Hyundai Grand i10 Nios: उम्मीद से कहीं ज्यादा

कार निर्माता कंपनी हुंडई अपनी Hyundai Grand i10 Nios को लेकर काफी चर्चा में है. यह कार
ग्राहकों के बीच खासी लोकप्रिय हैचबैक कार बन चुकी है.

दरअसल, आयरिश भाषा में ‘Nios’ शब्द का अर्थ ‘अधिक’ से है और इस शब्द से नए Hyundai Grand i10 Nios को अच्छी तरह समझा जा सकता है.

हर स्तिथी में यह आपके उम्मीद से कहीं ज्यादा खरी उतरती है. इसके पिछले हिस्से के बूट पर लगे स्पॉयलर की वजह से यह एक स्पोर्टी हैचबैक कार है. जिसकी वजह से कार का पिछला हिस्सा काफी आरामदेह व स्पेस वाला है.

आने वाले दिनों में हम आपको डिटेल में बताएंगे कि हुंडई ग्रैंड i10 Nios आपके लिए बेहतर और पैसा वसूल हैचबैक कार क्यों है.

CINTAA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज जोशी ने महाराष्ट् के राज्यपाल से क्यों की मुलाकात?

कोरोना महामारी की वजह से महाराष्ट् सरकार के संशोधित  दिशा निदेश जारी होने के बावजूद फिल्मों की शूटिंग शुरू नहीं हो पा रही है. इसकी मूल वजह सरकार का यह दिशा निर्देश है कि स्टूडियो या सेट पर 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोग मौजूद नही रह सकते. इस नियम के चलते अमिताभ बच्चन, किरण कुमार,अनिल कपूर, रोहिणी हटंगणी,मनोज जोशी,कंवलजीत सहित तकरीबन तीन दर्जन से अधिक कलाकार और महेश भट्ट,राज कुमार संतोषी सहित कई वरिष्ठ निर्देशक,कई कैमरामैन, मेकअप मैन वगैरह सेट पर काम नही कर सकते.इसी के चलते फिल्मों के अलावा कुछ सीरियलों की श्ूाटिंग शुरू नही हो पायी है.
ऐसे में ‘‘सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन’’ (सिंटा)के अलावा ‘‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्प्लाॅइज’’ (एफ डब्लू आई सी ई) ने 31 मई से अब तक कई पत्र महाराष्ट् के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखकर इसमें छूट देने की गुहार लगाई.इसके अलावा कुछ पत्र केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय को लिखे गए.इस संदर्भ में ‘‘सिंटा’’के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अभिनेता मनोज जोशी ने व्यक्तिगत स्तर पर महाराष्ट् के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात की.इतना ही नही हेमा मालिनी सहित कई कलाकारांे ने इस संबंध में केंद्र सरकार से भी बात की.मगर डेढ़ माह से अधिक बीत चुका है,सभी चुप्पी साधे हुए हैं.उधर फिल्मों की शूटिंग शुरू न हो पाने से जूनियर आर्टिस्ट (पुरुष और महिला)के रूप में कार्यरत कलाकार, सिने नर्तक, फोटोग्राफर,डमी कलाकार का किरदार निभाने वाले व स्टंट कलाकारों सहित लाखों लोगों के लिए आर्थिक संकट पहले से कहीं अधिक गहरा गया है.इनके घरों में दो वक्त के भोजन का संकट भी पैदा
हो चुका है.

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इसी संदर्भ में ‘‘सिंटा’’के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व अभिनेता मनोज जोशी ने महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ मुलाकात की. मनोज जोशी ने  राज्यपाल से निवेदन किया कि 65 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ अभिनेताओं से उनके मौलिक अधिक को न छीनकर उन्हें फिल्मों की शूटिंग करने की अनुमति देने के लिए आवश्यक कदम उठाए.माननीय राज्यपाल ने मनोज जोशी को आवश्यक सहयोग देने का आश्वासन दिया.
इस संबंध में ‘‘सिंटा’’के वरिष् ठ उपाध्यक्ष और अभिनेता मनोज जोशी कहते हैं-‘‘माननीय राज्यपाल के संग हमारी यह बैठक दोहरे उद्देश्य से संपन्न हुई.स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे राज्यपाल ने महात्मा गांधी पर एक निबंध लिखा था और एक आम व्यक्ति के रूप में डाक विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में भाग लिया था.जब उन्होंने प्रतियोगिता जीती,तो उन्होंने इस पुरस्कार राशि में अपनी तरफ से तीन गुना राशि जोड़ी और डाकघर के कर्मचारियों को ‘कोविड 19’ के खिलाफ सुरक्षा के लिए वही उपहार दिया.मैं उनके इस अद्भुत कारनामें के लिए उन्हें बधाई देने के साथ-साथ शॉल और विठोबा व रूक्मिणी की मूर्ति देने के लिए गया था.
उसके बाद हमने उन्हें ‘सिंटा’के इतिहास से परिचित कराते हुए ‘सिंटा’ के उन वरिष्ठ सदस्यों /नागरिकों के बारे में बात की, जिन पर उनका परिवार आजीविका के लिए निर्भर करता है और उनके पास पहले से ही लगभग चार माह से काम व आमदनी नहीं है.हमने  विस्तार से बताया कि काम करने वाले वरिष्ठों की संख्या बहुत बड़ी है.इनके द्वारा निभाए जा रहे किरदार फिल्मों में इस तरह से हैं,कि निर्माता चाहकर भी इन्हें प्रतिस्थापित नहीं कर सकते.वैसे हमने उन्हे कलाकारों के संदर्भ में पहले भी पत्र भेजा था.‘‘
मनोज जोशी आगे कहते हैं-‘‘माननीय राज्यपाल के संग हमारी यह बैठक 40 मिनट चली.महामहिम ने आश्वासन दिया है कि वह हमारी हर संभव मदद करेंगें. तरह से मदद करेंगे.’’

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मनोज जोशी आगे कहते हैं-‘‘हमारी संस्था ‘सिंटा’ ने महामहिम राज्यपाल के अलावा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, मंत्री सुभाष देसाई और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को भी पत्र भेजे थे.हमें खुशी है कि माननीय राज्यपाल के साथ बैठक अच्छी रही.हमें उम्मीद है कि इसका एक सकारात्मक परिणाम होगा.’’

दिल बेचारा: Sushant Singh Rajput की आखिरी फिल्म का ट्रेलर रिलीज, इमोशनल हुए सेलेब्स

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ का ट्रेलर बीते दिन रिलीज हो गया है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. हालांकि फैंस सुशांत की फिल्म थियेटर में देखने की मां कर रहे हैं. मेकर्स के ‘दिल बेचारा’ को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज करने के फैसले के बाद हर कोई उन्हें सपोर्ट कर रहा है, जिनमें फिल्म की हीरोइन संजना सांघी भी शामिल हैं. इसी बीच ट्रेलर देखने के बाद फैंस ही नहीं सेलेब्स भी इसे काफी पसंद कर रहे हैं.

सीन्स देख फैंस हुए इमोशनल

‘दिल बेचारा’ के ट्रेलर के कुछ सीन्स ऐसे है जो फैंस को इमोशनल कर रहे हैं. ट्रेलर के एक सीन में सुशांत सिंह राजपूत कह रहे हैं कि, ‘जन्म कब लेना है और मरना कब है…ये हम डिसाइड नहीं कर सकते है पर कैसे जीना है वो हम डिसाइड कर सकते हैं.’ बता दें ये फिल्म अमेरिकन फिल्म ‘द फॉल्ट इन ऑवर स्टार्स’ का हिंदी रीमेक है.

 

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#DilBechara Its gonna be really hard to watch this one.. but how can i not!! 💔 #Sush @castingchhabra @sanjanasanghi96

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सेलेब्स ने भी सुशांत को किया याद

 

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I didn’t know Sushant Singh Rajput personally…only through his films & some interviews!! He had tremendous emotional intelligence both on & off screen!! ❤️ I feel like I know him better now, all thanks to his fans…Countless lives that he touched, with endearing simplicity, grace, love, kindness & that life affirming smile!!!🤗❤️ To all you Sushant Singh Rajput Fans…He was blessed to be this loved by you all…not just as a brilliant Actor but also, as a celebrated human being, one who belonged!!🤗 I wish I knew him, had the opportunity to work with him…but mostly, that we would’ve had the time, to share the mysteries of the ‘Universe’ from one Sush to another…and maybe, even discovered why we both had a fascination for the number 47!!! 🤗 Loved the Trailer of #dilbechara ❤️ Here’s wishing the very best to everyone in the team!!! My regards & respect to Sushant’s family, friends & loved ones..his fans!!! #peace #strength #duggadugga ❤️ I love you guys!!!

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‘दिल बेचारा’ का ट्रेलर रिलीज होते ही बॉलीवुड सितारे सुशांत सिंह राजपूत को याद करते नजर आए, जिनमें एक्ट्रेस सुष्मिता सेन से लेकर कृति सेनन जैसे बौलीवुड सितारे शामिल हैं. हर कोई सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म के ट्रेलर की तारीफ कर रहा है.

रितेश देशमुख ने लिखी ये बात

फिल्म ‘दिल बेचारा’ का ट्रेलर देखने के बाद रितेश देशमुख (Riteish Deshmukh) ने लिखा कि, मुझे फिल्म का ट्रेलर बहुत पसंद आया. सुशांत सिंह राजपूत और संजना की जोड़ी स्क्रीन पर जादूई नजर आ रही है. इस शानदार एक्टर की इस कीमती फिल्म को देखने के लिए मैंने पॉपकॉर्न तैयार कर लिए हैं. प्यारे सुशांत सिंह राजपूत तुम हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहोगे और ऐसे ही चमकीले सितारे की तरह आसमान में चमकते रहोगे.

ए आर रहमान के दिल को छू लिया

फिल्म ‘दिल बेचारा’ के ट्रेलर बॉलीवुड के जानेमाने संगीतकार ए आर रहमान (A. R. Rahman) का दिल भी छू लिया है. फिल्म ‘दिल बेचारा’ के ट्रेलर को शेयर करते हुए लिखा कि, सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया है. प्यार की खूबसूरत कहानी को देखना मत भूलिएगा. वहीं सुशांत सिंह राजपूत के साथ फिल्म ‘काय पो छे’ में काम कर चुके राजकुमार राव (Rajkummar Rao) के पास तो फिल्म ‘दिल बेचारा’ के ट्रेलर की तरीफ करने के लिए शब्द ही नहीं बचे हैं. तभी तो राजकुमार राव ने फिल्म का ट्रेलर शेयर करते हुए केवल एक टूटे दिल की इमोजी बनाई.

बता दें, सुशांत के सुसाइड मामले में कई लोगों से पूछताछ जारी है. हाल ही डायरेक्टर संजय लीला भंसाली से बातचीत में उन्होंने कई बाते बताई है, जिसके बाद केस को नया मोड़ मिल सकता है.

डिप्रेशन को लेकर पोस्ट लिखने के बाद पार्थ समथान ने उठाया ये कदम, पढ़ें खबर

बीते दिनों बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड करने के बाद से डिप्रेशन को लेकर लोगों के बयान सामने आ रहे हैं. वहीं एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने भी अपनी डिप्रेशन को लेकर चिंता जाहिर की हैं. इसी बीच कसौटी ज़िंदगी के 2 सीरियल अनुराग यानी एक्टर पार्थ समथान (Parth Samthaan) ने सोशल मीडिया को कुछ समय के लिए अलविदा कहने का फैसला लिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला…

सोशल मीडिया की नेगेटिविटी और ट्रोलिंग के चलते लिया फैसला

दरअसल, पिछले दिनों पार्थ ने इंस्टा स्टोरी में पर अपनी बालकनी की फोटो शेयर करते हुए लिखा कि सोशल मीडिया से कुछ समय के लिए जा रहा हूं. आपसे जल्द मिलूंगा. हालांकि पार्थ ने यह क़दम किस वजह से उठाया, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि सोशल मीडिया की नेगेटिविटी और ट्रोलिंग से बचने के लिए उन्होंने ब्रेक लिया है. हालांकि पार्थ से पहले एरिका फर्नांडिस और नेहा कक्कड़ ने भी सोशल मीडिया से ब्रेक लेने का फैसला किया था.

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डिप्रेशन को लेकर कह चुके हैं बात

पार्थ ने कुछ दिन पहले डिप्रेशन को लेकर भी एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने अपने दोस्तों, परिवार और फैंस का साथ देने के लिए शुक्रिया अदा किया था और लिखा था- यह सही है, लॉकडाउन के दौरान डिप्रेशन और दुख के कुछ लम्हे रहे थे, लेकिन इसी से तो हमें ताकत मिलती है और मजबूत बनते हैं. हम ख़ुद को आगे धकेलते हैं ताकि जब यह पैनेडेमिक ख़त्म हो जाए तो हम दुनिया का सामना करने के लिए तैयार हो चुके हों.

 

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Stay hydrated and keep your immune system high ! #day235689470027

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बता दें, लॉकडाउन के दौरान पार्थ समथान सुर्खियों में थे, जिसकी वजह हैदराबाद में अपने दोस्तों के साथ पार्टी करना था. जबकि ऐसा करने की अनुमति नहीं थी. इसी बीच विकास गुप्ता ने एक वीडियो के जरिए पार्थ से मॉलेस्टेशन के आरोपों पर सफाई देने के लिए कहा था. हालांकि पार्थ ने इस मुद्दे पर कोई बात नही की थी.

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कोविड-19 पर कशमकश : हवा में भी नोवल कोरोना

