किस अभिनेत्री के प्यार में पड़ धर्मेंद्र ने 40 बार देखी एक ही फिल्म

बौलीवुड के प्यार के किस्से तो हमेशा से ही अनोखे रहे हैं. साल 1966 में आई फिल्म ‘फूल और पत्थर’ से फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले धर्मेंद्र उस वक्त लड़कियों की पहली पंसद बन गए थे. धर्मेंद्र का नाम लेते ही बौलीवुड पर राज करने वाले एक खूबसूरत, रोमांटिक नायक की तस्वीर जहन में उभर आती है.

कहा जाता है कि धर्मेंद्र फिल्म इंड्रस्टी के ऐसे हीरो थे जिनकी फोटो भी लड़कियां अपने तकिए के नीचे रखकर सोती थी. यहां तक कि मशहूर एक्ट्रेस जया बच्चन उनकी खूबसूरती से प्रभावित होकर उन्हें ग्रीक गौड का दर्जा दे दिया था. धर्मेंद्र की खूबसूरती और आकर्षक व्यक्त्वि का ही असर रहा है कि ‘ड्रीम गर्ल’ के नाम से मशहूर हेमा मालिनी उनकी पत्नी हैं.

वहीं एक्टर दिलीप कुमार ने धर्मेंद्र के बारे में यहां तक कह दिया था कि वो अगले जन्म में धर्मेद्र जैसी शख्सियत पाना चाहते हैं. दिलीप साहब उन्हें ‘ही मैन’ भी कहा करते थे. लेकिन क्या आप जानती हैं धर्मेंद्र को एक एक्ट्रेस इतनी पसंद थीं कि उनकी फिल्में देखने के लिए वो मीलों मील पैदल चलकर थिएटर जाते थे. नहीं जानती तो कोई बात नहीं चलिए आज हम बताते हैं. धर्मेंद्र ने इस एक्ट्रेस की एक ही फिल्म करीब 40 बार देखी थी.

दरअसल धर्मेंद्र उस वक्त बौलीवुड की एक एक्ट्रेस के इतने दीवाने हो गए थे कि उनकी एक झलक देखने के लिए उन्हें मीलों लंबा रास्ता भी छोटा लगता था और वो उस रास्ते को पैदल ही तय कर लेते थे. जी हां, 40-50 के दशक में बौलीवुड की खूबसूरत और मशहूर एक्ट्रेस सुरैया धर्मेंद्र को बहुत अच्छी लगती थी.

सुरैया हिंदी सिनेमा में बेहतरीन एक्ट्रेस होने के साथ-साथ अच्छी सिंगर भी थीं. धर्मेंद्र की सुरैया के लिए दीवानगी इतनी थी कि साल 1949 में आई उनकी फिल्म ‘दिल्लगी’ को धर्मेंद्र ने करीब 40 बार देखा था.

खैर, धर्मेंद्र ने बौलीवुड में खुद का स्टारडम भी इतना बड़ा बना लिया था कि टौप एक्ट्रेस भी उनकी फैन रही हैं. 2012 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया. 2011 में फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ में धर्मेद्र अपने दोनों बेटों के साथ नजर आएं. उन्होंने तीन दशकों तक फिल्म उद्योग पर राज किया है. धर्मेंद्र का जलवा आज भी बरकरार है.

ज्यादा खूबसूरत होना भी है घाटे का सौदा

स्वस्थ और खूबसूरत दिखना किसे पंसद नहीं है. लोग सुंदर और फिट दिखने के लिए क्या कुछ नहीं करते. कई लोगों की सुंदरता की वजह से उनकी उम्र का भी पता नहीं चलता. बड़े बुजुर्ग भी जब आशीर्वाद देते हैं तो यही कहते हैं स्वस्थ रहो सुखी रहो. लेकिन क्या किसी का सुंदर दिखना उसे परेशानियों में भी डाल सकता है, जवाब है, हां. यकीन नहीं होता तो चलिए आज हम आपको ऐसा एक किस्सा बताते हैं जब मशहूर सिंगर के लिए फिट एंड खूबसूरत दिखना ही उनके लिए परेशानी का सबब बन गया.

दरअसल एक मशहूर सिंगर को पुलिस ने उनकी खूबसूरती और फिट एंड फाइन बौडी की वजह से ही हिरासत में ले लिया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं यूक्रेन की मशहूर पौप सिंगर नतालिया जेन्किव (Natalie Dzenkiv) की जिन्हें लामा के नाम से भी जाना जाता है. हाल ही में उन्हें उम्र से ज्यादा यंग दिखने के चलते तुर्की एयरपोर्ट पर कस्टडी में लेकर डिटेन किया गया. पासपोर्ट कंट्रोल अथौरिटी को शक था कि वो किसी और का पासपोर्ट इस्तेमाल कर रही हैं. नतालिया के साथ ये सब तब हुआ जब वो अपने घर यूक्रेन लौट रही थीं.

एयरपोर्ट अथौरिटी के अफसरों का मानना था कि पासपोर्ट में लगी फोटो और उम्र से वो 20 साल छोटी दिख रही हैं. असल में नतालिया 41 साल की हैं. खुद को डिटेन किए जाने की वजह से नतालिया परेशान थीं, लेकिन अरेस्ट की वजह पता चलते ही वो अपनी हंसी नहीं रोक पाईं.

यूक्रेन की स्टार ने कहा कि जब मुझे पता चला कि पासपोर्ट पर लिखी उम्र मेरे अरेस्ट होने की वजह है, तो मैं हंसी रोक नहीं पाई. नतालिया ने कहा कि मुझे अपने लुक को लेकर तारीफ सुनने की आदत है, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये मेरे अरेस्ट की वजह बनेगी. उनके एक फैन ने उनके ब्यूटी सीक्रेट को लेकर कहा कि वो वेजिटेरियन हैं. सिर्फ फ्रूट्स और वेजिटेबल खाती हैं इसलिए इतनी खूबसूरत हैं.

