरे हुए थे.
‘तो यह बात है. कितना मजा आएगा उस की रोंदी सूरत देखने में जब वह उस रिपोर्ट को पढ़ेगी जो इस वक्त मैं अपने मन में लिख रही हूं. ‘आई जस्ट कांट वेट,’ मन ही मन बड़बड़ाते हुए पैर घसीट कर वह वापस अपने औफिस में आ गई. यह काम बेशक उसे ध्यान से करना पड़ेगा, क्योंकि जहां औफिस की टीम का हर सदस्य उस के अंडर में था और वे सभी इस बात से डरते थे कि प्रीति मैडम उन की रिपोर्ट में क्या लिखेंगी, उस की अपनी रिपोर्ट की इंक रैंबो के पैन से निकलती थी.
‘थोड़ी ताजी हवा ले ली जाए,’ यह सोचते हुए वह औफिस से बाहर आ गई. उस के पास अकसर औफिस वालों के साथ शेयर करने के लिए कई सारी रसदार बातें हुआ करती थीं, लेकिन उस दिन वह अलग मूड में थी.
‘मैं अब काफी आगे बढ़ गई हूं. वे सब कैम्पेनशैम्पेन जो चलते रहते हैं अंदर, अब मुझे उन में शामिल होना शोभा नहीं देता,’ वह सोच रही थी.
उस के लिए पदोन्नति अकस्मात, अनचाहे ट्रांसफर की चिंताएं, ये सब पुरानी बातें हो गई थीं. औरों को बस काटना, उन का मजाक उड़ाना, बौस के कान में औरों की एकाएक पदावनति का कीड़ा डालना, या फिर मिल कर किसी एक के चक्कर दिलाने वाले पतन की कल्पना करना, ये सब बातें अब उसे थका देने वाली लगने लगी थीं.
आज बाहर निकल कर उस ने चैन की सांस ली थी. उसे बड़ा अच्छा लग रहा था. पास के एक कैफे में अर्ली लंच के लिए घुस गई. वेटर गोरखा था. उस के मुसकराते चेहरे की हर शिकन से गरमाहट रिस रही थी. और्डर लेने के बाद वह चला गया, बड़े हिचकिचाते हुए वह चारों ओर देखने लगी. लोगों की उस पर टिकी हुई नजरों को खोजना, यह उस का नया शौक बन गया था. वह सैलिब्रिटी जो बन गई थी शीला के कारण. लेकिन उस वक्त कैफे खाली था.
अचानक उसे पीछे से सरसराहट की आवाज आई, सिल्क साड़ी की सरसराहट, लेकिन उस ने उसे नजरअंदाज कर दिया. पर जब सिगरेट की हलकी, मिंट वाली बू उस तक पहुंची उस के बदन में जैसे बिजली सी दौड़ पड़ी. एक जानीपहचानी सी महक उस के नथुनों ने महसूस की. उस ने एक गहरी सांस ली. इस में कोई शक नहीं था कि जो सिगरेट फूंकने वाली महिला उस के पीछे बैठी थी, उस ने वही फरफ्यूम लगाया था जो उस की बहन का फेवरिट हुआ करता था.
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रोज सुबह तैयार होने के बाद, शीला शनैल नंबर फाइव की 5 बूंदें ठीक उनउन जगहों पर लगाती थी जहांजहां वह अपने चहेतों से चुंबन चाहती थी. प्रीति खयालों में खो गई. तभी किसी औरत के पहले जोर से हंसने और फिर बोलने की आवाज आई, ‘‘चाहे मेरे हजार टुकड़े कर के चारों तरफ बिखेर दिए जाएं, लेकिन मेरी बहन मुझे इगनोर करे, ऐसा कदापि न हो.’’
प्रीति से न रहा गया. उस ने तेजी से पलट कर देखा. सामने बैठी थी सर्वांग सुंदर, मूर्तिनुमा, हवा में उठी 2 तिरछी उंगलियों में सिगरेट दबाए, रेशमी साड़ी पहने मुसकराती उस की बहन शीला. बड़े अंदाज से उस ने अपना सिर एक तरफ टेढ़ा किया हुआ था. वह (शीला) उसे अजीब नजरों से घूर रही थी. प्रीति को लगा मानो 2 छुरियों ने उसे पकड़ रखा है.
