खास दिन के लिए सजें कुछ ऐसे

शादी किसी भी लड़की की जिंदगी का सब से महत्त्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन हर किसी की नजर दुलहन पर टिकी होती है. इसलिए दुलहन का मेकअप और हेयरस्टाइल ऐसा होना चाहिए कि उस की खूबसूरती सब से बढ़ कर दिखे.

दिल्ली प्रैस में आयोजित फेब कार्यक्रम में मेकअप आर्टिस्ट सिमरन खन्ना ने ब्राइडल मेकअप और हेयरस्टाइल्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

ब्राइडल मेकअप

मेकअप के लिए पहले चेहरे को वैट टिशू से साफ करें और मौइश्चराइजिंग क्रीम लगाएं ताकि चेहरे का रूखापन दूर हो जाए. इस के बाद आंखों से मेकअप की शुरुआत करें. आंखों पर सब से पहले आईबेस लगाएं. इस से मेकअप अधिक देर तक टिकता है. इस के बाद लाइट कलर से शुरुआत करें जैसे लाइट ब्राउन, फिर डार्क कलर की तरफ बढ़ें. ब्राउन कलर से क्रौसलाइन को भरते हुए एक एरिया डिफाइन करें ताकि यह पता चल सके कि कहां और कौन सा कलर लगाना है. फिर आईबौल पर कपड़ों से मैच करता हुआ कलर लगाएं. अब ब्रश से अच्छे से ब्लैंड करें ताकि कोई भी कलर एक जगह रुका हुआ नजर न आए. इस के बाद आईब्रोज डार्क ब्राउन कलर से डिफाइन करें.

अब आंखों पर जो आईलैशेज सूट करें, लगाएं. आईलैशेज ग्लू अच्छी कंपनी का होना चाहिए नहीं तो आईलैशेज निकलने का डर रहता है. फिर आईलाइनर लगा कर आंखों के नीचे लाइट ब्राउन और फिर डार्क ब्राउन कलर से हलकी ब्लैंडिंग करें. आंखों के अंदर काजल भरें. अब आंखों का मेकअप होने के बाद चेहरे पर प्राइमर लगाएं जिस से चेहरे के रोमछिद्र (पोर्स) बंद हो जाएं और हमारे चेहरे की त्वचा भी स्मूद हो जाए.

इस के बाद कंसीलर का प्रयोग करें. यह चेहरे पर मौजूद दागधब्बों, दानों या किसी भी तरह के मार्क्स छिपाने के काम आता है. कंसीलर त्वचा से मैच करते कलर का होना चाहिए. अब चेहरे के मैचिंग कलर का बेस लगाएं और एक या दो शेड लाइट कलर से हाईलाइट करें. फिर ब्लशर और हाईलाइटर लगाएं और लिपपैंसिल से होंठ की शेप बना कर लिपस्टिक लगाएं. अंत में मेकअप फिक्सर से उसे सैट करें.

ब्राइडल हेयरस्टाइल्स

खूबसूरत हेयरस्टाइल्स के लिए बालों में अच्छे से शैंपू करना जरूरी है, लेकिन कंडीशनर आवश्यक नहीं है. कोई भी हेयरस्टाइल बनाने से पहले ब्लोड्रायर या क्रिंपिंग करना जरूरी है. इस से हेयरस्टाइल बनाना आसान हो जाता है.

पोनी डोनट: बालों में इयर टु इयर पार्टीशन कर के पीछे के बालों की पोनी बनाएं. फिर आगे छोड़े हुए बालों में टीका सैट करते हुए इन की बैककौंबिंग करें ताकि इन में अच्छे से बाउंस आ जाए और आगे से इन्हें एक अच्छा लुक मिल जाए. अब बालों में आजकल के फैशन के हिसाब से लाइंस बनाएं और आगे के लुक को कंपलीट करें.

इस के बाद पीछे के बालों में डोनट लगाएं और पोनी के बालों से उस डोनट पर मनचाहे तरीके से डिजाइन बनाएं. आखिर में उस पर फूलों से डैकोरेशन करें.

नैट हेयरस्टाइल: सैंटर पार्टिंग कर बालों में इयर टु इयर पार्टीशन करें. फिर पीछे के बालों से सैंटर में बैककौंबिंग करें. अब पीछे के बालों से 3 पोनी बनाएं. उन तीनों में अच्छे से बैककौंबिंग करें. अब नैट ले कर एक पिन से पोनी को लौक कर लें. आगे के बालों में बैककौंबिंग कर के मनचाहे तरीके से बालों को सैट करें.

आगे के बालों को चेहरे के अनुसार डिजाइन करें. लंबे चेहरे पर बहुत ज्यादा हाइट नहीं दी जाती जब कि छोटे गोल चेहरे पर अच्छी हाइट दी जा सकती है. आगे का हिस्सा कंपलीट करने के बाद पीछे की हुई पोनी, जिस पर नैट लगाया था, को एकएक कर सैट करें और बौब पिन से लौक करें. नैट लगाने से हेयर डू को एक बहुत अच्छा लुक मिलता है. अब हेयर डू पूरा होने के बाद उसे छोटेछोटे फूलों से सजाएं.

स्टफ्ड हेयरस्टाइल: आगे के बालों में सैंटर पार्टिंग करें. पीछे के बालों में क्रिंपिंग करें ताकि बालों में वौल्यूम आ सके. अब उन को पिन से लौक कर एक हैवी स्टफिंग लगाएं. उसे पिन से लौक करें. आगे के बालों को अपने मनचाहे तरीके से सैट करें. पीछे स्टफिंग के ऊपर नीचे के बचे हुए बालों से एक कोने से शुरुआत करते हुए एक के ऊपर एक बालों की लेयर लें और स्टफिंग को ढक दें. अब छोटेछोटे फूलों से इसे डैकोरेट करें.

लहंगे से सजी दुलहन

जब सुहाग की लाली हाथों में लगी मेहंदी के बूटों से होती हुए तन पर सजे लहंगे पर बिखर जाती है, तो किसी के हो जाने के अहसास भर से रूप निखर जाता है. जो बात लहंगे में है, वह और किसी परिधान में कहां. विवाह अवसर पर दुलहन के लहंगे के साथ मेकअप के लिए किन बातों का खयाल रखना चाहिए, आइए जानते हैं ऐल्पस क्लिनिक और एकैडमी की फाउंडर भारती तनेजा से.

स्ट्रेट कट लहंगा

बर्ड औफ पैराडाइज मेकअप स्ट्रेट कट लहंगे पर सूट करता है. यह नया स्टाइल है जो कि स्मोकी आई या फिर कैट आई मेकअप का अपग्रेडेड वर्जन है. इस आई मेकअप को करने के लिए ज्यादा रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप को यह कलर ज्यादा भड़कीला लगे तो इसे काले रंग के साथ अट्रैक्टिव बना सकती हैं. इस लुक को पाने के लिए निऔन और पिंक रंग की अपेक्षा पीकौक जैसे रंगों का चुनाव करें.

मेकअप को करते समय इस बात का ध्यान रखें कि ये रंग एक ही तरह के न हों. इस के लिए नरिशिंग मौइश्चराइजर से चेहरे और गरदन पर मसाज करें. गालों व जौलाइन के नीचे और माथे के ऊपरी हिस्से पर कंटूरिंग के लिए गहरा शेड लगाएं. आंखों के नीचे करैक्टर लगाएं.

चेहरे के बाकी हिस्से पर फाउंडेशन लगाएं. गीले स्पौंज की मदद से ब्लैंड करें. चीकबोंस के ऊपरी हिस्से पर हाईलाइटर लगाएं और गालों के उभारों पर गुलाबी ब्लश थपथपाएं. नैचुरल लुक के लिए इन्हें अच्छी तरह ब्लैंड करें.

गहरे शेड के बैंगनी आईशैडो को पैंसिल ब्रश की मदद से विंग्ड शेप में लगाएं. इसे लैशलाइन से शुरुआत करते हुए आंखों के बाहरी हिस्सों तक लगाएं और उस के बाद अपनी नैचुरल क्रीज लाइन तक इसे बढ़ाएं. आइलिड्स के बीचोंबीच चटक नीला आइशैडो लगाएं. नीले का गहरा शेड लें और बैंगनी व चटक नीले आइशैडो को ब्लैंड करने के लिए इस्तेमाल करें.