इन पर्यटन स्थलों का युवाओं में है क्रेज, आप भी जाएं इन जगहों पर

हम हर रोज किसी ना किसी एक खास तबके को लेकर घूमने फिरने की बात करते हैं. ठिक वैसे ही आज हम युवाओं के लिये लेकर आए हैं कुछ ऐसे जगहों की लिस्ट जहां अक्सर कौलेज में पढ़ाई कर रहे युवा जाना चाहते हैं. इन जगहों पर घूमना उनके लिये कालेज लाइफ को जीने जैसा है. अधिकतर युवा अपने कालेज के टाइम पर इन जगहों पर आते हैं और यहां आकर यहां की यादों को अपने अंदर समेटना चाहते हैं. तो चलिए आज हम आपको युवाओं के मनपसंद जगहों पर ले चलते हैं जहां पूरे साल आप कभी भी घूमने जाएंगी तो वहां अधिकतर आपको कालेज के स्टूडेंट्स ही मिलेंगे. चलिए शुरु करते हैं इस सुहाने सफर की यात्रा.

गोवा

समुद्र किनारे सूरज की धूप में रेत पर बैठना पसंद है तो गोवा आपके लिए जन्‍नत है. गोवा की एक ट्रिप आपकी जिंदगी में रोमांच भर देगी. गोवा के बीच पर हर तरह के सैलानी आते हैं. यहां 4 वाइल्‍ड लाइफ सेंचुरी है. जहां आपको पक्षियों और जानवरों की सैकड़ों नई प्रजातियां देखने को मिलेंगी. गोवा की जान है यहां की बीचें.

मनाली

मनाली भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है. आपको ताजी हवा और मीलों तक फैले हरे भरे जंगल देखने का शौक है तो मानाली आपका इंतजार कर रहा है. यहां पहाड़ों के बीच से उगते हुए सूरज को देखना आपकी सुबह को तरोताजा कर देगा. यहां पर बर्फ से ढ़की पहाड़ो को देखना यहां के बादलों को देखना जो आपके बहुत ही करीब से गुजरती है दिल को कहीं ना कहीं बहुत खुशी देती है.

ऊटी

ऊटी तमिलनाडु के सबसे खूबसूरत हिल स्‍टेशन में से एक है. सर्दियों के मौसम में ऊटी की खूबसूरती देखने लायक होती है. यहां आपको एडवेंचर स्‍पोर्ट के साथ बोटैनिकल गार्डेन, ऊटी क्लब, सबसे ऊंची चोटी दोड्डा बेटा, चाय बागान और हर ओर फैली हरियाली नजर आएगी.

कुर्ग

कुर्ग कर्नाटक के लोकप्रिय पर्यटन स्‍थलों में से एक है. इसे भारत का स्कौटलैंड कहा जाता है. कूर्ग को कोडागू भी कहते हैं. इसका मतलब है पहाड़ियों से घिरा जंगल. यहां धुंध से भरी पहाड़ियां, घने जंगल, दूर-दूर तक फैले चाय के बगान आपका मन मोह लेंगे.

कोडाईकनाल

तमिलनाडु में स्थित कोडाईकनाल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यह छोटी सी पर बहुत शानदार और रोमांटिक जगहों में से एक है. आप यहां पर अकेले और अपने पार्टनर के साथ भी आ सकती हैं. यहां झरने, गुफाएं, घने जंगल के साथ आपको ट्रैकिंग करने को भी मिलेगी.

मसूरी

मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाता है. उत्‍तराखंड में स्थित कई खूबसूरत हिल स्‍टेशन में मसूरी की एक खास जगह है. यहां आपको जंगलों से ढके हुए पहाड़ी और ढेरों वाटर फाल देखने को मिलेंगे. पहाड़ों पर मौसम का मिजाज हर पल बदलता है. कब धूप हो जाए और कब धुंध छा जाए पता ही नहीं चलता. ऐसे में ये जगह आपका मन मोह लेगी.

माथेरान

मुंबई से 108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माथेरान एक छोटा सा पर बेहद खूबसूरत हिल स्‍टेशन है. यह जगह समुद्र तल से 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां मीलों तक फैली हरियाली आपका दिल खुश कर देगी.

मुन्‍नार

केरल का एक छोटा सा पर सबसे खूबसूरत हिल स्‍टेशन है मुन्‍नार. हर साल यहां हजारों की संख्‍या में सैलानी आते हैं. अगर आपको ताजी हवा में सांस लेने का शौक है हरियाली आपकी आंखों को सुकून देती है तो आपको मुन्‍नार जरूर आना चाहिए. 12000 हेक्टेयर में फैले चाय के खूबसूरत बागान यहां की खासियत है.

लद्दाख

लद्दाख भारत की उन जगहों में से एक है जहां आप कुछ भी देखेंगी तो आपको यहां हर ओर खूबसूरती ही नजर आएगी. सर्दियों में भारी बर्फबारी के दौरान यहां का रास्‍ता सैलानियों के लिए बंद कर दिया जाता है. रोड के जरिए आप मनाली, लेह और कश्‍मीर की यात्रा कर सकती हैं.

फिल्म रिव्यू : शेफ

काम, प्यार और रिश्तों को रेखांकित करने वाली फिल्म ‘‘शेफ’’ मूलतः 2014 की सफलतम अमरीकन फिल्म ‘‘शेफ’’ का भारतीयकरण है. फिल्मकार ने इस फिल्म में पिता व पुत्र के रिश्ते को बेहतर तरीके से उकेरा है. इसी के साथ यह फिल्म इंसान के अंदरुनी अंतद्वंद का बेहतर चित्रण करती है.

