माइग्रेंट वर्कर्स ही चमकाते है, अर्थव्यवस्था को – शांति सिंह चौहान

शांति सिंह चौहान (सोशल वर्कर, अंकुर फाउंडेशन)

कोरोना वायरस और लॉक डाउन की वजह से माइग्रेंट लेबर जिसे कोई सहयोग नहीं देता, जबकि इन मजदूरों की वजह से बड़े-बड़े शहरों की चमक और शानोशौकत देखने को मिलती है. बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ करोड़ों कमाती है, नेता इसकी आंच पर सत्ता की रोटियां सेंकते है, आखिर कब तक चलता रहेगा ये सब, कौन इनके मूल्य समझेंगे? कौन इन्हें सम्मान और इज्जत की रोटी दो जून की दे सकता है, ये किसी से भीख नही मांगते, बस थोड़ी इज्जत से मेहनत कर खाना और अपने परिवार का पेट पालना चाहते है.

अगर ये अपने शहर या गांव चले गए, तो उन बड़ी-बड़ी कंपनियों का क्या होगा, जिनके लिए ये काम करते है, इकॉनमी कैसे पटरी पर आएगी आदि कितने ही शब्द कहे जा रही थी, मुंबई की अंकुर फाउंडेशन की सोशल वर्कर शांति सिंह चौहान, जो इस लॉक डाउन के बाद से करीब 5 हजार माइग्रेंट लेबर और उनके परिवार को, अँधेरी से लेकर बोरीवली तक खाना खिला रही है, उनके राशन पानी की व्यवस्था कर रही है. उनकी दशा को नजदीक से देख रही है. हर दिन उनके लिए नयी चुनौती लेकर आती है और हर दिन वह उसका सामना करती है. 

माइग्रेंट वर्कर्स को खाना खिलाना मेरा पहला काम 

 शांति हैदराबाद से निकलकर मुंबई अपनी पति और बेटी के साथ नौकरी के सिलसिले में आई और यही रहने लगी. शांति होटल मैनेजमेंट कर चुकी है और पहले अपने बेटी की स्कूल में कुकरी पढ़ाते हुए, होटलों और रेस्तरां में मैनू बनाना, खाने की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए अलग-अलग होटलों में जाकर शेफ को ट्रेनिंग देना आदि करती रही. साथ ही ज्वेल्लरी की शौक होने की वजह से ज्वेलरी डिज़ाइनर बनी और अपना ब्रांड सात्विकी स्थापित की. इन सबके बावजूद भी उन्हें सामाजिक काम करना बहुत पसंद है. वह कहती है कि लॉक डाउन के समय मैं घर पर थी, पर हैदराबाद के एक दोस्त ने मुझे फ़ोन पर बताया कि तेलंगाना के कई वर्कर्स मुंबई में फंसे है और बिना भोजन के परेशान रह रहे है. उसने मुझसे मदद करने को कही और मैंने काम शुरू कर दिया. तक़रीबन 5 हज़ार माइग्रेंट मजदूर परिवारों  को राशन पहुंचाई है. इसमें मुझे विदेश के सारे दोस्तों ने फण्ड में पैसे दिए, जिससे एक अच्छी किट जरुरत के सामान, जो तक़रीबन 20 दिन तक चल सके. इसके साथ डिलीवरी हर जगह खुद जाकर किया है, क्योंकि दुकाने बंद होने, खाना न मिलने, सामानों की अधिक कीमत होने की वजह से लोग खाने पीने की चीजों पर झपटने लगते है. ये भूख के मारे ऐसा करने पर मजबूर है. मैं हर रोज करीब 2 हजार परिवारों के लिए ट्रक भरती थी. अँधेरी, कांदिवली, बोरीवली आदि सभी जगहों पर मैंने हर माइग्रेंट परिवार वालों के घर पर सामान पहुँचाया है. इस काम में मेरा पूरा परिवार और ड्राईवर का सहयोग है.

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मजदूरों की भूमिका को नहीं कोई आंकता  

शांति को फण्ड की कमी इस काम में नहीं हुआ. समस्या परमिशन की थी, जो बीएमसी ने बाद में दे दिया. देश विदेशों से लोगों ने मानवता की खातिर भरपूर डोनेशन दिया है. इसलिए जितनी भी लिस्ट मजदूरों की शांति के पास आई, पूरा उन्होंने कवर कर लिया है. इसमें किसी धर्मं, जाति या राज्य को देखा नहीं गया है, जिसे भी खाने पीने के सामानों की जरुरत है, उन्हें दिया गया है. कोविड 19 ने लोगों को देश का सही आइना दिखाया है, जिससे आज तक पूरा देश अनजान था. शांति का आगे कहना है कि हम सभी किसी भी कंपनी की ब्रांड की तारीफ करते है, पर उसके पीछे जो टीम होती है, उसके बारें में कोई नहीं सोचता. मजदूर ही है, जो काम कर किसी ब्रांड को सफलता दिलाते है और वे कभी सामने नहीं आते. असल में ये मजदूर दूसरे राज्य से आकर मुंबई की आर्थिक व्यवस्था को सम्हाल रहे है. ये मेहमान है और देश की शक्ति है, पर इन्हें कोई मूल्य नहीं देता. ये लोग पेंटर, प्लम्बर, कारपेंटर इलेक्ट्रीशियन आदि ये सब माइग्रेंट वर्कर ही है, जिनकी वजह से हमारी जिंदगी सुखद हो रही है. इनकी सपोर्ट सिस्टम अनजाने में ही हमारा साथ दे रही है, जिसके बारें में किसी ने ध्यान नहीं दिया. कोविड 19 ने ऐसे लोगों की तरफ सबका ध्यान खीचा है. उन्हें रेस्पेक्ट और मदद चाहिए, भीख नहीं. वे इज्जत की रोटी खाना चाहते है. अपने घर जाने वाले ये वर्कर सिर्फ एक पोटली लेकर घर जा रहे है. इनकी 30 साल की जिंदगी बस एक पोटली ही है. सरकार को इनकी स्वास्थ्य, रहन सहन, हायजिन आदि विषयों पर ध्यान देने की जरुरत है, क्योंकि इनकी सपोर्ट सिस्टम से ही सबकुछ है, इन्हें निकाल देने पर आर्थिक अवस्था चरमरा जाएगी. मुझे भी इनका महत्व अब पता चला है.  

