कंगना ने किया खुलासा, बौलीवुड के लोगों से होता है मेरा मजेदार पंगा

कबड्डी प्लेयर जया निगम की कहानी पर आधारित फिल्म ‘‘पंगा’’ का ट्रेलर लौंच 23 दिसंबर को  मुंबई के जुहू स्थित पी आर मल्टीप्लैक्स में में हुआ. इस मौके पर फिल्म की निर्माण कंपनी ‘फौक्स स्टार इंडिया’’ के सीईओ विजय सिंह, फिल्म की निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी और फिल्म की पूरी स्टार कास्ट मौजूद थी. फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और इसे काफी पसंद किया जा रहा है. ट्रेलर में कंगना की दमदार एक्टिंग देखने को मिलेगी.

निजी जिंदगी में नहीं थी खिलाड़ी…

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि कंगना किसी फिल्म में खिलाड़ी का रोल कर रही हो. इससे पहले कंगना फिल्म ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स‘ में खिलाड़ी के रूप में नजर आ चुकी हैं. हालांकि, फिल्म में कबड्डी खिलाड़ी का रोल कर रही कंगना का निजी जिंदगी में खेल से कभी कोई नाता नहीं रहा. पढ़ाकू होने के अलावा वो कविता लिखा करती थीं. दस-ग्यारह साल की उम्र में ही उन्होंने मुंशी प्रेमचंद और हरिवंश राय बच्चन को पढ़ना शुरू कर दिया था.

मध्यमवर्गीय औरत की कहानी…

ट्रेलर देखकर फिल्म की कहानी की जो झलक मिलती है, उसके अनुसार जया एक साधारण मध्यम वर्गीय औरत हैं, जो कि कभी कबड्डी के खेल में चैम्पियन रही हैं, लेकिन शादी के बाद से वह घर गृहस्थी में व्यस्त हो गयी और उसका एक बेटा भी है. जया को दुख तब होता है जब उसे इस बात का अहसास होता है कि नए कबड्डी खिलाड़ी उन्हें नहीं पहचानते है. जया का बेटा आदी उन्हें कबड्डी खिलाड़ी के रूप में दूसरी शुरूआत करने के लिए प्रेरित करता है, जिसमें जया के पति प्रशांत (जस्सी गिल) भी साथ देते हैं. समाज और अन्य मुश्किलों से लड़ते हुए वह कैसे देश के लिए कबड्डी टीम का हिस्सा बनकर खेलती है और अपने सपने को साकार करती है. यही इस ट्रेलर में दिखाया गया है. फिल्म में जया की मां के किरदार में नीना गुप्ता नजर आएंगी. इसके अलावा रिचा चड्ढा कंगना के कोच के रोल में दिखेंगी.

ये भी पढ़ें- सेहरा बांधकर मोहसिन संग जमकर झूमी शिवांगी जोशी, देखें वीडियो

फिल्म के लिए की कड़ी मेहनत- कंगना

ट्रेलर लॉन्च के मौके पर कंगना रानौट ने कहा- ‘‘मैंने इस फिल्म में कबड्डी खिलाड़ी जया का किरदार निभाने के लिए काफी ट्रेनिंग ली है. मैं कभी खिलाड़ी नहीं थी. लिहाजा, मुझे इस फिल्म के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. इसलिए इस फिल्म का हिस्सा बनने के लिए मुझे दूसरे एक्टर्स की तरह खेल सीखना था और एक मां का रोल करने के लिए मुझे बहुत कुछकरना था.’’

मेरा बौलीवुड वालों से पंगा है- कंगना

इसी मौके पर कंगना रनौत ने बौलीवुड से जुड़े लोगों पर पलटवार करते हुए कहा- ‘‘फिल्म इंडस्ट्री के लोग सामने से गले लगाकर किस करते हैं और पीछे पलटते ही अच्छी तरह वार करते हैं. आपको पता भी नहीं चलेगा कि कौन सा वार आप पर कहां से किसके जरिए होगा. इसलिए आपको हर समय तैयार रहना चाहिए. मेरा मजेदार पंगा तो इन्हीं इंडस्ट्री वालों से होता है.’’

15 साल की उम्र में लिया पिता से पंगा…

कंगना का दावा है कि जब भी किसी ने उनसे पंगा लिया, तो इससे उनका विकास हुआ. कंगना ने बताया- ‘‘पहली बार मैंने 15 साल की उम्र में अपने पिता से ‘पंगा‘ लिया और कई मुसीबतें एक साथ मेरे सर पर आ गईं, लेकिन अगर मैं अपने पिता से ‘पंगा‘ न लेती, तो आज जिस जगह पर हूं, वहां नहीं होतीं.’’

पंगा लेते समय रखे इस बात का ध्यान…

‘पंगा‘ लेने से सावधानी बरतने के सवाल पर कंगना ने हंसते हुए कहा- ‘‘ पंगा लेने से पहले यही सावधानी बरतनी चाहिए कि आप जो भी कहें, फिर चाहे वह गलत हो या सही, सच कहें. देखिए पंगा लिया है तो रायता तो फैलने वाला ही है, लेकिन आप यह तय कर लें कि किसी भी मामले में झूठ नहीं बोलना है. लोग आप जैसे हैं, आपको अपना लेंगे, लेकिन वह आपके द्वारा कहा गया झूठ नहीं अपनाएंगे. मैंने हमेशा वही बात कही है, जिसका कोई मतलब है. मैंने कहीं पढ़ा था कि सच को साबित करने में थोड़ा टाइम जरूर लगता है, लेकिन सच को छुपाया नहीं जा सकता है.’’

ये भी पढ़ें- दबंग 3 फिल्म रिव्यू: ”महज सलमान खान के फैंस के लिए…’’

पुरुषों की तुलना में खुद को कम आंकते हैं- कंगना

महिला सशक्तिकरण के बारे में कंगना ने कहा- ‘‘महिला सशक्तिकरण की परिभाषा अलग-अलग महिलाओं के लिए अलग-अलग है. फिल्म उद्योग में, हमारे पास कुछ सबसे सफल महिलाएं हैं और फिर भी उन्हें लगता है कि उन्हें अपनी फिल्मों को अच्छी तरह से चलाने के लिए बड़े मेल एक्टर्स की आवश्यकता है. पता नहीं हम क्यों अपने आप को पुरुषों की तुलना में कम आंकते हैं है? ‘‘

कंगना रनौत ने फिल्म ‘पंगा’ के संदर्भ में आगे कहा- “जब अश्विनी ने पंगा की कहानी सुनाई, तो मैं पूरी तरह से हिल गई. महिलाएं, जो मां बन जाती हैं, अपने सपनों के साथ हार जाती हैं. मैं कहती हूं कि यह उनकी बायोपिक है.‘‘

कंगना को गलत समझा गया है- डायरेक्टर

इस मौके पर फिल्म की निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी ने कहा- ‘‘कंगना के बारे में कोई अच्छी बात कहता ही नहीं है, कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ और मैं आज यहां एक बात साफ कर दूं कि कंगना को बहुत ज्यादा जज किया ज्यादा है, वह सेट पर आग नहीं लगाती है.‘’

बता दें कि फिल्म पंगा 24 जनवरी, 2020 को रिलीज होगी. इस फिल्म में कंगना के साथ रिचा चड्ढा, जस्सी गिल, नीना गुप्ता और पंकज त्रिपाठी भी अहम किरदार में नजर आएंगे.

एडिट बाय- निशा राय

शुभारंभ : क्या अनगिनत अड़चनों के बावजूद हो पाएगी राजा रानी की शादी?

कलर्स के शो ‘शुभारंभ’ में राजा-रानी के बीच गलतफैमियाँ धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं. वहीं दोनों की शादी की तैयारियां भी आगे बढ़ रही हैं. पर राजा-रानी की शादी क्या बिना किसी परेशानी के हो पाएगी? आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

राजा-रानी के बीच बढ़ता कनेक्शन

गुनवंत, राजा और रानी की शादी के लिए तैयार हो जाता है. राजा, रानी को बताता है कि वो वही शख्स है जिसने दुकान में उसकी मदद की थी, जब वो पुतला बनकर खड़ी थी. रानी इस बात से हैरान हो जाती है और ये बात उसके दिल को छू जाती है कि वो दोनों इतने लंबे समय से एक-दूसरे को जानते हैं. दोनों एक-दूसरे के साथ प्यार भरा  वक्त बिताते हैं, जहां राजा, रानी से कहता है कि वो सारी जिंदगी उसकी खुशी का ख्याल रखेगा.

subh-arambh

क्या प्री वेडिंग फोटोशूट के लिए रानी होगी तैयार

subharambh-update

राजा, रानी को प्री-वेडिंग फोटोशूट के लिए कहता है, लेकिन रानी कहती है कि वो अपना काम नहीं छोड़ सकती क्योंकि इससे उसकी कमाई पर असर पड़ेगा लेकिन राजा उसे राजी करने की कोशिश करेगा.

आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि कीर्तिदा और गुनवंत रानी के परिवार की आर्थिक स्थिति जानने की कोशिश करते दिखेंगे. जहां कीर्तिदा को पता चलता है कि उत्सव कोई राज़ छुपा रहा है.

subh

अब देखना ये है कि क्या बिना किसी रुकावट के राजा और रानी की शादी हो पाएगी? जानने के लिए देखते रहिए ‘शुभारंभ’, हर सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे सिर्फ कलर्स पर.

ऐसे बनाएं अपना क्रिसमस डे खास

क्रिसमस डे के दिन लोग एक-दूसरे को हैपी क्रिसमस विश करते हैं और ज्यादातर घरों में तो केक बनते हैं. लोग धमाल करते हैं मस्ती करते हैं.ईसाईयों के लिए ये उनका सबसे बड़ा त्योहार होता है. घर में अच्छे-अच्छे डिश बनते हैं और लोग एक-दूसरे से मिलते हैं लेकिन अगर आप कुछ नया करने का सोच रहें हैं तो इस क्रिसमस काफी कुछ नया करके अपने क्रिसमस डे को और भी हैप्पी बना सकते हैं.

क्रिसमस के लिए मार्केट भी सज कर तैयार है. क्रिसमस पर नए-नए तरह के खूब डिजाइनर कपडें मिलेंगे और घर को सजाने के लिए अच्छे और नए तरह के क्रिसमस ट्री भी मिलेंगे जो आपके घर को और भी सुंदर बना देंगे.कुछ खास तहर की रेसिपी को देखकर आप खास डिश भी तैयार कर सकती हैं जो आपके दोस्तों और परिवार को बेहद पसंद आएगा.

नए-नए तरह की कुकीज़ बना कर आप ट्राय कर सकती हैं.इन सभी की रेसिपी आपको यूट्यूब पर आसानी से मिल जाएगी.नए-नए तरह के कैंडल का यूज़ करके घर को और भी ज्यादा लाइटिंग बना सकती हैं.और अगर घर पर केक ना बना पाएं तो मार्केट में आसानी से आपको क्रिसमस पर स्पेशल केक मिल जाएंगे. आप लोगों को कुछ डिश बना कर खिलाएंगे और उनको उपहार देंगे इससे उन्हें भी अच्छा लगेगा.

साथ ही जिंगल बेल सॉन्ग तो भाई बच्चे-बच्चे के जुबान पर रहता है.और अब तो हर स्कूल में भी क्रिसमस डे को बच्चों के लिए मनाया जाता है.बच्चे इस गाने पर जमकर झूमते हैं और मस्ती करते हैं.तो कुछ ऐसा ही एहसास आप अपने बच्चे को घर पर भी दे सकती हैं अपने बच्चे का सैंटा क्लॉज बन सकती हैं. इन सभी तरीकों से आप अपने इस साल के क्रिसमस को और भी खास बना सकती हैं.

क्रिसमस पार्टी के लिए आप भी ट्राय करें ये बेहतरीन ड्रेस कलेक्शन

क्रिसमस के दिन अगर आपको भी पार्टी में जाना है तो क्यों न कुछ ऐसा पहने जो कि आपके पर्सनालिटी को एक अलग सा एहसास दें. अगर आप अभी तक नहीं सोच पा रही हैं कि इस खास मौके पर आपको किस तरह की ड्रेस खरीदनी चाहिए तो हम आपके लिए कुछ ऐसे खास ड्रेस का कलेक्शन लेकर आए हैं जो आपकी इस परेशानी को दूर कर देगी.

फर वाला लौन्ग गाउन

क्रिसमस पार्टी के लिए इस तरह की ड्रेस आपको एक बहुत ही आकर्षक लुक देगी. गहरे रंग जैसे लाल, नीला, काले कलर के गाउन आदि इस पैटर्न में बहुत बेहतरीन लगते हैं. इस तरह की ड्रेस पर आप अपने बालों में जूड़ा बना सकती है. यह हेयर स्टाइल के साथ ही हाथ में कोई ब्रेसलेट या सिंगल बैंगल आपको एक शानदार लुक देता है.

नेटेड शोल्डर लौन्ग गाउन

यह देखने में बेहद ही स्टाइलिश लगता है. इस क्रिसमस पर इस ट्रेंडी लौन्ग गाउन को पहन कर आप सबसे खास नजर आ सकती हैं. सफेद रंग का गाउन जिसका कंधा नेट के फेब्रिक का और गाउन का निचला हिस्सा एकदम प्लेन होता है. लेकिन ऊपर के हिस्से में किया हुआ वर्क इस डिजाइनर गाउन को बहुत ही आकर्षक बनाता है. इस ड्रेस को मेसी बन और लंबी ईयर रिंग्स के साथ पहनना बेहतरीन हो सकता है. इस तरह की पार्टी ड्रेस आपको एक बहुत ही रायल लुक देने के काम आ सकती है.

स्लीवलेस लौन्ग गाउन बेल्ट डिजाइन के साथ

अगर आपका वजन कुछ बढ़ गया है और इसकी वजह से आप कोई स्टाइलिश पार्टी ड्रेस पहनने से कतरा रही हैं तो आप इस स्लीवलेस लौन्ग गाउन को ट्राई कर सकती हैं. इस तरह की ड्रेस की फिटिंग इस तरह की होती है कि आप इसे पहन कर थोड़ी पतली नजर आएंगी. अगर आपको इसके साथ कान में कोई ज्वेलरी पहननी हो तो आप छोटी या लंबी किसी भी तरह की ईयर रिंग पहन सकती हैं.

हाइ नेक नेट सेल्फ डिजाइन्ड नेटेड लौन्ग ड्रेस

 

View this post on Instagram

 

can we please go back to dec 1st?? i’m a little behind ???

A post shared by J A Y C I E ⋒ ⋒ ⋒ (@jayciekathleen) on

यह काफी स्टाइलिश और ट्रेंडी ड्रेस है. यह हाइ नेक ड्रेस टाइट बन के साथ बहुत ही खूबसूरत लगती है. सफेद कलर की इस गाउन का ऊपरी हिस्सा नेट से बना होता है जो इसे आकर्षक और डिजाइनर गाउन बनाता है. यह अपने आप में एक आकर्षक और हेवी लुक वाली ड्रेस है जिसके साथ आपको कोई विशेष और बहुत भारी भरकम एसेसरिज पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

फर से बना आफ शोल्डर गाउन

क्रिसमस की शाम के लिए फर से बना आफ शोल्डर गाउन आपको को एक अट्रेक्टिव लिक देता है. क्रिसमस के साथ हा यह आपको विंटर फैशन वाला लुक भी देता है. इस तरह की ड्रेस हल्की ज्वेलरी जैसे पतली सी चेन और एक पेंडेंट के साथ अच्छी लगती है. इसके साथ बालों को दो हिस्सों में बांटकर बनाया गया बन या जूड़ा आपके इस ड्रेस के साथ आपकी खूबसूरती को दोगुना कर देगा.

एम्ब्रोयडरी नेट गाउन के साथ बैक लेस आफ शोल्डर ड्रेस

यह एक आफ शोल्डर गाउन है जिसमें एम्ब्रोयडरी किया जाता है. इसपर किया जाने वाला सफेद रंग पर किसी गहरे रंग का वर्क सभी को आपकी सुंदरता की तारीफ करने के लिए मजबूर कर देगा. तो अगर इस बार की क्रिसमस पार्टी में आप अगर आफ शोल्डर ट्राई करना चाह रही हैं तो यह गाउन आपके लिए बेस्ट है.

क्वार्टर स्लीव सेल्फ डिजाइन्ड फ्लफी गाउन

अगर आफ शोल्डर में आप अपने आपको ज्यादा कम्फर्टेबल महसूस नहीं करती हैं तो यह गाउन आपके लिए बेहद ही स्टाइलिश और खास हो सकता है. आपके शरीर के हिस्सों को कवर करने के साथ ही यह आपको परफेक्ट पार्टी लुक देने का काम भी करेगा. इस तरह की ड्रेस को सिंपल ज्वेलरी जैसे टाप्स आदि के साथ पहनना उचित होगा. यह ड्रेस आपको स्टाइल बनाने के साथ आरामदायक अहसास भी देती है. क्रिसमस के लिए आप इस ड्रेस को भी पसंद कर सकती हैं.

तो इस आर्टिकल में क्रिसमस पार्टी के लिए कुछ खास और बेहतरीन लौन्ग गाउन के कलेक्शन का जिक्र किया गया है. उम्मीद है इसे पढ़ने के बाद आपको यह आइडिया हो गया होगा कि इनमें से किस तरह का ड्रेस आप पर बेहतर लगेगा. तो अब देर किस बात की लग जाइये क्रिसमस की तैयारियों के साथ अपने लुक को निखारने में.

मैंने बचपन से आजाद रहना पसंद किया है– नेहा जोशी

मराठी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली थिएटर आर्टिस्ट और अभिनेत्री नेहा जोशी नाशिक की है. वह इंडस्ट्री की सबसे प्रतिभावान एक्ट्रेस मानी जाती है. उसे चरित्र भूमिका निभाना पसंद है, क्योंकि इसमें अभिनय करने के कई शेड्स मिलते है. मराठी फिल्म ‘जेंडा’ और ‘पोस्टर बौयज’ में उसकी भूमिका को काफी सराहना मिली. अभी वह & टीवी पर ‘एक महानायक बी आर अम्बेडकर’ की माँ भीमाबाई रामजी सकपाल की भूमिका निभा रही है, जो कठिन होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी है. उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार है,

सवाल-आप की भूमिका इस शो में क्या है और आप खुद से इसे कितना रिलेट कर पाती है?

भीमाबाई रामजी सकपाल जो भारत रत्न बाबासाहेब अम्बेडकर की मां थी. उनकी भूमिका निभा रही हूं. मैं मां की भूमिका पहले भी हिंदी और मराठी फिल्मों में की है. मैं थिएटर की बैकग्राउंड से हूं और शायद इसलिए मुझे चरित्र को निभाना अधिक पसंद है, जिसमें भूमिका से अधिक चरित्र कहने की कोशिश क्या कर रहा है उसपर अधिक जोर दिया जाता है. इसे ना कहना मेरे लिए असंभव था. बाबासाहेब अम्बेडकर जिन्होंने संविधान लिखा है ऐसे व्यक्ति की माँ की भूमिका निभाना मेरे लिए गर्व की बात है. इसके अलावा एक बच्चे की ग्रोथ में उसकी माता-पिता का पूरा हाथ होता है. इस कहानी से दर्शक अगर अपने बच्चे के लालन-पालन में थोड़ी सी भी ग्रहण कर लेंगे, तो वह मेरे लिए बड़ी बात होगी. आज के बच्चे डिजिटल की दुनिया में खोये जा रहे है और वे अपने माता-पिता से दिन ब दिन दूर होते जा रहे है. वे किसी रिश्तों और परिवार के साथ में रहना पसंद नहीं करते. मैं नाशिक की हूं और संयुक्त परिवार में रहती थी. कभी भी हमने तब न टीवी देखा या गाना सुना हो , परिवार में ही हम इतने व्यस्त हो जाते थे कि समय नहीं रहता था. मेरा ये चरित्र अगर आज के पेरेंट्स को थोडा मदद करे तो मेरे लिए ख़ुशी की बात होगी.

ये भी पढ़ें- छोटी सरदारनी: मेहर पर फूटा हरलीन का गुस्सा, क्या कर देगा मेहर को परम से दूर?

मुझे इसकी कहानी बहुत अच्छी लगी. मेरा चरित्र बहुत बात करने वाली है और दूसरे की कम सुनने वाली है, भीमाबाई असल में अपने मन की, जो सही लगे उसे किया करती थी. ऐसी मैं भी हूं ,मुझे अगर कोई बात पसंद नहीं है, तो मैं उसे कहने से हिचकिचाती या डरती नहीं.

सवाल-इस भूमिका के लिए आपने कितना रिसर्च किया?

मैंने इसके लिए कई किताबे बाबासाहेब से जुडी हुई पढ़ी है और पढ़ भी रही हूं. भीमाबाई की भूमिका को मैं उसी रूप में प्रस्तुत करने की बहुत मेहनत कर रही हूं, ताकि लोगों को निराशा न हो. इसके अलावा निर्देशक काफी सहयोग कर रहे है.

सवाल-इंडस्ट्री में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मेरे माता-पिता 45 साल से नाशिक में थिएटर कर रहे थे. संगीत का माहौल मेरे घर में था. 10 साल मैंने कथक सीखा है. जींस में एक्टिंग है. इसके अलावा पुणे में थिएटर में स्नातक की उपाधि ली है. ये तय था कि मैं कलाकार ही बनूंगी और मैंने एक ही जिंदगी में इतने सारे चरित्र कर लिए है जो मुझे अच्छा लगता है. मैंने शादी की थी पर 4 साल पहले डिवोर्स हो गया है. अब मैं खुश हूं और अपने काम में व्यस्त हूं. मैंने बचपन से आज़ाद रहना पसंद किया है और बंधकर मैं कही रह नहीं सकती, अभी मैं दो बिल्लियों के साथ रहती हूं.

सवाल- कानून के फैसले हमारे देश में बहुत ढीले है और कई बार अंजाम तक पहुँचने में सालों लग जाते है, क्या आपको नहीं लगता है कि इसमें सुधार की जरुरत आज के परिवेश को ध्यान में रखते हुए करने की जरुरत है?

बहुत बुरा लगता है जब मैं सुनती हूं कि हमरे आसपास बहुत कुछ अन्याय महिलाओ के साथ आज भी हो रहा है. मैं अकेले मुंबई में रहती हूं और कई बार ये सोचने पर मजबूर होती हूं कि क्या मैं यहाँ सुरक्षित हूं. क्या कोई बुरी नज़र मेरा पीछा तो नहीं कर रही है. कई बार किसी से बात करते हुए भी डर लगता है. लोगों के मन में जो महिलाओं के प्रति अनाचार या भ्रष्टाचार देखने या सुनने को मिलता है उसे अब ख़त्म करने की जरुरत है. ऐसे लोगों के मन में डर बैठने की जरुरत है, उसके लिए कुछ भी करना पड़े तो करने में कोई समस्या नहीं.

ये भी पढ़ें- मोहसिन और शिवांगी ने ऐसे मनाया 1000 एपिसोड्स का जश्न, देखें फोटोज

सवाल- आगे आने वाली फिल्में कौन सी है?

अभी दो मराठी फिल्में आने वाली है.

फिल्म ‘गुड न्यूज’ मेरे लिए अच्छी खबर है-अंजना सुखानी

2005 से अब तक 14 वर्ष के कैरियर में अंजना सुखानी ने हिंदी के साथ साथ तमिल, तेलगू, कन्नड़, पंजाबी व मराठी सहित कइ भाषाओं की पच्चीस से अधिक फिल्में की होंगी. अंजना सुखानी के कैरियर की सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होने अमिताभ बच्चन से लेकर कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया, पर वह किसी भी फिल्म में सोलो हीरोईन बनकर अब तक नहीं आ पायी. पिछले ढाई वर्ष से वह डिप्रेशन का शिकार थीं, जिसके चलते फिल्मों से दूर थीं, मगर अब ‘‘धर्मा प्रोडक्शंस’ की राज मेहता निर्देशित फिल्म‘‘गुड न्यूज’’से पुनः अभिनय में वापसी कर रही हैं. प्रस्तुत है उनसे हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के मुख्य अंश. .

2005 से अब तक लगभग चैदह वर्ष के अपने कैरियर को किस तरह से देखती हैं?

-जब आप नान फिल्मी बैकग्राउंड गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से आते हैं, तो हर छोटी उपलब्धि भी बहुत बड़ी लगती है.  जब फिल्म इंडस्ट्री में आपका अपना कोई रिश्तेदार, जान पहचान वाला न हो,तो हर छोटा कदम मायने रखता है. मैं अपने परिवार की पहली लड़की हूं, जो कि बौलीवुड से जुड़ी है.  सच कहूं तो अभी भी बहुत कुछ पाना बाकी है. मेरे अंदर अभी भी भूख है. मगर मुझे इस बात का सकून है कि अब तक मैने जो भी पाया है, मेरी जो भी उपलब्धि है, मैने कुछ बेहतरीन फिल्में की हैं, तो यह सब मैने अपने बलबूते पर पाया है. इसका मुझे गर्व भी है. यह मेरे लिए गर्व की बात है.

ये भी पढ़ें- छोटी सरदारनी: हम सबमें बसती है एक ‘मेहर’

आपने कुछ बड़ी फिल्में की, आपके अभिनय की तारीफ भी हुई, मगर सोलो हीरोईन के रूप में आपको फिल्में नहीं मिली.  आपको हमेशा दो तीन हीरोईन वाली फिल्में मिली या फिल्मों में बहन आदि के किरदार ही मिले?

-इसमें कहीं न कहीं मेरी अपनी गलती रही है.  मैंने कभी भी अग्रेसिब होकर काम नही किया. बड़ी सहज रही.  हमेशा लो प्रोफाइल ही रखा.  सामने से जिस फिल्म का आफर आया, उसका किरदार पसंद आया,तो कर लिया. दस साल पहले इतना कम्पटीशन नहीं था. पर अब कम्पटीशन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. मुझे ‘जाने दो’ व ‘चलने दो’के एटीट्यूड को भी छोड़ना पडे़गा. इसके अलावा पिछले दो ढाई वर्ष से मैं कुछ परेशानियों के चलते फिल्म इंडस्ट्री से दूर ही हो गयी थी.  करीबन ढाई वर्ष बाद फिल्म ‘‘गुड न्यूज’’ से नई शुरूआत की है.  मैं मानती हूं कि कोई बात नही जब भी आप उठकर भागें, जीत आपकी ही है, क्योंकि आप रूक नही रहे हैं. गिरने के बाद फिर उठकर भागना स्पोर्टमैनशिप है और यह जीत दिलाती है. इंसान के अंदर कुछ करने का जज्बा व मोटीवेशन होना चाहिए.

आपने 14 वर्ष के दौरान हिंदी के अलावा कन्नड़,तमिल,तेलगू,पंजाबी व मराठी भाषा की फिल्में भी की.  क्या अनुभव रहे और कौन सी भाषाएं आपको अच्छे से आती हैं?

-देखिए, जब हम अलग अलग प्रांत के लोगों के साथ काम करते हैं, तो हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है.  काफी अनुभव मिलते हैं.  हर इंसान की विचारधारा अलग होती है.  हर प्रांत के लोगों का खान पान,रहन सहन अलग होता है.  इमोशन के साथ डील करना सीख. मसलन-तेलगू बहुत लाउड भाषा है. तमिल बहुत रीयल है.  कन्नड़ रीयल है.  मराठी में रीयल के साथ ड्रामा भी चाहिए. पंजाबी में फुल धमाल चाहिए. तो हर प्रांत व भाषा के लोगों का सिनेमा को लेकर अपना एक अलग नजरिया है. इसलिए मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. मैने हर भाषा व प्रांत की फिल्में करते हुए इंज्वौय किया.  मैने अलग अलग तरह के निर्देशकों के वीजन पर खरा उतरने की कोशिश की.  इसके अलावा यदि मैं अभिनेत्री न होती, तो शायद मैं आंध्रप्रदेश या केरला न जाती.  वहां के लोग व वहां के खानपान आदि से मैं परिचित न हो पाती.

तो एक कलाकार व इंसान के तौर पर आपने कितना ग्रो किया?

-देखिए, इस तरह के अनुभवों से हम जो ‘ग्रोथ’ करते हैं, उसे नाप नहीं सकते, उसे परिभाषित नही कर सकते. पर लोगों के साथ डील करना, व्यवहार करना व एक टोलरेंस आ जाता है.  हर इंसान का ठहराव वाला मुकाम है.  यह बात हमें समझ में आती है. इस तरह हम बहुत कुछ सीखते हैं.  रोजमर्रा की जिंदगी में हम कभी छोटी तो कभी बड़ी बात सीखते ही हैं.  उससे हमारी ग्रोथ भी होती है,पर हमें खुद अपनी वह ग्रोथ नजर नही आती है.

