औडियंस के लिए स्ट्रेसबस्टर बन रहें हैं सुनील

सुनील ग्रोवर ने अपने करियर की शुरुआत 90 के दशक में टीवी शो फुल टेंशन में दिवंगत कौमेडियन जसपाल भट्टी के साथ की थी. बहुत कम लोगों को पता था कि इन वर्षों में, वह न केवल हमारे देश के सबसे पसंदीदा कौमेडियन में से एक बन जायेंगे, बल्कि लोगों को गंभीर तनाव और पुराने अवसाद से उबरने में भी मदद करेंगे. जब एक्टर हाल ही में दुबई में  एक लाइव स्टेज परफौर्मेंस के लिए तैयार थे तब  एक महिला उसके पास गई, और उन्हें खुद को टेंशन से  बाहर निकालने के लिए  “धन्यवाद” कहके सुनील को आश्चर्यचकित किया. “एक एक्टर के रूप में, खुदको  को दूसरों के जीवन पर होने वाले प्रभाव का एहसास नहीं होता है क्योंकि हम ज्यादातर स्टूडियो जैसे बंद वातावरण में काम कर रहे होते है, लेकिन जब आप लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाते हैं, तो यह बहुत सुंदर होता है. ”

सलमान के साथ आए थे नजर

 

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A fan moment for me ❤️

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एक्टर जो आखिरी बार सलमान खान के साथ भारत में देखे गए, यह बताते  है कि यह उनके साथ पहली बार नहीं हुआ है. “कुछ दिन पहले, मैं एयरपोर्ट लाउंज में एक उड़ान पकड़ने के लिए इंतजार कर रहा था जब एक महिला मेरे पास आई और यह स्वीकार किया कि उसे 100 मिलीग्राम डिप्रेशन की गोलियां मिलती हैं, मेरे टीवी के कारण अब यह अब 10 मिलीग्राम तक कम हो गई है. शो और लाइव एक्ट करते समय के साथ मैंने महसूस किया है कि हास्य लोगों को तनाव से दूर करता  है.

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कौमेडी है लोगों के लिए एक दवा- सुनील

 

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Uff yeh moonchh …!

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सुनील ने कहा- मेरे लिए, कौमेडी एक दवा है और जो आपको हंसाती है, वह एक फार्मेसी है, “उन्होंने कहा. ऋषि कपूर से लेकर अक्षय कुमार और वरुण धवन तक, कई पीढ़ियों के एक्टरओं ने माना है कि एक एक्टर के लिए सबसे मुश्किल काम लोगों को हंसाना है. “हां, कौमेडी मुश्किल है और एक कौमेडियन होना कठिन है,” वह स्वीकार करते हैं. जब उनसे पूछा गया की वह कौमेडी में कैसे आये, और वह जवाब देते  है की , “यह स्वाभाविक रूप से मेरे अंदर से आता है, एक बच्चे के रूप में मेरे  परिवार के सदस्यों और शिक्षकों की नकल करता था और धीरे-धीरे चौराहों की प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया था और मुझे पता चले  इससे पहले, यह मेरा पेशा बन गया था, “वह मुस्कुराता है.  “मैंने बहुत कम उम्र में एक्टर बनने का फैसला किया और मैंने आठवीं कक्षा में प्रतियोगिता में भाग लिया था. मुझे अपने प्रदर्शन को सात मिनट तक सीमित करना था, लेकिन समय का ध्यान नहीं रहा. मुझे चेतावनी की घंटी भी नहीं सुनाई दी क्योंकि मैं केवल अपने सामने बैठे लोगों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था जो हंस रहे थे. मुझे अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि मैं 12 मिनट के लिए मंच पर था, लेकिन मुझे लगता है कि मेरी सबसे बड़ी जीत है क्योंकि मैं दर्शकों को इतने लंबे समय तक पकड़ सकता था, “वह यह याद करते हुए कहते हैं कि तब  उन्हें हास्य की शक्ति का एहसास हुआ. “मुझे अभी भी उस चरित्र का नाम, मरियाल सिंह पिसादिरम याद है.”

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सुनील ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें कैप्शन “डी 3” लिखा हुआ था, जिसमें उन्होंने सलमान के पुलिस-ड्रामा, दबंग 3 मैं भी नज़र आएंगे “|

चढ़ावे के बदले प्यार पाने का धार्मिक तरीका

पुराणों, गीता, कुरान, बाइबिल जैसे धर्म ग्रंथों को व्यापार का माध्यम कहा जाए या कोई नैतिक शिक्षा ग्रहण करने का माध्यम? आज देखा जाए तो हमारे देश में ईश्वर के नाम पर सब से बड़ा धंधा पनप रहा है. अगर व्यापार करना ही है तो धर्म के नाम पर क्यों? क्यों लोग इन ग्रंथों को पढ़ते और सुनते हैं, जब आज के युग से इस का कोई मतलब ही नहीं है. ईश्वर के नाम पर एक इंसान दूसरे इंसान को लूट कर चला जाता है. धर्म के नाम पर मारापीटा जाता है. हमारे ग्रंथों में असल में यही लिखा गया है.

