Hyundai #WhyWeLoveTheVenue: Visibility

एक SUV खरीदने का मुख्य कारण है SUV द्वारा दी जाने वाली सड़क के कमांडिंग व्यू . हुंडई वेन्यू एक ऊंचाई वाली एडजस्टेबल ड्राइवर सीट के साथ आता है. जिसे आप अपने अनुसार सेट कर सकते है और सामने का दृश्य आसानी से देख सकते है. 

वेन्यू पर एक ए-पिलर और एक लंबे ग्रीनहाउस के आकार का पिलर्स है जिसका मतलब है की जो भी आपके आस-पास हो रहा है वो 360 डिग्री का दृश्य है.

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इसके अलावा इस में एक ड्राइवर रियर व्यू मॉनिटर भी है, जो बैक साइड कैमरे का लाभ उठाता है, अगर पीछे सीट में तीन लंबे कद वाले यात्री भी बैठे है, तो आपको हमेशा पता चल जाएगा कि कार के पीछे क्या हो रहा है.

हुंडई आता है एक्सीलेंट विजिबिलिटी के साथ. #WhyWeLoveTheVenue

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देहरी के भीतर: भाग-2

लेखिका: नीलम राकेश

परिवार का हर सदस्य किसी न किसी बहाने से मुझे ऊपर की मंजिल दिखाने से कतरा जाता था. ऐसा मुझे लग रहा था. मैं भी बारबार नहीं कह पा रही थी. पर मेरा डर और जिज्ञासा दोनों ही बढ़ती जा रही थी.
उस दिन सुबहसुबह मैं बीच के दालान में आई तो पहली मंजिल पर रहने वाली लीना मिल गई.
“भाभी, मैं आप को ही बुलाने आ रही थी. आज आप लंच मेरे साथ करिएगा तो मुझे खुशी होगी. जब से

आप की शादी हुई है मैं आप को बुलाना चाह रही थी.”
“मैं मां से…”
मेरी बात बीच में काट कर लीना बोली, “आंटीजी से व तारा से मेरी बात हो गई है. मैं आप की प्रतीक्षा करूंगी. मैं ने आप के लिए कुछ खास बनाया है.”
“ठीक है‌.” मैं मुसकराई.

हम तीनों गपशप के साथ पिज्जा का आनंद ले रहे थे कि कमरे का दरवाजा अचानक धीरे से खुला और एक हाथ जिस में एक डब्बा और फूलों का गुलदस्ता था दिखाई दिया. मेरी तो सांस ही अटक गई. लीना और तारा ने एकदूसरे की ओर देखा. तब तक उस हाथ से जुड़ा शरीर भी सामने आ गया और लीना व तारा दोनों एक साथ बोलीं, “ओह तुम हो. डरा ही दिया था.”
सौम्य, जो कि इसी मंजिल पर दूसरी ओर रहता था हड़बड़ाया सा खड़ा था.
“यह…मैं…” वह कुछ बोल नहीं पा रहा था.
“हां, हां, सौम्य लाओ. भाभी यह गुलदस्ता मैं ने आप के लिए मंगाया था. आप पहली बार आई हैं न.” लीना ने बात संभाली और आगे बढ़ कर सौम्य से सामान ले लिया.
“ये…इमरती…” अटकता हुआ सौम्य बोला.
दोनों की हड़बड़ाहट छिपाए नहीं छिप रही थी.

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“आओ बैठो सौम्य.” तारा बोली.
“भाभी, यहां की इमरती मशहूर है. इसलिए खास आप के लिए मंगवाई है.” कहते हुए लीना ने दोनों चीजें मुझे पकड़ा दीं.
हम चारों थोड़ी देर बातें करते रहे. पर सौम्य सामान्य नहीं हो पा रहा था . उस की नजर मेरे पास रखे गुलदस्ते पर बारबार जा कर अटक रही थी. चलती हुई जब मैं ने गुलदस्ता उठाया तो उस से लटकता हुआ छोटा सा कार्ड उन की चुगली कर गया, जिसे मैंने धीरे से निकाल लिया और लीना को गले लगा कर धीरे से सब की नजर बचा कर उस के हाथ में पकड़ा कर बोली, “यह तुम्हारे लिए है.”
कार्ड पर लिखा था, फौर माई लव.”

धीरेधीरे तीनों किराएदार मुझ से खुलने लगे थे. लीना और सौम्य तो अपनेअपने हिस्से में अकेले ही रहते थे और उन के बीच पक रही खिचड़ी अब मेरे सामने थी. दूसरी मंजिल पर ही एक बड़े हिस्से में मोहन रहता था जो किसी बैंक में काम करता था. उस के साथ उस की माताजी रहती थीं.
दिन के खाली समय में मैं अब अकसर उन के पास थोड़ी देर के लिए चली जाती. सासूमां आजाद खयाल की थीं. ज्यादा टोकाटाकी नहीं करती थीं. बस अपने काम से काम . राजसी ठसक में ही रहती थीं. घर में भी जेवरों से लदी रहती थीं. तारा कालेज चली जाती और मांजी आराम करने तो मैं ऊपर वाली माताजी के पास जा धमकती. उन के पास ढेरों किस्से थे.
“बहु तुम तीसरी मंजिल पर गईं कभी?” एक दिन अचानक उन्होंने पूछा.
“नहीं माताजी. कोई ले ही नहीं जाता मुझे.” मेरा लहजा शिकायती भरा था.
“जाना भी मत बहू.”
“ऐसा क्या है वहां?” मैं ने पूछा तो वे अजीब निगाहों से मुझे देखने लगीं.
“बताइए न,” मैं ने जोर दिया.
“फिर कभी बताऊंगी बहू, अभी तो मुझे आराम करना है.”
मैं चली तो आई पर मुझे ऊपरी मंजिल का रहस्य जानने का रास्ता मिल गया था.

मेरे बारबार कुरेदने पर उस दिन माताजी बोलीं, “देखो बहू, किसी से कहोगी नहीं तो तुम्हें बताऊं.”
“नहीं माताजी, आप की बात मैं किसी को क्यों बताने लगी भला.” मैं उत्साहित थी.
“जानती हो ऊपर की मंजिल पर न, रात में कुछ लोग आते हैं.”
“कौन लोग? और क्यों आते हैं माताजी?”
“पता नहीं पर आते तो हैं.” माताजी बोलीं.
“आप ने देखा है?’ मैं सीधे माताजी की आंखों में देख रही थी.
“और क्या, यहां सब ने देखा है. तुम्हें  भी दिख जाएंगे जल्दी ही.” माताजी के स्वर में विश्वास था.
उसी समय लीला के कमरे की खुलने की आवाज आई.
“सुन बहू, यह लीना तुम्हें कैसी लगती है?”
“बहुत मस्त लड़की है. मुझे अच्छी लगती है.”
“बता तो जरा मेरे मोहन के लिए कैसी रहेगी?” अब माताजी मेरी आंखों में देख रही थीं.
“माता जी, आजकल शादीब्याह में बच्चों की पसंद का ध्यान रखना चाहिए. उन से ही पूछना चाहिए. आप मोहन से बात करिए. क्या पता उसे कोई लड़की पसंद हो.”
“पसंद है, तभी तो तुम से पूछ रही हूं.” माता जी बोलीं.