निचली लैशलाइन पर गुलाबी या बैंगनी आइशैडो लगाएं. निचली वाटरलाइन पर काजल लगाएं. गुलाबी न्यूड लिप कलर से अपने लुक को पूरा करें.

अनारकली लहंगा

अनारकली लहंगे के साथ ऐथनिक लुक का मेकअप बड़ा सूट करता है. ऐथनिक मेकअप के लिए काजल बहुत जरूरी है. यदि किसी डे इवेंट के लिए सिंपल अनारकली लहंगा पहना है तो बेसिक आई लाइनर लगाने के बाद लोअर लैशलाइन पर काजल लगाएं.

यदि इवेंट नाइट में है तो स्मोकी आइज मेकअप के लिए डार्क काजल लगा कर खूबसूरती बढ़ा सकती हैं. ऐथनिक वियर के साथ जो ज्वैलरी कैरी की जा रही है उस के हिसाब से मेकअप किया जाना भी जरूरी है.

हैवी गोल्ड ज्वैलरी के साथ हाईलाइट मेकअप जैसे ग्लिटरी ड्रैमेटिकल आईज मेकअप करना ब्यूटी के बेसिक रूल्स के खिलाफ है. ऐथनिक लुक के लिए ब्लश करता हुआ चेहरा अच्छा लगता है. इसलिए मेकअप करने के पहले चेहरे को क्लीन कर के फ्रैश लुक देना चाहिए. ऐथनिक लुक में ब्राइट कलर लिपस्टिक जंचती है लाइट शेड नहीं.

फिश कट लहंगा

फिश कट लहंगे के साथ न्यूड मेकअप के जरिए आप पौलिश्ड एवं आकर्षक लुक पा सकती हैं. न्यूड मेकअप आप की त्वचा को इवन टोन रखता है. आप का मेकअप बेस जितना न्यूट्रल होगा आप उतनी ही खूबसूरत लगेंगी. डार्क स्किन के न्यूड मेकअप के लिए ब्रौंज या गोल्डन कलर की लिपस्टिक आप को शाइनर लुक देगी. डार्क स्किन टोन पर गोल्डन ब्राउन आईशैडो के साथ पिंक ब्राउन शेड में ब्लशर का प्रयोग करें. मीडियम स्किन के न्यूड मेकअप के लिए मोव कलर का लिप शेड लुक को फ्लालैस टच देता है. इस तरह की स्किन के लिए पेल गोल्डन ब्राउन आईशैडों के साथ पिंक ब्राउन में ब्लश का प्रयोग करें. यह आप को नैचुरल लुक देगा.

फेयर स्किन के न्यूड मेकअप के लिए चीक बोंस पर अच्छे से हनी ऐप्रीकौट कलर में ब्लश लगाएं. अपनी आंखों के साकेट्स पर लाइट कलर में शिमरी आईशैडो का प्रयोग करें. अपने लिप्स को न तो ओवरग्लौसी होने दें न ही मैट लगने दें. इस के लिए आप क्रीम बेस्ड लिप शेड या बाम का उपयोग कर सकती हैं. इस से आप का चेहरा और भी ज्यादा निखरा हुआ लगेगा. नैचुरल मेकअप के साथ खुले स्ट्रेट बाल, छोटी सी बिंदी और मांग टीका वैडिंग डे पर आप का परफैक्ट लुक हो सकता है.

हैवी वर्क लहंगा

इस के साथ आप अरैबिक मेकअप ट्राई कर सकती हैं. अरैबियन लुक में सब से अहम है आई मेकअप. इस में आंखों का मेकअप काफी वाइब्रैंट और कलरफुल किया जाता है. आंखों को आकर्षक बनाने के लिए उन के इनर कौर्नर्स पर सिल्वर, सैंटर में गोल्डन व आउटर कौर्नर्स पर डार्क कलर का आईशैडो लगाया जाता है. इस के बाद कट क्रीज लुक देते हुए ब्लैक कलर से आंखों के आसपास कंटूरिंग की जाती है. इस से आंखें स्मोकी, बड़ी और आकर्षक नजर आती हैं. आईब्रोज के नीचे पर्ल गोल्ड शेड से हाईलाइटिंग की जाती हैं. आंखों में चमक जगाने के लिए आईलिड पर ग्लिटर्स लगाए जाते हैं.

आंखों को कंप्लीट सैंसुअल लुक देने के लिए पलकों पर आर्टिफिशियल लैशेज जरूर लगाएं. लैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर के मसकारे का कोट लगाएं ताकि वे नैचुरल लैशेज की तरह लगें. वाटर लाइन पर बोल्ड काजल लगा कर आई मेकअप फिनिश करें.

-भारती तनेजा

(ऐल्पस ब्यूटी क्लिनिक ऐंड एकैडमी)

छत्तीसगढ़ में इन जगहों पर जरूर जाएं

छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हुआ राज्य है. जो प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर है. यह प्रदेश ऊंची नीची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ घने जंगलों वाला राज्य है. यहां के वनों में कई प्रकार के पेड़- और जड़ी बूटियां पाई जाती हैं. अगर यहां के पर्यटन की बात करें तो छत्तीसगढ़ एक खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. आइए जानते हैं कि आप छत्तीसगढ़ में किन जगहों पर घूमने आएं.

सिरपुर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सिरपुर की दूरी 84 किमी. है. यहां कई छोटे-छोटे गांव भी हैं जिन्होंने अपनी अलग ही दुनिया बसा रखी है, आप यहां आकर खुद को प्रकृति के बेहद करीब महसूस करेंगी अगर आप फ्लाइट से सिरपुर आना चाहती हैं तो हम आपको बता दें कि सबसे करीबी एयरपोर्ट रायपुर एयरपोर्ट है, यहां से मुंबई, दिल्ली, नागपुर,भुवनेश्वर, कोलकाता, रांची, विशाखापट्टनम और चेन्नई की डायरेक्ट फ्लाईट मिलती हैं. इसके आलावा ट्रेन और बस की भी सेवा आसानी से उपलब्ध है.

कांगेर वैली नैशनल पार्क

खूबसूरत और विशाल पहाड़ों ,घने जंगल, बड़े पेड़ों और खूबसूरत फूलों का ये मनमोहक माहौल वन्यजीवों के लिए परफेक्ट है. कंगेर वैली नैशनल पार्क में कई वन्यजीवों का हर तरह की प्रजातियां पाई जाती है. यहां सालभर भारी संख्या में पर्यटकों की आावजाही लगी रहती है.

चित्रकोट वाटरफौल

चित्रकोट वाटरफौल को भारत को छोटा नियाग्रा फौल भी कहा जाता है. चित्रकोट वाटरफौल पूरे इंडिया में काफी मशहूर है और जो भी पर्यटक छत्तीसगढ़ देखने आते हैं, वे बिना इसे देखे नही जाते. यह खूबसूरत वाटरफौल इंद्रावती नदी पर बस्तर के जगदलपुर से 38 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह 95 फीट ऊंचा है. घोड़े के आकार का यह वाटरफौल जुलाई से अक्टूबर के बीच मौनसून के समय काफी खूबसूरत और भव्य लगता है. इस खूबसूरती को आप अपने कैमरे में कैद करके एक रोमांचक याद के तौर पर रख सकती हैं. रायपुर एयरपोर्ट से चित्रकोट वाटरफौल 284 किमी. दूर है.

1200 रुपये का करें निवेश, मिलेंगे 1 लाख रुपये

हर साल लाखों स्टूडेंट्स कालेजों से पढ़ाई कर के नौकरी की ओर बढ़ते हैं. शुरू शुरू में उन्हें बहुत ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं होती और ना ही उतने खर्चे होते हैं, लिहाजा उनके लिए सेविंग्स ज्यादा आसान होती है. और यकीन मानिए, इसी वक्त की सेविंग्स आपके भविष्य में काफी काम आती है.

इस खबर में हम आपको एक ऐसी स्कीम के बारे में बताएंगे जिससे आप छोटी छोटी सेविंग कर के अच्छी खासी रकम इक्कठ्ठा कर सकेंगी. अगर नौकरी शुरू करते ही पहले वेतन से 1200 रुपए महीना भी बचा लिया जाए तो दो 5 सालों में एक लाख रुपए का फंड आसानी से तैयार किया जा सकता है. ये बचत आप पोस्ट औफिस, बैंक और म्युचुअल फंड में निवेश कर के कर सकती हैं.

करें बैंक-पोस्ट, औफिस या म्युचुअल फंड में निवेश

आप एक लाख तक का फंड तैयार करने के लिए 2 से 5 साल की अवधि का निवेश कर सकती हैं. इसके लिए आपको पोस्‍ट आफिस में 1400 रुपए महीने से निवेश शुरू करना होगा, वहीं बैंक में 1900 रुपए से निवेश शुरू करके 1 लाख रुपए का फंड तैयार हो जाएगा. वहीं अगर आप कम निवेश कर के एक लाख तक का फंड इक्कठ्ठा करना चाहती हैं तो आप म्‍युचुअल फंड में निवेश करें. यहां पर 1200 रुपये महीने के निवेश से यह फंड तैयार हो जाएगा.

पोस्ट औफिस के लिए निवेश योजना

  • 1400 रुपए महीने से शुरू करें हर माह निवेश
  • 5 साल तक चलाना होगा यह निवेश
  • इस वक्‍त है ब्‍याज दर 6.9 फीसदी
  • 1 लाख रुपए का तैयार हो जाएगा फंड

कैसा हो सर्दियों का डाइटचार्ट

सर्दियों के मौसम में आप खूब खाना खा कर सेहत बना सकते हैं. इस दौरान डाइजेशन सिस्टम भी अच्छी तरह काम करता है. इन दिनों सभी हैवी डाइट खाना पसंद करते हैं. ड्राइफ्रूट्स और नट्स अपने डाइट चार्ट में शामिल कर सकते हैं. हैवी डाइट लेने की वजह से इन दिनों खूब कसरत करें. मौसम बदलते ही शरीर को चुस्तदुरुस्त बनाए रखने के लिए अपने खानपान में कुछ फेरबदल करना चाहिए.

हम जैसा भोजन करते हैं, हमारे तनमन पर उस का असर होता है. हैल्थ कौंशियस युवाओं के लिए यह मौसम चुनौती भरा होता है. ठंडे मौसम में एक्सरसाइज कर शरीर को ऊर्जावान बनाए रखना जरूरी है. साथ ही ऐसा आहार जिस की कम मात्रा लेने से शरीर को पूरी कैलोरी मिले. अधिकतर युवा सर्दियों में अपनी डाइट को ले कर कर कन्फ्यूज रहते हैं. इसलिए इस सर्दी में लो फैट विद हाई कैलोरी से भरपूर डाइटचार्ट पर आप ध्यान देंगे तो अपने शरीर के बढ़ते वजन को नियंत्रित रख पाएंगे और स्वस्थ रहेंगे.

सर्दियों की डाइट : इस मौसम में शरीर से थकान व आलस्य दूर भगाने के साथ ही दिन भर स्फूर्ति और ऊर्जा से भरपूर रहने के लिए युवाओं को डाइट चार्ट पर ध्यान देना चाहिए. अपने खानपान में उन सब चीजों को शामिल करें, जिस से शरीर को एनर्जी मिले और आप चुस्तदुरस्त बने रहें.

ब्रेकफास्ट : सुबह का नाश्ता ऊर्जावान होना चाहिए. नाश्ते में अंडे के साथ ब्रेड, उपमा सैंडविच, डोसा आदि का सेवन करें. रोजाना नाश्ते के बाद मलाई निकला एक गिलास गरम दूध पीना न भूलें. इस सब के साथ एक प्लेट फ्रूट या वेजीटेबल सलाद आप के नाश्ते को कंप्लीट करता है. नाश्ता हैवी होना चाहिए.

लंच स्पैशल :  दोपहर के भोजन में हरी सब्जी, चपाती, ताजा दही या छाछ, छिलके वाली दाल के साथ चावल, गरमगरम सूप लेना अच्छा रहता है. लंच में हरी चटनी भोजन में मल्टीविटामिन्स की कमी को पूरा करती है.

डिलीशियस डिनर : सर्दियों में रात को जल्दी भोजन करें. रात का भोजन दोपहर के भोजन की अपेक्षा हलका होना चाहिए. रात के भोजन में हमेशा हलका व साधारण खाना खिचड़ी या दलिया ले सकते हैं. सोने से कम से कम 4 घंटे पहले भोजन करने से शरीर में भोजन का पाचन ठीक तरह से होता है. सोने से पहले हलदी, खारेक या अदरक मिला एक गिलास गरम दूध जरूर पिएं.

स्वस्थ और निरोगी रहने के टिप्स :  कुछ आसान से घरेलू उपाय अपना कर हम इस मौसम में स्वस्थ व निरोगी रह सकते हैं. सर्दियों का मौसम शुरू होते ही सर्दी, खांसी और जुकाम का हमला तेज हो जाता है. अकसर लोग बीमार होने के बाद अपने खानपान में बदलाव के बारे में सोचते हैं जबकि बीमार होने से पहले ही यदि हम मौसम के अनुसार उचित आहार लेना शुरू कर दें तो शरीर को सर्दियों में स्वस्थ और निरोगी रखा जा सकता है.

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के नुस्खे काफी आसान हैं. पर्याप्त नींद लें और अपना खानपान सही रखें. सर्दी के मौसम में विभिन्न प्रकार के पोषक पदार्थ और जड़ीबूटियों का सेवन कर आप खुद को स्वस्थ और कई तरह के वायरल संक्रमण से बचा सकते हैं. इस मौसम में स्वस्थ रहने के लिए ऐसे आहार की जरूरत होती है जो शरीर को गरम रखें. आप को अस्थमा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसा कोई रोग है तो सर्दी में अपने खानपान पर विशेष ध्यान दें.

सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए अपने खानपान में खास फलों और सब्जियों का इस्तेमाल कर बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता. आइए, जानते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हें अपना कर हम सर्दियों में स्वस्थ रह सकते हैं :

सब्जियों का सेवन करें :  सर्दी में हरी सब्जियों को अपने भोजन में अवश्य शामिल करें, क्योंकि इन में प्रचुर मात्रा में विटामिन्स होते हैं, जो शरीर को गरम रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं. सर्दियों में पालक की सब्जी, बीटरूट, लहसुन, बथुआ, ब्रोकली, पत्तागोभी, गाजर का सेवन अवश्य करें.

मूंगफली का सेवन कर सर्दियों में रहें फिट :  सर्दी के दिनों में मूंगफली का सेवन अवश्य करें, क्योंकि मूंगफली में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल, आयरन, विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं. इसीलिए तो इसे गरीबों का बादाम कहा जाता है. सर्दी के मौसम में शरीर को गरम रखने और खून की मात्रा बढ़ाने के लिए मूंगफली और देशी गुड़ खाएं. इस का सेवन करने से आप स्वस्थ रहेंगे.

लहसुन का सेवन बचाएगा जुकाम से :  सर्दियों में लहसुन का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि और किचन में किया जाता है. आज विज्ञान भी इस के औषधीय गुणों को मान रहा है. सर्दी के मौसम में लहसुन का नियमित सेवन सर्दी, जुकाम और खांसी से छुटकारा दिला सकता है.

स्वस्थ रहने के लिए करें तिल का सेवन :  सर्दियों में तिल खाने से ऊर्जा मिलती है. तिल के तेल से मालिश करने से त्वचा मुलायम रहती है और ठंड से भी बचाव होता है. तिल और गुड़ का एकसाथ खाने से शरीर को जरूरी पोषक तत्त्व मिलते हैं. इम्युनिटी बढ़ती है और खांसीकफ से राहत मिलती है.

गाजर का सेवन फायदेमंद : गाजर में विटामिन प्रचुर मात्रा में होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आंखें भी स्वस्थ रहती हैं. सर्दी के मौसम में गाजर खाने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है.

स्वस्थ रहने के लिए बाजरा का सेवन करें :  देश के कई हिस्सों में सर्दियों में बाजरा अधिक खाया जाता है. बाजरे में मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन और एंटी औक्सीडैंट प्रचुर मात्रा में होते हैं. खास कर छोटे बच्चों को बाजरा अवश्य खिलाना चाहिए.

