ऐथनिक ड्रैस में फ्यूजन का तड़का

आजकल फ्यूजनवियर का खूब चलन है. फ्यूजनवियर का अर्थ है 2 भिन्न संस्कृतियों के मेल से बने परिधान. जैसे, भारतीय परिधानों और विदेशी कपड़ों का एक खूबसूरत मिलाप. इसे ऐसे समझें विदेशी गाउन पर भारतीय कढ़ाई या फिर शीशे का काम अथवा फिर ट्यूब टौप के साथ राजस्थानी घाघरा. फ्यूजन परिधानों ने भारतीय फैशन की दुनिया में नई हलचल मचा दी है. नित नए रचनात्मक परिधान सामने आ रहे हैं.

सुनें फैशन की दुनिया के गुरुओं से

अमीत पांचाल, ‘श्रीबालाजी ऐथ्निसिटी रीटेल’ के निदेशक कहते हैं कि महिलाएं पारंपरिक परिधानों से फ्यूजनवियर की तरफ तेजी से जा रही हैं. ‘कल्की’ के निदेशक निशित गुप्ता के अनुसार फ्यूजनवियर एक सही चयन है उन के लिए जो भीड़ से अलग दिखना चाहते हैं. ज्यादातर 22 से 23 साल तक की महिलाएं इस तरह का फैशन करने में आगे रहती हैं. जो परिधान इस दौड़ में आगे हैं वे हैं साड़ी के साथ औफशोल्डर ब्लाउज, धोती पैंट्स के साथ क्रौपटौप या फिर लहंगा अथवा साड़ी के साथ जैकेट.

‘स्टूडियो बाई जनक’ की निदेशक वैंडी मेहरा कहती हैं कि फ्यूजनवियर न केवल फैशनपरस्तों के लिए है, बल्कि आज की नारी जोकि फैशन के साथसाथ आरामदेह परिधान भी चाहती है, को भी यही चाहिए.

ऐसे अपनाएं यह नया फैशन

कुछ फ्यूजनवियर जिन्हें आप भी अपना सकती हैं:

– लहंगे पर पारंपरिक चोली न पहन कर आप फौर्मल शर्ट पहन सकती हैं. इस के साथ औक्सीडाइज्ड गहने पहनना जंचेगा. लहंगे के साथ टैंक टौप या हाल्टर नैक टौप भी एक अच्छा औप्शन है. ‘कल्की’ फैशन स्टोर पर लहंगा और क्रौप टौप की ब्रिकी सर्वाधिक हो रही है, जो अब पारंपरिक लहंगाचोली का पर्याय बनता जा रहा है.

– जंपसूट काफी फैशन में है. इस विदेशी परिधान में देशी तड़का लगाने के लिए इसे सूती कपड़े में बनवाया जा सकता है. इस के अलावा इस पोशाक को एक सूट की तरह पहन कर साथ में रंगीले दुपट्टे से और भी निखारा जा सकता है. गहने भी साथ हों तो कहने ही क्या.

– कुरता डै्रस नवीनतम फ्यूजन परिधान है. चाहे लंबे कुरते को मैक्सी की तरह पहन लें या फिर अनारकली कुरते को बिना चूड़ीदार सलवार के पहनें. वैकल्पिक रूप से पाश्चात्य गाउन पर भारतीय कढ़ाई या अंबी के नमूने भी बनवाए जा सकते हैं.

– धोती पैंट्स की स्टाइल लैगिंग या मिनी स्कर्ट को भी मात देती है. यह सैक्सी परिधान तब और भी निखर उठता है जब इसे क्रौप टौप के साथ पहना जाए.

– फ्यूजन साड़ी ने फैशन की दुनिया में धूम मचा दी है. बौलीवुड सुंदरियों के साथसाथ आम महिलाओं ने भी पारंपरिक साड़ी के साथ नए प्रयोग करने शुरू कर दिए हैं. रफल साड़ी का शोर आजकल हर ओर है. डिजाइनर निदा महसूद ने जींससाड़ी का नया कलैक्शन निकाला है. वे कहती हैं कि साड़ी जैसे साढ़े 5 मीटर लंबे परिधान को आधुनिकता का जामा पहनाने से ‘पेज-3’ की पार्टियों की शान बन सकती है.

– ब्लाउज की डिजाइन की बहार के बारे में तो पूछें ही नहीं. बैकलैस तो कल की बात है. बदलते जमाने में ब्लाउज के नएनए कट कोई जैकेटनुमा तो कोई कोटस्टाइल, कहीं आगे से कटाव तो कहीं पीछे से गहराई वाले चलन में हैं. रचनात्मक तरीकों की कमी नहीं है.

ऐसा नहीं है कि फ्यूजन का असर केवल भारत में ही दिखाई दे रहा है. विदेशी फैशन डिजाइनरों पर भी भारतीय परिधानों का खुमार चढ़ रहा है. ब्रितानी डिजाइनर जौन गैलियानो सिल्क साड़ी पर छोटी जैकेट पहने दिखाई दें या मशहूर मौडल नाओमी कैंपबेल, न्यूयौर्क में एमटीवी, म्यूजिक अवार्ड के दौरान साड़ी पहन कर आईं.

ऐथनिक डै्रस में फ्यूजनवियर के कुछ प्रचलित ट्रैंड हैं औफशोल्डर ब्लाउज, पोंचू स्टाइल के टौप या फिर कुरतों की केवल एक तरफ बाजू. ऐसा नहीं है कि फ्यूजनवियर पर केवल औरतों का अधिकार है, मर्द भी जब जींस के साथ कुरता पहनने लगे हैं.

वैलेंटाइन डे स्पेशल : हेयर स्टाइलिंग टूल्स से निखर उठेंगे आपके बाल

आजकल हेयर स्टाइलिंग टूल्स का चलन काफी बढ़ गया है. लेकिन इन का इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

हेयर ड्रायर

बालों को नया हेयरस्टाइल देने के लिए बिजली के उपकरणों में हेयर ड्रायर मुख्य है. बालों के अच्छे रखरखाव के लिए आप हफ्ते में 1 बार हेयर ड्रायर का प्रयोग कर सकती हैं. रोज या लगातार प्रयोग करने से बालों में डैंड्रफ, ड्राईनैस जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं. हेयर ड्रायर के बेहतर परिणाम के लिए इन जरूरी बातों का ध्यान रखें:

– अगर आप के लिए हेयर ड्रायर का इस्तेमाल जरूरी है, तो बालों की नियमित औयलिंग करें. हफ्ते में ज्यादा से ज्यादा 1 बार ही इसे प्रयोग में लाएं.