“मतलब, मोहन ने आप को बताया है कि उसे लीना पसंद है? उन दोनों के बीच कुछ चल रहा है?” मैं ने आश्चर्य से पूछा.
“नहीं, ऐसे कौन बताता है. मां हूं न. उस का मन पढ़ सकती हूं.” स्नेह उन की आंखों में तैर रहा था.
“फिर…?”
“तुम तो अभी बच्ची हो. पता है मोहन को हमेशा लीना की फिक्र रहती है. कुछ भी फलवल लाता है तो लीना को देने को कहता है. और यह जो दूसरा लड़का रहता है न, मुझे तो फूटी आंख नहीं भाता. जाने क्या नाम है.”
“सौम्य…”
“हां, जो भी है.” रोष स्पष्ट था.
मैं उठने लगी तो माताजी बोलीं, “सुनो, अपनी सास से कह कर इस सौम्य को निकलवा दो. मैं न बहुत अच्छा किराएदार दिलवा दूंगी. किराया भी मोटी देगा. तुम बात करो उन से.”
“अरे मैं क्या कहूंगी?” मैं चकित थी.
“कहना क्या है. कह देना तारा को गलत नजर से देखता है. तुरंत हटा देंगी.”

“पर यह सच नहीं है. बरसों से तारा से राखी बंधवाता है. बहुत मानता है उसे. सुना भी है और देखा भी है मैं ने.” मैं ने स्पष्ट किया.
“अरे तो तुम झूठ कहां बोलेगी. बस लीना की जगह तारा का नाम बदल देना.” माताजी फिर से बोलीं.
“नहींनहीं यह मुझ से नहीं होगा. मैं चलती हूं.” मैं झटके से उठ भागी और हड़बड़ाहट में सामने से आ रहे पतिदेव से टकरा गई. पूरी बात सुन कर वे बोले, “अच्छा चलो तुम्हें तीसरी मंजिल दिखाता हूं.”
मैं काफी डरीडरी ऊपर पहुंची. मेरा चेहरा देख कर पतिदेव खिलखिलाए, “इतना डरती हो, तो देखने की जिद क्यों?”
“सच बताइए इस में भूत है क्या?”
“नहीं यार, सब बकवास है. भूत होता तो मैं तुम्हें यहां लाता? भूतवूत कुछ नहीं होता…” कहते हुए उन्होंने कमरे के विशाल दरवाजे को धक्का दिया. दरवाजा आवाज के साथ खुल गया. घबराहट में मैं ने पति की कमीज पीछे से पकड़ ली. वे मुसकराए और मेरा हाथ थाम कर अंदर बढ़े. अंदर आते ही आश्चर्य से मेरा मुंह खुला का खुला रह गया. मैं एक बड़ी लाइब्रेरी के अंदर खड़ी थी. लकड़ी की नक्काशीदार अलमारियों के ऊपर खूबसूरत फ्रेम में महान क्रांतिकारियों की अनेक फोटो लगी थीं. कुछ को मैं पहचान रही थी और ज्यादातर को नहीं. एक किनारे पर मोटा गद्दा बिछा था जिस पर खूबसूरत कालीन बिछी थी और कई तकिए रखे हुए थे. मैं कल्पना कर सकती थी कि यहीं पर सब बैठते और बातचीत करते होंगे. आगे बढ़ कर पतिदेव ने एक अलमारी का दरवाजा खोल दिया. अंदर किताबें भरी पड़ी थीं.

“यह हमारे परिवार का गौरवपूर्ण इतिहास का पन्ना है जिस पर हम सब को गर्व है. यह वह स्थान है जहां नेहरू, गांधी, पटेल सरीखे महान नेता आते थे और आजादी की योजना बनाते थे. हमारे पर बाबा आजादी की लड़ाई के एक सैनिक थे. इस कमरे में कैद उन की यादें हमारी बेशकीमती धरोहर हैं.”
“और यह भूत वाली बात?”
“सब बकवास है. पहले सामने वाले भाग में दूसरे किराएदार थे.  बहुत पुराने. पर उन की नियत में खोट आ गया था. लोगों को डराने के लिए वही ऐसी अनर्गल बातें फैलाते रहते थे कि सफेद धोतीकुरते में कुछ लोग रात में तीसरी मंजिल पर आते हैं. जब पानी सिर के ऊपर हो गया तब हम ने उन्हें निकाल दिया. जब से लीना और सौम्य आए हैं सब ठीक है.”
“पर माता जी…” मैं ने बात अधूरी छोड़ दी.

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“हां माताजी थोड़ा इधरउधर की बातें करती हैं. पर उन का ज्यादा किसी से मिलनाजुलना नहीं है और उन का बेटा मोहन बहुत नेक इंसान है. सब की मदद को हमेशा तैयार रहता है. और उस के पिता, बाबूजी के अच्छे मित्र थे इसलिए…”
मैं सबकुछ ध्यान से सुन रही थी.
“अच्छा श्रीमतीजी, आप का डर और भ्रम दूर हुआ या फिर भूत को बुलाऊं?” हंसते हुए वे बोले.
“मैं यहां से किताबें ले कर पढ़ सकती हूं न?” अपनी झेंप छिपाते हुए मैं ने पूछा.
“हांहां, तुम मालकिन हो यहां की. सुना था तुम्हें पढ़ने का शौक है. खूब पढ़ो. चाहो तो यहां की सफाई करा के यहीं बैठ कर पढ़ो.”
“नहीं,अपने कमरे में ही पढ़ूंगी. यहां ज्यादा एकांत है.”
“ठीक है. हां एक बात याद रखना. यह सौम्य, लीना और मोहन की प्रेम कहानी उन्हें ही सुलझाने देना, तुम बीच में मत पड़ना.”
और हम एकदूसरे के हाथ में हाथ डाले नीचे की ओर चल दिए, डर का भूत भाग गया था.

Vivo V19 भारत में 15 मई से बिक्री को तैयार, जानें क्या हैं खास फीचर्स

खूबियों से भरपूर स्मार्टफोन की चाहत रखनें वालों के लिए इस लॉक डाउन के बीच एक खुशखबरी आई है. वह खुशखबरी यह है की चीनी टेक कंपनी वीवो (Vivo) नें अपने  V सीरीज के माडल में लेटेस्ट स्मार्टफोन वी19 (Vivo V19) को भारत में लॉन्च कर दिया है जिसकी ऑनलाइन व ऑफलाइन बिक्री 15 मई से शुरू की जायेगी. इस स्मार्टफोन के लांचिंग का इंतज़ार भारत में लम्बे समय से किया जा रहा था.

