सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के कई रास्ते होते हैं : शेखर सेन

पद्मश्री शेखर सेन के पांच एक पात्रीय नाटकों के हजार शो कर चुके पद्मश्री शेखर सेन बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. वह गायक, संगीतकार, पेंटर, अभिनेता, सेट डिजायनर सब कुछ हैं. वह अपने एक पात्रीय संगीतमय नाटकों में सारी जिम्मेदारी खुद ही निभाते हैं. शेखर सेन उनमें से हैं, जो अपने माता पिता की याद में हर वर्ष छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर जाकर मुफ्त में अपने नाटकों के पांच शो करते हैं. इन शो में हर इंसान को नाटक देखने की पूरी छूट होती है.

मूलतः रायपुर, छत्तीसगढ़ निवासी शेखर सेन को संगीत अपने पिता डा. अरूण कुमार सेन व माता डा. अनीता सेन से विरासत में मिली है. दोनो मशहूर शास्त्रीय गायक व शिक्षाविद् थे. बौलीवुड में संगीतकार बनने की तमन्ना लेकर मुंबई आने वाले शेखर सेन ने बतौर गायक व संगीतकार गजल, भजन सहित कई विधाओं में 150 से अधिक संगीत के अलबम निकाले. उन्होंने धारावाहिक ‘रामायण’ में पार्श्वगायन के अलावा ‘गीता रहस्य’सहित कई धारावाहिकों को संगीत से संवारने के साथ साथ उन्हें अपनी आवाज से भी संवारा. फिर अपने अनुभवों का उपयोग करते हुए 1998 में उन्होंने संगीत प्रधान एक पात्रीय नाटक ‘‘तुलसीदास’’ लिखा, जिसका निर्देशन करने के साथ साथ उन्होंने इसमें अभिनय किया. उसके बाद उन्होंने भक्ति काव्य के हस्तियों कबीर, सूरदास, विवेकानंद के अलावा आम इंसान पर ‘साहेब’ नाटक लेकर आएं. यह सभी नाटक मानवीय भावनाओं व संवेदनाओ के साथ साथ कर्णप्रिय संगीत से ओतप्रोत है.

शेखर सेन की कला जगत की उपलब्धियों पर गौर करते हुए 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया और फिर दो माह बाद उन्हें ‘‘संगीत नाटक अकादमी’’ का अध्यक्ष नियुक्त किया. संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में अपने लगभग चार वर्ष के कार्यकाल में ‘संगीत नाटक अकादमी’को नए आयाम प्रदान किए.

प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश…

आप फिल्मों में संगीतकार बनने की तमन्ना के साथ मुंबई आए थे, मगर..?

आपने एकदम सही कहा. लेकिन मुंबई पहुंचने के एक वर्ष के अंदर ही मेरी समझ में आ गया था कि यह मेरे बस की बात नहीं है. मैंने एक फिल्म में दस गाने गाए, मगर फिल्म बीच में बंद हो गयी, तो सब बेकार. तब मैंने सोचा कि वह काम करो, जहां अपने हाथ में कुछ तो हो. इसके अलावा अक्सर मेरे पास फिल्म निर्माता कोई न कोई कैसेट लेकर आते थे और उनकी फरमाइश होती थी कि ऐसा गाना बना दो. तो मेरा उन्हें जवाब होता था कि यदि इसकी नेल करनी है, तो मेरी क्या जरुरत, आप खुद ही बना लें. मैंने हमेशा वही करने का प्रयास किया, जिसमें मेरी अपनी कुछ तो मौलिकता हो. रंगकर्मी के रूप में मैं अच्छा काम कर रहा हूं. मेरे सभी पांच नाटक 1998 से चल रहे हैं. एक भी नाटक बंद नहीं हुआ. यह मेरी बहुत बड़ी उपलब्धि है. कई फसलों में समय लगता है. धान की फसल तो तीन माह बाद काटकर खाया जा सकता है. पर आम का पेड़ लगाने वाले कलाकार को धैर्य रखना पड़ता है.

केंद्र की नई सरकार द्वारा ‘‘पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट’’ ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ जैसी संस्थाओं में की गई नए अध्यक्षों की नियुक्तियां विवादों में रहीं. पर संगीत नाटक अकादमीके अध्यक्ष पद पर आपकी नियुक्ति को लेकर कोई विवाद नही हुआ?

अच्छा…मैंने सदैव इमानदारी के साथ अपने काम को अंजाम दिया. किसी के भी प्रति मेरे मन में शत्रुता नहीं है. मुझे हमेशा लगता है कि हर इंसान से कुछ सीखा जा सकता है. ‘संगीत नाटक अकादमी’में भी दो चार लोगों ने मुझे लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की. पर मुझे पता था कि मेरी आत्मा पवित्र है. मेरा मानना है कि यदि कोई कलाकार मुझे अपना शत्रु मान रहा है, पर यदि वह गुणी कलाकार है, तो उसे पुरस्कार मिलना चाहिए. मैं हमेशा उसके पक्ष में रहूंगा. मैं यह मानकर चलता हूं कि यदि कोई इंसान मुझे गाली दे रहा है, तो उसे मुझमें कोई न कोई कमी नजर आ रही होगी. पर इसके यह मायने नहीं है कि मैं उसे शत्रु मान लूं. मैंने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा. शायद यही एक वजह है कि ‘संगीत नाटक अकादमी’में कोई विवाद इतना नहीं उभरा कि चर्चा का विषय बन गया हो.

‘‘संगीत नाटक अकादमी’’के अध्यक्ष के रूप में आपको किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के कई रास्ते होते हैं. सरकारी तंत्र में बैठे लोग भ्रष्टाचार के बहुत खूबसूरत रास्ते इजाद कर लेते हैं. तो मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार के इन सारे खूबसूरत रास्तों को बंद करने की थी. मैंने सबसे पहला काम यह किया कि सारे रास्ते बंद करवाए. इसके लिए मैंने पहला कदम यह उठाया कि सौ रूपए से ज्यादा नगद के लेन देन पर प्रतिबंध लगाया. सारी राशि सीधे बैंक खाते या चेक से देने की प्रणाली विकसित की. दूसरा नियम बनाया कि एक कलाकार को जल्दी दूसरी बार दोहराया नहीं जाएगा. इससे भी भ्रष्टाचार पर लगाम लगी. अब ‘संगीत नाटक अकादमी’ का कार्यालय दिल्ली में है. अब तक ज्यादातर कार्यक्रम दिल्ली में ही हुआ करते थे. यदा कदा कुछ कार्यक्रम मुंबई, मद्रास या दूसरे शहर में होते थे. इस वजह से सारी मलाई दिल्ली के कलाकार खा जाते थे. मैंने नियम बनाया कि सिर्फ 20 प्रतिशत कार्यक्रम दिल्ली में होंगे, बाकी के 80 प्रतिशत कार्यक्रम पूरे देश में और गांवों में होंगे. मैंने वर्धा में ‘ध्रुपद सम्मेलन’ करवाया. पंढरपुर में भक्ति उत्सव करवाया. तिरूवनंतपुरम, मदुराई, तंजापुर में कार्यक्रम करवाए. मैंने तेलंगाना के कुचीपुड़ी गांव में 10 दिवसीय वर्कशाप करवाया. दरभंगा, गया, मोतीहारी में कार्यक्रम हुए. बड़े शहरों में कार्यक्रम हों, तो भ्रष्टाचार करना आसान हो जाता है. पर छोटे शहरों, कस्बों या गांवों में, जहां आपको धर्मशाला में रूकना हो, वहां भ्रष्टाचार कैसे करेंगे? मेरा मानना है कि अंधे को अंधा कहने से कोई लाभ नहीं, बल्कि उसे दृष्टि देना ही फायदे का सौदा होगा.