आगे पढ़ें- प्रीति शीला को विस्फारित नेत्रों से देख रही थी….
हम सभी की लाइफ में कभी न कभी ऐसा मोड़ आता है, जब हमें किसी चीज से समझौता करना पड़ता है. लेकिन जब बात कार खरीदने की हो तो अब आपको कंप्रमाइज करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. क्योंकि Hyundai Verna एक ऐसी कार है जिसमें आपको एक पैकेज के रूप में क्लास-लीडिंग फीचर्स और बेहतरीन परफॉर्मेंस से लेकर सबकुछ मिल जाएगा.
दरअसल, इस स्पोर्टी और पॉवरफुल सेडान में वह सब कुछ है जिसकी आपको जरूरत है तो अब आपको समझौता करने की बिल्कुल भी जरूरत ही नहीं है. हुंडई की नई वरना कार यानी #BetterThanTheRest
सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Ye Rishta Kya Kehlata Hai) फेम शिवांगी जोशी और मोहसिन खान रियल लाइफ में फैंस को बेहद पसंद आते हैं और दोनों को साथ देखने के लिए बेताब रहते हैं. बीते दिनों जहां दोनों के रोमांटिक सौंग बारिश के टीजर ने सोशलमीडिया पर सुर्खियां बटोरी थीं तो वहीं अब सौंग के रिलीज होने के बाद भी फैंस गाने पर अपना प्यार बरसा रहे हैं. मोहसिन और शिवांगी के बारिश गाने को रिलीज हुए कुछ ही मिनटों में हजारों लोग देख चुके हैं. आइए आपको दिखाते हैं गाने की वीडियो….
देखें बारिश का ट्रेलर
मोहसिन खान और शिवांगी जोशी ‘बारिश’ म्यूजिक वीडियो में नजर आ रहे हैं. हाल ही में मेकर्स ने इस गाने का टीजर जारी किया था, जिसमें शिवांगी जोशी और मोहसिन खान की सिजलिंग केमिस्ट्री दर्शकों को खूब पसंद आ रही थी. लेकिन अब ट्रेलर में दोनों का रोमांटिक अंदाज भी फैंस का ध्यान खीच रहा है.
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मोहसिन ने लिखी ये बात
अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर गाने का ट्रेलर शेयर करते हुए मोहसिन खान ने लिखा कि #Baarish गाना यूट्यूब पर आ चुका है. गाने को लाइक और कमेंट के साथ शेयर करते रहें.
शिवांगी और मोहसिन कर चुके हैं गाने को प्रमोट
बीते दिनों फैंस के बीच अपने इंस्टाग्राम पर शिवांगी जोशी ने म्यूजिक वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया, ‘तुम्हें बारिश बड़ा याद करती है…आज भी मुझसे तेरी बात करती है! बारिश गाना जल्द ही 11 अगस्त 2020 को रिलीज होने जा रहा है. कैसा लगा टीजर?’ वहीं टीजर को देखने के बाद फैंस उनकी जमकर तारीफें कर रहे हैं. वहीं ‘बारिश’ गाने के लिए पायल देव और स्टेबिन बेन ने अपनी आवाज दी है. इसके बोल कुनाल वर्मा द्वारा लिखे गए हैं. इस बीच आरिफ खान द्वारा निर्देशित वीडियो का म्यूजिक आदित्य देव ने दिया है.
रेटिंग : साढे़ तीन स्टार
निर्माता: करण जोहर, ज़ी स्टूडियो, हीरू यश जोहार, अपूर्वा मेहता
निर्देशक: शरण शर्मा
कलाकार: जान्हवी कपूर, पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह, मानव विज, आएशा रजा मिश्रा व अन्य
ओटीटी प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स
अवधि: 1 घंटा 57 मिनट
1999 कारगिल युद्ध में पहली महिला वायुसेना पायलट के रूप में शरीक होकर भारत को विजयश्री दिलाने वाली गुंजन सक्सेना के जीवन पर बनी फिल्म “गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल” महज एक बायोपिक फिल्म नहीं है, बल्कि फिल्मकार शरण शर्मा की इस फिल्म में देशभक्ति और नारी उत्थान की भी बात की गयी है. यह फिल्म फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेन की कहानी है, जिन्होंने 24 वर्ष की उम्र में कारगिल युद्ध के दौरान अद्भुत साहस का परिचय देते हुए तमाम घायल सैनिकों को अस्पताल तक पहुंचाया था .2004 में उन्होंने स्क्वार्डन लीडर के रूप में अवकाश लिया था. यह फिल्म 12 अगस्त, बुधवार से ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर देखी जा सकती है.
