इलैक्ट्रौनिक डिवाइस बन रहे इन्फर्टिलिटी का कारण

शादी के 4 साल तक भी जब गुप्ता दंपती के घर किलकारियां नहीं गूंजी तो उन्होंने आईवीएफ एक्सपर्ट से सलाह लेने का निर्णय लिया. वहां चिकित्सकों द्वारा न सिर्फ प्रजनन क्षमता की जांच की गई, बल्कि उनके डेली लाइफस्टाइल को भी जाना गया. इस में सामने आया कि पुरुष पार्टनर काफी व्यस्त रहता है और नाइट शिफ्ट में काम करता है. फिर चिकित्सक द्वारा लंबी जांच के बाद पता चला कि करीब 1 साल तक नाइट शिफ्ट में काम करने के कारण उन में कई बदलाव हुए, जिस का नतीजा रहा कि उस के शुक्राणुओं की संख्या और क्वालिटी का स्तर गिर गया.

वहीं महिला पार्टनर एक विज्ञापन एजेंसी और डिजिटल मार्केटिंग कंपनी में काम करती है. जिस का ज्यादातर काम डिजिटल मीडिया से जुड़ा है. उन की जांच में पाया गया कि उस के मैलाटोनिन हारमोन का स्तर घट गया है. मैलाटोनिन नींद आने के लिए जिम्मेदार होता है. अन्य परिणामों में सामने आया कि लगातार तनाव और अनिद्रा होने के कारण शरीर की कार्यशैली प्रभावित हुई जिस से कंसीव करने में दिक्कत आई. कई शोधों से पता चला है कि दरअसल कृत्रिम रोशनी प्रजनन क्षमता को काफी हद तक प्रभावित करती है. शोधकर्त्ताओं के अनुसार हाई लैवल का कृत्रिम प्रकाश शाम के समय खासकर शिफ्ट बदलने के दौरान सब से ज्यादा नींद को प्रभावित करता है, जिस से शरीर का बौडी क्लौक प्रभावित होता है. ऐसी स्थिति में दिमाग मैलाटोनिन कम स्रावित करता है.

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आजकल कृत्रिम प्रकाश का बड़ा स्रोत इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स है. ये लाइट्स मस्तिष्क में सिगनल दे कर निर्माण होने वाले हारमोन मैलाटोनिन को अव्यवस्थित कर देती हैं. शरीर में मैलाटोनिन कम बनने के कारण बौडी क्लौक अव्यवस्थित हो जाती है और इस से खासकर महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. सुप्राचियासमैटिक न्यूक्लियस (एससीएन) दिमाग का वह हिस्सा है जो बौडी क्लौक को नियंत्रित करता है. इस का पता ओसाका यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं समेत कई और शोधार्थी लगा चुके हैं. ‘जापान साइंस ऐंड टैक्नोलौजी एजेंसी’ भी साबित कर चुकी है कि आर्टिफिशियल लाइट के कारण महिलाओं में मासिकचक्र भी प्रभावित होता है.

मैलाटोनिन का महत्त्व

‘फर्टिलिटी ऐंड स्टेरिलिटी जर्नल’ में प्रकाशित शोध के अनुसार कृत्रिम प्रकाश रात में शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है खासकर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर. ऐसी रोशनी से महिला दूर रहे तो फर्टिलिटी और प्रैगनैंसी के दौरान भ्रूण में बेहतर विकास के साथसाथ सकारात्मक परिणाम भी सामने आते हैं. जब अंधेरा होता है तब हमारे शरीर में मैलाटोनिन हारमोन में पीनियल ग्लैंड से स्वत: रिलीज होता रहता है. इसीलिए यह नींद आने में भी मददगार होता है. अंडोत्सर्ग के दौरान मैलाटोनिन अंडों को सुरक्षा देता है और उन्हें क्षतिग्रस्त होने से बचाता है. इस के अलावा यह शरीर से फ्री रैडिकल्स को भी बाहर निकालता है. ऐसी महिलाएं जो कंसीव करना चाहती हैं वे कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें और अंधेरे में ही सोएं ताकि मैलाटोनिन हारमोन का निर्माण हो सके और शरीर की बायोलौजिकल क्लौक डिस्टर्ब न हो.

आजकल मोबाइल सभी इस्तेमाल करते हैं. देर रात तक इस के इस्तेमाल से नींद प्रभावित होती है और फिर अनिद्रा की समस्या हो जाती है. इस कारण तनाव का स्तर बढ़ता है और इन्फर्टिलिटी की समस्या होती है. कृत्रिम रोशनी सब से ज्यादा मैलाटोनिन के निर्माण को प्रभावित करती है, जिस के कारण नींद में बाधा आने की दिक्कत आती है. जहां महिलाओं में मासिकधर्म नियमित न होना, प्रेग्नैंसी में बाधा आना, भ्रम की स्थिति बनना और बर्थ में दिक्कत होना जैसी समस्याएं सामने आती हैं, वहीं पुरुषों में कृत्रिम रोशनी के कारण शुक्राणुओं की क्वालिटी का स्तर गिरता है.

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गर्भवती महिलाएं भी होतीं प्रभावित

इसके अलावा इलैक्ट्रौनिक डिवाइस से निकलने वाली नीली रोशनी का प्रैगनैंट महिलाओं और उन के बच्चे पर भी बुरा असर पड़ता है. अंधेरे में कम से कम 8 घंटे की नींद भ्रूण के विकास के लिए बेहद जरूरी है. अगर भ्रूण को एक तय मात्रा में मां से मैलाटोनिन हारमोन नहीं मिलता है, तो बच्चे में कुछ रोगों जैसे एडीएचडी और औटिज्म की आशंका होती है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि 8 घंटे की नींद और हैल्दी डाइट ली जाए, साथ ही कृत्रिम रोशनी से दूर रहा जाए खासकर रात में ताकि फर्टिलिटी को बेहतर रखा जा सके.

