क्रोम नेलपालिश से सजाएं अपने नाखून

आजकल क्रोम नेलपालिश काफी चलन में है. अगर आपको भी अपने नाखूनों को सजाना, हमेशा फैशन के साथ चलना और उसके साथ अपडेट रहना पसंद है तो आपको क्रोम ट्रेंड के बारे में जरूर पता होना चाहिए. क्रोम कलर आपके नाखूनों को सुन्दर और आकर्षक बनाते हैं.

अब क्रोम सिर्फ मेटैलिक सिल्‍वर तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि अब इसके कापर, बीज, गोल्‍ड और शैंपेन लुक मटैलिक शेड भी आने लगे हैं और आजकल तो सिल्‍वर, ब्‍लैक सबसे ज्‍यादा क्‍लासिक क्रोम कलर हैं. 

मेटैलिक रैड विद राइनस्‍टोंस

अगर आप ग्‍लैमरस दिखना चाहती हैं तो आपको यह अपनाना चाहिए. इसमें रैड क्रोम में सिल्‍वर और सजावट के लिए कुछ राइनस्‍टोंस का प्रयोग किया जाता है. लाल रंग के ऊपर राइनस्‍टोंस का होना उनकी खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देती है.

रोज गोल्‍ड

रोज गोल्‍ड क्रोम नेल्‍स काफी क्‍लासी लुक देते हैं और इन्‍हें आप किसी भी मौके पर करवा सकती हैं. इसमें कुठ स्‍टोंस का 3डी इफेक्‍ट भी दिखने में बहुत बढिया लगता है. 

आम्‍ब्रे क्रोम

अगर आप गोल्‍ड और सिल्‍वर में से किसी एक को नहीं चुन पा रहीं हैं तो आपको आम्‍ब्रे ट्राई करना चाहिए. गोल्‍ड के साथ शुरू होकर नाखूनों के टौप पर सिल्‍वर रंग किया जाता है.

मटैलिक ब्‍लू

ब्‍लू नेल पेंट पर छोटे समुद्री जीवों के स्टिकर्स चिकपाएं जाते हैं. ये वाकई काफी खूबसूरत और आकर्षित लगता है. इसे आप किसी भी पार्टी या थीम के साथ मैच कर सकती हैं.

कापर क्रोम

सभी क्रोम कलर्स में कापर क्रोम सबसे ज्‍यादा पसंद किया जाता है. शीशे की तरह चमकता हुआ ये रंग दिखने में बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक लगता है साथ ही आप इसे हर आउटफिट के साथ प्रयोग कर सकती हैं.

होलोग्राफिक टिप

अगर आप बिना कोई ज्‍यादा मेहनत किए क्रोम नेल्‍स लुक पाना चाहती हैं तो आपको होलोग्राफिक टिप करवाना चाहिए. इस प्रक्रिया में आपके नाखूनों को ट्रांसपेरेंट बेस से ढका जाता है और नाखूनों के टिप पर V आकार में 3डी ग्लिटर लगाई जाती है. कम मेहनत में परफैक्‍ट लुक पाने का ये सबसे आसान और बढिया तरीका है. इसे बनवाते समय अपने हाथों को बिलकुल सीधा रखें तभी ये परफैक्‍ट बन पाएगा.

होलोग्राफिक क्रोम कलर

चमक, रंग और स्‍टाइलिश होने कारण इसे सभी प्रकार के क्रोम कलर में सबसे ज्‍यादा पसंद किया जाता है. होलोग्राफिक नेल्‍स के लिए मार्केट में होलोग्राफिक सैलोफेन और फाइल जैसे कई सारे उपकरण मौजूद हैं.

इन बौलीवुड सितारों का निक नेम जान नहीं रोक पाएंगी आप अपनी हंसी

बौलीवुड और बौलीवुड सितारों के बारे में तो आप बहुत कुछ जानती होंगी. अपने पसंदीदा सितारा से जुड़ी हर छोटी बड़ी खबर की जानकारी रखती होंगी आप. लेकिन क्या आप उनका निक नेम जानती हैं?

आप सोचती होंगी की बौलीवुड सितारे बहुत रायल जिंदगी जीते हैं और उनका हम आम लोगों की तरह कुछ भी नहीं होगा. लेकिन हम आपको बता दें कि आप गलत सोचती हैं. बौलीवुड सितारों का भी निक नेम होता है. और कुछ सितारों के निक नेम तो तो इतने फनी हैं कि आप वो नाम जानकर अपनी हंसी नहीं रोक सकेंगी. तो जानिए अपने पसंदीदा सितारा का निक नेम.

प्रियंका चोपड़ा

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक में अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा को पिग्गी चौप्स के नाम से भी जाना जाता है लेकिन उनके खास दोस्त उन्हें मिट्ठू बोलते हैं.

श्रद्धा कपूर

अभिनेत्री श्रद्धा कपूर का नाम जानकर आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है. उनका निम नेम है चिरकुट और ये नाम उन्हें किसी और ने नहीं बल्कि उनके बचपन के दोस्त और अभिनेता वरुण धवन ने दिया है.

ऐश्वर्या राय बच्चन

बच्चन परिवार की बहू, पूर्व मिस वर्ल्ड और बौलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल मेल नहीं खाता. ऐश का निक नेम गुल्लू है.

आलिया भट्ट

बौलीवुड की राइजिंग स्टार और बेहतरीन एक्टर आलिया भट्ट को लोग प्यार से आलू कहते हैं. आलिया पहले मोटी हुआ करती थीं इसलिए उनका नाम आलू रखा गया.

रणबीर कपूर

अभिनेता रणबीर कपूर का निक नेम काफी इंटरेस्टिंग है. उनकी मां नीतू कपूर उन्हें रेमंड कहकर बुलाती है. नीतू का मानना है कि वो कंप्लीट मैन हैं इसलिए उन्होंने अपने बेटे को ये नाम दिया.

शाहिद कपूर

बौलीवुड के चाकलेट ब्वाय शाहिद कपूर का निक नेम साशा है.

बिपाशा बसु

बौलीवुड अभिनेत्री बिपाशा बसु को अक्सर लोग बिप्स कहते हैं लेकिन उनके परिवार के लोग और खास दोस्त उन्हें बनी कहकर बुलाते हैं, क्योंकि बिपाशा जब पैदा हुईं थीं तब काफी हेल्दी थीं.

