क्राइम रिपोर्टर के रोल में नजर आएंगी कृति, पढ़ें पूरी खबर

तेलगू फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस कृति सेनन ने हिंदी फिल्म ‘हीरोपंती’ से अपनी पहचान बौलीवुड में बनायी. फिल्म में उनके अभिनय को सराहना और पुरस्कार मिले, जिससे कृति हिंदी सिनेमा जगत में स्थापित हो गयी. इसके बाद उनकी कई फिल्में बौक्स औफिस पर सफल रही. जिसमें दिलवाले, बरेली की बर्फी, स्त्री, कलंक आदि है. कृति ने हमेशा उन फिल्मों में काम करना पसंद किया, जिसमें कुछ चुनौती हो. फिल्म ‘अर्जुन पटियाला’ के प्रमोशन पर उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की, आइये जाने उन्हीं से.

सवाल- इस फिल्म में आपने पत्रकार की भूमिका निभाई है, कैसे अपने आप को तैयार किया? किसका सहारा लिया?

इसमें मुझे किसी को रोल मौडल मानने की जरुरत नहीं पड़ी, क्योंकि यह कोई सीरियस विषय नहीं है, न तो ये कोई सीरियस पत्रकारिता है. फिरोजपुर की क्राइम रिपोर्टर की भूमिका मजेदार रूप में है. छोटे शहरों में मीडिया रिपोर्टिंग कैसे होती है, उसकी झलक है. मैं जब चंडीगढ़ में थी, तब मैंने कुछ रिपोर्टर के हाव-भाव देखे थे. वे कैसे रिपोर्टिंग करते है, उसे समझने की कोशिश की थी.

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सवाल- आपने इसमें एक मजबूत महिला की भूमिका निभाई है, असल जिंदगी में आप कैसी है?

मैं हमेशा से स्ट्रोंग हेडेड हूं. मेरे विचार हमेशा स्ट्रोंग रहे है. बिना लौजिक के मैं किसी भी रस्म-रिवाज को मान नहीं सकती. मुझे कुछ सही या गलत लगता है तो मैं अपनी आवाज उठाने के साथ-साथ, न्याय के लिए खड़ी भी होती हूं.

सवाल- आपने हल्की-फुल्की कौमेडी पहले भी फिल्मों में की है और अब ये कर रही है, आप खुद किसी भूमिका को निभाते वक्त खुद का एफर्ट कितना प्रयोग करती है?

मैं निर्देशक के हिसाब से ही काम करती हूं, लेकिन अगर मुझे कुछ अलग करने की इच्छा हो, तो मैं निर्देशक को बता देती हूं. कोई भी भूमिका दोहराई न जाय, इसका ख्याल मैं रखती हूं. कौमेडी एक रिएक्शन है, जो किसी के कुछ कहने पर की जाती है. मजेदार बात थोड़ी और अधिक मजेदार हो इसकी कोशिश मैं करती हूं. मैं रियल लाइफ में मजेदार नहीं हूं, पर मैं इसे एन्जौय करती हूं.

सवाल- अभी आपकी कई फिल्में एक साथ आ रही है, इससे कितनी खुश है?

ये सही है कि इस साल मेरी 4 फिल्में रिलीज हो रही है. कई बार किसी साल में एक भी फिल्म रिलीज नहीं होती. असल में फिल्म पूरी होने के बाद भी उसे रिलीज होने में समय लग जाता है. ये सारी बातें प्रोड्यूसर पर निर्भर करता है. मेरी जर्नी का अनुभव अच्छा है और अधिक काम करते रहना चाहिए.

सवाल- आप किसी फिल्म को चुनते समय किस बात का ध्यान रखती है?

जब तक मुझे किसी स्क्रिप्ट को सुनने में मज़ा न आये मैं उसे हाँ नहीं करती. एक उत्सुकता उस फिल्म की मुझे होनी चाहिए. मैं एक दर्शक के रूप में फिल्म को चुनती हूं. कभी चरित्र तो कभी स्क्रिप्ट आदि किसी से भी अच्छा महसूस होने लगे तो मैं उसे चुन लेती हूं. इसके अलावा कोई चरित्र जिसे मैं लोगों के सामने लाना चाहती हूं और दिख जाए तो तुरंत हाँ कहती हूं. इसमें महिला पुरुष में अंतर या बेटे बेटी में अंतर आदि सब तरह के स्क्रिप्ट है. आज के दर्शक ऐसे ही प्रेरणादायक फिल्म को देखना पसंद करती है.

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सवाल- फिल्म इंडस्ट्री से न होते हुए भी आपने 5 साल की सफल जर्नी तय की है, इसे कैसे देखती है?

मैंने जितना भी काम किया उससे संतुष्ट हूं. कभी ऐसा था कि मैं स्टेज पर जाने या पार्टी में जाने से डरती थी और मैं एक शाय लड़की हुआ करती थी. मेरे माता-पिता को कभी लगा नहीं था कि मैं इस क्षेत्र में जा सकती हूं, क्योंकि यहां शर्म नाम की चीज कोई नहीं है. मेरे पीछे फिल्मी नाम न होने से भी मैं यहां तक पहुंची हूं. निर्माता, निर्देशकों ने मुझपर विश्वास किया और मुझे फिल्में मिली. साथ ही दर्शकों ने मुझे देखा. मेरा आत्मनिर्भर और लर्निंग मुझे सेट से ही मिला है. मैंने हर फिल्म से कुछ न कुछ सीखा है. कुछ फिल्मों को मैंने मना किया था ,जिसे मुझे करना चाहिए था और वो सीख अब मुझे मिली है.

सवाल- आप किसी बड़े स्टार के साथ काम करने के लिए कितनी उत्सुक रहती है?

सुपरस्टार के साथ काम करना हमेशा अच्छा रहता है, क्योंकि उनसे आप बहुत सारी एक्टिंग की बारीकियां सीख सकते है. मैंने शाहरुख खान और अक्षय कुमार के साथ काम भी किया है. अब मुझे शाहरुख खान के साथ एक रोमांटिक फिल्म करने की इच्छा है, क्योंकि फिल्मों में वे रोमांस बहुत अच्छी तरह से करते है.

सवाल- क्या हमेशा आप अपने लुक पर ध्यान देती है या उसके लिए कुछ करती है?

मेरा बस चले तो मैं पजामे कुर्ते में बाहर निकल जाऊं,पर वैसा संभव नहीं होता. हर इंसान को घर या बाहर में, प्रेजेंटेबल होना चाहिए, ये कोई प्रेशर नहीं होता. कुछ साधारण पहनूं और लोग कुछ कहे, तो उस बात पर भी मैं अधिक ध्यान नहीं देती.

सवाल- अभिनय के अलावा आप क्या करना पसंद करती है?

मुझे कविता लिखने का शौक है और ये स्कूल, कौलेज से शुरू किया है. इसे इंस्टाग्राम में मैं शेयर भी करती हूं.

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टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में पहुंचीं प्रियंका की ‘द स्काई इज पिंक’

शोनाली बोस द्वारा निर्देशित फिल्म “द स्काई इज़ पिंक” 44th  टोरेंटो इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई है. इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर, टोरंटो इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल के गाला प्रेसन्टेशन में किया जायेगा. गाला प्रेसेन्टेशन के प्रीवियस स्लोट्स में वॉर्नर ब्रदर्स की बौक्स औफिस हिट फिल्म “ए स्टार इज़ बोर्न “एंड यूनिवर्सल स्टुडिओज़ अकैडमी अवार्ड विनिंग फिल्म “ग्रीन बुक” भी शामिल है

प्रियंका चोपड़ा जोनस, फरहान अख्तर और जायरा वसीम द्वारा अभिनीत इस फिल्म का प्रीमियर 13 सितंबर को टीआईएफएफ में किया जायेगा. टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में से एक है. हर साल इस फेस्टिवल में दुनिया भर से आयी कई फिल्मो में से सिर्फ 20 फिल्मो का चयन गाला प्रेसन्टेशन के लिए किया जाता है और  “द स्काई इज पिंक” ’के लिए यह बड़े ही सम्मान की बात है की यह फिल्म पूरे एशिया से चुनी जाने वाली एकमात्र फिल्म है. फिल्म का निर्माण RSVP और रौय कपूर फिल्म्स ने इवानहो पिक्चर्स और पर्पल पेबल पिक्चर्स के सहयोग से किया है.