बीच में आप डिप्रेशन का शिकार भी रहीं?

-जी हां! मैं अपनी मौसी के बहुत करीब थी. जब वह कैंसर की बीमारी से जूझ रही थी,उस वक्त उनकी तकलीफ देखकर मैं विचलित हुई और डिप्रेशन में चली गयी थी. पर सायकोलॉजिकल डाक्टर से थिरैपी कराने के ेबाद ठीक हुई. इसी बीच मैं संगीत से जुड़ी.  मुझे डिप्रेशन से उबारने में संगीत ने काफी मदद की. अब मैं बतौर गायक अपना सिंगल गाना लेकर आने वाली हूं.

संगीत में पहले से रूचि रही है या अचानक?

-देखिए, स्कूल दिनों में तो हम गाते रहे हैं.  मगर संगीत की प्रतिभा मेरे अंदर है, इसका अहसास मुझे नही था.  मेरी मनोवैज्ञानिक डाक्टर ने मुझे सलाह दी कि मुझे संगीत सीखना चाहिए, यह मुझे डिप्रेशन से उबरने में मदद करेगा. और ऐसा ही हुआ. संगीत ने मुझे बहुत सकून दिया. और मुझे अहसास हुआ कि मैं संगीत के क्षेत्र मंे भी कैरियर बना सकती हूं. मैंने कुछ दिन पंडित जसराज से संगीत सीखा. फिर दो शिक्षक बदल गए. फिलहाल नए संगीत शिक्षक की तलाश जारी है. जब सही गुरू मिल जाएगा,तो यह तलाश खत्म हो जाएगी. मैं संगीत की रियाज तो हर दिन करती हूं.

अपने सिंगल गाने को लेकर कुछ कहना चाहेंगी?

-अभी इसके बारे में कुछ बताना जल्दबाजी होगी. पर यह बहुत ही फ्रेश गाना होगा. आजकल जिस तरह का संगीत युवा पीढ़ी सुनना चाहती है,वैसा ही होगा.

फिल्म‘‘गुड न्यूज’’को लेकर क्या कहना चाहेंगी?

-ढाई साल बाद फिल्म‘‘गुड न्यूज’’से मेरी वापसी हो रही है,इसलिए यह फिल्म मेरे लिए गुड न्यूज अच्छी खबर ही है. यह फिल्म ‘आईवीएफ’ तकनीक पर एक हास्य फिल्म है. इसमे दर्शकों को आईवीएफ तकनीक बारे में काफी बेहतरीन जानकारी देने का प्रयास किया गया है. पर फिल्म पूरी तरह से मनोरंजक है. फिल्म में दो दंपति डाक्टर के पास ‘आई वी एफ’तकनीक से मां बाप बनने जाते हैं,और उनके स्पर्म की अदला बदली हो जाती है. उसके बाद जो हास्य की परिस्थितियां निर्माण होती हैं,वह लोगो को हंसाएंगी.

ये भी पढ़ें- छोटी सरदारनी: अपना बच्चा या सरब और परम, किसे चुनेगी मेहर?

फिल्म‘‘गुड न्यूज’’के अपने किरदार को लेकर क्या कहना चाहेंगी?

-मैंने फिल्म‘‘गुड न्यूज’’में वरूण बत्रा यानी कि अक्षय कुमार की बहन रिचा का किरदार निभाया है,जो कि पेशे से वकील है. वह काफी समझदार है. जब स्पर्म की अदला बदली हो जाती है,तो वह अपने भाई व भाभी को कानूनी सलाह देती है. कानूनी स्तर पर उन्हें क्या करना चाहिए, कानून के हिसाब से क्या क्या हो सकता है.

आप लोग कह रहे हैं कि यह फिल्म ‘आई वीएफ’तकनीक की कहानी है. मगर आपको नहीं लगता कि यह कहीं न कहीं सरोगसी की भी कहानी है. स्पर्म की अदला बदली के बाद मसला तो सरोगसी का हो गया?

-आपने एकदम सही फरमाया. स्पर्म की अदला बदली के बाद तो पूरा मसला सरोगसी का हो गया. वैसे ‘आई वी एफ’ तकनीक का मसला बहुत संजीदा है,इसीलिए हम लोग फिल्म में इसे लेकर गंभीर बात करने की बजाय हास्य के माध्यम से बातें कर रहे हैं. हम नही चाहते थे कि इस पर हम लोग इतना गंभीर हो जाएं कि लोगो को बात समझ में न आए. मेरी नजर में इस फिल्म के निर्देशक राज मेहता में राज कुमार हिरानी जैसी बात है कि  एक गंभीर मुद्दे को लेकर किस तरह से हलके फुुलके अंदाज मंे मनोरंजक तरीके से पेश किया जाए. सच कहूं तो मैने पहले नहीं सोचा था,पर जब आपने जिक्र किया,तो मुझे भी लग रहा है कि यह सरोगसी का मसला भी है. पर जब आप फिल्म देखेंगे,तो आपको कुछ अहसास होंगे.

अब तो वेब फिल्में,सीरीज, लघु फिल्में आदि काफी बन रही हैं.  क्या इससे सिनेमा पर संकट आएगा?

-देखिए, सिनेमा का जादू कभी खत्म नही हो सकता. सिनेमाघरों में जाकर फिल्म देखने का अपना ही मजा है. वेब सीरीज या नेटफ्लिक्स सहित कुछ भी आ जाए,लोग सिनेमा घरों में जाना नहीं छोड़ेंगे.

आपके शौक?

-संगीत सुना,पढ़ना और यात्राएं करना.

यात्रा करने के लिए कहां जाना ज्यादा पसंद करती हैं?

– यूरोप मुझे ज्यादा पसंद है. क्योंकि मेरे भाई भी वहां रहते हैं . तो ज्यादातर वहां जाना होता ही है. हर वर्ष एक दो बार यूरोप जाना हो जाता है.  यूरोप में स्पेन मेरा सबसे अधिक पसंदीदा देश है. क्योंकि स्पैनिश लोगों में फैमिली वैल्यू ज्यादा है. वह पूरा परिवार एक साथ एक टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं और बातें करते हैं. वहां का मौसम भी पसंद है.  मुझे स्पेनिश भाषा बहुत अच्छी लगती है.  मैंने स्पैनिश भाषा सीखी भी है.

किस तरह की चीजें पढ़ना पसंद करती हैं?

– हर तरह की किताबें पढ़ना पसंद है. फिर चाहे वह फायनेंस हो, इकोनॉमिक्स हो या स्प्रिचुअल कहानी हो या कोई बायोग्राफी हो या फिक्शन हो.

आपने अपने हाथ पर टैटू बना रखा है?

-जी हॉं. यह मां लिखा हुआ है, इसे मैने अपनी मां के जन्मदिन पर बनाया था.

आपका फिटनेस मंत्रा क्या है?

-इस संबंध में करीना कपूर ने मुझसे बहुत अच्छी बात कही थी कि फिटनेस सप्ताह में दो दिन की बात नही है.  आपको हर दिन फिटनेस के लिए वक्त देना पड़ेगा.  वह अपने खानपान और वकर्अाउट को लेकर बहुत डिसिप्लेन अनुशासित हैं.  फिटनेस बहुत जरुरी है, फिर चाहे आप कलाकार हों या नहीं.  मैं तो हर दिन जिम जरुर जाती हूं.

मेकअप?

-जब में घर पर रहती हूं,तो बिलकुल मेकअप नही करती. इसे मैं जरुरत नही मानती. जब हमें कैमरे के समोन जाना हेा तो ही ही मेकअप की जरुरत पड़ती है,पर मैं बहुत साधारण मेकअप करती हूं. लेकिन जिम जाना हो या बाजार जाना हो,तो मेकअप नही करती. क्योंकि लोग आपको बिना मेकअप ही देखना पसंद करते हैं. लोग चाहते हैं कि परदे और निजी जीवन में अंतर बना रहे. आज की युवा पीढ़ी को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि कलाकार ने कितना मेकअप थोपा है या नही.

ये भी पढ़ें- शुभारंभ: क्या राजा-रानी के बीच बढ़ती गलतफहमियाँ कम हो पाएंगी?

सोशल मीडिया पर आप कितना व्यस्त रहती हैं?

-मैं सोशल मीडिया को तवज्जो नही देती.  मुझे नहीं लगता कि हम सोशल मीडिया के बल पर जिंदगी गुजार सकते हैं.  मेरा मानना है कि समय के साथ बदलना जरुरी है, मगर जिंदगी में सामंजस्य होना भी जरुरी है.  लोग कहते हैं कि अब फिल्मकार आपके इंस्टाग्राम फालोअर्स को देखकर आपको फिल्म के लिए चुनते हैं, तो मेरा सवाल होता है कि इंस्टाग्राम के फालोअर्स फिल्म के रिलीज पर कहां चले जाते हैं कि उनकी फिल्में बुरी तरह से असफल हो जाती है.  यह लौजिक सही नही है कि इंस्टाग्राम के फालोअर्स हैं, तो आप सफल हैं या आप लोकप्रिय हैं.  मैं मानती हूं कि सोशल मीडिया से कलाकार के स्टारडम को नुकसान पहुंचता है.  क्योंकि एक कलाकार की के इर्द गिर्द मिस्ट्री बनी रहनी चाहिए.  इसलिए रणबीर कपूर सोशल मीडिया पर नही है.

छोटी सरदारनी: फूटा हरलीन का गुस्सा, क्या परम से दूर हो जाएगी मेहर?

‘छोटी सरदारनी’ में मेहर जहां इस बात से परेशान है कि वह हरलीन की शर्त यानी अपने पेट में पल रहा बच्चा या परम और सरब के साथ जुड़ा ये नया रिश्ता, इनमें से किसे चुनें. वहीं अब हरलीन ने मेहर और उसके परिवार को परम से दूर रहने की चेतावनी भी दे दी है. आइए आपको बताते हैं हरलीन के बर्ताव की क्या है वजह…

यूवी का साथ बना परम के लिए मुसीबत

पिछले एपिसोड में हमने देखा कि यूवी की बदमाशी के कारण परम भी फंस जाता है, जिसकी वजह से स्कूल टीचर यूवी की दादी कुलवंत कौर को बुलाती है.

ये भी पढ़ें- छोटी सरदारनी: हम सबमें बसती है एक ‘मेहर’

कुलवंत कौर ने मारा स्कूल टीचर को थप्पड़

 

View this post on Instagram

 

#Precap of Monday episode. Haha Kulwant face when Sarabjeet said she will have to say sorry for her wrong deeds??? Sarabjeet my hero u simply rock?????????? This should hv been done long back but everytime Sarabjeet had overlooked or ignored Kul’s mistakes (email hack issue, etc) Now KK has done a big crime of slapping teacher which I cant accept at all as I myself is a teacher…not only a plain sorry but something more needs to b done to stop this ego of KK cz she commits crime in every seconds, ruining her own family peace, destroying Yuvi’s life?????? Reposted from @chotisarrdaarni – Precap #ChotiSarrdaarni #ColorsTV #avineshrekhi #chotisarrdaarni #colorstv #colorstvserial #sarabjeetgill #chotisardarni #kulwant #drama @cs_sarabjeet_fan

A post shared by Sara???✨? (@cs_sarabjeet_fan) on

यूवी की गलती होने के बावजूद कुलवंत कौर टीचर को थप्पड़ मार देती है, जिसकी वजह से परम और यूवी को स्कूल से निकाल दिया जाता है. वहीं इस बात की भनक जब हरलीन को लग जाती है तो वह और ज्यादा गुस्से में आ जाती है.

मेहर को कूसूरवार ठहराएगी हरलीन

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि हरलीन, सरब और मेहर, परम को स्कूल में वापस भेजने के लिए कोशिश करते नजर आएंगे तो वहीं हरलीन मेहर को चेतावनी देगी कि वह परम के मामले में न पड़े क्योंकि परम की मुसीबत का कारण वो और उसका परिवार है.

ये भी पढ़ें- छोटी सरदारनी: अपना बच्चा या सरब और परम, किसे चुनेगी मेहर?

अब देखना ये है कि क्या मेहर हरलीन की चेतावनी के बावजूद परम को स्कूल वापस भेजने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखेगी? क्या मेहर और हरलीन के रिश्ते की खटास बढती जाएगी? जानने के लिए देखते रहिए ‘छोटी सरदारनी’, सोमवार से शनिवार, रात 7:30 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

घरेलू बाजार पर कब्जे की होड़ 

देशभर के व्यापारी ई कौमर्स के खिलाफ छोटेमोटे आंदोलन कर रहे हैं और सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि इन कंपनियों पर लगाम कसे. अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां धमाकेदार विज्ञापन कर के और अभी भी बहुत भारी नुकसान सह कर बाजार पर कब्जा करने की कोशिश में हैं कि खुदरा चीजें लोग स्मार्टफोन पर देख कर ही खरीद लें.

इन ई कौमर्स कंपनियों का दावा है कि ये सस्ती चीजें दिला रही हैं, क्योंकि उत्पादक और ग्राहकों के बीच की कई कडि़यां इन के खर्र्च घटाती हैं और साथ ही ग्राहक को घर बैठे सामान पाने की सुविधा दे रही हैं.आज की अकेली व्यस्त घरेलू या कामकाजी औरत के लिए खरीदारी आसान नहीं है, क्योंकि भागमभाग में उस के पास समय नहीं रहता कि वह दुकानों के धक्के खाए. उसे लगता है कि बड़ी ई कौमर्स कंपनियां ब्रैंडेड उत्पाद ही बेचती हैं और निकट के खुदरा व्यापारी की तरह लोकल बना सामान दे कर टरका नहीं देतीं. ई कौमर्स कंपनियां ग्राहक की शक्ल देख कर व्यापार नहीं करतीं. ग्राहक छोटा हो या बड़ा, उन के लिए सब बराबर हैं.

ये भी पढ़ें- डाक्टर के बजाय चपरासी क्यों बनना चाहते हैं युवा

ई कौमर्स कंपनियां ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह घरेलू बाजार पर कब्जा कर लेंगी उस में शक नहीं है पर सही बात यह है कि खुदरा किराने की व दूसरा सामान बेचने वाले दुकानदारों ने कभी ग्राहकों की चिंता नहीं की है. वे मोटा मुनाफा अपने पूंजी निवेश के बल पर कमाते रहे हैं. आम दुकानदार की सर्विस बहुत खराब है.

हमारे देश के 90% दुकानदार तो ग्राहक को दुकान में अंदर घुसने भी नहीं देते और सड़क के साथ लगे काउंटर से ही सामान बेचते हैं. हमारे दुकानदारों में जाति का भेदभाव भी बहुत है और वे नीची जातियों वालों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं.हमारा खुदरा व्यापार संकरी व बदबूदार गलियों में चलता है, जहां सफाई तक के पैसे देने में दुकानदार हिचकता है.

हमारे खुदरा दुकानदार एक बार गल्ले में पैसे रख कर शेर हो जाते हैं और बेचे गए सामान के बारे में कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होते. ये दुकानदार बेहद अंधविश्वासी हैं और ग्राहक की जगह पूजापाठ को सफलता कामंत्र मानते हैं. ई कौमर्स कंपनियां अपनी वैबसाइटों पर जहां पूरी जानकारी देती हैं, वहीं खुदरा दुकानदार पसीने से तरबतर ग्राहक की जेब खाली कर उसे टरकानेकी कला जानता है.

ये भी पढ़ें- वीगन मूवमैंट से बचेगी धरती

दक्षिण भारत में तो कुछ बड़ी कंपनियों ने बड़े स्टोर भी बनाए थे पर उत्तर भारत के शहरों में से नदारद हैं और ग्राहक को दरवाजेदरवाजे पर भटकना पड़ता है.ई कौमर्स कंपनियां एक बार बाजार पर कब्जा होने के बाद ग्राहकों और उत्पादकों दोनों को लूटेंगी इस में संदेह नहीं है पर वे जानती हैं कि एक बार ऊंचा मंदिर बन गया तो भक्त के पास दक्षिणा देने के अलावा कोई चारा न रहेगा. अभी तो वे विधर्मी छोटे दुकानदारों को बाजार के महाभारत में पिछाड़ने में लगी हैं और बेवकूफ दुकानदारों की कृपा से जंग जीतेंगी, इस में संदेह नहीं है.

वजह: भाग-3

पिछला भाग पढ़ने के लिए- वजह भाग-2

( अब तक आप ने पढ़ा कि पिता की मौत के बाद अपनी माँ रीता देवी की दूसरी शादी करा कर निशा जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती थी मगर रीता देवी अपने नए पति कमल कुमार से दूर ही भागती रहीं. शिमला ट्रिप के दौरान अपनी बेटी निशा की सहेली के साथ कमल कुमार के अवैध रिश्ते को देख कर रीता देवी आप से बाहर हो जाती हैं. अब आगे….. )

हल्ला सुन कर कमल कुमार और कुसुम भी भी नजरें चुराते कमरे में आ कर खड़े हो गए. उन्हें देख कर रीता देवी दहाड़ उठीं, ” मुझे क्या पता था कि मेरे पीठ पीछे यह सब होता है? मेरी बेटी की सहेली मेरे पति के साथ….. ? हाय मैं मर क्यों नहीं गई यह सब देखने से पहले….. ” कहतेकहते वह जमीन पर गिर पड़ीं और फूटफूट कर रोने लगीं.

रोतेरोते भी वह कुसुम को भलाबुरा सुनाती रहीं ,”मैं ने सोचा था कि मेरी बेटी मेरी खुशियों की चिंता कर रही है इसलिए मेरी शादी कराई पर मुझे क्या पता था कि इस सब के पीछे वह अपनी सहेली की खुशियां ढूंढ रही थी. मेरी अपनी बेटी की सहेली मेरे पति के प्यार पर डाके डाल रही है. तुझे लाज नहीं आई कुसुम अपने बच्चों को छोड़ कर उस शख्स के साथ मुंह काला कर रही है जो रिश्ते में तेरे बाप जैसा है और लानत है ऐसे मर्द पर भी जिस ने एक विधवा से केवल इस लिए शादी की ताकि उस की जवान बेटी की सहेली को अपने झांसे में ले कर मजे उड़ा सके…”

“बस करो रीता। किन रिश्तो की बात कर रही हो तुम? मेरे साथ अपना रिश्ता भला कब निभाया तुम ने? हमारी शादी को 5 महीने बीत चुके हैं पर आज तक 1 दिन भी मुझे अपने करीब नहीं आने दिया। जब साथ में बैठती हो, रमेश की बातें करने लगती हो. जब मैं प्यार करना चाहता हूं तो भी रमेश बीच में आ जाता है. तुम आज भी रमेश के लिए जीती हो , रमेश के लिए सजती हो और रमेश के लिए ही रोतीहंसती हो. तो फिर मैं कहां हूं? जब तुम्हें मेरी खुशियों की परवाह नहीं तो फिर मैं तुम्हारी परवाह क्यों करूँ ? हो कौन तुम मेरी जिंदगी में ? क्या दिया है तुम ने मुझे ? क्यों की थी मैं ने शादी ? एक ऐसी औरत को अपने घर में लाने के लिए जिस के पास मेरे लिए कभी समय ही नहीं? अपने बेटे को छोड़ कर मैं यहाँ आ कर क्यों बसा? अगर ऐसे ही रहना था तो उसी के साथ क्यों न रहूं? “कमल कुमार का गुस्सा भी भड़क उठा था.

अब तक निशा भी संभल चुकी थी. मां के कन्धों को झकझोरते हुए बोली, “मां यह पुरुष जो सामने खड़ा है, इस से मैं ने आप की शादी कराई थी ताकि आप को इस के जरिए सुरक्षा मिल सके.आप का भविष्य सुरक्षित हो जाए. आप का अपना घर हो, पति हो. जरूरत के वक्त आप को किसी अपने या पैसों के लिए मेरे मोहताज न रहना पड़े। जब कि मैं जानती थी कि मैं आप के लिए कुछ नहीं कर सकूंगी। पर आप ने इन्हें अपनाया ही नहीं। मिस्टर कमल कुमार ने कितनी दफा मुझ से अपने दुखड़े रोए. मैं ने आप को समझाया पर आप नहीं समझी और फिर धीरेधीरे मिस्टर कमल की नजरें कुसुम पर गईं . उन्हें लगा लगा कि कुसुम वह स्त्री बन सकती है जो उन्हें प्यार और साथ देगी. उन की शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकेगी. मैं चाहती तो साफ इंकार कर सकती थी. कुसुम को उन से दूर कर सकती थी. पर हर बार इन्होने यह धमकी दी कि वह तुम्हें छोड़ कर चले जाएंगे। यह बात मुझे बैचैन कर देती थी. मैं गिड़गिड़ ई। आप का साथ न छोड़ने की विनती की और तब बदले में उन्होंने कीमत के तौर पर कुसुम का साथ मांगा। कुसुम भी पहले तैयार नहीं थी पर बाद में उस ने इस रिश्ते के लिए स्वीकृति दे दी. ”

“तो क्या उस ने इस वजह से…. ” रीता देवी के शब्द गले में अटक कर रह गए.

“हां मां।  आप ही बताओ क्या करती मैं? आप इन के और अपने बीच से न तो दूरियां हटने दे रही थी और न पापा को बीच में लाने से रुकी. बहुत समय तक मैं कशमकश में रही। पर अंत में यह सोच कर कि शायद समय के साथ आप बदल जाओ मैं ने इन का कहा मान लिया. इन्हें आप की जिंदगी में रोके रखने के लिए वह सब किया जो इन्होंने कहा. मैं मानती हूं कि मैं गलत हूं. कुसुम भी गलत है और मिस्टर कुमार भी गलत हैं. पर क्या अपने सीने पर हाथ रख कर आप कह सकती है कि आप गलत नहीं? गलती की शुरुआत तो आप ने ही की थी न. तो फिर हमारी तरफ उंगली उठाने से पहले अपने अंदर झांक कर देखो. अब सब आप के सामने है. आप को मिस्टर कुमार से रिश्ता रखना है या नहीं और कितना रिश्ता रखना है यह सब आप के ऊपर छोड़ कर जा रही हूं मैं. कुसुम भी कभी आप की जिंदगी में दोबारा नहीं आएगी. अब मैं आप की जिंदगी में कोई दखल भी नहीं दूंगी। पर अपना कल आप को खुद देखना है. पापा लौट कर नहीं आएंगे आप को संभालने….. इस लिए फैसला आप का है कि आप मिस्टर कुमार को माफ कर नया जीवन शुरू करेगी या तलाक ले कर … ,” अपनी बात अधूरी छोड़ते हुए निशा ने बैग उठाया और कुसुम के साथ जाने लगी. रीता देवी ने हाथ बढ़ा कर निशा को रोका और निढाल सी सोफे पर बैठती हुई बोली, “सॉरी मिस्टर कुमार…”

ये भी पढ़ें- पैंसठ पार का सफर: भाग-2

जानें क्या है वल्वा कैंसर

आमतौर पर महिलाओं को अन्य कैंसर किसी भी उम्र में हो सकते हैं, लेकिन वल्वा कैंसर 60 और उस से ज्यादा उम्र की महिलाओं को ही होता है. मगर छोटी उम्र की महिलाएं इस से अछूती ही रहें, यह भी जरूरी नहीं है. हालांकि वल्वा कैंसर बहुत आम नहीं है, लेकिन गंभीर बहुत है, क्योंकि यह एक महिला की सैक्सुअल लाइफ को प्रभावित कर सकता है. यह सैक्स को दर्दनाक और कठिन बना सकता है.

ऐसा ही कुछ अंजना के साथ हुआ. उसे योनि पर एक गांठ का एहसास होता था, लेकिन उस ने कभी इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. मगर 2 साल बाद जब परेशानी होने लगी, तो डाक्टर को दिखाया. तब पता चलता कि उसे वल्वा कैंसर है.

अंजना कहती है कि कैंसर शुरुआती स्टेज में था, इसलिए डाक्टर ने 6 हफ्ते तक रैडिएशन थेरैपी दी, जिस से वहां की त्वचा जल गई और छाले पड़ गए. इसे ठीक होने में महीनों लग गए. लेकिन अभी भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वल्वा कैंसर के ट्रीटमैैंट के बाद सैक्स करने में इतना दर्द होता है कि उस के सामने शायद आप को प्रसवपीड़ा भी कम लगे.

क्या है वल्वा कैंसर

इस बाबत डा. अनिता गुप्ता कहती हैं कि वैजाइना के बाहर जो लिप्स होते हैं उन्हें वल्वा कहते हैं और जब इन में कैंसर होता है तो वह वल्वा कैंसर कहलाता है. यह वल्वा कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस यानी एचपीवी के कारण होने वाला यौन रोग है और सैक्सुअली ऐक्टिव किसी भी महिला में संक्रमण फैला सकता है. वल्वा कैंसर जल्दी संकेत या लक्षण पैदा नहीं करता है. शुरुआत में बस सफेद पैच या खुजली होती है, जिसे महिलाएं फंगल इन्फैक्शन सम झ कर नजरअंदाज कर देती हैं और बाद में यही नजरअंदाजी उन की परेशानी बढ़ा देती है.

ये भी पढ़ें- बच्चे को चाय पिलाना अच्छा है या नहीं?

इन्हें न करें नजरअंदाज

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार यूएस में 2017 में वल्वा कैंसर के करीब  6 हजार मामले सामने आए और इन में 1,150 महिलाएं वल्वा कैंसर की उस स्टेज पर पहुंच चुकी थीं जहां इलाज संभव नहीं था. दरअसल, इन महिलाओं को इस बात का आभास ही नहीं था कि इन्हें कैंसर है. इसलिए अगर कभी आप को वैजाइना में या उस के आसपास खुजली, घाव, गांठ, वल्वा पर उभार या वल्वा छूने पर दर्द हो या फिर पानी के फफोले, पेशाब करने में दर्द हो तो इन लक्षणों को हलके में न लें.

कैसे निबटें

वल्वा कैंसर के इलाज के बहुत तरीके हैं, लेकिन यह उस के प्रकार और स्टेज पर निर्भर करता है कि कब, कौन सा इलाज बेहतर है:

रैडिएशन थेरैपी: इस प्रकार की थेरैपी में हाई ऐनर्जी लाइट निकलती है, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती है. लेकिन यह आसपास की त्वचा को काफी नुकसान पहुंचाती है.

कीमोथेरैपी: इस थेरैपी में या तो दवा के जरीए कैंसर को खत्म करने की कोशिश की जाती है या फिर कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने की.

सर्जरी: वल्वा कैंसर के इलाज का मुख्य तरीका सर्जरी है. इस इलाज का उद्देश्य वैजाइना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना इस कैंसर को दूर करना होता  है, जिस में लेजर सर्जरी, ऐक्शिसन, स्किनिंग वल्वेक्टोमी, रैडिकल वल्वेक्टोमी आदि शामिल हैं.

वल्वा मेलानोमा: इस में डार्क पैच उभरते हैं. इस प्रकार के कैंसर का शरीर के अन्य भागों में फैलने का जोखिम भी होता है और इस की इस प्रक्रिया को मैटास्टेसिस कहा जाता है और इस का असर कम उम्र की महिलाओं पर पड़ता है.

ऐडेनोकार्किनोमा: यह कैंसर ग्लैंड्युलर कोशिकाओं में शुरू होता है और इस के स्क्वैमस सैल का कार्सिनोमा के मुकाबले फेफड़ों और लिंफ नोड्स में फैलने की अधिक संभावना होती है.

ये भी पढ़ें- अपनी डाइट में शामिल करें ये चीजें, नहीं होगा कैंसर

रिकोज कार्सिनोमा: यह स्क्वैमस सैल कैंसर का एक उपप्रकार है और धीरेधीरे बढ़ने वाले मस्से के रूप में प्रकट होता है.

स्क्वैमस सैल कार्सिलोना: यह  कैंसर कोशिकाओं में होता है और धीरेधीरे फैलता है. यह अधिकतर वैजाइना के आसपास ही रहता है, लेकिन फेफड़ों, लिवर या हड्डियों में भी फैल सकता है. यह कैंसर का सब से आम प्रकार है.

सरकोमा: यह कैंसर जितना दुर्लभ है उतना ही घातक भी होता है और संयोजी ऊतक यानी कनैक्टिव टिशू में होता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें