बेटों से आगे निकलती बेटियां

एक समय था जब बेटियां घर के कामों में अपनी मां का हाथ बंटाने तक सीमित होती थीं. घर का चूल्हाचौका, मेहमानों की खातिरदारी बस यही उन की नियति थी. शिक्षा पूरी होने से पहले ही उन्हें विवाह के बंधन में बांध दिया जाता था. पर बदलते जमाने के साथ बेटियों पर न सिर्फ मातापिता, बल्कि समाज की भी सोच बदली है. आज के बदलते जमाने की दौड़ में बेटियां हर क्षेत्र में बेटों से आगे निकल रही हैं.

सीबीएसई बोर्ड, यूपी बोर्ड, आईसीएसई बोर्ड इन सभी में लड़कियों का रिजल्ट लड़कों से बेहतर रहता है. समाज की रूढि़वाद सोच को पछाड़ कर आज बेटियां अपनी उड़ान भी भर रही हैं और साथ ही अपना फर्ज भी पूरी निष्ठा के साथ निभा रही हैं.

ऐसा नहीं है कि बेटे अपना कर्तव्य निभाने से चूक रहे हैं पर जिस तरह घर की औरतें, बेटियां घरपरिवार को संभालने के साथसाथ बाहर समाज में भी अपनी एक पहचान बना रही हैं बेटे ऐसा नहीं करते. वे सिर्फ बाहर के कार्यों तक ही सीमित रह जाते हैं.

सोच बदलने की जरूरत

जब एक लड़की घर के कामों के साथसाथ बाहरी कामों को भी पूरा कर सकती है तो घर के लड़के क्यों नहीं? घर के काम के प्रति बेटों की रुचि कम देखने को मिलती है. यदि घर की महिला रसोई का काम करती है तो घर का पुरुष घर के पंखे साफ क्यों नहीं कर सकता? जरूरी नहीं घर के काम का मतलब रसोई संभालना है. घर में रसोई के अलावा भी बहुत से ऐसे काम होते हैं, जो पुरुषों द्वारा आसानी से किए जा सकते हैं जैसे प्लंबर को बुलाना या इलैक्ट्रिशियन को.

महिलाएं सप्ताह के सातों दिन घरबाहर संभालती हैं. ऐसे में क्या घर के पुरुष इन कामों के लिए अपना वक्त नहीं निकाल सकते?

असल में हमारे समाज में पहले से ही बंटवारा कर दिया जाता है. यह पहले से ही तय होता है कि कौन सा काम लड़का करेगा और कौन सा लड़की. इसी वजह से लड़कों की सोच, उन की विचारधारा यह मान लेती है कि यह काम सिर्फ महिलाओं का है. मगर अब यह सोच हर घर की नहीं है, क्योंकि हमारे समाज में बदलाव आ रहा है और बदलते समाज में कुछ घरपरिवार ऐसे भी हैं जहां हर काम बराबर का होता है.

इस संबंध में दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफैसर संगीता कुमारी का कहना है, ‘‘व्यक्ति को लिंग भेद करने से पहले एक इंसान होने का फर्ज निभाना चाहिए. अगर हम अभी भी इस आजाद देश में ऐसी रूढि़वादी सोच को बढ़ावा देंगे तो हमारी मानसिकता, हमारी सोच हमेशा संकुचित ही रहेगी.’’

ताकि न हों भेदभाव

देश आजाद हो चुका है, वक्त बदल चुका है, पर कुछ चीजों का आजाद होना अभी भी बाकी है. दिल्ली निवासी बिजनैस वूमन प्रीति कहती हैं, ‘‘मेरे 2 बेटे हैं और वे मुझे कभी बेटी न होने की कमी महसूस नहीं होने देते. घर के कामों में मेरी मदद करते, मेरा पूरा ध्यान रखते अपने बिजी शैड्यूल की वजह से मैं ही उन्हें ज्यादा वक्त नहीं दे पाती.’’

किसी भी इंसान को बाहरी रूप से बदलना बहुत आसान है, लेकिन मानसिक रूप से बदलना बेहद कठिन. आज भी ऐसे घर हैं जहां बेटियां नहीं हैं और लोग तरसते हैं कि काश उन्हें एक बेटी होती. वहीं आज ऐसे भी घर हैं जहां बेटियां नहीं हैं और वे इस बात का जश्न मनाते हैं. ये वे लोग हैं जो हमारे समाज को रूढि़वादी सोच का गुलाम बनाने पर तुले हुए हैं.

सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि हम बचपन से ही अपने बच्चों को रूल ऐंड रैग्युलेशन का पाठ पढ़ाने लगते हैं. कुछ ऐसे रूल्स जो हमारे बेटों को मर्द बनाते हैं. अगर बेटा रोए तो उसे सिखाया जाता है रोना लड़कों का नहीं लड़कियों का काम है. इन्हीं बातों यानी ऐसी शिक्षा देने की वजह से ही लड़के ऐसा व्यवहार करने लगते हैं और घर के कामों में रुचि नहीं लेते, क्योंकि उन्हें पता होता है जो काम हमारे लिए है ही नहीं उसे क्यों करें. अगर हम इस तरह के पाठ पढ़ाना बंद कर दें तो हमारे समाज में यह भेदभाव समाप्त हो जाए.

अपनी बायोपिक में टाइगर को देखना चाहता हूं- जैकी श्रौफ

बौलीवुड एक्टर जैकी श्रौफ जल्द ही जौन अब्राहम स्टारर सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म रोमियो अकबर वाल्टर (रा) में अहम रोल में नजर आएंगे. हम आपके लिए लाए हैं उनका लेटेस्ट इंटरव्यू, जिसमें उन्होंने अपने फिल्मी कैरियर, निजी जिंदगी और अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में बात की.

सवाल: बौलीवुड के नए दौर को आप कैसे लेते है?

जवाब:
ये सबसे अच्छा समय है, जहां आपको काम मिल रहा है, लोग आपको सम्मान देते है, हर दिन सुबह काम पर जाने की इच्छा होती है. इसे बनाकर रखना है. मुझे कभी लगा नहीं कि मेरी उम्र हो गयी है. अभी भी काम करते वक्त वही एहसास होता है, वही जुनून अच्छा काम करने की होती है. अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द्र जैसे कलाकार आज भी बखूबी एक्टिंग करते है. दर्शक उन्हें आज भी देखना पसंद करते है, जो अच्छी बात है.

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सवाल: आप का नाम किसने बदला था?