फिल्म की कहानी दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले युवक रोशन कालरा (सैफ अली) की है, जिसे बचपन से ही खाना बनाने का शौक रहा है. उसके अपने कुछ सपने हैं. वह मषहूर शेफ बनना चाहता है, पर यह बात रोशन कालरा के पिता (रामगोपाल बजाज) को पसंद नहीं है. इसी के चलते एक दिन वह घर से भागकर चांदनी चौक में छोले भठूरे बनाने वाले राम लाल के पास जाता है, पर वह उसे समझकर घर जाने के लिए कहते हैं.

वह रामलाल चाचा को मना नहीं कर पाता, पर भागकर अमृतसर चला जाता है. वहां एक ढाबे में रहकर खाना बनाना सीखता है और फिर एक दिन वह अमरीका के गली किचन का मशहूर शेफ बन जाता हैं. इस बीच उसने एक मशहूर नृत्यांगना राधा मेनन (पद्मप्रिया जानकी रमन) से पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की. जिससे उसका एक बेटा अरमान (मास्टर स्वर कांबले) है. पर बहुत जल्द तलाक हो जाता है. अब राधा कोचीन में रहती है.

फिल्म शुरू होती है अमरीका के न्यूयार्क शहर के गली किचन से. जहां एक ग्राहक रोशन कालरा को बुलाकर कहता है कि वह कैसा शेफ है, उसे उनका खाना पसंद नहीं आया. इसी बात पर बहस हो जाती है. गुस्से में रोशन कालरा उस ग्राहक की नाक तोड़ देते हैं. रोशन को पुलिस पकड़कर ले जाती है. गली किचन के मालिक उसे छुड़ाकर लाते हैं. पर उसे नौकरी से निकाल देते हैं.

उसी वक्त राधा, रोशन को फोन करके कहती है कि वह बेटे अरमान से बात कर ले. अरमान अपने पिता से अपने स्कूल में अपने पहले नृत्य के कार्यक्रम को देखने के लिए बुलाता है, पर व्यस्तता का बहाना कर रोशन उसे मना कर देता है. मगर गली किचन में उसकी सहायक रही विन्नी (शोभिता धुलीपाला) के समझाने पर वह प्लेन पकड़कर न्यूयार्क से कोचीन पहुंचता है. बेटा अरमान खुश हो जाता है. एक दिन अरमान के साथ वह बीजू (मिलिंद सोमण) की बोट पर पूरे दिन का आनंद लेता है और उसे अहसास होता है कि उसकी पूर्व पत्नी राधा अब बीजू से शादी करने वाली है.

उधर कुछ दिन के लिए राधा को नृत्य के शो के लिए यूरोप जाना है, तो वह चाहती है कि अरमान के साथ रोशन रहे. उस वक्त रोषन, अरमान के साथ दिल्ली और अमृतसर जाता है तथा उसे अपने बचपन की कहानी सुनाता है. यूरोप से वापस आने के बाद एक दिन बीजू, रोशन को अपने घर बुलाकर उसके सामने अपनी दो मंजिला बस में चलता फिरता होटल खोलने का प्रस्ताव रखता है, जिसे रोशन ठुकरा देता है. इस बात पर राधा से उसकी कहा सुनी होती है.

अंत में रोशन, बीजू के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है. रोशन उस बस को रंग कर होटल के अनुरूप ढालता है. इसी बीच गली किचन में उसे गुरू मानने वाला उसका दोस्त भी वापस आ जाता है. रोशन इस बस को लेकर कोचीन से गोवा होते हुए दिल्ली पहुंचते है. रोशन के साथ उनका दोस्त व बेटा अरमान भी है. दिल्ली में रामलाल चाचा के साथ रोशन के पिता भी आते हैं और रोशन को माफ कर देते हैं. दिल्ली पहुंचते ही एक तरफ अरमान को वापस कोचीन जाना है, क्योंकि उसका स्कूल खुलने वाला है, इसलिए उसे लेने राधा आती है, तो वहीं रोशन को एक अमरीकन होटल में शेफ की नौकरी का आफर आता है. पर बेटे अरमान के प्यार और अरमान के साथ सदैव रहने के लिए रोशन अमरीका की नौकरी का आफर ठुकरा देता है. फिर रोशन बेटे अरमान व पूर्व पत्नी राधा के साथ रहते हुए अपने रास्ता होटल को जारी रखते हैं.

साधारण कहानी में पिता पुत्र के रिश्ते व वैवाहिक संबंधों के बिखरने पर अच्छा संदेश भी है. रोजमर्रा की जिंदगी में काम और निजी जिंदगी को लेकर यह फिल्म सोचने पर मजबूर करती है. मगर पटकथा के स्तर पर काफी गड़बड़ियां है. फिल्म का क्लायमेक्स भी अच्छे ढंग से नहीं लिखा गया. फिल्म में आम मसाला प्रेम कहानी नहीं है. कोचीन में राधा के घर पर मजदूर यूनियन का पूरा सीन जबरन ठूंसा हुआ और बेमानी है. एडीटिंग टेबल पर फिल्म को कसने की काफी जरुरत थी.

राधा मलयाली है, इसलिए फिल्म में मलयाली संवाद भी रखे गए हैं. यदि ऐसा न होता, तो भी फिल्म की गुणवत्ता पर फर्क नहीं पड़ता. फिल्म में रोशन कालरा को महान शेफ बताया गया है, मगर इस तरह के सीन चित्रित नही हो पाए. रोशन कालरा को बार बार पास्ता या पिजा बनाते हुए ही दिखाया गया है. वैसे फिल्म में रंग, स्वाद, खाना पकाने के आनंद की संवेदनशीलता का चित्रण है. कुछ कमियों के बावजूद यह दिल को छू लेने वाली और देखने लायक फिल्म है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो एक 40 साल के तलाकशुदा शेफ, जो अहसास करता है कि वह अच्छा पिता नहीं बन पाया और फिर एक अच्छा पिता बनने के प्रयास वाले रोशन कालरा के किरदार में सैफ अली खान ने काफी अच्छी परफार्मेंस दी है. रोशन कालरा के बेटे के किरदार में स्वर कांबले ने भी जबरदस्त अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया है. पद्मप्रिया जानकी रमण की मुस्कान तो दर्शकों को अपना बना लेती है. वह फिल्म में काफी सुंदर और आर्गेनिक लगी हैं. छोटे से किरदार में मिलिंद सोमण और चंदन राय सान्याल भी जमे हैं.