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निर्देशक  शोनाली  बोस का कहना है- ” द स्काई इज पिंक ” व्यक्तिगत रूप से मेरे दिल के बहुत ही करीब है, यह मूल रूप से एक असाधारण कहानी है, जो परिवार के होने के मायने दर्शाती है. मैं बहुत ही सम्मानित महसूस कर रही हूं की “द स्काई इज़ पिंक” यह मेरी तीसरी फिल्म है जिसका प्रीमियर टोरेंटो इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में किया जा रहा है, मुझे इस पल का बेसब्री से इंतज़ार है.

निर्माता रौनी स्क्रूवाला, जिनकी फिल्म ‘मर्द को दर्द नहीं होता ‘ ने टीआईएफएफ 2018 में खूब तारीफे बटोरी थी,उनका कहना है की,  “हमें बहुत ख़ुशी है की पिछले साल मिले अपार स्नेह के बाद हम इस फिल्म से वापसी कर रहे हैं. “द स्काई इज पिंक” की कहानी पूरे विश्व के दर्शकों के लिए है. हम बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं की हमारी फिल्म टीआईएफएफ में प्रस्तुत की जा रही है, हम इस फिल्म को सभी के साथ साझा करने के लिए बहुत उत्सुक हैं.

निर्माता सिद्धार्थ रौय कपूर का मानना है की, “मैं बहुत खुश हूँ की हमारे प्रोडक्शन “रौय कपूर फिल्म्स” की पहली फिल्म को टीआईएफएफ वर्ल्ड प्रीमियर के लिए चुना गया, जब शोनाली ने यह अद्भुद कहानी हमारे साथ साझा की थी, हमें उसी वक्त  पता चल गया था की इस फिल्म में इतनी क्षमता है की यह फिल्म दुनिया भर के औडियंस को ज़रूर आकर्षित करेगी.

इवानहो पिक्चर्स के सह-सीईओ जॉन पेनोटी औरइंडिया के हेड औफ प्रोडक्शन किलियन करविन मानना  है की, “इस खबर को साझा करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है, हम उन कहानियों को सपोर्ट करने में विश्वास रखते हैं जो दुनिया भर के लोगो के दिलो को छूने की क्षमता रखती है और फिल्म “द स्काई  इज पिंक” की प्रभावशाली कहानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जोनस, जो इस फिल्म में अभिनेता फरहान अख्तर के साथ मुख्य भूमिका निभाते हुए नजर आएंगी और साथ ही उनकी पर्पल पेबल पिक्चर्स इस फिल्म का सह-निर्माण भी कर रही है. इस बारे में पीसी ने कहा- “द स्काई इज पिंक” की कहानी सुनते ही मैं इस फिल्म से जुड़ गयी थी, शोनाली के हाथो ने एक ऐसी खूबसूरत फिल्म तैयार की है जो लव और लाइफ के प्रति विश्वास को एक नया रूप देगी, इसलिए मैंने न केवल इस फिल्म में अदिति चौधरी की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाई है बल्कि इस फिल्म को रौनी और सिद्धार्थ के साथ मिलकर प्रोड्यूस भी की. मुझे इस फिल्म पर बहुत नाज़ है और मैं बहुत ही सम्मानित महसूस कर रही हूं कि यह फिल्म टीआईएफएफ 2019 के विश्व प्रीमियर में प्रस्तुस्त की जाएगी. मैं बहुत उत्सुक हूं की टीआईएफएफ में एक बार फिर विश्व को हमारे प्यार का छोटा सा नजराना देखने मिलेगा.

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निर्माता RSVP और रौय कपूर फिल्म्स ने इवानहो पिक्चर्स और पर्पल पेबल पिक्चर्स के एसोसिएशन में बनी यह फिल्म आयेशा चौधरी के माता-पिता,  नरेन और अदिति की 25 साल की लव स्टोरी है, जिसे उनकी टीनएज बेटी आयेशा चौधरी के दृषिकोण दिखाया गया है, जिन्हे एक लाइलाज बीमारी थी. यह फिल्म 11 अक्टूबर 2019 को वर्ल्डवाइड रिलीज की जाएगी.

टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 5 सितम्बर से 15 सितम्बर तक आयोजित किया जायेगा.

‘Dill Mill Gaye’ की एक्ट्रेस ने रिश्तेदारों पर लगाया हत्या की साजिश का आरोप

डौक्टर्स की लाइफ पर बने फेमस सीरियल ‘दिल मिल गए’ लोगों की बीच आज भी पौपुलर है. लोग उनके रोल निभाने वाले एक्टर्स को आज भी प्यार करते हैं. वहीं खबर है कि एक्टिंग करियर से दूर चल रही शिल्पा आनंद ने अपनी बहन की सास पर उन्हें और उनकी मां को जान से मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. आइए आपको बताते हैं शिल्पा आनंद से जुड़ा पूरा मामला…

फेसबुक पर पोस्ट के जरिए किया खुलासा

 

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एक्ट्रेस रह चुकीं शिल्पा ने अपने फेसबुक पर पोस्ट शेयर करते हुए अपनी अपने रिश्तेदारों के बारे में सनसनीखेज खुलाए किए हैं. शिल्पा ने अपनी बहन साक्षी शिवानंद की सास पर आरोप लगाया है कि, उसने शिल्पा और उनकी मां को जान से मारने की कोशिश की है.

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बहन की सास के खिलाफ की थी शिकायत

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इस बारे में जानकारी देते हुए शिल्पा ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा, कुछ महीने पहले ही हमने मेरी बहन की सास के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी. इसकी वजह यह है कि, मेरी बहन की सास से मेरे पति की हत्या करके उनके इंश्योरेंस के पैसे हड़पने की कोशिश की थी.

शिकायत करने पर की जान से मारने की कोशिश

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आगे शिल्पा ने खुलासा किया कि, पुलिस में शिकायत करने की वजह से बहन की सास ने मुझे और मेरी मां को मारने की कोशिश की थी. इतना ही नहीं मेरी बहन की भी हत्या की कोशिश की गई. चाल नाकामयाब होने पर मेरी बहन की सास अमेरिका भाग गई ताकि, पुलिस की पहुंच से वह दूर हो सके. ‘मैं इस नोट के जरिए अपनी बहन की सास से कहना चाहती हूं कि यदि उसमें हिम्मत है, तो वो इंडिया वापस आकर कानून का सामना करे.

कन्नड एक्ट्रेस हैं शिल्पा की बहन साक्षी

 

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2 angels hanging out … who is cuter 🙂

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शिल्पा अपनी जिस बहन साक्षी की बात कर रही हैं वह एक कन्नड़ एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने लगभग 40 फिल्मों में काम किया है.

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बता दें, सीरियल के दूसरी कास्ट जैसे करण और जेनीफर अपने-अपने करियर में बिजी हैं, तो वहीं शिल्पा आनंद फिल्मी इंडस्ट्री से दूर चल रही हैं. वहीं शिल्पा ने शादी के बाद अपना नाम तक बदल लिया था. अब शिल्पा को ओहाना शिवानंद के नाम से जाना जाने लगा था.