– ड्रायर का इस्तेमाल करने से पहले बालों की कंडीशनिंग करना न भूलें.

– हेयर ड्रायर प्रयोग करने से पहले बालों में नरिशमैंट सीरम लगा लें ताकि ड्रायर की हीट से बाल मुलायम हो सकें.

– बालों के प्रकार व आवश्यकतानुसार हेयर ड्रायर इस्तेमाल करें जैसेकि बाल कर्ली हैं, रूखे हैं, सौफ्ट हैं या फिर सिल्की.

– हेयर ड्रायर को 6 से 9 इंच की दूरी से ही प्रयोग करें वरना बालों में रूखापन बढ़ जाएगा.

– रूखे बालों में ड्रायर का इस्तेमाल कम से कम करें. कोल्ड ड्रायर का इस्तेमाल करें.

हेयर आयरन

बालों को स्ट्रेट रखने के लिए हेयर आयरन का आजकल बहुत प्रयोग किया जा रहा है. लेकिन इस के अच्छे परिणाम के लिए बेसिक चीज जो ध्यान में रखनी है वह यह कि हमेशा अच्छी क्वालिटी का फ्लैट और अलगअलग तापमान के लिए सिरेमिक प्लेट्स वाली आयरन लेनी चाहिए, जो औटो शट औफ हो. अगर बाल बहुत पतले और डैमेज हैं, तो शुरुआत लो सैटिंग से करें. अगर बाल कर्ली और मोटे हैं तो हाई सैटिंग पर जाएं.

बालों पर आयरन यूज करने से पहले उन्हें शैंपू और कंडीशनिंग करें. गीले बालों में कभी स्ट्रेटनिंग नहीं की जाती है, इसलिए पहले बालों को ब्लो ड्रायर से सुखा लें. बालों को बीचबीच में ठंडी हवा से भी ब्लो ड्रायर करें वरना उन के जलने का डर रहता है. बालों में अच्छे हीट प्रोटैक्टर का प्रयोग करें ताकि वे हौट आयरन की वजह से खराब न हों. इसे खरीदते वक्त ध्यान रखें कि इस में तेल या ज्यादा मात्रा में सिलिकौन नहीं होना चाहिए. इस की केवल 1 बूंद ही काफी रहेगी.

वाइब्रेटर मसाजर

वाइब्रेटर मसाजर द्वारा की जाने वाली मसाज हाथ के द्वारा की गई मसाज से अलग होती है. वाइब्रेटर सिर की मांसपेशियों और खोपड़ी की त्वचा में कंपन पैदा कर के उत्तेजना बढ़ाता है, जिस से रक्तसंचार तेज होता है और नसों का तनाव दूर हो कर थकान दूर होती है. बालों को स्वस्थ रखने के लिए यह काफी फायदेमंद है.

बालों का आपस में रगड़ खाना उन के लिए हानिकारक होता है. हाथ से की गई मालिश से बाल काफी हद तक आपस में रगड़ खाते हैं. वाइब्रेटर द्वारा की गई मालिश से बालों के आपस में रगड़ खाने की संभावना खत्म हो जाती है, साथ ही रक्तसंचार बढ़ने से बालों की जड़ें अधिक मजबूत हो जाती हैं. वाइब्रेटर मसाजर से मसाज करने के लिए ढक्कन की तरह गोल आकार के दांत वाले ऐंप्लिकेशन का प्रयोग किया जाता है.

बेहतर रिजल्ट के लिए सिर की त्वचा पर मसाज देने के लिए वाइब्रेटर की शक्ति 2000 प्रति मिनट कंपन से अधिक नहीं होनी चाहिए. मसाज करते समय हिलनाडुलना नहीं चाहिए क्योंकि किसी तरह का झटका लगने पर चोट लग सकती है. वाइब्रेटर मसाजर को रूखे बालों में भी तेल लगाने के बाद प्रयोग किया जा सकता है.

स्कैल्प स्टीमर

बिजली से चलने वाला यह उपकरण पानी को थोड़ी देर में भाप बना देता है. हर प्रकार की समस्या से ग्रस्त बालों के लिए भाप उपचार विशेष लाभकारी होता है. भाप से स्किन के पोर खुल जाते हैं और उन में फंसी गंदगी बाहर निकल आती है. रक्तसंचार तेज होने से बालों को पूरी तरह पोषण मिलने लगता है. इस के बेहतर रिजल्ट के लिए स्कैल्प स्टीमर से भाप उपचार को नियमित रूप से 2 हफ्ते तक देना चाहिए. बालों को दिए जाने वाले सभी उपचारों में भाप पद्धति खासतौर पर फायदेमंद है.

भाप देने के बाद बालों को धोना नहीं चाहिए. यदि किसी हेयर टौनिक को लगा कर भाप उपचार दिया गया हो तो बालों को धोने की जरूरत नहीं रहती.

इन्फ्रारेड रेज लैंप

इन्फ्रारेड रेज गरमी प्रदान करने वाली वे किरणें हैं, जो दिखाई नहीं देतीं. यदि इन्हें रोशनी के साथ मिलाया जाए तो ये दिखाई देने लगती हैं. इन्फ्रारेड से लिया गया ताप शुरू में अपनी गति धीमी रखता है, कुछ मिनट में पूरी तरह उच्च तापमान तक पहुंच जाता है. इस के द्वारा त्वचा के अंदर मांसपेशियों और त्वचा पर जो असर पड़ता है वह लंबे समय तक रहता है.

शुद्ध रक्तधमनियों में और अशुद्ध रक्त को हृदय की ओर ले जाने वाली रक्तनलिकाओं में ब्लड सर्कुलेशन की तेज गति होने के कारण उस स्थान पर जरूरी पोषक तत्त्व एवं औक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिलने लगती है. इस से मांसपेशियों में हुई परेशानियां जैसे सूजन, जकड़न तथा नलियों की थकान और दर्द को दूर करने में विशेष लाभ मिलता है.