दरअसल, एक धार्मिक कथा जिस में एक पत्नी ने अपने पति का प्रेम पाने के लिए अपने पति का ही दान कर दिया, यह कथा पौराणिक है पर आज भी सुनाई जा रही है. फेसबुक पर आध्यात्मिक कहानियों के पेज पर पोस्ट इन कथाओं को काफी लाइक्स भी मिले हैं. क्या आज के युग, आज के समय, आज के लोगों से उस युग की कथा का कोई संबंध है?

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यह कहानी कृष्ण लीला से संबंधित है, उसी कृष्ण से जिस ने गोपियों के साथ रासलीला कर के स्नान के वक्त गोपियों के कपड़े चुरा लिए थे. कहानी का प्रारंभ का वाक्य है कि कृष्ण की 16008 पत्नियों में रानी होने का दर्जा सिर्फ

‘8’ को ही था. यह किसी भी युग में स्वीकार न होगा पर आज के समय उस का बखान इस तरह के वाक्य से करना गलत है.

लालच और ईर्ष्या

आज के युग में अगर एक पत्नी के होते हुए भी आप दूसरा विवाह करते हैं तो हमारा समाज और कानून भी उसे गुनहगार मानता है, क्योंकि आज के समय में समाज और कानून दोनों ही इस के विरुद्ध हैं. आज तो पहली पत्नी भी पुलिस थानेदार से ज्यादा उग्र हो बैठेगी, ऐसे में सत्यभामा की कहानी को कहकह कर एक से ज्यादा औरतों से संबंध को महिमामंडित क्यों किया जा रहा है?

कहानी में कहा गया है कि कृष्ण की 2 रानियों का नाम था सत्यभामा और रुक्मिणी. सत्यभामा को घमंड था कि कृष्ण उस से ही सब से अधिक प्रेम करते हैं. लेकिन जहां प्रेम है वहां सिर्फ सकारात्मकता ही होती है, जहां नकारात्मकता आ जाए वह प्रेम सच्चा हो ही नहीं सकता. वैसे यह गर्व की बात है घमंड की नहीं. पर कहानी में लेखक कहते हैं कि कृष्ण के इतने प्रेम करने के बावजूद भी सत्यभामा को और प्रेम चाहिए था और यह प्रेम सत्यभामा के जीवन में लालच और ईर्ष्या का रूप ले चुका था जो इतना बढ़ गया था कि सत्यभामा ने कृष्ण को ही दान में दे दिया.

कहानी में लेखक कहता है कि नारद को जब इस बारे में पता चला तो उस का काम तो वैसे ही पूरे देवलोक में संचार करना था, अब वह चुगली के रूप में हो या संचार के रूप में, क्या फर्क पड़ता है? नारद जैसे चरित्र की आज के युग में प्रशंसा करना ही गलत है पर कहानियों के माध्यम से उसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है. नारद ने सत्यभामा को अपने जाल में फंसा ही लिया और कहा कि उसे तुलाभ्राम व्रत करना चाहिए, जिस से श्रीकृष्ण का प्रेम सत्यभामा के प्रति कई गुणा बढ़ जाएगा.

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बेसिरपैर की कहानी

अगर आप आज इस व्रत की पूरी विधि तार्किक मन से सुनेंगे तो चकित हो जाएंगे. इस व्रत की पूरी विधि में नारद ने बताया कि पहले कृष्ण को दान कर के और फिर वापस पाने के लिए कृष्ण के वजन के बराबर का सोना देना होगा. यदि सत्यभामा यह काम पूरा करने में असफल हुई तो कृष्ण नारद के गुलाम बन जाएंगे. प्रेम का सौदा करने का पाठ कौन पढ़ा सकता है? यह तो एक तरह का जुआ है. यहां पर पौराणिक कथा के रूप में यह भी दिमाग में बैठा दिया जाता है.

अगर नारद के इस खेल को दूसरे नजरिए से देखें तो इस युग में सच में सब मोहमाया है. आज भी नारद आप को हर घर, हर मंदिर, मसजिद में बैठा दिखेगा. कहीं फकीर के रूप में, कहीं पंडित बन कर, तो कहीं केसरिया चोला पहन कर. कोई चंदन का तिलक लगा कर टीवी पर सुबहसुबह ज्ञान बखेरता है.

इस तरह की कहानियों का इतना असर है कि किसी का कोई काम पूरा नहीं हो रहा. उस पर मेहनत करने के बजाय हम हाथों की रेखाएं दिखाना जरूरी समझते हैं और हाथ देख कर भविष्य बताने वाला आप का कल और साथ में हर तकलीफों का हल आसानी से बता कर झोला लिए गलीगली घूमता है. क्यों इन के जीवन में ठहराव नहीं है?

सत्यभामा को पे्रम कृष्ण ही दे सकते थे नारद नहीं, यह बात सत्यभामा समझ ही नहीं पाई. उस के लालच और अभिमान ने उसे सोचने ही नहीं दिया. वह नारद की बातों में आती गई और भूल गई कि हम जिस से प्रेम करते हैं वही हमारी तकलीफ दूर कर सकता है, कोई दूसरा व्यक्ति नहीं.