कहानी:
फिल्म की कहानी लखनऊ में रह रहे पूर्व आर्मी ऑफिसर अनूप सक्सेना (पंकज त्रिपाठी) के घर से शुरू होती हैं. अनूप सक्सेना की बेटी गुंजन सक्सेना और गुंजू (जान्हवी कपूर) की अपने बड़े भाई (अंगद बेदी) के संग नोकझोंक चलती रहती है. गुंजू का सपना है पायलट बनकर हवाई जहाज उड़ाना .उसके इस सपने के साथ उसका भाई और मां (आयशा रजा मिश्रा) नहीं है, मगर उसके पिता का उसे पूरा समर्थन हासिल है. गुंजन तीन बार पायलट बनने के लिए दिल्ली के ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में जाती है ,मगर हर बार शैक्षणिक योग्यता बढ़ जाती है.ग्रेजुएशन करने के बाद जब वह पहुंचती है ,तो पता चलता है कि फीस 5 लाख से बढ़कर 10 लाख हो गयी तथा पायलट बनने में 6 से 7 वर्ष लगेंगे .अब उसका परिवार इतना धन देने में असमर्थ है. गुंजन मन मसोसकर रह जाती है. लेकिन कहते हैं कि जहां चाह हो, वहां राह निकल आती है,.अचानक एक दिन अखबार में पहली बार भारतीय वायु सेना में महिलाओं की भर्ती का विज्ञापन छपता है और गुंजन के सपनों को पंख मिल जाते हैं.
ट्रेनिंग के दौरान बार-बार पुरुष अफसर उसे एक लड़की होने के नाते कमजोर होने का अहसास कराते रहते हैं .पर वह उनसे लड़ते हुए अपने आप को सशक्त बनाते हुए उधमपुर बेेस की सर्वश्रेष्ठ वायुसेना पायलट अफसर बनती है .यूनिट के प्रमुख कमांडर (मानव विज) का भी उसे साथ मिलता है. अंततः 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान गुंजन सक्सेना को भी देश की सेवा करने का अवसर मिलता है.
जहां पर उसका भाई सैन्य अधिकारी है, कारगिल युद्ध में देश को विजय दिलाने में गुंजन का भी योगदान होता है. और युद्ध भूमि पर उतरने वाली पहली भारतीय महिला वायुसेना पायलट बनती है .
लेखक व निर्देशन
एक बेहतरीन पटकथा पर बनी यह फिल्म है. जिसमें पहली वायुसेना महिला पायलट की तैयारियों व संघर्ष के साथ पुरुषों के साथ नारी की बराबरी के संघर्ष के मुद्दे को भी उठाया गया है. निर्देशक शरण शर्मा ने बड़ी खूबसूरती से इसका चित्रण किया है कि एक महिला को वहां ना पहुंचने दिया जाए कि उससे आदेश लेना पड़े, इसके लिए पुरुष क्या-क्या करता है . इसमें पुरुष की मर्दानगी पर भी कटाक्ष किया गया है, इसी के साथ देशभक्ति का जज्बा भी जगाती है.
निर्देशक शरण शर्मा की स्वतंत्र निर्देशक के रूप में यह पहली फिल्म है, पर वह एक मंजे हुए निर्देशक का परिचय देने में सफल रहे हैं. कारगिल युद्ध के दृश्य छोटे समय के लिए भले ही हो, मगर वह कैरीकेचर नहीं लगते ,बल्कि फिल्म देखते समय अहसास होता है कि 1999 कारगिल युद्ध के वक्त ऐसा ही हुआ होगा.