बदनसीब है माइग्रेंट वर्कर्स 

असल में ये माइग्रेंट वर्कर जब घर से निकले, तो किसी ने नोटिस नहीं की. जब इनको समस्या आई तो ये अपने घर जाने में भी असमर्थ हो गए, क्योंकि इनके साथ बीमारी उस राज्य में चली जाएगी और वहां का आंकड़ा बढ़ जायेगा, जिससे उस राज्य के शासक की किरकिरी हो जाएगी, उनका वोट बैंक खतरे में पड़ जायेगा, इस प्रश्न के जवाब में शांति का कहना है कि माइग्रेंट वर्कर आज तक देश का सबसे बदनसीब इंसान रहा है. उसने घर क्यों छोड़ा? क्योंकि उसके शहर में काम नहीं है और हर इंसान अपने परिवार को अच्छी परवरिश देने के लिए ही घर छोड़ता है. साल में एक बार वह अपने परिवार से मिलता है. आखिर क्यों वह ऐसा करता है. ऐसे किसी भी प्रश्न का उत्तर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी या राजनेता के पास नहीं है. मुंबई की कांदिवली चाल में माइग्रेंट वर्कर्स 10 /10 के एक कमरे में खुले नाले के पास 10 लोग एक साथ रहते है. सुबह जब 5 लोग निकलते है तो 5 लोग अंदर आते है. लॉक डाउन में ये सभी 10 लोग एक कमरे में रहने पर मजबूर है. जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना असंभव है. मुंबई की झोपड़ पट्टी में रहने वालों की हालत हमेशा से ही बहुत ख़राब है. साथ ही वे अभी इस बात से भी डर रहे है कि उन्हें यहाँ अकेले मरना पड़ेगा. इसलिए जो भी रास्ता उन्हें मिलता है, वे चल पड़ते है. माइग्रेंट वर्कर का वोट राईट दूसरे राज्य में नहीं है,  इसलिए उनका नाम वहां किसी खाते में नहीं है, इसलिए लॉक डाउन से 5 दिन पहले उन्हें सूचित करना जरुरी था, ताकि वे लोग अपने घर चले जाते और ऐसी नौबत नहीं आती. अभी लोग बीमार हो रहे है और उन्हें देखने वाला कोई नहीं. 

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शांति दुखी स्वर में कहती है कि मैं अब माइग्रेंट वर्कर्स के लिए सरकार को पिटिशन फाइल करने वाली हूँ, जिसमें इनलोगों के प्रोटेक्शन के लिए कुछ कानून होने के साथ-साथ हायजिन, स्वास्थ्य, रहन सहन आदि जरुरी विषयों पर ध्यान दिया जाय . उम्मीद है कुछ नतीजा निकलेगा. मैं मुंबई नार्थ सेंट्रल से आल इंडिया अनऑर्गनाइसड वर्कर कांग्रेस की प्रेसिडेंट भी हूँ. इसमें मेरे साथ मुंबई हेड जनार्दन सिंह भी बहुत सहायता कर रहे है. मैं इन मजदूरों को पुनर्स्थापन करने की इच्छा रखती हूँ. कोविड 19 ने लोगों को आज रैट रेस से दूर रहने और जीने की नयी तरीके को अपनाने की सलाह दी है जिसे सभी को पालन करने की जरूरत है.

परिवार का सहयोग जरुरी  

शांति के काम में उसका पूरा परिवार पति और दोनों बेटियां साथ देती है. शांति जब भी बाहर निकलती है, मास्क, ग्लव्स और हल्दी युक्त गरम पानी पीती है, हायजिन का पूरा ख्याल रखती है, ताकि वह स्वस्थ रहे और अधिक से अधिक लोगों की सेवा कर सकें. 

हर महिला के स्मार्टफोन में होनी चाहिए ये 5 ऐप्स, जानें क्यों

एक स्मार्टफोन को स्मार्ट बनाती हैं उसमें मौजूद ऐप्स यानी कि मोबाइल ऐप्लिकेशन्स.अब फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसी टाइम पास ऐप्स तो हर किसी के फोन में मिल जाती हैं लेकिन कई ऐप्लिकेशन्स ऐसी भी हैं जिनसे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी काफी हैंडी हो सकती है. हम जानत हैं कि ऐप स्टोर्स पर मौजूद लाखों ऐप्स में सेकाम की ऐप्स छांटने का समय किसी के पास नहीं है इसलिए हम आपको आज यहां कुछ ऐसी ऐप्स के बारे में बता रहे हैं जो हर एक महिला के फोन में होनी ही चाहिए.

1. My SafetiPin: महिलाओं के काम आने वाली ऐप्स की बात करने जा रहे हैं तो शुरुआत My SafetiPinऐप से करते हैं. अगर आप वर्किंग विमिन हैं तो ये आपके और भी काम का साबित होगा. My SafetiPinऐप GPS ट्रैकिंग, इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर, डायरेक्शन फॉर सेफ्टी रूट जैसे फीचर के साथ आता है. इस ऐप को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये आपको अनसेफ एरिया की जानकारी फौरन देगा और इसके जरिए आप अपने परिवार वालों और दोस्तों को खुद को ट्रैक करने के लिए अलर्ट भी भेज सकती हैं.इसके अलावा Raksha, Himmat Plus  जैसी ऐप्स को भी आप ट्राय कर सकती हैं.

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2. Urban Clap: ये नाम आपने जरूर सुना होगा और अगर नहीं सुना है तो बता दें कि ये ऐप हाउस वाइफ्स के बहुत काम आने वाली है. दरअसल अगर ये ऐप आपके फोन में है तो आपको प्लंबर, कारपेंटर या इलेक्ट्रिशियन जैसे लोगों को बुलाने के लिए घर के किसी पुरुष सदस्य के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. इस ऐप पर आपको अलग अलग सर्विस देने वाले प्रोफेशनल्स मिल जाएंगे. काम के बदले उन्हें कितना भुगताम करना है इसकी जानकारी भी आपको ऐप पर ही मिल जाएगी.

3. Medisafe Meds & Pill Reminder: ज्यादातर समय कामों में व्यस्त रहने के कारण ऐसा अक्सर होता है कि हमें समय पर जरूरी दवाईयां लेना याद नहीं रहता और समय पर दवाई ना लेने का मतलब है अनजान खतरे को बुलावा देना. आपकी इसी समस्या को दूर करने के लिए ये ऐप बनाई गई है. ये ऐप आपके बल्ड प्रेशर, ग्लूकोज और शरीर की बाकी गतिविधियों पर तो नजर रखती ही है साथ हीसमय पर दवाई, सप्लिमेंट या विटामिन लेने के लिए आपको नोटिफिकेशन भी भेजती है.

