डेढ़ साल चरमपंथियों की कैद सिल्विया रोमानो की जबानी

दुनियावासी आतंकियों, चाहे वे धार्मिक कट्टरता की सोच या कोई दूसरी मंशा रखने वाले हों, से डरेसहमे रहते हैं. चरमपंथी कभी भी किसी को मार डालते हैं, किसी का अपहरण कर लेते हैं. मकसद पूरा हो जाने पर वे अपह्रत को छोड़ भी देते हैं. ऐसे ही चरमपंथियों की शिकार एक युवती की कहानी बड़ी रोचक है.

इटली की 24-वर्षीय सिल्विया रोमानो अफ्रीका की राहत संस्था ‘अफ्रीका मीली’ में काम करती थीं. 20 नवंबर, 2018 को पूर्वी केन्या के मालेंदी नगर से 80 किलोमीटर दूर बसे एक गांव से उनका अपहरण हो जाता है. अपहरण के बाद उन्हें आतंकवादी संगठन अलशबाब के हवाले कर दिया जाता है. यह संगठन सिल्विया रोमानो को सोमालिया ले जाता है.

सोमालिया में 8 मई, 2020 को चरमपंथियों के चंगुल से रिहा होने के बाद जब वे इटली पहुंचती हैं तो वहां उनका किसी राष्ट्रीय नायक की तरह स्वागत किया जाता है.

सिल्विया रोमानो की आपबीती इटैलियन मीडिया में छाई रही. एक वार्त्ता में उन्होंने बताया, ’18 महीनों तक बंधक बने रहने के दौरान मुझे किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं किया गया. यहां तक कि मेरा यौन उत्पीड़न भी नहीं हुआ. हां, वहां चल रहे गृहयुद्ध की वजह से वह वक्त काफी परेशानी में गुजरा.’

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इस पूरी अपह्रतयात्रा के बारे में सिल्विया रोमानो आगे बताती हैं, ‘ केन्या में अपहरण के बाद सोमालिया तक पहुंचने में मुझे तकरीबन एक महीने का समय लगा. शूरू में 2 साइकिलें थीं. रास्ते में एक खराब हो गई. हमने काफी रास्ता पैदल चल कर तय किया. एक नदी को भी पार किया. मेरे साथ 5-6 पुरुष रहते थे. हम 8-9 घंटे रोज चलते थे.

‘सोमालिया पहुंचने के बाद अपहरणकर्ताओं ने मुझे एक छोटे कमरे में बंद कर दिया. वहां मुझे बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा. मैं पूरी तरह निराश हो चुकी थी, हमेशा रोती रहती थी. पहला महीना बहुत ही भयानक था. हालांकि, उन चरमपंथियों ने मुझे यह यकीन दिलाया कि वे मुझे परेशान नहीं करेंगे और मेरे साथ अच्छा व्यवहार करेंगे. मैंने उनसे डायरी मांगी. उन्होंने एक डायरी मुझे दी. फिर मुझे यह एहसास हो गया कि उन लोगों का कुछ मकसद है, वे मुझे सताएंगे नहीं.’

सिल्विया रोमानो आपबीती जारी रखती हैं, ‘मैं कमरे में अकेली रहती थी. लेकिन मुझे किसी ने हाथ तक नहीं लगाया और न ही मेरे साथ मारपीट की गई.’

सिल्विया रोमानो के अपहरण के बाद इटली में यह खबर आई थी कि उनका किसी के साथ जबरदस्ती विवाह कर दिया गया है और वे गर्भवती हैं. इस बारे में पूछे जाने पर रोमानो ने बताया, ‘यह अफवाह है. इस तरह की कोई घटना नहीं हुई. किसी ने मुझे किसी भी काम को मजबूर नहीं किया. अपहरणकर्ता मुझे खाना देते थे. जब भी कमरे में आते, उनका चेहरा पूरी तरह से ढका होता था. वे किसी अनजानी भाषा में बात करते थे. उनमें से एक था जिसे थोड़ीबहुत इंग्लिश आती थी. मैंने समय गुजारने के लिए उससे किताबें मांगीं और फिर एक दिन कुरआन मांग लिया.’

सिल्विया रोमानो अपहरण के दौरान बीते समय के बारे में बताते हुए कहती हैं, ‘मुझे हमेशा कमरों में बंद रखा जाता, तो मैंने खूब पढ़ा और खूब लिखा. मैं किसी गांव में थी. दिन में कई बार अजान की आवाज सुनाई देती थी. मैं तब तक धर्म को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं थी. मैंने बहुत सोचविचार किया और आखिर में इस नतीजे पर पहुंची कि इसलाम को अपना लेते हैं.’

अफ्रीकी देश सोमालिया में चरमपंथियों के चंगुल से रिहा होकर इटली पहुंचने पर सिल्विया रोमानो का बहुत ही गर्मजोशी से स्वागत किया गया लेकिन उनके इसलाम स्वीकार करने की खबर पर वहां निराशा फैल गई. दरअसल, धार्मिक कट्टरता लड़नेमारने को तत्पर रहती है. कट्टरता होती ही है जंग की जड़. कहींकहीं बुद्धिजीवी भी बरदाश्त नहीं कर पाते.

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एक इटैलियन समाचारपत्र  ने लिखा है कि भले ही रोमानो कह रही हैं कि उन्होंने अपनी इच्छा से इसलाम स्वीकार किया है लेकिन आने वाला समय बताएगा कि वे चरमपंथियों के दबाव में मुसलमान बनी हैं या अपनी इच्छा से. चूंकि रिहा होकर अभीअभी आई हैं, इसलिए वे डरी हुई हैं.

सोमालिया में गृहयुद्ध की वजह से अपहरणकर्ता बारबार अपनी जगह बदलते थे और इस दौरान वे इटली को बारबार रोमानो का वीडियो भी भेजते थे ताकि यह यकीन दिलाया जा सके कि रोमानो जीवित हैं. 3 वीडियोक्लिप्स तुर्की की मध्यस्थता से इटली सरकार के साथ जारी बातचीत के दौरान भेजी गई थीं.

इन बातचीतों के नतीजे में 8 मई को सिल्विया रोमानो को 20 से 40 लाख यूरो की फिरौती अदा करने के बाद रिहा किया गया. इटली सरकार ने फिरौती के बारे में चुप्पी साध रखी है जबकि सिल्विया रोमानो का कहना है कि उन्हें फिरौती के बारे में कुछ नहीं मालूम लेकिन अपहरणकर्ताओं की बातों से उनकी समझ में यह आ गया था कि उन्हें पैसे चाहिएं. सच भी यही है कि पैसे बड़ेबड़े मसले सुलझा देते हैं.