फिल्म के कुछ दृश्य बहुत अच्छे बन पड़े हैं. जिसमें गुंजन व उसके पिता के बीच के कुछ दृश्यों के अलावा एक दृश्य वह है, जिसमें गुंजन का भाई अपने पिता के साथ बहन की सुरक्षा की चिंता व्यक्त करता है.
तो वहीं कुछ संवाद काफी बेहतरीन बने हैं. जैसे “डर अक्सर गलती करवाता है”अथवा “जो मेहनत का साथ नहीं छोड़ते भाग्य उनका साथ नहीं छोड़ता”.
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अभिनय:
पूरी फिल्म को अनूप सक्सेना के किरदार को निभाते हुए पंकज त्रिपाठी अपने कंधे पर लेकर चलते हैं.पंकज त्रिपाठी ने काफी सधा हुआ अभिनय किया है. पंकज त्रिपाठी के साथ जान्हवी कपूर के कई दृश्य काफी अच्छे बन पड़े हैं. गुंजन सक्सेना की शीर्ष भूमिका मैं जान्हवी कपूर हैं ,यह उनके कैरियर की ‘धड़क’, ‘घोस्ट स्टोरीज’ के बाद तीसरी फिल्म है . पर अभी उन्हें काफी मेहनत करने की जरूरत है .’घोस्ट स्टोरीज’ के छोटे किरदार में उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया था , पर यहां कुछ कमी रह गयी.कुछ भावनात्मक दृश्यों के साथ साथ कारगिल युद्ध के दौरान पायलट की सीट पर बैठे हुए जब वह एक सख्त निर्णय लेती है, उस वक्त यह भाव ठीक से उनके चेहरे पर नहीं उभरता. बहन की सुरक्षा के प्रति सचेत भाई के किरदार में अंगद बेदी ने ठीक-ठाक अभिनय किया है. विनीत कुमार सिंह, आयशा रजा मिश्रा, मानव विज ने ठीक-ठाक अभिनय किया है.
बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड मामले में कई नए खुलासे देखने को मिल रहे हैं. वहीं रिया चक्रवर्ती के खिलाफ फैंस का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है. इसी बीच लेट एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की एक्स गर्लफ्रेंड और टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे ने हाल ही में अपनी एक लेटेस्ट फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें वह काफी दिनों बाद बेहद खुश नजर आ रही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…
खुशी की ये है वजह
दरअसल, अंकिता अपनी इस फोटो में खुशी से चहकती हुई दिख रही हैं. इतना ही नहीं, उनके हाथों में दो जुड़वां बच्चे भी दिखाई दे रहे हैं. साथ ही फोटो पर कैप्शन देते हुए अंकिता ने बताया है कि उनके परिवार में दो जुड़वां बच्चों ने कदम रखा है. अंकिता लोखंडे ने लिखा, ‘हमारा परिवार एक नई जिंदगी के घर आने पर खुशियां मना रहा है. हमारा सर्कल इन दो जुड़वां बच्चों के आने से और भी ज्यादा अमीर हो गया है. अबीर और अबीरा तुम्हारा परिवार में स्वागत है.’ अंकिता लोखंडे की इन फोटोज पर टीवी सेलेब्स जमकर बधाइयां दे रहे हैं. अंकिता लोखंडे इन बच्चों के आने से बेहद खुश नजर आ रही है.
इससे पहले किए थे ये पोस्ट
सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से अंकिता लोखंडे ने सोशल मीडिया से दूरी बना ली थी. हालांकि अंकिता लोखंडे ने पहली फोटो एक्टर की मौत को 1 महीना पूरा होने पर शेयर की थी, जिसमें मंदिर में जलता हुआ दिया रखा हुआ दिखाई दिया था. साथ ही कैप्शन में लिखा था, ईश्वर का बच्चा’.
बता दें, एक्स बॉयफ्रेंड सुशांत सिंह राजपूत की कथित सुसाइड केस को लेकर जहां सीबीआई जांच का गठन हुआ है तो वहीं ईडी भी रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार से घंटो पूछताछ में जुटी है. साथ ही अंकिता भी अपने बयानों के जरिए साफ कर चुकी हैं कि सुशांत कभी खुदकुशी कर ही नहीं सकता था. वहीं फैंस भी उनके सुशांत के लिए सपोर्ट को लेकर अंकिता की तारीफें कर रहे हैं.
