Hindi Love Stories : होटल ऐवरेस्ट – विजय से क्यों दूर चली गई काम्या?

Hindi Love Stories : चित्रा के साथ शादी के 9 सालों का हिसाब कुछ इस तरह है: शुरू के 4 साल तो यह समझने में लग गए कि अब हमारा रिश्ता लिव इन रिलेशन वाले बौयफ्रैंडगर्लफ्रैंड का नहीं है. 1 साल में यह अनुभव हुआ कि शादी का लड्डू हजम नहीं हुआ और बाकी के 4 साल शादी से बाहर निकलने की कोशिशों में लग गए. कुल मिला कर कहा जाए तो मेरे और चित्रा के रिश्ते में लड़ाईझगड़ा जैसा कुछ नहीं था. बस आगे बढ़ने की एक लालसा थी और उसी लालसा ने हमें फिर से अलगअलग जिंदगी की डोर थामे 2 राही बना कर छोड़ दिया. हमारे तलाक के बाद समझौता यह हुआ कि मुझे अदालत से अनुमति मिल गई कि मैं अपने बेटे शिवम को 3 महीने में 1 बार सप्ताह भर के लिए अपने साथ ले जा सकता हूं. तय प्रोग्राम के मुताबिक चित्रा लंदन में अपनी कौन्फ्रैंस में जाने से पहले शिवम को मेरे घर छोड़ गई.

‘‘मम्मी ने कहा है मुझे आप की देखभाल करनी है,’’ नन्हा शिवम बोला. उस की लंबाई से दोगुनी लंबाई का एक बैग भी उस के साथ में था.

‘‘हम दोनों एकदूसरे का ध्यान रखेंगे,’’ मैं ने शरारती अंदाज में उस की ओर आंख मारते हुए कहा. ऐसा नहीं था कि वह पहले मेरे साथ कहीं अकेला नहीं गया था पर उस समय चित्रा और मैं साथसाथ थे. पर आज मुझ में ज्यादा जिम्मेदारी वाली भावना प्रबल हो रही थी. सिंगल पेरैंटिंग के कई फायदे हैं, लेकिन एकल जिम्मेदारी निभाना आसान नहीं होता.

मैं ने गोवा में होटल की औनलाइन बुकिंग अपनी सेक्रेटरी से कह कर पहले ही करवा दी थी. होटल में चैकइन करते ही काउंटर पर खड़ी रिसैप्शनिस्ट ने सुइट की चाबियां पकड़ाते हुए दुखी स्वर में कहा, ‘‘सर, अभी आप पूल में नहीं जा पाएंगे. वहां अभी मौडल्स का स्विम सूट में शूट चल रहा है.’’ मन ही मन खुश होते हुए मैं ने नाटकीय असंतोष जताया और पूछा, ‘‘यह शूट कब तक चलेगा?’’

‘‘सर, पूरे वीक चलेगा, लेकिन मौर्निंग में बस 2 घंटे स्विमिंग पूल में जाने की मनाही है.’’

तभी एक मौडल, जिस ने गाउन पहन रखा था मेरी ओर काउंटर पर आई. वह मौडल, जिसे फ्लाइट में मैगजीन के कवर पर देखा हो, साक्षात सामने आ गई तो मुझे आश्चर्य और आनंद की मिलीजुली अनुभूति हुई. कंधे तक लटके बरगंडी रंग के बाल और हलके श्याम वर्ण पर दमकती हुई त्वचा के मिश्रण से वह बहुत सुंदर लग रही थी. उस ने शिवम के सिर पर हाथ फेरा और उसे प्यार से हैलो कहा. शिवम को उस की शोखी बिलकुल भी प्रभावित नहीं कर सकी. ‘काश मैं भी बच्चा होता’ मैं ने मन ही मन सोचा.

‘‘डैडी, मुझे पूल में जाना है,’’ शिवम बोला.

‘‘पूल का पानी बहुत अच्छा है. देखते ही मन करता है कपड़े उतारो और सीधे छलांग लगा दो,’’ मौडल बोली. फिर उस ने काउंटर से अपने रूम की चाबी ली और चल दी. लिफ्ट के पास जा कर उस ने मुझे देख कर एक नौटी स्माइल दी.

थोड़ी देर पूल में व्यतीत करने और डिनर के बाद मैं शिवम के साथ अपने सुइट में आ गया. अगली सुबह शिवम बहुत जल्दी उठ गया. हम जब पूल में तैर रहे थे तो वह तैरते हुए पूरे शरीर की फिरकी ले कर अजीब सी कलाबाजी दिखा रहा था. मेरी आंखों के सामने कितना रहा है फिर भी मैं नहीं जानता कि वह क्याक्या कर सकता है. मुझे अपने बेटे के अजीब तरह के वाटर स्ट्रोक्स पर नाज हो रहा था. नाश्ते में मैं ने मूसली कौंफ्लैक्स व ब्लैक कौफी ली और उस ने चौकलेट सैंडविच लिया. 10 बजतेबजते सभी मौडल्स पूल एरिया के आसपास मंडराने लगीं. मैं ने वीवीआईपी पास ले कर शूट देखने की परमिशन ले ली. फिर जब तक मौडल्स पूल में नहीं उतरीं, तब तक मैं ने तैराकी के अलगअलग स्ट्रोक्स लगा कर उन्हें इंप्रैस करने की खूब कोशिश की. अपने एब्स और बाई सैप्स का भी बेशर्मी के साथ प्रदर्शन किया.

पूल में सारी अदाएं दिखाने के बाद भी आकर्षण का केंद्र शिवम ही रहा. कभी वह पैडल स्विमिंग करता, कभी जोर से पानी को स्प्लैश करता, तो कभी अपनी ईजाद की गई फिरकी दिखाता. नतीजा यह हुआ कि 4-5 खूबसूरत मौडल्स उसे तब तक हमेशा घेरे रहतीं जब तक वह पूल में रहता. वह तो असीमित ऊर्जा और शैतानी का भंडार था और उस की कार्टून कैरेक्टर्स की रहस्यमयी जानकारी ने तो मौडल्स को रोमांचित कर हैरत में डाल दिया. अगले 2 दिनों में मैं छुट्टी के आलस्य में रम गया और शिवम एक छोटे चुबंक की तरह मौडल्स और अन्य लोगों को आकर्षित करता रहा. मुझे भी अब कोई ऐक्शन दिखाना पड़ेगा, इसी सोच के साथ मैं ने मौडल्स से थोड़ीबहुत बातचीत करना शुरू कर दिया. मुझे पता चला कि वह सांवलीसलोनी मौडल, जो पहली बार रिसैप्शनिस्ट के काउंटर पर मिली थी, शिवम की फ्रैंड बन चुकी है और उस का नाम काम्या है. थोड़ी हिम्मत जुटा मैं ने उसे शाम को कौफी के लिए औफर दिया.

‘‘जरूर,’’ उस ने हंसते हुए कहा और अपने बालों में उंगलियां फेरने लगी.

‘‘मुझे भी यहां एक अच्छी कंपनी की जरूरत है,’’ मैं ने कहा.

हम ने शाम को 8 बजे मैन बार में मिलना तय किया. शादी से आजाद होने के बाद मैं  पहली बार किसी कम उम्र की लड़की से दोस्ती कर रहा था, इसलिए मन में रोमांच और हिचक दोनों ही भावों का मिलाजुला असर था. ‘‘बेटा, एक रात तुम्हें अकेले ही सोना है,’’ मैं ने शिवम को समझाते हुए कहा, ‘‘मैं ने होटल से बेबी सिटर की व्यवस्था भी कर दी. वह तुम्हें पूरी कौमिक्स पढ़ कर सुनाएगी,’’ उस के बारे में मैं ने बताया.

होटल की बेबी सिटर एक 16 साल की लड़की निकली और वह इस जौब से बहुत रोमांचित जान पड़ी, क्योंकि उसे रात में कार्टून्स देखने और कौमिक्स पढ़ने के क्व5 हजार जो मिल रहे थे. इसलिए जितना मैं काम्या से मिलने के लिए लालायित था उस से ज्यादा बेबी सिटर को शिवम के साथ धमाल मचाने की खुशी थी. मैं ने जाते वक्त शिवम की ओर देखा तो उस ने दुखी हो कर कहा, ‘‘बाय डैडी, जल्दी आना.’’ उस मासूम को अकेला छोड़ने में मुझे दुख हो रहा था. अपनी जिम्मेदारी दिखाते हुए मैं ने बेबी सिटर को एक बार फिर से निर्देश दिए और सुइट से बाहर आ गया.

रैस्टोरैंट तक पहुंचतेपहुंचते मुझे साढ़े 8 बज गए. काम्या रैस्टोरैंट में बाहर की ओर निकले लाउंज में एक कुरसी पर बैठी आसमान में निकले चांद को देख रही थी. समुद्र की ओर से आने वाली हवा से उस के बाल धीरेधीरे उड़ रहे थे. शायद अनचाहे ही वह गिलास में बची पैप्सी को लगातार हिला रही थी. वह एक शानदार पोज दे रही थी और मेरा मन किया कि जाते ही मैं उसे बांहों में भर लूं. मैं आहिस्ता से उस के पास गया और बोला, ‘‘सौरी, आई एम लेट.’’

मेरी आवाज सुन वह चौंक गई और बोली, ‘‘नोनो ईट्स फाइन. मैं तो बस नजारों का मजा ले रही थी. देखो वह समुद्र में क्या फिशिंग बोट है,’’ उस ने उंगली से इशारा करते हुए कहा. बोट हो या हवाईजहाज मेरी बला से, फिर भी मैं ने अनुमान लगाने का नाटक किया. तभी वेटर हमारा और्डर लेने आ गया.

‘‘तुम एक और पैप्सी लोगी?’’ मैं उस के गिलास की ओर देखते हुए बोला.

‘‘वर्जिन मोजितो,’’ उस ने कहा.

मैं ने वेटर को 2 जूस और वर्जिन मोजितो लाने के को कहा.

‘‘शिवम कहां है, सो गया?’’ मेरी ओर देखते हुए काम्या ने पूछा.

‘‘सौरी, उसी वजह से मैं लेट हो गया. उसे अकेले रहना पसंद नहीं है. वैसे वह बिलकुल अकेला भी नहीं है. एक बेबी सिटर है उस के पास. मैं ने पूरी कोशिश की कि वह मुझे कहीं से भी एक गैरजिम्मेदार पिता नहीं समझे.’’