सर्दियों में हलदी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है :  सर्दियों में हलदी मिला गरम दूध रोजाना रात को पीने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है. इस में एंटीबायोटिक गुणों के साथ एंटीएलर्जिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी हैं. रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने के लिए यह श्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधि है.

स्वस्थ रहने के लिए मेथी का करें सेवन :  मेथी में विटामिन के, आयरन और फोलिक एसिड होता है. शरीर को गरम रखने के साथ ही यह खून की मात्रा बढ़ाने में भी मददगार है.

बादाम का सेवन लाभदायक :  बादाम में प्रोटीन, फाइबर मिनरल होते हैं, जो सर्दी में मौसमी बीमारियों से बचाव करते हैं. सर्दी के मौसम में बादाम रोजाना खाने से दिमाग तो तेज होता ही है साथ ही कब्ज की समस्या से भी नजात मिलती है और डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी यह मदद करता है.

स्वस्थ रहने के लिए सर्दियों में फल देंगे पोषण और ऊर्जा :  सर्दियों में मौसमी फल जैसे संतरा, सेब, अनार, आंवला आदि खाना चाहिए, शरीर को पोषण, और ऊर्जा और गर्माहट देते हैं. फलों का जूस बना कर पीने से अच्छा है, आप सीधे स्वच्छ फल खाएं. इस से पाचन भी ठीक रहता है और पर्याप्त मात्रा में शरीर को फाइबर भी मिलता है.

च्यवनप्राश का सेवन है स्वास्थ्यवर्द्धक :  सर्दियों में च्यवनप्राश का सेवन जरूर करें सुबहशाम एक चम्मच च्यवनप्राश के साथ एक ग्लास गरम दूध पीने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है. यह बुढ़ापे दूर करने के लिए सब से अच्छा तरीका है.

वर्जनाएं टूटेंगी…जब किचन की दीवारें ढहेंगी

तब मेरी उम्र कोई सात-आठ साल की रही होगी, जब मेरी परदादी जिन्दा थीं. लखनऊ में हमारा घर काफी बड़ा था. दरअसल यह पुराने वक्त की बनी एक कोठी थी,  जिसमें ड्रौइंग रूम, डायनिंग रूम, बेडरूम, आंगन, रसोईघर, बाथरुम सब अलग-अलग बने हुए थे. आज भी बनारस, लखनऊ, मथुरा, कानपुर, इलाहाबाद में ऐसी पुरानी कोठियां मौजूद हैं, जहां ऐसे पुराने आर्किटेक्चर दिखते हैं, जिसमें बड़े से आंगन के चारों ओर कमरे बने होते हैं. मेरी मां का ज्यादातर वक्त रसोईघर में बीतता था, जो बड़े से आंगन के उस पार बना था. आंगन के इस पार सबके सोने के कमरे बने थे. रसोईघर का एक दरवाजा आंगन की ओर और दूसरा अनाज के गोदाम में खुलता था.

इस रसाईघर में मां घर के पुराने नौकर की मदद से सबके लिए खाना तैयार करती थीं. नौकर उस खाने को डायनिंगरूम में लाकर टेबल पर सजाता था. फिर सब लोग वहां बैठ कर खाना खाते थे. खाने के वक्त भी मां डायनिंग टेबल पर नहीं होती थीं. वह उस वक्त भी रसोईघर में ही काम में जुटी रहती थीं. रोटियां-पूड़ियां तलती-बनाती, गर्म-गर्म निकाल कर डाइनिंग रूम में भिजवातीं. नौकर रसोईघर और डायनिंग रूम के बीच भाग-भाग कर डोंगे में खाना भर-भर कर पहुंचाता था. जब सब लोग खा लेते थे, तब सबसे अन्त में मां के खाने का नम्बर आता था, और वह रसोईघर में ही अपनी थाली लेकर बैठ जाती थीं.

उनका साथ अगर कोई देता था तो वह थीं मेरी परदादी, जो 85 साल की उम्र में भी लाठी टेकती आंगन पार करके मेरी मां के पास रसोइघर में जाकर बैठ  जातीं और वहां मां के साथ ही खाना खाती थीं. मैंने कभी अपनी मां और परदादी को हमारे साथ टेबल पर बैठ कर खाना खाते नहीं देखा था. उनकी जिन्दगी जैसे रसोईघर की चारदीवारी में ही सिमट कर रह गयी थी.

परदादी बताती थीं कि जब वह छोटी थीं, तब उनके मायके में सब लोग एक साथ रसोईघर में ही खाना खाते थे. तब घरों में मिट्टी के चूल्हे होते थे. कोने में बने चूल्हे के सामने बैठ  कर उनकी मां रोटियां सेंकती थीं और उनके पास ही सब लोग जमीन पर बिछे आसन पर पालथी मार कर खाना बनाने के लिए बैठ जाते थे. उनकी मां एक एक कर गर्मा-गरम रोटियां सबकी थालियों में डालती जाती थीं.

आज सोचती हूं तो मुझे अपनी मां की रसोई से ज्यादा बेहतर परदादी की रसोई लगती है, क्योंकि वहां खाना बनाने वाली गृहणी घर के बाकी सदस्यों के साथ तो होती थी. वह खाना बनाते-बनाते उनसे बातचीत-हंसी मजाक भी करती रहती थी, मेरी मां की तरह रसोईघर में अकेली नहीं जूझती थी. आधुनिक घरों में या फ्लैट सिस्टम में हालांकि रसोईघर और डायनिंग रूम पास आ गये हैं, मगर दीवारें अभी भी हैं बीच में. मैं जब अपनी रसोई में खाना बनाती हूं, तब मेरे पति ड्राइंग रूम में सोफे पर पसरे आराम से टेलीविजन देख रहे होते हैं, या दोस्तों के साथ गपशप करते हैं अथवा बच्चों के साथ मस्ती करते हैं.

बच्चे भी वहां पढ़ाई या खेल में बिजी होते हैं. मेरे सास-ससुर भी अपने कमरे में या ड्राइंगरूम में होते हैं. खाना बनने के बाद जरूर हम सब एक साथ डाइनिंग टेबल पर आकर बैठते हैं,  मगर वह वक्त बस आधे घंटे का ही होता है और उसके बाद मैं फिर रसोईघर समेटने में बिजी हो जाती हूं, अकेली, नितांत अकेली. लगता है जैसे मेरी जिन्दगी सिर्फ रसोईघर तक सीमित रह गयी है. रसोईघर के दायरे में ही दिन का अधिकांश वक्त बीत जाता है. जैसे बस यही एक जगह निश्चित कर दी गयी है मेरे लिए और बाकी पूरे घर पर अन्य सदस्यों का कब्जा है. यह अघोसित सी सीमारेखा मेरे भीतर झुंझलाहट पैदा करती है. ऐसा क्यों है?

इसकी वजह हैं ये दीवारें, जिन्होंने मुझे मेरे अपने घर के सदस्यों से जुदा कर दिया है. मैं दुख  में हूं, रो रही हूं, इसका बाहर बैठे लोगों को पता ही नहीं चलता. बाहर किसी ने चुटकुला सुनाया, कोई मजेदार बात हुई, टेलीविजन पर कोई कौमेडी सीन आया,  सब हंस रहे हैं मगर मुझे पता नहीं चलता. ये दीवारें जो हैं हमारे बीच में. ये दीवारें गिरनी चाहिए. तभी मैं जुड़ पाऊंगी अपने पूरे घर से. तब मुझे लगेगा कि सिर्फ ये रसोई नहीं, बल्कि पूरा घर मेरा है. ये दीवारें मेरे अपनों से मुझे अलग कर रही हैं. मेरे अधिकारों को सीमित कर रही हैं। मेरी खुशियों को छीन रही हैं. इन दीवारों को ढहना चाहिए.