सच्चा प्रेम और सच्ची आस्था

कहानी में सत्यभामा के व्रत के अनुसार कृष्ण को दान में दे दिया गया. अब बारी थी उन्हें तराजू पर बैठा कर उन के वजन जितना सोना दान करने की. सत्यभामा ने पूरी कोशिश की पर वह असफल रही. वह उतना सोना जुटा ही नहीं पाई. अंत में रुक्मिणी के सच्चे प्रेम और आस्था की वजह से सोना हटा कर तुलसी का एक पत्ता दूसरे पलड़े पर रख दिया और उस का वजन कृष्ण जितना हो गया. सत्यभामा का घमंड वहीं चूरचूर हो गया. इस बहाने सोने को तुच्छ दिखा दिया गया, तुलसी पूजा को श्रेष्ठ. सोना दे दो प्रेम पा लो यह भी कह दिया और तुलसी पूजो यह भी.

इस कथा में उपदेश दिया गया कि सच्चा प्रेम दिखाने से नहीं होता. प्रेम कोई वस्तु नहीं है जिसे तौला जा सकता है, जिसे परखने के लिए योजना बन सकती है जबकि यथार्थ यह है कि यह एक एहसास है जिसे महसूस किया जाता है.

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इस कहानी में छिपा उद्देश्य यह है कि साधुपंडित पति का प्रेम लौटा भी सकते हैं और छीन भी सकते हैं. इसलिए पति को खुश करने के लिए उस का प्रेम पाने के लिए ढेर सारा चढ़ावा चढ़ाओ, अंधविश्वास की राह पर चलो, यों ही किसी की बातों में आ कर अपना सबकुछ खो दो जैसा सत्यभामा ने नारद की बातों में आ कर किया.

आज के युग में लोग अगर ईश्वर को ढेर सारा सोनाचांदी दान करते हैं तो इन्हीं कहानियों से प्रभवित हो कर. यह बारबार दोहराया जाता है कि ईश्वर तो लालची है. जब तक हम उसे कुछ देंगे नहीं, तब तक वह हमारी इच्छा पूरी नहीं करेगा. ईश्वर रिश्वत लेता है और उसे उस के एजेंट आ कर ले जाते हैं. इस तरह की गप भरी कहानियों का प्रसारप्रचार आज के युग में ऊंचनीच और लूट को पुनर्स्थापित कर रही है.

सुहाने मौसम में नजदीकियां…

जी हां जब मौसम सुहाना हो तो ऐसे में आपको अपने पार्टनर के साथ समय बीताने का मन तो करता ही होगा…आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने पार्टनर को उतना समय नहीं दे पाते क्योंकि हर किसी को पैसे कमाने हैं और ये तो आप बेहतर समझ सकते हैं कि बिना पैसे के जिंदगी में कुछ भी नहीं हो सकता. ये जीवन की सच्चाई है लेकिन इसके कारण हम भूल जाते हैं कि हमारी लाइफ में कोई और भी है जो बहुत खास है और हम उसको समय देना भूल जाते है….चाहे वो आपकी लाइफ फार्टनर हो या आपकी गर्लफ्रेंड आ ब्वायफ्रेंड…इनकी जिंदगी में बहुत ही खास जगह होती है इसलिए इन्हें समय देना चाहिए. क्योंकि बहुत मुश्किल से आपको कोई मिलता है जो आपको खुद से ज्यादा प्यार देता है खुद से पहले आपके बारे में सोचता है. इसलिए उनके लिए वक्त निकालिए…

  • इस वक्त बारिश का मौसम है आप चाहे तो अपने पार्टनर के साथ कहीं घूमने जा सकती हैं..उसके साथ वक्त बिता सकती है. साथ में भुट्टे खाइए बारिश के मौसम का लुत्फ उठाइए.

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  • यदि आप घर पर हैं तो वाइफ से कहिए कि वो पकौड़े बनाए और आप चाय बनाइए और अपनी वाइफ के साथ बैठकर पकौड़े और चाय के साथ मौसम का लुत्फ उठाए.
  • अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी के साथ मूवी देखने जा सकते हैं कोई भी अच्छी सी रोमांटिक मूवी… ये आपके बीच नजदीकियों को बढ़ाएगी और साथ में समय बिताने का भी अच्छा मौका मिलता है.
  • पत्नी को लेकर लॉन्ग ड्राइव पर जा सकते हैं…एक अच्छा सा सॉन्ग बजा दिजिए…ये एक बहुत अच्छा तरीका है साथ में समय बिताने का.
  • ऐसा नहीं है कि ये सारे काम की पहल एक पति ही करे पत्नी भी कर सकती है अगर आपका पति इतना रोमांटिक नहीं है तो ये सब कुछ आप भी कर सकती हैं. इससे आपके पति को भी अच्छा लगेगा. वो भी अपनी ऑफिस की थकान को भूल कर आपके साथ एक अच्छा समय गुजारेगा. उन्हें भी थोड़ी सी बोरियत से राहत मिलेगी..और वो आपके और करीब आएंगे.

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  • अच्छे मौसम में कहीं दूर कुछ दिन की छुट्टियां लेकर आप जा सकते हैं या सकती हैं वहां पर आपको प्राइवेसी भी मिलेगी और साथ में अच्छा वक्त भी बिता पाएंगे.
  • अगर आप चाहें तो वाइफ के साथ घर में ही मूवी देखकर एक अच्छा वक्त बिता सकते हैं.

इन सारे तरीकों से आप अपने रिश्ते को अच्छा बना सकते हैं साथ ही अपने बीच की दूरियों को कम कर सकते हैं. तो पकोड़े खाइए और बारिश और सुहावने मौसम का लुत्फ उठाते हुए प्यार को बढ़ाइए.