इन्फ्रारेड का इस्तेमाल करते समय आंखें क्लीन रखें. कौंटैक्ट लैंस या चश्मा लगाती हों तो उतार दें. सोनेचांदी या किसी अन्य धातु के आभूषण पहने हों तो उन्हें भी उतार दें वरना वे गरम हो कर स्किन को जला सकते हैं. लैंप को इस्तेमाल करने के बाद स्किन के सामान्य होने के बाद शैंपू कर कुनकुने पानी का इस्तेमाल करें. लैंप को 25 से 30 इंच की दूरी पर रखें. उसे प्रयोग करते समय गरदन, कमर और कंधों को तौलिए से ढकना न भूलें.

ओजोन रेज लैंप

बिजली से चलने वाले इस उपकरण से ओजोन रेज का निर्माण होता है. ओजोन किरणें रोग को पूरी तरह खत्म कर देती हैं. इन किरणों का प्रयोग करते रहने से बालों और सिर की स्किन में किसी प्रकार के संक्रमण या कोई बीमारी होने की संभावना नहीं रहती है. सफेद बालों की समस्या, गंजापन, बालों का अधिक मात्रा में झड़ना इन सभी समस्याओं को खत्म करने में ओजोन किरणें पूरी तरह सक्षम होती हैं. उपकरण के साथ एक कंघानुमा बल्ब भी होता है. इस के इस्तेमाल से ओजोन किरणों को आसानी से सही प्रकार से बालों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है.

ओजोन किरणें हमेशा सूखे बालों में ही दी जाती हैं. गीले बालों में भूल कर भी इन का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन में विद्युत तरंग होने के कारण करंट लग सकता है.

बालों में किसी संक्रमण या रोग के अधिक बढ़ जाने पर नियमित रूप से डेढ़दो मिनट तक ओजोन रेज दी जा सकती हैं. रोग खत्म होने के बाद कुछ महीनों तक प्रति सप्ताह यह उपचार देना चाहिए और उपचार के बाद किसी हेयर टौनिक को बालों की जड़ों में लगा लेना चाहिए. यह बहुत लाभकारी होता है. इस उपचार द्वारा बालों की वृद्धि को विशेष लाभ मिलता है.

थकान, कमजोरी का इलाज है प्रोटीन

प्रोटीन शरीर में पेशियों, अंगों, त्वचा, ऐंजाइम, हारमोन आदि बनाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं. ये छोटे अणु हमारे शरीर में कई महत्त्वपूर्ण काम करते हैं.

हमारे शरीर में 20 प्रकार के एमिनो ऐसिड होते हैं, जिन में से 8 जरूरी एमिनो ऐसिड कहलाते हैं, क्योंकि शरीर इन्हें खुद नहीं बना सकता. इसलिए इन्हें आहार के माध्यम से लेना बहुत जरूरी होता है. शेष 12 एमिनो ऐसिड गैरजरूरी कहे जा सकते हैं, क्योंकि हमारा शरीर खुद इन का उत्पादन कर सकता है. प्रोटीन छोटे अणुओं से बने होते हैं, जिन्हें एमिनो ऐसिड कहते हैं. ये एमिनो ऐसिड एकदूसरे के साथ जुड़ कर प्रोटीन की शृंखला बना लेते हैं.

प्रोटीन से युक्त आहार को पचाने के लिए शरीर को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है. इसलिए प्रोटीन को पचाने के दौरान शरीर में जमा कैलोरी (वसा और कार्बोहाइड्रेट) बर्न हो जाती है. इस तरह प्रोटीन का सेवन करने से शरीर का वजन सामान्य बना रहता है.

अगर आप शाकाहारी हैं और ऐनिमल प्रोटीन का सेवन नहीं करते हैं तो आप के लिए प्रोटीन की जरूरत पूरी करना थोड़ा मुश्किल होगा. यही कारण है कि शाकाहारी लोगों में प्रोटीन की कमी होने की संभावना ज्यादा होती है.

एक व्यक्ति को औसतन कितनी मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है?

हर व्यक्ति को अपने शरीर के अनुसार अलग मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है. यह व्यक्ति की ऊंचाई और वजन पर निर्भर करता है. सही मात्रा में प्रोटीन का सेवन कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे आप कितने ऐक्टिव हैं, आप की उम्र क्या है? आप का मसल मास क्या है? आप की सेहत कैसी है?

अगर आप का वजन सामान्य है, आप ज्यादा व्यायाम नहीं करते, भार नहीं उठाते तो आप को औसतन 0.36 से 0.6 ग्राम प्रति पाउंड (0.8 से 1.3 ग्राम प्रति किलोग्राम वजन) प्रोटीन की जरूरत होती है. औसत पुरुष के लिए 56 से 91 ग्राम रोजाना और औसत महिला के लिए 46 से 75 ग्राम रोजाना.

प्रोटीन की कमी क्या है?

प्रोटीन की कमी बहुत ज्यादा होने पर शरीर में कई बदलाव आ सकते हैं. इन की कमी शरीर के लगभग हर काम को प्रभावित करती है. ये 13 लक्षण बताते हैं कि आप अपने आहार में पर्याप्त प्रोटीन का सेवन नहीं कर रहे हैं.

वजन में कमी: प्रोटीन की कमी के 2 प्रकार हैं-

पहला- क्वाशिओरकोर. यह तब होता है जब आप कैलोरी तो पर्याप्त मात्रा में ले रहे हैं, लेकिन आप के आहार में प्रोटीन की कमी है और दूसरा मरैज्मस. यह तब होता है जब आप कैलोरी और प्रोटीन दोनों ही कम मात्रा में ले रहे होते हैं.

अगर आप प्रोटीन का सेवन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आप का आहार संतुलित नहीं है. आप के आहार में कैलोरी पर्याप्त मात्रा में नहीं है या आप का शरीर भोजन को ठीक से नहीं पचा पा रहा है. अगर आप बहुत कम मात्रा में कैलोरी का सेवन करते हैं, तो आप का शरीर प्रोटीन का इस्तेमाल ऐनर्जी पाने के लिए करेगा न कि पेशियां बनाने के लिए. इस से आप का वजन कम हो जाएगा. हालांकि कुछ लोगों में वजन बढ़ जाता है, क्योंकि उन के शरीर में प्रोटीन को पचाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती.

