जानें क्या हैं प्याज के हेल्थ से जुड़े अनगिनत फायदे

दोस्तों प्याज आमतौर पर सभी घरों में use किया जाता है. कभी सब्जी में तो कभी सलाद में , कई तरीकों से प्याज को खाया जाता है. इसके बिना तो खाने का स्वाद ही नहीं आता. बेशक, इसे काटते समय आंखों में पानी जरूर आता है, लेकिन इसे खाने से जो अनगिनत फायदे होते हैं, उसका कोई मुकाबला नहीं है.
वैसे तो कहा जाता है की प्याज खाने से लू नहीं लगती.आपको जानकर हैरानी होगी कि प्याज सिर्फ लू भर ही नहीं, बल्कि डायबिटीज व कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में भी सक्षम है.

आइय जानते है प्याज के हैरान करने वाले फायदे –

1-डायबिटीज की समस्या से ग्रसित लोगों को रोजाना प्याज सलाद के रूप में खाना चाहिए. प्याज में क्रोमियम पाया जाता है जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार हो सकता है.

2-जिन लोगों के बाल बहुत झड़ते हैं उन्हें खूब प्याज खाना चाहिए.

3-प्याज खाने से कब्ज की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है.

4-प्याज के सेवन से पीरियड्स के दौरान दर्द या अनियमित माहवारी जैसी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है.

5-अगर आपके मुंह में इन्फेक्शन या दांत में कोई परेशानी है तो कच्चे प्याज को 2-3 मिनट तक चबाएं, ऐसा करने से इन्फेक्शन ठीक हो सकता है.

6-आंखों की रोशनी कम होने, आंखों से पानी आने पर प्याज के रस में गुलाबजल मिलाकर इसकी कुछ बूंद आंखों में डालें.

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7- प्याज में अच्छी मात्रा में Quercetin नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है. इसमें विटामिन ‘सी’ भी पाया जाता है, यह भी कैंसर रोकने के लिए कारगर है. प्याज खाने से कई तरह के कैंसर जैसे प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट और फेफड़ों के कैंसर से बचा जा सकता है.

8-प्याज में मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड पाए जाते हैं. जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.

9-रोजाना प्याज खाने से दिल की बीमारियां होने का खतरा कम होता है.

10-जिन लोगों को खून की कमी होती है, प्याज उनके लिए रामबाण हैं. यहां तक की

11-प्याज के सेवन से यूरिन इंफेक्शन भी दूर किया जा सकता है.

12- प्याज का सेवन अच्छी नींद और कैलोरी बर्न करने में भी मददगार है.

13 -तनाव कम करने और इम्यून सिस्टम बढ़ाने में भी प्याज फायदेमंद होता है.

दोस्तों ये तो थे प्याज़ खाने के फायदे .पर क्या कभी आपने सिरके वाली प्याज़ खायी है. आपने सिरके वाला प्‍याज़ उत्‍तर भारत के लगभग सभी रेस्‍ट्रॉन्‍ट्स में देखा होगा.ये ज्‍यादातर लाल रंग के होते हैं . दोस्तों अक्सर जब हम लोग restaurant और होटल में खाना खाने जाते है तो खाने के साथ अक्सर सिरके वाली प्याज serve की जाती है.जो खाने में बहुत टेस्टी लगती है और इसे हम बड़े चाव से खाते हैं.पर क्या कभी आपने इसे घर में बनाने का try किया है.अगर नहीं, तो चलिए आज हम बनाते restaurent जैसी सिरके वाली प्याज़.

हमें चाहिए-

छोटे प्याज-15 से 20 ( छोटे प्याज नहीं हैं तो बड़े प्याज को ही तीन से चार पीस कर लें.)

• व्हाइट वेनेगर या एप्पल साइडर वेनेगर-2 टेबलस्‍पून
• ½ कप पानी
• चुकंदर- एक पीस कटे हुए
• चीनी-1 टेबल स्पून
• नमक- स्वादानुसार
• ¾ टेबलस्‍पून लाल मिर्च (ऑप्शनल)

बनाने का तरीका-

1- सबसे पहले प्याज को छीलकर पानी से धोलें.फिर उसे हल्का सा कट कर ले.

2-अब एक बाउल में व्हाइट विनेगर लेकर उसमें आधा कप पानी मिक्स करें.अब इसमें 1 टेबलस्पून चीनी, स्वादानुसार नमक ,लालमिर्च और चुकंदर डालकर अच्छी तहर मिक्स करें.

3- अब इसमें प्याज डालकर अच्छी तरह मिक्स करें और और एक कांच के जार में भरकर दो से तीन दिन के लिए छोड़ दें.

4-इन 2-3 दिनों में रोज जार 2 से 3 बार अच्छी तरह हिलाएं. जिससे प्‍याज में अच्‍छी तरह से सिरका लग जाए.

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5-2-3 दिन बाद सिरके वाले प्याज (वेनेगर ऑनियन) तैयार हो जाएंगे. . अब इन्हें खाने के साथ सर्व करें. आप सिरके वाले प्‍याज को किसी भी प्रकार के भोजन के साथ सर्व कर सकती हैं।

6- सिरके वाले प्याज को फ्रिज में रखकर स्टोर करें.

ध्यान रहेः प्याज खत्म होने के बाद वेनेगर वॉटर को बार-बार इस्तेमाल ना करें.
वे लोग इस बात का खास ख्याल रखें जिन्हें गैस्ट्रिक या स्ट‍मक कैंसर हैं क्योंकि वेनेगर में एसिडिक कॉन्टेंट होता है. ऐसे में वे वेनेगर के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें.

इन्वैस्टमैंट जानकारी: बेहतर कौन- एफडी या आरडी

फाइनैंशियल सिक्योरिटी यानी वित्तीय सुरक्षा हर इंसान की ज़रूरत है. इस के लिए घरेलू खर्चों के बाद कुछ पैसा भविष्य के लिए बचाया जाता है. समाज का वह वर्ग क्या करे जिस की स्थिति रोज़ कुआं खोदो रोज़ पानी पियो जैसी है. इस तबके की तो कोई सुनने वाला ही नहीं.

समाज बदला है, परिवर्तन आया है, शिक्षा पर जोर भी है. लेकिन फिर भी ज़्यादातर लोगों में जानकारी का अभाव है. हमारे गरीब देश भारत में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए भी स्कीम्स हैं. बता दें कि पोस्ट औफिस में हर महीने 10 रुपए जमा करने के लिए रेकरिंग डिपौजिट (आरडी) यानी आवर्ती जमा खाता खुलवाया जा सकता है.

सुरक्षित भविष्य के लिए बचत कर उसे निवेश करना हर इंसान के लिए अनिवार्य है. समाज के निम्नवर्ग, निम्नमध्यवर्ग, मध्यवर्ग और छोटे वेतनभोगियों को भविष्य की फाइनैंशियल सिक्योरिटी के लिए निवेश यानी इन्वैस्ट करने के 2 अतिलोकप्रिय रास्ते हैं – एफडी (फिक्स्ड डिपौजिट) यानी सावधि जमा और आरडी (रेकरिंग डिपौजिट) यानी आवर्ती जमा.