फोटोग्राफी के शौक़ीन लोगों के लिए है खास

यह स्मार्ट फोन फोटोग्राफी का शौक रखनें वालों के लिए भी सबसे उम्दा साबित होने वाला है, क्यों की इस फ़ोन के कैमरे की खासियत इसे और भी ख़ास बनाती है. इस स्मार्ट फोन में कुल 6 कैमरों का सेटअप दिया है. जिसमें 48 मेगापिक्सल का प्राइमरी सेंसर, 8 मेगा पिक्सल का वाइड-एंगल लेंस, 2 मेगापिक्सल का मैक्रो लेंस और 2 मेगापिक्सल यानी (48MP(मेन लेंस)+8MP(वाइड-एंगल)+2MP+2MP ) का बोकेह लेंस शामिल हैं. इसके अलावा सेल्फी के लिए इसमें फ्रंट में ड्यूअल कैमरा सेटअप दिया है जिसमें 32 मेगापिक्सल और 8 (32MP(मेन लेंस)+8MP ) मेगापिक्सल के कैमरे दिए गए हैं.

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यह है फीचर्स

स्मार्टफोन Vivo V19 के अगर फीचर्स की बात की जाए तो कंपनी ने इस फोन में 6.44 इंच का फुल एचडी प्लस डिस्प्ले दिया है, जिसका रिजॉल्यूशन 2400 x 1080 पिक्सल का है. इसमें सुपर एमोलेड होल-पंच डिस्प्ले विद 6th जनरेशन कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास लगाया गया है. इस फोन में डुअल नैनो सिम लगाया जा सकता है.

इसके अलावा इस स्मार्टफोन को जो चीज ख़ास बनाती है वह है की इसमें दो रेंज में लांच किया गया है जिसमें पहली रेंज 8 जीबी रैम और 128 जीबी स्टोरेज वाला है. जबकि दूसरी रेंज में 8GB रैम और 256GB स्टोरेज है. इस फोन का ओएस एंड्ऱॉयड 10 बेस्ड फनटच ओएस 10 है. इस स्मार्टफोन में स्नैपड्रैगन 712 का प्रोसेसर है. यह एंड्रॉयड 9 पाई पर आधारित फनटच 9.2 ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है।

इस फोन को इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है. इसमे ब्लूटूथ 5.0, यूएसबी टाइप-सी, ओटीजी, 2.4GHz और 5GHz डुअल बैंड वाई-फाई की कनेक्टिविटी सुविधा भी दी गई है. इस फोन का वजन महज 186.5 ग्राम ही है. वहीँ इस इस फोन में 4,500mAh की बैटरी लगाईं गई है, जो 33 वॉट के फास्ट चार्जिंग फीचर से लैस है.

लॉक डाउन के टल गई थी लांचिंग

वीवो (Vivo)  के V सीरीज के इस स्मार्टफोन Vivo V19 को 26 मार्च के दिन भारतीय बाजार में उतारा जाना था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लगाये गए लॉक डाउन के चलते लॉन्चिंग कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था.

ऐसे में  देश में लॉक डाउन में ढील दिए जानें के बाद इसे लांच करने का निर्णय लिया गया और यह अब 15 मई से भारतीय ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगी.

यह होगी कीमत, मिलेगा ऑफर का लाभ

कम्पनी नें अपने वेबसाइट पर इस नए माडल के बारे में पूरी जानकारी दी है जिसे कंपनी के https://shop.vivo.com/in/sp/vivo_v19_launch पर जाकर पता किया जा सकता है. वीवो (Vivo)  नें इस नए माडल के बारे में जो जानकारी दी है उसमें यह दर्शाया गया है की नया Vivo V19 दो वेरिएंट में उपलब्ध होगा. जिसमें पहला 8 GB रैम + 128 GB स्टोरेज में 27,990 रुपये और 8 GB रैम + 256 GB स्टोरेज वाला 31,990 रुपये में उपलब्ध होगा. इस स्मार्ट फोन में दो कलर मिलेगा जिसमें पहला Piano Black और दूसरा Mystic silver कलर ऑप्शन में मिलेगा. अभी यह माडल 15 मई से कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट व अमेजन, फ्लिपकार्ट के साथ ऑफ लाइन स्टोर्स पर शुरू की जायेगी.

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कम्पनी नें अपने वेबसाइट पर यह जानकारी दी है की लांचिंग ऑफर के तहत इसके साथ HDFC और ICICI क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने पर 10% कैशबैक दिया जाएगा. जबकि वन-टाइन स्क्रीन रिप्लेसमेंट ऑफर और 13 महीने के लिए नो-कॉस्ट ईएमआई ऑप्शन भी उपलब्ध रहेगा. एयरटेल नें भी इसके खरीददारी के साथ ऑफर दिया है. जिसके साथ डबल डेटा, फ्री एयरटेल एक्सट्रीम प्रीमिएम सब्सक्रिप्शन, शॉ एकेडमी का एक महिने का फ्री सब्सक्रिप्शन, विंक म्यूजिक और एयरटेल सिक्योर लाइट भी मिलेगा.

 

Lockdown के चलते बढ़ी ITR फाइल करने की समयसीमा, जानें क्या है बढ़ी तारीखें

Lockdown के चलते देश की पूरी अर्थव्यवस्था धड़ाम होने के कगार पर है. देश के अधिकाँश व्यवसाय और उद्द्योग धंधे बंद है और फैक्ट्रियों में ताला लगा हुआ है. वहीँ नौकरी से जुड़े लोग भी असमंजस की स्थिति में हैं क्यों की उन्हें भी कई तरह की कटौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

इन स्थितियों में घर से न निकल पाने के चलते Taxpayers भी बहुत परेशान थे. क्यों की आयकर रिटर्न की जो तारीखें तय की गई थीं वह 31 जुलाई 2020 तक ही थी. ऐसे में तय समय सीमा में रिटर्न भरना  भी एक चुनौती थी. इन आशंकाओं का समाधान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार शाम अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कई बड़ी घोषणाएं की. इन घोषणाओं में आयकर रिटर्न भरनें की तिथियों में बढ़ोतरी भी शामिल है.

वित्तमंत्री की घोषणा के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सभी आयकर रिटर्न फाइल करने की तारीख को 31 जुलाई 2020 को समय सीमा को बढ़ाकर अब 30 नवंबर 2020 कर दिया गया है. वहीं जिन फर्म या संस्थानों का आडिट होता है उनको अब 31 अक्टूबर तक अपना रिटर्न दाखिल करने का समय दिया गया है.

ईपीएफ पर भी मिली छूट

वित्त मंत्री नें प्रेस वार्ता के दौरान बताया की सरकार अगले तीन महीनें यानी अगस्‍त तक कंपनी और कर्मचारियों की तरफ से 12 फीसदी के साथ ही 12 फीसदी की रकम EPFO में जमा करेगी. वित्त मंत्री के इस घोषणा का लाभ करीब 3.67 लाख प्रतिष्ठानों और 72.2 लाख से अधिक कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. इसके लिए 2500 करोड़ रूपये के राहत पैकेज की व्यवस्था की गई है.