‘‘क्या वह उस के लिए कौमिक्स पढ़ रही है? कहीं वह उसे परेशान तो नहीं कर रही होगी? आप कहें तो हम एक बार जा कर देख सकते हैं.’’

‘‘नहीं,’’ मैं ने जल्दी से मना किया, ‘‘मेरा मतलब है अब तक वह सो गया होगा? तुम परेशान मत हो.’’ फिर मैं ने बात पलटी, ‘‘और तुम्हारा शूट कैसा रहा है?’’

‘‘लगता है अब उन्हें मनचाही फोटोज मिल गई हैं. आज का दिन बड़ा बोरिंग था, मैं ने पूरी किताब पढ़ ली,’’ काम्या के हाथ में शेक्सपियर का हेमलेट था. एक मौडल के हाथ में कोर लिट्रेचर की किताब देख कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ.

‘‘मैं औनर्स फाइनल इयर की स्टूडैंट भी हूं,’’ उस ने मुसकराते हुए कहा. तभी वेटर हमारी ड्रिंक्स ले आया. वह आगे बोली, ‘‘मैं केवल छुट्टियों में मौडलिंग करती हूं.’’

मैं कुछ कहने के लिए शब्द ढूंढ़ने लगा. फिर बोला, ‘‘मुझे लगा कि तुम एक फुल टाइम मौडल होगी.’’

‘‘मैं खाली समय कुछ न कुछ करती रहती हूं,’’ उस ने एक घूंट जूस गले से नीचे उतारा और कहा, ‘‘कुछ समय मैं ने थिएटर भी किया फिर जरमनी में नर्सरी के बच्चों को पढ़ाया.’’

‘‘तभी तुम्हारी पर्सनैलिटी इतनी लाजवाब है,’’ मैं ने उस की खुशामद करने के अदांज में कहा. उस ने हंसते हुए अपना गिलास खत्म किया और पूछने लगी, ‘‘और आप क्या करते हो, आई मीन वर्क?’’

‘‘मैं बैंकर हूं. बैंकिंग सैक्टर को मुनाफा कमाने के तरीके बताता हूं.’’

‘‘इंटरैस्टिंग,’’ वह थोड़ा मेरी ओर झुकी और बोली, ‘‘मुझे इकोनौमिक्स में बहुत इंटरैस्ट था.’’

मुझे तो अभी उस की बायोलौजी लुभा रही थी. शाम को वह और भी दिलकश लग रही थी. उस के होंठ मेरे होंठों से केवल एक हाथ की दूरी पर थे और उस के परफ्यूम की हलकीहलकी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी.

अचानक उस ने बोला, ‘‘क्या आप को भूख लगी है?’’

मैं ने सी फूड और्डर किया और डिनर के बाद ठंडी रेत पर चलने का प्रस्ताव रखा. हम दोनों ने अपनेअपने सैंडल्स और स्लीपर्स हाथ में ले लिए और मुलायम रेत पर चलने लगे. उस ने एक हाथ से मेरे कंधे का सहारा ले लिया. रेत हलकी गरम थी और समुद्र का ठंडा पानी बीच में हमारे पैरों से टकराता और चला जाता. हम दोनों ऐसे ही चुपचाप चलते रहे और बहुत दूर तक निकल आए. होटल की चमकती रोशनी बहुत मद्धम पड़ गई. सामने एक बड़ी सी चट्टान मानो इशारा कर रही थी कि बस इस से आगे मत जाओ. मैं चाहता था कि ऐसे ही चलता चलूं, रात भर. मैं ने काम्या के चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसे चूम लिया. उस ने मेरा हाथ पकड़ा और चट्टान के और पास ले गई. हम ने एकदूसरे को फिर चूमा और काम्या मेरी कमर धीरे से सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद वह अचानक रुकी और बोली, ‘‘मुझे शिवम की चिंता हो रही है.’’ मैं उस पर झुका हुआ था, वह मेरे सिर को पीछे धकेलने लगी. मैं ने उस के हाथ को अपने हाथ में लिया और चूमा. वह जवाब में हंसने लगी.

‘‘सौरी’’ काम्या बोली, ‘‘मुझे चूमते वक्त आप का चेहरा बिलकुल शिवम जैसा बन गया था. कुछकुछ वैसा जब वह ध्यान से पानी में फिरकी लेता है.’’

प्यार करते वक्त अपने बेटे के बारे में सोचने से मेरी कामुकता हवा हो गई. मैं दोनों चीजों को एकसाथ नहीं मिला सकता.

‘‘विजय, क्या आप परेशान हैं?’’ वह मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली, ‘‘मुझे लगा कि हम यहां मजे कर रहे हैं और मासूम शिवम कमरे में अकेला होगा, इसलिए मुझे थोड़ी चिंता हो गई.’’

‘‘हां, पर उस के लिए बेबी सिटर है.’’

‘‘पर आप ने कहा था न कि उसे अकेला रहना पसंद नहीं,’’ काम्या होंठों को काटते हुए बोली, ‘‘क्या हम एक बार उसे देख आएं?’’

‘‘बेबी सिटर उस की देखभाल कर रही होगी और कोई परेशानी हुई तो वह मुझे रिंग कर देगी. मेरा मोबाइल नंबर है उस के पास,’’ कहते हुए मैं ने जेब में हाथ डाला तो पाया कि मोबाइल मेरी जेब में नहीं था. या तो रेत में कहीं गिर गया था या मैं उसे सुइट में भूल आया था.

‘‘चलो, चल कर देखते हैं,’’ काम्या बोली. वक्त मेरा साथ नहीं दे रहा था. एक तरफ एक खूबसूरत मौडल बांहें पसारे रेत पर लेटी थी और दूसरी ओर मेरा बेटा होटल के सुइट में आराम कर रहा था. उस पर परेशानी यह कि मौडल को मेरे बेटे की चिंता ज्यादा थी. अब तो चलना ही पड़ेगा.

‘‘चलो चलते हैं,’’ कहते हुए मैं उठा. हम दोनों जब होटल पहुंचे तो मैं ने उसे लाउंज में इंतजार करने को कहा और बेटे को देखने कमरे में चला गया. शिवम मस्ती से सो रहा था और बेबी सिटर टैलीविजन को म्यूट कर के कोई मूवी देख रही थी.

‘‘सब ठीकठाक है? मेरा मोबाइल यहां रह गया था, इसलिए मैं आया,’’ मैं ने दरवाजे को खोलते हुए कहा.

बेबी सिटर ने स्टडी टेबल पर रखा मोबाइल मुझे पकड़ाया तो मैं जल्दी से लिफ्ट की ओर लपका. लाउंज में बैठी काम्या फिर आसमान में देख रही थी. वह बहुत सुंदर लग रही थी पर थोड़ी थकी हुई जान पड़ी. उस ने कहा कि वह थकी है और सोने जाना चाहती थी. यह सुन कर मेरा मुंह लटक गया, ‘‘मुझे आज रात का अफसोस है,’’ मैं ने दुखी स्वर में कहा, ‘‘मैं तो बस चाहता था कि…’’ मैं कहने के लिए शब्द ढूंढ़ने लगा.

‘‘मुझ से प्यार करना?’’ वह मेरी आंखों में देखते हुए बोली.

‘‘नहीं, वह…’’ मैं हकलाने लगा.

‘‘शेक्सपियर का हेमलेट डिस्कस करना?’’ वह हंसते हुए बोली. ठंडी हवाओं की मस्ती अब शोर लग रही थी. ‘‘मुश्किल होता है जब बेटा साथ हो तो प्यार करना और आप एक अच्छे पिता हो,’’ वह बोली.

‘‘नहींनहीं मैं नहीं हूं,’’ मैं ने उखड़ते हुए स्वर में कहा.

‘‘आज जो हुआ उस के लिए आप परेशान न हों. आप जिस तरह से शिवम के साथ पूल में खेल रहे थे और उस के साथ जो हंसीमजाक करते हो वह हर पिता अपने बच्चे से नहीं कर पाता. आप वैसे पिता नहीं हो कि बेटे के लिए महंगे गिफ्ट ले लिए और बात खत्म. आप दोनों में एक स्पैशल बौंडिंग है,’’ काम्या बोली.

‘‘मैं आज रात तुम्हारे साथ बिताना चाहता था.’’

‘‘मुझे भी आप की कंपनी अच्छी लग रही थी पर मैं पितापुत्र के बीच नहीं आना चाहती.’’

‘‘पर तुम…’’ मैं ने कुछ कहने की कोशिश की पर काम्या ने मेरे होंठों पर उंगली रख दी और बोली, ‘‘कल मैं जा रही हूं, पर लंच तक यहीं हूं.’’

‘‘मैं और शिवम तुम से कल मिलने आएंगे,’’ मैं ने कहा.

‘‘आप लकी हैं कि शिवम जैसा बेटा आप को मिला,’’ काम्या बोली.

जवाब में मैं ने केवल अपना सिर हिलाया और फिर अपने सुइट में लौट आया.

जैनरेशन- Z फौलो करें ये Fashion Tips, सभी होंगे इंप्रेस!

Fashion Tips : आज की जैनरेशन जैड फैशन को सिर्फ स्टाइल से नहीं बल्कि अपनी पर्सनैलिटी और आत्मविश्वास से भी जोड़ती है. इस पीढ़ी के लिए फैशन का मतलब है खुद को सब से अलग और खास दिखाना. मगर स्टाइलिश दिखने के लिए महंगे ब्रैंड्स या कपड़ों की जरूरत नहीं बल्कि सही चयन और आत्मविश्वास सब से ज्यादा माने रखता है.

अपना स्टाइल खोजें

हर किसी का अपना अलग व्यक्तित्व होता है और फैशन को आप के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब होना चाहिए. दूसरों की नकल करने के बजाय वह पहनें जिस में आप सहज महसूस करें. अपने फैशन स्टाइल को थोड़ा ऐक्सपैरिमैंट कर के खुद खोजें.

कपड़ों की लेयरिंग करें

लेयरिंग आजकल ट्रैंड में है. टीशर्ट के ऊपर शर्ट पहनना या क्रौप टौप के साथ जैकेट ट्राई करना एक शानदार लुक दे सकता है. लेयरिंग के जरीए आप अपने लुक को एक अलग ही आयाम दे सकते हैं.
कलर्स के साथ खेलें.