तिल पनीर क्यूब्स

मौनसून में लोग कुछ नया ट्राय करना पसंद करते हैं ताकि वह अपनी फैमिली और बच्चों को खुश कर सकें. आज हम आपको तिल पनीर क्यूब्स की रेसिपी बताएंगे, जिसे बनाकर अपनी फैमिली को खुश कर सकते हैं. तिल पनीर क्यूब्स बनाना बेहद आसान है, इसे आप स्नैक्स के रूप में झटपट बनाकर अपनी फैमिली को खिला सकते हैं. तो आइए जानते हैं तिल पनीर क्यूब्स की आसान रेसिपी…

हमें चाहिए

– 300 ग्राम पनीर के टुकड़े

– 2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

– 1 बड़ा चम्मच रैड चिली सौस

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– 2 बड़े चम्मच सफेद तिल

– 2 बड़े चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

– स्वादानुसार कालीमिर्च पाउडर

– स्वादानुसार तेल

– नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

एक पैन में तेल गरम कर अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर भूनें. अब टोमैटो व चिली सौस के साथ पनीर के टुकड़े, नमक व कालीमिर्च पाउडर इस में मिला दें.

पनीर के टुकड़ों को सौस में अच्छी तरह कोट कर लें. अब तिल डालें और कुछ देर चलाते हुए मिक्स करें. तैयार तिल पनीर क्यूब्स को चटनी के साथ सर्व करें.

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अबौर्शन: क्या करें क्या नहीं

अबौर्शन कराने का निर्णय कठोर और साहसिक निर्णय होता है. कुछ महिलाएं विवाह से पहले अनचाहे गर्भ से, तो कुछ विवाह बाद के अनप्लान्ड गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अबौर्शन कराती हैं. कई महिलाओं को बच्चे की चाह रखने के बावजूद चिकित्सकीय या सामाजिक दबाव के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है. अबौर्शन में कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. अबौर्शन सर्जरी या दवाईयों के द्वारा किया जाता है.

ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण

वैसे तो अधिकतर अबौर्शन सुरक्षित होते हैं, लेकिन फिर भी दूसरे सर्जिकल प्रोसैस की तरह इस में कई जटिलताएं और जोखिम होते हैं. अबौर्शन के बाद ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण हो सकते हैं:

– 48 घंटे से अधिक समय तक 100 डिग्री से अधिक बुखार रहना.

– अत्यधिक ब्लीडिंग.

– वैजाइना से रक्त के बड़ेबड़े थक्के निकलना.

– अबौर्शन के 4-5 दिन बाद तक ब्लीडिंगजारी रहना.

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– पेट में मरोड़ और अत्यधिक दर्द होना.

– वैजाइना से ऊतकों का डिसचार्ज होना.

– वैजाइना से निकलने वाले डिसचार्ज सेदुर्गंध आना.

– मूत्र और मल त्याग की आदत में बदलाव आना.

– पेशाब और मल में रक्त आना.

– चक्कर आना, बेहोशी छाना.

– कमजोरी महसूस होना.

– अवसादग्रस्त अनुभव करना.

– भूख न लगना.

– सोने में समस्या आना.

अबौर्शन कराने के बाद प्रैगनैंसी हारमोन भी शरीर में रहते हैं यानी अबौर्शन के बाद शरीर और हारमोन सिस्टम को सामान्य अवस्था में आने में 1 से 6 हफ्ते लग सकते हैं. आमतौर पर अबौर्शन सुरक्षित होता है. 100 में से 1 महिला मेंही गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं. अबौर्शन के बाद के ये समस्याएं हो सकती हैं:

– मासिकधर्म का अनियमित हो जाना.

– शारीरिक संबंध बनाने के दौरान बहुत दर्द होना.

– 3 सप्ताह तक अनियमित रक्तस्राव होना.

– पहले 2 सप्ताह तक पेट में मरोड़ होना. यह लक्षण 6 सप्ताह तक भी रह सकता है.

– 2-3 सप्ताह तक भावनात्मक रूप से कमजोर अनुभव करना.

– पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज.

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अगर अबौर्शन के बाद ब्रैस्ट से मिल्की लिक्विड निकले तो घबराएं नहीं. ऐसा गर्भावस्था के दौरान हुए हारमोनल बदलाव के कारण होता है. कुछ दिनों में अपनेआप ठीक हो जाता है. अगर समस्या गंभीर हो तो डाक्टर से मिलें.

कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं अपनी पहली गर्भावस्था में अबौर्शन का विकल्प चुनती हैं वे न केवल अपने स्वास्थ्य को खतरे में डालती हैं, बल्कि अपने अगले बच्चे के लिए भी कई खतरे उठाती हैं. ऐसी महिलाओं में भविष्य में प्रीमैच्योर बच्चे को जन्म देने की आशंका 37% तक बढ़ जाती है. पहली गर्भावस्था में अबौर्शन कराने वाली महिलाओं के अगले बच्चे का जन्म के समय भार कम होने का खतरा भी बढ़ जाता है. विवाह पूर्व अबौर्शन में तो यह होता ही है. अध्ययनों में यह बात भी सामने आई है कि जो गर्भपात दवाओं के द्वारा किया जाता है उस में सर्जरी की तुलना में जोखिम कम होता है.