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देश में लाखों लोग नेशलन स्कॉलरशिप पाने की चाह रखते हैं और इसके लिए अप्लाई भी करते हैं, क्योंकि इससे आवेदनकर्ता अलग-अलग तरह की स्कीम का लाभ ले सकते हैं. दरअसल, नेशनल स्कॉलरशिप में एक ही तरह की छात्रवृत्ति नहीं मिलती बल्कि अलग-अलग समय पर कई तरह के नोटफिकेशन आते रहते हैं. जिसके लिए आप उस वक्त अप्लाई कर सकते हैं. अगर आप नेशनल स्कॉलरशिप के पोर्टल को देखेंगे तो समझ आएगा कि कई आधार पर स्कीम निकाली जाती है. जिसके अलग-अलग फायदे मिलते हैं.
चार आधार पर दी जाती है स्कॉलरशिप
सेंट्रल स्कीम
यूजीसी स्कीम
एआईसीटीई स्कीम
स्टेट स्कीम
कौन-कौन कर सकता है आवेदन
ये हर स्कीम के उपर डिपैंड करता है कि नेशलन स्कॉलरशिप में कौन अप्लाई कर सकता है. अप्लाई करने के लिए हर स्कीम की योग्यता भी अलग होती है. उस वक्त आपको स्कीम के लिए जारी हुई गाइडलाइन देखनी चाहिए और उसी के अनुसार यह पता लगाना चाहिए कि आप स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं या नहीं.
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अप्लाई करने की आखिरी सीमा
नेशलन स्कॉलरशिप के लिए आप कब तक अप्लाई कर सकते हैं, इसके लिए भी आपको गाइडलाइन पहले ही देख लेनी चाहिए, क्योंकि हर स्कीम के लिए आवेदन की आखिरी तारीख अलग-अलग हो सकती है.
आधिकारिक गाइडलाइन पर करें भरोसा
इधर उधर से जानकारी लेने के बजाय आप स्कीम की गाइडलाइन देखने के लिए आधिकारिक वेबसाइट scholarships.gov.in पर ही जाएं. इसके होम पेज पर आपको सभी स्कीम के हिसाब से सही जानकारी मिल जाएगी.
अप्लाई करना है आसान
-आधिकारिक वेबसाइट scholarships.gov.in पर जाएं.
-इसके बाद होमपेज पर सेंट्रल, यूजीसी के अनुसार अपनी स्कीम का चयन करें.
– स्कीम को सेलेक्ट करने के बाद उसके आगे लिखी हुई गाइड लाइन जरूर पढ़ें.
– स्कीम में आवेदन का ऑप्शन देखें, यहां से आप अप्लाई कर सकते हैं.
– यहां सबसे पहले आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा उसके बाद ही आवेदन कर सकते हैं.
– ध्यान रखें कि रजिस्टर करने के लिए भी आपको आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा.
– अगर एक बार आपने रजिस्टर कर लिया तो बार-बार रजिस्टेशन नहीं करना पड़ेगा.
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कोरोना का कहर जारी है. इससे बचाव के लिए लोग अपनी-अपनी तरह से सावधानियाँ बरत रहे हैं. कोरोना वायरस जैसे वैश्विक महामारी के दौर में मास्क के साथ-साथ हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल भी जरूरी बताया गया है. इसलिए किसी भी चीज को छूने के बाद हम अपने हाथों को सैनिटाइज़ करना नहीं भूलते. विश्व स्तर पर सैनिटाइजर की मांग भी काफी बढ़ गई है. हम घर में हों या बाहर कहीं भी जाएँ, अपने साथ सैनिटाइजर का एक बोतल रखना नहीं भूलते हैं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना सुविधाजनक भी है. लेकिन क्या आपको पता है कि सैनिटाइजर के ज्यादा इस्तेमाल या जरा सी चूक से आप दुर्घटना ग्रस्त हो सकते हैं ?