जवाब:
मेरे स्कूल का एक दोस्त महेश तोरानी था, उसने ही मेरा नाम जैकी रखा था. मेरे माता-पिता ने संगीत निर्देशक जयकिशन के नाम पर मेरा नाम रखा था. मेरी मां और आस-पास के बच्चे मुझे ‘जग्गू’ कहकर पुकारते थे. मैंने बचपन से आस-पास के सबको सम्हाला है. किसी के साथ किसी तरह का लड़ाई झगड़ा हो, सबको ठीक करता था. मैं चाल से उठकर यहां पहुंचा हूं.

सवाल: आप अपनी जर्नी को कैसे देखते है?  क्या कभी आप पुराने दिनों को याद करते है?  

जवाब:

मेरी यहां एक अच्छी जर्नी रही है. मैंने 250 फिल्में की है, जिसमें अच्छे बुरे सारे अनुभव मेरे साथ है. तब कभी सोचा नहीं था कि यहां तक पहुंच पाऊंगा. तब मैं दिन में दो से तीन फिल्मों की शूटिंग करता था कही जंगलों में बांसुरी बाजा रहा होता था, तो कही जूही चावला के साथ रोमांटिक सौन्ग करता था. वहां से गुजरा हूं. तब थिएटर हौल की संख्या कम थी. देवानंद और शम्मी कपूर की फिल्मों को देखने के लिए मोर्निंग शो में जाता था. आज हौल बहुत है इसलिए हर तरह की फिल्में देखने का मौका मिलता है. फिल्मों के अलावा वेब सीरीज, टीवी धारावाहिक, छोटी फिल्में आदि सब बन रहे है. इससे टेक्नीशियन से लेकर सारे लोगों को काम मिला रहा है और उनका पेट भर रहा है. ये बहुत बड़ी बात है. आज कोई खाली नहीं है, सबको कुछ न कुछ काम मिलता है. ये सबसे अच्छा दौर चल रहा है.

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सवाल: इंडस्ट्री पहले से कितनी बदली है?

जवाब:

मैं आज के बच्चों की मेहनत और काम के प्रति लगन को भी देख रहा हूं. आज बहुत प्रतियोगिता है. हर दिन व्यक्ति को अपने आप को प्रूव करना पड़ता है. हम लकी है कि आज भी अच्छी भूमिका मिल रही है. इस फिल्म में मैंने रॉ एजेंट के भाई की भूमिका निभाई है, जो बहुत अच्छा रहा, क्योंकि इसमें सारे शहीदों को एक बार याद करने और उन्हें जानने का मौका मिला है. फिल्मों के जरिये ही ऐसे लोगों को दर्शक देख पाते है और उन्हें एक सम्मान भी मिलता है.

सवाल: अगर आपकी बायोपिक बने तो उसमें किसे देखना पसंद करेंगे?

जवाब:
मैंने सोचा नहीं है, लेकिन मैं अपने बेटे टाइगर श्रौफ को ही इसमें देखना पसंद करूंगा, क्योंकि वह बहुत कुछ मुझसे मिलता है और वह अच्छा कर भी पायेगा.

सवाल: क्या बेटे के साथ कभी फिल्मों में आने की इच्छा है? किस फिल्म के रीमेक में काम करना चाहते है?

जवाब:
बहुत इच्छा है, पर वैसी कहानी होनी चाहिए, जिसमें दोनों को अभिनय करने का मौका मिले. मैं फिल्म ‘गर्दिश’ के रीमेक में काम करना चाहता हूं.

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सवाल: आप किस तरह के पिता है और बच्चों को कितनी आजादी देते है?

जवाब:

मैंने बचपन में उन्हें सम्हाला है, अभी वे जानते है कि वे क्या कर रहे है, ऐसे में उन्हें अधिक सीख नहीं देता. इतना जरुर है कि जरुरत पड़ने पर वे मुझसे बात कर लेते है. मैं उन्हें पूरी आजादी देता हूं. टाइगर सारे स्टंट पूरी निगरानी में करता है. इसलिए मुझे कोई डर नहीं लगता.

सवाल: आप एक सुलझे हुए कलाकार कहलाते है, किसी भी भूमिका को आप सहजता से कर लेते है, इसकी वजह क्या मानते है?

जवाब:
मैं पानी की तरह बहता हुआ कलाकार हूं, जिसने जो रंग मिला दिया, उसी रंग में रंग जाता हूं. ऐसा मेरा पहली गर्लफ्रेंड आयशा के साथ भी हुआ मैंने उसके रंग को बदलने की कोशिश नहीं की उसके रंग में ही खुद को रंग डाला. असल में मैं एक आलू की तरह हूं, जिसे किसी भी सब्जी में मिला दिया जा सकता है. कभी फिल्म ‘देवदास’ तो कभी ‘मिशन कश्मीर’ जो जैसे आया, उसे करता गया.

सुबह का नाश्ता तन और मन रखे स्वस्थ

सेहतमंद रहने के लिए सुबह का नाश्ता बहुत जरूरी है. इस पर आप की दिनभर की दिनचर्या निर्भर करती है. आप दिनभर ऊर्जावान बने रहते हैं. जानकारों का मानना है कि सुबह का पौष्टिक नाश्ता आप को अपने कामकाज को अच्छी तरह से करने के लिए भरपूर ऊर्जा देता है. आप का नाश्ता कितना पौष्टिक होना चाहिए और इस के फायदे क्या हैं, आइए जानें :

सुबह का पौष्टिक और अच्छा नाश्ता करने से स्वास्थ्य लाभ होता है. यदि आप अपने स्वास्थ्य को ले कर गंभीर हैं और तंदुरुस्त रहना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप नियमित रूप से नाश्ता करें. इस में बिलकुल भी लापरवाही न बरतें.

फलों का नियमित सेवन करें

सुबह के नाश्ते में आप अपने मनपसंद फलों का सेवन कर सकते हैं. कुछ फलों जिन में, केला, अनार, संतरा, सेव आदि काफी लाभदायक हैं और इच्छानुसार इन का जूस या फिर इन्हें साबुत भी खा सकते हैं. वैसे फलों का बजाय जूस निकालने के साबुत खाना ज्यादा फायदेमंद रहता है, क्योंकि इस में आप को पर्याप्त फाइबर मिलता है जो शरीर के लिए बहुत जरूरी है.