जैनरेशन जैड के लिए बोल्ड और ब्राइट कलर्स बहुत आकर्षक होते हैं. पेस्टल, नियान और कलर ब्लौकिंग जैसे ट्रैंड्स अपनाएं, साथ ही न्यूट्रल कलर्स को भी स्मार्ट तरीके से अपने वार्डरोब में शामिल करें.

फुटवियर पर दें ध्यान

स्टाइलिश कपड़े तभी शानदार लगते हैं जब आप के फुटवियर भी उन्हें कौंप्लिमैंट करें. स्नीकर्स, बूट्स और लोफर्स जैसे फुटवियर हर मौके के लिए परफैक्ट होते हैं. आराम और स्टाइल दोनों का ध्यान रखें.

जैड ऐक्सैसरीज का कमाल

ऐक्सैसरीज से आप का सिंपल लुक भी गार्जियस बन सकता है. स्टेटमैंट इयररिंग्स, लेयर्ड नैकलैस, वाच, रिंग्स और स्टाइलिश बैग्स को अपने आउटफिट के साथ मिक्स ऐंड मैच करें.

डैनिम है कभी न खत्म होने वाला ट्रैंड डैनिम जींस, जैकेट या शौर्ट्स को सही टौप्स और ऐक्सैसरीज के साथ पेयर करें. यह हमेशा क्लासी लगता है और कभी आउट औफ फैशन नहीं होता.

स्मार्ट शौपिंग करें

फैशन के लिए ज्यादा खर्च करना जरूरी नहीं. लोकल मार्केट्स और औनलाइन डिस्काउंट का सही इस्तेमाल करें. कई बार सस्ते कपड़ों में भी स्टाइलिश औप्शन मिल जाते हैं.

हेयरस्टाइल और मेकअप का रखें ध्यान

आप का हेयरस्टाइल और मेकअप आप के लुक को पूरा करता है. हेयर कलर, ब्रैड्स या स्टाइलिश हेयर कट्स ट्राई करें. मेकअप में बेसिक लेकिन क्लासी लुक रखें.

सस्टेनेबल फैशन अपनाएं

आज की जैनरेशन को सस्टेनेबल फैशन की तरफ ध्यान देना चाहिए. ऐसे ब्रैंड्स को चुनें जो पर्यावरण का ध्यान रखते हैं. रीसाइकलिंग और पुरानी चीजों को नया लुक देना भी एक बढि़या तरीका है.

आत्मविश्वास है सब से बड़ा फैशन

आप कुछ भी पहनें, जब तक आप उसे आत्मविश्वास के साथ नहीं कैरी करेंगे, वह अच्छा नहीं लगेगा. इसलिए सब से पहले खुद से प्यार करें और अपने हर लुक को कौन्फिडैंस के साथ अपनाएं.

निष्कर्ष

जैनरेशन जैड के लिए फैशन सिर्फ ट्रैंड्स को फौलो करना नहीं बल्कि खुद को ऐक्सप्रैस करने का जरीया है. अपने स्टाइल में ऐक्सपैरिमैंट करें, नई चीजें ट्राई करें और आत्मविश्वास के साथ अपना फैशन स्टेटमैंट बनाएं.

सिंगर इंडिया का क्लाउड एक्स कूल फैन

सिंगर इंडिया ने एक अत्याधुनिक प्रोडक्ट क्लाउड एक्स कूल फैन लॉन्च किया है जो परफेक्ट, पावरफुल एंड साइलेंट कूलिंग का अनुभव देता है. यह फैन प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, खास रिटेल स्टोर्स और सिंगर इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा.

भारत में ही डिजाइन किया गया क्लाउड एक्स कूल फैन एक नई तकनीक — क्लाउड टेक्नोलॉजी — के साथ आता है जो पानी को नैनो-कणों में बदलकर प्राकृतिक कूलिंग का अनुभव देता है. इसमें दो एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल सिल्वर-कोटेड मेश फिल्टर्स लगे हैं जो धूल, परागकण और धुएं जैसे कणों को छानकर साफ और स्वच्छ हवा प्रदान करते हैं। इसका ब्लेड-लेस फ्रंट ग्रिल इसे सुरक्षित बनाता है, विशेषकर बच्चों के लिए। यह फैन उन लोगों के लिए आदर्श है जो पारंपरिक कूलर और एयर कंडीशनर के बीच एक संतुलित, स्मार्ट, हेल्दी और साइलेंट विकल्प की तलाश में हैं, जो ठंडी और सुकूनभरी हवा प्रदान कर सके. यह हाइजीनिक है. न तो गीले पैड हैं, न ही ठहरे हुए पानी की समस्या इसलिए मच्छर या बैक्टीरिया पनपने की कोई संभावना नहीं. इस का रखरखाव भी आसान है.

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Hair Care Tips : केराटिन और आर्गन औयल बालों के लिए जबरदस्त जोड़ी

Hair Care Tips : बाल हमारी पहचान का हिस्सा होते हैं. उन्हें थोड़ा प्यार, थोड़ा ध्यान और सही प्रोडक्ट्स की जरूरत होती है. केराटिन और आर्गन औयल की जोड़ी एक ऐसा स्मार्ट इन्वैस्टमैंट है जो आप के बालों को लंबे समय तक खूबसूरत और हैल्दी बनाए रखेगा.

अगर आप के बाल भी बेजान, रूखे, उलझे हुए या टूटते जा रहे हैं तो जरूरत है आप को कुछ ऐसे प्रोडक्ट की जो अंदर से बालों को मजबूत करे और ऊपर से चमक भी दे. ऐसे में केराटिन और आर्गन औयल की जोड़ी को बालों का सुपर हीरो कौंबो कहना गलत नहीं होगा. ये दोनों जब साथ में आते हैं तो डैमेज हेयर का कायापलट हो जाती है और वह भी बिना किसी साइड इफैक्ट के.

केराटिन असल में एक तरह का प्रोटीन होता है, जो हमारे बालों, नाखूनों और स्किन में नैचुरली मौजूद होता है. लेकिन गरमी (हीट स्टाइलिंग), कलरिंग, पौल्यूशन और स्ट्रैस की वजह से हमारे बालों का केराटिन धीरेधीरे कम होने लगता है.

जब बालों में केराटिन की कमी हो जाती है तो वे रूखे और बेजान हो जाते हैं, उल?ाने लगते हैं, जल्दी टूटते हैं, फ्रिजी यानी उड़ते रहते हैं. ऐसे में बाहर से केराटिन की मदद देने से बालों में दोबारा जान आ जाती है. बाल स्मूथ, स्ट्रौंग और सीधे नजर आने लगते हैं.

अब बात करते हैं आर्गन औयल की आर्गन औयल को ‘लिक्विड गोल्ड’ यानी तरल सोना कहा जाता है. यह मोरक्को में पाए जाने वाले आर्गन ट्री के बीजों से निकाला जाता है. इस में मौजूद विटामिन ई, ऐंटीऔक्सीडैंट्स और फैटी ऐसिड्स बालों को गहराई से पोषण देते हैं. बालों को नर्म और चमकदार बनाता है. स्कैल्प को मौइस्चर देता है. ड्राइनैस और डैंड्रफ से राहत देता है. हीट और वी डैमेज से बचाता है. स्प्लिट ऐंड्स को कम करता है.

केराटिन बालों के अंदर की टूटफूट की रिपेयर करता है. आर्गन औयल बाहर से बालों को कोट कर के नर्म, सिल्की और हैल्दी बनाता है. इस डबल ऐक्शन से बाल सिर्फ अच्छे दिखते ही नहीं बल्कि अंदर से हैल्दी भी बनते हैं. बालों में बाउंस, शाइन और स्ट्रैंथ सबकुछ लौट आता है.

कैसे करें इस्तेमाल

आजकल बाजार में केराटिन+आर्गन औयल वाले शैंपू, कंडीशनर, सीरम और हेयर मास्क बहुत आसानी से मिल जाते हैं. हफ्ते में 2-3 बार इस कौंबिनेशन को यूज करें और रिजल्ट खुद देखिए. पहले वाश में ही बाल सौफ्ट लगेंगे, 1 हफ्ते में कम हेयर फौल, 1 महीने में बालों में नई जान.

ये जरूरी टिप्स भी ध्यान में रखें

सल्फेट फ्री और पैराबेन फ्री प्रोडक्ट्स ही यूज करें.

हेयर वाश के बाद हमेशा कंडीशनर लगाए.

महीने में 1-2 बार डीप कंडीशनिंग जरूर करें.

ज्यादा गरम पानी से बाल न धोएं. कुनकुने पानी का इस्तेमाल करें.

तो अगली बार जब आप को अपने बालों के लिए कोई सही इलाज चाहिए हो तो इस पावर डुओ को जरूर याद आए.

Language Skills : भाषाओं का ज्ञान है एक स्किल, इसे किस तरह बढ़ाएं, यहां जानें

Language Skills : साउथ सुपरस्टार कमल हासन कन्नड़ पर दिए गए बयान से विवादों में हैं. उन्होंने कहा था कि कन्नड़, तमिल से जन्मी है. विवाद बढ़ने पर कर्नाटक में उन की फिल्म ‘ठग लाइफ’ रिलीज नहीं होने दी गई. वहीं कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी उन्हें बयान के लिए फटकार लगाई है.

अब कमल हासन का हिंदी पर एक बयान सामने आया है, जिस में उन्होंने कहा है कि हिंदी को अचानक थोपा नहीं जाना चाहिए, क्योंकि अचानक हुए भाषा के बदलाव से हम कई लोगों को अनपढ़ बना देंगे.

भाषा को सीखें बिना झिझक

एक इंटरव्यू में कमल हासन से भाषा विवाद पर सवाल किए जाने पर उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “मैं पंजाब के साथ खड़ा हूं.” हालांकि आगे उन्होंने संजीदगी से कहा, “मैं कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के साथ खड़ा हूं. सिर्फ यही वह जगह नहीं है, जहां भाषा थोपी जा रही है. मैं फिल्म ‘एकदूजे के लिए’ का ऐक्टर था. बिना थोपे मैं ने भाषा सीखी. थोपो मत, क्योंकि एक तरह से यह शिक्षा है. आप को शिक्षा के लिए सब से आसान रास्ता अपनाना चाहिए, न कि बाधाएं डालनी चाहिए.”