जान लें कि एफडी में एकमुश्त रकम जमा करनी होती है जबकि आरडी में आमतौर पर एक निश्चित रकम हर महीने जमा करनी होती है. और यह भी जान लें कि फिक्स्ड और रेकरिंग डिपौजिट, दोनों ही स्कीम्स में इनकम टैक्स के नियम एकजैसे ही हैं. अब सवाल यह है कि एफडी और आरडी में बेहतर कौन है?

यह स्वाभाविक हकीकत है कि हर व्यक्ति अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न चाहता है. अगर निवेश के 2 विकल्पों में रिटर्न एकसमान हो तो आप अपनी पूंजी की ज्यादा सुरक्षा वाले विकल्प को पसंद करेंगे.

पूंजी की सुरक्षा के साथ निश्चित अंतराल पर नियमित आय के लिए लोग लंबे समय से फिक्स्ड डिपौजिट को निवेश का बेहतर विकल्प मानते हैं. लेकिन, अगर आप के पास निवेश के लिए एकमुश्त रकम नहीं है और आप मासिक आमदनी से बचत कर संपत्ति बनाना चाहते हैं, तब रेकरिंग डिपौजिट निवेश का अच्छा विकल्प है.

दोनों में क्या है समानता :

फिक्स्ड डिपौजिट हो या रेकरिंग डिपौजिट, दोनों ही बैंकों और पोस्टऔफिस द्वारा औफर किए जाने वाले फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट हैं. अगर आप किसी बैंक या पोस्टऔफिस में इन दोनों डिपौजिट्स में से कोई भी खाता खुलवाते हैं तो पोस्टऔफिस या बैंक आप को पहले से तय ब्याजदर के हिसाब से नियमित अंतराल पर या मैच्योरिटी पर निश्चित ब्याज देते हैं.

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टर्म यानी अवधि पूरी होने पर आप की ओर से निवेश की गई रकम और उस पर लागू ब्याज आप को मिल जाता है. दूसरे बैंकिंग उत्पादों पर मिलने वाला ब्याज लगभग हर तिमाही बदलता है, लेकिन फिक्स्ड और रेकरिंग डिपौजिट खुलवाते वक्त जो ब्याजदर तय की जाती है, वही आप को मिलती है. ब्याजदर स्कीम के अंत तक जारी रहती है.

टैक्स देनदारी में दोनों में क्या है अंतर :

फिक्स्ड और रेकरिंग डिपौजिट, दोनों ही स्कीम्स में इनकम टैक्स के नियम एकजैसे ही हैं. दोनों ही स्कीम पर मिलने वाले ब्याज को आप की कुल आय में जोड़ दिया जाता है और उस पर आप को अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है.

यदि आप अपनी आमदनी के हिसाब से 30 फीसदी वाले टैक्स स्लैब में हैं तो एफडी और आरडी पर मिलने वाले ब्याज पर भी 30 फीसदी की दर से ही टैक्स लगेगा.

टैक्स डिडक्शन के मामले में आरडी थोड़ा बेहतर है. एफडी पर सालाना ब्याज अगर 10,000 रुपए से अधिक मिलता है तो बैंक टीडीएस  काट लेता है, लेकिन रेकरिंग पर कोई डिडक्शन नहीं होता. यह एक ऐसा फीचर है जिस के चलते निवेशकों का रुझान आरडी की ओर बढ़ा है.

किस में मिलता है बेहतर रिटर्न : 

यदि आप इन दोनों योजनाओं की तुलना करें तो फिक्स्ड डिपौजिट में आप को अधिक रिटर्न मिलता है. इस की वजह यह है कि एफडी  में आप एकमुश्त रकम जमा करते हैं जिस पर ब्याज उसी दिन से चालू हो जाता है. जबकि, रेकरिंग डिपौजिट, वास्तव में, मासिक आमदनी से थोड़ीथोड़ी रकम जोड़ कर संपत्ति बनाने का माध्यम है.

इसे ऐसे समझिए – मान लीजिए कि आप ने प्रति महीने 2,000 रुपए की दर से साल में 24,000 रुपए रेकरिंग डिपौजिट में जमा किए. इस में अगले साल से आप को कुल 24,000 रुपए के निवेश पर ब्याज मिलेगा. जिस साल आप ने निवेश शुरू किया उस साल में आप ने पहले महीने 2000 रुपए ही बैंक में जमा किए हैं.

अगर सिर्फ एक साल के हिसाब से बात करें तो रेकरिंग डिपौजिट की 2,000 रुपए की पहली किस्त पर आप को उस साल के 11 महीने,  दूसरी किस्त पर 10 महीने, तीसरी किस्त पर 9 महीने और चौथी किस्त पर सिर्फ 8 महीने का ही ब्याज मिलेगा.

अगर आप ने साल की शुरुआत में 24,000  रुपए एफडी में लगा दिए तो इस निवेश पर ब्याज पहले दिन से ही शुरू हो जाएगा. दोनों ही स्कीम्स पर एकसमान तिमाही चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है. अगर हम यह मान लें कि आप के निवेश पर ब्याज दर 9 फीसदी है तो एफडी में एक साल के अंत में आप कुल 26,324 रुपए पाएंगे जबकि आरडी में आप को कुल 25,195  रुपए ही मिलेंगे.

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ध्यान रखें :

यह ध्यान रखें कि एफडी  में आप ने बैंक में शुरुआत में ही 24,000 रुपए जमा कर दिए जबकि आरडी  में आप हर महीने 2,000 रुपए जमा कर रहे हैं, सो, ब्याज में जो अंतर है वह इसी वजह से है. सो, रुपए कमाइए, खर्च में से बचाइए, निवेश कर बढ़ाइए और फिर आर्थिकतौर पर सुरक्षित रहिए.

क्या है नो मेकअप लुक

केवल फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र की महिलाओं को खूबसूरत दिखना होता है. लेकिन इस बीच देशविदेश में लागू लौकडाउन की वजह से बहुत से लोगों को जमीनी हकीकत यानी रियल लुक पर ले आया है.

जाहिर है, इस दौरान न आप मेकअप आर्टिस्ट से मेकअप करवा सकती हैं और न ही खुद को ग्रूम करने के लिए किसी ब्यूटीपार्लर में जा सकती हैं. ऐसे में अब कईयों का रियल लुक नजर आने लगा है.

अचानक क्यों होने लगी चर्चा

‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने इस रियल लुक को ले कर स्टोरी की है. हाल ही में जब मशहूर अर्थशास्त्री जैफरी सैच ने टीवी पर एक चर्चा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप को इडियट प्रैसिडैंट कहा तो अचानक से वे चर्चा में आ गए.

दरअसल, उन के चेहरे पर बालों की लटें आ रही थीं. जाहिर सी बात है कि इस कमैंट की वजह से वे एकदम से चर्चा में आ गए. हालांकि अगर यह लौकडाउन से पहले का वक्त होता तो मेकअप परफैक्ट होता और चेहरे पर बालों की लटें आने का सवाल ही नहीं होता.