जब शुक्राणु हो जाए कम

शुक्राणु (10-15 मि/एमएल): विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 15 मि/एमएल से ज्यादा शुक्राणुओं की मात्रा सामान्य है. अगर किसी दंपती में शुक्राणुओं की मात्रा 10 मि/एमएल से ज्यादा हो तो वे आईयूआई प्रक्रिया करवा करते हैं. आईयूआई प्रक्रिया में पति के वीर्य से पुष्ट शुक्राणु अलग कर एक पतली नली के माध्यम से पत्नी के गर्भ में छोड़ दिए जाते हैं. यह तकनीक प्राकृतिक गर्भधारण जैसी ही है.

शुक्राणु (1-5 मि/एमएल): यदि1-5 मि/एमएल से कम शुक्राणु वाले आईवीएफ की अत्याधुनिक पद्धति आईसीएसआई (इक्सी) करवा सकते हैं. आईसीएसआई पद्धति में पत्नी का अंडा शरीर से बाहर निकाला जाता है. पति के वीर्य से पुष्ट शुक्राणु अलग कर लैब में इक्सी मशीन के जरीए 1 अंडे को पकड़ उस में एक शुक्राणु को इंजैक्ट किया जाता है. 2-3 दिन के अंडे भ्रूण में परिवर्तित हो जाते हैं. भ्रूण वैज्ञानिक इन में से अच्छे भ्रूण का चयन कर पतली नली के माध्यम से पत्नी के गर्भ में छोड़ देते हैं.

शुक्राणु (5-10 मि/एमएल): 10 मि/एमएल से कम शुक्राणु वाले आईवीएफ पद्धति के लिए जा सकते हैं. आईवीएफ पद्धति में पत्नी का अंडा शरीर से बाहर निकाला जाता है, पति के वीर्य से पुष्ट शुक्राणु अलग करलैबमें अंडे व शुक्राणु का निषेचन किया जाता है. 2-3 दिन में अंडे भ्रूण में परिवर्तित हो जाते हैं. भ्रूण वैज्ञानिक इन में से अच्छे भ्रूण का चयन कर पतली नली के माध्यम से पत्नी के गर्भ मेंछोड़ देते हैं.

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शून्य शुक्राणु होने पुरुषों में टेस्टिक्युलर बायोप्सी (टीईएसई) की जाती है. इस में जहां स्पर्म बनते हैं, वहां से एक टुकड़ा ले कर लैब में टिशू की जांच कर उस में स्पर्म की उपस्थिति का पता लगाया जाता है. अगर उस टिशू में स्पर्म उपलब्ध होते हैं तो इक्सी प्रक्रिया के माध्यम से इन स्पर्म से महिला के अंडाणुओं को फर्टिलाइज्ड कर भ्रूण बनाया जा सकता है. इस तरह से अपने ही शुक्राणुओं से पिता बन सकते हैं. अगर टिशू में स्पर्म नहीं मिलते हैं, तो डोनर स्पर्म की सहायता से भी पिता बन सकते हैं.

डा. आरिफा आदिल

गाइनोकोलौजिस्ट, इंदिरा आईवीएफ हौस्पिटल, नई दिल्ली

घर पर बनाएं रेस्टोरेंट स्टाइल चाउमीन

मौनसून के शुरू होते ही कईं ऐसी चीजें हैं, जिसे खाने का मन बच्चों का ही नही बड़ों का भी करती है. अक्सर लोग बाहर का खाना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन बरसात में बाहर का खाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन चाइनीज नूडल्स बाहर का ही ज्यादात्तर लोगों को पसंद आता है. आज हम आपको घर पर मौनसून में रेस्टोरेंट स्टाइल चाउमीन यानी नूडल्स की रेसिपी के बारे में बताएंगे.

हमें चाहिए

200 ग्राम फ्रेश नूडल्स

5 कप पानी

1 टी स्पून नमक

2 टेबल स्पून तेल

1 टी स्पून अदरक लहसुन पेस्ट

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1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

1/4 कप प्याज, कटा हुआ

1/2 टी स्पून सोया सौस

1 टी स्पून नमक

1/4 कप सेलेरी , टुकड़ों में कटा हुआ

1 टी स्पून सिरका

1 टी स्पून चिली सौस

1 कप हरी और लाल शिमला मिर्च

1 मशरूम

1 कप गाजर, गुच्छा

1 हरी मिर्च, टुकड़ों में कटा हुआ

1 टेबल स्पून टोमैटो सौस

1 टेबल स्पून हरा प्याज

1 टी स्पून लहसुन, टुकड़ों में कटा हुआ

1/2 टी स्पून कालीमिर्च पाउडर

बनाने का तरीका

एक पैन में पानी लें, इसमें नमक और औलिव औयल डालें और उबाल आने दें. नूडल्स डालें और पकने दें, अगर वह फ्रेश हो तो हल्का पकाएं और सूखे हो तो थोड़ा और पका लें.

इसका पानी तुरंत निकाल लें और चलते पानी में ठंडा कर लें नूडल्स पूरी तरह ठंडे हो जाएंगे. नूडल्स में एक बड़ा चम्मच तेल डालें और अगर जरूरत पड़े तो नूडल्स को छलनी में ही छोड़ दें.

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एक छोटे बाउल में गार्निशिंग के लिए सिरके में हरी मिर्च को भिगोकर एक तरफ रख दें. अब एक बड़े पैन में तेल गर्म करें और इसमें लहसुन, अदरक-लहसुन का पेस्ट और प्याज डालकर तेज आंच पर भूनें.

इसमें अब सेलेरी, मशरूम, लाल और हरी मिर्च के साथ गाजर डाले और अच्छे से भूनें. इसके बाद नमक, कालीमिर्च पाउडर, टोमैटो सौस, चिली सौस, सोया सौस और सिरका सब्जियों में डालें. अच्छे से मिक्स करें.

इसमें नूडल्स डालें और अच्छे से मिलाएं जब तक यह पूरी तरह मिक्स न हो जाएं. लाल शिमला मिर्च और सिरके वाली हरी मिर्च को इस पर डालकर गार्निश करके अपनी फैमिली और बच्चों को खिलाएं.