शादी के बाद और बढ़ी नुसरत जहां की खूबसूरती, फोटो वायरल

बंगाली एक्ट्रेस और तृणमूल कांग्रेस सांसद (टीएमसी) नुसरत जहां अक्सर अपनी शादी और अपने लुक को लेकर सुर्खियां बटोरती रहती हैं. हाल ही में सांसद नुसरत ने बिजनेसमैन निखिल जैन से शादी की है, जिसके बाद से वह अपनी खूबसूरत फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. वहीं अब उनकी कुछ फोटोज वायरल हुई हैं, जिनमें वह चूड़े और सिंदूर में नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनकी वायरल फोटोज…

पति निखिल के साथ की फोटो शेयर

हाल ही में सांसद नुसरत जहां ने अपनी और पति निखिल जैन के साथ अपने इंस्टाग्राम पर फोटोज शेयर की, जिसमें वह बहुत खुश और खूबसूरत नजर आ रही हैं.

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साड़ी में शेयर की खूबसूरत फोटो

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सोशल मीडिया पर नुसरत जहां  काफी एक्टिव रहती हैं और अपनी खूबसूरत फोटोज शेयर करती रहती हैं. हाल ही में मिरर के सामने साड़ी में फोटो शेयर की है, जिसमें वह सिंपल के साथ-साथ खूबसूरत नजर आ रही हैं.

शादी की फोटोज भी हो चुकी हैं वायरल

जहां उनके नए लुक की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, वहीं कुछ दिनों पहले सांसद नुसरत की शादी की फोटोज भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं.

फिल्मी बैकग्राउंड से हैं नुसरत

 

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Loving urself is most important… #selflove pic courtesy and costume @sandip3432 make up by @sayantadhali hair by @majhisarmistha

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मालूम हो कि नुसरत एक बंगाली एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने कई बंगाली फिल्मों में काम किया है. नुसरत के फिल्मी बैकग्राउंड के कारण भी वह सुर्खियों में रहती है.

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फैंन्स ने की लुक की तारीफ

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जहां सभी उनके लुक की तारीफ करते नही थक रहे. वहीं लोग उनके फैंस उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर लगातार कमेंट करके उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं.

बता दें, लोक सभा में TMC संसद नुसरत जहां ने शपथ लेने से पहले बिजनेसमैन निखिल जैन से हिंदू रीति रिवाज के साथ शादी की थी. जिसके बाद वह संसद में सिंदूर लगाकर पहुंची थीं. सांसद नुसरत के इस कदम की जहां सभी ने तारीफ की थी वहीं कट्टरमुस्लिमों ने उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया था.

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6 टिप्स: ऐसे रखें अपने नेल्स का ख्याल

अक्सर बिजी लाइफस्टाइल में हम फेस केयर करना तो याद रखते हैं, लेकिन नेल्स पर नेल पेंट का इस्तेमाल करके नेल्स की केयर करना भूल जाते हैं, जिसके कारण हमारे नेल्स टूटते, छोटे और कमजोर हो जाते हैं. वहीं हम नेल्स टूटना आम समझते हैं और उनकी केयर नही करते. पर नेल्स टूटने के कईं कारण हो सकते हैं. इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे होममेड टिप्स के बारे में बताएंगे, जिससे आप नेल्स से जुड़ी प्रौब्लम्स से छुटकारा पा सकती हैं.

1. औलिव औयल और नीबू के पेस्ट का करें इस्तेमाल

आप 1 चम्मच औलिव औयल में कुछ बूंदें नीबू के रस की मिला कर पेस्ट तैयार करें और उसे नेल्स में लगा कर तब तक मलें जब तक कि मिश्रण का पोषण नेल्स के अंदर न पहुंच जाए.

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2. नमक से रखें नेल्स का ख्याल

नमक का इस्तेमाल टूटते नेल्स के लिए बेहद असरदार है. 2 चम्मच नमक, 2 बूंदें नीबू का रस और गेहूं के बीज का तेल मिला कर तैयार मिश्रण को कुनकुने पानी में डाल कर अच्छी तरह मिला लें. फिर हाथों को उस पानी में 10 मिनट तक डुबो कर रखें. इसे हफ्ते में 2 बार दोहराएं.

3. दूध में अंडे की जर्दी

पोषण नेल्स की पहली जरूरत है जिसे अंडे की जर्दी और दूध से पूरा करते हैं. अंडे की जर्दी और दूध के पेस्ट को नेल्स में लगाएं और 1-2 दिन में ही फर्क महसूस करें.

4. वैसलीन का करें इस्तेमाल

वैसलीन न केवल स्किन की प्रौब्लमस का निवारण करती है, बल्कि अच्छे व स्वस्थ नेल्स के लिए भी इस का प्रयोग दिन में 1 बार जरूर करें.

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5. हर्बल मास्क का इस्तेमाल है जरूरी

यह एक ऐसी होममेड टिप्स है जिस के सिर्फ एक बार के इस्तेमाल से ही आपके नेल्स खूबसूरत हो जाएंगे. 1 कप गरम पानी में 1 छोटा चम्मच कैमोमाइल और पुदीने की पत्तियों को 1 घंटा भिगोए रखें. फिर उस पानी को छान कर उस में कुछ बूंदें औलिव औयल और 2 चम्मच गेहूं का आटा डाल कर अच्छी तरह मिला कर पेस्ट तैयार करें. इस पेस्ट को नेल्स में लगाएं. कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद ही आपको नेल्स खूबसूरत दिखने लगेंगे.

6. ब्रैंडेड नेलपेंट का इस्तेमाल करना है जरूरी

महिलाएं नेलपौलिश का इस्तेमाल रोजाना करती हैं. अगर आप भी ब्यूटीफुल नेल्स चाहती हैं, तो सस्ते के चक्कर में नेल्स को बर्बाद न करें. सस्ती व लोकल नेलपेंट को घटिया कैमिकल से तैयार किया जाता है, जो नेल्स की स्किन का पोषण छीन उन्हें बदरंग कर सकते हैं. अच्छे व ब्रैंडेड कंपनी की नेलपेंट का ही इस्तेमाल करें.

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क्यों डराने लगा है सोशल मीडिया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एक पत्रकार ने मजाकिया अंदाज में सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी क्या कर दी, साहब का दिमाग ही भन्ना गया. आननफानन पत्रकार को उठा कर कालकोठरी में डलवा दिया. यह तो शुक्र है कि देश में अभी कानून का राज कायम है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार खा कर यूपी पुलिस ने उसे छोड़ दिया वरना 14 दिन में तो सत्ता के इशारे पर बेचारे की न जाने क्या हालत कर दी जाती. इसलिए इस घटना के बाद से ही सोशल मीडिया के नफेनुकसान पर बहस जारी है.

सोशल मीडिया का ही कमाल है कि उस ने रातोंरात एक अनाम से पत्रकार को मशहूर कर दिया और यह सोशल मीडिया का भय है जिस ने यूपी की सत्ता के सब से ताकतवर इंसान को ऐसा डरा दिया कि बेचारे गफलत में नियमकानून ही भुला बैठे.

जैसी टिप्पणी इस पत्रकार ने की थी, उस से भी भद्दी टिप्पणियां सार्वजनिक जीवन में लोगों पर आए दिन होती रहती हैं. उन पर अखबारोंपत्रिकाओं में कार्टून बनते हैं. कभीकभी तो कार्टूनों के साथ की गई टिप्पणियां काफी तीखी भी होती हैं, मगर ये बातें आईगई हो जाती हैं. जनता भी जानती है कि हकीकत क्या है और हंसीमजाक क्या, इसलिए ऐसी टिप्पणियों पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता. मगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीजी तो इतना घबरा गए कि उन्होंने टिप्पणी करने वाले के पीछे पुलिस छोड़ दी.