मैं अपनी कल्पना में नये घर को देखती हूं. एक ऐसा घर जहां मेरी रसोईघर के आगे कोई दीवार नहीं है. जहां काम करते हुए मैं ड्राइंग रूम में रखे टेलिविजन पर अपना मनचाहा सीरियल देख रही हूं. सामने सोफे पर बैठे अपने पति से बातचीत कर रही हूं. अपने बच्चों की हरकतों पर नजर रखी हूं. उनके साथ हंसी-मजाक कर रही हूं. यही नहीं, घर में आने वाले मेहमानों से भी मैं रसोई का काम करते-करते ही गपशप कर रही हूं. अगर मेरी कल्पना की रसोई मुझे मिल जाए, तब मुझे अपना काम भी भार नहीं लगेगा. खेल-खेल में सारा काम फटाफट निपट जाएगा. सच कहूं तो मेरी कल्पना की नयी रसोई कुछ-कुछ मेरी परदादी की रसोई से मिलती-जुलती ही है. भले मेरी रसोई में मिट्टी का चूल्हा नहीं होगा, उसकी जगह आधुनिक गैस चूल्हा होगा, जिसके ऊपर सुन्दर चिमनी लगी होगी, और सबसे खास बात यह होगी कि घर के सारे सदस्य मेरे आसपास ही होंगे.

घर एक ऐसी जगह है जहां पांच-छह जने एक दूसरे के सुख-दुख  में भागीदार होते हुए साथ रहते हैं. ऐसे में यदि गृहणी का अधिकांश वक्त चार दीवारों से घिरी एक छोटी सी रसोई में ही व्यतीत हो जाए, तो यह ठीक नहीं है.

इस बात को पाश्चात्य सभ्यता के लोग ज्यादा अच्छी तरह समझते हैं. इसीलिए उन्होंने अपनी रसोई की दीवारें ढहा दी हैं. जरा एक नजर उनके घर की बनावट पर डालिये. खासतौर पर उनकी रसोई को देखिए. ड्राइंग रूम से लेकर रसोईघर तक कैसा खुला-खुला, साफ सुथरा और सजा हुआ घर नजर आता है. उनके घर में दीवारें बस बेडरूम और बाथरूम में ही होती हैं, जो जरूरी भी है. रसोईघर में सामने की स्लैब पर बनाने सम्बन्धी सारे उपकरण, गैस चूल्हा, सिंक वगैरह लगा होता है और उसके सामने ही डायनिंग टेबल या सुन्दर सी स्लैब के चारों ओर बैठने के लिए कुर्सियां लगी होती हैं. सामने ही ड्राइंग रूम है, जिसकी दीवार पर टेलीविजन लगा है.

रिमोट गृहणी के पास है और वह रसोईघर में खाना बनाते-बनाते अपना मनपसंद प्रोग्राम भी देख रही है. उसकी निकटता लगातार अपने घर के दूसरे सदस्यों के साथ बनी रहती है. सब एकदूसरे की नजरों के सामने हैं, बातें कर रहे हैं, हंसी-मजाक कर रहे हैं, एक-दूसरे के काम में हाथ भी बंटा रहे हैं. कहीं कोई तनाव नहीं, कोई अकेलापन नहीं.

मेरे विचार से दीवारें दूरियां पैदा करती हैं. अपनों के बीच दायरे खिचती हैं. घर बंट जाता है. किचन में पत्नी का अधिकार, ड्राइंगरूम पर पति का हक, हौल में बच्चों का जमावड़ा और लौन, बालकनी या बरामदे में सास-ससुर का कब्जा. ज्यादातर घरों में सदस्यों के बीच कुछ ऐसा ही बंटवारा नजर आता है. सब बंटे-बंटे, खिचे-खिंचे से रहते हैं. वजह हैं दीवारें. ये दीवारें हट जाएं तो सब एक हो जाएं. कई वर्जनाएं टूट जाएं. गृहणी के अधिकार के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो जाए. रिश्तों में और मजबूती आ जाए.

एक गृहणी के लिए यह अहसास जरूरी है कि सिर्फ यह रसोईघर ही नहीं, बल्कि पूरा घर उसका अपना है, यह भाव पैदा होते ही उसका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ना निश्चित है क्योंकि दीवारें हटेंगी तो सकुचाहट दूर होगी. डरी-सहमी, लज्जा में लिपटी नारी की जगह एक स्मार्ट, कार्यकुशल और ओजस्वी नारी पैदा होगी. दीवारें हटेंगी तो रसोईघर सबकी नजरों के सामने होगा, ऐसे में जैसी सजावट वह अपने ड्राइंगरूम की करती है, वैसी ही सजावट और सफाई वह रसोईघर की भी रहेगी.

अगर फूलों का गुलदस्ता ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ा रहा है, तो एक गुलदस्ता रसोईघर की शोभा में भी चार चांद लगाएगा. खूबसूरत तस्वीरें ड्राइंगरूम और हौल से लेकर रसोईघर तक की दीवारों को रौनक प्रदान करेंगी. खुली रसोई के हजार फायदे हैं. मेरे नये रसोईघर में कोई दीवार नहीं होगी. खुले होने की वजह से उसका रख- रखाव सुन्दर ढंग से होगा और फालतू की चीजें भी इकट्ठा नहीं होंगी. हर चीज करीने से लगी होगी, जिससे काम करने में भी सुविधा होगी.

मुझे याद है मेरी मां एक पुरानी सी साड़ी पहने रसोईघर में अकेले खाना बनाती रहती थी. मैं उनकी पुरानी साड़ी देखती और घर के अन्य लोगों के कपड़ों से उसकी तुलना करती थी. घर के बाकी लोग कैसे सजे-संवरे रहते थे,  मगर मां बस वही पुरानी साड़ी में नजर आती थी. मेहमानों के आने पर कैसे बाकी लोग ड्राइंग रूम में चहक-चहक कर बातें करते, अपनी शानो-शौकत दिखाते, मगर मां रसोईघर से बाहर ही नहीं निकलतीं. मैं मां से कहती, ‘क्या मां तुम बस ये दो साड़ियां निकाल लेती हो और महीनों उन्हें ही बदल बदल कर पहनती रहती हो?’ मां जवाब देतीं, ‘क्या करना है बेटी, रहना तो रसोई में ही है और यहां कौन आ रहा है मुझे देखने?’ मां की बात सुन कर मुझे बड़ी खीज होती थी.

ऐसा नहीं था कि उनके पास कपड़े नहीं थे या उसे साज-सज्जा का शौक न था. सैकड़ों साड़ियां थीं, सुन्दर-सुन्दर गहने थे, मगर उनका सारा दिन तो रसोईघर में ही बीत जाता था, जो आंगन के दूसरे कोने में थी. अब कोई बाहरी व्यक्ति आ भी गया तो वह कौन सा रसोईघर में जाने वाला है कि मां को पुरानी साड़ी में शर्म महसूस हो! लिहाजा उसके सारे कपड़े सन्दूकों में ही बंद रह गये और उनकी साज-सज्जा की चाहतों ने उनकी जवानी में ही दम तोड़ दिया. मेरी मां घर की मालकिन होते हुए भी नौकरानी बन कर रह गयी, इसकी वजह थी दीवारें.

मैं इन दीवारों को गिरा दूंगी. मैं अपनी चाहतों को दम नहीं तोड़ने दूंगी. हरगिज नहीं. मैं वर्जनाएतोड़ूंगी. मेरी रसोई बिना दीवारों के होगी. ताकि मेरे कपड़े अलमारियों में न धरे रह जाएं. मेरी साज-श्रृंगार की हसरतें न मर जाएं. मेरे घर में मेहमान आएं तो मुझे खुद पर शर्म नहीं,  बल्कि गर्व महसूस हो और मैं भी घर के अन्य सदस्यों की तरह साफ-सुथरी, सजी धजी नजर आऊं. मैं अगर घर की मालकिन हूं तो मालकिन की तरह दिखायी भी दूं. मालकिन की तरह पूरे घर पर राज भी करूं. मैंने तो अपने नये घर के नये किचेन का खाका खींच लिया, और आपने ?

दांपत्य में घटता सैक्स और बढ़ता अलगाव

वर्तमान में विवाहित जोड़ों के जीवन से सैक्स बाहर होता जा रहा है. यह समस्या दिनदूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रही है, जबकि बैस्ट सेलर उपन्यास ‘हाउ टु गैट द मोस्ट आउट औफ सैक्स’ के लेखक डैविड रूबेन का कहना है, ‘‘यदि सैक्स सही है तो सब कुछ सही है और यदि यह गलत है तो कुछ भी सही नहीं हो सकता. यही कारण है कि यह सहीगलत का समीकरण बहुतों के जीवन पर हावी हो रहा है.’’