बाल, त्वचा और नाखूनों की समस्याएं: प्रोटीन की कमी का बुरा असर अकसर बालों, त्वचा और नाखूनों पर पड़ता है, क्योंकि ये अंग पूरी तरह प्रोटीन से बने होते हैं. प्रोटीन की कमी से अकसर सब से पहले बाल पतले होने लगते हैं, त्वचा पर से परतें उतरने लगती हैं और नाखूनों में दरारें आने लगती हैं.

थकान या कमजोरी महसूस होना: जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं मिलता तो पेशियां कमजोर होने लगती हैं, शरीर पेशियों में से एमिनो ऐसिड पाने की कोशिश करता है, जिस से मसल मास कम हो जाता है और मैटाबोलिक रेट भी कम होने लगता है. इस से शरीर में ताकत और ऐनर्जी कम हो जाती और आप हमेशा थका हुआ महसूस करते हैं.

चीनी या मीठा खाने की इच्छा: प्रोटीन को पचाने में कार्बोहाइड्रेट की तुलना में ज्यादा समय लगता है. जब आप ज्यादा कार्बोहाइड्रेट से युक्त भोजन खाते हैं, तो ब्लड शुगर अचानक बढ़ती है और फिर कम हो जाती है. इसलिए चीनी या मीठा खाने की इच्छा होती है. इस से बचने के लिए अपने आहार में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें ताकि आप का शरीर भोजन को धीरेधीरे पचाए और ब्लड शुगर के स्तर में अचानक बदलाव न आए.

ऐनीमिया या खून की कमी: अगर आप के शरीर में प्रोटीन की कमी है तो विटामिन बी12 और फौलेट की कमी होने की संभावना भी बढ़ जाती है, जिस के कारण खून की कमी यानी ऐनीमिया हो सकता है. इस में शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है, जिस कारण ब्लड प्रैशर कम हो सकता है और आप थकान भी महसूस कर सकते हैं.

प्रतिरक्षा क्षमता/ इम्यूनिटी: प्रोटीन की कमी से इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और फिर बारबार बीमार पड़ने लगते हैं. ठीक होने में भी समय लगता है. इम्यून सैल्स प्रोटीन से बने होते हैं. इसलिए अगर आप का आहार संतुलित नहीं है तो आप डोमिनो इफैक्ट से परेशान हो सकते हैं.

ब्लड प्रैशर और हार्ट रेट कम होना: प्रोटीन की कमी से ब्लड प्रैशर कम होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर शरीर को सही पोषण न मिले तो इस का असर शरीर के सभी कार्यों पर पड़ता है.

लिवर की समस्याएं: प्रोटीन की कमी और लिवर रोग एकदूसरे से संबंधित हैं. प्रोटीन के बिना आप का लिवर डिटौक्सीफिकेशन का काम ठीक से नहीं कर पाता.

पेशियों और जोड़ों में दर्द: प्रोटीन की कमी होने पर शरीर ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए पेशियों से कैलोरी बर्न करने लगता है, जिस से पेशियों एवं जोड़ों में दर्द, कमजोरी महसूस होने लगती है.

पेशियों में कमजोरी: मध्य आयुवर्ग के पुरुषों में अकसर उम्र बढ़ने के साथ सार्कोपेनिया हो जाता है. उन का मसल मास कम होने लगता है. अगर वे अपने आहार में प्रोटीन का सेवन पर्याप्त मात्रा में न करें तो यह समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है.

सूजन: अगर आप के शरीर में प्रोटीन की कमी है, तो आप एडिमा यानी सूजन से पीडि़त हो सकते हैं. शरीर में पानी भरने से आप अपनेआप में फुलावट महसूस करते हैं. प्रोटीन टिशूज में खासतौर पर आप के पैरों और टखनों में पानी भरने से रोकता है.

चोट जल्दी ठीक न होना: प्रोटीन की कमी से शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता तो कमजोर होती ही है, साथ ही घाव को भरने के लिए नए टिशूज और नई त्वचा बनाने के लिए भी प्रोटीन की जरूरत होती है.

बच्चों का ठीक से विकास न होना: प्रोटीन न केवल पेशियों और हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि शरीर के विकास के लिए भी जरूरी है. इसलिए बच्चों में प्रोटीन की कमी घातक साबित होती है. प्रोटीन की कमी के कारण उन का विकास ठीक से नहीं हो पाता है.

-डा. श्रुति शर्मा

डाइट काउंसलर, बैरिएट्रिक एवं न्यूट्रिशनिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

पंद्रह फरवरी को नीति मोहन किसकी जीवन संगिनी बनेंगी?

‘‘इश्क वाला लव’’ फेम गायिका नीति मोहन पंद्रह फरवरी को हैदराबाद में अभिनेता निहार पंड्या के संग विवाह रचाकर उनकी जीवन संगिनी बनने जा रही हैं. नीति मोहन के करीबी सूत्रों के अनुसार 14 फरवरी, वेलेंटाइन डे के दिन शाम को मेंहंदी समारोह आयोजित किया जाएगा. उसी दिन रात में संगीत और रिंग सेरेमनी संपन्न होगी. इसके बाद 15 फरवरी को हैदराबाद के ताजफलक नुमा पैलेस में शादी सम्पन्न होगी. इस समारोह में गायिका हर्षदीप कौर परफार्म करेंगी. उसके बाद मार्च माह के पहले सप्ताह में बौलीवुड से जुड़े लोगों के लिए मुंबई में रिसेप्शन पार्टी का आयोजन होगा.

सूत्रों कि माने तो नीति मोहन और निहार पंड्या की मुलाकात एक साल पहले गोवा में एक दोस्त की शादी समारोह में हुई थी. उसके बाद दोनों नजदीक आते चले गए. कुछ दिन पहले कपिल शर्मा के शो में निहार पंड्या और नीति मोहन एक साथ आए थे, जिसमें निहार पंड्या ने इस रिश्ते को कबूल किया था. सूत्रों की माने तो पिछले सप्ताह नीति मोहन ने अपनी बहनों शक्ति, मुक्ति, कीर्ति के अलावा आयुष्मान खुराना की पत्नी ताहिरा के साथ बैचलर पार्टी भी मनायी.