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दरअसल, सारा मामला एक महिला के वीडियो से जुड़ा हुआ था. इस वीडियो को देखने के बाद पत्रकार महाशय ने मुख्यमंत्री पर मजाकिया टिप्पणी की थी. सोशल मीडिया पर उन की टिप्पणी पर 2-4 लोगों ने कमैंट भी दे मारे थे. बस, मुख्यमंत्री साहब तो डर गए. बात जहां एकाध दिन में आईगई हो जाती, वहीं पत्रकार की गिरफ्तारी और फिर सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पड़ने के बाद यह घटना राष्ट्रीय स्तर के मीडिया में छा गई. बस फिर क्या था, कुतूहलवश देश के लगभग शतप्रतिशत जागरूक लोगों ने उस महिला का वीडियो देखा और जो लोग हिंदी बोलनासमझना नहीं जानते थे, उन के लिए वीडियो को अनुवादित भी किया गया.

इस घटनाक्रम के बाद जहां एक गुमनाम से पत्रकार साहब रातोंरात फेमस हो गए, वहीं मुख्यमंत्री साहब को सिवा नुकसान के कुछ नहीं मिला.

एक और उदाहरण

अब सोशल मीडिया के डर का दूसरा उदाहरण देखिए. छत्तीसगढ़ के राजनांद गांव जिले के डोंगरगढ़ थाना अंतर्गत ग्राम मुसरा निवासी मांगेलाल अग्रवाल ने अपने क्षेत्र में बिजली कटौती को ले कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया. बेचारे उमस भरी गरमी में बिजली कटौती से परेशान थे, तो दिल का दर्द सोशल मीडिया पर जाहिर कर दिया.

वहीं महासमुंद के दिलीप शर्मा ने अपने वैब मोचा पोर्टल पर 50 गांवों में 48 घंटे बिजली बंद होने की खबर चला दी. इस बिजली के मुद्दे पर नाकाम सरकार ने बौखलाहट में भर कर घोर अलोकतांत्रिक कदम उठा लिया. इन दोनों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हो गया. बिजली कंपनी के डीई एसके साहू की शिकायत पर 12 जून की रात 11 बजे पुलिस ने दिलीप शर्मा को उन के घर से बनियानटौवेल में ही उठा लिया. बेचारे को कपड़े तक नहीं पहनने दिए.

सत्ता में बैठे लोगों पर सोशल मीडिया का भय इस तरह जारी है कि आम जनता का इस पर अपनी परेशानियां शेयर करना ही गुनाह हो गया है और चैनलों पर सच दिखाना तो कब का बंद हो चुका है. कोई गलती से सच दिखा देता है तो उस का वही हाल होता है जो दिलीप शर्मा का हुआ.

खैर, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठा तो यहां भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बैकफुट पर आ गए. मजबूरीवश उन्हें दोनों मामले वापस लेने पड़े. उन्हें यह भी कहना पड़ा कि उन की सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की प्रबल पक्षधर है. खैर, दोनों गिरफ्तार प्राणियों को जमानत मिली, मगर मुकदमा अभी जारी है. विद्वेष फैलाने का आरोप अभी दोनों पर है. पुलिस ने सिर्फ राजद्रोह की धारा हटाई है.

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मजेदार बात यह है कि सोशल मीडिया से डरे राजनेता अपनी पार्टी के लोगों को भी नहीं बख्श रहे हैं. असम के मोरीगांव जिले में भाजपा आईटी सैल के सदस्य नीतू बोरा को उन के ही मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गिरफ्तार करवा दिया.

नीतू बोरा पर आरोप है कि उन्होंने अपने निजी सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट किया, जिस में उन्होंने लिखा कि भाजपा सरकार प्रवासी मुसलिमों से स्थानीय असमियों की रक्षा करने में नाकाम रही है. उन्होंने यह भी लिखा कि इस स्थिति के लिए मुख्यमंत्री सोनोवाल जिम्मेदार हैं. बस फिर क्या था, नीतू बोरा को सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश और मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. हालांकि बाद में बोरा को भी जमानत मिली, मगर मुकदमा कायम है.

बोलोगे तो जेल जाओगे

पिछले कुछ समय से देशभर में सोशल मीडिया पर राजनेताओं के खिलाफ टिप्पणी करने वालों की गिरफ्तारी के मामले बढ़े हैं. सत्ता के इशारे पर पुलिस ऐसे लोगों से अपराधियों जैसा सुलूक करने लगी है, जबकि सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी के लिए आईपीसी व अन्य कानूनों के तहत प्रावधान मौजूद हैं.

सुप्रीम कोर्ट 2015 में ही आईटी ऐक्ट की धारा 66 ए को असंवैधानिक करार दे कर रद्द कर चुका है. यह धारा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों को गिरफ्तार करने की शक्ति देती थी. जाहिर है, अब इस मामले में सामान्यतया किसी को अरैस्ट नहीं किया जा सकता है. मगर सत्ता मद में चूर लोग संविधान और कानून की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आते.

अब आलोचना को सुननेसहने और उस पर चिंतन करने का दौर नहीं है. आलोचना करने वाले की जबां काट लेने का दौर है. अपना दर्द कहने वाले को मौत की नींद सुला देने का दौर है. सोशल मीडिया पर ‘मीटू’ कैंपेन चलने के बाद से तो हर रसूखदार और तथाकथित क्लीन कौलर आदमी दहशत में है.

भारत में सोशल मीडिया का अनुभव ज्यादा पुराना नहीं है. अन्य देशों के समाज ने जहां इस के साथ स्वाभाविक संबंध बना लिए हैं और इस के लिए जरूरी सहिष्णुता भी विकसित कर ली है, वहीं भारत में सोशल मीडिया वाक्युद्ध के अखाड़े के रूप में विकसित हुआ है. इस क्रम में यहां तमाम शिष्टता और शालीनता की धज्जियां उड़ रही हैं. सोशल मीडिया पर विरोधियों को गालियां देना, उन की इमेज या उन के धर्म को टारगेट करना, उन के निजी जीवन पर हमला करना है, यहां तक कि उन के चेहरे, शरीर, पहनावे, हेयरस्टाइल तक पर कमैंट करना आम चलन हो गया है. सोशल मीडिया पर खुद को अभिव्यक्त करने की आजादी का संयमित इस्तेमाल लोगों को नहीं आता है. उन्हें नहीं पता कि विरोध की भी एक गरिमा होती है.

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हाल के दिनों में जिस तरह राजनीतिक पार्टियों और नेताओं पर अपमानजनक टिप्पणियां देखने को मिल रही हैं, उन के जिम्मेदार खुद राजनेता ही हैं, जिन्होंने पहले अपने फायदे के लिए सोशल मीडिया को राजनीति का मैदान बनाया और अब जब क्रिया पर प्रतिक्रिया हो रही है तो वे उस प्रतिक्रिया को दबाने के लिए गैरकानूनी कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं.

पिछले कुछ समय से सियासी कटुता बहुत बढ़ी है. इस माहौल का दबाव पुलिस प्रशासन पर भी काफी है. वह सत्ता पक्ष से जुड़ी किसी भी तरह की आलोचना के खिलाफ सख्त कदम उठा कर अपनी तत्परता दिखाना चाहता है. उपरोक्त सभी घटनाएं इसी का उदाहरण हैं. आज सोशल मीडिया पर अपने विरोध को सहजता से लेने के बजाय राजनेता ही नहीं, उन के तमाम समर्थक भी विरोधी पक्ष को मुंहतोड़ जवाब देने पर आमादा हो जाते हैं.

मीटू कैंपेन ने बढ़ाया डर

सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को ले कर नेताओं और साफ कौलर आदमी में डर का माहौल ‘मीटू’ कैंपेन के बाद से दिखना शुरू हुआ है. इस कैंपेन के तहत एक के बाद एक कई फिल्मी हस्तियों, राजनेताओं, मीडियाकर्मियों पर महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया, जिस का परिणाम यह निकला कि आरोपितों की इज्जत तो सरेबाजार उछली ही, उन के पद और सम्मान भी छिन गया, साथ ही उन का सामाजिक बहिष्कार भी हुआ.

यौन उत्पीड़न का दंश झेलने वाली महिलाओं के लिए जहां सोशल मीडिया अपना दर्द सुनाने का बढि़या प्लेटफौर्म बना वहीं मर्दों में यह डर पैदा हो गया कि पता नहीं अगला नाम किस का सामने आ जाए. हालांकि सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती कहने वाली सभी महिलाएं सच्ची हैं, यह कहना भी ठीक नहीं होगा. कइयों ने अपनी भड़ास निकालने के लिए पुरुष को बदनाम करने की नीयत से भी सोशल मीडिया का मिसयूज किया.

2019 के आम चुनाव का वक्त करीब आया तो राजनीतिक पार्टियों ने अपने विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए सोशल मीडिया का जम कर दुरुपयोग किया. सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बहुत सस्ते में और आसानी से अपना प्रचार करने व विरोधियों पर प्रहार करने का मौका मिला. सोशल मीडिया ने उन्हें अपनी बात कहने का बड़ा मंच दिया. मगर इस साधन का लोगों ने जीभर कर दुरुपयोग किया.

आज सोशल मीडिया का सब से ज्यादा इस्तेमाल राजनीतिक पार्टियों और उन के समर्थकों द्वारा ही हो रहा है, मगर जिस तरह से हो रहा है वह वाकई चिंता का विषय है. सोशल मीडिया पर राजनेता ही नहीं, बल्कि उन के समर्थक भी शालीनता की सारी हदें पार करते नजर आते हैं. किसी के निजी जीवन के साथ उन के परिवार को भी इस में घसीट लेना आम चलन हो गया है. मां, बहन, बेटी को गाली देना, गलत अफवाहें उड़ाना, अश्लील और भद्दी बातें करना, फोटो एडिट कर के कुछ का कुछ दिखा देना आज आम बात हो चुकी है.

इसी सोशल मीडिया पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गरबा करते भी पेश किया जा चुका है. सोशल मीडिया पर जिस तरह विरोधियों को आहत करने के लिए निजी हमले किए जा रहे हैं, उन के निजी जीवन में घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं, वह समाज के लिए बेहद सोचनीय है.

अपनी भड़ास निकालने के लिए मर्यादा का उल्लंघन करते वक्त लोग यह भी भूल जाते हैं कि इस से खुद को भी कुछ नहीं मिलना है, वहीं आप इन मामलों में जिन का कोई लेनादेना नहीं है उन्हें भी घसीट रहे हैं. यह समाज को विचारशून्यता की ओर ले जाने का प्रतीक है. यह समाज और राजनीति के गिरते स्तर का प्रतीक है.

सोशल मीडिया से हुए बड़े काम

आज के दौर में सोशल मीडिया जिंदगी का अहम हिस्सा है, जिस के बहुत सारे फीचर हैं, जैसेकि सूचनाएं प्रदान करना, मनोरंजन करना और शिक्षित करना. हम इंटरनैट के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने तक अपनी पहुंच बना सकते हैं. सोशल मीडिया एक विशाल नैटवर्क है, जो सारे संसार को जोड़े हुए है.

सोशल मीडिया के ठीक उपयोग से किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध किया जा सकता है. सोशल मीडिया के जरीए ऐसे कई विकासात्मक कार्य हुए हैं, जिन्होंने लोकतंत्र को समृद्ध बनाने का काम किया है. सोशल मीडिया के माध्यम से इस देश में 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ महाअभियान चला था, जिस के कारण विशाल जनसमूह समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ा और उसे प्रभावशाली बनाया था.

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2012 में सोशल मीडिया के माध्यम से ही ‘निर्भया’ को न्याय दिलाने का संदेश प्रसारित हुआ था और उस के लिए विशाल संख्या में युवा सड़कों पर उतरे थे. इस से सरकार पर भी दबाव बना और इस दबाव की वजह से ही लड़कियों की सुरक्षा देने के लिए एक नया और ज्यादा प्रभावशाली कानून बन सका था.

2014 के आम चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने सोशल मीडिया का जम कर उपयोग किया और जनता को वोट डालने के लिए जागरूक किया.

2014 के आम चुनाव में सोशल मीडिया के जरीए युवाओं को उत्साहित किया गया, जिस के चलते वोटिंग प्रतिशत में जबरदस्त उछाल आया था. अन्ना के आंदोलन से उभरे और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के चुनाव में भारी सफलता मिली तो इस का श्रेय फेसबुक को जाता है. लोक सभा चुनाव के दौरान भी फेसबुक के जरीए खूब प्रचार हुआ.

पिछले एक दशक में कई बड़ी खबरें सोशल मीडिया के जरीए ही लाइमलाइट में आईं. आम आदमी को सोशल मीडिया के रूप में ऐसा टूल मिल गया, जिस के जरीए वह अपनी बात एक बड़ी आबादी तक पहुंचा सकता है. आम आदमी के साथ राजनेता भी फेसबुक, ट्विटर पर आ गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं ने फेसबुक और ट्विटर पर अपने अकाउंट्स बना लिए हैं ताकि वे सीधे आम लोगों के साथ संपर्क साध सकें.

लोक सभा चुनाव से पहले राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी ट्विटर पर आने की घोषणा की थी. यहां तक कि सोशल मीडिया से हमेशा दूरी बनाए रखने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती तक ने सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. सोशल साइट्स की लोकप्रियता ही है कि कभी कंप्यूटर का भारी विरोध करने वाले वामपंथी नेताओं को भी लोकसभा चुनाव के दौरान फेसबुक पर आना पड़ा.

माकपा नेता और सांसद मो. सलीम मानते हैं कि लोगों से संवाद करने के लिए सोशल मीडिया एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है. उन का कहना है कि सोशल मीडिया आज बहुत ही जरूरी माध्यम हो गया है. इस माध्यम के जरीए एक बड़ी आबादी से अपने विचार साझा किए जा सकते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो सभी मंत्रालयों और मंत्रियों को सोशल मीडिया पर आने को कहा है ताकि मंत्रालय के कामकाज के बारे में लोग जान सकें और काम में भी पारदर्शिता बनी रहे.

फेसबुक ने लंबे अरसे से बिछड़े पिताबेटी, भाईबहन और दोस्तों को मिलवाने का भी काम किया है. आज सोशल मीडिया संदेश के प्रसार के लिए एक बेहतरीन प्लेटफौर्म है, जहां व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने किसी उत्पाद को ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बना सकता है. फिल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसार भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है. वीडियो तथा औडियो चैट भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हुआ है, जिन में फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्ट्राग्राम जैसे कुछ प्रमुख प्लेटफौर्म हैं. अब लोग सूचना पाने के लिए अखबार, रेडियो या टीवी चैनलों के भरोसे नहीं बैठे रहते. आज सैकंड से भी कम वक्त में सूचनाएं आप के सामने होती हैं.

तकनीक जब बन जाए अभिशाप

सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक और नकारात्मक जानकारी साझा की जाती है, जिस से जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. सांप्रदायिक उन्माद और मौब लीचिंग की कितनी घटनाएं सोशल मीडिया के कारण हुईं.

चंद मिनटों में घृणित और सांप्रदायिक संदेशों को फैला कर आम लोगों को किसी धर्म विशेष के खिलाफ उकसाने और दंगा भड़काने का काम बीते 5 सालों में सोशल मीडिया के माध्यम से कई दफा किया गया है. कई बार तो बात इतनी बढ़ गई कि सरकार को सोशल मीडिया पर बैन तक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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जम्मूकश्मीर जैसे राज्य में दंगा भड़कने पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा, तो वहीं मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हुए किसान आंदोलन के दौरान भी स्थिति बेकाबू होने पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया ताकि असामाजिक तत्त्व किसान आंदोलन की आड़ में किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे पाएं.

हाल के वर्षों में सोशल मीडिया के जरीए आपराधिक गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ है. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग येनकेनप्रकारेण दूसरों के अकाउंट्स हैक कर आपत्तिजनक तसवीरें और अन्य सामग्री डाल कर दुश्मनी निकाल रहे हैं. कम उम्र के बच्चों ने भी फेसबुक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जिस का उन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.

जब किसी भी चीज का दुरुपयोग होने लगता है तो वह वरदान नहीं अभिशाप बन जाती है. इस में कोई दो राय नहीं है कि सोशल मीडिया आज लोगों के लिए बहुत ही आवश्यक है, लेकिन इस का जो दूसरा पहलू है उस से बचने की जरूरत है. सोशल मीडिया की कार्यपद्धति और उस के इस्तेमाल करने के तरीके को समझना जरूरी है.

प्यार में कभी-कभी

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्यार से सुंदर कुछ नहीं पर जिद या ग्रांटेड ले कर प्यार करना बेकार है. प्यार को प्यार की नजर से करना ही सही है. कई बार व्यक्ति प्यार समझ नहीं पाता. प्यार अचानक होता है और इस में कोई एज फैक्टर, कास्ट, क्रीड आदि कुछ मायने नहीं रखता.

प्रेम बन सकता है तनाव का सबब

प्यार किसी के लिए दवा का काम करता है तो किसी के लिए तबाही और बदले का सबब भी बन जाता है. हर इंसान अपने व्यक्तित्व और परिस्थितियों के हिसाब से प्यार को देखता है. प्यार अंधा होता है पर कितना यह बाद में पता चलता है. इस लिए फौल इन लव कहते हैं यानी आप प्यार में गिर जाते हैं. गिर जाना यानी अपनी आईडेंटिटी, अपना सब कुछ भूल जाते हैं. इस के अंदर आप खुद को भूल कर दूसरे को सिर पर चढ़ा लेते हैं. इस लिए प्यार में बहुत से लोग पागल हो जाते हैं तो कुछ आत्महत्या कर लेते हैं.

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प्यार किस तरह की पर्सनैलिटी वाले शख्स ने किया है इस पर काफी कुछ डिपेंड करता है. इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी के लिए प्यार हमेशा डिपेंडेंट फीचर रहता है. उस की सोच होती है कि दूसरा शख्स मेरा ध्यान रखेगा, मुझे प्यार करेगा, मुझे संभालेगा. वह एक तरह से दूसरे बंदे पर पैरासाइट की तरह चिपक जाता है. इस तरह के लोग काफी कमजोर होते हैं. वे बहुत जल्द खुश हो जाते हैं तो जल्द डिप्रेशन में भी आ जाते हैं.

प्यार में 3 फैक्टर्स बहुत हाई लेवल पर रहते हैं; पहला त्याग, दूसरा कंपैटिबिलिटी और तीसरा दर्द. दूसरा बंदा आप को किस तरह से देख रहा है, आप को कितने अंको पर आंक रहा है यह भी काफी महत्वपूर्ण है. वह आप से किस लेवल तक क्या चाहता है यह देखना भी जरुरी है.

हार्मोन्स का लोचा

प्यार में कई तरह के हारमोंस निकलते हैं जिस का असर हमारी ओवरआल पर्सनैलिटी पर पड़ता है. प्यार से व्यक्ति को एक तरह का किक मिलता है. कोई सामने वाला जब आप की मनपसंद ,प्यार भरी बातें कर रहा होता है तो आप खुश हो जाते हैं. प्यार का कनेक्शन एक तरह के एन्जाइम्स से रहता है जो आप को खुश और दुखी दोनों रख सकता है. इस में जब ख़ुशी मिलती है तो डोपामाइन हार्मोन्स सीक्रेट होता है. इस से कई बार आप बहुत ज्यादा वेट गेन कर लेते हैं और प्यार में आप फिट भी हो जाते हैं क्यों कि आप को सामने वाले को खुश भी करना होता है. प्यार में कई तरह के पर्सनैलिटी चेंजेज होते रहते हैं.

असुरक्षा की भावना

प्यार में इनसिक्योरिटी लेवल यानी असुरक्षा की भावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. आप सामने वाले पर हमेशा नजर रखते हैं कि वह किसी और को तो नहीं देख रहा ,किसी और से बातें तो नहीं कर रहा ,किसी और के करीब तो नहीं हो रहा, दूसरा व्यक्ति कहीं मुझ से मेरे प्यार को छीन तो नहीं लेगा जैसी बातें आप के दिमाग में चलती रहती है. प्यार में हम डिपेंडेंट हो जाते हैं. अपना चोला बदल लेते हैं. अपना सब कुछ भूल जाते हैं यहाँ तक कि अपना काम भी. हमारा पूरा ध्यान एक ही बन्दे पर केंद्रित हो जाता है. इस से हमारा काम, हमारा शेड्यूल सब कुछ प्रभावित हो जाता है.

डिपेंडेंसी

आप किसी पर पूरी तरह डिपेंडेंट हो जाते हैं तो आप की अपनी पर्सनॅलिटी खो जाती है. आप किसी और का चोला पहन लेते हैं. उसे खुश करने के लिए आप उस की पसंद की बात कहते हैं, उस की पसंद के कपड़े पहनते हैं, दूसरों से भी उसी की बातें करते रहते हैं, उसी को समझने का प्रयास करते हैं. सारा दिन उसी के ख्यालों में रहने लगते है. दिन भर उस से फोन पर बातें कर टच में रहने की कोशिश में रहते हैं. एक समय आता है जब वह बदा कहीं न कहीं आप को यूज़ करने लगता है. आप उस के लिए फॉर ग्रांटेड हो जाते हैं. साइकोलॉजिकली आप  ड्रेंड आउट हो जाते है. आप की जिंदगी में भारी परिवर्तन होने लगता है. कोई व्यक्ति आप के सिस्टम में घुस जाता है.

जब टूटता है नशा

प्यार का नशा जब टूटता है तो हम कहते हैं कि हमारी आंखों पर पट्टी बंधी थी. हम प्यार में अंधे हो गए थे. सच्चाई से अवगत होने पर इस चीज को बर्दाश्त नहीं कर पाते कि हम कहीं न कहीं ऐसे आदमी से जुड़े थे जो डबल डेटिंग कर रहा था. आप के साथसाथ किसी और के भी क्लोज था. अक्सर लड़कियां स्मार्टनेस या पैसे देख कर फंस जाती है. प्यार एक बहुत ही मिसअंडरस्टूड शब्द है. प्यार में कभी भी आप को 100% वापस नहीं मिलता. फिर हमें इस बात का डिप्रेशन होता है कि मैं उसे जितना प्यार करती हूं वह उतना मेरा ख्याल क्यों नहीं रखता , मुझे पूछता क्यों नहीं. आप उस के लिए अपने मांबाप ,दोस्तों और जिम्मेदारियों को भी छोड़ देते हैं पर संभव है कि वह आप को ही छोड़ दे.

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प्यार में रिलीजन यानी धर्म की वजह से अक्सर ऑनर किलिंग्स के कैसेज होते हैं. सुसाइड होते है. वेबसुसाइड होते है. व्हाट्सएप पर ही इंसान दूसरे को दिखाते हुए आत्महत्या कर लेता है. प्यार में फ्रौड केसेज भी काफी होते हैं. कई बार जिस से आप प्यार कर रहे होते हैं वही व्यक्ति एक साथ कई लड़कियों के साथ डेट कर रहा होता है.

कई बार मुस्लिम युवक हिंदू लड़की को मुस्लिम बनाने के लिए प्यार का नाटक करते हैं. प्यार में कई बार बदला लेने के लिए भी लोग किसी को अपने प्रेमजाल में फंसा कर आप की जिंदगी को खतरे में डाल सकते है. इसी तरह के मामलों में एसिड अटैक या मर्डर की घटनाएं होती हैं. सामने वाले को बदनाम करना या उस की हत्या कर देना ,उस के फोटो का गलत इस्तेमाल करना जैसी घटनाएं भी आम हैं. वन साइडेड लव है तो साइको लवर्स पैदा हो जाते हैं. सामने वाले पर एसिड अटैक कर देने या मार डालने की घटनाएं भी अक्सर होती रहती हैं. अपने साथी के साथ मिल कर पुराने प्रेमी का खात्मा करना जैसे क्राइम्स एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की वजह से जन्म लेती हैं.

कैसे बचें

कभी भी किसी इंसान को अपना सब कुछ मान कर अपना पूरा वक्त न दें. हमेशा एक सीमा में रह कर ही किसी से प्यार करें.

कभी भी किसी के लिए अपनी आईडेंटिटी ख़त्म न करें. अपनी आईडेंटिटी हमेशा बचा कर रखें क्यों कि आप की पहचान आप से है किसी और से नहीं.

अपनी पसंद का काम करते रहे ताकि आप जीवन से किसी के जाने पर बिलकुल खाली और बर्बाद न हो जाएँ.

ब्रेकअप को सहजता से लें. कोई आप को छोड़ कर चला गया तो इस का मतलब यह नहीं कि कमी आप में है या आप बेचारी बन गई. अपनी जिंदगी जीना न छोड़ें. एक दिन वह आप को छोड़ने के लिए जरूर पछतायेगा.

मर जाऊं या मार दूँ जैसी भावनाएं दिलोदिमाग के आसपास भी फटकने न दें.

किसी के जाने पर उस के पीछे पड़ जाना बेवकूफी है. हर वक्त उसे मैसेज करना ,तंग करना ,तड़पना ,आहें भरना ,डिप्रेशन में आ जाना,दिन भर उसी के बारे में सोचना, साइको बन जाना, यह सब सही नहीं है. इस तरह आप खुद को नीचे गिराते हैं. इस से बचें.

क्या कहता है कानून

रेस्ट्रिक्शन आर्डर – यदि कोई ऐसा शख्स आप से प्यार करने का दावा करता है जिस के प्रति आप के मन में कोई सॉफ्ट कार्नर नहीं और वह जबरदस्ती पीछे पड़ा है और बेवजह परेशान करने लगा है तो आप उस पर रेस्ट्रिक्शन आर्डर लगवा सकती हैं. इस के तहत वह व्यक्ति 100 मीटर की दूरी तक आप के आस पास भी नहीं दिख सकता.

इस के अलावा आप दूसरे कई तरह से कानून का सहारा ले सकती हैं. मसलन ;

आईपीसी की धाराएं जैसे

धारा 509 – यदि कोई बातों से और हावभाव से आप को परेशान कर रहा हो जब कि आप का रुझान उस की तरफ नहीं है. धारा 506 – यदि कोई भी व्यक्ति धमकी देता है जैसे कि जान से मारने की धमकी ,रेप करने की धमकी तो इस तरह की धमकियां देने पर आईपीसी की धारा 506 लगती है.

धारा 376 -यदि रेप हुआ हो तो यह धारा लग सकती है.

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धारा 354 -सेक्सुअल हैरेसमेंट और स्टॉकिंग आदि के केसेस में धारा 354 लगती है.

धारा 302 – कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है.

धारा 366 – विवाह के लिए विवश करने के मकसद से किडनैप किये जाने पर धारा 366 लगाया जा सकता है.

धारा 326 – यह धारा एसिड अटैक के केसेस में लगाईं जाती है.

जानें क्या है लिपोसक्शन, जिससे मिलेगी स्लिम बौडी

लिपोसक्शन प्रक्रिया में शरीर के आकार को सुधारने के लिए वसा के जमाव को निकाला जाता है, जिसे डाइट और एक्सरसाइज से कम नहीं किया जाता सकता. यह सर्जरी आमतौर पर नितंबों, पेट, जांघें और चेहरे पर की जाती है. लिपोसक्शन के द्वारा केवल वसा निकाली जाती है सैल्युलाइट नहीं. यह सर्जरी एनेस्थीसिया दे कर की जाती है. सर्जन छोटा कट लगा कर उस में सक्शन पंप या एक बड़ी सीरिंज डाल कर अतिरिक्त वसा निकाल लेता है. इस में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है कि कितनी वसा निकाली जानी है.

लिपोसक्शन के प्रकार

लिपोसक्शन की कई अलगअलग तकनीकें हैं, जिन में 2 सब से प्रचलित हैं:

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ट्युमेसैंट लिपोसक्शन

इस तकनीक में शरीर के वसा वाले क्षेत्रों में सर्जरी से पहले एक घोल डाला जाता है, जिस से वसा निकालने में आसानी होती है. इस से रक्तस्राव कम होता है और सर्जरी के पहले और बाद में दर्द कम करने में मदद मिलती है.

अल्ट्रासाउंड असिस्टेड लिपोसक्शन

अल्ट्रासाउंड असिस्टेड लिपोसक्शन में वसा को तरल करने के लिए अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग किया जाता है. ठोस वसा की तुलना में तरल वसा को निकालना आसान होता है. यह प्रक्रिया दर्दरहित है और सर्जरी के बाद भी बहुत कम लोगों को दर्द की शिकायत रहती है. लगभग 40% लोगों को तो किसी भी दर्दनिवारक दवा की आवश्यकता नहीं पड़ती.

बैरिएट्रिक सर्जरी और लाइपोसक्शन में अंतर

लाइपोसक्शन बौडी कंटूरिंग सर्जरी है. यह न केवल भार कम करने वाली सर्जरी है, बल्कि शरीर को आकार देने के लिए की जाती है. यह कौस्मैटिक सर्जरी है, इसलिए इस के बैरिएट्रिक सर्जरी जैसे स्वास्थ्य लाभ नहीं हैं. लाइपोसक्शन के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों से वसा निकाली जाती है.

बैरिएट्रिक सर्जरी को मैटाबोलिक सर्जरी भी कहते हैं. इस का उद्देश्य केवल मोटापा कम करना ही नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारना और जीवनकाल बढ़ाना भी होता है. यह सर्जरी लैप्रोस्कोपिक तकनीक के द्वारा की जाती है. इस में आंत को छोटा कर दिया जाता है या उस का मार्ग बदल दिया जाता है, जिस से सर्जरी कराने के बाद भूख कम लगती है, व्यक्ति कम खाता है, जिस से वजन कम करने में सहायता मिलती है. यह सर्जरी कराने का सुझाव उन लोगों को दिया जाता है, जिन का बीएमआई 40 से अधिक होता है, जो 5 या उस से अधिक वर्ष से मोटे हैं और जिन की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच है. बैरिएट्रिक सर्जरी में एक बार में शरीर के कुल भार से 10% से अधिक वसा नहीं निकाली जानी चाहिए वरना यह घातक हो सकता है.

लिपोसक्शन के लिए कोई आयुसीमा निर्धारित नहीं है. 60 वर्ष की आयु के लोगों में भी इस के अच्छे परिणाम मिले हैं. दोनों ही सर्जरियां पेशेवर डाक्टर से ही कराएं.

कब जरूरी है लाइपोसक्शन

– गर्भावस्था के बाद शरीर को सही आकार देने के लिए.

– बेनिग्न फैटी ट्यूमर्स को ठीक करने के लिए.

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– उन जगहों जैसे ठुड्डी, गरदन और चेहरे से वसा को कम करना जहां से वसा निकालना कठिन हो.

– बगल से अत्यधिक पसीना निकलने की समस्या से पीडि़त लोगों के उपचार के लिए.

– शरीर के कुछ निश्चित अंगों का आकार कम करने के लिए.

– सुडौल टमी के लिए.