रसोई में खड़े होकर सैनिटाइजर से मोबाइल फोन, चाबी व घर के अन्य सामान को साफ करना हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले एक शख्स को काफी भारी पड़ गया. दरअसल, जब वह इन सब सामानों को सैनिटाइजर से साफ कर रहा था तब उस वक़्त ही उसकी पत्नी खाना बना रही थी. इस दौरान सैनिटाइजर उस व्यक्ति के कपड़ों पर गिर गया और देखते ही देखते कपड़ों पर आग पकड़ ली. आननफानन में उसने अपने कपड़े तो उतारें, पर वह शख्स तब तक 35 फीसदी तक जल चुका था. इस घटना में पीड़ित व्यक्ति का छाती, पेट और दोनों हाथों की त्वचा झुलस गई.
डॉक्टर का कहना है कि सैनिटाइजर में 75 फीसदी तक अल्कोहल होता है. ज़्यादातर में 62 फीसदी तक इथाइल अल्कोहल होता है. इससे यह बहुत ज्वलनशील हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि रसोई में सैनिटाइजर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. डॉक्टर का यह भी कहना है कि बार-बार और बहुत ज्यादा मात्रा में सैनिटाइजर के इस्तेमाल से त्वचा रूखी हो जाती है. इसके अलावा कुछ दूसरी दिक्कतें भी हो सकती है. रिसर्च में पाया गया है कि सैनिटाइजर का ज्यादा इस्तेमाल करने से हमारे इम्यून सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है.
सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसान नामक एक केमिकल होता है. यह त्वचा में सूख जाता है. लेकिन अगर सैनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल किया जाए तो यह त्वचा के भीतरी परतों में भी जा सकता है और खून में मिल कर मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए जब हाथ साफ करने का दूसरा कोई विकल्प न हो, तभी सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए.
सैनिटाइजर में बेंजाल्कोनियम होता है, जो बैक्टीरिया और वायरस को मारता है. लेकिन इससे कुछ लोगों को एलर्जी की भी समस्या हो सकती है. जैसे त्वचा में जलन, खुजली जैसी समस्या हो सकती है.
सैनिटाइजर का इस्तेमाल सुविधाजनक तो है ही, और इसे आप कहीं भी कैरी कर के ले जा सकते हैं. इसलिए दिन-प्रतिदिन इसकी मांग बढ़ती जा रही है. सैनिटाइजर में खुशबू के लिए फैथलेट्स नामक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है, इसकी मात्रा कुछ सैनिटाइजर में ज्यादा होता है. अत्यधिक खुशबू वाले सैनिटाइजर के इस्तेमाल से लीवर, किडनी, फेफड़े और रिप्रोडक्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है.
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गाड़ी के अंदर सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बचें
अगर आप कार के अंदर सिगरेट पी रहे हैं तो सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बचें. क्योंकि इससे आग लग सकती है. सैनिटाइजर में अल्कोहल होता है, इसलिए इसे ठंडी जगह पर रखने का निर्देश दिया जाता है. कार के अंदर सैनिटाइजर रखा है तो इस बात का ध्यान रखें कि विंडशील्ड के सामने न रखा हो. सैनिटाइजर को कार के अंदर ऐसी जगह पर रखें जहां धूप सीधे सैनिटाइजर की बोतल पर न पड़े. जब भी सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें, तो हाथों को कुछ देर के लिए आँखों से दूर रखें.
आप छोटे बच्चों की केयर को लेकर परेशान हैं और बार-बार सैनिटाइजर का प्रयोग करती हैं, तो ध्यान रखें कि बच्चों के लिए सैनिटाइजर सुरक्षित नहीं है. बच्चों के हाथ में सैनिटाइजर डालने से बचना चाहिए, क्योंकि बच्चों की त्वचा कोमल होती है इसलिए सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बच्चों के कोमल त्वचा को नुकसान पहुँच सकता है. बच्चों की त्वचा रूखी हो सकती है. सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बच्चों में एलर्जी होने की संभावना हो सकती है. 5 साल से छोटे बच्चे मास्क नहीं लगा पाते, इसलिए बेहतर है कि बच्चों को बाहर न निकालें और न ही उन्हें दूसरों के संपर्क में आने दें. छोटे बच्चों को परिवार के सदस्य के अलावा अन्य की गोद में न दें.