‘कश्मीर की कली’ हिना से जानें वेकेशन फैशन टिप्स

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक हैं हिना खान इन दिनों कश्मीर में छुट्टियां बिता रही हैं, जिसकी फोटोज हिना अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर शेयर कर रही हैं. हिना के फैशन की बात करें तो हिना कश्मीर में भी अपने लुक के लिए सोशल मीडिया में छा गई हैं. हाल ही में हिना के कश्मीर में हिना के नए-नए फैशन देखने को मिले, जिसे आप अपने वेकेशन के लिए ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको दिखाते हैं हिना के कुछ वेकेशन फैशन लुक…

1. कश्मीर के लिए परफेक्ट है ये लुक

हिना की मां ने हाल ही में उनको एक कश्मीरी जैकेट तोहफे में दी है. जिसको पहनकर हिना खान ने मम्मी के साथ जमकर सैल्फी ली. अगर आप भी हिना की तरह सिंपल के साथ-साथ फैशनेबल दिखना चाहते हैं तो हिना का ये सिंपल कश्मीरी लुक ट्राय करें.

 

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Maa❤️

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2. वेकेशन के लिए परफेक्ट है हिना का ये लुक

 

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Life is so much better when you are laughing… ??

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अगर आप भी कहीं वेकेशन मनाने जा रही हैं और अपने वेकेशन को अच्छी तरीके से एन्जौय करना चाहती हैं तो हिना का ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. हिना का कार्टून प्रिंटेड ट्राउजर और वाइट टीशर्ट आपको कम्फरटेबल के साथ-साथ कूल दिखाएगा. साथ ही ऐसे ड्रेसअप के साथ वाइट शूज आपको  वेकेशन को अच्छी तरह से एन्जौय करने में मदद करेंगे.

3. हिना की ये ड्रेस है वेकेशन के लिए बेस्ट

 

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Be careful with that look you give, it steals heart beats? She blushingly said☺️ #NoMkup #MorningPhotography

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अगर आप वेकेशन में ब्यूटीफुल और कूल दिखना चाहते हैं तो हिना की औफ स्लीव प्रिंटेड मैक्सी ड्रेस आपके लिए बेस्ट औप्शन है. आजकल मैक्सी ड्रेसेस ट्रेंड में हैं. अगर आप भी खुद को ट्रेंड में दिखाना चाहती हैं तो हिना की ये प्रिंटेड मैक्सी ड्रेस जरूर ट्राय करें. ये कम्फरटेबल के साथ-साथ ट्रेंडी भी है.

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बता दें अभी कुछ दिनों पहले ही अपने बौयफ्रेंड रौकी जायसवाल के साथ पेरिस में वेकेशन मनाती नजर आईं. वहीं उनके बौयफ्रेंड ने उन्हें रोमेटिक अंदाज में प्रपोज भी किया था. जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं.

 

 

National Lipstick Day: ट्राय करें ये कलर और पाएं एक्ट्रेसेस जैसा लुक

‘नेशनल लिपस्टिक डे’ यानी लिपस्टिक का दिन, जो आज यानी 29 जुलाई को मनाया जाता है. लिपस्टिक का फैशन आम लोगों के बीच बौलीवुड एक्ट्रेसेस के कारण बढता जा रहा. एक्ट्रेसेस अक्सर नए-नए लिपशेड में दिखाई देती हैं. वही आम लड़की की लाइफ में भी लिपस्टिक के अपने अलग मायने हैं, क्योंकि वह हर दिन इस का प्रयोग कर अपनी खूबसूरती जो बढ़ाती है. इस रेनी सीजन में कौन से शेड की लिपस्टिक लगाएं, इस बारे में एल्प्स की फाउंडर डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा कहती हैं, ‘‘भला ऐसा कौन होगा जो सुंदर रंगों को प्यार न करता हो और दूसरों की आंखों में अपने लिए प्रशंसा देखना पसंद न करता हो. जब हम लिपस्टिक की दुनिया में प्रवेश करते हैं तो हमें उस के अनेक टाइप देखने को मिलते हैं जैसे चमकदार, लंबे समय तक टिकने वाली, मैट और भी न जाने कौनकौन सी विशेषताएं लिए कई तरह की लिपस्टिक होती है. लेकिन मैं हमेशा मैट लिपस्टिक की प्रशंसक रही हूं, क्योंकि यह औफिस और कालेज जाते समय यूज करने के लिए एकदम सही ब्यूटी प्रोडक्ट है. मैट लिपस्टिक लंबे समय तक टिकने वाला ब्यूटी प्रोडक्ट है और ग्लौसी लिपस्टिक की तरह आसानी से स्मज नहीं होती है.’’ तो आइए जानें कि इस रेनी सीजन कौन सी मैट लिपस्टिक ट्राई कर सकती हैं:

गुलाबी और कोरल इंप्रैशन लिपस्टिक

करीना कपूर कभी भी अपने लिक कलर के साथ एक्सपेरीमेंट करना नहीं भूलती. पीच कलर के लिप कलर में वह कमाल लगती हैं. गुलाबी और कोरल कलर दोनों सब से अच्छे मैट लिपस्टिक कलर हैं. गुलाबी और कोरल अंडर टोन्स के साथ यह सुपर गौर्जियस शेड आप को देगा एक मस्त इफैक्ट. गरमी के बाद रेनी सीजन में इस ठंडक देने वाले एकदम सटीक  लिप कलर शेड को अपने लिए चुनें. न्यूड लुक देने वाली इस शेड की यह लिपस्टिक चूंकि कम रखरखाव मांगती है, इसलिए आप को रेनी सीजन के दौरान टचअप के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होगी.

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वैलवेट कलर मैट लिपस्टिक

मैट लिपस्टिक में वैलवेट कलर एक अलग ही लुक देता है. अब पुराने न्यूड ब्राउन कलर को छोड़ कर वैलवेट कलर को अपनाएं. फेयर कौंप्लैक्शन वाली गर्ल्स पर ही वैलवेट कलर लिपस्टिक अच्छी लगती है. आप को यह जान लेना चाहिए कि वैलवेट कलर ही वह शेड है, जो आप के लुक में फन और ग्लैमर ऐड करता है. तो बेफिक्र हो कैरी करें लिपस्टिक के इस रंग को.