अदृश्य दुश्मन नोवल कोरोना वायरस से सामूहिक लड़ाई लड़ने के बजाय दुनिया के देश तकरीबन बिखरे हुए दिख रहे हैं. इस लड़ाई का नेतृत्व करती विश्व संस्था वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) ही कठघरे में है. इस बाबत भारत की स्थिति तो और भी हास्यास्पद है.
देश की सरकार के अधीन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इस साल 15 अगस्त को वैक्सीन लौंच किए जाने की बात कही. जबकि, सरकार की मिनिस्ट्री औफ साइंस ऐंड टैक्नोलौजी का कहना है कि COVAXIN  और  ZyCov-D  के साथसाथ दुनियाभर में 140  वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में से 11 ह्यूमन ट्रायल के दौर में हैं, लेकिन इन में से किसी भी वैक्सीन के 2021 से पहले बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तैयार होने की संभावना नहीं है. इस से साफ़ है कि कोरोना वैक्सीन को ले कर आईसीएमआर और मिनिस्ट्री औफ साइंस ऐंड टैक्नोलौजी के बीच सामंजस्य नहीं है. स्थिति अपनी ढपली बजाने व अपना राग आलापने जैसी है. हालांकि, मंत्रालय ने बाद में अपने जारी बयान से वह बयान हटा लिया है जिस से दोनों के बीच असहमति दिख रही थी.
आईसीएमआर के दावे पर आपत्ति :
देश में कोरोना वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा इस साल 15 अगस्त को वैक्सीन लौंच किए जाने की बात पर कई संगठन और विपक्ष ने सवाल खड़े किए.
बता दें कि आईसीएमआर के डीजी डाक्टर बलराम भार्गव ने 2 जुलाई को प्रमुख शोधकर्ताओं से कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कहा था ताकि 15 अगस्त के दिन विश्व को पहली कोरोना वैक्सीन दी जा सके. आईसीएमआर की ओर से जारी पत्र के मुताबिक, 7 जुलाई से ह्यूमन ट्रायल के लिए एनरोलमैंट शुरू हो जाएगा. इस के बाद अगर सभी ट्रायल सही हुए तो आशा है कि 15 अगस्त को वैक्सीन को लौंच किया जा सकता है. सब से पहले भारत बायोटेक की वैक्सीन मार्केट में आ सकती है.
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि 15 अगस्त तक वैक्सीन बनाना संभव नहीं है. ऐसे में जारी किए गए उपरोक्त निर्देशों ने भारत की शीर्ष मैडिकल शोध संस्था आईसीएमआर की छवि को धूमिल किया है. वहीं, मिनिस्ट्री ने भी 2021 तक वैक्सीन आने की बात कही थी.

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लगातार उठे सवाल पर आईसीएमआर ने बाद में अपनी सफाई में कहा कि लोगों की सुरक्षा और उन का हित सब से बड़ी प्राथमिकता है. वैक्सीन की प्रक्रिया को धीमी गति से अछूता रखने के लिए यह पत्र लिखा गया था.
हवा में वायरस :
नोवल कोरोना वायरस को ले कर हो रहे नएनए अध्य्यनों के बीच वैज्ञानिकों ने अब यह दावा किया है कि यह वायरस हवा में भी मौजूद रहता है. हालांकि, डब्लूएचओ इस बात को नकारता है कि कोरोना हवा में रह सकता है.
दुनिया के जानेमाने सैकड़ों वैज्ञानिकों का दावा है कि हवा में मौजूद मामूली कण से भी लोग संक्रमित हो रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि नोवल कोरोना हवा में लंबे वक्त तक रह सकता है और कई मीटर का सफर तय कर के आसपास के लोगों को संक्रमित कर सकता है.
वैज्ञानिकों की यह बात सच है तो बंद कमरे या ऐसी अन्य जगहों पर संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा होगा. ऐसे में स्कूल, दुकान और ऐसी अन्य जगहों पर काम करने के लिए लोगों को अतिरिक्त सावधानी का पालन करना होगा. बस में यात्रा करना भी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि  2 मीटर दूर बैठने पर भी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.
डब्लूएचओ को वैज्ञानिकों की चेतावनी :
कोरोना को ले कर डब्लूएचओ की गतिविधियों को कठघरे में खड़ा किया गया है. कई देशों ने तो उस की पहले ही कड़ी आलोचना की है लेकिन अब, दुनियाभर के 239 वैज्ञानिकों ने ख़त लिख कर डब्लूएचओ को चेतावनी दी है.  32 देशों के इन वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस हवा में भी मौजूद रहता है. वैज्ञानिक इस पत्र  की बातों को आने वाले वक्त में एक साइंस जर्नल में प्रकाशित करना चाहते थे, लेकिन लेकिन इस से पहले ही यह मीडिया में लीक हो गया. इस चेतावनी के साथ वैज्ञानिकों ने डब्लूएचओ को सलाह दी है कि वह अपनी गाइडलाइंस बदले.
अमेरिका से प्रकाशित एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट के मुताबिक,  डब्लूएचओ  को लिखे पत्र में वैज्ञानिकों  ने कहा है कि हवा में मौजूद मामूली कण से भी लोग संक्रमित हो रहे हैं. पत्र लिखने वाले वैज्ञानिकों की  टीम में शामिल आस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी  औफ टैक्नोलौजी की प्रोफैसर लिडिया मोरावस्का ने कहा, “’हम इस बात को ले कर सौ फीसदी आश्वस्त हैं.”
वैज्ञानिकों के नए दावे के मद्देनजर डब्लूएचओ को अपनी गाइडलाइंस बदलनी पड़ सकती है. जिन जगहों पर बेहतर वेंटिलेशन नहीं हैं, वहां दूरदूर बैठने के बावजूद लोगों को अनिवार्य रूप से मास्क पहनना पड़ सकता है. डब्लूएचओ  अब तक कहता रहा है कि मुख्यतौर पर संक्रमित व्यक्ति के कफ या छींकने के दौरान निकली छोटी बूंद से ही कोरोना वायरस फैलता है.
कोरोना से संक्रमित होने को  हजारों  तैयार :
आमतौर पर वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया काफी धीमी होती है. इस में तेजी लाने के लिए एक संस्था ने अनोखा कैंपेन शुरू किया है. कैंपेन के तहत स्वस्थ  वौलंटियर्स की सूची तैयार की जा रही है जो वैक्सीन ट्रायल के लिए जानबूझ कर कोरोना संक्रमित होने को तैयार हों.
एक अमेरिकी इंग्लिश डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 डे सूनर नाम की एक औनलाइन संस्था ने कैंपेन शुरू किया है. इस के तहत संस्था की वैबसाइट पर विभिन्न देशों के लोग वौलंटियर बनने के लिए अपना नाम दर्ज करा सकते  हैं.  यह संस्था अब तक 140 देशों से  30,108 वौलंटियर्स जुटा चुकी है.

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आमतौर पर वैक्सीन ट्रायल के दौरान स्वस्थ लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जाती है, लेकिन उन्हें जानबूझ कर संक्रमित नहीं किया जाता.  वैक्सीन की खुराक देने के बाद वैज्ञानिक इंतजार करते हैं कि व्यक्ति खुद से संक्रमित हो और उस के शरीर में हुई प्रतिक्रिया पता चले. लेकिन ऐसे में काफी लंबा समय लग सकता है और अगर किसी कम्युनिटी में कोरोना के मामले घट जाएं तो जरूरी नहीं है कि वौलंटियर्स संक्रमित हो. ऐसे में वैक्सीन तैयार करने में देरी हो सकती है.
वैक्सीन तैयार करने में कैसे आएगी तेजी: 
1 डे सूनर संस्था ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की वकालत कर रही है. संस्था का कहना है कि जो लोग खुद से आगे आ रहे हैं उन्हें वैक्सीन की खुराक दी जाए और फिर उन्हें वायरस से संक्रमित किया जाए. ऐसे में वैक्सीन का रिजल्ट जल्दी पता किया जा सकेगा और लाखों लोगों को जान बचाई जा सकती है.
हालांकि, 1 डे सूनर के अलावा किसी भी देश की  स्वास्थ्य एजेंसियों ने वैक्सीन वौलंटियर्स को जानबूझ कर संक्रमित करने की अनुमति नहीं दी  है. इस के पीछे एक वजह यह है कि कोरोना बीमारी कई लोगों के लिए जानलेवा भी हो सकती  है.
1 डे सूनर संस्था का मानना है कि अगर ह्यूमन चैलेंज ट्रायल को मंजूरी दी जाती है तो वैक्सीन जल्दी तैयार होगी और लाखों लोगों की जान बचेगी. संस्था के वौलंटियर के रूप में खुद का नाम देने वालीं 29 साल की अप्रैल सिंपकिंस कहती हैं कि दुनियाभर में जिस तरह कोरोना फैल रहा है, उस को ले वे असहाय महसूस कर रही थीं. लेकिन जब उन्हें 1 डे सूनर का पता चला तो उन्हें लगा कि वे मदद कर सकती हैं.
 अमेरिका में ऐसे ट्रायल को तभी मंजूरी मिल सकती है जब मैडिकल एथिक्स बोर्ड और फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन की ओर से इजाजत मिल जाए. बता दें  कि मलेरिया और हैजा की वैक्सीन तैयार करने के दौरान ह्यूमन चैलेंज ट्रायल किए गए थे.
इस तरह, कोरोना को ले कर दुनियाभर में कशमकश जारी है. ऐसे में कोरोना से सामूहिक लड़ाई की बात की जानी बेमानी लगती है.

अब एक साथ 100 लोग कर सकेंगे वीडियो कांफ्रेंस, पढ़ें खबर

covid-19 महामारी के कारण जहाँ एक ओर हम सभी अपने घरों में कैद से हो गए है वहीँ दूसरी तरफ online work ,online classes और video calling का चलन काफी बढ़ गया है. इसी को देखते हुए कई कंपनियां अपने users के अनुभव को बढ़ाने के लिए लगातार इंपॉर्टेंट फीचर्स लॉन्च कर रही है.
जहाँ अभी कुछ दिनों पहले whats app ने अपने video कालिंग की लिमिट बढाई थी ,वहीँ अब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी फेसबुक और इंटेल जैसी कंपनियों को अपने डिजिटल कारोबार में हिस्सेदारी बेचकर अरबों डॉलर जुटाने के बाद जूम को टक्कर देने की तैयारी कर ली है.

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने अपने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग app जियोमीट (JioMeet) को लॉन्च कर दिया है. कंपनी इस ऐप पर पिछले काफी समय से काम कर रही थी. पहले जहां Jio Meet ऐप का बीटा वर्जन मई में रोल आउट किया गया था. अब इस ऐप के स्टेबल वर्जन को Android (एंड्रॉइड) और iOS (आईओएस) दोनों प्लेटफॉर्म्स के लिए रोल आउट कर दिया गया है.

Google Play Store और Apple App Store के साथ ही इस ऐप को डेस्कटॉप यूजर्स के लिए भी लॉन्च किया गया है. जियो मीट एप, Google Play Store और Apple App Store से फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है.

रिलायंस के इस कदम को प्रतिद्वंद्वी जूम के साथ ‘प्राइज वार’ के रूप में देखा जा रहा है . अभी तक जहाँ हमें जूम पर 40 मिनट से अधिक की मीटिंग के लिए monthly 15 डॉलर देने होते थे जो एक साल के हिसाब से 180 डॉलर होता है. वहीं जियोमीट इससे अधिक सुविधा मुफ्त में उपलब्ध करा रही है. इससे जूम मीटिंग आयोजित करने वाले को जियोमीट का इस्तेमाल करने पर सालाना 13,500 रुपये की बचत होगी.

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यह अंदाजा लगाया जा रहा है की यह Zoom, Google Meet, hangout, Microsoft Team, Skype जैसे वीडियो कॉलिंग ऐप्स को कड़ी टक्कर देगा.

आइये जाने इस app की क्या है खासियत –

इस app में असीमित मुफ्त कॉलिंग की सुविधा मिलेगी. जियो मीट HD विडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप के जरिए एक साथ 100 लोगों से कनेक्ट हुआ जा सकता है. इसका मतलब इसके जरिए एक साथ 100 लोग मीटिंग में शामिल हो सकते हैं. इसकी जो सबसे बड़ी खासियत है वो है इसका multidevice लॉग इन सपोर्ट . इसे अधिकतम 5 डिवाइसेज के साथ कनेक्ट किया जा सकता है.ऐप में कॉल के दौरान आप एक से दूसरे डिवाइस पर स्विच भी कर सकते हैं.

वहीं इस एप को इस्तेमाल करने के लिए किसी तरह का कोई भी शुल्क नहीं लगेगा.

इस app की एक और खास बात यह है कि इसमें जूम की तरह 40 मिनट की समयसीमा नहीं है. कंपनी ने दावा किया है कि इसमें कॉल्स 24 घंटे तक जारी रखी जा सकती है. जियोमीट में समय की कोई सीमा नहीं होने की वजह से टीचर्स को अपनी ऑनलाइन classes को छोटा करने की जरूरत नहीं होगी.
प्राइवेसी के लिए इसमें हर एक मीटिंग के लिए अलग पासवर्ड है. इसमें स्क्रीन शेयरिंग और वेटिंग रूम की भी सुविधा है. इससे कोई भी भागीदार मीटिंग में बिना अनुमति शामिल नहीं हो सकता. इसमें ग्रुप बनाने की अनुमति है.

रिलायंस जियो इन्फोकॉम के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट पंकज पवार ने कहा, ‘जियो मीट कई खास सर्विस वाला प्लैटफॉर्म है. यह किसी भी डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम कर सकता है. इसकी एक और खास बात है कि यह किसी आम विडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप की तरह कोलैबोरेशन को लिमिट नहीं करता.’

इसके अलावा इस ऐप को डेस्कटॉप के जरिए भी एक्सेस किया जा सकता है. इसके लिए यूजर को इन्वाइट लिंक पर क्लिक करना होगा. इन्वाइट लिंक पर क्लिक करने के बाद यूजर ग्रुप वीडियो कॉलिंग का हिस्सा बन सकते हैं. साथ ही ये ऐप Windows Store पर भी उपलब्ध है. Windows 10 ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन करने वाले डिवाइसेज में भी इस ऐप को स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.

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आइए जानते हैं JioMeet एप को इस्तेमाल करने का तरीका

JioMeet एप को गूगल प्ले-स्टोर या एपल के एप स्टोर से डाउनलोड करें. इसके बाद मोबाइल नंबर या ई-मेल आईडी के जरिए रजिस्टर्ड करें. खास बात यह है कि जियोमीट में मीटिंग को स्टार्ट करने के लिए यानी होस्ट को जियो मीट पर अकाउंट बनाने की जरूरत है पर यदि कोई मीटिंग ज्वाइन करना चाहता है तो उसे अकाउंट बनाने की जरूरत नहीं है.

जियो मीट में भी आप मीटिंग शेड्यूल कर सकते हैं. जियो मीट की मीटिंग में भी कोई भी मीटिंग कोड के जरिए मीटिंग में शामिल हो सकता है.

किसी मीटिंग को ज्वाइन करने के लिए आपको Join के विकल्प पर क्लिक करना होगा. इसके बाद मीटिंग आईडी और पासवर्ड डालना होगा. यदि आप खुद कोई मीटिंग शुरू करना चाहते हैं तो मोबाइल नंबर डालकर ओटीपी के जरिए लॉगिन करके आप मीटिंग शुरू कर सकते हैं.

यदि आपने Zoom इस्तेमाल किया है तो आपको परेशानी नहीं होगी, क्योंकि JioMeet के सभी फीचर्स जूम एप जैसे ही हैं.