कुछ सैनिटाइजर में एल्कोहल की मात्र ज्यादा होती है. एल्कोहल से त्वचा ड्राई हो जाती है. कुछ लोगों को सैनिटाइजर की आदत हो जाती है. कुछ भी छूने पर, वे तुरंत बाद हाथ पर सैनिटाइजर लगा लेते हैं. इससे त्वचा की नमी खत्म हो जाती है. रूखापन बढ़ने से त्वचा फटने लगती है और कई बार तो खून भी निकलने लगता है. इसलिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल तभी करना चाहिए, जब आप घर से बाहर हों और साबुन पानी की व्यवस्था न हो. कई प्रकर के सैनिटाइजर में हानिकारक केमिकल होते हैं, इसलिए हमेशा खाना खाने से पहले इसके इस्तेमाल के बाद, पानी हाथ जरूर धो लें.
1-साबुन और पानी होने पर
अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, किटाणुओं से छुटकारा पाने के लिए साबुन और पानी से हाथ धोना बहुत कारगर तरीका है. कम से कम 20 सेकेंड तक साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए . सैनिटाइजर के बदले साबुन पानी को प्राथमिकता देनी चाहिए.
2-जब हाथ गंदे दिखाई दे
अगर आपके हाथों में गंदगी दिखाई दे रही है, लग रहा है आपका हाथ गंदा है,तो साफ करने के लिए साबुन और पानी का इस्तेमाल करें. गंदगी को हटाने के लिए सैनिटाइजर का प्रयोग प्रभावी नहीं है. अल्कोहल बेस्ट हैंड सैनिटाइजर आपके हाथों से गंदगी को दूर नहीं करता है और अगर आपके हाथ गंदे हैं तो वायरस और बैक्टीरिया को मारने में भी ये कम प्रभावी हैं.
3-अगर आपके बगल में कोई छींक रहा हो
अगर आपके बगल में कोई छींकता है तो आप हैंड सैनिटाइजर का कितनी बार इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, इसके इस्तेमाल से कोई खास फायदा नहीं होगा. आपके पास अगर कोई खाँसता छींकता है तो सांस लेते समय हवा के माध्यम से आप संक्रमण हो सकते हैं. इसलिए बेहतर होगा कि खाँसने छींकने वाले इंसान से दूरी बनाकर रहें. क्योंकि सावधानी ही सुरक्षा है.
4- बिना किसी चीज को छूए
कई लोग बिना किसी चीज को छूए ही बार-बार अपने हाथों को सैनिटाइज़ करते रहते हैं. उन्हें लगता है, कुछ छू दिया हो तो ? इसलिए वह सैनिटाइजर से हाथ साफ कर लेते हैं. लेकिन एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हैंड सैनिटाइजर के ज्यादा इस्तेमाल से प्रतिरोधी बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं. हम जितना ज्यादा हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं, उतने ही किटाणु अल्कोहल के प्रति सहनशील बनते हैं. ऐसे में बेहतर यही होगा कि जब बहुत ज्यादा जरूरत महसूस हो तभी हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें.
क्योंकि इसके ज्यादा उपयोग से त्वचा में जलन, एलर्जी और त्वचा शुष्क होने लगती है. सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, हैंड सैनिटाइजर लगाने का सही तरीका यह है कि इसे हाथों पर लगभग 20 सेकेंड तक दोनों हाथों से रगड़ें, तब तक, जब तक की हाथ सुख न जाए.
फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन खतरनाक हैंड सैनिटाइजर को लेकर चेतावनी देते हैं कि इसमें ऐसे उत्पाद पाये जाते हैं जिनमें जहरीले मेथनॉल होते हैं एक जहरीली शराब जो प्रणालीगत प्रभाव, अंधापन और मृत्यु का कारण बन सकती है.
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी व्यापक स्तर पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन पर्यावरण के जानकार इसे पारिस्थिकी तंत्र के लिए नया खतरा बता रहे हैं. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में सैनिटाइजर के छिड़काव से कई छोटे किट-पतंगे और तितलियाँ मर रही है.
कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए हम काफी मेहनत कर रहे हैं, हालांकि, अगर आप प्रभावी और सस्ते तरीके की तलाश में हैं, तो बॉलीवुड एक्ट्रेस जुही चावला के इन आयुर्वेदिक नुख्से को जरूर आज़माएँ.
