अंतरंग दृश्य करने में कभी सहज नहीं हूं : राय लक्ष्मी

कन्नड़, तमिल, तेलगू, मलयालम फिल्मों में अभिनय करने वाली राय लक्ष्मी कनार्टक के बेंगलुरु की है. स्वभाव से नम्र हंसमुख राय लक्ष्मी 15 साल की उम्र में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा, जिसमें साथ दिया उनके माता-पिता ने. उन्होंने दक्षिण की सभी भाषाओं की फिल्मों में अभिनय किया है. राय लक्ष्मी का नाम कई बार क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के साथ जुड़ा, जिसे वह केवल एक दोस्ती कहती हैं.

इसके अलावा साउथ में वह कई सोशल वर्क भी करती हैं. जिसमें अनाथ बच्चे,अपंग व्यक्ति और महिलाएं खास होती है. राय लक्ष्मी ने ‘अकीरा’ में कैमियों रोल किया था. इसके बाद अब जूली 2 में मुख्य भूमिका निभा रही हैं. ये फिल्म उनकी 50वीं फिल्म है, जिसे लेकर वह काफी खुश हैं. उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.

अपने बारें में बताएं.

मैंने अपने करियर की शुरुआत मौडलिंग से की है, जिसे मैंने स्कूल से शुरू किया था. इसके बाद मैं राज्य स्तर पर मौडलिंग करने लगी थी. इससे पहले मैंने ‘मिस कर्नाटका’ में भी भाग लिया था. इससे मुझे लोगों ने जाना और मुझे तमिल इंडस्ट्री में काम करने का अवसर मिला.

कितना संघर्ष था?

फिल्मों में एंट्री तो आसानी से मिली, लेकिन उसके बाद संघर्ष का दौर शुरू हुआ, क्योंकि मैं नौन फिल्मी बैकग्राउंड से हूं. कुछ पता नहीं था, भाषा के बारें में भी जानकारी नहीं थी. मेरे लिए सब कुछ नया था, ऐसे में क्या सही क्या गलत है, इसे समझने में समय लगा. जिससे कई फिल्में हिट रही, तो कुछ फ्लौप. असल में सही दिशा निर्देशन की जरुरत इंडस्ट्री में अधिक होती है, जो मुझे नहीं मिला, क्योंकि लोग अपनी कमीशन के लिए कुछ बताते नहीं थे और मेरी जानकारी भी कम थी. इंडस्ट्री में ये जरूरी है कि जो फिल्में आप चुनते हैं उसी के आधार पर आपकी इमेज तैयार होती है. तीन से चार साल तक इस तरह की सघर्ष से मैं गुजरी हूं. तमिल फिल्म ‘धामधूम’ की सफलता के बाद से मुझे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. जिसकी हिंदी फिल्म ‘रन’ बनी थी. इसके बाद दर्शकों की सोच भी मेरे लिए बदल गयी. मैं इसके लिए रिग्रेट नहीं करती, अभी मैं अधिक स्ट्रोंग हो चुकी हूं. सही फिल्म चुनना जान चुकी हूं.

परिवार का सहयोग कितना रहा?

मेरे माता-पिता का सहयोग हमेशा रहा है, मेरे पिता हमेशा मेरे करियर के साथ रहे हैं, लेकिन जब आप फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं होते हैं, तो आपको ‘ब्लाइंडली’ किसी को फौलो करते हैं, जो कई बार गलत हो जाता है. ऐसे किसी भी गलत कदम में मुझे मेरे परिवार का सहयोग हमेशा रहा, वे लोग मेरी स्ट्रेंथ हैं.

आपको हिंदी फिल्म में आने में इतना समय क्यों लगा?

बौलीवुड में मैं हमेशा से आना चाहती थी, औफर भी आ रहे थे, लेकिन मैं साउथ की चार अलग-अलग भाषाओं में काम कर रही थी. ये सही है कि हिंदी फिल्म की प्लेटफार्म काफी बड़ी है, लेकिन जो फिल्म मैं वहां कर रही थी, उससे यहां की ‘डेट्स क्लैश’ कर रही थी. हर दो तीन साल में बौलीवुड के कुछ न कुछ औफर आ रहे थे और मैं उसे कर नहीं पा रही थी. अभी मुझे ये बड़ा ब्रेक मिला और ये मेरी 50वीं फिल्म है. इसमें मुझे लीड भूमिका मिली और ये विषय भी नया है. मेरी इच्छा हमेशा थी कि मैं एक ऐसी फिल्म बनाऊं जिसे देखकर दर्शक मुझे अपना लें.

फिल्म जूली 2 कास्टिंग काउच पर आधारित है, ये इंडस्ट्री की एक गन्दी सच भी है, क्या आपको कभी इसका सामना करना पड़ा?

मुझे एंट्री आसानी से मिली थी. इसलिए कास्टिंग काउच का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि जो नए लोग इंडस्ट्री में आना चाहते हैं और कोई जरिया नहीं होता, तो उन्हें कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ता है. वे ‘मिसयूज’ किये जाते हैं. मेरा संघर्ष अलग था. 10 फिल्म करने के बाद भी ऐसे गलत लोगों का साथ मिला, जो कहते थे कि ये फिल्म रिलीज होगी और अंत में नहीं होती थी. ऐसे कई फिल्म मेकर हैं, जो सीरियसली फिल्में नहीं बनाते. ऐसे लोगों को साउथ में एक्सपोज किया जा रहा है.

इतना ही नहीं रेप भी आजकल हमारे देश में कौमन हो चुका है. हर लड़की को किसी न किसी रूप में एक्सप्लौइट किया जा रहा है, उन्हें हम नहीं बचा पा रहे हैं, तो इंडस्ट्री से कैसे बचायेंगे? आम लड़की के पास वौइस नहीं है कि वह बाहर आकर सबको अपनी बात कहे. ऐसे में फिल्मी हस्तियां आगे आकर कहने की हिम्मत आज रख रहे हैं. बाहर से लगता है कि ये सजी हुई इंडस्ट्री है, यहां की अभिनेत्रियां एक अच्छी जिंदगी जीती है, लेकिन इसके पीछे बहुत सारी बातें छुपी हुयी है. साउथ की अभिनेत्रियां इससे बाहर निकल कर इसे बोलने की हिम्मत रख रही है. ये शुरू हो चुका है और आगे बौलीवुड में भी इस बारें में अभिनेत्रियां बात कर रही है.

असल में ‘कास्टिंग काउच’ इंडस्ट्री में है और कई अभिनेत्रियों को इससे गुजरना पड़ता है. सभी अभिनेत्रियां प्रतिभा या लक के आधार पर सफल हो रही है, जो बाहर से दिख रहा है, वह असल में है नहीं. मैंने खुद देखा है कि हजारों संख्या में यूथ लड़कियां हिंदी सिनेमा में औडिशन के लिए आती हैं और सोचती हैं कि वे सुंदर हैं और कुछ न कुछ काम यहां उन्हें मिलेगा. जबकि उनमें से केवल एक ही चुनी जाती है. ऐसे में बाकियों का शोषण होता है. आशावादिता ही उन्हें इस रास्ते की ओर ले आती है. नए कलाकारों को अभिनय का मौका मिल सकता है, लेकिन अधिकतर निर्माता निर्देशक नामचीन एक्ट्रेस को ही लेना पसंद करते हैं, जबकि इनमें से कुछ निर्माता निर्देशक नए कलाकारों को अपनी फिल्म में काम देने के साथ-साथ खुद के ‘प्लेजर’ को भी शामिल कर लेते हैं. कुछ लोगों की वजह से ये इंडस्ट्री गन्दी हो चुकी है.

हिंदी फिल्मों में काम करने का सिलसिला अब कैसा रहेगा? आगे ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?

अब मैं साउथ और हिंदी सिनेमा दोनों को अपना समय दूंगी. साउथ मेरा ‘बेस’ है उसमें मैं काम कम कर सकती हूं, पर छोड़ नहीं सकती. यह फिल्म मेरे लिए चुनौती है, क्योंकि इसमें मैंने कई रूप निभाए है. मैंने पहले अपना वजन बढाया है, फिर कम किया है. आगे भी कई कहानियां मैं पढ़ रही हूं. मेरे लिए ‘नंबर औफ फिल्म’ से अधिक वर्क क्वालिटी माइने रखती है. मुझे बड़े पर्दे पर ऐतिहासिक फिल्मों में काम करने की इच्छा है.

अब तक की जर्नी में आपकी ‘स्ट्रेंथ’ और ‘विकनेस’ क्या रही?

मेरी स्ट्रेंथ है मेरी फैमिली जिसकी वजह से मैं यहां तक पहुंच पायी और मेरी विकनेस है मेरा इमोशन, जिसकी वजह से मैं कई बार उन फिल्मों को भी हां कर देती हूं, जिसे नहीं करना चाहिए था.

फिल्मों में अन्तरंग दृश्य करने में आप कितनी सहज होती हैं?

मेरे लिए यह कभी भी सहज नहीं था. जूली 2 फिल्म में इंटिमेट सीन्स की शूटिंग के दौरान मैं बहुत असहज थी. ऐसा नहीं है कि मैंने पहले साउथ में कोई ग्लैमरस रोल नहीं किया है, लेकिन वहां एक सीमा के अंतर्गत काम होता है. फैन फोलोइंग के आधार पर ही किसी एक्ट्रेस को काम दिया जाता है. वहां के दर्शक अगर जूली 2 को देखेंगे, तो शायद बेहोश हो जायेंगे, पर मैं इस मुकाम पर पहुंचकर ऐसी फिल्में अब कर सकती हूं, क्योंकि वे समझेंगे कि मैंने फिल्म की डिमांड पर ऐसी भूमिका निभाई है. इस फिल्म के दौरान मेरे सारे टेक्नीशियन्स साउथ के थे, इससे मुझे थोड़ा अधिक अजीब लगा था. मैंने अपने निर्देशक से कहा था कि आप इन टेक्नीशियन्स को हटाकर दूसरे रखें, ताकि मुझे अभिनय करने में सहजता मिले और ऐसा हुआ. केवल 4 से 5 लोग ही ऐसे दृश्य में मेरे साथ थे. यह ‘इजी’ नहीं होता, अगर मैं विदेश में बड़ी हुई होती तो शायद आसान होता. यहां तो स्विंमिंग कौस्ट्युम पहनने पर भी लोग खाना छोड़कर आपको घूरकर देखते हैं. वही चीजें आपको असहज बनाती है. मेरे हिसाब से जो लोग कमेंट करते हैं, वही सबसे पहले थिएटर में वैसी दृश्यों को देखना पसंद करते है.

क्या ये कहना सही होगा कि आज की तारीख में सेक्स और शाहरुख खान बिकता है?

नहीं, आजकल ये इतना कौमन हो गया है कि ये नहीं बिकता. सही कहानी न होने पर शाहरुख खान की फिल्में भी फ्लौप हो जाती है. आज के दर्शक ने ये सिद्ध किया है कि हमें सही और अलग कहानी चाहिए.

पुरुष प्रधान फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को अपनी बात कहने का कितना अधिकार है?

ये सोशल मीडिया की वजह से आज संभव हो चुका है. जो भी किसी को कहना होता है उसपर कह देता है. पहले ऐसा थी कि जो बात अखबार में कह दी जाती थी, उसे सच मान लिया जाता था. उसे कोई गलत नहीं कह सकता था, लेकिन अब सोशल मीडिया पर कही गयी हर बात पर हर कोई अपनी राय रख सकता है. इसके अलावा आजकल कुछ मीडिया बिकाऊ भी हो चुकी है और कही गयी बात को तोड़-मरोड़ कर अपने हिसाब से पेश करती है. जब मैं इंडस्ट्री में आई थी, और अब काफी बदलाव आ चुका है.

दक्षिण की अभिनेत्री से अधिक आप क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के साथ डेटिंग के लिए जानी गयीं, इस बारे में क्या कहना चाहेंगी?

डेटिंग किसी भी अभिनेत्री के लिए कभी सही नहीं होता और मैं उस वजह से अधिक जानी गयी, इससे मैं सहमत नहीं हूं. अभी उस रिश्ते में कुछ भी नहीं है. मुझे खुशी हुई कि लोग अभी भी उस बारें में चर्चा करते हैं. इसके बाद भी कई और रिश्तों से मैं जुड़ चुकी हूं. मुझे खेल पसंद है और उसी के दौरान उनसे मिली थी. मैंने कई और खेलों में अपना सहयोग दिया है.

आप कितनी फैशनेबल और फूडी हैं?

मुझे अलग-अलग फैशन करने का शौक है. डिजाइनर अनामिका और सब्यसाची के कपड़े बहुत पसंद है. उनके आउटफिट काफी क्लासिक होते हैं. इसके अलावा मैं बहुत फूडी हूं और हर तरह के फूड ‘ट्राई’ करती हूं.

‘दिलीप कुमार के आगे शाहरुख कुछ नहीं है’

बौलीवुड के किंग खान कहे जाने वाले शाहरुख खान ने अपने करियर की शुरुआत टेलिविजन सीरियल से की थी. बेहतरीन एक्टिंग और कड़ी मेहनत की वजह से आज उनके फैंस भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं. लौस एंजिलेस टाइम्स ने उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा मूवी स्टार बताया है.

साल 2014 में एक रिपोर्ट के अनुसार, शाहरुख दुनिया के दूसरे सबसे अमीर एक्‍टर हैं. उनके खाते में 14 फिल्मफेयर अवार्ड्स हैं. लंदन के मैडम तुसाद संग्रहालय में उनकी वैक्स  की मूर्ति भी स्था्पित है. लेकिन क्या आप जानते हैं शाहरुख को पहली बार टीवी पर देख उनकी मां ने उन्हें पहचाना तक नहीं था. नहीं जानते तो कोई बात नहीं चलिए आज हम बताते हैं वो रोचक किस्सा.

दरअसल ये तब की बात है जब शाहरुख ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत टीवी सीरियल सर्कस से की थी. उनकी मां ने उन्हें पहली बार टीवी पर देखकर पहचाना नहीं था. यह किस्सा शाहरुख ने मशहूर एक्टर रहे फारुख शेख के फेमस शो जीना इसी का नाम है में बताया था. शाहरुख ने बताया था कि जब उन्होंने ‘सर्कस’ में काम किया था तब उनकी मां लतीफ फातिमा की तबीयत ठीक नहीं थी. वो हौस्पिटल के बेड पर काफी नाजुक हालत में थीं और शाहरुख खान सर्कस की शूटिंग कर रहे थे.

शाहरुख ने बताया था कि उन्होंने सीरियल के डायरेक्टर अजीज मिर्जा से कहा कि वो अपने करियर का ये पहला एपिसोड अपनी मां के साथ देखना चाहते हैं तो अजीज और शाहरुख मुंबई से दिल्ली आए और डौक्टर्स से काफी गुजारिश करने के बाद मां लतीफ फातिमा के हौस्पिटल रूम में टीवी का अरेंजमेंट कराया गया.

टीवी पर जब सर्कस प्रसारित हुआ और शाहरुख नजर आए तो उनकी मां उन्हें पहचान नहीं पाई थीं. ‘वो उस समय सिर्फ दिलीप कुमार को ही पहचानती थीं. उन्होंने बोल दिया था कि शाहरुख वाहरुख कुछ नहीं है’, तब अजीज उनके पास गए और कहा कि ‘फिक्र मत करो वो भी बड़ा स्टार बनेगा, फेमस एक्टर बनेगा और एक दिन इंशा अल्लाह वो भी दिलीप कुमार के जैसा ही बनेगा.’

ये टिप्स आजमाएंगी तो दांतों पर कभी नहीं लगेगी लिपस्टिक

सफेद दांतों पर लगी रेड लिपस्टिक आपका पूरा लुक तो बिगाड़ ही देती है साथ ही, आपको शर्मिंदा भी करती है. क्या आपके साथ भी ऐसा होता है, आपके दांतो पर भी लिपस्टिक लग जाती है और देखने में काफी बुरी लगती है? तो इस समस्‍या का उपाय बेहद जरूरी है आज हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिससे आपकी ये समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी.

पैट्रोलियम जैली का प्रयोग करें

लिपस्टिक लगाने से पहले अपने होठों पर पैट्रोलियम जैली लगा लें इससे आपकी लिपस्टिक फैलेगी नहीं और दांतों पर भी नहीं लगेगी.

होठ को रगड़ें

लिपस्टिक लगाने से पहले अपने होठों को अच्छी तरह से रंगड़ लें. अगर होठ चिकने नहीं हैं तो लिपस्टिक बह जाती हैं.

लिप ब्रश का प्रयोग करें

लिप ब्रश की सहायता से एकदम अच्छे से लिपस्टिक लगती हैं और यह लिपस्टिक को मुंह में जाने से रोकती हैं.

मैट लिपस्टिक का प्रयोग करें

मैट लिपस्टिक ज्यादा देर तक टिकी रहती है. ऐसे में मैट लिपस्टिक का प्रयोग करें. इसके अलावा आप लिक्विड मैटी लिपस्टिक का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यह आपके दांतों पर फैलती भी नहीं है और दिनभर लगी रहती है. अगर आपके दांतों में लिपस्टिक लग जता है तो आपके लिए अच्छा होगा कि आप क्रीम और सैटिन लिप कलर्स से दूर रहें.

टिशू का प्रयोग

लिपस्टिक दांतो में न लगे इसके लिए टिशू पेपर का इस्तेमाल करें. जब भी आप किसी तड़कते-भड़कते रंग जैसे कि रेड, औरेंज या डार्क पिंक की लिपस्टिक लगाएं तो उसके बाद टिशू को फोल्ड करके उस पर होंठों को थोड़ा दबाएं, जिससे कि होठों पर लगी अतिरिक्त लिपस्टिक निकल जाए और वो आपके दांतों में न लगे.

लिप लाइनर का प्रयोग करें

लिपस्टिक लगाने से पहले होठों पर लिप लाइनर लगाने से लिपस्टिक लाइन के बाहर नहीं जाती और दांत में भी नहीं फैलती.

जब शादी के अगले दिन ही अजय देवगन ने काजोल को डांटा

काजोल और अजय देवगन बौलीवुड की बेस्ट जोड़ियों में से एक हैं. प्यार तो होना ही था, हलचल, इश्क, गुंडाराज और दिल क्या करे जैसी फिल्मों में इनकी जोड़ी को लोगों ने बेहद पसंद किया था. फिल्म हलचल के दौरान काजोल और अजय की पहली मुलाकात हुई. पहली मुलाकात के दौरान दोनों एक-दूसरे को उतने पसंद नहीं आए थे. अजय देवगन का नाम उस समय करिश्मा कपूर के साथ जुड़ा हुआ था. अजय देवगन अपनी गर्लफ्रेंड करिश्मा कपूर को डेट कर रहे थे. करिश्मा उन दिनों अपने स्ट्रगलिंग पीरियड में थीं. वहीं अजय देवगन भी सफल अभिनेता बनने की जी तोड़ कोशिश कर रहे थे. तभी अजय देवगन और करिश्मा की लव स्टोरी के बीच काजोल की एंट्री हुई. अजय देवगन भी धीरे-धीरे काजोल के करीब आने लगे और इस तरह दोनों की प्रेम कहानी की शुरुआत हो गई.

काजोल और अजय देवगन ने 1999 में शादी की थी लेकिन शादी के दूसरे ही दिन से अजय देवगन अपनी बेटर हाफ काजोल को डांटने लगे. इस बात को काजोल ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि अजय ने शादी के दूसरे दिन ही उन्हें किसी बात को लेकर डांट दिया था. दरअसल, काजोल काफी बिंदास एक्ट्रेस मानी जाती हैं, वह कोई बात अपने मन में नहीं रख सकती और उसे खुलेआम कह देती हैं. जिस वजह से उन्होंने कई बार अपने पति अजय की डांट तक सुनी है. काजोल ने अजय की वजह से करण जौहर के साथ अपनी 25 साल की दोस्ती भी तोड़ दी थी.

काजोल के जन्मदिन पर करण जौहर और काजोल के गिले शिकवे दूर हो गए थे. हर कोई इससे काफी खुश हुआ क्योंकि सभी चाहते थे कि बौलीवुड के ये दोस्त फिर से एक हो जाएं. दोनों के बीच दरार क्यों आई ये कहानी किसी छिपी नहीं है. सभी जानते हैं कि शिवाय और ऐ दिल है मुश्किल के क्लैश के दौरान क्या-क्या हुआ.

हाल में एक इंटरव्यू में जब अजय देवगन से इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ नहीं कहना ही बेहतर समझा. जी हां पत्नी काजोल और करण जौहर की दोस्ती पर अजय देवगन ने कोई रिएक्शन ही नहीं दिया.

उन्होंने बस इतना कहा कि “मैं कभी भी निजी विषयों पर बात नहीं करता, ये भी काफी निजी है. मैं सच में इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता. मैं इस चीज को मेनटेन करके चलता हूं कि मैं निजी जिंदगी के बारे में कोई बात ना करूं.” अजय देवगन से जब ये पूछा गया कि क्या उन्होंने काजोल की वीआईपी 2 देखी है तो उन्होंने कहा कि “मैं अभी अपने फिल्म रिलीज को लेकर काफी व्यस्त हूं. जब मौका मिलेगा देखूंगा. हालांकि हम और काजोल घर पर फिल्मों के बारे में बात नहीं करते।”

कम लागत में आप कर सकती हैं अच्छी खासी कमाई

अगर आप किसी कस्बे, छोटे गांव या ग्रामीण क्षेत्र में रहती हैं और वहीं से बिजनेस शुरू करना चाहती हैं तो यह मौका आपके लिए बेहतर मौका साबित हो सकता है. सरकार पूरे देश भर में 1.6 लाख नए कौमन सर्विस सेंटर (CSC) स्थापित करने की योजना बना रही है. कौमन सर्विस सेंटर में 2 से 2.5 लाख का निवेश करके हर महीने 15 से 20 हजार रुपए कमाए जा सकते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे सीएससी प्राप्त किया जा सकता है और कैसे इस सेवा को लागू किया जाएगा. इसके लिए आपको कहीं जाने की भी जरुरत नहीं होगी, लोग खुद सेवाएं लेने के लिए आपके पास आएंगे.

क्या है कौमन सर्विस सेंटर (CSC)

राष्ट्रीय ई योजना के अंतर्गत सरकार सभी पब्लिक सर्विसेस तक लोगों की पहुंच आसान करना चाहती है. इससे कारण इंफौर्मेशन और टेक्नोलौजी डिपार्टमेंट कौमन सर्विस सेंटर खोला रहा है. एक सीएससी में सरकारी, प्राइवेट और सोशल सेक्‍टर जैसे टेलीकौम, एग्रीकल्‍चर, हेल्‍थ, एजुकेशन, एंटरटेनमेंट, एफएमसीजी प्रोडक्‍ट, बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विस, सभी तरह के प्रमाणपत्र, आवेदन पत्र और यूटिलिटी बिल की पेमेंट किया जा सकता है. आगे आने वाले वाले समय में सीएससी द्वारा 300 से ज्यादा सेवाएं देने की योजना है.

CSC सेंटर खोलने के लिए क्या चीज है जरुरी

अगर आप सीएससी सेंटर खोलना चाहते हैं तो इसके लिये आपको कम से कम एक कम्प्यूटर, प्रिंटर, डिजीटल कैमरा/वेब कैमरा. जनरेटर , इनवर्टर या सोलर पैनल, औपरेटिंग सिस्टम और एप्लीकेशन सौफ्टवेयर और ब्रौडबैंड कनेक्शन की जरुरत होगी. इसके लिए 2 से ढाई लाख रूपए का खर्च आता है.

कैसे मिलेगा सीएससी सेंटर का लाइसेंस

सीएससी सेंटर का लाइसेंस लेने के लिए सबसे जरुरी है कि आपके पास आधार कार्ड होना चाहिए. इसके लिए वेबसाइट csc.gov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है. रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर डालने पर आपको ओटीपी प्राप्त होगा. जिसके बाद आप सेंटर के लिए अप्लाई कर सकते हो. अगर आप औफलाइन अप्लाई करना चाहते हैं तो इसके लिए ग्राम पंचायत और नगर पंचायत स्तर कमेटी बनाई गई है, जिसके पास आपको अपना आवेदन जमा करना होगा. जिसके बाद आवेदन पर विचार करके लाइसेंस दिया जाएगा.

सीएससी केंद्रों द्वारा दी जाने वाली सेवाएं

सीएससी के जरिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने आदि काम किया जा सकता है. इसके अलावा मोबाइल रिचार्ज, मोबाइल बिल पेमेंट, इनस्टेंट मनी ट्रांसफर, डीटीएच रिचार्ज, डेटा कार्ड रिचार्ज, रेड बस, एलआईसी प्रीमियम, एसबीआई लाइफ, बिल क्लाउड जैसी सेवाएं निजी सेवाएं भी दी जा सकेंगी. शिक्षा और प्रशिक्षण सेवाएं जिनमें विद्यालय, महाविद्यालय, व्यवसायिक शिक्षा, रोजगार आदि के आवेदन के बारे में कार्यवाही. स्वास्थ्य सेवाएं भी सीएसी केंद्र का एक प्रमुख कार्य है.

सीएससी के जरिए कैसे होगी कमाई

टेलिकौम मंत्रालय के रिसर्च के मुताबि्क सीएससी के जरिए ग्रामीण इलाकों में सूचनाएं प्राप्त की जा सकेगी. इंटरनेट से जुड़ी सर्विस गांवों में भी पहुंच रही हैं. इन सेंटर्स में आईडी कार्ड एवं वेडिंग कार्ड की प्रिंटिंग, लेमिनेशन, डिजाइनिंग, डौक्‍युमेंट की स्‍कैनिंग व प्रिंटिंग होती है. स्‍टूडेंट्स को कम्प्‍यूटर सिखाया जाता है और वह आसपास के गांवों के युवाओं को जौब फौर्म भी देते हैं, जिन्‍हें अलग-अलग वेबसाइट से डाउनलोड किया जाता है.

चलिये देश के इतिहास को जानें

आज हम आपको म्यूजियम के बारे में बाताने जा रहें हैं. देश के हर म्यूजियम की अपनी एक अलग ही कहानी है और अपनी खासियतों की वजह से वह अस्तित्व में बना हुआ है. कोई म्यूजियम एशिया का सबसे बड़ा म्यूजियम है तो कहीं पर मानव कंकाल या यू कहें ममी को जगह दी गई है. कही रेलवे का इतिहास है तो कहीं पे गुड़ियों की श्रृंखला.

तो चलिये आज आपको हम ले चलते हैं देश के कुछ खास म्यूजियम. यकिन मानिए इन जगहों पर आकर आप को काफी अच्छा अनुभव होगा और देश के बारे में जानने को काफी कुछ मिलेगा.

इंडियन म्‍यूजियम, कोलकाता

पश्‍चिम बंगाल के कोलकाता में स्‍थित भारतीय संग्रहालय भारत के सर्वश्रेष्ठ संग्रहालयों में से एक है. यहां प्राचीन वस्तुओं, युद्धसामग्री, गहने, कंकाल, ममी, जीवाश्म, तथा मुगल चित्र आदि का दुर्लभ संग्रह है. इसकी स्थापना डा. नथानियल वालिक नाम के डेनमार्क के वनस्पतिशास्त्री ने सन 1814 में की थी. यह एशिया का सबसे पुराना और भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है.

शंकर इंटरनेशनल डौल्‍स म्‍यूजियम, दिल्‍ली

शंकर अन्तर्राष्ट्रीय डौल्‍स संग्रहालय नई दिल्ली में स्थित है जिसे मशहूर कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई ने बनाया था. यहां विभिन्न परिधानों में सजी गुड़ियों का संग्रह है, जो विश्व के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है. यह संग्रहालय बहादुर शाह जफर मार्ग पर चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के भवन में स्थित है. इस गुड़िया घर के निर्माण के पीछे एक रोचक कहानी है. कहते हैं कि जवाहरलाल नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री थे तो शंकर उनके साथ जाने वाले पत्रकारों के दल के सदस्य थे. उनकी गुड़ियों में गहरी रुचि थी.

वे प्रत्येक देश की तरह-तरह की गुड़ियां एकत्र किया करते थे. धीरे-धीरे उनके पास 500 तरह की गुड़ियां इकट्ठी हो गईं. तो अपने कार्टूनों के साथ वे इन गुड़ियों की भी प्रदर्शनी लगाने लगे. इसमें एक ही मुश्‍किल थी कि बार-बार गुड़ियों को लाने ले जाने में कई टूट जाती थीं.

एक बार नेहरू अपनी बेटी इन्दिरा गांधी के साथ प्रदर्शनी देखने गए और वो उन्‍हें बेहद पसंद आई. उस समय शंकर ने उन्हें अपनी परेशानी बताई और नेहरू जी ने उनके लिए एक स्थाई घर का सुझाव दिया. इस तरह गुड़ियों को रहने के लिए “गुड़िया घर” नाम का एक अनोखा घर मिल गया. 5184.5 वर्ग फुट आकार वाले इस संग्रहालय में 160 से अधिक कांच के केस में गुड़ियां सजी हैं.

केलिको म्‍यूजियम औफ टैक्‍सटाइल, अहमदाबाद

केलिको वस्‍त्र संग्रहालय भारत के शानदार कपड़ा संग्रहालयों में से एक है और यह भारतीय कपड़ों के विविध संग्रह के कारण जाना जाता है. अहमदाबाद में इस संग्रहालय को श्री गौतम साराभाई और उनकी बहन गीरा साराभाई ने 1949 में स्‍थापित किया था. यहां न केवल भारत में मुगल युग के दौरान बने प्राचीन कपड़ो को प्रदर्शित किया गया है बल्कि यह देश के विभिन्न हिस्सों के कपड़ा उद्योग की प्रगति के बारे में भी बताता है. यहां प्रदर्शित सुंदर कश्मीरी पश्मीना, कालीन और इकत हथकरघा के सामान देखने लायक हैं. इस संग्रहालय में 10 साल से कम आयु वाले बच्चों को आने की अनुमति नहीं है.

एचएएल हैरिटेज सेंटर एंड एयरोस्‍पेस म्‍यूजियम, बेंगलुरु

ये भारत में अपनी तरह का पहला म्‍यूजियम है. इसे हिंदुस्‍तान एयरोनौटिक्‍स लिमिटेड ने बनवाया है इसीलिए इसे एचएएल हैरिटेज सेंटर एंड एयरोस्‍पेस म्‍यूजियम कहा जाता है. बंगलुरू शहर के रेलवे स्‍टेशन से लगभग 10 किलोमीट दूर ये म्‍यूजियम 4 एकड़ के क्षेत्रफल में हरे भरे इलाके में बनाया गया है. म्‍यूजियम के दो मुख्‍य भवन हैं जिनमें से एक में कई तस्‍वीरों के जरिए 1940 से लेकर अब तक एवियेशन के क्षेत्र में हर दशक में हुए विकास को दर्शाया गया है. जबकि दूसरा हाल मोटर क्रौस सेक्शन कहलाता है, इसमें एयरो इंजन के मौडल रखे हैं जो इंजन के विभिन्‍न कार्यों को हाईलाइट करते हैं.

सालार जंग म्‍यूजियम, हैदराबाद

सलारजंग संग्रहालय एक चर्चित म्यूजियम है, जहां हैदराबाद के समृद्ध और गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित किया गया है. ये देश के तीन राष्ट्रीय संग्रहालय में से एक है. यह संग्रहालय 1951 में नवाब मीर यूसुफ खान के महल में स्थापित किया गया था. जिसे अब लोकप्रिय सालार जंग तृतीय कहा जाता है. संग्रहालय में कार्पेट, फर्नीचर, मूर्ति, पेंटिंग्स, पांडुलिपि, मृत्कला, टेक्सटाइल, घड़ी और धातु की अन्य चीजें रखी गई हैं. यह सभी चीजें सलार जंग परिवार की थी, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ी थीं. इनमें से कुछ चीजें पहली शताब्दी की हैं. कहते हैं कि नवाब मीर यूसुफ अली खान ने 35 सालों के दौरान अपने धन का एक बड़ा हिस्सा इन चीजों को इकठ्ठा करने मे खर्च कर दिया था.

नेशनल रेल म्‍यूजियम, दिल्‍ली

राष्ट्रीय रेल परिवहन संग्रहालय नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित है, जो भारत की रेल धरोहर के बारे में बताता है और रेलों के 140 साल के इतिहास की झलक प्रस्तुत करता है. यह संग्रहालय लगभग 11 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है. इस संग्रहालय में भाप इंजनों और कोयले से चलने वाली गाड़ियों के मौडल के अलावा, पूर्व वाइसरीगल डाइनिंग कार, और मैसूर के महाराजा रोलिंग सैलून जैसी सुविधाजनक गाडियां भी प्रस्‍तुत की गई हैं. फेयरी लोकोमोटिव क्वीन भी यहां दिखाई गई रेलों में एक अहम हिस्सा है. इस संग्रहालय में ट्रेनों के अदंर की पुरानी तस्वीरों की जानकारी का एक बड़ा संग्रह भी शामिल है. इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार एम जी सेटो ने 1957 में किया था. यहां पूरे संग्रहालय में घुमाने वाली एक छोटी रेलगाड़ी भी चलती है. इस संग्रहालय में विश्व की प्राचीनतम चालू हालत की रेलगाड़ी भी है, जिसका इंजन सन 1855 में निर्मित हुआ था.

गवरमेंट म्‍यूजियम, चेन्‍नई

चेन्नई के एग्मोर में बना है गवरमेंट संग्रहालय इसीलिए इसे एग्मोर संग्रहालय भी कहा जाता है. यह संग्रहालय एक सुंदर औपनिवेशिक इमारत पैन्थियोन कौम्प्लेक्स में स्थित है. दक्षिण भारत के इतिहास की सबसे वैभवशाली झलक इस संग्रहालय में दिखाई देती है. इसकी कांस्य मूर्तिकला संग्रह गैलरी में 7वीं शताब्दी के पल्लव शासन के दौर की कांस्य की मूर्तियां रखी गई हैं और 9 वीं और 11 वीं शताब्दियों के बीच चोल साम्राज्य की भी कुछ बेहतरीन मूर्तियां यहां मौजूद हैं. इस संग्रहालय में प्राचीन दक्षिण भारत के कुछ बौद्ध अवशेष और सिक्के भी रखे हैं.

द प्रिंस औफ वेल्‍स म्‍यूजियम, मुंबई

द प्रिंस औफ वेल्‍स म्‍यूजियम को अब छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय मुंबई के नाम से जाना जाता है. इसका निर्माण 1922 में वेल्स के राजकुमार की भारत यात्रा के समय किया गया था. इसका निर्माण मुम्बई के प्रतिष्ठित उद्योगपतियो और नागरिकों से सहायता लेकर मुम्बई सरकार ने स्मारक के रूप में करवाया था. यह भव्य भवन दक्षिण मुम्बई के फोर्ट एरिया में विलियम मे, एल्फिंस्टन कालेज के सामने स्‍थित है. इसके सामने रीगल सिनेमा और पुलिस आयुक्त का कार्यालय बना है.

नेपियर म्‍यूजियम, तिरुअनंतपुरम

नेपियर म्‍यूजियम केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में है. इसका भवन भारतीय सीरियन वास्तुशैली में बना है. 1855 में बना ये भवन भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है. इसका नाम मद्रास के गवर्नर लौर्ड चार्ल्स नेपियर के नाम पर रखा गया है. संग्रहालय में कई ऐतिहासिक मूर्तियां, आभूषण, हाथी दांत की कलात्मक वस्तुयें और 250 वर्ष पुरानी नक्काशी से बनी हुई चीजें रखी गई हैं.

अनुष्का को अपना बनाने की तैयारी में हैं बाहुबली प्रभास

बाहुबली सीरीज में अनुष्का शेट्टी और प्रभास द्वारा निभाये गये देवसेना और बाहुबली के किरदार को भारत ही नहीं दुनियाभर में भी काफी पसंद किया गया है. ‘बाहुबली-द कनक्लूजन’ की अपार सफलता के साथ प्रभास (37) और अनुष्का (35) की औनस्क्रीन और औफस्क्रीन केमिस्ट्री ने जमकर सुर्खियां बटोरी. शायद इसी बात से प्रभावित होकर उन्होंने असल जिंदगी में भी एक-दूसरे को अपना बनाने की कसम खा ली है.

खबरें आ रही हैं कि इस साल दिसंबर में दोनों शादी करने जा रहे हैं. साउथ एशियन सिनेमा मैग्जीन के फिल्म और फैशन क्रिटिक उमेर संधू ने इस बात की पुष्टि की है. उमेर ने दो ट्विट करते हुए प्रभास और अनुष्का की रिलेशनशिप का खुलासा किया है. साथ ही उनका यह भी कहना है कि वह दोनों दिसबंर में सगाई भी करने जा रहे हैं.

पहले ऐसी खबरें आई थी कि प्रभास के घरवालों ने उनकी शादी किसी बिजनेसमैन की बेटी से तय कर दी है. लेकिन अब लगता है कि अनुष्का ही उनकी लाइफ पार्टनर होंगी. हालांकि, अब तक जोड़ी ने अपने रिलेशनशिप का खुलासा नहीं किया है.

मालूम हो कि ‘बाहुबली’ की शूटिंग के दौरान प्रभास को लगभग 6000 शादी के प्रपोजल आये थे. लेकिन इस फ्रेंचाइजी को अपने 5 साल देने की वजह से प्रभास ने शादी नहीं की. कहा तो यह भी जा रहा है कि प्रभास ने ‘बाहुबली’ की शूटिंग के दौरान न खुद शादी की और न ही अनुष्का को करने दिया. दरअसल, इस फिल्म से पहले अनुष्का की शादी होने वाली थी, लेकिन प्रभास ने अनुष्का की शादी इसलिए रुकवाई थी क्योंकि वो चाहते थे कि उनकी तरह अनुष्का भी ‘बाहुबली’ पर आपना पूरा ध्यान दें.

आपको बता दें कि ‘बाहुबली’ से पहले बिल्ला (2009) और मिर्ची (2013) में भी प्रभास और अनुष्का एक दुसरे के साथ स्क्रीन शेयर कर चुके हैं. हाल ही में ‘बाहुबली’ की पूरी टीम यानी प्रभास, अनुष्का शेट्टी, राणा दुग्गाबाती को रवीना टंडन के साथ पार्टी करते हुए देखा गया था.

खड़े होकर पानी पीना हो सकता है आपके लिए खतरनाक

पानी पीने का भी एक तरीका होता है. जिसे अपनाना बेहद जरूरी है. पानी पीते वक्‍त हम ज्‍यादा सोचते नहीं हैं. जब भी हमें प्‍यास लगती है, हम झट से बोतल उठाते हैं और पानी पी लेते हैं. घर में बड़े-बूढ़े अक्सर ही कहते हैं कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए, लेकिन हम उनकी इस हिदायत को हर बार नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि खड़े होकर पानी पीना आपके शरीर के लिए कितना ज्यादा खतरनाक है.

ऐसा कहा जाता है कि खड़े होकर पानी पीने से पानी हमारे पीने की स्‍पीड बढ़ जाती है. जब आप खड़े होकर पानी पीती हैं तब आपकी नसें तनाव में आ जाती हैं. नसों के तनाव में आने से शरीर को खतरे का अंदेशा होने लगता है. डाक्‍टर धनवन्‍तरि के मुताबिक यहीं से अर्थराइटिस और घुटने के दर्द की शुरुआत होती है. पानी को हवा की तरह धीरे और आराम से लेना चाहिए क्योंकि तेजी से पानी पीने पर विंड पाइप और फूड पाइप में आक्‍सीजन की कमी हो सकती है. इसका सीधा असर दिल और गुर्दे पर पड़ता है. यही नहीं तेजी से पानी पीने के दौरान फूड पाइप में हवा का दबाव बनने लगता है. इससे हड्डियों और जोड़ों में खराबी आ जाती है, वह कमजोर हो जाती हैं और उनमें दर्द भी होने लगता है.

खड़े होकर पानी पीने वाली बात भले ही आपको बकवास लगे, लेकिन आपको बता दें कि अगर बैठकर भी पानी तेजी से पिया जाए तो भी ये खतरनाक हो सकता है. इसलिए पानी पीने की स्‍पीड का खयाल रखें. हमेशा बैठकर धीरे-धीरे और आराम से ही पानी पीएं.

क्रोम नेलपालिश से सजाएं अपने नाखून

आजकल क्रोम नेलपालिश काफी चलन में है. अगर आपको भी अपने नाखूनों को सजाना, हमेशा फैशन के साथ चलना और उसके साथ अपडेट रहना पसंद है तो आपको क्रोम ट्रेंड के बारे में जरूर पता होना चाहिए. क्रोम कलर आपके नाखूनों को सुन्दर और आकर्षक बनाते हैं.

अब क्रोम सिर्फ मेटैलिक सिल्‍वर तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि अब इसके कापर, बीज, गोल्‍ड और शैंपेन लुक मटैलिक शेड भी आने लगे हैं और आजकल तो सिल्‍वर, ब्‍लैक सबसे ज्‍यादा क्‍लासिक क्रोम कलर हैं. 

मेटैलिक रैड विद राइनस्‍टोंस

अगर आप ग्‍लैमरस दिखना चाहती हैं तो आपको यह अपनाना चाहिए. इसमें रैड क्रोम में सिल्‍वर और सजावट के लिए कुछ राइनस्‍टोंस का प्रयोग किया जाता है. लाल रंग के ऊपर राइनस्‍टोंस का होना उनकी खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देती है.

रोज गोल्‍ड

रोज गोल्‍ड क्रोम नेल्‍स काफी क्‍लासी लुक देते हैं और इन्‍हें आप किसी भी मौके पर करवा सकती हैं. इसमें कुठ स्‍टोंस का 3डी इफेक्‍ट भी दिखने में बहुत बढिया लगता है. 

आम्‍ब्रे क्रोम

अगर आप गोल्‍ड और सिल्‍वर में से किसी एक को नहीं चुन पा रहीं हैं तो आपको आम्‍ब्रे ट्राई करना चाहिए. गोल्‍ड के साथ शुरू होकर नाखूनों के टौप पर सिल्‍वर रंग किया जाता है.

मटैलिक ब्‍लू

ब्‍लू नेल पेंट पर छोटे समुद्री जीवों के स्टिकर्स चिकपाएं जाते हैं. ये वाकई काफी खूबसूरत और आकर्षित लगता है. इसे आप किसी भी पार्टी या थीम के साथ मैच कर सकती हैं.

कापर क्रोम

सभी क्रोम कलर्स में कापर क्रोम सबसे ज्‍यादा पसंद किया जाता है. शीशे की तरह चमकता हुआ ये रंग दिखने में बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक लगता है साथ ही आप इसे हर आउटफिट के साथ प्रयोग कर सकती हैं.

होलोग्राफिक टिप

अगर आप बिना कोई ज्‍यादा मेहनत किए क्रोम नेल्‍स लुक पाना चाहती हैं तो आपको होलोग्राफिक टिप करवाना चाहिए. इस प्रक्रिया में आपके नाखूनों को ट्रांसपेरेंट बेस से ढका जाता है और नाखूनों के टिप पर V आकार में 3डी ग्लिटर लगाई जाती है. कम मेहनत में परफैक्‍ट लुक पाने का ये सबसे आसान और बढिया तरीका है. इसे बनवाते समय अपने हाथों को बिलकुल सीधा रखें तभी ये परफैक्‍ट बन पाएगा.

होलोग्राफिक क्रोम कलर

चमक, रंग और स्‍टाइलिश होने कारण इसे सभी प्रकार के क्रोम कलर में सबसे ज्‍यादा पसंद किया जाता है. होलोग्राफिक नेल्‍स के लिए मार्केट में होलोग्राफिक सैलोफेन और फाइल जैसे कई सारे उपकरण मौजूद हैं.

इन बौलीवुड सितारों का निक नेम जान नहीं रोक पाएंगी आप अपनी हंसी

बौलीवुड और बौलीवुड सितारों के बारे में तो आप बहुत कुछ जानती होंगी. अपने पसंदीदा सितारा से जुड़ी हर छोटी बड़ी खबर की जानकारी रखती होंगी आप. लेकिन क्या आप उनका निक नेम जानती हैं?

आप सोचती होंगी की बौलीवुड सितारे बहुत रायल जिंदगी जीते हैं और उनका हम आम लोगों की तरह कुछ भी नहीं होगा. लेकिन हम आपको बता दें कि आप गलत सोचती हैं. बौलीवुड सितारों का भी निक नेम होता है. और कुछ सितारों के निक नेम तो तो इतने फनी हैं कि आप वो नाम जानकर अपनी हंसी नहीं रोक सकेंगी. तो जानिए अपने पसंदीदा सितारा का निक नेम.

प्रियंका चोपड़ा

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक में अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा को पिग्गी चौप्स के नाम से भी जाना जाता है लेकिन उनके खास दोस्त उन्हें मिट्ठू बोलते हैं.

श्रद्धा कपूर

अभिनेत्री श्रद्धा कपूर का नाम जानकर आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है. उनका निम नेम है चिरकुट और ये नाम उन्हें किसी और ने नहीं बल्कि उनके बचपन के दोस्त और अभिनेता वरुण धवन ने दिया है.

ऐश्वर्या राय बच्चन

बच्चन परिवार की बहू, पूर्व मिस वर्ल्ड और बौलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल मेल नहीं खाता. ऐश का निक नेम गुल्लू है.

आलिया भट्ट

बौलीवुड की राइजिंग स्टार और बेहतरीन एक्टर आलिया भट्ट को लोग प्यार से आलू कहते हैं. आलिया पहले मोटी हुआ करती थीं इसलिए उनका नाम आलू रखा गया.

रणबीर कपूर

अभिनेता रणबीर कपूर का निक नेम काफी इंटरेस्टिंग है. उनकी मां नीतू कपूर उन्हें रेमंड कहकर बुलाती है. नीतू का मानना है कि वो कंप्लीट मैन हैं इसलिए उन्होंने अपने बेटे को ये नाम दिया.

शाहिद कपूर

बौलीवुड के चाकलेट ब्वाय शाहिद कपूर का निक नेम साशा है.

बिपाशा बसु

बौलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु को अक्सर लोग बिप्स कहते हैं लेकिन उनके परिवार के लोग और खास दोस्त उन्हें बनी कहकर बुलाते हैं, क्योंकि बिपाशा जब पैदा हुईं थीं तब काफी हेल्दी थीं.

सोनम कपूर

सोनम कपूर अपने ग्लैमरस अंदाज और स्टाइल के लिए जानी जाती हैं. वो लंबी हैं इसलिए उनके पापा अनिल कपूर प्यार से उन्हें जिराफ कहकर चिढ़ाते हैं.

सुष्मिता सेन

साल 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली अभिनेत्री सुष्मिता सेन को उनके दोस्त टीटू कहते हैं.

परिणीति चोपड़ा

हाल ही में अपनी फिल्म मेरी प्यारी बिंदु का गाना माना की हम यार नहीं गाना गाकर लोकप्रिय हुई परिणीति चोपड़ा का निक नेम टिशा है.

जेनेलिया डिसूजा

अभिनेत्री जेनेलिया को उनके घरवाले प्यार से चीनू कहकर पुकारते हैं. वैसे जेनेलिया जितनी क्यूट हैं उनका निक नेम भी उतना ही क्यूट है.

करीना कपूर

करीना कपूर का निक नेम भी काफी पौपुलर है. करीना का निक नेम बेबो है.

रितिक रोशन

अभिनेता रितिक रोशन का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल अलग है. रितिक का निक नेम डुग्गू है. वहीं उनके पापा राकेश रौशन का निक नेम गुड्डू है.

कोंकणा सेन शर्मा

अभिनेत्री कोंकणा सेन का निक नेम कोको है.

अक्षय कुमार

बौलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार का असली नाम राजीव भाटिया है और इसी वजह से उनक दोस्त उन्हें राजू कहते हैं.

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