पीच कार्नेशन मैट लिपस्टिक

दीपिका पादुकोण को अक्सर लाइट कलर के मैट लिपस्टिक इस्तेमाल करते हुए देखा जाता है. हर बार उनका पीच लिप कलर उनके लुक पर चार चांद लगाता दिखता है. एक और सुंदर ब्यूटी प्रौडक्ट पीच कार्नेशन मैट लिपस्टिक है. यह पिंकिश ब्राउन कलर की होती है और इसे लगाने के बाद न्यूड लुक दिखाई देता है. पीच कार्नेशन कलर एक ऐसा लिप कलर है, जो सिर्फ सांवली रंग की लड़कियों पर खास खिलता है. यह कलर बिना किसी झिझक के कालेज और औफिस में जाते समय लगाया जा सकता है. आप के हर कलर के आउटफिट के साथ यह कलर वर्क करेगा. जब आप को समझ न आए कि होंठों पर कौन सा लिपस्टिक कलर लगाएं तब आप यह कलर ट्राय करें.

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साटन जैजबेरी जैम

यह सुपर क्रीमी न्यूड लिपस्टिक कलर ऐसा रैग्युलर कलर है, जो हर स्किन टोन पर फबता है. अपने रैग्युलर स्टाइल में आप बेरी के इस लिपस्टिक कलर को ऐड कर सकती हैं. लिपस्टिक के डार्क कलर्स का अपना अलग जादू होता है.

फ्यूशिया पिंक मैट लिपस्टिक

आलिया पीच कलर के लिप कलर्स को पसंद करती हैं, लेकिन इन सब कलर्स में से वह पिंक कलर का इस्तेमाल करना सबसे ज्यादा पसंद करती हैं. कुछ तो खास है इस लिपस्टिक के रंग में. तभी तो दुनियाभर की लड़कियां इस लिपस्टिक के कलर की दीवानी हैं. यह लिपस्टिक का एक बहुत अच्छा कलर है, जो हर स्किन टोन में ग्लैमर ऐड करता है. अगर आप का रंग सांवला है तो यह शेड आप की त्वचा पर पूरी तरह सूट करेगा. इस कलर में आप डार्क से ले कर लाइट कलर तक के किसी भी शेड की लिपस्टिक को इस्तेमाल कर सकती हैं. यकीन मानिए फ्यूशिया रंग की लिपस्टिक आप के लुक को एकदम बदल देगी.

Edited by Rosy

एक बार फिर सलमान बनेंगे मामू, बहन अर्पिता के घर गूंजेंगी किलकारियां

बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान अक्सर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपने भाई और बहन के बच्चों के साथ खेलने की वीडियो डालते रहते हैं. वहीं अब खबरें हैं कि सलमान के साथ खेलने के लिए अब घर एक और नया मेहमान आने वाला है. सलमान एक बार फिर मामू बनने जा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं किसके मामू बनने जा रहे हैं इस बार सलमान…

एक बार फिर अर्पिता बनने वाली हैं मां

 

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Innocence ♥️ #thorwback#weddingtime#pheras#hyderabad#falaknumapalace#18thnov @aaysharma

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खबरों की माने तो सलमान की बहन अर्पिता खान और उनके पति आयुष शर्मा अपने दूसरे बच्चे के वैलकम की तैयारियां कर रहे हैं यानी अर्पिता खान प्रेग्नेंट हैं.

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4 साल बाद दोबारा गूंजेगी किलकारियां

 

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Happy Papa’s Day @aaysharma ! Papa the things I make you do no one else can….. thank you for being an amazing papa.♥️ u Ahil.

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सलमान की बहन अर्पिता के घर 4 साल बाद किलकारियां गूंजने वाली हैं. अर्पिता ने चार साल पहले यानी साल 2019 में बेटे आहिल को जन्म दिया था.

बांद्रा के हौस्पिटल में करवाया था चेकअप

 

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My life in one frame? My brother & My son. Thank you god for the choicest blessing ?

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मीडिया की एक रिपोर्ट की मानें तो, अर्पिता मां बनने वाली हैं। हाल ही में उन्होंने बांद्रा के एक हॉस्पिटल में अपना चेकअप करवाया था। जहां पर इस बात की पुष्टि हुई है कि, यह खबर सच है।

भांजे आहिल के साथ मस्ती करते सलमान आते हैं नजर

 

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Ahil and me time ❤

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भाईजान के इंस्टाग्राम पर कई ऐसी वीडियोज है जो इस बात का सबूत है कि, वह अपने भांजे को कितना प्यार करते हैं. सलमान अक्सर अपनी बहन अर्पिता के बेटे आहिल के साथ फोटो और वीडियो शेयर करते रहते हैं.

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Yeh Valentines Day par wishing everyone #Loveratri . @aaysharma @warinahussain @skfilmsofficial

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बता दें, सलमान के जीजा यानी आयुष शर्मा भी बौलीवुड में फिल्म लवयात्री से डेब्यू कर चुके हैं, जिसे सलमान ने खुद प्रौड्यूस किया था और अब खबरें हैं कि आयुष की दूसरी फिल्म भी सलमान प्रौड्यूस करने वाले हैं. अब देखना ये होगा कि आयुष अपनी दूसरी फिल्म से औडियंस का दिल जीत पाते हैं कि नहीं.

खुलासा: तो सिद्धार्थ मल्होत्रा को हैं इस बात का मलाल

18 साल की उम्र से मौडलिंग कर अपने करियर की शुरुआत करने वाले बौलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा दिल्ली के रहने वाले हैं. अभिनेता के रूप में उन्होंने फिल्म ‘स्टूडेंट औफ द इयर’ में काम किया जिसमें उनके काम की काफी सराहना की गयी. इन दिनों वो अपनी नई फिल्म  ‘जबरिया जोड़ी’ के प्रमोशन में बिजी हैं. जो बिहार के पकड़वा विवाह से इंस्पायर है. इस फिल्म में उनके साथ परिणीति चोपड़ा लीड रोल में नजर आएंगी. हाल ही में गृहशोभा टीम ने उनसे एक खास बातचीत की. पेश है इसके कुछ अंश.

सवाल. फिल्म जबरिया जोड़ी में आपने देसी लुक क्रिएट किया है, ये कितना मजेदार था?