सिर्फ जैफरी जैसे ऐक्सपर्ट ही नहीं, अमेरिका के कई न्यूज ऐंकर इस लौकडाउन के चलते अपने रियल लुक में नजर आ रहे हैं.

एक वह दौर भी था

भारत के संदर्भ में बात करें तो दूरदर्शन की अपने जमाने की मशहूर न्यूज रीडर सलमा सुलतान की याद आती है. खुबसूरत और सलीकेदार साड़ी और बालों में कान के पीछे लगा गुलाब 80 के दशक में उन की पहचान बन चुकी थी.

उस दौर को याद कर सलमा कहती हैं कि उस वक्त न तो दूरदर्शन के पास इतना बजट था कि वह हम लोगों के लिए कोई स्टाइलिस्ट रख सकें और न ही इस की कोई दरकार थी. खबरें पेश करनी होती थीं तो जाहिर है कि कुछ मेकअप करना पड़ता था, जिस में फाउंडेशन, लिपस्टिक और काजल ही शामिल हुआ करते थे.

सलमा बताती हैं,”अपनी स्टाइलिंग हम खुद ही किया करते थे. मेरे घर के बगीचे में तब भी और आज भी बहुत गुलाब हुआ करते हैं. एक दिन बगीचे में बैठी थी तो खयाल आया कि क्यों न आज गुलाब का फूल बालों मे लगा लूं.

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“दूसरे दिन भी मैं ने ऐसे ही फूल बालों मे लगा लिए. 2 दिन लगाने के बाद तीसरे दिन छोड़ दिया. इस के बाद अचानक पत्रों और फोन की जैसे बाढ़ आ गई. लोग पूछने लगे कि वे गुलाब कहां गए?
“फिर इस के बाद न्यूज पढ़ते वक्त मैं नियमित रूप से गुलाब लगाने लगी.”

सलमा कहती हैं कि मैं यह नहीं कहती कि आप इस फील्ड में हैं तो मेकअप न करें. लेकिन मेकअप की परतों के अंदर खुद की खूबसूरती को न छिपाएं. मेकअप एक कला है, पर शख्सियत पर हावी होते ही आप खो जाएंगे. अच्छा है कि इस लौकडाउन ने मेकअप की परतों में कैद लोगों और खासकर महिलाओं को राहत देने में मदद की है.

नो मेकअप लुक का आया जमाना

कोरोना वायरस के कारण कुछ तो लौकडाउन और कुछ सोशल डिस्टैंसिंग की वजह से न ही पार्लर खुले हैं और न ही कौस्मेटिक शौप. अगर खुल भी गए, तो पहले जैसी बात नहीं रह जाएगी, क्योंकि एक डर बना रहेगा कि कहीं हम संक्रमण के शिकार न हो जाएं.

लेकिन इन सब के बीच एक चैलेंज इस समय बहुत तेजी से चल रहा है और वह है नो मेकअप चैलेंज, जिस में महिलाएंलड़कियां बिना मेकअप किए अपनी फोटोज शेयर कर रही हैं, जिसे ‘नो मेकअप लुक’ के नाम से जाना जा रहा है.

बौलीवुड भी पीछे नहीं

बौलीवुड अदाकारा भी इस नो मेकअप लुक को काफी पसंद कर रही हैं. तसवीरें शेयर करने का ट्रैंड चल रहा है. लौकडाउन की वजह से बौलीवुड के सैलिब्रिटीज भी अपने घरों में समय बिता रहे हैं. ऐसे में वे न तो खुद को ग्रूम कर पा रहे हैं और न ही मेकअप कर रहे हैं.

लौकडाउन के बीच उन्होंने अपनी ऐसी ही कुछ तसवीरें शेयर कीं, जिन में उन का बदला हुआ लुक नजर आया.

बौलीवुड ऐक्ट्रैस करीना कपूर खान भी सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रहती हैं. वे अकसर अपनी तसवीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करती रहती हैं. हाल ही में करीना ने अपनी कुछ तसवीरें शेयर कीं, इन में वे बिना मेकअप नजर आईं. फैंस को उन का यह रूप काफी पसंद भी आ रहा है.

लोगों ने तारीफ करते हुए लिखा कि बिना मेकअप सामने आने के लिए हिम्मत चाहिए, तो किसी ने उन के नो मेकअप लुक पर भद्दे कमैंट्स भी किए.

भोजपुरी फिल्म और टीवी ऐक्ट्रैस मोनालिसा ने भी नो मेकअप तसवीरें शेयर की हैं. बिना मेकअप के वे काफी खूबसूरत लग रही हैं. फैंस ने भी उन की तसवीरों पर कमैंट्स करते हुए कहा कि वे बिना मेकअप के भी काफी अच्छी लग रही हैं.

मेकअप की जगह स्किन पर दें ध्यान

इन दिनों टीवी सैलिब्रिटीज भी अपने घर पर ही हैं. वे भी मेकअप से दूर अपनी स्किन की देखभाल करने में लगी हैं. अलादीन फेम अवनीत कौर ने अपने ब्यूटी टिप्स शेयर किए, जिन्हें आप भी आजमा सकती हैं.

वे कहती हैं,”मैं हमेशा खुद को फिट ऐंड फाइन रखती हूं. मैं फेसमास्क लगाती हूं, जिस में हलदी, नीबू, दही जैसी चीजें शामिल हैं जोकि हमारे किचन में आसानी से मिल जाते हैं.

“मैं उन ब्यूटी ट्रिक्स का इस्तेमाल करती हूं जो मेरी त्वचा को कैमरे के लिए हरदम तैयार करने में मदद करते हैं.”

आमतौर पर सैलिब्रिटीज को शूटिंग के दौरान इतना समय नहीं मिलता है कि वे खुद का ठीक ढंग से खयाल रख पाएं. लेकिन इस समय कोरोना वायरस के चलते देश में अधिकतर बाजारें बंद हैं, जिस के कारण बौलीवुड सैलिब्रिटीज अपना खयाल खुद ही रख रहे हैं.

हाल में ही करीना कपूर ने इंस्टाग्राम पर एक तसवीर शेयर की है, जिस में वे फेस मास्क लगाए हुए नजर आ रही हैं. इतना ही नहीं इस फेसमास्क को बनाने की विधि के बारे में उन्होंने अपने फैंस को बताया है.

ऐसे बनाया करीना ने फेसपैक

एक बाउल में 2 चम्मच चंदन पाउडर, 2 बूंदें विटामिन ई और चुटकीभर हलदी के साथ थोड़ा सा दूध डाल कर अच्छी तरह से मिक्स करें. इस के बाद चेहरे पर लगाएं. कम से कम 20 मिनट लगा रहने दें. फिर साफ पानी से धो लें.

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डू इट योरसैल्फ

इंडस्ट्रीज से जुड़े जावेद हबीब कहते हैं कि आने वाले दिनों में हेयर, ब्युटि और मेकअप इंडस्ट्री में बहुत कुछ बदलने वाला है. मेकअप में प्रोफैशनल के अलावा दूसरे लोगों में डू इट योरसैल्फ देखने को मिलेगा. इस का मतलब यह नहीं कि लोग सैलून जाना छोड़ देंगे, बल्कि वे स्किन ट्रीटमैंट लेंगे.

फेशियल मसाज बेहतर होगा. जाहिर है, महिलाओं का मेकअप पर फोकस कम होगा. ब्रैंड और क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान रहेगा.

Medela Flex Breast Pump: मैनुअल से बेहतर है इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप

मेरा  नाम स्वाति है, मैं 6 महीनों पहले ही मां बनी हूं, जिसके बाद मेरी जिंदगी में बहुत बदलाव आ चुका है. मुझे अपने और परिवार के लिए समय नही मिल पाता था, जिसके कारण मैने मार्केट से मैनुअल ब्रेस्ट पंप खरीदा, लेकिन ब्रेस्ट पंप लेने के बाद भी मेरे पास बिल्कुल समय नही मिलता था. साथ ही मुझे इस प्रौडक्ट को लेकर कोई संतुष्टि नही मिली. क्योंकि मेनुअल ब्रेस्ट पंप से दूध को निकालने में भी मुझे समय के साथ हाथों में दर्द भी रहने लगा.

इसके बाद जब परेशान होकर मैने मेरी दोस्त सानिया को अपनी इस प्रौबल्म के बारे में बताया तो उसने मुझे इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करने की बात कही. क्योंकि वह भी इस प्रौबल्म का सामना कर चुकी थी और इलेक्ट्रिक पंप से उसकी लाइफ भी बेहद आसान हो गई थी, जिसके कारण उसने मुझे भी इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करने की सलाह दी.

साथ ही सानिया ने मुझे समझाते हुए कहा कि भले ही हम किसी चीज पर पैसे खर्च करके अपनी लाइफ को आसान बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर वही चीज हमारे काम को आसान करने की बजाय बढ़ा दे तो वह चीज खरीदना बेकार हो जाती है, जिसके बाद मुझे यह बात समझ आई कि सानिया सही कह रही है.

इसी के साथ उसने मुझे मेडेला के इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए कहा कि यह Medela Flex Breast Pump के जरिए वह कम समय में ही काफी दूध निकाल कर स्टोर कर सकती है, जिससे उसे बार-बार बच्चे को खुद फीडिंग नहीं करवानी पड़ेगी. साथ ही वह आराम से औफिस का काम और अपने बच्चे का ख्याल रख पाएगी और इस पूरी प्रोसेस में 10 से 15 मिनिट का समय लगेगा. इसी के साथ उसने मुझे यह भी बताया कि Medela Flex Breast Pump स्विटजरलैंड में बनाए जाते है, जो कि हाइजीन के मामले में बेहद सुरक्षित भी है और इसके साथ मिलने वाली गारंटी आपको प्रौडक्ट को लेकर सिक्योरिटी भी देती है.

सानिया से मेडेला के इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप के बारे में जानने के बाद मैनें इस प्रौडक्ट को खरीदा और इस प्रौडक्ट को खरीदने व इस्तेमाल करने के बाद मुझे एक संतुष्टि भी मिली.

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शुरु हुई ‘बाहुबली’ एक्टर राणा दग्गुबाती की शादी की तैयारी, मास्क पहनकर दुल्हन बनेगी मंगेतर

साउथ की फिल्मों से लेकर बौलीवुड में धूम मचा चुके एक्टर राणा दग्गुबाती उनकी मंगेतर मिहीका बजाज संग जल्द शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. ‘बाहुबली’ के भल्लादेव उर्फ राणा दग्गुबाती (Rana Daggubati) हाल ही में रोका सेरेमनी में एक्टर अपनी मंगेतर मिहीका बजाज दोनों पारंपरिक लुक में नजर आए थे. वहीं अब उनकी शादी की तैयारियों भी शुरू हो चुकी हैं, जिसकी फोटोज भी सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं ‘बाहुबली’ स्टार की कोरोनावायरस के बीच वेडिंग सेलिब्रेशन की फोटोज…

कोरोनावायरस के बीच होगी शादी

खबरों की मानें तो राणा दग्गुबाती (Rana Daggubati) मिहीका बजाज के साथ अगस्त में शादी करने वाले है. दोनों की शादी ऐसे वक्त में होने वाली है जब देश में कोविड-19 का कहर है. ऐसे में दूल्हा-दुल्हन पूरी सावधानी से शादी की तैयारी में जुटे हैं. हाल ही में मिहीका बजाज ने अपनी फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह दुल्हन बनने के साथ मास्क पहने हुए नजर आ रही हैं.

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शादी की तैयारियां हुई शुरू

हाल ही में मिहीका बजाज ने अपने लुक की एक प्यारी सी फोटो शेयर की है. इस फोटो में मिहीका बजाज लहंगा चुन्नी पहने नजर आ रही हैं. इसके साथ ही उन्होंने कैप्शन दिया है, ‘उत्सव जारी है… थैंक्यू मेरा दिन बेहद खास बनाने के लिए…’.

रोका सेरेमनी की फोटोज हुई वायरल

बाहुबली एक्टर (Rana Daggubati) की रोका सेरेमनी की फोटोज सोशल मीडिया पर हंगामा मचा चुकी हैं. रोका सेरेमनी में ‘बाहुबली’ स्टार और उनकी मंगेतर मिहीका बजाज पारंपरिक तरीके से तैयार हुए थे और दोनों की खूबसूरत फोटोज में फैंस उन्हें बधाई देते नजर आए थे.

 

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And it’s official!! 💥💥💥💥

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बता दें, अपनी फिल्म हाथी मेरे साथी को लेकर राणा दग्गुबाती (Rana Daggubati) बीते दिनों सुर्खियों में रहे हैं. देश में लॉकडाउन के बीच ये फिल्म रिलीज नही हो पाई, जिसके कारण उनके फैंस को काफी दुख हुआ था.

फादर्स डे पर Sonam Kapoor ने दिया हेटर्स को करारा जवाब, सुशांत के सुसाइड पर हुई थीं ट्रोल

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड के बद से फिल्म इंडस्ट्री के स्टार किड्स ट्रोलर्स के निशाने पर हैं. सुशांत के सुसाइड के पीछे की वजह ढूंढने के लिए जहां पुलिस कईं लोगों से पूछताछ कर रही है तो वहीं कुछ लोग फिल्म इंडस्ट्री में फैले नेपोटिज्म और ‘प्रोफेशनल राइवलरी’ को उनके सुसाइड के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं, जिसके चलते वह स्टार्स को ट्रोल करने में लगे हुए हैं.

वहीं ट्रोलर्स से परेशान होकर सोनाक्षी सिन्हा और आयुष शर्मा जैसे सितारों ने अपने ट्विटर अकाउंट को डिलीट कर दिया था. वहीं कुछ स्टार्स ट्रोलर्स पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं. हाल ही में एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट का कमेंट सेक्शन को हटा दिया था और अब फादर्स डे के मौके पर ट्विटर पर वह ट्रोलर्स के कमेंट्स के खिलाफ नाराजगी जताती नजर आ रही हैं.

फादर्स डे के मौके पर फूटा सोनम का गुस्सा

ट्रोलर्स से परेशान सोनम कपूर (Sonam Kapoor) ने फादर्स डे के मौके पर ट्विटर पर हेटर्स को करारा जवाब देते हुए कहा है, ‘आज फादर्स डे के मौके पर मैं ये बात कहना चाहती हूं कि हां, मैं अपने पापा की बेटी हूं. हां मैं यहां उनकी वजह से हूं… हां मैं खास हूं… ये कोई अपमान की बात नहीं है. मेरे पिता ने मुझे ये सबकुछ देने के लिए बहुत मेहनत की है. ये मेरा कर्म है कि मैं कहां पैदा हुई, किसके घर पैदा हुई और मैं बहुत गर्वित हूं. उनकी बेटी होकर.’ इतना ही नहीं, सोनम कपूर ने बैक टू बैक कई सारे ट्वीट्स कर हेटर्स को करारा जवाब दिया है. इसी के साथ सोनम ने कुछ स्क्रीन शौट्स भी शेयर किए है.

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सोनाक्षी भी दे चुकी हैं जवाब

बीते दिनों सोनम कपूर से पहले सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) ने भी ट्रोलर्स को ट्विटर पर करारा जवाब दिया था. लेकिन इसके बावजूद उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा देखने को मिला था, जिसके बाद सोनाक्षी ने ट्विटर एकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया था.

बता दें, हाल ही में सलमान खान (Salman Khan) में अपने फैंस से गुजारिश की थी कि वह सुशांत के फैंस और फैमिली का साथ दें ना कि उनके लिए लड़े, जिसके बाद फैंस उनके इस कदम की तारीफें कर रहे हैं.

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#coronavirus: अनलॉक के दौरान क्या करें या न करें

अब जब सब तरफ लाकडाउन बंदिशें खत्म हो चुकी हैं. तो  ऐसे में ज़रूरी है कि बीमारी के फैलने की संभावना को कम करने के लिए हम सब पूरी सावधानी बरतें. हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि जानलेवा कोरोनावायरस अभी देश से गया नहीं है और वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जारी है. भारत में अब तक 3.50 लाख कोरोना पाज़िटिव और 10 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी है.  हम जानते हैं कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास में शहर और राज्य खोले जा चुके हैं.ऐसे में कोरोनावायरस इन्फेक्शन फैलने का खतरा भी बढ़ गया है.

डॉक्टर का कहना है कि हमें अपने दोस्त को गले लगाए, पार्टी किए, स्टेडियम गए और हवाई यात्रा किए भले ही कई दिन बीत गए हों, लेकिन हमें याद रखना है कि कई तरह के प्रतिबंध हटाए जाने के बाद, आज भी हम कोरोनावायरस के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं.

इस अनलॉक के समय हमें कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए जो कि इस प्रकार है

1. फेस मास्क पहनना न भूलें

शॉपिंग मॉल और गैर-ज़रूरी सामान की दुकानें खुलने लगी हैं, ऐसे में ज़्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है. उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जारी रखना चाहिए और अनिवार्य रूप से फेस मास्क का उपयोग करना चाहिए. आप कहां रहते हैं, क्या कर रहे हैं, इसके आधार पर कई और नियम भी हो सकते हैं. साथ ही आपको हैण्ड सैनिटाइज़र और दस्तानों का उपयोग भी करना चाहिए. याद रखें कि शॉपिंग और सामाजिक जीवन का अनुभव अभी कुछ समय के लिए पहले की तरह नहीं होने वाला है.

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2. पार्टी करने से बचें और बार में न जाएं

कोरोनावायरस के इन्फेक्शन से बचने के लिए ज़रूरी है कि आप बेवजह लोगों के संपर्क में न आएं. घर पर पार्टी करने या बार में जाने से आप ज़्यादा भीड़ के संपर्क में आते हैं, इससे इन्फेक्शन फैलने का खतरा बढ़ सकता है. हो सकता है कि पार्टी में ऐसे लोग हों जिनमें इन्फेक्शन के लक्षण न हों, जो आपको इन्फेक्शन दे सकते हैं. इसलिए यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप कितनी सूझ बूझ से अपने स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं.

3. बार-बार हाथ धोएं        

हाइजीन को बिल्कुल न भूलें, याद रखें कि लॉकडाउन में छूट का यह मतलब बिल्कुल नहीं कि कोरोनावायरस फैलना रूक गया है. स्कूल और बिज़नेस को खोलने के आर्थिक कारण हो सकते हैं, लेकिन वायरस फैलता रहेगा. हालांकि हो सकता है कि इसके फैलने की दर कम हो जाए. बार-बार अच्छी तरह हाथ धोने से आप इस इन्फेक्शन से बच सकते हैं. जब भी आप किसी के संपर्क में आएं या किसी सतह को छूएं तो इसक बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धो लें.

4. छुट्टी की योजना न बनाएं

हममें से ज़्यादातर लोग तीन-चार महीने से घर में रहने के बाद छुट्टी पर जाना चाहते हैं. हो सकता है कि होटल और हवाई यात्रा का किराया बहुत कम हो जाए. लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि आप यह सोचकर छुट्टी पर जाने की योजना बना लें कि आपकी इम्युनिटी मजबूत है और आपको कुछ नहीं होगा. हो सकता है कि हवाई यात्रा अब पहले की तरह रोचक न हो. आपको उड़ान के दौरान मास्क पहनना होगा, आप सीमित मात्रा में खाने-पीने का आनंद ले कसेंगे, एयरपोर्ट टर्मिनल्स पर ज़्यादातर बिज़नेस बंद रहेंगे.

5. कोई भी फैसला सोच-समझ कर लें

भविष्य में क्या होने वाला है, हम इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते. हो सकता है कि कोरोनावायरस के मामले अचानक बढ़ जाएं जैसा सिंगापुर और होंग-कोंग में हुआ, वायरस के ज़्यादा खतरनाक स्ट्रेन भी आ सकते हैं. इसलिए कोई भी फैसला सोच-समझ कर लें, लेकिन निराश न हों.

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6. स्ट्रीट फूड खाने से पहले सावधानी बरतें, हाइजीन पर खास ध्यान दें

जैसे ही आप घर से बाहर जाते हैं, गोलगप्पे, मोमो, टिक्की, राम लड्डू और चाट आपको लुभाने लगते हैं लेकिन स्ट्रीट फूड की किसी भी स्टॉल पर जाने से पहले सुनिश्चित कर लें कि वहां हाइजीन का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. चाट परोसने वाले व्यक्ति ने दस्ताने पहनें हैं और वह नियमित रूप से अपने हाथों को सैनिटाइज़ कर रहा है. पेपर प्लेट और कटलरी साफ है, इन पर धूल-मिट्टी नहीं है.

डॉ. पी वेंकटा कृष्णन, इंटरनल मेडिसिन, पारस हॉस्पिटल

क्या भारत तीन मोर्चों पर जंग लड़ सकता है?,‘मोदी डाक्ट्रिन’ की यह अग्निपरीक्षा है

 साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अविश्वसनीय जीत हासिल करके अपने सहयोगियों के साथ केंद्र में सरकार बनाया था, उस सरकार का शपथ ग्रहण समारोह भारत की विदेशनीति के लिहाज से एक नया अध्याय था. यह पहला ऐसा मौका था, जब भारत के किसी प्रधानमंत्री ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय उपमहाद्वीप के सभी देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था और सभी इस समारोह में आये थे. विदेशनीति के जानकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक से दंग रह गये थे. क्योंकि सरकार बनने के पहले तक सबको यही लगता था कि अगर भाजपा सरकार बनाती है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत की विदेशनीति कैसी होगी? लेकिन मोदी सरकार ने इस सवाल का ऐसा जवाब दिया जिसका किसी के पास पहले से कोई अंदाजा ही नहीं था.

साल 2014 में चुनाव के पहले संभावित भाजपा सरकार की जिस विदेशनीति को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे थे, बाद में पांच सालों तक सबसे ज्यादा सरकार को उसी मोर्चे में सफल होते देखा गया. लगा जैसे सरकार ने आने के पहले कई सालों तक खास तौरपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशनीति का कुछ खास ही होमवर्क किया है. जिस कारण वह सत्ता में आते ही तमाम बड़े देशों की यात्राएं कीं और सबने गर्मजोशी के साथ भारत को रिश्तों की एक नयी मंजिल के रूप में लिया. लेकिन लगता है जो आशंकाएं 2014 में तमाम जानकारों को थीं, वे आशंकाएं अब 2020 में फिर से पैदा हो गई हैं या यूं कहें वही आशंकाएं अब हकीकत का रूप लेती दिख रही हैं. निश्चित रूप से भारत की विदेशनीति के लिए अचानक एक बड़ी कठिन परीक्षा आ गई है. आजादी के बाद से यह पहला ऐसा मौका है, जब न केवल भारत अपने तीन पड़ोसियों के साथ सरहदी तनाव में उलझा हुआ है बल्कि दो और पड़ोसियों के साथ भी रिश्ते अगर खराब नहीं हैं तो गर्मजोशी वाले भी नहीं है.

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कहते हैं सन 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत की सेना को यह आशंका हो गई थी कि कहीं भारत को एक साथ दो मोर्चे पर युद्ध न लड़ना पड़े, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. शीतयुद्ध के कारण तनाव का भूमंडलीय शिवरीकरण हो गया और इस तरह न तो दांत पीसता अमरीका और न ही मौके की तलाश में चीन को भारत से टकराने का कोई मौका मिला. सोवियत संघ की धमक और कूटनीतिक मोर्चों में उसकी चुस्ती फुर्ती के कारण भारत ने 1971 में ऐतिहासिक जीत के साथ इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया. लेकिन आज 2020 में पहली बार यह स्थिति पैदा हो गई है कि क्या भारत एक साथ तीन मोर्चों पर जंग लड़ सकता है. जी, हां! लद्दाख में स्थित गलवान घाटी में जिस तरह से भारत और चीन के सैनिक आमने सामने आये और खूनी संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गये, उसके बाद से दोनो ही देश चरम तनाव के मुहाने पर खड़े हैं.

पाकिस्तान के साथ हमारा तनाव मौजूदा भारत की शुरुआत से ही यानी 1947 के विभाजन के साथ ही रहा है. पिछले साल जम्मू कश्मीर से जिस तरह भारत ने अनुच्छेद 370 को खत्म किया, उसके बाद से लगातार पाकिस्तान भारत के साथ कटु से कटु मुद्रा इख्तियार किये हुए है. लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि पहली बार भारत और नेपाल के बीच भी न केवल इस हद तक सीमा विवाद उभरकर सामने आये हैं कि भारत के तीन इलाकों नेपाल की सरकार ने अपने राजनीतिक नक्शे में शामिल कर लिया है बल्कि लगभग कूटनीतिक ललकार के अंदाज में उस विवादित नक्शे को अपनी संसद में पारित भी करा लिया है, जो इस बात का संकेत है कि पूरा नेपाल सरकार के साथ खड़ा है. यही नहीं इस समय जबकि भारत और चीन के रिश्ते 1962 के बाद सबसे ज्यादा विस्फोटक हैं, कई सैन्य विशेषज्ञों को तो इस बात की भी आशंका है कि दोनो परमाणु शक्ति सम्पन्न देश जंग में भी उतर सकते हैं. ठीक उसी समय नेपाल भी भारत के साथ चीन और पाकिस्तान के अंदाज में ही व्यवहार कर रहा है.

यह पहला ऐसा मौका है कि भारत और नेपाल की सीमा में जबरदस्त तनाव व्याप्त है. इसी तनाव के बीच नेपाल ने भारत की सीमा में पहली बार हथियारबंद सैन्य जवानों को तैनात किया है. नेपाल ने काला पानी के पास चांगरू में अपनी सीमा चैकी को उन्नत भी बनाया है. सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि नेपाली सेना के प्रमुख पूर्णचंद्र थापा इस चैकी के निरीक्षण के लिए आये, जो एक किस्म से भारत के लिए संदेश था कि अब पाकिस्तान और चीन की तरह नेपाल की सरहद में भी जंग वाले हालात रहा करेंगे. सवाल है क्या जरूरत पड़ने पर भारत अपने तीन-तीन पड़ोसियों से एक साथ जंग लड़ सकता है? जब जार्ज फर्नांडिस रक्षा मंत्री थे तो उन्होंने सेना को युद्ध के समय दो मोर्चों पर तैयारी के लिए कहा करते थे.

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अगर वास्तव में कभी यह खौफनाक आशंका सच हो गई और भारत को चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ एक ही समय पर युद्ध लड़ना पड़े तो निश्चित रूप से यह बहुत ही खराब स्थिति होगी. क्योंकि तब भारत को लगभग 4000 किलोमीटर की लंबी जमीनी सरहद पर हर जगह नजर रखनी पड़ेगी और हर जगह मोर्चाबंदी करनी पड़ेगी. यही नहीं आकाश और समुद्र में भी दोहरे मोर्चे का सामना करना पड़ेगा. यह कहने की जरूरत नहीं है कि पाकिस्तान और चीन हमेशा एक ही पलड़े में, एक ही पाले में रहा करते हैं. वैसे भी दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. इसलिए पाकिस्तान और चीन भारत के संबंध में हमेशा दोस्त होते हैं. पाकिस्तान हमेशा कूटनीतिक स्तर पर चीन का इस्तेमाल करता रहा है, लेकिन यह भी हकीकत है कि अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच जितने भी युद्ध हुए हैं, भारत की प्रभावशाली विदेशनीति और सतर्क कूटनीति के चलते कभी भी पाकिस्तान को चीन का सक्रिय साथ नहीं मिल सका.