कला और किसी संस्था को चलाना दो अलग चीजें हैं. आपने कैसे सामंजस्य बैठाया?

यह मेरे माता पिता के आशीर्वाद का फल है. यह गुण मुझे उन्हीं से विरासत में मिला. इसके अलावा जब हम एक नाटक करते हैं, तो उसमें कई विभाग होते हैं और हर विभाग का ध्यान मुझे ही रखना होता है. नाटक करते हुए मुझे ध्यान रखना होता है कि संगीत बराबर बज रहा है या नहीं? लाइटिंग ठीक से आ रही है या नहीं? वगैरह वगैरह…वह अनुभव भी काम आया. फिर संस्थान चलाने का गुण मेरे रक्त में है. मेरे माता पिता दोनों कौलेज में प्रिंसिपल थे. जिस कौलेज कैम्पस में मैं बड़ा हुआ, मेरे पिताजी उस कौलेज के दो बार वाइस चांसलर रहें. तो मेरी परवरिश ऐसे माहौल में हुई है, जहां मेरे माता पिता दोनों एडमिनिस्ट्रेटर के पद पर आसीन रहे. हां! मेरे सामने एक कठिनाई थी, ‘लाल फीताशाही’ से निपटने की. सरकारी तंत्र में लाल फीताशाही के चलते फाइल एक ही टेबल पर जमा रहती है. कहते हैं सरकारी उपक्रम में यदि किसी ने काम नहीं किया, तो उसकी नौकरी तुरंत जाती नहीं है. मेरी कोशिश रही कि मेरे कार्यलय से जुड़े हर इंसान के काम करने में तेजी आए और उनकी जवाबदेही तय हो. यदि किसी ने सही काम नही किया, तो उस पर कारवाही भी हो. दूसरी बात मैंने यह सोचा कि यदि शरीर में एक नहीं कई फोड़े हैं, तो उन्हें ठीक करने के लिए रक्त बदलने की प्रक्रिया करनी होगी. मैंने वही किया. मैंनेपूरे सिस्टम को अलग ढंग से चलाने की कोशिश की. मुझे इस बात का गर्व है कि ‘संगीत  नाटक अकादमी’’ का मेरे अध्यक्ष बनने के बाद मेरा आफिस 365 दिन काम करता है. जबकि अमूमन कोई भी सरकारी कार्यालय 365 दिन काम नहीं करता. मेरा मानना रहा है कि यदि आप लोगों को प्यार से जोडें, तो कुछ भी करवा सकते हैं. मैंने प्यार का ही रास्ता चुना. मान लीजिए कोई कार्यक्रम होना है, और मंच पर मेज नही लगी है, तो मैं किसी को कुछ कहता नहीं हूं. किसी को साथ लेकर खुद मेज उठाकर रख देता हूं. उस वक्त मेरी सोच यह होती है कि मेरा कार्यक्रम सही समय पर शुरू हो जाए. मेरी कोशिश रही है कि ‘संगीत नाटक अकादमी’की प्रतिष्ठा कहीं से भी धूमिल न होने पाए. क्योंकि किसी को भी यह याद नहीं रहेगा कि इसका अध्यक्ष कौन है.

नौटंकी, आल्हा उदल जैसी मरनासन्न कलाओं के लिए आपने कोई कदम उठाया?

मैंने सबसे पहला काम ऐसी कलाओं को जीवंत करने का किया. मैंने ललितपुर व छतरपुर में आल्हा उदल के कार्यक्रम करवाए. कार्यशालाएं करवायीं. ब्रज की नौटंकी, कानपुर की नौटंकी, हाथरस की नौटंकी, दक्षिण में कर्नाटक, केरला व आंध्रप्रदेश की नौटकी के कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए वहां कार्यक्रम करवाए. कलाकारों का सम्मान करवाया. दक्षिण भारत में‘‘यक्षगान’’की जो पुरानी प्रथा है, उसे जीवंतता प्रदान की. जब हमने किसी ग्रुप/मंडली को कार्यक्रम दिया, तो उनका ग्रुप फिर से जागा. जब उसके कार्यक्रम को हमने दूसरे राज्यों में करवाया, तो उसकी चर्चा हुई, फिर उन्हें निजी स्तर पर कार्यक्रम मिलने लगे. देखिए, ‘संगीत नाटक अकादमी’ के काम भले कम हों, पर नाम बहुत है. यदि किसी कलाकार को ‘संगीत नाटक अकादमी’ कोई कार्यक्रम करने का अवसर देती है, तो माना जाता है कि उसे राष्ट्रीय कार्यक्रम करने का मौका मिला. फिर उसे स्थानीय स्तर पर काम करने का मौका मिलने लगता है. मैं हर कार्यक्रम को राज्य सरकारों के साथ मिलकर करता हूं.

मेरा जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ और मैं मुंबई में रहता हूं. मेरे पिता का संबंध बंगाल से रहा है. तो मैंने कोशिश की कि छत्तीसगढ़, बंगाल व मुंबई में कार्यक्रम कम करूं. अन्यथा पक्षपाती होने का आरोप लग जाएगा. गत वर्ष अप्रैल माह में मैंने तीन दिन का छत्तीसगढ़ प्रतिभा रंग महेत्सव का आयोजन, अंधेरी, मुंबई के भवंस कौलेज में करवाया, जिसका सारा खर्च मैंने अपनी जेब से दिया. छत्तीसगढ़ से 150 कलाकारों का आना जाना व रहन व खाना सब मैंने अपने खर्चे से किया. मेरा मानना रहा है कि जहां मेरा जन्म हुआ, जिन कलाकारों के साथ मैंने बोलना, संगीत रचना करना और गीत गाना सीखा, उन्हें भी तो सम्मान मिलना चाहिए.