4. Period Tracker: जैसा कि नाम से समझ आ जाता है ये ऐप महिलाओं के पिरियड कैलेंडर के हिसाब से ट्रैक करता है. अगर आप प्रेंगनेंट होना चाहती हैं या प्रेंग्नेंसी को रोकना चाहतीं हैं तो ये ऐप आपके काम का है. इसके जरिए आप आसानी से अनियमित पिरियड का पता लगा सकती हैं.

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5. 8fit: दिन भर के काम काज के चलते अगर आप भी फिटनेस पर ध्यान नहीं दे पातीं तो अपने स्मार्टफोन में ये फिटनेस ऐप जरूर इंस्टॉल कर लें. इस ऐप में आपको इंटरेक्टिव वीडियोज, न्यूट्रिशन प्लान्स, फिटनेस टिप्स,गाइड्स और ट्यूटोरियल्स भी मिलेंगे. तो देर किस बात की मनचाहा फिगर आपसे सिर्फ एक ऐप दूर है.

वर्चुअल वैडिंग : दकियानुसी परंपराओं का दौर खत्म

देश में कोरोना वायरस की वजह से लौकडाउन घोषित किया गया है. यह लौकडाउन उस समय घोषित किया गया है, जब देश में शादीविवाह का समय है. लौकडाउन को देखते हुए कई जोड़ों ने अपने विवाह की तारीख को आगे बढ़ा दिया. लेकिन कुछ जोड़े ऐसे भी हैं जो विवाह के बंधन में बंध जाना चाहते हैं, इसलिए लौकडाउन का तोड़ निकाल कर वे एकदूजे के हो गए.

दरअसल, इस लौकडाउन के बीच इन जोड़ों ने औनलाइन विवाह किया.  इस में मेहंदी, संगीत और बाकी सभी कार्यक्रम भी औनलाइन की गई. लोगों को औनलाइन ही आमंत्रित किया गया. लौकडाउन के नियमों को तोड़ा न जाए, इसलिए औनलाइन शादी रचाई गई.

मुंबई का दूल्हा, बरेली की दुलहन

उत्तर प्रदेश के बेरली में एक ऐसी ही अनोखी शादी देखने को मिली. यहां औनलाइन शादी कारवाई गई.

दूल्हा सुषेण ने बताया, “भले ही अगले कुछ दिनों में लौकडाउन खत्म हो जाएगा, पर हम अपनी शादी का इंतजार नहीं करना चाहते थे.  लिहाजा, एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम ने महसूस किया कि यह एक सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने का बेहतर तरीका है. यह एक बहुत अच्छा विचार था और इस का एक हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है.”

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उन की इस शादी को शादी डौट कौम द्वारा कराई गई. शादी डौट कौम ने वैडिंग फ्रौम होम सर्विस लौंच की है. इस सर्विस के तहत सभी मेहमान औनलाइन शामिल हुए और फेरे भी औनलाइन ही लिए गए. इतना ही नहीं, इस शादी में ढोललनगाड़े की भी औनलाइन व्यवस्था की गई थी. यों कहें तो यह शादी बिलकुल अन्य शादियों की तरह सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए सम्पन्न कराई गई.

शादी आयोजित कराने वाले ने बताया कि ठीक 5 बजे विवाह आयोजन शुरू हुआ और अगले 2 घंटों में शादी की सभी रस्में पूरी करा दी गईं.

हमारे भारत में जहां शादी की तैयारियां महीनेभर पहले से शुरू हो जाती है, वहीं मात्र 2 घंटों में शादी हो जाना हैरानी की ही बात है.

शादी समारोह को भव्यता का उत्सव माना जाता रहा है. हर साल देश में करीब 1 करोड़ शादियां होतीं हैं. जिस में परिधान, गहने, मेहमाननवाजी, फूलों की सजावट, ट्रांसपोर्ट और कैटरिंग आदि पर बेतहाशा खर्च किए जाते हैं.

मशहूर हैं भारत की शादियां

भारत में होने वाली शादिया तो दुनियाभर में मशहूर हैं. यहां शादी की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती है. शादी में मेहमान भी 500-1000 से कम नहीं आते हैं. करीबी नातेरिश्तेदार तो कुछ दिन पहले से ही आ कर गानाबजाना व होहल्ला शुरू कर देते हैं. लेकिन कोरोना महामारी ने जिंदगी को बदल कर रख दिया है. इसी बदलाव में बदल गई हैं भारतीय शादियां, वही शादियां जिस में लड़का और लड़की के साथसाथ घराती, बाराती और न जाने कितने दोस्त शामिल होते थे.

सालोंमहीनों पहले से तैयारियां होती थीं और फिर हलदी, मेहंदी की ढेरों रस्मों के बाद आता था वह खास दिन, जब दूल्हादुलहन हमेशाहमेशा के लिए एक हो जाते थे.

लेकिन अब कोरोना काल ने मैरिज हौल, मंडप, कैटरिंग के कौंसैप्ट को कुछ इस तरह बदला है कि मैरिज सागा में सोशल डिस्टैंसिंग और औनलाइन वैडिंग जैसी कई नई चीजें जुड़ गई हैं.

लोगों को जंच रही हैं ऐसी शादियां

आज कई कपल्स वीडियो कालिंग एप जूम के जरीए शादी के बंधन में बंध रहे हैं. बीते महीने दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि जगहों से कई ऐसे जोड़े सुर्खियां बने जिन्होंने वर्चुअल वैडिंग का रास्ता चुना. इस तरह से शादी करने वाले कुछ दूल्हों का कहना था कि दिल तो बैंडबाजा और बारात लाने का था, लेकिन औनलाइन शहनाई ही सही. वहीं कुछ ने सादगी से 4 लोगों के बीच हो रही शादियों के कौंसैप्ट को अच्छा बताया.

खुद ही सज रही है दुलहन

जिस चेहरे पर दूल्हा और दुलहन शादी से 2-3 महीने पहले ही खास ध्यान देने लग जाते थे, दुलहन खासतौर से महंगे से महंगा प्री ब्राइडल पैकेज लेती थी. अब कोरोना के इस दौर में शादी होने पर बन्नी और बन्ना का वही चेहरा मास्क से ढंका नजर आ रहा है. इतना ही नहीं, शादी में शामिल होने वाले सीमित रिश्तेदार भी मास्क लगाए हुए दिख रहे हैं.   अब शादी के लिए दुलहन किसी पार्लर में नहीं, बल्कि अपने सीमित ब्यूटी प्रोडक्ट्स से खुद या अपनी किसी रिश्तेदार की मदद से तैयार हो रही हैं.