उन्होंने कहा है,”अगर आप को वाकई अंतर्राष्ट्रीय सफलता चाहिए, तो आप को एक भाषा सीखनी चाहिए और मुझे इंग्लिश काफी उचित लगती है. आप स्पैनिश या चीनी भी सीख सकते हैं, लेकिन सब से आसान रास्ता यह है कि हमारे पास 350 साल पुरानी इंग्लिश ऐजुकेशन है, जो धीरेधीरे लेकिन लगातार चली आ रही है. जब आप अचानक इसे बदलते हैं, तो आप बेवजह कई लोगों को अनपढ़ बना सकते हैं.”

भाषा है ऐक्सप्रेशन

यहां यह समझना होगा कि हर व्यक्ति की शारीरिक ऊंचाई, वजन, स्वभाव एकजैसा नहीं होता, जैसा कि सैन्य रेजिमैंट में होता है, जहां आप को पता चल जाता है कि फलां व्यक्ति किस रेजिमैंट में किस पद पर काम कर रहा है, क्योंकि वहां लगभग सभी का एकजैसा सीना, वजन, शारीरिक बनावट आदि की रिक्वायरमैंट होती है और वहां रेजिमैंट के आधार पर सब को चलना पड़ता है.

भाषा सीखना है गर्व की बात

असल में भाषा एक ऐक्सप्रेशन है, जिस के द्वारा आप अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, फिर इसे ले कर आपसी तनातनी क्यों? क्या आप बता सकते हैं कि आप किस भाषा में हंसते या रोते हैं? इंसान की ये भावनाएं पूरे विश्व में एक जैसी ही होती हैं. भाषा न जानने पर भी आप सामने वाले व्यक्ति को हंसता या रोता हुआ देख कर उस की मनोदशा को समझ लेते हैं, यानि किसी की भावना को समझने के लिए भाषा की जरूरत नहीं पड़ती.

हर भाषा अपनेआप में बेजोङ

यों भावनाएं चेहरे पर अनायास ही आ जाती हैं. हर भाषा का अपना सौंदर्य है और उसे किसी के द्वारा सीख लेना गर्व की बात होती है. जो व्यक्ति जितनी अधिक भाषा का ज्ञान रखता है, वह उतना ही अधिक विद्वान माना जाता है.

कोल्हापुरी चप्पलें बेचने वाले एक व्यक्ति को 5 भाषाएं आती हैं, जबकि वह बहुत कम पढ़ालिखा है। उस ने मराठी में 5वीं तक पढ़ाई की, लेकिन उस के दुकान पर कोल्हापुरी चप्पलें खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती है, क्योंकि वह किसी भी भाषा में संवाद छोटा ही सही पर कर लेता है. बड़ा ताज्जुब तब हुआ, जब उस ने बांग्ला, पंजाबी, गुजराती, अंगरेजी सभी भाषाओं में अपने चप्पलों की तारीफ ग्राहकों से कर लेता है. भाषा के इस ज्ञान का विकास उस ने अपने व्यवसाय में कामयाबी के लिए किया है, जो बहुत जरूरी है.

है एक स्किल

माथेरान में पर्यटकों को घूमाने वाला घोड़े वाला व्यक्ति भी मराठी, गुजराती, हिंदी के अलावा अंगरेजी और फ्रेंच जानता है, क्योंकि उसे वहां की वादियों के बारे में पर्यटकों को बताना पड़ता है, ताकि उस के घोड़े पर सवार हो कर व्यक्ति वहां के दृश्यों का आनंद उठा सकें. उस ने फ्रेंच और अंगरेजी पर्यटकों से सुनसुन कर सीख लिया है. यही वजह है कि कोई भी उस के घोड़े के साथ सवारी के लिए जाना पसंद करता है, जबकि उस के घोड़े की सवारी महंगी है, लेकिन भाषा ज्ञान उसे सब से अलग और कामयाबी की श्रेणी में रखता है.

गृहशोभा ने भी कई भाषाओं में पत्रिका को प्रकाशित कर यह सिद्ध कर दिया है कि भाषा कोई भी हो, आप गृहशोभा के लेखों से खुद को जोङ सकते हैं.

मूल रूप से गृहशोभा हिंदी में शुरू हुई थी, लेकिन बाद में बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में भी उपलब्ध होने लगी. इस से इस पत्रिका से अलगअलग भाषा को जानने वाले हर वर्ग के पाठकों को रुचिकर और उपयोगी सामग्री मिलने लगे.

गृहशोभा को पूरे देश में सभी तक पहुंचाना आसान नहीं था, क्योंकि पाठकों की रुचि को देखते हुए लेखों को अनुवाद किया जाने लगा. आज देश का हर नागरिक इस की लेखों को पढ़ सकता है.

यहां यह साबित होता है कि किसी भी भाषा को सीखना कोई बड़ी बात नहीं. राजनेता भाषा के माध्यम से अपने वोट बैंक की रोटियां सेंक रहे हैं और चाहते हैं कि हिंदी के जानकार को दक्षिण में हिंदी पढ़ाने की नौकरी मिल जाएं, जिसे ये अपनी कामयाबी कहेंगे. कोई भी व्यक्ति आसानी से किसी भाषा को सीख सकता है.

असल में यह एक अच्छी स्किल है, जिसे सभी को सीख लेनी चाहिए। जितनी भाषा व्यक्ति बोल सकता है, उतना ही उस के पहचान का दायरा बढ़ता जाता है.

एकदूसरे को सिखाएं

बड़ेबड़े शहरों में हाईराइज बिल्डिंग्स में जहां हर भाषा के लोग आज एकसाथ रहते हैं, वहां भी सोसायटी के किसी गेटटूगेदर में सब अपनीअपनी भाषा के साथ ग्रुप बना लेते हैं. ऐसे स्थानों पर दूसरी भाषा बोलने वाले लोग जाने से परहेज करते हैं, क्योंकि उन्हें उन के संवाद समझ में नहीं आती। ऐसे में अगर हर सोसायटी आपस में एकदूसरे की भाषा का फ्री में एक क्लास चला दें, तो कोई भी उसे सीख सकता है और ग्रुप में होने वाली दूरियां भी मिट सकती हैं.

धारावाहिक ‘सपनों की छलांग’ फेम अभिनेत्री मेघा रे कहती हैं,”भाषा पर विवाद कभी सही नहीं होता। भाषा खुद की भावनाओं को व्यक्त करने का एक जरिया मात्र है. जानवरों की भी अपनी भाषा होती है, जिसे हम समझ नहीं पाते, लेकिन उन की मनोदशा को समझ सकते हैं. आज हम किसी भी भाषा की फिल्में और वैब सीरीज सबटाइटल के साथ देखते और ऐंजौय करते हैं.”

वे कहती हैं,”मैं ओडिसा की हूं, लेकिन मराठी, हिंदी, अंगरेजी और गुजराती अच्छी तरह बोल लेती हूं। भाषा ज्ञान से ही हम उस स्थान की कला और संस्कृति से परिचित होते हैं, जो अच्छी बात है. मुझे भाषा सीखना पसंद है और इंडस्ट्री में अच्छा काम करने के लिए कई भाषाओं का ज्ञान होना जरूरी है, ताकि किसी संवाद को अच्छी तरह से परदे पर उतारा जाए.”

भाषा विवाद का समाधान टकराव में नहीं, बल्कि समावेशी दृष्टिकोण अपनाने में है। यूथ को मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि वे जहां भी पढ़ाई करने या जौब के लिए जाएं, तो उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या न हो. वहां से भागे नहीं। वे जहां भी जाते हैं, वहां की भाषा पहले से सीख लेने की कोशिश करें, ताकि वे खुद को अकेले नहीं, बल्कि उसी परिवेश का हिस्सा मान सकते हैं.

Aromatherapy : तनाव और सिरदर्द में देती है फायदा

Aromatherapy : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और सिरदर्द आम समस्याएं बन चुकी हैं. सुबह से ले कर रात तक काम, जिम्मेदारियों, परिवार और खुद के लिए समय निकालना, इन सभी के बीच मानसिक और शारीरिक थकावट होना स्वाभाविक है. ऐसे में जब सिर भारी होने लगता है या तनाव के कारण नींद उड़ जाती है तो मन करता है कि कुछ ऐसा हो जो बिना किसी साइड इफैक्ट के राहत दे. यही वह जगह है जहां अरोमाथेरैपी आप की मदद कर सकती है.

अरोमाथेरैपी क्या है

अरोमाथेरैपी एक प्राचीन प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है, जिस में पौधों से प्राप्त आवश्यक तेलों का उपयोग किया जाता है. इन तेलों की सुगंध हमारे मस्तिष्क के लिंबिक सिस्टम को प्रभावित करती है. यही वह हिस्सा है जो हमारी भावनाओं, यादों और तनाव को नियंत्रित करता है.

सिरदर्द से राहत के लिए अरोमाथेरैपी उपाय

सिरदर्द के कई प्रकार होते हैं- माइग्रेन, टैंशन हैडेक, साइनस हैडेक इत्यादि. हर तरह के सिरदर्द के लिए एक खास सुगंध और तेल काम करता है. चलिए जानते हैं कुछ असरदार विकल्पों के बारे में:

अरोमा मैजिक क्यूरेटिव औयल

यह एक विशेष मिश्रण है जो सिरदर्द से तत्काल राहत देने के लिए तैयार किया गया है. इस में तुलसी, लैवेंडर, रोजमैरी और पैपरमिंट जैसे आवश्यक तेलों का संयोजन होता है. इस की ताजगी भरी सुगंध दिमाग को ठंडक देती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है.

कैसे करें उपयोग

माथे और गरदन पर हलके हाथों से इस तेल की कुछ बूंदें लगाएं.

आराम की मुद्रा में बैठें और गहरी सांस लें.

दिन में 2-3 बार दोहराएं.

लैवेंडर ऐसैंशियल तेल

लैवेंडर तेल तनाव और सिरदर्द दोनों में राहत देने के लिए जाना जाता है. इस की सुगंध मस्तिष्क को शांत करती है और एक प्रकार की मानसिक ताजगी प्रदान करती है.