लॉकडाउन में मां बनीं Choti Sarrdaarni की ये एक्ट्रेस, फैंस को ऐसे दी गुड न्यूज

लॉकडाउन के बीच जहां मीडिया इंडस्ट्री में दुखद खबर सुनने को मिल रही है. वहीं हाल ही में अच्छी खबर भी सुनने को मिल रही है. कलर्स के सीरियल छोटी सरदारनी (Choti Sarrdaarni) में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस मानसी शर्मा (Mansi Sharma) मां के घर किलकारी गूंजी हैं. दरअसल पंजाबी सिंगर हंस राज (Hans Raj) के बेटे युवराज हंस ( Yuvraj Hans) और टीवी एक्ट्रेस मानसी शर्मा के घर बेटे का जन्म हुआ है. आइए आपको दिखाते हैं मानसी ने कैसे किया अपने मां बनने की खुशी का इजहार…

सोशल मीडिया  पर दी जानकारी

 

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Dont Worry Mamma And Papa Will Always Hold Your Hand And Guide You Forever…..Welcome #babyhans 🧿🧿

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पंजाबी सिंगर हंस राज (Hans Raj) की बहू मानसी शर्मा (Mansi Sharma) इस समय अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ में हैं. वहीं अपनी खुशी का इजहार करते हुए सोशल मीडिया पर मानसी शर्मा ने लिखा, ‘हमारे बेटे ने घर पर दस्तक दी है.’ , जिसके बाद सेलेब्स के साथ-साथ फैंस भी सोशल मीडिया के जरिए मानसी शर्मा और उनके पति युवराज को लगातार बधाईयां दे रहे हैं.

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बेबी शावर की फोटोज कर चुकी हैं शेयर

हाल ही में मानसी शर्मा (Mansi Sharma) ने इंस्टाग्राम पर अपने बेबी शॉवर की फोटोज शेयर की थी, जिसके बाद उनकी प्रैग्नेंसी की खबर फैंस के सामने आई थी. वहीं अब बेटे की घर आने की खुशी में पूरा परिवार अपने बच्चे के स्वागत की तैयारियों में जुट गया है.

बता दें, एक्ट्रेस मानसी शर्मा (Mansi Sharma) ने कुछ समय पहले प्रेग्नेंसी की खबर पता चलने के बाद सीरियल छोटी सरदारनी से किनारा कर लिया था. जबकि सीरियल छोड़ने की वजह उन्होंने फैंस को नही बताई थी. इसके अलावा सीरियल वालिका वधू में नजर आ चुके एक्टर रुसलान मुमताज और मेरी आशिकी तुमसे ही एक्ट्रेस भी लॉकडाउन के दौरान पेरेंट्स बने हैं.

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कोरोनावायरस के साथ ही हमेशा के लिए आ गया प्रवेश परीक्षाओं का ऑनलाइन युग

ऐसा नहीं है कि मौजूदा कोरोना संकट के पहले देश में ऑनलाइन प्रवेश परीक्षाएं या इंटरव्यू नहीं होते थे,लेकिन वे इतने अनिवार्य नहीं थे.मगर कोरोना के लंबे लॉकडाउन ने बहुत सी गतिविधियों के तौरतरीकों को हमेशा के लिए बदल दिया है,वर्क फ्रॉम होम और वीडियो कालिंग के बढ़ते चलन की तरह ही अब ऑनलाइन प्रवेश परीक्षाएं भी आम और बहुत सी जगहों में अनिवार्य हो गयी हैं. मसलन इस साल दिल्ली विश्वविद्यालय की दाखिले की तमाम प्रक्रिया ऑनलाइन ही सम्पन्न होगी. इसकी वजह यह है कि डीयू में प्रवेश परीक्षाओं तैयारियां अप्रैल माह में शुरू हो जाती हैं. लेकिन इस साल कोरोना के कहर के चलते यह संभव ही नहीं हो सका. इस स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने फैसला किया है कि इस बार दाखिले की सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन ही पूरी की जाएंगी ताकि किसी भी तरह से कम समय में सब काम निपटा लिया जाए. अधिकारियों के मुताबिक,इस बार डीयू में दाखिले की सारी प्रक्रियाओं को भी ऑनलाइन करने का फैसला लिया गया है ताकि छात्रों को कॉलेजों के ज्यादा चक्कर न लगाने पड़े.

इस प्रक्रिया में प्रमाणपत्रों का सत्यापन भी ऑनलाइन होगा. हालांकि वर्तमान में डीयू में नामांकन, परीक्षा सहित सभी प्रक्रियाएं स्थगित हैं लेकिन इसकी दाखिला शाखा सारी प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए काम कर रही है. अधिकारियों के मुताबिक  लॉकडाउन हटने के बाद तैयारी के लिए समय काफी कम बचेगा. इसलिए सभी कॉलेजों से तैयारी करने को कहा गया है. दाखिला शाखा की डीन प्रोफेसर शोभा बागाई के मुताबिक , ‘डीयू के सभी कॉलेजों के प्रिंसिपलों को एक पत्र भेजा गया है जिसमें साफ़ लिखा है कि  दाखिले की प्रक्रिया के दौरान छात्रों को जरूरी दस्तावेजों को फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए कॉलेजों के कम चक्कर लगाने पड़े,इसके लिए ठोस कोशिश की जा रही है. इसमें प्रमाणपत्रों का ऑनलाइन वेरिफिकेशन भी शामिल होगा.’

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इसी के साथ ही कॉलेजों को वेबसाइट पर सूचना डालने के लिए कहा गया है. बागाई ने कॉलेजों से आवश्यक सूचना अपनी-अपनी वेबसाइटों पर डालने और उसका लिंक एडमिशन ब्रांच को भेजने के लिए कहा है. साथ ही प्रिंसपलों को भेजे गए पत्र में उन्होंने दाखिले की प्रक्रिया के लिए एक मजबूत टीम के गठन का भी कॉलेजों को निर्देश दिया है. पत्र में लिखा गया है,एक टीम का गठन किया जाए जिसमें पर्याप्त संख्या में स्वयंसेवी विद्यार्थियों के साथ फैकल्टी के निदेशक भी शामिल हों. दाखिले से संबंधित किसी तरह के सवालों का जवाब देने के लिए स्वयंसेवी छात्रों को उस दौरान उपलब्ध रहना होगा.

गौरतलब है कि इस बार ईडब्ल्यूएस कोटा पांच फीसदी बढ़ेगा-डीयू दाखिला में इस वर्ष निम्न आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) सीटों का कोटा 5 प्रतिशत बढ़ेगा. दाखिला सीमिति की तरफ से कॉलेजो को भेजे गए पत्र के अनुसार आगामी सत्र से ईडब्ल्यूएस कोटे का दूसरा चरण दाखिला प्रक्रिया में लागू किया जाएगा. जिसके तहत 15 फीसद सीटें ईडब्ल्यूएस कोटे के छात्रों के लिए आरक्षित होंगी. मालूम हो कि बीते वर्ष से ही डीयू ने ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया है. जिसके तहत 10 फीसदी सीटें आरक्षित की गईं थीं.