घर बैठे ऐसे सुधारें पैन कार्ड की गलतियां

वित्तीय लेनदेन के लिहाज से पैन कार्ड आज बेहद जरूरी दस्तावेज बन चुका है. बिना पैन के बड़े आर्थिक लेनदेन संभव नहीं है. यहां तक अब बैंक खातों को खोलने के लिए भी पैन एक बेहद जरूरी है. इस तरह के सरकारी दस्तावेजों में किसी भी तरह की गड़बड़ी को ठीक कराना अपने आप में एक चुनौती भरा काम होता है. ऐसे में  हम आपको पैन कार्ड की गलतियों को सुधारने के कुछ  औनलाइन तरीकों के बारे में बताने वाले हैं. जिसकी सहायता से आप पैन की गलतियों को आसानी से घर बैठे ठीक करा सकती हैं.

  • सबसे पहले एनएसडीएल की वेबसाइट पर जाएं.
  • नए टैब के एप्लिकेशन बौक्स में Changes or corrections in existing PAN Data/ Reprint of PAN card विकल्प पर क्लिक करें.
  • इसके बाद जो बौक्स स्क्रिन पर आएगा उसमें पूछी गईं सारी जानकारी भर कर सब्मिट कर दें. ये प्रौसेस पूरा होने के बाद एक टोकन नंबर जनरेट होगा. उसे कहीं नोट कर के रख लें.
  • टोकन जब जनरेट होने के बाद आधार नंबर, पैन जैसी मांगी गई निजी जानकारियां दर्ज करें.
  • इसके बाद आपके सामने एक नया पेज खुलेगा. यहा उम्र का प्रमाण, पते का प्रमाण, पहचान संबंधी दस्तावेजों को अपलोड करें. इसके बाद डिक्लेरेशन भर दें. अपनी फोटो को सेल्फ अटेस्ट कर के अपलोड करें. सारी मांगी गई चीजों को अपलोड करने के बाद एक बार रिव्यू कर लें. इसके बाद आपको पेमेंट करना होगा.
  • अगर आपका पता भारत का है को आपको बतौर प्रोसेसिंग फी 100 रुपये पे करना होगा. वहीं गैर भारतीय पते के लिए आपको 1020 रुपये की रकम अदा करनी होगी.
  • सफल पेमेंट होने के बाद आपकी स्क्रिन पर एक इनक्लोजर आएगा. इसे डाउनलोड कर लें. इसको प्रींट कर के इसका हार्ड कौपी रखें.
  • आपको बता दें कि इंडिविजुअल आवेदकों को दो फोटो लगानी होगी और सेल्फ अटेस्ट करना होगा.
  • इसपर साइन करते वक्त ध्यान देने की जरूरत है कि आपका साइन आधा फोटो पर हो और आधा एक्वौलेजमेंट पर हो. इसे एनएसडीएल ई-गो पर भेज दें.
  • एक्नौलेजमेंट और अन्य जरूरी दस्तावेजों को एनएसडीएल पर सब्मिट करने के 15 दिनों के अंदर पहुंच जाना चाहिए. ध्यान रखें कि आप अपने पैन के करेक्शन फॉर्म को सावधानी से भरें.

छोटा गुल्लक बड़ी बचत

सीख देने वाला यह मामला मध्य प्रदेश के जिले छिंदवाड़ा का है, जिस में स्कूली बच्चों ने खेलखेल में करीब 1 करोड़ रुपए जमा कर सभी को हैरत में डाल दिया. बच्चों में बचत की आदत डालने की गरज से राज्य सरकार द्वारा 2007 में शुरू की गई ‘अरुणोदय गुल्लक’ योजना के तहत यह राशि बच्चों ने जमा की थी.

अगर इस तरीके को सभी जिंदगी में उतार लें तो जाहिर है वे मनमाफिक बचत कर पाएं, जिस के लिए जरूरत सिर्फ एक गुल्लक की है, जो अब घरों से गायब हो चला है. कभी गुल्लक भारतीय घरों की अहम जरूरत थी, लेकिन बचत के बढ़ते विकल्पों और आसान होती बैंकिंग प्रक्रिया ने यह जरूरत खत्म कर दी है.

गुल्लक की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि अगर यह सामने हो तो बचत खुदबखुद हो जाती है. रोज पैसा जमा करने की आदत सिखाने वाला गुल्लक चूंकि सहज उपलब्ध होता है, इसलिए इसे भरने के लिए हरकिसी का मन करने लगता है.

बूंदबूंद से घड़ा भरता है, यह बात गुल्लक पर खरी उतरती है, जिस में रोज 10-20 रुपए भी डाले जाएं तो जेब या बजट पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता और बैंक जाने की भागादौड़ी की भी जहमत नहीं उठानी पड़ती. बच्चों को शौक से पिगी बैंक दिलाने वाले अभिभावक अगर खुद के लिए भी गुल्लक ले लें तो वे सालभर में आकर्षक राशि जमा कर सकते हैं.

गुल्लक की खासीयतें

मिट्टी की बनी और 10-20 रुपए में मिलने वाले गुल्लक में आसानी से 40-50 हजार रुपए इकट्ठे किए जा सकते हैं, जिस की तैयारी इस तरह की जा सकती है:

सब से पहले तो एक गुल्लक खरीदें. फिर उसे ऐसी जगह रखें जहां आप को रोज दिखे. अब नियमित न्यूनतम राशि उस में डालने का नियम बना लें जो 10 से ले कर 100 रुपए प्रतिदिन तक हो. इस नियम का यथासंभव पालन करें. बचत के लिए अपनी फुजूलखर्ची को छोड़ें. जब नियमित पैसे गुल्लक में डालने लगें तो कभीकभार एकमुश्त पैसा भी उस में डालें. गुल्लक को बेवजह न फोड़ें तो यह भरता चला जाएगा और जमा राशि बढ़ती जाएगी.

बनाएं मकसद

भोपाल की सविता शुक्ला रोज 100 रुपए गुल्लक में डालती हैं और उसे साल के आखिरी दिन फोड़ती हैं, तो उस में करीब 50 हजार रुपए निकलते हैं.