कैसे करें उपयोग

डिफ्यूजर में 4-5 बूंदें डालें और सांस लें.

वाहक तेल (जैसे नारियल तेल) में मिला कर माथे और कनपटियों पर मालिश करें.

तुलसी (बैसिल) आवश्यक तेल

यदि आप के सिरदर्द का कारण मानसिक थकावट है तो तुलसी का तेल बेहद कारगर हो सकता है.

कैसे करें उपयोग

एक कटोरी गरम पानी में कुछ बूंदें डालें और भाप लें.

वाहक तेल में मिला कर हलके हाथों से मालिश करें.

तनाव से राहत के लिए अरोमाथेरैपी उपाय

तनाव केवल मानसिक थकावट नहीं लाता, यह शारीरिक रूप से भी थका देता है. इस से नींद प्रभावित होती है, त्वचा बिगड़ती है और मिजाज चिड़चिड़ा हो जाता है. अरोमाथेरैपी में कुछ आवश्यक तेल ऐसे हैं जो सीधे तौर पर मस्तिष्क को आराम देने में मदद करते हैं.

नैरोली ऐसैंशियल तेल

नैरोली तेल संतरे के फूलों से बनता है और इस की मीठी और शांत सुगंध भावनात्मक संतुलन बनाने में मदद करती है. यह अवसाद, चिंता और तनाव से राहत देने में बेहद असरदार है.

कैसे करें उपयोग

3-4 बूंदें डिफ्यूजर में डालें और गहरी सांस लें.

वाहक तेल में मिला कर पूरे शरीर की मालिश करें.

चंदन (सैंडलवुड) आवश्यक तेल

चंदन की सुगंध भारतीय संस्कृति में हमेशा से शांति और ध्यान से जुड़ी रही है. इस का तेल न केवल मस्तिष्क को ठंडक पहुंचाता है बल्कि आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है.

कैसे करें उपयोग

चंदन तेल की कुछ बूंदें नहाने के पानी में मिलाएं.

ध्यान के समय इसे डिफ्यूजर में प्रयोग करें.

लैवेंडर ऐसैंशियल तेल

तनाव के लिए लैवेंडर सब से लोकप्रिय विकल्पों में से एक है. यह नींद को बेहतर

बनाता है, मस्तिष्क को शांत करता है और लगातार तनाव से होने वाले सिरदर्द को भी दूर करता है.

कैसे करें उपयोग

सोते समय तकिए पर कुछ बूंदें छिड़कें.

डिफ्यूजर में रोजाना उपयोग करें.

अरोमाथेरैपी के प्रभावी उपयोग के तरीके

डिफ्यूजर के माध्यम से: कमरे में सुगंध फैलाने का सब से सुरक्षित और आसान तरीका है डिफ्यूजर.

मालिश के माध्यम से: वाहक तेलों (जैसे बादाम या जोजोबा) में आवश्यक तेल मिला कर शरीर पर मालिश करें.

भाप लेना: सर्दीजुकाम या साइनस सिरदर्द में बेहद उपयोगी.

स्नान: 5-10 बूंदें गरम पानी में मिलाकर स्नान करें.

अरोमाथेरैपी के लाभ

बिना किसी दुष्प्रभाव के काम करती है.

मन को शांत करती है.

नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है.

एकाग्रता बढ़ाती है.

त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी होती है.

जरूरी सावधानियां

पैच टैस्ट करें: उपयोग से पहले त्वचा पर हलका परीक्षण अवश्य करें.

सीधे त्वचा पर न लगाएं: हमेशा वाहक तेल में मिला कर ही उपयोग करें.

गर्भवती महिलाएं या बच्चे: चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें.

शुद्धता की जांच करें: केवल विश्वसनीय ब्रैंड से ही आवश्यक तेल खरीदें.

Blossom Kochar

Family Short Story : पति जो ठहरे

Family Short Story :  सलोनी की शादी के पीछे सब हाथ धो कर पड़े थे. कुछ तो अंधविश्वासी टाइप के लोग मुफ्त की सलाह भी देते,” देखो, शादी समय से होनी चाहिए नहीं तो बड़ी मुसीबत होगी और अच्छा पति भी नहीं मिलेगा. इसलिए 16 सोमवार का व्रत करो, वैभव लक्ष्मी का 11 शुक्रवार भी, शादी आराम से हो जाएगी…”

सलोनी ने सारे व्रतउपवास कर लिए. अब इंतजार था कि कोई राजकुमार आएगा और उसे घोड़े पर बैठा कर ले जाएगा और जिंदगी हो जाएगी सपने जैसी. प्रतीक्षा को विराम लगा और आ गए राजकुमार साहब, मगर घोड़ा नहीं कार पर चढ़ कर.

अब शादी के पहले का हाल भी बताना जरूरी है…

सगाई के बाद ही सलोनी को यह राजकुमार साहब लगे फोन करने. घंटों बतियाते, चिट्ठी भी लिखतेलिखाते. सलोनी के तो पौ बारह, पढ़ालिखा बांका जवान जो मिल गया था. खैर, शादी धूमधाम से हुई. सलोनी के पैर जमीन पर नहीं पङ रहे थे.

राजकुमार साहब भी शुरुआत में हीरो की माफिक रोमांटिक थे पर पति बनते ही दिमाग चढ़ गया सातवें आसमान पर,”मैं पति हूं…” सलोनी भी हक्कीबक्की कि इन महानुभाव को हुआ क्या? अभी तक तो बड़े सलीके से हंसतेमुसकराते थे, लेकिन पति बनते ही नाकभौं सिकोड़ कर बैठ गए. प्रेम के महल में हुक्म की इंतहा…. यह बात कुछ हजम नहीं हुई पर शादी की है तो हजम करना ही पड़ेगा. फिर तो सलोनी ने अपना पूरा हाजमा ठीक किया पर पति को यह कैसे बरदाश्त कि पत्नी का हाजमा सही हो रहा है, कुछ तो करना पड़ेगा वरना पति बनने का क्या फायदा?

“कपड़े क्यों नहीं फैलाए अभी तक?” पति महाशय ने हेकङी दिखाते हुए पूछा.

बेचारी सलोनी ने सहम कर कहा,”भूल गई थी.”

“कैसे भूल गईं? फेसबुक, व्हाट्सऐप, किताबें याद रहती हैं… यह कैसे भूल गईं?”

‘अब भूल गई तो भूल गई. भूल सुधार ली जाएगी,’ सलोनी मन ही मन बोली.

“कितनी बड़ी गलती है यह तो. अब जाओ, आइंदे से मेरा कोई काम मत करना, मैं खुद कर लूंगा,” पति महाशय ने ऐलान कर दिया.

‘ठीक है जनाब, कर लो… बहुत अच्छा. ऐसे भी मुझे कपड़े फैलाने पसंद नहीं,’ सलोनी ने मन में सोचा.

पति महाशय ने मुंह फुला लिया तो अब बात नहीं करेंगे. बात नहीं करेंगे तो वह भी कुछ घंटों नहीं बल्कि पूरे 3-4 दिनों तक. अब सलोनी का हाजमा कहां से ठीक हो, अब तो ऐसिडिटी होना ही है फिर सिरदर्द.

एक बार सलोनी पति महाशय के औफिस के टूअर पर साथ आई थी. पति महाशय ने रात को गैस्ट हाउस के कमरे में साबुन मांगा. सलोनी ने साबुनदानी पकड़ाई पर यह क्या, उस में तो पिद्दी सा साबुन का टुकड़ा था. पति महाशय का गुस्सा सातवें आसमान पर. फिर तो पूरे 1 हफ्ते बात नहीं की. औफिस के टूअर में घूमने आई सलोनी की घुमाई गैस्ट हाउस में ही रह गई, आखिर इतनी बड़ी भूल जो कर दी थी.

उस के बाद से सलोनी कभी साबुन ले जाना नहीं भूली. पति महाशय गर्व से सीना तान लिए कि सलोनी की इस गलती को उन्होंने सुधार दी. सलोनी ने भी सोचा कि पति के इस तरह मुंह फुलाने की गलती को सुधारा जाए पर पति कहां सुधरने वाले. उन का मुंह गुब्बारे जैसा फूला तो जल्दी पिचकेगा नहीं, आखिर पति जो ठहरे.

सलोनी एक बार घूमने गई थी बड़े शौक से. पति महाशय ने ऊंची एड़ी की सैंडिल खरीदी. सलोनी सैंडिल पहन कर ज्यों ही घूमने निकली कि ऊंची एड़ी की चप्पल गई टूट और पति महाशय गए रूठ. उस पर से ताना भी मार दिया,”कभी इतनी ऊंची एड़ी की चप्पलें पहनी नहीं तो खरीदी क्यों? अब चलो, बोरियाबिस्तर समेट वापस चलो. सलोनी हो गई हक्कीबक्की कि इतनी सी बात पर इतना बवाल? आखिर चप्पल ही है दूसरी ले लेंगे. पति महाशय का मुंह तिकोना हो गया तो सीधा होने में समय लगता है पर सलोनी को भी ऐसे आड़ेतिरछे सीधा करना खूब आता है. फिर तो “सौरी…” बोल कर मामला रफादफा किया.

कभीकभी पति महाशय का स्वर चाशनी में लिपटा होता है पर ऐसा बहुत कम ही होता है. एक बार बड़े प्यार से सलोनी को जन्मदिन पर घुमाने का वादा कर औफिस चले गए और लौटने पर सलोनी के तैयार होने में सिर्फ 5 मिनट की देरी पर बिफर पड़े. नाकभौं सिकोड़ कर ले गए मौल लेकिन मुंह से एक शब्द भी नहीं फूटा… सलोनी ने अपनी फूटी किस्मत को कोसा कि ऐसे नमूने पति मिले थे उसे.

सलोनी पति की प्रतीक्षा में थी कि पति टूअर से लौट कर आएंगे तो साथ में खाना खाएंगे. पति महाशय लौटे 11 बजे. जैसे ही सुना कि सलोनी ने खाना नहीं खाया तो बस जोर से डपट दिया और पूरी रात मुंह फुलाए लेटे रहे. सलोनी ने फिल्मों में कुछ और ही देखा था पर हकीकत तो कुछ और ही था.