सोनम कपूर

सोनम कपूर अपने ग्लैमरस अंदाज और स्टाइल के लिए जानी जाती हैं. वो लंबी हैं इसलिए उनके पापा अनिल कपूर प्यार से उन्हें जिराफ कहकर चिढ़ाते हैं.

सुष्मिता सेन

साल 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली अभिनेत्री सुष्मिता सेन को उनके दोस्त टीटू कहते हैं.

परिणीति चोपड़ा

हाल ही में अपनी फिल्म मेरी प्यारी बिंदु का गाना माना की हम यार नहीं गाना गाकर लोकप्रिय हुई परिणीति चोपड़ा का निक नेम टिशा है.

जेनेलिया डिसूजा

अभिनेत्री जेनेलिया को उनके घरवाले प्यार से चीनू कहकर पुकारते हैं. वैसे जेनेलिया जितनी क्यूट हैं उनका निक नेम भी उतना ही क्यूट है.

करीना कपूर

करीना कपूर का निक नेम भी काफी पौपुलर है. करीना का निक नेम बेबो है.

रितिक रोशन

अभिनेता रितिक रोशन का निक नेम उनकी पर्सनैलिटी से बिल्कुल अलग है. रितिक का निक नेम डुग्गू है. वहीं उनके पापा राकेश रौशन का निक नेम गुड्डू है.

कोंकणा सेन शर्मा

अभिनेत्री कोंकणा सेन का निक नेम कोको है.

अक्षय कुमार

बौलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार का असली नाम राजीव भाटिया है और इसी वजह से उनक दोस्त उन्हें राजू कहते हैं.

चलिए ले चलें आपको बाहुबली के बैक स्टेज, जानें कैसे बनी यह फिल्म

प्रभास को आपने बाहुबली बने देखा. एक ही फिल्म में दो दो किरदार निभाते देखा. अमरेन्द्र बाहुबली और महेन्द्र बाहुबली का. लेकिन क्या आपको पता है कि राजमौली जब ये कहानी बुन रहे थे तो बाहुबली के किरदार के लिए उनके दिमाग में पहला नाम प्रभास का नहीं बल्कि बौलीवुड के सुपरहीरो ऋतिक रौशन का था. बताते हैं कि बाहुबली के लिए राजामौली ने ऋतिक रौशन से बात भी की लेकिन तब ऋतिक एक ऐसी ही पीरियड फिल्म मोहनजोदारो के लिए आशुतोष गोवारिकर को हामी भर चुके थे. मोहनजोदारो की तैयारियां शुरू भी हो गई थी, नतीजतन राजामौली को अपने पुराने स्टार प्रभास की याद आई.

प्रभास के करियर की सबसे बड़ी हिट है बाहुबली और उससे पहले भी प्रभास के करियर की दूसरी सबसे बड़ी हिट है छत्रपति. ये दोनो ही फिल्में प्रभास ने डायरेक्टर एस.एस. राजमौली के साथ की है. लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगी कि राजामौली ने अब से 16 साल पहले अपनी पहली फिल्म स्टूडेंट नंबर-1 के लिए भी प्रभास को अप्रोच किया था. लेकिन तब प्रभास ने राजामौली की ये कहानी सुनकर उसे रिजेक्ट कर दिया था. बाद में ये फिल्म सुपर डुपर हिट हुई, तो प्रभास को अफसोस हुआ. इसके चार साल के बाद प्रभास ने राजमौली की छत्रपति साईन की ये तेलुगू फिल्म ब्लौकबस्टर हुई और उसे कन्नड़, तमिल और बंगाली में डब किया गया. बाहुबली के लिए जब राजमौली ने प्रभास को अप्रोच किया तो उनसे सिर्फ एक साल मांगा प्रभास ने बिना सोचे समझे दो साल की डेट्स दे दी. लेकिन हैरानी की बात ये है कि पूरे 5 साल तक प्रभास ने बाहुबली  द बिगनिंग और बाहुबली 2 : द कन्क्लूजन को डेडीकेट कर दिए.

बाहुबली के दूसरे लीड यानि भल्लादेव के कैरेक्टर के लिए राजमौली जौन अब्राहम को साईन करना चाहते थे. कैरेक्टर की डिमांड थी कि उसकी फिजीक कमाल की होनी चाहिए. लंबाई कम से कम 6 फिट की होनी चाहिए. जौन में ये दोनों ही खूबियां थी लेकिन ऋतिक की ना के बाद राजमौली ने साउथ से ही भल्लादेव को साइन करने की सोची. राना दुग्गुबती में ये सारी खूबियां थी. वैसे आपको बताते चलें कि भल्लादेव के कैरेक्टर के लिए सेकेंड च्वाइस बने  राना दुग्गुबती ने ही बौलीवुड में बाहुबली की एंट्री करवाई.

वैसे बाहुबली : द कन्क्लूजन की एक्ट्रेस अनुष्का शेट्टी की खूबसूरती सबके दिलो दिमाग पर छाई है. डायरेक्टर राजमौली के करियर में अनुष्का पहली एक्ट्रेस हैं, जिन्हें उन्होंने अपनी फिल्म में रिपीट किया है. अनुष्का के करियर की पहली सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म विक्रमारकुडु भी राजामौली ने ही डायरेक्ट की थी. वैसे प्रभास और अनुष्का की जोड़ी साउथ की फिल्मों की हिट जोड़ी है. इन दोनों ने मिर्ची और बिल्ला जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया है. वैसे एक अनसुना अफसाना ये भी है कि प्रभास की सुपरहिट फिल्म रिबेल में पहले अनुष्का शेट्टी को साइन किया गया था. लेकिन अनुष्का ने बाद में इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया, तो उन्हें रिप्लेस करने वाली कोई और नहीं, बाहुबली की ही दूसरी हिरोइन तमन्ना थीं. बाहुबली के फर्स्ट पार्ट के लिए अनुष्का को अपना वेट बढ़ाना था और फिर घटाना था. लेकिन बढ़े वेट को घटाने में अनुष्का के पसीने छूट गए और राजामौली अनुष्का से बुरी तरह से नाराज भी हो गए थे. लेकिन मानना होगा कि फाइनल रिजल्ट तो कमाल का है.  

प्रभास और राणा को अपने रोल के लिए स्ट्रिक्ट डायट पर रखा गया था. दोनों को दिन में 6-8 मील खाने थे जिसमें सिर्फ और सिर्फ नौन वेज आईटम थे. हर दो घंटो पर खाना था और हर दिन 2000 से 4000 कैलोरी गेन करनी थी. मेकर्स ने विदेश से मंगा कर प्रभास को बौडी बिल्डिंग की एक एक मशीन भी गिफ्ट की थी जिसकी कीमत 1.5 करोड़ रुपए थी. प्रभास को अपने ब्रेकफास्ट के लिए 40 अंडे खाने होते थे.  

क्या आप जानते हैं कि बाहुबली की कहानी तब ही बुन ली गई थी जब राजमौली 8 साल के थे. राजामौली के पिता विजयेन्द्र प्रसाद बाहुबली के किरदारों की कहानियां सुनाते रहते थे और राजमौली इन किरदारों की अमर चित्रकथा की कहानियों के कार्टून देखकर बुनते रहते थे. बचपन की सुनी इन किरदारों और कहानियों को एक साथ जोड़कर बाहुबली की दुनियां तैयार की गई. विजयेन्द्र प्रसाद ने राजामौली के लिए बाहुबली के लिए अलावा 7 फिल्में और लिखी हैं और आपको जानकर हैरानी होगी कि राजामौली के पिता ने सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान की भी कहानी लिखी है.

बाहुबली के बनने का ऐलान होते ही एक लीगल नोटिस फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के पास पहुंच गया. जिसमें कहा गया कि ये फिल्म जैन धर्म तीर्थंकर बाहुबली पर बेस्ड है. फिल्म के प्रोड्यूसर ने साफ किया कि ये फिल्म विजयेन्द्र प्रसाद की फिक्शनल कहानी पर बेस्ड है. लेकिन लीगल वौर का तमाशा जारी रहा. बाहुबली के मेकिंग वीडियो पर फौर्मेट चुराने का इल्जाम लगा. कहा गया कि फिल्म की मेकिंग दिखाने के लिए उन्होंने एक कस्टमाइज्ड टेंप्लेट का इस्तेमाल किया है. प्रोड्यूसर शोबू ने इस कौन्ट्रोवर्सी को भी दूर करते हुए बताया कि उन्होंने ग्राफिक टेंप्लेट खरीदा है, चुराया नहीं. बाहुबली द बिगनिंग का पहला पोस्टर रिलीज हुआ जिसमें राजमाता शिवगामी देवी का नदी से निकला हाथ बच्चे शिवा को पानी के उपर रखता है. बाहुबली पर फिर से इल्जाम लगा कि उन्होंने 1998 में रिलीज हुई अमेरिकन फिल्म सिमोन बिर्चको कौपी किया है.

कागजों से बाहुबली की दुनिया को कैमरे पर उतारने के लिए हैदराबाद के रामोजी राव फिल्म सिटी में 20 एकड़ का सेट तैयार किया गया. रामोजी फिल्म सिटी में जंगली सुअर के शिकार वाले  स्पेशल सीन के लिए मक्के उगाए गएं थे लेकिन शूटिंग के ठीक एक हफ्ते पहले हुई बारिश ने पूरी मेहनत जाया कर दी. इस एक बारिश के बाद मुश्किलें बढ़ी तेलगू फिल्म फेडरेशन के स्ट्राइक से. नतीजा बाहुबली की पूरी टीम को बुल्गारिया जाना पड़ा जहां वैसे ही मक्के के खेतों के बीच वैसी ही लोकेशन्स के साथ उन्होंने 25 दिनों तक शूटिंग की.

आंध्र प्रदेश के कुरनुल में जब फिल्म की शूटिंग की जा रही ही थी. तब पहले तो बारिश ने उसे रोका और फिर तकरीबन 30 हजार लोग शूटिंग देखने आ गए. बड़ी मुश्किल से प्रभास और राना ने उन्हें मनाया. लेकिन तब ही राजामौली के दिमाग में एक आइडिया आया. उन्होंने वहां आए सारे लोगों को जय बाहुबली के नारे लगाने को कहा और इस साउंड को रिकौर्ड कर लिया. बाहुबली द कन्क्लूजन को अगर आपने देखा है. तो जय बाहुबली का वो साउंड इफेक्ट, फिल्म का सबसे हाई प्वाइंट है.

बाहुबली का माहिस्मति साम्राज्य रामोजी फिल्म सिटी में बनाया गया और इसे बनाने की जिम्मेदारी आर्ट डायरेक्टर साबू सायरिल को सौंपी गई. 2,000 कारपेंटरों, पेंटरों और सेट तैयार करने वाले क्रू ने न सिर्फ दो महल और मूर्तियां बनाईं, बल्कि मशीनी जानवर जैसे बैल, घोड़े और हाथी भी बनाए. फिल्म के पहले पार्ट में माहिष्मती साम्राज्य का सेट बनाने में 28 करोड़ रुपए का खर्च आया था. सेकेंड पार्ट में कुछ नए एलीमेंट्स को जोड़कर फिल्म के कई सीन फिल्माए गए हैं. इसके अलावा अनुष्का के राज्य का एक नया सेट भी तैयार किया गया जिसके प्रोडक्शन डिजाइन का खर्च 35 करोड़ रुपए आया. इस नए सेट के लिए लगातार 500 लोग 50 दिनों तक काम करते रहे.

हेल्दी अंकुरित सलाद

अंकुरित अनाज तो हेल्दी होते ही हैं, लेकिन कई लोगों को यह सादा खाना पसंद नहीं होता है. इसलिए आप इसका सलाद बना सकती हैं. यह खाने में स्वादिष्ट होने के साथ साथ हेल्दी भी है. हमें यकीन है कि अंकुरित सलाद आपको जरूर पसंद आएगा.

सामग्री

1 कप काला चना लोबिया व साबूत मूंग अंकुरित

1/2 कप खीरा कटा

1/2 कप खजूर कटा

1/4 कप सूरजमुखी या खरबूजे के बीज भुने

1 बड़ा चम्मच मूंगफली भुनी व दरदरी कुटी

चुटकी भर कालानमक

1 छोटा चम्मच भुने जीरे का पाउडर

1 नीबू का रस

विधि

मूंग, चना व लोबिया को उबाल लें. अब इस में सारी सामग्री अच्छी तरह मिला लें. ठंडा कर के परोसें.

– व्यंजन सहयोग : माधुरी गुप्ता

स्टाइलिश लुक पाना है, तो अपनाएं मेकअप का यह तरीका

फैशन की दुनिया में मेकअप के अलग ही अंदाज होते हैं. मैगजींस, फैशन रनवेज से ले कर फैशन इंडस्ट्री के लिए वीडियो प्रमोशंस तक हर जगह फैशन मेकअप आर्टिस्ट अपने जलवे बिखेरते हैं.

गृहशोभा के फेब सेमिनार में हेयर ऐंड मेकअप आर्टिस्ट शगुन गोयल ने फैशन मेकअप के बारे में विस्तार से बताया.

ऐसे करें शुरुआत

फैशन मेकअप करने के लिए सब से पहले त्वचा को वैट टिशू से साफ करें. फिर आंखों पर अंडरआई क्रीम लगाएं. इस के बाद स्किन से मैच करते फाउंडेशन की हलकी लेयर लगाएं ताकि आईबौल्स स्किनटोन में आ जाएं और मनपसंद कलर अच्छी तरह निखर कर आए. आईशैडो ज्यादा देर तक टिके इस के लिए फाउंडेशन के ऊपर ट्रांसल्यूशन पाउडर का इस्तेमाल करें.

आंखों को मनपसंद शेप देने के लिए कपड़ों से मैच करते रंग ले कर एक आईशेप तैयार करें. आईशेप तैयार करने के बाद आईलैशेज, आईलाइनर और मसकारा लगाएं.

पूरे चेहरे व गरदन पर विटामिन ई क्रीम लगा कर त्वचा को अच्छी तरह मौइश्चराइज करें. स्किन से मैच करता फाउंडेशन लगाएं और ऊपर से कौंपैक्ट लगा कर स्किन तैयार कर लें. डार्क ब्राउन कलर का प्रयोग करते हुए फेस कंटूरिंग करें. इस तरह चेहरे को ओवल शेप देने के बाद गालों पर सौफ्ट पीच कलर का ब्लशर लगा कर खूबसूरती उभारें. आकर्षण बढ़ाने के लिए हाईलाइटर का प्रयोग करें.

हाई डैफिनेशन फैशन मेकअप

हाई डैफिनेशन मेकअप ब्राइडल और पार्टीज में काफी प्रचलित है. इस मेकअप में थोड़े सौफ्ट कलर यूज करते हुए हेयरस्टाइल बोल्ड रखा जाता है.

सब से पहले स्किन को वैट टिशू से साफ करें फिर आंखों पर अंडरआई क्रीम लगाएं. इस के ऊपर स्किन से मैच करते फाउंडेशन का इस्तेमाल करें. फाउंडेशन लगाते समय लाफिंग लाइन्स, आई कौर्नर्स और लिप कौर्नर्स पर खास ध्यान रखें. ओपन पोर्स को अच्छी तरह फिल करें. अब ट्रांसल्यूशन पाउडर लगा कर स्किन को एकसार कर लें.

लिप मेकअप

2 रंगों जैसे ब्लू और फीरोजी का इस्तेमाल करते हुए लिप शेप तैयार करें. फैशन मेकअप में डार्क कलर की लिपस्टिक अच्छी लगती है. मेकअप लंबे समय तक टिके इस के लिए मेकअप फिक्सर का इस्तेमाल करें. मौडल लुक के हिसाब से हेयरस्टाइल बना कर मेकअप कंप्लीट करें.

आई मेकअप

आंखों को मनपसंद शेप देने के लिए कपड़ों से मैच करते कलर्स का प्रयोग करें. फिर लाइनर और काजल से इन्हें और आकर्षक लुक दें. चेहरे पर फेस प्राइमर लगा कर सिलिकोन फाउंडेशन का इस्तेमाल करें ताकि मेकअप अधिक समय तक टिके.

हाई डैफिनेशन ब्राइडल मेकअप में चेहरे के दागधब्बे, डार्क सर्कल्स वगैरह अच्छी तरह छिपा दिए जाते हैं ताकि ओवर मेकअप लुक न लगे. साधारण मेकअप से ही चेहरा आकर्षक व चमकदार दिखाई दे.

इस मेकअप में कौंपैक्ट की जगह ट्रांसल्यूशन पाउडर का इस्तेमाल करते हैं. आंखों को ऐक्स्ट्रा शाइन देने के लिए ग्लिटर का इस्तेमाल करें. इस मेकअप में लिपस्टिक के शेड्स पिंक, रैड, पीच, निओन जैसे कलर्स में होने चाहिए.

ओपन हेयरस्टाइल

इस फेब सेमिनार में ऐक्सपर्ट शगुन ने एक खास तरह के हेयरस्टाइल के बारे में भी बताया. इस ओपन हेयरस्टाइल के जरीए आप चेहरे की शेप चेंज किए बिना मेकअप कर भी आकर्षक लग सकती हैं.

सब से पहले बालों को थोड़ा सौफ्ट व शाइनी लुक दें. फिर इयर टु इयर शेप में कौंब व स्प्रे की मदद से बैककौंबिंग कर के पफ तैयार करें. बैक से बचे बालों की 2 पोनी बनाएं. अब आगे के जो 2 इंच बाल बचे हुए थे उन में से बारीक लेयर ले कर ऊपर की तरफ स्प्रे की सहायता से एक फायर लुक दें और फिनिशिंग के लिए शाइन स्पे्र का इस्तेमाल कर फिनिशिंग टच दें. फैशन मेकअप एक कलरफुल मेकअप स्टाइल है. इसे अधिक आकर्षक लुक देने के लिए मनपसंद टैटूज भी बनवाए जा सकते हैं.

फेब के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए इस नंबर पर रजिस्टर कराएं – 9650966493

आज से ही शुरू करें रिटायरमेंट की प्लानिंग, इन जगहों पर लगाएं पैसा

पूरी जिंदगी काम करने के बाद जब लोग रिटायर होते हैं तो शांति से जीना चाहते हैं. कई लोग लंबी छुट्टी पर जाते हैं, कुछ लोग खेती में जुट जाते हैं, कुछ लोग पढ़ाने में व्यस्त हो जाते हैं. क्या आपने सोचा है कि रिटायरमेंट के बाद आप क्या करेंगी.

आपने जो भी योजना बनाई हो एक चीज निश्चित है आपको इतना पैसा कमाना होगा कि आप अपनी पूरी जिंदगी सुकुन के साथ बिता सकें. रिटायरमेंट के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत जल्दी करनी होगी. आपको जैसे ही पहली सैलरी मिलती है आपको रिटायरमेंट की तैयारी करनी होगी. आप ये सोचकर न चलें कि आपके पास रिटायरमेंट के लिए बहुत समय है. आज हम आपको नेशनल पेंशन सिस्टम और पब्लिक प्रोविडेंड फंड के बारे में बताएंगे. इन दोनों को ही रिटायरमेंट की बचत के लिए उपयोग किया जाता है. आइए पहले इन दोनों को समझते हैं.

नेशनल पेंशन सिस्टम

ये रिटायरमेंट का प्रोडक्ट पेंशन फंड रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथौरिटी चलाती है. इसके जरिए सरकार पेंशन देती है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए रिटायरमेंट की सेविंग इसके जरिए की जा सकती है. इसमें आपको खुद अपने से बचत करनी होगी. ये आपके ऊपर है कि रिटायरमेंट के लिए आपको कितनी बचत करनी है. इसका फंड आपके योगदान पर ही निर्भर करेगा.

ये कैसे काम करता है

  • अर्जी देने वाले की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए
  • सिर्फ भारत के नागरिक ही अर्जी दे सकते हैं

रिटायरमेंट के समय

  • योगदान की रकम में से 40 फीसदी आयकर मुक्त
  • पीएफआरडीए से मान्यता प्राप्त लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से एन्युटी खरीदनी होगी

पेंशन

  • आपकी पेंशन आपने कितना पैसा इकठ्ठा किया है इस पर निर्भर करेगी
  • एन्युटी पर टैक्स आपके टैक्स ब्रेकेट के हिसाब से लगेगा

पीपीएफ

ये भी केंद्र सरकार की ही स्कीम है. इसको पब्लिक प्रोविडेंड फंड एक्ट 1968 के तहत बनाया गया है. ये सरकार समर्थित लंबे समय की बचत स्कीम है. ये स्कीम खुद का कारोबार करने वाले जैसे दुकानदार, एमएमइ के स्टाफ के लिए बनाई गई थी. कई लोगों ने इस स्कीम के जरिए रिटायरमेंट की बचत की. इसमें निवेश किया गया पैसे पर मिला ब्याज टैक्स फ्री होता है. मैच्युरिटी पर मिलने वाली रकम भी टैक्स से मुक्त होती है. इसमें बस एक ही दिक्कत है पीपीएफ का पैसा 15 साल के लिए ब्लौक हो जाएगा. सातवे साल से आपको साल में एक बार रकम निकालने की अनुमति मिलेगी. पहली बार पैसा आपके निवेश किए गए साल के पूरा होने के बाद 5 पूरे वित्तीय वर्ष खत्म होने पर मिलेगा. इसका मतलब है कि आपने जिस दिन से अकाउंट खोला उसके बाद 6 वित्तीय वर्ष पूरे होने चाहिए. इसके बाद आप साल में एक बार पैसे निकाल सकते हैं. आपके अकाउंट में चौंथे साल में जितनी रकम थी उसका 50 फीसदी आप निकाल सकते हैं.

इस अकाउंट की खास बातें

  • लाभ लेने के लिए आपको भारतीय होना जरूरी
  • उम्र का कोई बंधन नहीं, बच्चे का भी अकाउंट खुल सकता है
  • ब्याज दर सालाना 7.9 फीसदी मिलेगी
  • 15 साल के लिए पैसे निवेश होते हैं. इसमें बाद आप 5-5 साल के अंतराल पर निवेश कर सकते हैं
  • सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख तक आयकर में छूट
  • आप किसी भी पोस्ट औफिस या चुनिंदा बैंक में खाता खुलवा सकते हैं
  • एचयूएफ, एनआरआई और विदेशी मूल के लोग निवेश नहीं कर सकते
  • कैश, चेक, डिमांड ड्राफ्ट, पे और्डर या औनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे निवेश कर सकते हैं
  • नौमिनेशन की सुविधा उपलब्ध है

पीपीएफ ब्याज की दर

सरकार हर तिमाही में पीपीएफ की ब्याज दरों में बदलाव करती है. इनका ब्याज सरकार सिक्योरिटीज के हिसाब से तय होता है. अगर साल 2000 से देखें तो पीपीएफ में ब्याज की दर लगातार घट रही है. जनवरी 2000 तक 12 फीसदी ब्याज था. जो 2001 में घटकर 11 फीसदी हो गया. इसके बाद से लगातार दरों में कटौती हो रही है. साल 2017 में इस पर 7.9 फीसदी ब्याज ही मिल रहा है.

क्या ये बचत काफी है

अगर हम पीपीएफ की बात करें तो ये स्कीम अभी भी बचत का अच्छा विकल्प है. इसके जरिए आपको टैक्स फ्री रिटर्न मिलता है. साथ ही इसमें निवेश कर आप सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट का फायदा भी ले सकते हैं. अगर आप रिस्क फ्री रिटर्न कमाना चाहते हैं तो ये एक बढ़िया विकल्प है. अगर हम एनपीएस की बात करें तो इसमें भी आपको 2 विकल्प में निवेश करने की छूट मिलती है. इसमें एक एक्टिव विकल्प है और एक औटो विकल्प.

आप अगर एक्टिव विकल्प अपनाते हैं तो आपकी पेंशन की पूरी रकम सी एसेट क्लास में निवेश होगी. इसका मतलब है आपका पैसा कौर्पोरेट डेट, सरकारी सिक्योरिटी और 50 फीसदी तक इक्विटी में निवेश होगा. जो लोग इक्विटी स्कीम के बारे में नहीं जानते वो औटो विकल्प अपना सकते हैं. इसके तहत आपके निवेश का हिस्सा तीनों जगह निवेश होता है.

इसमें टियर 1 और टियर 2 अकाउंट भी होते हैं. अगर आप टियर 1 अकाउंट का विकल्प चुनते हैं तो आप अकाउंट से पैसे निकाल नहीं सकेंगे. इसमें फायदा ये है कि अगर आप टियर 1 अकाउंट का विकल्प चुनते हैं तो आपको सेक्शन 80 डी के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स छूट का फायदा मिलेगा. अगर आप खुद से इसमें योगदान कर रहे हैं तो अतिरिक्त 50 की और छूट मिलेगी.

दूसरी तरफ टियर 2 अकाउंट खुद के निवेश का सेविंग अकाउंट होता है. ये रिटायरमेंट से लिंक नहीं होता है. आप इस अकाउंट से जब चाहे पैसे निकाल सकते हैं पर इसमें टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है.

ईएलएसएस भी अच्छा विकल्प

आप इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम के जरिए अपनी रिटायरमेंट की योजना बना सकते हैं. इसमें आपको टैक्स का फायदा भी मिलेगा.