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इसके पहले भी सरकार नें Lockdown के दौरान तीन महीनें के लिए मार्च, से मई तक ईपीएफ की राशि जमा किया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के घोषणा का लाभ सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी है और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है. यानी 15 हजार से ज्यादा तनख्वाह पाने वालों को इसका फायदा नहीं मिलेगा.

TDS की दरों में भी कटौती

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नें जो घोषणाएं की हैं उसमें TDS की दरों में कटौती भी शामिल है. इसके तहत मार्च 2021 तक TDS-TCS की दरों में 25 फीसदी की कटौती किये जाने का प्राविधान किया गया है. सरकार TDS के के माध्यम से टैक्स जुटाने का काम करती है जिसे विभिन्न तरह के आय के स्रोत पर काटा जाता है. टीडीएस की इस घटी हुई दर का लाभ ब्याज, किराया, प्रोफेशनल फीस, आदि के लिए मिल सकेगा.

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इस बीमारी के कारण Shilpa Shetty ने लिया सेरोगेसी का सहारा, हो चुके थे कई Miscarriage

ये तो हम सभी जानते हैं की एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी 15 फरवरी 2020 को एक बेटी की मां बनीं. और जब ये खबर आई कि शिल्‍पा ने सरोगेसी का रास्‍ता अपनाया तो वो सवालों से घिर गईं . शिल्‍पा ने सरोगेसी से बेटी क्‍यों पैदा की…….. वो क्‍यों खुद गर्भ धारण कर मां नहीं बनीं.  उन्‍हें अपने फिगर की चिंता है. इस तरह के तमाम सवाल उनसे पूछे जाने लगे . शिल्‍पा ने लंबे समय बाद अब इस मामले में अपनी चुप्‍पी तोड़ी है और बताया है कि आखिर दूसरे बच्चे के लिए उन्होंने सरोगेसी का रास्ता क्यूँ चुना?

एक वेब पोर्टल से इंटरव्यू के दौरान शिल्पा ने इस बारे में दिल खोलकर बात की.उन्होंने बताया की
“ मै हमेशा से दो बच्चे चाहती थीं, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी वियान सिंगल चाइल्ड बड़ा हो. क्योंकि हम भी दो बहनें थीं. मुझे पता है कि दूसरे भाई बहन का होना कितना जरूरी होता है.”

शिल्पा शेट्टी ने अपनी प्रेग्नेंसी के कॉम्पलिकेशन के बारे में बताया. एक्ट्रेस ने कहा,” वियान के पैदा होने के बाद मैं लंबे समय से दूसरा बच्चा चाहती थी. लेकिन मुझे कुछ हेल्थ इश्यू थे. मुझे ऑटो इम्यून बीमारी थी जिसे APLA भी कहते हैं. मेरे शरीर में लगातार बनते ऑटो इम्यून APLA के कारण जब भी मै प्रेग्नेंट होतीं, ये बीमारी मुझे अपनी चपेट में ले लेती और हर बार मेरा मिसकैरेज हो जाता “.

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शिल्पा ने कहा- इसके मद्देनजर मैंने दूसरे आइडियाज पर भी गौर किया, लेकिन वे सक्सेस नहीं हुए. एक समय मैंने बच्चा गोद लेने की भी सोची, मुझे बस अपना नाम देना था, सब कुछ होने ही वाला था. लेकिन तभी क्रिश्चियन मिशिनरी बंद हो गई. मुझे चार साल तक इंतजार करना पड़ा. इसके बाद मैं बहुत इरिटेट हो गई थी. इसके बाद मैंने सरोगेरी का सहारा लेने का फैसला किया.
शिल्पा ने कहा- तीन बार कोशिश करने के बाद हमें समीशा मिली. एक बार तो ऐसा भी पल आया जब तमाम कोशिशों के बाद मुझे लगा दूसरे बच्चे का ख्याल दिमाग से निकालना पड़ेगा.

आइये जानते है की APLA यानि (ऐंटिफॉस्फोलिपिड एंटीबाडी सिंड्रोम) क्या है और इससे क्यूँ होता है महिलाओं में बार-बार गर्भपात ?
ऐंटिफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम (APS) क्या है?
जब शरीर में रोगों से लड़ने वाला प्रतिरक्षा तंत्र खून में मौजूद सामान्य प्रोटीन पर गलती से हमला करके उन्हें नष्ट करने लगता है, तब यह समस्या पैदा होती है. ऐसा करने के लिए वह कई हानिकारक प्रोटीन बनाता है, जिन्हें ऐंटीबॉडी कहते हैं. इन्हीं ऐंटीबॉडी के बढ़ते स्तर के कारण गर्भाशय में गर्भ विकसित ही नहीं हो पाता और वह नष्ट हो जाता है.
एंटीफास्फोलिपिड सिंड्रोम के कारण नसों और अंगों के भीतर खून के थक्के बन सकते हैं . इससे ग्रस्त महिला को बार बार गर्भपात या मृत बच्चा पैदा होने या फिर गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर व समय से पहले बच्चे का जन्म होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

पर डॉक्टरों का कहना है की अगर गाइनकॉलजिस्ट और रूमेटॉलजिस्ट के परामर्श को ध्यानपूर्वक माने तो ऐंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम के होते हुए भी रोगियों में सफलतापूर्वक गर्भावस्था को पूरा करके शिशु को जन्म दिया जा सकता है. पर सबसे पहले ध्यान यह रखना है कि गर्भ प्लानिंग के अनुसार हो और फिर पूरे नौ महीने, पीड़िता दोनों डॉक्टरों के लगातार सम्पर्क में रहे. गाइनकॉलजिस्ट इन रोगियों में जच्चा-बच्चा, दोनों के स्वास्थ्य पर ज्यादा नजदीकी नजर रखती हैं. लेकिन उपचार के पहले कोई अन्य रोग जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा ,डायबिटीज ,अगर साथ में हो, तो उसकी रोकथाम जरूरी है.

 

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The best way to spend time with your kids is to figure out what they like doing the most. Then go ahead & do it with them… build pillow forts, draw, paint, sing or dance! As for me, the one thing Viaan loves doing the most is baking, so here we go… presenting the chewy “Peanut Butter Choco-Oat Cookies”😁! It has no refined sugar, can be dairy-free if you skip the butter for oil, is gluten-free, & loaded with healthy goodness. It’s highly nutritious, is absolutely satiating, and can be gorged on at tea time by us too (I devoured this batch🤦🏽‍♀️) If you’d like to make it at home, here’s all the info you’ll need: ~ INGREDIENTS: * 1/2cup natural (unsweetened) peanut butter * 1/2cup real maple syrup OR HONEY * 4 tbsp coconut oil (OR 4 tablespoons melted butter) * 1 tsp baking powder * 1/2 tsp fine-grain sea salt * 1 1/2 cup old-fashioned rolled oats, ground for 30 seconds in a food processor or blender * 5 tbsp semi-sweet chocolate chips * 1 tbsp vanilla extract * 2 tbsp coconut sugar * 4 tbsp roasted almonds (ground) * 1 egg (or 1 tbsp flaxseed powder soaked in 3 tbsp of water is the equivalent) [I added 2 tbsp of flaxseeds to make it more fibrous] * 2 tbsp of almond milk (to smoothen the texture) INSTRUCTIONS: 1. Preheat the oven to 160° Celsius with two racks in the middle. Line 2 baking sheets with parchment paper (if you don’t have parchment paper, lightly grease the baking sheets). 2. Measure out the peanut butter and maple syrup. 3. Pour the peanut butter, coconut oil, & maple syrup mixture into a mixing bowl. Add the melted butter & whisk until the mixture is well blended. Use your whisk to beat in the egg, scraping down the side of the bowl once it’s incorporated, then whisk in the vanilla, & salt. Switch to a big spoon & stir in the ground oats, add the baking powder, flaxseed powder, coconut sugar, & chocolate chips until they are evenly combined. Drop the dough by the tablespoon or ice cream scooper (grease your fingers with some coconut oil so it doesn’t stick when you flatten them) onto your prepared baking sheets. 4. Bake the cookies for 12-15 mins total. Swap sides after 7 mins. Remove from the oven to cool. #TastyThursday #SwasthRahoMastRaho

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एंटीफास्फोलिपिड सिंड्रोम से पीड़ित गर्भवती महिला में खून का थक्का बनने से रोकने के लिए ब्लड थिनर (खून को पतला करने वाली दवा )का उपयोग किया जाता है, इन्हें थक्का रोधी दवाएं भी कहा जाता है. थक्के को दोबारा विकसित होने से रोकने के लिए कुछ लोगों को खून पतला करने की दवाई लंबे समय तक खानी पड़ती है.

कुछ गर्भवती महिलाओं को खून पतला करने के इंजेक्शन लगाए जाते हैं और डिलीवरी से कुछ समय पहले तक एस्पिरिन की कम खुराक दी जाती है.

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डॉक्टर बताते हैं कि गर्भ के पूरे होने के बाद भी खतरा टल गया हो, ऐसा नहीं होता. डिलिवरी के समय और उसके बाद भी रोग के बाबत कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है और दवाओं को रोकना और बदलना पड़ता है .इस तरह की जटिल प्रेगनेंसी के बारे में सामान्य जन तो क्या, बहुत से डॉक्टरों को भी सीमित पता होता है, इसलिए ऐसी जच्चा –बच्चा की देखभाल विशेषज्ञों के हाथ में ही देनी चाहिए .बच्चे के जन्म के बाद इलाज को फिर से शुरू कर दिया जाता है.

बदल रहे हैं नई पीढ़ी के पति-पत्नी

 ऋचा की सास उस के पास 1 महीने के लिए रहने आई थीं. उन के वापस जाते ही ऋचा मेरे पास आई और रोंआसे स्वर में बोली, ‘‘आज मुझे 1 महीने बाद चैन मिला है. पता नहीं ये सासें बहुओं को लोहे का बना क्यों समझती हैं, यार. हम भी इंसान हैं. खुद तो कोई काम करना नहीं चाहती और यदि उन का बेटा जरा भी मदद करे तो भी अपने जमाने की दुहाई दे कर तानों की बौछार से कलेजा छलनी कर देती हैं. वे यह नहीं समझतीं कि उन के जमाने में उन के कार्य घर तक ही सीमित थे, लेकिन अब हमें जीवन के हर क्षेत्र में पति का सहयोग करना पड़ता है. आर्थिक सहयोग करने के साथसाथ बाहर के अन्य सभी कार्यों में कंधे से कंधा मिला कर भी चलना पड़ता है. ऐसे में पति घर के कार्यों में अपनी पत्नी का सहयोग करे तो सास को क्यों बुरा लगता है? उन की सोच समय की मांग के अनुसार क्यों नहीं बदलती? बेटे भी अपनी मां के सामने मुंह नहीं खोलते.’’

उस के धाराप्रवाह बोलने के बाद मैं सोच में पड़ गई कि सच ही तो है कि पुरानी पीढ़ी की सोच में आज की पीढ़ी की महिलाओं की जीवनशैली में बदलाव के अनुसार परिवर्तन आना बहुत आवश्यक है.

1. पतिपत्नी की बदली जीवनशैली

नई टैक्नोलौजी के कारण एकल परिवार होने के कारण युवा पीढ़ी के पतिपत्नी की जीवनशैली में अत्यधिक बदलाव हो रहे हैं, लेकिन अधिकतर नई पीढ़ी की जीवनशैली के इस बदलाव को पुरानी पीढ़ी द्वारा नकारात्मक दृष्टिकोण से ही आंका जा रहा है, क्योंकि सदियों से चली आई परंपराओं के इतर उन्हें देखने की आदत ही नहीं है, इसलिए बदलाव को वे स्वीकार नहीं कर पाते, लेकिन समय के साथ हमारे शरीर में परिवर्तन आना अनिवार्य है. प्रकृति में भी बदलाव आता है, तो अपने आसपास के बदले नए परिवेश के अनुसार अपनी सोच में भी बदलाव को अनिवार्य क्यों नहीं मानते? क्यों हम पुरानी मान्यताओं का बोझ ढोते रहना ही पसंद करते हैं? जो हम देखते आए हैं, सुनते आए हैं, सहते आए हैं. वह उस समय के परिवेश के अनुकूल था, लेकिन आज के परिवेश के अनुसार बदलाव को हम क्यों पुराने चश्मे से ही धुंधला देख कर उन के क्रियाकलापों पर टिप्पणी कर रहे हैं? अफसोस है कि युवा पीढ़ी की अच्छी बातों की तारीफ करने के लिए न तो हमारे पास दृष्टि है न मन, है तो सिर्फ आलोचनाओं का भंडार.

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2. पुरानी पीढ़ी में कार्यों का विभाजन

पहले जमाने में लड़के और लड़की के कार्यों का विभाजन रहता था, क्योंकि लड़कियां घर से निकलती ही नहीं थी. इसलिए गृहकार्यों का भार पूर्णतया उन के जिम्मे रहता था और इस के लिए उन दोनों के बीच अच्छीखासी लक्ष्मण रेखा खींच दी जाती थी, लेकिन अब जब लड़कियां लड़कों के बराबर पढ़ाई के साथसाथ नौकरी भी कर रही है तो यह विभाजन समाप्त हो जाना चाहिए.

3. आधुनिक युवा पीढ़ी में कार्यविभाजन नहीं

युवा पीढ़ी की लड़कियों ने पढ़लिख कर आत्मनिर्भर हो कर जागरूकता के कारण कार्यविभाजन के लिए विद्रोह करना आरंभ किया ही था कि कब समय ने बदलाव की अंगड़ाई ली और यह सोच दबे पांव हमारे घरों में घुसपैठ करने लगी, कब पुरुष सोफे से उठ कर किचन में दखल देने पहुंच गया, पता ही नहीं चला, क्योंकि इस की चाल कछुए की चाल थी. निश्चित रूप से यह पश्चिमी सभ्यता की देन है, जहां कार्य विभाजन होता ही नहीं है.