मैंने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की देसी लुक, डांस फौर्म, हाव-भाव आदि सबकुछ अपनाने की कोशिश की है. ‘स्टूडेंट ऑफ़ द इयर’ फिल्म के बाद इस फिल्म में मैंने फिर से अपनी एक अलग इमेज बनाई है. हीरो के रूप में मेरी एक अच्छी एंट्री है,जिसे दर्शक पसंद करेंगे. मैं शहर से हूं और इस लुक को क्रिएट करना मेरे लिए चुनौती थी. सीरियस भूमिका से हटकर मैंने एक अलग काम किया है. दो महीने की ट्रेनिंग मैंने की है. ऐसी रंगीन भूमिका करने में बहुत मजा आया.

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सवाल. बिहार के पकड़वा विवाह के बारें में आपको जानकारी कितनी थी और आपने इस पर कितनी रिसर्च की है?

मैंने कई बार लोगों को कहते हुए सुना था कि जबरिया शादी करवा देंगे, जो मजाक में कही जाती थी. जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी, तो काफी बातें और मालूम पड़ी. ये एक रियल और सीरियस इशु है. जिसे निर्माता निर्देशक ने मजेदार तरीके से बताया है. शोध करने पर पता चला कि पिछले साल बिहार और उत्तर प्रदेश में करीब 200 ऐसे मामले दर्ज हुए थे. दहेज को हटाने के लिए वहां ऐसे विवाह होते है जो सही नहीं है. उम्मीद है कि इस फिल्म से दर्शकों को कुछ सीख मिले.

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सवाल. आपकी नजर में बौलीवुड की सबसे अच्छी जोड़ी कौन-कौन सी है और आप अपने लिए किस तरह का पार्टनर चाहते है?

सैफ और बेबो की जोड़ी सबसे अच्छी है. मैंने उनके साथ काफी समय बिताया है. उनका कम्फर्ट लेवल और बातचीत करने का ढंग बहुत उम्दा है. मैंने अपने पार्टनर के लिए कोई क्राइटेरिया (मापदंड) नहीं बनाया है. मैं बहुत ही सिंपल पार्टनर बनूंगा. ये बताना मुश्किल होता है कि कब किसी से आप प्यार करने लगते है. इसके अलावा मैं शादी में बिलीव करता हूं, क्योंकि मेरे माता-पिता ने एक साथ 40 साल बिताएं है और मैं उनका सम्मान करता हूं.

सवाल. आप अपनी जर्नी से कितने संतुष्ट है? आगे क्या ड्रीम है?

मैं अपनी जर्नी से संतुष्ट नहीं हूं. मैंने अभी यादगार काम नहीं किया है. मैंने जितनी भी फिल्में की हैं. उनमें कुछ चली और कुछ नहीं चली लेकिन मैं इस बात से मायूस नहीं हूं. बल्कि उसे एक मोटिवेशन बनाकर आगे निकलता हूं. मैं एक सुपर हीरों की भूमिका करना चाहता हूं. इसके अलावा एक आइकोनिक भूमिका करने की इच्छा है, ताकि लोग मुझे सालों साल याद रखे.

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सवाल. फिल्म सफल न होने पर उस तनाव से कैसे निकलते है?

फिल्म के न चलने पर उसे लेकर मैं अधिक नहीं सोचता. किसी भी फिल्म के बारें में पहले से सोचना संभव नहीं होता. फिल्म ‘विलेन’ से इतनी सफलता मिलेगी, मुझे पता नहीं था. ऐसे में परफोर्मेंस सही हो, इसकी कोशिश मैं करता हूं. फिल्म चले या न चले एक एक्सेप्टेंस की जरुरत कलाकार के लिए होती है. अगर किसी मेगा स्टार की जर्नी को देखे, तो किसी के भी हाथ में हर फिल्म का सफल होना संभव नहीं. असफलता आपका बचपना निकाल देता है. मेरे साथ भी वही हुआ है. अब समझदारी थोड़ी बढ़ चुकी है. असफलता से डरना उचित नहीं.

सवाल. क्या लाइफ में कोई मलाल है?

मैं परिवार से अलग मुंबई में रहता हूं, उसका मलाल है. काश मेरा परिवार यहां रहता, तो अच्छी बात होती. मेरी कोशिश है कि उन्हें यहां ले आउं, ताकि समय मिलने पर उनके साथ कुछ पल गुजार सकूं.

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सवाल. चंद्रयान 2 का सफल प्रक्षेपण हुआ है, आप इससे कितना खुश है और स्पेस से कितना वाकिफ है?

एक नागरिक के हिसाब से मैं बहुत खुश और गर्वित हूं और इस तरक्की को अच्छा समझता हूं. देखा जाय तो पूरी दूनिया में सब देश के लोग बराबर ही दिखते है. फिर चाहे वह अमेरिका, पाकिस्तान या भारत हो, लोग वही है. मुझे इस बात से ख़ुशी है कि हमारे देश में इस तरह के प्रतिभावान और तकनीकों से परिपूर्ण वैज्ञानिक है, जिन्होंने एक मिशन को अंजाम दिया और विश्व में जगह बनायीं. मुझे अन्तरिक्ष के बारें में जानना और सुनना बचपन से पसंद है.

एडिट बाय- निशा राय

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सारा की ये अदाएं देख शरमा गए कार्तिक तो भाई इब्राहिम नहीं रोक पाए हंसी

बौलीवुड में फिल्म केदारनाथ से डेब्यू करने वाली सारा अली खान इन दिनों अपनी और कार्तिक आर्यन की दोस्ती को लेकर सुर्खियों में हैं. हाल ही दिल्ली में चल रहे इंडियन कुट्यौर वीक 2019 में चल रहे फैशन शो में सारा रैम्प करती नजर आईं. वहीं सारा के भाई इब्राहिम अली खान के साथ उनके खास दोस्त कार्तिक आर्यन शो को एन्जौय करते नजर आए. खास बात ये है कि इस शो से जुड़ा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें भाई इब्राहिम जहां सारा को देखकर हंसते नजर आ रहे हैं. तो वहीं कार्तिक शरमाते हुए नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं सारा का वायरल वीडियो…

फैशन वीक के रैम्प पर उतरीं सारा  

 

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दिल्ली में इन दिनों इंडियन कुट्यौर वीक 2019 फैशन शो चल रहा है, जिसमें एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा, कृति सेनन से लेकर कियारा आडवाणी रैंप वौक पर उतरीं.