वह दिन और आज का दिन सलोनी ने पति की प्रतीक्षा किए बगैर ही खाने का नियम बना लिया. अब भला कौन भूखे पेट को लात मारे और भूखे रह कर कौन से उसे लड्डू मिलने वाले थे.

कभीकभी भ्रम का घंटा मनुष्य को अपने लपेटे में ले ही लेता है. सलोनी को लगा कि पति महाशय का त्रिकोण अब सरलकोण में तब्दील होने लगा है पर भरम तो भरम ही होता है सच कहां होता है? सलोनी को प्रतीत हुआ कि उस का इकलौता पति भी सलोना हो गया है पर सूरत और सीरत में फर्क होता है न… सूरत से सलोना और सीरत… व्यंग्यबाण चला दिया,”आजकल बस पढ़तीलिखती ही रहती हो, घर का काम भी मन से कर लिया किया करो. नहीं तो कोई जरूरत नहीं करने की…”

सलोनी ने कुछ ऊंचे स्वर में कहा,”दिखता नहीं है कि मैं कितना काम करती हूं…” इतना कहना था कि पति जनाब ने फिर से मुंह फुला लिया. इस बार सलोनी ने भी ठान लिया कि वह पति को नहीं मनाएगी. पर हमेशा की तरह सलोनी ने ही मनाया.

सलोनी ने एक दिन अपनी माता से अपनी व्यथा कथा कह डाली,”मां, पापा तो ऐसे हैं नहीं?”

मां मुसकराईं,”बेटी, तुम्हारे पापा बहुत अच्छे हैं पर पति कैसे हैं उस का दुखड़ा अब तुम से क्या बताऊं…मेरी दुखती रग पर तुम ने हाथ रख दिया….दरअसल, यह पति नामक प्रजाति होती ही ऐसी है. इस प्रजाति में कोई भी जैविक विकास की अवधारणा लागू नहीं होती, इसलिए जो है जैसा है, इन्हीं से उलझे रहो. ये कभी सुलझने वाले नहीं. लड़के प्रेमी, भाई, मित्र, पिता सब रूप में अच्छे हैं पर पति बनते ही बौरा जाते हैं. सलोनी को वह गाना याद आने लगा, ‘भला है, बुरा है, जैसा भी है मेरा पति मेरा…’

“पर मां, स्त्री के अधिकारों का क्या और स्त्री विमर्श का प्रश्न?” सलोनी ने पूछा.

“सलोनी, तुम्हारा पति त्रिकोण ही सही पर तिकोना समोसा खिलाता है न…”

“हां, वह तो खिलाते हैं…”

“बस, फिर कोई बात नहीं, उस की बातें एक कान से सुनो और दूसरे से निकाल दो. अपना काम धीरेधीरे करते चलो…”

सलोनी ने एक ठंडी आह भरी और मुंह से निकला,”ओह, पति जो ठहरे.”

Hair Care Tips : बालों को झड़ने से रोकने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

Hair Care Tips :

सवाल- 

मैं 23 वर्षीय युवती हूं. इन दिनों मेरे बाल बहुत झड़ रहे हैं. बालों को झड़ने से रोकने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब-

बालों को रूखा न रहने दें, क्योंकि रूखे बाल अधिक टूटते हैं. अपने खानपान में प्रोटीनयुक्त आहार शामिल करें. बालों की हफ्ते में 1 बार अच्छी तरह औयलिंग करें. उन्हें मजबूत और घना बनाने के लिए दही में मेथीदाना पाउडर, काले तिल का पाउडर बराबर मात्रा में मिला कर हेयर पैक बना कर साफ धुले बालों में लगाएं. आधे घंटे बाद बालों को धो लें. ऐसा 15 दिन में 1 बार करें. जरूर लाभ होगा.

सुंदर और मजबूत बाल भला किसे अच्छे नहीं लगते. लेकिन बदलते मौसम और भाग दौड़ भरी जिंदगी के चलते बालों के झड़ने और डैंड्रफ की समस्या पैदा हो जाती है. ऐसे में प्राकृतिक उपचारों को आजमाना बहुत आवश्‍यक है क्‍योंकि इसका ना तो कोई साइड इफेक्‍ट होता है और ना ही यह बहुत खर्चीला होता है.

आइये जानते हैं कुछ ऐसे प्राकृतिक हेयर मास्‍क जिन्‍हें नियमित लगाने से बालों का झड़ना रूक जाता है.

अंडे का मास्‍क

एक कटोरे में 1 अंडा फोड़ कर उसमें थोड़ा सा दूध, 2 चम्‍मच नींबू का रस और जैतून का तेल मिक्‍स करें. फिर इस मिश्रण को सिर पर लगा कर थोड़ा मसाज करें. उसके बाद एक शावर कैप से अपने सिर को ढंक लें और 20 मिनट के बाद बालों को ठंडे पानी से धोएं.

केले का मास्‍क

2 पके हुए केले लें, उसके साथ 1 चम्‍मच जैतून का तेल, नारियल का तेल और शहद मिक्‍स करें. इन्‍हें अच्‍छी प्रकार से एक चम्‍मच की सहायता से मसल लें. फिर इसे अपने हाथों से सिर की त्‍वचा पर लगाएं. अब इसे 5 मिनट तक के लिये सिर पर स्‍थिर हो जाने दें. उसके बाद हल्‍के गुनगुने पानी से सिर धो लें.

ब्रेन हैमरेज को हरा कर हासिल किया मुकाम : नताशा तुली

Natasha Tuli : आज के समय में महिलाएं और ज्यादा इंडिपैंडैंट हो रही हैं. अब कोई लिमिट नहीं रही है. आप घर पर बैठ कर भी काम कर सकते हैं. अगर आप औनैस्ट हैं, दिल से और सही काम करें तो लोग आप के काम को सराहेंगे. ऐसी महिलाएं जो कुछ भी नहीं कर पा रहीं उस का कारण यह है कि उन का खुद पर ही बिलीव नहीं है. पैसे न होने की वजह से कोई काम नहीं रुकता…

सोलफ्लौवर कंपनी की सह संस्थापिका और सीईओ नताशा तुली एक जानामाना नाम है जिन्होंने ब्रेन हैमरेज जैसी समस्या से जूझने के बावजूद अपने काम पर फोकस किया और आज वे एक ऐसे मुकाम पर हैं जब उन की कंपनी के हेयर और स्किन केयर प्रोडक्ट्स लोगों में काफी पौपुलर हैं. उन्होंने 2001 में सोलफ्लौवर की स्थापना की थी. सोलफ्लौवर जहां 100 से ज्यादा इंप्लोई काम करते हैं और उन में 50त्न महिलाएं हैं.

स्किन और हेयर केयर से जुड़े 70 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी की सीईओ नताशा ने जिंदगी में कभी हिम्मत नहीं हारी और हमेशा पौजिटिव सोच और हार्ड वर्क के साथ फोकस हो कर आगे बढ़ती रहीं. अपने रास्ते में आने वाली चुनौतियों का उन्होंने डट कर सामना किया.

नताशा की फैमिली मूल रूप से सियालकोट, पाकिस्तान से है. विभाजन के बाद सब दिल्ली आ गए. बाद में मुंबई में आना हुआ. उन की फैमिली के लोग मुख्य रूप से फिल्मों से जुड़े हुए हैं. उन के पापा वीरेंद्र कुमार मूवी प्रोड्यूसर हैं और चाचा राजेंद्र कुमार फेमस ऐक्टर थे. कुमार गौरव उन के फर्स्ट कजिन हैं. एक और कजिन विक्रम तुली हैं जो अमेजन पर आने वाली ब्रीथ सीरीज के स्क्रिप्ट राइटर हैं.

ब्रेन हैमरेज से लड़ कैसे आगे बढ़ीं नताशा

नताशा बताती हैं, ‘‘मुझे 2015 में ब्रेन हैमरेज हुआ था. ऐक्चुअली मैं एक मैराथन रनर हूं और इसी क्रम में मुझे एक बार चोट लगी थी. इंटरनल ब्लीडिंग हुई मगर मुझे इस का एहसास नहीं हुआ. बस सिरदर्द होता था. 1 महीना कुछ पता ही नहीं चला. फिर एक दिन मेरी एक साइड पैरालाइज हो गई. तब मुझे जल्दी से लीलावती अस्पताल में एडमिट कराया गया. मेरे घर वाले शौक में थे. मुझे भी कुछ होश नहीं था.

‘‘करीब 6-7 घंटे का औपरेशन चला. सिर में होल कर के ब्लड ड्रेन किया गया. यह सितंबर का महीना था. मुझे 3-4 दिन आईसीयू में रखा गया. फिर 15 दिन हौस्पिटल में रह कर मैं घर वापस आई. मुझे लैफ्ट साइड में हैमरेज हुआ था. उस की वजह से थोड़ी याददाश्त चली जाती है. कुछ चीजें थीं जो याद नहीं रहती थीं. लेकिन अब मुझे अपनी जिंदगी में वापस आना था इस के लिए मैं प्रयासरत रही और 4 महीने के बाद मैं ने फिर से मैराथन की दौड़ में भाग लिया. यह 21 किलोमीटर की दौड़ थी और मैं ने उस में जीत हासिल की. मुझे कई अखबारों ने कवरेज दिया, साथ ही एक बुक ‘अनस्टौपेबल’ में भी मुझे 10 इंस्पिरेशनल इंडियन रनर में फीचर किया गया.

‘‘अब मैं बिलकुल स्वस्थ हूं. मुझे पूरी तरह सही होने में 2 साल लगे. एक तरह से अंदर की स्ट्रैंथ थी जो मैं धीरेधीरे आगे बढ़ पाई. मैं ने घर में रहने के बजाय औफिस जाना शुरू किया. पहले 1 घंटे में थक जाती थी. फिर धीरेधीरे समय बढ़ाया. मेरे सर्जन डाक्टर राजन शाह लीलावती हौस्पिटल से थे. वे काफी पौजिटिव थे और शायद इसी वजह से मैं इतनी जल्दी सही हो पाई.’’

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कैसे हुई सोलफ्लौवर की शुरुआत

नताशा बाई प्रोफैशन एक आर्किटैक्ट हैं और लैंडस्केप आर्किटैक्चर में स्पैशलाइजेशन किया था, जिस में आयुर्वेदिक हर्ब्स, प्लांट्स और नैचुरल चीजों का ज्ञान दिया जाता है. वहीं से सोलफ्लौवर का नाम आया है.

नताशा बताती हैं कि उस समय विदेशी प्रोडक्ट्स काफी पौपुलर थे, मगर नैचुरल चीजों का उपयोग कम होता था. तब मैं ने सोचा कि हमारे देश में जब इतनी नैचुरल चीजें हैं जो तरहतरह के फायदे दे सकती हैं तो क्यों न उस नौलेज का उपयोग करते हुए एक ऐसे नैचुरल हेयर ग्रोथ ब्रैंड की शुरुआत की जाए जो बिना कैमिकल का प्रयोग किए लोगों की समस्याओं का समाधान कर सके. हमारे पास खुद की लैब है, साइंटिस्ट, डर्मैटोलौजिस्ट, कैमिस्ट और टैक्नीशियन हैं जो हमारे साथ काम करते हैं. इस के अलावा मैं ने दादी से और फैमिली से भी बहुत कुछ सीखा.मेरी इस फील्ड में रुचि थी. मेरी पढ़ाई भी कुछ ऐसी ही थी इसलिए मुझे सहूलियत हुई.

कंपनी का पूरा सैटअप तैयार करने में 6 महीने तक का समय लग गया था. 2001 में इस कंपनी की नींव रखी गई. फ्लिपकार्ट, अमेजन, नायका, फार्मेसी आदि में हमारे प्रोडक्ट्स की बिक्री होती है. औनलाइन हमारी वैबसाइट सोलफ्लौवरडौटइन के द्वारा भी आप प्रोडक्ट्स खरीद सकते हैं. हमारा एक औफिस मुंबई में है और हमारा दूसरा फार्म राजस्थान में है. यहां हमारे प्रोडक्ट्स बनते हैं. यहां ट्राइबल औरतें हमारी इंप्लोई हैं.

मुंबई में मुख्य रूप से पैकेजिंग का काम होता है. कंपनी के कोफाउंडर अमित सारदा हैं. वे बिजनैस एंगल संभालते हैं. प्रोडक्ट और बाकी सबकुछ मैं संभालते हैं. अगर सिमिलर थौट है तो पार्टनरशिप बहुत अच्छी चीज है. सपोर्ट सिस्टम जरूरी होता है. देखा जाए तो मेरा सपोर्ट सिस्टम मेरा सोलफ्लौवर फैमिली है. हमारे इंप्लाई परिवार के सदस्य की तरह हैं.

रिव्यूज पढ़ने चाहिए

बकौल नताशा, ‘‘रोजमैरी ऐसैंशियल औयल हमारा सब से कामयाब प्रोडक्ट है. इस के अलावा हेयर ग्रोथ औयल्स, हैंडमेड सोप्स, ऐसैंशियल औयल्स वगैरह हमारे खास प्रोडक्ट्स हैं. हमारे प्रोडक्ट्स प्रैगनैंट महिलाएं, पोस्ट प्रैगनैंसी वाली महिलाएं और कैंसर पेशैंट आदि ज्यादा यूज करते हैं क्योंकि ये कैमिकल फ्री प्रोडक्ट्स हैं. इंडिया में वैसे भी 36 % लोगों को बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है जिस में हमारे प्रोडक्ट्स बेहतर रिजल्ट देते हैं.

‘‘हम फोकस करते हैं हेयर ग्रोथ पर. भारत में जो भी प्रोडक्ट उपलब्ध है वह प्योर नहीं है. उन प्रोडक्ट्स में मिनरल औयल और कैमिकल भरे हुए हैं. इस जैनरेशन में वैसे भी बहुत हेयर फौल हो रहा है. आजकल स्ट्रैस अधिक है, हार्ड वाटर है. गुरुग्राम, नोएडा, बैंगलुरु से सब से ज्यादा कस्टमर हैं. मुख्य रूप से हमारे पास 18 से 34 साल की उम्र के कस्टमर हैं. 50त्न कस्टमर लड़के हैं. उन की शादियां नहीं हो रही हैं. बाल झड़ जाते हैं. सरकमस्टैंसस और पौल्यूशन की वजह से ज्यादा बाल झड़ रहे हैं. इतने सालों में सोलफ्लौवर ने ट्रस्ट बिल्ड किया है. 2022 मैं विप्रो ने हमें फंड दिया. मतलब यह अब विप्रो फंडेड कंपनी बन गई.’’

महिलाओं को ब्यूटी प्रोडक्ट लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इस सवाल के जवाब में नताशा कहती हैं, ‘‘ब्यूटी प्रोडक्ट लेने से पहले रिसर्च करनी चाहिए और लेबल जरूर पढ़ना चाहिए कि ब्रैंड कैसा है, कहां बिक रहा है. रिव्यूज पढ़ने चाहिए और जानकारी लेनी चाहिए कि उस प्रोडक्ट में कैमिकल्स हैं या नहीं और कोई साइड इफैक्ट तो नहीं.’’

बेजबानों की सेवा

नताशा तुली बताती हैं, ‘‘मेरे पास11 बिल्लियां हैं. औफिस में 30 बिल्लियां और 12 कुत्ते हैं. हम जानवरों की बहुत सेवा करते हैं. उन की दवाई बगैरा सबकुछ का खयाल रखते हैं. हम दिन में 300 कुत्तों को रोजाना खाना खिलाते हैं. हमारे एक प्रोडक्ट को खरीदने पर एक जानवर को खाना खिलाया जाता है. हम अधिक से अधिक महिलाओं को काम देने की कोशिश करते हैं.’’

महिलाओं के लिए सफलता के मूलमंत्र

नताशा कहती हैं कि आज के समय में महिलाएं और ज्यादा इंडिपैंडैंट हो रही हैं. अब कोई लिमिट नहीं रही है. आप घर पर बैठ कर भी काम कर सकते हैं. अगर आप औनैस्ट हैं, दिल से और सही काम करें तो लोग आप के काम को सराहेंगे. ऐसी महिलाएं जो कुछ भी नहीं कर पा रहीं उस का कारण यह है कि उन का खुद पर ही बिलीव नहीं है. पैसे न होने की वजह से कोई काम नहीं रुकता. जब मैं ने बिजनैस चालू किया तब मेरे पास पैसे नहीं थे. मेरी ऐजुकेशन में भी कोई ज्यादा पैसा खर्च नहीं हुआ.

जैसे मैं ने आर्किटैक्ट की पढ़ाई की उस में कुल क्व11 की फीस लगती थी क्योंकि यह गवर्नमैंट कालेज था. जब मैं इंडियन स्कूल औफ बिजनैस, हैदराबाद में एमबीए करने गई तो मुझे वहां स्कौलरशिप मिल गई. दरअसल, जो लोग सक्सैसफुल हैं ऐसा नहीं है कि वे लोग बड़ीबड़ी यूनिवर्सिटी से निकले हैं या बहुत अमीर हैं. सब से जरूरी है कि आप खुद पर विश्वास करें. नकारात्मकता की जो लिस्ट दिमाग में होती है कि मैं यह नहीं कर सकती, मेरे छोटे बच्चे हैं, मैं छोटे टाउन से हूं या मेरी फैमिली अनुमति नहीं देगी, ऐसी सारी बातें कागज पर लिख कर जला दें.

महिलाओं का नेचर ही होता है दूसरों का पहले सोचना और बाद में अपना सोचना. इस नेचर को बदलें खासकर काम के मामले में यह चेंज करना बहुत जरूरी है. जब आप खुद के पैसे कमाएंगे तो आप के अंदर एक अलग ही कौन्फिडैंस आएगा. फिर आप के वही फैमिली मैंबर आप की तारीफ करेंगे जो पहले आप को आगे बढ़ने से मना कर रहे थे. यह एक अमेजिंग फीलिंग होती है. आज महिलाओं की लाइफ इजी हो गई है. आप कुछ भी कर सकती हैं. इसलिए आगे बढ़ें और कुछ कर के दिखाएं.

सीखने की कोई उम्र नहीं होती

नताशा कहती हैं, ‘‘ऐजुकेशन किसी भी उम्र में लाभकारी है. यह मत सोचिए कि अब कुछ कर के क्या करना है. अब तो मेरी उम्र हो चुकी है. सीखने की उम्र कभी खत्म नहीं होती. नई चीजें सारी उम्र सीखते रहना चाहिए. मुझे देखिए, अभी मैं फुलटाइम एलएलबी कर रही हूं. सैकंड ईयर खत्म हो चुका. मैं जीजे आडवाणी ला कालेज, मुंबई से एलएलबी कर रही हूं. यह कालेज मेरे घर के पास है इसलिए मुझे आसानी होती है. यहां फर्स्ट सैमेस्टर में मैं चौथे नंबर पर थी. सैकंड और थर्ड सैमेस्टर में भी टौप टैन में आई हूं.

‘‘मेरी उम्र 41 साल है. मैं यह मैसेज देना चाहूंगी कि यह न सोचें कि मैं यह नहीं कर सकती बल्कि कभी भी अपना काम स्टार्ट कीजिए. अभी इतने प्लेटफौर्म हैं, इतने कैरियर औप्शन हैं बहुत कुछ काम कर सकते हैं. कई तरह के बिजनैस कर सकते हैं. यहां तक कि आप घर में अचार बना रही हैं तो उसे भी आप बिजनैस बना सकती हैं. कई बार हम अपने कंफर्ट जोन से बाहर नहीं निकलना चाहते. सोचते हैं अब तो बच्चे बड़े हो गए. इस मानसिकता को हटाना होगा.

‘‘बिजनैस वूमन बनने के लिए आप को सैक्रिफाइस करने होंगे. काम के मामले में अनप्रोफैशनल नहीं बल्कि प्रोफैशनल बनना है. अगर मीटिंग है तो आप घर के किसी भी जरूरी फंक्शन वगैरह को छोड़ कर काम पर फोकस कीजिए. आज की जो जैनरेशन है उस में काफी कौन्फिडैंस है. लेकिन इस यंग जैनरेशन से मैं यही कहना चाहूंगी कि कोई शौर्टकट नहीं होता. यंग जैनरेशने तुरंत हार मान जाती है. इस सोच को खत्म करना जरूरी है.’’