फिल्म में केरल की खूबसूरती को भी बहुत अच्छे ढंग से चित्रित किया गया है. तो वहीं अमृतसर व दिल्ली की लोकेशन भी अच्छी है.

दो घंटे 12 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘शेफ’’ का निर्माण भूषण कुमार, किशन कुमार, राजा कृष्ण मेनन, विक्रम मल्होत्रा व जननी रवि चंद्रन ने किया है. फिल्म के निर्देशक राजा कृष्ण मेनन, लेखक रितेश शाह, सुरेश नायर व राजा कृष्ण मेनन, संगीतकार रघु दीक्षित व अमाल मलिक, कैमरामैन प्रिया सेठ व कलाकार हैं-सैफ अली, राम गोपाल बजाज, शोभिता धुली पाला, मास्टर स्वर कांबले, पद्मप्रिया जानकी रमन, चंदन राय सान्याल, दिनेश प्रभाकर, नेहा सक्सेना, पवन चोपड़ा व अन्य.

फिल्म रिव्यू : विक्टोरिया एंड अब्दुल

इतिहास के पन्नों को सिनेमा के परदे पर उतारना आसान नहीं होता है. मगर ब्रिटिश फिल्मकार स्टीफन फ्रेअर्स की तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने इतिहास के एक अध्याय को बहुत बेहतर तरीके से सिनेमा के परदे पर उतारा है. कहानी 1887 से 1909 के बीच की है, जब ब्रिटिशों का भारत में शासन था.

फिल्म की कहानी भारत में आगरा से शुरू होती है. आगरा में रहने वाला एक मुस्लिम युवक अब्दुल करीम (अली फजल) ब्रिटिश शासन में आगरा की जेल में कैदियों का रजिस्टर में नाम लिखने का काम करता है. उसके काम से प्रभावित होकर लंदन में ब्रिटिश रानी विक्टोरिया (जूडी डेंच) को मोहर देने के काम के लिए भेजा जाता है. वहां अब्दुल मोहर देने के बाद रानी से कहता है, ‘‘जिंदगी कारपेट की तरह है. हम भारत में इसे बुनकर एक नया पैटर्न देते हैं.’’ इससे रानी, अब्दुल से प्रभावित होकर अपना निजी सहायक बना लेती है, फिर उसे अपना मुंशी बनाकर उससे उर्दू सीखने लगती है. इससे पूरा बैकिंघम पैलेस नाराज हो जाता है. सभी लोग अब्दुल के खिलाफ साजिश रचना शुरू करते हैं. जबकि रानी, अब्दुल की बात से प्रभावित होकर बैकिंघम पैलेस के ही अंदर एक भारतीय दरबार हाल बनवाती है. अब्दुल करीम को भारत भेजकर उसके परिवार को वहां रहने के लिए बुलाती है.

कहानी में कुछ उतार चढ़ाव भी आते हैं. एक बार रानी, अब्दुल से लंदन छोड़ने के लिए कह देती है, पैलेस के लोग खुश होते हैं, पर फिर रानी, अब्दुल को रोक लेती है. अपने बीमार होने और जीवन के अंतिम पलों में यहां तक की अब्दुल को बगल में खड़ा कर ही विक्टोरिया इस संसार से विदा लेती है. 1904 मे विक्टोरिया की मौत के साथ ही अब्दुल को लंदन से आगरा, भारत वापस आना पड़ता है ओर 1909 में अब्दुल की आगरा में मौत होती है.

फिल्म में इस बात का बेहतर तरीके से रेखांकन किया गया है कि उस वक्त विक्टोरिया रंगभेद से दूर थी. पटकथा लेखक ली हाल्स ने सत्य कथा को अच्छे ढंग से ड्रामा के रूप में पेश किया है. फिल्म में नाटकीय घटनाक्रमों के बीच कुछ हास्य के दृष्य भी पिरोए गए हैं. पर सत्य घटनाक्रमों को कहानी में ज्यादा महत्व दिया गया है, जो कि दर्शक को काफी कुछ सोचने पर मजबूर करता है. 1887 से 1904 के माहौल का फिल्म में सही ढंग से चित्रण है पर निर्देशक के तौर पर कुछ जगह स्टीफन फ्रेअर्स मात खा गए हैं. जहां तक गीत संगीत का मसला है, तो कुछ भी नया नहीं है.

अभिनेत्री जुडी डेंच महान अदाकारा हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है. इस फिल्म में विक्टोरिया के किरदार को निभाते हुए उन्होंने जबरदस्त परफार्मेंस दी है. जिस तरह से भावनात्मक अभिनय किया है, उसे देखकर दर्शक बार बार उन्हें देखने की प्यास लिए ही सिनेमा घर से बाहर निकलते हैं. अब्दुल के किरदार में बड़ा भावुक अभिनय अली फजल ने किया है. फिल्म के कई दृश्यों में सिर्फ जूडी डेंच और अली फजल होते हैं और हर दृश्य में कमाल का अभिनय अली फजल ने किया है. वह एक भी दृश्य में जूडी डेंच के सामने कमजोर नहीं पड़ते हैं. अदील अख्तर ने भी अपनी उपस्थिति अच्छे ढंग से दर्ज करायी है.