सविता बताती हैं कि पहले साल उन्होंने 35 हजार रुपए जमा किए थे, जिन्हें नए साल में फिक्स डिपौजिट करा दिया था. उत्साह और रोमांच बढ़ा तो दूसरे साल उन्होंने केरल घूमने का प्लान बना डाला. जैसे ही यह पता उन के पति संजय को चला तो वे भी कुछ पैसे गुल्लक में डालने लगे.

2016 के आखिरी दिन जब दोनों ने गुल्लक फोड़ा तो उस में 50 हजार रुपए निकले. सविता कहती हैं, ‘‘अगर घूमने जाने के लिए बैंक से पैसे निकालते तो वह मजा नहीं आता जो गुल्लक फोड़ने पर उस के पैसों से आया, क्योंकि हम पर इस का कोई अतिरिक्त भार नहीं आया. अगर गुल्लक में पैसे जमा नहीं करते तो केरल के सैरसपाटे का सपना शायद ही हकीकत में बदल पाता.’’

आइडिया अच्छा है कि कोई महंगा सामान खरीदने या दूसरे किसी मकसद के लिए गुल्लक में पैसे इकट्ठे किए जाएं तो इस का पता नहीं चलता. कोई इलैक्ट्रौनिक आइटम या फिर हर साल 2 तोले सोने का लक्ष्य सामने रख गुल्लक में रोज पैसे डाले जाएं तो कोई भी चीज पहुंच से दूर नहीं रह जाती.

गुल्लक में पैसे डालना अखरता भी नहीं है, क्योंकि इस के लिए कुछ ज्यादा नहीं सोचना पड़ता. उलटे फायदा यह होता है कि फुजूल की खरीदारी की लत छूट जाती है, जिस से दोहरी बचत होती है.

गुल्लक में जब भी अनुमानित 20 से 50 हजार रुपए जमा हो जाएं तो उन्हें कहीं इकट्ठा भी निवेश किया जा सकता है. गुल्लक एक ऐसा अकाउंट है जिसे खोलने के लिए किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं पड़ती है और उस का संचालन भी आप के हाथ में रहता है.

भोपाल की ही एक गृहिणी सरिता सक्सेना बताती हैं कि उन्होंने 10 साल पहले गुल्लक फोड़ी थी तो उस में 58 हजार रुपए निकले थे. ये वे पैसे थे जो उन की बेटी सुरभि को रिश्तेदार और परिचित दे जाते थे. सुरभि जब 6 साल की हुई तो उन्होंने यह राशि फिक्स डिपौजिट करा दी थी जो अब 1 लाख रुपए से ज्यादा हो गई है.

अगर सरिता 100-200 और 500 सौ रुपए तुरंत खर्च कर देतीं तो एक बड़ी रकम से वंचित हो जातीं. यह मुमकिन हुआ गुल्लक की वजह से जो उन्होंने सुरभि के लिए खरीदा था.

इमरजैंसी में भी गुल्लक बडे़ काम की चीज साबित होता है. अगर वक्तबेवक्त नक्दी की जरूरत पड़ जाती है, तो गुल्लक मदद से इनकार नहीं करता. हालांकि अब हर जगह एटीएम हैं, लेकिन गुल्लक फोड़ने से आप के सेविंग अकाउंट पर फर्क नहीं पड़ता.

पहली कोशिश यह होनी चाहिए कि गुल्लक तब तक न फोड़ा जाए जब तक मकसद पूरा करने लायक पैसे उस में जमा न हो जाएं.

1 साल में एक मकसद पूरा कर फिर मकसद बड़ा किया जाए ताकि ज्यादा बचत हो सके.

कोशिश यह भी होनी चाहिए कि घर के सभी सदस्य गुल्लक में पैसा डालें. इस से भी बेहतर रास्ता यह है कि घर के सभी सदस्यों के पास अपना अलग गुल्लक होना चाहिए जिस से बचत में प्रतिस्पर्धा पैदा हो.

फिर देरी क्यों, आज ही एक गुल्लक खरीद लाएं और उस पर 1 साल बाद की तारीख डाल दें. फिर देखें छोटी बचत का कमाल, जो बैठेबैठाए आप को हैंडसम अमाउंट देगा.

नैचुरल तरीके से बढ़ाएं ब्रैस्ट मिल्क की मात्रा

हर युवती शादी के बाद मां बनने का सपना देखती है और जब वह मां बन जाती है तो वह चाहती है कि वह अपने बच्चे को हर खुशी दे पाए और उस का बच्चा हमेशा हैल्दी रहे. इस के लिए वह अपने बच्चे को कष्ट सह कर भी खुद का दूध पिलाती है, क्योंकि डाक्टर्स मानते हैं कि बच्चे के लिए शुरुआती 6 महीने मां का दूध सब से महत्त्वपूर्ण होता है. क्योंकि इस में सभी जरूरी पौष्टिक तत्त्व जो होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी होते हैं. साथ ही उन के इम्यून सिस्टम को स्ट्रौंग बनाने का भी काम करते हैं.

लेकिन आज खानपान व अन्य हैल्थ कारणों से लेक्टेशन प्रौब्लम आ रही है जिस के कारण पर्याप्त मात्रा में मां के स्तनों में दूध नहीं आने के कारण बच्चे की जरूरत पूरी नहीं हो पाती. ऐसे में झंडु सतावरी काफी फायदेमंद है. क्योंकि ये लेक्टेशन का नैचुरल उपाय है जो मां के दूध की मात्रा को नैचुरल ढंग से बढ़ाने का काम जो करता है.

गलैक्टेगोज बढ़ाए ब्रैस्ट मिल्क

फीड कराने वाली मां को जरूरत होती है कि वो पौष्टिक डाइट खाए जिस से उस के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध आ पाए. लेकिन कई बार अच्छा खाने के बावजूद भी दूध की मात्रा घट जाती है. ऐसे में गलैक्टेगोज के माध्यम से ब्रैस्ट मिल्क को बढ़ाने की सलाह दी जाती है. आप को बता दें कि सतावरी में ग्लैक्टेगोज गुण होते हैं.

क्या है सतावरी

सतावरी जो अधिकांशत: हिमालय में पाई जाती है और इसे सदियों से आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में प्रयोग किया जाता है. इस में हीलिंग गुण हाने के साथ ब्रैस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने की क्षमता भी होती है.