मैं बड़ी ईमानदारी से कहता हूं कि कलाकार की सेवा करना या कला माध्यमों की सेवा करना एक दिन का काम नहीं है. कलाकार के लिए हर दिन काम करना पड़ता है. मुझसे जो भी बन पा रहा है, मैं कर रहा हूं. मेरे जाने के बाद यदि काम रोक दिया गया, तो आज जो सोने के बर्तन नजर आ रहे हैं, वह तांबे के बर्तन हो जाएंगे.

इमानदारी से यह बात कह रहा हूं. मैं राजनीतिक व्यक्ति नही हूं. मैंने पिछले चार वर्ष के अपने कार्यकाल में सरकार का नमक नहीं खाया. इस पद पर मुझे कोई तनख्वाह नहीं मिलती है. मैं ‘संगीत नाटक अकादमी’के लिए दिल्ली या कहीं भी जाता हूं, तो खाने का बिल मैं अपनी जेब से ही देता हूं. इसलिए मैं कह सकता हूं कि कला व संस्कृति को लेकर किसी भी सरकार की कोई गंभीर योजना नही है. यह दुःखद है. मेरे अनुसार भारत में जो बजट शिक्षा का है, वही बजट संस्कृति के लिए होना चाहिए. मेरी राय में हर इंसान अपने बेटे को पहले एक सुसंस्कृत बनाना चाहता है, सुशिक्षित बाद में.

वर्तमान में जिस पार्टी की केंद्र में सरकार है, उसी की एक संस्था है संस्कार भारती. उसका संगीत कला अकादमीके कार्यक्रमों में क्या योगदान रहा?

सौभाग्य से मेरे साथ सभी संस्थाओं का साथ रहा. मैंने हर संस्था को महत्व दिया. आपने जिस संस्था का नाम लिया, वह भी शामिल है. अभी‘इप्टा’के 75 वर्ष होने पर पटना में कार्यक्रम हुआ, तो वहां भी हमने योगदान दिया. मेरा मानना है कि हर विचार धारा का सम्मान होना चाहिए. हर विचार धारा को आगे बढ़ाने और अपनी बात कहने का पूरा अवसर मिलना चाहिए. गांधी जी के कथन के अनुसार मेरी कोशिश यही रही है और आज भी है कि अंत में बैठे हुए इंसान तक मदद पहुंचे. मैंने अनदेखे कलाकार तक पहुंचने का प्रयास किया.

‘आल्हा उदल’या ‘पंडवाणी’ कोई अलग थोड़े ही है. यह गाव के किसान ही हैं, जो कि खेती के बाद फुरसत में इन कलाओं में अपना योगदान देते हैं. वह किसान ही है, जो रात में बैठकर आल्हा या शाम को ‘पंडवाणी’ गाता है. मैं किसान व उसके संगीत को कला के साथ जोड़ना चाहता हूं.

आपने मुंबई पहुंचने के बाद दुष्यंत कुमार की गजलों के अलबम से शुरुआत की थी. फिर भारत पाक विभाजन पर लिखी कविताओं को संगीतबद्ध किया. पर अंत में आप भक्तिकाल पर जाकर अटक गए?

मैंने यह कदम बहुत चाहकर नहीं उठाया. कई बार ‘मैन प्रपोजेस गौड डिस्पोजेस’होता है. आप सोचते तो बहुत कुछ हैं. जैसा कि आप भी जानते हैं कि मैं छत्तीसगढ़ से मुंबई फिल्मों में संगीत देने के लिए आया था. मैं गजले गाया करता था. मैंने बाकायदा हिंदी के साथ ही उर्दू लिखना पढ़ना सीखा था. जबान या अदब के लिहाज से उर्दू से मुझे बहुत मोहब्बत है. पर हमें यह देखना पड़ता है कि हम जो कर रहे हैं, वह किन लोगों को कितना प्रेरित करता है. मैं आज यदि भजन का कार्यक्रम करने से मना करता हूं, तो आज की तारीख में करीबन पचास से अधिक भजन गायक हैं. पर यदि मैं नाटक करना बंद कर दूं तो मेरे जैसा नाटक करने वाला दूसरा व्यक्ति नहीं है. मैं चाहूंगा कि हजार कलाकार आएं और भक्ति काल ही नहीं अन्य महापुरुषों पर भी बड़े बड़े नाटक करें. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद के जीवन पर भी नाटक किया जा सकता है. मौलाना आजाद पर भी नाटक किया जा सकता है. मैं यह नहीं कह रहा कि नाटक नहीं हो रहे हैं. पर वहीं सरकारी तंत्र वाला मसला है. दो अक्टूबर आ गया, तो गांधी जी पर नाटक लेकर आ गए. मेरे नाटक पूरे वर्ष चलते रहते हैं, सिर्फ किसी खास तिथि पर नहीं होते. मैं कबीर जयंती या गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर ही नाटक नहीं करता. दूसरी बात नाटकों के प्रति कलाकारों में कमिटमेंट नजर नहीं आता.

इमानदारी की बात यह है कि आज कला के लिए कोई भी कलाकार मरने को तैयार नहीं है. दूसरी बात कलाकार ने जिस दिन मांगने के लिए हाथ फैला दिया, उस दिन से देश में कला व कलाकार खत्म होने लगा. कलाकार तो देने वाला होता है.

तीसरी बात आज से छह सौ वर्ष पहले हिंदुस्तान का शासक कौन था, कोई नहीं जानता. मगर छह सौ वर्ष पहले के कबीर, चैतन्य महाप्रभु, वल्लभाचार्य, मीरा, विद्यापति, जयदेव इन्हें आज भी हर कोई जानता है. कहने का अर्थ यह कि यह देश शासकों या सम्राटों को याद नहीं रखता. पर सांस्कृतिक विभूतियों, अपने संतो व अपने देश के विचारकों को याद रखता है. स्वामी हरिदास का नाम आते ही लोगों के मन में उनके प्रति सम्मान का भाव आता है. यह सम्मान का भाव सम्राट अशोक या बाबर के नाम से नही आता. इस देश ने सम्मान वहीं पर दिया, जहां साधना है. तो एक कलाकार के लिए साधना बहुत जरुरी है. जब कष्ट हुआ, जब व्यक्ति तपा, तो उसे सम्मान मिला. पर मेरी पीढ़ी की समस्या यह है कि हम तपने को तैयार ही नहीं हैं. हम रियाज नही करना चाहते. हम अपनी कला का संवर्धन करने के लिए मेहनत करने की बजाय कार्यक्रम पाने के लिए मेहनत करने में यकीन करने लगे हैं. मेरी राय में मांगने वाला कलाकार, कलाबाज है. देने वाला कलाकार ही वास्तव में कलाकार है.

हिंदी नाटकों की ही स्थिति गड़बड़ क्यों है. मराठी व गुजराती नाटकों के साथ ऐसा नही है?

समाज दोषी है. समाज में जागरूकता नही है.

आपको तो कई भाषाएं आती हैं?

मै मूलतः छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर का रहने वाला हूं. इसलिए हिंदी भाषा का अच्छा ज्ञान है. मुंबई में रहते हुए मराठी भाषा सीख गया. मुझे बंगला भाषा सिखाने का श्रेय शरतचंद्र को जाता है. उनकी हर रचना को मैनें बीस बीस बार पढ़ा है. मेरे पिता बंगाली थे, पर मैं अपने आपको बंगाली कभी नहीं मानता. मेरी मां दक्षिण की तेलगू भाषी तथा मेरे पिता बंगाली थे. यही वजह है कि मैंने अपने नाटक ‘साहब’में जान बूझकर दक्षिण भारतीय कृष्ण भजन रखा है और यह वह भजन है जिसे मेरी मां गाती रहती थीं. मैंने हमेशा वह चरित्र उठाया, जो पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करता हो.

आपने विदेशो में भी अपने एकपात्रीय नाटकों के सो किए हैं. क्या विदशों में हिंदी नाटक देखे जाते हैं?

जी हां! अमरीका में एक जगह है नेस्तुअन मधम, जिसे संगीत का गढ़ माना जाता है. 2009 की बात है. मैं अमरीका घूमने गया था, तब इसी शहर में मेरी मुलाकात अमरीका में रह रही बारबरा जैक्सन और स्टेफिनी नामक दो सहेलियों से हुई. इन्होंने बताया कि 2007 में इन दोनों सहेलियों ने मेरे ‘कबीर’नाटक को देखा था. उसके बाद इन दोनों ने हिंदी भाषा को लिखना व पढ़ना सीखा. अब यह दोनों सहेलियां मुझे हिंदी में ईमेल भेजती हैं. उस वक्त मैंने इनसे पूछा था कि उन्हें हिंदी सीखने की जरूरत क्यों पड़ी? तो उन्होंने मुझसे कहा था- ‘‘हमें‘कबीर’ नाटक बहुत पसंद आया था. इसकी संगीतमय प्रस्तुति पसंद आयी थी. लेकिन हमें अहसास हुआ कि कबीर की फिलोसफी को समझने के लिए भाषा सीखना जरूरी है. हिंदी भाषा सीखने के बाद ही हमने दोहों का सही अर्थ जाना.’’ इतना ही नहीं अब तो बारबरा जैक्सन ने ‘रामायण’पर कौमिक्स भी लिखा हैं.

इसके अलावा वाराणसी के राजेंद्र घाट पर मेरे ‘तुलसी’नाटक का शो था. उसी वक्त एक इंसान ने मुझसे आकर कहा कि 50 जपानी पर्यटक आए हैं और वह मेरे तुलसी नाटक को देखना चाहते हैं. मैंने यह सोच कर उन्हें इजाजत दे दी की यह जापानी 5 से 7 मिनट बैठेंगे और वापस चले जाएंगे. लेकिन वह 50 जापानी पर्यटक पूरे दो घंटे तक मेरे इस नाटक को देखते रहे. नाटक की समाप्ति के बाद द्विभाषिए की मदद से उन पर्यटकों ने मुझसे तुलसी को लेकर सवाल जवाब किए. तब मुझे अहसास हुआ कि भाषा ज्यादा अहमियत नही रखती, चरित्र महत्वपूर्ण होना चाहिए.

इतना ही नहीं लोग कहते हैं कि दक्षिण में हिंदी भाषा को अहमियत नहीं दी जाती. पर मैंने चेन्नई में 4000 तमिल भाषियों के बीच अपने ‘कबीर’नाटक का शो किया था, जिसे काफी सराहा गया था. इसी तरह चेन्नई में ही मेरे ‘कबीर’ नाटक को देखने के लिए एक 80 वर्षीय महिला सिल्क कांजीवरम की साड़ी पहने हुए लाठी लेकर आयी थी. नाटक देखने के बाद उसने मुझसे कहा- ‘‘सच तो यह है कि मैं आपके नाटक कबीर की एक लाइन भी समझ नही पायी. फिर भी मुझे नाटक देखते हुए बड़ा आनंद आया.’’

हवाई यात्रा को मजेदार बनाने के लिए साथ में रखें ये चीजें

आमतौर पर आप विदेश यात्रा या देश में ही पर्वतीय पर्यटन स्थलों की सैर करने के लिए हवाई यात्रा करना चाहती हैं. और ऐसे में आप हवाई यात्रा करने के दौरान अन्य सामानों के साथ कुछ ऐसी चीजें भी रख सकती हैं, जिससे आप तनावमुक्त होकर सुकून के साथ विमान यात्रा कर सकें. तो आइए बताते हैं कुछ जरूरी टिप्स आपकी सुखद यात्रा के लिए.

हवाई यात्रा के लिए जरूरी टिप्स

– हाइजीनिक वाइप्स जरूर रखें. सार्वजनिक शौचालय अक्सर गंदे होते हैं और उनकी सीट पर हानिकारक   बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं, इसलिए आप अपने साथ वाइप्स के अलावा टौयलेट सीट स्प्रे और हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर भी जरूर रखें.

travel

– आई मास्क और ईयर प्लग जरूर रखें. लंबी अवधि की उड़ान के दौरान पत्रिका और किताबें अपने साथ   ले जा सकती हैं, इससे आपकी बोरियत भी दूर होगी और कुछ लाभप्रद जानकारियां भी मिल जाएंगी. इन्हें पहले से ही खरीद कर रख लें, क्योंकि हवाई अड्डे पर ये महंगे दामों में मिलती हैं.

– मधुर संगीत से मन को सुकून को मिलता है. अगर फ्लाइट आने में देरी हो, मनोरंजन का कोई और     साधन उपलब्ध न हो या आपकी बगल वाली सीट पर कोई बातूनी यात्री बैठा हो तो ऐसे में अपना हेडफोन लगाकर पंसदीदा गाने सुनिए और संगीत की दुनिया में खो जाइए.

– अपने साथ ट्रेवल पिलो यानी यात्रा के अनुकूल तकिया ले जाएं. खासकर वे यात्री जिन्हें गर्दन में     तकलीफ  रहती है, वे इसे अपने साथ जरूर रखें.

अब मेकअप बजट फ्रैंडली

अपने मेकअप गुड्डी बैग में हेयर, स्किन और मेकअप से जुड़ी सभी चीजें रखने की चाह आपकी होती है. लेकिन काफी महंगा होने के कारण आप उसे नहीं खरीदतीं, जिस के कारण आप का मेकअप बैग अधूरा ही रहता है. लेकिन हमारे पास आप की इस समस्या का समाधान है, जो कि बैस्ट होने के साथ साथ पौकेट फ्रैंडली भी है. हम बताते हैं कि किस तरह आप मेकअप, स्किनकेयर और हेयर केयर रूटीन को अंडर 500 में कर के अपने साथ साथ अपने मेकअप किट को भी खूबसूरत बना सकती हैं.