4. स्त्रीपुरुष की बराबरी को लेकर शोध

स्त्रीपुरुष की बराबरी को ले कर शोधों में भले ही सकारात्मक नतीजे दिख रहे हों, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है. पिछले दिनों नेल्सन इंडिया द्वारा भारत के 5 अलगअलग शहरों में कराए गए एक सर्वे में लगभग दोतिहाई स्त्रियों ने माना कि उन्हें घर में असमानता का सामना करना पड़ता है. इस सर्वे में मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और बैंगलुरु जैसे बड़े शहर शामिल हैं. सर्वे में शिल्पा शेट्टी, मंदिरा बेदी और नेहा धूपिया जैसी सैलिब्रिटीज को भी शामिल किया गया. लगभग 70% स्त्रियों ने कहा कि उन का ज्यादातर समय घर के कामों में बीत जाता है और पति के साथ वक्त नहीं बिता पातीं.

दिलचस्प बात यह है कि 76% पुरुष भी यही मानते हैं कि खाना बनाने, कपड़े धोने या बच्चों की देखभाल जैसे कार्य स्त्रियों के हैं. छोटे शहरों में तो अभी भी पुरुष यदि स्त्रियों के घरेलू कार्यों में मदद करें तो उन का मजाक उड़ाया जाता है. नौकरी करने वाली औरतें दोगुनी जिम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर हैं. वैसे एकल परिवारों का चलन बढ़ने से थोड़ा बदलाव भी दिख रहा है. पुरुष घरेलू कार्यों में सहयोग दे रहे हैं लेकिन इसे पूरी तरह बराबरी नहीं माना जा सकता.

5. इस बदलाव की शुरुआत अच्छी है

अभी यह बदलाव कुछ प्रतिशत तक ही सीमित है, लेकिन यह शुरुआत अच्छी है और पूरा विश्वास है कि यह सुखद बदलाव की आंधी पूरे भारत को अपनी गिरफ्त में ले लेगी. यह बदलाव पतिपत्नी के रिश्तों में भी सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है. उन के बीच स्वस्थ दोस्ती का रिश्ता कायम हो रहा है. उन में आपस में एकदूसरे के लिए समर्पण की, त्याग की भावना और सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ने के साथसाथ स्त्री का सामाजिक स्तर भी बढ़ रहा है.

6. पतिपत्नी के रिश्ते दोस्ताना

आरंभ में इस ने उच्चवर्गीय समाज में पांव पसारे, जहां समाज का हस्तक्षेप न के बराबर होता है. उस के बाद मध्यवर्गीय परिवारों में भी इस बदलाव के लिए क्रांति सी आ गई. अब पतिपत्नी मानने लगे हैं कि उन्हें एकदूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए. समय के साथ पुराने मूल्यों, मान्यताओं, परंपराओं को बदलना आवश्यक है.

7. युवा पीढ़ी के पिता की भूमिका बदली

पहले जमाने के विपरीत पिता की भूमिका बच्चों के बाहरी कार्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों की तरह अस्पतालों में प्रसव के समय मां के साथ पिता को भी बच्चों के पालनपोषण से संबंधित हर क्रियाकलाप करने की ट्रेनिंग दी जाने लगी है. औफिस वाले भी कर्मचारी की पत्नी के प्रसव के समय बच्चे और मां की देखरेख के लिए उसे छुट्टियों से भी लाभान्वित करते हैं. अब बच्चे का पालनपोषण करना केवल मां का ही कर्तव्य नहीं रह गया, बल्कि पति भी बराबर का भागीदार हो रहा है. पहले बच्चों के डायपर बदलना पुरुषों की शान के खिलाफ था, लेकिन अब वे सार्वजनिक रूप से भी ऐसा करने में संकोच नहीं करते. शोध यह भी कहते हैं कि चाइल्ड केयर के मामले में स्त्रियों की जिम्मेदारियां हमेशा पुरुषों से अधिक रही हैं. भले ही वे होममेकर हों या नौकरीपेशा.

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8. बदलाव के परिणाम परिवार के लिए सुखद

जौर्जिया यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ता डेनियल कार्लसन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘दृष्टिकोण को बदलना और एकदूसरे को सहयोग देना परिवार और रिश्तों की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है. यदि पतिपत्नी में एक खुश और दूसरा नाखुश होगा तो रिश्ते कभी बेहतर नहीं होंगे. पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की नींव को मजबूत बनाए रखने के लिए भी ऐसा जरूरी होता है. दोनों परिवाररूपी गाड़ी के 2 पहिए हैं. परिवार को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों में संतुलन होना आवश्यक है. नए परीक्षणों, शोधों के बाद समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस नतीजे तक पहुंच रहे हैं कि पत्नी को बराबरी का दर्जा देने वाले पुरुष ज्यादा सुखी रहते हैं. ऐसे पुरुषों का सैक्स जीवन औरों के मुकाबले बेहतर होता है.

9. पुरानी पीढ़ी भी लाभान्वित

स्त्रीपुरुष में घरेलू कार्यों को ले कर तालमेल रहे तो पुरानी पीढ़ी को भी बहुत लाभ हैं. पुरुष भी रिटायरमैंट के बाद स्त्रियों की तरह घरेलू कार्यों में व्यस्त रह कर अपने खालीपन को भर सकते हैं. परिवार के बड़ेबूढ़ों को पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने के कारण आरंभ में उन्हें यह बदलाव अजीब सा लगा. लेकिन धीरेधीरे उन की आंखों को सब देखने की आदत सी पड़ रही है. रिटायरमैंट के बाद बेटेबहू द्वारा सारे कार्य सुचारू रूप से करने के कारण उन की जिम्मेदारी कम हो रही है और वे अपनी उम्र के इस पड़ाव को समय दे पा रहे हैं. इसलिए इस बदलाव को हितकर समझ कर स्वीकार करना ही उचित है और इस का स्वागत किया जाने लगा है. इस बदलाव को जिस पति और उस के परिवार वालों ने स्वीकार लिया, वे ही रिश्ते स्थाई होते हैं वरन तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में देर नहीं होती.

#lockdown: Work From Home में बदलें बैठने का पोश्चर

विशेषज्ञों की मानें, तो इस का सब से बड़ा कारण घंटों बिस्तर पर बैठ कर काम करने, सही ऊंचाई की मेजकुरसी न होने, आड़ेतिरछे बैठ कर काम करने और काम के बीच में न उठने से यह समस्या पैदा हो रही है.