अंडे का सैंडविच

अंडे का सेवन सुबह के नाश्ते में काफी जरूरी है. इस से आप का स्टेमिना बढ़ता है. अंडे में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है जो शरीर को भरपूर ऊर्जा देता है. यह मसल्स को मजबूत करता है. इसलिए नाश्ते में अंडे का सैंडविच काफी फायदेमंद होता है. सैंडविच के लिए आप उबले अंडे को बारीकबारीक टुकड़ों में काट लें और ब्राउन ब्रेड के पीस फ्राइपेन में गरम कर उन में अंडे के टुकड़ों को रखें इस के बाद ऊपर से हलका सा नमक बुरक दें. इस के ऊपर आधा चम्मच शहद लगा कर भी खाया जा सकता है. आप चाहें तो थोड़ी सी मियोनीज भी इस में मिला सकते हैं. यह खाने में काफी स्वादिष्ठ और पौष्टिक होता है.

जैमपीनट बटर के साथ ब्रैड

कई बार सुबह आप इतनी जल्दी में रहते हैं कि नाश्ता बनाने के लिए समय ही नहीं मिलता. ऐसे में आप भूखे पेट घर से निकल जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह है. कोशिश करें कि कभी भी घर से खाली पेट न निकला जाए.

जब आप को सुबह जल्दी जाना होता है और आप के पास नाश्ता बनाने के लिए बिलकुल भी समय नहीं रहता तो ऐसे में आप को चाहिए कि दो पीस ब्रैड के लें, एक पर जैम लगाएं और दूसरे पर पीनट बटर यानी मूंगफली का मक्खन लगाएं. दोनों को एकसाथ जोड़ कर खाएं. यह काफी पौष्टिक होता है और आसानी से तैयार हो जाता है.

ओट्स का सेवन करें

ओट्स कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम करने में काफी कारगर है. यह जल्दी ही घुल भी जाता है और फाइबर से भरपूर है. इस में बीटा ग्लूकेन भी होता है. यह नाश्ते का स्वस्थ विकल्प है. इस का सेवन आप फलों व मेवों के साथ भी कर सकते हैं. यह बनाने में भी काफी आसान होता है.

उपमा और पोहा भी है फायदेमंद

उपमा और पोहा दोनों काफी हैल्दी आहार हैं. खास कर इन का सेवन गुजराती ज्यादा करते हैं. आप इन्हें पौष्टिक बनाने के लिए इन में मटर, प्याज, पनीर, शिमला मिर्च आदि पसंदीदा सब्जियां डाल सकते हैं. इन में आप को स्वाद और पोषण दोनों मिलेगा. इन के सेवन से जहां आप को ऊर्जा मिलेगी वहीं पेट भरा होने से काम करने में भी आसानी होगी.

लो कैलोरी ब्रेकफास्ट

सप्ताह में एक दिन आप लो कैलोरी ब्रेकफास्ट भी ले सकते हैं. मैक्सिकन खाना इस के लिए सही माना जाता है, क्योंकि इस में कैलोरी और वसा की मात्रा काफी कम रहती है. आप चाहें तो बे्रकफास्ट बरीटो से नाश्ता कर सकते हैं.

सब्जियों का सूप है फायदेमंद

वैजिटेबल जूस यानी सब्जियों का सूप स्वास्थ्यवर्धक है. सब्जियों का सूप के रूप में सेवन करने से शरीर इस से पोषक तत्त्वों को बेहतर तरीके से ग्रहण करता है. स्वाभाविक तौर पर वैजिटेबल सूप पीने से शरीर को उच्च स्तरीय पोषक तत्त्व और एंटीऔक्सिडैंट की आपूर्ति होती है. सुबह के नाश्ते में एक गिलास सूप आप को ऊर्जावान बना देता है.

नाश्ता क्यों है जरूरी

नाश्ते से भरपूर ऊर्जा तो मिलती ही है, इस के अलावा इस में खास खाद्य पदार्थ कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी, प्रोटीन और फाइबर जैसे महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों का भी अच्छा स्रोत है. शरीर को इन आवश्यक पोषक तत्त्वों की जरूरत रहती है. एक शोध से मालूम हुआ कि यदि आप नाश्ता नहीं करते या इसे इग्नोर करते हैं तो शरीर में काफी सारे पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है जिन की भरपाई करना मुश्किल होता है.

नाश्ते के 5 फायदे

टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है नाश्ता रेगुलर करना चाहिए. नियमित नाश्ता करने से आप डायबिटीज के खतरे से बच सकते हैं. इस से लगभग 30 फीसदी डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है.

भूख नहीं लगती है

यदि आप नाश्ता नहीं करते या फिर अतिरिक्त कैलोरी लेने की वजह से नाश्ता ही छोड़ देते हैं तो यह काफी नुकसानदेह है. ऐसा कर के आप अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. नाश्ता बहुत जरूरी है. यदि सुबहसुबह आप उच्च फाइबर व पोषक तत्त्वों से युक्त नाश्ता करते हैं तो दिनभर आप को खाना न भी मिले दिक्कत नहीं होती.

हैवी ब्रेकफास्ट

यदि आप सुबह हैवी ब्रेकफास्ट करते हैं तो दिनभर आप को भूख नहीं लगती और आप अपने काम में मग्न रहते हैं. वैसे भी नाश्ता करने से से दिन में कम ही भूख लगती है. इस के विपरीत जो लोग नाश्ता नहीं करते उन्हें बारबार भूख लगती है जो ठीक नहीं है.

याददाश्त में सुधार होता है

सुबह का नाश्ता आप की तंदुरुस्ती ही ठीक नहीं रखता, बल्कि इस से आप को याददाश्त भी दुरुस्त रहती है. स्वस्थ मस्तिष्क के कामकाज के लिए कार्बोहाइड्रेट बहुत जरूरी है. पौष्टिक नाश्ता कर के आप अपनी याददाश्त और एकाग्रता के स्तर में भी सुधार ला सकते हैं, साथ ही अपने मूड और तनाव को भी ठीक कर सकते हैं.

मोटापे का खतरा कम होता है

सुबह नियमित रूप से नाश्ता करने वाले लोगों में मोटापा नहीं आता. क्रिटिकल रिव्यू इन फूड साइंस एंड न्यूट्रीशन में भी ऐसा एक शोध प्रकाशित हुआ है, जिस में नाश्ते का महत्त्व बताया गया है.

गुणों से भरपूर है नारियल पानी, जानिए फायदे

गरमी के मौसम में नारियल के पानी का महत्व और अधिक हो जाता है. पेट की ठंडक और ताजगी के लिए ये बेहद फायदेमंद होता है. इसके सेवन के इतने फायदे होते हैं जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.

नारियल के पानी में पाए जाने वाले एंटी औक्सिडेंट और पोषक तत्व इसकी गुणवत्ता को और बढ़ाते हैं. शरीर को स्वस्थ रखने के साथ साथ बहुत सी बीमारियों को दूर करने में भी ये बेहद असरदार होते हैं.