मेड फौर वर्ल्ड

भारत को छोड़ कर हम 10 और देश में अपने प्रोडक्ट्स बेचते हैं. जैसे यूएस, जापान, दुबई, यूएई, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया, सऊदी आदि. सोलफ्लौवर मेड इन इंडिया है बट मेड फौर द वर्ल्ड है. हर देश के लोगों की हेयर प्रौब्लम्स या स्किन प्रौब्लम्स एक सी ही होती हैं. कलर भले अलग हो बट स्किन सभी समान होती हैं. उन के भी बाल ज्यादा झड़ते हैं. उन को भी डैंड्रफ होता है. हमारे हेयर केयर और स्किन केयर से जुड़े 70 से ज्यादा प्रोडक्ट्स हैं. हमारा फोकस हेयर ग्रोथ और हेयर फौल पर है.

Stories : पत्नी की देखभाल – संदीप को क्या हुआ था

Stories :  ‘‘अरे…अरे, संदीप क्या बात है? क्या हुआ?’’ उस ने हैरत से पति का सुस्त चेहरा देखा और उन का जवाब मिलने तक एक कप अदरक, कालीमिर्च व अजवायन की चाय बना कर उन के हाथ में दे दी.

‘‘आज दोपहर में हरारत सी हो गई. इसीलिए जल्दी लौट आया,’’ कह कर संदीप ने चाय का घूंट भरा, ‘‘वाह अमृत, बहुत आराम मिल रहा है.’’

तभी दोनों बेटियां भी उन्हीं के पास आ गईं, ‘‘अरेअरे, पापा आप को इस कुरसी पर और आराम से बैठना चाहिए,’’ कह कर 5 और 7 साल की बेटियां एकएक कुशन ले कर उन की पीठ से लगाने लगीं.

‘‘थैक्स बेटी, बहुत आराम मिला. खेलने जा रहे हो?’’

‘‘हांहां,’’ कह कर दोनों मां से पूछने लगीं, ‘‘पापा इतने हौलेहौले क्यों बोल रहे हैं?’’

‘‘वह आज पापा को फीवर आ गया है.’’

मां की बात सुनी तो, ‘‘अच्छा,’’ कह कर दोनों वहीं खड़ी हो गईं.

‘‘अरे, प्यारे बच्चों जाओ खेलने जाओ बच्चों,’’ मां ने जैसे ही कहा दोनों अपनाअपना बौल ले कर पार्क में चली गईं. वहां जा कर खूब खेलनेकूदने के बाद दोनों ने अपने सारे साथियों को सनसनीखेज खबर सुनाई, ‘‘पता है हमारे पापा को स्विमिंग, स्कैटिंग, बैडमिंटन, टैनिस, हौर्स राइडिंग सब आता है. पर…’’

‘‘अरे, मुग्धा व पावनी पर क्या? आगे भी तो बताओ,’’ बाकी दोस्तों ने उत्सुकता से चकित हो कर पूछा.

‘‘वह आज उन्हें फीवर आ गया है. तुम्हें देखने हैं? बोलो… बोलो?’’

‘‘अरे, हांहां देखने हैं, ‘‘और फिर पूरी धमाचौकड़ी पहुंच गई सीधा उस कमरे में जहां बुखार से कराहते संदीप आंखें बंद कर लेटे

हुए थे.

‘‘यह देखो पापा का माथा गरम है न… हाथ भी, गरदन भी. यहां सब जगह फीवर आ गया है.’’

वे सब नादान और प्यारे बच्चे बारीबारी से अपनी शीतल हथेलियों

से तपती त्वचा को स्पर्श करते जा रहे थे. वह तो संदीप को बच्चों के साथ रहने और खेलने की आदत बरसों से थी. उन के सभी मित्र अपने बच्चे उन्हीं के संरक्षण में छोड़ दिया

करते थे. इसलिए आज इतने ज्वर

में भी वे बच्चों की इतनी तीखी चिल्लपौं से न तो खीजे और न

ही  झल्लाएं.

‘‘मां हमारे दोस्त आए हैं,’’ जब

दोनों बच्चों ने बताया तो वे उस समय गरम

पानी की थैली बना रही थीं. वे अपने घर में

बच्चों की किलकारियों से गदगद हो उठीं और बच्चों को उन का पसंदीदा मिल्कशेक बना

कर दिया.

तभी बाई का फोन आया कि वह 2 दिन नहीं आ सकेगी.’’

‘‘अच्छा, ठीक है,’’ कह कर उन्होंने अपने घर जाते बच्चों को अलविदा कहा और फिर सिंक में भरे बरतन मांज कर रात के लिए भोजन की तैयारी करने लगीं. बच्चों के स्टडीरूम से कागज फटने और कैंची चलने की आवाज सुनाई दी तो चौंक कर स्टडीरूम में गईं. देखा कि प्लास्टिक की कैंची से कागज को सैट कर बेटियां अपनी कौपी में कवर चढ़ा रही हैं.

‘‘मां आप बिजी थीं न इसलिए हम ने

सोचा अपना काम खुद कर लेते हैं और मां आप हमें भी मूंग की खिचड़ी खिला दो,’’ दोनों एकसाथ बोलीं.

‘‘न, न, बच्चों, तुम्हारे लिए आलू के परांठे तुम्हें सेंकने जा रही हूं. सब तैयारी कर ली है,’’ मां ने कहा.

‘‘अच्छा मां हम दोनों एक ही प्लेट में खा लेंगी,’’ और फिर वे खुद ही रसोई मे पहुंच गईं और धुले हुए सूखे बरतन सैट करने लगीं.

मां संदीप को खिचड़ी खिला दवा दे दी. फिर अपनी उन सहेलियों के संदेश फोन पर देख कर जवाब लिखने लगीं, जिन्हें उन्होंने दोपहर बाद घबरा कर तनाव में संदीप को बुखार आ रहा है, ऐसा संदेश भेजा था.

रात उन्हें न जाने क्यों बहुत देर से नींद

आई और फिर पता ही नहीं चला कि कब

सुबह के 5 बज गए. वे उठ कर तत्परता से रसोई में जुट गईं. बच्चियां टिफिन ले कर हंसतीहंसती स्कूल चली गईं. मां ने संदीप को दूध का दलिया खिला कर आराम करने को कहा.

अभी सुबह के 10 ही बजे होंगे कि दरवाजे पर दस्तक हुई. उस की सारी सहेलियों का एकसाथ आगमन हुआ. उन की चिंताभरी परवाह ने उन्हें गदगद कर दिया.

‘‘संदीपजी अरे, कैसे आया बुखार?’’

‘‘ये सब आवाजें उन्हें रसोई में सुनाई दे रही थीं और वे अपनी सहेलियों के भरपूर स्नेह से भावविह्वल हो रही थीं.

कड़क चाय ले कर जब वे उन के पास गईं तो देखा कि सहेलियों की गपशप एकदूसरे से हो रही है और संदीपजी इस शोर के बीच भी गजब के खर्राटे भर रहे थे.

‘‘ओह, दवा का असर है,’’ उन्होंने अपनी सहेलियों से कहा और फिर रसोई में चली गईं.

वे सब उन के पास रसोई में आ कर ही चाय पीने लगीं. सहेलियों ने ही सिंक में भरे सुबह के सारे बरतन मिल कर साफ कर दिए और दोपहर के भोजन में यथासंभव मदद कर के सब

चली गईं.

पता ही नहीं चला कि कब बेटियां स्कूल से लौट आईं और सब से पहले पापा का बुखार अपने हाथों थर्मामीटर से जांच कर खुद ही

कहने लगीं, ‘‘मां, हम वही खाएंगे जो पापा खा रहे हैं.’’

उस के बाद छोटी बेटी पूछने लगी, ‘‘पापा, आप को यह बुखार कब तक रहेगा?’’

‘‘3 दिन तक रहेगा,’’ जवाब उस की बड़ी बहन ने दिया, ‘‘पापा से डाक्टर ने फोन पर यही कहा है. मैं ने स्पीकर में सुना था.’’

इसी बीच संदीप के मित्र भी आते रहे. मां शाम से रात तक काम में लगी रहतीं.

इस बीच उन्हें एहसास हुआ कि वे पिछली रात नाममात्र को ही सोई हैं इसलिए आंखें मुंद रही हैं.

रात के खाने और संदीप को दवा दे कर वे जैसे ही बिस्तर पर गईं एकदम से निढाल हो गईं.

सुबह जागीं तो घबरा ही गईं. 8 बज रहे थे.

‘‘ओह,’’ कह कर उन्होंने उठना चाहा पर पूरा बदन दर्द से टूट रहा था.

‘‘सो जाओ मुहतरमा,’’ कह कर पति ने कक्ष में प्रवेश किया. उन के हाथों में एक ट्रे थी जिस में चाय का कप रखा था.

‘‘अरेअरे, संदीप तुम्हें बुखार था. मैं इसीलिए यहां आ कर सो गई. मु झे जागने में बहुत देर हो गई. बच्चों का स्कूल…’’ कह वे उठने की नाकाम कोशिश करने लगीं.

संदीप ने उन से अनुरोध किया, ‘‘सुनो मेरी अर्ज मान लो… यह चाय पी कर

लेटे रहो.’’

‘‘ओह, पर बच्चे?’’ वे चाय के एक घूंट में ही तरोताजा हो गई थीं. फिर उठीं और संदीप का माथा छू कर देखा. बुखार बिलकुल नहीं था. उन्हें शांति मिली. परदा उठा कर दूसरे कमरे में देखा तो बच्चियां गहरी नींद में थीं.

उन का चिंताभरा चेहरा देख कर संदीप ने अनुरोध किया, ‘‘जी, गृहलक्ष्मीजी मैं बिलकुल फिट और हिट हूं, आप चुपचाप बैठे रहो और सुनो आज रविवार है.’’

‘‘ओह, अच्छा…’’ कह उन्होंने चैन से

चाय पी.

‘‘मैं अब नाश्ता तैयार कर रहा हूं और एक सलाह दे रहा हूं कि सेवा संतुलित हो कर ही किया करो. देखो, तुम ने 2 दिन मेरी इतनी ज्यादा तीमारदारी की कि अब तुम्हें खुद बुखार ने

जकड़ लिया.’’

‘‘आप ने कैसे पता लगाया?’’

‘‘अपनी हथेली के थर्मामीटर से,’’ कह

कर संदीप ने हंस कर एक और कप चाय उन्हें थमा दी.

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