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भाई इब्राहिम और खास दोस्त भी सारा की परफौर्मेंस को एन्जौय करते आए नजर

 

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इस दौरान सारा के भाई इब्राहिम अली खान और दोस्त कार्तिक आर्यन औडियंस में सारा अली खान की परफौर्मेंस को एंजौय करते नजर आए, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है

सारा को देख शरमाते नजर आए कार्तिक

 

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#kartikaaryan and #ibrahimalikhan surprise #saraalikhan as she walked the ramp tonite in the capital #viralbhayani @viralbhayani

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रैम्प पर लहंगे में नजर आईं सारा

 

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#saraalikhan walks for @falgunishanepeacockindia

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सारा अली खान फालगुनी शेन पिकौक के शो में रैंप वौक करने के लिए पहुंची थीं. इस शो में उन्होंने सिल्वर कलर का लहंगा पहना था. जिसे सिल्वर बेल्ट के साथ कैरी किया था. मेकअप की बात करें तो वह काफी न्यूड हुआ था और बाल खुले थे. सारा अली खान जैसे ही रैंप वौक पर उतरीं अपने ग्लैमरस और खूबसूरत अंदाज से पूरी लाइमलाइट अपने नाम कर ली.

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बता दें, बहुत जल्द फिल्म ‘लव आज कल 2’ में सारा और कार्तिक की जोड़ी नजर आने वाले हैं, जिससे पहले ही फैंस के बीत उनकी जोड़ी हिट हो रही है. कुछ दिनों पहले सारा और कार्तिक की शूटिंग के दौरान क्वौलिटी टाइम स्पैंड करते हुए नजर आईं.

अर्जुन पटियाला फिल्म रिव्यू: हंसाने की बजाय रूलाती है…

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः भूषण कुमार और दिनेश वीजन

निर्देशकःरोहित जुगराज

कलाकारः दिलजीत दोशांझ, कृति सैनन, सीमा पाहवा,वरूण शर्मा.

अवधिः एक घंटा 47 मिनट

इन दिनों बौलीवुड में हास्य के नाम पर कुछ भी परोसा जाने लगा है.इसके पीछे फिल्मकारों की एकमात्र सोच यही रहती है कि दर्शक तो सिर्फ मनोरंजन करने थिएटर के अंदर आता है. मगर वह भूल जाता है कि दर्शक स्वस्थ मनोरंजन के  साथ एक अच्छी कहानी देखना चाहता है. दर्शक को बेसिर पैर की कहानी और घिसे पिटे चुटकुले नही चाहिए. मगर अफसोस की बात यह है कि फिल्म ‘‘अर्जुन पटियाला’’ के निर्देशक ने बेसिर पैर की कहानी व घिसे पिटे चुटकुले परोसकर दावा कर रहे है कि उन्होने एक हटकर अच्छी फिल्म बनायी है. इस फिल्म के ट्रेलर से फिल्म को लेकर जो उम्मीदें बंधी थीं, वह उन उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतरती. दिलजीत दोसांझ, वरूण शर्मा व कृति सैनन जैसे कलाकार भी इस फिल्म को तहस नहस होने से नही बचा पाए.

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कहानीः

पंजाब के फिरोजपुर इलाके में हंैडसम पुलिस अफसर यानी कि एसीपी अर्जुन पटियाला(दिलजीत दोशांझ)को थाना प्रभारी नियुक्त करके भेजा जाता है.वह अपने गुरू आईपीएस गिल (रोनित रौय)के नक्शे कदम पर चल कर पूरे इलाके को अपराध मुक्त बनाना चाहता है.उसका एक सहायक है डीसीपी ओनीडा सिंह  (वरूण शर्मा),जो उसके हर काम का भागीदार है.अर्जुन पटियाला को जहां टीवी चैनल रिपोर्टर रितु रंधावा (कृति सैनन)भाव देती है,वहीं ओनीडा को इलाके की कोई भी लड़की घास तक नहीं डालती.इसलिए वह भैंस को ही अपनी पे्रमिका बना लेता है. अर्जुन पटियाला फिरोजपुर इलाके को अपराध मुक्त करने के लिए सबसे पहले टीवी पत्रकार रितु रंधावा से  क्षेत्र के गुंडो की जानकारी हासिल करता है.फिर उन्हें आपस में ही भिड़ा कर उनके खात्मे की जुगत लड़ाता है.जबकि उस क्षेत्र की एमएलए प्राप्ति मक्कड (सीमा पाहवा   )सारे गुंडों का सफाया करके खुद सबसे बड़ी माफिया डौन बनने का सपना देख रही हैं.उसके रास्ते के सभी कांटों को अर्जुन और ओनीडा हटाते जाते हैं.लेकिन अपनी गुंडाई के दम पर पैसों की उगाही करने वाला गुंडा सकूल  (मोहम्मद जीशान अयूब)कुछ ज्यादा चालाक साबित होता है.

लेखन व निर्देशनः

बेसिर पैर की कहानी,घिसे पिटे जोक्स,अति कमजोर कहानी का मुरब्बा है फिल्म ‘‘अर्जुन पटियाला’’. निर्देशक के तौर पर रोहित जुगराज भी बुरी तरह से परास्त हुए हैं.

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अभिनयः

पूरी फिल्म में कृति सैनन के पास संुदर दिखने के अलावा कुछ करने को रहा ही नही.पंकज त्रिपाठी,मोहम्मद जीयान अयूब व सीमा पाहवा की प्रतिभा को जाया किया गया है.दिलजीत दोसांझ व वरूण शर्मा निराश करते हैं.दिलजीत दोशांझ ने पुलिस अफसर अर्जुन पटियाला को एकदम बनावटी बना दिया है.वरूण शर्मा तो हर दृश्य में अपने आपको दोहराते हुए नजर आए हैं.

जैंडर इक्वैलिटी हल्ला ज्यादा तथ्य कम

सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक उच्चस्तरीय बैठक में ‘ऐजैंडा 2030’ के अंतर्गत 17 सतत विकास लक्ष्यों को रखा गया, जिसे भारत सहित 193 देशों ने स्वीकार किया. इन लक्ष्यों में लैंगिक समानता को भी शामिल किया गया था.