27 वर्षीय माया त्यागी के जीवन पर भी यह समीकरण हावी हो रहा है. कुछ माह पहले हुए इस विवाह ने युवा मीडिया प्रोफैशनल के जीवन में सब गड़बड़ कर दिया, क्योंकि माया का पति कार्य के प्रति पूर्णतया समर्पित है, इसलिए उन के आपसी संबंधों पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है. माया का पति हमेशा व्यस्त रहता है. शाम को भी घर देर से आता है और इतना थका होता है कि उस के लिए कुछ भी करना मुश्किल होता है. शादी के बाद भी उस का व्यस्त कार्यक्रम नहीं बदला.

माया कहती है,‘‘वैसे, शुरू में सैक्स ज्यादा बड़ी समस्या नहीं थी. जब भी हम साथ होते थे तो सैक्स होता था और मुझे यह जीवनशैली बुरी नहीं लगती थी. लेकिन धीरेधीरे हमारे यौन संबंधों में कुछ दिन का अंतराल आने लगा और फिर धीरेधीरे यह अंतराल बढ़ता चला गया. मेरे पति को इस बात से जैसे अब कोई मतलब नहीं रहा. अब हम मुश्किल से महीने में 1 बार सैक्स करते होंगे और वह भी आननफानन में.’’

पहली रात में अलगाव

बहुत सारे ऐसे केस हैं जहां शारीरिक समस्याएं पहली रात से ही शुरू हो जाती हैं. सुनील व रेशमा के साथ ऐसा ही हुआ. वे शादी के बंधन में बंधने से पहले ही अच्छे दोस्त बन चुके थे. उन के बीच से अजनबीपन पूरी तरह से मिट गया था. लेकिन पहली बार बिस्तर पर सैक्स करने के बाद ही उन की समस्या की शुरुआत हो गई.

29 वर्षीय सुनील उस रात प्यार की सारी सीमाएं तोड़ना चाहता था, जबकि उस की मित्र से पत्नी बनी रेशमा अपनी सुंदर दोस्ती को बरबाद नहीं होने देना चाहती थी. रेशमा के प्रतिकार की वजह से उस रात उन्होंने कुछ नहीं किया और फिर यही सामान्यतया रोज होने लगा. आदमी रोजाना जिद करे और पत्नी मना करे तो क्लेश होता ही है.

कुछ माह के बाद सुनील ने तलाक का केस दायर कर दिया. जब भी वह अलगाव का मुद्दा छेड़ता तो उस के विवाहित साथी उसे अलग होने को कहते जबकि अविवाहित साथी सुनील से कहते कि वह धैर्य रखे, उदास न हो, क्योंकि उस के पास पत्नी के रूप में एक बहुत अच्छी दोस्त है, जिस के साथ वह सब कुछ बांट सकता है और सैक्स तो वैसे भी कुछ सालों में हवा हो जाता है.

इन सब परेशानियों के होते हुए भी सुनील व रेशमा बाहर फिल्म, कला प्रदर्शनी देखने जाते, भोजन के लिए जाते. खास मौकों पर एकदूसरे को तोहफा भी देते. बल्कि रेशमा ने तो सुनील के जन्मदिन व विवाह की वर्षगांठ को भी बड़े अच्छे तरीके से मनाया. अब 3 साल बाद दोनों के रिश्ते में सैक्स भी है और प्यार भी.

सुनील का कहना है ,‘‘मैं रेशमा के साथ खुश हूं. वह एक बहुत अच्छी दोस्त है. मैं उसे औफिस में क्या हुआ से ले कर मां से लड़ाई तक सब कुछ बता सकता हूं. यद्यपि शुरू में हमारे बीच लड़ाई होती थी. मैं उस के साथ सैक्स करना चाहता था, परंतु वह कहती थी कि दोस्ती और सैक्स हमेशा साथ नहीं चल सकते. तब मेरी मरजी थी. हम में से किसी का विवाहेतर संबंध नहीं था, परंतु स्वयं आनंद भी अनदेखा नहीं किया जा सकता.’’

सैक्स में कमी क्यों

आज सैक्स शहरीकरण की बहुत बड़ी समस्या है. विशेषज्ञ शहरी जोड़ों में सैक्स से दूरी के अलगअलग कारण बताते हैं. कुछ जोड़ों की डबल इनकम, आलीशान जीवनशैली, उच्च वेतन वाली नौकरियां, ब्रैंड लेबल आदि सब सैक्स की कमी के लिए जिम्मेदार हैं. उच्च आय वाले कामकाजी जोड़े अपने बैडरूम से ज्यादा समय अपने औफिस में बिताते हैं. उन का व्यस्त जीवन सैक्स के लिए जगह नहीं छोड़ता और फिर वे कोशिश करने में भी पीछे रह जाते हैं. हर चीज से मिलने वाली तुरंत संतुष्टि एक आदत बन जाती है.

डा. मन्नु भोंसले का कहना है कि आज के युवा जोड़ों के पास अपने साथी को यौन संतुष्टि प्रदान करने के लिए समय का अभाव होता है तथा घंटों काम करने से होने वाली शारीरिक थकान उन्हें सैक्स से दूर करती है, नशा भी सैक्स से दूरी बढ़ाता है. पत्नी की सैक्स में रुचिहीनता भी एक कारण है, क्योंकि ज्यादातर पुरुष औनलाइन सैक्स व खुद आनंद के आदि हो जाते हैं. ध्यान रखें सैक्स पतिपत्नी के लिए एकदूसरे के करीब आने का जरूरी माध्यम है. इसे नजरअंदाज करना दोनों के अलगाव का कारण बन सकता है.

साईं बाबा व्रत और उस की कथा : धर्मान्धता का नया उपक्रम

जब कोई नया फैशन चल पड़ता है तो पुराना फैशन आउटडेटेड हो जाता है. यही हाल हिंदुओं के व्रतों का है. एक समय देश में खासकर उत्तर भारत में ‘संतोषी माता व्रत’ की धूम मची थी लेकिन अब इस व्रत को लोग भूल से गए हैं.

हिंदू परिवारों में औरतों का हाल ‘7 दिन और 9 त्योहार’ जैसा है. सप्ताह के 7 दिनों में 1 दिन भी ऐसा नहीं है जिस दिन कोई व्रत न पड़ता हो. आजकल साईं बाबा वैभव लक्ष्मी को टक्कर दे रहे हैं, क्योंकि बाबा के नाम पर व्रत रखने का चलन चल पड़ा है. अब ‘वैभव श्री व्रत’ की तरह यह व्रत भी गुरुवार के दिन रखा जाता है. यही नहीं गुरुवार के दिन बृहस्पति व्रत का भी चलन है अर्थात एक दिन में 3 व्रत.

ये व्रत कैसे फैलते हैं यह भी एक रोचक घटना है. ज्यादातर व्रत पंडेपुजारियों और धर्म के दुकानदारों द्वारा किसी मंदिर या तीर्थ स्थानों से अफवाहें उड़ा कर फैलाए जाते हैं. तिलकधारी पेशेवर औरतों से महल्लों की महिलाओं में व्रत के फल का लाभ बताते हुए प्रचारप्रसार कराया जाता है.

साईं बाबा कौन थे, कब और कहां पैदा हुए इस का कोई निश्चित अतापता नहीं है. कथाकार के अनुसार साईं बाबा का यह व्रत ‘कामधेनु’ और ‘कल्पवृक्ष’ (दोनों काल्पनिक) की तरह सुंदर फल देने वाला है. व्रत रखने वाले पुरुषों व महिलाओं को धन, पुत्र, वर, वधू, नौकरी, पतिपत्नी को परस्पर प्रेम मिलने की गारंटी दी गई है. गड़ा हुआ धन, जमीनजायदाद, परीक्षा में सफलता, व्यापार में लाभ, स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती रहने, समस्त रोगों का निवारण, शत्रुनाश, मुकदे में जीत मिलेगी जैसे और भी कई तरह के पर्क्स जुड़े हुए हैं. कहने का मतलब यह है कि इस व्रत से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

व्रत की विधि

यह व्रत रखने वाला हर गुरुवार को स्नान के बाद पूर्व दिशा की ओर मुंह कर के बैठे. अपनी सामर्थ्य के अनुसार सफेद कपड़े में रुपए बांध कर सामने बिछाए और उस कपड़े पर साईं बाबा की तसवीर रखे. फिर साईं बाबा की 108 नामावली का पाठ करे. पाठ समाप्त होने के बाद 6 अध्यायों का वाचन करे व दूसरों को सुनाए. अंत में प्रसाद का वितरण करे.

उपरोक्त 6 अध्यायों की कथा अति संक्षेप में निम्न प्रकार है :

अध्याय 1 में लिखा है कि दिल्ली का गोपाल नामक व्यापारी मालदार था. उस का व्यापार भी खूब चलता था. अचानक व्यापार में घाटा होने से उस का व्यापार ठप्प हो गया. उस की पत्नी बहुत धार्मिक थी. एक दिन एक साधु भिक्षा मांगने आया. भिक्षा देने के बाद पत्नी ने अपने व्यापार में घाटा होने का जिक्र साधु से किया तो आशीर्वाद देने के बाद साधु ने कहा कि तुम 5/7/11/21 गुरुवार को ‘साईं बाबा का व्रत’ रखो तो तुम्हारे सारे संकट दूर हो जाएंगे. सेठानी ने ऐसा ही किया. कुछ दिन बाद सेठ गोपाल दास का व्यापार खूब चलने लगा और वह मालामाल हो गया.

आज दुनियाभर में मंदी का दौर चल रहा है जिस के चलते अनेक कपंनियों एवं 38 से अधिक बैंकों का दिवाला निकल चुका है. लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं. बैंक व कंपनियों के प्रबंधकों को चाहिए कि वे इस व्रत का पालन करें ताकि मंदी से उबर कर मालामाल हो सकें.

दूसरे अध्याय की कथा है कि एक अग्रवाल की नागपुर में कपड़े की 4 मिलें थीं पर मजदूरों के द्वारा हड़ताल करने से चारों मिलें बंद हो गईं. एक दिन सेठ के रिश्तेदार उन के घर आए. उन्हें मिलें बंद होने का पता चला. रिश्तेदार ने सेठ से गुरुवार को ‘श्री साईं बाबा व्रत’ रखने को कहा. सेठानी ने ऐसा ही किया और कुछ दिन बाद मिलें चालू हो गईं.

घाटे के चलते पिछले 2 वर्षों से मध्य प्रदेश राज्य परिवहन की बसें बंद हो गई हैं. वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों को पेट पालना कठिन हो रहा है. राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष को भी इस व्रत का पालन करना चाहिए ताकि पुन: बसें चलने लगें. इस से कर्मचारियों का भला होगा और यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी.

तीसरे अध्याय में लिखा है कि श्रीमती वर्मा की बेटी काली थी. इसलिए उस की शादी नहीं हो रही थी. इस से वे बहुत दुखी रहती थीं. एक दिन पार्वती नामक महिला को श्रीमती वर्मा के दुख के कारण का पता चला तो उस ने ‘श्री साईं बाबा व्रत’ रखने को कहा. श्रीमती वर्मा ने 5 गुरुवार व्रत रखे. 5वें गुरुवार के दिन लड़की का मामा एक इंजीनियर लड़के का रिश्ता ले कर आ गया. लड़के और उस के मातापिता ने लड़की को पसंद कर के बिना दहेज के शादी कर ली.

इसी कथा पर विश्वास कर के आजकल औरतें साईं बाबा व्रत का अधिक पालन करती हैं. पर शादियां व्रत रखने से नहीं हुआ करती हैं बल्कि प्र्र्रयास करने से होती हैं.

चौथे अध्याय में लिखा है कि एक रेडीमेड व्यापारी के उधारी के 4 लाख रुपए दूसरा व्यापारी नहीं दे रहा था, जिस से उस का व्यापार चौपट हो गया. यह खबर उस के मित्र अग्रवाल को लगी तो उस ने पहले व्यापारी से कहा कि तुम को पैसा जरूर मिलेगा. तुम ‘साईं बाबा व्रत’ रखने का संकल्प लो. रेडीमेड व्यापारी ने व्रत रखना शुरू कर दिया. दूसरे व्यापारी का हृदय बदला और तीसरे गुरुवार को वह 4 लाख रुपए घर आ कर दे गया.

आजकल बैंकों में पैसा जमा करने व निकालने वालों की कनपटी पर पिस्तौल अड़ा कर लाखों रुपए लूटे जा रहे हैं. लूटने वालों को पुलिस में रिपोर्ट करने के बजाय इस व्रत का पालन करना चाहिए. लुटेरों का हृदय परिवर्तन हो जाएगा और वे रुपए देने घर आ जाएंगे.

5वें अध्याय में आया है कि कमल और उस की पत्नी ज्योति दोनों डाक्टर थे. शादी को 18 वर्ष हो चुके थे पर उन को संतान सुख नहीं मिला. दोनों ने अन्य बड़ेबड़े डाक्टरों से इलाज कराया पर सब निरर्थक रहा. एक दिन दिल्ली का एक डाक्टर मिठाई ले कर उन के घर आया. उस ने कहा कि मेरी शादी को 8 वर्ष हो गए थे. इलाज कराने पर भी संतान सुख नहीं मिला. अब ‘साईं बाबा व्रत’ के चमत्कार से पुत्र पैदा हुआ है. इसी खुशी में यह मिठाई ले कर आया हूं. उस के कहने पर डा. ज्योति ने भी ‘साईं बाबा व्रत’ का संकल्प लिया. 5वें गुरुवार के बाद वह गर्भवती हो गई और 9 माह बाद एक सुंदर बालक को जन्म दिया.

कथाकार बहुत चालाक है. दंपती डाक्टर हैं. उन्होंने अन्य डाक्टरों से इलाज कराया. परंतु कोई भी डाक्टर संतान सुख नहीं दिला सका. वहीं ‘साईं बाबा व्रत’ ने तत्काल संतान सुख दे दिया. अनपढ़ व सीधेसादे हिंदुओं की भावनाओं का दोहन इस से अधिक कोई नहीं कर सकता है.

अध्याय 6 में लिखा है कि डा. शर्मा का इकलौता पुत्र बुरी संगत के कारण पढ़ाई में पिछड़ गया. इस कारण श्रीमती शर्मा चिंतित रहती थीं. वे अपने पुत्र को डाक्टर बनाना चाहती थीं. एक दिन डा. श्रीमती वर्मा उन से मिलने आईं. श्रीमती शर्मा ने अपनी चिंता उन्हें बताई. उन्होंने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है. तुम 7 या 9 गुरुवार  ‘साईं बाबा व्रत’ का पालन करो. तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी. श्रीमती शर्मा ने व्रत रखना शुरू कर दिया. चौथे गुरुवार से लड़का पढ़ने जाने लगा और आगे चल कर डाक्टर भी बन गया.

इस अध्याय की कथा विद्यार्थियोें को अकर्मण्य, आलसी, निठल्ला और उत्साहहीन बनाती है. क्या किसी की मां के द्वारा कोई व्रत रखने से परीक्षा उत्तीर्ण की जा सकती है. सफलता तो स्वयं के मेहनत करने से मिलती है.

यहां कुछ प्रश्न उठते हैं. जब साईं बाबा व्रत से धन की प्राप्ति होती है तो भारत गरीब देश क्यों है? लाखों बच्चे कुपोषण से क्यों मर रहे हैं? व्रत से समस्त रोग हवा हो जाते हैं तो अस्पतालों में भीड़ क्यों? शत्रुओं का नाश हो जाता है तब आतंकवादी समाप्त क्यों नहीं हो रहे?

असल में साईं बाबा पर टीवी चैनलों ने अंधविश्वास फैला रखा है. कोई भी चैनल खोलिए. सिर पर कपड़ा बांधे, गले में माला, कमर में लुंगी व ढीलाढाला कुरता पहने एक व्यक्ति दिखेगा. लोग उस से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते दिखेंगे. कुछ लोग हाथ जोड़े यह कहते दिखेंगे कि ‘भगवन, आप की कृपा से हमारा फलां काम हो गया.’

यह न सोचें कि ये व्रत पुराने किस्म के अर्धशिक्षितों में ही व्याप्त हैं. कितनी ही संस्थाएं अंगरेजी में इस के प्रचारप्रसार में जुटी हैं. अंगरेजी पढ़ेलिखे और अपनी मेहनत के बलबूते सफलता की सीढि़यां चढ़े ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो अपनी सारी सफलता का क्रैडिट साईं बाबा के खाते में डाल कर लोगों को बहकाने से नहीं चूकते. कहने का अर्थ होता है, ‘हम तो गधे ही थे, साईं बाबा की मेहरबानी से आज डंकी बने घूमते हैं.’

कथाकार इस व्रत के माध्यम से अंधविश्वास फैलाने के साथ पंडेपुजारियों की जेब गरम कर रहा है और अपनी पुस्तक की बिक्री बढ़ा रहा है. तभी प्रत्येक अध्याय में वह पंडों को धन, कपड़े व अनाज देने को कहता है. उद्यापन के दिन प्रत्येक व्रतधारी को ‘माया कला मंदिर दिल्ली’ द्वारा प्रकाशित ‘साईं बाबा व्रत कथा’ की 21/51/101/211 या इन से अधिक पुस्तकें मुफ्त में वितरण करने की हिदायत देता है. तभी वांछित फल मिलने की गारंटी है अन्यथा नहीं.

कुल मिला कर प्रत्येक व्रत कथा में गप है. गपों से ही अंधविश्वास फैलता है. अंधविश्वास से ही धर्म के धंधे वालों की दुकानदारी चलती है और धर्मंधे, भोले- भाले लोग लुटते हैं.

भाविका शर्मा ने खतरनाक स्टंट दृश्य को अंजाम दिया

सीरियल ‘‘जीजी मां’’में  नियति के अपहरण का एक खतरनाक रोमांचक व डरावना स्टंट दृश्य फिल्माया गया. इस दृश्य में अपहरणकर्ता नियति का हाथ और मुंह बांधकर उसे जमीन से 150 फिट की उंचाई पर लटका दते हैं, जिससे वह भाग न सके. इस दृश्य के फिल्मांकन के दौरान नियति का किरदार निभा रही अभिनेत्री भाविका शर्मा ने स्वयं इस खरतनाक दृश्य को अंजाम दिया.

भाविका शर्मा के करियर में यह पहली बार था, जब वह इस तरह के किसी डरावने व खतरनाक दृश्य की शूटिंग कर रही थी. जबकि उन्हें उंचाई से बहुत डर लगता है. इस दृश्य के फिल्मांकन के दौरान हाथ व मुंह बंधे होकर क्रेन से 150 फिट की उंचाई पर लटकना और उनकी साड़ी का हवा में उड़ना उनके लिए शारीरिक और मानसिक चुनौती थी, पर उन्होंने इसे अंजाम दिया.

इस दृश्य को करने के बाद भाविका कहती हैं- ‘‘क्रेन और उंचाई देखकर मैं बहुत डरी हुई और उत्साहित थी, पर मुझे अंदर से लग रहा था कि मैं सकुशल वापस नीचे नहीं आ पाउंगी. क्योंकि मुझे उंचाई से बहुत डर लगता है और इस तरह का दृश्य मैंने पहले कभी किया नहीं था. मगर सीरियल के निर्देशक व पूरी टीम ने जिस तरह से मेरा हौसला बढ़ाया, उसके चलते मैंने इस दृश्य को अंजाम दिया. मैं सभी की शुक्रगुजार हूं कि यह दृश्य सही ढंग से फिल्माया जा सका. मेरे लिए तो यह कमाल का रोमांचक अनुभव रहा.’’

एक लड़के को देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो जाती हूं. उस के साथ संबंध बनाने की तीव्र इच्छा होती है. मैं अपनी कामेच्छा को संतुष्ट करने के लिए हस्तमैथुन करती हूं. कहीं मैं कुछ गलत तो नहीं कर रही.

सवाल
मैं 19 वर्षीय युवती हूं. 4 सालों से एक युवक से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है, यह उस के हावभाव और व्यवहार से लगता है. हम दोनों ने अभी तक एकदूसरे से कभी बात नहीं की. उसे देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो जाती हूं. उस के साथ संबंध बनाने की तीव्र इच्छा होती है. मैं अपनी कामेच्छा को संतुष्ट करने के लिए हस्तमैथुन करती हूं. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं और यह भी बताएं कि क्या मैं सामान्य हूं? कहीं मैं कुछ गलत तो नहीं कर रही?

जवाब
यानी आप 15 वर्ष की उम्र से उसे प्यार करने का दम भरने की बात कर रही हैं. किशोरावस्था में विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है. यह सिर्फ यौनाकर्षण है न कि प्यार. जहां तक उक्त शख्स के हावभाव या व्यवहार से आप अनुमान लगा रही हैं कि वह आप से प्यार करता है तो यह आप की खुशफहमी भी हो सकती है. बिना एकदूसरे से बात किए, एकदूसरे को जानेसमझे, अपने प्यार का इजहार किए, यह मान लेना कि वह आप से प्यार करता है, बिलकुल व्यावहारिक नहीं है. आप को अपने बारे में भी कोई पूर्वाग्रह नहीं पालना चाहिए. आप बिलकुल सामान्य हैं. हस्तमैथुन द्वारा अपनी यौनोत्तेजना को शांत करना गलत नहीं है.

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महिलाएं चाहती हैं कि सेक्स के बारे में ये 10 बातें जरूर जानें पुरुष

सेक्स के दौरान क्या आपको भी कभी-कभी नहीं लगता कि काश आपका पार्टनर आपके दिल की बात पढ़ ले? हां, तो आप अकेली ही ऐसी नहीं हैं! यहां हम उन 10 बातों की सूची पेश कर रहे हैं, जिनके बारे में हर महिला चाहती है कि उनका पार्टनर जरूर जानें.

  1. हमें सुरक्षित रहना बहुत पसंद है. तो जब भी हम सेक्स का आनंद ले रहे हों आप इस बात का पूरा ध्यान रखिए कि आपने प्रोटेक्शन का इस्तेमाल किया है.
  2. आपको मालूम होना चाहिए कि सेक्स कोई प्रतियोगिता नहीं है, जिसमें आपको फिनिश लाइन पर पहुंचने की जल्दी है और जैसे हम स्टार्टिंग लाइन पर ही खड़े रहना चाहते हैं. यह साथ-साथ साथ चलने की बात है.
  3. सेक्स एक टू-वे प्रक्रिया है. यदि इसमें हमने आपको किसी खास तरह का सुख दिया है तो हमें भी वैसा ही सुख देना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए.
  4. यह ठीक है कि कभी-कभार हमें वाइल्ड सेक्स पसंद आता है, पर अक्सर हम इसे पसंद नहीं करते हैं!
  5. साइज हमारे लिए मायने नहीं रखता, पर ये बात जरूर बहुत मायने रखती है कि आपके पास है जो है, आपने उसका सही इस्तेमाल किया है या नहीं.
  6. जब हम बिस्तर पर हों तो हमें आपकी पूर्व प्रेमिका का जिक्र पूरी तरह नापसंद है. जी हां, पूरी तरह.
  7. यदि आप कुछ नया करना चाहते हैं या कोई चीज आपको पसंद नहीं आ रही है तो हमसे बात करें. क्योंकि हमें भी आपकी ही तरह दिमाग पढ़ना नहीं आता.
  8. बिस्तर पर कोई अजीबोगरीब ट्रिक बिना हमारी जानकारी में लाए न करें. वहां बेहूदे सप्राइजेज हमें अच्छे नहीं लगते हैं.
  9. सबसे खास बात ये कि वह सेशन जिसमें हम दोनों सहज और संतुष्ट हों, उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. हम बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि यह किसी ऐड्वेंचर की तरह हो.
  10. ये जानना बहुत जरूरी है कि हमें सेक्स के बाद का प्यार-दुलार बहुत पसंद है. यदि यह एक औपचारिक रिश्ता है तो हम ऐसा न कर पाना समझ सकते हैं, लेकिन यदि हमें आपके साथ समय बिताते हुए काफी वक्त गुजर चुका है तो हम इस प्यार से क़तई वंचित नहीं रहना चाहते.

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