..तो ऐसे मिला अमिताभ को उनका सरनेम ‘बच्चन’

अमिताभ बच्चन ने इस साल ‘कौन बनेगा करोड़पति’ केबीसी में प्रतिभागियों और देश में कल्याण का काम कर रहे कई नामचीन हस्तियों को अपने शो का हिस्सा बनाया. केबीसी के ग्रांड फिनाले एपिसोड में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी अपनी पत्नी सुमेधा के साथ पहुंचे. केबीसी की हौट सीट पर बैठकर कैलाश सत्यार्थी ने अपनी व्यक्तिगत जिंदगी के कई किस्से सुनाए. दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ कैलाश ही नहीं अमिताभ बच्चन ने भी अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई दिलचस्प किस्से साझा किये.

शो के इस सीजन में अमिताभ प्रतिभागियों से और शो में आयीं हस्तियों से खूब खुल कर बातें भी करते नजर आयें. इसी दौरान अमिताभ ने स्वीकारा कि उनका सरनेम श्रीवास्तव होता है लेकिन उनके पिता हरिवंश राय बच्चन जात-पात में भेदभाव देखना पसंद नहीं करते थे इसलिए उन्होंने तय किया कि वह अपने नाम के साथ कोई भी सरनेम नहीं लगायेंगे. फिर आखिर उनके जेहन में बच्चन ही सरनेम के रूप में क्यों आया?

इस बारे में अमिताभ कहते हैं कि उनके बाबूजी हरिवंश राय को लोग घर में बच्चा बच्चन कह कर प्यार से पुकारते थे, इसलिए उन्होंने इसे ही अपना सरनेम बना लिया और फिर इसके बाद उनकी आगे आने वाली सारी जेनरेशन ने इसी सरनेम के साथ खुद को आगे बढ़ाया. बता दें कि अमिताभ ने केबीसी के दौरान ही एक एपिसोड में यह भी स्वीकारा की उनकी बचपन में बेंत की छड़ी से खूब पिटाई होती थी.

बिग बी इन दिनों आमिर खान के साथ फिल्म ठग्स औफ हिंदोस्तान में काम कर रहे हैं और बाद में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के साथ ब्रह्मास्त्र में काम करेंगे.

जब मुमताज ने अमिताभ को दे दी उनकी मनपसंद कार

बौलीवुड एक्ट्रेस मुमताज सन 1973 तक इंडस्ट्री की एक कामयाब एक्ट्रेस बन चुकी थीं. लेकिन बौलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. वैसे तो अमिताभ औऱ मुमताज ने एक साथ ज्यादा फिल्मों में काम नहीं किया है. लेकिन मुमताज ने एक बार अमिताभ के लिए कुछ ऐसा किया था. जिसकी प्रशंसा बिग बी आज भी करते नहीं थकते.

दरअसल, 1973 में अमिताभ बच्चन और मुमताज फिल्म ‘बंधे हाथ’ के लिए शूटिंग कर रहे थे. मुमताज उन दिनों सेट पर अपनी मर्सिडीज कार से आया करती थीं. जबकि अमिताभ बच्चन एक साधारण सी कार से. अमिताभ ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का जिक्र किया था कि फिल्म ‘बंधे हाथ’ की शूटिंग के दौरान उनकी कोई फिल्म ज्यादा कामयाब नहीं हुई थी.

लेकिन मुमताज ने वो स्टारडम हासिल कर लिया था जिससे वो टौप एक्ट्रेस की कैटेगरी में आ गई थीं. अमिताभ बताते हैं कि इतनी पौपुलर होने के बाद भी उनका व्यवहार मेरे साथ दोस्तों की तरह रहा. वो सेट पर सभी के साथ दोस्ताना व्यवहार बनाकर रखती थी. जिससे शूटिंग का माहौल भी काफी अच्छा रहता था. बिग बी के मुताबिक एक दिन वो अपने दोस्तों के साथ मर्सिडीज कार को लेकर बात कर रहे थे.

अमिताभ कह रहे थे जब उनके पास पैसे होंगे तो वो भी मुमताज की तरह मर्सिडीज कार में घूमेंगे. बिग बी की ये बात मुमताज ने सुन ली और अपनी मर्सिडीज कार की चाभी उनके ड्राइवर को देकर अमिताभ की कार लेकर चली गईं. मुमताज ने ड्राइवर से कहा, अमिताभ से कहना जब तक उनका दिल करें, वो इस कार का इस्तेमाल कर सकते हैं.

मनचाहा पहनने पर पुलिसिंग क्यों

फैशन हर महिला को आकर्षित करता है. पर कितनी ही ऐसी महिलाएं हैं, जो किसी न किसी कारणवश अपना मनपसंद परिधान नहीं पहन पाती हैं. कारण चाहे सामाजिक हो या निजी, अपना मनपसंद पहनने की आजादी हर किसी को नहीं मिलती. अधिकतर महिलाएं अपनी पसंद के परिधान नहीं खरीद पाती हैं. उन्हें मन मसोस कर ऐसे कपड़े खरीदने पड़ते हैं, जिन्हें उन के आसपास का माहौल पहनने की अनुमति देता है.