हमेशा से इस बात का हल्ला मचता रहा है कि समाज के विकास के लिए लैंगिक समानता बहुत जरूरी है. इस में कोई दोराय नहीं कि स्त्रीपुरुष के बीच सोचसमझ कर भेदभाव की एक खाई बनाई गई है. महिलाओं को समान अधिकार और उचित स्थान प्राप्त नहीं है जिस की वे हकदार हैं.

वर्ल्ड इकानौमिक फोरम द्वारा 2017 के ग्लोबल जैंडर गैप इंडैक्स की बात करें तो भारत 144 देशों की सूची में 108वें नंबर पर आता है.

डब्ल्यूईएफ ने पाया कि मौजूदा समय में जिस दर से सुधार किए जा रहे हैं उस हिसाब से दुनियाभर के सभी क्षेत्रों में मौजूद स्त्रीपुरुष असमानता अगले 108 वर्षों में भी दूर नहीं की जा सकेगी. दफ्तरों में तो यह असमानता खत्म करने में 202 साल लगने की संभावना है.

स्त्रीपुरुष समानता की हम भले ही कितनी भी बातें कर लें, मगर इस सच से इनकार नहीं कर सकते कि ऐसे कई तथ्य हैं, बातें हैं जो स्त्रियों को कमजोर बनाती हैं या फिर जिन की वजह से वे औफिस को कम समय दे पाती हैं और इस से तरक्की के अवसर भी कम होते जाते हैं.

कुदरत द्वारा किए गए इस भेदभाव को हम चाह कर भी नकार नहीं सकते. जिन महिलाओं ने इन्हें नकारा वे आगे बढ़ीं. उन्हें बढ़ने से रोका नहीं गया. मगर उन्हें अपवाद ही कहा जा सकता है. सामान्य जीवन में स्त्रियों को आगे बढ़ने में काफी अड़चनों का सामना करना पड़ता है.

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प्रैगनैंसी और चाइल्ड केयर

कुदरत ने स्त्री को मातृत्व का सुख दिया है तो साथ में 9 महीने बच्चे को कोख में रखने और फिर दूध पिला कर उसे बड़ा करने की जिम्मेदारी भी दी है. इस दौर से सामान्यतया हर स्त्री को गुजरना होता है. कम से कम जीवन में 2 बार एक महिला गर्भावस्था व 1-2 बार गर्भपात के दौर से गुजरती है. इस दौरान वह कितना भी प्रयास कर ले, दफ्तर में काम करने के बजाय उस के लिए अपने शरीर और घरपरिवार के प्रति जिम्मेदारियां निभाना ज्यादा जरूरी हो जाता है.

बच्चा जब तक छोटा होता है उस की नैपी बदलने से ले कर दूध पिलाने तक का सारा काम एक मां ही करती है. पिता भले ही बच्चे को ऊपर का दूध पिला कर पाल ले, मगर यह एक समझौता ही होगा. बच्चे को अच्छी सेहत और बेहतर पोषण मां के दूध से ही मिलता है. इसी तरह नैपी बदलने का काम मां जितना बेहतर निभा सकती है पिता या घर के दूसरे सदस्य नहीं.

जाहिर है, बच्चे के जन्म से ले कर उस के थोड़ा बड़ा हो जाने तक मां को पूरी सावधानी से अपने कर्तव्य निभाने होते हैं. इस दौरान स्वाभाविक है कि वह औफिस में ज्यादा बेहतर परफौर्मैंस नहीं दे पाती. वह बच्चे को छोड़ कर औफिस की मीटिंग्स के लिए आउट औफ टाउन नहीं जा सकती या फिर लेटनाइट औफिस में रुक नहीं सकती जबकि उस का पति यानी पुरुष इस दौरान भी हर जगह आ जा सकता है और हर तरह के काम कर सकता है.

पीरियड्स के दौरान महिलाओं की तकलीफ

महिलाओं के जीवन में महीने में 4 दिन पीरियड्स के नाम होते हैं. इस दौरान उन्हें दर्द और तकलीफ का सामना तो करना ही होता है, बारबार पैड्स बदलने और सफाई रखने के झंझट से भी गुजरना पड़ता है. यही नहीं पीरियड्स से

7 दिन पहले से उन्हें पीएमएस (प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम) की परेशानी भी हो जाती है, जिस के तहत फीमेल हारमोन ऐस्ट्रोजन और फीलगुड ब्रेन कैमिकल सिरोटिन का स्तर कम होने से मूड खराब और चिड़चिड़ाहट रहने लगती है. न चाहते हुए भी इन दिनों उन के काम पर थोड़ा असर तो पड़ता ही है.

मसल्स और हड्डियों की मजबूती

कुछ महिलाएं भले ही अच्छे खानपान और व्यायाम द्वारा अपने शरीर को स्ट्रौंग बना लें या पहलवान और खिलाडि़न बन जाएं, मगर सामान्य रूप से देखा जाए तो स्त्री के मुकाबले पुरुष का शरीर स्वाभाविक रूप से मजबूत और ताकतवर होता है.

पुरुष भारी से भारी काम एक झटके में कर सकते हैं. इसी तरह दौड़भाग और धूप, धूलमिट्टी में घूमना या सुनसान सड़कों से गुजरना जैसे काम भी स्त्रियों के मुकाबले पुरुष ही बेहतर निभा सकते हैं.

घर वालों की सेवा

यदि परिवार में कोई बीमार है तो हम स्त्री की ओर ही देखते हैं. बीमारी व्यक्ति को खाना खिलाना, देखभाल करना, नैपी बदलना जैसे काम औरत ही बेहतर कर सकती है. इसी तरह जब औफिस में किसी के साथ लड़ाईझगड़ा करने या दम दिखाने की नौबत आती है तो पुरुष को आगे किया जाता है, क्योंकि पुरुष स्वभाव और शरीर से रफ ऐंड टफ होते हैं जबकि महिलाएं कोमल होती हैं.

मेकअप और फैशन

चाहे हम जितनी भी बात कर लें मगर

इस हकीकत से इनकार नहीं कर सकते हैं

कि महिलाओं को अपने मेकअप, ड्रैस और

दूसरे फैशन करने, बाल व नाखून संवारने या

फिर ऐक्सैसरीज पहनने में पुरुषों के मुकाबले

बहुत ज्यादा समय लगाना पड़ता है. इसी तरह औफिस जाना हो या मीटिंग के लिए तैयार होना हो, स्त्रियों को स्वाभाविक रूप से अधिक समय लगता है.

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सफाई का ज्यादा खयाल

महिलाएं अपनी साफसफाई का ज्यादा खयाल रखती हैं. कुदरती रूप से भी उन के लिए ऐसा करना जरूरी होता है. पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को यूरिन इन्फैक्शन ज्यादा होता है. वे किसी भी जगह शौच या यूरिन के लिए नहीं जा सकतीं. उन के शरीर की बनावट ही ऐसी होती है कि उन्हें इन्फैक्शन का खतरा ज्यादा होता है. ट्यूब यूरेथ्रा की बनावट स्त्रियों में पुरुषों की तुलना में छोटी होती है. इस से बैक्टीरिया आसानी से ब्लैडर तक पहुंच जाते हैं, जिस से इन्फैक्शन की संभावना रहती है.

हारमोनल परिवर्तन

महिलाओं और पुरुषों में न सिर्फ शरीर की बनावट में अंतर होता है, बल्कि उन की शारीरिक जरूरतों में भी फर्क होता है. एक महिला के शरीर में समयसमय पर हारमोन संबंधी कई बदलाव होते हैं.

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महिलाओं में मेनोपौज शुरू होने से पहले की अवस्था को पैरिमेनोपौज कहते हैं. यह 35 साल की उम्र से भी शुरू हो सकती है. इस समय स्त्री का हारमोन लैवल बहुत ऊपरनीचे होता है, जिस से अनिद्रा, मूड स्विंग्स और चिंता की शिकायत हो सकती है. इस के बाद जब अधेड़ावस्था में मेनोपौज का समय आता है तो महिलाओं को और भी ज्यादा हारमोनल समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

 ब्रैस्टफीडिंग छुड़ाने के बाद ऐसे रखें बच्चे को हेल्दी

हमेशा मातापिता निश्चित समय के बाद बच्चे से ब्रैस्टफीडिंग छुड़ाने की सोचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस में देर होने पर बच्चे का विकास धीमा पड़ सकता है. लेकिन पेरैंट्स को मालूम होना चाहिए कि 4 महीने से कम उम्र के बच्चे में जरूरत के हिसाब से पाचक ऐंजाइम नहीं बनते. वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन के मुताबिक शिशुओं को 6 महीने तक केवल ब्रैस्टफीडिंग ही कराना चाहिए. उस के बाद ब्रैस्टफीडिंग छुड़ाना शुरू किया जा सकता है. अलगअलग उम्र में अपनी शारीरिक वृद्घि के पड़ावों तक पहुंचने के संदर्भ में हर बच्चा दूसरे से अलग होता है. यही बात मां का दूध छुड़ाने की तैयारी में भी लागू होती है.

ब्रैस्टफीडिंग छुड़ाने से पहले इन बातों पर ध्यान दें कि क्या बच्चा बिना किसी सहारे के अच्छी तरह बैठ सकता है? उस ने चबाना और जीभ के जरिए खाने को मुंह में पीछे ले जाना सीख लिया है? अपने हाथ से खाने की चीजों को मुंह तक पहुंचाने में समर्थ है? जब तक बच्चा इन संकेतों को नहीं दिखाता है तब तक ब्रैस्टफीडिंग छुड़ाने का इंतजार करें.

शुरुआत में क्या खिलाएं

– पचाने में आसान और मुलायम टैक्स्चर वाला खाना दें.

– बच्चे पर बहुत बोझ न डालें. उस के अंग पूरी तरह विकसित नहीं होते. वह केवल इमल्सीफाइड फैट और सरल कार्बोहाइड्रेट ही पचा सकता है.

– जब बच्चा खिसकना शुरू करने लगे तो उसे विभिन्न किस्म के शिशु खा- पदार्थ देने की आवश्यकता होती है, जो उस की वृद्धि के लिए पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं.

– ब्रैस्टफीडिंग छुड़ाने के बाद शिशु के खाने में नमक या चीनी न मिलाएं. शुरुआत में मीठे स्वाद के लिए चीनी के अधिक इस्तेमाल से बचा जाता है.

– चावल बच्चों को खिलाया जाने वाला पहला भोजन होना चाहिए, क्योंकि यह भोजन ग्लूटन मुक्त है और आसानी से पचता है. इस के बाद अनाज एवं दालें खिलाना शुरू करें, क्योंकि ये अमीनो ऐसिड की कमी को पूरा करती हैं.

– दूध छुड़ाने के दौरान बच्चा यदि सब्जियों और फलों के संपर्क में नहीं आता है तो उस के इन स्वादों को बाद में स्वीकार करने की संभावना नहीं होती है.

– कुपोषण रोकने के लिए उसे ऐनर्जी, आयरन, जिंक और विटामिन ए से भरपूर खाने की अधिक आवश्यकता होती है.

– एलर्जी की जांच करें. भोजन विशेष के प्रति किसी रिएक्शन की पहचान के लिए एक समय में एक भोजन दें.

इम्यून सिस्टम का विकास

6 महीने तक बच्चा अकसर बीमार पड़ता है, क्योंकि उस की कीटाणुओं से लड़ने की ताकत कम होती है. इसलिए तय करें कि क्या दूध छुड़ाने के लिए तैयार खाना साफसफाई और शुद्धता से रखा और खिलाया जा रहा है.

ग्रोथ पर निगरानी रखें

ग्रोथ के वर्षों के दौरान खराब पोषण से तत्काल वृद्घि दर बाधित होती है. अगर इस उम्र में बच्चों में कुपोषण होता है, तो उन के वयस्क होने पर भी यह बना रह सकता है और उन की समझने और बच्चे पैदा करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है. उन के खाने की आदतों और वृद्धि दर पर मासिक निगरानी रखें.

-विस्मिता यशवंत

न्यूट्रिशनिस्ट, प्रिस्टीन और्गेनिक्स

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