परिवार के लोग बने फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर

यों तो शादियों में मुख्य आयोजन के अलाव प्री वैडिंग, मेहंदी और हलदी की फोटोग्राफी और विडियोग्राफी कराई जाती थी, लेकिन अब जो शादियां हो रही हैं, उस में दूल्हादुलहन के भाईबहन या करीबी रिश्तेदार लोग ही तसवीरें खींचते या वीडियो बनाते नजर आते हैं.

इस दौर ने दोनों ही पक्षों के एक बड़े खर्चे को कम किया है और तसवीरें खींचने के बाद फोटोग्राफर के साथ बैठ कर उन में से खास तसवीरों को चुनने का समय भी बचाया है.

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मैरिज हौल नहीं, घर में हो रही हैं शादियां

शादी के दिन जैसे बारात मैरिज हौल पर उतरती है तो एक खुशी का माहौल बन जाता है. इधर बैंडबाजे की धुन बजती है और उधर बन्नो रानी का दिल धड़कने लगता है. लेकिन आजकल शादियां एकदम शांतिपूर्ण माहौल में हो रही हैं. कोई बैंडबाजा नहीं, कोई बाराती नहीं. दूल्हा अपने चंद करीबी रिशतेदारों के साथ लड़की के घर आ कर शादी के सात वचन लेता है और उसे अपनी दुलहन बना कर ले जाता है.

अब न तो घर वालों को कोई कार्ड छपवाने की जरूरत है और न अतिथि सत्कार करने की जरूरत. शादी में दोनों ही पक्षों के लाखों रुपए बच रहे हैं. जाहिर है,  इस से दानदहेज की परंपरा भी टूटती नजर आ रही है.

मास्क लगाए दूल्हादुलहन बंध रहे हैं बंधन में

वैसे तो औनलाइन ने हमारे जीवन पर बहुत पहले से ही असर दिखाना शुरू कर दिया है. अब औनलाइन शौपिंग, औनलाइन मन की बातें, औनलाइन पढ़ाई और अब औनलाइन शादियां भी होने लगीं.

इंटरनैट के इस युग में बहुत कुछ बदला, मगर जीवन की जिजीविषा जस की तस रही. अभी जिस तरह से औनलाइन हो रही शादियों का विरोध हो रहा है, उसी प्रकार कभी गैस और कुकर पर भी हुआ था. गांव में किसी के घर टीवी आने पर भी हुआ था.   लोग इसलिए अपने बच्चों को बाहर पढ़ने नहीं भेजना चाहते थे कि वे अपने संस्कार भूल जाएंगे. ऐसी बहुत सारी बातें, जिस का कल विरोध हुआ था लेकिन आज आम हो गया है.  उसी तरह औनलाइन शादियां भी  आम बात हो जाएगी, इस में कोई संदेह नहीं.

1 जून से चलने वाली ट्रेनों की टिकटों की बुकिंग शुरू, पढ़ें पूरी खबर

भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार ने लॉकडाउन के बीच रियायतें दे दी हैं. जहां एक तरफ सभी राज्यों में कुछ छूटें मिलना शुरू हो गई हैं तो वहीं अब रेलवे ने लोगों को बहुत बड़ी राहत दे दी है. दरअसल, रेलवे ने एक जून से चलाई जाने वाली 200 ट्रेनों की सूची जारी करते हुए ट्रेनों की बुकिंग आज से यानी गुरुवार से शुरू कर दी है, जिसमें आप अपनी टिकट बुक कर सकते हैं. आइए आपको बताते हैं रेलवे की गाइडलाइन्स के बारे में….

वेबसाइट या एप से होगी बुकिंग

ट्रेनों की बुकिंग सिर्फ आईआरसीटीसी की वेबसाइट या एप से ही होगी. आरएसी और वेटिंग टिकट मिलेंगे, लेकिन अगर वेटिंग टिकट हुआ तो ट्रेन में घुसने की इजाज़त नहीं होगी. वहीं सबसे अहम ये भी है कि इस ट्रेन में एसी के साथ ही जनरल डिब्बे भी होंगे. इसी बीच भारतीय रेलवे ने साफ किया है कि सभी यात्रियों की ट्रेन में यात्रा से पहले स्क्रीनिंग की जाएगी. बिना स्क्रीनिंग के कोई यात्रा नहीं कर पाएगा. रेलवे के अनुसार, इन 200 ट्रेन के अलावा जो स्पेशल ट्रेन चल रही हैं, वह चलती रहेंगी और अगर किसी भी यात्री में कोरोना के लक्षण पाए जाएंगे तो उन्हें ट्रेन में यात्रा नहीं करने दी जाएगी. साथ ही यात्रियों को ट्रेन में कम्बल की सुविधा नहीं दी जाएगी और लोगों को 90 मिनट पहले स्टेशन पर पहुंचना होगा. वहीं आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करना और मास्क लगाना जरूरी होगा, बिना इसके स्टेशन में प्रवेश नहीं मिलेगा.

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बिना रिजर्वेशन अनुमति नहीं

रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिना रिजर्वेशन के यात्रा की अनुमति नहीं होगी. जनरल कोच के लिए भी टिकट बुक किया जाएगा. इसके लिए यात्री को सेकेंड सीटिंग का किराया देना होगा और उसे एक आरक्षित सीट मिलेगी. अन्य सभी श्रेणी में किराया सामान्य ट्रेनों जैसा ही रहेगा. इन ट्रेनों में अधिकतम 30 दिन आगे तक का टिकट लेने की अनुमति होगी. वेटिंग और आरएसी का टिकट भी नियमानुसार मिलेगा, लेकिन वेटिंग वालों को यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी. तत्काल एपं प्रीमियम तत्काल बुकिंग की अनुमति नहीं होगी.

बता दें, इससे पहले, मजदूर दिवस के मौके पर एक मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया था, जिसके बाद 12 मई को राजधानी स्पेशल ट्रेनों के संचालन का फैसला किया गया. वहीं इनमें कुल 15 जोड़ी ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया.

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फैट्स में छिपा दिल की सेहत का राज  

वसा का नाम सुनते ही हम यह सोचते हैं कि ये तो हमारी हैल्थ के लिए अच्छी नहीं होती हैं . क्योंकि हम अब तक यही सुनते आए हैं कि वसा दिल के  दौरे, उच्च कोलेस्टरोल और यहां तक की वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होती है. लेकिन शोध बताते हैं कि सभी वसा एक जैसी नहीं होती. कुछ वसा ख़राब होती है तो  कुछ अच्छी वसा मधुमेह,  उच्च कोलेस्टरोल व उच्च रक्तचाप से बचाती है. कह सकते हैं कि स्वस्थ वसा हमें हिरदे रोग और ख़राब आहार और जीवन शैली  की आदतों  से जुड़ी अन्य स्वास्थ समस्याओं के बढ़ते जोखिम से बचा सकती हैं. आइए जानते हैं इस बारे में न्यूट्रिशनिस्ट प्रीति त्यागी से.

भारत में दिल की बीमारियों के आंकड़े चिंताजनक है. पुरुषों और महिलाएं के साथसाथ अब बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी भी दिल की बीमारियों से पीड़ित हो रही है, जो काफी चिंताजनक है.  अधिक से अधिक युवा भारतीय कोरोनरी धमनी की बीमारी से पीड़ित हैं. भारत को पहले से ही दुनिया  की मधुमेह राजधानी के रूप में देखा जाता है. हर साल बढ़ते रोगियों के कारण जल्द ही भारत को विश्व की कोरोनरी हिरडीए रोग राजधानी भी कहा जाएगा.

वर्तमान अध्धयन के अनुसार, भारत में जल्द ही दुनिया के मुकाबले में हिरडीए रोगों की संख्या सबसे अधिक होगी. इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, शहरो में रहने वाली आबादी को गांवों में रहने वाले लोगों की तुलना में दिल के दौरे का खतरा 3 गुना ज्यादा होता है.

ह्रदय रोगों के प्रमुख कारण

युवा भारतीयों में दिल की बीमारियों के बढ़ते प्रसार के पीछे प्रमुख कारण ख़राब जीवन शैली और आहार है.  जिसके लिए ये चीज़ें जिम्मेदार हैं.
– जंक और पैकेट खादय पदार्थों की बढ़ती खपत
– हर समय तनाव में रहना
– धूमपान व शराब का सेवन
– फल व सब्ज़ियों को अपने खानपान से गायब कर देना

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क्या मूल कारण सूजन है

आपको बता दें कि ये चीज़ें धीरे धीरे आपके शरीर में सूजन की स्तिथि पैदा कर देती है, जो दिल की बीमारी का मुख्य कारण बनता है. पारंपरिक चिकित्सा से हमें ज्ञात होगा कि यह सभी उच्च संतृप्त वसा वाले आहार या अनुवांशिक या दोनों के संयोजन से सम्बंधित हैं . लेकिन इसके आलावा भी बहुत कुछ है. दुर्भाग्य से, बहुत कम डाक्टर ख़राब पाचन के बीच संबंध बताते  हैं , जिसे हम सूजन पैदा होने के लिए जिम्मेदार मानते हैं. और यही हिरडीए रोगों के बढ़ने का कारण बनता है. दवाइओं से इसे कंट्रोल करने के साथ साथ हमें  भी कुछ प्रयास  करने जरूरी हैं, तभी हम इसे कंट्रोल कर पाएंगे.

धूमपान और मोटापे से बचना एक अच्छी शुरूआत है. लेलिन हमारे पेट में रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया भी मदद कर सकते हैं. क्योंकि आपकी आंत की मौलिक भूमिका इम्यून प्रणाली पर निर्भर करती है. बता  दें  कि आपकी प्रतिरक्षा का लगभग 80 परसेंट आपकी आंत में निहित है.

my22bmi के अनुसार, कुछ आसान से उपाय बताए जा रहे है, जो आप अच्छे आंत स्वस्थ को सुनिश्चिंत करने के लिए कर सकते हैं. जो आपके समग्र स्वस्थ में सुधार लाने का काम करेगा.

आपको बता दें कि स्वस्थ वसा केवल ऊर्जा का स्रोत नहीं है, बल्कि ये शरीर के संपूर्ण विकास में अहम भूमिका निभाता है. लेकिन हम वजन बढ़ने के डर से सबसे पहले वसा को ही अपनी डाइट से हटाते हैं. जबकि ये सही नहीं है. क्योंकि सभी फैट्स ख़राब नहीं होते। कुछ फैट्स हमारी हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं ,जिसमें डाइटरी फैट्स मुख्य  हैं.

क्या हैं डाइटरी फैट्स

डाइटरी फैट्स हमें पशु व पौधों से प्राप्त होता है. आपको बता दें कि डाइटरी फैट फैटी एसिड से बना है और फैटी एसिड 2 तरह के होते हैं, सैचुरेटेड एंड un सैचुरेटेड. हम unsaturated फैट को हैल्थी मानते हैं.

सैचुरेटेड  vs   unsaturated फैट

 सैचुरेटेड फैट्स  –

सैचुरेटेड फैट्स स्वस्था के लिए अच्छे नहीं होते, क्योंकि ये बैड कैलोस्ट्रोल के स्तर को बढ़ाते हैं, जिससे हिर्दय संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.

 unsaturated फैट –

unsaturated फैट आपके शरीर के लिए बेस्ट है. यह कमरे के तापमान पर तरल होते हैं और ज्यादातर सब्ज़ियों व मछली से प्राप्त किया जाता है. इसलिए आपके लिए सही प्रकार के वसा का संतुलन बनाए रखना बहुत जरुरी है.

हैल्दी रहने के लिए इन्हें शामिल करना न भूलें –

-ओमेगा 3  फैटी एसिड एक  प्रकार की वसा है. जिसे आप हैल्दी फैट या पोली अन सैचुरेटिड फैट भी कह सकते हैं. जो हारमोन्स का निर्माण करने के साथसाथ शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करती है.इसके लिए आप नट्स, अलसी, सूरजमुखी के बीज, शलगम, सेलमन फिश, सोयाबीन आदि से आप भरपूर्ण मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड ले सकते हैं.

– फलों और सब्ज़ियों से भरपूर्ण आहार लेने से मधुमेह, दिल की बीमारियों व कैंसर का खतरा कम होता है.  क्योंकि ये एंटीऑक्सीडेंट्स और फॉयतोकेमिकल का अच्छा स्रोत होते है. जो शरीर में सूजन को भी कम करने का काम करते हैं.

– एक ही तरह का आटा खाने से बचें. क्योकि ये पेट में सूजन पैदा करने का काम करता है. इसलिए हैल्थी रहने के लिए 2 – 3 तरह के आटे को जैसे रागी, जवार, बाजरा आदि को मिलाकर आटा तैयार करें।

– शरीर में विटामिन बी 12 की कमी को पूरा करने के लिए डाइट लेने के साथ साथ सुप्प्लिमेंट भी लें. क्योंकि इसकी कमी से ऊर्जा का स्तर धीमा होने के साथ चयापचय को  भी धीमा कर देता है, और इससे शरीर में वसा के संचयों बढ़ावा मिलता है. इसके लिए आप फिश, अंडा, सब्ज़ियों व दूध व दूध से बनी चीज़ों को अपनी डाइट में शामिल करें.

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–  विटामिन डी युक्त फ़ूड भी भरपूर्ण मात्रा में लें.  क्योंकि इसकी कमी मोटापे को बढ़ावा देने का काम करती है.

–  नट्स में भरपूर्ण मात्रा में प्रोटीन और वसा होता है, जो स्वास्थय के लिए काफी फायदेमंद होता है. साथ ही इससे हिरडीए से जुडी समस्याओं का भी खतरा कम होता है. क्योंकि यह ब्लडप्रेसर और कोलेस्ट्रोल को कम करने का काम करता है. इसलिए अपनी डाइट में गुड फैट्स को जरूर शामिल करें.

 

#coronavirus: ट्रंप के खब्ती नजरिए

ताकतवर देश अमेरिका कमजोरी महसूस कर रहा है. तभी तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खा रहे हैं, जैसा कि उन्होंने खुद बताया. वे इम्यूनिटी बढ़ा रहे हैं ताकि कोरोना उनको चपेट में न ले पाए, अगर ले लिया हो, तो वे ठीक हो जाएं.

ट्रंप के यह बताने पर दुनिया हैरान है खासतौर से अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ. अमेरिका में कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने में नाकाम महसूस कर रहे ट्रंप को अमेरिकी मैडिकल एक्सपटर्स पर, शायद, यकीन नहीं रहा, तभी वे भारतीय हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सेवन कर रहे हैं.

मालूम हो कि इस दवा के बारे में उनकी सरकार के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोरोना वायरस के लिए उचित नहीं है. अमेरिकी दवा नियामक संस्था फ़ूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए ने साफ़ शब्दों में कह रखा है कि यह दवा लेने से हृदय की गति असामान्य हो सकती है.

डोनाल्ड ट्रंप का कहना था, “मैं रोज़ एक गोली खाता हूं और उसके साथ ज़िंक भी लेता हूं.” जब पूछा गया कि ऐसा क्यों करते हैं तो उनका कहना था, “मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी है और मैं ने इस बारे में बहुत सी अच्छी कहानियां सुनी हैं.”

अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की स्पीकर नेन्सी पेलोसी का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का कोरोना वायरस से बचाव के लिए यह दवा लेना अच्छा ख़याल नहीं है. उनका कहना था कि वे उनसे कहेंगी कि उन्हें ऐसी दवा नहीं लेनी चाहिए जिसे देश के वैज्ञानिकों ने मंज़ूर न किया हो विशेषकर उनके इस उम्र में और ओवरवेट जिस्म के साथ.

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नोवल कोरोनावायरस को अपने लिए अवसर में तबदील करते ट्रंप ने मेडिकल क्षेत्र में अपना नज़रिया पेश कर दिया है हालांकि वे मानते हैं कि उन्होंने मैडिकल साइंस की एबीसी भी नहीं पढ़ी है.

यही नहीं, अप्रैल माह में ट्रंप ने प्रैसब्रीफ़िंग के दौरान इस बारे में अपना नजरिया यों थोपना चाहा कि लोगों को करोना से बचाने के लिए सैनिटाइज़र के इंजैक्शन लगवाने और स्टरलाइज़र पीने का सुझाव दिया जा सकता है. ट्रंप ने कहा, “मैं देखता हूं कि एक मिनट में सैनिटाइज़र कोरोना का काम तमाम कर देता है. अब अगर इसका इंजैक्शन लगवाया जाए तो अच्छा नतीजा मिल सकता है. ट्रंप के इस बयान पर भी सब हैरान हो गए थे. इस पर उनकी कड़ी आलोचना की गई तो उन्होंने कहा, वे मज़ाक़ कर रहे थे. बहरहाल, दुनियावाले अब उन्हें एक खब्ती टाइप का इंसान मानने लगे हैं.

ट्रंप ने मास्क पहनने के बारे में भी अजीब हरकतें कीं. अमेरिकी सरकार के चिकित्सा अधिकारियों ने सुझाव दिया कि लोग मास्क पहनें क्योंकि यह कोरोना से ख़ुद को बचाने का एक अच्छा जरिया है. मगर ट्रंप और उनके सहयोगियों ने एक बार भी मास्क लगाना ज़रूरी नहीं समझा.

लेकिन, मई महीने में जब ट्रंप के संपर्क में रहने वाले वाइट हाउस के 2 अधिकारी कोरोना से संक्रमित हो गए तो पूरे स्टाफ़ को आदेश दिया गया कि सभी मास्क लगाएं, हालांकि ट्रंप ने ख़ुद को इस नियम से अलग रखा.

ट्रंप इसके अलावा भी कई अवसरों पर साइंटिफ़िक विषयों पर अपने नज़रिए थोपने से पीछे नहीं रहते. उन्होंने एक बार कहा कि विंडमिल्स के शोर से कैंसर होता है. वर्ष 2017 में सूर्यग्रहण के समय ट्रंप ने वैज्ञानिकों की सलाह को नज़रअंदाज़ करते हुए बिना किसी उपकरण का प्रयोग किए सूरज को देखा.

पूरी दुनिया कह रही है कि तापमान बढ़ता जा रहा है, इसे कम करने की ज़रूरत है. मगर ट्रंप जलवायु के अंतर्राष्ट्रीय समझौते से निकल गए.

मालूम हो कि ट्रंप कभी ऐक्सरसाइज़ नहीं करते. उनका कहना है, “मेरे जिन दोस्तों ने भी ऐक्सरसाइज़ की, उन्हें घुटनों के दर्द की शिकायत हो गई.”

बहुत सारे लोग ट्रंप का मज़ाक़ उड़ाते हैं, मगर उनके अंधसमर्थक फिर भी उनका समर्थन करते हैं.

इतना ही नहीं, खब्ती ट्रंप तो यह भी कहते हैं कि उनके अंदर बहुत अच्छे जीन्स मौजूद हैं जिनकी वजह से मैडिकल मामलों में उनकी समझ बहुत अच्छी है.

खब्तीपन का एक नजारा और – मार्च महीने में जब कोरोना की महामारी फैली हुई थी, ट्रंप ने एक प्रयोगशाला का दौरा किया तो कहा, ‘मैं इन बातों को बहुत अच्छी तरह समझता हूं. मुझे प्राकृतिक रूप से यह क्षमता मिली है.’

ऐसे में यह कहने में कोई क्यों चूके कि डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने बजाय मैडिकल की लाइन में जाना चाहिए था.

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आश्चर्यजनक तो यह भी है कि ट्रंप के स्पैशल डाक्टर हेराल्ड बोरिंसटीन का कहना है कि डोनाल्ड का स्वास्थ्य बहुत अच्छा है. इससे तो लगता है कि खब्ती का इलाज करतेकरते वे खुद भी खब्ती हो गए हैं.

बहरहाल, हैरानी यह होती है और सवाल भी उठता है कि सुपरपावर कंट्री के जिस राष्ट्रपति के करोड़ों समर्थक हों, सोशल मीडिया पर करोड़ों लोग फ़ौलो करते हों, क्या उसे इस तरह की ग़ैरज़िम्मेदाराना हरक़तें करनी चाहिएं. यह तो ठीक वैसा ही है जैसा कि भारत के कई मंत्री कह चुके हैं, गोमूत्र और गो-गोबर से कोरोना जैसे वायरसों व दूसरी बीमारियों को छूमन्तर किया जा सकता है.

समर में ये फुटवियर्स आएंगे आपके काम

गरमियों में आप अपने कपड़ों पर ध्यान देते हैं, तो क्या आप अपने फुटवीयर का ध्यान रखते हैं. जिस तरह कपड़े हमारे लुक को फैशनेबल बनाते हैं उसी तरह फुटवियर हमारे लुक को और दोगुना फैशनेबल बना देता है. अक्सर आप औफिस जाते वक्त मैट्रो या बसों में लोगों के कपड़े नोटिस करते होंगे. पर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो कपड़ों के साथ-साथ फुटवियर पर भी गौर करते हैं. तो इस गरमी आप भी कुछ नए, फैशनेबल और ट्रैंडी फुटवियर को अपनाकर अपने लुक को और भी खूबसूरत बना सकते हैं. आइए आपको बताते हैं गरमियों के कुछ ट्रैंडी फुटवियर…

1. सूट पर ट्राय करें सैंडल और बेली

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कुछ सालों पहले लड़कियां केवल अंगूठे वाली चप्पल या सैंडल ही पहनती थीं, लेकिन आज लेदर शूज से लेकर कई अट्रैक्टिव डिजाइंस में सैंडल व बेलीज मार्केट में आ चुकी  हैं, जिसे आप सूट और लौंग स्कर्ट के साथ ट्राई कर सकतीं हैं.

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2. डेनिम्स के साथ ट्राय करें शूज

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आजकल औफिस हो या कौलेज लड़कियां डेनिम की जींस पहनना पसंद करती हैं. जिसके साथ सैंडल की बजाय शूज का भी इस्तेमाल कर सकतीं हैं. यह आपके लुक को ट्रैंडी और फैशनेबल बनाएगा.

3. समर बूट्स भी करें ट्राई

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बूट सिर्फ सर्दियों के लिए नहीं है बल्कि गर्मियों को ध्यान में रखते हुए कई कंपनियों ने समर बूट्स में भी काफी डिजाइंस लौंच किए हैं. ये जाली वाले होते हैं और साइड में जिप लगी होती है जिससे गर्मी महसूस नहीं होती. ये आपके कम्फर्ट और फैशन अनुसार बनाए गए हैं.

4. कोल्हापुरी जूतियां का ट्रैंड है पुराना

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कोल्हापुरी जूतियां व चप्पलें भी गर्ल्स खूब पसंद आती हैं. टाइट फिटिंग जींस के साथ ये बहुत जमती हैं. आगे से वी शेप व राउंड शेप के अलावा तरह-तरह के कट्स वाली मोजरियां भी मार्केट में अवेलेबल हैं. पहनने के बाद ये बेहद यूनीक लुक देती हैं.

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5. किसी भी लुक के लिए बेस्ट है फ्लैट्स

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कंफर्ट के हिसाब से इन दिनों फ्लैट फुटवेअर्स कौलेज गोअर्स को बहुत पसंद आते हैं. ये गर्मियों में कूल और कंफर्ट वाली फीलिंग देते हैं.

मेरी पीठ पर अकसर मुंहासे निकल जाते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 27 वर्ष की युवती हूं. मेरी पीठ पर अकसर मुंहासे निकल जाते हैं, जिस वजह से मैं अपनी मनपसंद ड्रैस भी नहीं पहन पाती. इस से नजात पाने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

हमारी त्वचा सीबम का प्रौडक्शन करती हैं जिस से त्वचा के रोमछिद्रों में गंदमी जमा हो जाती है और जिस वह से मुंहासे निकलने लगते हैं. अगर आप की पीठ पर मुंहासे हैं तो उस पर एलोवेरा जैल लगाएं. यदि मुंहासे बहुत ज्यादा हैं तो हाइड्रोजन पेरोक्साइड जैल लगाएं. इस से आराम मिलेगा.

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Summer special: कच्चे आम से बच्चों को दें टेस्टी ड्रिंक

अगर आप समर में अपने गले को ठंडक देने के लिए आम से बनी ड्रिंक घर पर ट्राय करना चाहती हैं तो ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट है.

मैंगो पना

सामग्री

– 2 चक्के आम कटे – 1/2 कप चीनी

– थोड़ी से केसर के धागे – 1/2 छोटा चम्मच इलाइची पाउडर.

बनाने का तरीका

आम के टुकड़ों में चीनी डाल कर नरम होने तक पकाएं. जब पक जाए तब उस का मिश्रण तैयार करें. फिर इस में इलायची पाउडर और केसर डाल कर धीमी आंच पर उबालें और ठंडा कर सर्व करें.

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आमरस के लिए

सामग्री

– 2 पके आम – थोड़ी सी केसर दूध में भीगी

– 1 कप पिसी हुई चीनी – 2 कप ठंडा दूध.

बनाने का तरीका

आम को टुकड़ों में काट कर मिक्सर जार में डालें. फिर इस में चीनी, केसर और दूध डाल कर स्मूद पेस्ट तैयार कर ठंडाठंडा सर्व करें.

-व्यंजन सहयोग: महाराज जोधाराम चौधरी, खानदानी राजधानी –

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लौकडाउन में रिलेशनशिप की सच्चाई

कहते हैं हर रिश्ते की अहमियत उस से दूर हो कर ही पता चलती है और यह भी सही है कि उस की हकीकत भी दूरी से ही सामने आती है. कुछ ऐसा ही तो हुआ था नीतू के साथ. नीतू और आकाश एकदूसरे से सीए की कोचिंग क्लास में मिले थे.

घर से आधे घंटे की दूरी पर कोचिंग क्लास थी जहां जाने का नीतू का कभी मन नहीं करता था लेकिन जब से वह आकाश से मिली थी तब से तो कोचिंग क्लास ही उस की फेवरेट क्लास हो गई थी.

नीतू और आकाश दोनों ने ही अपनी ग्रैजुएशन खत्म कर ली थी. वे जब मिले तो पहले दोस्ती हुई आपस में और फिर प्यार. आकाश नीतू के लिए तारीफों की झडि़यां लगा देता और नीतू चहक उठती.

वे दोनों अकसर घूमने जाया करते और रिलेशनशिप के तीसरे महीने में ही दोनों के बीच सैक्स भी होने लगा था. दिल्ली में जब कोरोना वायरस का कहर बरपा तो कोचिंग क्लास सब से पहले बंद हुई. फिर भी नीतू कभीकभी आकाश से मिलने निकल जाया करती. लेकिन, रविवार के जनता कर्फ्यू के बाद जब 21 दिन का लौकडाउन लगा तो उन का मिलना भी बंद हो गया. लौकडाउन के दूसरे और तीसरे दिन तक तो नीतूआकाश  दिनभर एकदूसरे के साथ बातें किया करते पर फिर इन बातों से भी बोर होने लगे.

नीतू आकाश से शिकायत करने लगी कि वह उस से प्यार नहीं करता जिस पर आकाश उस से झगड़ा करने लगता और कहता कि वह हर बात का बतंगड़ बनाती है.  नीतू ने आकाश को कई दूसरी लड़कियों की फोटो पर कमैंट करते हुए भी देखा जिस से वह चिढ़ जाती लेकिन आकाश से सवाल करने में भी डरती. आकाश को मैसेज करने पर वह कभी 2 तो कभी 3 घंटे बाद मैसेज का रिप्लाई करता जिस से नीतू को समझ आ गया कि आकाश को उस से बातें करने में कोई इंट्रैस्ट नहीं.

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आकाश के मैसेज सैक्सुअल होते थे और ऐसा लगता जैसे वह सिर्फ सैक्स को ले कर ही बात करना चाहता है. आखिरकार नीतू को समझ आ गया कि आकाश को उस से बातें करने में कोई इंट्रैस्ट नहीं. नीतू को समझ आ गया था कि यह प्यार नहीं बल्कि दोनों के बीच बनने वाले शारीरिक संबंध थे जिन्होंने उन्हें आपस में जोड़े रखा था. लौकडाउन के दौरान उसे आकाश की मंशा उस के कहे बगैर ही समझ आ गई.

नीतू जैसा हाल आजकल कई लड़कियों का है. कई रिलेशनशिप्स की सचाई क्वारंटाइन में उजागर हो गई है. लेकिन, सवाल है कि सचाई जान कर भी सिर्फ फिजिकल रिलेशनशिप को बनाए रखना सही है या इस से निकल जाने में ही भलाई है?

1. खुद से करें सवाल

आप को खुद से सवाल करने की जरूरत है कि क्या आप एक फिजिकल रिलेशनशिप में रहना चाहती हैं. बौयफ्रैंड के यह कहनेभर से कि उसे आप से प्यार है जरूरी नहीं कि उसे सचमुच आप से प्यार है. लोगों की कथनी और करनी में जमीनआसमान का फर्क होता है. प्यार में सैक्स होता है लेकिन सैक्स में प्यार ढूंढ़ने की काशिश के चक्कर में दिल तुड़वा लेना बेवकूफी है.

2. स्पष्ट बात कहनी है जरूरी

कई बार होता यह है कि हम किसी व्यक्ति के साथ सैक्स करने में तो सक्षम होते हैं पर अपने दिल की बात साफसाफ कहने में खुद को असहाय महसूस करते हैं. हो सकता है आप को यह रिलेशनशिप कन्फ्यूज कर रही हो और आप इस से निकलना चाहती हैं पर इस बारे में बात करने में आप असहज हों. लेकिन, आप को हिम्मत जुटा कर बात करनी ही होगी. साफ कह दें कि आप सिर्फ सैक्सुअल रिलेशनशिप नहीं चाहतीं और इस रिलेशनशिप में उस के अलावा कुछ है नहीं.

3. ब्रेकअप कर लेना है सही

अगर आप सैक्सुअल रिलेशनशिप नहीं चाहतीं तो ब्रेकअप कर लेना ही सही है. यह मुश्किल हो सकता है लेकिन खुद सोचिए इस समय ब्रेकअप करने के कितने सारे फायदे हैं. आप को अपने बौयफ्रैंड से स्पेस मिलेगा, उस से हर दिन सामना होने से बचेंगी, आप के कालेज या औफिस जाने के शैड्यूल पर असर नहीं पड़ेगा और मूवऔन करने के लिए आप को समय भी मिलेगा. ब्रेकअप के बाद अकसर कमरे से निकलने का मन नहीं होता, बाहर आनेजाने का मन नहीं करता न ही किसी से बात करने का. यह सब इस लौकडाउन के चलते खुदबखुद हो जाएगा.

4. खुद पर कंट्रोल बनाए रखें

क्वारंटाइन में सभी खाली ही हैं. सुबह से शाम और ऐसे में अपने एक्स को मैसेज करने की गलती भी बहुत लोग करते हैं. आप को यही गलती नहीं करनी है. अपने एक्स को जिस से आप ने अभी ही ब्रेकअप किया है उसे हर सोशल मीडिया प्लेटफौर्म से रिमूव कर दें. कोई चाहे यह कहे कि आप ओवरऐक्ंिटग कर रही हैं. तब भी यह जरूरी है कि आप किसी भी तरह के कौंटैक्ट की गुंजाइश न रखें. इसी में आप की भलाई है.

5. ओवरथिंकिंग को खुद पर हावी न होने दें

एक ही चीज को बारबार सोचने से आप अपने दिमाग को सचमुच नुकसान पहुंचा सकती हैं. ‘वह किस से बात कर रहा होगा’, ‘वह कहीं किसी और के साथ रिलेशनशिप में तो नहीं आ गया’ जैसी बातों को सोचने के बजाय यह सोचें कि आप किसी के साथ सिर्फ सैक्स के लिए नहीं रह सकतीं. आप का अस्तित्व उस से कहीं ज्यादा है और आप ऐसा व्यक्ति डिजर्व करती हैं जो आप के साथ आप के मन के लिए हो केवल तन के लिए नहीं.

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