नैतिक पुलिसिंग

हमारे समाज में घरपरिवार, रिश्तेदारों या पड़ोसियों तक ही बात सीमित नहीं है. नैतिक पुलिसिंग के और भी कई माध्यम हैं जैसे धर्म के रक्षक, विश्वविद्यालय, सड़क पर चलते अनजान लोग, नेतागण, पुलिस आदि. आम जिंदगी में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहां मनचाहा पहनने पर प्रश्नचिह्न लगाए जाते हैं.

इस वर्ष मई के महीने में पुणे से खबर आई कि 5 पुरुषों ने एक महिला को कार से घसीट कर बाहर निकाला और फिर उस की पिटाई की. कारण-उस ने छोटे कपड़े पहने थे.

जून 2014 में गोवा के लोक निर्माण विभाग मंत्री सुधिन धवलीकर का बयान आया कि नाइट क्लबों में युवतियों द्वारा पहने गए छोटे कपड़े गोवानी संस्कृति के लिए खतरा हैं. ऐसा नहीं होने देना चाहिए, इस पर रोक लगानी चाहिए.

इसी वर्ष 25 अप्रैल के दिन बैंगलुरु में जब ऐश्वर्या सुब्रमनियन ने अपने दफ्तर जाने के लिए औटोरिकशा रोका तब उस के चालक श्रीकांत ने कहा कि मेरी बात का बुरा मत मानना पर जो कपड़े आप ने पहने हैं वे अनुचित हैं.  ऐश्वर्या ने उस समय अपने घुटनों तक की सफेद साधारण पोशाक पहनी थी. औटो चालक की बात सुन कर ऐश्वर्या हत्प्रभ रह गई. उस ने पलट कर कहा कि वह अपने काम से काम रखे. 

इस पर श्रीकांत बोला कि हमारे समाज में औरतों को सलीकेदार कपड़े पहनने चाहिए न कि ऐसे बदनदिखाऊ कपड़े. इसी बीच आसपास के और पुरुष भी इकट्ठे हो गए और श्रीकांत का साथ देने लगे. इस घटना से ऐश्वर्या इतनी विचलित हो गईर् कि लगभग रोने लगी. बाद में उस ने इस बात को फेसबुक पर शेयर किया. अप्रैल में ही बैंगलुरु के एक प्राध्यापक ने अपनी कक्षा में एक लड़की को छोटे कपड़े पहनने पर डांटा. इस के विरोध में अगले दिन पूरी कक्षा ने शौर्ट्स पहने.

आथिरा वासुदेवन छात्रा का मत है कि एक कालेज प्राध्यापक से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती है. मगर अकसर लोग औरतों को सभ्य कपड़े पहनने की सलाह देते रहते हैं. देश की राजधानी में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कालेज के नए प्रोस्पैक्ट्स में शामिल नियम के अनुसार, होस्टल में लड़कियों के लिए ड्रैसकोड के अंतर्गत नियम बताए गए, जिन का लड़कियों द्वारा कड़ा विरोध किया गया.

राष्ट्रीय टैक्सटाइल विश्वविद्यालय में भी एक नोटिस जारी किया गया कि लड़कियों के लिए जींस, टाइट्स, आधी बाजू या स्लीवलैस कपड़े पहनना वर्जित है.

25 वर्षीय फरहत मिर्जा, जोकि काउंसिल फौर द ऐडवांसमैंट औफ मुसलिम प्रोफैशनल्स, मौंट्रियल की वाइस प्रैसीडैंट हैं, हिजाब पहनती हैं. उन के विचार से हिजाब पहनने में केवल एक बुराई है कि उसे पहनना कई बार औरतों की मजबूरी होता है, इच्छा नहीं और किसी को मजबूर करना गलत है. वे मानती हैं कि पोशाकें हर किसी के लिए भिन्न अनुभव रखती हैं. परिधान को अवसर के अनुसार पहनना चाहिए ताकि मर्यादा भी बनी रहे और स्वतंत्रता भी. वैसे वे हिजाब धार्मिक कट्टरता के कारण पहनती हैं पर अपना तर्क ऊपर रखने के लिए स्वतंत्रता की आड़ लेती हैं. यह उसी तरह की स्वतंत्रता है जैसी कोई दलित कहे कि उस पर होने वाले अत्याचार सही हैं, क्योंकि उस ने पिछले जन्म में पाप किए थे. यह हिजाब पहनना और उसे स्वतंत्रता का नाम देना धार्मिक ब्रेनवाशिंग का एक नमूना भर है.

ससुराल गेंदा फूल

एक नारी के जीवन में सब से बड़ा बदलाव विवाहोपरांत आता है. दिनचर्या के साथ उस का फैशन भी बदल जाता है. यदि सासूमां अपने समय में गाउन पहनती थीं, तो बहू गाउन पहन सकती है. यदि सासूमां अपनी जवानी में बिना बाजू के ब्लाउज पहनती थीं, तो बहू को स्लीवलैस पहनने की इजाजत है अर्थात बहू का फैशन इस पर निर्भर करता है कि ससुराल उसे कितनी आजादी देता है.