लेकिन यह पहला ऐसा मौका है जब चीन और भारत के साथ युद्ध छिड़ता है तो पाकिस्तान बिना किसी बात के भी भारत के साथ मोर्चा खोल सकता है बशर्ते उसे चीन इसके लिए मना न करे और भला चीन क्यों मना करेगा? हालांकि अगर वाकई इस तरह की स्थिति आयी और पाकिस्तान ने बेवकूफी की तो पाकिस्तान को इसका खामियाजा बहुत ज्यादा भुगतना पड़ सकता है. दरअसल भारत एक साथ अगर तीन पड़ोसियों के साथ वाॅर फ्रंट पर आ खड़ा हुआ है और दो पड़ोसी, बांग्लादेश तथा श्रीलंका के साथ हमारे रिश्ते अगर मनमुटाव वाले नहीं हैं तो उनमें गर्मजोशी भी नहीं है. इस स्थिति के लिए सेना जिम्मेदार नहीं है और न ही यह कहा जा सकता है कि भारत की सैन्यशक्ति में किसी तरह की कमी है. वास्तव में इस स्थिति के लिए भारत की विदेशनीति और उसे सहयोग करने वाली कूटनीति पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. इसलिए यह स्थिति मोदी की विदेशनीति या ‘मोदी डाॅक्ट्रिन’ की अग्निपरीक्षा है.

लेखक के दिमाग को पढ़ने के लिए एक अच्छा निर्देशक जरुरी – जूही चतुर्वेदी

फिल्म विकी डोनर से सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाली लेखिका जूही चतुर्वेदी से आज कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनायी है. उन्होंने हमेशा कोशिश की है कि कहानी आम लोगों से जुड़कर कही जाय, जिससे लोग अपने आपको उससे जोड़ सकें और वे इसमें कामयाब भी रही. उनके हिसाब से कहानी को सही तरीके से पर्दे पर लाना भी बहुत मुश्किल होता है, पर निर्देशक सुजीत सरकार बड़ी सफलता पूर्वक इसे अंजाम देते है. उनकी इस सफलता में उनके माता पिता और परिवार का भी काफी सहयोग रहा.  गृहशोभा जूही की मां हमेशा लखनऊ में पढ़ती है. जूही की कई यादें इस पत्रिका से जुड़ी है. जूही ने फिल्म गुलाबो सिताबो’ लिखी है, जो मजेदार फिल्म है. आइये जानते है क्या कहती है, जूही अपनी जर्नी के बारें में,

सवाल-‘गुलाबो सिताबो’ की कहानी का कांसेप्ट आपने कैसे सोचा?

जिंदगी हमें बहुत सारी किस्से कहानियां और लोगों से मिलवाती है, ऐसे में कुछ लोग आपकी जिंदगी में एक छाप छोड़ जाते है, जिसे आप भुला नहीं सकते. कोई अकेला व्यक्ति कोई कहानी नहीं कह सकता. ये समाज के मिले जुले लोगों के साथ ही निकलता है, जिसकी परछाई हमें मिलती है और उसे लेखक, लेखनी के द्वारा एक आकार देता है, जिसे निर्देशक दर्शकों तक पहुंचाता है. असल में ऐसे लोग जब आपके आसपास होते है तो कहानी अनायास ही जन्म ले लेती है.अपने अनुभव के साथ, खुद की कल्पना को जोड़कर कहानी लिखती हूं. गुलाबो सिताबो भी ऐसी ही कहानी है.

सवाल-ये फिल्म बड़े पर्दे पर आने वाली थी, पर अब डिजिटल पर आ रही है, इसका मलाल है क्या?

बड़े पर्दे पर रिलीज होती तो अच्छा होता, जिसमें आप पॉपकॉर्न के साथ किसी अंजान व्यक्ति के साथ बैठकर ठहाके लगाकर हँसते हुए फिल्म देख पाते, लेकिन घर पर बैठकर देखने में भी कोई समस्या नहीं. निर्माता, निर्देशक ने फिल्म को दर्शकों के लिए बनायीं और जब ये पूरी हो चुकी है तो दिखाने में कोई हर्ज़ नहीं. कैसे भी ये दर्शकों तक पहुँच जाए बस वही अच्छी बात है.

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सवाल-लेखन की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?

बचपन में मेरे घर का माहौल ही ऐसा था, जहाँ घर में बुजुर्गों की बातचीत, बहस आदि को मैंने देखा है. मेरे घर में ऐसे किस्से, कहानियां, टिका टिप्पणी चलती रहती थी. बड़े-बड़े लेखकों की लिखाई पर आलोचनाएं चलती रहती थी. कहानियों को सोते-जागते सुनना, वैसी बातचीत करना, आदि सबकुछ ने मेरे अंदर एक प्रेरणा को जन्म दिया. इसके अलावा बड़े बुजुर्गों ने अच्छा लेखक बनने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन लखनऊ रहते-रहते ये काम नहीं हो पाया, क्योंकि मौका नहीं मिला. मुझे उस समय ड्राइंग का बहुत शौक था. उसमे सारी कलाकारी और भाव को निकाला करती थी. इसके बाद आर्ट कॉलेज गयी, वहां भी पेंटिंग की. तब तक ये समझ में आ गया था कि क्रिएटिविटी ही मेरी दुनिया है. इसे मैं लिखकर या पेंटिंग कर किसी भी रूप में कर सकती हूं. इसके बाद दिल्ली गयी पर वहां अधिक मौका नहीं मिला. जब मैं मुंबई आई और एडवरटाइजिंग कंपनी में काम करने लगी तो वहां लिखने का मौका मिला. बाँध खुलने के बाद ही पानी की गहराई का पता लगता है, वैसा मेरे साथ भी हुआ है. इससे पहले मुझे भी पता नहीं था कि मैं लिख सकती हूं. लिखने के बाद अब लगता है कि यही मेरी मंजिल है और रुकना आसान नहीं.

सवाल-परिवार का सहयोग कितना रहा?

ये सही है कि लेखक की भावनाओं को लोग कम समझ पाते है, लेकिन अब मेरे परिवार वालों ने समझ लिया है कि मैं कुछ अच्छा सोच सकती हूं, क्योंकि उन्हें मेरी इस कला को देख लिया है. इसमें कई बार नोंक-झोंक भी हो जाती है. लेखक आप बाहर के लिए है. घरवालों के लिए नहीं. जिम्मेदारियां वैसी ही चलती रहती है. उनकी उम्मीद मुझसे उतनी ही रहती है. वही दुनिया है. लिखना और पढना अलग है, जो मैं करती हूं. मैं घर या बाहर कही भी राइटर बनकर नहीं घूमती. मैं दो साल में एक फिल्म लिखती हूं.

सवाल-आपकी जोड़ी निर्देशक सुजीत सरकार के साथ अच्छी रही, क्या लेखक के दिमाग को पढने के लिए एक अच्छे निर्देशक का होना जरुरी है?