अगर आप ने अपने या अपने होने वाले बच्चे की किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण गर्भपात कराया है तो फिर से मां बनने का निर्णय लेने से पहले डौक्टर से संपर्क करें. ध्यान दें कि गर्भपात केवल सरकार द्वारा स्वीकृत अस्पताल से ही कराएं.

अबौर्शन के बाद चैकअप जरूर कराएं

अबौर्शन के 2 सप्ताह बाद चैकअपकराना इसलिए बहुत जरूरी है, ताकि पतालगाया जा सके कि आप के गर्भाशय में संक्रमण तो नहीं है, आप के घाव ठीक तरह से भर रहे हैं या नहीं. यह देखना भी बहुत जरूरी होता है कि आप का सर्विक्स पूरी तरह से बंद हो गयाहै. अगर यह अभी भी खुला है तो इस बात की पूरी आशंका है कि यहां से बैक्टीरिया गर्भाश में प्रवेश कर सकते हैं और यह देखना भी बहुत जरूरी होता है कि अबौर्शन पूरा हो गया है. कई बार ऐसे मामले देखे जाते हैं जिन में कुछ ऊतक गर्भाशय में ही रह जाते हैं, जिन्हें निकालना बहुत जरूरी होता है. इसलिए चैकअप जरूर कराएं.

सुरक्षित अबौर्शन

90% अबौर्शन गर्भावस्था के 13 सप्ताह तक पहुंचने के पहले किए जाते हैं. गर्भपात जितनी जल्दी कराया जाए उतना ही अच्छा रहता है. कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए. मैडिकल इंडीकेटेड अवस्था में गर्भपात 20 सप्ताह तक ही कियाजाता है. आप कितने सप्ताह की गर्भवती हैं, इस का पता लगाने के लिए आप को गणना आखिरी पीरियड के पहले दिन से करनी चाहिए. अगर आप को गर्भावस्था के स्पष्ट चरण के बारे में मालूम न हो तब अल्ट्रासाउंड स्कैन कराना चाहिए.

3 महीने तक की प्रैगनैंसी का गर्भपात करने के लिए केवल एक डाक्टर का मत ही काफी है. हां, अगर प्रैगनैंसी 13 से 20 हफ्ते की हो तो गर्भपात करने के लिए 2 डाक्टरों का मत आवश्यक होता है.

आप की सेहत के लिए यह जरूरी है कि जब आप गर्भवती नहीं होना चाहतीं तो अपने डाक्टर से सलाह ले कर अपने लिए उपयुक्त गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं.

गर्भनिरोधक उपाय हैं बेहतर विकल्प

आजकल कई प्रकार के गर्भनिरोधक उपाय उपलब्ध हैं, जो बिलकुल सुरक्षित हैं, जिन के इस्तेमाल से आगे चल कर महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या भी नहीं होती. बैरियर मैथड कंडोम, हारमोनल इंजैक्शन, कौंट्रासैप्टिक इंजैक्शन, कौपर टी आदि के इस्तेमाल से अबौर्शन की स्थिति को टाला जा सकता है, जिस से स्वास्थ्य भी ठीक रहता है.

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अबौर्शन के बाद इन बातों का ध्यान रखें

– ढेर सारा पानी पीएं.

– कुछ दिनों तक काम से दूर रहें.

– पूरी नींद लें.

– 2 सप्ताह तक कोई ऐक्सरसाइज न करें.

– 2 सप्ताह तक स्विमिंग के लिए न जाएं और न ही बाथ टब का इस्तेमाल करें.

– 2 सप्ताह तक भारी सामान न उठाएं

– 3-4 सप्ताह तक शारीरिक संबंध न बनाएं. इस के बाद भी अगर आप शारीरिक और भावनात्मक रूप से ठीक नहीं हैं तो सैक्स से दूर रहें.

– अबौर्शन के 2 सप्ताह बाद आप गर्भवती हो सकती हैं, इसलिए गर्भनिरोध के दूसरे उपाय अपनाएं.

-डा. निशा जैन, एचओडी, ओब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट, सरोज सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, दिल्ली 

‘गोपी बहू’ ने ब्राइडल लुक में कराया फोटोशूट, फोटोज वायरल

स्टार प्लस के सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ से ‘गोपी बहू’ के कैरेक्टर से फैंस के दिलों में जगह बनाने वाली देवोलिना भट्टाचार्य एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं. हाल ही में हुए ब्राइडल शूट में ‘गोपी बहू’ यानी देवोलिना  ब्राइडल वाले लुक में नजर आईं, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं देवोलिना के ब्राइडल लुक की खास फोटोज…

दुल्हन की तरह सजी देवोलिना

 

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No one is you and that is your Power.✨ #bridesofindia #whiteandgold #devoleena

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देवोलीना भट्टाचार्या अपने लेटेस्ट फोटोशूट में दुल्हन के गेटअप में नजर आईं, जिस लुक में वो बेहद सुंदर दिख रही हैं.

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गोपी बहू की आई याद

सालों तक टीवी शो साथ निभाना साथिया में गोपी बहू का किरदार निभाकर देवोलीना औडियंस के दिलों पर राज कर चुकी है. वहीं उनके इस लुक से उनके फैंस को गोपी बहू के किरदार की याद आ गई है.