लेकिन, अगर आप चाहें तो छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर इस दर्द से बचा जा सकता है, एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मस्तिष्क एवं रीढ़ रोग विभाग के डायरेक्टर डॉ. कमल वर्मा ने बताया कि सही पोश्चर न होने से  रेडिक्युलोपैथी नैक पैन होता है, जो गरदन से शुरू हो कर हाथ तक जाता है. ऐसा स्लिप डिस्क या नर्व दबने पर होता है. ऐसे में रिलैक्सेशन एक्सरसाइज बहुत जरूरी है, इसे प्रोग्रेसिव व मसल्स रिलैक्सेशन तकनीक कहा जाता है.

जिस तरफ गरदन में दर्द हो, उस तरफ गरदन झुकाने से बचना चाहिए, वरना ये दर्द इतना खतरनाक साबित  हो सकता है कि आप अपनी गरदन भी नहीं हिला पाएंगे.

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उन्होंने  बताया कि इस से बचाव के लिए काम के बीच में टहलना बहुत जरूरी है, भले ही छोटेछोटे ब्रेक लें लेकिन लें जरूर. कमर झुका कर न बैठें, बल्कि सीधा कर के बैठें. खुद से लैपटौप को डेढ़ फुट दूर रखें व बीचबीच में डीप ब्रीथिंग करें यानी गहरी सांस लें, हर 30 मिनट में 3  मिनट का जरूर ब्रेक लें.

इस दौरान सीट से उठ कर कुछ कदम चलें और शरीर को थोड़ा स्ट्रेच करें. सर्वाइकल का दर्द है तो बाएं हाथ को बाएं कान पर रख कर दबाएं, इसे इसोमेट्रिक मूवमेंट कहते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि अपने खानपान का भी खास ध्यान रखें.

इस सचाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि औफिस में हमारी बौडी का मूवमेंट अच्छे से और ज्यादा हो पाता था. लेकिन अब जब हमारा रूटीन बदला है, तो हमें भी अपनी खानपान की आदत को बदलना पड़ेगा, ताकि हम फिट रह सकें और वर्क फ्रोम होम के दौरान भी खुद को ऊर्जा से भरपूर पाएं.

इस के लिए आप मौसमी फल व सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें, क्योंकि ये जहां हमारे शरीर की जरूरतों को पूरा कर के हमारे इम्युन सिस्टम को स्ट्रोंग बनाते हैं, वहीं हम खुद को एनर्जी से भरपूर भी पाते हैं, जिस से हम पूरी एनर्जी से काम करने में सक्षम होते हैं और खुद को बीमारियों से भी दूर रख पाते हैं. तो फिर बदलें अपने बैठने और खानपान को.

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फ्रीजी और ड्राई होने के कारण मेरे बालों का हेयरस्टाइल नही बन पाता, मै क्या करूं?

सवाल-

मैं 19 वर्ष की हूं. मेरे बाल बहुत फ्रीजी और ड्राई हैं, जिस वजह से मेरे बालों पर कोई भी हेयरस्टाइल सही ढंग से नहीं बन पाता. बालों को सौफ्ट बनाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

बालों में रूखापन तब होता है जब आप उन की सही ढंग से देखभाल नहीं करते. इसीलिए जब बाहर जाएं तो बालों को प्रदूषण से बचा कर रखें. बालों से रूखापन हटाने के लिए हलके गरम तेल से चंपी करने के बाद ही शैंपू करें. केले और अंडे का मास्क बना कर हफ्ते में 3 दिन लगाएं. इस से आप के बालों में फर्क देखने को मिलेगा.

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बाजार में आज कई तरह के कंडीशनर मौजूद हैं, जिन्हें आप अपने बालों को धोने से पहले इस्तेमाल करने के लिए छोड़ सकते हैं. इन में लीव-इन-कंडीशनर और रात भर डीप कंडीशनिंग ट्रीटमेंट भी उपलब्ध हैं. ये कंडीशनर बहुत अच्छा काम करते है पर अकसर  जेब पर भारी पड़ जाते है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप घर पर ही अपने बालों के लिए कंडीशनर बना सकते हैं. न केवल इन्हे बनाना सुपर आसान हैं बल्कि ये आप के घर में उपलब्ध चीज़ों से ही सस्ते में बन जाएंगे. साथ ही साथ इन में किसी रसायन का इस्तेमाल न होने से बालों के लिए भी सुरक्षित रहेंगे. हेयर एक्सपर्ट व हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन डौ. अरविन्द पोसवाल बताते हैं कि कैसे घर पर बने कंडीशनर आप के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं :

  1. दही, हनी और नारियल के तेल का पेस्ट करें तैयार

ये सभी तत्व ड्राई बालों के लिए बहुत लाभकारी होते हैं क्योंकि वे नमी को बहाल करते हुए आप के बालों को हाइड्रेट करने में मदद करते हैं. यह फ्रिजी हेयर से बहुत अच्छी तरह से निपटते है और आपके बालों को मुलायम और चमकदार बनाए रखते है. दही और हनी का मिश्रण आप के बालों को एक दम अच्छे से कंडीशन और मौइस्चराइज करेगा और दूसरी ओर नारियल का तेल आप के बालों को डीप कंडीशनिंग के साथ पर्याप्त पोषण  पहुंचाएगा.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ड्राय बालों के लिए घर में ऐसे बनाएं कंडीशनर

अब तो प्रकृति के साथ जीना पड़ेगा

अब एक सवाल हरेक के मन में उठने लगा है कि लौकडाउन को हटाने के बाद क्या होगा? क्या दुनिया लौकडाउन से पहले की तरह पटरी पर आ जाएगी और यह ?कोरोना वायरस एक बुरे सपने की तरह दिमाग के किसी कोने में बैठा रहेगा जो आज के बाद पैदा होने वाले बच्चों को बताने के काम आएगा या उस का दूरगामी असर होगा?

इस का असर होगा. यह असर भारत में हुई नोटबंदी में दिखा. यह असर इराक में सद्दाम हुसैन की सत्ता हटाने के बाद दिखा. यह असर उस से पहले मिखाइल गोरवाचोव के सोवियत यूनियन में आए सुधारों के प्रयासों में दिखा. छोटे कदमों का असर गहरा पड़ा.भारत में नोटबंदी से कोरोना से पहले टी उद्योग व व्यापार कराह रहे थे.

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नोटबंदी में लाइनें सिर्फ 2 माह तक लगीं और इन दोनों महीनों में लगभग सारे पुराने नोट बैंकों में चले गए थे पर देशभर का खुदरा नक्दी पर चलने वाला व्यापार वापस नहीं लौटा. व्यापारियों के पास बचा सारा पैसा या तो बैंकों में फंस गया या नोट बदलने के लिए दी गई कमीशनों में लग गया. नतीजा यह था जहां 2012 में घरेलू बचत आमदनी की 34.6% हुआ करती थी, नोटबंदी के बाद 30% रह गई. यह 4.6% का अंतर बड़ा है और इसी कमी के कारण बैंकों का व्यापार ठप्प हुआ.अब लौकडाउन के कारण 2-3 महीने कोई नया उत्पादन नहीं होगा, वेतन नहीं मिलेगा, महीनों तक कच्चा माल फैक्टरियों तक नहीं पहुंचेगा.