Monsoon Special: स्वाद और सेहत से भरपूर है ये ‘स्टफ्ड पनीर कुलचा’

ये तो हम सभी जानते है की सुबह का नाश्ता हमारी बॉडी के लिए कितना जरूरी होता है. और जहाँ तक मै समझती हूँ हर माँ की सबसे बड़ी उलझन यही होती है की वो अपने बच्चे के नाश्ते या लंच में ऐसा क्या रखे जो healthy होने के साथ- साथ स्वादिष्ट भी हो.

क्योंकि अक्सर ऐसा होता है की बच्चा बिना टिफिन खत्म किए ही लंच बॉक्स वापस ले आता है.अगर आप टिफिन में रोज वाला ही खाना उन्हें पैक करके दे रही हैं तो बच्चे उसे पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में बच्चा बाहर के जंक फूड की और भागने लगता है.

फोर्टिस हॉस्पिटल की डाइटीशियन, डॉ. सिमरन सैनी कहती हैं कि “बच्चों को पूरा दिन फुर्तीला रहने के लिए आवश्यक ऊर्जा और एंटीऑक्‍सीडेंट की जरूरत पड़ती है. इसलिए उनके टिफिन में ऐसे स्नैक्स रखें जो उन्हें न केवल ताज़गी दें बल्कि उनकी ऊर्जा को भी बनाए रखें.”

इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसा स्नैक्स जो टेस्टी होने के साथ-साथ healthy भी है .आज हम बनायेंगे स्टफ्ड पनीर कुलचा. अक्सर देखा जाता है की पनीर कुलचे को बनाते वक़्त मैदे का इस्तेमाल किया जाता है जो की वाकई हमारे सेहत के लिए नुक्सान दायक है. अगर हम इसे मैदे से बनायेंगे तो यकीनन स्वादिष्ट तो होगा मगर healthy नहीं .क्योंकि मैदे को डाइजेस्ट होने में बहुत समय लगता है.
लेकिन क्या आप जानते है आप अपने फेवरिट कुल्चे को बिना मैदे और बिना तंदूर के टेस्टी और हेल्दी बना सकती हैं . मज़ेदार बात यह है कि इन स्‍नैक्‍स के लिए आपको ज्‍़यादा मेहनत करने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी. 10 से 15 मिनट में बन जाने वाले यह स्नैक्स बड़े से लेकर बच्चे तक बड़े मन से खायेंगे.

तो चलिए बनाते है स्टफ्ड पनीर कुलचा –

हमें चहिये-

आटे के लिए सामग्री

गेहूं का आटा – 2 बड़े कप
बेकिंग पाउडर -3/4 चम्मच
दही-3 tablespoon
तेल-2 tablespoon
घी -1 tablespoon
गुनगुना पानी -1/2 कप
नमक-स्वादानुसार

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भरावन के लिए सामग्री-

घिसा हुआ पनीर-1 बड़े कप
बारीक कटी हुई प्याज़-1 medium
बारीक कटी हुई शिमला मिर्च -1 medium
घिसा हुआ अदरक-1/2 teaspoon
हरी मिर्च-2
चाट मसाला- 1/2 teaspoon
काली मिर्च पाउडर-1/2 teaspoon
हरा धनिया -2 tablespoon बारीक कटा
नमक-स्वादानुसार

बनाने का तरीका-

1. एक बाउल में आटा निकाल लेने के बाद उसमे बेकिंग पाउडर,दही ,तेल ,घी,नमक और आवश्यकता अनुसार पानी डाल कर अच्छे से मिलाये और नर्म आता गूथ ले.
2. अब आटे को एक गीले कपडे से ढककर 2 घंटे के लिए रख दे.
3. अब एक दुसरे बाउल में घिसा हुआ पनीर ,अदरक प्याज़ शिमला मिर्च,काली मिर्च,चाट मसाला ,हरा धनिया ,हरी मिर्च और नमक डाल कर अच्छे से मिला लें.
4. अब एक लोई ले और उसे लगभग पूरी के आकर का बेल लें .अगर आटा चिपक रहा हो तो ऊपर से थोडा सा सूखा आटा छिड़क लें.
5. अब बेली गयी लोई के बीच में पनीर की stuffing रखें.और चारो कोनो को धीरे से उठाकर उन्हें आपस में चिपका दे और गोल आकार दें..

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6. अब इसको हलके बेलन से धीरे धीरे करके गोल आकार में बेल ले.
7. अब एक तवे को माध्यम आंच पर गर्म करें .जब तवा गर्म हो जाए तब उस पर कुलचा डाल कर उसको माध्यम आंच पर सेंके .जब उसे हलके ब्राउन कलर की चित्ती आ जाये तो उसे पलट कर दूसरी साइड सेक ले.
8. दोनों तरफ सिक जाने के बाद उसे एक प्लेट में निकाल लें.
9. अब उसपर ऊपर से बटर या घी लगाकर गरमागरम परोसे.तैयार है स्वादिष्ट और healthy स्टफ्ड पनीर कुलचा.
10. आप इसको लहसुन और टमाटर की चटनी के साथ भी खा सकते हैं.

वर्क फ्रॉम होम महिलाओं के लिए आफत या अवसर

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच ज्यादातर ऑफिसों में सीमित कर्मचारियों के साथ काम संपन्न हो रहे हैं. इन्फोसिस, गोल्डमैन सैश, गूगल जैसी कंपनियों ने भी ज्यादातर कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा है.

आज लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं . खासकर वे कर्मचारी घर से ही अपना उत्तरदायित्व निभा रहे हैं जिन का काम ऑफिस आए बगैर चल सकता है और यह उचित भी है.

पर जब बात महिलाओं की आती है तो कहीं न कहीं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि वर्क फ्रॉम होम उन के लिए कई परेशानियां भी ला रहा है मसलन;

वर्क फ्रॉम होम से जुड़ी कुछ परेशानियां

एक महिला जब घर में होती है तो पूरे दिन वह घर के छोटेबड़े कामों में उलझी रहती है. बहू के पीछे में सास भले ही घर के काम संभाल ले मगर जब बहू घर में हो तो मजाल है कि वह अपनी कुर्सी से हिल भी जाए. पूरे दिन घर संभालतेसंभालते महिला इतनी थक जाती है कि कई दफा ऑफिस के काम के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाती.

घर में महिला को लगातार अपने बच्चों को भी देखना पड़ता है. जब वह ऑफिस में होती है तो बच्चों की चिंता नहीं करनी पड़ती. घर में कोई न कोई उन्हें संभाल ही लेता है. पर घर से काम करने वाली महिलाओं के ऊपर ऑफिस वर्क के साथसाथ चाइल्ड वर्क भी आ जाता है. ऐसे में महिला अपना दिमाग एकाग्र नहीं कर पाती. उसे दूसरे सभी कामों को प्रेफरेंस देना पड़ता है. बस अपने ऑफिस के काम को ही पेंडिंग रखना मजबूरी बन जाती है.

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सच तो यह है कि ज्यादातर विवाहित महिलाओं को ऑफिस जा कर थोड़ी राहत मिल जाती है. एक तरफ जहां पूरे दिन उन्हें घर के कामों से आजादी मिलती है वहीं अपनी सहेलियों के साथ गौसिप करने का आनंद भी मिल जाता है. कहा जाता है न कि औरतें गॉसिप न करें तो उन के पेट में दर्द होने लगता है. ऐसे में ऑफिस आ कर अपनी सासननद की बुराइयां करना और महिला कुलीग्स से जुड़ी गौसिप्स का हिस्सा बनने की खुशी ही अलग होती है.

महिलाओं को औफिस में एकदूसरे से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है. उन्हें किसी से कोई रेसिपी तो किसी से सिलाईबुनाई या फैशन के अंदाज, किसी से स्मार्ट लुक तो किसी से ब्यूटीफुल स्किन के टिप्स सीखने को मिलते हैं.

महिलाओं को नएनए डिशेज बना कर ऑफिस लाना और दूसरों को खिला कर वाहवाही लूटने का भी अलग ही जुनून होता है. तारीफ पाने के लिए ऑफिस से बेहतर कोई जगह नहीं है.

इसी तरह फैशन के नएनए फंडे आजमाना, लेटेस्ट स्टाइल की ड्रेसेस पहनना और भरपूर मेकअप कर दूसरी महिलाओं को जलाना और पुरुष साथियों को रिझा कर अलग तरह की खुशी पाना भी औफिस में ही संभव है.

अक्सर महिलाएं ऑफिस में अपनी पर्सनैलिटी को ग्रूम करना भी सीखतीं हैं. आप घर में उन्हीं महिलाओं को देखेंगे तो लगेगा जैसे लटकीझटकी सी यह महिला कहां सुदूर देहात से चली आ रही है. औफिस में ये ही महिलाएं बिल्कुल टिपटॉप रहती हैं.

कई दफा महिलाएं औफिस में एकदूसरे से इतने गहरे रिश्ते बना लेती हैं जिन्हें घर से काम करते हुए कायम रख पाना संभव नहीं होता. जूम मीटिंगस में रिश्तों में वैसी फिलिंग्स नहीं आ सकतीं जो आमने सामने मिल कर आती है.

एक बेहतरीन अवसर भी है वर्क फ्रॉम होम

पर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बहुत से लोगों के लिए वर्क फ्रॉम होम एक बेहतरीन अवसर भी है. वैसी महिलाएं जिन का बहुत बड़ा परिवार नहीं है वे घर पर आराम से बच्चे की केयर के साथ अपने ऑफिस के काम भी कर सकतीं हैं. उन्हें बच्चे की टेंशन भी नहीं रहती और सुविधानुसार ऑफिस का काम भी निबट जाता है.

इसी तरह कुछ वैसी महिलाएं जिन का काम एकाग्रता के साथ करने वाला है जैसे राइटर, क्रिएटर, एड डेवलपर आदि.

इन्हें अपना दिमाग स्थिर कर काम करना होता है और इस के लिए घर से बेहतर कोई जगह नहीं है.

घर में अपना कमरा बंद कर बहुत आसानी से ऑफिस के काम निपटाए जा सकते हैं और अपनी क्रिएटिविटी को अंजाम दिया जा सकता है. वस्तुत ऑफिस के हो हल्ले में जो काम पूरे दिन में नहीं हो पाता वही घर में पलक झपकते निबट जाता है.

इसलिए ऐसी बुद्धिजीवी महिलाएं विशेष तौर पर वर्क फ्रॉम होम को प्रेफरेंस देती हैं क्योंकि उन के लिए घर में काम के अनुकूल माहौल बना पाना ज्यादा आसान और सहज होता है. जब कि वे ऑफिस में इतने लोगों के बीच चाह कर भी दिमाग को एकाग्र नहीं कर पातीं.

यही नहीं बात जब आनेजाने की होती है तब भी वर्क फ्रॉम होम का ऑप्शन काफी ऊपर रहता है क्योंकि घर से काम कर आप रोजाना दो घंटे की दौड़धूप के साथसाथ समय भी बचाती हैं और इस समय का उपयोग उत्पादकता बढ़ाने में लगाया जा सकता है.

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सिर्फ आनाजाना ही नहीं ऑफिस जाने के लिए तैयार होने, मेकअप करने और ऑफिस में बैठ कर इधरउधर की गप्पे सुनने में बर्बाद किया गया समय भी उपयोगी कामों में लगाया जा सकता है.

वर्क फ्रॉम होम महिलाओं को ऑफिस के साथसाथ घर से जुड़ने और घरवालों के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताने का खूबसूरत अवसर भी दे रहा है. वरना पूरा दिन ऑफिस में बिता कर रात ढले थकीहारी जब वह घर लौटती है तो बच्चों और परिवार को बहुत कम समय दे पाती है.

इसलिए कहा जा सकता है कि वर्क फ्रॉम होम जहां अधिकतर औरतों के लिए आफत है वही ऐसी भी बहुत सी महिलाएं हैं जिन के लिए यह वरदान से कम नहीं.

जब शादीशुदा जिंदगी पर भारी हो दोस्ती

हफ्ते के 5 दिन का बेहद टाइट शेड्यूल, घर और आफिस के बीच की भागमभाग. लेकिन आने वाले वीकेंड को सेलीब्रेट करने का प्रोग्राम बनातेबनाते प्रिया अपनी सारी थकान भूल जाती है. उस के पिछले 2 वीकेंड तो उस के अपने और शिवम के रिश्तेदारों पर ही निछावर हो गए थे. 20 दिन की ऊब के बाद ये दोनों दिन उस ने सिर्फ शिवम के साथ भरपूर एेंजौय करने की प्लानिंग कर ली थी. लेकिन शुक्रवार की शाम जब उस ने अपने प्रोग्राम के बारे में पति को बताया तो उस ने बड़ी आसानी से उस के उत्साह पर घड़ों पानी फेर दिया.

‘‘अरे प्रिया, आज ही आफिस में गौरव का फोन आ गया था. सब दोस्तों ने इस वीकेंड अलीबाग जाने का प्रोग्राम बनाया है. अब इतने दिनों बाद दोस्तों के साथ प्रोग्राम बन रहा था तो मैं मना भी नहीं कर सका.’’ऐसा कोई पहली बार नहीं था. अपने 2 साल के वैवाहिक जीवन में न जाने कितनी बार शिवम ने अपने बचपन की दोस्ती का हवाला दे कर प्रिया की कीमती छुट्टियों का कबाड़ा किया है. जब प्रिया शिकायत करती तो उस का एक ही जवाब होता, ‘‘तुम्हारे साथ तो मैं हमेशा रहता हूं और रहूंगा भी. लेकिन दोस्तों का साथ तो कभीकभी ही मिलता होता है.’’

शिवम के ज्यादातर दोस्त अविवाहित थे, अत: उन का वीकेंड भी किसी बैचलर्स पार्टी की तरह ही सेलीब्रेट होता था. दोस्तों की धमाचौकड़ी में वह भूल ही जाता था कि उस की पत्नी को उस के साथ छुट्टियां बिताने की कितनी जरूरत है.

बहुत से दंपतियों के साथ अकसर ऐसा ही घटता है. कहीं जानबू कर तो कहीं अनजाने में. पतिपत्नी अकसर अपने कीमती समय का एक बड़ा सा हिस्सा अपने दोस्तों पर खर्च कर देते हैं, चाहे वे उन के स्कूल कालेज के दिनों के दोस्त हों अथवा नौकरीबिजनेस से जुड़े सहकर्मी. कुछ महिलाएं भी अपनी सहेलियों के चक्कर में अपने घरपरिवार को हाशिए पर रखती हैं.थोड़े समय के लिए तो यह सब चल सकता है, किंतु इस तरह के रिश्ते जब दांपत्य पर हावी होने लगते हैं तो समस्या बढ़ने लगती है.

यारी है ईमान मेरा…

दोस्त हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं, इस में कोई शक नहीं. वे जीवनसाथी से कहीं बहुत पहले हमारी जिंदगी में आ चुके होते हैं. इसलिए उन की एक निश्चित और प्रभावशाली भूमिका होती है. हम अपने बहुत सारे सुखदुख उन के साथ शेयर करते हैं. यहां तक कि कई ऐसे संवेदनशील मुद्दे, जो हम अपने जीवनसाथी को भी नहीं बताते, वे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं, क्योंकि जीवनसाथी के साथ हमारा रिश्ता एक कमिटमेंट और बंधन के तहत होता है, जबकि दोस्ती में ऐसा कोई नियमकानून नहीं होता, जो हमारे दायरे को सीमित करे. दोस्ती का आकाश बहुत विस्तृत होता है, जहां हम बेलगाम आवारा बादलों की तरह मस्ती कर सकते हैं. फिर भला कौन चाहेगा ऐसी दोस्ती की दुनिया को अलविदा कहना या उन से दूर जाना.

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लेकिन हर रिश्ते की तरह दोस्ती की भी अपनी मर्यादा होती है. उसे अपनी सीमा में ही रहना ठीक होता है. कहीं ऐसा न हो कि आप के दोस्ताना रवैए से आप का जीवनसाथी आहत होने लगे और आप का दांपत्य चरमराने लगे. विशेषकर आज के व्यस्त और भागदौड़ की जीवनशैली में अपने वीकेंड अथवा छुट्टी के दिनों को अपने मित्रों के सुपुर्द कर देना अपने जीवनसाथी की जरूरतों और प्यार का अपमान करना है. अपनी व्यस्त दिनचर्या में यदि आप को अपना कीमती समय दोस्तों को सौंपना बहुत जरूरी है तो उस के लिए अपने जीवनसाथी से अनुमति लेना उस से भी अधिक जरूरी है.

ये दोस्ती…

कुछ पुरुष तथा महिलाएं अपने बचपन के दोस्तों के प्रति बहुत पजेसिव होते हैं तो कुछ अपने आफिस के सहकर्मियों के प्रति. श्वेता अपने स्कूल के दिनों की सहेलियों के प्रति इतनी ज्यादा संवेदनशील है कि अगर किसी सहेली का फोन आ जाए तो शायद पतिबच्चों को भूखा ही आफिस स्कूल जाना पड़े. और यदि कोई सहेली घर पर आ गई तो वह भूल जाएगी कि उस का कोई परिवार भी है.

दूसरी ओर कुछ लोग किसी गेटटूगेदर में अपने आफिस के सहकर्मियों के साथ बातों में ऐसा मशगूल हो जाएंगे कि उन की प्रोफेशनल बातें उन के जीवनसाथी के सिर के ऊपर से निकल रही हैं, इस की उन्हें परवाह नहीं होती.

इस के अलावा आफिस में काम के दौरान अकसर लोगों का विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण और दोस्ती एक अलग गुल खिलाती है. इस तरह का याराना बहुधा पतिपत्नी के बीच अच्छीखासी समस्या खड़ी कर देता है. कहीं देर रात की पार्टी में उन के साथ मौजमस्ती, कहीं आफिशियल टूर. कभी वक्तबेवक्त उन का फोन, एस.एम.एस., ईमेल अथवा रात तक चैटिंग. इस तरह की दोस्ती पर जब दूसरे पक्ष को आब्जेक्शन होता है तो उन का यही कहना होता है कि वे बस, एक अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं. फिर भी दोनों में से किसी को भी इस ‘सिर्फ दोस्ती’ को पचा पाना आसान नहीं होता.

दोस्ती अपनी जगह है दांपत्य अपनी जगह

यह सच है कि दोस्ती के जज्बे को किसी तरह कम नहीं आंका जा सकता, फिर भी दोस्तों की किसी के दांपत्य में दखलअंदाजी करना अथवा दांपत्य पर उन का हावी होना काफी हद तक नुकसानदायक साबित हो सकता है. शादी से पहले हमारे अच्छेबुरे प्रत्येक क्रियाकलाप की जवाबदेही सिर्फ हमारी होती है. अत: हम अपनी मनमानी कर सकते हैं. किंतु शादी के बाद हमारी प्रत्येक गतिविधि का सीधा प्रभाव हमारे जीवनसाथी पर पड़ता है. अत: उन सारे रिश्तों को, जो हमारे दांपत्य को प्रभावित करते हैं, सीमित कर देना ही बेहतर होगा.

कुछ पति तो चाहते हुए भी अपने पुराने दोस्तों को मना नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें ‘जोरू का गुलाम’ अथवा ‘बीवी के आगे दोस्तों को भूल गए, बेटा’ जैसे कमेंट सुनना अच्छा नहीं लगता. ऐसे पतियों को इस प्रकार के दोस्तों को जवाब देना आना चाहिए, ध्यान रहे ऐसे कमेंट देने वाले अकसर खुद ही जोरू के सताए हुए होते हैं या फिर उन्होंने दांपत्य जीवन की आवश्यकताओं का प्रैक्टिकल अनुभव ही नहीं किया होता.

सांप भी मरे और लाठी भी न टूटे

जरूरत से ज्यादा यारीदोस्ती में बहुत सारी गलतफहमियां भी बढ़ती हैं. साथ ही यह जरूरी तो नहीं कि हमारे अपने दोस्तों को हमारा जीवनसाथी भी खुलेदिल से स्वीकार करे. इस के लिए उन पर अनावश्यक दबाव डालने का परिणाम भी बुरा हो सकता है. अत: इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय अपनाए जा सकते हैं :

अपने बचपन की दोस्ती को जबरदस्ती अपने जीवनसाथी पर न थोपें.

अगर आप के दोस्त आप के लिए बहुत अहम हों तब भी उन से मिलने अथवा गेटटूगेदर का वह वक्त तय करें, जो आप के साथी को सूट करे.

बेहतर होगा कि जैसे आप ने एकदूसरे को अपनाया है वैसे एकदूसरे के दोस्तों को भी स्वीकार करें. इस से आप के साथी को खुशी होगी.

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जीवनसाथी के दोस्तों के प्रति कोई पूर्वाग्रह न पालें. बेवजह उन पर चिढ़ने के बजाय उन की इच्छाओं पर ध्यान दें.

‘तुम्हारे दोस्त’, ‘तुम्हारी सहेलिया’ के बदले कौमन दोस्ती पर अधिक जोर दें.

अपने बेस्ट फ्रेंड को भी अपनी सीमाएं न लांघने दें. उसे अपने दांपत्य में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी की छूट न दें.

आफिस के सहकर्मियों की भी सीमाएं तय करें.

अपने दांपत्य की निजी बातें कभी अपने दोस्तों पर जाहिर न करें.

#coronavirus: हड्डियों को न कर दें कमजोर

कोरोना ने महामारी का रूप ले लिया है, जिस में सभी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सेहत का ध्यान रखना हम सब के लिए बहुत जरूरी हो गया है. काफी दिनों से लोग घरों में बंद हैं. कहीं आजा नहीं रहे, जिस से उन की शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं, जिस का सीधा असर उन की हड्डियों पर भी पड़ रहा है.

हड्डियां शरीर का सपोर्ट सिस्टम हैं. बच्चे हो या बूढ़े सभी आज के समय की गलत जीवनशैली की वजह से हड्डियों से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं.