बिग बौस में आने की हैं खबरें

 

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Nothing can dim the light that shines from within✨? #mondaymotivation #devoleena

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मीडिया में लगातार ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जिनके मुताबिक टीवी एक्ट्रेस देबोलीना सलमान खान के पौपुलर टीवी शो बिग बौस 13 में कदम रख सकती हैं.

बौलीवुड में भी आने की भी है चर्चा

 

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❤️ ? @ambraee_ ? @prashantclick

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दूसरी ओर ये भी सुनने में आ रहा है कि टीवी एक्ट्रेस देबौलिना बौलीवुड डेब्यू के लिए तैयारी कर रही है. खबर है कि वह राजकुमार राव स्टारर फिल्म प्यार की जीत में लीड एक्ट्रेस के तौर पर एंट्री कर सकती है.

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फोटोशूट में दोस्त के साथ आईं नजर

टीवी एक्ट्रेस देवोलिना नए फोटोशूट में बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. वहीं, इस फोटोशूट में देबोलीना एक दोस्त के साथ अठखेलियां करती और दोनों सहेली खिलखिलाकर हंसती दिखाई दे रही है.

महान संगीतकार जोड़ी कल्याणजी आनंदजी को सुदेश भोसले दिया ट्रिब्यूट

गायक सुदेश भोसले ने महान संगीतकार जोड़ी कल्याणजी आनंदजी के अविस्मरणीय गीतों के नाम एक शाम पद्मश्री आनंदजी की उपस्थिति में मुंबई के प्रसिद्ध औडीटोरियम षण्मुखानंद में ‘गीतों का कारवां’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया.

सुदेश भोसले ने अपने समय की मशहूर संगीतकार जोड़ी कल्याणजी आनंदजी की लोकप्रिय धुनों पर बने ‘अपनी तो जैसे तैसे’,‘पल पल दिल के पास’,‘यारी है इमान‘, ‘सलाम ए इश्क मेरी जान’,‘राफ्ता राफ्ता देखो आंख मेरी लड़ी है’, ‘खैइके पान बनारसवाला’,‘मेरे अंगने में..’जैसे कई बहुचर्चित गीत गाए. कल्याणजी आनंदजी जोड़ी के आनंदजी ने मंच पर सुदेश भोसले का साथ देते हुए खुद कुछ गीत गाए.

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गीत गाते भावुक होकर सुदेश भोसले ने उस सुनहरे समय को याद करते हुए कहा-‘‘कल्याणजी आनंदजी का मेरे दिल में हमेशा एक विशेष स्थान रहा है.गायक के  रूप में मैं उनका श्रृणी हूं.उन्होंने हमेशा मुझे एक अलग आवाज में गाने के लिए प्रोत्साहित किया.उनकी सबसे अच्छी बात मुझे यह लगती है कि वह फिल्म जगत में एक बड़ी शख्सियत होने के बाद भी हमेशा विनम्र रहे.अमित जी (अमिताभ बच्चन) नब्बे के दशक में कई लाइव शो किया करते थ.यह आयोजन कल्याणजी आनंदजी के आर्केस्ट्रा के बिना संभव ही नहीं होता था. जब अमितजी परफौर्म करते थे, उस समय मैं कल्याणजी आनंदजी के साथ शो में हुआ करता था.यह शो उस दौर में एक तरह से पारिवारिक पिकनिक की तरह होते थे. इसी वजह के चलते अमितजी और मेरे संबंधों में गहराई आयी.आज मुझे खुशी हैं कि मै आनंदजी के सामने उन्हें व स्वर्गीय कल्याणजी को ट्ब्यिूट दे रहा हूं.’’ इस समारोह में संगीतकार आनंदजी के साथ उनकी पत्नी शांताबेन शाह भी उपस्थित थीं. इस संगीतमय शाम में सुदेश भोसले के साथ प्रसिद्ध गायिका साधना सरगम, पामेला चोपड़ा, मुख्तार शाह, तरनुम मल्लिक ने भी गीत गाए.

सुदेश भोसले महज बेहतरीन गायक ही नहीं,बल्कि मिमिक्री कलाकार भी हैं. संजीव कुमार के आसामायिक निधन के बाद सुदेश भोसले ने फिल्म ‘‘प्रोफेसर की पड़ोसन’’के लिए संजीव कुमार के संवाद डब किए थे. वह अमिताभ बच्चन,संजीव कुमार,अशोक कुमार व विनोद खन्ना सहित कई कलाकारों की मिमिक्री भी अच्छी कर लेते हैं.

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सुदेश भोसले सबसे पहले 1988 में फिल्म‘‘जलजला’’के लिए गाने गाए थे.उसके बाद तो सुदेश भोसले द्वारा स्वरबद्ध गीत तमाम फिल्मों में अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए.सुदेश भोसले द्वारा स्वरबद्ध चर्चित गीतों में ‘एक दूसरे से करते हैं प्यार हम’, ‘जुम्मा चुम्मा दे दे’, ‘अंग से अंग लगाना’,‘मेरी दुकान पे आना मेरी जान’,‘याद आ रहा है’का समावेश है.

4 टिप्स: बिजी लाइफस्टाइल में ऐसे करें पैरों की देखभाल

पैर हमारी बौडी का भार दिनभर उठाते हैं. फिर भी जहां हम बाकी अंगों की देखभाल कर उनकी खूबसूरती का पूरा ख्याल रखते हैं और अक्सर पैरों को अनदेखा कर देते हैं, जबकि पैरों को विशेष देखरेख की जरूरत होती है. इसलिए अपने चेहरे की सुंदरता के साथ-साथ पैरों की सफाई और सुंदरता का भी खास ध्यान रखें और समय-समय पर उन की सफाई, स्क्रबिंग और मौस्चराइजिंग के साथ पैरों की केयर करती रहें.

1. सही फुटवियर्स है सबसे जरूरी

समर हो या मौनसून, हमेशा अपने आराम के लिए सही जूते पहनना जरूरी है. फैशन दिखाने के लिए आप अपने पैरों से कौम्प्रोमाइज कर लेते हैं, जो आपके पैरों को नुकसान पहुंचाते हैं. अगर आप ज्यादा समय के लिए जूते पहनते हैं, तो देखना चाहिए कि जूते का साइज, फिट और क्वौलिटी का ख्याल रखना चाहिए. अगर आप इन बातों का ख्याल रखेंगे तो आपके पैर हमेशा खूबसूरत रहेंगे.

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2. पैरों की सफाई के लिए बनाएं घोल

एक टब में कुनकुना पानी लें. उस में 1 कप नीबू का रस, थोड़ा सा इलायची पाउडर, 2 चम्मच औलिव आयल, आधा कप दूध मिला लें. अब इस घोल में 10-15 मिनट के लिए पांव डाल कर बैठ जाएं. फिर किसी माइल्ड सोप से पांव धो लें और कोई अच्छी सी फुट क्रीम लगा लें. चाहें तो फुट लोशन भी लगा सकती हैं.

3. पैरों के लिए ऐसे बनाएं लोशन

एक गहरे रंग की बोतल लें. उस में 1 चम्मच बादाम का तेल, 1 चम्मच औलिव आयल, 1 चम्मच व्हीटजर्म आयल, 12 बूंदें यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल मिला लें. इसे अच्छी तरह हिलाएं और किसी ठंडी व छायादार जगह पर रख दें. पैरों को साफ करने के बाद उन्हें अच्छी तरह सुखा कर यह लोशन लगाएं.

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4. पैरों की करें मसाज

दिन भर की थकान के बाद पैरों की मसाज बेहद आवश्यक है. इस के लिए हाथ में 2 चम्मच चीनी लें, फिर उस में 1 चम्मच औलिव आयल या बेबी आयल मिला लें. दोनों हाथों से इस मिश्रण को अच्छी तरह मिला लें फिर इस से लगभग 2 मिनट तक पैरों की मसाज करें. यदि पैर ज्यादा रूखे हैं तो लंबे समय तक मसाज करें. अब पैरों को गरम पानी से धो लें. आप स्वयं अपने पैरों में फर्क महसूस करेंगी. ये काफी दिनों तक नरम व मुलायम बने रहेंगे. इस से आप हाथों की मसाज भी कर सकती हैं.

Edited by Rosy

सुस्त लाइफस्टाइल से बढ़ती डीवीटी की परेशानी

लेखक- उमेश कुमार सिंह

आरामपसंद लाइफस्टाइल और फैटी फूड से दिल के रोगों का ही नहीं, डीप वीन थ्रौंबोसिस यानी डीवीटी का भी खतरा बढ़ रहा है. डीवीटी शरीर की गहराई में खून का थक्का बन जाने को कहते हैं. इस तरह के थक्के पिंडलियों, जांघों, किडनी, दिमाग, आंतों और लिवर में बन सकते हैं. इस खतरे की चपेट में अब बड़ी उम्र के लोग या किसी कारण से चलफिर न पाने वाले ही नहीं, युवा और बच्चे भी आने लगे हैं. कई बार जौइंट रीप्लेसमैंट सर्जरी और गंभीर किस्म के ऐक्सीडैंट के मामलों में की जाने वाली सर्जरी के कारण भी फ्री हुए टिशू फैट में मिल जाते हैं, जो डीवीटी की वजह बनते हैं. वास्तव में डीवीटी का सब से बड़ा जोखिम तब है जब थक्का खून के साथ फेफड़ों तक पहुंच जाता है. यह प्रक्रिया पलमोनरी ऐंबोलिज्म कहलाती है.

और्थोपैडिक्स डा. संजय अग्रवाल का कहना है कि थक्के के फेफड़ों में जाने के समय से ले कर 30 मिनटों के अंदर एक व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है. लगभग 80% डीवीटी के रोगियों में यह पाया गया है कि यह बीमारी कोई लक्षण प्रकट नहीं करती. रोगविशेषज्ञों के लिए भी यह एक गुप्त रोग की तरह है.

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डीवीटी एक जिंदगी भर डराने वाली स्थिति की तरह होती है. कभीकभी इसे इकौनौमी क्लास सिंड्रोम भी कहा जाता है, क्योंकि इस के विकास के साथ ही इस की बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है. जब शरीर की विभिन्न गतिविधियां रुक जाती हैं जैसे लंबी व जटिल हवाईयात्रा के दौरान पैरों का सुन्न पड़ जाना. यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर के किसी भाग में खून जम जाता है. ज्यादातर पैरों की लंबी शिराओं हाथों और कंधों पर ऐसा होता है.