इस खबर में हम आपको गरमी में नारियल पानी पीने के फायदों के बारे में बताएंगे. तो आइए शुरू करें.

होते हैं बहुत से न्यूट्रिएंट्स और मिनरल्स

नारियल के पानी में बहुत से खनीज और पोषक तत्व पाए जाते हैं. एक मध्य आकार के नारियल में 200 से 250 मिलीग्राम पानी होता है. इसके एक कप पानी में करीब 46 कैलोरीज होती हैं. इसमें 3 ग्राम फाइबर और 2 ग्राम प्रोटीन होता है. इसके अलावा विटामिन सी, मैग्नीशियम, मैग्नीज, पोटैशियम, सोडियम और कैल्शियम का प्रमुख स्रोत है.

एंटी औक्सिडेंट्स से भरपूर

मेटाबौलिज्म के दौरान सेल्स में फ्री रेडिकल्स बनते हैं जो अस्थिर होते हैं. इनके बनने से व्यक्ति में तनाव की समस्या हो सकती है. इससे दिल और किडनी से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. नारियल पानी में मौजूद एंटीऔक्सिडेंट्स इन फ्री रेडिकल्स को खत्म करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.

डायबिटीज में है मददगार

बल्ड में शुगर के लेवल को समान्य रखने में भी नारियल पानी का अहम योगदान होता है. डायबिटीज की मुख्य वजह शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी है. नारियल पानी में मौजूद एंटी औक्सिडेंट शरीर में इंसुलीन के स्राव में मदद करता है.

किडनी की पथरी में है असरदार

किडनी में पथरी के होने पर डाक्टर अक्सर पेय पदार्थों के सेवन की सलाह देते हैं. ऐसे में नारियल पानी का सेवन और भी असरदार होता है. क्योंकि अन्य तरल पदार्थ तो किडनी की पथरी को यूरिन के रास्ते निकालने के लिए जरूरी हैं ही मगर नारियल इसमें विशेष फायदेमंद है.

कंप्यूटर से कटोरा

दीपिका ने घर आ कर सब से पहले अपने 2 साल के बेटे शंकुल को डिटौल के पानी से नहला कर दूध पिलाया और सुला दिया. फिर कंप्यूटर खोल कर अपनी कंपनी को ई-मेल से इस्तीफा भेजा और पति रवि को फोन कर जल्दी घर आने के लिए कहा. इतना करने के बाद वह सोफे पर बैठ गई तथा विचारों में खो गई.

लगभग 4 साल पहले उस ने तथा रवि ने इलाहाबाद से एम.टेक की डिगरी ली थी तथा कैंपस में ही दोनों का चयन हो गया था. गुड़गांव में अपना आफिस खोल कर भारत में काम करने वाली एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से दोनों को 5-5 लाख रुपए का पैकेज मिला था. नौकरी की शुरुआत करते हुए दोनों ने शादी का फैसला लिया तो उन के घर वाले इस अंतर्जातीय विवाह के लिए तैयार नहीं थे. आखिर दोनों ने अपने परिवार वालों से हमेशा के लिए संबंध तोड़ कर कोर्ट में शादी कर ली थी.

पतिपत्नी दोनों को अच्छा वेतन मिल रहा था, इसलिए उन के सामने किसी तरह की आर्थिक समस्या नहीं थी लेकिन समस्या समय की जरूर थी. उन के आफिस जाने का समय तो निश्चित था, लेकिन घर वापस आने का नहीं. कंपनी अच्छे वेतन के बदले उन से जम कर काम लेती थी. वह और रवि दोनों एक ही कंपनी के अलगअलग दफ्तरों में काम कर रहे थे. रवि अकसर टूर पर बाहर जाता था लेकिन वह केवल दफ्तर में कार्य करती और वापस घर आ जाती.

शादी के साल भर बाद ही उन्होंने एक फ्लैट खरीद लिया. जाहिर है हर पतिपत्नी का एक सपना होता है कि अपना घर हो, उन का सपना पूरा हो गया. फ्लैट खरीदा तो घर में काम आने वाली दूसरी वस्तुएं भी खरीद लीं. मकान व सामान के लिए उन्होंने बैंक से जो लोन लिया था वह दोनों के वेतन से कट जाता था.

रवि व उस का सोसाइटी के लोगों से मिलना कभीकभार ही होता था, क्योंकि दोनों काफी देर से आते थे और जल्दी घर से निकल जाते थे. उन का फ्लैट अकसर बंद ही रहता था. किसी रिश्तेदार के आने का सवाल ही नहीं था. दोस्त आदि तो आफिस की पार्टी में ही मिल लेते थे. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उन का आफिस ही उन के लिए घर हो गया था, जहां लंच, डिनर आदि सबकुछ मिलता था. कईकई रात तो वे लोग फ्लैट पर आते ही नहीं थे. किसी सहकर्मी के यहां पार्टी के बाद वहीं रात बिता लेते थे. लेकिन सोसाइटी होने के कारण उन का फ्लैट सुरक्षित था.

शुरू में तो उस ने व रवि ने बच्चा पैदा न करने का फैसला लिया था लेकिन बाद में सहकर्मियों के परिवारों को देखते हुए उन्होंने एक बच्चा पैदा करने का फैसला कर लिया तथा एक साल के अंदर ही शंकुल उन के घर में नन्हा मेहमान बन कर आ गया.

कोई रिश्तेदार दिल्ली में था ही नहीं. क्रैच काफी दूर था और जो थे वे भी इतने छोटे बच्चे को रखने के लिए तैयार नहीं थे. अत: दीपिका को हर तरह की छुट्टी लेनी पड़ी, जिस में बिना वेतन अथवा आधा वेतन पर ली गई छुट्टियां भी शामिल थीं. लेकिन बच्चे के आने से घर में रौनक थी. रवि बच्चे को ले कर बहुत ही उत्साहित था. जब दीपिका खाना बनाती तब रवि बच्चे के साथ खेलता, उस को कंधे पर चढ़ा लेता, उछाल देता. दीपिका भी नौकरानी को घर का काम सौंप कर बच्चे के साथ खूब खेलती. दोनों का सपना,  शंकुल के भविष्य में नजर आता. वे दोनों अपनी तरह बच्चे को खूब पढ़ालिखा कर कंप्यूटर इंजीनियर बनाना चाहते थे, ताकि वह अमेरिका जा सके और उन का नाम रोशन कर सके. लेकिन एक साल के अंदर ही कंपनी का नोटिस आ गया कि शीघ्र नौकरी शुरू करो या त्यागपत्र भेजो.