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हाल ही में, एक्ट्रेस जुही चावला ने अपने इंस्टाग्राम पर एक उपयोगी वीडियो शेयर किया. उन्होंने एक आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के साथ बात की और घर के हैंड सैनिटाइजर और एयर प्युरीफायर बनाने का तरीका बताया. उन्होंने वीडियो शेयर किया और कैप्शन में लिखा, “पवार ऑफ आयुर्वेद फन फ़ैक्ट. आप घर में प्युरीफायर लगाए बिना अपने कमरे की हवा को शुद्ध कर सकते हैं. कोरोना वायरस ने दुनिया भर के लोगों में आयुर्वेद की शक्ति में विश्वास को बढ़ाया है. आपके हाथों को साफ करने के लिए सैनिटाइजर घर में प्रभावी तरीके से बनाने के लिए सिर्फ नीम की पत्तियाँ और थोड़ी सी हल्दी की जरूरत होती है.
हैंड सैनिटाइजर और एयर प्युरीफायर बनाने के तरीके
सामग्री
नीम के पत्ते, मुट्ठी भर
हल्दी पाउडर, ½ चम्मच
पानी एक बाउल
बनाने और इस्तेमाल करने का तरीका
एक बाउल में नीम की पत्तियाँ डालें और पानी भरें.
इसके बाद ½ चम्मच हल्दी पाउडर डालें, अच्छे से हिलाएँ और यह तैयार है. इस बाउल को अपने कमरे में रखें. यह हवा को शुद्ध करेगा.
अगर आप इसे सैनिटाइजर के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं तो इसे एक बोतल में स्टोर करें और इसे अपने हाथों को धोएँ.
नीम हल्दी के फायदे
नीम में एंटी-बैक्टीरिया, एंटी-फंगल गुण पाये जाते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया और फंगल को दूर रखने में मदद करते हैं. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, इसलिए लंबे समय से यह भारतीय चिकित्सा का एक अहम हिस्सा है. माना जाता है कि नीम हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छे पौधों में से एक है. एयर प्युरीफायर तैयार करने के लिए नीम की पत्तों का उपयोग करना बहुत अच्छा माना जया है, क्योंकि यह हवा को तुरंत साफ करता है और आपके लिए पर्यावरण को हेल्दी बनाता है. नीम के पत्तों के कुछ और स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे
नीम की पत्तियाँ एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो शरीर को फ्री रेडिकल डैमेज से बचाती है जिससे कैंसर, हार्ट प्रोब्लेम और डायबिटीज़ जैसे हेल्थ प्रॉब्लेम्स दूर हो सकती है. इसमें एंटी-फंगल बैक्टीरिया गुण शरीर में अनहेल्दी बैक्टीरिया को मारते हैं. नीम की पत्तियाँ में क्लीजिंग गुण होते है, ये हवा और शरीर से टॉक्सिन को निकालने में मदद करते हैं.
हैंड सैनिटाइजर और एयर प्युरीफायर को बनाने में इस्तेमाल होने वाला दूसरा तत्व हल्दी है। अधिकांश लोग हल्दी के फायदे के बारे में जानते हैं. यह एक प्रकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है जो एक अच्छा कीटाणुनाशक बनाते हैं. हल्दी के एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरस और एंटी-फंगल गुण हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं.
एक्सपर्ट भी कहते हैं
हल्दी में बायोएक्टिव तत्व मौजूद होने के कारण दवाओं को तैयार करने के लिए इसे एक बेहतरीन तत्व माना जाता है. इसमें शक्तिशाली औषधीय गुण होते हैं. ये एक अच्छा इम्यूनिटी बूस्टर है. यह हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले किटाणुओं से लड़ती है. हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो फ्री रेडिकल्स से लड़ता है, जिससे कई स्वास्थय समस्याएँ हो सकती हैं.
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जब आप हैंड सैनिटाइजर और एयर प्युरीफायर बनाने का यह तरीका जान गए हैं तो इसे बनाए और जहरीले सैनिटाइजर से खुद को बचाएं.