लेकिन ऑनलाइन प्रवेश का यह सिलसिला सिर्फ राजधानी दिल्ली का चलन नहीं बनने जा रहा. सच तो यह है कि इस साल कोरोना ने इसे एक झटके में राष्ट्रीय गतिविधि बना दिया है. अब हरियाणा को ही लें अब यहां सरकारी कॉलेजों में ऑनलाइन सिस्टम के जरिए ही एडमिशन मिल पाएगा. भारी तादाद में लोगों को सहूलियत देने वाली यह सुविधा हरियाणा हायर एजुकेशन की ई-सिटीजन सर्विस की बदौलत मिलेगी. ई-सिटीजन सर्विस को डिपार्टमेंट ने लॉन्च कर दिया है और इसके बाद एडमिशन का प्रोसेस ऑफलाइन नहीं होगी यानि की इन कॉलेजों में एडमिशन लेने के इच्छुक छात्रों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही आना पड़ेगा. डिपार्टमेंट के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएस प्रसाद के मुताबिक़ ऑनलाइन कॉलेज एंट्रेंस 15 जून से शुरू होंगे और ऑनलाइन एप्लिकेशन की अंतिम तारीख 30 जून होगी. उनके मुताबिक कैंडिडेट ऑनलाइन एंट्रेस के लिए किसी भी गवर्नमेंट कॉलेज में मुफ्त में एप्लाई कर सकते हैं.

भले यह सब कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते हो रहा हो लेकिन सच यही है कि ज्यादातर कंपनियां भी अब कर्मचारियों की भर्ती के लिए ऑनलाइन तरीकों को ही अपना रही हैं यानी ज्यादातर कंपनियां जॉब के लिए ऑनलाइन ही इंटरव्यू ले रही हैं. मतलब साफ़ है कि पढ़ाई लिखाई का मामला हो या जॉब की बात हो अब ऑनलाइन प्रवेश ही मिलने वाला है ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम ऑनलाइन बातचीत और विशेषकर इंटरव्यू में दक्ष हों क्योंकि अगर आपको बहुत कुछ आता है लेकिन ऑनलाइन मुखातिब होने की आपमें काबिलियत नहीं है तो कई सफलताओं से वंचित रह सकते हैं. वास्तव में अगर प्रैक्टिस न हो तो ऑनलाइन माध्यम से अपना इंप्रेशन छोड़ना थोड़ा मुश्किल होता है.

ऑनलाइन इंटरव्यू में हमारी बॉडी लैंग्वेज, आवाज, शब्दों के चयन और उनके इस्तेमाल के साथ-साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी आदि का भी महत्वपूर्ण रोल होता है. इसलिए हमें कई चीजों पर समय रहते ध्यान देना बहुत जरूरी है. मसलन हमें ऐसे किसी भी इंटरव्यू को देने से पहले,चाहे वह किसी संस्थान में पढने के लिए होने वाले एडमिशन के संबंध में हो या नौकरी के कई बुनियादी जानकारियां अच्छे तरह से होना चाहिए. अतः इंटरव्यू देने से पहले इंटरव्यू के बारे में सभी जानकारी लें, जैसे कि इंटरव्यू का फॉर्मेट क्या होगा? किस वीडियो कॉल सर्विस के माध्यम से इंटरव्यू आयोजित किया जाएगा? क्या आपका इंटरव्यू पैनल लेगा? इस तरह के सवाल इंटरव्यू देने से पहले ही क्लियर कर लें. इस बात का ध्यान रखें कि ऑनलाइन इंटरव्यू देते समय हमेशा कंप्यूटर या लैपटॉप का ही इस्तेमाल करें. कोई मजबूरी न हो तो मोबाइल फोन के जरिए ऑनलाइन इंटरव्यू देने से बचें.

यह डराने की बात नहीं है लेकिन सच्चाई यही है कि अगर आप रोजाना टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं,तो भी ऑनलाइन इंटरव्यू देना चूनौतीपूर्ण हो सकता है. खासकर जब इंटरव्यू लेने वाला शख्स एक ऐसे इंटरफेस का इस्तेमाल करे, जिसके बारे में आपको जानकारी नहीं है. इसलिए  इंटरव्यू के पहले मीटिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करते हैं यह  यू-ट्यूब पर वीडियो ट्यूटोरियल से समझ लें. ऑनलाइन इंटरव्यू देते समय इस बात भी ध्यान रखें कि आपका बैकग्राउंड न्यूट्रल और साफ होना चाहिए. लाइटिंग का खास ध्यान रखें और इस बात का भी ध्यान रखें कि इंटरव्यू देते समय आपका चेहरा साफ नजर आ रहा है या नहीं. कैमरे में अपनी इमेज साफ रखने के लिए सही रोशनी का प्रबंध करें .

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इंटरव्यू देते समय फॉर्मल कपड़े पहनें प्रेजेंटेबल दिखने की कोशिश करें. इंटरव्यू के दौरान सहज दिखने के लिए मॉक इंटरव्यू की प्रैक्टिस कर लें. इंटरव्यू में पूछे जाने वाले सभी सामान्य सवालों के जवाब और अपने पाठ्यक्रम या जॉब से संबंधी सवालों के जवाब पहले से ही तैयार कर लें. इंटरव्यू देते समय जवाबों को पेपर पर लिखकर अपने पास कहीं रख लें और पूरे आत्मविश्वास से जवाब दें. इन कोशिशों से आपको मनपसंद पाठ्यक्रम में एडमिशन भी मिल सकता हैं और जॉब भी.

चेहरे पर बर्फ लगाने के हैं ये 4 फायदे

गरमी के मौसम में चेहरे पर चमक लाने के लिए आप बर्फ का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह सबसे आसान तरीका भी है. और आपने कई लोगों से भी सुना होगा कि चमक लानी है तो बर्फ लगाओ. तो चलिए बताते हैं आपको बर्फ लगाने के फायदें…

चेहरे पर बर्फ लगाने से हमेशा चेहरे की ताजगी बनी रहती हैं और आप हमेशा फ्रेश महसूस करती हैं. अगर आप नेचुरल ब्युटी पाना चाहती हैं तो आपको नियमित रूप से बर्फ का इस्तेमाल करना चाहिए.

1. मुंहासे दूर करने के लिए

चेहरे पर लाल निशान आते ही उस पर बर्फ लगा सकती हैं. अगर आपको और बेहतर परिणाम चाहिए तो आप नीम या पुदीने की पत्त‍ियों को उबालकर उस पानी को आइस क्यूब ट्रे में डालकर जमा सकती हैं. इससे मुंहासे बढ़ेंगे नहीं और चेहरा भी साफ हो जाएगा.

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2. ग्लोइंग फेस के लिए

चेहरे पर बर्फ लगाने से ब्लड-सर्कुलेशन बढ़ जाता है जिससे चेहरे पर चमक आती है. साथ ही ये रिंकल और बढ़ती उम्र के निशान कम करने में भी मददगार होता है. अगर आपको और बेहतर परिणाम चाहिए तो आप फ्रूट जूस को आइस क्यूब ट्रे में डालकर जमा लीजिए और फिर उसे चेहरे पर अप्लाई कीजिए.

3. डार्क सर्कल के लिए

आंखों के नीचे के काले घेरों को दूर करने के लिए तरह-तरह के उत्पाद बाजार में मौजूद हैं. पर आप चाहें तो बर्फ का इस्तेमाल कर सकती हैं. ये कारगर होने के साथ ही सुरक्षित भी हैं. अगर आपको बेहतर परिणाम चाहिए तो आप खीरे के रस और गुलाब जल को आइस क्यूब ट्रे में डालकर जमा सकती हैं. इसके इस्तेमाल से डार्क सर्कल की समस्या बहुत जल्दी दूर हो जाएगी.