एक घंटे 52 मिनट की फिल्म ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’ का निर्माण बीबीसी, ‘वर्किंग टाइटल फिल्मस’ और युनिवर्सल कंपनी ने किया है. फिल्म के निर्माता हैं बीबन क्रिडन, एरिक फेलनर, टिम बिवान और टै्सी सीर्वाड. फिल्म की कहानी श्राबनी बसु के उपन्यास ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’ पर आधारित है. पटकथा लेखक ली हाल, संगीतकार थौमस न्यूमन, कैमरामैन डैनी कोहेन हैं तथा कलाकार हैं- जूडी डेंच, अली फजल, अदील अख्तर, एड्डी इजार्ड, टिम पिगौट स्मिथ, सिमौन कौलौ, मिचैल गैम्बोन, जुलियन वधम, जोनाथन हार्डेन और अन्य.

कैल्शियम की कमी को न करें नजरअंदाज

कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है. यह रक्त के थक्के जमने (ब्लड क्लौटिंग) में भी मदद करता है. यह शरीर के विकास और मसल बनाने में भी सहायक होता है.

हरी सब्जियां, दही, बादाम और पनीर इसके मुख्य स्रोत हैं. कैल्शियम की कमी को हायपोकैल्शिमिया भी कहा जाता है. यह तब होता है, जब आपके शरीर को पूरी मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलता.

लोगों को अच्छी सेहत के लिए कैल्शियम के महत्व के बारे में पता होना चाहिए. जिनके शरीर में कैल्शियम की कमी हो, उन्हें अपने आप दवा नहीं लेनी चाहिए और ज्यादा मात्रा में फूड सप्लीमेंट भी नहीं लेने चाहिए. डाक्टर से सलाह लें और सेहतमंद खानपान के साथ ही सप्लीमेंट लें.

उम्र बढ़ने के साथ कैल्शियम की कमी आम बात है. शरीर का ज्यादातर कैल्शियम हड्डियों में संचित होता है. उम्र बढ़ने के साथ हड्डियां पतली और कम सघन हो जाती हैं. ऐसे में शरीर को कैल्शियम की जरूरत पड़ती है. कैल्शियम के स्रोत वाली वस्तुएं खाते रहने से इसकी कमी पूरी की जा सकती है.

भूखे रहने और कुपोषण, हार्मोन की गड़बड़ी, प्रिमैच्योर डिलीवरी और मैलएब्जरेब्शन की वजह से भी कैल्शियम की कमी हो सकती है. मैलएब्जरेब्शन उस स्थिति को कहते हैं, जब हमारा शरीर उचित खुराक लेने पर भी विटामिन और मिनरल को सोख नहीं पाता.

कैल्शियम की कमी के कुछ लक्षण

मसल क्रैम्प

शरीर में होमोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा रहने और पानी की उचित मात्रा लेने के बावजूद अगर आप नियमित रूप से मसल क्रैम्प (मांस में खिंचाव या ऐंठन) का सामना कर रहे हैं तो यह कैल्शियम की कमी का संकेत है.

लो बोन डेनस्टिी

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, कैल्शियम हड्डियों की मिनरलेजाइशन के लिए जरूरी होता है. कैल्शियम की कमी सीधे हमारी हड्डियों की सेहत पर असर करती है और ऑस्टियोपोरोसिस व फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है.

कमजोर नाखून

नाखून के मजबूत बने रहने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है, उसकी कमी से वह भुरभुरे और कमजोर हो सकते हैं.

दांत में दर्द

हमारे शरीर का 90 प्रतिशत कैल्शियम दांतों और हड्डियों में जमा होता है उसकी कमी से दातों और हड्डियों का नुकसान हो सकता है.

पीरियड के समय दर्द

कैल्शियम की कमी वाली महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान काफी तीव्र दर्द हो सकता है, क्योंकि मांसपेशियों के काम करने में कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है.

एम्युनिटी में कमी

कैल्शियम शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखता है. कैल्शियम की कमी होने पर शरीर में पैथगौन अटैक से जूझने की क्षमता कम हो जाती है.

नाड़ी की समस्याएं

कैल्शियम की कमी से न्यूरोलौजिक्ल समस्याएं, जैसे कि सिर पर दबाव की वजह से सीजर और सिरदर्द हो सकता है. कैल्शियम की कमी से डिप्रेशन, इनसोमेनिया, पर्सनैल्टिी में बदलाव और डेम्निशिया भी हो सकता है.

धड़कन

कैल्शियम दिल के बेहतर काम करने के लिए आवश्यक है और कमी होने पर हमारे दिल की धड़कन बढ़ सकती है और बेचैनी हो सकती है. कैल्शियम दिल को रक्त पम्प करने में मदद करता है.

अगर आप इनमें से किसी लक्षण का सामना कर रही हैं तो अपने डाक्टर से संपर्क करें, वह रक्त जांच की सलाह देगा. इसका इलाज कैल्शियम युक्त भोजन खाना और पौष्टिक सप्लीमेंट लेना है.

इस फेस्टिव सीजन घर में रखी चीजों से बनाएं पर्दे

घर की सजावट में पर्दों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. इनकी मौजूदगी से घर की दीवारों, दरवाजे-खिड़कियों और फर्नीचर सभी की शोभा बढ़ जाती है. इतना ही नहीं पर्दे कमरों के पार्टिशन और प्राइवेसी को बनाये रखने में भी मदद करते हैं.

घर में पर्दे लगाना बहुत आसान है फिर चाहे तो आप इसे बाजार से खरीद सकती हैं या औनलाइन मंगा सकती हैं. यह दोनों ही उपाय आपको बहुत महंगे पड़ेंगे. लेकिन अगर आप खुद पर्दे बना लेंगी तो यह सस्ता पड़ेगा.

घर में भी पर्दे बनना आसान नहीं है पहले आप कपड़ा खरीदेंगी फिर उसकी नाप लेंगी तब आप अपने पर्दे बना पाएंगी. यह सब कितना थका देने वाला है. तो चलिए इसे थोड़ा आसान बनाते हैं और आपको सस्ते कपड़े के पर्दे कैसे बनेंगे वह बताते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे कपड़ों के बारे में बताने जा रहें हैं, जिनसे आप सस्ते और आसानी से घर बैठे पर्दे बना सकती हैं.

साड़ी

अगर आपके घर में पुरानी साड़ियां हैं और आप उनका इस्तेमाल नहीं करती हैं तो आप इनका पर्दे बनाने में इस्तेमाल कर सकती हैं. सिल्क साड़ियों से बने पर्दे घर को बहुत ही आकर्षक लुक देगा. लेकिन सिंगल टोंड शिफौन की साड़ी पर्दों के लिए सबसे अच्छी हैं क्योंकि यह घर के फर्नीचर से मिक्स एंड मैच हो जाएंगी.

चादर

पुरानी चादरों से आप घर के लिए सबसे सस्ते पर्दे बना सकती हैं. आप दो से तीन चादरों को मिक्स करके नए पर्दे बना सकती हैं.

स्टोल

स्टोल ज्यादातर एक ही रंग के होते हैं जिन्हें हम गाउन और साड़ी के साथ पहनते हैं. इन्हें आप दूसरे पर्दों के साथ मिला कर पुराने पर्दों को और खूबसूरत बना सकती हैं. इसके लिए आपके पास बहुत सारे स्टोल्स होने चाहिए.

दुपट्टा

सलवार कमीज के साथ मिलने वाले दुपट्टे अक्सर सलवार कमीज के खराब हो जाने के बाद भी अच्छे रहते हैं. इन्हें आप घर में पर्दे बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं. क्योंकि यह कई सारे रंगो और शेड्स में आते हैं.

कपड़े के अस्तर

अगर आप अपने घर को कंट्री साइड सम्मेरी लुक देना चाहते हैं जिससे घर में धुप और रौशनी अच्छे से आये. तो आप अपनी ड्रेस के अस्तर का इस्तेमाल पर्दे बनाने में कर सकती हैं.

मेजपोश

अगर आप सोच रही हैं कि क्रोशिया के पर्दे कैसे लगेंगे? तो ये काफी आर्टिस्टिक लुक देंगे आपके घर को. इसके अलावा मेजपोश के पर्दे बिल्कुल अलग व बहुत खूबसूरत लगते हैं.

17 स्टाइलिंग टिप्स फौलो कर बन जाएं फैस्टिव फैशन क्वीन

फैस्टिव गैटटुगैदर हो या परिवार, मित्रों के साथ आउटिंग का प्लान, अपने रैग्युलर आउटफिट को नए तरीके से पहन कर और स्टाइलिंग के इन स्मार्ट तरीकों को ध्यान में रख कर आप भी सुपर फैशनेबल नजर आ सकती हैं.

1. अगर फुलस्लीव कैजुअल शर्ट, टीशर्ट या टौप पहन रही हैं, तो उस की बाजुओं को 2-3 बार फोल्ड कर के थ्रीफोर्थ स्लीव्स बना लें. इसी तरह थ्रीफोर्थ स्लीव्स को फोल्ड कर के हाफ स्लीव्स बना लें. यह स्टाइल आप को फैशनेबल लुक देगा.

2. शर्ट्स और टीशर्ट्स की स्लीव्स की तरह जींस, जैगिंग्स, पैंट जैसे बौटम वियर को भी रैग्युलर अंदाज में पहनने के बजाय उस के बौटम को सलीके से फोल्ड कर के सिंगल या डबल कफ बना लें. इस तरह आप का रैग्युलर बौटम वियर आप को फैशनेबल लुक देगा.

3. अगर आप टौप, टीशर्ट, शर्ट, शौर्ट या लौंग ड्रैस के साथ जैकेट पहनना पसंद करती हैं, तो अगली बार जैकेट पहनने के बजाय उसे दोनों ओर कंधों पर रख कर उस के स्लीव्स को फ्री छोड़ दीजिए. जैकेट कैरी करने का यह तरीका लोगों को आकर्षित करेगा.

4. ह्यूज साइज के साथ स्मौल साइज के आउटफिट का कौंबिनेशन भी फैशनेबल लुक देता है जैसे क्रौप टौप के साथ प्लाजो, शौर्ट शर्ट के साथ लेयर्ड स्कर्ट, शौर्ट्स के साथ ओवरसाइज्ड टौप, शौर्ट ड्रैस के साथ नी या ऐंकल लैंथ जैकेट या फिर श्रग.

5. फुल व्हाइट लुक भी आप को फैशनेबल लुक दे सकता है जैसे व्हाइट जींस के साथ व्हाइट शर्ट पहनें. उस के साथ व्हाइट फुटवियर और व्हाइट हैंडबैग कैरी करें. बाकी ऐक्सैसरीज जैसे वाच, इयररिंग्स, नैकपीस, कफ आदि कलरफुल चुनें.

6. अगर आप फैशनेबल दिखना चाहती हैं, तो व्हाइट के साथ ब्लैक, ग्रीन के साथ रैड जैसे कौमन कौंबिनेशन पहनने के बजाय अनकौमन शेड्स का कौंबिनेशन ट्राई करें जैसे बेबी ब्लू के साथ डीप यलो, ब्लू के साथ इंडिगो, प्लम के साथ मस्टर्ड शेड, पर्पल के साथ रैड, डार्क ब्लू के साथ सी ब्लू, औरेंज के साथ यलो आदि.

7. प्रिंटेड आउटफिट के साथ सिंगल शेड वियर का कौंबिनेशन भी आप को मिस ब्यूटीफुल का खिताब दिला सकता है जैसे प्लेन व्हाइट टौप के साथ प्रिंटेड स्कर्ट पहनें. प्रिंटेड पैंट के साथ प्लेन व्हाइट, औफ व्हाइट या यलो शर्ट, प्रिंटेड ड्रैस के ऊपर सिंगल शेड जैकेट आदि.

8. डिफरैंट आउटफिट के साथ स्कार्फ, स्टोल और शाल का कौंबिनेशन भी सुपर फैशनेबल लुक देता है जैसे वैस्टर्न टौप या टीशर्ट के साथ स्कार्फ को गले में घुमा कर पहनें. इंडियन ट्यूनिक और कुरती के साथ स्टोल को वन साइड कंधे पर रखें और साड़ी के साथ शाल को दोनों तरफ से कवर करें.

9. बैल्ट, नौट और रिबन भी आप की पर्सनैलिटी को स्टाइलिश बना सकते हैं जैसे स्किनी जींस के साथ थिन बैल्ट पहनें. शौर्ट्स या लौंग ड्रैस के ऊपर ब्रोच वाली बैल्ट पहनें. स्कर्ट और प्लाजो के साथ रिबन बांधें. बैल्ट के बोल्ड शेड्स चुनें. ये आप की पर्सनैलिटी को हाईलाइट करेंगे.

10. अपनी पर्सनैलिटी को फैशनेबल टच देने के लिए अपने पास राउंडेड हैट भी जरूर रखें और जब भी आउटडोर या ट्रैवलिंग के लिए बाहर जाएं, इसे पहन लें. लेकिन जब भी हैट पहनें, बालों को खुला छोड़ें और मोर स्टाइलिस्ट लुक के लिए हैट को थोड़ा क्रौस कर के पहनें.

11. आप के बालों की स्टाइलिंग और कट भी आप को फैशनेबल बना सकती है. इस के लिए स्टैप, लेयर या फिर फं्रट बैंग्स वाला हेयर कट चुनें या फिर बालों का हाई पोनी, मैसी बन बना लें. अगर अपने हेयरस्टाइल को लंबे समय तक फैशनेबल बनाए रखना चाहती हैं तो बालों को कलर करें या फिर उन्हें स्ट्रेट अथवा कर्ल करवाएं.

12. आउटफिट से मैच करते बिग साइज इयररिंग्स, लौंग नैकपीस, स्टाइलिश हैंड कफ, डल सिलवर फिंगर रिंग, हैंड हारनेस, हैड गियर जैसी ट्रैंडी ऐक्सैसरीज में से किसी एक को अपना स्टाइल स्टेटमैंट बना कर भी आप फैशनेबल नजर आ सकती हैं.

13. हेयर ऐक्सैसरीज जैसे हेयर बैंड, ह्यूज हेयर क्लिप, क्यूट बकल, स्मार्ट हेयर पिन, हेयर बो भी आप को फैशनेबल लुक देने के लिए काफी हैं, बशर्ते इन का चुनाव अपने आउटफिट को ध्यान में रख कर करें.

14. आउटफिट की स्टाइलिंग और ऐक्सैसरीज ही नहीं, मेकअप के स्मार्ट ट्रिक्स भी आप की पर्सनैलिटी को हाईलाइट कर सकते हैं जैसे स्मोकी आई मेकअप, डस्की आईशैडो, नैचुरल शेड ब्लशऔन, होंठों पर लगी बोल्ड शेड की मैट लिपस्टिक आदि.

15. डिफरैंट टाइप्स के अट्रैक्टिव नेल आर्ट के साथ ही लंबे नाखून पर लगी प्लेन ब्लैक, व्हाइट, सिल्वर, गोल्डन या बोल्ड शेड जैसे रैड, पिंक, औरेंज, ब्लू की मैट फिनिश नेलपौलिश भी आप को फैशन आइकोन बना सकती है.

16. फैशनेबल लुक के लिए आउटफिट से मेल खाता नहीं, बल्कि मैच न करने वाला फुटवियर पहनें जैसे जींस के साथ मोजडी, शौर्ट्स के साथ ग्लैडिएटर सैंडल, लैगिंग्स के साथ पैंसिल हील सैंडल आदि. मिस्ड मैच का यह कौंबिनेशन लोगों को आप की ओर खींच लाएगा.

17. रैग्युलर वाच के बजाय अपनी कलाई में बिग साइज की स्पोर्टी, गोल्डन, सिल्वर, मैटल या ज्वैल्ड वाच पहन कर भी आप लोगों के बीच सैंटर औफ अट्रैक्शन बन सकती हैं जैंट्स वाच भी आप को डिफरैंट लुक दे सकती है.

ध्यान रखें कि ड्रैस से ज्यादा यह बात महत्त्व रखती है कि आप ने ड्रैस को कैरी कैसे किया है और किस तरह की ऐक्सैसरीज इस के साथ चुनी है. इसलिए फैशनेबल स्टाइल अपनाने के लिए अपनी फिगर, ड्रैस के चयन और मैचिंग ऐक्सैसरीज का विशेष ध्यान रखें.

तो प्रियंका चोपड़ा निभाएंगी पी टी उषा का किरदार..!

यदि सब कुछ सही ढंग से संपन्न हो सका, तो बहुत जल्द मुक्केबाज मैरी कौम का किरदार निभा चुकी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा सिनेमा के परदे पर पी टी उषा की तरह भागती हुई नजर आएंगी. केरला के पायोली गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय एथलीट के रूप में सौ से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतते हुए जबरदस्त शोहरत हासिल करने के बाद लंबे समय तक खेल की दुनिया में छायी रहने वाली पी टी उषा ने दावा किया है कि उन्होंने अपनी बायोपिक फिल्म के लिए फिल्मकार रेवती एस वर्मा को इजाजत दे दी है.

यूं तो पी टी उषा 2000 से खुद को प्रतियोगिताओं से अलग कर अपने गांव में एथलीट स्कूल खोलकर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रही है, पर उनका नाम आज भी लोगों की जुबान पर है. इतना ही नहीं उनके प्रशंसक सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि चीन व रसिया में भी है. 

तमिल फिल्म ‘जून आर’ और मलयालम फिल्म ‘माड दाद’ सहित करीबन सात फिल्में निर्देशित कर चुकी रेवती एस वर्मा अब सौ करोड़ के बजट वाली पी टी उषा की बायोपिक फिल्म का निर्देशन करने जा रही हैं, जिसका नाम होगा ‘पी टी उषा’. इस फिल्म का निर्माण मूलतः अंग्रेजी भाषा में होगा. उसके बाद इसे हिंदी, चाइनीज, रसियन व मलयालम भाषा में डब किया जएगा.

फिल्म ‘पी टी उषा’ में ए आर रहमान का संगीत होगा. जबकि फिल्म की पटकथा हृदय रोग विशेषज्ञ साजिश सरगम लिख रहे हैं.

रेवती एस वर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा है, ‘‘ पी टी उषा ने दो साल पहले ही मुझे अपने उपर बायोपिक फिल्म बनाने की इजाजत दे दी थी पर मैंने अब तक इस बात को छिपा रखा था क्योंकि मैं इस फिल्म के लिए तैयारी कर रही थी. मैं पी टी उषा की बहुत बड़ी प्रशंसक हूं और उन पर फिल्म बनाने का सपना में पिछले दस वर्षों से देखती आ रही हूं.’’

रेवती एस वर्मा आगे कहती हैं, ‘‘मैं इस फिल्म में ऐसी अदाकारा की तलाश में थी, जो कि केरला व मलयालम फिल्मों से इतर हो. मैंने इस बारे में प्रियंका चोपड़ा से बात की. वह इस फिल्म को करने के लिए काफी उत्साहित हैं. उनका चेहरा भी काफी हद तक पी टी उषा से मिलता है. उनके शरीर की बनावट भी एक खिलाड़ी वाली ही है. तो उनके लिए इस किरदार को निभाना काफी आसान होगा. वैसे अभी तक प्रियंका चोपड़ा ने हमारी फिल्म करने के लिए अंतिम रूप से सहमति नहीं दी है.’’

बौलीवुड की ये अभिनेत्री बनेंगी पी टी उषा

अंग्रेजी भाषा में बनने के बाद हिंदी, मलयालम, रसियन व चाइनीज भाषा में डब होने वाली फिल्म ‘पी टी उषा’ में पी टी उषा का किरदार निभाने का अवसर किस अभिनेत्री को मिलने जा रहा है,यह सवाल बौलीवुड में काफी चर्चा में है. ज्ञातब्य है कि मशहूर दक्षिण भारतीय फिल्मकार रेवती एस वर्मा मशहूर खिलाड़ी, धावक व एथलीट पी टी उषा के जीवन पर ‘पी टी उषा’ नामक बायोपिक फिल्म का निर्माण कर रही हैं. जिसमें पी टी उषा का किरदार निभाने के लिए रेवती एस वर्मा ने प्रियंका चोपड़ा से बात की है.

प्रियंका चोपड़ा इस किरदार को निभाने को लेकर अति उत्साहित भी हैं. मगर सूत्रों का दावा है कि कुछ लोग शंका व्यक्त कर रहे हैं कि ‘मैरी कौम’ के किरदार में प्रियंका चोपड़ा को पसंद कर चुके दर्शक क्या प्रियंका चोपड़ा को पी टी उषा के किरदार में पसंद करेंगे? जब से यह चर्चा शुरू हुई है, तब से रेवती एस वर्मा भी सोच में पड़ गयी हैं कि वह प्रियंका चोपड़ा को चुनें या किसी अन्य अभिनेत्री को?

उधर बौलीवुड के गलियारों से जो खबर मिल रही है, उसके अनुसार प्रियंका चोपड़ा ने अभी तक इस फिल्म को करने के लिए अपनी तरफ से हामी नहीं भरी है. वह भी दुविधा में हैं. प्रियंका चोपड़ा इस पर विचार कर रही हैं कि क्या वह इस फिल्म के लिए आवश्यक समय निकाल पाएंगी. सूत्र बताते हैं कि निर्देशक रेवती एस वर्मा ने प्रस्ताव रखा है कि पी टी उषा का किरदार निभाने वाली अदाकारा को कुछ माह पी टी उषा के साथ रहकर उन्हें समझना होगा. उसके बाद कुछ समय उसे पी टी उषा की तरह अपने शरीर को ढालने व अन्य तैयारी करने के लिए देना होगा. तो सवाल है कि क्या प्रियंका चोपड़ा के पास इतना वक्त है? क्या वह कम से कम एक वर्ष के लिए अमरीका से दूरी बना सकेंगी?

सूत्रों का दावा है कि प्रियंका चोपड़ा के इंकार करने पर यह फिल्म सोनम कपूर की झोली में जा सकती है.

रेवती एस वर्मा का दावा है कि उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह पी टी उषा के किरदार में किस अभिनेत्री को लेने वाली हैं. वह कहती हैं, ‘‘प्रियंका चोपड़ा और सोनम कपूर के नाम मेरे दिमाग में है. हमने इनसे बात भी की है. पर इनमें से अंतिम रूप से कौन हमारी फिल्म का हिस्सा बनेगी, इसका निर्णय अगले छह माह के अंदर हो जाएगा. तब तक फिल्म की पटकथा तैयार हो जाएगी और हमारी दूसरी तैयारियां भी हो जाएगी.’’

मजेदार बात यह है कि सोनम कपूर इस फिल्म को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि उनके अति नजदीकी सूत्रों का दावा है कि सोनम कपूर अपनी तरफ से तो पी टी उषा का किरदार निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. खैर,अब यह वक्त ही बताएगा कि पी टी उषा के किरदार में दर्शक किसे देख पाएंगे?

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