घरों को कम में काम चलाना होगा जैसे आज लौकडाउन के दिनों में चलाना पड़ रहा.शहरों से लाखों मजदूर अपने गांवों की ओर चल पड़े हैं. बीच में स्वास्थ्य कारणों से उन्हें रोक भी लिया गया तो लौकडाउन के बाद वे हो सकता है शहरों में न लौटें. शहरी लाइफस्टाइल बदल सकता है, क्योंकि घरेलू हैल्प अब शायद मिले ही नहीं.अभी महीनों तक भीड़ को कम करने की कोशिश करनी होगी, क्योंकि कोरोना वायरस कोविड-19 अभी मरा नहीं है, उस की वैक्सिन नहीं बनी है, बस उसे एक से दूसरे तक जाने भर रोका गया है. इस का मतलब है कि बहुत से व्यापार बंद हो जाएंगे और उन से जुड़े घरों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी.

किस घर पर गाज गिरेगी अभी पता नहीं और न ही अंदाजा लगाया जा सकता है पर कुछ फर्क जरूर पड़ेगा.कुछ अच्छे प्रभाव भी पड़ सकते हैं. हो सकता है लोग एक छत के नीचे रहने वालों के साथ ही सुखी रहने के नए फौर्मूले सीख लें. जो लोग अपने ही घरों के सदस्यों से कटे रहते थे, नए तरह के संबंध जीना सीख लें. हो सकता है कि बहुमंजिले मकानों में रहने वाले एकदूसरे को जानने लगें, जो उन्हें अब तक अनजाने ही लगते थे. कितने ही मकानों में आपसी लेनदेन बालकनियों से होने लगा है जिन में पहले सिर्फ रस्मी हैलोहाय होती थी.

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इन दिनों सारे शहरों की हवा एकदम साफ हो गई है. हो सकता है कि अब उस की कीमत पता चल जाए. प्रकृति के साथ जीने के नए गुर सीख जाएं. 40 या ज्यादा दिन का यह एकांतवास परिवारों को बहुत कुछ सिखा सकता है. आधुनिक चमकदमक के खिलाफ ऐसा संदेश दे सकता है जो बड़ेबड़े विज्ञापनों से नहीं मिला और न दिखने वाले पर बेहद ढीठ विषाणु ने दे दिया. किताबों की बातों कोन मानने वालों को एक नया गुरू मिला है और लौकडाउन के बाद भी वह यहीं कहीं रहेगा, छिपा हुआ, कभी भी फटकार लगाने के लिए आने को तैयार.

 

Naagin 4 की एक्ट्रेस Sayantani Ghosh की दादी का निधन, ऐसे बयां किया दर्द

Lockdown के बीच शादी के करने के सपने देख रहीं नागिन 4 (Nagin 4) स्टार एक्ट्रेस सायंतनी घोष (Sayantani Ghosh) की दादी का निधन हो गया है, जिसके चलते वह सदमे में हैं. हाल ही में सायंतनी ने लॉकडाउन के बीच शादी करने की इच्छा के बारे में बताया था, लेकिन दादी के निधन के बाद वह काफी दुखी है, जिसका अंदाजा उनके हाल ही में सोशल मीडिया में शेयर किए पोस्ट से लगाया जा सकता है. आइए आपको दिखाते हैं एक्ट्रेस सायंतनी घोष (Sayantani Ghosh) का दादी के लिए शेयर किया इमोशनल पोस्ट….

लॉकडाउन के बीच दादी के निधन पर नही जा पाईं सायंतनी

 

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I feel numb now that you are gone mamama…. till date would always say my dida is still there with us… in a moment everything changed n I can never say this now …though saw a glimpse of u this afternoon through a video call ,my only regret I could not see u in person for the last time n say bye to u..touch ur feet n seek ur blessings !!! I so wish I traveled to Kolkata in March and not get stuck because of the lockdown …sesh baarer moton dekhte parlaam na…. 😭….so much u have done for ur children ,ur grandchildren, for ur entire family ..it’s countless… I had chicken pox ,over 3 weeks was captured inside a mosquito net in my room …u sat there beside me throughout trying to comfort me.. whenever I would be sick, be it measles ,chicken pox or my early days of stomach cramps and so many other occasions ,u would be right there next to me..loving me,taking care of me ,sitting with a hot water bag for me ..never for once thinking about yourself !!! Such was ur selfless love ❤️ …. I will miss all the kuler acchar that u would make for me ….fondly I would say that u are totally fit and m sure u will hit a century … I wish that came true but I will try to find peace and solace in the fact that u are no longer in a state of pain and not suffering as u were in recent times !!! Wherever u are may u be at peace !! Will love you always ,and gratitude for everything that u have done for us !!! Undoubtedly in my life the only person who has done so much for everyone so selflessly …Bhalo theko mamama 😇…………………….. #rip #restinpeace

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टीवी एक्ट्रेस सायंतनी घोष (Sayantani Ghosh) की दादी का बीती रात देहांत हो गया है. सोशल मीडिया पर अपनी दादी की फोटोज शेयर करते हुए सायंतनी घोष (Sayantani Ghosh) ने अपने फैंस को ये दुखद खबर बताई है, जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते अपने घर न जाने का दुख बयां किया.

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दादी के लिए लिखा इमोशनल मैसेज

अपनी दादी को याद करते हुए सायंतनी घोष ने लिखा, मुझे यकीन नहीं हो रहा है आप हमें छोड़कर चली गई हैं. अब तक मैं सब लोगों को ये बात बड़े ही शान से कहती थी कि मेरी दादी अब भी मेरे साथ हैं. इस पल के साथ सब कुछ बदल गया है. अब मैं आपको कभी नहीं देख सकूंगी. दोपहर में ही तो हमने वीडियो कॉल पर बात की थी. मुझे जिंदगी भर इस बात का अफसोस रहेगा कि मैं आपको आखिरी बार अलविदा नहीं कह पाई.

आगे सायंतनी घोष ने लिखा, ‘मैंने मार्च में कोलकाता आने का प्लान बनाया था लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते ऐसा हो नहीं सका. काश मैं मार्च में ही आपसे मिलने आ गई होती. मैंने अपना पूरा बचपन आपके साथ बिताया है. आपने मेरे परिवार को बिना किसी शर्त के भरपूर प्यार दिया है. भगवान आपकी आत्मा को शांति दे. मुझे इतना प्यार देने के लिए आपका धन्यवाद. आप बहुत याद आएंगी अम्मा….’

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बता दें, सायंतनी घोष ने हाल ही में अपनी ख्वाहिश जाहिर की थी कि वह लॉकडाउन के दौरान औनलाइन अपने बौयफ्रेंड से शादी करना चाहती हैं, जिसमें उनकी बौयफ्रैंड ने भी हामी भरी थी.

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