रिस्क फैक्टर्स

सभी सर्जरियों में कोई न कोई रिस्क होता है. लिपोसक्शन को अगर विशेषरूप से प्रशिक्षित कौस्मैटिक सर्जन से कराया जाए तो इस के अच्छे परिणाम मिलते हैं और रिस्क न्यूनतम होता है. अधिकतर लोग सर्जरी के 2 सप्ताह बाद अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकते हैं. फिर भी इस से जुड़े कुछ रिस्क निम्न हैं:

– आमतौर पर लिपोसक्शन में सब से बड़ा खतरा संक्रमण का होता है.

– कुछ सप्ताह तक, सूजन और दर्द हो सकता है.

– स्किन का खुरदुरा हो जाना, उस का लचीलापन कम हो जाना.

– स्किन के नीचे अस्थाई पौकेट्स जिन्हें सेरोमास कहा जाता है में फ्लूड का जमा हो जाना, जिसे नीडल से निकाला जाता है.

– प्रभावित क्षेत्र में स्थाई या अस्थाई सुन्नपन.

– स्किन के संक्रमण के मामले बहुत कम देखे जाते हैं, लेकिन गंभीर स्किन संक्रमण के कारण मृत्यु भी हो सकती है.

– वसा के लूज टुकड़े रक्त नलिकाओं में फंस जाते हैं और फेफड़ों में इकट्ठे हो जाते हैं या मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं, इसे फैट ऐंबोलिज्म कहते हैं जो एक चिकित्सीय आपात स्थिति है.

– किडनी और हृदय की समस्याएं.

– स्किन का ऊंचानीचा और बदरंग हो जाना.

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इन बातों का रखें ध्यान

डाक्टर आप को सर्जरी के लिए तैयार करने के लिए सही खानपान, अलकोहल का सेवन कम करने, कुछ विटामिनों का सेवन करने या न करने की सलाह देंगे:

– अपने डाक्टर से अपने लक्ष्य, औप्शन, रिस्क और लाभ के बारे में चर्चा करें.

– लिपोसक्शन कराने के बाद आप उसी दिन घर जा सकते हैं. हां, अगर अधिक मात्रा में वसा निकाली गई है तो आप को 1-2 दिन अस्पताल में रुकना पड़ सकता है.

– अगर सर्जन आप के शरीर की बड़ी सतह पर कार्य करता है या एक ही औपरेशन में कई प्रक्रियाएं करता है तो जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है.

– जिन लोगों में वसा के बजाय सैल्युलाइट का जमाव हो उन्हें लिपोसक्शन नहीं कराना चाहिए, क्योंकि उपचार कराए गए स्थान की स्किन पर अनियमितताएं विकसित हो सकती हैं.

– हालांकि उम्र इस में एक महत्त्वपूर्ण कारक नहीं है, लेकिन चूंकि उम्र बढ़ने के साथ स्किन का लचीलापन कम हो जाता है, इसलिए अधिक उम्र के लोगों को लिपोसक्शन के द्वारा उतने अच्छे परिणाम नहीं मिल सकते जितने युवा लोगों को मिलते हैं, क्योंकि उन की स्किन टाइट होती है.

लिपोसक्शन से रहें ये दूर

– 18 वर्ष से कम उम्र के लोग.

– गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं.

– ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं से पीडि़त जिन के घाव भरने में समय लगता है.

– ऐसे लोग जो रक्त को पतला करने वाली दवा लेना बंद नहीं कर सकते.

ये लिपोसक्शन करवाएं

– जिन का वजन सामान्य से बहुत अधिक न हो.

– जिन की स्किन दृढ़ और लचीली हो.

– जिन का संपूर्ण स्वास्थ्य अच्छा हो.

– शरीर पर जगहजगह वसा का जमाव नजर आए.

-डा. लोकेश कुमार

एचओडी डाइरैक्टर, प्लास्टिक और कौस्मैटिक सर्जरी, बीएलके सुपरस्पैश्यलिटी हौस्पिटल, नई दिल्ली –   

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घर पर बनाएं टेस्टी एंड हैल्दी मैंगो पनीर रोल्स

गरमियों में आम हर मार्केट में मौजूद होता है. आम केवल काटकर खाने में ही नही बल्कि कई डिश बनाने में भी इस्तेमाल होता है. आज हम आपको आम से बने मैंगों पनीर रोल्स की रेसिपी के बारे में बताएंगे. जिसे आप अपनी फैमिली को स्नैक्स के रूप में खिला सकते हैं. ये हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी भी होता है और इसे बनाना भी आसान है.

हमें चाहिए

– 1 दशहरी आम पका – 50 ग्राम पनीर

– 1 बड़ा चम्मच बादाम फ्लैक्स

– 2 बड़े चम्मच चीनी पाउडर\

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– 1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर

– थोड़ी सी स्ट्राबेरी लंबे पतले कटे टुकड़े

– थोड़ा सा बारीक कटा पिस्ता.

बनाने का तरीका

आम को छील कर लंबाई में स्लाइस कर लें. 7 स्लाइस बनेंगे. पनीर को हाथ से मसल कर इस में चीनी पाउडर, इलायची चूर्ण व बादाम के फ्लैक्स मिला दें.

प्रत्येक स्लाइस पर थोड़ा सा पनीर वाला मिश्रण रख कर रोल कर दें. पिस्ता व स्ट्राबेरी से सजा कर सर्व करें.

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मिस्ट्री बौय के साथ नजर आईं श्रीदेवी की बेटी, वायरल हुई फोटोज

बौलीवुड एक्ट्रेस श्रीदेवी की बड़ी बेटीं जाह्नवी कपूर जहां अक्सर सुर्खियों में रहती हैं तो वहीं अब छोटी बहन खुशी कपूर भी मीडिया में छा गई हैं. हाल ही में भाई अर्जुन कपूर और बहन अंशुला कपूर से मिलने पहुंची खुशी एक मिस्ट्री बौय के साथ नजर आईं, जिसके बाद उनकी फोटोज मीडिया में वायरल हो गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं खुशी और उनके मिस्ट्री बौय की कुछ खास फोटोज…

अक्सर भाई अर्जुन कपूर से मिलने जाती हैं खुशी

 

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Khushi Kapoor was comfy & cazh AF running some errands last night ✌?

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खुशी कपूर आए दिन अपने भाई अर्जुन कपूर से मिलने जाती रहती हैं. कई बार उनको अर्जुन के घर के बाहर देखा जा चुका है. बीती रात यानी सोमवार को भी वह अपने भाई और बहन अंशुला से मिलने पहुंची थी. जहां पर खुशी एक मिस्ट्री बौय के साथ स्पौट हुई.

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मिस्ट्री बौय के साथ स्माइल करती नजर आईं खुशी

भाई अर्जुन के घर के बाहर खुशी मिस्ट्री बौय के साथ मुस्कुराती नजर आई, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं.

मिस्ट्री बौय के साथ सिंपल लुक में नजर आईं खुशी

मिस्ट्री बौय के साथ खुशी सिंपल ब्लैक कलर के टॉप के साथ ग्रे पायजामा कैरी करते हुए नजर आईं, जिसमें वह बहुत सिंपल और कूल लग रही थीं. वहीं बता दें मिस्ट्री बौय खुशी कपूर का फ्रैंड है, जो खुशी को कंपनी देने अर्जुन के घर पहुंचा था.

आए दिन दोस्तों के साथ दिखती हैं खुशी

 

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वैसे यह पहली बार नहीं है जब खुशी अपने दोस्तों के साथ घूमने निकली हैं. पहले भी कई बार खुशी को उनके दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए देखा जा चुका है.

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बता दें, बौलीवुड में खबरें हैं कि खुशी कपूर भी अपनी बहन जाह्नवी की तरह बौलीवुड में डेब्यू करने वाली हैं. अब देखना ये होगा कि अगर खुशी बौलीवुड में एंट्री करती हैं तो क्या वे अपनी मम्मी श्रीदेवी और बहन जाह्नवी की तरह जगह बना पाती हैं.

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