अगर पीपीएफ या पेंशन फंड को देखें तो इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम ने लंबे समय में बेहतर रिटर्न दिया है. इनका प्रदर्शन इनसे जुड़े जोखिम को भी दिखाता है. इसमें एक फायदा ये है कि आज जब चाहें तब पैसा निकाल सकेंगे. पीपीएफ और एनपीएस में ऐसा करना संभव नहीं होगा. इतना रिटर्न आपको पीपीएफ और एनपीएस में नहीं मिलेगा. ईएलएसस फंड में 3 साल का लौकइन होता है.

इनके जरिए आप लंबे समय में अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं. इसमें निवेश कर आप 1.5 लाख तक की टैक्स छूट भी ले सकते हैं. अगर आप थोड़ा जोखिम ले सकते हैं तो ईएलएसस आपके लिए बेहतर विकल्प है. छोटी बचत स्कीमों में लगातार ब्याज की दर घट रही है. आप वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इनमें निवेश न करें. इनमें लंबे समय के लिए ही निवेश करें. इसके लिए एसआईपी के जरिए निवेश बेहतर तरीका हैं. तो देर न करें आज से अपने रिटायरमेंट के लिए बचत शुरू कर दें.

खतरों की हैं खिलाड़ी तो जाएं यहां

आज हम आपको एक ऐसे सफर पर ले जाने वाले हैं जहां आपको रोमांच और डर का एहसास होगा. आप सोच रही होंगी की आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो चलिये आपको बतातें है कि आज हम आपको दुनिया में मौजूद कुछ ऐसे पहाड़ों के किनारों की सैर कराने वाले हैं जहां जाकर अच्छे अच्छों की हवा टाईट हो जाती है. अगर आप खुद को रोमांच पसंद कहती हैं तो एक बार यहां के रोमांच का आनंद लें क्योंकि अगर आपने इस टास्क को पूरा कर लिया तो ये तो कहना पड़ेगा की आप खतरों की खिलाड़ी हैं.

केसा डेल अरबोल

इक्‍वाडोर में केसा डेल अरबोल पहाड़ी के सबसे खतरनाक किनारों में से एक है. यहां एक पेड़ के सहारे पर एक झोपड़ी बनी है. पेंड पर एक झूला टंगा हुआ है और अगर आपको रोमांच का अनुभव करना है तो आप इस झूले पर बैठकर दुनिया के सबसे खतरनाक किनारे का मजा ले सकते हैं. लेकिन जरा सम्भल के झूला झूलते वक्त नीचें देखने की गलती भूल से भी ना करें वरना अब तो  आप समझ गई होंगी. तो आप यहां जाईये लेकिन सुरक्षा के साथ.

पलपिट रौक

नौर्वे की पलपिट रौक दुनिया की सबसे खतरनाक पहाडि़यों में से एक है. यहां हर साल हजारों की संख्‍या में सैलानी आते हैं. सैकड़ों फुट ऊंची चोटी के किनारे खड़े होकर नदी का नजारा देखना अपने आप में  रोमांचकारी अनुभव होता है. इसके किनारे खड़े होकर आप डर और सूकून दोनों का लुत्फ ले सकतीं हैं. यहां पर खड़े होना भी अपने आप में एक हिम्मत का काम होता है. आप यहां जब खड़ी होंगी तो आपको समुद्र से आ रही ठंड़ी हवाओं का झोका आपको सूकून का एहसास  कराएंगी.

बीची हेड

समुद्र किनारे बीची हेड पहाड़ी इंग्‍लैंड में स्थित है. ये दुनिया की सबसे खतरनाक पहाड़ी किनारों में से एक है. ये जगह जितनी खूबसूरत है उतनी ही खतरनाक भी है. समुद्र की ओर से आती ठंडी हवा यहां आप को सुकून देगी पर आपने  अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ किया तो ये बेहद खतरनाक हो सकता है.

हम होड क्लिफ

थाईलैंड के साइ थौन्‍ग नेशनल पार्क में स्थित हम होड क्लिफ दुनिया की सबसे खतरनाक और संकरी पहाड़ी किनारों में से एक है. इस पहाड़ी चोटी के किनारे पर बैठ कर आप नेशनल पार्क का खूबसूरत व्‍यू देख सकते हैं. ये व्‍यू पलभर में आपकी सालभर काम करने की थकान को चंद मिनटों में दूर कर देगा.

 ट्रोलतुंगा

ट्रोलतुंगा नौर्वे की सबसे खतरनाक पहाड़ी किनारो में से एक है. रोमांच चाहने वालों के लिए ट्रोलतुंगा जन्‍नत है. यह पहाड़ी समुद्र तल से 1100 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. ये खतरनाक चोटी कई सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्‍द्र है. ये रिंगडाल्‍सवेटनेट झील के किनारे पर हैं. पहाड़ी से झील को शानदार व्‍यू दिखाई देता है. सबसे अच्छी बात की अगर आपने यहां घूमने का प्लान किया है तो यहां का सनसेट देखना ना भूलें यहां की सनसेट आपको दिवाना बनाने के लिये काफी है.

मराठी फिल्म रिव्यू : द साइलेंस

आजकल महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार की घटनाओं पर आधारित फिल्म, सीरियल और नाटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इन माध्यमों के जरिये पीड़ित स्त्रियों की व्यथा प्रदर्शित करना कोई नई बात नहीं है. ‘द साइलेंस’ भी उसी तरह की एक कहानी है. यह फिल्म कुछ साल पहले महराष्ट्र के छोटे से गांव में घटी एक सत्य घटना पर आधारित है. जहां महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एडवोकेट पूजा कूटे ने स्वयं इस पूरे घटना का अभ्यास किया है. इस घटना के आरोपी के विरोध में पूजा कूटे सहायक वकील के रूप में काम कर चुकी हैं. पूजा का कहना है कि उस समय कठोर नियमों की कमी और मजबूत सबूतों के अभाव में आरोपी आसानी से निर्दोष साबित हो गया.

गांव में रहने वाली सीधी साधी लड़की चिनी (वेदश्री महाजन) जन्म से ही अपनी मां को खो चुकी है. उसके पिता बच्चों की मनपसंद मिठाई कौटन कैंडी बेचने का काम करते हैं. चिनी की बड़ी बहन मन्दाकिनी (कादंबरी कदम) मुंबई में जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम करती है. चिनी कुछ दिनों के लिए अपने मामा-मामी के घर पर रहने जाती है. उसके मामा (नागराज मंजुले) शुरू से ही विकृत मानसिकता के रहते है. खुद में कमी होने के कारण बच्चे नहीं होने का दोष हमेशा अपनी पत्नी (अंजलि पाटिल) पर लगाता है और वो चुपचाप अपने ऊपर हो रहे शारीरिक, मानसिक अत्याचार को सहती है. लेकिन चिनी को देखकर वह कुछ समय के लिए खुश हो जाती है और उसे मां का प्यार देती है. कभी कभी उसका मामा भी उसे खेलने और घुमाने ले जाता है. मामा पेशे से व्यापारी है. एक दिन वह चिनी को गेहूं के गोदाम में ले जाकर उसका बलात्कार करता है. यह बात चिनी अपनी मामी को बताती है. लेकिन मामी के पास चुप रहने के अलावा कोई विकल्प नही रहता है.

चिनी की बहन मुंबई से वापस आती है. वह चिनी की चुप्पी का मतलब तुरंत समझ जाती है जो उसका पिता नहीं समझ पाता है. वह पुलिस में शिकायत करती है. लेकिन उसका मामा सभी आरोपों से इंकार कर देता है और कहता है कि वो जूनियर आर्टिस्ट का कार्ड बनाने में लगे डेढ़ लाख का कर्ज चुकाने के लिए उसे ब्लैकमेल कर रही है. चिनी में अपनी बेटी तलाशती मामी झूठी गवाही देती है और मामा निर्दोष छूट जाता है.

थोड़ी बड़ी होने के बाद चिनी बहन के साथ मुंबई में रहने लगती है. लेकिन बचपन में लगा मानसिक धक्का वह किसी भी तरह नहीं भूल पाती है. बीती एक-एक घटनाएं उसे याद आती है और मामी से मिलने की इच्छा होती है. मामी जेल में है उसको पता है फिर भी वो उससे जाकर मिलती है. यहां उसे मामी के झूठी गवाही देने के पीछे का कारण का पता चलता है. मामी जानती थी कि पुलिस के हवाले करने के बाद भी मामा जेल से बाहर आ ही जाएगा, इसलिए उसने अपने पति को निर्दोष छुड़ाकर अपने हाथों से हत्या कर देती है, जिसके कारण मामी को जेल जाना पड़ता है. लेकिन मारने से पहले किसी गैरपुरुष से संबंध बनाकर गर्भवती होती है और साबित करके दिखाती है कि उसमें कमी नहीं थी.

इस दौरान चिनी को मुंबई की एक घटना याद आती है जिसमे चलती ट्रेन में एक लड़की का बलात्कार कर ट्रैक पर फेंक दिया जाता है. चिनी इस घटना की प्रत्यक्ष गवाह होती है. मामी से मिलने के बाद उसकी हिम्मत बढ़ती है और वो पुलिस को जाकर घटना की सच्चाई बताती है.

“अत्याचार की घटनाओं पर चुप रहने से कुछ नहीं होगा, हमे आगे बढ़कर विरोध करने की जरूरत है” जैसी बातों का सन्देश फिल्म का मुख्य विषय है. फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित होने के कारण स्क्रीन प्ले में कुछ विशेष काम नहीं है. ‘द साइलेंस’ एक फीचर फिल्म होने से बेहतर एक शौर्ट फिल्म होती तो ज्यादा सफल रहती. फिल्म के कलाकार नए होते हुए भी अच्छा अभिनय किया है. नागराज मंजुले के संवाद दर्शकों तक स्पष्ट रूप से नहीं पहुंच पाते हैं. निर्देशक के रूप में गजेन्द्र अहिरे ने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया है. लेकिन फिल्म की सफलता उन दर्शकों पर निर्भर है जो फिल्म को सामाजिक सन्देश देने का माध्यम समझते हैं.

निर्माता- नवनीत हुल्लाद मोरादाबादी, अरुण त्यागी, अश्विनी सिदवानी एवं अर्पण भुखनवाला

निर्देशक एवं पठकथा – गजेन्द्र अहिरे

कलाकार – नागराज मंजुले, अंजलि पाटील, कादंबरी कदम, रघुवीर यादव, मुग्धा चाफेकर एवं वेदश्री महाजन

कहानी – अश्विनी सिदवानी

स्टार – 2 एंड हाफ

आज भी डिप्रेशन में हैं दीपिका पादुकोन..!

बौलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी सुपरस्टार अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने यह खुलासा किया है कि एक समय था जब डिप्रेशन ने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया था. उस वक्त वो जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रही थीं. एक लंबा समय उन्हें डिप्रेशन से बाहर निकलने में लग गया. इस अभिनेत्री ने ने कहा कि उन्हें यह डर सताता रहता है कि वह फिर इसकी चपेट में ना आ जाएं.

डिप्रेशन से उभरने के लिए उन्होंने अपना ‘लिव लाफ लाइफ फाउंडेशन’ भी शुरू किया. दीपिका ने ‘लिव लव लाइफ फाउंडेशन’ लोगों को यह बताने के लिए बनाया कि आप जैसा महसूस करते हैं, वो ठीक है.

दीपिका के मुताबिक, “मुझे नहीं लगता कि मैं यह कह सकती हूं कि मैं इससे (डिप्रेशन से) पूरी तरह उबर चुकी हूं. मेरे दिलोदिमाग में यह डर हमेशा बना रहता है कि मैं फिर से इसकी चपेट में आ जाऊंगी क्योंकि मेरे लिए यह अनुभव बहुत ही खराब रहा है.”

उनसे पूछा गया कि आपने डिप्रेशन के बारे में खुलकर बोलने से क्या उन्हें कोई नुकसान उठाना पड़ा? इस पर दीपिका ने कहा कि इस बारे में वह निश्चित तौर पर तो कुछ नहीं कह सकती, लेकिन हो सकता है कि कुछ निर्माता इस वजह से उनके पास ना आए हों. दीपिका ने देशभर के स्कूलों के पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य विषय को शामिल करने की वकालत करते हुए कहा कि इस तरह इससे जुड़ी भ्रामक धारणा को दूर किया जा सकेगा.

दीपिका पादुकोण फिलहाल संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ की शूटिंग में व्यस्त हैं. फिल्म में दीपिका रानी पद्मावती के किरदार में नजर आएंगी. दीपिका के अलावा इस फिल्म में शाहिद कपूर और रणवीर सिंह अहम भूमिका में नजर आएंगे.

त्योहारों को बड़ी सादगी से मनाती हूं : संगीता घोष

सिर्फ 9 साल की छोटी उम्र में जानेमाने फिल्मकार ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम करने वाली संगीता को असली पहचान टीवी शो ‘देश में निकला होगा चांद’ में पम्मी के किरदार से मिली. इस के बाद संगीता ने ‘मेहंदी तेरे नाम की’, ‘विरासत’ और ‘परवरिश’ धारावाहिकों में अपनी अदायगी से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बना ली. शादी के बाद परिवार और कैरियर के बीच अच्छा सामंजस्य बनाए रखने वाली संगीता इस समय स्टार प्लस के शो ‘रिश्तों का चक्रव्यूह’ में सुधा का किरदार निभा रही हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ खास अंश.

ग्रे शेड किरदार निभा कर कैसा लगा?

जब इस शो का प्रस्ताव मेरे पास आया और मुझे मेरे किरदार के बारे में बताया गया कि वह नैगेटिव है, तब इस के लिए हां करने में थोड़ी हिचकिचाहट हुई थी. लेकिन जब मैं ने सुधा का किरदार पढ़ा तब मुझे लगा कि इस रोल को करना मेरे लिए चैलेंजिंग होगा. यह रोल पूरी तरह से ग्रे शेड वाला था और मैं ने भी हर शो में कभी एक जैसे किरदार नहीं निभाए हैं, इसलिए इस के लिए हां कर दी.

आप ने छोटे परदे का हर दौर देखा है. पहले और आज के दौर में क्या फर्क लगा?

1987 में मेरी ऐंट्री टीवी पर धारावाहिक ‘हम हिंदुस्तानी’ से हुई थी. उस समय मैं एक छोटी बच्ची थी और उस समय सैटेलाइट चैनल शुरू नहीं हुए थे सिर्फ दूरदर्शन ही था. 1995 में जीटीवी पर मेरा पहला शो ‘कुरुक्षेत्र’ आया. उस समय आज की तरह 12 घंटे शूटिंग करने का चलन नहीं था, क्योंकि डेली सोप न के बराबर होते थे. ज्यादातर टीवी शो वीकली थे. हम लोग आराम से काम करते थे, इसलिए शूटिंग के बाद भी अपने परिवार को समय दे पाते थे. लेकिन आज टीवी में पैसा बढ़ा है. इस के साथसाथ 12 से 14 घंटे काम करने का प्रैशर भी बढ़ा है. तकनीक ज्यादा ऐडवांस हुई है, जिस की वजह से नए कलाकारों को भी लंबे समय तक काम मिलता रहता है.

आज के धारावाहिकों में जो सब से बड़ी कमी देखने को मिलती है, वह है अच्छे कंटैंट का अभाव. पहले के शो कंटैंट बेस्ड होते थे और कहानी बेवजह खींची नहीं जाती थी.

आप ऐक्टिंग में कैसे आईं?

बचपन से ही मुझे डांस करना, फैंसी ड्रैस कंपीटिशन में हिस्सा लेना, थिएटर करने इत्यादि का शौक था. जब मैं 3 साल की थी तब स्टेज पर आ चुकी थी. हम बंगालियों में जब भी कोई फैस्टिवल होता है उस में कल्चरल प्रोग्राम जरूर होते हैं. मैं ऐसे कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. एक बार ऐसे ही कार्यक्रम में ऋषिकेश दा के असिस्टैंट ने मुझे परफौर्म करते हुए देखा और मेरी मां से बात की, ‘‘दीदी ऋषि दा बच्चों पर एक शो बना रहे हैं. पिंकी को एक बार वहां ले जाओ.’’

जब मैं औडिशन के लिए पहुंची तो बच्चों की भीड़ देख कर थोड़ा डर गई. लेकिन जैसे ही मुझे स्क्रीन टैस्ट के लिए बुलाया गया तो वहां मैं खुल कर बोली, क्योंकि मैं पहले स्टेज पर आ चुकी थी और मुझे कोई झिझक नहीं थी. मैं सलैक्ट हो गई और इस तरह मुझे मेरा पहला शो मिला. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1995 में मैं ने शो ‘कुरुक्षेत्र’ किया.

ऐक्टिंग किस से सीखी?

मुझे शुरुआत से ही अच्छे लोगों का साथ मिला, जिस से बहुत कुछ सीखने को मिला. ऋषि दा, लेख टंडन, अरुणा ईरानी जैसे लोगों के साथ रह कर मैं ने जो सीखा वह दुनिया का कोई भी ऐक्टिंग स्कूल नहीं सिखा सकता. ऋषि दा के समय तो मैं बहुत छोटी थी, लेकिन जब लेख टंडन के साथ काम किया तो बहुत कुछ सीखा.

आप मध्य प्रदेश से हैं?

पता नहीं किस ने यह लिख दिया है कि मैं मध्य प्रदेश से हूं. मैं और मेरे पेरैंट्स मुंबई से हैं. वहीं मेरा जन्म हुआ और वहीं पलीबढ़ी भी. हम लोग बंगाली परिवार से हैं. आप के अलावा कई लोग मुझ से यह पूछ चुके हैं.

शादी के बाद लाइफ में क्या बदलाव आए?

ज्यादा कुछ नहीं. मैं बचपन से ही बोल्ड और इंडिपैंडेंट रही हूं. बोल्ड होने का मतलब कम कपड़े पहनना नहीं, बल्कि सोच और जीने के तरीके को बदलना है.

बच्चों और कैरियर के बीच कैसे सामंजस्य बैठाया?

जब मुझे लगा कि परिवार को मेरी जरूरत है तब टीवी से लंबा ब्रेक ले लिया था. बच्चों को आज भी अपनी कमी महसूस होने नहीं देती. लेकिन सोचा है कि जब वे बड़े होंगे तब मैं अपने बच्चों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाऊंगी.

फैस्टिवल कैसे मनाती हैं?

मुझे सादगी से त्योहार मनाना पसंद है. ज्यादा तड़कभड़क और फुजूलखर्ची मुझे पसंद नहीं है. शुरूशुरू में तो त्योहार अच्छे लगते हैं फिर हैवी मेकअप और रोज नएनए कपड़े पहनने से मैं थक जाती हूं. शौपिंग करना मुझे पसंद है. बच्चों के लिए कुकिंग करना भी पसंद है पर बिना वजह के आडंबरों से मैं दूर रहती हूं.

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