ऐसे में कैसे इन दिनों अपनी हड्डियों का खास खयाल रखें. आइए, जानते हैं दिल्ली के आयुस्पाइन हौस्पिटल के डाइरैक्टर डाक्टर सत्यम भास्कर से, जो जौइंट पेन स्पोर्ट्स इंजरी स्पैशलिस्ट हैं.

कोरोना की वजह से सब के जीवन में काफी बदलाव आ चुका है. पहले लोग वर्कआउट के लिए गार्डन, पार्क और जिम जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोग फिजिकल ऐक्टिविटीज से बहुत दूर हो गए हैं. इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

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लोग फिजिकल ऐक्टिविटीज से दूर नहीं हुए उन्होंने जानबूझ कर खुद को दूर किया है. हम चाहें तो घर पर ही ऐक्सरसाइज कर सकते हैं. अपनी बालकनी में भी आसानी से ऐक्सरसाइज कर सकते हैं. ऐक्सरसाइज से हड्डियों को भी फायदा मिलता है. जब हम ऐक्सरसाइज करते हैं, तो उस समय हमारा शरीर अच्छी तरह मूव करता है. हड्डियों को हैल्दी बनाए रखने के लिए सब से आसान ऐक्सरसाइज है कि सीधे लेट जाएं और अपनी कमर के नीचे मोटा तकिया रख लें और फिर 2 मिनट तक बिलकुल सीधे लेटे रहें. इसे हम स्पाइनल ऐक्सटैंशन कहते हैं. अगर आप इस ऐक्सरसाइज को रोज सोने से पहले करते हैं, तो आप का कमर दर्द बिलकुल ठीक हो जाएगा. रोजाना 10-15 मिनट ऐक्सरसाइज करनी चाहिए.

बहुत सारे लोग इस समय औफिस का काम घर से कर रहे हैं. वे लोग घंटों सोफा या बिन बैग पर बैठ कर काम कर रहे हैं, जिस से उन का पोस्चर भी बिगड़ रहा है. हड्डियों के लिए सही पोस्चर कितना जरूरी है और क्याया इस के लिए हमें सावधानियां बरतनी चाहिए?

जब हम औफिस में काम करते हैं, तो हम बंधे होते हैं अपने काम से भी और अपनी सीट से भी. लेकिन जब हम घर पर काम करते हैं, तो हम अपने अकौर्डिंग सब मैनेज करते हैं. ऐसे में हम थोड़ीथोड़ी देर में मूवमैंट कर सकते हैं. मूवमैंट हमारे शरीर और हड्डियों के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप घर से काम कर रहे हैं तो हर 30 मिनट में अपना पोस्चर जरूर बदलें. एक ही पोस्चर में घंटों बैठने से हड्डियों में दर्द शुरू हो जाता है, जो सर्वाइकल पेन को न्योता देता है.

पहले के समय में लोगों को हड्डियों से जुड़ी बीमारियां 35 के बाद होती थीं, लेकिन अब ये 25 की उम्र में होने लगी हैं, ऐसा क्यों?

पहले के समय में लोग शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहते थे और खानपान का भी ध्यान रखते थे, लेकिन अब अभी और पहले की जीवनशैली में काफी अंतर आ चुका है. अब लोग कुरसी पर बैठेबैठे काम करते हैं, खाने में दूधदही की जगह पिज्जाबर्गर खाते हैं, जबकि बचपन से ही खानपान का खास ध्यान रखने को कहा जाता है. हड्डियों की सेहत के लिए सही खानपान जरूरी है.

शरीर को जब सही मात्रा में पोषण मिलता है, तो हड्डियां मजबूत होती हैं, शारीरिक ग्रोथ भी सही होती है. लेकिन आज के समय में बच्चे कोल्डड्रिंक पीना ज्यादा पसंद करते हैं. क्या कोल्डड्रिंक से शरीर को किसी प्रकार का न्यूट्रिशन मिलेगा? बिलकुल नहीं मिलेगा, बल्कि इन चीजों का सेवन करने से हमारी हड्डियां कमजोर होने लगेंगी. शरीर में कैल्शियम का लैवल कम हो जाएगा, जिस से कम उम्र में जोड़ों में दर्द की शिकायत होने लगेगी. 20 वर्ष तक शरीर को सही पोषण मिलना बहुत जरूरी है. अगर आप को यह शिकायत कम उम्र में ही शुरू हो गई है, तो डाक्टर से कैल्शियम की जांच जरूर करवाएं.

मेनोपौज के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

मेनोपौज के दौरान महिलाओं में ऐस्ट्रोजन स्तर गिर जाता है, जिस से औस्टियोब्लास्ट कोशिकाएं प्रभावित होती हैं. इस से पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियां ज्यादा कमजोर होने लगती हैं, हड्डियों की डैंसिटी पर भी असर पड़ता है. इस से महिलाओं को औस्टियोपोरोसिस और औस्टियोआर्थ्राइटिस जैसी हड्डियों से जुड़ी बीमारियां होने का रिस्क बढ़ जाता है. वैसे तो महिलाओं को खानपान का ध्यान बचपन से ही रखना चाहिए, लेकिन कोई महिला मेनोपौज से गुजर रही है, तो उसे न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट फौलो करनी चाहिए.

इस समय लोग बाहर के खानपान को अवौइड कर रहे हैं, लेकिन घर पर मैदे से बने स्वादिष्ठ पकवानों का लुत्फ भी उठा रहे हैं. क्या मैदा हड्डियों की सेहत के लिए हानिकारक है?

मैदे का सेवन ही नहीं करना चाहिए. यह हमारे स्वास्थ्य के लिए जहर के समान है. इस में

0 प्रतिशत न्यूट्रिशन होता है, जिस से हमारे शरीर को कोई फायदा नहीं मिलता. यह डाइजैस्ट भी जल्दी नहीं होता, जिस से कब्ज की शिकायत होने लगती है. मैदा खाने से हड्डियों पर भी बुरा असर पड़ता है. मैदा बनाते वक्त इस में प्रोटीन निकल जाता है और यह ऐसिडिक बन जाता है, जो हड्डियों से कैल्शियम को खींच लेता है, जिस से वे कमजोर हो जाती हैं, इसलिए मैदे का सेवन बिलकुल न करें.

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हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें किन चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिए?

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन डी बहुत जरूरी है. ये सभी हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाते हैं.

मैग्नीशियम: मैग्नीशियम के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करें. पालक मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत होता है. इस के अलावा टमाटर, आलू, शकरकंद भी आप आहार में शामिल कर सकते हैं.

कैल्शियम: कैल्शियम के लिए दूध बहुत अच्छा स्रोत है. इस के लिए आप दूध से बनी चीजों का सेवन भी कर सकते हैं. इस के साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियां भी आप को कैल्शियम और आयरन दोनों ही देने में मदद करती हैं. नौनवैज खाने वालों के लिए मछली कैल्शियम का सब से अच्छा विकल्प है. साबूत अनाज, केले, सालमन, बादाम, ब्रैड, टोफू, पनीर आदि कैल्शियम की कमी को पूरा करने के अच्छे स्रोत माने जाते हैं.

विटामिन डी: आप विटामिन डी के लिए टूना, मैकरेल, अंडे का सफेद भाग, सोया मिल्क, डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही के अलावा मशरूम, चीज और संतरे के जूस का भी सेवन कर सकते हैं.

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