‘द मदर इन ला’ पुस्तक की लेखिका वीणा वेणुगोपाल अपनी पुस्तक में लिखती हैं कि अकसर लड़कियां अपनी सास का दिल जीतने के लिए सलवारकमीज पहनती हैं, चूडि़यां पहनती हैं और वैसा ही बरताव करने लगती हैं जैसा सास को पसंद आएगा. यही पहला गलत कदम होता है.  सास की पसंद उन के जमाने के अनुसार थी और आप की पसंद आज के अनुसार है. अपना निजी स्टाइल दर्शाने में सकुचाएं नहीं. आजकल अधिकतर ससुरालपक्ष नए जमाने के परिधानों के प्रति संवेदनशील हैं. भारीभरकम साडि़यां या अनारकली सूट आप कितने दिन पहन पाएंगी? आप की ससुराल वालों को पता होना चाहिए कि आप की पसंद क्या है, इसलिए झूठमूठ का नाटक न करें. हां, चाहें तो अपने आधुनिक परिधान के साथ भारतीय संस्कृति के गहने पहन लें जैसे कंगन, झुमके, पायल आदि.

आत्मविश्वास बढ़ाएं

अपनी पसंद का फैशन न कर पाने का एक और मुख्य कारण है आत्मविश्वास की कमी. मन तो करता है पर हिम्मत नहीं होती. ‘लोग क्या कहेंगे’ यह डर मनमस्तिष्क पर छाने लगता है. विश्वास मानिए, कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना. आप चाहे जो भी पहनें, समाज की टिप्पणी से बच पाना मुश्किल है. आप सब को खुश नहीं कर सकतीं. कोई न कोई आप के परिधान की बुराई करेगा ही. फिर चाहे आप ने छोटी स्कर्ट पहनी हो या फिर घूंघट कर रखा हो. जब ऐसा होना ही है, तो क्यों न अपनी पसंद का परिधान पहन कर कम से कम स्वयं को खुश किया जाए?

फिगर की चिंता छोड़ दें

हमारे समाज में फैशन करने के लिए एक निर्धारित फिगर का होना अति आवश्यक माना जाता है. यदि आप मोटी या बेडौल हैं, तो आप के जींस पहनने पर तीखी आलोचना होनी स्वाभाविक है. तो क्या बेडौल महिलाओं को अपना मनचाहा फैशन करने का हक नहीं है? बिलकुल है, क्योंकि सब से जरूरी है आप की अपनी खुशी. यदि आप अपने परिधान दूसरों के अनुसार चुनेंगी, यही सोचती रहेंगी कि आप का बौयफ्रैंड क्या कहता है, आप के पति क्या सोचते हैं, तो आप स्वयं की छवि से दुखी व परेशान ही रहेंगी, अपनी छवि के बारे में आप की सोच दूसरों के विचारों की मुहताज नहीं होनी चाहिए. अपने बारे में सकारात्मक विचार रखिए. स्वयं को खूबसूरत महसूस करिए और देखिए कि आप कितनी सैक्सी नजर आती हैं.  मुंबई की गुंजन शर्मा का वजन उन के मनचाहे परिधान पहनने में बाधा नहीं बन पाता है. वह कहती है, ‘‘आजकल प्लस साइज के परिधान आसानी से मिलते हैं. हर तरह का फैशन कर के मैं खुद को किसी अभिनेत्री से कम आकर्षक नहीं पाती हूं. फेसबुक पर मेरी हर पिक पर अनगिनत लाइक इस बात का प्रमाण हैं.’’

इट्स वन लाइफ

यह सिर्फ एक कहावत नहीं है. वाकई हमें जीने के लिए एक ही जिंदगी मिलती है. कल किस ने देखा? कहीं ऐसा न हो कि आज को दुनिया की चिंता में निकाल कर कल हम इस विचार पर पछताएं कि हम ने तो अपनी जिंदगी में अपनी पसंद के कपड़े भी नहीं पहने.  दिल्ली पब्लिक स्कूल की अध्यापिका सूरी कहती हैं, ‘‘मैं बुढ़ापे में यह नहीं सोचना चाहती कि मैं ने तो फलां परिधान नहीं पहना, मैं ने तो सारी उम्र केवल गिनेचुने फैशन में ही बिता दी. अपने मनपसंद परिधान पहनने से मुझे जो खुशी मिलेगी, मैं उसे खोना नहीं चाहती हूं.’’

त्योहारों पर करें नए प्रयोग

त्योहारों के मौकों पर स्वयं को चले आ रहे फैशन से बाधित न करें. यदि आप को परंपरागत फैशन रास नहीं आता तो आप फ्यूजन आजमा सकती हैं. मसलन, लहंगे पर परंपरागत डिजाइन के बजाय फूलों के प्रिंट अथवा जाली का काम. ब्लाउज का गला हौल्टरनैक रख सकती हैं या बैकलैस. इस से पूरा लुक बदल जाता है. इस के बिलकुल विपरीत ब्लाउज की जगह पूरी बाजू की जैकेट भी लहंगे का लुक बदल देगी.

यदि साड़ी या लहंगाचोली पसंद नहीं तो उस की जगह कामदार स्कर्ट और टौप भी पहना जा सकता है या फिर प्लाजो के साथ कुरता या टौप, साथ में त्योहार का माहौल बनाने हेतु गलेकान व हाथों में गहने. आजकल का नवीनतम ट्रैड है धोतीसलवार के साथ छोटा सा टौप.

फैशन हर किसी के लिए अलग माने रखता है. इस बात का अच्छा उदाहरण हैं फिलाडेल्फिया में रहने वाली प्रिया और फरजाना. जब प्रिया वहां साड़ी पहनती है तो अनचाहे आकर्षण का केंद्र बनना उसे रास नहीं आता. जबकि फरजाना को सलवारकमीज पश्चिमी पोशाकों से भी अधिक आधुनिक लगते हैं. एक ओर जहां प्रिया को सब से अलग दिखना पसंद नहीं, वहीं दूसरी ओर फरजाना को भीड़ में चमकने से कोई परहेज नहीं है. उलटे उसे यह एक प्लस पौइंट लगता है.

मनचाहे परिधान पहनने की आजादी सब को नहीं मिल पाती है. यदि आप के पास है, तो पूरा लुत्फ उठाएं और यदि नहीं है, तो प्रयास कर लीजिए. इस से पहले कि देर हो जाए, अपने मन की सुनिए और मनचाहा पहनिए.

किसी को, चाहे धर्म हो या पति अथवा सहयोगी, पुलिसिंग करने का अधिकार नहीं रखता. आप मनचाहा पहन कर फूहड़ लगती हैं या स्मार्ट यह आप का हक है

कानून का बेजा इस्तेमाल

औरतें बलात्कार को किस तरह हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं इस का रोचक मामला दिल्ली की एक अदालत में आया. 2013 में एक औरतआदमी मिले और शायद उन्होंने शादी करने  का फैसला कर लिया. फिर लगता है कुछ मनमुटाव हो गया तो औरत  ने शिकायत दर्ज करा दी कि  18 जनवरी, 2014 को उस आदमी ने अपने 2 अन्य साथियों के साथ उसे नशीला पेय पिला कर रेप  किया था. 

कानूनी मशीनरी तो चल पड़ी. केस दर्ज होने के बाद वह बंदूक की गोली की तरह होता है, जो चलता रहता है. लेकिन जब शिकायती की जिरह हुई तो वह मुकर गई कि उस के साथ रेप हुआ था. वास्तव में उस ने तो 21 फरवरी, 2014 को उसी आदमी के साथ अदालती शादी भी कर ली थी.

अभियुक्त बेचारा कहता रहा कि ऐसी कोई बात हुई ही नहीं जिस में उस पर बलात्कार का आरोप लगे पर अदालत को मामले को बंद करने में भी 3 साल और लग गए. अक्तूबर, 2017 में सत्र न्यायाधीश ने मामला बंद करते हुए शिकायती औरत के खिलाफ मुकदमा दायर करने का आदेश दे दिया कि झूठी शिकायत क्यों की गई.  रेप के असली मामले तो छिपे रहते हैं. बलात्कार के नाम पर जो भी मामले सामने आते हैं उन में अधिकांश बदले की भावना के  होते हैं. ज्यादातर झूठे होते हैं और उन में अभियुक्त वर्षों जेल में सड़ता है और लाखों वकीलों पर खर्च करता है.

कानून का जैसा दुरुपयोग बलात्कार के मामले में हो रहा है वैसा अन्य किसी मामले में कहीं और नहीं हो रहा होगा. यह जघन्य अपराध है, जिस में कपटी बच निकलते हैं और कपटनियां सीना तान लेती हैं.

‘बर्फी’ गर्ल इलियाना भी हो चुकी हैं डिप्रेशन की शिकार

इलियाना डिक्रूज़ की खूबसूरती के सभी कायल हैं, फिल्म बर्फी में उनके ट्रेडिशनल लुक को देखकर लोग उनके दीवाने बन गए थे. उसके बाद उन्होंने बौलीवुड के कई स्टार्स के साथ सिल्वर स्क्रीन शेयर की. उनकी अदाकारी के साथ-साथ लोग उनकी खूबसूरती को भी सराहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इलियाना ने भी अपने जीवन में एक ऐसी चुनौती का सामना किया है, जो इंसान को तोड़कर रख देने के लिए काफी है.

हम बात कर रहे हैं डिप्रेशन की, जिसने इलियाना को काफी समय तक अपनी गिरफ्त में रखा. इससे पहले भी बौलीवुड के कई स्टार्स डिप्रेशन जैसे टैबू पर बात कर चुके हैं. इलियाना हाल ही में मेंटल हेल्थ की 21वीं वर्ल्ड कांग्रेस की इवेंट में शरीक हुई थीं. जहां उन्होंने बताया कि वे भी डिप्रेशन की मार झेल चुकी हैं. यहां तक कि उन्होंने इस दौरान आत्महत्या करने की भी सोची थी.

उन्होंने बताया कि वे हमेशा उदास रहती थीं और लो फील करती थीं, तभी उन्होंने चिकित्सक के पास जाने की ठानी और उन्हें पता चला कि वे डिप्रेशन और बौडी डिस्मौर्फिक डिसऔर्डर से ग्रसित थी. इस तकलीफ के दौरान उन्हें आत्महत्या का ख़याल आता था और वे सब कुछ ख़त्म कर देना चाहती थी.

हालांकि उन्होंने इससे लड़ने की हिम्मत दिखाई और इसका ट्रीटमेंट लेने की शुरुआत की. इलियाना के अनुसार यही उनका पहला कदम था. उन्होंने डिप्रेशन से लड़ रहे लोगों को सन्देश दिया कि ‘इसके बारे में जानने के बाद बैठे रहने से फायदा नहीं होगा, आपको आगे आना होगा और इसका इलाज करवाना होगा. ये चमत्कारिक रूप से ठीक नहीं होगा, बल्कि इस दौरान आपमें रोज़ थोड़ा-थोड़ा सुधार आएगा. बस आपको खुद पर भरोसा और गर्व होना चाहिए.’

इलियाना से पहले दीपिका पादुकोण भी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों को सन्देश दे चुकी है.

म्युचुअल फंड में पैसे लगाकर कमाएं मुनाफा

म्‍युचुअल फंड में निवेश करना हमेशा अच्छा होता है. हालांकि, लोग अक्सर इसे शेयर बाजार का हिस्सा मानकर यहां निवेश करने से कतराते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो ये एक मात्र जरिया है जहां कम समय में बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसे म्युचुअल फंड्स भी हैं जिन्होंने एक साल में ही 300% तक का रिटर्न दिया है.

बाजार इन दिनों अपने हाई पर है, ऐसे में बाजार में सीधा निवेश थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है. लेकिन, म्‍युचुअल फंड ऐसी ही स्थिति का विकल्प है. जहां निवेश में कम जोखिम है और निश्चित रिटर्न है. बाजार के जानकारों की मानें तो म्‍युचुअल फंड के मैनेजर्स पहले स्‍टौक चुनते हैं और फिर धीरे-धीरे अपना निवेश बढ़ाते हैं. इससे उनकी एवरेजिंग होती है, जो बाद में अच्‍छा रिटर्न देती है.

रिसर्च के बाद चुनते हैं स्टौक्स

फंड मैनेजर्स निवेश से पहले स्‍टौक पर पूरी रिसर्च करते हैं. बाद में धीर-धीरे उन स्टौक्स में निवेश करते हैं, जहां रिटर्न की संभावना है. यही कारण है कि कई म्‍युचुअल फंड का रिटर्न अपने बेंचमार्क से अच्‍छा होता है. उनके अनुसार लोगों को शेयर बाजार ट्रैक करके निवेश से बचना चाहिए. कई बार इससे नुकसान हो जाता है. इससे बेहतर है कि म्‍युचुअल फंड में निवेश किया जाए. यहां पर फंड मैनेजर्स निवेशकों के पैसों अच्‍छी तरह से निवेश करते हैं और अच्‍छा रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

फंड मैनेजर्स बदलते रहते हैं पोर्टफोलियो

म्‍युचुअल फंड स्‍कीम्‍स में कई सारे स्‍टौक होते हैं. फंड मैनेजर्स इनको लगातार बदलते रहते हैं. इसीलिए अगर म्‍युचुअल फंड के सफल स्‍टौक को देखकर निवेश की रणनीति नहीं बनानी चाहिए. क्‍योंकि, हो सकता है कि आप जिस स्‍टौक को सफल समझ रहे हों, फंड मैनेजर्स उसे बेचकर फायदा लेने की सोच रहे हों. इसीलिए निवेश से पहले स्‍टौक के बारे में रिसर्च जरूर करें और किसी एक्सपर्ट की सलाह पर ही निवेश करें.

पेट्रोनेट एलएनजी

निवेश अवधि- एक साल

रिटर्न- 300 फीसदी से ज्यादा

म्‍युचुअल फंड ने पिछले एक साल में 14.61 करोड शेयर खरीदे. समय-समय पर होल्डिंग बढ़ाई. इस शेयर में 115 म्‍युचुअल फंड्स का करीब 768 करोड़ रुपए का निवेश था, जो इस साल बढ़कर करीब 4412 करोड़ रुपए का हो गया. म्युचुअल फंड्स की 3 योजनाओं में इसकी होल्डिंग 5 फीसदी से ज्‍यादा है. सबसे ज्‍यादा इस शेयर की होल्डिंग जेएम कोर-11 में 9 फीसदी से ज्‍यादा होल्डिंग है.

दीवान हाउसिंग फाइनेंस

निवेश अवधि- एक साल

रिटर्न- 150 फीसदी

म्‍युचुअल फंड ने एक साल में 1.25 करोड शेयर खरीदे. ये स्‍टौक भी म्‍युचुअल फंड्स का पसंदीदा शेयर है. इस शेयर में 25 म्‍युचुअल फंड स्‍कीम्‍स का निवेश है. पिछले साल म्‍युचुअल फंड्स का 237 करोड़ रुपए का निवेश था, जो इस साल सितंबर में बढ़कर 1150 करोड़ रुपए हो गया है. म्‍युचुअल फंड की दो योजनाओं में इसकी होल्डिंग 8 फीसदी से ज्‍यादा है.

सिटी यूनियन बैंक

निवेश अवधि- एक साल

रिटर्न- 110 फीसदी

म्‍युचुअल फंड ने एक साल में 4.15 करोड शेयर खरीदे. म्‍युचुअल फंड्स लगातार इस स्टौक में निवेश बढ़ा रहे हैं. पिछले साल 427 करोड़ रुपए का निवेश जो इस साल बढ़कर 1250 करोड़ रुपए हो गया. इस वक्‍त 47 म्‍युचुअल फंड्स ने इस स्‍टॉक में निवेश किया है. एक्सिस स्‍मौल कैप फंड में इस स्‍टौक की हिस्‍सेदारी 7 फीसदी से ज्‍यादा और एलआईसी बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विस फंड में इसकी हिस्‍सेदारी 6 फीसदी से ज्‍यादा है.

अरविंदो फार्मा

निवेश अवधि- एक साल

रिटर्न- लगभग 100 फीसदी

म्‍युचुअल फंड ने एक साल में 4.33 करोड शेयर खरीदे. फार्मा सेक्‍टर के कई शेयर म्‍युचुअल फंड की पसंद बने हुए हैं, लेकिन एक साल में कई म्युचुअल फंड्स ने इसमें निवेश बढ़ाया है. कुल 105 म्‍युचुअल फंड्स ने इसमें निवेश किया है. एल्‍डलवाइस इक्विटी सेविंग एडवांटेज फंड में इसकी सबसे बड़ी हिस्‍सेदारी है. इस फंड का इस स्‍टॉक में 7 फीसदी से ज्‍यादा का निवेश है.

सिर्फ घूमने के लिए नहीं, खाने के लिये भी मशहूर है दुबई

दुबई के बारे में तो सभी जानते हैं कि हां वो एक पर्यटन स्थल है लेकिन क्या आपको पता है दुबई खाने पीने के लिये भी मशहूर है. दुबई में कुछ ऐसे जगह मौजूद हैं जहां आपको अपनी दुबई यात्रा के दौरान वहां जाकर कुछ खाना जरुर चाहिये क्योंकि ये आपकी इस यात्रा को और भी खुशनुमा और यादगार बनाएंगे.

दुबई गार्डेन सेंटर

दुबई गार्डेन सेंटर में कई फेमस कैफे हैं. खासतौर से हरी सब्‍जियों के शौकीनों के लिए यह जगह परफेक्‍ट है. यहां आपको तरह-तरह के सूप पीने को मिलते हैं. यहां का आमलेट भी काफी टेस्‍टी होता है. बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए लंच करने का बेस्‍ट प्‍लेस है ये.

अल सफा स्‍ट्रीट

फलों व मिठाई के शौकीनों के लिए दुबई की अल सफा स्‍ट्रीट काफी फेमस है. यहां तरह-तरह के डेजर्ट खाने को मिलते हैं. चौकलेट फ्लेवर से लेकर बेक्‍ड फूड तक यहां सबकुछ मिल जाता है. इसके अलावा फलों का जूस पीना पसंद करते हैं तो यह स्‍ट्रीट आपको अपनी ओर खींच लेगी.

द पाम दुबई रिसौर्ट

द पाम दुबई रिसौर्ट अपने यहां की ग्रेनोला के लिए जाना जाता है. यह डिश शहद, ब्राउन शुगर और अखरोट से बनाई जाती है जिसे लोग खूब पसंद करते हैं. एक हेल्‍दी ब्रेकफास्‍ट के लिए यह परफेक्‍ट प्‍लेस है. यहां आपको सैंडविच, केक और कौफी आदि मिल जाएगी. अबकी बार यहां आएं तो इस रिसौर्ट में आना मत भूलें.

जुमेराह रोड

दुबई की जुमेराह रोड पर कई फेमस रेस्‍टोरेंट हैं सुबह ब्रेकफास्‍ट करने के बाद आप यहां लंच कर सकते हैं. अंडे व मछली खाने वालों को ये रेस्‍टोरेंट खूब पसंद आएंगे. इसके अलावा आलू से बनी कई जायकेदार डिश आपको यहां खाने को मिलती है.

फहीदी स्‍ट्रीट

हेल्‍दी फूड खाना चाहते हैं तो दुबई की फहीदी स्‍ट्रीट की तरफ मुड़ जाएं. यहां आपको एक जायकेदार ‘अकाई’ डिश खाने को मिलेगी. यह बेसिकिली पाम ट्री से मिलते-जुलते पेड़ से निकाली जाती है. इसमें बेरी और केला मिलाकर खाने से इसका स्‍वाद दोगुना हो जाता है.

दूध के साथ इन चीजों का सेवन सेहत के लिए है नुकसानदेह

दूध में हर तरह के पोषक तत्व सम्मिलित होते हैं, इसलिए इसे संपूर्ण आहार माना जाता है. मतलब कि अच्छी सेहत और हड्डियों की मजबूती के लिए रोजाना दूध पीना बहुत जरूरी होता है, फिर चाहें वो बच्चे हो या बड़े. लेकिन क्या आप दूध को लेते समय किसी प्रकार की सावधानी बरतती हैं. आप सोच रही होंगी कि हम किस तरह की सावधानी की बात कर रहे हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुछ फल और सब्जियां ऐसी होती हैं जिसे दूध के साथ लेने पर वो उल्टा असर करता है यानी कि यह आपको फायदा देने के बजाय आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाता है. जानकारी के अभाव में हम सभी ऐसा करते हैं. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में जिनके साथ या जिनके खाने के बाद आपको दूध बिल्कुल नहीं पीना चाहिए.

दूध और उड़द की दाल

उड़द की दाल के साथ दूध का सेवन भी एक साथ करना नुकसानदेह होता है. उड़द की दाल के अलावा मूंग, चना आदि दालें भी दूध के साथ नहीं खाना चाहिए. इनके सेवन के बीच कम से कम 1 घंटे का अंतर होना आवश्यक है. ऐसा न करने से हर्ट अटैक के साथ दिल की बीमारी सम्बन्धित खतरा बढ़ सकता है.

दूध और दही

आपको दूध लेते वक्त हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि इसके साथ दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिए. अगर आप दोनों ही खाना चाहते हैं तो दोनों के सेवन के बीच कम से कम एक से डेढ़ घंटे का अंतराल होना आवश्यक है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप दोनों को एक साथ खाते हैं तो इससे आपको एसिडिटी, गैस और उल्टी आदि की समस्या उत्पन्न हो सकती है. अगर आप दूध से बनी खीर और दही से बना रायता भी साथ खाते हैं तो यह भी आपके लिए नुकसानदेह है. कई बार लोग दूध और दही को साथ मिलाकर लस्सी बनाते हैं, लेकिन आप भी अगर ऐसा करती हैं तो यह भी आपके सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.

दूध और फल

कुछ फल ऐसे होते हैं जिसे दूध के साथ खाने के कई नुकसान होते हैं. इन फलों में खट्टे फल जैसे अनार, अमरूद, नाशपाती, संतरा आदि शामिल है. जब भी हम दूध और ऐसे फलों का साथ में सेवन करते हैं तो दूध में मौजूद कैल्शियम फलों के एंजाइम्स को अवशोषित कर लेता है और शरीर को पोषण नहीं मिल पाता.

दूध और मूली

किसी भी ऐसे फूड को खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए जिसमें मूली मिलाई गई हो. मूली के बाद दूध का सेवन करने से दूध विषैला हो सकता है. इससे त्वचा से सम्बन्धित रोग होने की संभावना 70 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. इसलिए मूली खाने के दो घंटे के बाद ही दूध पिएं.

अन्य पदार्थ

दूध के साथ नींबू, कटहल या फिर करेले का भी सेवन करना आपके सेहत के लिए बेहद ही हानिकारक होता है. इन्हें साथ खाने से दाद, खाज, खुजली, एक्जिमा और सोराइसिस जैसी समस्या हो सकती है. इसलिए इनका एकसाथ सेवन करने से बचना चाहिये साथ ही इन्हें खाने के बीच कम से कम 2 घण्टे का अन्तराल होना आवश्यक है.

ओट्स का इस्तेमाल, लाएगा आपके चेहरे पर एक अलग निखार

आपको तो पता ही होगा कि ओट्स हमारे सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद है, लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि यह जितना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है, उतना ही आपकी त्‍वचा के लिए भी फायदेमंद है, और तो और इससे बने फेसपैक का इस्तेमाल करके आप अपनी त्‍वचा को हमेशा के लिए जवां बना सकती हैं. इसमें मौजूद एक्सफोलिएटिंग, क्लींजिंग और माश्चराइजिंग तत्व आपकी त्‍वचा को बेहद खूबसूरत और मुलायम बना देते हैं.

आप ओट फेस पैक को आसानी से अपने घर पर ही बना सकती हैं. आइए जानते हैं कि ओट फेस पैक कैसे बनायें और इसका इस्तेमाल किस तरह से करें.

ओट मील और एलोवेरा स्क्रब

एलोवेरा का प्रयोग काफी समय से मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए किया जाता रहा है. इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी एलिमेंट मूहांसे, टैनिंग और संक्रमण जैसी त्‍वचा की समस्‍याआं को दूर करता है. ओटमील पाउडर को एलोवेरा जेल में अच्छे से मिलाकर चेहरे पर मसाज करें. 3 से 5 मिनट तक मसाज करने के बाद इसे सूखने दें, उसके बाद पानी से धो लें. इस नैचुरल स्क्रब से त्वचा की अंदरूनी सफाई होती है. इससे डेड स्किन के साथ ही ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स की समस्या भी दूर हो जाती है.

शहद और ओट फेसपैक

2 चम्मच ओट्स में थोड़ा कच्चा दूध और एक चम्‍मच शहद मिलाएं. इसे अच्छे से मिला लीजिए, फिर इस पेस्‍ट को चेहरे और गले पर 15 से 20 तक के लिए लगाएं. जब यह सूख जाये तो इसे पानी से धो लें. ये फेस पैक ड्राई स्किन के लिए अच्छा है, ये त्वचा को माइश्चराइड करता है और इससे त्‍वचा में निखार आता है.

ओट्स, गुलाबजल और शहद

2 चम्मच ओट्स में 1 चम्मच गुलाबजल और 1 चम्मच शहद को अच्छी तरह मिला कर पेस्ट . तैयार करें. इस पेस्‍ट को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगाएं और फिर चेहरा धो लें. फिर देखिये इस पैक का कमाल. कुछ ही हफ्तों में आपकी त्‍वचा चमक जायेगी.

ओटमील, दूध और नींबू

2 चम्मच उबले ओट्स, 2 चम्मच दूध और 4 चम्मच नींबू का रस मिला लें. जब ये मिश्रण ठंडे हो जाएं तो उसे अपने चेहरे पर धीरे धीरे अप्लाई करें. 20 से 25 मिनट तक रखने के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. फिर हल्का सा माइश्चराइजर लगा लें. हफ्ते में दो बार इस पैक का इस्तेमाल करें, चेहरा निखर जायेगा.

ओटमील पैक

थोड़े से ओटमील को पानी में पका लें और इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें. फिर ठंडा पोने के बाद इसे अपने चेहरे पर फेसपैक की तरह लगा लें. इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें,  सूखने के बाद पानी से धो लें.

ओटमील और योगर्ट

2 चम्मट ओट्स लें और उसमें दही मिला लें. इसे पूरे चेहरे पर, खासतौर पर रोमछिद्रों वाले हिस्सों पर लगाएं और 20 मिनट तक सूखने दें. फिर ठंडे पानी से धो लें. इससे चेहरे में निखार आयेगा.

यहां होगा सबसे कम समय में आपका पैसा डबल

अपने पैसे को लेकर हर कोई यह चाहता है कि वो जल्द से जल्द दोगुना हो जाए. इसके लिए लोग तरह-तरह की प्लानिंग करने, अलग-अलग स्कीम में पैसा डालते हैं. लेकिन, किसी को ठीक से यह जानकारी नहीं होती कि पैसा कब, कहां डबल होगा. सबसे तेज म्युचुअल फंड में पैसा डबल होता है, लेकिन लोगों में यहां निवेश को लेकर विश्वास नहीं है.

वो शेयर मार्केट के रिस्क से दूर रहना चाहते हैं. ऐसे में उनके पास सिर्फ बैंक या पोस्ट औफिस ही विकल्प के तौर पर होता है. फिर भी लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि पैसा पोस्ट औफिस में जल्द डबल होगा या बैंकों में. हम आपको बता दें बैंक की तुलना में पोस्‍ट औफिस में पैसा जल्दी डबल होता है, यहां दो साल कम समय लगता है.

बैंक FD में पैसा होता है 12 साल में डबल

बैंक में FD कराने पर लोगों का पैसा 12 साल में डबल हो सकता है. SBI इस वक्‍त 5 से 10 साल की FD पर 6 फीसदी ब्‍याज देता है. इस ब्‍याज दर से निवेश किए गए 1 लाख रुपए 12 साल में दो लाख रुपए से कुछ ज्‍यादा हो जाएंगे.

एसबीआई में FD करने पर

– 6 फीसदी है ब्‍याज (5-10 साल की FD पर)

– 1 लाख रुपए का निवेश

– 12 साल में हो जाएगा

– 2 लाख रुपए से कुछ ज्‍यादा

पोस्‍ट औफिस में 10 साल में डबल होगा पैसा

बैंक की तुलना में पोस्‍ट आफिस में पैसा 2 साल कम में डबल हो जाएगा. पोस्‍ट औफिस की 5 साल की टाइम डिपाजिट में इस वक्त 7.6 फीसदी ब्‍याज है. टाइम डिपाजिट एक बार में अधिकतम 5 साल के लिए कराया जा सकता है. ऐसे में एक बार में जमा के बाद ब्‍याज के साथ जो भी पैसा मिले उसे अगर दोबारा जमा कराया जाए तो 10 साल में पोस्‍ट औफिस में निवेश डबल से ज्‍यादा हो जाएगा.

पोस्‍ट औफिस टाइम डिपाजिट

– 7.6 फीसदी है ब्‍याज (5 साल के लिए)

– 1 लाख रुपए का निवेश

– 10 साल में 2 लाख रुपए से ज्‍यादा

बैंक, पोस्ट औफिस से जल्दी यहां पैसा होगा डबल

पोस्‍ट औफिस में किसान विकास पत्र में पैसा 115 माह (9 साल और 7 माह में डबल) में पैसा डबल हो जाएगा. पोस्‍ट औफिस 1000, 5000, 10,000 और 50,000 रुपए के KVP जारी करता है. इसमें अधिकतम जमा की कोई सीमा नहीं है. जरूरत पड़ने पर ढाई साल बाद इसमें निवेश को निकाला भी जा सकता है.

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