मेकअप रूटीन अंडर 500

a

मेकअप बेस : कहीं भी जाना हो तो हम झट से फाउंडेशन से ही खुद की स्किन को ग्लोइंग दिखा पाते हैं, तो फिर कोई भी फाउंडेशन क्यों. नायका आप को बताता है कि आप लैक्मे 9 टू 5 वेटलैस मिनी मूज़ फाउंडेशन अप्लाई करें. इस की खासियत यह है कि एक तो यह लाइट वेट है व आसानी से स्किन में मिक्स हो जाता है. यह मैट फिनिश देता है और लंबे समय तक भी टिका रहता है. और ये सब आप को मिलता है सिर्फ 150 रुपए में.

आंखें : इस के बाद अगला स्टेप है आंखों को संवारने का. क्योंकि खूबसूरत आंखें ही लोगों के होश उड़ाती हैं. ऐसे में खूबसूरत आंखों के लिए आप भी चाहती होंगी स्मज्ड कोल लुक, पतली कैट आइज और स्मोकी आइज. और ये सब आप पा सकती हैं सिर्फ एक पैंसिल से. इस के लिए नायका बताता है कि रिमल सौफ्ट कोल काजल आईलाइनर पैंसिल बेस्ट है. और इसकी कीमत है सिर्फ 93 रुपए.

लिपस्टिक : सभी जानते है कि बिना लिपस्टिक के मेकअप अधूरा लगता है. इस के लिए आप वैट एंड वाइल्ड सिल्क फिनिश लिपस्टिक का इस्तेमाल करें. यह 15 अलग अलग शेड्स में उपलब्ध है और इस की कीमत है मात्र 135 रुपए. इस में विटामिन, ऐलोवीरा और ऐंटी औक्सीडैंट फार्मूला होने के कारण यह आप के होठों को पोषण देती है और मुलायम बनाए रखती है. साथ ही यह लंबे समय तक टिकी रहती है. आप इसे ब्लश की तरह अपने चिक्स पर भी यूज कर सकती हैं.

हाईलाइटर : आखिर में आता है हाईलाइटर, जिसे आप अपने ब्यूटी बैग में रखना न भूलें. जिस के लिए आप ब्लू हैवन शिमर डस्ट पाउडर का यूज कर सकती हैं, जो स्किन पर शाइन लाने का काम करता है. यह पाउडर आप को सिर्फ 95 रुपए में मिल जाएगा. यह 12 शेड्स में उपलब्ध है, जिसे आप हाईलाइटर के अलावा चेहरे पर ब्लश के ऊपर ब्रोनजर की तरह, चिकबोन्स को उभारने के लिए भी प्रयोग कर सकती हैं. यहां तक कि आप पलकों पर आईशैडो की तरह भी इसे यूज कर सकती हैं.

यानी आप की ये पूरी किट मात्र 473 रुपए में तैयार है.

यहां से खरीदें :

लैक्मे 9 टू 5 वेटलैस मिनी मूज़ फाउंडेशन

रिमल सौफ्ट कोल काजल आईलाइनर पैंसिल

वैट एंड वाइल्ड सिल्क फिनिश लिपस्टिक

ब्लू हैवन शिमर डस्ट पाउडर

स्किनकेयर रूटीन अंडर 500

b

क्लींजर : अगर आप हमेशा खुद की स्किन को चमकता दमकता देखना चाहती हैं तो इस के लिए डेली स्किन केयर रूटीन को फौलो करना जरूरी है, जिस के लिए फर्स्ट स्टेप है क्लींजर. इस के लिए नायका बताता है कि आप अरोमा मैजिक नीम एंड टी ट्री फेसवौश यूज कर सकती हैं. यह सभी स्किन टाइप पर सूट करता है और इसकी कीमत है सिर्फ 90 रुपए. सस्ता होने के साथ साथ ये नैचुरल भी है. यह मुंहासों व ब्लैकहैड्स को कम करने के साथ स्किन की जलन को भी दूर करता है. इस से स्किन सौफ्ट नजर आती है.

टोनर : सभी जानते हैं कि आज हमारा प्रदूषण से बहुत ज्यादा सामना होता है, जिस से स्किन पर धूलमिट्टी जम जाती है. ऐसे में हिमालया हर्बल्स रीफ्रैशिंग एंड क्लेरीफाइंग टोनर काफी कारगर है. ये नैचुरल तत्वों से बना है और इसकी कीमत भी सिर्फ 68 रुपए है. आप को बता दें कि ये त्वचा से गंदगी को हटा कर रोमछिद्रों व औयल सीक्रेशन की समस्या को हल करता है, जिस से स्किन क्लीयर नजर आती है.

सनस्क्रीन : जब भी हम घर से बाहर जाएं तो सनस्क्रीन लगाना नहीं भूलना चाहिए. इसके लिए ट्राई करें न्यूट्रोजीना अल्ट्रा शीर ड्राई टच सनब्लौक एसपीएफ 50+ जो आप की स्किन को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने के साथसाथ उसे नमी भी प्रदान करने का काम करता है, और वो भी सिर्फ 199 रुपए में. इसकी खासियत यह है कि यह सभी स्किन पर सूट करता है.

फेस मास्क : मिनटों में स्किन को नरिश्ड, क्लीयर और सौफ्ट देखने के लिए ट्राई करें द फेस शौप रीयल नेचर लेमन फेस मास्क. इस की कीमत सिर्फ 100 रुपए है.

यानी ये पूरी किट मात्र 457 रुपए में तैयार हो जाएगी.

यहां से खरीदें :

अरोमा मैजिक नीम एंड टी ट्री फेसवौश

हिमालया हर्बल्स रीफ्रैशिंग एंड क्लेरीफाइंग टोनर

न्यूट्रोजीना अल्ट्रा शीर ड्राई टच सनब्लौक एसपीएफ 50+

द फेस शौप रीयल नेचर लेमन फेस मास्क

हेयर केयर रूटीन अंडर 500

c

शैंपू एंड कंडीशनर : बालों की प्रोपर केयर के लिए शैंपू के साथ साथ कंडीशनर की भी जरूरत होती है ताकि बालों की केयर होने के साथ वे सौफ्ट भी नजर आए. इस के लिए नायका बताता है कि आप बायोटिक बायो ग्रीन ऐप्पल फ्रैश डेली प्यूरीफाइंग शैंपू और कंडीशनर का यूज करें, जिस की कीमत मात्र 155 रुपए है. इस में ग्रीन ऐप्पल, सी ऐलगे और कैनटेला जैसे तत्व होने के कारण ये बालों को साफ करने के साथ साथ पोषण देने का काम भी करता है.