कैसे है मददगार

सतावरी जिसे गलेक्टेगोज के रूप में जानते हैं. ये कोर्टिकोइड और प्रोलेक्टिन के उत्पादन को बढ़ाने का काम करता है. जिस से मां के दूध की क्वालिटी व मात्रा दोनों बढ़ती है. साथ ही ये स्टीरोइड हारमोन को सीक्रेशन के लिए प्रेरित करता है जिस से दूध की क्वालिटी सुधरने के साथसाथ ब्रैस्ट साइज में भी बढ़ोतरी होती है. साथ ही ये नैचुरल होने के कारण सैफ है. इसे आप दूध के साथ ले कर खुद व आपने बच्चे को हैल्दी रख सकते हैं.

हैल्थ को दें प्राथमिकता

आज हमारा लाइफ स्टाइल ऐसा हो गया है जिस के कारण हम अपनी हैल्थ पर जरा भी ध्यान नहीं देते हैं जिस से ढेरों कमियां हम में रह जाती हैं और इस का असर प्रैग्नैंसी के समय व उम्र बढ़ने पर साफ दिखता है. इसलिए जरूरी है कि पौष्टिक डाइट लें ताकि आप हमेशा सेहतमंद रहें.

‘मुंगड़ा’ गाने की आलोचना के बाद डायरेक्टर इंद्र कुमार ने दिया जवाब

जैसा कि हम सभी जानते हैं फिल्म ‘टोटल धमाल’ में ‘मुंगड़ा’ गाने को रीक्रिएट किया गया है. हाल ही में इस नए गाने को लेकर मेकर्स को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. अब इस मामले में फिल्म के डायरेक्टर इंद्र कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने अपना एक बयान जारी करते हुए न सिर्फ अपनी बात रखी बल्कि दूसरे फिल्म इंडस्ट्री के उन लोगों पर भी सवाल उठाए जो इस गाने की आलोचना कर रहे हैं.

दरअसल, फिल्म ‘टोटल धमाल’ में साल 1997 में आई फिल्म ‘इनकार’ में हेलन पर फिल्माए गए गाने ‘मुंगड़ा’ को रीक्रिएट किया गया है. इस क्लासिक हिट गाने का रिमेक बनाया जाना कई लोगों को पसंद नहीं आया. औरिजनल गाने के म्यूजिक डायरेक्टर राजेश रोशन और गीतकार उषा और लता मंगेशकर ने इस रिमेक की आलोचना की थी. उनकी ओर से कहा गया था कि रिमेक से पहले उनसे गाने को लेकर किसी तरह की कोई इजाजत नहीं ली गई.

जिसके बाद इंद्र कुमार ने सोनाक्षी सिन्हा पर फिल्माए गए गाने पर हो रहे विवाद को लेकर कहा, ‘जब मेरी 1997 में रिलीज हुई फिल्म इश्क के गाने ‘नींद चुराई मेरी’ को रोहित शेट्टी की फिल्म ‘गोलमाल रिटर्न्स’ में रीक्रिएट किया गया, तब किसी ने मेरी इजाजत नहीं ली थी. गाने के राइट्स म्यूजिक कंपनी के पास होते हैं और उनके पास अधिकार है कि वह गानों के साथ जो करना चाहे करें.’

उन्होंने आगे कहा, ‘गानों को रीक्रिएट करना एक तरीका है जिसके जरिए पुराने गानों के प्रति सम्मान दिखाया जाता है.’ उनका यह जवाब म्यूजिक डायरेक्टर राजेश रोशन के उस कमेंट पर था जिसमें उन्होंने कहा था कि आजकल के फिल्ममेकर्स के पास नए गाने बनाने का कौन्फिडेंस ही नहीं है.

डेटिंग मेकअप टिप्स

डेटिंग पर जाना हो लेकिन बिजी शैड्यूल के कारण पार्लर जाने का टाइम न हो तो परेशान न हों. आप घर बैठे खुद को अपने हिसाब से मिनटों में बेहतर लुक दे कर अपने फ्रैंड्स के बीच सैंटर औफ अट्रैक्शन बन सकती हैं.

जानिए इस संबंध में ब्यूटी ऐक्सपर्ट बुलबुल साहनी से कुछ टिप्स:

मेकअप से पहले क्या करें

अगर आप अपने फेस पर इंस्टैंट ग्लो चाहती हैं, तो मेकअप करने से 10 मिनट पहले अपने चेहरे पर दही अप्लाई करें. दही ब्लीच का काम करता है. इस से स्किन ग्लोइंग दिखने के साथसाथ मेकअप भी काफी अच्छा रिजल्ट देता है.

आप ग्लोइंग स्किन के लिए हफ्ते में 3 दिन दही में नीबू या फिर दही में टमाटर मिला कर भी लगा सकती हैं. इस के बाद आप को मौइश्चराइजर लगाने की भी जरूरत महसूस नहीं होगी. यह प्राइमर का काम करता है.

घर में रखें कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स

आप घर पर मेकअप किट जिस में क्रीम, कंसीलर, फाउंडेशन, ब्रश, कौंपैक्ट, आईशैडो, काजल, लाइनर, ब्लशर, लिपस्टिक, लिप पैंसिल, हेयर ऐक्सैसरीज, बिंदी नेलपौलिश बगैरा जरूर रखें ताकि आप के लिए मिनटों में मेकअप करना आसान हो सके.

कैसे करें मेकअप

अगर स्किन ज्यादा ड्राई दिखेगी तो मेकअप उतना इफैक्टेड नहीं लगेगा, इसलिए सब से पहले स्किन की ड्राईनैस को दूर करने के लिए चेहरे पर कोल्ड क्रीम अप्लाई करें. इस से स्किन की ड्राईनैस दूर होती है. फिर आंखों के नीचे कंसीलर अप्लाई करें. यह डार्क सर्कल्स को छिपाने का काम करता है.

इस के बाद चेहरे पर अच्छा फाउंडेशन लगाएं. गरदन पर भी फाउंडेशन लगाना न भूलें. इस से नैचुरल स्किन टोन के साथसाथ स्किन क्लीयर भी नजर आने लगती है. जब बेस तैयार हो जाए तो ब्रश की मदद से कौंपैक्ट लगाएं. यह आप को परफैक्ट लुक देने का काम करेगा. ध्यान रखें कौंपैक्ट हमेशा ऐंटीक्लौकवाइज ही लगाएं. इस से मेकअप ज्यादा देर तक टिका रहता है.