 क्यों होती है डीवीटी की प्रौब्लम

ज्यादातर लोग आजकल शारीरिक श्रम नहीं करते. चलनेफिरने से भी उन्हें पहरेज रहता है, जो डीवीटी की वजह बन सकता है. इस के अलावा जंक फूड और तंबाकू आदि का सेवन भी इस प्रौब्लम को बढ़ा रहा है. इसी कारण युवाओं और बच्चों तक सभी इस की चपेट में आने लगे हैं.

क्या होता असर

डा. संजय अग्रवाल का कहना है कि डीवीटी के कारण प्रभावित अंग में खून की सप्लाई पर असर पड़ने लगता है. इस के कारण दर्द, सूजन और प्रभावित अंग में भारीपन हो जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक डीवीटी में जो थक्के बनते हैं, उन के लंग्स में पहुचने पर अचानक सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. अगर ये दिल या ब्रेन में पहुंच जाएं तो हार्ट अटैक या स्ट्रोक की वजह बन सकते हैं.

जानें उपचार

आजकल डीवीटी का अल्ट्रासाउंड द्वारा भी पता लगाया जाता है. डाक्टरों का विश्वास है कि इस तरीके का प्रयोग कर वे छोटेछोटे थक्कों का पता लगा सकते हैं. थ्रौंबोसिस का खून की जांच कर के भी पता लगाया जा सकता है. यह बहुत अच्छा तरीका माना जाता है. एक ऐसी जांच जो क्लोटिंग सामग्री के बाय प्रोडक्ट्स के स्तर को मापती है डी डीमर कहलाती है और इस का इस्तेमाल आजकल बहुत चलन में है. जब आप बैठे हों तो पैरों के विभिन्न व्यायाम करें जैसे एडि़यों को घुमाना, पैरों की उंगलियों को हिलातेडुलाते रहना, क्योंकि इस से पैरों में खून एकत्रित नहीं होगा और शरीर में खून का प्रवाह लगातार बना रहेगा.

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डीवीटी के निदान के लिए इस में आमतौर पर प्रारंभ में इंजैक्शन के जरीए हैपरीन की ऊंची मात्रा दी जाती है. मरीज को वारफैरीन की भी दवा कुछ महीनों तक खाने को कहा जाता है. जब तक यह दवा ली जाती है मरीज को रोजाना अपने खून की जांच करानी पड़ती है कि वह सही तरीके से दवा ले रहा है तथा वह हैमरेज के खतरे में तो नहीं है. डीवीटी के लक्षणों से बचने के लिए दर्द विनाशक व उस स्थान पर गरमी पहुंचाने वाली दवा लेने की डाक्टर द्वारा राय दी जाती है.

लोगों को अपने लाइफस्टाइल में सुधार करना चाहिए और खानपान में संयम बरतना चाहिए. अगर इस के बाद भी किसी कारण से डीवीटी की प्रौब्लम पैदा होती है, तो उसे दवा और इंटरवैंशनल रेडियोलौजी की मदद से ठीक किया जा सकता है.

दो साल बाद टीवी पर वापसी करती नजर आएंगी सुकीर्ति कांडपाल

टीवी के ‘दिल मिल गए’, ‘प्यार की यह एक कहानी’,‘रब से सोणा इश्क’, ‘काला टीका’ फेम टीवी एक्ट्रेस सुकीर्ति कांडपाल पिछले दो साल से एक्टिंग से दूरी बनाए हुए थीं, लेकिन अब सूत्र दावा कर रहे है कि सुकीर्ति कांडपाल ‘सावधान इंडिया’ के कुछ एपिसोड्स में अभिनय करते हुए छोटे परदे पर वापसी कर रही हैं.

मिनी सीरिज में आएंगी सुक्रीर्ति नजर

 

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Of all the things I hold in high regard , rules are not one of them ?. The Sunday tbt .

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वैसे सूत्रों की माने तो अब ‘सावधान इंडिया’ के कौंसेप्ट में बदलाव किया गया है. अब यह एपिसोडिक की बजाय पांच एपिसोड की ‘मिनी सीरीज’ के रूप में प्रसारित होगा. इसमें सुकीर्ति कांडपाल ने ‘चौसर’ नामक मिनी सीरीज में अभिनय किया है, जो कि जल्द प्रसारित होगा. ‘चौसर’ में चार माह की गर्भवती महिला किस तरह अपने पिता की हत्या के दोषी राजनैतिक परिवार को बर्बाद करती है,उसकी कहानी होगी. इसमें सुकीर्ति कांडपाल गर्भवती महिला के किरदार में होंगी.

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Must be a reason why I’m King of my castle ?????

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बता दें, टीवी एक्ट्रेस सुकीर्ति कांडपाल इन दिनों एक्टिंग करियर में कम एक्टिव रहती हैं, लेकिन वह अपने सोशल मीडिया पेज पर हमेशा एक्टिव रहती है. हाल ही में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सावधान इंडिया स्पेशल की क्राइम सीरीज के प्रमोशन के लिये सुकृति कांडपाल भोपाल पहुंची. जिसमें फैंस से मुलाकात करने के साथ-साथ होटल की लौबी में फोटो शूट करवाती नजर आईं.

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