सीरम : साथ ही आप पेंटीन प्रो-वी औयल रिप्लेस्मन्ट का इस्तेमाल करें. ये सीरम, कंडीशनर, हेयर औयल, हीट प्रोटकटैंट और प्री वौश डीटैंगलर सभी का काम करता है यानी 5 इन वन. वो भी मात्र 128 रुपए में.

ड्राई शैंपू : अगर आप के पास ज्यादा टाइम नहीं है और आप मिनटों में क्लीन हेयर चाहती हैं तो ट्राई करें बी ब्लंट मिनी बैक टू लाइफ ड्राई शैंपू, जिसे हिलाएं और बालों में 2 मिनट लगा कर पाएं चमकते हुए बाल, वो भी सिर्फ 188 रुपए में.

यानी आप की ये पूरी किट मात्र 471 रुपए में तैयार है.

यहां से खरीदें :

बायोटिक बायो ग्रीन ऐप्पल फ्रैश डेली प्यूरीफाइंग शैंपू और कंडीशनर

पेंटीन प्रो-वी औयल रिप्लेस्मन्ट

बी ब्लंट मिनी बैक टू लाइफ ड्राई शैंपू

सौंदर्य से संबंधित अधिक जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें और नायका ब्यूटीबुक पर जाएं.

फौरेन टूर पर जाना चाहती हैं तो ध्‍यान रखें ये बातें

आमतौर पर जब आप विदेश घूमने जाती हैं, तो आपको कई छोटी-छोटी लेकिन बेहद जरूरी चीजों की कमी बहुत खलती है. ऐसी चीजें किसी हादसे या मुसीबत के समय बहुत काम आ सकती हैं. आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिन्‍हें विदेश घूमने जाने से पहले बैग में रखना बेहद ज़रूरी है.

चार्जर, अडप्‍टर भी है जरूरी

अगल-अलग देशों में डिफरेंट साइट के प्‍लग्‍स और वोल्‍टेज उपलब्‍ध होती है. इसलिए अगर आप अपना फोन विदेश में यूज कर रहे हैं, तो यह भी सुनिश्चित कर लें कि वो चार्ज कैसे और कहां होगा. पावर बैंक जैसी डिवाइज ऐसे में आपके बहुत काम आ सकती है.

मेडिकल इंश्‍योरेंस और दवाइयां

विदेश में घूमते समय आपको कुछ भी हो सकता है, इसलिए अपने डौक्‍टर और इंश्‍योरेंस से संबंधित सभी जरूरी दस्‍तावेज अपने पास रख लें. अगर आप किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त नहीं भी हैं, तो अपने साथ एक फर्स्‍ट एड बौक्‍स जरूर रखें, जिसमें सभी ज़रूरी दवाइयां हों. साथ ही अपने मेडिकल इंश्‍यारेंस प्रौवाइडर से सुनिश्चित कर लें कि आपकी पौलिसी इमरजेंसी के समय ओवरसीस में अप्‍लाई होती है या नहीं.

कर लें पूरा हिसाब-किताब

विदेश जाने से पहले अपना सारा हिसाब-किताब कर लें. आपको कितनी करेंसी की ज़रूरत पड़ सकती है. रुपये और जहां आप जा रही हैं, उस देश की करेंसी में कितना अंतर है? ऐसे सवालों का जवाब जान कर ही विदेश के लिए रवाना हों. सफर के दौरान सामान चोरी होने या खो जाने की समस्‍या भी अकसर बनी रहती है. ऐसे में मुसीबत आने पर परेशानी से बचने के लिए अपने पासपोर्ट की कौपी अपने पास जरूर रखें. कौपी होने पर आप अपनी नागरिकता साबित करने में सक्षम हो पाएंगे.

मनी मैटर का रखें ध्‍यान

आप जिस देश में जा रही हैं वहां कि करेंसी क्‍या है इसकी पूरी जानकारी हासिल कर लें. ये सुनिश्चित कर लें कि आपका क्रेडिट कार्ड उस देश में जरूर मान्‍य हो जहां आप जा रही हैं. पूरी तरह से कार्ड पर ही निर्भर न रहें. अपने पास उसे देश की लोकल करेंसी भी जरूर रखें.

वेज कटलेट रेसिपी

सामग्री:

– 4 आलू (उबले हुए)

– 1 गाजर (कद्दूकस की हुई)

– धनिया पाउडर (1 टी स्पून)

– काली मिर्च (1/4 टी स्पून)

– लाल मिर्च पाउडर (1/4 टी स्पून)

– मैदा (1/4 कप)

– पानी (1 कप)

– पत्ता गोभी (1/2 कप)

– स्लाइस (6 ब्रेड)

– गरम मसाला (1/4 टी स्पून)

– अमचूर पाउडर (1/4 टी स्पून)

– अदरक पेस्ट (1 टी स्पून)

– तेल (2 टी स्पून)

– नमक (स्वादानुसार)

बनाने की विधि

– सबसे पहले मैदा को ले और छलनी की मदद से छान ले.

– अब एक बर्तन में मैदा को ले और उसमे थोड़ा सा पानी मिलाकर अच्छी तरह से घोल लें.

– उसको फेटकर एक चिकना घोल तैयार कर लें.

– इस घोल में काली मिर्च, लाल मिर्च, धनिया, अदरक का पेस्ट, अमचूर, गरम मसाला और नमक डालकर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

– अब ब्रेड के पीस ले और उन्हें तोड़कर उनका चूरा कर लें.

– एक बाउल में उसमे उबले हुए आलू को डालकर अच्छे से मसल लें.

– अब उसमे बाकि हुई सब्ज़िया डालें और मिक्स करें.

– इस मिश्रण में ब्रेड का चूरा भी डाले और सारे मिश्रण को अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

– अब इस मिश्रण को हाथ में ले और हथेली की मदद से एक आकार देकर कटलेट बना लें.

– इस पीस को मैदा के घोल में डुबाए और प्लेट में रख दें.

– इसे तरह सारे कटलेट बनाकर एक प्लेट में रख दें.

– अब एक कढ़ाई में तेल डालकर गरम करने के लिए गैस पर रख दें.

– 2-3 कटलेट एक बार में लेकर कढ़ाई में डाले और दोनों तरफ से पलट के अच्छी तरह से तलें.

– जब यह तल जाए तो उन्हें एक प्लेट में नैपकीन बिछाकर निकाल लें.

– सारे कटलेट को इसे तरह तल लें.

– आपके स्वादिष्ट और लाजवाब वेज कटलेट तैयार है इन्हे टोमेटो सास या चटनी के साथ सर्वे करें.

त्वचा से लेकर वीर्य के लिए लाभकारी है प्याज, जानिए और भी गुण

हमारे रोज रोज के खानपान में प्याज एक अहम हिस्सा है. खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए प्याज जरूरी है, साथ में अपने सेहतमंद गुणों के कारण ये और अधिक खास हो जाता है. इस खबर में हम आपको प्याज से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे.

सर्दी जुकाम में है लाभकारी

सर्दी जुकाम और कफ की समस्या में भी प्याज काफी असरदार होता है. इस दौरान इसके सेवन से गले को काफी आराम मिलता है. कफ होने पर प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चाटने से काफी फायदा मिलता है.

बालों का रखे ख्याल

बालों के झड़ने में भी ये काफी असरदार होता है. अगर आपके बाल झड़ रहे हो तो आपको प्याज का सेवन खाने में करना चाहिए. इससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं.

त्वचा के लिए है फायदेमंद

आपको बता दें कि प्याज में एंटी-इंफ्लेमेट्री, एंटी-एलर्जीक, एंटी-औक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं. अपने इन गुणों के कारण ये कई तरह के रोगों में बेहद लाभकारी हो जाता है. इससे बहुत सी बीमारियां दूर होती हैं, कई लोगों का ये भी मानना है कि प्याज के नियमित सेवन से लोगों की आयु भी अधिक होती है. इसके साथ साथ त्वचा की झुर्रियों में भी ये बेहद लाभकारी है   और इससे त्वचा में रौनक बरकरार रहती है.

वीर्य के लिए है फायदेमंद

अपनी इन खूबियों के अलावा वीर्यवृद्धि के लिए भी सफेद प्याज के रस को शहद के साथ इस्तेमाल किया जाता है. नपुंसकता को दूर करने में ये काफी असरदार होता है.

डायबीटिज में है असरदार

डायबिटीज के मरीजों के लिए भी कच्चा प्याज काफी लाभकारी होता है. इसे खाने से शरीर में इंसुलिन पैदा होती है. शरीर में शुगर के लेवल को बैलेंस करने में भी प्याज का अहम योगदान होता है.

 

बोनलेस चिकन रेसिपी

सामग्री:

– बोनलेस चिकन (500 ग्राम)

– हरी मिर्च (4)

– प्याज़ (2)

– पानी (1 कप)

– हरा धनिया (1 टी स्पून)

– लाल मिर्च (1/2 टी स्पून)

– हल्दी (1/2 टी स्पून)

– गरम मसाला (1/2 टी स्पून)

– अदरक लहसून पेस्ट (2 टी स्पून)

– धनिया पत्ता (2 टी स्पून)

– तेल (2 टी स्पून)

– नमक (स्वादानुसार)

बनाने की विधी

– बोनलेस चिकन को बनाने के लिए सबसे पहले चिकन को ले और अच्छे से साफ कर लें.

– इतना करने के बाद हरी मिर्च और प्याज़ को ले और चाकू की मदद से बारीक़ काट लें.

– अब एक कढ़ाई में तेल डालकर गरम करे.

– गरम तेल में बारीक़ कटा हुआ प्याज़ और हरी मिर्च डाले और धीमी आंच पर भून लें.

– इतना करने के बाद इसी मिश्रण में अदरक लहसून का पेस्ट, लाल मिर्च, धनिया और हल्दी डालकर     सभी  मसालों को अच्छे से भून लें.

– इसी मिश्रण में चिकन और नमक डाले अच्छे से मिलाए और कुछ देर तक चिकन को धीमी आंच पर   पकाएं.

– अब इसमें पानी डालकर कुछ देर पकने के लिए छोड़ दें.

– अगर चिकन नहीं पका है तो एक बार मिक्स कर के कढ़ाई को कुछ देर के लिए ढक कर छोड़ दें, करीब   3-  4 मिनट पकने का इंतज़ार करें

– कुछ ही देर में आपका स्वादिष्ट और लजीज बोनलेस चिकन बनकर तैयार है इसे बाउल में निकाले   ऊपर  से धनिया पत्ता और गरम मसाला डाले और सभी को सर्वे करें.

वजन कम करना है तो आज से पीना शुरू करें ये ड्रिंक्स

अगर आप अपने अधिक वजन से परेशान हो रही हैं और लाख कोशिशों के बाद भी अपना वजन कम नहीं कर पा रही हैं तो ये खबर आपके लिए है. आम तौर पर लोग वजन को कम करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं, इसके लिए वो जिम का सहारा लेते हैं, डाइटिंग करते हैं, तरह तरह के एक्सरसाइजेज करते हैं, पर इन सब से उन्हें कुछ खास फायदा नहीं होता. ऐसे में हम आपको बताने वाले हैं ऐसे ड्रिंक्स के बारे में जिनके नियमित सेवन से आप अपना वजन कम कर सकती हैं और साथ में शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों से छुटकारा पा सकती हैं. तो आइए जाने इन खास ड्रिंक्स के बारे में.

दालचीनी का ड्रिंक

गुनगुने पानी में  दालचीनी का पाउडर डाल लें और रोजाना सोते वक्त इसे पिएं. इससे ना सिर्फ आपका फैट गलेगा, बल्कि शरीर से विषैले पदार्थ भी बाहर होंगे.

नींबू और अदरक

वजन घटाने में डिटौक्स ड्रिंक्स की भूमिका अहम होती है. ऐसे में गुनगुने पानी में नींबू और अदरक को मिला कर रोज सुबह खाली पेट पिएं. इससे आपके शरीर को ताकत मिलेगी और शरीर का मेटाबौलिज्म भी मजबूत होगा.

खीरे और पुदीने का ड्रिंक

खीरा और पुदीने का ड्रिंक शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में काफी सहायक होते हैं. इसका स्वाद और खुशबू लाजवाब होती है. इसके नियमित सेवन से पाचन बेहतर होता है.

मैं हमेशा शादी में विश्वास करती हूं : कृति सेनन

तेलगू फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री कृति सेनन दिल्ली की हैं. उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करने का मौका फिल्म ‘हिरोपंती’ से मिला, जिसमें उनके काम को तारीफे मिली और उन्हें पुरस्कार भी मिला. कृति ने जो भी फिल्में की, कमोबेश सफल रहीं, इसलिए आज उन्हें हर तरह की फिल्मों में काम करने का अवसर मिल रहा है. शांत और हंसमुख स्वभाव की कृति से उनकी फिल्म ‘लुकाछिपी’ के प्रमोशन के दौरान बात हुई, पेश है कुछ अंश.

इस फिल्म को चुनने की खास वजह क्या है?

मुझे छोटे शहरों की कहानियां अच्छी लगती है और इससे पहले फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ को भी लोगों ने पसंद किया था. आजकल छोटे शहरों के लिए कहानियां लिखी जा रही हैं. ये कहानियां सबके लिए रिलेटेबल होती हैं. ऐसी कहानियां सभी को प्रेरित करती है.