फिर आईशैडो ले कर आई मेकअप करें. आजकल स्मोकी आईज का काफी क्रेज है, तो आप डार्क कलर से स्मोकी आईज के साथ आईब्रो को भी उसी से डिफाइन कर के उस पर थोड़ा ग्लिटर लगाएं. इस के बाद आंखों के ऊपर अपनी पसंद के अनुसार पतला या मोटा लाइनर अप्लाई करें. फिर मसकारे के 3-4 कोट अप्लाई करें. यह मसकारा आईलैशेज को घना दिखाने का काम करता है. अब काजल लगाएं. इस से आप की आंखें और खूबसूरत दिखेंगी.

इस के बाद ब्लशर को नोज के पास से आईब्रोज तक लगाएं और ऊंगलियों से अच्छी तरह मिलाएं. ब्लशर के बाद हाईलाइटर लगाएं. इस से मेकअप थोड़ी देर बाद ग्लो करने लगता है. अब पैंसिल से लिप लाइन बनाएं और उस में लिपस्टिक अप्लाई करें. इस से लिपस्टिक फैलती नहीं है.

आखिर में बालों को अपनी पसंद के हिसाब से लुक दें. आप बाल खुले भी रख सकती हैं या फिर बाल छोटे हैं, तो पहले हलकी सी बैक कौंबिंग करें और बन बना कर पिन व डोनट से उसे अच्छी तरह कवर करें. आगे के बालों को प्रैसिंग से अच्छी तरह सैट करें. यह लुक आप के मेकअप व आउटफिट पर खूब जंचेगा. इस तरह मिनटों में आप खुद को डेट पर जाने के लिए तैयार कर सकती हैं.

ओंब्रे मेकअप ब्यूटी का नया ट्रैंड

मेकअप और ब्यूटी दोनों को फ्रैश बनाए रखने के लिए मेकअप आर्टिस्ट को हमेशा कुछ न कुछ चुनौतीपूर्ण काम करते रहना पड़ता है, ताकि नयापन बना रहे. इस दिशा में आजकल ‘ओंब्रे मेकअप’ ट्रैंड में है. छोटीमोटी पार्टी हो या विवाह ओंब्रे मेकअप हर जगह अच्छा लगता है. असल में मेकअप में ओंब्रे हेयर कलर से ही आया है, जिसे सभी ने खूब पसंद किया. यही वजह है कि इस तकनीक को लिप्स, चीक्स और आईज मेकअप में लाया गया है. इस में एक ही कलर टोन या कंट्रास्ट कलर के लाइट और डार्क शेड का प्रयोग कर मेकअप किया जाता है, जो सुंदर दिखने के साथसाथ आकर्षक भी लगता है.

फैशन में है

लैक्मे सैलून की क्रिएटिव डायरैक्टर और मेकअप ऐक्सपर्ट सुषमा खान बताती हैं कि ओंब्रे मेकअप इस साल फैशन में खूब है. ओंब्रे एक तकनीक है, जिस में होंठों पर 2-3 कलर का प्रयोग कर फाइनल कलर दिया जाता है. इस में अधिकतर 3 रंग मिलाए जाते हैं. ब्राइड में इस बार हौट औरेंज कलर बहुत अधिक प्रचलन में है. रैड कलर पहले से ही पौपुलर है. ब्राइड के लिए रैड क्लासिक कलर है. इंडियन वैडिंग में इस की खास जगह होती है. लाल रंग के बिना शादी अधूरी होती है. 80 प्रतिशत महिलाएं लाल या मैरून कलर की पोशाक शादी में पहनती हैं. सारे ब्राइट कलर जैसे हौट औरेंज, फ्यूशिया कलर आदि सभी फैशन में हैं.

मेकअप करने से पहले निम्न बातों पर ध्यान दें :

– सब से पहले ड्रैस क्या पहनने वाली हैं, इस पर ध्यान देना जरूरी होता है. ड्रैस को कौंप्लिमैंट करने वाला रंग आप ले सकती हैं. मसलन, अगर आप लाल रंग की ड्रैस पहनने वाली हैं तो रैड के साथ मैरून और पिंक को भी लिया जा सकता है.

– ओंब्रे का अर्थ है एक ही फैमिली के डार्क और लाइट शेड लेना जैसे कि अगर आप ने लाल रंग की लिपस्टिक ली हो, तो उस से मैचिंग रंगों का चयन करें.

– पहले बेस लिपस्टिक से एक शेड डार्क आउटर लिप लाइनर लगाएं. लाइन को थोड़ा थिक रखें. इस के बाद बेस लिपस्टिक और अंत में लिप्स के अंदर लाइट शेड लगाएं. इस के ऊपर लिप ग्लौस लगा कर उसे फाइनल टच दें.

– घर पर भी इस मेकअप को कर सकती हैं. इस के लिए आप अपने पर्सनल मेकअप आर्टिस्ट या सैलून से मेकअप का सामान खरीदते वक्त वहां की ऐक्सपर्ट से इसे करने की तकनीक जान लें.

– इस के अलावा इस साल होलोग्राफी का भी चलन है. इस में चेहरे के किसी एक भाग को हाईलाइट किया जाता है. ऐक्स्ट्रा शाइनिंग दे कर उस भाग को उभारा जाता है. इस में गोल्डन या सिल्वर कलर अधिक पौपुलर है. इस बार आंखों के ऊपर इसे देने का ट्रैंड रहेगा. ब्राइड भी इसे लगा कर अलग लुक पा सकती हैं.

– यंग ब्राइड पौप कलर और ब्राइट कलर पहन सकती हैं. उसी के अनुसार ओंब्रे मेकअप करें.

– स्किन कलर के आधार पर ड्रैस का चयन करें ताकि मेकअप सही दिखे.

सुषमा कहती हैं कि ब्राइड बनने जा रही लड़की को शादी के कुछ महीने पहले से स्किन की देखभाल करते रहना चाहिए ताकि शादी के दिन मेकअप उस के चेहरे को सुंदर बनाए.

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