4. बेदाग त्वचा के लिए

आइस फेशियल त्वचा को न केवल ग्लो देता है बल्क‍ि बेदाग भी बनाता है. ये बेहद आसान और कारगर है.

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ओजोन हेयर ट्रीटमेंट से बनाएं बाल को जडों से मजबूत  

नेहा की सबसे बडी परेशानी यह थी कि वह जब भी अपने बालों में कंघी करती थी उसके बाल उलझकर टूट जाते थे. धीरे धीरे उसके बाल कम हो रहे थे. नेहा ने कई बार इसका इलाज कराया पर उसको कोई लाभ नही हुआ. नेहा ने इसके लिये कई बार हेयर एक्सपर्ट से बात भी की तब उसको ‘ओजोन हेयर ट्रीटमेंट’ के बारे में पता चला. नेहा को लगता था कि कही इससे बालों को कोई नुकसान न हो जाये. नेहा ने जब ओजोन ट्रीटमेंट कराया तो उसके बालों को बहुत लाभ हुआ और उनका झडना कम हो गया. नेहा ने ब्यूटी एक्सपर्ट पायल श्रीवास्तव से बात की. उन्होने बताया कि ‘ओजोन हेयर ट्रीटमेंट बालों की जडो को मजबूत बनाता है. यह एक मशीन के द्वारा किया जाता है. यह काम कभी भी अपने आप नही करना चाहिये. ओजोन ट्रीटमेंट एक्सपर्ट ब्यूटी क्लीनिक के द्वारा कराया जाना ही सही रहता है. आज छोटे बडे सभी शहरों में इस तरह की सुविधा मौजूद है.‘

ओजोन ट्रीटमेंट मशीनः 

ओजोन ट्रीटमेंट के जरीये बालो की जडों और स्कल्प में आक्सीजन को पहुचाया जाता है. ओजोन ट्रीटमेंट  में आक्सीजन में के अलावा बालों में विटामिन ए और डी को भी पहुचाया जाता है. ओजोन हाई फिकेवेंसी मशीन में एक होल्डर लगा होता है. जिसमें जरूरत के हिसाब से कांच के कई आकार वाले इलक्ट्रोड लगाये जाते है. इसके बाद मशीन से यूबी अल्ट्रावायलेट रेज निकाली जाती है. इनके जरीये बालों में 5 से 10 मिनट तक मसाज किया जाता है. मसाज के बाद बालों में अच्छे किस्म का तेल लगाकर छोड दिया जाता है. अगर बाल ड्राई है तो उसमें गर्म पानी में भिगो कर तौलिया लपेट कर बालों को स्टीम दी जाती है.

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ब्यूटी एक्सपर्ट पायल कहती है कि अगर बाल आयली है तो स्टीम देने की जरूरत नही होती है. बालों को ताजगी देने के लिये आंवला और शिकाकाई का बना हुआ हेयर पैक भी लगाया जा सकता है. 20 मिनट बाद बालों को पानी से धो दे. बालों को ध्ुलने का काम अगले दिन के लिये रखे. अगले दिन शैम्पू करना ठीक रहता है.

ओजोन ट्रीटमेंट का बालों में प्रभावः

ओजोन ट्रीटमेंट के जरीये बालों में रक्त संचार को बढाया जाता है. ओजोन ट्रीटमेंट से बालों में पहुचने वाले कीटाणु का सपफाया हो जाता है. जो बालों को चुपचाप नुकसान पहुचाते रहते थे. रूसी की वजह से बालों में होने वाले संक्रमण को भी ओजोन ट्रीटमेंट के जरीये सही किया जा सकता है. ओजोन ट्रीटमेंट बालों के अंदर पाये जाने वाले सीबम को सही करता है. ओजोन ट्रीटमेंट के जरीये स्कल्प में आक्सीजन सही मा़त्रा पहुच जाती है. इससे बाल और स्कल्प स्वस्थ्य हो जाता है. बाल भी सेहतमंद हो जाते है.

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ओजोन ट्रीटमेंट में सावधनियां:

पायल श्रीवास्तव का कहना है ‘अगर स्कल्प पर घाव, सूजन ताजी चोट हो तो ओजोन ट्रीटमेंट नहीं कराना चाहिये. जिन लोगो को दिल की बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो तो भी ओजोन ट्रीटमेंट नही कराना चाहिये. ओजोन ट्रीटमेंट का लाभ यह होता है कि बालो का गिरना रूक जाता है. बालो का असमय सफेद होना भी रोका जा सकता है. इसको सप्ताह में एक बार कराना चाहिये. 10 से 15 बार यह इलाज कराने से बालों में बदलाव दिखने लगता है.

ओजोन ट्रीटमेंट वही से कराये जहां पर सापफ सफाई और इसके एक्सपर्ट लोग हो. एक बार के ट्रीटमेंट का खर्चा कम से कम 200 रूपये से शुरू होता है. शहर और पार्लर के हिसाब से यह खर्च बढता जाता है. ओजोन ट्रीटमेंट के जरीये बालों के सेल्स को एक्टीवेट कर दिया जाता है. जिससे बाल स्वस्थ्य और सुंदर बन जाते है.

एमीनेक्सल ट्रीटमेंट:

ओजोन ट्रीटमेंट के अलावा भी कुछ दूसरे ट्रीटमेंट होते है जिससे बालों को सुधरा जा सकता है. इनमें एमीनेक्सल ट्रीटमेंट का भी नाम आता है. एमीनेक्सल ट्रीटमेंट के जरीये बालो को गिरने से रोका जाता है. इस इलाज मे इंजेक्शन नुमा शीशी जिसको एम्पूयल कहा जाता उसमें अलग अलग तरह की तेल नुमा दवा भरी होती है. हर राज एक एम्पूयल के पेस्ट को बालों में लगाया जाता है. इसको लगाने से पहले बालों को शैम्पू करना चाहिये. मुलायम ढंग से सिर और बालों का मसाज करना चाहिये. यह मसाज क्लाक वाइज और एंटी क्लाक वाइज करना चाहिये. शुरूआत में यह इलाज अच्छे ब्यूटी पार्लर में ही करना चाहिये. इसके बाद चाहे तो ब्यूटी पार्लर के बताये अनुसार घर पर भी इस इलाज को कर सकते है. यह इलाज मंहगा होता है.

स्कल्प सीरम ट्रीटमेंटः

स्कल्प सीरम ट्रीटमेंट को हेयर स्पा भी कहा जाता है. यह बालों की ग्रोथ को बढाने के काम आता है. इससे बालों का गिरना भी कम हो जाता है. इस इलाज में भी तेलनुमा पेस्ट एम्प्यूल में भरा होता है. यह अलग अलग तरह का होता है. इसको लगाने से बालो की रूसी और बालों में होने वाला एक्स्ट्रा आयल रोका जा सकता है. कभी कभी बालो को कलर करने से बालों की संवेदनशीलता खत्म हो जाती है. इसके जरीये इस संवेदनशीलता को भी ठीक किया जा सकता है. जो शैम्पू बालों के नेचर के हिसाब वाले नही होते वह भी बालो का नुकसान पहुचाते है. स्कल्प सीरम ट्रीटमेंट के जरीये इसका इलाज भी हो जाता है.

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स्कल्प सीरम ट्रीटमेंट  में  प्रयोग होने वाला पेस्ट छोटी छोटी शीशी में होता है. बालो को पहले शैम्पू कर ले . तौलिया का प्रयोग करके इसको थोडा सूखा ले. इस तरह गीले बालो टावल ड्राई बाल भी कहा जाता है. इसके बाद शीशी से निकाल कर पेस्ट का बालों में लगा ले. 1 से 2 मिनट के बाद बालों को पानी से धे दे. अगले दिन शैम्पू कर ले. 4 से 5 सेटिंग के बाद इस इलाज का लाभ बालों में दिखने लगता है . यह भी मंहगा इलाज होता है. यह बालो से रूसी को खत्म करने का काम भी करता है. किसी भी तरह का इलाज एक्सपर्ट ब्यूटी क्लीनिक से ही कराये. अपने मन से कोई भी इलाज न करे. कभी कभी इसी तरह से इलाज करने से नुकसान हो जाता है.

#coronavirus: चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा हैं संक्रमित

कोरोना का संक्रमण दिन प्रतिदिन बढ़ाते जा रहा है. अपने देश में तेजी से जांच हो रहा है, इसलिए  संक्रमण की संख्या में भी तेजी आयी है. एक मई को अपना देश भारत, कोरोना के सबसे अधिक संक्रमण वाले देशो के सूची में सत्रहवी नंबर पर था. कल शाम को हमारा देश इस सूची में बारहवें स्थान पर आ गया . आईये जानते है :- विश्व में कोरोना ने कैसे हलचल मचा कर रखा है .  12 ऐसे देशों की बात करे जहां कोरोना का संक्रमण अधिक है .

1. उनमें पहले साथ पर उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में स्थित संयुक्त राष्ट्र अमेरिका आता है यह संक्रमण मरीजों की संख्या 13 लाख 95 हजार के अधिक पहुंच गया है . यहां सबसे अधिक लोग इस बीमारी से मरे है , 82 हजार से अधिक लोगों का अभी तक मौत हो चुका है.

2. दूसरे नंबर पर यूरोप महाद्वीप का स्पेन है , यहां संक्रमित मरीजों की संख्या 2 लाख 69 हजार से अधिक पहुंच गया है , जबकि 26 हजार 900 से अधिक लोग की मौत हो चुकी है.

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3. तीसरे नंबर पर यूरोप का देश रूस है , यहाँ इस संक्रमण से 232,243 लोग बीमार है , इनमें से 2116 लोगो का मौत इसके कारण हुआ है.

4. चौथा वां नंबर पर 1 लाख 65 हजार से अधिक संक्रमित व्यक्ति के साथ यूनाइटेड किंगडम 1 लाख 65 हजार से अधिक लोगों को संक्रमण हुआ है , अभी तक यहां 32 हजार से अधिक लोगों का मौत हुआ .

5. पांचवे नंबर पर यूरोप का रोमन साम्राज्य का देश इटली है .  यहां संकरण ने अपने चपेट में अभी तक 2 लाख ,60 हजार तक लोगो को संक्रमित किया है . वहीं 30 हजार 600 से अधिक लोगों का मौत संक्रमण के कारण हुआ है .

6. छठा नंबर पर अपने यूरोप महाद्वीप का फैशन का देश फ्रांस है , यहां अभी तक 2 लाख 26 हजार से अधिक संक्रमित मरीज हो गए है , जबकि 24 हजार से अधिक लोगों का मौत हो चुका है .

7. सातवां देश है यूरोप महाद्वीप का जर्मनी . यहां संक्रमण से 1 लाख 72 हजार लोग संक्रमित है . वहीं 7 हजार 600 लोगो का मौत इस बीमारी से हो गया .

8. दक्षिण अमेरिका महाद्वीप का देश ब्राजील इस सूची में  आठवां नंबर पर है . यहां अभी तक 1  लाख 72 हजार 500 से अधिक लोगों को संकरण हो चुका है , वहीं 11 हजार 900  से अधिक लोगों का मौत हो चुका है .

9. नौवें स्थान पर है एशिया देश तुर्की .यहां 1 लाख 72 हजार लोगों को अभी तक संक्रमण हो चुका है , वहीं 3 हजार 600 लोगो की मौत हो चुका है .

10. कोरोना संक्रमण से प्रभावित देशों में दस वां  नंबर पर एशिया का ईरान देश है . यहां 1 लाख 10 हजार 700 लोग कोरो ना से संक्रमित है , वहीं 6 हजार से अधिक लोगों का मौत इससे हो चुका है.

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11. इस सूची में ग्याहरे वे नंबर पर एशिया महाद्वीप का चीन है , यही से यह महामारी पूरे विश्व में फैली . अभी तक यहां लोगो को 82 हजार 919 लोगो को संक्रमण हुआ , जबकि 4 हजार 600 के करीब लोग  मारे गए .

12. हिंदमहासगार के तट पर एशिया महाद्वीप में स्थित अपना देश भारत , इस सूची में बारहवें  नंबर पर है. अभी तक यहां कुल 74 हजार से अधिक संक्रमित मरीज हो चुके है, वहीं 2 हजार 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है .

#Lockdown: Neha Dhupia ने पति और बेटी के साथ ऐसे मनाई 2nd Wedding Anniversary

बॉलीवुड के सबसे बिंदास कपल्स में से एक एक्ट्रेस नेहा धूपिया (Neha Dhupia) और अंगद बेदी (Angad Bedi) अपनी सोशल मीडिया पर पर्सनल लाइफ को लेकर को लेकर सुर्खियों में छाए रहते हैं. वहीं उनके फैंस भी उनका साथ देते हैं. हाल ही में लॉकडाउन के बीच नेहा धूपिया (Neha Dhupia) और अंगद बेदी (Angad Bedi) ने अपनी वेडिंग एनिवर्सिरी सेलिब्रेट की है, जिसकी फोटोज दोनों ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं. आइए आपको दिखाते हैं नेहा धूपिया (Neha Dhupia) और अंगद बेदी की लॉकडाउन में एनिवर्सरी सेलिब्रेशन की खास फोटोज….

घर पर किया सेलिब्रेशन

 

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Lockdown celebrations … #mothersday and #weddinganniversary … #family #satnamwaheguru 😇😍🙏

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एक्ट्रेस नेहा धूपिया (Neha Dhupia) ने घर पर ही अपनी शादी की सालगिरह का सेलिब्रेशन किया. इस दौरान पति पत्नी और उनकी बेटी ही इस पार्टी के मेहमान और मेजबान थे. वहीं नेहा धूपिया (Neha Dhupia) ने अपनी गोद में बेटी मेहर को रखकर पति अंगद बेदी को केक खिलाया.

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नजर आया बेटी मेहर का चेहरा


नेहा (Neha Dhupia) अक्सर सोशल मीडिया पोस्ट में अपनी बेटी का चेहरा छिपा देती हैं. लेकिन सेलिब्रेशन के दौरान नेहा और अंगद (Angad Bedi) की बेटी मेहर का चेहरा काफी हद तक नजर आया.

 

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Having a fan moment … 😍😛 our baby girl #17monthsold @mehrdhupiabedi @angadbedi

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जमकर लुटाया प्यार

 

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Piece of (he)-art ❤️

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सेलीब्रेट करते हुए नेहा धूपिया (Neha Dhupia) ने अपने पति अंगद बेदी पर जमकर प्यार लुटाया है. दोनों ने अपनी शादी की दूसरी सालगिरह मनाई है, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

पिंक थीम में किया सेलिब्रेशन

नेहा धूपिया (Neha Dhupia) ने अपनी पार्टी की थीम को पूरी तरह से पिंक रखा था, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये उनकी बेटी मेहर के चलते किया गया है.

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बता दें, बीते साल नेहा धूपिया (Neha Dhupia) और अंगद बेदी (Angad Bedi) ने गुरुद्वारे में फैमिली और करीबी दोस्तों के बीच शादी की थी, जिससे उनके फैंस और फिल्मी सितारे चौंक गए थे.

#coronavirus: ‘अलिखित कानून’ को नजरअंदाज कर टैक्नोलौजी खरीद  

दुनिया के विकसित देशों के बीच एक अलिखित क़ानून यह है कि अन्य देशों से अगर वे कुछ खरीदते हैं तो केवल कच्चा माल ही ख़रीदते हैं. लेकिन, अब जब वायरसरूपी कोविड-19 महामारी फैली, तो इन देशों ने, मजबूरीवश, टैक्नोलौजी ख़रीदना भी शुरू कर दिया है.

विकसित देशों की वर्षों से यह परंपरा रही है कि वे किसी भी विकासशील देश से तकनीक नहीं ख़रीदते थे. विकासशील देशों से वे केवल कच्चा माल ख़रीदते थे. यदि किसी टैक्नोलौजी की ज़रूरत होती थी तो वे इंतेज़ार करते थे कि कोई यूरोपीय देश वह टैक्नोलौजी विकसित कर ले. विकासशील देशों से कच्चा माल लेकर पश्चिमी देश अपनी टैक्नोलौजी की मदद से अपने उत्पाद तैयार करते थे और फिर उन्हें विकासशील देशों को निर्यात कर देते थे.

आज जब पूरे विश्व में वायरसरूपी कोविड-19 महामारी फैली तो बहुत सी परंपराएं टूटती नजर आईं. अब यूरोपीय देश भी विकासशील देशों से ज़रूरत के उपकरण ख़रीद रहे हैं. अब वे दूसरे देशों से कच्चा माल खरीद कर अपनी टैक्नोलौजी से प्रोडक्ट विकसित करने का इंतजार नहीं कर रहे.  हाल ही में दुनिया के सबसे ताकतवर पश्चिमी मुल्क अमेरिका ने विकासशील देश भारत से बनीबनाई हाइड्रौक्सिक्लोरोक्वीन दवा आयात की. कुछ ही दिनों पहले यह ख़बर आई कि ईरान ने जरमनी और तुर्की को 40 हज़ार कोरोना टैस्टकिट निर्यात की हैं.

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दरअसल, यूरोप की अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं गैरयूरोपीय देशों के उत्पादों को घटिया समझती थीं और उन्हें सर्टिफ़िकेट नहीं देती थीं, लेकिन ईरान की कोरोना टैस्टकिट सीई को यूरोप ने सर्टिफ़ाई कर दिया है.

ऐसे में यह कहा जाना स्वाभाविक है कि गंभीर जरूरतों के चलते ये संस्थाएं या तो अपने नियमों में नरमी ले आई हैं या फिर अपनी अलिखित डील से पीछे हट गई हैं.

वैसे, अगर संविधान की बात की जाए तो दुनिया में हर देश का अपना संविधान होता है जिसके द्वारा वहां की शासन व्यवस्था चलती है. विश्व में 2 तरह के संविधानों का प्रचलन है – लिखित संविधान और अलिखित संविधान. विश्व का सबसे पहला लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है, जबकि दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का है. कुछ देश ऐसे भी हैं जिनके पास अलिखित संविधान होता है, जैसे इंग्लैंड और सऊदी अरब के संविधान.

बहरहाल, कोविड-19 की मार का विकसित देशों पर बहुत बुरा असर पड़ा है. उनकी अतिविकसित स्वास्थ्य सेवाएं भी नाकाम हो गई हैं. शायद इसी वजह से वे दूसरे देशों की तरफ हाथ फैलाने को मजबूर हुए हैं.

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Mother’s Day 2020: काश ! तुम भी मुझे अपनी मां की तरह चाहो, सास- बहू का रिश्ता मुझे अच्छा नहीं लगता

प्रिया और आर्यन ने दो महीने पहले शादी कर ली थी. यह एक प्रेम विवाह था. उनके माता-पिता इस शादी के खिलाफ थे लेकिन आर्यन प्रिया  को सच्चे दिल से प्यार करता  था ,उसने  हार नहीं मानी. उसने प्रिया के माता-पिता और अपनी माँ को  सहमत करने के सभी प्रयास किए . अंत में किसी तरह दोनों के परिवार इस शादी के लिए राज़ी हो गए.

दोनों सुखी जीवन बिता रहे थे. एक  दोपहर, प्रिया रसोई में काम कर रही थी, जबकि आर्यन अपने कमरे में सो रहा था. उसने अपना काम पूरा कर लिया और अपनी सास को लंच के लिए बुलाने चली गई. उसने दरवाजा खोला, और कई फोटो एलबमों के बीच, उसने अपनी सास को  बिस्तर पर बैठा पाया.

वह अपनी सास के पास जाकर  बिस्तर पर बैठ गई. हालाँकि उनके बीच कुछ भी नकारात्मक नहीं था, लेकिन दोनों के रिश्ते में बर्फ की एक परत थी, जो  उन्हें एक-दूसरे के प्रति अनुकूल होने से रोक रही थी.

प्रिया ने अपनी सास से कहा , “क्या कर रहे हो माँ?”

उसकी सास ने कहा , “अरे प्रिया, कुछ नहीं, बस पुरानी तस्वीरों को देख रही  थी”.

प्रिया ने कहा , “क्या मैं भी उन्हें देख सकती हूँ?”

उसकी सास ने मुस्कुराते हुए कहा , “ज़रूर”

वे दोनों ही पुरानी तस्वीरों  को  देखने लगी . प्रिया की सास  प्रिया को उन सभी यादों के बारे में बता रही थी जो  उन तस्वीरों  के साथ संबंधित थीं. उन्होंने प्रिया को आर्यन  की बचपन की वो तस्वीरें दिखाईं, जब वह पैदा हुआ था, जब वह एक फ्रॉक पहने हुए था, जब वह नहा रहा था. प्रिया आर्यन की बचपन की तस्वीरों को  बेहद प्यार से देख रही थी. कुछ देर बाद प्रिया ने अपनी साससे कहा, “माँ, क्या मैं कुछ पूछ सकती हूँ?”

उसकी सासने कहा,”हाँ प्रिया पूछो”.

प्रिया ने कहा , ” माँ क्या आप मुझसे खुश हैं?”

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प्रिया की सासने कहा , “बेशक, तुमने  ऐसा क्यों पूछा? क्या तुम इस  घर में सहज नहीं हो ? क्या आर्यन ने कुछ कहा? ”

प्रिया ने कहा,” नहीं माँ  ,मैं बहूत खुश हूँ. आर्यन मुझे  बहूत प्यार करता है. माँ बात सिर्फ इतनी है की आप दिन के अधिकांश समय कमरे के अंदर ही रहते हो , ऐसा लगता है कि आपने खुद को सीमित कर लिया है. आप हम लोगों से ज्यादा बात भी नहीं करते हो. क्या आप मुझसे खुश नहीं हो? ”

प्रिया की सासने  निगाहें चुराते हुए कहा , “नहीं, ऐसा कुछ नहीं है.”

प्रिया ने अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लिया.उसने महसूस किया की उस  साठ वर्षीय महिला का हाथ नरम और मोटा था. उसके हाथों का खुरदरापन उस कठिन जीवन का दर्पण था जिसे उस बूढ़ी औरत ने देखा है, और झुर्रियों की कोमलता उसकी उम्र बढ़ने की याद दिलाती थी.

प्रिया भावुक हो गयी उसने कहा ,”सच बताओ न माँ , प्लीज.”

प्रिया की सासने कहा ,“आज कल की पीढ़ी परिवारों के साथ रहना पसंद नहीं करती है, उन्हें एकांत चाहिए होता है और जो कुछ हम  पुराने लोग कहते हैं वो उन्हें हमारा  हस्तक्षेप लगता  हैं.मेरी दोनों बेटे पहले से ही शादीशुदा हैं, और उन्होंने मुझे छोड़ दिया. अब मेरे पास केवल आर्यन है, और मैं उसे इस उम्र में नहीं खो सकती.

प्रिया ने कहा , “आप आर्यन को क्यों खोयेंगी ?”

प्रिया की सासने कहा, “हर कोई मुझे आर्यन की शादी से पहले कह रहा था की आर्यन को उसकी पसंद की लड़की मिल रही है, और अब वह अपनी पत्नी और फिर बच्चों के साथ व्यस्त हो जाएगा.

मैं यही सोच के डर गयी थी की तुम लोगों का अपना जीवन जीने का तरीका है और अगर मैं कुछ भी कहूँगी  तो तुम भी  मुझे अकेला छोड़कर चले जाओगे , इसलिए मैंने सोचा कि मै तुम लोगों की लाइफ में ज्यादा disturbe न करू और तुम लोगों को अपना जीवन जीने दूं .इसलिए ही मै ज्यादा वक़्त अपने कमरे में ही रहती हूँ ताकि तुम्हे  एकांत मिले. कम से कम इस तरह से तुम  लोग मुझे अकेले छोड़कर तो कहीं नहीं जाओगे  ”

यह सुनकर प्रिया की आँखें गीली हो गईं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे.

उसको वो वक़्त याद आया जब  उसकी  दोस्तों ने सास-बहू के रिश्ते के बारे  में चेतावनी दी थी, लेकिन यह औरत  जो उसके सामने बैठी थी वो समाज की छवि से बहूत अलग थी.

वह बुरी नहीं थी, वह सिर्फ एक बूढ़ी औरत थी, जो एक माँ थी, जो सिर्फ अपने बच्चों का साथ ,उनका प्यार, देखभाल और अपने प्रति उनका  सम्मान चाहती थी.

प्रिया ने अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लिया और रोते हुए कहा,” माँ  अब आपके दो बच्चे हैं, पहला आर्यन और दूसरी मै . मैं आपकी  बेटी हूँ, मैं आपको  आर्यन  से अधिक प्यार करूंगी, जब भी आपको मेरी आवश्यकता होगी, मैं आपकी  देखभाल करूंगी, आप  मेरी माँ हो, जिस दिन मैंने आर्यन को स्वीकार किया था वह दिन था जब मैंने आपको अपनी माँ के रूप में स्वीकार किया था. अब आप अकेली नहीं हैं, आप मुझे स्वीकार करें या न करें  मैं आपकी बेटी हूं.

और एक चीज़ माँ , हम आपको कभी नहीं छोड़ेंगे. हम हमेशा यहां रहेंगे. आप हमारे बच्चों के साथ खेलेंगी और उन्हें कहानियाँ सुनाएंगी .आप पेड़ हैं और हम सिर्फ शाखाएं हैं. हमें आपकी आवश्यकता है.”

प्रिया की सास ने प्रिया की  ओर देखा. अब उन्हें  समझ में आया कि उनका बेटा इस लड़की से इतना प्यार क्यों करता है.उन्होंने प्रिया को अपने गले लगा लिया.

दरवाजे पर खड़े आर्यन ने चुपचाप अपनी आँखें पोंछ लीं. जिन दो औरतों से वह सबसे ज्यादा प्यार करता था , वे आखिरकार खुद को एक नए रिश्ते में बाँध रही थी.

दोस्तों, दरसअल हमारे समाज में एक सोच पत्थर की लकीर बन गयी है चाहे जितना भी सर पटक लो,लकीर नहीं मिटती. चूंकि लकीर को मिटाने की कोशिश भी पूरे दिल से नहीं की जाती . तो लकीर जस की तस रहती हैं और हां उसके आगे एक लंबी लकीर खींच दी जाती हैं, और फिर लंबी,लंबी और फिर लंबी.. ……. तो क्या आपको लगता हैं कि लकीर कभी मिट पाएगी??बिल्कुल भी नहीं क्योंकि वो छोटी लकीर तो अब भी वहीं हैं.

समाज की इस भ्रांति को तोड़ अगर सास और बहू  अपने रिश्ते के बीच कोई भी लकीर ना खिचने दें और ज्यों ही लकीर जैसी चीज समझ आए तो समझदारी से उसे मिटा दे तो ना रहेगी लकीर और ना रहेंगे लकीर के निशान.

जहां तक मुझे लगता है की सास और बहू का रिश्ता केवल प्यार और अधिकार के ऊपर आधारित होता है.दोनों ही एक ही व्यक्ति के प्रति अपने अधिकारों को लेकर कुछ ज्यादा ही सजग होती हैं.

उनकी यह अधिकारों की लड़ाई धीरे-धीरे तकरार में बदल जाती है. शादी के बाद अक्सर मां को लगता है की उनका बेटा बदल गया है और अब वह सिर्फ अपनी बीवी और उसके घर के बारे में सोच रहा है.

अगर गहराई से सोचे तो एक माँ जो पूरे लाड़-प्यार से अपने पुत्र को बड़ा करती है और उसका विवाह करती है वह  आखिर अपनी बहू से बैर क्यों रखेगी.दोस्तों यह कोई बैर नहीं है ,  यह सिर्फ उस माँ का अपने बेटे को खोने का डर है जो उस माँ के अन्दर असुरक्षा की भावना को पैदा करता है.

आप अपनी सास की असुरक्षा को दूर करें. उन्हें  एक अतिरिक्त के रूप में न देखें. वह परिवार की जड़ है. उन्होंने  अपने बेटे को जन्म दिया है और उसका पालन-पोषण किया है, और फिर उन्होंने  उसे आपको उपहार में दिया है. उनके  साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसे आप अपने भाई की पत्नी से अपनी माँ के लिए चाहती  हैं. वैसे भी किसी भी वृक्ष को उसकी जड़ से काट कर हम हरा-भरा नहीं रख सकते.

जैसे आप डांट-डपट और झगड़ने के बाद  अपनी मां के खिलाफ कोई शिकायत नहीं रखती  हैं, और आप सब कुछ भूल जाती हैं, वैसे ही आप अपनी सास  के लिए  कोई शिकायत न रखें.वह आपकी माँ जैसी   ही  है.

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यदि वो आपके लिए 10% भी अपने आप को ढालती  है, तो आप अपने आप को भाग्यशाली समझें, क्योंकि यदि आपको खुद को 25 की उम्र में बदलना मुश्किल लगता है, तो कल्पना करें कि 55 की उम्र में बदलना उनके  लिए कितना मुश्किल होगा.

आज के इस लेख के माध्यम से मेरी आप सभी औरतों से जो किसी न  किसी घर की बहू है , ये गुज़ारिश है की अपनी सास को अपने पति की माँ के रूप में न देखें.पहले उसे एक महिला के रूप में देखें और  उसके जीवन और उसके संघर्षों के बारे में जानें . फिर स्वतः ही आप उसका सम्मान करना शुरू कर देंगी .

दोस्तों एक माँ अपने बेटे का मुंह देखने के लिए 9 महीने इंतज़ार करती है ,तो वो उसे इतना प्यार करती है.और वही माँ अपनी बहू का मुंह देखने के लिए 25 साल इंतज़ार करती है, तो सोचो वो उसे कितना प्यार करेगी.

#coronavirus: ऐप में ऐब

वायरसरूपी इस वैश्विक महामारी से निबटने के लिए वैश्विक एकजुटता की पैरवी तो की जा रही है लेकिन विश्व एकजुट नहीं है. बल्कि, इसको लेकर महाशक्तियों के मध्य तलवारें खिंची दिख रही हैं.

इधर भारत में महामारी को फैलने से रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच सरकार ने आरोग्य सेतु नाम से जो ऐप पेश की, उसके कुछ फायदे हैं तो गंभीर नुकसान ज्यादा हैं. विपक्ष ही नहीं, सत्ताधारी भाजपा से जुड़ाव रखने वाले संगठनों ने भी इस सरकारी ऐप में ऐब निकाले हैं. वहीं, इस ऐप को अनिवार्य किए जाने को कानूनविद अवैध ठहरा रहे हैं.

देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के संरक्षक माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े  स्वदेशी जागरण मंच ने आरोग्य सेतु ऐप का यह कह कर विरोध किया है कि इससे विदेशी कंपनियों को मदद मिलती है और यह गैरकानूनी है.

केंद्र की भाजपा सरकार आरोग्य सेतु ऐप को खूब बढ़ावा दे रही है. इतना ही नहीं, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने तो इस ऐप को नोएडा और ग्रेटर नोयडा में अनिवार्य घोषित कर दिया है और कहा है कि स्मार्टफोन में यह ऐप न होना कानूनी अपराध है.

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स्वदेशी जागरण मंच ने इसी ऐप के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की शिकायत की है. मंच ने शिकायतीपत्र में प्रधानमंत्री और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से कहा है कि अमिताभ कांत इस ऐप के जरिए विदेशी ई-मैडिसिन कंपनियों की गैरकानूनी तरीके से मदद कर रहे हैं.

आरोग्य सेतु ऐप की खूबी यह है कि यह कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों पर निगरानी रखती है. लेकिन इसके साथ ही यह रोगियों को औनलाइन स्वास्थ्य सलाह देती है, जाँच के बारे में बताती है और ई-फार्मेसी कंपनियों से जोड़ती है.

स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि ऐप से जुड़ी कुछ ई-फार्मेसी कंपनियां विदेशी हैं और इस प्रकार यह ऐप उन विदेशी कंपनियों की मदद कर रही है. मंच के संयोजक अश्विनी महाजन ने एक न्यूज पोर्टल से कहा कि अमिताभ कांत गैरकानूनी तरीके से विदेशी ई-फार्मेसी की मदद कैसे कर सकते हैं? करोड़ों भारतीयों ने इस ऐप को डाउनलोड कर लिया है और उन तक इन विदेशी कंपनियों की पहुंच हो गई है.

आरएसएस से जुड़ी एक और संस्था लघु उद्योग भारती भी आरोग्य सेतु ऐप और नीति आयोग प्रमुख अमिताभ कांत के विरोध में है. लघु उद्योग भारती का कहना है कि भारतीय कंपनियों और लघु व सूक्ष्म उद्यमों की मदद की जानी चाहिए जबकि इस ऐप के जरिए विदेशी कंपनियों की मदद की जा रही है.

इधर, उत्तर प्रदेश सरकार के पहले केंद्र सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को जरूरी कर दिया था. सरकार का यह निर्देश सभी विभागों, मंत्रालयों, कैबिनेट सचिवालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया है. आदेश में कहा गया है कि ये मंत्रालय और विभाग सभी स्वायत्त व वैधानिक संस्थाओं तथा पीएसयू को भी ये निर्देश भेज सकते हैं. ये दिशानिर्देश राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (एनडीएमए) 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी किए गए थे.

कानूनी दृष्टिकोण से देखें तो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण ने सरकार द्वारा आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल की अनिवार्यता को अवैध बताया है. जस्टिस श्रीकृष्ण पर्सनल डेटा प्रोटैक्शन बिल के पहले मसौदे के लिए बनी कमिटी की अध्यक्षता कर चुके हैं. उन्होंने एक इंग्लिश डेली से बातचीत में कहा, ‘किस कानून के तहत आप इसे किसी पर भी अनिवार्य करते हैं? अब तक यह किसी भी कानून द्वारा समर्थित नहीं है.’

जस्टिस श्रीकृष्ण ने कहा कि आरोग्य सेतु के उपयोग को अनिवार्य बनाने के लिए दिशानिर्देशों को पर्याप्त कानूनी समर्थन है, ऐसा नहीं माना जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘कानून के ये टुकड़े (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम) एक विशिष्ट कारण के लिए हैं. मेरे विचार में राष्ट्रीय कार्यकारी समिति एक वैधानिक निकाय नहीं है.’

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उधर, स्वेदशी जागरण मंच के पहले कांग्रेस पार्टी ने आरोग्य सेतु का विरोध किया था, लेकिन उसका कारण दूसरा था. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसको लेकर  ट्वीट किया, ‘यह ऐप निगरानी करने वाली काफ़ी उन्नत प्रणाली है जिसे आउटसोर्स कर निजी औपरेटर के हाथों में दे दिया गया है और इस पर कोई संस्थागत निरीक्षण नहीं है. इससे डाटा और लोगों की गोपनीय जानकारियों की सुरक्षा को गंभीर खतरा होने की आशंका है. प्रौद्योगिकी हमें सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है लेकिन नागरिकों की सहमति के बिना भय का लाभ उठाने के लिए उनको ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए.’

गौरतलब है कि यह ऐप ब्लूटूथ और लोकेशन डाटा के आधार पर ऐप का प्रयोग करने वाले की स्थिति पर निगरानी रखती है और यह भी कि वह किनकिन व्यक्तियों के संपर्क में आया है.

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