लिव इन रिलेशनशिप’ को इसमें दिखाने की कोशिश की गयी है, आप इस पर कितना विश्वास करती हैं?

मैं शादी में हमेशा विश्वास करती हूं, लेकिन ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में जाना भी कोई गलत बात नहीं है. कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति समझ नहीं पाता है कि उसे अपने पार्टनर से शादी करनी है या नहीं, ऐसे में उसकी अनुकूलता को देखना जरुरी होता है, क्योंकि हर कोई एक बार ही शादी करना चाहता है. ऐसे में यह सही है, इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन मुंबई जैसे शहर में भी इसे स्वीकार करना मुश्किल होता है.

क्या लिव इन रिलेशनशिप में भी दायरे होने चाहिए?

लिव इन में आपको किसी की छोटी-छोटी बातों का पता चल जाता है. इसमें दायरे की जरुरत नहीं होती. हां इतना जरुर होता है कि आप ऐसा सोच लें कि अगर सब ठीक रहा, तो शादी तक बात पहुंच सकती है.

आप अपनी जर्नी को कैसे देखती हैं? स्क्रिप्ट चुनते समय किस बात का ध्यान रखती हैं?

मैं खुश हूं कि मेरी कई फिल्में अच्छी चली हैं. दर्शकों ने मेरे काम की सराहना की है. अच्छी फिल्म का कोई फार्मूला नहीं है. ऐसे में आपके दिल की बात सुननी चाहिए. किसी भी फिल्म को आप क्यों करना चाहते हैं उसे भी देखना पड़ता है, क्योंकि कोई भी खराब फिल्म बनाना नहीं चाहता. फिल्म की शूटिंग डेज आपको अच्छा लगना चाहिए. मुझे काम पर जाने में रोज मजा आना चाहिए साथ ही फिल्म की जर्नी अच्छी होने की जरुरत है. इसके लिए फिल्म में कुछ ऐसा होना चाहिए, जो आपको उत्साहित करें.

आपको सबसे अधिक काम करने की प्रेरणा कहां से मिलती है?

मेरा पूरा परिवार इसमें मेरा साथ देता है. जब मुझे कोई स्क्रिप्ट मिलती है तो मैं अपनी बहन या मां को पढ़ने के लिए देती हूं. उसके बाद मैं सबसे बात करती हूं. इंडस्ट्री में ऐसे कई हैं, जो चाहते हैं कि आप अच्छा काम करें, वे अच्छी सलाह देते हैं. मुझे अच्छा लगता है कि वैसे कुछ लोग मुझे मिले हैं.

क्या आपको आउटसाइडर होने का अनुभव अभी भी होता है?

आउटसाइडर होने पर थोड़े दिनों तक समस्या आती है. अभी मैं कुछ हद तक इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन चुकी हूं. कभी-कभी मुश्किल आज भी होती है. कुछ बाधाएं हैं, जिसे मैं तोडना चाहती हूं. अच्छे निर्देशक के साथ काम करने का मौका अभी भी नहीं मिल पाया है. इससे आपको आगे बढ़ने में आसानी होती है और आप किस स्तर तक अभिनय कर सकते हैं, उसका भी पता चलता है. मेरी विश लिस्ट में निर्देशक इम्तियाज अली, अनुराग बासु, संजय लीला भंसाली, विशाल भारद्वाज, करण जौहर, जोया अख्तर, गौरी शिंदे, मेघना गुलजार आदि हैं. असल में आउटसाइडर होने पर आपको जानने और पहचानने में समय लगता है. कुछ हिट फिल्म उन्हें देने की जरुरत होती है, ताकि आप पर कहानियां लिखी जा सकें.

महिला दिवस पर आप महिलाओं को क्या संदेश देना चाहती हैं?

मैं महिला दिवस को नहीं मानती. पुरुषों के लिए दिन क्यों नहीं बना है? एक दिन महिलाओं को क्यों देना है? सशक्तिकरण की अगर मैं बात करूं, तो सब कुछ सोच से बदलती है. इसकी जिम्मेदारी माता-पिता की है. बचपन से बच्चों को वैसी शिक्षा देने की जरुरत है, तभी हमारा भविष्य अच्छा बनेगा. अगर आप लड़की को रात को बाहर जाने से मना करते हैं, तो लड़के को रात में बाहर न जाने दें. तभी सब बदलेगा और मैं चाहती हूं कि वो दिन आयें, जब हर महिला की सफलता के पीछे एक पुरुष का हाथ हो.

मेरे घर में हमेशा आजादी है और मैंने हमेशा अपनी इच्छानुसार काम किया है.

ऐसे करें अपने बालों की देखभाल

मजबूत बालों की चाहत भला किसे नहीं होती. मगर आज की खराब जीवनशैली के चलते हमारे बालों का हाल बहुत बुरा हो चुका है. किसी के सिर पर बाल ही नहीं हैं तो किसी के बाल कंघी करने पर टूटने लगते हैं. बाल अगर मजबूत नहीं होते हैं, तो दिन रात चिंता सताने लगती है. यहां पर आपको कुछ हेयर केयर टिप्‍स दिये जा रहे हैं, जिन्‍हें आजमा कर आप ना सिर्फ अपने बालों को टूटने से बचा सकती हैं बल्कि उन्हें खूबसूरत और मजबूत भी बन सकती हैं.

जड़ों की मसाज करें

आपको हेयर मास्‍क और कंडीशनर लगाने के अलावा भी सिर की जड़ों में तेल लगाना चाहिये. जब आप सिर की तेल से मसाज करती हैं तो आपके बालों को नमी मिलती है और उनमें ताकत आती है.

केरोटिन का सेवन

बालों में जब प्रोटीन की कमी हो जाती है तो वह टूटने लगते हैं और उसकी शाइन भी चली जाती है. केरोटिन एक प्रोटीन फार्मूला है जो कि कई शैंपू में पाया जाता है, इससे बालों में मजबूती आती है.

बालों को हाइड्रेट रखें

आपके शरीर की तरह ही आपके बालों को भी हाइड्रेट रखने की जरुरत है. अगर आपके बाल हाइड्रेट रहेगें तो उनमें शाइन आएगी. बालों में हेयर मास्‍क लगाएं जिससे इनमें नमी आए. इससे वे टूटेगें भी नहीं.

ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट

आपको बालों में ज्‍यादा ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट जैसे, हेयर कलर, हेयर डाई, जैल आदि से दूर बना कर रखनी होगी.

अच्‍छी डाइट

अच्‍छे बालों के लिये अच्‍छी डाइट का भी होना बहुत जरुरी है. कोशिश करें कि अपनी डाइट में पूरी तरह से विटामिन और मिनरल मिला लें. एक बैलेंस डाइट में मल्‍टीविटामिन वाले आहार होने चाहिये. साथ की कैल्‍शियम का भी ध्‍यान दें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें