आज से ही शुरू करें रिटायरमेंट की प्लानिंग, इन जगहों पर लगाएं पैसा

पूरी जिंदगी काम करने के बाद जब लोग रिटायर होते हैं तो शांति से जीना चाहते हैं. कई लोग लंबी छुट्टी पर जाते हैं, कुछ लोग खेती में जुट जाते हैं, कुछ लोग पढ़ाने में व्यस्त हो जाते हैं. क्या आपने सोचा है कि रिटायरमेंट के बाद आप क्या करेंगी.

आपने जो भी योजना बनाई हो एक चीज निश्चित है आपको इतना पैसा कमाना होगा कि आप अपनी पूरी जिंदगी सुकुन के साथ बिता सकें. रिटायरमेंट के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत जल्दी करनी होगी. आपको जैसे ही पहली सैलरी मिलती है आपको रिटायरमेंट की तैयारी करनी होगी. आप ये सोचकर न चलें कि आपके पास रिटायरमेंट के लिए बहुत समय है. आज हम आपको नेशनल पेंशन सिस्टम और पब्लिक प्रोविडेंड फंड के बारे में बताएंगे. इन दोनों को ही रिटायरमेंट की बचत के लिए उपयोग किया जाता है. आइए पहले इन दोनों को समझते हैं.

नेशनल पेंशन सिस्टम

ये रिटायरमेंट का प्रोडक्ट पेंशन फंड रेगुलेटरी और डेवलपमेंट अथौरिटी चलाती है. इसके जरिए सरकार पेंशन देती है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए रिटायरमेंट की सेविंग इसके जरिए की जा सकती है. इसमें आपको खुद अपने से बचत करनी होगी. ये आपके ऊपर है कि रिटायरमेंट के लिए आपको कितनी बचत करनी है. इसका फंड आपके योगदान पर ही निर्भर करेगा.

ये कैसे काम करता है

  • अर्जी देने वाले की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए
  • सिर्फ भारत के नागरिक ही अर्जी दे सकते हैं

रिटायरमेंट के समय

  • योगदान की रकम में से 40 फीसदी आयकर मुक्त
  • पीएफआरडीए से मान्यता प्राप्त लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से एन्युटी खरीदनी होगी

पेंशन

  • आपकी पेंशन आपने कितना पैसा इकठ्ठा किया है इस पर निर्भर करेगी
  • एन्युटी पर टैक्स आपके टैक्स ब्रेकेट के हिसाब से लगेगा

पीपीएफ

ये भी केंद्र सरकार की ही स्कीम है. इसको पब्लिक प्रोविडेंड फंड एक्ट 1968 के तहत बनाया गया है. ये सरकार समर्थित लंबे समय की बचत स्कीम है. ये स्कीम खुद का कारोबार करने वाले जैसे दुकानदार, एमएमइ के स्टाफ के लिए बनाई गई थी. कई लोगों ने इस स्कीम के जरिए रिटायरमेंट की बचत की. इसमें निवेश किया गया पैसे पर मिला ब्याज टैक्स फ्री होता है. मैच्युरिटी पर मिलने वाली रकम भी टैक्स से मुक्त होती है. इसमें बस एक ही दिक्कत है पीपीएफ का पैसा 15 साल के लिए ब्लौक हो जाएगा. सातवे साल से आपको साल में एक बार रकम निकालने की अनुमति मिलेगी. पहली बार पैसा आपके निवेश किए गए साल के पूरा होने के बाद 5 पूरे वित्तीय वर्ष खत्म होने पर मिलेगा. इसका मतलब है कि आपने जिस दिन से अकाउंट खोला उसके बाद 6 वित्तीय वर्ष पूरे होने चाहिए. इसके बाद आप साल में एक बार पैसे निकाल सकते हैं. आपके अकाउंट में चौंथे साल में जितनी रकम थी उसका 50 फीसदी आप निकाल सकते हैं.

इस अकाउंट की खास बातें

  • लाभ लेने के लिए आपको भारतीय होना जरूरी
  • उम्र का कोई बंधन नहीं, बच्चे का भी अकाउंट खुल सकता है
  • ब्याज दर सालाना 7.9 फीसदी मिलेगी
  • 15 साल के लिए पैसे निवेश होते हैं. इसमें बाद आप 5-5 साल के अंतराल पर निवेश कर सकते हैं
  • सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख तक आयकर में छूट
  • आप किसी भी पोस्ट औफिस या चुनिंदा बैंक में खाता खुलवा सकते हैं
  • एचयूएफ, एनआरआई और विदेशी मूल के लोग निवेश नहीं कर सकते
  • कैश, चेक, डिमांड ड्राफ्ट, पे और्डर या औनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे निवेश कर सकते हैं
  • नौमिनेशन की सुविधा उपलब्ध है

पीपीएफ ब्याज की दर

सरकार हर तिमाही में पीपीएफ की ब्याज दरों में बदलाव करती है. इनका ब्याज सरकार सिक्योरिटीज के हिसाब से तय होता है. अगर साल 2000 से देखें तो पीपीएफ में ब्याज की दर लगातार घट रही है. जनवरी 2000 तक 12 फीसदी ब्याज था. जो 2001 में घटकर 11 फीसदी हो गया. इसके बाद से लगातार दरों में कटौती हो रही है. साल 2017 में इस पर 7.9 फीसदी ब्याज ही मिल रहा है.

क्या ये बचत काफी है

अगर हम पीपीएफ की बात करें तो ये स्कीम अभी भी बचत का अच्छा विकल्प है. इसके जरिए आपको टैक्स फ्री रिटर्न मिलता है. साथ ही इसमें निवेश कर आप सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट का फायदा भी ले सकते हैं. अगर आप रिस्क फ्री रिटर्न कमाना चाहते हैं तो ये एक बढ़िया विकल्प है. अगर हम एनपीएस की बात करें तो इसमें भी आपको 2 विकल्प में निवेश करने की छूट मिलती है. इसमें एक एक्टिव विकल्प है और एक औटो विकल्प.

आप अगर एक्टिव विकल्प अपनाते हैं तो आपकी पेंशन की पूरी रकम सी एसेट क्लास में निवेश होगी. इसका मतलब है आपका पैसा कौर्पोरेट डेट, सरकारी सिक्योरिटी और 50 फीसदी तक इक्विटी में निवेश होगा. जो लोग इक्विटी स्कीम के बारे में नहीं जानते वो औटो विकल्प अपना सकते हैं. इसके तहत आपके निवेश का हिस्सा तीनों जगह निवेश होता है.

इसमें टियर 1 और टियर 2 अकाउंट भी होते हैं. अगर आप टियर 1 अकाउंट का विकल्प चुनते हैं तो आप अकाउंट से पैसे निकाल नहीं सकेंगे. इसमें फायदा ये है कि अगर आप टियर 1 अकाउंट का विकल्प चुनते हैं तो आपको सेक्शन 80 डी के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स छूट का फायदा मिलेगा. अगर आप खुद से इसमें योगदान कर रहे हैं तो अतिरिक्त 50 की और छूट मिलेगी.

दूसरी तरफ टियर 2 अकाउंट खुद के निवेश का सेविंग अकाउंट होता है. ये रिटायरमेंट से लिंक नहीं होता है. आप इस अकाउंट से जब चाहे पैसे निकाल सकते हैं पर इसमें टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है.

ईएलएसएस भी अच्छा विकल्प

आप इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम के जरिए अपनी रिटायरमेंट की योजना बना सकते हैं. इसमें आपको टैक्स का फायदा भी मिलेगा.

अगर पीपीएफ या पेंशन फंड को देखें तो इक्विटी लिंक सेविंग स्कीम ने लंबे समय में बेहतर रिटर्न दिया है. इनका प्रदर्शन इनसे जुड़े जोखिम को भी दिखाता है. इसमें एक फायदा ये है कि आज जब चाहें तब पैसा निकाल सकेंगे. पीपीएफ और एनपीएस में ऐसा करना संभव नहीं होगा. इतना रिटर्न आपको पीपीएफ और एनपीएस में नहीं मिलेगा. ईएलएसस फंड में 3 साल का लौकइन होता है.

इनके जरिए आप लंबे समय में अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं. इसमें निवेश कर आप 1.5 लाख तक की टैक्स छूट भी ले सकते हैं. अगर आप थोड़ा जोखिम ले सकते हैं तो ईएलएसस आपके लिए बेहतर विकल्प है. छोटी बचत स्कीमों में लगातार ब्याज की दर घट रही है. आप वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सिर्फ टैक्स बचाने के लिए इनमें निवेश न करें. इनमें लंबे समय के लिए ही निवेश करें. इसके लिए एसआईपी के जरिए निवेश बेहतर तरीका हैं. तो देर न करें आज से अपने रिटायरमेंट के लिए बचत शुरू कर दें.

खतरों की हैं खिलाड़ी तो जाएं यहां

आज हम आपको एक ऐसे सफर पर ले जाने वाले हैं जहां आपको रोमांच और डर का एहसास होगा. आप सोच रही होंगी की आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो चलिये आपको बतातें है कि आज हम आपको दुनिया में मौजूद कुछ ऐसे पहाड़ों के किनारों की सैर कराने वाले हैं जहां जाकर अच्छे अच्छों की हवा टाईट हो जाती है. अगर आप खुद को रोमांच पसंद कहती हैं तो एक बार यहां के रोमांच का आनंद लें क्योंकि अगर आपने इस टास्क को पूरा कर लिया तो ये तो कहना पड़ेगा की आप खतरों की खिलाड़ी हैं.

केसा डेल अरबोल

इक्‍वाडोर में केसा डेल अरबोल पहाड़ी के सबसे खतरनाक किनारों में से एक है. यहां एक पेड़ के सहारे पर एक झोपड़ी बनी है. पेंड पर एक झूला टंगा हुआ है और अगर आपको रोमांच का अनुभव करना है तो आप इस झूले पर बैठकर दुनिया के सबसे खतरनाक किनारे का मजा ले सकते हैं. लेकिन जरा सम्भल के झूला झूलते वक्त नीचें देखने की गलती भूल से भी ना करें वरना अब तो  आप समझ गई होंगी. तो आप यहां जाईये लेकिन सुरक्षा के साथ.

पलपिट रौक

नौर्वे की पलपिट रौक दुनिया की सबसे खतरनाक पहाडि़यों में से एक है. यहां हर साल हजारों की संख्‍या में सैलानी आते हैं. सैकड़ों फुट ऊंची चोटी के किनारे खड़े होकर नदी का नजारा देखना अपने आप में  रोमांचकारी अनुभव होता है. इसके किनारे खड़े होकर आप डर और सूकून दोनों का लुत्फ ले सकतीं हैं. यहां पर खड़े होना भी अपने आप में एक हिम्मत का काम होता है. आप यहां जब खड़ी होंगी तो आपको समुद्र से आ रही ठंड़ी हवाओं का झोका आपको सूकून का एहसास  कराएंगी.

बीची हेड

समुद्र किनारे बीची हेड पहाड़ी इंग्‍लैंड में स्थित है. ये दुनिया की सबसे खतरनाक पहाड़ी किनारों में से एक है. ये जगह जितनी खूबसूरत है उतनी ही खतरनाक भी है. समुद्र की ओर से आती ठंडी हवा यहां आप को सुकून देगी पर आपने  अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ किया तो ये बेहद खतरनाक हो सकता है.

हम होड क्लिफ

थाईलैंड के साइ थौन्‍ग नेशनल पार्क में स्थित हम होड क्लिफ दुनिया की सबसे खतरनाक और संकरी पहाड़ी किनारों में से एक है. इस पहाड़ी चोटी के किनारे पर बैठ कर आप नेशनल पार्क का खूबसूरत व्‍यू देख सकते हैं. ये व्‍यू पलभर में आपकी सालभर काम करने की थकान को चंद मिनटों में दूर कर देगा.

 ट्रोलतुंगा

ट्रोलतुंगा नौर्वे की सबसे खतरनाक पहाड़ी किनारो में से एक है. रोमांच चाहने वालों के लिए ट्रोलतुंगा जन्‍नत है. यह पहाड़ी समुद्र तल से 1100 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. ये खतरनाक चोटी कई सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्‍द्र है. ये रिंगडाल्‍सवेटनेट झील के किनारे पर हैं. पहाड़ी से झील को शानदार व्‍यू दिखाई देता है. सबसे अच्छी बात की अगर आपने यहां घूमने का प्लान किया है तो यहां का सनसेट देखना ना भूलें यहां की सनसेट आपको दिवाना बनाने के लिये काफी है.

मराठी फिल्म रिव्यू : द साइलेंस

आजकल महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार की घटनाओं पर आधारित फिल्म, सीरियल और नाटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इन माध्यमों के जरिये पीड़ित स्त्रियों की व्यथा प्रदर्शित करना कोई नई बात नहीं है. ‘द साइलेंस’ भी उसी तरह की एक कहानी है. यह फिल्म कुछ साल पहले महराष्ट्र के छोटे से गांव में घटी एक सत्य घटना पर आधारित है. जहां महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एडवोकेट पूजा कूटे ने स्वयं इस पूरे घटना का अभ्यास किया है. इस घटना के आरोपी के विरोध में पूजा कूटे सहायक वकील के रूप में काम कर चुकी हैं. पूजा का कहना है कि उस समय कठोर नियमों की कमी और मजबूत सबूतों के अभाव में आरोपी आसानी से निर्दोष साबित हो गया.

गांव में रहने वाली सीधी साधी लड़की चिनी (वेदश्री महाजन) जन्म से ही अपनी मां को खो चुकी है. उसके पिता बच्चों की मनपसंद मिठाई कौटन कैंडी बेचने का काम करते हैं. चिनी की बड़ी बहन मन्दाकिनी (कादंबरी कदम) मुंबई में जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम करती है. चिनी कुछ दिनों के लिए अपने मामा-मामी के घर पर रहने जाती है. उसके मामा (नागराज मंजुले) शुरू से ही विकृत मानसिकता के रहते है. खुद में कमी होने के कारण बच्चे नहीं होने का दोष हमेशा अपनी पत्नी (अंजलि पाटिल) पर लगाता है और वो चुपचाप अपने ऊपर हो रहे शारीरिक, मानसिक अत्याचार को सहती है. लेकिन चिनी को देखकर वह कुछ समय के लिए खुश हो जाती है और उसे मां का प्यार देती है. कभी कभी उसका मामा भी उसे खेलने और घुमाने ले जाता है. मामा पेशे से व्यापारी है. एक दिन वह चिनी को गेहूं के गोदाम में ले जाकर उसका बलात्कार करता है. यह बात चिनी अपनी मामी को बताती है. लेकिन मामी के पास चुप रहने के अलावा कोई विकल्प नही रहता है.

चिनी की बहन मुंबई से वापस आती है. वह चिनी की चुप्पी का मतलब तुरंत समझ जाती है जो उसका पिता नहीं समझ पाता है. वह पुलिस में शिकायत करती है. लेकिन उसका मामा सभी आरोपों से इंकार कर देता है और कहता है कि वो जूनियर आर्टिस्ट का कार्ड बनाने में लगे डेढ़ लाख का कर्ज चुकाने के लिए उसे ब्लैकमेल कर रही है. चिनी में अपनी बेटी तलाशती मामी झूठी गवाही देती है और मामा निर्दोष छूट जाता है.

थोड़ी बड़ी होने के बाद चिनी बहन के साथ मुंबई में रहने लगती है. लेकिन बचपन में लगा मानसिक धक्का वह किसी भी तरह नहीं भूल पाती है. बीती एक-एक घटनाएं उसे याद आती है और मामी से मिलने की इच्छा होती है. मामी जेल में है उसको पता है फिर भी वो उससे जाकर मिलती है. यहां उसे मामी के झूठी गवाही देने के पीछे का कारण का पता चलता है. मामी जानती थी कि पुलिस के हवाले करने के बाद भी मामा जेल से बाहर आ ही जाएगा, इसलिए उसने अपने पति को निर्दोष छुड़ाकर अपने हाथों से हत्या कर देती है, जिसके कारण मामी को जेल जाना पड़ता है. लेकिन मारने से पहले किसी गैरपुरुष से संबंध बनाकर गर्भवती होती है और साबित करके दिखाती है कि उसमें कमी नहीं थी.

इस दौरान चिनी को मुंबई की एक घटना याद आती है जिसमे चलती ट्रेन में एक लड़की का बलात्कार कर ट्रैक पर फेंक दिया जाता है. चिनी इस घटना की प्रत्यक्ष गवाह होती है. मामी से मिलने के बाद उसकी हिम्मत बढ़ती है और वो पुलिस को जाकर घटना की सच्चाई बताती है.

“अत्याचार की घटनाओं पर चुप रहने से कुछ नहीं होगा, हमे आगे बढ़कर विरोध करने की जरूरत है” जैसी बातों का सन्देश फिल्म का मुख्य विषय है. फिल्म एक सत्य घटना पर आधारित होने के कारण स्क्रीन प्ले में कुछ विशेष काम नहीं है. ‘द साइलेंस’ एक फीचर फिल्म होने से बेहतर एक शौर्ट फिल्म होती तो ज्यादा सफल रहती. फिल्म के कलाकार नए होते हुए भी अच्छा अभिनय किया है. नागराज मंजुले के संवाद दर्शकों तक स्पष्ट रूप से नहीं पहुंच पाते हैं. निर्देशक के रूप में गजेन्द्र अहिरे ने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया है. लेकिन फिल्म की सफलता उन दर्शकों पर निर्भर है जो फिल्म को सामाजिक सन्देश देने का माध्यम समझते हैं.

निर्माता- नवनीत हुल्लाद मोरादाबादी, अरुण त्यागी, अश्विनी सिदवानी एवं अर्पण भुखनवाला

निर्देशक एवं पठकथा – गजेन्द्र अहिरे

कलाकार – नागराज मंजुले, अंजलि पाटील, कादंबरी कदम, रघुवीर यादव, मुग्धा चाफेकर एवं वेदश्री महाजन

कहानी – अश्विनी सिदवानी

स्टार – 2 एंड हाफ

आज भी डिप्रेशन में हैं दीपिका पादुकोन..!

बौलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी सुपरस्टार अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने यह खुलासा किया है कि एक समय था जब डिप्रेशन ने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया था. उस वक्त वो जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रही थीं. एक लंबा समय उन्हें डिप्रेशन से बाहर निकलने में लग गया. इस अभिनेत्री ने ने कहा कि उन्हें यह डर सताता रहता है कि वह फिर इसकी चपेट में ना आ जाएं.

डिप्रेशन से उभरने के लिए उन्होंने अपना ‘लिव लाफ लाइफ फाउंडेशन’ भी शुरू किया. दीपिका ने ‘लिव लव लाइफ फाउंडेशन’ लोगों को यह बताने के लिए बनाया कि आप जैसा महसूस करते हैं, वो ठीक है.

दीपिका के मुताबिक, “मुझे नहीं लगता कि मैं यह कह सकती हूं कि मैं इससे (डिप्रेशन से) पूरी तरह उबर चुकी हूं. मेरे दिलोदिमाग में यह डर हमेशा बना रहता है कि मैं फिर से इसकी चपेट में आ जाऊंगी क्योंकि मेरे लिए यह अनुभव बहुत ही खराब रहा है.”

उनसे पूछा गया कि आपने डिप्रेशन के बारे में खुलकर बोलने से क्या उन्हें कोई नुकसान उठाना पड़ा? इस पर दीपिका ने कहा कि इस बारे में वह निश्चित तौर पर तो कुछ नहीं कह सकती, लेकिन हो सकता है कि कुछ निर्माता इस वजह से उनके पास ना आए हों. दीपिका ने देशभर के स्कूलों के पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य विषय को शामिल करने की वकालत करते हुए कहा कि इस तरह इससे जुड़ी भ्रामक धारणा को दूर किया जा सकेगा.

दीपिका पादुकोण फिलहाल संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ की शूटिंग में व्यस्त हैं. फिल्म में दीपिका रानी पद्मावती के किरदार में नजर आएंगी. दीपिका के अलावा इस फिल्म में शाहिद कपूर और रणवीर सिंह अहम भूमिका में नजर आएंगे.

त्योहारों को बड़ी सादगी से मनाती हूं : संगीता घोष

सिर्फ 9 साल की छोटी उम्र में जानेमाने फिल्मकार ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम करने वाली संगीता को असली पहचान टीवी शो ‘देश में निकला होगा चांद’ में पम्मी के किरदार से मिली. इस के बाद संगीता ने ‘मेहंदी तेरे नाम की’, ‘विरासत’ और ‘परवरिश’ धारावाहिकों में अपनी अदायगी से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बना ली. शादी के बाद परिवार और कैरियर के बीच अच्छा सामंजस्य बनाए रखने वाली संगीता इस समय स्टार प्लस के शो ‘रिश्तों का चक्रव्यूह’ में सुधा का किरदार निभा रही हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ खास अंश.

ग्रे शेड किरदार निभा कर कैसा लगा?

जब इस शो का प्रस्ताव मेरे पास आया और मुझे मेरे किरदार के बारे में बताया गया कि वह नैगेटिव है, तब इस के लिए हां करने में थोड़ी हिचकिचाहट हुई थी. लेकिन जब मैं ने सुधा का किरदार पढ़ा तब मुझे लगा कि इस रोल को करना मेरे लिए चैलेंजिंग होगा. यह रोल पूरी तरह से ग्रे शेड वाला था और मैं ने भी हर शो में कभी एक जैसे किरदार नहीं निभाए हैं, इसलिए इस के लिए हां कर दी.

आप ने छोटे परदे का हर दौर देखा है. पहले और आज के दौर में क्या फर्क लगा?

1987 में मेरी ऐंट्री टीवी पर धारावाहिक ‘हम हिंदुस्तानी’ से हुई थी. उस समय मैं एक छोटी बच्ची थी और उस समय सैटेलाइट चैनल शुरू नहीं हुए थे सिर्फ दूरदर्शन ही था. 1995 में जीटीवी पर मेरा पहला शो ‘कुरुक्षेत्र’ आया. उस समय आज की तरह 12 घंटे शूटिंग करने का चलन नहीं था, क्योंकि डेली सोप न के बराबर होते थे. ज्यादातर टीवी शो वीकली थे. हम लोग आराम से काम करते थे, इसलिए शूटिंग के बाद भी अपने परिवार को समय दे पाते थे. लेकिन आज टीवी में पैसा बढ़ा है. इस के साथसाथ 12 से 14 घंटे काम करने का प्रैशर भी बढ़ा है. तकनीक ज्यादा ऐडवांस हुई है, जिस की वजह से नए कलाकारों को भी लंबे समय तक काम मिलता रहता है.

आज के धारावाहिकों में जो सब से बड़ी कमी देखने को मिलती है, वह है अच्छे कंटैंट का अभाव. पहले के शो कंटैंट बेस्ड होते थे और कहानी बेवजह खींची नहीं जाती थी.

आप ऐक्टिंग में कैसे आईं?

बचपन से ही मुझे डांस करना, फैंसी ड्रैस कंपीटिशन में हिस्सा लेना, थिएटर करने इत्यादि का शौक था. जब मैं 3 साल की थी तब स्टेज पर आ चुकी थी. हम बंगालियों में जब भी कोई फैस्टिवल होता है उस में कल्चरल प्रोग्राम जरूर होते हैं. मैं ऐसे कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. एक बार ऐसे ही कार्यक्रम में ऋषिकेश दा के असिस्टैंट ने मुझे परफौर्म करते हुए देखा और मेरी मां से बात की, ‘‘दीदी ऋषि दा बच्चों पर एक शो बना रहे हैं. पिंकी को एक बार वहां ले जाओ.’’

जब मैं औडिशन के लिए पहुंची तो बच्चों की भीड़ देख कर थोड़ा डर गई. लेकिन जैसे ही मुझे स्क्रीन टैस्ट के लिए बुलाया गया तो वहां मैं खुल कर बोली, क्योंकि मैं पहले स्टेज पर आ चुकी थी और मुझे कोई झिझक नहीं थी. मैं सलैक्ट हो गई और इस तरह मुझे मेरा पहला शो मिला. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1995 में मैं ने शो ‘कुरुक्षेत्र’ किया.

ऐक्टिंग किस से सीखी?

मुझे शुरुआत से ही अच्छे लोगों का साथ मिला, जिस से बहुत कुछ सीखने को मिला. ऋषि दा, लेख टंडन, अरुणा ईरानी जैसे लोगों के साथ रह कर मैं ने जो सीखा वह दुनिया का कोई भी ऐक्टिंग स्कूल नहीं सिखा सकता. ऋषि दा के समय तो मैं बहुत छोटी थी, लेकिन जब लेख टंडन के साथ काम किया तो बहुत कुछ सीखा.

आप मध्य प्रदेश से हैं?

पता नहीं किस ने यह लिख दिया है कि मैं मध्य प्रदेश से हूं. मैं और मेरे पेरैंट्स मुंबई से हैं. वहीं मेरा जन्म हुआ और वहीं पलीबढ़ी भी. हम लोग बंगाली परिवार से हैं. आप के अलावा कई लोग मुझ से यह पूछ चुके हैं.

शादी के बाद लाइफ में क्या बदलाव आए?

ज्यादा कुछ नहीं. मैं बचपन से ही बोल्ड और इंडिपैंडेंट रही हूं. बोल्ड होने का मतलब कम कपड़े पहनना नहीं, बल्कि सोच और जीने के तरीके को बदलना है.

बच्चों और कैरियर के बीच कैसे सामंजस्य बैठाया?

जब मुझे लगा कि परिवार को मेरी जरूरत है तब टीवी से लंबा ब्रेक ले लिया था. बच्चों को आज भी अपनी कमी महसूस होने नहीं देती. लेकिन सोचा है कि जब वे बड़े होंगे तब मैं अपने बच्चों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाऊंगी.

फैस्टिवल कैसे मनाती हैं?

मुझे सादगी से त्योहार मनाना पसंद है. ज्यादा तड़कभड़क और फुजूलखर्ची मुझे पसंद नहीं है. शुरूशुरू में तो त्योहार अच्छे लगते हैं फिर हैवी मेकअप और रोज नएनए कपड़े पहनने से मैं थक जाती हूं. शौपिंग करना मुझे पसंद है. बच्चों के लिए कुकिंग करना भी पसंद है पर बिना वजह के आडंबरों से मैं दूर रहती हूं.

जब कराएं बीमा तो इन बातों को जरूर समझें

कई बार सुनने में आता है कि इंश्योरैंस कंपनी ने मुआवजा या क्लेम देने से इनकार कर दिया तब हम ये सोच बैठते हैं कि ये ऐसे ही है लेकिन ऐसा होता नहीं है. असल में कहीं ना कहीं उस क्लेम को ना मिल पाने में हमारी भी गलती रहती है.

इंश्योरैंस पौलिसी का ज्यादा से ज्यादा लाभ आपको और आपके परिवार को मिले, इस के लिए जीवन बीमा की इन बारीकियों को जरूर समझें.

जीवन बीमा एक ऐसी व्यवस्था है, जिस के द्वारा व्यक्ति अपने न रहने पर परिवार को कुछ हद तक आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है. ज्यादातर लोग बीमा ऐजेंट के कहने या टैक्स बचाने अथवा कभी कभी निवेश के साधन के रूप में भी बीमा करवाते हैं. बीमा व्यक्ति के भविष्य का आर्थिक नियोजन है, इसलिए बीमा पौलिसी खरीदते समय पूरी सावधानी बरतनी जरूरी है.

सब से पहले यह तय करना चाहिए कि बीमा क्यों करवाना चाहते हैं. वैसे बीमा मुख्य रूप से बीमित व्यक्ति के नहीं रहने पर उस के आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है. यदि इस उद्देश्य के लिए बीमा लेना है तो सब से बढि़या आजीवन बीमा यानी टर्म इंश्योरैंस लेना बेहतर रहता है. इस के अंतर्गत बीमित व्यक्ति को एक अवधि तक प्रीमियम जमा करना होता है. यह राशि काफी कम होती है और इस राशि के बदले बड़ी राशि की बीमा सुरक्षा मिल जाती है.

उपयुक्त बीमा कंपनी का चुनाव

व्यक्ति को भविष्य की योजना बनाते समय परिवार की सुरक्षा के लिए इस तरह का बीमा जरूर लेना चाहिए. बीमा प्रीमियम के रूप में चुकाई गई राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के अंतर्गत 1.50 लाख तक की छूट मिलती है. आमतौर पर लोग कर बचाने के लिए ऐजेंट के कहे अनुसार बीमा करा लेते हैं. यदि केवल कर बचाने के लिए कुछ करना है तो बीमा अच्छा विकल्प नहीं है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत बीमा के अलावा और कई विकल्प हैं, जिनसे कर छूट मिल जाएगी और आप के द्वारा जमा की गई राशि पर अच्छा रिटर्न भी मिल जाएगा.

बीमा का कवर पर्याप्त और भविष्य में परिवार की जरूरतों को ध्यान में रख कर लिया जाना चाहिए. कई बीमा योजनाएं ऐसी होती हैं, जिन में बीच बीच में राशि वापस मिलती रहती है. यह पौलिसी सुनने में तो अच्छी लगती है, परंतु बीच बीच में राशि वापस मिलने पर अंत में मिलने वाली राशि काफी कम हो जाती है, जो सुरक्षा की दृष्टि से अपर्याप्त होती है. ऐसी पौलिसी का प्रीमियम भी अपेक्षाकृत ज्यादा होता है.

बीमा कराते समय उपयुक्त बीमा कंपनी का चुनाव भी जरूरी है. पहले तो केवल भारतीय जीवन बीमा निगम ही जीवन बीमा कर सकता था, लेकिन अब दर्जनों निजी और विदेशी बीमा कंपनियां भी जीवन बीमा करने लगी हैं. अत: बीमा कराते समय बीमा कंपनी की विश्वसनीयता का ध्यान भी रखा जाना चाहिए. बीमा लंबी अवधि के लिए होता है, इसलिए कंपनी चुनते समय यह देखना चाहिए कि आज से 25-30 साल बाद या इस से भी बाद भुगतान मिलेगा. इसलिए कंपनी ऐसी हो जो इतनी लंबी अवधि तक कायम रह सके और भुगतान कर सके.

गलत ऐजेंट से सावधान रहें

कंपनी की दावा भुगतान करने की प्रक्रिया को जानना भी जरूरी है. यदि उस की दावा भुगतान की प्रक्रिया लंबी हो और वह भुगतान करने में आनाकानी करती हो तो उस तरह की बीमा कंपनी से बीमा नहीं कराना चाहिए.

प्राय: ऐजेंट उन बीमा पौलिसियों को बेचने की कोशिश करते हैं, जिन में उन्हें कमीशन अधिक मिलता है. जब कंपनी ऐजेंट को ज्यादा कमीशन देगी तो उस के पास आगे निवेश करने के लिए राशि कम रह जाएगी. जब कम निवेश किया जाएगा तो बीमा कराने वाले या उस के परिवार को मिलने वाली राशि भी कम हो जाएगी. कई कंपनियों ने बाजार आधारित पौलिसीज भी जारी कर रखी हैं. वे प्राप्त बीमा प्रीमियम में से अपने खर्चे निकाल कर शेष राशि को बाजार में निवेश करती हैं. शुरू के सालों में तो खर्च निकालने के बाद निवेश की जाने वाली राशि आधी भी नहीं रहती. अब इतनी कम राशि निवेश हो और वह भी शेयर बाजार आदि में तो उस राशि को मूल राशि तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है. कई बार वर्षों तक मूल राशि तक पहुंच भी नहीं पाती. विगत वर्षों में इस तरह की पौलिसी लेने वाले लाखों लोगों को अपनी जमा राशि का आधी या चौथाई राशि भी नहीं मिली और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा.

योजनाओं की जानकारी लें

बीमा कंपनियां एकल प्रीमियम वाली पौलिसी भी जारी करतें हैं. यह पौलिसी उन के लिए उपयोगी है, जिन की कोई नियमित आय नहीं होती. यदि उन्हें कोई बड़ी राशि मिल जाए तो वे इस राशि से एकल प्रीमियत वाली पौलिसी खरीद सकते हैं. ऐसी पौलिसी में उन्हें नियमित रूप से बारबार राशि नहीं जमा करानी पड़ती.

यदि आप बीमे के माध्यम से पैंशन प्राप्त करना चाहतीं हैं तो बीमा कंपनियों ने कई पैंशन प्लान भी बना रखे हैं, जिन में कुछ वर्षों तक नियमित प्रीमियम जमा कराने के बाद आजीवन पैंशन और बाद में उत्तराधिकारी को एकमुश्त राशि का भुगतान कर दिया जाता है. पैंशन का प्रीमियम एकमुश्त जमा करा कर भी आजीवन पैंशन प्राप्त की जा सकती है.

कुल मिला कर बीमा की बहुत सी योजनाएं हैं, उन से जुड़े लाभ और सुविधाएं भी अलग अलग होती हैं. इसलिए बीमा कराते समय सभी योजनाओं की जानकारी ले कर और अपनी भावी जरूरतों को ध्यान में रख कर ही बीमा पौलिसी का चुनाव करना चाहिए न कि ऐजेंट के कहने या किसी की सुनी सुनाई बात के आधार पर बीमा लेना चाहिए.

जरूरी है सावधानी

कई बार कुछ बीमा कंपनियों के ऐजेंट फोन कर के यह पूछते हैं कि आप ने जो बीमा करा रखा है उस में कोई दिक्कत तो नहीं आ रही है. वे कहते हैं कि हम सरकार के बीमा सेवा केंद्र या इसी तरह का कोई दूसरा नाम ले कर आप से जानकारी प्राप्त करते हैं. फिर आप को अपनी चालू पौलिसी को बंद करवा कर किसी पौलिसी को शुरू करवाने के लिए कहते हैं और उस में अधिक लाभ का झांसा भी देते हैं. कई बार ये फोन पर कहते हैं कि आप की बीमा पौलिसी पर बोनस आया हुआ है, उसे प्राप्त करने के लिए आप को किसी नई योजना में राशि जमा करानी होगी. ये सभी फर्जी फोन होते हैं.

भारतीय बीमा नियामक आयोग समय समय पर इन से बचने हेतु विज्ञापन भी जारी करता है. फिर भी ये फोन आते हैं. बीमा नियामक ऐसे फोन आने पर उस की शिकायत पुलिस से करने को कहता है. ऐसे फोन से सावधान रहें. जरूरत पड़ने पर इन की शिकायत भी करें.

बीमा पौलिसी का चुनाव करते समय यदि कोई विश्वसनीय निवेश सलाहकार हो तो इस मामले में उस की सेवा भी ली जा सकती है. इस तरह यदि आप इन सभी बातों को ध्यान में रख कर बीमा पौलिसी का चुनाव करतें हैं तो आप जिस उद्देश्य से बीमा पौलिसी ले रहे हैं वह उद्देश्य पूरा हो सकेगा और आप ठगे नहीं जाएंगे

शहद की सेहत वाली खूबियां

प्राचीन काल से ही शहद को इस के स्वाद और सेहत वाले गुणों के लिए जाना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि आज से लगभग 4000 साल पहले सुमेरियन क्ले टैबलेट्स में इस का दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. माना जाता है कि सुमेरियन चिकित्सा के 30% इलाजों में शहद शामिल होता था. प्राचीन इजिप्ट में शहद का उपयोग त्वचा व आंख संबंधी रोगों के निदान के लिए किया जाता था. भारत में सिद्धा और आयुर्वेद जैसे पुराने व परंपरागत चिकित्सकीय तरीकों में शहद की अहम भूमिका रही है.

शहद खून के लिए वरदान

रैड ब्लड सैल्स पर इस का सब से ज्यादा असर देखने को मिलता है. यह हीमोग्लोबिन लैवल को बढ़ाने में भी सहायक है. ऐसा भी माना जाता है कि कीमोथैरेपी करवाने वाले मरीजों में यह व्हाइट ब्लड सैल्स को कम होने से रोकता है.

शहद ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीसेप्टिक है

यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से रक्षा करता है. इस के प्रतिदिन सेवन से सांस संबंधी रोगों जैसे कफ और अस्थमा के नियंत्रण में सहायता मिलती है.

शहद वजन कम करता है

कुनकुने पानी व नीबू के रस के साथ शहद लेने से वजन कम करने में सहायता मिलती है.

शहद बनाए ऊर्जावान

इस में शुगर के तत्त्वों ग्लूकोज और फ्रूक्टोज होने के कारण यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है.

शहद सुधारे पाचनक्रिया

यह पेट फूलना, कब्ज और गैस की समस्या को दूर करने में सहायक है. इस में प्रोबायोटिक या अच्छे बैक्टीरिया जैसे बिफिडो और लैक्टोबेसिल पाए जाते हैं, जो पाचनक्रिया को दुरुस्त कर रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं व ऐलर्जी से बचाते हैं.

शहद और दूध की ताकत

इन दोनों का एकसाथ इस्तेमाल त्वचा को साफ कर उसे दमकाता है. इस के ऐंटीऔक्सिडैंट गुणों के कारण इसे ऐंटीएजिंग औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. अनिद्रा रोग में भी यह प्रभावकारी है.

शहद है पोषण से भरपूर

इस में स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी ऐंजाइम, विटामिन, मिनरल और पानी होने के साथसाथ यह इकलौता ऐसा खाद्यपदार्थ है जिस में पोषक तत्त्व पाइनोकेम्ब्रिन पाया जाता है, जो दिमाग की कार्यशैली को सुचारु रखता है.

शहद है गुणों की खान

अपने ऐंटीइन्फ्लेमैटरी गुण के चलते यह तमाम तरह की ऐलर्जी से सुरक्षित रखता है. इस का इस्तेमाल याद्दाश्त बढ़ाने और रूसी से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है.

मधुमक्खियों से जुड़े अनूठे तथ्य

– मधुमक्खियां एक दिन में लगभग 2,25,000 फूलों पर विचरण करती हैं. 1 पाउंड शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को लगभग 20 लाख फूलों पर विचरण करना पड़ता है और इस दौरान वे 55,000 मील की यात्रा करती हैं.

– मधुमक्खियां कभी नहीं सोतीं और आपस में डांस व संकेतों के जरीए बातचीत करती हैं.

– यह इकलौता कीट है जो इंसानों के खाने लायक उत्पाद तैयार करता है.

– मधुमक्खियां 170 तरह की गंध पहचान सकती हैं जबकि फ्रूट फ्लाइज मात्र 62 और मच्छर 79 गंध ही पहचान सकते हैं. इन की असाधारण घ्राणशक्ति में साथी मधुमक्खियों को पहचानने व छत्ते में बातचीत करने की क्षमता के साथसाथ खाना पहचान कर ढूंढ़ने की क्षमता भी शामिल है.

इस दीवाली अपने पुराने घर को दें नया लुक

दीवाली का त्योहार मतलब जुट जाओ घर की सफाई, रंगाई, पुताई में. त्योहारों के इस मौसम में आप भी अपने घर की साफ सफाई, रंगाई पुताई करती होंगी. हो सकता है साफ सफाई के साथ साथ आप अपने घर को रेनोवेट भी कराती हों. अगर आप भी इस दीवाली अपने घर को रेनोवेट करा रही हैं, तो ये टिप्स आपके काम आएंगे.

दीवारों को बनाएं वाटरप्रूफ

दीवारों में सीलन होने की एक मुख्य वजह है पेंट की खराब क्वालिटी, इसलिए दीवारों पर पेंट के लिए वाटरप्रूफ पेंट का इस्तेमाल करें. अपने पेंटर से कहें कि मौइश्चर मीटर का इस्तेमाल करे. इसके बाद दीवार में मौजूद छोटे-छोटे छेदों को पुट्टी से भर दें. पेंट से पहले किसी वाटर-रेसिस्टेंट प्रौडक्ट का इस्तेमाल करें.

स्टोन का करें इस्तेमाल

अगर आप दीवार पर ईंट लगाने की जगह इंडियन स्टोन्स को चुनती हैं, तो इसके कई फायदे हैं. ईंटों के बीच में कुछ स्टोन्स लगा देने से दीवारों का लुक काफी आकर्षक हो जाता है. इससे आप दीवारों में होने वाली सीलन से बचती हैं और पेंट की झंझट भी कम हो जाती है.

दरवाजों में कांच

कबर्ड में लकड़ी के दरवाजों की जगह कांच ट्राई कीजिए. इससे आपको बार-बार लकड़ी के दरवाजे पौलिश नहीं करवाने पड़ेंगे. कांच की वजह से कमरे को एक नया लुक भी मिलेगा.

फैब्रिक्स

घर में मौजूद फैब्रिक्स के साथ भी आप एक्सपेरिमेंट कर सकती हैं. पर्दे, सोफा कवर, डाइनिंग चेयर्स के कवर, टीवी कवर, फ्रिज कवर, सबके साथ एक्सपेरिमेंट कर के देखिए. सारे पुराने फैब्रिक्स और शेड्स को बदल दें. घर बिल्कुल नया सा लगेगा.

लाइटिंग

फैब्रिक्स के साथ-साथ घर में नयापन लाने के लिए घर की लाइटिंग्स को भी बदल सकती हैं. किसी अच्छे इंटीरियर डिजाइनर से सलाह लेकर अपने घर के नक्शे और दीवारों के अनुसार लाइट्स लगवाएं.

बालों को सेहतमंद बनाने के टिप्स

खूबसूरत चमकते बालों की चाह हर महिला की होती है. ज्यादातर महिलाएं इस बात को ले कर परेशान रहती हैं कि बालों की खूबसूरती कैसे बरकरार रखी जाए.

वैसे भी आज के समय में फैशन, प्रदूषण, तनाव और अस्वास्थ्यकर खानपान ने बालों के झड़ने, टूटने, सफेद होने जैसी समस्याएं बढ़ा दी हैं. ऐसे में जरूरी है कुछ बातों का खयाल रखा जाए ताकि आप के बाल किसी भी मौसम और उम्र में सेहमतंद व आकर्षक बने रहें.

– अगर आप कभी बारिश में भीग जाती हैं तो घर पहुंचते ही बालों को धो लें. इस से सिर की त्वचा में संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है.

– सिर की त्वचा गीली रहने से फंगल संक्रमण, रूसी और जूंए होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए बालों को साफ और सूखा रखने का प्रयास करें. गीले बालों के टूटनेझड़ने की समस्या भी बढ़ जाती है. अत: बालों को धोने के तुरंत बाद कंघी का इस्तेमाल न करें. वे पूरी तरह सूख जाएं तभी कंघी करें.

– घर से बाहर निकलते समय धूलमिट्टी, धूप या बारिश के पानी से बचने के लिए बालों को कवर कर के रखें. स्कार्फ, स्टोल या दुपट्टे से बालों को ढकें.

– बाल को धोने से 1-2 घंटे पहले उन में हर्बल तेल लगाएं. इस से उन की कंडीशनिंग होगी. कुनकुने तेल से 15 मिनट मसाज करें. आप को रिलैक्स महसूस होगा और सिर की त्वचा में रक्तसंचार भी बढ़ेगा. बालों में भी नई चमक आएगी.

– मौसम में बदलाव के दौरान सिर की त्वचा से प्राकृतिक नमी खो जाती है. इस से त्वचा पर मृत कोशिकाएं जमा होने लगती हैं जिस से रूसी और संक्रमण की स्थिति पैदा होती है और बाल झड़ने लगते हैं. इस स्थिति से बचने के लिए बालों को सूखा और साफ रखें.

– ओजोन और्गेनिक एडवांटेज की मैडिकल कंसलटैंट डा. उमा सिंह कहती हैं कि हमेशा अपनी कंघी, हेयरब्रश और हेयर क्लिप्स साफ रखें. ब्लो ड्रायर या स्टाइलिंग का इस्तेमाल ज्यादा न करें. स्ट्रेटनिंग या कर्लिंग मशीन के ज्यादा प्रयोग से बचें, क्योंकि इस से बाल कमजोर हाते हैं.

– बालों को निरंतर पोषण की जरूरत होती है. सही खनिज व विटामिन इन्हें लंबा और मजबूत बनाते हैं. इसलिए संतुलित आहार का सेवन करें, जिस में प्रोटीन, खनिजलवण व कैल्सियम की पर्याप्त मात्रा हो. विटामिन और आयरन भी बालों को स्वस्थ बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फल और सलाद का सेवन करें. संतुलित भोजन, व्यायाम, कम तनाव, पर्याप्त नींद आप के बालों को स्वस्थ व चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं.

– त्वचा की तरह बालों को भी पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. उदाहरण के लिए बादाम न सिर्फ दिमाग को तंदुरुस्त रखते हैं बल्कि बालों को भी पोषण देते हैं. इन में विटामिन ई पाया जाता है, जिस से बालों को मजबूती मिलती है. अत: हफ्ते में 1 दिन बादाम तेल से बालों की मालिश जरूर करें. बालों का झड़ना रुक जाएगा. इसी तरह शहद, आंवला वगैरह भी बालों के पोषण के लिए आवश्यक हैं. आंवले में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो बालों के विकास के लिए अच्छा होता है.

– बालों को हर्बल शैंपू से धोने की आदत डालें.

शैंपू करते वक्त निम्न बातों का खयाल रखें

– यदि बाल औयली हैं तो एक दिन छोड़ कर शैंपू करें.

– नौर्मल बालों में सप्ताह में 2-3 बार शैंपू किया जा सकता है.

– कर्ली बालों के लिए ड्राई हेयर शैंपू यूज करें.

– स्कैल्प पर पोरों से शैंपू लगाएं. इस से बालों की गंदगी अच्छी तरह साफ होती है.

किस अभिनेत्री के प्यार में पड़ धर्मेंद्र ने 40 बार देखी एक ही फिल्म

बौलीवुड के प्यार के किस्से तो हमेशा से ही अनोखे रहे हैं. साल 1966 में आई फिल्म ‘फूल और पत्थर’ से फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले धर्मेंद्र उस वक्त लड़कियों की पहली पंसद बन गए थे. धर्मेंद्र का नाम लेते ही बौलीवुड पर राज करने वाले एक खूबसूरत, रोमांटिक नायक की तस्वीर जहन में उभर आती है.

कहा जाता है कि धर्मेंद्र फिल्म इंड्रस्टी के ऐसे हीरो थे जिनकी फोटो भी लड़कियां अपने तकिए के नीचे रखकर सोती थी. यहां तक कि मशहूर एक्ट्रेस जया बच्चन उनकी खूबसूरती से प्रभावित होकर उन्हें ग्रीक गौड का दर्जा दे दिया था. धर्मेंद्र की खूबसूरती और आकर्षक व्यक्त्वि का ही असर रहा है कि ‘ड्रीम गर्ल’ के नाम से मशहूर हेमा मालिनी उनकी पत्नी हैं.

वहीं एक्टर दिलीप कुमार ने धर्मेंद्र के बारे में यहां तक कह दिया था कि वो अगले जन्म में धर्मेद्र जैसी शख्सियत पाना चाहते हैं. दिलीप साहब उन्हें ‘ही मैन’ भी कहा करते थे. लेकिन क्या आप जानती हैं धर्मेंद्र को एक एक्ट्रेस इतनी पसंद थीं कि उनकी फिल्में देखने के लिए वो मीलों मील पैदल चलकर थिएटर जाते थे. नहीं जानती तो कोई बात नहीं चलिए आज हम बताते हैं. धर्मेंद्र ने इस एक्ट्रेस की एक ही फिल्म करीब 40 बार देखी थी.

दरअसल धर्मेंद्र उस वक्त बौलीवुड की एक एक्ट्रेस के इतने दीवाने हो गए थे कि उनकी एक झलक देखने के लिए उन्हें मीलों लंबा रास्ता भी छोटा लगता था और वो उस रास्ते को पैदल ही तय कर लेते थे. जी हां, 40-50 के दशक में बौलीवुड की खूबसूरत और मशहूर एक्ट्रेस सुरैया धर्मेंद्र को बहुत अच्छी लगती थी.

सुरैया हिंदी सिनेमा में बेहतरीन एक्ट्रेस होने के साथ-साथ अच्छी सिंगर भी थीं. धर्मेंद्र की सुरैया के लिए दीवानगी इतनी थी कि साल 1949 में आई उनकी फिल्म ‘दिल्लगी’ को धर्मेंद्र ने करीब 40 बार देखा था.

खैर, धर्मेंद्र ने बौलीवुड में खुद का स्टारडम भी इतना बड़ा बना लिया था कि टौप एक्ट्रेस भी उनकी फैन रही हैं. 2012 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया. 2011 में फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ में धर्मेद्र अपने दोनों बेटों के साथ नजर आएं. उन्होंने तीन दशकों तक फिल्म उद्योग पर राज किया है. धर्मेंद्र का जलवा आज भी बरकरार है.

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