ये बिल्कुल सही बात है. कुछ भी लिखने के लिए एक अच्छे मार्ग दर्शक की जरुरत होती है. लेखक जब कुछ भी अपने भावनाओं के ताने-बाने से लिखता है और पब्लिशर के पास जाता है, तो वहां भी एक अच्छे पब्लिशर की जरुरत होती है जो आप पर और आपके लेखन पर विश्वास रखे. उसको उसी तरह से पब्लिश करवाकर उस लेखक को सपोर्ट करें. इसमें सिनेमा तो एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म है, जहाँ केवल लेखन ही नहीं, उसे पर्दे पर कैसे ढालना है, उसकी परख होने की भी जरुरत होती है, क्योंकि इसमें एक बड़ा फाइनेंस जुड़ा होता है. निर्देशक कि सोच का लेखक के लेखन के साथ सही तालमेल का होना बहुत जरुरी है. उसका परिणाम पर्दे पर दिखता है. कहानी के उद्देश्य तक पहुँचने के लिए केवल निर्देशक ही नहीं एक्टर, कैमरामैन, म्यूजिशियन, कॉस्टयूम डिज़ाइनर आदि सभी का एक दूसरे से तालमेल होना जरुरी है. इसके लिए एक गहरा रिश्ता कहानी से सबको बनाने की जरुरत पड़ती है. नहीं तो कहानी कुछ है और आप कह कुछ और रहे है. फिल्म सफल नहीं हो पाती.

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सवाल-फिल्म की कहानी में लेखक को महत्व दिया जाना कितना अवशयक है, जो अधिकतर नहीं दिया जाता

किसी भी सोच को एक लेखक ही जन्म देता है. फिर चाहे वह उपन्यास हो या छोटी कहानी. उसे बहुत गहराई में जाकर उस बारें में सोचना पड़ता है, जो आसान नहीं होता. इसमें सोचना ये भी पड़ता है कि लेखक की इच्छा क्या है? क्या वह अपने आप को पाठक के सामने लाना चाहता है या अपनी बात या सोच को उनतक पहुँचाना चाहता है. अगर आपके अंदर एक आवाज है, जिसे आप निकलने के लिए आतुर है तो उसे कोई भी रोक नहीं सकता. वह कैसे भी निकलकर पहुँच ही जाएगी.

सवाल-लॉक डाउन में आप क्या कर रही है?

लॉक डाउन में मैं आम घरेलू महिला की तरह घर की पूरी देखभाल कर रही हूं. मेरे पिता और मेरी बेटी मेरे साथ रहते है. घर की सारी जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही है. हर दिन क्या खाना बनेगा, इस पर विचार करती रहती हूं. समय मिलता है तो कुछ लिखने की कोशिश करती हूं.

सवाल-लॉक डाउन के बाद फिल्मों की कहानियों में किस तरह के बदलाव की उम्मीद कर रही है?

ये पेंड़ेमिक का समय भी गुजर जायेगा. इसका असर सबके अंदर गहरा हुआ होगा. हर परिवार और सदस्य में डर आया है. समझ लोगों में आई है. अभी लेखक को उसी समझ और सेंसेटिवनेस के साथ कहानियां लिखने की जरुरत है, इसमें जो दिशा निर्देश फिल्मों की शूटिंग के लिए है, उसे पालन सबको करने की जरुरत है. इस समय को जाया न करते हुए, आतंरिक सोच को निखार कर कर आगे लाने की जरुरत है.

सवाल-गृहशोभा के ज़रिये क्या मेसेज देना चाहती है?

गृहशोभा के साथ मेरी बहुत पुरानी यादें है. महिलाये घर में हो या बाहर, समाज का अहम् हिस्सा है. कभी भी अपने आप को खुद की नज़रों में कम न समझे. अच्छाइयों को देखिये और जो कमियां है ,उन्हें पूरा कर लीजिये.

मेरे पति खाने-पीने के साथ शराब के शौकीन हो गए हैं?

सवाल-

मेरे पति हाल ही में अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. मेरे 2 बच्चे हैं जो शादीशुदा जिंदगी बिता रहे हैं और दूसरे शहर में रहते हैं. पति नौकरी से रिटायर्ड हुए तो सोचा अब बाकी की जिंदगी चैन से बिताएंगे. मगर पति के बदले व्यवहार से हैरान हूं.

दरअसल, पति महीने में 2-4 दिन दूसरे शहर जाते हैं और वहां कौलगर्ल्स के साथ समय बिताते हैं. ये सब मुझे उन के मोबाइल से पता चला है. दूसरी बड़ी परेशानी घर पर आएदिन होने वाली पार्टियां हैं, जिन में खानेपीने के साथ शराब का दौर भी खूब चलता है और पार्टी में साथ देने ननदें भी आ जाती हैं, जो आसपास ही रहती हैं. कभीकभी लगता है कि ये सारी जानकारी अपने बच्चों को दे दूं, पर फिर यह सोच कर नहीं देती कि अपने पिता के इस घिनौने चेहरे को देखने के बाद पिता और बच्चों के आपसी रिश्ते खराब हो जाएंगे. मैं ने पति को कई बार समझाने की कोशिश की पर जवाब यही मिलता है कि सारी उम्र तुम सभी के लिए बिता दी अब बस अपने लिए जीऊंगा. मुझे कोई रास्ता नहीं दिख रहा है कि किस तरह पति को सही रास्ते पर लाऊं. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

बढ़ती उम्र के साथ न तो चाहतें कम होती हैं और न ही शारीरिक जरूरतें. यह अच्छा है कि आप के बच्चे अपने पैरों पर खड़े हैं और अच्छी जिंदगी बिता रहे हैं. तब तो आप के पास भी समय होगा कि आप भी खुल कर पुरानी यादों को ताजा करें और पति के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं. बेहतर होगा कि आप भी खुद को बुजुर्ग न समझ कर जमाने के साथ चलिए. सजिएसंवरिए, पति के साथ फिल्म देखने, मौल घूमने, शौपिंग आदि करने से आप को भी पति का सामीप्य पसंद आने लगेगा. पति में थोड़ा परिवर्तन आए तो उन्हें प्यार से समझाबुझा सकती हैं. आप अपनी ननदों से भी कह सकती हैं कि उन का घर पर तभी स्वागत किया जाएगा जब शराब आदि बुरी चीजों से वे दूर रहें. बेहतर होगा कि आप भी उन की पार्टी में शामिल रहें, मगर इस शर्त पर कि वहां शराब का दौर नहीं चलेगा. इस सब के बावजूद पति और ननदें सही रास्ते पर आती न दिखें तो आप सख्ती से पेश आ सकती हैं. बात बिगड़ती दिखे तो बच्चों से सारी बात शेयर कर सकती हैं. वैसे, इस उम्र में विवाहित पुरुष अथवा स्त्री दोनों को ही एकदूसरे की जरूरत अधिक होती है, क्योंकि यह उम्र आने तक बच्चे भी सैटल हो कर अपनेअपने परिवार व कैरियर बनाने में व्यस्त हो जाते हैं. पति के साथ अधिक से अधिक रहेंगी तो उन्हें भी आप का साथ भाएगा और संभव है कि वे सही रास्ते पर आ जाएं.

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