घर में पार्टटाइम नौकरानी आती थी. दीपिका ने उस से पूरे दिन काम करने का प्रस्ताव रखा लेकिन उस ने मना कर दिया. अंत में उस ने प्लेसमेंट सर्विस से संपर्क किया. 2 महीने का अग्रिम कमीशन के रूप में ले कर लगभग 30 वर्षीय महिला की प्लेसमेंट वालों ने सेवा उपलब्ध करा दी. चूंकि दोनों की मजबूरी थी इसलिए एग्रीमेंट की कड़ी शर्तें भी उन्होंने मंजूर कर लीं. शर्तों के अनुसार 5 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन, घर के सदस्यों की भांति भोजन, कपड़ा तथा वार्षिक छुट्टी आदि नौकरानी को देने थे.

अब दीपिका ने अपनी नौकरी फिर से शुरू कर दी, लेकिन अब उस को घर पहुंचने की जल्दी रहती थी. दोनों ने पार्टियां भी कम कर दी थीं. रवि भी पूरी कोशिश करता कि समय से घर पहुंच कर अपने बच्चे के साथ खेल सके. आखिर शंकुल पतिपत्नी दोनों का भविष्य था. दोनों ही अपनी भांति उस को भी कंप्यूटर इंजीनियर बनाना चाहते थे. दोनों सुबह काम पर जाने से पहले अपना कमरा बंद कर शंकुल को नौकरानी के हवाले कर के जाते. फ्लैट में एक कमरा नौकरानी का था लेकिन दिन में पूरे फ्लैट की जिम्मेदारी नौकरानी की ही थी. वह जो चाहती बना कर खा लेती तथा बच्चे को खिला देती.

इधर कुछ दिनों से नौकरानी फ्लैट बंद कर के शंकुल को साथ ले कर बाहर घूमने चली जाती थी. दोनों ही नौकरानी को अपने परिवार का सदस्य मानने लगे थे तथा जब भी बाहर घूमने जाते उस को भी अच्छे कपड़ों में साथ ले जाते थे.

इतने में दरवाजे की घंटी बजी, दीपिका अतीत से वर्तमान में लौट आई. दरवाजा खोला तो रवि खड़ा था. रवि ने आते ही जोर से कहना शुरू किया, ‘‘समझ में नहीं आता कि क्यों तुम ने त्यागपत्र भेजा और क्यों नौकरानी को निकाल दिया?’’

दीपिका एकदम शांत रही और सोए शंकुल के बालों में उंगलियां घुमाती रही. रवि का गुस्सा जब तक शांत हुआ तब तक शंकुल भी सो कर उठ गया था. पापा को आया देख कर वह उन की गोद में चला गया. रवि भी थकान, गुस्सा भूल कर बच्चे के साथ खेलने लगा. रवि बेटे से बातें किए जा रहा था कि बड़ा हो कर मेरा बेटा भी कंप्यूटर इंजीनियर बनेगा, अमेरिका जाएगा आदि. इतने में दीपिका नाश्ता ले आई. रवि ने उस से फिर पूछा, ‘‘प्लीज, दीपू, पूरी बात बताओ न.’’

दीपिका ने ठंडी सांस ले कर बोलना शुरू किया, ‘‘आज सुबह जब आफिस जाना था तो सिर में भयंकर दर्द था. मैं ने तुम्हें बताया नहीं और गोली खाने के बाद आफिस पहुंच गई. वहां जरमनी से एक डेलिगेशन को आना था. लेकिन आफिस में पहुंचने पर पता चला कि मीटिंग कैंसिल हो गई है क्योंकि डेलिगेशन भारत पहुंचा ही नहीं. अत: मैं ने छुट्टी ले कर आराम करने का फैसला किया.

‘‘तकरीबन 11 बजे मैं आफिस से निकल कर घर की ओर चल दी. टै्रफिक कम होने के कारण मैं जल्दी ही घर पहुंच गई. सोसाइटी से पहले वाले चौराहे पर मैं ने कुछ फल खरीद कर गाड़ी में रखे ही थे कि एक भिखारिन को गोद में बच्चा ले कर भीख के लिए एक महिला के सामने खड़ा देखा. मुझे वह भिखारिन कुछ जानीपहचानी सी लगी. मैं ने गाड़ी में बैठ कर उसे गौर से देखा तो मेरा दिल धक से रह गया. वह भिखारिन गाड़ी की तरफ आ रही थी और पास आई तो देखा भिखारिन और कोई नहीं हमारी नौकरानी थी और उस की गोद में हमारा शंकुल.

‘‘चौराहे पर बिना कोई ड्रामा किए मैं दोनों को घर ले आई तथा नौकरानी का सामान बाहर फेंक कर उसे हमेशा के लिए दफा किया. उस से पूछा तो पता चला कि हमारे आफिस जाने के बाद शंकुल को गंदे कपड़े पहना कर और खुद भी गंदे कपड़े पहन कर वह हर रोज 4-5 घंटे चौराहे पर भीख मांगा करती है. दोपहर के बाद घर आ कर बच्चे को नहलाधुला कर अच्छे कपड़े पहना कर खाना खिला कर सुला देती थी. वह तो अच्छा हुआ कि आज सचाई का खुद पता चल गया.’’

दीपिका की बातें सुन कर रवि ने गहरी सांस भरी और पास आ कर पत्नी व बेटे को चूम लिया और बोला, ‘‘तुम्हारा निर्णय ठीक है. हम तो अपने बच्चे को कंप्यूटर इंजीनियर बनाना चाहते हैं लेकिन इस नौकरानी ने तो हाथ में कटोरा पकड़ा दिया.’’

‘‘कंप्यूटर से कटोरा,’’ दीपिका ने मुस

स्नैक्स में बनाए मसाला मूंगफली

मसाला मूंगफली रेसिपी को रोस्‍टेड मसाला पीनट भी कहते हैं. इसका टेस्ट चाय के साथ और भी बढ़ जाता है. यह खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है. और सबसे बड़ी बात यह है कि मसाला मूंगफली बनाना बहुत आसान है. तो आइए इसकी बेहद आसान रेसिपी बताते हैं.

सामग्री :

– मूंगफली के दाने  01 कप (कच्चे)

– बेसन ( 1/3 कप)

– अमचूर पाउडर ( 1/2 छोटा चम्मच)

– धनिया पाउडर ( 1/2 छोटा चम्मच)

– लाल मिर्च पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– गरम मसाला (1/4 छोटा चम्मच)

– हल्दी पाउडर  (1/4 छोटा चम्मच से कम)

– बेकिंग सोडा ( 01 चुटकी)

– चाट मसाला ( 01 छोटा चम्मच)

– तेल ( मूंगफली तलने के लिये)

– पानी ( 1/3 कप)

– नमक ( स्वादानुसार)

मसाला मूंगफली बनाने की विधि :

– सबसे पहले मूंगफली के दाने निकाल कर साफ कर लें.

– इसके बाद एक बाउल में बेसन को छान लें, फिर बेसन में थोड़ा सा पानी डालें और उसे गुठलियां खत्म होने तक अच्छी तरह से घोल लें.

– फिर बचा हुआ पानी भी बेसन में डाल दें और घोल को फेंट कर 5 निमट के लिये रख दें.

– इसके बाद बेसन के घोल में लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, गरम मसाला, धनिया पाउडर, अमचूर     पाउडर, बेकिंग सोडा, नमक और 2 छोटे चम्मच तेल डालें और मिक्‍स कर लें.

– इसके बाद मूंगफली के दाने बेसन के घोल में डालें मिला लें.

– अब कढ़ाई में तेल डाल कर गरम करें औऱ तेल गर्म होने पर मूंगफली के दानों को हल्का सा चलायें और    हाथ में थोड़े से दाने लेकर एक-एक करके गरम तेल में डालें.

– इसी तरह से कढ़ाई में एक-एक करके उतने दाने डालें, जितने उसमें आसानी से तल सकें.

– इसके बाद गैस को स्लो कर दें और मूंगफली के दानों को उलट-पुलट कर तलें.

– जब ये दाने हल्के भूरे हो जायें, उन्हें निकाल कर अलग रख दें. इसी तरह से बचे हुए दानों को भी तल लें.

– तले हुये मूंगफली के दानों में चाट मसाला छिड़क कर मिक्‍स कर लें. अगर इन्हें स्पाइसी बनाना चाहें,   तो  1/4 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर दानों के ऊपर छिड़क दें और अच्छी तरह से मिला लें.

– लीजिए, मसाला मूंगफली बनाने की विधि कम्‍प्‍लीट हुई.

खून से खेलता धर्म

भारतीय संस्कृति में धर्म और अंधविश्वास इस कदर लोगों के दिलोदिमाग में बसे हुए हैं कि वे आंखें बंद कर के आस्था के नाम पर कुछ भी कर गुजरते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कुछ देवीदेवताओं को खुश करने का तरीका केवल रक्त यानी खून बहाना बताया गया है. पशु बलि से ले कर इनसानी खून तक का इस्तेमाल पत्थर की मूर्तियों को खुश करने में किया जाता है.

वैसे इन मान्यताओं का कोई ठोस आधार भले ही न हो मगर लोग इसे जीवन का एक हिस्सा मानते हैं. इस के अलावा शरीर को कष्ट पहुंचा कर अपने अपराध में आस्था दिखाना भी हिंदू मान्यता का ही एक अंग है. लोग बीमारी के इलाज से ले कर सुखशांति पाने तक के लिए किसी भी हद तक जा कर अपनेअपने भगवान को खुश करने की कोशिश करते हैं और यह सब होता है अंधविश्वास के चलते. पंडेपुजारी आम जनता को भगवान के नाम पर जम कर फुसलाते हैं. देवी- देवताओं का प्रकोप बता कर लोगों को भयभीत कर उन की अंधी आस्था से खिलवाड़ करते हैं.

उत्तराखंड के चंपावत जिले के देवीधुरा गांव में भी कुछ ऐसी ही परंपरा है. यहां बगवाल मेले का आयोजन किया जाता है. बगवाल पत्थर फेंकने को कहा जाता है. इसलिए इस मेले कोे बगवाल मेला कहते हैं. मान्यता के अनुसार हर साल रक्षाबंधन के दिन यहां के वाराहीदेवी मंदिर के पास अलगअलग जाति और समुदाय के लोग जमा होते हैं और 2 गुटों में बंट कर एकदूसरे पर पत्थरों से हमला करते हैं. यह मेला 13 दिन तक चलता है, लेकिन रक्षाबंधन के दिन यहां खासा उत्साह देखा जाता है. इस बगवाल कार्यक्रम में दोपहर के समय 10-15 मिनट के लिए यह खूनी खेल खेला जाता है.

परंपरा के अनुसार लोग एकदूसरे पर पत्थर फेंक कर एक इनसान के खून के बराबर खून बहाते हैं. कहा जाता है कि देवी ने जब देवीधुरा के जंगलों को 52 हजार वीर और 64 योगिनियों के आतंक से मुक्त कराया था तब नर बलि की मांग की. तब यह निश्चित हुआ था कि पत्थर मार कर एक इनसान के खून के बराबर खून बहा कर देवी को तृप्त किया जाएगा. उस समय से ही लोग हर साल यहां मैदान में जुट कर कुछ समय के लिए एकदूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं. इस खेल में जब मंदिर के पुजारी को विश्वास हो जाता है कि एक इनसान के बराबर खून बह गया है तब वह इसे रोकने की घोषणा करता है. अब कौन सा ऐसा धर्म है जो आस्था के नाम पर एक आदमी को दूसरे का खून बहाने को कहता है?

हर साल सैकड़ों की तादाद में लोग इस खूनी खेल में घायल हो जाते हैं मगर पंडेपुजारियों के बहकावे में आ कर सब भूल जाते हैं. इसी तरह का एक और मेला मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में लगता है. इस मेले को गोटमार मेला कहा जाता है. यहां भी हर साल 2 गांव, पनधुरा और स्वरगांव के लोग एकदूसरे पर पत्थरों से हमला करते हैं. इस मेले को लगभग 300 साल पुराना बताया जाता है.

यहां मान्यता है कि पनधुरा के राजा ने जब स्वरगांव की राजकुमारी को अपने साथ ले जाना चाहा था तब स्वरगांव के लोगों ने राजा पर पत्थर से हमला किया था पर चंडी देवी की कृपा से राजा बच गया. इसी के बाद यहां देवी का एक मंदिर बना, और तब से हर साल पत्थर मारने की यह प्रथा चली आ रही है. अब इस प्रथा के जरिए दोनों गांवों के युवा, अपने लिए दुलहन जीत में हासिल करते हैं. हर साल यहां लोग नदी के पास के मैदान पर एकत्र हो कर एकदूसरे पर पत्थरों से हमला करते हैं. बताया जाता है कि पिछले साल इस खेल में लगभग 800 लोग घायल हुए थे और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस को देखते हुए प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी थी, लेकिन लोगों की मांग पर अब रोक हटा ली गई है.

हिंदू धर्म शास्त्रों में कहीं भी हिंसा को सही नहीं माना गया है. अहिंसा को ही यहां परम धर्म माना गया है. छान्दोग्य उपनिषद में भी कलियुग में हिंदू वैदिक रीति के नाम पर होने वाली हिंसा को सही नहीं ठहराया गया है. साथ ही पशु बलि का भी निषेध बताया गया है. इस के बाद भी समाज में अभी तक ऐसी मान्यताओं और इन के नाम पर होने वाली हिंसा लगातार जारी है.

इस से साफ हो जाता है कि ऐसे मेलों का आयोजन केवल रूढि़वादी मान्यताओं और झूठी कहानियों के बल पर लोगों को धर्म के नाम पर गुमराह कर केवल पैसा बटोरने की कोशिश से ज्यादा और कुछ नहीं है. ऐसे आयोजन के चलते इन जगहों पर पर्यटक पहुंचते हैं, जिस से लाखों का चढ़ावा आता है. इस के अलावा आसपास के गांवों के लोग आते हैं जिस से व्यापार बढ़ता है. इन्हीं कारणों के चलते धर्म के ठेकेदार ऐसे आयोजनों को बंद नहीं होने देना चाहते ताकि उन की धर्म की दुकान चलती रहे.

इनसान के जन्म के साथ ही धार्मिक कर्मकांडों की जो घुट्टी उसे पिलाई जाती है उस का सदियों पुराना इतिहास है. हजारों सालों से अंधविश्वास समाज और उस की मानसिकता में भरा हुआ है. अगर इस में थोड़ा सा भी परिवर्तन आने लगता है तो यही धर्म के सौदागर आगे आ कर लोगों को देवीदेवताओं के प्रकोप से डराने लगते हैं, ताकि समाज में कहीं से उन का बुना हुआ धार्मिक जाल टूटने न लगे. यह भारतीय समाज की विडंबना है कि यहां पढ़ेलिखे लोग भी इस तरह के प्रपंचों में पड़ कर अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डालते हैं.

केवल ये उदाहरण नहीं हैं, जो भारतीय समाज और हिंदू धर्म में अंधविश्वास को दर्शाते हैं बल्कि भारत के कोनेकोने में धर्म की आड़ में दुकानदारी चल रही है. इस तरह के पाखंड समाज को दीमक की तरह चाट रहे हैं, जिन से समाज की सोचनेसमझने की ताकत खोखली होती जा रही है.

अमीषा पटेल को हो सकती है जेल, जानें पूरा मामला

फिल्म ‘कहो न प्यार है’ से रातोंरात स्टार बनने वाली अमीषा पर धोखाधड़ी के इस नए आरोप लगने से सनसनी फैल गई है. फिल्म निर्माता अजय कुमार ने मीडिया से बातचीत में बताया,”हां, अमीषा ने मुझ से ढाई करोड़ रूपए लिए थे, जिसे ब्याज सहित लौटाने की बात थी. अमीषा और उस के दोस्त कुणाल ने फिल्म ‘देसी मैजिक’ बनाने के नाम पर उन से पैसे लिए और उसे नहीं लौटाया.”

बहाने बनाती रहीं अमीषा…

अजय कुमार ने बताया कि बारबार पैसा मांगने के बावजूद अमीषा बहाने बनाती रहीं और जब एक बार 3 करोड़ रूपए का चैक दिया भी तो वह बाउंस हो गया. मैं ने इस बारे में अमीषा से बात भी की पर मगर वह पैसा देने से साफ मुकर गई और मुझे धमकियां देने लगीं.

पहली बार नहीं है धोखाधड़ी…

अमीषा के उपर इस से पहले भी धोखाधड़ी का आरोप एक इवैंट कंपनी ने लगाया था. आरोप है कि अमीषा ने मोटी फीस पहले तो वसूल ली पर कार्यक्रम में नहीं पहुंचीं. बाद में पैसा वापस करने से भी मुकर गईं.

परदे के पीछे की असलियत…

वैसे, परदे के पीछे की दुनिया भी बड़ी अजीब होती है. सामने से दिखता ग्लैमर जब धुंधला होने लगता है तो अभिनेत्रियां या तो फ्लौप फिल्में बनाने लगती हैं और जब यहां से भी पिटती हैं तो उन का काम किसी शोरूम के उद्घाटन के मौके पर फीता काटने भर का रह जाता है.

कभी हिट फिल्में देने वाली सैक्सी, शोख और चुलबुली ऐक्ट्रैस अमीषा पटेल भी जाहिर है आज उसी दौर से गुजर रही होंगी, जिन के पास नाम तो है पर अब काम नहीं.

शायद, बौलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में बुढ़ाते हीरो के लटकों झटकों और एक्शन फिल्मों में कईयों को पटकते हुए दिखाना तो पसंद है पर यहां दिलकश और खूबसूरत अभिनेत्रियां जल्दी ही गुमनामी अंधेरों में खो जाती हैं. कुछ शादी कर घर बसा लेती हैं, जिन्हें दर्शक भी भूल जाते हैं और कुछ को अपना कल भूलना पसंद नहीं होता.

मुश्किलें बढ सकती हैं…

अमीषा शायद खुद को लाइमलाइट में रखना तो चाहती होंगी पर कुछ खुद और कुछ दूसरे अब उन का साथ नहीं चाहते होंगे. चेक बाउंस से फिलहाल तो उन की मुश्किलें बढ सकती हैं क्योंकि धोखाधड़ी के एक ऐसे ही मामले में हास्य कलाकार राजपाल यादव हाल ही में जेल से बाहर आए हैं.

 

फायदा चाहिए तो 31 मार्च से पहले जुटाएं ये 7 डाक्यूमेंट्स

चालू वित्तीय वर्ष 2019, 31 मार्च को खत्म होने वाला है. ऐसे में विभिन्न स्रोतों से हुई आय की जानकारी जुटा लें. इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ जरूरी कागजातों को इक्कठ्ठा कर लें. ये डाक्यूमेंट्स आपके आय की वैद्यता के लिए जरूरी हैं. इनमें इंटरेस्ट सर्टिफिकेट, ट्रांजेक्शन सर्टिफिकेट, कैपिटल गेन स्टेटमेंट, टीडीएस सर्टिफिकेट जैसे अन्य कागजात शामिल हैं. इन डाक्यूमेंट्स में कैपिटल गेन और इंटरेस्ट या डिविडेंट भी शामिल हैं. ये इस लिए भी जरूरी है ताकि रिटर्न फाइलिंग करते वक्त पकी कर देयता का निर्धारण आसानी से हो सके.

तो आइए जाने कि कौन कौन से दस्तावेजों को जुटाना आपके लिए जरूरी है.

सिक्योरिटी स्टेटमेंट

म्यूचुअल फंड निवेशक अपने निवेश के लिए एक कंसौलिडेटेड होल्डिंग स्टेटमेंट प्राप्त करते हैं. शेयर्स की सिक्योरिटी और अन्य डिमेट सिक्योरिटीज के लिए भी निवेशक एनुअल होल्डिंग स्टेटमेंट प्राप्त करते हैं.

टीडीएस सर्टिफिकेट

ब्याज के 10,000 रुपये से अधिक होने की सूरत में बैंक ब्याज आय पर टीडीएस की कटौती करता है. टीडीएस कटौती को बैंक की ओर से प्राप्त किया जा सकता है.

कैपिटल स्टेटमेंट

ब्रोकर और म्युचुअल फंड, यूजर के आग्रह पर कैपिटल गेन स्टेटमेंट उपलब्ध करवाते हैं. इससे पूरे वित्तीय पर्ष में कुल फायदा या नुकसान की जानकारी मिलती है.

होम लोन इंटरेस्ट

होम लोन लेने पर बैंक एक सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाता है. इस सर्टिफिकेट में एक वित्तीय वर्ष के दौरान हुए कुल रीपेमेंट की जानकारी होती है. इसमें प्रिंसिपल औप मिले ब्याज का ब्रेकअप होता है. इनकम टैक्स डिडक्सन को क्लेम करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है.

बैंक स्टेटमेंट

निवेशक वित्तीय वर्ष के आखिर में अपना बैंक स्टेटमेंट जुटा लें जिसमें उनकी प्राप्त हुई आय और निवेश की पूरी जानकारी शामिल हो. बैंक जा कर लेने के अलावा इसे औनलाइन माध्यम से भी पाया जा सकता है.

इंटरेस्ट सर्टिफिकेट

निवेशक की सभी जमाओं पर एक वित्त वर्ष के दौरान ब्याज भुगतान के संबंध में बैंक एक सर्टिफिकेट औफ इंटरेस्ट भी उपलब्ध करवाता है. बचत खातों के लिए बैंक ये सर्टिफिकेट देता है. अगर किसी कारण से ये नहीं मिल पाता है तो इसे बैंक स्टेटमेंट से प्राप्त किया जा सकता है.

ट्रांजेक्शन स्टेटमेंट

अगर किसी सूरतच में निवेशक सिक्योरिटी की बिक्री करता है या उसकी ट्रेडिंग करता है तो ऐसे में ट्रांजेक्शन स्टेटमेंट और अकाउंट स्टेटमेंट को प्राप्त करना जरूरी है. ये एक वित्तीय वर्ष के लिए होता है.

जिराफ : संरक्षण या अत्याचार

1990 में कोलकाता के प्रसिद्ध चिड़ियाघर में एक मादा जिराफ को अफ्रीका से मंगवाया गया. मादा जिराफ वास्तव में बहुत ही सुंदर थी. उस का नाम एक नदी तिस्ता पर रखा गया था. उस समय जब आपत्ति की गई कि अलीपुर चिड़ियाघर बहुत छोटा है, तो तब के मंत्री ने कहा कि चिड़ियाघर को खुले इलाके में ले जाया जाएगा जहां तिस्ता आराम से घूम सके. वह दिन आज तक नहीं आया है. तिस्ता भी नहीं बची और 4000 दूसरे पशु भी अकाल मृत्यु पा चुके हैं.

कोलकाता चिड़ियाघर ने जिराफों को एक ट्रक में उड़ीसा के नंदनकानन चिड़ियाघर में भेजा था पर रास्ते की खराब सड़कों के हिचकोलों से तिस्ता की खाल छिल गई और सिर एक बिजली के तार से टकरा गया और वह बिजली का करंट लगने से मर गई.

गिनती के बचे हैं जिराफ

दुनिया को शेरों, हाथियों और चिंपाजियों की तो चिंता है, पर विलुप्तप्राय होते जिराफों की कोई चिंता नहीं कर रहा. पिछले 15 सालों में उन की आबादी 40% घट गई है और अब दुनियाभर में सिर्फ 80 हजार जिराफ बचे हैं.

इस के मुख्य दोषियों में अमेरिका भी है जो उन्हें खतरे में पहुंचे जानवरों की गिनती में रखने को तैयार नहीं है. अमेरिकी पर्यटक जिराफ की हड्डियों की सजावटी चीजें बड़ी शान से खरीदते हैं. औसतन अमेरिकी शान के लिए रोज 1 जिराफ मार दिया जाता है. अभी चीनियों को नशा नहीं चढ़ा है. जिस दिन उन पर जिराफ से बनी चीजें खरीदने का नशा चढ़ेगा, वे अपनी मनी पौवर से सारे जिराफों को महीनों में मार कर टुकड़ों में चीन मंगवा लेंगे. जिराफों की संख्या अब हाथियों से भी कम है.

जिराफ दुनिया के सब से ऊंचे पशु हैं. उन की टांगें एक औसत लंबे आदमी से भी ज्यादा लंबी होती हैं. वे अफ्रीका के बंजर व सूखे इलाकों में चरते नजर आते हैं. वे बहुत तेज दौड़ सकते हैं- 35 मिलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से, पर यह रफ्तार बंदूक की गोली से तो बहुत कम है.

आसानी से शिकार

जिराफों की गरदन लंबी होती है, इसलिए जमीन की घास तो नहीं खा सकते पर पेड़ों की पत्तियां खा सकते हैं. लगभग 45 किलोग्राम दिन में 2 बार.

चूंकि वे लंबे हैं वे चाहें तो भी शेरों की तरह छिप नहीं सकते और जानवर, चोर उन का आसानी से शिकार कर लेते हैं.

वैसे जिराफ समूह में रहने वाले पशु हैं. वे बच्चों और मादाओं के साथ रहते हैं. उन की औसत आयु 40 वर्ष है. जैसे वे बड़े और फिर बूढ़े होते हैं उन की धारियां गहरी होती जाती हैं. उन की मादा खड़ेखड़े बच्चे देती है और बच्चा लगभग 6 फुट का होता है जो आधे घंटे में अपने पैरों पर चलने लगता है. एक मादा 5 बच्चों तक को जन्म देती है पर आधे ही बचते हैं.

कभी वे अफ्रीका के बहुत बड़े इलाके में थे पर अब छोटे इलाकों में रह गए हैं और उन के समूह 20 से घट कर 6-7 रह गए हैं.

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